9 सितम्बर, रविवार
सुबह आठ बजे के करीब असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर रोशन वर्मा और हेड-कॉन्स्टेबल अनिल पुलिस की पीसीआर वैन में सवार होकर रोहित गेरा की तलाश में उसके पिता शमशेर सिंह गेरा के फार्महाउस पहुँचे ।
‘गेरा फार्महाउस’ शहर की भीड़-भाड़ से दूर था और शमशेर सिंह की कमाई हुई दौलत की कहानी अपने मुँह से कह रहा था । हालांकि ये बात दूसरी थी कि उस चकाचौंध में उसकी काली दौलत का अपना अहम योगदान था । अपनी राजनीति की पहुँच के कारण और अपने जबर-ओ-जुल्म के कारण, प्रेम नगर के एरिया में पाए जाने वाले शराब के ठेकों की बोली पिछले आठ-दस सालों से वह लगातार अपने नाम पर छुड़वाता आ रहा था । अपने खिलाफ खड़े होने वालों को वह अब तक साम-दाम-दंड-भेद की नीति से पछाड़ता हुआ और अपने रास्ते से हटाता आ रहा था । उसके खिलाफ कई बार संगीन मामलों में मुकद्दमें दर्ज हुए, पर वह अपने ऊपर के लोगों के तालुक्कात और रसूख के कारण हर बार बच निकलने में कामयाब रहा था । इसका मतलब यह था कि फिलहाल उसका दामन कानून की अंधी नजरों के हिसाब से साफ़ तो था लेकिन कितना पाक था, ये तो कोई नहीं कह सकता था ।
‘गेरा फार्महाउस’ का विशाल गेट सुबह-सुबह बंद था । रोशन वर्मा ने गेट-कीपर को गेट खोलने के लिए कहा, पर घर के अंदर के आदेशों पर अमल करते हुए सिर्फ एक छोटा गेट ही खोला गया । अनिल और रोशन वर्मा उस दरवाजे से दाखिल हुए । एक बड़े ड्राइंगरूम में उन्हें ले जाकर बिठाया गया । कोई आधा घंटे के इन्तजार के बाद शमशेर सिंह गेरा ने ड्राइंगरूम में कदम रखा ।
शमशेर सिंह गेरा एक लम्बे तगड़े शरीर का मालिक था, जिसके चेहरे पर उसके रुतबे के घमंड की परछाई हमेशा टपकती रहती थी । रोशन वर्मा और अनिल की मौजूदगी का प्रभाव उसके ऊपर पड़ा हो, ऐसा उसके चेहरे से बिल्कुल महसूस नहीं हो रहा था ।
“आइए, आइए वर्मा जी ! आज सुबह-सुबह हमारे यहाँ ! सब कुछ खैरियत तो है ?” शमशेर सिंह ने माथे पर शिकन लाते हुए एक औपचारिकता भरे स्वर में पूछा ।
“सब खैरियत ही है, गेरा साहब ! आपको पता ही है कि पिछले दिनों प्रेम नगर से दो लाशें मिली हैं । एक... ।”
“हाँ, पता लगा है मुझे । एक वह अपने सुरेंदर कालिया का लड़का है और एक लड़का... । प्रेम नगर में अपराध का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है ।” शमशेर सिंह ने बीच में बोलते हुए कहा ।
“संजय बंसल ! दूसरे मरने वाले लड़के का नाम ।” रोशन ने वाक्य पूरा किया । उस नाम को सुनकर उसके चेहरे पर कोई पहचान के भाव उभरे हों, ऐसा कम-से-कम रोशन को तो नहीं लगा ।
“तो इसमें बताओ मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ ? मेरा इसमें क्या रोल है ?” खिन्न स्वर में वह बोला ।
“इसमें आपका कोई रोल नहीं है, गेरा साहब ! शुरुआती तहकीकात से हमें पता चला है कि उस दिन आपका छोटा लड़का रोहित गेरा मौका-ए-वारदात पर मौजूद था । इसलिए हम उससे पूछताछ करने के लिए आयें हैं । उसे 11 बजे प्रेम नगर के पुलिस स्टेशन में अपनी शिनाख्त और फिंगरप्रिंट मिलान के लिए आना होगा । संजय बंसल के घर पर मिले हमें कुछ फिंगरप्रिंट्स मिले हैं, जिसमें हो सकता है रोहित की उँगलियों के निशान भी हों ।”
“क्या बात करते हो ! कोई पक्का सबूत है तुम्हारे पास मेरे बेटे के खिलाफ ? बिना किसी बात के तुम जिसको मर्जी थाने बुला लोगे ! तुम कम-से-कम आदमी देखकर तो बात करो वर्मा ! सुबह-सुबह ये किस धुन में तुम यहाँ पर आ गए । क्या तुम्हें पता नहीं, ये शमशेर गेरा का घर है !”
