अगले दिन सुबह आठ बजे जगमोहन की आंख खुली। कुछ मिनट तो बेड पर ही बैठा सोचता रहा कि आज क्या-क्या काम करने है। उसके बाद उठा और किचन में जा पहुंचा कॉफी बनाने के लिए।
परंतु किचन में प्रवेश करने से पहले ही ठिठक गया । चेहरे पर अजीब-से भाव उभरे। किचन में मार्शल मौजूद था और कॉफी बनाकर प्यालो में डाल रहा था। वो तीन प्याले थे ।
"गुड मॉर्निंग ।" मार्शल ने मुस्कुराकर जगमोहन को देखा--- "मैं तुम लोगों को उठाने ही जा रहा था । सुबह कब की हो चुकी है।"
"तुम ?" जगमोहन अभी तक हैरान था--- "तुम भीतर कैसे आ गए ?"
"बेकार का सवाल है। मार्शल अपनी जरूरत के दरवाजे खोल लेता है ।" कहने के साथ ही मार्शल ने कॉफी का प्याला उठाकर जगमोहन को दिया ।
जगमोहन ने प्याला थामते हुए कहा ।
"सुबह-सुबह तुम्हारी शक्ल देख ली । आज का दिन बुरा निकलेगा ।"
"भगवान तुम्हारी इच्छा पूरी करें ।" मार्शल कॉफी के दोनों प्याले उठाता बोला--- "देवराज चौहान को ड्राइंग रूम से बुला लो । मैं वहीं बैठा हूं ।"
"तुम्हें बुलाया किसने है जो देवराज चौहान तुम्हारे पास पहुंचे ।"
"उसके बेडरूम में जाना ठीक नहीं होगा ।" मार्शल मुस्कुराया--- "वैसे तो मैं कल ही आ जाता, परंतु बहुत व्यस्त रहा कल ।"
"तुम्हें हमारे बंगले के बारे में कैसे पता चला ?" जगमोहन की आंखें सिकुड़ी हुई थी ।
"गलत सवाल । गलत बंदे से । तुम मेरे लिए काम कर चुके हो और तुम्हें पता है कि कुछ भी जानना मेरे लिए कठिन नहीं है। तुमने बहुत ही बचकाना हरकत की थी जो मुझे कार से उतारकर वहां से भाग निकले। इस तरह तुम मार्शल से पीछा नहीं छुड़ा सकते ।"
"हम तुम्हारा कोई भी काम करने को तैयार नहीं है ।"
"मैं तुम्हें और देवराज चौहान को तैयार कर लूंगा ।" मार्शल मुस्कुराया--- "अपना काम निकालना आता है मुझे ।" कहने के साथ ही मार्शल कॉफी के दो प्याले उठाए किचन से बाहर निकला और ड्राइंग रूम की तरफ बढ़ गया।
जगमोहन वहीं खड़ा उसे घूरता रहा फिर कॉफी का घूंट भरकर बड़बड़ाया।
"बहुत बे-स्वाद कॉफी बनाई कमीने ने ।"
मार्शल ने ड्राइंग हॉल में पहुंचकर कॉफी के प्याले टेबल पर रखे और सोफे पर बैठ गया ।
पांच मिनट बाद ही नाइट सूट पहने देवराज चौहान वहां पहुंचा। मुंह धो कर आया था । चेहरे पर मुस्कान थी ।
उसे देखकर ही मार्शल मुस्कुरा कर खड़ा हुआ । दोनों ने हाथ मिलाया ।
"कैसे हो देवराज चौहान ?"
"अच्छा हूं ।" देवराज चौहान बैठते हुए बोला--- "बैठो ।"
मार्शल भी बैठ गया ।
तभी जगमोहन भी कॉफी का प्याला थामें वहां आ बैठा ।
"मुझे तो कल ही तुम्हारे आने की आशा थी । जगमोहन ने बताया कि...।"
"कल मैं व्यस्त हो गया था ।" मार्शल ने जगमोहन पर निगाह मारी।
जगमोहन का मुंह फूला हुआ था ।
"मुझे तुम दोनों से बहुत जरूरी काम है । जगमोहन ने बताया होगा ।" मार्शल बोला ।
"जगमोहन को ऐतराज है तुम्हारा काम करने के लिए । ऐसे में मैं तुम्हारा काम नहीं कर सकूंगा ।"
मार्शल ने जगमोहन को देखा ।
जगमोहन ने दूसरी तरफ मुंह घुमा लिया ।
"जगमोहन से थोड़ी-बहुत मेरी बात हो चुकी है ।" मार्शल ने मुस्कुराकर देवराज चौहान से कहा--- "इसकी नाराजगी मुझे पता चल गई है । सबसे पहले तो मैं पिछले काम के लिए माफी चाहूंगा कि मैंने चालबाजी इस्तेमाल करके तुम दोनों को अपने काम के लिए तैयार किया । उस समय ऐसा करना मेरे लिए मजबूरी भी थी ।" ये सब विस्तार से जाने के लिए पढ़े अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'डैथ वारंट'।)
"तुम्हारी वजह से हम दोनों को काफी तकलीफ हुई और तुम ने हम दोनों से अलग-अलग काम लेते हुए हमें धोखे में रखा ।"
"वो मेरे काम के प्लान का हिस्सा था । फिर भी उसके लिए माफी चाहूंगा ।"
"अब तो फंसा पड़ा है ।" जगमोहन बोला--- "हर काम के लिए माफी मांग लेगा ।"
"मैं दोस्ताना माहौल में बातचीत करना चाहता हूं । मेरी माफी मांगने से तनाव कम होता है तो मैं जरूर माफी मांगूंगा ।" मार्शल में जगमोहन को देखा--- "और तुम्हें एतराज रहा कि पिछले काम की कीमत नहीं दी ।"
"नहीं दी ।" जगमोहन बोला--- "काम निकाल कर लात मार दी।"
"इस बार मेरी कोशिश होगी कि पिछले काम की कीमत की भी भरपाई थोड़ी-बहुत कर दूं ।"
"क्या दोगे ?" जगमोहन बोला ।
"काम के बारे में जान लो । फिर कीमत तय कर लेना ।"
"अगर काम पसंद नहीं आया या कीमत ठीक तय नहीं हुई तो काम नहीं करेंगे हम ।" जगमोहन ने कहा ।
"मंजूर है ।"
"और तुम हमारा पीछा छोड़ दोगे ।"
"जरूर छोड़ दूंगा । क्योंकि ये काम ही ऐसा है कि जबरदस्ती नहीं लिया जा सकता ।" मार्शल ने कहा ।
"काम के बारे में देवराज चौहान को बताओ ।"
देवराज चौहान ने कॉफी का प्याला उठाकर घूंट भरा ।
"तुम कॉफी अच्छी बना लेते हो मार्शल ।" देवराज चौहान बोला।
"मुझे तो स्वाद नहीं आया ।" जगमोहन ने मुंह बनाकर कहा ।
मार्शल ने गंभीर निगाहों से देवराज चौहान को देखा और कह उठा ।
"देवराज चौहान मुंबई एक बार फिर दहल सकती है ।"
"क्या ?" देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ी ।
"मुंबई पर पहले भी हमला हुआ था । समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आतंकवादी आए थे ।" मार्शल ने कहा--- "इस बार भी शायद उसी तरह की हमले की तैयारी हो रही है । अभी प्लान का पूरा पता नहीं, परंतु ऐसा संभव हो सकता है। इसके पीछे पाकिस्तान का हामिद अली है ।"
"हामिद अली ?" देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ी ।
अपने संगठन को हामिद अली ही संभाल...।"
"लेकिन अली को तो पिछली बार मैंने पाकिस्तान जाकर मार दिया था । तब मेरे साथ मोना चौधरी भी थी ।" ( ये सब विस्तार से जानने के लिए पढ़े राजा पॉकेट बुक्स से पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'Wanted अली'।)
"हां । मुझे पता है ये बात । मेरी नजर हर तरफ रहती है देवराज चौहान । कहां, क्या हो रहा है, खबरें मेरे पास आ जाती है। तुमने और मोना चौधरी ने मिलकर पाकिस्तान जाकर, अली को मारा था और हामिद अली, उसी अली का भाई है । अपने भाई के मरते ही संगठन की कमान उसने संभाल ली। वो ही काम हो रहे हैं, जो उसका भाई अली किया करता था ।" मार्शल ने गंभीर स्वर में कहा ।
देवराज चौहान के चेहरे पर गंभीरता दिखने लगी ।
"अब क्या मामला है ये बताओ ।"
"मुफ्ती इसरार नाम का एक मेरा पुराना एजेंट है। बहुत ही काबिल, बहुत ही खतरनाक है । उसे आज तक जो भी मिशन दिया है, वो उसने जान पर खेलकर भी सफलता से पूरा किया है । परंतु मुफ्ती इसरार के बारे में कोई नहीं जानता कि मार्शल के लिए काम करता है । उससे बेहद खास काम ही लिए जाते हैं । सालों साल उसका मुझसे मिलना नहीं होता । सिर्फ फोन पर बात होती है और तनख्वाह उसके बैंक खाते में पहुंच जाती है। उसके साथ मैंने शुरू से ही ये सिलसिला रखा है । दिखाने के लिए वो चिकन और कबाब का काम करता है ।" मार्शल गम्भीर स्वर में कह रहा था--- "चार साल पहले उसके पास हामिद अली का आदमी आया और उसे संगठन के लिए काम करने को कहा। हामिद अली ने ये बात मुझे बताई तो मैंने उससे कहा कि वो हामिद अली के लिए काम करने को हां कह दे। इसके पीछे मेरा इरादा था कि मुझे हामिद अली की हरकतों की खबरें मिलती रहेंगी कि वो हिन्दुस्तान में क्या कर रहा है। इस तरह मुफ्ती इसरार हामिद अली के संगठन के लिए काम करने लगा ।"
"ये चार साल पहले की बात है ।" देवराज चौहान बोला ।
"हां ।"
"फिर तो उसने तुम्हें काफी खबरें दी होंगी हामिद अली की ।"
"खास नहीं हमें। हामिद अली मुफ्ती इसरार से छोटे-छोटे काम लेता रहा। मुफ्ती इस तरह हामिद अली के सीधे संपर्क में नहीं था । हामिद अली के लोग ही इससे मिलते या फोन करते । काम बताते। परंतु इससे हमें हिन्दुस्तान में मौजूद हामिद अली के काफी लोगों का पता चल गया जो उसके लिए काम करते हैं। हमने उन्हें कभी छेड़ा नहीं । उन पर सिर्फ निगाह रखी हुई है । उन्हें छेड़कर मैं हामिद अली को सतर्क नहीं करना चाहता । मैं तो सिर्फ इस इंतजार में रहा कि वो कोई बड़ा काम करे और मुझे पता चल जाए ।"
"फिर ?"
"महीना-भर पहले मुफ्ती इसरार का फोन आया कि हामिद अली उसे पाकिस्तान बुला रहा है। मैंने तुरंत हां कह दी कि वो पाकिस्तान जाए । इस तरह पन्द्रह दिन पहले मुफ्ती इसरार पाकिस्तान पहुंचा और उसने वहां की खबरें फोन पर मुझे देनी शुरू कर दी ।"
देवराज चौहान और जगमोहन की निगाहें मार्शल पर थीं ।
मार्शल पुनः बोला।
"मुफ्ती इसरार ने बताया कि हामिद अली के लोगों ने पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों से सात लोगों को चुनकर, उन्हें डेढ़ साल की फौजी ट्रेनिंग दी और वापस भेज दिया कि काम तैयार होने पर उन्हें बुलाया जाएगा। उन्हें कहा गया कि काम सफलतापूर्वक करके जब वापस लौटेंगे तो उन्हें पचास-पचास लाख रुपया दिया जाएंगे। मुफ्ती इसरार के वहां पहुंचने के दो दिन बाद ही वो सातों लड़के उसके ठिकाने पर बुला लिए गए ।"
"कौन-से ठिकाने पर ?"
"दाऊद खेल नाम की जगह के ठिकाने पर ।"
"मैंने वो जगह देख रखी है ।" देवराज चौहान बोला ।
"दाऊद खेल हामिद अली का मुख्य ठिकाना है। उस जगह के खास कामों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है ।" मार्शल ने कहा ।
देवराज चौहान ने सिर हिलाया ।
जगमोहन के कान इन्हीं बातों पर थे ।
"मुफ्ती इसरार ने बताया कि उसे कहा गया है कि उन सातों लड़कों को हिन्दू रीति-रिवाज, बोल-चाल, रहन-सहन सिखाए। जो कि अब उन्हें सिखा रहा है। उसने बताया कि सब लड़कों को चीन के रास्ते नेपाल फिर नेपाल से हिन्दुस्तान में प्रवेश कराया जाएगा । इन सातों को एक-दूसरे से अंजान रखा हुआ है। ट्रेनिंग के दौरान सातों के चेहरों पर नकाब पड़े होते हैं "
"ऐसा क्यों ?"
