"म...मगर, इसे तो संयोग ही कहिए डैडी कि सही वक्त पर आपकी आंखें खुली गईं और चोर भाग गया, ऐसा भी तो हो सकता था कि आपकी आंखें न खुलतीं और फिर बचकर निकल जाने की वजह से उसका हौसला बढ़ गया होगा, क्या गारंटी है कि वह फिर कोशिश नहीं करेगा और जरूरी तो नहीं कि हर बार सही मौके पर किसी की आंखें खुल ही जाए?"
"तुम फिक्र मत करो बेटे, अब ऐसा नहीं होगा।"
"क्या गारंटी है इस बात की?" अलफांसे गार्डनर के मुंह से निकलवाने की भरपूर चेष्टा कर रहा था—"आप जानते हैं कि मेरा नाम भी अलफांसे है, उस चोर जैसे हजारों व्यक्ति अपनी जेब में रखना मेरा शौक रहा है—इर्विन के लिए अपराध न करने की कसम खाई हैं तो क्या—अलफांसे की क्षमताएं तो आज भी वही हैं—आप एक बार मुझे हुक्म देकर देंखे, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वह चोर चाहे जो रहा हो—मैं दो घंटे के अन्दर उसे लाकर आपके कदमों में डाल दूंगा।"
मिस्टर गार्डनर इस तरह मुस्कान उठे जैसे कोई बुजुर्ग बच्चो की बचकानी बात पर मुस्करा देता है, बोले—"हम जानते हैं आशू—हम ही क्या, हमारा दामाद बनने से पहले के अलफांसे को भला कौन नहीं जानता—तुममें असीमित क्षमताएं हैं और यदि सच पूछो तो हमें अपनी बेटी पर फख है—उसी ने दुनिया को हमेशा के लिए एक ऐसे मुजरिम से निजात दिलवाई है, जो सारी दुनिया के लिए सिरदर्द था।"
"ल...लेकिन यह बात तो कल के अलफांसे के लिए लज्जाजनक है कि आज कोई चोर उसकी कोठी में घुसा, बचकर निकल गया और अभी तक पता नहीं लग सका कि वह कौन है?"
"पता लग चुका है।"
"कौन है वह?"
"तुम्हें इस झमेले में फंसकर दिमाग खराब करने की कोई जरूरत नहीं है।"
"आप भी कमाल कर रहे हैं डैडी, क्या मैं इस घर का सदस्य नहीं हूं?"
"कैसी बात कर रहे हो?"
"तो मैं इस झमेले में क्यों न पड़ू? जबकि रात मेरे घर में चोर ने घुसने की हिम्मत की।"
"वह तो ठीक है बेटे...।"
उनकी बात बीच में ही काटकर अलफांसे कहता चला गया—"चलो मान लिया डैडी कि मुझे इस पचड़े में पड़ने की जरूरत नहीं है, मगर घर का सदस्य होने के नाते यह जानना तो मेरा हक है न कि वह कौन था, किस मकसद से यहां आया था और इसकी क्या गारंटी है कि भविष्य में फिर यहां नहीं आएगा?"
"समझ लो कि वह पकड़ा जा चुका है।"
"कैसे समझ लूं?"
"क्योंकि बॉण्ड उन तक पहुंच गया है।"
उछल पड़ा अलफांसे—"बॉण्ड।"
मिस्टर गार्डनर बड़ी ही मोहक ढंग से मुस्कराए, बोले—"क्यों बॉण्ड का नाम सुनते ही चौंक पड़े।"
"चौंकने की बात है डैडी, जेम्स बॉण्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जासूस है, वह इस किस्म के छोटे-मोटे चोर-उचक्को के पीछे कब से लगने लगा है?"
"न तो वह चोर छोटा-मोटा था और न ही वह यहां धन जैसी महत्वहीन वस्तु की चोरी करने आया था।"
अलफांसे ने धड़कते दिल से पूछा—"कौन था वह और यदि वह धन चुराने नहीं आया तो फिर यहां से क्या चुराने के लिए आया था?"
मिस्टर गार्डनर एक मिनट चुप रहे, जैसे सोच रहे हो कि वो कहीं कुछ गलत तो नहीं कह गए हैं और यदि कह गए हैं तो अब उन्हें उसे कैसे संभालना है, फिर वे अचानक ही अलफांसे की तरफ झुककर थोड़े रहस्यमय अंदाज में बोले—"मैं तुम्हें बता सकता हूं अलफांसे, लेकिन शर्त यह होगी कि इस बारे में तुम इर्विन से कोई जिक्र नहीं करोगे।"
अलफांसे का दिल धड़क उठा, इस विचार से कि कहीं मिस्टर गार्डनर उसे कोहिनूर के बारे ही में तो कुछ बताने नहीं जा रहे हैं, फिर भी उसने काफी शीघ्र खुद क नियंत्रित किया और बोला—"ऐसी क्या बात है?"
"ऐसी ही कुछ बात है।"
"मैं वादा करता हूं।"
"तो सुनो।" कहने के बाद वो अलफांसे की तरफ कुछ और झुक गए और रहस्यमय स्वर में बोले—"हमारे कमरे में, पलंग के सिरहाने की तरफ तुमने एक सेफ रखी देखी होगी?"
"जी हां।" कहते वक्त अलफांसे की सांस स्वयं ही रुक गई थी।
"उसमें ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस से सम्बन्धित कुछ विशेष फाइलें रखी हैं।"
"ओह।" अलफांसे के मस्तक पर पसीने की बूंदें उभर आईं।
"वह चोर उन्हीं फाइलों को चुराने की नीयत से आया था, नाकाम रहा और इसी वजह से इस छोटी-सी नजर आने वाली घटना की जांच बॉण्ड को सौंपी गई, बॉण्ड के काम करने का तरीका तो तुम्हें मालूम ही है, जब वह रफ्तार पकड़ता तो जेट की रफ्तार से कहीं ज्यादा तेज नजर आता है—वह शीघ्र ही मुजरिमों तक पहुंच गया।"
"मुजरिमों?"
"हां, बेशक उस चोर की संख्या एक ही थी, जो रात उस कमरे में आया, मगर उसके चार साथी और हैं, यानि पूरे पांच आदमियों की टुकड़ी हैं वह और यह जानकर तुम्हें और भी हैरत होगी कि वे सब विदेशी जासूस हैं।"
"विदेशी जासूस?"
"हां।"
"किस देश के?"
"अभी यह तो ज्ञात नहीं हो सका है, मगर बॉण्ड ने उनके एक साथी को पकड़ लिया है और अब उनके उसी साथी के रूप में उनके बीच है—उपयुक्त समय आने पर शेष चारों को अंतराष्ट्रीय अदालत के कटघरे में ले जाकर खड़ा कर देगा।"
¶¶
'सदाबहार' के उसी केबिन में बैठा अलफांसे कह रहा था—"गार्डनर की बातों का सार यह है कि बॉण्ड ने विजय ग्रुप के किसी व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले लिया है और अब उसी के मेकअप में उनके बीच मौजूद है।"
"कह तो आप ठीक रहे हैं मास्टर, लेकिन...।"
"लेकिन?"
"यह क्या अटपटी-सी बात है, कल रात गार्डनर की कोठी में जो गड़बड़ी हुई, वह हम दोनों ने की थी, हम यहां सुरक्षित बैठे हैं हमारे किए जुर्म को बॉण्ड उनके द्रवारा किया गया जुर्म समझ रहा है!"
अलफांसे बोला—“इतना बेवकूफ तो मैं बाण्ड को नहीं समझता कि वह किसी के द्वारा किए गए जुर्म के आरोप में किसी अन्य को पकड़ ले!”
"फिर?"
"इसके केवल दो ही नतीजे निकलते हैं, पहला यह कि या तो यह हरकत बॉण्ड ने जान-बूझकर की है और दूसरा यह है कि वह बॉण्ड था ही नहीं।"
"मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं, मास्टर।"
अलफांसे अपनी ही धुन में कहता चला गया—"बॉण्ड से जान-बूझकर इस हरकत के किए जाने के पीछे मैं उसके किसी उद्देश्य की पूर्ति की परिकल्पना नहीं कर पा रहा हूं, हां—यदि वह बॉण्ड नहीं था तो इस हरकत का उद्देश्य है—ओह हां, वैरी गुड हैम्ब्रीग—निश्चय ही यह रिपोर्ट बॉण्ड ने नहीं दी है।"
"फिर किसने दी है?"
"विजय या उसके ग्रुप का कोई व्यक्ति हो सकता है।"
"उन्होंने भला यह सब क्यों किया होगा?"
"बात समझ में आ रही है, हैम्ब्रीग, यह तो निश्चय है कि वह ग्रुप शांत होकर बैठने वाला नहीं हैं—निश्चय ही वे कोई सशक्त योजना बनाकर किसी अन्य माध्यम से कोहिनूर की तरफ बढ़ रहे होंगे, बीच में हमारी वजह से गड़बड़ हो गई—के○एस○एस○ में सरगर्मी और सतर्कता उनके रास्ते में भी वहीं बाधा खड़ी कर रही होगी, जो हमारे रास्ते में थी और विजय ने उसे शांत करने के लिए यह रास्ता निकाला, बॉण्ड बनकर ऐसी रिपोर्ट देने का रास्ता, जिससे ये लोग पुनः लापरवाह हो जाएं।"
"म...मगर इसके लिए तो उन्होंने पहले बॉण्ड को कब्जे में किया होगा?"
"जरूर, बॉण्ड उनके कब्जे में होगा—गुड, हां—ऐसा ही है—यहां मर्लिन बनकर आने के बाद से उसकी कोई विशेष गतिविधि भी सुनने-देखने में नहीं आई है—बात बिल्कुल साफ हो गई है हैम्ब्रीग, विजय ने अपना रास्ता साफ करने के लिए यह चाल चली हैं—यह एक अलग बात हैं कि उसकी इस चाल से हमारा भी रास्ता साफ हो गया है।"
"कम-से-कम मेरी समझ में तो यह गुत्थी आ नहीं रही है, मास्टर।"
"अब कोई गुत्थी नहीं रही है, सब कुछ सुलझ गया है हैम्ब्रीग और सुलझने के बाद यह बात सामने आई है कि किसी अन्य रास्ते से विजय ग्रुप बड़ी तेजी से कोहिनूर की तरफ बढ़ रहा हैं—हमें अपनी रफ्तार बढ़ानी होगी हैम्ब्रीग—सच, रफ्तार बढानी होगी हमें।"
¶¶
इस प्रकार।
कहा यह जाएगा कि अन्जाने ही में अलफांसे और विजय ग्रुप के बीच कोहिनूर की तरफ रफ्तार से बढने की प्रतिस्पर्धा-सी लग गई थी—एक तरफ से तेजी से सुरंग बनती चली जा रही थी—बिल्कुल निर्विघ्न—क्योंकि थोड़ा—बहुत विघ्न डालने वाला खुद भी बंधनो में जकड़ा उसी सुरंग में पड़ा था।
इस तरफ, सब कुछ समझने के बाद अलफांसे ने भी अपनी गति तेज कर दी।
मिस्टर गार्डनर ऑफिस जाने की तैयारी कर रहे थे—इर्विन और अलफांसे भी हॉल ही में मौजूद थे कि एकाएक ही वहां कॉलबैल की आवाज गूंज उठी।
जुराब पहनते हुए गार्डनर बोले—"आशू—जरा देखना कौन हैं?"
अलफांसे उनके कहने से पहले ही सोफे से उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ गया, वह मुख्य गेट से बाहर निकल गया और पांच मिनट बाद जब वापस आया तो वह कोई कागज पढ़ता चला आ रहा था, दूसरे हाथ की उंगलियों में एक डाक लिफाफा था-साफ जाहिर था कि टाइप किया हुआ यह पत्र जो अलफांसे पढ़ रहा था, उसने इस लिफाफे के अन्दर से निकाला था।
तस्मे बांधते हुए गार्डनर ने पूछा—"डाक आई है क्या?"
