डाक में संखिया

‘का मुक स्त्री को अपने जैसी यौन रुचि वाला पुरुष चाहिए होता है,’ मिस रिप्ली-बीन ने यह कहकर शराब पिलाने वाले लड़के को हैरान कर दिया। उसे किसी सत्तर वर्षीय अविवाहिता से इस तरह के बेबाक वक्तव्य की आशा नहीं थी।

होटल रॉयल के मालिक नंदू ने हम लोगों को बार में आमंत्रित किया था। वहाँ हम चार लोग बैठे थे - मैं, नंदू, मिस रिप्ली-बीन और हरसिल की राजकुमारी, हेमाली। पीछे से होटल का पियानोवादक, लोबो हिंदी फ़िल्मों की चर्चित धुनें बजा रहा था। वह बीच-बीच में बीटल्स और एल्विस प्रेस्ले के गाने भी बजाता था। हमारी बातचीत, हमेशा की तरह, अतीत और वर्तमान के शर्मनाक किस्सों की ओर मुड़ गई थी। इस पर्वतीय इलाक़े में ऐसे किस्सों की कोई कमी नहीं है, किंतु इस अवसर पर हम मिस रिप्ली-बीन की शानदार स्मृति का लाभ उठाकर थोड़ा और आगे बढ़ रहे थे।

‘आपके ध्यान में अब तक का सबसे यादगार, सबसे ज़ोरदार और शर्मनाक किस्सा कौन-सा है?’ राजकुमारी ने पूछा। वह बड़े अपराधों की कहानियों पर एक पुस्तक के लिए सामग्री एकत्रित कर रही थी।

‘हाल का, या पुराना?’

‘यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका जन्म कब हुआ।’ मैंने बीच में कहा।

‘इतनी असभ्य बात मत करो, युवक,’ मिस रिप्ली-बीन ने फटकार लगाई। (उस वृद्धा की नज़र में चालीस वर्ष का होने पर भी शायद मैं युवक कहलाने योग्य था।)

‘पिछले पचास वर्षों में,’ नंदू ने कहा। ‘यानी, जब मैं पैदा हुआ था।’

‘तो, 1930 का दशक बड़ा सम्माननीय दशक था। उस समय लोग एक और युद्ध के लिए तैयारी कर रहे थे,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहा। ‘आपको असली दुष्कर्म के बारे में जानने के लिए 1920 के दशक में जाना पड़ेगा।’

‘आपका आशय अनियंत्रित यौनाचार से है?’ मैंने उत्साह बढ़ाते हुए पूछा।

‘वह और उससे भी अधिक। कभी-कभी छोटी-सी असावधानी किसी बड़ी विपदा, यहाँ तक कि हत्या का कारण भी बन जाती है। क्या आपने आगरा के दोहरे हत्याकांड के बारे में सुना है?’

‘नहीं,’ मैंने कहा। ‘आप हमें उसके बारे में बताइए।’

यहाँ तक कि लोबो ने भी पियानो बजाना बंद कर दिया। वह मिस रिप्ली-बीन के किसी भी यादगार किस्से को छोड़ना नहीं चाहता था। मिस रिप्ली-बीन को आपराधिक उपन्यासों और फ़िल्मों का शौक़ था, इसलिए स्वाभाविक था कि उन्हें वास्तविक जीवन में होने वाले अपराधों में भी - यदि सहभागी नहीं, तो मोहित दर्शक की तरह - रुचि थी।

‘मेरे विचार से यह ताजमहल की यात्रा के समय हुई घटना है,’ नंदू ने हलके अंदाज़ में कहा।

‘नहीं, इसका ताज से कोई संबंध नहीं है,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहानी आरंभ करते हुए कहा। ‘वास्तव में, यह किस्सा मेरठ में शुरू हुआ था, जो कि ज़्यादा रोमांटिक स्थल नहीं है। वह भीड़-भाड़ वाला एक पुराना शहर है, जहाँ भाँति-भाँति के रीति-रिवाज़ और आस्था वाले लोग रहते हैं। वहाँ कभी-कभी लड़ाई-झगड़े और ख़ून-ख़राबा भी हो जाता है। उसी के निकट, एक विशाल छावनी है, जहाँ 1857 का गदर आरंभ हुआ था। परंतु अब वह स्थान सुस्त एवं शांत हो गया है और वहाँ साफ़-सुथरे बगीचे-युक्त बढ़िया बंगलों में सेना के परिवार, रेलवे के लोग, नहर के चौकीदार, सरकारी अफ़सर और क्लर्क रहते हैं, जिनके बच्चे बेगम सरमू के समय बने कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ते हैं। 1920 का मेरठ, 1970 के मेरठ से ज़्यादा अलग नहीं था। अंतर सिर्फ़ इतना था कि उस समय वहाँ केवल एक सिनेमाघर था जिसमें चैपलिन, हैरी लैंगडन, बुस्टर कीटोन तथा हैरोल्ड लॉयड की चर्चित मूक फ़िल्में दिखाई जाती थीं। निस्संदेह, मेरठ शहर को हल्के मनोरंजन की आवश्यकता थी। वह एक छावनी थी, जहाँ गदर के बाद कुछ विशेष नहीं हुआ था। श्रीमती डोरीन स्मिथ के लिए जीवन नीरस हो गया था।’