"ताकि हिन्दुस्तान पहुंचते समय कोई एक पकड़ा जाए तो वो दूसरे के बारे में न बता सकें । उन सब की आमने-सामने मुलाकात तब होगी जब वे सुरक्षित रूप से हिन्दुस्तान पहुंच जाएंगे। हामिद अली ने अभी तक उन्हें मिशन के बारे में कुछ नहीं बताया है । उसने उससे कहा है कि पहले वे सुरक्षित ढंग से मुंबई पहुंच जाएं। उसके बाद ही उन्हें मिशन के बारे में बताया जाएगा।"
"बहुत सावधानी बरत रहा है हामिद अली " देवराज चौहान ने कहा ।
"हां। वो समझदारी से चल रहा है। अगर हिन्दुस्तान में कोई पकड़ा जाता है तो वो हमारी पुलिस को कुछ बता नहीं पाएगा । क्योंकि वो खुद ही कुछ नहीं जानता होगा। इस तरह हामिद अली का मिशन सुरक्षित रहेगा, बेशक उसके एक-दो लड़के पकड़े जाएं । मुफ्ती इसरार अभी तक ये नहीं बता सका कि मुंबई में उन्हें हामिद अली के कौन-से लोग रिसीव करेंगे । उन लड़कों से कहा गया है कि नेपाल तक उनके लोग उन्हें पहुंचा देंगे । नेपाल से मुंबई तक पहुंचना है उन्हें और किसी भी होटल में ठहर जाना है । शिनाख्त के लिए उनके पास मुंबई का ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड होगा ।
"ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड पाकिस्तान में ही बनाए गए "
"मुफ्ती इसरार ने ही सारा सामान तैयार करके दिया है ।"
"मुफ्ती इसरार काफी कुछ जानता है ।"
"वो काबिल और बेहतरीन एजेंट है। हर काम जानता है वो।" मार्शल बोला--- "उन सातों को कहा गया है कि होटल में ठहरने के दो दिन बाद उस मोबाइल नम्बर पर फोन करके अपने पहुंचने की खबर देनी है जो नम्बर उन्हें दिया गया है । सबको एक ही मोबाइल नम्बर बताया गया है जो कि उन्हें मुंहजुबानी याद करा दिया गया है । जब उस नंबर पर फोन करेंगे तो उन्हें आगे का प्रोग्राम बताया जाएगा ।"
"वो नम्बर किसका है उसका नाम ?" देवरा चौहान ने पूछा ।
"नहीं पता ।" मार्शल ने इंकार में सिर हिलाया--- "जो बात मुफ्ती को आसानी से पता चल जाती है, वो ही मुझे बता पाता है। परंतु उसने वो मोबाइल नम्बर मुझे बता दिया है ।"
"फिर तो तुम मोबाइल मालिक तक पहुंच सकते हो ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"उससे क्या फायदा होगा देवराज चौहान ।"
"ये तो तुम्हें पता होगा ।"
"कोई फायदा नहीं होगा। बल्कि मुफ्ती इसरार की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इन छोटे-छोटे लोगों को पकड़ने का कोई फायदा नहीं । हामिद अली के ऐसे कई लोग हैं जो पूरी तरह मेरी नजरों में है । मेरा काम, किसी बड़े आतंकवादी हमले को रोकना है ।" मार्शल ने एक-एक शब्द पर जोर देकर कहा--- "मेरा उसूल है कि जो भी काम करो, ठोस करो। महज कागजी कार्यवाई के लिए कुछ भी करना बेकार है । इन छोटे लोगों पर हाथ डालने से, बड़ी खबरों का पता नहीं चल पाता । मैंने अगर उस फोन के मालिक को पकड़ लिया तो हामिद अली सतर्क हो जाएगा और तब मुझ तक खबरें आनी रुक जाएंगी। उसके मुंबई भेजे लड़के कब यहां पहुंचे। मुझे नहीं पता चलेगा । वो क्या करने जा रहे हैं, मैं अंजान रहूंगा और वे काम कर देंगे। अब मुझे बेहतरीन मौका मिला है कि मुंबई पर होने वाले हमले को मैं पहले ही रोक सकूं । इस तरह पहले खबरें कभी-कभी ही मिल पाती हैं।"
"क्या पता वो हमला करें नहीं, किसी खास खास काम के लिए आ रहे हों ।"
"देवराज चौहान । उन सातों को डेढ़ साल की फौजी ट्रेनिंग दी गई है । डेढ़ साल की फौजी ट्रेनिंग का मतलब है, वो हर तरह से खतरनाक लड़ाके हो चुके हैं । उन्हें हर बात सिखाई गई होगी जो फौजी सिखाता है। कमांडो सीखता है । इस तरह साधारण- सा इंसान बहुत खतरनाक बन जाता है। बल्कि उन्हें तो यहां तक सिखाया गया होगा कि वक्त आने पर अपनी जान देकर भी दुश्मन को हराना पड़े तो पीछे नहीं हटना है। वो सातों मौत के पुतले बन चुके होंगे । वैसे भी वो लोग हर पाकिस्तानी के मन में हिन्दुस्तान के लिए नफरत भरते हैं । जो कि आग पर घी का काम करती है । मैं दावे के साथ कहता हूं कि वो सातों मुंबई में पहले की तरह मौत बरसाने आ रहे हैं। किसी छोटे-मोटे काम के लिए नहीं आ रहे ।"
"उन सातों के बारे में कोई जानकारी मिली कि वो...।"
"उनके नाम बताए हैं मुफ्ती इसरार ने गुलाम कादिर। मोहम्मद डार, अब्दुल रज्जाक, तारिक मोहम्मद, सरफराज हलीम, जलालुद्दीन, आमिर रजा खान । ये नाम है उन आतंकवादियों के जो हिन्दुस्तान पांच-छः दिन में पहुंच जाएंगे। ये पूरी तरह हिन्दू बने होंगे । मुफ्ती इसरार से इनकी तस्वीरें अपने कैमरे में ले रखी हैं और उचित मौका मिलने पर मेरी ई-मेल आई-डी. पर भेजेगा।" मार्शल ने गंभीर स्वर में कहा ।
"तुम्हें मुफ्ती इसरार पर काफी भरोसा है ।"
"वो मेरा ट्रेंड किया एजेंट है और पहले ही बताया है कि वो बेहद काबिल है ।" मार्शल बोला ।
"वो सातों चीन के रास्ते नेपाल पहुंचेंगे और नेपाल से हमारे देश में प्रवेश करेंगे ।"
"हां । मुफ्ती इसरार ने ऐसा बताया । परंतु उनका सफर एक साथ नहीं होगा। उन्हें पाकिस्तान से विमान में बैठाकर चीन रवाना कर दिया जाएगा । वहां के एयरपोर्ट पर हर एक को एक बंदा मिलेगा । उस बंदे की जिम्मेवारी उन्हें नेपाल में प्रवेश करा देने की होगी। वो सब अलग-अलग होंगे । कोई सुबह के प्लेन में चीन पहुंचेगा तो कोई शाम के। उन सातों को नहीं पता होगा कि दूसरा कहां है। अगर इत्तेफाक से सामने भी पड़ जाएं तो पहचान नहीं सकते । क्योंकि जब-जब भी वे आपस में मिले नकाब पहने हुए थे ।"
"नेपाल से मुंबई पहुंचने के लिए भी नेपाल में कोई तैनात होगा ?"
"नहीं । नेपाल से मुंबई उन्होंने खुद ही आना है। उनके पास इंडियन करेंसी होगी। बोलचाल, कपड़े, हर तरह से वो हम जैसे ही दिखेंगे । उन्हें देख कर कोई सोच भी नहीं सकेगा कि वो पाकिस्तानी है ।"
"उनकी तस्वीरें कब तक तुम्हारे पास आएंगी ?"
"कभी भी आ सकती हैं। मुफ्ती को मौका मिलने की देर है ।" मार्शल ने कहा ।
"वो पाकिस्तान से कब चीन के लिए चलेंगे ?"
"चार दिन लग सकते हैं।"
"ये तुम्हारा अपना अंदाजा है या मुफ्ती का कहना है ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"मुफ्ती ने ही बताया।
"ठीक है ।" देवराज चौहान में कॉफी का प्याला रखा सिगरेट सुलगाई--- "सारा मामला तुम्हारे सामने है। तुम्हें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। तुम आसानी से मामला संभाल सकते हो। इस काम में मेरी जरूरत कहीं भी नहीं है ।
मार्शल ने सिर हिलाकर पहलू बदला फिर कहा ।
"तुम्हारी जरूरत है, तभी तो मैं तुम तक पहुंचा...।"
"मार्शल मैं डकैती मास्टर के नाम से जाना चाहता हूं। पुलिस को हमेशा मेरी तलाश रहती है। तुम सरकारी मशीनरी से वास्ता रखते हो और तुम्हारे हाथ इतने लंबे हैं कि मुझे आसानी से कानून की गिरफ्त में पहुंचा सकते हो तो ऐसा करते क्यों नहीं ?"
"मुझे क्या मिलेगा ऐसा करके ?"
"तुम्हें क्या मिलना है । एक आजाद घूम रहा अपराधी जेल में पहुंच जाएगा और तुम्हें क्या चाहिए "?
"ये बेकार की बात है मेरे लिए । किसी डकैती करने वाले से मुझे कुछ लेना-देना नहीं ।" मार्शल ने शांत स्वर में कहा--- "तुम हिन्दुस्तानी हो और ऐसा तो कुछ नहीं कर रहे, जिससे कि देश को किसी प्रकार का खतरा आ जाए ।"
मैं डकैतियां तो...।"
"तुम्हारी वजह से हिन्दुस्तान का पैसा, हिन्दुस्तान में ही रहता है। जरा-सा इधर-उधर हो जाता है, बस तुम्हारे बारे में पूरी जानकारी है मुझे कि तुम पैसे का क्या करते हो। मैंने पहले के काम में तुम्हारे बारे में पूरा जान लिया था ।"
"क्या जाना तुमने ?" बोल पड़ा जगमोहन ।
"तुम लोगों ने अपना पैसा नकली नाम से बड़ी-बड़ी कम्पनियों में लगाया हुआ है। कई बड़े नाम तुम लोगों की बदौलत ही चल रहे हैं अगर वहां से तुम लोग अपना पैसा वापस निकाल लो तो वो कम्पनियां बैठ जाएं ।" मार्शल गंभीर था--- "यानी कि तुम लोगों के पास जो भी पैसा होता है उसे कॉरपोरेट बिजनेस में लगा देते हो । पास में भी रखा हो तो जुदा बात है वो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के एक मशहूर निर्माता-निर्देशक हो तुम लोग फिल्में बनाने के लिए पैसा देते हो । मेरी निगाहों में तुम लोग धन-कुबेर हो। परंतु बदनाम हो। रेस्टोरेन्ट की एक मशहूर चेन में तुम लोगों का आधा पैसा लगा हुआ है । कुल मिलाकर बैठे-बैठे हर साल तुम दोनों को करोड़ों की इनकम होती है। दूसरी तरफ बात करें तो चार अंधविद्यालय तुम लोगों के दम पर चलते हैं । कई सरकारी अस्पतालों से तुम लोगों ने बात कर रखी है कि वे गरीबों को दवाएं मुफ्त में दें। दवा कम्पनी उन अस्पतालों में दवाएं पहुंचाती है और पैसा तुम देते हो। कई अनाथालय तुम लोगों के भरोसे ही चल रहे, बल्कि जो बच्चा पढ़ना चाहता है, उसके पास के स्कूल में पढ़ने भेजा जाता है और खर्चा तुम्हारा। कई गरीबों की बस्तियों में रोज ही खाना पीना और कपड़े बांटे जाते हैं । ये काम तुम लोग खुद नहीं करते, बल्कि उसी बस्ती में से कुछ की जिम्मेवारी तुमने लगा रखी...।"
"बस करो ।" देवराज चौहान बोला--- "और कुछ मत कहो ।"
"ये काम तुम लोग मुंबई में ही नहीं मुंबई के बाहर गरीब लोगों में भी कर रहे हो । ऐसे डकैती मास्टर को मैं कानून के हाथों में पहुंचाकर, लोगों का बुरा नहीं करना चाहता। तुम जैसे दो चार और होते तो गरीब लोगों का बहुत भला होता ।" मार्शल ने गंभीर स्वर में कहा---"मार्शल को बहुत अच्छी तरह पता है कि क्या करने में भलाई है और क्या करने में नुकसान।"
"तुम अपने एजेंटों के बारे में कुछ बता रहे थे ?" देवराज चौहान ने कहा ।
"हां। मैं तुम्हें वो ही बता रहा था कि सब कुछ होते हुए भी मुझे तुम्हारी जरूरत क्यों पड़ गई। ऐसे मामले संभालना मेरे लिए मामूली बात है । मेरे पास ऐसे-ऐसे एजेंट हैं जो, जो कर दें, वो ही कम है । परंतु हामिद अली की एक हरकत की वजह से मेरे हाथ बंध गए ।"
"क्या ?"
