अध्याय २२
“दुनिया में पहले से ही असंख्य मात्रा में दुःख और दुर्भाग्य विद्यमान है उन्हें और बेतहाशा बढ़ाने के लिए युद्धों की आवश्यकता नहीं है।”
– जे.आर.आर टोल्किन
अस्पताल परिसर के भीतर एक कार “EMERGENCY ROOM” के विशाल लाल चिह्न के ठीक सीढ़ियों के नीचे आकर रुकी और टकराते हुए बची। उस कार से एक व्यक्ति हड़बड़ी में उतरा। उसके चेहरे और कपड़ों पर धुएँ की कालिख लगी हुई थी।
“अन, नजदा, अन, नजदा (मदद! मदद!)” वह चीखा।
एक मोटी दाढ़ी वाला बूढ़ा आदमी जल्दी से कार से बाहर आया और पीछे का दरवाज़ा खोला। अस्पताल के प्रवेश द्वार पर खड़ा वार्ड ब्याय कार में बैठे घायलों को भयानक स्थिति में देख, किसी को पुकारता हुआ उनकी ओर दौड़ा।
आवाज़ सुनकर, सफ़ेद वर्दी और हिज़ाब पहने दो और नर्सें, उन्हें अटेंड करने के लिए सीढ़ियों से लगभग उछलती हुई उतरकर आई। डेविड ने स्ट्रेचर लिया और कार से निकालकर दो बच्चों को उस पर लिटाकर उन्हें शीघ्रता से आपातकालीन कक्ष के अंदर ले गया। अस्पताल का यह हिस्सा अंदर से बहुत खस्ताहाल था। वहाँ अशांत मुद्राओं में घायल मरीज़ों के साथ, अस्पताल के बिस्तर और गद्दे फर्श पर बिखरे हुए थे। ज़ोर-ज़ोर से रोने और विलाप करने वाले इन्हें अंदर आते देखकर एकाएक चुप हो गए।
इस युद्ध में, इज़राइल ने गाज़ापट्टी पर भारी पैमाने में गोलियों और बमों से लगातार अंधाधुंध हमले किए, उसमे क्या दोषी और क्या निर्दोष, सब के सब या तो मारे गए या बुरी तरह से ज़ख़्मी हो गए थे। अधिकांश घायलों को यहाँ एक हफ्ते के लिए भर्ती किया गया था। यहाँ लगाये गए प्रतिबंध के कारण सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव था और न्यूनतम संसाधनों के साथ ही उनका इलाज किया जा रहा था। दवाओं और सड़ने वाले घावों की मिली-जुली बदबू इतनी असहनीय थी, कि यदि कोई अच्छा-भला आदमी यहाँ गलती से भी चला आये, तो ये उसे बीमार करने के लिए काफ़ी थी।
डेविड ने बैचेनी से अपने काले बालों पर हाथ फेरा, जॉर्ज की हालत भी उसके जैसी ही थी। उस क्षण वहाँ व्याप्त सन्नाटा, किसी परमाणु विस्फोट के मंज़र से भी ज़्यादा दिल दहला देने वाला था, जो हर उस रूह को झकझोर रहा था जो इस विनाश की गवाह थी।
डेविड विचारमग्न होकर घायलों के बीच पहुँचा। उसकी नज़रें एक ऐसे बच्चे से मिली, जिसका आधा शरीर पट्टियों से ढंका हुआ था और जो उसे दर्द के कारण दांत पीसते हुए गुस्से से घूर रहा था। डेविड उस बच्चे की आँखों में व्याप्त भय का सामना नहीं कर सका, लिहाज़ा उसने अपना सिर नीचे कर लिया। आगे बढ़ते हुए, एक अधेड़ महिला ने उसे इस तरह देखा जैसे उसे पानी की ज़रूरत हो। डेविड ने उसे तत्काल पानी पिलाया। उसने दर्द भरी मुस्कान से डेविड का शुक्रिया अदा किया। यह देखकर डेविड के हृदय में एक हूक सी उठी। आगे बढ़ते हुए उसने अनगिनत घायलों को देखा। कुछ उसकी उपस्थिति के प्रति उदासीन थे, तो कुछ उसे गौर से देख रहे थे और कुछ तो अपने दर्द में इतने डूबे हुए थे कि उन्हें डेविड के वहाँ होने ना होने से कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था। दर्द और दुर्भाग्य ही अब गाज़ा के शासक थे।
जॉर्ज ने विचारमग्न डेविड को पकड़कर उसका कंधा थपथपाया।
“मैंने अहमद को यहाँ देखा है।” जॉर्ज ने उसे बताया।
डेविड ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। वह याद नहीं कर पा रहा था कि अहमद कौन था?
“हम जिस लड़के से मिलने वाले थे,” जॉर्ज ने थकी हुई सी आह भरी।
“ओह, वह कहाँ है?”
“बेचारा, अभी-अभी चल बसा।”
डेविड को लगा जैसे उनके बच निकलने का अब कोई रास्ता नहीं बचा। उसे लगा जैसे उसे कोई आघात लगा हो। उसके दिलो-दिमाग़ ने जैसे काम करना बंद कर दिया, उसकी दृष्टि धुंधली पड़ने लगी और उसे उबकाई आने लगी।
“तुमको यहाँ नहीं होना चाहिए, कोई व्यक्ति परेशान करने वाले प्रश्न पूछ सकता है।” जॉर्ज ने सुझाव दिया।
“हाँ, तुम ठीक कह रहे हो…मुझे वाशरूम जाना है।” उसने वहाँ से हटने के लिए सुस्त स्वर में कहा।
“अच्छा बताओ … तुम्हारी हालत ठीक है? मुझे लगता है कि तुमने युद्ध के मैदान में इससे भी बदतर स्थिति का सामना किया है।”
“नहीं, नहीं। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। यहाँ बहुत सारे घायल बच्चे हैं,” उसकी आवाज़ कुछ क्षीण हो गयी। उसने अपनी आँखों में आये आँसुओं को बाहर आने से रोकने का प्रयास किया।
स्क्रीन पर ड्रोन कैमरे से ऊपर से ली गयी तस्वीरों को ज़ूम करके देखा गाया। संयुक्त राष्ट्रसंघ के निर्जन स्कूल में भीषण गर्मी में पीले हेलमेट पहने आदमियों का एक झुण्ड वहाँ फावड़े और अन्य चीजों से छोटी चट्टानें और ईमारत का मलबा उठाते हुए दिखाई दिया। अरबी में चिल्लाए जाने के निर्देश काहिरा और लैंग्ले में दोनों कमरों में सुनाई दिए। ड्रोन द्वारा भेजी गई फ़ुटेज अधिकतम ज़ूम करने से बहुत स्पष्ट थीं, उसे काहिरा में डोलोरेस ने अपने नाखूनों को चबाते हुए और लैंग्ले में मैथ्यू ने उत्सुकता से देखा।
स्क्रीन को ध्यान से देखते हुए, डोलोरेस ने कहा, “उन्हें कुछ मिला है!”
उन्होंने, मलबा उठाने वालों को जो कुछ भी मिला, उसे देखने के लिए कुछ मिनटों तक इंतज़ार किया, “ऊह!” उन्होंने एक पल के लिए आँखें फेर ली। सच्चाई से दूर भागने का एक तुच्छ प्रयास।
एक शव के कटे हए अवशेष इतने क्षत-विक्षत थे कि लाश की पहचान करना असंभव था। लेकिन खुदाई अभी ख़त्म नहीं हुई थी; उन्होंने कुछ और मृत शरीर निकाले, उनमें से कुछ पूरी तरह से जले और मलबे से आंशिक रूप से बाहर निकले हुए दिखे। मजदूरों को बदबू बर्दाश्त करने में मुश्किल हो रही थी और वे बार-बार अपनी नाक ढकने का प्रयास कर रहे थे।
खुदाई कर रहे एक मज़दूर ने मलबे के ढेर से निकाल कर एक वस्तु फेंकी।
“एक मिनट रुको, रिवर्स करो।” डोलोरेस ने अपने अधीनस्थ को आदेश दिया। उसने आदेश का पालन किया। इधर लैंग्ले में, मैथ्यू, ड्रोन फूटेज को करीब से उसी व्यग्रता से देख रहा था जैसे डोलोरेस काहिरा में। उसने अपने दोनों हाथ सर के पीछे ले जाकर जोड़ लिए जिससे उसके कानों पर बहुत दबाव बढ़ गया, ये उसकी आशंका की पुष्टि के संकेत थे।
डोलोरेस ने कहा, “उन्होंने क्या फेंका? ज़ूम करो।” कैमरा रुक गया और ज़ूम इन हुआ।
डोलोरेस ने अपना हाथ मुँह पर रख लिया। कुछ सेकंड की चुप्पी के बाद, वह पलटकर चीख पड़ी, “यह तो एमा का बैग है।”
लैपटॉप पर बैठा आदमी स्पीकर फोन पर बोला, “मैथ्यू, क्या तुम इसकी पुष्टि कर सकते हो?”
“यह उसी का बैग है,” मैथ्यू ने निराशा में पुष्टि की।
डोलोरेस परेशान होकर, इधर-उधर टहलने लगी। वह स्पीकर फोन के पास आई और झुक गई।
“क्या हम लाशों की पहचान कर सकते हैं?”