"हां।" अलफांसे उसे पढ़ने में तल्लीन आगे बढ़ता हुआ बोला।
"किसका पत्र है?" इर्विन ने पूछा।
"मेरा।"
"तुम्हारा!" गार्डनर का चकित भाव—"तुम्हारा पत्र कहां से आ गया, भई?"
"आह!" पढ़ता-पढ़ता अलफांसे एकदम इस तरह उछल पड़ा जैसे उसे अचानक ही कोई बहुत बड़ी खुशी मिल गई हो, बोला—"देखो इर्विन, मेरा अपॉइंटमेण्ट लेटर आया है।"
"अपॉइंटमेण्ट लेटर?" वे दोनों ही एक साथ चौंक पड़े।
"हां।" नौकरी की तलाश में बहुत दिन से भटक रहे किसी साधारण युवक की तरह खुश होते हुए अलफांसे ने कहा—"मेरी नौकरी लग
गई है, इर्विन—डैड़ी, मैं मैनेजर बन जाऊंगा—ये देखो, मुझे बुलाया गया है—शराफत की जिंदगी गुजारने के लिए मुझे एक और सहारा मिल गया—इर्विन, अब कुछ ही दिनों में हमारा एक छोटा-सा घर होगा।"
इर्विन के साथ ही मास्टर गार्डनर भी अवाक्-से खड़े उसे देख रहे थे—उसे, जो खुशी के कारण लगभग नाच ही रहा था, जब उसने दोनों में से किसी को खुश होते न देखा तो रुका और बारी-बारी से दोनों को देखता हुआ बड़े मासूम अंदाज में बोला—"क्या आप लोगों को खुशी नहीं हुई, डैडी—इर्वि, क्या तुम्हें खुशी नहीं हुई?"
"कहां से आया है यह लेटर?" गार्डनर न पूछा।
'म्यूगा की शुगर फैक्ट्री से।'
"म्यूगा शहर से?" इर्विन चौंकी—"वह तो यहां से बाहर सौ किलोमीटर दूर हैं!"
"तो क्या हुआ इर्वि, प्लेन से सिर्फ ढाई घंटे का रास्ता है। हम वहीं अपना छोटा-सा घर बनाएंगे—वही रहेंगे, आखिर है तो इंग्लैण्ड़ ही में?"
"म...मगर तुम्हारे पास यह लेटर आ कैसे गया?" गार्डनर ने पूछा।
"मैंने एप्लाई किया था।"
उसके इस जवाब पर एक बार गार्डनर और इर्विन ने एक-दूसरे की तरफ देखा, बोले—"तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत है, आशू बेटे?"
"तो क्या मैं सारी जिंदगी आप पर भार बना रहूं?"
वो उसके बहुत नजदीक पहुंच गए, बोले—"तुम ऐसा क्यों सोचते हो?"
"मैं समझा नहीं डैडी।"
"यह सब क्या है, तुम नौकरी क्यों करना चाहते हो?"
"क्या अपने पैरों पर खड़ा होना, अपना और अपने परिवार का पालन—पोषण खुद करना बुरी बात है, डैडी?"
"किसने कहा कि बुरी बात है?" गार्डनर उसे समझाने वाले भाव से कह रहे थे—"मगर जरा सोचो, तुम दोनों के अलावा हमारा है ही कौन—ये सब, इतना सब कुछ हमारे बाद किसका हैं—तुम्हारा आशू—सिर्फ तुम्हारा और इर्विन का।"
"व...वह तो ठीक हैं डैडी, मगर...।"
"मगर?"
"क्षमा करे, आप इर्वि से पूछ लीजिए—जब इर्वि होटल से मुझे यहां लाई थी तब मैंने यह बात तभी स्पष्ट कर दी थी कि रहने के लिए मैं यहां केवल इसीलिए आ रहा हूं ताकि लोग यह न कहे कि गार्डनर की लड़की और दामाद के पास रहने के लिए घर भी नहीं है, होटल में पड़े हैं—इर्वि से मैंने वादा लिया था कि जिस दिन मैं अपने मकान का इंतजाम कर लूंगा, उस दिन से वह वही रहेगी, जो मैं खिला सकूंगा वह खाएगी, बोलो इर्वि—तुमने यह वादा किया था न?"
इर्विन ने धीरे से गर्दन हिलाई।
गार्डनर ने उसके इस एक्शन को देखा और बोले—"कम-से-कम हमारी समझ में यह बात नहीं आती कि तुम्हें यहीं रहने में क्या दिक्कत है कभी किसी ने तुम्हारा अपमान किया है क्या?"
"अपमान किसी ने नहीं किया डैडी, मगर फिर भी मैं हर घड़ी खुद को अपमानित महसूस करता हूं।"
"ऐसा क्यों?"
"अपने मन से खुद्दारी भी कोई चीज होती है, डैडी—प्लीज, यहां रहने के लिए मजबूर करके मुझे अपनी ही नजरों में हीन न बनाएं—आप जानते ही हैं, अपनी पिछली जिंदगी में मैं कुख्यात ही रहा सही, मगर सारी दुनिया मेरा नाम जानती है—मैं नहीं चाहता कि कल मेरे दोस्त, मुझे जानने वाले यह कहें कि अलफांसे ने शादी कर तो ली, मगर यह कैसी शराफत की जिंदगी है कि खुद अपना और अपनी बीवी का पेट भी नहीं भर सकता—ससुराल में पड़ा है।"
"यह क्या इंडियन्स जैसी बातें करते हो?"
"इस मामले में मुझे इंडियन्स का सिध्दान्त ही अच्छा लगता है, डैडी।"
कुछ कहने के लिए मिस्टर गार्डनर ने मुंह खोला ही था कि इर्विन बोल पड़ी—"जाने दीजिए डैडी, मैं जानती हूं कि आशू जिद्दी है—मुझसे भी ज्यादा—यह नहीं रहेगा।"
कुछ देर तक शांत खड़े मिस्टर गार्डनर सोचते—से बोले—"जैसी तुम्हारी इच्छा।"
कहने के बाद वो तेज कदमों के साथ हॉल से बाहर चले गए। वो बेचारे क्या जानते थे कि यह डाक लाने वाला हैम्ब्रीग था और उनकी कोहिनूर तक पहुंचने की साजिश शुरु हो गई थी।
¶¶
'सदाबहार' के उसी केबिन में हैम्ब्रीग ने पूछा—"तो आप कब रवाना हो रहे हैं?"
"कल।"
"गार्डनर के मान जाने के बाद भाभी ने तो कई लफड़ा नहीं किया?"
"कोशिश की थी, वह कह रही थी कि मैं म्यूगा विमान से जाऊं और आऊं—मतलब यह कि उसके अनुसार मुझे कल जाकर कल ही वापस लौट आना था, मगर तुम जानते हो कि इससे मेरी कोई समस्या हल होने वाली नहीं थी, अतः उसे टाल दिया।"
"किस तरह?"
"यह कहकर कि विमान के किराए के लिए मेरे पास अपने पाऊण्ड्स नहीं हैं और कम-से-कम नौकरी के मामले में मैं गार्डनर के पाऊण्ड्स प्रयोग करना नहीं चाहता, अतः ट्रेन से जाऊंगा और ट्रेन ही से लौटूंगा।"
"यानि चार-पांच दिन की छुट्टी मिल गई?"
"हां, और चार-पांच दिन अपने उद्देश्य में सफल होने के लिए हमें काफी हैं।"
"वैरी गुड मास्टर और हां—वह रिस्टवॉच तो रात आपने चेंज कर ही दी होगी?"
"हां, यह रही वह रिस्टवॉच।" अलफांसे ने गार्डनर की कलाई घड़ी जेब से निकालकर मेज पर रखते हुए कहा—"अब जब गार्डनर के ऑफिस का फर्श नीचे की तरफ जाएगा तो इस रिस्टवॉच से सुई निकलेगी जरूर, परन्तु गार्डनर के हाथ में नहीं चुभेगी।"
खुश होते हुए हैम्ब्रीग ने कहा—"अब हमारे रास्ते में ज्यादा अडचने नहीं हैं, मास्टर।"
"ऐसा मत सोचो हैम्ब्रीग, गडबड़ कहीं भी हो सकती है। थोड़ी-सी टाइमिंग गलत होने पर भी हमारी सारी योजना बिखर जाएगी—यहां से सीधे हीमा सिटी जाकर मुझे गार्गियन का कत्ल करना है—यह कत्ल कल रात होगा और गार्डनर को तार परसों मिलेगा—तुम्हें कल ही जॉनसन बन जाना है—मैं परसों रात तक यहां वापस आ जाऊंगा, तुम्हें हर हालत में परसों रात की अपनी डयूटी 'बैंक संस्थान' के अन्दर लगवानी है, यदि ऐसा नहीं हुआ तो कई दिक्कतो आ खड़ी होंगी।"
"आप मेरी तरफ से फिक्र न करें मास्टर।"
"लंबी रस्सी ले जाकर तुम्हें कल ही 'बैंक संस्थान' में कहीं छुपा देनी हैं और यह काम पूरी होशियारी से होना चाहिए—यदि किसी ने वहां रस्सी देख ली तो सब चौपट हो जाएगा।"
"मैं सावधान रहूंगा।"
"ओ○के○ अब मैं चलता हूं।" कहने के साथ ही मेज से घड़ी उठाता हुआ अलफांसे खड़ा हो गया, उन दो लाल-सुर्ख आंखों ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा था।
काश—अलफांसे ने कभी उस तरफ ध्यान दिया होता।
¶¶
"देखो जॉनसन, अपुन आज यहां से अपनी किराया लेकर ही जाएगा।" एक अधेड़ आयु की क्रिश्चियन महिला ने अच्छी कद—काठी के एक युवक से कहा—"बस बहुत हो चुका—तुमने पिछले महीने का किराया भी नहीं दिया था—इस महीने का भी दो दिन ऊपर हो गया।"
"बस आंटी, आज शाम को मैं ड्यूटी से लौटते ही आपका किराया दे दूंगा।"
"नहीं, हम अभी मांगता।"
"बस शाम तक की मोहलत दे दो आंटी। आज मेरी पे मिलेगी—मैं आते ही सबसे पहले आपका दोनों महीनों का किराया चुका दूंगा।"
"तुम अपुन को बेवकूफ समझता जॉनसन, क्या अपुन नहीं जानता कि तुम्हारा शाम को आने का कोई भरोसा नहीं—उदर तुम्हारा ड्यूटी लग गया तो?"
"वह तो मजबूरी हैं आंटी, साब का हुक्म तो मानना ही पड़ता है—अगर उन्होंने आज रात की ड्यूटी मेरी लगा दी तो कल आपका किराया जरूर दे दूंगा।"
"तुम अपना से झूठ बोलता?"
"बिल्कुल नहीं आंटी, जरा सोचो—हम पिछले चार साल से तुम्हारी खोली में रहते हैं—क्या कभी किराया देने के टाइम में गड़बड़ी हुई—नहीं, वह तो पिछले महीने भी...बस क्या करते—हमारा बच्चा बीमार पड़ गया और सारी पे उसकी दवा में ही उड़ गई।"
"पता नहीं कम्बख्त तुम्हारा यह कैसा डयूटी है कि सुबह को जाता हैं, यह भी नहीं मालूम कि शाम को लौटेगा भी या नहीं—चाहे जब रात की ड्यूटी भी लग जाता हैं।"
"बैंक की ड्यूटी ऐसी होती है, आंटी।"
"अच्छा, अबी अपुन जाता—शाम को फिर आएंगा—तुम ड्यूटी से नहीं आया तो फिर परसों शाम को आएंगा, मगर सुनो, अपुन किराया नहीं छोड़ेगा।"
हंसते हुए जॉनसन ने कहा—"किराया छोड़ने को कौन कहता हैं आंटी?"