"मेरे एजेंटों ने हामिद अली के कई लोगों को पकड़ा है जो कि अंजाने में ही हाथ लग गए । ऐसे में हामिद अली की निगाह मुझ पर टिक गई। जैसे भी हो उसने मेरे बारे में सब जान लिया। यहां तक कि एजेंटों की तस्वीर भी हासिल कर ली, करीब बीस-पच्चीस एजेंटों की। मुफ्ती ने मुझे बताया कि उन सातों को मेरे एजेंटों की तस्वीरें दिखाई गई है जो कि बीस से ज्यादा हैं और उन्हें सतर्क किया है कि इनमें से किसी को आस-पास देखें तो सतर्क हो जाएं। मेरे सौ से ज्यादा एजेंट है । परंतु मैं नहीं जानता कि उन्हें किन बीस एजेंटों की तस्वीरें दिखाई गई।"
"मुफ्ती इसरार बता सकता है ये बात ।"
"मुफ्ती एक-दो एजेंटों से ज्यादा किसी को नहीं जानता। मुफ्ती का कहना है कि जो तस्वीरें दिखाई गईं, उनमें से वो एक को भी नहीं जानता । ऐसी में मेरे सामने ये समस्या आ गई कि अपने किस-किस एजेंटों को इस काम पर लगाऊं। मैं इस बात का खतरा लेकर मामला खराब नहीं करना चाहता। मैं उन्हें सावधान होने का मौका नहीं देना चाहता। इसके लिए जरूरी है कि इस मामले में मैं अपने एजेंटो से काम न लूं ।"
देवराज चौहान ने सिर हिलाया ।
जगमोहन के चेहरे पर गंभीरता थी ।
"मुझे सबसे बेहतर ये ही लगा कि तुम्हें और जगमोहन को इस काम पर ले लूं।"
"हम अपने किसी काम पर मुम्बई से बाहर होते तो ?" जगमोहन ने कहा ।
"ऐसा नहीं हुआ । ये अच्छी बात रही ।" मार्शल बोला--- "बोलो, करोगे ये काम ?"
"हमें करना क्या होगा ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"नेपाल से लेकर मुम्बई तक नजर रखना। उनकी तस्वीरें तो मुफ्ती भेज ही देगा। ऐसे में उन्हें पहचानना आसान होगा । उन पर नजर रखते हुए जानना कि वो क्या मिशन लेकर आए हैं । कौन-कौन यहां के लोग उनका साथ दे रहे हैं । उन सब की पहचान करना और इससे पहले कि वो अपने मिशन को अंजाम दें, उन्हें पकड़ लेना ।"
"मुफ्ती इसरार ये क्यों नहीं बता पा रहा कि उनका मिशन क्या है ?" देवराज चौहान बोला ।
"मुफ्ती के सामने मुनीम खान और हामिद अली ने मिशन का जिक्र नहीं किया । अभी तक मिशन उन सातों लड़कों को भी नहीं बताया गया है । जैसा कि मैंने पहले कहा है कि जब वे सातों ठीक-ठाक मुम्बई में पहुंचकर टिक जाएंगे तो तब हामिद अली का मुम्बई स्थित आदमी उन्हें मिशन के बारे में बताएगा। अगर वहां मिशन का जिक्र हुआ होता तो मुफ्ती जान चुका होता। मुझे बता चुका होता। परंतु मिशन का जिक्र तो मुम्बई में ही होगा ।"
देवराज चौहान ने फौरन कुछ नहीं कहा ।
जगमोहन का पूरा ध्यान इनकी बातों पर था ।
"कोई समस्या है ?" मार्शल ने पूछा ।
"हां । थोड़ी-सी है ।" देवराज चौहान ने सिर उठाकर मार्शल को देखा--- "ये काम सिर्फ दो लोगों का नहीं है कि मैं और जगमोहन कर लेंगे। दो आदमी नाकाफी हैं उन लड़कों को नेपाल की सरहद से मुम्बई में प्रवेश करते, देख लेने के लिए, जबकि प्रवेश करने के रास्ते कई हैं और सब जगह पर दो आदमी नजर नहीं रख सकते ।"
"तुम अपनी पहचान के लोगों को क्यों नहीं अपने साथ मिला लेते ?" मार्शल बोला ।
"ये गलत होगा, क्योंकि मामला बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है । ज्यादा-से-ज्यादा मैं एक को, सोहनलाल को इस काम में अपने साथ ले सकता हूं, क्योंकि उस पर मुझे पूरा भरोसा है। अगर इधर-उधर से पहचान के अन्य लोगों को इकट्ठा करता हूं तो इसमें सबसे बड़ा खतरा है कि उनमें से किसी का संबंध हामिद अली से न हो। बात बाहर चली गई तो हमारे हाथ कुछ नहीं आएगा। वे मुम्बई पहुंचने का अपना प्लान बदल देंगे यहां अपने मिशन को भी अंजाम दे देंगे ।"
"इस बात की संभावना उठ सकती है ।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा ।
"मुझे और आदमी की जरूरत पड़ेगी । खासतौर से तब तक, जब तक वो नजर नहीं आ जाते ।"
"मेरे एजेंट मेकअप करके कुछ देर के लिए तुम्हारे काम आ सकते हैं। परंतु काम तो तुमने ही पूरा करना होगा ।"
"ये ठीक रहेगा ।" देवराज चौहान बोला--- "मेरी सहायता के लिए तुम्हारे कुछ एर्जेंट मेकअप कर के मैदान में आएंगे। तब हमारा मकसद उन्हें पहचानना होगा। इस काम के लिए तुम आठ-दस एजेंटों का चुनाव कर लो ।"
मार्शल ने सिर हिलाया ।
"तुम्हारे एजेंट मेरे कहने पर चलेंगे। कहां पर कैसे काम करना है, ये मैं देखूंगा ।"
"मुझे तुम पर पूरा भरोसा है देवराज चौहान ।"
"अगर हमें उनके मिशन के बारे में पहले से ही पता चल जाए तो हमारी आधी से ज्यादा समस्या हल हो सकती है ।"
"मैं जानता हूं। परंतु सब कुछ मुफ्ती पर निर्भर है कि वो वहां से क्या जानकारी निकाल पाता है ।"
तभी जगमोहन कह उठा ।
"इस मामले पर काम हम तभी शुरू करेंगे जब हममें कोई ढंग की रकम तय हो जाएगी ।"
"क्यों नहीं ।" मार्शल मुस्कुराया--- "मैं...।"
"क्या तुम्हें लगता है कि इस काम के पैसे लेने चाहिए ?" देवराज चौहान ने जगमोहन को देखकर कहा--- "हम अच्छा काम करने जा रहे...।"
"इस काम के न सही, पिछले काम के तो ले सकता हूं ।" जगमोहन उठा और मार्शल के बोला--- "जरा इधर आओ ।"
"कहां ?"
"हम अकेले में बात करते हैं । अब बात तुम्हारी और मेरी है मार्शल ।"
मार्शल मुस्कुराते हुए उठा जगमोहन के साथ, हॉल के कोने में जा पहुंचा ।
वे दोनों धीमे स्वर में बात करने लगे ।
देवराज चौहान के चेहरे पर सोच-भरी गम्भीरता के भाव ठहरे हुए थे ।
पांच मिनट बाद जगमोहन और मार्शल वहां पहुंचे । जगमोहन खुश नजर आ रहा था और आंखों में चमक भरी हुई थी । देवराज चौहान ने मुस्कुराकर दोनों को देखा ।
"आज शाम तक सारी रकम भिजवा दोगे ?" जगमोहन ने जैसे उसे याद दिलाया ।
"दोपहर तक ही पैसा यहां पहुंच जाएगा ।"
"बढ़िया । बैठो मैं तुम्हें अपने हाथ की बनी कॉफी पिलाता हूं । नाश्ता तो नहीं किया होगा, वो भी...।"
"मैं चलूंगा बहुत काम है मुझे ।" मार्शल नहीं कहा फिर देवराज चौहान से बोला--- "मुफ्ती जब तस्वीरें भेज देगा तो तब तुम्हें फोन करूंगा कि तुम आकर उनके चेहरे देख लो और आगे के लिए भी बातचीत कर लेंगे।"
"तुम कहां पर मिलते हो, तुम्हारी जगह मैं नहीं जानता । पिछली बार...।" देवराज चौहान ने कहना चाहा ।
"मेरा आदमी आएगा । वो तुम दोनों को आंखों पर पट्टी बांधकर मेरे पास ले आएगा।
"आंखों पर पट्टी बांधनी जरूरी है ?" जगमोहन बोला ।
"जरूरी है । मेरे पास दोस्त भी आते हैं तो इसी तरह आते हैं । ये सतर्कता ही अभी तक एजेंसी को बचाए हुए है ।"
मार्शल मुस्कुराया ।
"प्रभाकर कहां है ?" जगमोहन ने पूछा ।
"क्यों ?"
"पिछली बार मैंने उसके साथ काम किया था । वो बढ़िया एजेंट है । अच्छा काम करता है ।"
"मैं उसे ही यहां भेजूंगा ।"
"मेकअप में भेजना कि वो पहचाना न जाए ।" बोला देवराज चौहान--- "हमें ऐसी कोई गलती नहीं करनी है कि खेल शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाए। तुम्हारा जो भी एजेंट मेरे पास आएगा, हुलिया बदलकर आएगा ।"
"ऐसा ही होगा देवराज चौहान ।" मार्शल ने कहा और बाहर की तरफ बढ़ता चला गया ।
जगमोहन ने मुस्कुराकर देवराज चौहान को देखा ।
परंतु देवराज चौहान गम्भीर दिखा ।
"किन सोचों में हो ?" जगमोहन बैठते हुए बोला ।
"ये एक गंभीर मामला है। पाकिस्तान से आने वाले वो सातों डेढ़ साल की फौजी ट्रेनिंग लिए हुए हैं इस मामले के पीछे उसी अली के भाई हामिद अली का हाथ है, जिसने दिल्ली पर भी हमला कराया था ।"
"हां ।" जगमोहन गंभीर दिखने लगा--- "वो सच में खतरनाक नजारा था । तब बंधकों में मैं और सोहनलाल भी थे ।" ( ये जानने के लिए पढ़ें राजा पॉकेट बुक्स में प्रकाशित अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'बंधक'।)
"तब सब कुछ संभालने में बहुत वक्त और मेहनत लगी थी, परंतु मरने वालों को हम नहीं बचा सके। पाकिस्तान से आए वो सारे आतंकवादी दरिंदों से कम नहीं थे। यहां पर उनकी घेराबंदी ऐसी थी कि उसे तोड़ा नहीं जा सकता था। और मजबूरी में मुझे पाकिस्तान जाकर, उनकी कमजोर नब्ज पर हाथ रखना पड़ा था। वो कठिन वक्त था ।"
"क्या ख्याल है कि इस बार भी ऐसा हो सकता है ?"
"आने वाले लड़कों को अली ने पहले की तरह ट्रेंड कर रखा है । पंद्रह दिन किसी को हथियार चलाना सिखाओ तो वो कितना ट्रेंड हो जाता है। उन्हें तो डेढ़ साल की ट्रेनिंग मिली है ।" देवराज चौहान बोला--- "मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें किसी बड़े काम के लिए ही भेजा जा रहा है। तभी तो उन्हें हम हिन्दुओं जैसा बनाया जा रहा है । हमारी भाषा को सिखाया जा रहा है । यहां के बारे में हर तरह की जानकारी उन्हें दी गई होगी। ये बातें किसी बड़े काम की तरफ इशारा करती है। हामिद अली किसी बड़े फेर में है। छोटा काम वो नहीं करेगा ।"
"वो जरूरत से ज्यादा सावधानी बरत रहा है । यहां तक कि योजना उसने उन लड़कों को भी नहीं बताई ।"
"हमारे पास अगर उनकी तस्वीरें हुई तो हम उन्हें तलाश करके पकड़ सकते हैं। परंतु मार्शल ये भी जानना चाहता है कि उनकी क्या योजना है । हामिद अली उनके द्वारा क्या करवाना चाहता है । दुश्मन की योजना जानने से, उसके दिमाग की सोच का पता चलता है । इस बात का भी एहसास हो जाता है कि भविष्य में क्या कर सकता है ।"
"हो सकता है मुफ्ती इसरार को योजना का पता चल जाए और वो मार्शल को बता दे ।"
"ऐसा हो गया तो हमारा काम आसान हो जाएगा ।" देवराज चौहान सोचों में डूबा था--- "तब तो हम उन्हें कहीं भी पकड़ सकते हैं । जब नेपाल के रास्ते हिन्दुस्तान में प्रवेश करेंगे, तभी उन्हें पहचान कर उन पर हाथ डाला जा सकता है।"
जगमोहन सोच-भरे स्वर में कह उठा।
"जिस तरह मार्शल का एजेंट मुफ्ती इसरार हमें खबर दे रहा है उसी तरह हामिद अली का कोई आदमी मार्शल के लोगों में हुआ तो इस मामले का अंजाम बुरा हो सकता है । तब तो हामिद अली हमें उलट के रख देगा ।"
"ऐसा होना सम्भव नहीं। मार्शल के लोगों में, हामिद अली का आदमी होना लगभग असम्भव-सी बात है। मार्शल सतर्क रहने वाला इंसान है। वो इतना लापरवाह नहीं हो सकता कि उसके एजेंसी में हामिद अली के आदमी घुस जाएं ।"
"चोरी तो कहीं भी हो सकती है ।" जगमोहन बोला ।
देवराज चौहान ने जगमोहन को देखा, कहा कुछ नहीं ।
"हमें काम शुरू करने में वक्त है ।" जगमोहन ने कहा ।
"मार्शल के पास खबर है कि चार दिन तक हामिद अली उन सातों को पाकिस्तान से चीन रवाना करेगा । जब हमें इस बात की खबर मिलेगी तो हम नेपाल की तरफ अपनी घेराबंदी शुरू कर देंगे ।" देवराज चौहान ने उसे देखा ।
"लेकिन उससे पहले हमें उनकी तस्वीरें मिल जानी चाहिए । तभी तो हम उन्हें पहचान पाएंगे ।"
■■■
दो दिन बाद प्रभाकर का फोन जगमोहन को आया ।
"उन सातों की तस्वीरें आ गई है। मैं तुम लोगों को लेने आ रहा हूं ।" उधर से प्रभाकर ने कहा ।
"तुम कहां मिलोगे, ये बता दो ।" जगमोहन बोला--- "हम वहीं आ जाते हैं ।"
"मिलने की जगह तय हो गई ।" जगमोहन फोन बंद करके देवराज चौहान से बोला ।
"प्रभाकर का फोन था । वो कहता है, उन सातों की तस्वीरें आ गई हैं ।"
"वो हमें लेने आ रहा है ?"
