थोड़ी देर बाद वह एक पब्लिक टेलीफ़ोन बूथ में सर तनवीर के फ़ोन नम्बर डायल कर रहा था।

‘‘हैलो....! कौन है....क्या लेडी साहिबा हैं? ओह.... अच्छा आप ज़रा उन्हें इत्तला दे दें....शुक्रिया....!’’

इमरान कुछ पल खामोश रहा फिर बोला। ‘‘हैलो....! लेडी तनवीर....देखिए, मैं रूशी ऐण्ड कम्पनी का एक नुमाइन्दा हूँ....जी हाँ ....बहुत ज़रूरी....आपको एक ज़रूरी बात बताना चाहता हूँ....जी हाँ....जी हाँ ....वही मामला है, मिलेंगी.... शुक्रिया।’’

इमरान रिसीवर हुक में लगा कर बूथ से निकल आया।

अब उसकी टू-सीटर टिपटॉप नाइट क्लब की तरफ़ जा रही थी। सूरज डूब चुका था और धीरे-धीरे अँधेरा फैलता जा रहा था।

नाइट क्लब में इमरान को ज़्यादा देर तक लेडी तनवीर का इन्तज़ार नहीं करना पड़ा....दोनों ऐसे कोने में जा बैठे जहाँ वे आसानी से हर तरह की बातचीत कर सकते थे।

‘‘क्या बात है?’’ लेडी तनवीर बोली। ‘‘मेरा ख़याल है कि मैं पहले भी कहीं आपको देख चुकी हूँ।’’

‘‘मेरे दफ़्तर में ही देखा होगा....मैं रूशी की फ़र्म का जूनियर पार्टनर हूँ।’’

‘‘ओ हो....अच्छा....हाँ, मैंने वहीं देखा था।’’ लेडी तनवीर ने सिर हिला कर कहा। ‘‘खास बात क्या है?’’

‘‘मिस्टर तनवीर भी उस आदमी में दिलचस्पी ले रहे हैं।’’ इमरान ने एकदम से कहा और लेडी तनवीर के चेहरे पर नज़र जमा दी।

‘‘नहीं!’’ लेडी बुरी तरह चौंक पड़ी।

‘‘जी हाँ....?’’

लेडी तनवीर का चेहरा अचानक पीला पड़ गया। वह बार-बार अपने होंटों पर ज़बान फेर रही थी।

‘‘तुम किस तरह कह सकते हो?’’

‘‘मैंने उन्हें अपनी आँखों से उस आदमी के दरवाज़े पर दस्तक देते हुए देखा है।’’

‘‘क्या वह सर तनवीर से मिला था?’’

‘‘नहीं! वह किसी से नहीं मिलता....उसका कमरा हर वक़्त बन्द रहता है। मेरा ख़याल है कि अभी तक उन दोनों की मुलाक़ात नहीं हुई। पड़ोसियों का कहना है कि उसके दरवाज़े पर कारें आती हैं। बड़े-बड़े आदमी उससे मिलना चाहते हैं, लेकिन वह किसी से भी नहीं मिलता।’’

लेडी तनवीर कुछ देर तक ख़ामोश रही फिर धीरे से बोली, ‘‘अगर सर तनवीर भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं तो उसे यहाँ से चला जाना चाहिए।’’

‘‘लेकिन आपने मेरे दफ़्तर में अपना नाम और पता गलत क्यों लिखवाया है?’’ इमरान ने पूछा।

‘‘ओह....मैंने गलती की थी....मेरी मदद करो। मेरी नीयत में कोई खोट नहीं था। सिर्फ़ राज़दारी के ख़याल से मैंने ऐसा किया था, वरना तुम्हारे फ़ोन पर यहाँ दौड़ी न आती। साफ़ कह देती कि तुम्हें गलत-फहमी हुई है। मैं किसी रूशी ऐण्ड कम्पनी को नहीं जानती।’’

‘‘लेकिन वह है कौन?’’

‘‘यह नहीं बता सकती....पहले मैं यह चाहती थी कि उसके यहाँ आने का मक़सद मालूम करूँ, मगर अब यह चाहती हूँ कि वह इस शहर ही से चला जाये....क्या तुम मेरी मदद कर सकोगे....बोलो....मुआवज़ा एक लाख....और तुम्हें यह भी मालूम करना होगा कि सर तनवीर की पहुँच उस तक कैसे हुई।’’

‘‘देखिए मैडम....मामला बड़ा टेढ़ा है....’’

‘‘क्यों, टेढ़ा क्यों है?’’ लेडी तनवीर उसे घूरने लगी। वह अपनी हालत पर क़ाबू पा चुकी थी।

‘‘आप उस आदमी में दिलचस्पी क्यों ले रही हैं जब कि वह आपकी बिरादरी का भी नहीं?’’

‘‘एक लाख की पेशकश तुम्हारी शक्ल देखने के लिए नहीं है!’’ लेडी तनवीर ने ऐंठते हुए कहा।

‘‘मैं कभी इस गलत-फहमी में नहीं पड़ा।’’ इमरान मुस्कुरा कर बोला।

‘‘एक लाख सिर्फ़ इसीलिए हैं कि तुम किसी बात की वजह पूछने की बजाय काम करोगे।’’

‘‘बहुत ख़ूब! अब मैं समझ गया। लेकिन लेडी तनवीर....अगर वह यहाँ से जाने पर तैयार न हुआ तो....उस सूरत में मुझे क्या करना होगा।’’

‘‘तो अब सूरत भी मैं ही बताऊँ....एक लाख....’’