‘श्रीमती स्मिथ की आयु तीस से कुछ अधिक थी और उसकी ग्यारह वर्ष की एक बेटी थी जो स्कूल में पढ़ती थी। उसका पति क्लैरेंस स्मिथ, छावनी कार्यालय में क्लर्क था। वह शांत प्रवृत्ति का व्यक्ति था जिसे कुछ नया करने का शौक़ नहीं था। वह अधिकतर डाक-टिकट जमा करने और आस-पास के जंगलों में तीतर और जंगली सुअर मारने में व्यस्त रहता था। वह महीने में एक बार अपनी पत्नी और बेटी को दिल्ली के फ़ैशन-परस्त कश्मीरी गेट इलाक़े में ख़रीदारी के लिए लेकर आता था। उन दिनों नई दिल्ली “निर्माणाधीन” थी। उसे हाल में, देश की राजधानी घोषित किया गया था और इसलिए वहाँ देखने योग्य अधिक कुछ नहीं था।’

‘डोरीन स्मिथ जीवन में जोश और उत्तेजना चाहती थी। वह अपने पति से बिलकुल अलग थी: कामुक, आलसी और निस्तेज। उसके भारी एवं सुदृढ़ स्तन, कुरता फाड़कर बाहर आने को बेचैन रहते थे और वह अपने पुष्ट कूल्हे हिलाती हुई चलती थी। उसके बालों से लैवेंडर के साबुन की, गालों से गुलाब-जल की सुगंध आती थी। उसके होंठ गुलाब की पंखुरियों के समान थे। वह बाज़ार या क्लब जाती तो लोग उसे देखते रह जाते और उसके कामोत्तेजक आकर्षण की प्रशंसा किए बिना नहीं रहते थे।’

‘स्मिथ बड़ा भाग्यशाली है,’ यह एक सामान्य टिप्पणी थी। परंतु क्लैरेंस स्मिथ अपने भाग्य को सराहता नहीं था, अथवा सराह पाता नहीं था। वह डोरीन जैसा नहीं था। वह कभी-कभी डोरीन को प्यार करता था किंतु ऊपरी तौर पर और आधे मन से। उसका दिमाग़ अन्य बातों में उलझा रहता था - दिल्ली से ख़रीदी दस पैसे की बरमूडा डाक-टिकट या फिर छावनी के लेखा-विभाग में होने वाली जाँच: वह एक ईमानदार और सख़्त लेखाकार था। उसे अपनी बेटी से प्यार था। वह उसे घुमाने ले जाता और उसके स्कूल के कार्यक्रमों में जाता था। उसकी बेटी को अपने पिता से साफ़-सुथरा रहने की आदत विरासत में मिली थी। श्रीमती स्मिथ को सफ़ाई पसंद नहीं थी। उसके कपड़े कमरे में चारों तरफ़ बिखरे रहते थे, पर्दे गंदे रहते थे, फ़र्नीचर पर हमेशा धूल-मिट्टी जमा रहती थी। वह पूरी तरह नौकरों पर आश्रित थी। घर में एक रसोइया, एक जमादार और एक माली था। वे जब अपनी मालकिन को घर के काम-काज में अयोग्य देखते तो स्वयं भी अपना काम ठीक से नहीं करते थे और इसलिए उनका घर सदा गंदा दिखता था।

‘गर्मी के मौसम में मेरठ का तापमान काफ़ी बढ़ जाता है। ज़्यादा गर्मी के कारण अधिकतर लोग अपने घरों के भीतर ही रहते हैं। सौभाग्य से, बिजली आने के बाद, बहुत-से घरों में छत और टेबल के पंखे आ चुके थे। आप किसी चरचराते पंखे के नीचे लेटकर दीवारों पर घूमती छिपकलियों को गिनते अपना समय बिता सकते थे।’

‘और फिर डोरीन स्मिथ के नीरस जीवन में एक अजनबी आया। हाँ, एक लंबा, सांवला अजनबी। उसका नाम अंग्रेज़ों जैसा था, जैसा कि अधिकतर ईसाई या आंग्ल-भारतीय रखते हैं। परंतु वह शायद जिप्सी या दक्षिणवासी था। वह निश्चित रूप से अलग दिखता था और सामाजिक स्तर पर स्मिथ परिवार के बराबर था।’