"बाहर ही जगह तय कर ली है । डेढ़ घंटे बाद प्रभाकर, हमें वहीं मिलेगा ।" जगमोहन ने कहा ।
■■■
देवराज चौहान और जगमोहन तयशुदा जगह पर, दो घंटे बाद प्रभाकर से मिले ।
प्रभाकर ऐसी कार में आया था, जिसके शीशे पूरी तरह काले थे। प्रभाकर ने दोनों से हाथ मिलाया। वे कार में बैठे। प्रभाकर ने काले रंग की दो पट्टियां उन्हें देते हुए कहा ।
"जब मैं कहूं इन्हें आंखों पर चढ़ा लेना और बाहर देखने की बे-ईमानी मत करना ।"
"हम तुम्हें बे-ईमान लगते हैं।" जगमोहन बोला ।
"मैंने ऐसा तो नहीं कहा ।"
"मतलब तो कुछ ऐसा ही लगा मुझे ।"
प्रभाकर ने मुस्कुराकर कर कार आगे बढ़ा दी ।
"पिछली बार मैंने तुम्हारी जान बचाई थी ।" जगमोहन बोला--- "याद है या एहसान-फरामोशों की तरह भूल गए ।"
"याद है, परंतु तुम भूल गए लगता लगते हो कि मैंने भी तुम्हारी जान बचाई थी अमेरिकन एजेंट से ।"
"पहले मैंने तुम्हें बचाया था ।" जगमोहन बोला--- "मैं तुम्हें न बचाता तो तब तुम जिंदा ही कहां होते ।"
"ये तो मैंने सोचा ही नहीं था ।" प्रभाकर हौले-से हंसा।
"वो काफी खतरनाक खेल था, जो हम दोनों ने मिलकर खेला था । लगता नहीं था कि हम कामयाब हो जाएंगे ।"
"वो पुरानी बात हो गई ।"
"इतनी भी पुरानी नहीं हुई । शायद चार महीने पहले की बात है।" जगमोहन ने कहा ।
"तुम्हारी सहेली खामखाह ही जान गंवा बैठी ।"
जगमोहन को फ्रोजा याद आ गई । उसका चेहरा आंखों के सामने नाचा ।"
"फ्रोजा को अकेले ही उस अमेरिकन एजेंट के पीछे नहीं जाना चाहिए था । वो खतरनाक था । गलती की फ्रोजा ने ।"
"वो बातें मत करो ।"
"उस मामले के बारे में जब भी सोचता है तो फ्रोजा की मौत पर आकर सोचें रुक जाती हैं।" कार चलाकर प्राभकर ने कहा ।
"कोई और बात करो । फ्रोजा की बात करके मुझे क्यों परेशानी दे रहे हो ।" जगमोहन ने उखड़े स्वर ने कहा ।
"तुम दोनों शादी करने वाले थे।
"हां। वो शादी के लिए ही मेनचेस्टर से इंडिया आई थी । परंतु मेरा साथ देने के लिए इस मामले में आ फंसी ।"
"वो ब्रिटिश जासूस थी। ये बात तब तुमने मुझे नहीं बताई थी।"
"जरूरत नहीं थी बताने की । वो हमारे साथ काम नहीं कर रही थी ।"
प्रभाकर खामोश रहा।
तभी देवराज चौहान बोला ।
"उन सातों की तस्वीरें कब आई ?"
"आज ही। पता चलते ही मार्शल ने तुम दोनों को लाने को मुझे कह दिया। आंखों पर काली पट्टियां चढ़ा लो । बीस मिनट में तुम लोग मार्शल से मिलोगे। पट्टियां इस तरह चढ़ाना कि बाहर न देख सको। इस बारे में मैं तुम दोनों पर पूरा भरोसा कर रहा हूं । धोखा मत देना ।"
■■■
प्रभाकर उन्हें मार्शल के ऑफिसनुमा कमरे में छोड़ गया । अब आंखों पर पट्टियां नहीं थी। वो तो इस इमारत में पहुंचते ही उतार दी गई थी । देवराज चौहान और जगमोहन इस जगह पर पहले भी आ चुके थे । रास्तों को वे पहचान रहे थे । मार्शल कमरे में ही मौजूद था । उन दोनों का स्वागत किया । हाथ मिलाया उसने ।
"मैं बेसब्री से तुम लोगों का इंतजार कर रहा था। आज ही मुफ्ती ने उन सातों की तस्वीर मेरी ई-मेल आई-डी पर भेजी है । मैं चाहता हूं कि तुम दोनों उन लोगों की तस्वीर को देख लो ।" मार्शल ने कंप्यूटर की तरफ बढ़ते हुए कहा ।
"चाय-पानी के बिना ही तुम तो शुरू हो गए ।" जगमोहन बोला।
"सब कुछ मिलेगा ।" मार्शल मुस्कुराया--- "कॉफी आने तक क्यों न ये काम कर लिया जाए ।" मार्शल कंप्यूटर के सामने कुर्सी पर बैठा ।
देवराज चौहान और जगमोहन उसके पास आ गए ।
कम्प्यूटर पर मार्शल की उंगलियां चल रही थीं। वो बोला ।
कुर्सियां खींच लो पास में ।"
"ऐसे ही ठीक है ।" देवराज चौहान की निगाह स्क्रीन पर थी।
चंद पल बीते कि स्क्रीन पर एक की तस्वीर दिखी।
"ये पहला है । ध्यान से देखो, बिल्कुल हम जैसा लग रहा है। माथे पर टीका लगा रखा है । उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि ये मुसलमान है, पाकिस्तान का है । इसका नाम तारिक मोहम्मद है, उम्र पैंतालीस साल है । ये पाकिस्तान के बन्नू शहर का है ।
"पैंतालीस साल ?" देवराज चौहान बोला--- "मैंने तो सोचा था कि कम उम्र के लड़के होंगे आने वाले ।"
"मिक्सर हैं । कम उम्र के भी हैं और ज्यादा के भी । हामिद अली ने बहुत सोच-समझकर इन लोगों का चुनाव किया है। हर जगह कम उम्र के लड़के काम नहीं आते। जहां बड़ों की जरूरत हो, वहां बड़े काम करेंगे । मेरे ख्याल में हामिद अली की योजना ही कुछ ऐसी होगी कि उसमें हर उम्र के लोगों की जरूरत रही होगी ।" मार्शल ने कहा ।
"इसकी तस्वीर देखकर कोई नहीं कह सकता कि ये पाकिस्तान का है ।"
"इन लोगों को हिन्दुओं जैसा वेश बदलने में मुफ्ती ने ही मेहनत की है । उसी ने हम लोगों की बोलचाल का लहजा सिखाया । उसी ने मुंबई के बारे में पढ़ाया । मुफ्ती हर काम को बढ़िया ढंग से करता है।"
"मुफ्ती इसरार को काम बढ़िया ढंग से नहीं करना चाहिए था।" जगमोहन कह उठा ।
"क्यों ?"
"क्योंकि वो तुम्हारा एजेंट है और...।"
"जगमोहन ।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा--- "हामिद अली और मुनीम खान बेवकूफ नहीं हैं जो...।"
"मुनीम खान कौन है। तुमने पहले भी इसका जिक्र किया था ।" देवराज चौहान बोला ।
"हामिद अली का बहुत खास आदमी हैं । हामिद अली की गैर-मौजूदगी में इसका हुकुम पूरी तरह माना जाता है। मुनीम खान संगठन का पॉवरफुल व्यक्ति है और हामिद अली को इस पर पूरा भरोसा है ।" मार्शल बोला ।
देवराज चौहान की निगाह स्क्रीन पर नजर आ रही तारिक मोहम्मद की तस्वीर की तरफ थी।
मार्शल ने जगमोहन को देखकर कहा ।
"तो मैं बता रहा था कि हामिद अली के यहां मुफ्ती को बढ़िया-से-बढ़िया काम करने की जरूरत है ताकि उन पर उसका भरोसा पूरी तरह कायम रहे। मुफ्ती बहुत ईमानदार है और वो वहां काम कर रहा है। अगर वो ढीला काम करता तो मुनीम खान फौरन उसे हटाकर दूसरा आदमी काम पर लगा देता । ऐसा होते ही मुफ्ती के द्वारा हमें जो खबरें मिल रही है वो मिलना बंद हो जाती ।"
"ये तुमने ठीक कहा ।"
"मुफ्ती हमसे बेहतर जानता है कि उसे कब, कहां क्या काम करना है। मुफ्ती को अपने काम में फेल होने की आदत नहीं है। ये बहुत अच्छी तरह जानता है की मार्शल उसी की खबरों के भरोसे पर है। इसलिए उसे अपनी जगह पर टिका रहना है ।"
"दूसरी तस्वीर दिखाओ ।" देवराज चौहान बोला ।
मार्शल की उंगलियां कंप्यूटर पर खेलीं और अगले पल जलालुद्दीन की तस्वीर स्क्रीन पर देखने लगी ।
"ये दूसरा है । इसका नाम जलालुद्दीन है। 21 वर्ष का है ये और पाकिस्तान के सरगोधा शहर का है ।"
देवराज चौहान और जगमोहन ने जलालुद्दीन के चेहरे की पहचान अपने दिमाग में सुरक्षित की ।
फिर मार्शल ने तीसरे की तस्वीर दिखाई ।
स्क्रीन पर आमिर रजा खान की तस्वीर दिखी।
"इसका नाम आमिर रजा खान है । ये पैंतीस वर्ष का है और पाकिस्तान के मुल्तान का है ।"
"आगे ।"
फिर मोहम्मद डार की तस्वीर स्क्रीन पर दिखी ।
"इसका नाम मोहम्मद डार है उम्र चालीस साल । ये पाकिस्तान के बहावलनगर का रहने वाला है ।" मार्शल ने बताया ।
"दो पैंतीस वर्ष के, एक चालीस का ।" देवराज चौहान बड़बड़ाया।
"तुम क्या सोच रहे हो देवराज चौहान ?" मार्शल ने पूछा ।
"कुछ नहीं। आगे बढ़ो ।"
अगली तस्वीर गुलाम कादिर भट्ट की थी ।
"ये गुलाम कादिर भट्ट है डेरा इस्माइल खान का रहने वाला है। उम्र बीस साल ।"
उसके बाद स्क्रीन पर अब्दुल रज्जाक दिखा ।
"ये अब्दुल रज्जाक है । उम्र तेईस साल, लाहौर शहर का रहने वाला है ।" मार्शल ने कहा ।
अगला सरफराज हलीम था।
"सरफराज हलीम। पाकिस्तान के कोहाट शहर का रहने वाला और उम्र बीस साल ।" मार्शल बोला--- "ये हैं वो सात लोग जिन्हें हामिद अली मुम्बई में किसी हमले के लिए भेज रहा है। जबरदस्त डेढ़ साल की फौजी ट्रेनिंग इन्हें हासिल है। डेढ़ साल की ट्रेनिंग में इन्हें हर वो बात भी सिखाई गई होगी, जिनकी इन्हें जरूरत पड़ने वाली है। हामिद अली हिन्दुस्तान में ऐसे आदमी भेजेगा, जो जान देने में भी परहेज ना करें।" कहने के साथ ही मार्शल कुर्सी से उठा और सामने रखी कुर्सियों की तरफ बढ़ गया ।
तीनों उन कुर्सियों पर जा बैठे ।
"इनके मिशन के बारे में कुछ पता चला ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"अभी तक तो नहीं पता चला ।" मार्शल ने इंकार में सिर हिलाया ।
"मुफ्ती इस बारे में क्या कहता है कि कुछ पता चल पाएगा या नहीं ?"