“मुझे डर है कि हम नहीं कर सकते। वहाँ तो लोगों के चीथड़े उड़े पड़े हैं।”
डोलोरेस पास की एक कुर्सी पर झुकी और एक गिलास पानी निकाला।
“मुझे अपने सीनियर्स से बात करने की ज़रूरत है। मैं कुछ ही मिनटों में वापसआती हूँ।” प्रोटोकॉल का पालन करते हुए डोलोरेस ने कहा।
डेविड लॉबी से गुज़रा जहाँ पीड़ितों के रिश्तेदार शोक मना रहे थे। कुछ रोते हुए, कुछ सोते हुए, कुछ एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे थे, लेकिन बच्चे, बच्चे सबसे ज़्यादा घबराए हुए थे। बच्चे अक्सर मूल भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो उन्हे ऐसी कच्ची उम्र से एक जवान व्यक्ति के रूप में विकसित होने में सहायक होती है। युद्ध-पीड़ितों के रूप में इन बच्चों का व्यक्तित्व किस रूप में विकसित होगा? कुछ बड़े होकर इसकीअनदेखी करना पसंद करेंगे, कुछ यहाँ से भाग जाने की कोशिश करेंगे, और कई हथियार उठा लेंगे; और फिर युद्ध का कभी ना ख़त्म होने वाला यह सिलसिला, हमेशा चलता रहेगा।
अपना सर झुकाए डेविड लोगों के बीच से गुज़रा। टॉयलेट के बाहर, धारीदार टी-शर्ट और निकर पहने, एक बच्चा खुद से ज़्यादा लंबा, पोछे का डंडा पकड़कर अकेले सफ़ेद फ़र्श की सफाई कर रहा था। वह मुश्किल से तीन फीट लंबा था। फ़र्श पर खून और मानव माँस, महीन कपड़े के टुकड़े के साथ मिश्रित होकर एक समरूप अर्ध-तरल पदार्थ बना रहा था। यह देख, डेविड का जबड़ा खुला का खुला रह गया। बच्चे ने सिर उठाया; उसके चेहरे से स्पष्ट रूप से व्यक्त हो रहा था कि उसका बचपना खो चुका है।
डेविड की आँखों से आँसू बह निकले। वह वॉशरूम में घुस गया। उसका आत्मविश्वास डगमगा गया और वह धम्म से बाथरूम की फ़र्श पर दचक कर बैठ गया। उसका पूरा शरीर काँप रहा था और वह लम्बी-लम्बी सांसे लेकर ज़ोर-ज़ोर से अपना सर हिला रहा था। इस दिन की घिनौनी घटनाओं ने उससे उसका रहा-सहा आत्मविश्वास भी छीन लिया था; एक नौ-सेना के पूर्व योद्धा के लिए यह जीवन का सबसे शर्मनाक एहसास था।
जॉर्ज डेविड को ढूंढते हुए उसके पीछे वाशरूम में आया और उसने डेविड को उसके जीवन के इस कमज़ोर क्षण में हिम्मत बंधाते हुए कहा – “अपने आप को संभालो लड़के। तुम एक योद्धा हो; इस तरह तुम्हारा कमज़ोर पड़ना, हम सब के लिए घातक सिद्ध होगा।”
डेविड ने खुद को सँभालने अपने आँसू पोंछने और अपना चेहरा धोने के लिए कुछ पल लिए। उसके कपड़े, उन बच्चों के खून से सने हुए थे, जिन्हें वह अस्पताल लाया था।
“बच्चे कैसे हैं?” डेविड ने पूछा।
“वे जीवित रहेंगे, डॉक्टर ने कहा।”
डेविड एक पल के लिए चुप हो गया, फिर वह बोला।
“यह संसार… इस संसार में हरे-भरे वृक्ष और जीवन से परिपूर्ण वातावरण होना चाहिए।”
जॉर्ज ने कहा, “हाँ, बिलकुल होना चाहिए…, लेकिन यहाँ इस रेगिस्तान में चारों ओर मौत का साम्राज्य है और हम उसके बीच फँसे हुए हैं। ऐसी स्थिति में, जितना हम से हो सके इसे बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। हमें अब चलना चाहिए।”
स्पीकर फोन से एक डरावनी आवाज़ निकली और डोलोरेस स्क्रीन से अदृश्य हो कर बोली
“मैथ्यू!”
मैथ्यू ने कहा, “यस, मैम।”
“मैंने सब कुछ शब्दशः ऊपर रिपोर्ट कर दिया है।”
मैथ्यू ने कहा, “तो अब क्या करें?”
वह थोड़ा रुकी, उसने बोलने की कोशिश की, परन्तु उसकी आवाज़ काँप रही थी।
“वे मुझे उस विस्फोट के लिए ज़िम्मेवार ठहरा रहे हैं। हम सभी पर एक महत्वपूर्ण मिशन को विफल करने के आरोप लगाकर जाँच करने की बात कर रहे हैं,” डोलोरेस की टूटती हुई सी आवाज़ सुनाई दी।
मैथ्यू अपनी कुर्सी पर ढेर हो गया।
“सब ख़त्म।” वह फुसफुसाया।
“हमें कल तक उन्हें ढूंढना है वरना उन्हें शहीद मान लिया जाएगा, और वे मिशन से अपने हाथ खींच लेंगे। दोनों ही स्थिति में हमारा मरण निश्चित है।”
मैथ्यू का शरीर काँप गया। एडम द्वारा की गयी उस ‘धूर्त-टिप्पणी’ का मतलब अब उसकी समझ में आ रहा था। अब समय को समझने का समय आ गया था लेकिन उसे समझने के लिए समय कहाँ था?
“मुझे इन सब के लिए खेद है।” मैथ्यू ने अपने आप को कठिन परिस्थितियों से उबारने की कोशिश करते हुए कहा।
“यह केवल उनके लिए नहीं है जो खो गए हैं, मैथ्यू… अब हमें खुद की नौकरी के बारे में भी सोचना होगा।”
अध्याय २३
“मौत कभी कैलेन्डर साथ लेकर नहीं चलती।”
– जॉर्ज हर्बर्ट
आज गाज़ा में डेविड, एमा और जॉर्ज का दूसरा दिन था। संध्या होने के कारण सुर्ख सूरज अब मद्धम पड़ता जा रहा था और उसका स्थान लेने के लिए चंद्रमा जैसे आड़ में से बाहर निकल रहा था। सारा शहर बुरी तरह डरा हुआ था और अड़ियल उग्रवादी बदला लेने के लिए उतावले हुए जा रहे थे। उनकी घर वापसी की उम्मीद ऐसी हरेक दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण, धूमिल पड़ती जा रही थी।
शुजा’इया के युद्धक्षेत्र से किसी तरह ज़िन्दा बचकर, थके-हारे डेविड और जॉर्ज अपनी शरणस्थली की ओर लौट आये थे। जैसे ही कार घर के बाहर खड़ी हुई, आफ़रीन उनकी की तरफ़ भागी। सकीना ने दरवाज़े से बाहर निकलने से पहले ही उसे पीछे से पकड़ लिया, जिससे उसके नन्हे पैर झुलसने से बच गए।
कार में बैठे डेविड और जॉर्ज ने, किसी की भी नज़रों में आने से बचने के लिए सावधानी से बाहर का जायजा लिया। सौभाग्य से, उनकी उपस्थिति को देखने के लिए बाहर कोई नहीं था। इज़राइल द्वारा इस तरह की बमबारी के बाद, गाज़ा में अघोषित कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई थी।
जब वे लिविंग रूम में दाखिल हुए, तो सकीना और एमा, डेविड और जॉर्ज की दयनीय स्थिति देखकर एक पल के लिए सन्न रह गए। एमा, डेविड को गले लगाने के लिए आगे आई और अपने कोमल हाथों से डेविड के ग्रीस लगे चेहरे को पकड़ा। डेविड ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। एमा ने डेविड की आँखों और उनके पीछे के दर्द को पढ़ा। डेविड की इस हालत पर वह हैरान होते हुए उसके दिल की निराशा को साफ़ महसूस कर रही थी।
डेविड ने उससे कहा, “शुजा’इया में गोलाबारी के बीच हम फँस गए थे, लेकिन अच्छी बात यह है, कि कुछ घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाकर, हम वहाँ से जीवित निकल आये।”
आफ़रीन, डेविड के गंदे चेहरे से डरकर अपनी माँ के पीछे छिप गई और उसे आड़ से देखती रही। डेविड ने अपना हरा कुर्ता उतारा और वाशरूम की ओर बढ़ा।
सकीना ने जॉर्ज को पानी पिलाया। “शुकरन,” जॉर्ज ने कहा।
उसने थके हुए लहजे में कहा, “हम अहमद नाम के जिस आदमी की तलाश कर रहे थे, उसकी आज अस्पताल में मौत हो गई।”
सकीना ने सहानुभूति में अपना सिर हिला दिया।
बाथरूम के अंदर, डेविड नल के नीचे बैठ गया। खून, तेल और गंदगी के साथ पानी उसके नग्न शरीर पर फैल गया। गर्म पानी, जैसे ही उसके ताजे घावों पर लगा, वह तिलमिला गया। जल्दबाज़ी में वाशरूम का दरवाज़ा खुला रह गया था और एमा वहाँ खड़ी अपने पति के घावों को देखकर चुपके से सिसकने लगी। डेविड, उसकी उपस्थिति से अंजान था और अपने शरीर को साफ़ करते हुए, ज़ख़्मों पर हाथ ना लगे इस कोशिश में था। आज के खूनी बवाल के बारे में सोचती हुई एमा ने अपने आँसू पोंछे।
सीआईए के वरिष्ठों के रवैये ने पूरी टीम में ‘सच’ को साबित करने की भूख जगा दी। काहिरा और लैंग्ले में टीमों के हर एक सदस्य को उनकी क्षमता से अधिक कार्य सौंपा गया था। मिशन ताश के पत्तों के घर की तरह बिख़र गया और टीम के सभी सदस्यों का करियर दाव पर लग चुका था। एमा ग्लास को उसके पति और उनके संरक्षक, जॉर्ज मार्टिंस के साथ, युद्ध की घेराबंदी के बीच खोजना, ‘भूसे के ढेर में सुई खोजने’ जैसा था। विशेषज्ञों का मानना था कि स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सिर्फ़ एक ही सुराग काफ़ी था। हालाँकि, यह सब, सभी के में मन में उठने वाले एकमात्र सवाल पर टिका था, “क्या वे जीवित भी थे?”
मैथ्यू लैंडलाइन फोन पर अरबी में कुछ गुनगुनाता हुआ अपनी घूमने वाली कुर्सी पर पसर गया।
ड्रोन द्वारा भेजी गई फुटेज को, बड़ी स्क्रीन पर ब्रैंडन टकटकी लगाए हुए देख रहा था। वह किसी भी सुराग के लिए फ्रेम को लगातार आगे-पीछे करते हुए, हर फ्रेम की बारीकी से जाँच कर रहा था।
चेंबर के अंदर का तनाव, सबकी साँसों में घुला हुआ था। हर गुज़रते पल के साथ दबाव बढ़ता जा रहा था।
“क्या बकवास है!” बोलते हुए मैथ्यू ने अपना फोन पटक दिया।
पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया और वहाँ उपस्थित हर आदमी उसे घूरने लगा। ब्रैंडन ने बीच में आते हुए कहा, “शांत हो जाओ, मैट। अपना आपा खो देने से तुम्हारा भला नहीं होने वाला।”
मैथ्यू ने अपने माथे से पसीना पोछते हुए कहा, “हमें किसी भी प्रकार की जानकारी देने वाला वहाँ कोई नहीं है और मिस्र से भी कोई वहाँ जाने को तैयार नहीं है। मेरे जॉर्डन के लोग सीरिया में फँस गए हैं, और ज़ाहिर है, हम इज़राइल के सामने अपने पत्ते नहीं खोल सकते।”
ब्रैंडन ने बेबसी से कहा, “हम चारों ओर से मुसीबतों में घिर चके हैं, हैं ना?”