‘वह आगरा के सरकारी अस्पताल के दवाईख़ाने में काम करता था और साल में एक-दो बार अपने रिश्तेदारों से मिलने मेरठ जाता था। उसका नाम मॉन्टी समर्स था। मुझे ठीक से नहीं पता कि वह डोरीन से कहाँ मिला - किसी क्लब या पार्टी में - लेकिन उन दोनों में तुरंत दोस्ती हो गई थी। उनके बीच तालमेल एकदम सही था। डोरीन को अपना सच्चा साथी मिल गया - एक ऐसा व्यक्ति जो उसके लिए शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से उपयुक्त था। वह यौन संतुष्टि के लिए तड़प रही थी। मॉन्टी, महिलाओं को अच्छी तरह समझता था, लेकिन उसे डोरीन जैसी कामुक महिला पहले नहीं मिली थी। यह पहली नज़र में काम-वासना जैसा किस्सा था।’

‘वह जल्द ही कभी चाय के लिए, कभी गर्मी से बचने के बहाने से स्मिथ के घर आने-जाने लगा। वह डोरीन की बेटी के लिए छोटे-छोटे उपहार भी लाता था। वह स्कूल से दोपहर के बाद घर लौटती थी और स्मिथ शाम को छह बजे आता था। दिन के समय नौकर सो जाते थे। दिन में डोरीन स्मिथ और मॉन्टी समर्स को छोड़कर समूचा मेरठ सो जाता था। यह उन दोनों के लिए प्यार करने का सबसे उपयुक्त समय होता था। वे दोनों अवसर मिलते ही, ठंडे कमरे में पंखे के नीचे ईरानी कालीन पर लेट जाते और जोश-भरे, जंगली व उन्मुक्त ढंग से एक-दूसरे को प्यार करते थे। निषिद्ध आनंद से भरे एकाध घंटे बिताने के बाद मॉन्टी, बेगम पुल के पास स्थित अपने होटल के कमरे में लौट जाता तथा डोरीन, फिर से उदास व सम्माननीय गृहिणी बन जाती थी।’

‘वह लगभग दस दिन मेरठ में था और इस बीच डोरीन उससे मिलने दो बार उसके होटल गई। होटल के ठंडे, अंधेरे एवं ऊँची छत वाले कमरे में उन्हें जगह और एकांत, दोनों उपलब्ध थे और उन्हें हर बार एक-दूसरे के साथ काफ़ी समय मिल जाता था। डोरीन तृप्त हो जाने के बाद, आनंद के क्षणों को थोड़ा लंबा करने की इच्छुक थी, किंतु उसने अनिच्छा से घर जाने के लिए ताँगा कर लिया।’

‘मेरठ और आगरा, रेल व सड़क दोनों तरह से जुड़े थे। उनके बीच कुछ ही घंटों की दूरी थी लेकिन मॉन्टी दो महीनों में एक बार ही आ पाता था। हालाँकि, उन दिनों डाक सेवा बहुत कार्यकुशल थी। पत्र तथा उनके साथ प्रेम-संदेश एवं कामुक मुलाक़ातों के वादे, बड़ी तेज़ी-से पहुँचते थे। दोनों को अच्छे पत्र लिखना आता था। टेलीफ़ोन और तार द्वारा प्रेम की भाषा बोलना संभव नहीं था। जब दो लोग दूर हों तो केवल लिखित शब्द ही उन्हें जोड़ सकता है। डोरीन बहुत लंबे, कई पृष्ठों वाले पत्र लिखती थी। मॉन्टी थोड़ा कम भावुक था, किंतु वह अपनी प्रेमिका के सौंदर्य, आकर्षण तथा उत्साह की प्रशंसा करने से नहीं चूकता था - वह प्रेम की देवी थी, यदि ऐसी कोई देवी होती है!’

‘क्लैरेंस स्मिथ अपनी पत्नी की बेवफ़ाई से पूरी तरह अनजान था। फिर भी, वह उन दोनों के लिए एक रुकावट, एक असुविधा था क्योंकि डोरीन और मॉन्टी दो महीने में एक बार, वह भी कुछ घंटों के लिए नहीं, बल्कि हर दिन, हर रात साथ में रहने के लिए बेचैन थे। उनके लिए कोई अन्य महत्त्वपूर्ण नहीं था…’