आंटी चली गई।
खोली से बाहर निकलकर जॉनसन ने भी ताला लगाया और चाबी को जेब में डालकर मुड गया—कुछ देर बाद वह तेज कदमों के साथ संकरी-सी गली को पार कर रहा था।
उसकी यह खोली मुख्य सड़क से काफी अन्दर आकर थी—सड़क से खोली तक संकरी और गंदी गलियों का जाल-सा बिछा हुआ था—उसकी पत्नी एकमात्र बच्चे को लेकर अपने मायके गई थी, अतः कल से वह खोली पर अकेला ही था।
उन संकरी गलियों से गुजरने का अब वह अभ्यस्त हो गया था।
अगल-बगल ही दूसरी खोलियां के दरवाजे थे, जब वह एक मोड़ पर घूमा तो अचानक ही झटके से एक खोली का दरवाजा खुला।
वह अपनी धुन में था कि सिर पर किसी बहुत ही वजनी और सख्त वस्तु की चोट पड़ी, चीखने के लिए उसने अभी अपना मुंह खोली ही था कि कोई मजबूत हाथ उसके मुंह पर ढक्कन बनकर चिपक गया।
चीख कण्ठ में ही घुटकर रह गई।
सिर पर लगी चोट के कारण अभी उसकी आंखों के सामने रंग—बिरंगे तारे नाच रहे थे कि मजबूत हाथों ने उसे खोली के अन्दर खींच लिया।
यह सब इतनी जल्दी हो गया था कि जॉनसन की समझ में यह तक न आ सका कि वह सब क्या और क्यों हो रहा था, दुश्मन की गिरफ्त से निकलने के लिए अभी उसने पहला प्रयास किया ही था कि वैसी ही एक और जोरदार चोट उसके सिर पर पड़ी।
इस बार आंखों के सामने रंग-बिरंगे तारे नाचने के बाद काली चादर-सी खिंचती चली गई और जॉनसन बेचारा बेहोश होने से पहले अपने हमलावर को देख तक नहीं सका।
यह महसूस करते ही कि जॉनसन बेहोश हो गया था, हैम्ब्रीग ने उसके मुंह से हाथ हटाया था और सबसे पहले झपटकर खोली का दरवाजा बंद किया।
इस बीच बेहोश जॉनसन का जिस्म धड़म से खोली के फर्श पर गिर पड़ा था।
चटकनी अन्दर से बंद करते ही हैम्ब्रीग ने घूमकर जॉनसन की तरफ देखा—कमाल की बात यह थी कि चेहेरे हेयर स्टाइल से इस वक्त हैम्ब्रीग भी पूरा जॉनसन ही नजर आ रहा था।
'बैंक संस्थान' से खड़े होने वाले पांच गार्ड़स में से जॉनसन को शायद इसीलिए चुना गया था, क्योंकि उसकी कद-काठी हैम्ब्रीग जैसी ही थी।
हैम्ब्रीग के जिस्म पर उस वक्त सिर्फ एक बनियान और अंड़रवियर था—रेशम की बनी एक पतली, परन्तु मजबूत रस्सी उसने अपने सीने से लेकर नाभि से नीचे तक लटका रखी थी।
उस रस्सी की लंबाई निश्चय ही काफी ज्यादा रही होगी, क्योंकि रस्सी उसने अपने जिस्म पर ठीक इस तरह लपेट रखी थी, जैसे पेचक का धागा होता है।
उसके एक हाथ में हथौड़ी थी, जिससे उसने जॉनसन के सिर पर वार किए थे, बेहोश जॉनसन के सिर पर हुए जख्म से खून बह रहा था, परन्तु उसकी परवाह किए बिना हैम्ब्रीग ने हथौड़ी एक तरउफ फेंकी और जॉनसन की तरफ बढ़ गया।
दस मिनट बाद वह असली जॉनसन-सा नजर आ रहा था, क्योंकि जॉनसन के सारे बाहरी कपड़े उसके जिस्म पर थे।
अंडरवियर बनियान में जख्मी जॉनसन फर्श पड़ा था।
हैंम्ब्रीग ने इतने पर ही बस नहीं किया—एक संदूक से रस्सी निकालकर उनसे जॉनसन को इस कदर कसकर खोली के एक कोने में डाल दिया कि होश में आने पर भी वह स्वेच्छा से हिल तक न सके—जॉनसन के मुंह पर एक टेप भी चिपका दिया उसने।
संतुष्ट होने के बाद उसने एक गंदी मेज पर पड़ा ताला उठाया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया, जिस वक्त वह खोली का दरवाजा बंद करके ताला लगा रहा था, उस वक्त एकाएक ही गली से गुजरने वाला एक युवक ठिठका।
उसे देखकर बोला—"अरे, तुम यहां जॉनसन?"
कांपकर रह गया हैम्ब्रीग, उस युवक को वह जानता तक नहीं था—फिर भी संभला, ताला लगाने के बाद चाबी जेब में डालकर घूमता हुआ बोला—"हां, ये मेरे दोस्त की खोली हैं।"
"तेरा दोस्त!" युवक ने चकित भाव से पूछा।
"हां, हैम्ब्रीग मेरा दोस्त ही है।" वह जॉनसन की आवाज में अपनी ही नाम बताकर आगे बढ़ गया, जबकि युवक ने उसके साथ ही चलते हुए कहा—"अच्छा, तो इस खोली में रहने वाले का नाम हैम्ब्रीग है?"
"हां।" हैम्ब्रीग का दिल बेकाबू होकर धड़क रहा था।
"मगर कमाल है, अभी उसे यह खोली लिए एक हफ्ता ही तो हुआ है और वह तेरा दोस्त भी बन गया?"
"वह यहां खोली लेने से पहले से ही मेरा दोस्त है।"
"ओह।" युवक ने इस तरह कहा जैसे सब कुछ समझ गया हो, फिर बोला—"लेकिन तेरा दोस्त चला कहां गया, उसकी खोली में ताला तो तू खुद लगाकर आ रहा है?"
हैम्ब्रीग का सारा शरीर पसीने से भरभरा उठा था, फिर भी खुद को काफी संयत रखकर उसने जवाब दिया—"वह दो दिन के लिए शहर से बाहर गया है, चाबी मुझे दे गया।"
युवक बड़बड़ाकर रह गया—"अजीब आदमी है, बाहर गया था तो चाबी साथ ले जाता।"
¶¶
हैम्ब्रीग तो 'बैंक संस्थान' का गेट खुलने की सारी प्रक्रिया अच्छी तरह मालूम थी, उसे मालूम था कि उस सबके बीच में उसमें कहीं कोई गड़बड़ नहीं होगी—यदि उसे डर था तो सिर्फ इस बात का कि कहीं मिस्टर गार्डनर उसे पहचान न ले यानि कहीं उन्हें यह शक न हो जाए कि वह जॉनसन नहीं था।
खोली से ही साथ लग जाने वाले युवक ने उसका पीछा मुख्य सड़क पर आने पर ही छोड़ा था, रास्ते-भर उसे जॉनसन समझकर वह अजीब-अजीब-सी बातें करता रहा था और उसकी हर एक बात का जवाब देते हुए हैम्ब्रीग को दांतों पसीना आ गया था।
राहत की सांस उसने तभी ली जब युवक से पीछा छूटा।
उसका दिमाग तनावमुक्त हुआ—अब उसने महसूस किया कि जितनी देर भी युवक उसके साथ रहा था उतनी देर वह स्वयं अपने होशोहवास में नहीं था—फिर भी जहां युवक उसे यह अहसास दिला गया था कि जब तक वह जॉनसन के इस रूप में है जब तक उसे कदम-कदम पर इस किस्म के तनाव से गुजरना होगा, वही यह अहसास भी करा गया था कि वह निश्चय ही जॉनसन नजर आ रहा हैं।
युवक ने एक बार भी उस पर जॉनसन न होने का शक नहीं किया था।
अतः अब हैम्ब्रीग इस खतरे के प्रति पूरी तरह आश्वस्त था कि कोई साधारण व्यक्ति उस पर शक नहीं कर सकता, मगर फिर भी उसे गार्डनर जैसे विशेष पैनी दृष्टि वालों से खुद को दूर रखना था, क्योंकि जानता था कि ध्यान से देखने पर वे ताड़ सकते थे कि चेहरे पर फेसमास्क था।
ठीक साढ़े आठ बजे वह बैंक संस्थान के मुख्य गेट पर पहुंच गया।
उसके दो साधी गार्ड़ पहले ही वहां पहुंच चुके थे, उन्होने जॉनसन कहकर ही उससे गुड मॉर्निगं की—वह उनसे बात करने की कोशिश कम ही कर रहा था।
ठीक पौने नौ बजे उनके पास गार्डनर की कार रुकी।
एक गार्ड़ ने लपककर कार का दरवाजा खोल दिया—मिस्टर गार्डनर बाहर निकले, अपने कोट की जेब से उन्होने लंबी चाबी निकालकर
मुख्य गेट का ताला खोल दिया।
गार्डनर ने अपनी रिस्टवॉच पर नजर डाली।
अभी दो मिनट शेष थे।
जेबों में हाथ डालकर वो चहलकदमी करने लगे।
हैम्ब्रीग जानता था कि इमारत के अन्दर मौजूद दोनो गार्ड ठीक नौ बजने में दस मिनट पर अन्दर वाला लॉक खोलकर स्वयं ही उस मुख्य गेट को खोलेंगे।
वैसा ही हुआ।
यानि ठीक नौ बजने से दस मिनट पर गेट खुला—रात-भर अन्दर रहे दोनों गार्ड्स ने गार्डनर को 'गुड मॉर्निंग' की—गार्डनर 'मॉर्निंग' कहते हुए अन्दर चले गए।
अब, पांचो गार्ड्स मुस्तैदी के साथ गेट पर खड़े हो गए।
हैम्ब्रीग अपने दोनों साथियों के साथ अन्दर वाले हॉल में स्थित गन बॉक्स से गन और गोलियां वाली बैल्ट निकाल लाया था, बैल्ट उसने पेट पर कस ली थी।
दस बजे तक इमारत में काम करने वाले सभी कर्मचारी आ गए।
गेट अन्दर से बंद कर लिया गया—गेट के आस-पास ही पांच कुर्सियां पड़ी थीं—अपने साथियों को उन बैठते देखकर हैम्ब्रीग भी एक कुर्सी पर बैठ गया।
इस प्रकार सारे दिन की यह उबाऊ ड्यूटी शुरु हो गई—एक बजे के करीब हैम्ब्रीग बाथरूम में गया, अपने जिस्म से रस्सी निकालकर उसने पानी की टंकी में डाल दी।
यह सारा काम उसने बिना किसी दिक्कत के बड़ी आसानी से पूरा कर लिया था।
दो बजे के करीब एक अजीब-सा क्रम जारी हो गया, हॉल में काम करने वाले क्लर्कों में से बड़े अनुशासित ढंग से एक-एक क्लर्क
उठकर उस दिशा में जाने लगा जिधर गार्डनर का ऑफिस था।
एक क्लर्क जाता और उसके वापस आते ही दूसरा उठकर ऑफिस की तरफ चला जाता।
हैम्ब्रीग समझ नहीं सका का यह क्या हो रहा था, अतः उसने अपने एक साथी से सवाल किया—"यह क्या हो रहा हैं?"
"क्या?" हॉल की तरफ देखते हुए गार्ड ने पूछा।
"ये क्लर्क लोग एक-एक करके बॉस के ऑफिस की तरफ क्यों जा रहे हैं?"