“हमें मालूम है, ये आपका घर है । पर ये महज मामूली-सी शिनाख्त की बात थी । किसी ने रोहित की वहाँ होने की शंका जाहिर की थी । हमें सिर्फ उस गवाही को कन्फर्म करना है । अभी तो सिर्फ इतनी-सी बात है ।”
“मुझे पता है, कितनी-सी बात है ! तुम किसी के भी कहने पर यहाँ आ जाओगे और मेरे बेटे को पकड़कर ले जाओगे । कोई मजाक है । तुम्हारी धौंस किसी आम आदमी पर चलती होगी । यहाँ नहीं चलेगी ।”
“आप तो इस तरह से भड़क रहे हैं गेरा साहब, जैसे हम उसे गिरफ्तार करने आए हैं । मैं आपको कह रहा हूँ कि सिर्फ शिनाख्त के लिए बुलाया है और वह भी पता नहीं सही हो या नहीं हो ।”
“मैं भड़क रहा हूँ ! ठीक है, मैं भड़क रहा हूँ । नहीं आएगा मेरा लड़का । कोई अंधेरगर्दी है । सुबह-सुबह मुँह उठाया और चले आए । मेरे बेटे का इस हादसे से कोई लेना-देना नहीं है । और हाँ, एक बात और ध्यान से सुन लो । तुम लोग इस वक्त मेरे घर में खड़े हो और मुझ पर धौंस जमाना इतना आसान नहीं है ।”
“साहब, इंस्पेक्टर साहब आपसे बात करेंगे । एक बार आप उनसे बात कर लो ।” इतने में अनिल ने अपना फ़ोन रोशन वर्मा के हाथ में देते हुए कहा ।
“जी जनाब !” रोशन वर्मा ने फ़ोन हाथ में लेते हुए कहा, “इनको मैंने सब कुछ बता दिया है पर ये मान नहीं रहे हैं… जी, देता हूँ फ़ोन ! गेरा साहब ! इंस्पेक्टर रणवीर आपसे बात करना चाहते हैं ।” रोशन ने फ़ोन शमशेर की तरफ करते हुए कहा, पर शमशेर ने फ़ोन अटेंड करने से इंकार कर दिया । मौके की नजाकत को देखते हुए रोशन ने इंस्पेक्टर रणवीर को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया । इसके बाद लाइन कट गई ।
कुछ ही देर में शमशेर सिंह गेरा के फ़ोन पर एक अनजाने नंबर से कॉल आई, जिसे उसने अटेंड किया ।
“आपको हिदायत दी जाती है कि आप दिये गए समय पर रोहित गेरा को लेकर प्रेम नगर सिटी पुलिस स्टेशन में सुबह 11 बजे उपस्थित हों । वर्ना पूछताछ के लिए भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 167 के तहत रोहित गेरा को 7 दिन की पुलिस कस्टडी में ले लिया जाएगा ।”
इतना कहने के बाद लाइन कट गई । शमशेर सिंह हकबकाया-सा फ़ोन की तरफ देख ही रहा था कि रोशन वर्मा और अनिल अपनी जगह से खड़े हो गए ।
रोशन बोला, “इतनी देर से हम आपको यही बताने की कोशिश कर रहे थे । खैर, आपको अब समझ में आ ही गया होगा ।” शमशेर सिंह ने कड़वी निगाहों से उसकी तरफ देखने की कोशिश की, लेकिन तब तक वह दोनों उसके ड्राइंगरूम से बाहर जा चुके थे ।
सवा नौ बजे के आसपास असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर रोशन वर्मा और हेड कॉन्स्टेबल अनिल वापिस सिटी पुलिस स्टेशन पहुँचे । रणवीर अपने ऑफिस में इसी केस की फाइलों में उलझा हुआ बैठा था । उसने रोशन और अनिल को बैठने के लिए कहा । चाय लेते हुए उन्होंने रणवीर को शमशेर गेरा के घर पर घटी पूरी घटना का ब्यौरा दिया ।
