"क्या? " विजय चिहुंक उठा ।


"अंकल, तभी तो मैंने घूंट भरकर ऐसी एक्टिंग की, जैसे चाय बहुत अच्छी हो ।"


विजय का मुंह बुरी तरह जल रहा था। तभी रैना विकास की ओर बढ़ती हुई बोली ।


"विकास तुम बहुत शैतान हो गए हो ।"


तभी विकास दौड़कर विजय की गोद में चढ़ गया और बोला- "बचाओ अंकल!'


विजय को विकास की शैतानी पर प्यार आया और रैना को रोकता हुआ बोला ।


- "बस.. . बस रहने दो भाभीजान, अब मिस्टर विकास हमारी शरण में आ गए है ।''


"भैया, तुम इस शैतान की आदत बिगाड़ रहे हो।"


'अंकल, हमें बचा लो, बदले में हम आपको एक दिलजली सुनाएंगे ।'


"क्या? " विजय ने आंखें निकालीं, किंतु फिर भी विजय ने उसे बचाया । विकास की शरारतों पर सभी को प्यार आता था।


और फिर तब !


जबकि मजाक काफी हो लिया, तो रैना बोली


"चलो विकास, अब तुम अंदर जाकर पढ़ो ।"


और फिर वह अंदर चला गया, लेकिन जाता-जाता शरारत से विजय को जीभ दिखा गया ।


रैना रसोईघर में चली गई ।


विजय ने गंभीर होना अधिक उपयुक्त समझा वह


रघुनाथ की ओर झुका और रहस्यमय स्वर में धीमे से बोला ।


प्यारे तुलाराशि, कल को अपने बारातियों (पुलिस) सहित सतर्क रहना ।"


"क्यों? " रघुनाथ चौंका ।


"लूमड़ मियां ने अपने विकास का अपहरण करने की धमकी दी है । "


"क्या... तुम्हें कैसे मालूम ? " रपुनाथ चिहुंक- उठा ।


."अधिक जोर से मत बोलो बेटे तुलाराशि- अगर भाभी ने सुन लिया तो अभी रोना-धोना चालू हो जाएगा। तुम लूमड़ का यह पत्र पढ लो -सब कुछ पता चल जाएगा । " विजय ने उसे पत्र दिया ।


रघुनाथ के तो जैसे होश ही उड़ गए थे कांपते हाथों से उसने पत्र पकड़ा और एण्ड ही सांस में समूचा पत्र पढ लिया था । पढ़ते-पढ़ते उसके माथे पर पसीना उभर आया होंठ शुष्क पड़ गए ।


"अबे घबरा क्यों गए - प्यारे तुलाराशि, कल यहां

चप्पे-चप्पे पर अपने बाराती फैला दो । लूमड़ प्यारे बचकर नहीं जाने चाहिए और विकास की रक्षा मैं स्वयं करूंगा दोस्त ।" आज पहली बार विजय रघुनाथ से इतने प्यार के साथ बोल रहा था।


" मेरी जान जा सकती है, किंतु विकास का अपहरण नहीं हो सकता ।"


रघुनाथ ने विजय की आंखों में देखा तो देखता ही रह गया-आज तक उसने विजय को कभी गंभीर नहीं देखा था, लेकिन आज विजय की आंखों में न सिर्फ गंभीरता थी, बल्कि वे क्रोध से लाल भी थी । रघुनाथ को कुछ शांति हुई, क्योंकि वह जानता था कि विजय जिस काम में हाथ डाल देता है, वह कभी असफल नहीं हो सकता । उसे विजय पर पूरा विश्वास था - वह भी भावुक स्वर में बोला ।


- "विजय, मैं जानता हूं कि अलफांसे छलावा है । दुनिया भर की पुलिस को वह उंगलियों पर नचाता है, किंतु मुझे

पूर्ण विश्वास है कि अगर तुमने सहयोग दिया तो वह विकास का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा ।'


लेकिन ध्यान रखना । " विजय दबी जुबान से बोला- "भाभी को इस बात का जरा भी अहसास न होने पाए, जैसे अब तक मैं हंसने का अभिनय कर रहा था, अब तुम भी ठीक वैसा ही करोगे ।"

ब्यूमिरान !


एक ऐसा ठंडा इलाका जहां हमेशा बर्फ पड़ती रहती है । बर्फीले तूफान जहां हमेशा ही चलते रहते हैं। यहां चारों तरफ बर्फ है -बर्फ और सिर्फ बर्फ!