"कमाल हैं! क्या आज पे डे नहीं है?"
"ओह, हां—मैं तो भूल ही गया था।" हैम्ब्रीग ने इस तरह कहा जैसे याद आया हो।
एक अन्य गार्ड़ बोला—"हद हो गई जॉनसन, मैंने पहली बार किसी को पे डे को भूलते देखा है और वह भी तुम्हें, जिसे सारे महीने सिर्फ पे डे का ही इंतजार रहता है।"
खिसियाने ढंग से हैम्ब्रीग केवल मुस्कराकर रह गया, कुछ बोल नहीं सका वह—यह विचार बड़ी तेजी से उसके दिमाग में कौंधा था कि वह अऩजाने में एक निहायत बेवकूफों से भरा सवाल कर बैठा हैं—ऐसा कि यदि उसके यह गार्ड़ साथी इस सवाल की गहराई में सोचने लगे तो अभी, इसी क्षण भांप जाएंगे कि वह जॉनसन नहीं हैं।
भला पे डे को भी कोई कर्मचारी भूलता है? उसे ख्याल आया कि जॉनसन की तनख्वाह लेने भी उसे जाना होगा।
गार्डनर के सामने पड़ना होगा उसे।
तनख्वाह लेकर शायद किसी रजिस्टर पर साइन भी करने होंगे—हे ईश्वर—उसे क्या पता कि जॉनसन किस ढंग से साइन करता था—जॉनसन के साइन वह कैसे कर सकेगा?
सोचते-सोचते हैम्ब्रीग के मस्तक पर पसीने की बूंदें उभर आईं।
सारी प्रक्रिया के बारे में सोचते-सोचते अचानक ही उसे कम्प्यूटर का ख्याल आया और उसका ख्याल आते ही हैम्ब्रीग के दिलोदिमाग को एक तेज झटका लगा।
दिल मानों एकदम से गेंद-सा उछलक गले में अटक गया।
उसके मुंह से एक सिसाकरी-सी निकाली।
कम्प्यूटर का ख्याल आते ही उसके दिमाग में यह विचार बिजली की तरह कौंध गया था कि गार्डनर के ऑफिस जाने के लिए उसे गैलरी में रखे कम्पयूटर के सामने से गुजरना होगा।
कम्प्यूटर एकदम से उसका नाम गार्डनर के ऑफिस में रिले कर देगा।
इस विचारमात्र के परिणामस्वरूप ही उसके कण्ठ से सिसकारी तक निकल गई थी।
"क्या हुआ जॉनसन?" अपने एक साथी की आवाज उसे दूर से आती महसूस हुई, मगर उससे पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दे सका वह।
जवाब देता भी कैसे—होश ही कहां था उसे?
उसके दिमाग में एकमात्र विचार यह कौंधा था कि बस—अब वह पकड़ा गया।
सारे सपने रेत की दीवारों से बिखर गए।
हाथ-पैर ठंड़े पड़ते चले गए—दिमाग सुन्न।
यह सच है कि हैम्ब्रीग का अपनी किसी भी इंद्री पर नियंत्रण नहीं रहा था और उसके हाथ-पैर इतनी बुरी तरह से कांपने लगे कि उसके चारों साथी एकदम बौखला गए।
कुर्सी पर बैठा जूडी के मरीज-सा कांप रहा था वह।
एक गार्ड ने उसे झंझोड़ते हुए कहा—"जॉनसन—क्या हुआ तुम्हें, जॉनसन?"
हैम्ब्रीग को यह आवाज कहीं बहुत दूर से आती महसूस हो रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे कोई स्वप्न में उसे झंझोड़ रहा हो।
उसके चारों साथियों में से किसी को भी समझ में नहीं आया था कि अचानक ही जॉनसन को यह क्या हो गया था—वे चारों ही उसे झंझोड़ने लगे।
इसी क्षण कम्प्यूटर से बचने की एक अजीब-सी तरकीब उसके दिमाग में आ गई।
तरकीब दिमाग में आते ही उसके दोनो हाथों से अपना पेट पकड़ा और इतनी जोर-से चीख पड़ा कि हॉल में काम करते क्लर्क भी चौंक पड़े।
और, अब वह पेट पकड़े जोर-जोर से चीख रहा था।
अंदाज ऐसा था जैसे पेट में असहनीय दर्द हो रहा हो—उसके चारों तरफ कर्मचारियों की भीड़ एकत्रित हो गई—अभिनय करता हुआ हैम्ब्रीग कुर्सी से फर्श पर गिर पड़ा।
रेत पर पड़ी मछली के समान तड़प रहा था वह।
सभी एकदम घबरा गए, एक गार्ड ने जल्दी से गार्डनर के ऑफिस में फोन किया और दस मिनट बाद ही मिस्टर गार्डनर भी वहां पहुंच गए।
जॉनसन बराबर मछली के समान तड़प रहा था।
"इसे यहां से उठाकर बिस्तर पर लिटा दो।" गार्डनर ने आदेश दिया और आदेश होते ही उसके चार साथी गार्ड्स ने उसे उठाया—जब वे हैम्ब्रीग को उठाकर प्लाईवुड़ के बने एक केबिन की तरफ ले जा रहे थे तब उसने गार्डनर की आवाज सुनी—"कोई ड़ॉक्टर को फोन करो, जल्दी।"
केबिन में दो पलंग थे, दोनों ही बिस्तर बिछे हुए थे—हैम्ब्रीग समझ गया कि रात के अन्दर रहने वाले गार्ड इन्हीं बिस्तरों पर रात गुजारते होंगे।
पंद्रह मिनट बाद एक डॉक्टर भी आ गया। उसने हैम्ब्रीग को चैक किया, बोला—"इनका ब्लड़ प्रेशर बहुत हाई है।"
"प...पेट—डॉक्टर साहब, पेट में बहुत दर्द...आह।" हैंम्ब्रीग खूबसूरत एक्टिंग की।
स्टैथस्कोप से डॉक्टर ने पुनः उसका पेट चैक किया—पेट में दर्द एक ऐसा मर्ज है, जो है या नहीं—डॉक्टर के पास जानने का कोई साधन नहीं हैं।
शायद डॉक्टर ने अनुमान लगाया कि दर्द गैस की वजह से है, उसने दवा दी—ब्लड़प्रेशर को नॉर्मल करने के लिए एक इंजेक्शन ठोक दिया, तब भी जब हैम्ब्रीग ने तड़पना नहीं छोड़ा तो ड़ॉक्टर ने एक नींद की गोली दे दी उसे।
हैम्ब्रीग तड़पता रहा, तब तक जब तक कि वह तड़प सका और जब नींद की गोली ने अपना असर दिखाया तो चाहकर भी वह एक्टिंग नहीं कर सका।
वह सो गया।
डॉक्टर के साथ ही लगभग सबने शांति की सांस ली।
अब मिस्टर गार्डनर ने आगे बढकर पूछा—"इसे क्या हुआ हैं डॉक्टर?"
"मेरे ख्याल से तो अचानक ही इसे कोई शॉक लगा है, ऐसा जिसने इसने दिलोदिमाग को हिला डाला और उसी की वजह से ब्लड़प्रेशर एकदम बढ़ गया, उधर सुबह इसने कोई ऐसी चीज खाई होगी जिससे गैस बनती हो—पेट में गैस बनी, ब्लैडप्रेशर बढ़ने की वजह से गैस का दबाव बढ़ा और पेट में दर्द होने लगा।"
"इतना तेज?"
डॉक्टर धीमे से मुस्काराया, बोला—"दर्द का कोई पैमाना नहीं होता, मिस्टर गार्डनर वह इससे भी तेज होता है और फिर कुछ लोग फील ज्यादा करते हैं।"
"थैंक्यू।"
"दवाओं के साथ-साथ मैंने इसे नींद की गोली भी दे दी है।" डॉक्टर अपनी रिस्टवॉच पर नजर ड़ालता हुआ बोला—"उसका असर छह बजे के करीब खत्म होगा, होश में आते ही इसे ये गोलियां दे दीजिएंगा, अगर फिर भी दर्द बताए तो मुझे बुला लेना।"
इस प्रकार दो गोलियां देकर डॉक्टर चला गया।
गोलियां एक गार्ड़ को देते हुए गार्डनर ने पूछा—"ये हादसा होने से पहले तुम लोगों के बीच क्या बातें हो रही थीं?"
"क...कुछ भी नहीं, साब।" गार्ड़ एकदम बौखला गया।
"कुछ तो, कोई ऐसी बात जिससे जॉनसन को शॉक लगा हो?"
"नो सर, बल्कि हम सब तो बिल्कुल चुप बैठे थे—यूं ही कुर्सी पर बैठे-बैठे जॉनसन ने एक हिचकी-सी ली और तड़पने लगा—उसके बाद इसकी हालत बिगड़ती चली गई।"
"कुछ सोच रहा होगा, खैर—सब लोग अपनी-अपनी सीटों पर जाएं।" कहने के बाद मिस्टर गार्डनर खुद भी तेज कदमों के साथ अपने ऑफिस की तरफ बढ़ गए।
सभी कर्मचारी अपनी-अपनी सीटों पर जाने लगे।
थके-से वे चारों गाडर्स भी अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठ गए—विशेष रूप से उनकी समझ में नहीं आ रहा था जॉनसन को अचानक आखिर हो क्या गया?
एक क्षण पहले ही तो अच्छा-भला था।
¶¶
साढे पांच बजे के करीब हैम्ब्रीग की नींद टूटी।
उसके सिर में तेज दर्द हो रहा था, जेहन में सोने से पहले का एक-एक दृश्य उसकी आंखों के सामने चकराने लगा—वह समझ सकता था कि डॉक्टर निश्चय ही उसे कोई नींद की गोली दी होगी, इसीलिए वह सो गया था।
उसने एकदम से आंखें नहीं खोली।
झिर्री-सी बनाकर पहले अपने आस-पास देखा और यह महसूस करते ही उसने फाटक से आंखें खोल दीं कि उस वक्त वह केबिन में अकेला था।
सामने लगा वाल—क्लॉक में समय देखकर उसे खुशी ही हुई।
फिर, दिमाग में विचार रेंगने लगे।
क्या उसे अब भी पे लेने गार्डनर के ऑफिस में जाना होगा?
या, गार्डनर ने उसकी पे उसकी किसी साथी को दे दी होगी?
अब सबसे बड़ा सवाल उसके जेहन में यहीं था, जिसका कि उसे जवाब खोजना है—उस वक्त तो काफी होशियारी से उसने खतरे को टाल लिया था।
अब, यदि उसकी पे किसी अन्य को नहीं दी गई थी—तो खतरा अभी टला नहीं था।
वह जानता था कि ऑफिस छह बजे बंद होगा, अतः उसने सोचा कि जितना समय पलंग पर पड़े-पड़े गुजार दे, उतना ही बेहतर रहेगा। हैम्ब्रीग ने दोनों हाथों से अपना पेट पकड़ लिया।
धीरे-धीरे कराहने लगा वह।
पूरे छह बजे एक गार्ड़ अन्दर आया, उसने आते ही ही पूछा—"जाग गए तुम, अब दर्द कैसा है?"