“तुम ठीक कहते हो…चलो सब अपने-अपने काम पर वापस लगो, वरना कल हम सब नौकरी से निकाल दिए जायेंगे।” मैथ्यू बात को सम्हालते हुए बोला।
लेकिन ब्रैंडन ने मैथ्यू की चिंता को और बढ़ाते हुए कुछ और बड़ी सज़ा की आशंका के मद्देनज़र कहा, “यह तुम्हारी भूल है कि केवल नौकरी से निकाल दिए जाओगे? मैथ्यू।”
उधर, डोलोरेस कई कॉल पर एक साथ थी, वह औसतन एक मिनट में एक व्यक्ति से बात कर रही थी। दूसरी ओर लाइन पर सुन रहे हर व्यक्ति ने डोलोरेस का एक अलग रूप देखा। किसी ने माँग, किसी ने अनुरोध, किसी ने एहसान तो किसी ने डांट के रूप में उसकी बात का अर्थ निकाला।
हेदर, जिसे अपने बॉस की गुप्त बातचीत से दूर रहने का निर्देश दिया गया था, एक एशियाई महिला सिएना के साथ, आयताकार मेज़ के दूसरे छोर पर बैठकर, डोलोरेस के होंठ पढ़ रही थी। सिएना हेदर की दोस्त और सीआईए की लॉजिस्टिक्स एक्सपर्ट थी, जिसे शॉर्ट नोटिस पर हार्डवेयर सप्लाई करने के लिए बुलाया गया था। जल्द ही, वह लैंग्ले वापस जाने वाली थी।
हेदर बोली, “मैंने उसे कभी इतना हताश नहीं देखा। वह खुद को और अधिक समय देने और पूछताछ से बचने की इतनी कोशिश क्यों कर रही है?”
“ठीक है, योजनाएं यदि सफल नहीं होती तो, क्या इसके लिए तुम उसे दोषी ठहराओगी?” डोलोरेस के साथ सहानुभूति रखते हुए, सिएना ने कहा।
“ठीक है… समस्या यह है, बहुत से लोग उसकी नौकरी खा जाना चाहते हैं, और पिछले सालों के दौरान उसके कई दुश्मन भी बन गए हैं। वे डोलोरेस के द्वारा किसी ग़लत कदम उठाने के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे; आज उनके लिए उसे मुसीबत में फँसा देखकर खुश होने का दिन है।” हेदर ने कहा।
“तुम्हारी नौकरी भी दाव पर है, लेकिन तुमको देखकर लगता नहीं कि तुम इसके लिए चिंतित हो।” सियेना बोली।
हेदर ने दूसरे छोर से पूर्ण विश्वास के साथ कहा, “मैं शांत इसलिये हूँ, क्योंकि मुझे पता है कि वह इस मुसीबत से साफ़ बच के निकल जायेगी।”
डोलोरेस ने उसे घूरते हुए पकड़ा और अपनी भोंहें उठाकर, आदेश दिया, “कॉफी!”
“अभी लाई मैम,” हेदर सिर हिलाकर कॉफी लेने के लिए बाहर निकल गई।
सकीना के घर में, उसके मेहमान अपने मन और शरीर के घावों से त्रस्त कुछ सोचते हुए शांत बैठे थे। जॉर्ज की माँसपेशियों में खिंचाव था, उसके अंदरुनी अंग थके हुए थे, लेकिन उनका दिमाग़ अहमद द्वारा आज मरने से पहले उसे बताई गई बातों के बारे में सोचता हुआ दौड़ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली और ताज़ा प्राप्त जानकारी पर विचार करने लगा।
डेविड अपनी पीठ सीधी करने के लिए गद्दे पर लेट गया। एमा उसके पास बैठ गई और उसकी थकान दूर करने के लिए उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगी।
विचारमग्न जॉर्ज पर अचानक डेविड की नज़र पड़ी, उसे लगा की जॉर्ज की हालत ख़राब है, उसने पूछा – “तुम ठीक तो हो, जॉर्ज?”
डेविड की आवाज़ सुनकर जॉर्ज की तन्द्रा भंग हो गई और वह बिना सोचे-समझे बोला,
“क्या कहा? हाँ, मैं ठीक हूँ।”
उसकी आवाज़ सुन एमा और सकीना भी उसकी ओर देखने लगी।
“क्या सोच रहे हो?” डेविड ने गद्दे पर फिर से पसरते हुए पूछा।
जॉर्ज ने अपनी दाहिने हाथ की हथेली पर अपना चेहरा टिकाया और बोला – “अहमद के बारे में, और मरने से पहले उसने क्या कहा, इस बारे में।”
“ओह, मुझे उस बारे में पहले बात करने का मौका ही नहीं मिला,” डेविड ने कहा।
एमा ने हस्तक्षेप किया, “उसने कहा, क्या?”
जॉर्ज ने उसकी मृत्यु के पहले अहमद के साथ उस पल की बातों को याद करने के लिए अपने दिमाग़ पर ज़ोर डाला।
‘अहमद के चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था, उसकी आँखों में खून उतरा हुआ था, उसकी नंगी छाती पर ट्यूब और तार लगे हुए थे। उसके पैर पूरी तरह से पट्टियों में लिपटे और उन पर खून सूखकर जम गया था। उसने जैसे ही जॉर्ज को देखा, कुछ बोलने की कोशिश में उसे खाँसी आ गई और ऑक्सीजन मास्क में खून आ गया। जॉर्ज कुछ सुनने के लिए थोड़ा झुका।
उनकी नजरें मिलीं, उसने जॉर्ज को बहुत डरी हुई नज़रों से देखा और कांपते हाथों से उसका कुरता पकड़कर कुछ शब्द कहे, “यहूदी… यहूदी… यहूदी, उन्हें पता नहीं चलना चाहिए,” फिर उसके हाथ से पकड़ छूट गई। उसकी साँसे बंद हो गई और आँखें पथराकर ठंडी हो गईं। अहमद की रूह ने खुदा की ओर जाने वाली राह का सफ़र शुरू किया।’
बोलते-बोलते जॉर्ज ने आँखें खोली और तीनों को अपनी ओर तकते हुए पाया।
“उन्हें क्या नहीं पता होना चाहिए?” सकीना ने घबराते हुए पूछा।
“हम यहाँ हैं?” सहज रूप से एमा ने अनुमान लगाया।
डेविड ने गद्दे से उठते हुए जवाब दिया, “मेरी जानकारी के आधार पर यह कह सकता हूँ, कि अगर उन्हें पता होता, कि हम यहाँ हैं, तो अब तक या तो हम कैद हो चुके होते या मार दिये जाते।”
“वह सही कह रहा है,” जॉर्ज ने कहा। “मुझे लगता है, हम कभी नहीं जान पाएंगे कि अहमद क्या कहना चाहता था।”
“वह ऐसा क्यों कहेगा?” आशंकित सकीना ने कहा।
इससे पहले कि जॉर्ज जवाब दे पाता, कुछ असामान्य लेकिन उम्मीद जगाने वाला हुआ।
अचानक सकीना के घर का लैंडलाइन फोन बज उठा।
सभी लोग चुप हो गए। डेविड के दिल की धड़कन जैसे एक पल के लिए रुक गई। जॉर्ज मुस्कुराया, एमा ने आह भरी, और सकीना हिलते-डुलते लैंडलाइन फोन का रिसीवर उठाते हुए बोली, “हेल्लो” दूसरे छोर से आती आवाज़ को पहचानते हुए, उसका चेहरा खिल उठा।
उसने कॉल काटने से पहले लगभग तीस सेकेंड तक खुश होकर बात की। वह अपने मेहमानों की ओर बढ़ी और कहा, “फोन पर मेरी अम्मी थी। उसने कहा, फोन लाइन वापस चालू हो गई हैं, कम से कम अभी के लिए। उसने यह जानने के लिए कॉल किया था कि मैं कैसी हूँ।”
उन्होंने सकीना को गौर से इस आशा से देखा कि, उसे इस ख़ुशनुमा पल का एहसास हुआ कि नहीं। उसने उन्हें भी गौर से देखा और मुस्कुरा दी।
एमा ने तेजी से अपने खुले हाथों को घुमाते हुए उसे जल्दी से अपने पास आने का इशारा किया।
“ओह, अब अपने कंट्रोल रूम से तुमको यहाँ से निकालने के लिए कह सकते हैं,” सकीना ने उदासी से कहा।
कमरा हँसी से गूंज उठा।
“क्या तुम्हारे पास उनका नंबर है?” सकीना ने पूछा।
“मुझे नंबर याद है।” एमा ने जवाब दिया।
सकीना ने रिसीवर उसे सौंप दिया। फोन लेने से पहले एमा ने एक लंबी साँस ली। डेविड सीधा खड़ा था, थोड़ा आगे झुक गया। जॉर्ज ने शांति से अपनी दाढ़ी को सहलाया।
योजना में किसी भी बदलाव की स्थिति में संपर्क करने के लिए, डोलोरेस ने उसे एक नंबर बताया था, उसे याद करते हुए जैसे ही एमा ने फोन पकड़ा, उसे अपनी हड्डियों में कमजोरी महसूस हुई, उसकी बाहें भारी हो गयी।
+२०, उसने मिस्र का कंट्री कोड, उसके बाद २, काहिरा का क्षेत्र कोड डायल किया, और फिर उसने नंबर को सही तरीके से डायल करने के लिए विराम लिया। उसने अगले नंबरों – ६७४७८६३८ को डायल पैड पर दबाया।
उधर रिंग गई, और इधर एमा का दिल ऐसे झनझना उठा जैसे ढोल पर थाप पड़ने पर उसमें कंपन होता है।
काहिरा स्थित कॉन्फ्रेंस रूम के अंदर इतना ज़्यादा शोर था कि डोलोरेस को अपने स्वयं के विचारों को सुनने में भी कठिनाई हो रही थी। लंबे समय तक और प्रेरक बातचीत के बीच वह लेपटॉप के पास रखी गर्म काफ़ी के कुछ घूंट भी ले रही थी। उसके अथक प्रयास, विधिपूर्वक, और स्थिति को पूर्ण-स्वतंत्रता से वापस पाने के लिए थे। वह अधिकार-विहीन होने से नफ़रत करती थी। वह अपने मिशन से बाहर होने से नफ़रत करती थी। लेकिन डोलोरेस, अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पाने से ‘नख से लेकर शिख तक’ नफ़रत करती थी। यह उसकी जज़्बाती कमजोरी थी।