ब्यूमिरान में निवास कौरने वाले लोग लकड़ियों के बने मकानों में रहते थे । चौबीस घंटे उनके गले में दहकते कोयलों की अंगीठियां लटकी रहती थी । गर्मी नाम की किसी वस्तु से कभी इनका वास्ता ही नहीं पड़ा था । वे इस ठंड के आदी हो चुके थे । इस समय भी घइमरान में तीव्र बर्फीला तूफान चल रहा था । बर्फ तेजी के साथ उत्तर की ओर उड़ी चली जा रही थी । प्रत्येक इंसान लकड़ी के बने मकानों में कैद था । सायं-सायं की तीव्र ध्यनि वातावरण में अपना राज जमाए हुए थी।


समस्त वातावरण में बर्फ तेजी के साथ बह रही थी ।


प्रत्येक इंसान के दांतो से मानो आनो की धुन बज रही हो, सभी ठिठुर रहे थे ।


यह एक छोटा-सा कमरा था-कमरा ही छोटा नहीं, बल्कि यह परिवार भो छोटा था और यह छोटा-सा परिवार एक छोटी-सी दहकती अंगीठी के चारों ओर सिकुड़ा-सा बैठा था ।


वहां सन्नाटा था ! मौत जैसा सन्नाटा ! सदी की तीव्रता के कारण वे आपस में बोलने में भी कष्ट अनुभव कर रहे थई। कभी-कभार कोई एक-आध शब्द बोलता और फिर लंबे समय के लिए सन्नाटा ।


इस छोटे-से परिवार में एक जोड़ा था जो लगभग पचास-पैंतालीस की आयु के बीच झूल रहा था । एक लड़की थी, जिसकी आयु लगभग बीस वर्ष रही होगी और एक था बारह वर्ष का लड़का । कहने की आवश्यकता नहीं कि सभी के जिस्म गरम कपड़ों में लिपटे हुए थे।


'स्टान !' अचानक बूढ़ी स्त्री बोली ।


-"हूं ! " उसके पति ने कठिनाई से एक ही शब्द कहा ।


तूफान वास्तव में अत्यंत तीव्र है । "


''ऐसा तूफान पिछले दो माह से नहीं आया ।"


- "भगवान जाने कब समाप्त हो !"


उसके बाद दोनों ने ठंडी सांस ली और वहां फिर सन्नाटा छा गया ।


कुछ समय उपरांत!


अचानक स्टान नामक व्यक्ति अपने स्थान से उठा और अंगीठी से दूर एक लकड़ी के बने तख्ते पर जाकर बैठ गया । तभी स्टीन की बीवी भी वहां से उठकर एक अन्य तख्ते पर आ बैठी ।


और देखते-ही-देखते उनका लड़का और लड़की भी उठे और ज्वलित अंगीठी से दूर जा बैठे।


अब तक कोई कुछ नहीं बोला था ।


सहसा स्टान की बीवी ने अपना गरम लिबास उतारकर कमरे में एक तरफ फेंक दिया ।


देखते-ही-देखते सबने गरम लिबास उतार फेंके। वे एक-दूसरे की ओर विचित्र - सी निगाहों से देख रहे थे। उन्होंने खिड़की से बाहर देखा ।


तूफान अपने पूर्ण यौवन पर था ।


स्टान, कुछ गर्मी-सी महसूस हो रही है ।" सहसा स्टान की बीवी बोली ।


.'' मैं भी ऐसा महसूस कर रहा हूं । " -


तभी स्टान का लड़का आगे बढ़ा और उसने दहकते कोयलों की अंगीठी उलटकर कोयले बुझा दिए ।


सभी लोग कुछ गर्मी-सी महसूस कर रहे थे । शनै: शनै: गर्मी बढ़ने लगी। उन लोगों के जिस्मों से कपड़े क्षण-प्रतिक्षण कम होते जा रहे थे । वे एक-दूसरे की ओर आश्चर्य से देख थे क्योंकि ब्यूमिरान के निवासियों के लिए यह पहला अवसर था जब वे गर्मी महसूस कर रहे थे ।


"यह क्या हो रहा है?" स्टान की बीवी ने दूसरा कपड़ा अपने जिस्म से उतारते हुए कहा ।


शनै: शनै: उन लोगों के कपड़े कम होने लगे ।


अजीब-सी स्थिति थी उनके सामने बहुत परेशान थे वे लोग, उन्होंने नजर उठाकर एक बार फिर देखा तो तूफान को निरतर उसी गति पर पाया ।


तभी स्टान ने देखा ।


उससे लगभग पांच गज दूर वाली झोपड़ी का द्वार खुला और अगला दृश्य आश्चर्यपूर्ण! उस झोपड़ी के समस्त निवासी बाहर निकल आए थे । नंगे, बिल्कुल नंग-धड़ंग !


स्टॉन ने वहां से नजर उठाई और अपने परिवार के सदस्यों को देखा । वे भी तेजी के साथ अपने वस्त्र उतारकर फेंक रहे थे, सहसा उसके शरीर में चींटियां-सी काटने लगीं । कुछ देर तक तो वह खुजांता रहा, किंतु अगले ही पल वह भी तीव्रता के साथ अपने कपड़े उतार रहा था ।


कुछ समय पश्चात!