"पहले से तो कम है।" उसने दर्द से कराहते हुए कहा।
"चलो, अच्छा है—लो, गोलियां खा लो।" कहते हुए गार्ड ने उसे दो गालियां दीं और दूर रखी मेज पर से पानी का गिलास लेने मुड़ गया।
हैम्ब्रीग के जेहन में यह बात कौंधी कि इन दो गोलियों में से पुनः एक गोली नींद की हो सकती था और अब वह कम-से-कम सोना नहीं चाहता था।
अतः गार्ड़ के अपनी तरफ मुड़ने से पहले ही उसने गोलियां अपनी जेब में डाल ली तथा उसी तरह कराहता रहा।
गार्ड़ को दिखाने के लिए गोलियां खाने का नाटक करने में से उसे विशेष कठिनाई नहीं हुई—वह पुनः लेट गया। गार्ड़ ने घूमकर गिलास मेज पर रख दिया।
जब वह गिलास को मेज पर रखकर बाहर जाने लगा तो अपनी कराहट कुछ तेज करते हुए हैम्ब्रीग ने बिस्तर से उठने का उपक्रम किया।
"अरे...रे...यह क्या करते हो?" गार्ड उसकी तरफ लपकता हुआ बोला—"लेटे रहो।"
"उ...उठना तो पड़ेगा ही, पे तो ले लूं।"
"चिंता मत करो, तुम्हारी पे बॉक्स मुझे दे दी हैं।"
इस एक ही और छोटे-से वाक्य ने सचमुच हैम्ब्रीग की सारी चिंताओं को हर लिया।
उसे लगा कि सिर पर लटकी मौत की तलवार हट गई थी।
गार्ड के बाहर जाने पर वह इस तरह मुस्काराया जैसे खुद को इस दुनिया का सबसे चतुर व्यक्ति समझ रहा हो, अपनी समझ में उसने बड़ी खूबी से सबकी बेवकूफ बनाया था।
ऑफिस की छुट्टी हो चुकी थी।
क्लर्क लोग औपचारिकता के नाते उससे मिल-मिलकर जाने लगे।
साढ़े छह बजे दो गार्ड्स के साथ मिस्टर गार्डनर केबिन में आए और उन्हें देखते ही हैम्ब्रीग सम्मान दर्शाने के लिए एक झटके से खड़ा हो गया।
उसके यूं खड़े होने पर मिस्टर गार्डनर धीमे से मुस्कराए, बोले—"अब तो बिल्कुल ठीक मालूम पड़ते हो, मिस्टर जॉनसन?"
"ज...जी हां।"
"गुड, अब छुट्टी कर लो—घर जाकर आराम करना।"
"ज...जी।"
इसके बाद गार्डनर और अन्य दो गार्डस के साथ इमारत से बाहर निकल गया। जिनकी ड्यूटी अन्दर लगी थी वे अन्दर ही रहे—मुख्य गेट बंद कर दिया गया।
एक गार्ड़ ने ताला बाहर से लगाकर चाबी गार्डनर को दे दी—मिस्टर गार्डनर कार में बैठे और कार वहां से रवाना हो गई-साथ के गार्ड़ से तनख्वाह लेकर हैम्ब्रीग भी तेज कदमों के साथ जॉनसन की खोली की तरफ रवाना हो गया।
¶¶
जॉनसन की खोली पर पहुंचते ही उसे अधेड़ मालकिन का सामना करना पड़ा, पहले तो उसकी अटपटी-सी बातों से वह चकरा ही गया था—फिर समझने के बाद उसे जॉनसन की तनख्वाह में से ही दो महीने का किराया देने के बाद बड़ी मुश्किल से टाला।
बस, इसके बाद वह रात के एक बजे तक दरवाजा बंद करके खोली के अन्दर ही रहा—इस बीच उसने अपने और असली जॉनसन के लिए खुद ही खाना बनाया था।
एक बजे वह खाना लेंकर चोरों की तरह अपनी खोली में पहुंचा। जॉनसन होश में आ चुका था और वह एक अंधेरे कोने में पड़ा कराह रहा था—हैम्ब्रीग ने रोशनी की, उसे न चीखने की चेतावनी की देकर टेप हटाया। अपने हाथ से उसने जॉनसन को खाना खिलाया।
खाने के बाद जॉनसन ने कहा—"मैं समझ सकता हूं कि तुमने मेरा ये मेकअप क्यों किया है, तुम आज मेरे स्थान पर डयूटी पर गए होगे?"
"ठीक समझे।" हैम्ब्रीग मुस्कराया।
"तुम शायद 'बैंक-संस्थान' में रखी लंदन के सभी बैंको की रकम को लूटने की योजना बना रहे हो, मगर तुम सफल नहीं हो सकोगे, भले ही तुम्हारे इस मेकअप ने इंसानों को धोखा दे दिया हो, परन्तु रकम बॉस के ऑफिस में रखी है और वहां तक पहुंचने के लिए तुम्हें एक कम्प्यूटर के सामने से गुजरना होगा और वह कम्प्यूटर इस फेसमास्क से धोखा नहीं खाएगा।"
"बेवकूफ।" कहने के साथ ही हैंम्ब्रीग ने उसके मुंह पर पुनः टेप चिपका दिया—"तुम पहरेदारी करते हो, मगर ठीक से यह भी नहीं जानते कि किस-किस चीज के पहरेदार हो।"
बोलने से लाचार जॉनसन उसे सिर्फ देखता रहा।
हैम्ब्रीग ने अपनी जेब से उसकी तनख्वाह में से बची रकम निकाली और उसकी जेब में रखता हुआ बोला—"मैं तुम्हारी तनख्वाह भी ले आया हूं और तुम जानते ही हो कि तनख्वाह लेने के लिए कम्प्यूटर के सामने से गुजरना पड़ता हैं।"
अगले दिन सुबह ही वह पुनः साढे आठ बजे अपनी ड्यूटी पर पहुंच गया—उसके साथी गार्ड्स, क्लर्कों और खुद गार्डनर ने भी औपचारिकता के नाते उसका हाल—चाल पूछा था।
मन-ही-मन मुस्कराते हुए हैम्ब्रीग ने कहा कि अब वह ठीक हैं।
रटी-रटाई प्रक्रिया के बाद ऑफिस—वर्क शुरु हो गया और अब हैम्ब्रीग को एक विशेष घटना के घटने का इंतजार था, वह रह-रहकर समय देखता और ज्यों-ज्यों समय गुजरता जा रहा था, त्यों-त्यों ही उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
एकाएक ही गार्डस के समीप रखे फोन की घंटी घनघना उठी, अपने दूसरे साथियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा फुर्ती का प्रदर्शन करते हुए रिसीवर हैम्ब्रीग ने उठा लिया, बोला—"हैलो बॉस।"
"कौन, तुम जॉनसन बोल रहे हो न?" दूसरी तरफ से गार्डनर ने पूछा।
"जी हां।"
"तुम हमारे ऑफिस में आकर पे नोटबुक पर साइन कर जाओ जॉनसन।" यह छोटा-सा वाक्य कहने के बाद दूसरी तरफ से उसके जवाब की प्रतीक्षा किए बिना रिसीवर रख दिया गया।
हाथ में रिसीवर लिए, किसी स्टेचू के समान खड़ा रह गया था हैम्ब्रीग—कान में डायल टोन की किर्र...किर्र की आवाज गूंज रही थी तो दिमाग में गूंज रही थीं सीटियां।
¶¶
जॉनसन को फोन करने के बाद मिस्टर गार्डनर अपने काम में व्यस्त हो गए—वे किसी फाइल में उलझे हुए थे, दस मिनट गुजर गए—उन्हें शायद यह भी ध्यान न रहा था कि साइन के लिए उन्होने जॉनसन को वहां बुलाया था।
एकाएक ही उनकी मेज पर रखे फोन की घंटी घनघना उठी।
दिमाग फाइल में ही लगाए उन्होंने रिसीवर उठाकर कहा—"हैलो।"
"हैलो...हैलो डैडी।" आवाज इर्विन की थी।
मिस्टर गार्डनर चौंक पड़े, इसलिए नहीं कि दूसरी तरफ से बोलने वाली इर्विन थी, बल्कि इसीलिए क्योंकि फोन पर उन्हें इर्विन की हिचकियां सुनाई दे रही थीं।
मिस्टर गार्डनर एकदम अधीर हो उठे, बोले—"क्या बात है, इर्विन? तुम रो रही हो क्या?"
इर्विन ने फूट-फूटकर रो पड़ने की आवाज उनके कानों से टकराई।
"हैलो...हैलो—तुम रो क्यों रही हो इर्विन?"
बेचैनी की अवस्था में गार्डनर लगभग चीख पड़े थे।
"ग...गार्गियन दादी नहीं रही, डैडी।" हिचकियों के बीच इर्विन ने कहा।
"क...क्या?" चौंककर वो एकदम कुर्सी से खड़े हो गए।
"हीमा सिटी से तार आया है डैडी, दादी की मृत्यु हो गई है।"
"न...नहीं।" गार्डनर ने चीख पड़ने के-से अंदाज में कहा और फिर किसी मूर्ति के समान सन्नाटे की अवस्था में खड़े रह गए—अपनी मां से उन्हें बहुत प्यार था और यूं अचानक उनकी मृत्यू की सूचना से उन्हें बहुत शॉक लगा।
कम-से-कम दो मिनट तक लाइन पर सिर्फ इर्विन की हिचकियां गूंजती रहीं।
एकाएक ही मिस्टर गार्डनर ने पूछा—"क...कैसे इर्विन अचानक ही मां को क्या हो गया?"
"त...तार में कुछ नहीं लिखा है, स...सिर्फ मृत्यु की सूचना हैं।"
"ओह, हम आ रहे है, इर्विन—म...मगर सुनो, तुम रोओ मत”—खुद गार्डनर की आवाज भर्रा गई, अन्दर से फूट पड़ने वाली रुलाई को वो बहुत कोशिश के बावजूद भी नहीं रोक पा रहे थे।
¶¶
हैम्ब्रीग न निश्चय किया कि आज तो उसे गार्डनर के ऑफिस में जाना ही होगा और वह चल दिया—दिमाग में मूर्खतापूर्वक विचार लिए कि कम्प्यूटर के सामने से वह बड़ी तेजी से भागकर निकल जाएगा। शायद कम्प्यूटर धोखा खा जाए।
मगर कम्प्यूटर के समीप पहुंचने तक उसकी हालत खराब हो गई—अब उसे दूर ही से गैलरी के एक कोने में रखा कम्प्यूटर साफ नजर आ रहा था—उस पर नजर आ रहा था—उस पर पड़ते ही हैम्ब्रीग की टांगे कांपने लगीं—लाख चाहकर भी वह उस कंपन को रोक नहीं सका।
तभी गैलरी के सामने वाले मोड़ से मुड़कर इधर ही आते मिस्टर गार्डनर उसे चमके—हैम्ब्रीग के जिस्म का रोया—रोया खडा हो गया—मिस्टर गार्डनर खूब लंबे-लंबे और तेज कदमों के साथ इधर ही आ रहे थे।
वह तेजी के साथ गार्डनर की तरफ लपका और संयोग देखिए कि वे दोनों ठीक कम्प्यूटर के सामने ही गैलरी में मिले।
ठिठककर गार्डनर ने पूछा—"इधर कहां आ रहे थे जॉनसन?"
"क...क्या मतलब सर, व...वो साइन।"
"ओह, सॉरी जॉनसन—यह बात तो हमारे दिमाग से ही उतर गई कि हमने तुम्हें बुलाया था, खैर-साइन फिर कर देना---देखो, हम इसी वक्त कम-से-कम चार-पांच दिन की छुट्टी पर जा रहे हैं—तुम्हारी और मेगा की रात की डयूटी यहीं रहेगी।"
"य...यस सर, मगर—बात क्या है, आप अचानक ही इतने दिन की छुट्टी पर?"