हेदर और सिएना ने सुनिश्चित किया कि उनकी टीम जटिल जासूसी नेटवर्क में हरैक स्थिति से निपटने में सक्षम हो, और किसी भी सम्बंधित बात को अनदेखा नहीं किया गया हो, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों ना हो।
हेदर ने अपने रेशमी बालों में हल्के से उंगलियाँ फिराई, यह असुरक्षा के अहसास का संकेत था। उसने अपनी मरून पौशाक को व्यवस्थित किया और सभाकक्ष को इस तरह से देखा जैसे वह किसी स्पोर्ट्स टीम की मैनेजर हो और फायनल मैच के बीच में खड़ी हो।
अचानक, दरवाज़ा खुला और एक आदमी अंदर आया। हेनरी ब्लैंक अड़ियल मूड से, सधी हुई चाल के साथ डोलोरेस की ओर बढ़ा।
डोलोरेस ने उसे देख कर अविश्वास से कहा, “तुम यहाँ कैसे, तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए।”
“और एमा, उसे भी तो अब तक वापस आ जाना चाहिए था?” हेनरी ने खा जाने वाली नज़रों से डोलोरेस को घूरते हुए कहा।
डोलोरेस के चेहरे के भाव कड़वाहट से भर गए; उसके लिए निरादर, एक कड़वी गोली निगलने जैसा अनुभव था। हेनरी पसीना-पसीना हो रहा था और उसने अपने पेरिस के लहजे में उसके यहाँ होने का रहस्योघाटन किया।
“उनके दो कर्मचारियों की मौत की आशंका जताते हुए, वे मुझ पर आरोप लगा रहे हैं कि मैंने सीआईए के साथ मिलीभगत की, जिसके कारण ऐसा हादसा हुआ और मुझ पर पद के दुरूपयोग का मुकदमा चलाकर मेरे इस्तीफे की माँग कर रहे हैं।”
“उन पर यह ज़िम्मेदारी नहीं आने वाली। मेरी टीम उन्हें खोजने के लिए अथक प्रयास कर रही है। हम उन्हें कल तक ढूंढ लेंगे। और जल्द ही, वे अपने घर पर होंगे।” डोलोरेस ने उसके क्रुद्ध सहकर्मी को समझाने का असफल प्रयास किया।
“अगर मुझे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं, समझी।” गुस्से से काँपते हुए हेनरी ने डोलोरेस की ओर उंगली दिखाते हुए कहा।
डोलोरेस अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर खड़ी हो गई और उसे ताना मारते हुए कहा, “ठीक है, और भी बहुत हैं तुम्हारे जैसे, तुम भी लाइन में लग जाओ।”
हेनरी ने एक चौंकाने वाली बेचैनी महसूस की। उसका चेहरा लाल हो गया और उसकी आँखें थोड़ी-थोड़ी बाहर निकलने लगीं। उसने अपने बाएँ कंधे के ऊपर से अपनी बाँह तक एक तेज दर्द महसूस किया, उसका सिर एक ओर लटका और उनकी छाती में भयंकर पीड़ा हो रही थी। उसने कपड़ों के ऊपर से अपने सीने को ज़ोर से जकड़ा और लड़खड़ाते हुए नीचे गिर पड़ा।
डोलोरेस ने नीचे झुककर उसकी टाई को ढीला किया।
घबराहट में, वह ज़ोर से चिल्लाई, “कोई एम्बुलेंस बुलाओ! उसे दिल का दौरा पड़ा है!”
कुछ मिनटों के बाद, उन्होंने उसे एक स्ट्रेचर पर लिटाया और उसके साथ, सभी एम्बुलेंस की ओर बढ़े।
कॉन्फ्रेंस रूम के अंदर, मेज़ पर अकेला पड़ा, मोबाइल फोन बजे जा रहा था लेकिन उसे अटेंड करने वाला वहाँ कोई नहीं था। किस्मत अपना खेल जारी रखे हुए थी।
अध्याय २४
“समय ऐसे सम्पीड़ित है, जैसे घुटने पर रखी मेरी बंद मुट्ठी, इसमें सुराग, समाधान और आज कदम उठाने की ताक़त छुपी है।”
– मार्गरेट एटवुड
जीवन एक शैतानी व्यंग्य है।
एमा ने दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के कारण रिसीवर को नीचे रख दिया। उसने फिर से डायल किया और फिर किसी ने जवाब नहीं दिया। उसके साथ सभी के चेहरों पर निराशा दिख रही थी।
रिसीवर को थामे हुए वह हताशा से बोली, “ये क्या हो रहा है?”
उसने डेविड से आशंकित होकर कहा, “वह फोन नहीं उठा रही है।”
“फिर से डायल करो।” उसने कहा।
एमा ने वैसा ही किया; फिर भी उधर से किसी ने जवाब नहीं दिया।
उसने निराश होते हुए रिसीवर नीचे रख दिया।
उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। एमा बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से और आँसुओं पर काबू कर पा रही थी।
उन दोनों के प्रति जॉर्ज का लगाव इस छोटी सी यात्रा में और गहरा हो गया था। उसने एमा को सांत्वना दी, “तुम कुछ समय बाद फिर से कॉल कर लेना। सब ठीक होगा।”
“कहीं मैं ग़लत नंबर तो डायल नहीं कर रही हूँ?” एमा ने अपने-आप को दोषी मानते हुए कहा।
डेविड ने अपनी हतोत्साहित पत्नी को पकड़ रखा था। वह चुप थी पर भीतर से रो रही थी, और ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से फट पड़ेगी। उसके मन के भीतर भारी कोलाहल मचा हुआ था, उसे लगा जैसे उसके अंदर कोई जान नहीं बची और उसके सीने में तेज दर्द उठा।
एमा को पकड़े हुए डेविड ने उसे आश्वस्त करने की कोशिश की, “एमा, मुझे देखो।” उसने किया।
“यहाँ अंदर, उम्मीद रहती है।” उसने उसके दिल पर हाथ रख कर कहा।
डेविड ने उसके एक संवेदनशील रहस्य के कारण इस क्षण तक भयपूर्ण व्यवहार किया – अफ़ग़ानिस्तान में अपने अंतिम अभियान के बाद वह पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित हो गया था। बुरे सपने, चिंता, तनाव, अविश्वास और कई अन्य व्यवहार संबंधी कठिनाइयों ने उसे सामान्य जीवन जीने से रोक दिया था। अपने लक्षणों को कम करने के लिए एक गहन मनोवैज्ञानिक उपचार के बाद, उसने आखिरकार असली इलाज एमा के साथ एक अच्छी ज़िंदगी जीने में ढूंढा। अंतर्मन में छुपे चीखते डर को, एमा की मुस्कान ने चुप करा दिया। इस समय, उसके दिमाग़ के किसी गहरे अंधेरे कोने में दबा हुआ डर, एमा की बाँहों में आते ही उजाले की ओर चल दिया।
अब और डर नहीं। एमा के आँसू ही उसकी प्रेरणा थे।
एमा ने कांपती आवाज़ में अपने मन की बात साझा की, “क्या यह हमारे पापों का भुगतान है? क्या इतिहास खुद को दोहरा कर हमें दंडित कर रहा है? क्या यह उन सभी दुखों की वापसी है, जो हमारी वजह से दूसरो को उठाना पड़े।”
डेविड ने कहा, “हम घर वापस जाएँगे, मैं वादा करता हूँ।”
उसने एमा के आँसू पोंछे, अपने से अलग किया और रिसीवर उठाकर री-डायल का बटन दबाया।
उधर काहिरा में, डोलोरेस ने एक दरवाज़ा खोला जो उसे खाली सम्मेलन कक्ष में ले गया, जिसमें हेनरी को हार्ट अटैक आया था। वह अपनी कुर्सी पर, हथेलियों में अपना चेहरा छुपाये सोचती रही कि क्या उसे पछतावा होगा?
“लानत है!” उसने अपनी निराशा और बेबसी में जैसे दहाड़ लगाई।
फोन बज उठा; उसकी नब्ज धीमी पड़ गई।
इसे मेज़ से उठाकर, उसने हरे रंग की आइकन को अस्थिर उंगलियों से टैप किया, “यस, हेदर।”
हेदर ने दूसरे छोर से बताया, “हम उन्हें बचा नहीं सके, हेनरी अब नहीं रहे।”
गंभीर समाचार सुनकर डोलोरेस अपनी कुर्सी पर बैठ गयी। उसका दिल उसके सीने में ज़ोर से धड़का, उसका मुँह सूख गया और सिर भारी हो गया। उसने अपने शर्ट के, ऊपर के दो बटन खोल दिए।
“हे भगवान, क्या मुसीबत है!”
“मैं, पोस्टमार्टम के लिए उन्हें अस्पताल पहुँचा रही हूँ।”
डोलोरेस ने आह भरी, फिर कहा, “क्या यही अंत है हेदर, क्या ऐसा नहीं है? मिशन, मेरा करियर… उनका जीवन सब यहीं ख़त्म?”
फोन से उसके कान तक एक धीमी, बीपिंग टोन पहुँची। सदमे में होने के कारण इस ओर उसका ध्यान नहीं गया।
हेदर दयनीय स्वर में बोली, “मुझे नहीं पता कि क्या कहना है, क्या नहीं। आपने पूरी कोशिश की और हमने भी अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश की।”
“इन सबसे अब कुछ फ़र्क नहीं पड़ता, मैं थोड़ी देर से बात करती हूँ।”
जहाँ हेनरी, दिल का दौरा पड़ने पर गिरा था, वह उस फर्श को घूरती रही। मनन करते हुए कि आज तक जो भी उसने हासिल किया था, सब उससे छीन लिया जाएगा।
अपने दर्द की गहराई को समझते हुए, एक फौलाद के जिगर वाली महिला आज रो पड़ी।
दीवार को घूरते हुए, कड़वे सच से बेख़बर डेविड ने कहा, “फोन बिजी था।”
उसे इस समय, समस्या के हल का कोई सिरा हाथ नहीं लग रहा था। वह खड़ा होकर कमरे में चारों ओर चक्कर लगाता हुआ, इस संभावना पर विचार कर रहा था कि मदद क्यों नहीं आ रही है। क्या सभी रास्तों को जला दिया गया था; क्या वे अब पूरी तरह से अपने स्वयं के ऊपर निर्भर थे?