“यही तो मुसीबत है । पुलिस की हालत एक ऐसे पहलवान की तरह है जिसके दोनों हाथ बाँधकर कह दिया जाता है कि अब वह दांव लगाकर दिखाए । वह एक ऐसे धावक की तरह है, जिसके पाँव बंधे हुए हैं और उसे दौड़ में फर्स्ट आने का फरमान सुनाया जाता है । उसके हाथ में डंडा है, पर उससे उम्मीद की जाती है कि मुकाबला पिस्तौल और एके सैंतालीस से जीतकर दिखाये ।” रणवीर बड़बड़ाया ।
“फिर भी हम बदनाम है सर !” अनिल बोला ।
“बदनाम इसलिए हैं क्योंकि हमारा जोर सिर्फ मजलूमों पर चलता है । आज शमशेर सिंह गेरा की जगह कोई गरीब होता तो हम उसे गर्दन से पकड़कर यहाँ ले आते । हम साइकिल वाले पर जोर आजमाते हैं, पर कार वाले को रास्ता बताते हैं । हम में से ही कुछ लोग हाथ बाँधे ऐसे लोगों के दरबार में उनके फेंके हुए टुकड़ों की मुँह बाए इन्तजार करते रहते हैं । खैर, छोड़ो ।
“अनिल, पिछले एक हफ्ते की रोहित की कॉल रिकार्ड्स और उसकी लोकेशन जो तुम और कृष्ण लेकर आए थे, वह निकालकर लाओ । अब कोर्ट के कस्टडी ऑर्डर के बिना बात नहीं बनेगी ।”
अनिल अभिवादन कर अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया । इतने में ही रणवीर के मोबाइल के फ़ोन की घंटी बजी । फ़ोन की स्क्रीन पर झलकते नम्बर को देखकर इंस्पेक्टर रणवीर के चेहरे पर एक फीकी-सी मुस्कान तैर गई । वह नंबर एसपी प्रभात जोशी के ऑफिस का था । स्टेनो ने रणवीर से बात करते हुए लाइन एसपी प्रभात जोशी को ट्रान्सफर कर दी ।
“सर !” रणवीर ने शरीर में कसाव लाते हुए कहा ।
“हेलो, इंस्पेक्टर रणवीर ! हाउ आर यू ? विल यू प्लीज ओबलाइज मी टू मीट मी इन माय ऑफिस एट शार्प इलेवन !” प्रभात जोशी की गोली जैसी आवाज उसके कानों से टकराई ।
“श्योर सर ! आई... ।” इससे पहले वह अपनी बात पूरी कर पाता, लाइन कट चुकी थी । इंस्पेक्टर रणवीर ने विषादपूर्ण नजरों से मोबाइल की तरफ देखा । फिर उसने रोशन वर्मा की तरफ देखते हुए कहा, “मेरे लिए फरमान आ गया है, रोशन ! एक तो उस लड़के विक्की को फ़ोन कर दो कि ठीक साढ़े दस बजे यहाँ पर आ जाए । तुम भी उस वक्त तैयार रहना । तुम अनिल के साथ मिलकर, जो मैंने कहा है, वह रिपोर्ट भी तैयार करके मुझे दो ।”
रोशन वर्मा हामी भरता हुआ वहाँ से रवाना हुआ । रणवीर अपने मोबाइल पर उलझ गया । सबसे पहले उसने हरी, फिर कालिया और सबसे बाद में बल्लू को फ़ोन किया । ये उसके एरिया के सेटेलाइट थे, जिनके पास शहर की अलग-अलग मामलों की सारी खबरें रहती थीं, जिनको उसने अब एक्टिव कर दिया था । उसने तीनों आदमियों को समझाया कि वह उनसे क्या चाहता था ।
ग्यारह बजने से दस मिनट पहले इंस्पेक्टर रणवीर, एसपी प्रभात जोशी के ऑफिस में अपनी हाजिरी दे रहा था । उसके साथ रोशन वर्मा और दूसरा हैड कॉन्स्टेबल कदम सिंह थे । ठीक ग्यारह बजे स्टेनो ने रणवीर को अंदर जाने का इशारा किया । बाकी दोनों जने बाहर बने वेटिंग एरिया में ही रहें ।
ऑफिस के अंदर सेल्यूट कर इंस्पेक्टर रणवीर, एसएसपी प्रभात जोशी के सामने खड़ा हो गया ।
“बैठो, रणवीर ! चार सितम्बर को तुम्हारे एरिया में एक लाश पायी गई और उसके बाद एक और घटना दुर्गा कॉलोनी में हुई । उसके बारे में क्या रिपोर्ट है ?”