‘मॉन्टी अकेला था, या वह भी विवाहित था?’ राजकुमारी हेमाली ने पूछा।

‘यही तो दुख की बात थी। उस आकर्षक पुरुष समर्स की एक पत्नी और एक बच्ची थी। उसकी पत्नी शांत और शर्मीली थी, जिसपर उसका पति हावी रहता था। वह एक सीधी-साधी ईसाई लड़की थी। समर्स ने उसे फुसलाकर गर्भवती बना दिया, फिर उसे मजबूरी में लड़की से शादी करनी पड़ी। लड़की का पिता, अस्पताल में समर्स का वरिष्ठ था। उसकी पत्नी, अपना समय और ऊर्जा अपनी दस-वर्षीय बेटी पर लगाती थी और उसका पति जब मेरठ से लौटता तो वह उससे कोई प्रश्न भी नहीं करती थी।’

‘वह मॉन्टी के लिए बाधा नहीं थी, किंतु फिर भी वह उससे बँधा था। एक तरह से, क्लैरेंस स्मिथ की ओर से भी कोई बाधा नहीं थी लेकिन घर उसी से चलता था और वह उसकी बेटी का पिता था, तो इस तरह डोरीन भी उससे बँधी थी।’

‘श्री स्मिथ को छोड़कर,’ नंदू ने कहा, ‘बाक़ी सबके लिए बड़ा कष्ट था।’

‘नहीं, भोले-भाले लोगों को सबसे पहले कष्ट होता है,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहा। ‘यदि स्मिथ थोड़ा समझदार, तेज़ और सतर्क होता तो उस दुर्घटना को टाला जा सकता था। लेकिन डोरीन से और सहन नहीं हुआ। उसकी नज़र में स्मिथ बहुत उदासीन और नीरस था। ‘हमें कुछ करना होगा,’ उसने अपने प्रेमी को लिखा। ‘मुझे तुम्हारी बहुत आवश्यकता है। मैं ऐसे नहीं जी सकती। हम एक-दूसरे के लिए बने हैं और इस तरह अलग रहना बिलकुल सही नहीं है!’

‘और तब पहली बार पैकेट में हलके-सफ़ेद रंग का पाउडर, डाक से आया। संखिया!’

‘संखिया!’ पियानो-स्टूल पर बैठा लोबो चिल्लाया।

‘संखिया और पुराना फ़ीता,’ नंदू ने मज़ाक़ में कहा।

‘नहीं, केवल संखिया,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहा।

‘उसकी सोडा-व्हिस्की में?’ राजकुमारी ने पूछा।

‘स्मिथ पीता नहीं था।’

‘तो फिर, उसके सूप में,’ मैंने कहा। ‘या चिकन तरकारी में। तरकारी के स्वाद में संखिया का स्वाद छिप सकता है।’

‘संखिया में ज़्यादा स्वाद नहीं होता,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहा। ‘वह किसी भी चीज़ में - नाश्ता, दोपहर या रात के भोजन - मिलाया जा सकता था। स्मिथ को पता भी नहीं लगता। बाद में जब वह उल्टी करता तो किसी को भी दोष दिया जा सकता था - दफ़्तर में खाया हल्का भोजन, बाज़ार का बासी खाना, घर लौटते हुए मार्ग का गंदा पानी। तराई वाले इलाक़ों में, गर्मी के मौसम में पेट ख़राब होने में देर नहीं लगती। उस मौसम में हैजा भी हो जाता है।’

‘दुष्ट!’ राजकुमारी ने कहा। ‘तो उसने संखिया खिलाकर अपने पति को मार डाला?’

‘तुरंत नहीं। इस तरह अचानक नहीं। ऐसा करने से संदेह हो सकता था। मॉन्टी ने संखिया के साथ उसे खिलाने का विस्तृत तरीक़ा भी लिखकर भेजा था। “एक बार के भोजन में केवल आधा चम्मच। फिर रुक जाओ। उसके बीमार पड़ने की प्रतीक्षा करो। वह बहुत बीमार हो जाएगा। परंतु वह ठीक भी हो जाएगा। उसके स्वस्थ होने के बाद अगली ख़ुराक देनी है। हर बार आँत में होने वाली जलन पिछली बार से तेज़ होगी। चिकित्सक को बुलाकर उसका इलाज करवाना। उसके बाद मैं और संखिया भेजूँगा।” उस उत्तेजित प्रेमी व दवाई बेचने वाले ने इस तरह का पत्र डोरीन को लिखा।’

‘घोर नीचता!’ राजकुमारी ने अपनी बात दोहराई।

‘सचमुच, मिस रिप्ली-बीन ने कहा। ‘और सब कुछ योजना के अनुसार ही हुआ। किसी को संदेह नहीं हुआ - न बेटी को, न नौकरों को और न ही स्मिथ को।’