जो बात उसके सामने आ जाती है, उसे पता चल जाती है और वो मुझे बता देता है। मुफ्ती इस बारे में कहता है कि उन सातों को मिशन के बारे में नहीं बताया गया। उन्हें ये ही कहा है कि हिन्दुस्तान के मुम्बई शहर पहुंचो, मिशन वहां बताया जाएगा ।"
"इस हिसाब से तो मुफ्ती को मिशन के बारे में पता लगना कठिन लगता है ।"
"कुछ भी हो सकता है देवराज चौहान ।"
"वे लोग कब चल रहे हैं वहां से ?"
"मुफ्ती ने बताया, दो दिन का काम हो सकता है ।"
"बाकी सब कुछ वैसा ही है, जैसा कि तुमने पहले बताया था।"
"हां ।"
"बाहर से आने वाले लोग तब तक यहां कुछ नहीं कर सकते, जब तक कि यहां का उन्हें रास्ता दिखाने वाला न हो ।" देवराज चौहान ने कहा--- "जब तक घर में गद्दार रहेंगे, बाहर वाले फायदा उठाते रहेंगे ।"
हामिद अली के बहुत लोग हिन्दुस्तान में मौजूद हैं ।"
"उन लोगों को भी ढूंढना होगा, जिनके भरोसे ये लोग मुम्बई पहुंच रहे हैं । मुम्बई का जो मोबाइल नम्बर मुफ्ती ने तुम्हें दिया क्या उस पर फोन करके तुमने देखा है ।" देवराज चौहान ने पूछा ।
"ऐसा करके मैं उसे सावधान नहीं करना चाहता। आने वाले वक्त में देखा जाएगा कि क्या करना है। ये मामला तुमने ही संभालना है देवराज चौहान। मेरे एजेंट पहचाने जाने के डर से पीछे ही रहेंगे। जरूरत समझो तो बेशक मुझसे सलाह ले लेना। नहीं तो जो ठीक समझो वो करो। तुम पर मुझे पूरा भरोसा है ।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा ।
"हवा दे रहे हो ।" जगमोहन बोला ।
"ऐसे गम्भीर मामले में हवा नहीं दी जाती । तुम दोनों पहले भी काम कर चुके हो और पूरी तरह काबिल हो ।"
"इन सातों की तस्वीरों के एक-एक प्रिंट निकाल कर हमें दो ।" जगमोहन ने कहा ।
"अब तक प्रिंट निकल गए होंगे । तस्वीरों के बीस सेट तैयार किए जा रहे हैं । इस तरह के काम के लिए मैंने अपने बारह एजेंट चुने हैं । तुम लोगों को जितने चाहिए बता दो। वो बारह के बारह अपना मेकअप करने में एक्सपर्ट हैं।"
"अभी मैं नहीं बता सकता कि मुझे कितने लोग चाहिए। मुझे उन सातों का मिशन जानने की जरूरत है। अगर मिशन पता चल जाता है तो हम सीधे-सीधे उन पर हाथ डाल सकते हैं । अगर मिशन पता नहीं चलता तो हम दूसरी तरह से काम करेंगे। मतलब कि अभी काम के लिए योजना नहीं बनाई जा सकती है। शायद अगले दो दिनों में उनके मिशन के बारे में पता चल सके ।"
मार्शल ने सिर हिलाया ।
तभी दरवाजा खुला और प्रभाकर ने ट्रे थामे भीतर प्रवेश किया जिसमें कॉफी के प्याले और खाने का समान मौजूद था। उसने सारा सामान टेबल पर रख कर ट्रे खाली की। जाने लगा तो जगमोहन ने टोका ।
"इस बार भी हम दोनों इकट्ठे ही काम करेंगे प्राभकर ।"
"मुझे खुशी होगी। हम एक बार फिर बढ़िया काम करेंगे ।" प्रभाकर ने कहा और बाहर निकल गया। ।
मार्शल उठा और इंटरकॉम के पास पहुंचकर रिसीवर उठाया । बटन दबाया। रिसीवर कान से लगाया ।
"हैलो ।" तभी उधर से सतनाम की आवाज आई ।
"तस्वीरों के प्रिंट निकले ?"
"यस मार्शल ।"
"एक सैट मेरे पास भिजवा दो ।" कहकर मार्शल ने रिसीवर रखा और वापस कुर्सी पर आ बैठा।
■■■
इसके अगले दिन दोपहर को मार्शल का फोन आ गया ।
"मुफ्ती का फोन आया है। वो आज सुबह से ही एक-एक करके वहां से निकल रहे हैं। वो सातों अलग-अलग हैं और एक एक आदमी उनके साथ है, जो कि उन्हें चीन तक पहुंचाएगा। अभी तक तीन लोग वहां से निकल चुके हैं ।" मार्शल ने बताया।
"उनके मिशन के बारे में कुछ पता चला ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"नहीं। इस बारे में कोई खबर नहीं ।"
"हमें मिलना होगा ।" देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे ।
"बताओ कहां आऊं ?"
"मुझे तुम्हारे कंप्यूटर पर कुछ देखना है । वहीं आऊंगा मैं ।"
"प्रभाकर को भेजता हूं वो तुम दोनों को यहां ले आएगा ।"
"प्रभाकर को कहना, वहीं पर घंटे बाद मिले, जहां कल हमें वो मिला था ।" देवराज चौहान ने कहा ।
■■■
देवराज चौहान और जगमोहन को आज भी प्रभाकर ही मार्शल के पास वैसे ही आंखों पर पट्टी बांधकर ले गया था। वो मार्शल के उसी कमरे में मिला ।
"हामिद अली ने अपना काम शुरू कर दिया देवराज चौहान ।" प्राभकर के जाते ही मार्शल कह उठा।
"समस्या ये हैं कि हमें उनके मिशन का पता नहीं ।" देवराज चौहान बोला ।
"मुख्य समस्या ये ही है ।" मार्शल गंभीर दिख रहा था ।
"मुफ्ती इसरार ने बताया कि वो पाकिस्तान से चीन कैसे पहुंचेंगे फिर कैसे नेपाल में प्रवेश करेंगे ।"
"ये बात तो पहले ही बता चुका है और मैंने तुम्हें बताया भी था कि पाकिस्तान से चीन वे लोग यात्री विमान में पहुंचेंगे। चीन के एयरपोर्ट पर उन सबको एक-एक अन्य बंदा मिलेगा जो उन्हें नेपाल में प्रवेश करा देंगे ।"
"इसका मतलब अगले दो दिन में वो सातों पाकिस्तानी नेपाल में प्रवेश कर जाएंगे ।" देवराज चौहान बोला ।
"लगता तो ऐसा ही है ।"
"फिर तो हमारे पास वक्त कम है ।" जगमोहन कह उठा ।
तीनों की नजरें मिली ।
"तुम कम्प्यूटर में कुछ देखने को कह रहे थे देवराज चौहान ।" मार्शल बोला ।
"अपनी आई-डी खोलो और मुझे कम्प्यूटर पर उन सातों की तस्वीरें दिखाओ ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"तस्वीरें तो तुम्हारे पास है ।"
"हां। परंतु मेरे पास मौजूद तस्वीरों में उनके चेहरे हैं । जबकि कम्प्यूटर में उनके आधे शरीर की तस्वीर है ।"
मार्शल कम्प्यूटर टेबल की तरफ बढ़ता कह उठा ।
"मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि तुम क्या देखना चाहते हो ?"
देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।
मार्शल ने अपनी आई-डी खोली और तस्वीरें स्क्रीन पर लाने के लिए व्यस्त हो गया ।
"तुम क्या चाहते हो ?" जगमोहन बोला--- "मैं समझा नहीं ।"
देवराज चौहान चुप रहा चेहरे पर गम्भीरता रही ।
तभी मार्शल ने कहा ।
"ये देखो। ये रही उनकी तस्वीरें ।"
देवराज चौहान और जगमोहन की निगाह कम्प्यूटर पर जा टिकी ।
"तारिक मोहम्मद की तस्वीर दिखाओ ।"
अगले ही पल स्क्रीन पर तारिक मोहम्मद की तस्वीर दिखी । वो कमर तक स्पष्ट नजर आ रहा था । देवराज चौहान करीब मिनट-भर उसकी तस्वीर को देखता रहा फिर बोला ।
"इसके बारे में मुफ्ती ने इसकी लंबाई-चौड़ाई भी बताई या...।"
"सातों का पूरा बायोडाटा भेजा है ।" कहने के साथ मार्शल ने दो-तीन बटन दबाएं और स्क्रीन पर लिखा हुआ कुछ नजर आया तो मार्शल ने कहा--- "ये रहा, तारिक मोहम्मद के बारे में मुफ्ती ने लिखा है करीब छः फुट का है ये। चौड़े कंधे। शांत-सा दिखने वाला वजन सत्तर किलो और क्या जानना है तुम्हें ।"
"इतना ही बहुत है ।" देवराज चौहान बोला--- "इसके कंधे और छाती की चौड़ाई मुझ जैसी लग रही है न ?"
मार्शल के माथे पर बल पड़े ।
जगमोहन चौंका ।
"क्या मतलब ?" मार्शल के होंठों से निकला ।
"जो मैंने कहा है, उस तरफ ध्यान दो ।" देवराज चौहान बोला ।
"तुम ठीक कह रहे हो ।" जगमोहन गम्भीर स्वर में कह उठा--- "इसके कंधे और छाती तुम जैसी लग रही...।"
"इसकी लम्बाई भी लगभग मेरे आस-पास ही है। छः फुट के करीब ।"
"तुम्हारे मन में क्या...?" जगमोहन के स्वर में परेशानी आ गई ।
"इनके मिशन के बारे में जानने के लिए हमें इनके बीच कुछ घुसना होगा। महज नजर रखकर हम अपने मतलब की जानकारी नहीं पा सकते। ये लोग नेपाल द्वारा इंडिया में प्रवेश करते हैं हमारी नजर में आ जाते हैं, हम इन पर नजर रखते हैं, तब हमें ये तो पता होगा कि ये कहां कहां टिके हैं, परंतु ये हमें पता नहीं चल सकेगा कि ये क्या करना चाहते हैं ।"
"तुम तारिक मोहम्मद बनकर इनमें शामिल होना चाहते हो ?" मार्शल कह उठा ।
"हां ।"
"ये कैसे संभव है ।" जगमोहन का स्वर तेज हो गया ।
"सम्भव क्यों नहीं ?"
"मैं पूछता हूं कि तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि तुम ऐसा करके उनके बीच घुस जाओगे ।"
"क्योंकि मुफ्ती की खबर के मुताबिक, उन लोगों ने एक-दूसरे के चेहरे नहीं देखे हुए ।"
"क्या हामिद अली इतना बड़ा बेवकूफ है कि वो अपनी योजना में इतनी बड़ी कमी रहने देगा। उन सातों के पास जिस इंसान का मोबाइल नम्बर है, क्या पता उन सातों की तस्वीर ई-मेल आई-डी पर उसे भेज रखी हो ।" जगमोहन बोला ।
"ये सम्भव नहीं लगता ।" देवराज चौहान ने इंकार में सिर हिलाया ।
"क्यों सम्भव नहीं ।"
मार्शल गम्भीर निगाहों से दोनों को देख-सुन रहा था ।
"हामिद अली ये बात तो सपने में भी नहीं सोच सकता कि मुम्बई पहुंचने पर कोई उन सातों में से एक को गायब कर देगा और उसकी जगह दूसरा आदमी ले लेगा ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"तुम्हारा ख्याल सही हो सकता है । तुम समझो कि हामिद अली ने अपनी तसल्ली के नाते सातों की तस्वीरें, उस मोबाइल नम्बर के मालिक को भेज दी हों। वो ऐसा क्यों नहीं कर सकता।" जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा--- "तुम भूल में हो कि...।"
"वो ऐसा जरूर कर सकता है । परंतु मुझे नहीं लगता कि ऐसा किया हो। मैं हामिद अली की जगह होता तो मुम्बई स्थित अपने कांटेक्ट को यही कहता कि जो तुम्हें फोन करके अपना परिचय दे, उसे मेरा भेजा समझाना ।"
"तुम अपने ख्यालों को इस मामले में मत डालो ।" जगमोहन ने झल्लाकर कहा--- "ये ख्यालों का मामला नहीं जिंदगी और मौत का सवाल है । उन्हें अगर पता चल गया कि तुम उनमें घुसे से हो तो वो फौरन तुम्हारी हत्या कर देंगे। इसके बाद क्या करते हैं ये तो पता नहीं । परंतु मेरे लिए इतना ही कंपा देने वाला है कि वो तुम्हारी हत्या कर देंगे। ऐसे काम को न करना ही बेहतर है करना है तो ठीक ढंग से करो। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता ।" जगमोहन ने गम्भीर-दृढ़ स्वर में कहा ।
देवराज चौहान मुस्कुराया ।
देवराज चौहान ।" मार्शल बोला--- "जगमोहन का कहना सही है कि तुम्हारे द्वारा इतना बड़ा रिक्स उठाना ठीक नहीं। यह नब्बे प्रतिशत आत्महत्या वाली बात होगी। ऐसे काम का क्या फायदा की जान जाए और काम अधूरा रह जाए ।"
"मार्शल ।" देवराज चौहान गंभीर स्वर में बोला--- "तुम हामिद अली का मिशन जानना चाहते हो ।"
"ये जरूरी है ।"
"और हम उन पर सिर्फ नजर रखकर मिशन की जानकारी नहीं पा सकते । हमें उनके बीच घुसना होगा ।"
मार्शल कुछ पल चुप रह कर बोला ।
"कोई और रास्ता सोचो । एक समस्या के हल के, कई रास्ते होते हैं । कुछ और सोचो ।"
"तुम ही सोच कर मुझे बता देना ।" देवराज चौहान ने शांत स्वर में कहा ।
"जो भी हो ।" जगमोहन ने चेतावनी वाले स्वर में कहा--- "तुम ये काम इस तरह नहीं करोगे ।"
"जल्दी मत करो जगमोहन ।" देवराज चौहान बोला--- "आराम से सारे हालातों पर सोचो कि...।"
"सोच चुका हूं । तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैं तुम्हारे कामों में नहीं बोलता । परंतु इस वक्त बोलना जरूरी है। मैंने कुछ भी गलत कहा हो तो कह दो । मार्शल तुम ही कहो कि मेरी बात गलत है ?" जगमोहन ने मार्शल को देखा।
"गलत नहीं है ।" मार्शल गम्भीर स्वर में बोला--- "देवराज चौहान की इस योजना को मैं अंधी योजना कहूंगा। अगर हमें पता होता कि उन सातों की तस्वीरें मुम्बई स्थित कांटेक्ट को, हामिद अली ने नहीं भेजी है तो इस बारे में सोचा जा सकता...।"
"तभी भी बड़ा खतरा सिर पर मंडराता रहता ।" जगमोहन ने कहा--- "उन लोगों में इस तरह मिक्स हो जाना आसान काम नहीं है तब दूसरी तरह का खतरा होता, जिस पर रिस्क लिया जा सकता था । परंतु आनन-फानन इस तरह की योजना बनाना बिल्कुल गलत है। कायदे से इन हालातों पर, इस तरह की योजना के बारे में सोचना भी गलत है ।"
"अगर ऐसा कुछ नहीं किया गया तो हम उनके मिशन को नहीं जान सकेंगे ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"ऐसे मिशन को जानने की जरूरत नहीं, जिसमें खामखाह ही जान जाए ।" जगमोहन ने हाथ हिलाकर कहा फिर मार्शल से बोला--- "मेरी मानो तो नेपाल से हिन्दुस्तान में प्रवेश करते वक्त उनकी पहचान करो और उन्हें पकड़ लो । उनका मिशन पता चला..।"
"ऐसा करके नुकसान होगा ।" मार्शल कह उठा ।
"कैसा नुकसान ?"