"हीमा सिटी में हमारी मां का देहांत हो गया हैं।"
"ओह!" हैम्ब्रीग ने ऐसा अभिनय किया जैसे सुनते ही उसे शॉक लगा हो। शॉक तो उसे लगा था, मगर यह कि योजना एक कदम और आगे बढ़ गई थी। मास्टर ने अपना काम कर दिया था।
¶¶
'बैंक संस्थान' की इमारत के अन्दर, प्लाईवुड़ के बने उस केबिन की दीवार पर लगे वॉल क्लॉक ने दो बजने का ऐलान किया और यह तो हैम्ब्रीग जानता ही था कि उस वक्त रात थी।
अपने बिस्तर पर लेटे हैम्ब्रीग ने धीरे से गर्दन उठाकर दूसरे बिस्तर पर लेटे मेगा नामक उस गार्ड़ को देखा। जिसकी ड्यूटी उसके साथ लगी थी। मेगा निश्चिंतता की नींद सो रहा था।
हैम्ब्रीग धीरे से उठा, अपनी गन और गोलियों की बैल्ट को वहीं छोड़कर बिना किसी प्रकार की आहट उत्पन्न किए केबिन से बाहर निकल आया, फिर वह सीधा बाथरूम में पहुंचा।
उसके हाथ में एक शक्तिशाली टॉर्च थी, जो रात के समय डयूटी पर रहने वाले गार्ड़ को मिलती थी—इसी टॉर्च की मदद से उसने पानी की टंकी से रस्सी निकाली।
बाथरूम में ही उसने रस्सी को अच्छी तरह निचोड़ा।
फिर उसे कंधे पर डालकर बाहर निकल आया—अब वह उस तरफ जा रहा था जिस तरफ इमारत की पहली मंजिल पर जाने के लिए सीढ़िया थीं।
वह जीने के करीब पहुंचा।
दरवाजा बंद था और उस पर एक मोटा ताला लटका हुआ था, हैम्ब्रीग ने जेब से अलफांसे की दी हुई मास्टर-की निकाली और दस मिनट की कोशिश के बाद लॉक खोल लिया।
इसी तरह वह लॉक खोलता हुआ पौने तीन बजे उस पांच मंजिली इमारत की छत पर पहुंच गया—चारों तरफ सन्नाटा बिखरा पड़ा था। अंधेरे में ही गूंज रही थी टेम्स के बहने से उत्पन्न होने वाली कल-कल की आवाज।
चारों तरफ का दृश्य भी बड़ा मनमोहक था।
परन्तु हैम्ब्रीग इस मनमोहक दृश्य का आनन्द उठाने के स्थान पर रस्सी का एक सिरा छत पर मौजूद पानी की विशाल टंकी से सम्बन्धित रॉड से बांध रहा था।
बांधने के बाद उसने गांठ की मजबूती को परखा।
फिर शेष रस्सी उसने इमारत के पीछे की दीवार के सहारे-सहारे लटका दी—अब वह रॉड में बंधी गांठ के पासे से रस्सी को पकड़कर खड़ा हो गया।
कुछ देर तक रस्सी ढीली रही।
फिर तनाव बढ़ गया।
हैम्ब्रीग समझ सकता था कि अब मास्टर ने उस रस्सी पर चढना शुरु कर दिया था—वह रस्सी को पकड़े रहा, ताकि गांठ पर ज्यादा जोर न पड़े।
बीस मिनट बाद एक अऩ्य साया छत पर नजर आया।
उस साए की तरफ लपकता हुआ हैम्ब्रीग बोला—"गुड मॉर्निंग मास्टर।"
"मॉर्निंग, सब ठीक है न?"
"फिलहाल तो ठीक ही है।"
उसकी बात पर कोई विशेष ध्यान दिए बिना अलफांसे ने दीवार के सहारे लटकी रस्सी धीरे-धीरे खींचनी शुरु कर दी—पूरी रस्सी खिंचने में पांच मिनट से ज्यादा नहीं लगे—रस्सी के अंतिम सिरे में एक कुदाल, फावड़ा और चमड़े का एक काफी बड़ा व भारी बैग बंधा हुआ था।
ईश्वर ही जाने कि उस बैग में क्या था?
दोनों ने मिलकर वो तीनों चीजें रस्सी से खोलीं—चमड़े का बैग अलफांसे की पीठ पर लटका दिया, एक हाथ में फावड़ा, दूसरे में कुदाल और इस बीच हैम्ब्रीग ने रस्सी पहला सिरा रॉड़ से खोलकर उसकी गुच्छी बना ली।
अलफांसे ने कहा—"अब चलो।"
नीचे उतरने के लिए वे जीने की तरफ बढ़ गए, मगर नहीं जानते थे कि पानी की उस विशाल टंकी के पीछे खड़ा एक भयानक चेहरे वाला व्यक्ति अपनी डरावनी आंखों से उन्हें देख रहा था, न सिर्फ देख रहा था, बल्कि उसके पीले और भद्दे होंठो पर क्रूर मुस्कराहट भी थी।
¶¶
ग्राउंड़ फ्लोर पर पहुचंने के बाद वे बड़े आराम से गैलरी में रखे कम्प्यूटर के सामने से गुजरते चले गए, उसके सामने से गुजरते वक्त दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा था और फिर उनके होंठो पर अर्थपूर्ण मुस्कान दौड़ गई।
वे गार्डनर के ऑफिस के दरवाजे पर पहुंच गए। अलफांसे ने फावड़ा हैम्ब्रीग को पकड़ाया और जेब से एक चाबी निकाली।
दीवार को टटोलकर उसने शीघ्र ही एक की-होल को तलाश कर लिया और फिर चाबी उसमें डाल दी—वैसे यह की-होल साधारणतया दीवार को देखने से नजर नहीं आता था।
चाबी के घूमते ही दीवार में दरवाजा प्रकट हो गया।
वे दोनो कुछ ऐसे अंदाज में ऑफिस के अन्दर प्रविष्ट हो गए जैसे यह उनका अपना ऑफिस रहा हो—अलफांसे पहले भी वहां आ चुका था, किन्तु हैम्ब्रीग का पहला ही मौका था, इसलिए वह इस्पात की दीवारों, छत और फर्श वाले, टंकी—से नजर आने वाले इस ऑफिस को चकित भाव से देखता रहा, बोला—"बड़ा सुन्दर और अजीब-सा ऑफिस है, मास्टर!"
"हूं।" कहते हुए अलफांसे ने अपनी पीठ से बैग उतारकर मेज पर रख दिया और इस्पात की उन गोल दीवारों के बाद फर्श को घूरता हुआ बोला—"यहां से उस स्थान के लिए रास्ता जाता है, जहां दुनिया के उस सबसे नायाब हीरे को रख गया है।"
"म...मगर कितनी अजीब बात है, मास्टर।" हैम्ब्रीग ने कहा—"कि यह फर्श सुबह नौ से शाम छह बजे तक ही लिफ्ट का काम कर सकता हैं।"
"इन सख्त इंतजामों ही ने तो मेरे दिल में कोहिनूर तक पहुंचने की इच्छा प्रबल की थी, खैर—बैठो हैम्ब्रीग, उसे अपनी ही सीट समझो और अब सुनाओ, तुम्हारे साथ क्या हुआ?" इन शब्दों को कहने के साथ ही अलफांसे घूमकर न केवल गार्डनर की कुर्सी के समीप पहुंच गया था, बल्कि धम्म से कुर्सी पर बैठ भी गया।
अलफांसे के आदेश पर उसने जॉनसन को बेहोश करने से अब तक सारी रिपोर्ट विस्तारपूर्वक सुना दी। ध्यान से सुनने के बाद अलफांसे ने कहा—"तुम बहुत ही जल्दी बहुत ज्यादा नर्वस हो जाते हो, हैम्ब्रीग।"
"म...मैं क्या करता मास्टर, हालात ही कुछ ऐसे थे?"
"इसीलिए कहा था कि काम कोई आसान नहीं होता—परसों सदाबहार के केबिन में तुमने कहा था कि अब हमारा आगे का काम आसान हैं—देख लिया न तुमने कि वह कितना आसान था—अचानक ही ऐसे-ऐसे खतरे टूट पड़ते हैं कि जिनके बारे में कभी सोचा न हो—इस वक्त यह बात तुमसे कहने का मकसद सिर्फ यह है कि अब, यानि जहां तक पहुचंने से आगे के काम को भी तुम आसान न समझना और अनायास ही यदि कोई मुसीबत टूट पड़े तो नर्वस होने के स्थान पर उससे टकरा जाने की कोशिश करना।"
"जी।" हैम्ब्रीग ने किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कहा।
"मैं हीमा सिटी में जाकर गार्गियन का कत्ल कर आया हूं—हमारी योजना के मुताबिक उसके किसी पड़ोसी ने गार्डनर को टेलीग्राम कर दिया—वह हीमा सिटी चला गया है, वहां उसे पता लगेका कि उसकी मां का मर्डर हुआ हैं अतः कुछ और उलझ जाएगा, सोचने पर उसे दूर-दूर तक भी गार्गियन के कत्ल की वजह नजर नहीं आएगी, अतः वहां वह कम-से-कम हफ्ता भर उलझा रहेगा और इतना समय हमारे लिए काफी है।"
"क्या इर्विन भाभी भी उनके साथ हीमा सिटी गई हैं?"
"नहीं।" अलफांसे ने उत्तर बहुत संक्षेप में दिया।
हैम्ब्रीग चुप रह गया।
"आगे की योजना में तुम्हें अपना रोल याद हैं या दोहराने की जरूरत पड़ेगी?"
"मुझे याद है मास्टर, अब प्रत्येक रात को मुझे यह चैक करने के अलावा कोई विशेष काम नहीं हैं कि आप हीरा लेकर यहां आ चुके हैं या नहीं?"