एमा ने जासूस की तरह सोचते हुए कहा, “डेविड, डोलोरेस की नज़रों में हम मर चुके हैं।”
डेविड और जॉर्ज ने अपने सिर एक साथ सहमति में हिलाए।
“मेरा फोन खो चुका है, और बहुत मुमकिन है, कि वह मलबे के नीचे कुचलकर टूट गया हो और फिर जैसे ही धमाका हुआ; कॉल कट गई थी, इसके अलावा हम किसी भी प्रकार से उनसे संपर्क करने की स्थिति में नहीं थे। ऐसे हालात में उनका ऐसा सोचना कहाँ ग़लत है?”
जॉर्ज, उठकर उकडू होकर बैठ गया, उसने संदेहपूर्ण लहजे में कहा, “और हमारी लाशों के बारे में क्या, वह तो उन्होंने देखी नहीं?”
“उन्होंने हमें यहाँ गुप्त रूप से भेजा था, फिर वह कैसे किसी और को सरकारी तौर पर हमारी लाशों की पहचान करने और उसे ले जाने के लिए वहाँ भेजेंगे?
डेविड ने आगे बढ़ते हुए, एमा की ओर रुख किया और अपना सवाल दोहराया, “वह कम से कम कॉल का उत्तर तो दे सकती थी या हमें वापस बुलाने का कोई उपाय करती? वह दूसरे कॉल पर थी।”
“शायद मैंने ग़लत नंबर डायल किया हो?” एमा बोली
सकीना, कमरे के पीछे के छोर पर खड़ी उनकी बात सुन रही थी। वह बोली, “और जब तक कोई फोन नहीं उठाता, हम कभी इसकी वजह नहीं जान पायेंगे।”
वे अपने दुखों और अन्य सभी भावनाओं को भूल गए। वे अब दिलो-दिमाग़ से केवल एक तार्किक अर्थ निकालने पर केंद्रित थे।
डेविड, जो अब कमर पर हाथ रखे खड़ा था, उसने पूछा, “सकीना? जॉर्ज? क्या तुम्हारे पास कोई जरिया है, जो हमें यहाँ से निकाल सकता हो? जैसे कोई ट्रांसपोर्टर?”
सकीना ने पलटकर जवाब दिया, “वे सभी हमास के मेंबर हैं और जैसे ही उन्हें तुम लोगों के बारे में पता चलेगा, वे हम सभी को मार डालेंगे। चिल्ला–चिल्ला कर सारी दुनिया के सामने अपने पक्ष में ढिंढोरा पीटेंगे सो अलग।”
डेविड ने कहा, तुम बिलकुल ठीक कह रही हो।”
एमा ऐसे तरीकों के पक्ष में नहीं थी। इतने नाजुक हालातों में भी उसे अपने आप पर पूरा भरोसा था, वह बोली, “एक और मौका लेने में क्या बुराई है?”
डेविड ने उत्सुकता से पूछा, “किस तरह का मौका?”
उसने अपने भूरे बालों में हाथ फेरते हुए कहा, “हमें यह देखने के लिए कि कोई हमारी खोज में लगा है या नहीं, वापस स्कूल जाना चाहिए।”
सकीना ने उसका समर्थन किया, “वास्तव में, यह बुरा विचार नहीं है।”
डेविड चाहता था कि जॉर्ज भी इस पर राजी हो। उसने पूछा, “जॉर्ज, तुम्हारा क्या ख़याल है?”
उसने अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए भौंहों को ऊपर उठाया और मोटे काँच के फ्रेम को ठीक करते हुए कहा, “मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
अध्याय २५
“यह मायूसी हमारे लिए नहीं है, आशाहीनता केवल उन लोगों के लिए है, जो निसंदेह एक बुरे अंत को ही सत्य मानते हैं, हम नहीं।
– जे.आर.आर. टोल्किन
सुबह ८ बजे, गाज़ा सिटी
एक दाढ़ी-मूंछ वाले, भूरे रंग के सूट पहने बूढ़े आदमी ने, अपनी कुर्सी पर पसरते हुए, दस्तावेज़ों, पेन, बिजनेस कार्ड और सीलबंद फाइलों से भरी पड़ी आयताकार मेज़ पर अपने हाथों को सावधानी से रखा। उसकी सेक्रेटरी द्वारा सीमा पार से आयी सूचना के बारे में ब्रीफ किए जाने के बाद से वह फोन कॉल का सुबह से ही इंतज़ार कर रहा था और वह कॉल, डेस्कटॉप कंप्यूटर के बगल में रखे, स्कारलेट लैंडलाइन फोन पर अब आयी; उसने जवाब दिया।
गाज़ा के सेंट्रल बैंक का गवर्नर, अपने ओहदे और नाम की पुष्टि करते हुए बोला, “हेल्लो, मैं अबू-अल-फ़तह बोल रहा हूँ।”
दूसरी ओर से किसी की आवाज़ करीब दस सेकंड तक फोन में गूँजती रही। उसने बिना कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किए गम्भीरता के साथ पूरी बात सुनी। अबू-अल-फ़तह ने उनके सबसे करिश्माई नेता और रक्षक, जनाब यासर अराफ़ात, जिनकी नवंबर २००४ में मृत्यु हो गई थी; की तस्वीर के ठीक ऊपर, साइड वाल पर लगी घड़ी की तरफ़ देखा।
“यहाँ के लोंगों को पैसे की बहुत ज़रूरत है, दुकानें बंद हैं, एटीएम खाली हैं, और हम नकदी की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। यह हमारे लिए एक आर्थिक संकट की स्थिति है।” उसने चेतावनी भरे लहजे में कहा।
इज़राइली प्राधिकरण के कार्यालय से जवाब में कहा गया।
“ठीक है, मैं इस बारे में कुछ करूँगा।”
फोन कॉल समाप्त हो गई। अबू-अल-फ़तह एक पल के लिए चुप हो गया, उसकी उंगलियाँ डेस्क पर थिरकी, उसने रिसीवर उठाकर फिर से डायल किया और बिना किसी विशेष अधिकारी का नाम लिए कहा, “यहूदियों ने एक और युद्ध-विराम के लिए रज़ामंदी दी है।”
“खबर फैला दो कि आज सभी बैंक शाखाओं को खोलने वाले हैं। हरेक शाखा के लिए सूट और टाई पहने हुए सुपरवाईजर भेजें और चैक करें कि क्या उनके पास एटीएम चलाने के लिए मुकम्मल नकदी है या नहीं; अगर नहीं है, तो इंतज़ाम करें। हमारी सेवाओं और सिस्टम को दुरुस्त किया जाना चाहिए। हम लापरवाही बर्दाश्त नहीं कर सकते।” अल-फतह ने अपने सचिव को तेजी से काम करने वाली एक योजना को अमल में लाने का आदेश दिया। हालाँकि गवर्नर, अल-फतह इस बात से सख्त नफ़रत करता था कि उसे, उसके घोर शत्रु की शर्तों पर काम करना पड़ता था और वह दुखी भी था कि उसके देश की अर्थ-व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी थी। लेकिन वह एक दयालु और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति था और उसने अपने कर्मचारियों को इस कामचलाऊ उपाय पर भरोसा जताते हुए इसे अपनाने का आदेश दिया।
युद्ध में केवल गोलियाँ ही नहीं चलतीं और ना सिर्फ़ खून ही बहता और खाली मौत आती है। इससे भयानक भूखमरी पैदा होती है, इससे लोग आतंकित होते हैं, यह लोगों को अपने घरों से बेघर करता है, और यह, भारी दु: ख का कारण भी बनता है। इतिहास गवाह है कि युद्धों ने लम्बे अरसे से इंसानियत को लगातार शर्मसार करते हुए केवल गहरे ज़ख़्म ही दिए हैं।
वह उठकर नमाज़ अदा करने और अपने लोगों के लिए दुआ माँगने के लिए आगे बढ़ गया।
गाज़ा में, उनका एक दिन और गुज़रा; भले ही हमाद निवास में वे सभी थके हुए थे, लेकिन वे अल-सुबह सुबह उठ गए। वहाँ शांति स्थापना के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे थे। एमा और सकीना उस स्कूल में जाने के लिए तैयार हो चुकी थी, जिस स्कूल से यह गाथा शुरू हुई थी। हालाँकि लिविंग रूम में वे सब इकट्ठे थे, लेकिन उदासी के आलम में, एक-दूसरे से जुदा, केवल अपने आप में खोये हुए थे।
बिजली, वहाँ कुछ ही समय के लिए आती थी। उस क्षेत्र में हर घर में, रोज सुबह टेलीविजन देखना, एक मज़हबी हक़ अदा करने जैसा काम बन गया था, क्योंकि ख़बरों के जरिये वे हमले के पहले सावधान होकर ज़रूरी कामकाज निपटा सकते थे। सकीना ने भी टेलीविजन ऑन किया।
मधुर अरबी संगीत के साथ स्क्रीन पर कई आइकॉन दिखे, उसने रिमोट उठाकर न्यूज चैनल लगाया। स्क्रीन के निचले हिस्से में लाल पट्टी पर अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ आया और उसे देखकर सकीना के चेहरे के भाव कुछ बदल गये।
एमा ने भी उसे पढ़ा, लेकिन पूरी तरह से समझ नहीं पाई। सीआईए से रिटायर होने के बाद उसकी अरबी भाषा पर पकड़ कमज़ोर हो गई थी। उसने जो समझा, वह शब्द था “युद्ध-विराम”।
“यह क्या कह रहे हैं?” एमा ने पूछा।
“आज कुछ समय के लिए युद्ध-विराम की घोषणा की गई है और सभी बैंक शाखाओं को फिर से खोला जाएगा।”
एक चैन की साँस लेते हुए, एमा थोड़ा मुस्कुराई। चलो कम से कम आज बमबारी के कारण होने वाले खून-खराबे और धूल-धुएँ से राहत तो मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक जी-६ विमान, काहिरा से पेरिस के लिए उड़ान भर रहा था। उसमें एक ताबूत में हेनरी का पार्थिव शरीर भी रखा हुआ था। डोलोरेस, उसके साथियों के साथ, दिवंगत को ले जा रही थी। वह अपनी आरामदायक बिज़नेस-क्लास विंडो सीट पर सीट बेल्ट हटाये, स्कॉच का ग्लास हाथ में लिए खिड़की से बाहर देख रही थी। वह सोच रही थी, कि केवल एक घटना ने उसके और उसके साथियों की जीवन शैली को कैसे पूरी तरह से बदल कर रख दिया था? गहरे-काले आकाश में चाँदनी से चमकते, बिखरे बादल उसके मन को और अधिक दुखी कर रहे थे। हेदर उसके पास पहुँची और केबिन के खुले दरवाज़े पर तीन बार दस्तक दी। डोलोरेस ने उसकी ओर देखकर पूछा।
“क्या बात है, हेदर?”