वे चारों भी बिल्कुल नग्न हो गए। उन्हें पसीना आने लगा । लगभग सभी अपने बालों को ऐसे खुजा रहे थे, जैसे न जाने कितने जुएं हों ।

अब तक वे पसीने में नहा गए ।


तभी स्टान उस बाल्टी की ओर दौड़ा, जिसमें बर्फ रखी थी। किंतु आश्चर्य !


गहन आश्चर्य की बात थी कि बाल्टी में बर्फ के स्थान पर पानी था ।


वास्तव में यह महान आश्चर्य की बात थी ! ब्यूमिरान में तो चाय भी एक मिनट में जम जाती थी, जबकि उसके ठीक विपरीत यहां बर्फ पिघलकर पानी बन गई थी ।


स्टान ने तेजी से बाल्टी उठाई और अपने शरीर पर डाल ली । उसे गर्मी से कुछ राहत मिली ।


स्टान का लड़का दूसरी बाल्टी की तरफ था ।


किंतु इस बार आश्चर्य अत्यंत गहन था । बाल्टी की बर्फ का न सिर्फ पानी बन गया- बल्कि इस बार पानी से हल्की-हल्की गर्म भाप भी उठ रही थी ।


स्टान के लड़के ने इस बात की विशेष चिंता न करके बाल्टी का पानी अपने जिस्म पर उलट लिया, और अगले ही पल वह बुरी तरह चीखा और चीखता ही चला गया । बाल्टी उसके हाथ से छूट गई । पानी चाय की भांति गरम था ।


वह चीखा ! दरवाजा खोलकर बाहर आ गया । उसके पीछे सभी ये ।


ब्यूमिरान के लगभग समस्त निवासी बाहर आ चुके थे । बाहर तेज बर्फीला तूफान जारी था। समस्त निवासी नग्न थे, बिल्कुल नग्न |


सभी की स्थिति एक जैसी थी । वे इस अनहोनी घटना से बहुत ही परेशान व आश्चर्यचकित थे । वास्तव में इस अचानक गरमी का कारण उनकी समझ में नहीं आ रहा था।


बर्फीले तूफान के पूर्ण वेग में होने के बावजूद भी गरमी के क्षण-प्रतिक्षण बढ़ती जा रही थी। तेज तूफान में खड़े रहना न सिर्फ कठिन था, बल्कि असंभव था । अत: लगभग सभी इंसान बर्फ पर लेट गए । उड़कर आने वाली बर्फ उनके जिस्मों पर गिरने लगी । सभी लोग कुछ राहत-सी महसूस कर रहे थे । एक विचित्र - सा शोर था चारों ओर ।


- लगभग पंद्रह मिनट तक सब लोग यूं ही अवाक से खड़े रहे, किंतु फिर एक अन्य अनहोनी घटना प्रारंभ हो गई । कितनी आश्चर्यपूर्ण थी यह घटना!


अचानक वे लोग उस बर्फ को गरम महसूस करने लगे, जिस पर वे लेटे थे ।


बर्फ पिघलने लगी । आश्चर्य महानतम था! बर्फ पानी में बदलती जा रही थी !


तभी एक अन्य महान परिवर्तन !


तेज चलता हुआ बर्फीला तूफान ठंडे के स्थान पर गरम लगने लगा । बर्फ के स्थान पर वातावरण में पानी की बूंदें उड़ने लगीं । पानी की बूंदें, गरम-गरम पानी की बूंदें ! ।


ब्यूमिरान के समरत निवासी चौंककर खड़े हो गए ।


बर्फीले पर्वत, बर्फीले टीले, बर्फीले दर्रे और बर्फीली घाटियां, सभी कुछ जल' में परिवर्तित होने लगे ।


ब्यूमिरान के निवासियों में हलचल हुई, कुछ भयभीत होकर चीखने-चिल्लाने लगे ।


अचानक समस्त वायूमंडल लाल होने लगा-बर्फ भी लाल-लाल-सी महसूस होनें लगीपानी से भाप निकलने लगी और समस्त वायुमंडल गरम होता जा रहा था, जैसे भट्ठी के आसपास का इलाका ।


लाल रंग गहरा, और गहरा होता चला गया--जहां देखो, लाल-ही-लाल नजर आ रहा था ।


अचानक !


लकड़ी के मकान से धुआं निकलना शुरू हो गया और देखते-ही-देखते माहौल लाल हो गया । बर्फ तक भी लाल हो चुकी थी । ठीक इस तरह लाल, मानो तप्त लोहा ।


बर्फ तेजी से पिघल रही थी ।


तूफान उसी तरह जारी था । सभी लोग परेशान !


वास्तव में यह सब-कुछ अनहोनी ही तो थी ।


लाल और सिर्फ लाल.. चारों ओर लाल, मानो कोयले दहक रहे हो, लाल हो गए हों। ठीक उसी तरह बर्फ लाल हो गई और निरंतर तेजी के साथ पिघल रही थी ।


स्टान भी चीखने लगा ।


उसने अपने लड़के की ओर देखा तो आश्चर्य और भय के कारण उसके कंठ से चीख निकल गई ।