"गुड, तुम यह चाबी रख लो।" कहने के साथ ही अलफांसे ने वह चाबी उसे दे दी जिससे इस ऑफिस का लॉक खोला था, बोला—"अब तुम यहां से जाओ हैम्ब्रीग, तुम्हारे साथ वाले गार्ड की यदि किसी वजह से नींद टूटी गई तो तुम्हें गायब देखकर चौंका पड़ेगा।"
चाबी जेब में डालने के बाद हैम्ब्रीग उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ गया। अलफांसे ने बटन दबाकर दरवाजा खोल दिया और हैम्ब्रीग के पार होते ही बंद कर दिया।
अब उसने कम्प्यूटर से सम्बन्धित स्क्रीन ऑन कर दी और दोनों पैर उस भव्य मेज पर फैलाकर कुर्सी पर आराम से लेट गया।
कुछ ही देर बाद स्क्रीन पर हैम्ब्रीग का नाम नजर आया।
¶¶
उसी ऑफिस में, गार्डनर की कुर्सी पर बैठा अलफांसे बड़ी ही व्यग्रतापूर्वक अपनी कलाई पर बंधी रिस्टवॉच को देख रहा था—यह गार्डनर की ही रिस्टवॉच थी।
सुबह के नौ बजते ही उसने जेब से एक विशेष चाबी निकाली।
मेज की सबसे निचली दराज खोली और वह बटन दबाया जिस पर एम लिखा था—बटन के दबते ही कमरे का फर्श घूमने लगा और उसके घूमने से सिर्फ उतनी ही आवाज आ रही थी, जितनी किसी एयर कंडीशनर के चलने से होती है।
धीमे-धीमे घूमता हुआ फर्श नीचे की तरफ जाने लगा।
कुर्सी पर अधलेटी अवस्था में पड़े अलफांसे ने आंखें बंद कर लीं। तीस मिनट के इस सफर के दौरान अलफांसे सो गया प्रतीत होता था।
फर्श एक हल्के-से झटके के साथ रुका और यह झटका लगते ही अलफांसे ने आंखें खोल दीं—अब वह बहुत गहरी टंकी के फर्श पर बैठा महसूस कर रहा था—टंकी की छत उससे एक सौ पंद्रह फीट ऊपर थी।
वह कुर्सी से उठा।
सीधा टंकी की दीवार के समीप पहुंचा, फर्श से साढ़े चार फीट ऊपर दीवार में दो-दो सूत व्यास के बराबर दो छिद्र थे—अलफांसे ने अपनी दो उंगलियों छेदों में डाली और उन्हें दाईं तरफ घुमा दिया।
टंकी की दीवार में दरवाजा उत्पन्न हो गया।
अलफांसे अपना बैग, कुदाल और फावड़ा संभाले इस दरवाजे को पार कर गया—अब उसके सामने दस फीट चौड़ी, इस्पात की बनी दूर तक सीधी चली गई सड़क थी—इस चौड़ी सुरंग की छत पंद्रह फीट ऊपर थी—अलफांसे ने समीप ही खड़ी खूबसूरत मर्सिडीज का दरवाजा खोला, सामान उसमें रखा और फिर—ड्राइविंग सीट पर बैठकर उसने मर्सिड़ीज को इस्पाती सड़क पर दौड़ा दिया, पंद्रह मिनट बाद अलफांसे ने वहा मर्सिडीज रोक दी, जहां यह सड़क खत्म हो गई थी—गाड़ी से निकलकर उसने बाईं तरफ देखा।
उधर एक गली थी, इतनी संकरी कि उसे व्यक्ति केवल पैदल चलकर ही पार कर सकता था—गली की चौडाई सिर्फ एक गज और लंबाई साठ गज के करीब थी।
गली के बाहर अलफांसे को एक टेलीफोन बूथ जैसा खोखा नजर आया, कुछ देर तक उसी तरफ देखता रह फिर मर्सिडीज से फावड़ा आदि निकालकर बूथ के समीप पहुंचा।
सामान बूथ के बाहर ही रखकर वह स्वयं अन्दर घुस गया।
वहां एक टेलीफोन रखा था, अलफांसे जानता था कि यदि उस फोन पर एक विशेष नंबर डायल कर दिया जाए तो संकरी गली के फर्श से सम्बन्धित सभी गनों का सम्बन्ध विच्छेद हो जाएगा।
मगर, अलफांसे को वह नंबर मालूम नहीं था।
अतः फोन के साथ बिना कोई छेडखानी किए वह बूथ से बाहर निकल आया—गली के किनारे पर खड़ा होकर ध्यान से गली को देखने
लगा।
वह सिर्फ तीस फीट दूर तक देख सकता था, क्योंकि वहां से आगे एक मोड़ था।
कुछ देर तक अलफांसे चुपचाप खड़ा गली को देखता रहा, फिर उसने चमड़े का बैग खोला और उसमें से करीब दस किलो वजन का एक पत्थर निकाला। गली के इस सिरे पर खड़े होकर उसने पत्थर स्वयं से काफी दूर गली में फेंक दिया।
'रेट...रेट...रेट।'
पत्थर के फर्श पर टकराते ही गनें गरजीं, टकराने के बाद वह लुढका और रुकने तक जितने स्विचों के ऊपर से वह गुजरा उन्ही से सम्बन्धित गनें गरजी।
सारे पत्थर पर अनगिनत गोलियों के निशान बन गए। अंत में वह एक सुरक्षित स्थान पर आकर रुक गया, गनें शांत हो गईं।
पत्थर के इस अंजाम को देखकर अलफांसे के होंठो पर जाने क्यों अजीब-सी मुस्कान दौड़ गई—यह मुस्कान इस गली में मौत का जाल बिछाने वाले के दिमाग की प्रशंसा कर रही थी।
अपने बैग से उसने बुलेट-प्रूफ लिबास निकाला।
अगले पंद्रह मिनट बाद उसकी जिस्म चोटी से लेकर अंगूठे के नाखून तक बुलेट प्रूफ लिबास के अन्दर छुपा था—लिबास के ही था नकाब, कमीज और पतलून एक ही पीस में। दस्ताने अलग।
पैरो में जुराब बुलेट प्रूफ थे—इन पर भी उसने एक पारदर्शी और बुलेट प्रूफ ग्लास का चश्मा चढ़ा लिया।
बैग पीठ पर लटकाया। एक हाथ में फावड़ा—दूसरे में कुदाल लेकर वह बेहिचक गली में भागता चला गया।
असंख्य बार उसके पैर गली में छूते स्विचेज पर पड़े, कनेक्टिड़ गनें गर्जी, परन्तु अधिकांश गोलियां उसके लिबास से टकराने के बाद छिटक गईं।
हां, पीठ पर लटका बेचारा बैग जरूर जख्मी हो गया था।
साठ गज लंबी उस गैलरी को वह लंबे-लंबे करीब साठ ही कदमों में पार कर गया—यहां रुक जहां गैलरी बंद हो गई थी—यह स्थान किसी भी गन की रेंज में नहीं था।
हॉल की दीवार को छेडने की कोशिश नहीं की उसने, क्योंकि जानता था कि दीवार में करेंट था, जो एक बार उसे पकड़कर तभी छोड़ेगा जब जिस्म में रक्त की एक बूंद भी न बचेगी।
इस्पाती दरवाजा बंद था।
अलफांसे जानता था कि जब तक यह दरवाजा बंद था, हॉल की दीवारों में तभी तक करेंट रहेगा, दरवाजा खुलते ही करेंट को सर्किल मिलना बंद हो जाएगा और करेंट खत्म।
और उस दरवाजे को खोलने के लिए गार्डनर के ताबीज में छुपी विचित्र चाबी की डुप्लीकेट वह बनवा ही चुका था।
सबसे पहले उसने अपने पैरों के समीप फावड़ा और कुदाल रखे, फिर—एक चेन खोलकर चेहरे पर पड़े नकाब को गले में गिराया—जब उसने बैग को पीठ से उतारकर फर्श पर रखा तो बैग की जख्मी अवस्था देखकर मुस्करा उठा।
चेन खोलकर बैग से उसने एक छोटी-सी डिबिया निकाली, उस डिबिया से हेयर पिन जैसी विचित्र चाबी—उस चाबी के आगे दो सिरे थे—पीछे के एकमात्र सिरे पर रबर की छोटी-सी गिट्टी लगी थी—रबर की इस गिट्टी पर से ही उसने चाबी को पकड़ा।
चाबी के दोनों अग्रिम सिरे उसने इस्पात के दरवाजे में मौजूद दो बारीक छिद्रों में फंसाए और पूरी सावधानी के साथ उसे बाईं तरफ घूमा दिया। कट की हल्की-सी आवाज हुई।
अलफांसे ने चाबी वापस घुमाकर बाहर खींच ली।
दरवाजा एक हल्की-सी गड़गड़ाहट के साथ फर्श में समा गया।
अब, बिल्कुल सामने ही रखा कोहिनूर बिल्कुल साफ नजर आ रहा था—इस्पात का बना वह उसी नक्शे का गोल हॉल था जैसा
म्यूजियम में था, बल्कि यह अलफांसे जानता था कि वह स्थान म्यूजियम के उस हॉल के ठीक नीचे था, जहां कोहिनूर के अक्स को लोग कोहिनूर समझकर देखते थे।
हॉल के ठीक बीच में एक रीड़िंग टेबल रखी थी।
टेबल के ऊपर छोटा चौकी—चौकी पर लाल रंग का बहुत ही शानदार शनील बिछा नजर आ रहा था और उसके ऊपर रखा था, दुनिया का वह सबसे नायाब, अमूल्य, खूबसूरत और एकमात्र कोहिनूर हीरा। उससे निकलने वाली सतरंगी रश्मियों समूचे हॉल में विस्फूटित हो रही थीं—हॉल का रंग ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वहां ढेरो इंद्रधनुष बने हो।
कोहिनूर में ऐसा आकर्षण, ऐसा खिंचाव था कि अलफांसे को दिल तेजी से लपकर उसे उठा लेने कि लिए चाहा—मगर नहीं—कम-से-कम अलफांसे इतनी जबरदस्त बेवकूफी नहीं कर सकता था—वह जानता था कि आंखों के सामने नजर आने वाला कोहिनूर एक धोखा था, फ्रॉड था।
कोहिनूर अभी भी उससे दूर था, बहुत दूर—जिंदगी और मौत के बीच की दूरी को क्या कभी कोई नाप सका हैं—बस, यूं समझिए कि जहां अलफांसे पहुंच गया था, वहां से कोहिनूर इतना ही दूर था।
जांच करने के लिए उसने जेब से एक सिक्का निकाला और दरवाजे पर ही से कोहिनूर की तरफ उछाल दिया—मगर सिक्के कोहिनूर तक पहुंचने की बात तो दूर, खुद सिक्का ही न रहा, दरवाजे और कोहिनूर के बीच हवा में ही फक्क से सिक्का जल उठा, जलता हुआ फर्श पर गिरा और देखते-ही-देखते राख में बदल गया।
अलफांसे जानता था कि उस सिक्के को वेव्ज ने जलाकर राख कर दिया था—वे अदृश्य वेव्ज थीं—कोहिनूर अब भी दरवाजे पर खड़े अलफांसे को अपनी तरफ आकर्षित करता नजर आ रहा था।
वह जानता था कि मेज के चारों तरफ वेव्ज का एक वृत था, मेज के किसी भी तरफ तीन फीट दूर तक खाली स्थान था, फिर वेव्ज का वृत्त और फिर खाली स्थान।
मगर वेव्ज के इस वृत्त को रास्ते से हटाए बिना कोहिनूर तक नहीं पहुंचा जा सकता और मजे की बात यह थी कि चैम्बूर ने उसे रास्ते से इस अदृश्य वेव्ज वृत्त को हटाने की तरकीब नहीं बताई थी, अपने दिमाग से ही वह इस वृत्त से बचता हुआ कोहिनूर तक पहुंचने की तरकीब सोचकर आया था और उसी पर अमल करने के लिए उसने कुदाल उठा ली।
एक नजर उनसे कोहिनूर पर डाली।
फिर जगमगाते कोहिनूर की तरफ पीठ की और कुदाल के नुकीले सिरे का वार दरवाजे की चौखट के बाहर गली के फर्श पर किया।
बस—अपने उस काम में व्यस्त होने के बाद अलफांसे ने पलटकर कोहिनूर की तरफ नहीं देखा—कुदाल और फावड़े की मदद से वह गली में एक गड्डा तैयार कर रहा था।
¶¶
सुरंग में काम जोर-शोर से चल रहा था और यही वजह थी कि सुरंग अब काफी लंबी हो गई थी, अंतिम सिरे पर चल रही ड्रिल मशीन के समीप पहुंचकर विजय ने दिशासूचक यंत्र फर्श पर रख दिया और ध्यान से उसकी सुई को देखने लगा।
उसके करीब तीन कदम दूर खड़ा विकास बहुत ध्यान से और गंभीरता के साथ उसकी कार्यप्रणाली को देख रहा था, जब उससे नहीं रहा गया तो आगे बढ़ा।
विकास ने नजदीक जाकर पूछा—"क्या रहा गुरू?"
"हम बिल्कुल सही दिशा में जा रहे हैं।"
"यानि सुरंग वही निकलेगी, जहां हम निकालना चाहते हैं?"
आंख मारते हुए विजय ने कहा—"एक्यूरेट।"
"कितना समय और लगेगा?"
जवाब देने के लिए विजय ने अभी मुंह खोला ही था कि नजर ब्लैकमेलर पर पड़ी, वह अपने नकाब और परंपरागत लिबास में नदी की तरफ से चला आ रहा था।
उसे देखते ही विजय के मुंह से निकला—"त...तुम।"
"जी हुजूर।"
"यूं मुंह उठाए तुम बेवक्त कैसे चले आ रहे हो?"
"आपको एक खास सूचना देने।"
"खास सूचना?"
"परसों से अलफांसे एक नौकरी के लिए इंटरव्यू देने बाहर गया हुआ है, कल अचानक ही मिस्टर गार्डनर को टेलीग्राम मिला कि हीमा सिटी में उनकी माताजी का देहांत हो गया है।"
"क्या?"