“सर, इन्वेस्टीगेशन जारी है ! ये दोनों घटनाएँ शुरू में एक-दूसरे से अलग लग रही थीं पर हमें कुछ ऐसे क्लू मिले हैं, जिनसे ये पता चलता है कि ये आपस में जुड़ी हुई हैं और... ।”
“कोई चश्मदीद गवाह मिला है ?”
“नहीं सर, पर... !”
“इन साहब को जानते हो, जो तुम्हारे बगल में बैठे हैं ?”
“यस सर ! ये शमशेर सिंह गेरा हैं और इनके साथ जो बैठे हैं, वह सम्पूर्ण सिंह पार्षद हैं ।”
“इनको कुछ शिकायत है तुमसे । इन साहब का ये कहना है कि तुमने इनके घर पर सुबह-सुबह नाजायज दबिश दी है और इनको धमकाया अपने मातहतों द्वारा ।”
“सर, पूछताछ के दौरान हमें ऐसी इनफॉर्मेशन मिली थी, जो रोहित गेरा नाम के एक शख्स की घटना-स्थल पर हाजिर होने की तरफ साफ-साफ इशारा कर रही थी ।”
“इस शहर में रोहित गेरा नाम का क्या सिर्फ मेरा ही लड़का है, जो तुमने सुबह-सुबह मेरे घर पुलिस भेज दी ?” रणवीर के साथ में बैठे शमशेर सिंह ने भड़कते हुए पूछा ।
“हर कोई रोहित गेरा नहीं हो सकता । हम उस रोहित गेरा की बात कर रहें हैं जो इन तस्वीरों में गौरव कालिया और संजय बंसल के साथ दिखाई दे रहा है । और वह एक ही वाहिद शख्स हो सकता है । शायद आप अपनी औलाद को तो पहचानते ही होंगे कि यह वही रोहित गेरा है जिसकी इत्तेफाकन हमें तलाश है । जिससे हम एक बार सिर्फ पूछताछ करना चाहते हैं ।”
“अरे, फोटो तो मेरे बेटे की पता नहीं किस-किस आदमी के साथ है ! इसका मतलब यह तो नहीं कि वो सबका दोस्त होगा और उनके साथ मौजूद होगा ।”
“किसी के साथ कोई आदमी मौजूद होगा, तभी तो फोटो खिंचेगी । रोहित गेरा वहाँ उस जगह 32/11, दुर्गा कॉलोनी में मौजूद था, ये उसके मोबाइल की लोकेशन से पता चलता है । सर, ये रहे उसके मोबाइल की लोकेशन के रिकॉर्ड और साथ में संजय बंसल, गौरव कालिया और अनिकेत की आखिरी लोकेशन । तीनों का लोकेशन एक ही है और समय भी बिलकुल वही है, जो संजय बंसल की आखिरी साँस लेने का निर्धारित हुआ है ।”
प्रभात जोशी बड़े ध्यान से रणवीर के दिए हुए कागजात देखने लगा । यह सुनकर शमशेर और सम्पूर्ण सिंह की नजरें एक-दूसरे से मिलीं ।
“और सर, इस बात की तसदीक के लिए ही हम उससे मिलना चाहते थे ! इस बात के लिए हमारे पास एक लीड है, जो इस बात को प्रमाणित कर सकती है कि रोहित गेरा उस हौलनाक वारदात की रात को अनिकेत के घर पर था ।” रणवीर ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा ।
“क्या लीड है आपके पास ? कुछ हमें भी तो बताओ, दरोगा साहब ! ये लोकेशन-पोकेशन तो कोई पुख्ता बात नहीं हुई । ये तो कोई पुख्ता सबूत भी नहीं है । सबसे बड़ी बात तो यह है कि क्या अब हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि बिना किसी बात के पुलिस इस तरह किसी शरीफ आदमी के घर पहुँच जाएगी ।” शमशेर ने अपनी छाती फुलाते हुए कहा । प्रभात जोशी ने प्रश्नात्मक नजरों से शमशेर की तरफ देखा । शमशेर ने निर्भीकता से उससे नजरें मिलाई ।