‘वह सचमुच बीमार, बहुत बीमार हो गया। संखिया बहुत कष्टकारी ज़हर है। थोड़ी मात्रा में लेने से उल्टी आती है, जी मिचलाता है और शरीर में ऐंठन हो जाती है। अधिक मात्रा लेने पर साँस रुकने से मृत्यु हो जाती है। स्मिथ पूरी रात तकलीफ़ में जागता रहा। सुबह होने पर चिकित्सक ने आकर उसे दवाई पिलाई। कुछ समय बाद स्मिथ को आराम आ गया। कुछ दिन आराम करने और स्वस्थ होने पर स्मिथ ने काम पर जाना आरंभ कर दिया। इस बीच डोरीन ने मॉन्टी को अपने पति की स्थिति के बारे में पत्र लिखा। जल्द ही, डाक द्वारा सफ़ेद पाउडर का एक और पैकेट आ गया, जिसके साथ प्रेम-संदेश और बहुत-से निर्देश भी थे। “इस बार ख़ुराक थोड़ी ज़्यादा देनी है। एक चम्मच। सुबह नाश्ते के साथ।” उस दिन स्मिथ को नाश्ता करने की इच्छा नहीं हुई। उसने अपना दलिया अपनी बिल्ली के कटोरे में पलट दिया। बिल्ली उसे चाटकर खा गई। बाद में, उन्हें वह बिल्ली बरामदे की सीढ़ियों पर मरी मिली। “इसने अवश्य ही ज़हरीला चूहा खा लिया होगा,” श्रीमती स्मिथ ने कहा। हाँ, घर में चूहा मारने का ज़हर भी था। परंतु आपके पास इतनी ज़ोरदार चीज़ हो तो चूहा मारने वाले ज़हर किसे चाहिए? उन दिनों डाक बहुत नियमित रूप से आती थी।’

‘पुराने दिन अच्छे थे,’ नंदू ने कहा और फिर सबको एक-एक गिलास शराब और दी। ‘उसके बाद क्या हुआ?’

‘तीसरा प्रयास बहुत हानिकारक था। दो-तीन घंटे उल्टी और पेट-दर्द के बाद स्मिथ को छावनी के अस्पताल में ले जाया गया। वे लोग रसोइए और माली की सहायता से स्मिथ को बग्घी में ले गए थे। उन दिनों एम्बुलेंस नहीं होती थीं। गाड़ियाँ बहुत कम थीं और अधिक तेज़ भी नहीं चलती थीं। डोरीन स्मिथ साइकिल पर अस्पताल पहुँची।’

‘स्मिथ को दो सप्ताह अस्पताल में रहना पड़ा। पहले हैजा, फिर पेट दर्द और अंत में ज़हरीले भोजन का इलाज किया गया। वह धीरे-धीरे ठीक हो गया। उनके मिलने-जुलने वालों में आगरा का मॉन्टी समर्स भी एक था। “तुम्हें हवा-पानी बदलने की ज़रूरत है, दोस्त,” उसने कहा। “कुछ समय आगरा में रहो। जल्द ही वर्षा आरंभ होने वाली है, फिर थोड़ी ठंडक हो जाएगी।” क्लैरेंस स्मिथ ने स्वस्थ हो जाने के बाद आगरा आने का वादा किया।

‘वर्षा आरंभ हो गई। स्मिथ घर चला गया, पर वह बहुत कमज़ोर था। उसका वज़न काफ़ी कम हो गया और गाल पिचक गए थे। कुछ ही महीनों में वह अपनी आयु से दस वर्ष अधिक दिखने लगा था।’

‘उसे वर्षा से कुछ राहत मिली। बारिश के आरंभिक दिनों में सबकुछ तरो-ताज़ा हो जाता है। लंबे समय से शुष्क पड़ी ज़मीन पर वर्षा की बूँदें गिरीं तो वह महक उठी। बारिश के कारण नीम के पेड़ों से टूटी पत्तियाँ, पैरों के नीचे कुचली पड़ी रहती थीं और उनकी सुगंध भी अच्छी लगती थी। आम के पेड़ों पर बैठे तोते शोर मचाते थे, हुदहुद बगीचों में बहार निकल आए कीड़ों को खाते थे। क्लैरेंस स्मिथ, बिस्तर पर लेटा वर्षा-ऋतु की आवाज़ों और सुगंधों का आनंद लेता था। मॉन्टी होटल में रुका हुआ था और स्मिथ के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान डोरीन रोज़ उससे मिलने जाती थी। वह अस्पताल से ज़्यादा बार, होटल जाती थी और ये मुलाक़ातें पहले से अधिक लंबी थीं।’

‘स्मिथ की बेटी का स्कूल गर्मियों की छुट्टियों में बंद हो गया था। वह अधिकतर समय घर पर अपने पिता की देखभाल और रसोई में काम करते बिताती थी। डोरीन सावधान थी। वह अपनी बेटी के मन में किसी तरह का संदेह पैदा नहीं करना चाहती थी। रसोइया नाराज़ था और काम छोड़ने की धमकी दे चुका था। जब भी साहब पेट दर्द से बीमार पड़ते तो सब लोग डोरीन को संदेह की नज़र से क्यों देखने लगते थे? डोरीन ने कुछ दिन के लिए अपना काम रोक दिया।’