‘‘ठहरिए....एक दूसरी बात भी समझ में आ रही है!’’ इमरान ने धीरे से कहा। कुछ पल ख़ामोश रहा फिर बोला। ‘‘अगर वह जाने पर तैयार न हो तो दूसरी सूरत भी हो सकती है।’’

‘‘क्या?’’ लेडी तनवीर आगे की तरफ़ झुक गयी।

‘‘उसे क़त्ल कर दिया जाये?’’

लेडी तनवीर घबरा कर पीछे हट गयी। उसकी आँखें हैरत और ख़ौफ़ से फैल गई थीं।

‘‘नन....नहीं....हरगिज़ नहीं।’’ वह हकलायी।

‘‘फिर सोच लीजिए! कभी-कभी राज़दारी के लिए सब कुछ करना पड़ता है।’’

‘‘क्या मतलब?’’ लेडी तनवीर अचानक चौंक पड़ी।

‘‘सर तनवीर उसमें दिलचस्पी ले रहे हैं।’’ इमरान धीरे से बड़बड़ाया।

‘‘साफ़-साफ़ कहो लड़के! मुझे परेशान न करो।’’

‘‘ख़ैर, हटाइए! यह ज़रूरी बात नहीं....मुझे तो सिर्फ़ इतना करना है कि उसे यहाँ से खिसका दूँ....अगर न जाये तो....बोलिए....ख़त्म कर दिया जाये न उसे।’’

‘‘नहीं....हरगिज़ नहीं।’’

‘‘किसी को कानों-कान ख़बर न होगी....और एक लाख में सिर्फ़ पचास का इज़ाफ़ा....डेढ़ लाख में मामला फ़िट।’’

‘‘क्या तुम लोग यह भी करते हो?’’

‘‘लोग नहीं, सिर्फ़ रूशी।’’

‘‘क्या वह ऐंग्लो इण्डियन लड़की?’’

‘‘जी हाँ! बस यह समझिए जिसे एक बार देख लिया वह हमेशा के लिए क़त्ल हो गया।’’

‘‘क्या बकवास है।’’

‘‘आ हाँ....यही तो आप नहीं समझीं! क़त्ल से मेरी मुराद यह थी कि रूशी उसे अपने इश्क़ के जाल में फँसा कर यहाँ से हटा ले जायेगी।’’

‘‘कच्चा ख़याल है। पहली बात तो वह बूढ़ा है। दूसरी, पक्का किरदार का मालिक....यह तरीक़ा बिलकुल बेकार साबित होगा।’’

‘‘शायद उसकी आप ही की-सी उम्र होगी।’’ इमरान ने पूछा और गौर से उसके चेहरे का जायज़ा लेने लगा। लेडी तनवीर ने फ़ौरन जवाब नहीं दिया। वह काफ़ी चालाक औरत थी। उसने लापरवाही से कहा। ‘‘यह बिलकुल बेकार सवाल है।’’

‘‘अच्छा, अब मैं कुछ नहीं पूछूँगा, सिर्फ़ इतना बता दीजिए कि आप उसे कब से जानती हैं।’’

‘‘यह भी ग़ैरज़रूरी है....’’

‘‘ख़ैर....मगर मुझे हैरत है कि सर तनवीर की पहुँच उस तक कैसे हुई....अगर वे....उसे जानते हैं तो फिर आपकी बातें मनगढ़न्त साबित होंगी।

‘‘तुम मुझसे क्या उगलवाना चाहते हो।’’ लेडी तनवीर यूँ ही मुस्कुरा पड़ी।

‘‘यही कि यहाँ आने पर उसने आपसे मिलने की कोशिश की थी या नहीं।’’

‘‘तुम ग़लत समझे हो....’’ लेडी तनवीर ने संजीदगी से कहा। ‘‘वह कोई ऐसा आदमी नहीं है जिससे मुझे ब्लैकमेलिंग का ख़तरा हो। उससे किसी तरह मिलो और इस बात पर तैयार करो कि वह यहाँ से चला जाये। तुम उसे बता सकते हो कि यह लेडी तनवीर की ख़्वाहिश है।’’

‘‘और अगर सर तनवीर ने यह ख़्वाहिश ज़ाहिर की कि वह यहीं रह जाये तो?’’ इमरान ने पूछा।

‘‘सर तनवीर!’’ लेडी तनवीर के चेहरे पर उलझन के आसार नज़र आने लगे। ‘‘मैं नहीं समझ सकती कि सर तनवीर उसे किस तरह जानते हैं और उसमें क्यों दिलचस्पी ले रहे हैं।’’

‘‘अच्छा, अगर सर तनवीर को मालूम हो जाये कि आप भी इसमें दिलचस्पी ले रही हैं तो उन पर इसका क्या असर होगा।’’

लेडी तनवीर कुछ मिनट इमरान को ग़ौर से देखती रही, फिर बोली। ‘‘लड़के, तुम बहुत चालाक हो। मगर इस चक्कर में न पड़ो। वैसे इतना ज़रूर कहूँगी कि सर तनवीर की मुलाक़ात उससे न होने पाये तो बेहतर है....बस, अब जाओ....इस दौरान अगर कोई ख़ास ज़रूरत पेश आये तो मुझे फ़ोन कर सकते हो....मुझे यक़ीन है कि तुम इस काम को बेहतर तौर पर कर सकोगे।’’

‘‘सिर्फ़ एक बात और!’’ इमरान जल्दी से बोला।

‘‘नहीं, अब कुछ नहीं।’’ लेडी तनवीर अपना पर्स उठाते हुए बड़बड़ायी।

‘‘पहले आप सिर्फ़ उस आदमी के बारे....!’’

‘‘शट अप!’’ लेडी तनवीर मुस्कुरा कर आगे बढ़ गयी! इमरान उसे जाते देखता रहा....