एसपी प्रभात जोशी ने बड़े शांत स्वर में बोलना शुरू किया, “अपराधी पकड़े जाने से पहले कानून की नजरों में शरीफ ही होते हैं । इसमें इतनी हाय-तौबा मचाने की तो कोई बात मुझे नजर नहीं आती । जब आपको इतना यकीन है कि कुछ भी बात नहीं है और आपका बेटा निर्दोष है तो एक बार अपने साहबजादे को थाने की हवा... मेरा मतलब है घुमा ले जाते । इंस्पेक्टर साहब के साथ आप लोगों की एक कप चाय या कॉफी हो जाती और ये मामला भी सुलट जाता । अब ऐसा है न, इस तरह आप हमारे हर जगह आने-जाने पर पाबंदी लगायेंगे तो आपको पता ही है कि पूरा हिन्दुस्तान ही आप जैसे शरीफों का देश है । अगर हम अपने हाथ-पाँव नहीं चलाएँगे तो फिर हम तो बेरोजगार हो जाएँगे और सरकार को पुलिस का महकमा बंद करना पड़ेगा । कई बार हमारा भी मन कर जाता है, आप जैसे शरीफों की सोहबत करने का । कर लेने दीजिये कभी-कभी । और जब तहकीकात की जरूरत हो तो हमें जाँच-पड़ताल तो करनी पड़ेगी, गेरा साहब ! आप इस देश के जिम्मेदार नागरिक हैं । आप लोग ही हमारा सहयोग नहीं करेंगे तो गुंडे-बदमाशों से तो हम क्या उम्मीद रखें ।”
शमशेर और सम्पूर्ण को समझ नहीं आया कि प्रभात जोशी किस तरफ बोल रहा है, लेकिन जोशी की बात सुनकर रणवीर मन-ही-मन मुस्कुरा रहा था ।
“आप तो अपने लोगों की तरफदारी करने लगे ।” शमशेर फिर भी पूरी ढिठाई से बोला, “ये तो एक तरह से पुलिस की गुंडागर्दी है । क्या इस तरह से फ़ोन करके, लोगों को कानून का खौफ़ दिखाकर शरीफ लोगों को थाने में आने पर मजबूर किया जाएगा !” शमशेर सिंह ने आवेश में आते हुए कहा ।
“अब इस मामले में गौरव कालिया का बाप प्रेस वालों से और मेरे से भी ऊपर के अफसरों तक कंप्लेंट कर चुका है कि पुलिस पत्ता तक नहीं हिला रही । अब जब पुलिस कुछ करने की कोशिश कर रही है तो आपको तकलीफ हो रही है । क्यों इंस्पेक्टर रणवीर, कुछ कहना चाहते हो इस बारे में ?”
“सर, इस मामले में मारे गए संजय बंसल और अनिकेत के खिलाफ एक बार नकली दवाइयों और ड्रग्स का मामला बना था और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में वे बरी हो गए थे । जो शख्स आपके सामने अपनी शराफत की दुहाई देता हुआ हलकान हुआ जा रहा है, उसके खिलाफ भी हमारे थाने में लोगों को धमकाने, मारपीट करने और अगवा करने के चार मामले इंडियन पीनल कोड की धारा 321, 322, 304 और 362 में केस दर्ज हैं । जिसमें से एक मामले में अगवा किया गया शख्स गोल्डी बत्रा अभी भी लापता है और मामला कोर्ट में अभी भी लंबित है ।”
“ये सब मामले झूठे हैं । मेरे विरोधियों ने तुम जैसे थानेदारों को पैसे खिलाकर झूठी रपटें लिखवा रखी हैं । जिन मामलों का तुम जिक्र कर रहें हो उसमें से तीन मामले खारिज हो चुके हैं । गोल्डी बत्रा ने मेरे लाखों रुपये देने थे । सारा शहर जानता है कि वह आदमी रातों-रात इस शहर से लोगों के पैसे लेकर फरार हुआ था । मेरे पैसे न देने पड़े, इससे बचने के लिए उसके परिवार वालों ने मेरे खिलाफ ही झूठा केस दर्ज करवा दिया । दरोगा जी, अगर कोई केस मेरे ऊपर दर्ज हैं तो उसका मुजरिम भी मैं हो गया ! इसका भी मतलब ये नहीं है कि तुम जब चाहो मेरे घर पर चढ़ाई कर दो ।”
ये बात सुनकर रणवीर का चेहरा तमतमा उठा ।
“सर, हमने सिर्फ रोहित का अपनी एक विटनेस से आमना-सामना करवाना था ।” उसने बड़े सब्र से प्रभात जोशी की तरफ देखते हुए कहा, “जिसका कहना था कि उसने रोहित गेरा को दुर्गा कॉलोनी की मौका-ए-वारदात पर उस जघन्य कांड के वक्त देखा हो सकता है । ये कोई ऐसी बड़ी बात नहीं थी, जिसका ये साहब बात का बतंगड़ बना रहें है । अब इस बात का ऑर्डर हम कोर्ट से लेकर आयेंगे और उसकी सात दिन की पुलिस कस्टडी की डिमांड करेंगे ।”
“इंस्पेक्टर, तुमने क्या मुझे परेशान करने का ठेका ले रखा है ?”