"इससे हमें ये पता नहीं चल पाएगा कि हामिद अली का मुम्बई स्थित ऐसा कौन-सा बंदा है जो इतना बड़ा मामला संभाल रहा है। हामिद अली के भेजे सातों लड़कों को पकड़ लेंगे तो मिशन अवश्य जान लेंगे, परंतु उसके बाद हामिद अली फिर नए लड़कों को हिन्दुस्तान भेज देगा और तब जरूर नहीं कि हमें, अब की तरह सारी खबरें मिलें।"
"तुम तो गर्म-ठंडा हर तरह का माल खाने को कह रहे हो । पहले तो ऐसा कुछ नहीं कहा था ।" जगमोहन की आवाज तीखी हो गई ।
"सब कुछ बीच में ही था ।" मार्शल मुस्कुरा पड़ा--- "मामले को ठीक से खत्म करने की जिम्मेवारी पर है। ये ऐसा मामला नहीं है कि डंडे मार कर ठीक कर लिया जाए । समझदारी से आगे बढ़ना होगा ।"
देवराज चौहान ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया ।
"सारे खतरे हमारी झोली में डाल दिए । पिछली बार भी तुमने हमें बकरा बना डाला था। वो तो किस्मत अच्छी...।"
"मैंने तुम्हें मुंह मांगी रकम दी कि नहीं ?" मार्शल बोला ।
"वो तो पिछली बार की थी ।" जगमोहन ने मार्शल को घूरा ।
"तुम बेहतर जानते हो कि वो किस बात की थी ।" मार्शल मुस्कुरा रहा था ।
"लेकिन देवराज चौहान ठीक कहता है कि उनके मिशन के बारे में जानने के लिए उनके बीच घुसना होगा। हामिद अली का ऐसा कौन आदमी है जो मुम्बई में सारे मामले को संभाल रहा है, उसके बारे में जानना भी खेल नहीं...।"
"अगर हम उनके बीच जा घुसे तो हर सवाल का जवाब आसानी से हमें मिल जाएगा ।" देवराज चौहान बोला ।
"और वो तुम्हारी गर्दन काट देंगे ।" जगमोहन गुस्से से बोला ।
"कहीं पर तो खतरा उठाना होगा ।"
"जान जोखिम में पड़ जाए । मरना ही नसीब में हो तो ऐसे काम का क्या फायदा ।" फिर जगमोहन ने मार्शल से कहा--- "मार्शल भाई तुम अपने दिए नोट वापस ले लो। ये काम हमें नहीं करना।"
"ये क्या कह रहे हो ।" मार्शल ने जगमोहन को देखा ।
"हालात तुम्हारे सामने है । कहना पड़ रहा है । एक बार तो तुमने हमें ऐसे चक्रव्यूह में फंसाया कि मौत के खेल में कूद पड़े। पर दूसरी बार ऐसा नहीं होगा ।"
जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा--- "तुम्हारी चाहतें ज्यादा है। खतरा भी ज्यादा है ।"
"जल्दबाजी मत करो जगमोहन। हम आराम से बैठकर इस पर विचार कर सकते हैं । कोई और रास्ता निकाल लेंगे । मेरे एजेंटों की तस्वीरें उन सातों को न दिखाई गई होती तो मेरे एजेंट आसानी से ये मामला संभाल लेते।"
"तो तुम हमें बताओ कि ये मामला कैसे संभलेगा ?"
"सोचते हैं, उसके बाद ही...।"
"सोच कर हमें फोन कर देना। तुम ही सोचना, तुम ही बताना । सोचने में हम तुम्हारा साथ भी नहीं देंगे । मेरी मानो तो नेपाल से जब सातों लोग हिन्दुस्तान में प्रवेश करें तो तब ही उन्हें पकड़ लो और जो फोन नम्बर तुम्हें मुफ्ती ने दिया है उसकी तहकीकात कराओ कि वो किसका है । इस तरह तुम हामिद अली के आदमी तक...।"
"वो नम्बर हर हाल में फर्जी निकलेगा ।"
"ये तुम कैसे कह सकते हो ?"
"ऐसे खतरनाक काम, फर्जी फोन नम्बरों पर ही होते हैं ।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा--- "तुम हामिद अली उसके आदमियों को बेवकूफ मत समझो । वो अपनी योजना बनाने में कोई गलती नहीं करेंगे । उन्होंने अपनी योजना पर जाने कितनी बार सोचा होगा।"
"फिर तो ये भी सोचो कि वो सातों एक-दूसरे को नहीं जानते । ऐसे में कोई फायदा उठा कर उनके बीच घुस सकता है और ऐसा न हो सके, इसका भी कोई रास्ता निकालना होगा । ऐसा हो जाए तो उन्हें पता चल जाए, इसका कोई इंतजाम किया होगा ।" जगमोहन गम्भीर था ।
मार्शल जगमोहन को देखता खामोश रहा ।
तभी देवराज चौहान मार्शल से बोला ।
"तुम मुफ्ती से पता करो कि क्या उन सातों की तस्वीरें मुम्बई के बंदे को भेजी गई हैं ।"
"मुफ्ती का फोन, रात को ही आएगा ।" मार्शल ने कहा ।
"तो रात को पता करना...।"
"तुम अभी भी वो ही सोच रहे हो ।" जगमोहन ने गुस्से-भरी निगाहों से देवराज चौहान को देखा ।
"मैं ये बात सिर्फ मालूम करना चाहता हूं ।"
"उसके बाद ? उसके बाद क्या करोगे ?"
"जब तक तुम्हारी तसल्ली नहीं होगी, मैं इस प्लान पर काम नहीं करूंगा ।" देवराज चौहान ने कहा--- "क्या पता मुफ्ती कहे कि सातों की तस्वीरें भेज दी गई है तो मेरा ये प्लान यहीं पर खत्म हो जाएगा ।"
"इस बारे में मैं कोई और प्लान भी सोचता हूं । हम कोई रास्ता जरूर निकाल लेंगे ।" मार्शल ने कहा ।
■■■
रात के साढ़े ग्यारह बजे मार्शल का फोन आया ।
"कहो ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"मुफ्ती इसरार से मेरी बात हुई है, वो कहता है कि सावधानी के नाते सातों पाकिस्तानियों की तस्वीरें, मुम्बई के बंदे को नहीं भेजी गई कि कहीं उनके चेहरे 'लीक' न हो जाएं ।" मार्शल ने कहा ।
"उनके मिशन के बारे में नहीं बता पाया वो ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"नहीं । मैंने पूछा था । परंतु उसने इंकार किया कि उसे मालूम नहीं हुआ ।"
"कोई और खबर ?"
"आज रात दो और लड़के वहां से निकल रहे हैं ।"
"तीन दिन में निकल चुके हैं । मतलब कि पांच रवाना हो गए ।"
"कहता है बाकी के दो कल भेज दिए जाएंगे ।"
"हूं ।" देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव थे ।
"परंतु तुम्हारी योजना पर काम करने में तुम्हें खतरा है ।" मार्शल की आवाज कानों में पड़ी ।
"वो कैसे ?"
"हो सकता है जब वो सातों मुम्बई के बंदे के पास पहुंच जाएं तो तब हामिद अली उन सातों की तस्वीर भेज दे। ऐसा हुआ तो तुम उसी वक्त फंस जाओगे और वे तुम्हें उसी वक्त मार देंगे ।"
"जरूरी तो नहीं कि हामिद अली तस्वीरें उन्हें भेजे ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"परंतु तुम्हें यही सोच कर चलना चाहिए कि हामिद अली तस्वीरें भेजेगा सुरक्षित विचार ये ही है ।"
देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।
"हमें कोई और रास्ता सोचना होगा । तुम भी सोचो, मैं भी सोचता हूं ।"
बातचीत खत्म हो गई ।
जगमोहन जो ध्यान से बात सुन रहा था वो बोला ।
"क्या कहा मार्शल ने ?"