“गाज़ा की रिपोर्ट से कोई साफ़ नतीजा नहीं निकाला जा सकता। वहाँ हमारे पास मैन-पावर काफ़ी कम है और लोकल मुख़बिर स्कूल की घटना के बाद जानकारी मुहैया कराने में हिचकिचा रहे हैं। आला अफसर केवल एक रिपोर्ट के आधार पर किसी बात को मानने को तैयार नहीं, क्योंकि वहाँ ना तो उनकी मौत का कोई सबूत मिला है, ना कोई डीएनए रिपोर्ट और ना ही मरने वालों की संख्या का ही पता चला है।”
डोलोरेस ने निराशा में अपने दांत किटकिटाए लेकिन फिर जल्दी ही अपने गुस्से पर क़ाबू पाते हुए बोली, “बस एक यही कमी रह गई थी।”
उसने अपने गिलास से एक और घूंट लिया और एक पल सोचने के बाद बोली, “इस घटना के पीछे कुछ तो ऐसी बात है, जो पकड़ में नहीं आ रही।”
डोलोरेस के कथन पर हेदर को यकीन नहीं हुआ।
“मैम मुझे लगता है, हम जल्दबाज़ी के कारण यह बाजी हारे।”
अपने सबसे सम्मानित मातहत से ऐसे बयान को सुनकर, डोलोरेस की आँखों ने एक स्वीकृत हार को दर्शाया।
“हाँ, शायद हमने जल्दबाज़ी में ये सब किया और अब हम अपनी नौकरी भी खोने जा रहे हैं।”
हेदर को उसकी आशंका समझ में आयी और उसने डोलोरेस को सांत्वना देते हुए कहा,
“मैथ्यू सुनवाई की तैयारी कर रहा है। वह सारे मामले को देखेगा और हमारी मदद भी करेगा।”
“संयुक्त राष्ट्रसंघ के एक अधिकारी की मेरे कमरे में मौत हो गई। मेरे जासूस गायब हैं, मैं मिशन पर से पूरी तरह नियंत्रण खो चुकी हूँ। लेकिन किसी को तो गलतियों की ज़िम्मेदारी लेना ही पड़ेगी।” डोलोरेस ने, इस तथ्य से अवगत होकर कि ये ही नौकरी से निकाले जाने के आधार हो सकते हैं, कहा।
उसने अपने गालों पर टपकते हुए आँसू सहित बाकी स्कॉच को एक ही घूँट में गटक लिया। उसे अपने करियर के संभावित नुकसान के साथ, एक निर्दोष, सेवानिवृत्त-जासूस, जिसे उसने नरक के द्वार पर वापस धकेल दिया और उसे मरने के लिए अकेला छोड़ दिया, उसे इसका अफ़सोस भी था। इस सख्त और मुसीबत की घड़ी में उसका साथ देने का विकल्प चुनते हुए, हेदर अपने बॉस के साथ कंधे से कन्धा मिलाये खड़ी थी।
इस इरादे के साथ कि वह बराबर की ज़िम्मेदार है और शिष्टता और चतुरता के साथ किसी भी स्थिति का सामना करने की क़ाबिलियत रखती है, एमा डेविड पर ज़ोर से चिल्लाई।
“जो भी हो, हमें उसका डट कर सामना करना है।”
डेविड के अत्यधिक चिंता करने से उसे घुटन महसूस हो रही थी।
डेविड, एमा के साथ जाना चाहता था, बस इसी डर के कारण कि उसके रहते एमा को कुछ हो न जाए। एमा जानती थी कि डेविड ने जान-बूझकर इस काम में हाथ डाला है, जिसे करने का एमा को अच्छा-ख़ासा तजुर्बा था और वह डेविड और जॉर्ज को अकेले खतरा उठाने नहीं देना चाहती थी।
“लेकिन तुम घायल हो।” डेविड ने उसे प्यार से याद दिलाया।
एमा ने उसे गुस्से से देखते हुए कहा, मैं बिल्कुल ठीक हूँ।”
डेविड जानता था कि उसे कब चुप रहना है और उसने इस क्षण वही किया।
एमा ने अपने बालों को पूरी तरह से ढकने के लिए हरे रंग के हिज़ाब को ठीक से पहना। अपनी नीली जींस, सकीना की ढीली टी-शर्ट और काले रंग की डेनिम जैकेट पहने हुए वह निकलने को तैयार थी। उसके घाव ठीक हो रहे थे और उसकी त्वचा पर सूखे रक्त की पपड़ियों से उसके घाव ढक गए थे। उसने उन्हें खुला छोड़ दिया, क्योंकि पट्टियों की आवश्यकता नहीं थी।
डेविड के पहले के एहसास ने उनकी चुप्पी में एक अहम् भूमिका निभाई; भय को पराक्रम से परास्त करना होगा। उसे अपनी पत्नी पर आयी चिढ़ पर अफ़सोस हुआ।
“हम अपने दम पर हर काम को अंजाम देने में सक्षम हैं, सकीना को सभी रास्तों की जानकारी है और आज के दिन कोई खतरा… कोई गोलाबारी नहीं।” एमा ने अपनी बात पर, सब को राज़ी करने के इरादे से कहा।
डेविड के मन में अंतर्द्वंद्व चल रहा था लेकिन उसने चुप रहना उचित समझा।
कुछ दूरी पर खड़ी होकर आफ़रीन अपने प्रिय मेहमानों के बीच होते वाक्-युद्ध को देख रही थी। सकीना ने अपनी बच्ची को किसी भी संकट से बचाने के लिए बीच में बोला।
“दोस्तों… आफ़रीन का मन अभी नाज़ुक है। क्या आप शांति से बात करना पसंद करेंगे।” दोनों ने, अपने व्यवहार पर शर्मिंदगी महसूस करते हुए माफ़ी माँगी।
एमा और सकीना अपनी सवारी की ओर बढ़ीं। सकीना ने इंजन स्टार्ट किया। एमा ने अपने चिड़चिड़े और डरे हुए पति को अलविदा कहा। उसकी उंगली की रिंग से सूरज की रोशनी टकरा कर डेविड के चेहरे पर परिलक्षित हुई। वे अपनी लुप्त हो रही आशा को पुनः प्राप्त करने की चाह में, गाज़ा सिटी की धूल भरी सड़कों पर निकल पड़ीं।
“कितनी दूर है?” तनाव को कम करने के इरादे से एमा ने पूछा।
“हम वहाँ जल्दी ही पहुँचेंगे, फ़िक्र मत करो।”
एमा ने शहर में चारों ओर नज़र डाली। कठिन समय में उसके द्वारा यहाँ बिताये गए दिनों की याद उसे अब भी थी। इज़राइल को ख़त्म करने के लिए सख्त नफ़रत और जुनून ने हमेशा खून-खराबा और तबाही को बढ़ने का मौका दिया। फ़िलिस्तीनी उग्रवादियों ने ‘जियो और जीने दो’ के सिद्दांत का सही मतलब कभी भी नहीं समझा और ना किसी को चैन से जीने दिया। दुर्भाग्य से, उग्रवाद की कट्टरपंथी धारणाओं ने हमेशा शांति के विपरीत, नफ़रत की वकालत की – ‘मारो और ख़ुद भी मरो।’
सकीना ने गाज़ा में सब कुछ देखा। धार्मिक-उन्मांद से बरगलाये बच्चों का आत्मघाती हमलावरों के रूप में विकसित होना, सिवाय इसके कि पड़ौसी तुम्हारा जन्मजात दुश्मन है और तुम्हारा जन्म लेने का मक़सद जिहाद के नाम पर मरना है; कुछ भी नहीं सिखाया।
कार की सामने वाली दाहिनी सीट पर बैठी एमा तब तक चुप थी, जब तक कि उनकी कार वहाँ लगी कारों की लम्बी कतारों के पीछे खड़ी नहीं हो गई।
इससे पहले कि दाईं ओर भवन के भीतर भागते लोगों की भीड़ को देख, एमा कुछ सवाल पूछ पाती, सकीना बोली।
“यह बैंक की ब्रांच है; जिसे उन्होंने आज ही खोला है।”
सकीना, अपने लोगों की दुर्दशा को महसूस करते हुए, सहानुभूति में बोली, “हमें नकदी की आवश्यकता है, और बार-बार बिजली कटौती के बीच हम एटीएम कार्ड के भरोसे नहीं रह सकते हैं।”
“यहाँ बहुत भीड़ है। अगर बैंक में कैश ख़त्म हो जाती है तो क्या होगा?”
सकीना ने काँच के दरवाज़ों के अंदर उमड़ती भीड़ को देखते हुए धीरे से कहा, “बस उम्मीद ही कर सकते हैं कि कैश ख़त्म ना हों।”
एमा के मन में भी उसे देखकर एक और सवाल उठा।
“गोलाबारी के बारे में क्या? अगर कोई मिसाइल, बैंक की किसी शाखा से टकराती है, तो क्या होगा?”