“टेक इट इजी, मिस्टर शमशेर ! कूल डाउन, रणवीर ! नाउ यू डोंट शो योर पॉवर टू मी एंड माई पर्सन्स, मिस्टर शमशेर ! आई हेव सीन मेनी मोर पर्सन्स लाइक यू बिफोर । (अब तुम मुझे या मेरे आदमियों को अपनी ताकत की धौंस मत दिखाओ मिस्टर शमशेर ! मैंने तुम्हारे जैसे कई लोग पहले देख रखें हैं) अगर हमें पूछताछ करनी है तो आप सहयोग करें । आपको नाजायज तंग नहीं किया जाएगा ।”
इसके बाद प्रभात जोशी ने अपनी मेज पर रखी फ़ाइल में देखना शुरू कर दिया और उसकी ये चुप्पी शमशेर के लिए इस वार्तालाप के पटाक्षेप का इशारा थी ।
“ठीक है । तुम्हें रोहित से पूछताछ करनी है न ?” शमशेर ने रणवीर की तरफ विषाक्त नजरों से देखा ।
“हाँ, हम उससे 4 सितम्बर की घटना के बारे में... ।” रणवीर ने जवाब देना चाहा पर उसकी बात पूरी होने से पहले शमशेर सिंह अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ।
“इजाजत चाहूँगा, एसपी साहब ! आपके सहयोग के लिए धन्यवाद । आपकी पुलिस रोहित से पूछताछ कर सकती है । पर उन्हें एक तकलीफ करनी पड़ेगी ।”
“क्या ?” प्रभात जोशी के मुँह से स्वत: निकला ।
“उन्हें मेट्रो हॉस्पिटल आना पड़ेगा मेरे लड़के रोहित गेरा से पूछताछ करने के लिए ।”
“क्यों ?” रणवीर के मुँह से निकला ।
“क्योंकि वह तीन सितम्बर से पाँव की हड्डी टूटने की वजह से मेट्रो हॉस्पिटल में दाखिल है और आपके इन इंस्पेक्टर साहब को इतना तो पता होगा कि इन हालातों में वह कैसे इनकी बतायी हुई मौका-ए-वारदात दुर्गा कॉलोनी में हो सकता था ।” शमशेर ने कुटिल निगाहों से रणवीर की तरफ देखा ।
“इंटरेस्टिंग । चलिए, हमारी दुआएँ कबूल करें कि आपका बेटा जल्दी अच्छा हो । अगर ये जरूरी समझेंगे तो आपको तकलीफ जरूर देंगे ।” प्रभात जोशी ने अपना सिर हिलाया ।
जोशी का जवाब सुनकर शमशेर अपने साथ आए सम्पूर्ण सिंह के साथ गुस्से से तमतमाता हुआ ऑफिस से बाहर निकल गया ।
रणवीर अपनी कुर्सी पर स्तब्ध बैठा था । जो सिरा उसके हाथ आया था और जिस पर इस केस का आगे का दारोमदार था, अब वही उसकी फजीहत का कारण बन गया था ।
“डोंट टेक इट पर्सनली, रणवीर ! ऐसा होता है कभी-कभी । कभी कोई जोकर बाजी पलट देता है और कभी जिसे हम तुरुप का इक्का समझते हैं वह पिट जाता है । फिर भी हमें बाजी तो खेलनी पड़ती है । आप लोग पूरे जोश से, लेकिन साथ में होश के साथ काम करो और उस हरामी को सलाखों की पीछे पहुँचाओ जो इन जुनूनी हत्याओं के पीछे है ।” इतना कहकर प्रभात जोशी ने अपनी बात खतम की जो उनकी इस मीटिंग के पटाक्षेप की तरफ इशारा था ।
रणवीर, एसपी प्रभात जोशी का अभिवादन कर ऑफिस से बाहर आ गया । उसे इस मामले में फिर एक नए सिरे से शुरुआत करनी थी । बाहर खड़ा रोशन वर्मा उसकी भाव-भंगिमाओं से समझ गया कि बात बिगड़ी हुई थी । वह जब दोनों अपनी पीसीआर वैन के पास पहुँचे तो रणवीर ने उसे सब कुछ बताया ।
“विक्की कहाँ है ?” रणवीर ने पूछा ।
“मैंने उसे कदम सिंह के साथ कैंटीन में भेजा हुआ है । मैंने सोचा कि जब जरूरत होगी तो मैं उसी वक्त उसे बुला लूँगा ।”