‘क्या हम छुट्टियों में किसी और जगह नहीं जा सकते?’ उनकी बेटी ऐनी ने कहा। ‘पहाड़ों में, मसूरी या नैनीताल? इससे पापा को लाभ होगा। उनकी ताक़त और भूख लौट आएगी। वह बहुत कमज़ोर हो गए हैं और कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं।’

‘यह खाने से डरने लगा है,’ डोरीन ने सोचा। ‘शायद इसे संदेह हो गया है।’ उसने ऊँची आवाज़ में अपनी बेटी से कहा, ‘इस समय पहाड़ी स्थान पर जाना बहुत महँगा होगा। क्या तुम आगरा चलोगी - ताजमहल देखने - और वहाँ कुछ दिन रहना चाहोगी? तुम थोड़ी ख़रीदारी भी कर सकोगी। आगरा में हमेशा ख़ूब पर्यटक आते हैं और वहाँ की दुकानें यहाँ से काफ़ी बेहतर हैं। हमारे मित्र, श्री समर्स हमारे लिए कमरे का प्रबंध कर देंगे या कोई बंगला किराए पर दिलवा देंगे।’

‘ताजमहल! मैंने कभी नहीं देखा। हाँ, चलो हम आगरा चलते हैं!’ ऐनी ने कहा। इस तरह वे लोग आगरा चले गए।

‘मॉन्टी समर्स ने उनके सभी प्रबंध किए। छावनी में एक छोटा बंगला, एक रसोइया और एक नौकर। श्री स्मिथ के दोबारा बीमार पड़ने पर तुरंत पहुँचने वाला एक चिकित्सक। डोरीन और मॉन्टी, अब एक-दूसरे के और पास आ गए थे। उनके घरों के बीच थोड़ी-सी दूरी थी और वे आसानी-से मिल सकते थे, या उस प्रसिद्ध शहर में स्थित ताजमहल को देखने जा सकते थे। परंतु प्यार करने की जगह कहाँ थी? मॉन्टी की पत्नी और बेटी थी जो हमेशा घर पर रहते थे। क्लैरेंस स्मिथ लगभग अशक्त था इसलिए उसके लिए घर से बाहर जाना संभव नहीं था। आगरा में मॉन्टी को सब जानते थे इसलिए वह पहचाने जाने के डर से डोरीन को लेकर किसी होटल में भी नहीं जा सकता था। तो वे लोग पास होकर भी दूर थे! काश वे पति-पत्नी होते…’

‘सबसे पहली प्राथमिकता क्लैरेंस स्मिथ के कष्ट को समाप्त करना था।’

‘ऐनी के जन्मदिवस पर डोरीन ने एक छोटी-सी पार्टी रखी। मॉन्टी अपनी शर्मीली पत्नी और बेटी के साथ आया था। उसके साथ उसके कुछ दोस्त भी आए थे। पार्टी में खाने को चॉकलेट केक, पेस्ट्री, तरकारी, और बर्फ़ी थे। अदरक वाली बियर और नींबू पानी का भी प्रबंध था। क्लैरेंस के लिए उसकी पसंद की ख़ास मिठाई तैयार की गई थी। अपनी बेटी और बाक़ी सबको ख़ुश देखकर, स्मिथ को भी जोश आ गया और उसने अपने सामने रखी मिठाई खा ली - जिसे डोरीन ने स्वयं बनाई थी। डोरीन को मिठाई में पड़ने वाली सामग्री के बारे में अच्छी तरह पता था। स्मिथ ने थोड़ा केक खाया और ऊपर से अदरक वाली बियर भी पी। बियर का स्वाद कुछ अलग था। मिठाई ने स्मिथ के पेट में अभी ठीक से जगह भी नहीं बनाई थी। वह जल्दी सोने चला गया लेकिन दो घंटे के बाद, वे सब लक्षण फिर से उभर आए जिन्होंने उसके जीवन को पिछले कुछ महीनों में नरक बना दिया था।’

‘इतने समय बीमार रहने से स्मिथ के शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो गई थी। मॉन्टी समर्स रात में एक चिकित्सक को लेकर आया, लेकिन आधी रात होने तक क्लैरेंस स्मिथ मर चुका था। उसके मृत्यु प्रमाण-पत्र में मौत का कारण तीव्र आंत्र-शोथ लिखा था और स्मिथ को बिना शोरगुल के चुपचाप दफ़ना दिया गया।’