“ठीक है, हमारे पास एक या दो ऐसे उदाहरण हैं, जिनमें बैंक पर हमला हुआ, लेकिन नकदी की तिजोरियाँ बच गई और बैंक सर्वर काफ़ी सुरक्षित स्थानों पर हैं।”
उनके सामने की सड़क अब साफ़ हो गई थी। सकीना ने पहले गियर में गाड़ी डाली। वे धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए।
गाज़ा सेन्ट्रल बैंक के कार्यालयों में चारों ओर अफ़रा-तफ़री का माहौल था। जन – सैलाब नदी में बाढ़ के पानी की तरह बह रहा था। बैंक शाखाओं में कैश-लेस नागरिकों के भारी हुजूम जमा थे। युद्ध-विराम अपने अंत के कगार पर था और आसन्न हमले के मामले में हताहतों की संख्या कम से कम हो, यह अबू-अल-फतह की नैतिक और पेशेवर ज़िम्मेदारी थी।
अपने डेस्क पर रखे फोन को उसने फिर उठाया। दुश्मन के जवाब के बारे में अनिश्चितता से, उसने अपना हाथ आधे रास्ते में ही रोक लिया। उसने अपने सचिव को आदेश दिया।
“इज़राइली आर्मी-कोरडीनेटर से मेरी बात कराओ।” और तुरंत ही फोन रख दिया।
कुछ ही सेकंड के भीतर, लैंडलाइन फोन की रिंग उसके कानों में गूंजी।
“हेल्लो, मैं अबू-अल-फ़तह बोल रहा हूँ, यहाँ करीबन अस्सी हज़ार आदमी, ओरतें और बच्चे सड़कों पर हैं, वे नकदी का इंतज़ार कर रहे हैं और वे दोपहर ३ बजे तक वहाँ से नहीं निकल पायेंगे।”
इस बार, दूसरी तरफ़ से एक महिला बात कर रही थी, उसने उसकी बातों को बहुत सावधानी से सुना और “हम्म” बोलकर अबू ने फोन रख दिया और अपने सचिव से बोला।
“उधर से कहा गया है, कि अगर हम उन पर हमला नहीं करेंगे, तो वे भी हम पर हमला नहीं करेंगे। इंशा अल्लाह! अमेरिकी और संयुक्त राष्ट्रसंघ के अधिकारियों को कॉल करो, उन्हें इज़राइल की इस प्रतिक्रिया के बारे में सूचित करो।”
एमा और सकीना अपने तय समय से पीछे चल रही थीं। असामान्य ट्रेफिक के कारण भीषण गर्मी में उन्हें सफ़र में तकलीफ़ हो रही थी।
उनके संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्कूल पहुँचने से ठीक पहले रास्ते में, एक एम्बुलेंस उनके पास से इतनी तेजी से गुज़री कि सकीना का दिल धक्क से रह गया।
एमा ने आशंका में अपनी भौंहें उठाईं, “क्या गोलाबारी फिर से शुरू हो गई?”
“मुझे भी डर लग रहा है,” सकीना ने आशंकित होकर कहा।
“हे भगवान!”
एमा उलझन में थी। उसने किसी विस्फोट का शोर नहीं सुना था। ऐसा कैसे हो सकता है?
एक और एम्बुलेंस उनकी ओर चली आ रही थी। सकीना सच जानने के लिए उत्सुक थी। वह कार से बाहर निकली और हाथों के इशारे से एम्बुलेंस को रोका।
“हाल तुरीदिना मुसआदा” (क्या आपको मदद की ज़रूरत है?) “एक दुबले से ड्राइवर ने पूछा।
सकीना ने कहा, “ला, शुकरन (नहीं, धन्यवाद।)” फिर उनके बीच कोई बातचीत हुई।
सूरज की किरणें शीशे से होकर अंदर आ रही थी और इससे एमा के हाथ के ज़ख़्म फिर से चटख कर दर्द करने लगे थे। उसने बाहर की बातचीत को नज़रअंदाज़ कर दिया और खुद को सूर्य के प्रकोप से बचाने के लिए ठीक से बैठ गयी। उसे लगा जैसे उसकी त्वचा को बहुत सारे काँटों से कुरेदा जा रहा है। उसने अपनी सीट पीछे की ओर खिसका कर राहत की साँस ली। एंबुलेंस रवाना हो गई। सकीना ने कार में प्रवेश किया।
“हमले की स्थिति में कम से कम लोगों की जान जाये, इसलिये वे बैंकों से, लोगों को एम्बुलेंस से उनके घर पहुँचा रहे हैं।”
सकीना ने एमा की पीड़ा पर ध्यान दिया। “क्या हुआ?”
“बहुत गर्मी है, मैं इसे सहन नहीं कर सकती।”
“ओह।” उसने कार को चालू किया और उसे अपने गंतव्य की ओर बढ़ाया। “चिंता मत करो, हम लगभग पहुँचने ही वाले हैं।”
जिन ग्रेनेडों ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के ट्रकों को उड़ा दिया और स्कूल ईमारत को धराशाई कर दिया, उनके पुर्जे-पुर्जे हवा में गायब हो गए लेकिन स्कूल कम्पाउंड बचा रह गया। ईमारत से मिट्टी के ढेर में तब्दील होते, बर्बाद परिसर को देखने वाला वहाँ कोई नहीं था, केवल खा जाने वाला सन्नाटा पसरा हुआ था।
पीला सलवार-कमीज़ पहने और पीठ पर बस्ता टांगे, एक बारह साल की बच्ची, कंपाउंड के अंदर किसी खोजकर्ता की तरह कुछ ढूंढते हुए टहल रही थी।
उसकी मंजरी आँखें उस जगह के हर इंच को छान रही थीं जैसे वह उस जगह से परिचित हो।
वह एक मलबे के ढेर के सामने पहुँची। यहाँ उसकी कक्षा हुआ करती थी। उसके नन्हे हाथों ने ढेर से पत्थरों को हटाना शुरू किया। वह पक्के इरादे वाली और जो चाहती थी उसके लिए समर्पित थी। काफ़ी मात्रा में पत्थर निकालने के बाद, उसे उसका मनचाहा इनाम मिला, ‘उसकी स्कूली किताबें।’
उसकी आँखें खुशी से चमक उठीं; वह अभिमंत्रित थी। किताबें उठाकर उसने उन पर लगी धूल झाड़ी। किताबों को अपने बैग में रखते हुए, जिज्ञासु युवा लड़की ने पूरे परिसर में एक और चक्कर लगाया।
उसे मलबे का एक और ढेर नज़र आया। उसने और किताबें खोजने की उम्मीद से इसका निरीक्षण किया। आज किस्मत उसके साथ थी। उसे उसकी बेतहाशा कल्पना से थोड़ा हटकर, थोड़ा क्षतिग्रस्त स्मार्टफोन मिला। उसने इसे जल्दबाज़ी में उठाया और देखा कि यह बंद था। उसे सुखद आश्चर्य हुआ, उसने उसे अपने बैग में रख लिया। वह मुस्कुराई। उसने सोचा, इसके बारे में वह किसी को नहीं बताएगी। तभी–
“अस-सलामू अलयकुम,” उसने पीछे से एक वयस्क महिला की आवाज़ सुनी।
हतप्रभ छोटी लड़की अपने स्थान पर ठिठक कर रह गई।
अध्याय २६
“अगर हम इस दुनिया को वास्तविक शांति सिखाना चाहते हैं, और अगर हम युद्ध के ख़िलाफ़ वास्तविक युद्ध करना चाहते हैं, तो हमें यह बच्चों को साथ लेकर शुरू करना होगा।”
– महात्मा गांधी
दोनों महिलाएँ सदमे में खड़ी, स्कूल परिसर के जले और गिरे हुए अवशेषों को देख रही थीं। इमारत मलबे के कई ढेर में तब्दील हो चुकी थी। कंपाउंड में आगे बढ़ने के लिए मलबे के ढेर पर चढ़ कर ही आगे जाया जा सकता था। स्कूल की इमारत का पीछे का हिस्सा बरकरार था, लेकिन टूटा-फूटा था। एमा और सकीना एक-दूसरे का हाथ थामे, डगमगाते कदमों से ढेर पर चढ़ गई।
“कुछ बचा ही नहीं है।” एमा ने अपनी आँखों से समझा कि विस्फोट कितने बड़े पैमाने पर हुए थे।
परिसर के दाहिने कोने पर, सकीना ने एक अकेली, छोटी और डरी हुई लड़की को देखा, जिसकी पीठ पर एक बैग था। उसकी यहाँ उपस्थिति को लेकर वह चिंतित और उत्सुक थी। सकीना ने एमा के कंधों को थपथपाया और उस लड़की को दूर से बोली,
“अस-सलामू अलयकुम,” छोटी बच्ची ने एकाएक आई आवाज़ से डरते हुए मुड़कर देखा, तब तक सकीना और एमा उसके पास पहुँच चुकी थीं।
“मा इस्मुकी (तुम्हारा नाम क्या है?)” सकीना ने पूछा।
“इस्मी फ़ातिमा (मेरा नाम फ़ातिमा है),” छोटी लड़की ने कहा, वह अभी भी डरी हुई थी।
यह नाम सुनकर सकीना के दिल में दर्द का झटका सा महसूस हुआ। उसकी आँखों में आँसुओं के साथ एक और बच्ची की यादें आ गयी जिसकी मृत्यु युद्ध के पहले धमाके में सकीना की माँ के घर की दीवार से टकरा कर हुई थी और उस बेचारी बच्ची का नाम भी फ़ातिमा ही था।
सकीना की भावनाओं से अंजान एमा ने सहज भाव से लड़की से पूछा, “तुम यहाँ क्या कर रही हो, फ़ातिमा?”
फ़ातिमा घबरा गई। उसे डर था कि कहीं उसकी चोरी पकड़ी ना जाये। उसने हड़बड़ी में अपना बैग खोला और हाल ही में मिली किताबों में से एक को बाहर निकालकर मासूमियत से अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा “किताबें।”
एमा और सकीना को उसकी मासूमियत पर बहुत तरस आया। एक बच्चा चाहता है कि वह खुश रहे और पढ़-लिख कर जीवन में आगे बढ़े। और हम, हम अपने बच्चों के लिए किस प्रकार के भविष्य की रचना कर रहे हैं? सकीना ने फ़ातिमा को करीब आने का इशारा किया। उसने अपने बालों को सहलाया और एमा की तरफ़ देखा, उसके भावों से लगा कि वह भी यही चाहती थी।
“बेचारी, छोटी सी बच्ची,” एमा धीरे से बोली।
फ़ातिमा को सुकून और उलझन महसूस हुई। उसने अपने छुपे हुए नए फोन की हिफ़ाज़त के लिए बैग को कसकर पकड़ लिया।
सकीना, फ़ातिमा के सामने घुटने के बल बैठ गयी और पूछा, “क्या तुम यहाँ पढ़ती हो?” फ़ातिमा ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया।
एमा ने उसे साथ चलने के लिए कहते हुए पूछा, “क्या तुम हमें दिखा सकती हो, कि तुम्हारी क्लास कहाँ थी?”