“तुमने बिल्कुल ठीक किया । अगर वह यहाँ पर रहता तो सम्पूर्ण सिंह या शमशेर में से कोई उसे पहचान सकता था । फिर उस पर नाहक दबाव बढ़ता ।” इसके बाद वह अपने फ़ोन पर उलझ गया । उसने वरुण को फ़ोन लगाया और उसे अपनी बात समझाई । अपनी बात से फारिग होने के बाद वह रोशन के साथ कैंटीन की तरफ बढ़ चला ।
वहाँ पर बैठे कदम सिंह और विक्की को रणवीर ने अगली कार्यवाही के बारे में समझाया । कदम सिंह उस वक्त सादी पोशाक में था, जो जाने-अनजाने में उन सबके लिए राहत की बात थी । उसके बाद रणवीर कालीरमण, रोशन वर्मा, विक्की और कदम सिंह पीसीआर वैन में सवार होकर मेट्रो हॉस्पिटल की तरफ चल पड़े ।
वहाँ पहुँचकर रिसेप्शन पर पता चला कि रोहित गेरा सेकंड फ्लोर पर एक प्राइवेट रूम में दाखिल था । वहाँ जाकर एक बार फिर रणवीर को रोहित गेरा के साथ-साथ उसके बाप शमशेर सिंह गेरा का सामना करना पड़ा । रोहित गेरा पलंग पर बड़ी नाजुक हालत में पड़ा था । उसके दाएँ पैर में टखनों से लेकर घुटने तक प्लास्टर चढ़ा हुआ था, जिसे पलंग की साइड से सपोर्ट देकर सीधा रखा हुआ था । उसके सिर और चेहरे पर पट्टियाँ और दवाइयों का लेप लगा हुआ था । इस हालात में उसे पहचानना विक्की के लिए बेहद मुश्किल था ।
“आइए इंस्पेक्टर साहब ! आप अपनी आँखों से देख लें, आपको तसल्ली हो जाएगी ।” शमशेर ने रणवीर पर मानो तंज कसते हुए कहा ।
“आप सही कहते थे ।” अपने चेहरे को यथा-संभव सामान्य बनाता हुआ रणवीर बोला, “इस हालत में तो हमारी थ्योरी फेल है । मुझे अफ़सोस है, हमारी वजह से आपको कष्ट हुआ । हमारी मंशा आपको परेशान करने की बिल्कुल भी नहीं थी । पुलिस में हर तरह की बदमजा जिम्मेदारी निभानी पड़ती है । क्या मैं पूछ सकता हूँ, ये सब रोहित के साथ कैसे हुआ ?”
“तीन सितम्बर को । ये अपनी बाइक पर मेरे फार्महाउस ‘महक’ से, जो कि मेरिज पैलेस के रूप में भी हम लोग बुक करते हैं, वहाँ से आ रहा था तो इसकी बाइक स्लिप हो गई । वह तो शुक्र है कि किसी तरह इसने हमें फ़ोन कर दिया तो मैं वहाँ वक्त पर पहुँच गया और इसे वक्त पर यहाँ दाखिल कर दिया, वर्ना हमारे हाथ से तो निकल ही गया था ये लड़का ।”
“तीन सितंबर को किस वक्त की बात है ये गेरा साहब ?”
“रात के कोई दस बजे के आसपास हमारे पास इसका फ़ोन आया था । रात साढ़े ग्यारह बजे तक हम इसे यहाँ पर ले आए थे । इस हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में यह सब दर्ज है ।”
“ठीक है, आप लोग इसका ध्यान रखें । हम बाकी की बात यहाँ के डॉक्टर से कर लेते हैं ।” यह कहकर रणवीर अपनी जगह से खड़ा हो गया ।
जब रणवीर और रोशन नीचे उतर रहे थे, उसी वक्त वरुण अपने साथ विक्की को लिए हुए सीढ़ियाँ चढ़ रहा था । विक्की ने अपने हाथ में एक पोर्टेबल कैमरा पकड़ा रखा था । रणवीर ने एक आश्वासन पूर्ण दृष्टि विक्की पर डाली, जो कुछ डरा हुआ लग रहा था । उसे समझा दिया गया था कि उसने कुछ नहीं करना था, बस दो-तीन बार कैमरे का बटन दबाना है और रोहित को तसल्ली से देखकर उसे पहचानने की कोशिश करनी है ।
ऊपर के कमरे में फेरा लगाने के बाद कोई दस से पंद्रह मिनट के बाद वह दोनों सीढ़ियों से वापिस नीचे उतरे । मेट्रो हॉस्पिटल के नीचे बने रिसेप्शन पर वरुण, इंस्पेक्टर रणवीर के पास पहुँचा और उसके साथ में विक्की भी था ।
“विक्की, तुम्हारी पहचान में आया कुछ ?”