‘उसकी अंत्येष्टि पर बहुत कम लोग मौजूद थे। आगरा से उसका साथी वहाँ पहुँचा था, अन्यथा स्मिथ की पत्नी, बेटी और मॉन्टी तथा कुछेक जान-पहचान वालों के अतिरिक्त कोई नहीं था। ऐनी को छोड़कर किसी की आँखों में आँसू नहीं थे। डोरीन जैसी भी थी, लेकिन उसने दुखियारी विधवा होने का दिखावा नहीं किया। उसके कोमल एवं आकर्षक बाहरी व्यक्तित्व ने उसके भीतर के कठोर एवं धूर्त स्वभाव को आसानी-से छिपा लिया था।’

‘क्या अब उसका रास्ता साफ़ था? बिलकुल नहीं। मॉन्टी अब भी अपनी पत्नी और बेटी के साथ बँधा था और उनके तलाक़ का कोई प्रश्न ही नहीं था क्योंकि पत्नी को छोड़ते ही, मॉन्टी की नौकरी भी छूट जाती। वह छिप-छिपकर डोरीन से मिल सकता था लेकिन कब तक? वे एक-दूसरे को बहुत चाहते थे। शारीरिक इच्छा, नैतिकता समेत अन्य बातों पर हावी हो गई थी।’

‘एक दिन रात को, जब मॉन्टी किसी काम से शहर से बाहर गया था, तीन बदमाश उसके घर में घुसे और उन्होंने उसकी दुर्भाग्यशाली पत्नी की चाकू मारकर हत्या कर दी। उसकी चीख़ सुनकर पास के कमरे में सोई छोटी बच्ची उठ गई। वह बाहर बरामदे में आई तो उसने बदमाशों को सीढ़ियों से नीचे उतरकर अँधेरे में भागते हुए देखा। परंतु उसने उन तीन में से एक को पहचान लिया था।’

‘मॉन्टी नाटक अच्छा कर लेता था। वह घर लौटा तो अपनी पत्नी को मृत एवं पुलिस को चारों ओर घूमता देखकर, भय और दुख का ढोंग करने लगा। उसने पुलिस को बताया कि घर में से बहुत-सी मूल्यवान चीज़ें ग़ायब हैं। उसने पूरी घटना को चोरी का रूप देने का प्रयास किया। परंतु उसकी बेटी को केवल अपनी माँ की चीख़ और उसके हत्यारों में से एक, मंगल सिंह का चेहरा याद था। मंगल सिंह, पेंटर था जिसने एक बार उनके घर में रंग-पुताई का काम किया था। वह आसानी-से पकड़ा गया और उसने अपना अपराध भी स्वीकार कर लिया। उसने सारा दोष मॉन्टी पर लगाया और कहा कि मॉन्टी ने अपनी पत्नी की हत्या करने के लिए उसे पैसे दिए थे।’

‘मॉन्टी ने अपना अपराध मान लिया?’ नंदू ने पूछा।

‘हाँ, अंत में उसने अपराध मान लिया। उसने किराए पर बदमाश बुलाकर बहुत बड़ी ग़लती की थी। वैसे भी उसके बारे में पिछले कुछ सप्ताह से शहर में कई तरह की बातें चल रही थीं। वह विधवा डोरीन को सांत्वना देने के बहाने उसके घर काफ़ी समय बिताने लगा था और इस बीच उसने अपने परिवार की अनदेखी की। अब उसकी पत्नी भी रास्ते से हट चुकी थी लेकिन वह चाहकर भी डोरीन में अपनी रुचि व्यक्त नहीं कर सकता था। आगरा का मुख्य इंस्पेक्टर मित्रा, जो अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध था, सब लोगों से बहुत ध्यान से पूछताछ कर रहा था। वह मॉन्टी की पत्नी की हत्या का कारण खोजने का प्रयास करने लगा। वह लोगों की बातें सुनता हुआ एक दिन श्रीमती स्मिथ के घर पहुँच गया। डोरीन ने तो अधिक कुछ नहीं बताया लेकिन जब इंस्पेक्टर ने ऐनी से बात की, तो उसे हाल में हुई स्मिथ की मृत्यु, उसकी बीमारी, उनके पारिवारिक मित्र मॉन्टी समर्स का घर आना-जाना, उसकी चिट्ठियाँ, और उसके द्वारा की जा रही देखभाल का पता लगा…’