फ़ातिमा ने सकीना की उंगली पकड़ ली और उन्हें अपनी कक्षा की ओर ले गई, जिसकी अब केवल स्मृति ही शेष बची थी।
थोड़ी देर बाद फ़ातिमा ने उनका ध्यान खींचा। एक पल के लिए वह भूल गई कि वह एक युद्ध के बीच में खड़ी थी। वह तो सिर्फ़ अपनी नई सहेलियों को पाकर गद-गद हो गई और इन लाड़-प्यार करने वालों की संगति का आनंद लेना चाहती थी।
सकीना ने उसके प्रति अचानक एक गहरी करुणा महसूस की। एक बच्चे की मासूम आँखों से इस टूटी हुई दुनिया को देखें तो थोड़ी जुड़ी हुई और सलामत दिखती है।
उनके साथ शामिल होने वाली एमा के दिमाग़ में विरोधाभासी विचार चल रहे थे। उसने देखा कि इस जगह की, किसी भी सरकारी एजेंसी को परवाह नहीं थी और इसकी देखभाल के लिए यहाँ कोई भी नही था। वह तनहा और चिड़चिड़ा महसूस कर रही थी। उसने अपने आप से कहा–
‘यह कैसे संभव हो सकता है? यहाँ कोई नहीं, हमारी खोज-ख़बर के लिए भी नहीं?’
एमा ने सकीना और फ़ातिमा को अकेला छोड़कर, अपने खोए हुए फोन की तलाश में चुपके से कंपाउंड की छान-बीन की लेकिन उसे वह कहीं नहीं मिला। फिर वह खस्ताहाल मेडिकल रूम में दाखिल हुई, वहाँ भी कुछ नहीं। वह खुली जगह गई, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। उसे घोर निराशा और एक अंजान भय की अनुभूति हुई। निराशा उसे अंदर से घेर रही थी; उसका धैर्य टुकड़े-टुकड़े होकर बिख़र रहा था। जैसे-जैसे समय अपने साथ लाई तबाही के साथ गुज़रता जा रहा था, वैसे-वैसे एमा, अपने दिमाग़ पर से जैसे नियंत्रण खोने के करीब होती जा रही थी।
वह ज़मीन पर घुटने के बल बैठ गई, उसने धूल पर जमे हुए सूखे रक्त के धब्बों को अपने हाथ में ले कर घूरा; उसे निराशा पूरी तरह से जकड़ चुकी थी, उसने अपने आप को इन सबसे मुक्त करने के लिए अपना चेहरा हथेलियों से ढक लिया और ज़ोर-ज़ोर से सुबकने लगी। उसके रोने की आवाज़ सुनकर सकीना और फ़ातिमा चौंक गई कि यह आवाज़ कहाँ से आई है। उन्हें एमा घुटनों पर बैठी पूरी तरह से निराशा में डूबी रोती नज़र आयी, वे उसकी ओर लपकी।
“एमा!” सकीना ने डरते हुए पुकारा।
एमा ने सिर उठाकर धीमी आवाज़ में कहा, “हम यहाँ मरने वाले हैं। उन्होंने हमें धोखा दिया।”
सकीना शब्दविहीन थी। उसके पास एमा के लिए कोई उचित जवाब नहीं था।
“हम यहाँ अकेले हैं, कोई भी हमारी तलाश नहीं कर रहा है।” उसने खून-सनी धूल को उठाया और सकीना के आगे अपनी हथेलियाँ फैला दीं। “हमारे कारण कई लोग, इतनी सारी महिलाएँ और बच्चे मारे गए। मैं उन्हें बचा नहीं पायी।”
सकीना ने एमा को उठाया और सूरज की रोशनी से चमकते आँसुओं को देखकर बोली, “तुम अभी भी हमें बचा सकती हो। हमें आज नहीं तो कल, कोई ना कोई रास्ता ज़रुर मिलेगा।”
एमा ने उत्साहित होकर सिर हिलाया।
“देर हो रही है। हमें घर वापस जाना चाहिए।” सकीना फिर बोली।
एमा ने अपने आँसू पोंछते हुए सिर हिलाकर हामी भरी।
ये सब देख-सुन, फ़ातिमा को अजीब सा लग रहा था लेकिन वह चुपचाप खड़ी थी।
एमा स्थिर स्वर में बोली। “हमें उसे भी उसके घर छोड़ देना चाहिए। यह जगह उसके लिए महफूज़ नहीं है।”
सकीना ने जवाब दिया, “मैं भी यही सोच रही थी।”
वे अपनी सवारी की ओर बढ़ी। एमा थोड़ी उदास होकर उकड़ू सी बैठ गई।
फ़ातिमा ने उन्हें अपने घर का रास्ता बताया। उन्होंने उसे एक यहूदी बस्ती में एक छोटे, चौकोर, सफ़ेद घर के गेट पर छोड़ दिया जहाँ इतनी कम जगह थी कि एक समय में सिर्फ़ एक कार ही उस सड़क पर जा सकती थी। एमा ने अपनी तरफ़ की खिड़की के शीशे ऊपर चढ़ा लिये ताकि अवांछित उपस्थिती का भेद ना खुल जाये।
सकीना और एमा ने फ़ातिमा को अलविदा कहा। वह जोश से भर गई और कुलांचे मारती हुई अंदर चली गई। उनकी कार अपने ठिकाने की ओर बढ़ चली।
एमा ने सकीना को एक नज़र देखा और विचार किया, कि क्या वह सोच रही है कि उसके मेहमानों को जल्द से जल्द घर से दूर किया जाए, क्योंकि इनके कारण उसकी और उसकी बेटी की जान को खतरा हो सकता था?
सकीना हमाद एक सादगी भरी महिला थी। उसके सामने उपस्थित मुसीबतों को लेकर भी परेशान नहीं थी। उसकी बहादुरी बेमिसाल थी, उसकी सोच जो सही है, उसे करने के लिए एकदम स्पष्ट थी। उसे इस खतरे का डर भी नहीं सताता था, कि हर पल एमा, डेविड और जॉर्ज उसके साथ थे। वह भूखी-प्यासी थी और बस वह, घर जाकर अपनी बेटी को देखने के बारे में सोच रही थी। एमा उसकी इस चुप्पी का ग़लत अर्थ निकालते हुए न केवल युद्ध के लिए बल्कि उसके सिर के ऊपर मंडराते खतरे के लिए भी, अपने आप को कसूरवार मान रही थी।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के जी-६ जेट को पेरिस के चार्ल्स डी गॉले हवाई अड्डे पर एक विशाल निजी हैंगर में कई अन्य विमानों के साथ पार्क किया गया था। हेनरी के ताबूत को फ्रांस के राष्ट्रीय ध्वज द्वारा कवर किया गया था, जो नीले, सफ़ेद और लाल रंग की ऊर्ध्वाधर पट्टियों वाला एक तिरंगा था, जिसे एक काले रंग की ताबूत ढोने वाली गाड़ी के अंदर रखा गया था। उसकी पत्नी और तीन बेटे, अपनी पत्नी और बच्चों के साथ, काले कपड़े पहने, मरहूम के ग़म में सिसकते हुए, उस गाड़ी के पास खड़े थे।
राजनयिकों, फ्रेंच नेशनल गार्ड्स, फ्रेंच पुलिस, और अन्य उच्च-श्रेणी के अधिकारियों के झुण्ड उनकी रैंकों के प्रोटोकॉल और गरिमा के हिसाब से वहाँ खड़े हुए थे। हेनरी को एक राष्ट्रीय सेवक के रूप में उस सम्मान के साथ दफ़नाया जा रहा था, जिसका वह हक़दार था।
डोलोरेस और हेदर ने पारंपरिक काली पौशाक पहनी हुई थी। वे गंभीर वातावरण का सम्मान करते हुए मौन खड़ी थीं लेकिन उनके मन की भावनायें अभेद्य थी।
डोलोरेस ने हेनरी के परिवार को एक तिरछी नज़र से देखा। उसने ऐसे बहुत सारे लोगों को जीवन भर देखा था, जिन्होंने अपने बच्चों, माता-पिता या जीवनसाथी को देश-सेवा में खो दिया था। कभी वे उसके नायक थे, कभी वे उसके साथी थे, तो कभी उसके तीमारदार। जासूसी और मौत, ऐसे ‘दोस्ताना-दुश्मन’ थे, जो काम के दौरान हमेशा साथ-साथ रहा करते थे।
डोलोरेस ने अपनी हथेली को खुजाते हुए घड़ी देखी और हेदर को बताये बिना आगे बढ़ गई। हेदर ने अपनी भोंहैं उठाते हुए आगे देखा, डोलोरेस ने हेनरी की विधवा को सांत्वना दी और फिर अधिकारियों की ओर बढ़ते हुए अपने हाथों को हिलाया, कुछ सहानुभूति भरे वाक्य गुनगुनाए, और अचानक, उसने अपना फोन निकाला… और कानों से लगा लिया। हेदर डोलोरेस का चेहरा देख कर डर गयी। डोलोरेस ने कुछ पलों के बाद कॉल काट दिया और तुरंत त्योंरियाँ चढ़ाती हुई वापस आ गई।
“कमीने, यहाँ पेरिस में सुनवाई कर रहे हैं,” एक शिकायत भरे लहजे में डोलोरेस ने कहा।
“क्या? यह तो सरासर नाइंसाफी है! हमें तैयारी करने का तो कोई समय ही नहीं दिया गया।” हेदर ने गुस्से से काँपते हुए कहा। इसके बाद वे हमेशा यात्रा में लगने वाला अपना सामान लेने के लिए वापस विमान में गईं।
“मैथ्यू को कॉल करो।” डोलोरेस ज़ोर से बोली,
“वह फोन नहीं उठा रहा है।” हेदर ने जवाब दिया।
हवाई जहाज की सीढ़ियां चढ़ते हुए डोलोरेस ने और ज़ोर से चिल्लाकर कहा।
“दोबारा लगाओ और मुझे अमेरिकी दूतावास के पास किसी होटल में कमरा दिलवाओ।”
फ़ातिमा ने अपनी माँ से झूठ बोला कि वह युद्ध विराम के दौरान अपने दोस्त के घर खेलने गई थी। वह अपने कमरे की ओर बढ़ी, एक कुर्सी पर अपना बैग खोलकर, साइड की जेब से स्मार्टफोन निकाला, और सीधे बाथरूम की ओर भागी।
हल्के पीले रंग की टाइल्स वाले छोटे से बाथरूम में, एक लाल बाल्टी को उलट कर, उस पर बैठ गई और अपने दाहिने कान के पास फोन लगाया फिर उसे हाथ में लेकर उसके साथ खेलना शुरू कर दिया।
“इस्मी फ़ातिमा,” उसने स्क्रीन में अपने चेहरे को देखते हुए, धीरे से मज़ाक में कहा, ताकि उसके परिवार वाले ना सुन ले।
“फ़ातिमा!” उसकी माँ ने पुकारा।
उसने डर के मारे तुरंत बाथरूम का दरवाज़ा खोला और अपने कमरे में भागकर, फोन अपने पलंग में छिपा दिया, और बाहर आकर ऐसे खड़ी हो गई जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।
0 Comments