“नहीं सर ! पट्टियों और दवाइयों के लेप के कारण मैं ठीक से कुछ कह नहीं सकता । फिर भी मैंने उसकी कुछ फोटो क्लिक कर ली हैं ।”
“शाबाश पट्ठे ! ये मेरी शाम की न्यूज़ में काम आएँगी । ठीक है जनाब, मैं चलता हूँ । मेरे लायक कोई और सेवा हो तो बता दीजियेगा ।” वरुण ने यह कहकर अपनी राह ली ।
“ठीक है विक्की, तू भी जा ! अगर तेरी जरूरत होगी तो तुम्हें फिर बुला लेंगे । तुम्हें किसी भी तरह से किसी भी बात से डरना नहीं है ।”
“जी सर ! सर, वह आपसे एक बात कहनी थी !” विक्की ने झिझकते हुए कहा ।
“हाँ, बोलो ! जल्दी करो ।” रणवीर ने जल्दबाजी में कहा ।
“जो फोटो आपने मुझे दिखाई थी, वह क्या वही आदमी था, जो पट्टियों में बँधा हुआ था ?”
“और क्या ! उसी की तस्दीक के लिए तो तुझे यहाँ बुला के हमने ये सब ड्रामा किया है ।”
“पर साहब, उस आदमी को तो जब हम नीचे आ रहे थे तब मैंने उसे सीढ़ियों से ऊपर जाते देखा है । उसी को मैंने दुर्गा कॉलोनी में देखा था ।” विक्की ने सहमकर कहा ।
“क्या बकवास करता है ! उस दिन फोटो में तो तूने रोहित गेरा की पहचान की थी । रोहित गेरा तो वही लड़का है, जो ऊपर पट्टियों में जकड़ा पड़ा है ।” रणवीर ने भड़कते हुए कहा ।
“सर, मैं सही कह रहा हूँ ! मैंने उस आदमी को, जिसे मैंने खाना दिया था, उसे अभी बिलकुल वही हुड वाली जैकेट पहने ऊपर जाते हुए देखा है ।”
रणवीर हकबकाया हुआ कभी उसकी तरफ तो कभी रोशन वर्मा की तरफ देखने लगा ।
“आप यहीं रुको । मैं दोबारा उस कमरे में राउंड लगाकर आता हूँ ।” रणवीर की सहमति पाकर रोशन तुरंत ऊपर की मंजिल की ओर लपका ।
दरवाजा खोलकर वह कमरे में दाखिल हुआ तो शमशेर ने चिहुंककर उसकी तरफ देखा ।
“वो इंस्पेक्टर साहब का मोबाइल नहीं मिल रहा है । पता नहीं, वह कहाँ छोड़ आए । आधे रास्ते से मुझे उल्टे पाँव वापिस आना पड़ा । सोचा, एक बार यहाँ भी पूछ लें ।” रोशन ने फरमाइशी हँसी चेहरे पर लाते हुए कहा ।
“यहाँ पर तो ऐसा कोई मोबाइल नहीं है ।” शमशेर ने अनमने ढंग से कहा ।
“ओह, फिर तो दोबारा एसपी ऑफिस जाना पड़ेगा । आप अपने बेटे का ख्याल रखियेगा । बाकी परिवार वाले भी आते होंगे यहाँ इसकी देखभाल के लिए ।”
“हाँ, मेरा दूसरा बेटा आ गया है । वह संभाल लेगा सब ।”
“सही बात है । आप भी कब तक यहाँ रहेंगे । आप भी बिजी आदमी हैं ।”
“हाँ, अब मोहित आ गया है । दोनों हम उम्र हैं । अब मन लगा रहेगा रोहित का भी ।”
रोशन आगे बात न करते हुए तुरंत कमरे से बाहर आ गया ।
विक्की गलत नहीं था । उससे भूल हो सकती थी । कमरे में जो शख्स मौजूद था वह मोहित गेरा था । रोहित गेरा का जुड़वा भाई ! विक्की उसे ही पुलिस को गलती से रोहित गेरा बता बैठा था ।
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