‘चिट्ठियाँ, डाक में पैकेट?’ इंस्पेक्टर मित्रा की उत्सुकता बढ़ने लगी। उस महिला ने अपने प्रेमी के पत्र नहीं फेंके थे, क्योंकि वह ऐसा नहीं कर पाई। केवल प्यार में पड़ी कोई स्त्री ही, इस तरह पत्रों को सँभालकर रखती है और, उसका प्रेमी चाहे कवि न हो, तो भी वह उनमें लिखे प्रेम-भरे शब्दों को बार-बार पढ़ती है। मित्रा ने स्मिथ के घर की तलाशी ली। उसने अलमारी, दराज़, संदूक - सब जगह देखा। उसे डोरीन के पलंग के नीचे एक छोटा-सा ताला-बंद बक्सा मिला। मित्रा ने ताला तोड़ा तो उसमें लाल डोरी से बँधा चिट्ठियों का एक पुलिंदा रखा था। मित्रा उन चिट्ठियों को साथ लेकर चला गया और उसने उन्हें तसल्ली से बैठकर पढ़ा। उसका ध्यान पत्रों में लिखे प्रेमालाप पर कम, और उन निर्देशों पर अधिक था जो पैकेट के साथ भेजे गए सफ़ेद पाउडर को खिलाने के लिए दिए गए थे। निश्चय ही, पाउडर के पैकेट उसमें नहीं थे क्योंकि उनका तो घातक तरीक़े से प्रयोग किया जा चुका था।

‘मित्रा ने डोरीन के सामने चिट्ठियाँ रखीं तो वह रो पड़ी और उसने अपने पति को ज़हर देकर मारने वाली बात स्वीकार कर ली। क्लैरेंस स्मिथ के शव को क़ब्र से बाहर निकाला गया और ज़हर के लिए उसकी मेडिकल जाँच की गई। उसमें काफ़ी मात्रा में संखिया पाया गया!’

‘डोरीन स्मिथ और मॉन्टी समर्स, दोनों पर मुक़दमा चला और उन्हें पहले दर्जे की हत्या का दोषी पाया गया।’

‘सोने से पहले, यह बढ़िया कहानी थी,’ नंदू ने शराब का आख़िरी जाम बनाते हुए कहा। ‘उन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई या फिर मृत्यु-दंड दिया गया?’

‘मॉन्टी को नैनी जेल में फाँसी दे दी गई,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहा। ‘इलाहाबाद वाला नैनी, न कि वह पहाड़ी प्रदेश। डोरीन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई, लेकिन वह सज़ा सहन नहीं कर पाई और पहले ही मर गई। मॉन्टी ने उसे गर्भवती कर दिया था और जब उसे मॉन्टी की मौत का समाचार मिला तो उसका गर्भपात हो गया। मुझे नहीं लगता कि वह जीना चाहती थी। वह कई महीने जेल में रही। उसका शरीर और आत्मा, दोनों अंदर से टूट चुके थे। परंतु जेल में पैदा हुआ उसका बच्चा जीवित बच गया।’

‘क्या वह अभी जीवित है?’ मैंने पूछा।

‘मुझे नहीं पता। वह लड़का था, जिसे किसी मदरसे ने गोद ले लिया और उसे नाम दिया। कुछ अच्छे लोगों ने उसका पालन-पोषण किया। हम आशा करते हैं कि उसका स्वभाव अपने माता-पिता के समान कपटी नहीं होगा।’

‘और मॉन्टी तथा क्लैरेंस की बच्चियाँ - उनका क्या हुआ?’ राजकुमारी ने पूछा।

‘उनके रिश्तेदारों ने उनकी देखभाल की। उनके साथ जो कुछ हुआ, उसका प्रभाव तो उनपर अवश्य पड़ा होगा - शायद, ऐसे घाव के चिह्न जीवन-भर रहते हैं - किंतु अवसर मिले, तो समय इन्हें भर भी देता है। उनके नए घर निश्चित ही पहले वाले घरों से अधिक आनंददायक और सामान्य रहे होंगे।’

‘उनकी शादी पूरी तरह बेमेल थी,’ नंदू ने कहा। हम लोगों के बीच केवल वही एकमात्र विवाहित व्यक्ति था इसलिए उसे इस बारे में बेहतर पता होगा। ‘वे दोनों, जिनकी हत्या हुई, एक-दूसरे के लिए बेहतर जीवन-साथी हो सकते थे।’

‘आगरा क़ब्रिस्तान में उन दोनों की क़ब्रें साथ-साथ हैं,’ मिस रिप्ली-बीन ने कहा। ‘और कुछ भले लोगों ने उनकी क़ब्र पर पत्थर लगा दिए हैं। उनके हत्यारों को तो इतना भी नहीं मिला। मुझे नहीं लगता नैनी जेल वाले अपने यहाँ मरने वालों के लिए क़ब्र का पत्थर उपलब्ध करवाते होंगे।’

लोबो अपने पियानो की ओर मुड़ा और एक पुरानी धुन बजाने लगा: विवाह स्वर्ग में तय किए जाते हैं।

‘हो सकता है, कुछ विवाह स्वर्ग में तय किए जाते हों,’ मिस रिप्ली-बीन ने गाने की धुन पहचानते हुए कहा। ‘किंतु कुछ विवाह निश्चित रूप से नरक में ही तय किए जाते हैं।’