जगमोहन को सारी बात बताई ।
"एक बात तो तुम भूल ही जा रहे हो ।" जगमोहन कह उठा ।
देवराज चौहान ने उसे देखा ।
"ये ठीक है कि उन सातों ने एक-दूसरे के चेहरे नहीं देखे, परंतु आवाजें तो सुनी है । उन्होंने बातचीत तो की है । तुम्हारी आवाज को सुनकर वो तुरंत समझ जाएंगे कि तुम उन में से नहीं हो ।"
देवराज चौहान खामोश रहा ।
"जवाब दो ।" जगमोहन बोला ।
"तुम ठीक कह रहे हो ।"
"मार्शल भी ठीक कहता है कि हो सकता है बाद में हामिद अली उनकी तस्वीरें मुम्बई स्थित उस बंदे को भेज दे, जो उन सातों को संभालेगा और योजना बताएगा कि मुम्बई में उन्हें क्या करना है । इस तरह तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि तुम कब फंसे। मैं तुम्हें किसी भी हालात में इस योजना पर काम नहीं करने दूंगा। ऐसे काम का कोई फायदा नहीं, जिसमें जान चली जाए । मार्शल को इस काम के लिए इंकार कर दो ।"
"ऐसा करना ठीक होगा ।" देवराज चौहान गम्भीर था।
"क्यों नहीं ठीक होगा ।"
"हम अपना प्लान बदल सकते हैं । कुछ और सोच सकते हैं कि हमें क्या करना चाहिए। हामिद अली मुम्बई पर हमला कराने जा रहा है । अगर हमने कुछ न किया तो हो सकता है सैकड़ों बेगुनाह फिर से मारे जाएं । वो सातों पाकिस्तान से चल चुके हैं।"
"मार्शल बच्चा तो है नहीं। वो अपने ढंग से मामला संभाल सकता...।"
"मार्शल के सामने मजबूरी है, तभी तो वो हमारे पास आया । उसे हमारी जरूरत महसूस हुई ।"
"तो तुम्हें उस योजना पर काम नहीं करना चाहिए, जो तुमने सोचा है ।" जगमोहन बोला ।
"ठीक है । हम कुछ और सोचेंगे ।" देवराज चौहान का स्वर शांत था--- "कोई नया प्लान सोचेंगे । सोचने के लिए हमारे पास काफी वक्त है परंतु कल हमें नेपाल पहुंचना होगा। उन रास्तों को जानना होगा जहां से हिन्दुस्तान में प्रवेश किया जा सकता है और हर उस जगह पर उन सातों की तस्वीरों के साथ हमारे लोग मौजूद होंगे । मार्शल के एजेंट अपने रंग-रूप बदले नजर रखेंगे। मैं अभी मार्शल से कल की तैयारी के बारे में बात करता हूं ।" कहने के साथ ही देवराज चौहान मार्शल का नम्बर मिलाने लगा ।"
■■■
अगले दिन दोपहर के दो बजे तक देवराज चौहान, जगमोहन और मार्शल के बारह एजेंट हुलिए बदलकर नेपाल में मौजूद थे। मार्शल के नेपाल पहुंचने वाले एजेंटों में प्रभाकर भी था। सबके फोन नम्बर एक-दूसरे के पास थे और एक-दूसरे से संपर्क में थे। सब अलग-अलग नेपाल पहुंचे थे । हर किसी के पास उन सातों पाकिस्तानियों की तस्वीरें थी। ये विमान द्वारा नेपाल के काठमांडू शहर पहुंचे थे और वे चौदह लोग बहुत कम थे, नेपाल की लम्बी सीमा पर नजर रखने के लिए, जो भारत की सीमा से लगती थी।
पचासों चोर रास्ते थे नेपाल सीमा से भारत में प्रवेश करने के लिए ।
चौदह की जगह वे सौ लोग भी होते तो कम थे । ये बात उनके लिए चिंता का विषय थी ।
वक्त कम था और तेजी से काम करना था ।
फोन द्वारा आपस में बातें करते हुए उन्होंने तय किया कि वो उन रास्तों पर नजर रखेंगे जो सड़क के रास्ते भारत में प्रवेश होते हैं । ऐसे रास्ते मुख्य तौर पर पांच थे । पश्चिम बंगाल का सिलीगुड़ी शहर। बिहार का वीरपुर और रक्सौल। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज और नानपरा । काठमांडू से दो लोग सिलीगुड़ी के लिए रवाना हो गए । दो लोग रक्सौल के लिए चल पड़े। जगमोहन और प्रभाकर ने मुलाकात की और वीरपुर बॉर्डर पर जा पहुंचे । दो-दो लोग महाराजगंज और नानपरा की सीमा पर टिक गए । बाकी देवराज चौहान को मिलाकर, चार लोग बचे थे जो कि इधर-उधर निगाह रखते हुए उन लोगों को तलाश करने लगे।
यूं नेपाल से आने वाले के लिए मुख्य तौर पर वीरपुर, रक्सौल और महाराजगंज रास्ते इस्तेमाल होते थे । परंतु वे लोग कहीं से भी हिन्दुस्तान में प्रवेश कर सकते थे या फिर किसी चोर रास्ते से भी भारत में प्रवेश कर सकते थे कि किसी को नजर ही न आएं । यकीनन हमीद अली ने उन्हें हिन्दुस्तान में प्रवेश करने के रास्ते भी बताए होंगे ।
वो दिन इसी तरह भाग-दौड़ में अपनी-अपनी जगहों को संभालने में बीत गया ।
रात को बारह बजे मार्शल का फोन देवराज चौहान को आया ।
"मुझे पता लगा कि सब लोगों ने अपनी अपनी जगह संभाल ली है ।" माशल की आवाज कानों में पड़ी ।
"चौदह लोग जो कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। हमारी संख्या उन्हें तलाश करने के लिए न के बराबर है ।" देवराज चौहान ने कहा।
"जानता हूं । परंतु मैं अपने ज्यादा एजेंट इस काम पर नहीं लगा सकता । पहचाने जाने का खतरा है ।"
"उन्हें ढूंढ निकालना आसान काम नहीं होगा मार्शल ।"
"तुम्हारी इस परेशानी को मैं समझ रहा हूं ।" मार्शल का आने वाला स्वर गम्भीर था--- "मुफ़्ती इसरार से अभी मेरी बात हुई ।
"कुछ नया है बताने को ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"हां। बाकी बचे दो भी आज सुबह पाकिस्तान से चीन के लिए चल पड़े थे। यानी कि सातों रवाना हो चुके हैं पाकिस्तान से मुम्बई पहुंचने के लिए । मुफ्ती का ख्याल है कि कल से वो नेपाल पहुंचना शुरू हो जाएंगे ।" मार्शल की आवाज कानों में पड़ी ।
"ये खबर मैं सबको दे दूंगा । और कुछ ?"
"मुफ्ती ने बताया कि उन सातों को एक-एक कोड शब्द दिया गया है। मुम्बई पहुंच कर जब वे हामिद अली के दिए मोबाइल नम्बर पर फोन करेंगे तो अपेक्षित पहचान के लिए कोड शब्द बताना होगा ।"
"मतलब कि सबका कोड शब्द अलग-अलग है ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"हां । मुफ्ती ने वे कोड शब्द मुझे बताए हैं। तुम सुनना चाहोगे ?"
"हां ।"
"आमिर रजा खान का शब्द कोड है, 'पाकिस्तान महान है ।' मोहम्मद डार का शब्द कोड है, 'पाकिस्तान परमाणु युद्ध लड़ने को तैयार है।' जलालुद्दीन का कोड है 'पाकिस्तान से लड़ना महंगा पड़ेगा ।' सरफराज हलीम का कोड है 'पाकिस्तानी आया है ।' तारिक मोहम्मद का शब्द कोड है, 'मैं पाकिस्तानी' गुलाम कादिर भट्ट का शब्द कोड है, पाकिस्तान ताकतवर है' और अब्दुल रज्जाक का शब्द कोड है, 'सलाम पाकिस्तान ।' उन्हें मार्शल ने बताया--- "इन कोड शब्दों को सुनकर ही वो पहचान जाएगा कि वो किससे बात कर रहा है। उन्हें नाम न बताने को कहा गया है । फोन पर उन्हें कोड ही बोलना है ।"
"हूं ।" देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव थे ।
"देवराज चौहान ।" मार्शल की आवाज आई--- "मुझे पूरा यकीन है कि ये उनके लिए मौत का मिशन है। सातों पाकिस्तानी, हामिद अली के प्लान पर कुछ बड़ा करने के लिए मुम्बई पहुंच रहे हैं। हमने इन्हें कामयाब नहीं होने देना है।"
"मेरी पूरी कोशिश होगी कि वो सफल न हो सकें ।"
"दो बातें जानना हमारे लिए अहम है। एक ये कि उनका मिशन क्या है दूसरे मुम्बई में कौन इन सातों की सहायता कर रहा है ।"
"तुमने सोचा कि इन दोनों बातों को जानने के लिए, हमें क्या करना चाहिए ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
मार्शल की फौरन आवाज नहीं आई ।
देवराज चौहान भी चुप रहा ।
"मुझे ऐसा कोई रास्ता नहीं दिखा कि तुम्हें बता सकूं ।" मार्शल का गम्भीर स्वर सुनाई दिया ।
"इन दो बातों को जानने के लिए किसी को उनके बीच घुसना पड़ेगा । मैं सब हालातों पर पहले ही गौर कर चुका हूं ।"
"परंतु तुम्हारा प्लान तुम्हारे लिए ही खतरनाक हो सकता है। तुम पहचाने जा सकते हो । मारे जा सकते हो । हो सकता है नेपाल में उन सातों पर कोई तब तक नजर रखें, जब तक कि मुम्बई न पहुंच जाएं । हामिद अली ने गुप्त रूप से उन पर नजर रखने का कोई इंतजाम कर रखा हो ।"
"मुफ्ती इस बारे में क्या बताता है ?"
"मैंने बात की थी । वो कहता है कि शायद ऐसा कुछ नहीं है कि नेपाल में उन पर नजर रखी जाए । परंतु पूरे यकीन के साथ वो नहीं कह रहा ।"
"उन सातों की तस्वीरें हामिद अली ने अपने मुंबई कांटेक्ट को भेजी ?"
"नहीं भेजी ।"
"तुमने पूछी ये बात ?"
"हां। पूछी थी ।" मार्शल के कानों में पड़ने वाला स्वर गम्भीर था।
"मार्शल ।" देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा है--- "मेरे पास सबसे बढ़िया रास्ता है कि नेपाल में ही मैं तारिक मोहम्मद की जगह ले लूं । कद-काठी में वो मेरे जैसा है । बालों को थोड़ा-सा छोटा कर लूं तो ठीक रहेगा । उसके बाद...।"
ऐसा करके तुम कभी भी फंस सकते...।"
"इतना खतरा तो उठाना ही होगा ।"
"ये काफी ज्यादा खतरा है ।"
"तुम मुझे मेरे हिसाब से काम करने दो। मेरा प्लान बहुत बढ़िया है। इस तरह मैं ये जान लूंगा कि उनका मिशन क्या है, वो क्या करने वाले हैं और मुम्बई में हामिद अली के कौन-से लोग उन सातों की सहायता कर रहे हैं ।"
मार्शल की आवाज नहीं आई ।
"जवाब दो मार्शल ।"
"बेहतर होगा कि इस बारे में तुम जगमोहन से सलाह ले लो ।"
"ऐसा क्यों ?"
"तुम्हें कुछ हो गया तो उसे बहुत तकलीफ होगी । मेरी तरफ से तुम जो भी करो, मुझे कोई एतराज नहीं।"
"मैं जगमोहन से बात नहीं करूंगा । बाद में उसे तुम समझा देना ।" देवराज चौहान बोला--- "वो कभी नहीं चाहेगा कि मैं इस तरह काम करूं जबकि उनके बीच घुसे बिना, उनके बारे में कुछ भी जान पाना सम्भव नहीं । हम उनपर निगाह रखते रह जाएंगे और वो काम कर जाएंगे । तुम इस पर भी तैयार नहीं हो कि उन्हें नजर आते ही पकड़ लिया जाए ।"
"ऐसा किया तो मुझे हामिद अली के मुंबई कांटेक्ट का नहीं पता चलेगा जबकि उसे पकड़ना बहुत जरूरी है वो हाथ में आ गया तो मुझे हामिद अली के नेटवर्क का पता चलेगा। हामिद अली के कई महत्वपूर्ण मोहरे हाथ में आ जाएंगे। ऐसा होने पर हामिद अली फौरन फिर से पाकिस्तान से लड़के भेजने की चेष्टा नही करेगा और फिर से अपना नेटवर्क तैयार करेगा । जिसमें कि वक्त लगेगा और लम्बे वक्त के लिए हम खतरे से दूर हो जाएंगे । ये काम अगर सफलता से तुमने खत्म कर दिया तो उसके बाद मेरा काम शुरू होगा देवराज चौहान ।"
"ठीक है मार्शल । मैं अपनी योजना पर काम करूंगा । तारिक मोहम्मद की जगह मैं लूंगा । तारिक मोहम्मद बनकर मैं उसमें घुस जाऊंगा ।"
"मुझे कोई एतराज नहीं अगर तुम ऐसा करते हो। परंतु ये खतरनाक होगा और जगमोहन को ऐतराज होगा ।"
"जब तक जगमोहन को ये सब पता चलेगा तब तक मैं उन लोगों का हिस्सा बन चुका होऊंगा और कोई खबर हो तो मुझे बताना।" कहने के साथ ही देवराज चौहान ने फोन काटा और जगमोहन को फोन करके बताया कि इस बात की संभावना है कि कल से वे लोग नेपाल में पहुंचने लगें । इसलिए सब से कह दे कि कल सुबह होते ही वे सतर्कता से अपने काम को अंजाम दें।
■■■
अगले दिन दोपहर करीब साढ़े तीन बजे देवराज चौहान को खबर मिली कि वीरगंज में आमिर रजा खान को देख लिया गया है और जगमोहन उनके पीछे हो गया है । मतलब कि एक नजर आ गया। मार्शल के सब एजेंट सतर्क हो चुके थे कि कोई दूसरा भी दिखे । परंतु अंधेरा हो गया, किसी और के दिखाई देने की खबर नहीं आई । तब देवराज चौहान ने प्रभाकर को फोन किया ।"
"दूसरा कोई नहीं दिखा ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"अभी तक तो कहीं से खबर नहीं आई ।"
"जगमोहन आमिर रजा खान के पीछे गया है ।"
"हां, ये उसी का फैसला था कि वो उस पर नजर रखेगा ।" प्रभाकर की आवाज कानों में पड़ी ।
"अब मेरी बात सुनो सब से कह दो कि तारिक मोहम्मद जहां भी दिखे, मुझे फौरन खबर दी जाए ।" देवराज चौहान बोला ।
"कोई खास बात ?"
"मुझे उसकी जगह लेनी है ।"
"ओह ।"
"परंतु ये बात जगमोहन के कानों तक न पहुंचे । उसका फोन आए तो इस बारे में उसे कुछ न बताया जाए ।"
"समझ गया ।" प्रभाकर की आवाज में गम्भीरता आ गई थी ।
"आज शाम तक हमें कम-से-कम दो नजर आने चाहिए थे । परंतु एक ही दिखा ।"
"हमारे लोग मुस्तैद हैं। वो लापरवाही नहीं करेंगे ।"
बात खत्म हो गई।
रात बारह बजे मार्शल का फोन आया ।
"आज एक नजर में आ गया । जगमोहन उसके पीछे हैं । मार्शल की आवाज सुनाई दी ।
"जबकि आज दो या तीन दिखाई दिए जाने की सम्भावना थी। लगता है कि बाकी नजर में आए बिना हिन्दुस्तान में प्रवेश कर गए ।"
"यकीन के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता ।"
"मुफ्ती से आज बात हुई ?"