"जी हां, और मिस्टर गार्डनर हीमा सिटी चले गए है।"
"ओह।"
"वहां से वो एक हफ्ते से पहले नहीं लौटेंगे।"
"क्यों?"
"क्योंकि वहां गार्डनर की माताजी का देहांत नहीं हुआ है, बल्कि मर्डर किया गया है, मिस्टर गार्डनर वहां इस पहेली में फंस जाएंगे कि उनकी बूढी मां की हत्या किसने किस मकसद से की है, लाख दिमाग घुमाने के बाद भी यह बात उनकी समझ में नहीं आएगी कि किसी को बूढ़ी गार्गियन की हत्या करके क्या लाभ हुआ?"
"मगर इसमे खास सूचना वाली क्या बात हैं?"
"आपको इसमें खास बात ही नजर नहीं आई?"
विजय ने अपने ही अंदाज में कहा—"हमे तो इसमें गधे की लात भी नजर नहीं आई।"
ब्लैकमेलर ने कहा—"मुझे यह भी पता लगा है कि हीमा सिटी गए हुए गार्डनर की कलाई में वह रिस्टवॉच नहीं है, जो हमेशा रहती थी।"
"तो तुम्हारे पेट में दर्द क्यों हो रहा है?"
सुनकर ब्लैकमेलर ने दोनों कंधे उचकाए और बोला—"यदि तुम्हें मेरी इतनी सारी बातों में से कोई भी खास बात नजर नहीं आई हैं तो छोड़ो, भगवान ही तुम्हारा मालिक हैं।"
वह मुड़ा और जिस तरह आया था कि उसी तरह जाने भी लगा। विजय ने उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की, इस बात पर न केवल विकास की को, बल्कि अशरफ, विक्रम और आशा को भी हैरत हुई।
एक कोने में बंधे बड़े बॉण्ड भी ये सब बातें सुनी थी।
विकास ब्लैकमेलर के पीछे लपका, जब उसने देख लिया कि ब्लैकमेलर सुरंग के उस सिरे पर पहुंचने के बाद, नीचे कूदकर पानी में समा गया था तो घूमा।
उस वक्त उसके चेहरे पर गंभीरता के साथ-साथ हल्की-सी सख्ती के भाव भी थे, विजय मुगदर लेकर सुरंग की मिट्टी को पीटने में व्यस्त था। उसके बिल्कुल नजदीक जाकर विकास ने कहा—"गुरू।"
विकास के लहजे में ऐसी गुर्राहट थी कि केवल विजय या उसका ग्रुप ही नहीं, बल्कि रस्सियों में जकड़े बॉण्ड ने भी चौंककर विकास की तरफ देखा, एक पल की खामोशी के बाद विजय ने कहा—"हो जाओ शुरु।"
"आप उस ब्लैकमेलर की बातों का अर्थ वाकई नहीं समझ पाए थे या...?"
"या?"
"समझकर भी अनजान बन रहे थे?"
विजय ने अजीब-से ढंग से हाथ नचाते हुए कहा—"अब तुमने भी उसकी बात सुनी ही थी प्यारे दिलजले, पता नहीं साला क्या ऊटपटांग बक रहा था—हमारी समझ में तो कुछ नहीं आया, किसी की मां मर गई है, हम इसमें क्या कर सकते हैं—किसी के हाथ में वह घड़ी नहीं है, जो हमेशा रहती थी तो हम क्या करें, उसकी कोई बात तुम्हारे पल्ले पड़ी?"
"मैं सीरियिस हूं गुरू, मजाक नहीं कर रहा हूं।"
"कसम से।" विजय ने बड़ी मासूमियत के साथ कहा—"मजाक हम भी नहीं कर रहे हैं।"
"आप बन रहे हैं।"
"हमें बनने की क्या जरूरत है प्यारे, बने—बनाए हैं—पांच फीट बारह इंच लंबे।"
विकास के धैर्य का बांध मानो टूट गया, वह एकदम चीख पड़ा—"उसकी बातों का मतलब यह था गुरू कि क्राइमर अंकल अपने टार्गेट के बहुत करीब पहुचं गए हैं।"
विजय का वही शांत भाव—"अगर तुम कहते हो तो मान लेते हैं प्यारे।"
"केवल मानने से काम नहीं चलेगा गुरू।" विकास उत्तेजित हो उठा—"आपको जवाब देना होगा कि क्राइमर अंकल की उस रफ्तार के जवाब में आप क्या कर रहे हैं?"
"यह सुरंग बना रहे हैं।"
"स...सुरंग—हुंह—यह सुरंग बना रहे हैं आप?" विकास बिफर पड़ा—"यह सुरंग कभी पूरी नहीं होगी, हमसे बहुत पहले क्राइमर अंकल कोहिनूर ले उड़ेगे।"
"इसमें हम कर भी क्या सकते हैं?"
"भले ही आप न कर सकें, आपको ढंग से कुछ न हो सके—मगर मैं बहुत कुछ कर सकता हूं—पासे अब भी पलट सकते हैं गुरू—मेरे ढंग से अब भी बहुत कुछ हो सकता है।"
"क्या करोगे तुम?"
"इर्विन का मर्डर।"
"व...विकास।" विजय हलक फाड़कर चिल्ला उठा।
"हां गुरू, हां—क्राइमर अंकल की योजना को नाकाम करने के लिए गार्डनर के घर से उनका सम्बन्ध तोड़ देना जरूरी है और जब इर्विन ही न रहेगी तो उस घर से खुद-ब-खुद क्राइमर अंकल के सम्बन्ध खत्म हो जाएंगे।"
"होश की दवा करो बेटे।"
"होश की दवा आप कीजिए गुरू—विकार को हारने की आदत नहीं है—आप अभी बहुत पीछे हैं, क्राइमर अंकल बहुत आगे निकल गए हैं—आप अभी कोहिनूर उनके हाथ लग गया तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें उस तक नहीं पहुंचा सकती।"
"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है।"
"नहीं गुरू, नहीं—अब आपकी इन ढुलमुल स्कीमों से कुछ होने वाला नहीं है—अब मुझे अपने ढंग से काम करना होगा।"
"इस अभियान पर आने से पहले ही हमने तुम्हें चेतावनी दी थी प्यारे, तुमने वादा किया था कि लंदन में केवल हमारे हुक्म का पालन करोगे, अपने माशा—अल्लाह दिमाग को कष्ट नहीं दोगे।"
"उस वादे को मैं असफल होने की कीमत पर नहीं निभा सकता गुरू।"
"तुमसे किसने कहा कि हम असफल हो जाएंगे?"
"किसी के कहने की क्या जरूरत हैं गुरू, सब कुछ सामने ही तो है—खुली किताब की तरह।"
"क्या है सामने?"
"क्राइमर अंकल की एक-एक एक्टिविटी, ब्लैकमेलर की उस एक-एक बात से जाहिर है कि क्राइमर अंकल ठीक उस स्कीम पर काम कर रहे हैं—जो हमे चैम्बूर ने बताई थी—ब्लैकमेलर की एक-एक बात को समझकर भी आप अन्जान बन रहे हैं—गार्डनर की मां का मर्डर, गार्डनर का वहां जाना—उसकी कलाई से सिग्नल देने वाली घड़ी का गायब होना और उससे पहले इंटरव्यू के नाम पर अलफांसे गूरु का गायब होना—क्या ये सब इसबात के प्रतीक नहीं है कि अलफांसे गुरू अपनी योजना के अंतिम चरण में है—क्या चैम्बूर ने हमें अलफांसे गुरू की यही स्कीम नहीं बताई थी?"
"बिल्कुल बताई थी प्यारे।"
"फिर भी आप कहते हैं कि यह सुरंग बन रही हैं—सुरंग—हुंह, अलफांसे गुरू अपनी योजना के जिस चरण में पहुंच चुके हैं, उससे जाहिर है कि वो इस सुरंग के पूरी होने से बहुत पहले की कोहिनूर ले उडेंगे—फिर इस सुरंग को खोदते रहने से क्या फायदा?"
"अगर तुम यह सोचकर अपनी खोपड़ी को कष्ट दे रहे हो प्यारे कि लूमड़ उसी स्कीम पर काम कर रहा है, जो चैम्बूर ने हमें बताई थी तो जरा सोचो, इस वक्त लूमड़ कहां होगा?"
"जहां कोहिनूर रखा है, उस हॉल के दरवाजे पर।"
विजय ने पुनः प्रश्न किया—"चैम्बूर के बताए मुताबिक वहां से कोहिनूर तक पहुचंने में उसे कितना समय और लगेगा?"
"ज...ज्यादा-से-ज्यादा चार या पांच दिन।"
"चार दिन में हमारी यह सुरंग अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगी।"
विजय के उस वाक्य के जवाब में एकाएक ही लड़का कुछ कह नहीं सका—भभकता चेहरा लिए वह जलती-सी आंखों से अपने विजय गुरू के चेहरे को देखता रहा बोला—"क्या आप ठीक कह रहे हैं गुरू?"
"तुम जानते हो कि हरिश्चंद्र के बाद एक सत्यवादी हम ही तो पैदा हुए हैं।"
"फ...फिर आपने ब्लैकमेलर के सामने उसकी बातों का अर्थ न समझने का नाटक क्यों किया था?"
"क्योंकि हम तुम्हारी तरह अक्ल घुटनों में लिए नहीं घूमते, प्यारे—किसी ऐरे-गैरे, नत्थू-खैरे को हम क्यों बताए कि हम भी कोहिनूर से उतने ही दूर है जितना अपना लूमड!"
"इस बात को छुपाने से लाभ?"
"फिलहाल यदि छुपाने से कोई फायदा नहीं है तो नुकसान भी नहीं होगा।"
सख्त निगाह से, बहुत ही ध्यान से ल़ड़के ने विजय को देखा, बोला—"कही आप मुझसे ही तो झूठ नहीं बोल रहे हैं, गुरू?"
"लो, भला तुमसे हम झूठ क्यो बोलेंगे, प्यारे?"
"इसीलिए, क्योंकि आपने महसूस किया है कि मैं भड़क रहा हूं, आप जानते हैं कि अगर मुझे वह आश्वासन नहीं मिला जो आप दे रहे है तो मैं सचमुच वही कर बैठूंगा जो कह रहा हूं—आप वैसा नहीं चाहते, नहीं चाहते कि मैं अपने ढंग से काम करूं, इसलिए झूठ बोल सकते हैं।"
"ऐसा नहीं है, बेटे।"
अपने शब्दो पर जोर देते हुए विकास ने कहा—"चार दिन में यह सुरंग पूरा हो जाएगी?"
"जिस गति से काम चल रहा हैं, यदि इसी गति से चलता रहा तो चार दिन में हम पार निकल जाएंगे।"
चेतावनी देने के—से अंदाज में लड़के ने कहा—"आप जानते हैं गुरू और एक बार मैं फिर कहता हूं कि विकास को हारने की आदत नहीं है—जिस क्षण मुझे यह इल्म हो गया कि यह सुरंग क्राइमर अंकल से बहुत पीछे है, उस क्षण मैं आपसे किए गए सारे वादे भूल जाऊंगा—अंजाम की चिंता किए बिना मैं अपने ढंग से काम करूंगा गुरू—अपने ढंग से।"
"अपने जीवन में यदि कोई सबसे बड़ी भूल की है बेटे, तो वह यह कि इस अभियान में तुम्हें अपने साथ ले आए—उस क्षण शायद हम यह भूल गए थे कि किसी दिमागी योजना पर क्रमबध्द रूप से काम करना तुम्हारे बूते की बात नहीं हैं, तम तो सिर्फ उठापटक कर सकते हो।"
विकास ने कोई जवाब नहीं दिया, एक फावड़ा उठाकर खुद को काम में व्यस्त दर्शाने लगा।
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