"कुछ देर पहले ही बात हुई। आज उसके पास बताने को कुछ नहीं था। इतना ही कहा कि मुनीम खान उत्साह में भी है और परेशान भी कि उसके भेजे लड़के मुंबई ठीक-ठाक हाल में पहुंच जाएं । हामिद अली ठिकाने पर नहीं है, परंतु फोन पर मुनीम खान के संपर्क में है और उससे खबरें ले रहा है। मुनीम खान सैटेलाइट फोन द्वारा मुम्बई में अपने कांटेक्ट के संपर्क में है ।"
"मतलब कि वक्त आने पर मुनीम खान, हामिद अली को उन लड़कों की पल-पल की खबरें मिलेंगी।" देवराज चौहान ने कहा।
"ऐसा ही होगा ।"
"तुमने मुफ्ती को बताया कि हम किस प्लान पर काम कर रहे हैं ?" देवराज चौहान ने पूछा ।
"इस बारे में उससे कोई भी बात करना ठीक नहीं। वो हमारा कमजोर पक्ष भी साबित हो सकता है, अगर हामिद अली ने उसे खबरी के तौर पर पकड़ लिया तो...।"
■■■
अगले दिन सुबह आठ बजे देवराज चौहान को मार्शल के एक एजेंट का फोन आया कि जलालुद्दीन को पश्चिम बंगाल और नेपाल की सीमा पर प्रवेश करते देख लिया गया है, वो सिलीगुड़ी की तरफ बढ़ रहा है और एक एजेंट उसके पीछे लग गया है ।
मतलब कि दो नजर आ गए थे।
देवराज चौहान बाकी आने वाली खबरों का इंतजार करता रहा।
शाम चार बजे एक एजेंट की खबर आई कि नेपाल बॉर्डर रक्सौल के पास तारिक मोहम्मद को देख लिया गया है। उस एजेंट ने कहा कि प्रभाकर ने इस बारे में फौरन खबर करने को कहा था।
"तुम लोग कितने हो ?" देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में पूछा ।
"दो ।"
"क्या तारिक मोहम्मद पर काबू पाकर, उसे कहीं छिपा कर रख सकते हो, जब तक कि वो वहां न पहुंच जाए ।"
"ये काम हो जाएगा ।"
"तो जल्दी करो । मैं रक्सौल रवाना हो रहा हूं ।"
"हम उसे पकड़ कर जहां रखेंगे, उस जगह के बारे में तुम्हें फोन पर बता देंगे।" उधर से एजेंट ने कहा ।
अगले बीस मिनट में ही देवराज चौहान रक्सौल की तरफ रवाना हो गया ।
■■■
देवराज चौहान जब रक्सौल पहुंचा तो रात के नौ बज रहे थे। यहां के मौसम में हल्की-सी ठंडक थी। देवराज चौहान ने उन दोनों एजेंटों को फोन किया, जिनके पास तारिक मोहम्मद था । बात हो गई ।
"तुम एक बार फिर बताओ कि कहां पर हो ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"मेरे ख्याल में तुम हम तक शायद न पहुंच पाओ। हम बिना पते वाली जगह पर हैं । तुम कहां हो । मैं तुम्हें लेने आ जाता हूं।"
देवराज चौहान ने बताया कि वो कहां पर है ।
आधे घंटे बाद जो आदमी वह उसके पास पहुंचा, वो मार्शल का एजेंट था ।
"आओ मेरे साथ ।" वो देवराज चौहान से बोला ।
"कितनी दूर जाना है ?" देवराज चौहान ने उससे पूछा ।
दोनों पैदल ही आगे बढ़ गए थे ।
"ज्यादा दूर नहीं है। पैदल का पन्द्रह मिनट का रास्ता है ।" उसने कहा ।
"उसे पकड़ने में ज्यादा दिक्कत तो नहीं आई ?" देवराज चौहान ने पूछा।
"उसने परेशानी पैदा करनी चाही, परंतु हमने उसे संभाल लिया। पहले वो समझा कि हम लूटपाट करने वाले हैं । जब तक वो मामले की गम्भीरता को समझ पाता हमने उसे पकड़ लिया । उसके पास से कोई हथियार नहीं मिला ।"
"ऐसे सफर में हथियारों का पास न होना ही बेहतर होता है कि जाने कब कहीं तलाशी देनी पड़ जाए ।"
"अगर उसके पास रिवॉल्वर होती तो हमें जरूर शूट कर देता । वो खतरनाक है ।"
"उस पर हाथ डालने से पहले उसके आसपास देख लिया था किसी की नजर तो नहीं थी उस पर ?"
"चैक कर लिया था हमने । सब ठीक पाकर ही उस पर हाथ डाला ।"
"अब वो किस स्थिति में है ?"
"बांध रखा है। आबादी से हटकर एक टूटा-फूटा मकान है। उसमें रखा है उसे । बात-बात पर गालियां दे रहा है ।"
दोनों अंधेरे से भरे रास्ते में आगे बढ़ते जा रहे थे ।
"मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे डकैती मास्टर के साथ काम करना पड़ेगा ये गलत है ।" वो बोला ।
"इस बारे में मार्शल से बात करो ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"क्या फायदा ।"
"तुम्हारा नाम क्या है ?"
"अमर सिन्हा ।" वो बोला--- "अब तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ?"
"मैंने उसकी जगह लेनी है। उस जैसा हुलिया बनाना है । फिर तुम उसे मार्शल के पास ले जाना ।"
"लम्बाई-चौड़ाई में तो वो तुम जैसा ही दिखता है ।"
"उसके पास से क्या-क्या मिला ?"
"बीस हजार भारतीय करंसी। पांच हजार नेपाली करंसी । पेन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस। जिन पर उसकी तस्वीर लगी हुई है और खुद को भारतीय नागरिक कह सकता है । लेकिन हमारे सामने उसने मान लिया है कि वो पाकिस्तान से आया है ।"
"आसानी से मान गया ?"
"पूछने की जरूरत नहीं पड़ी । बातों-बातों में ही मान गया । वो नहीं जानता कि हम कौन हैं।"
"पेन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस तुम लोग रखना ।"
"तुम उसकी जगह ले रहे हो तो उन चीजों की जरूरत...।"
"उन दोनों पर उसकी तस्वीरें लगी है। उन्हें पास रखा तो मैं फंस जाऊंगा ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"सॉरी। ये बात मेरे ध्यान में नहीं रही ।" वो कह उठा ।
"उसकी बातचीत का ढंग कैसा है ?"
"पहले तो वो हमारी तरह से ही बात करने लगा। जब गुस्से में आया अपने पाकिस्तान की भाषा में बोल पड़ा ।"
"उसने बताया कि वो यहां क्या करने आया है ?"
"मैंने पूछा । परंतु उसने कहा, मुम्बई घूमने का मन था । वो ही देखने आया हूं ।"
"किसने भेजा है उसे ?"
"पूछा था, जवाब में गालियां देने लगा ।"
"कोई और बात ?"
"उसने बताया कि वो पाकिस्तान के बन्नू शहर का है। कहता है मुम्बई देखने के बाद वापस चला जाऊंगा ।"
"मतलब कि उससे कोई काम की बात पता नहीं चली ?" देवराज चौहान बोला ।
"नहीं । वो कुछ भी नहीं बताना चाहता ।"
"मुझे जानने की जरूरत भी नहीं है । वो जो बताएगा, उसे हम पहले ही जानते हैं ।" देवराज चौहान का स्वर गम्भीर था ।
■■■
तारिक मोहम्मद के हाथ-पांवो को कसकर बांधा गया था। वो बंधनों में छटपटा रहा था।
देवराज चौहान ने उसे देखा । जो तस्वीर उसके पास थी वो उस जैसा ही दिख रहा था। उसके सिर के बाल छोटे थे और सप्ताह-भर पहले ही कटिंग हुई लग रही थी। मार्शल का दूसरा एजेंट जो उसके पास मौजूद था, उसका नाम तपन गुलाटी था ।
"इसके सिर के बालों की कटिंग देख लो ।" देवराज चौहान ने अमर सिन्हा से कहा--- "कहीं से नाई ढूंढ कर, मुझे इसकी तरह कटिंग करवानी है । पहले ये काम कर लेते हैं ।"
"तुम लोग कौन हो और मुझे क्यों...।"
देवराज चौहान अमर सिन्हा के साथ वहां से बाहर निकल गया।
उसके बाद रात को बारह के बाद वापस लौटे। देवराज चौहान, तारिक मोहम्मद की तरह बाल कटवा आया था । उसके बाद तारिक मोहम्मद का बैग चैक किया गया भीतर तीन जोड़ी कपड़े थे । देवराज चौहान ने बैग में से पैंट-कमीज निकालकर पहने तो वो पूरी तरह फिट आए।
"ये कपड़े तो लगता है तुम्हारा नाप लेकर बनाए गए थे ।" तपन गुलाटी मुस्कुरा कर बोला।
तारिक मोहम्मद परेशान निगाहों से देवराज चौहान को देखते कह उठा ।
"ये सब क्या हो रहा है ?"
देवराज चौहान ने तारिक मोहम्मद का बैग उठा लिया । बोला ।
"मेरा मोबाइल मार्शल को देना कि वो जगमोहन को दे दे...।"
"मार्शल ?" तारिक मोहम्मद चौंका।
"वो ही मार्शल ।" देवराज चौहान ने तारिक मोहम्मद से कहा--- "जिसके बारे में तुम्हें मुनीम खान और हामिद अली ने बताया था ।"
तारिक मोहम्मद की आंखें फैल गई ।
"तु...तुम कैसे जानते हो ?"
"सब कुछ जानता हूं मैं कि तुम सातों मुम्बई क्यों पहुंच रहे हो ।"
"सातों ?" तारिक मोहम्मद का चेहरा देखने लायक था ।
देवराज चौहान ने तारिक मोहम्मद की जेब से मिलने वाले पैसे अपनी जेब में रखे और अमर से बोला ।
"मेरा सारा सामान जगमोहन तक पहुंच जाना चाहिए ।"
"अमर सिन्हा ने सहमति से सिर हिला दिया।
"तुम-तुम कौन हो ?" तारिक मोहम्मद झल्लाकर कह उठा ।
देवराज चौहान तपन गुलाटी और अमर सिन्हा से मिलकर बैग कंधे पर लटकाए बाहर निकल गया। वहां से पैदल चलकर घंटे- भर बाद देवराज चौहान रक्सौल बस अड्डे पर पहुंचा । वहां पर इलाहाबाद, यू.पी. जाने वाली बस तैयार खड़ी थी। बस का गेट खोले कनेक्टर इलाहाबाद-इलाहाबाद की आवाज लगा रहा था। देवराज चौहान को देखते ही बोला ।
"कहां जाना है ?"
"मुम्बई ।" देवराज चौहान ने कहा ।
"बैठ जा ।"
"ये बस मुम्बई जाएगी ?" देवराज चौहान ने भोलेपन से पूछा ।
"इलाहाबाद जाएगी, वहां से जबलपुर के लिए बस मिल जाएगी। जबलपुर से आगे निकल जाना। मुम्बई जाने का ये छोटा रास्ता है । चलो जी चलो, इलाहाबाद-इलाहाबाद । जल्दी करो, पांच मिनट में निकल रही है ।"
बैग कंधे पर लटकाए देवराज चौहान बस में प्रवेश कर गया ।
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अगले दिन सुबह दस बजे बस इलाहाबाद पहुंची।
बहुत भीड़ थी इलाहाबाद बस अड्डे पर । देवराज चौहान घंटा-भर वहां रुका । नहाया-धोया। नाश्ता किया फिर पूछताछ करने के बाद मध्य प्रदेश जबलपुर के लिए बस ले ली। जो कि शाम को जबलपुर बस अड्डे पर पहुंची।
वहां भी देवराज चौहान घंटा-भर रुका। कुछ खा-पी के वहां से नागपुर के लिए बस ली। आधी रात को वो नागपुर पहुंचा। लम्बे सफर की वजह से वो थक चुका था । ऐसे में बाकी की रात उसने बस अड्डे की लम्बी बैंच पर सो कर बिताई।
अगले दिन नागपुर से भुसावल महाराष्ट्र के लिए बस ली ।
इस प्रकार भुसावल से नासिक फिर मुम्बई आ पहुंचा था । तब रात गयारह बजे रहे थे। मुम्बई तो उसके दिल में बसी थी। यहां के रास्ते-होटल हर चीज से उसी तरह वाकिफ था, जैसे कि वो अपने से वाकिफ था। बरहाल वो अंधेरी के ऐसे होटल में जा ठहरा। जो की ढाई मंजिला मकान में बना हुआ था और उस होटल में पहले कभी नहीं आया था। होटल में ठहरने के लिए उसने सुरेंद्र पाल के नाम से बना ड्राइविंग लाइसेंस इस्तेमाल किया था ।
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