काफी लंबी प्रतीक्षा के बाद हैम्ब्रीग की कलाई में बंधी रिस्टवॉच में साढ़े चार बजे, पिछले तीन घंटे से उसे इसी समय की प्रतीक्षा थी, इसलिए जल्दी से उसने की-होल से आंख सटाकर देखा—मिस्टर गार्डनर पूर्व की भांति गहरी निद्रा में लीन थे।
हैम्ब्रीग ने जेब से चाबी निकालकर दरवाजा खोला।
कमरे के अन्दर आकर उसने बिना कोई आहट उत्पन्न किए ही लॉक अन्दर की तरफ से लगा दिया और चाबी जेब में डालता हुआ दबे पांव बेड़ की तरफ बढ़ा।
उसे अच्छी तरह मालूम था कि क्या करना था, वही सब कुछ करने के लिए तो पिछली पांच रातों से यहां आ रहा था और उसने समझा था कि जो काम अलफांसे मास्टर ने उसे सौंपा था, वह बहुत सरल था, कितं उस क्षण जबकि वह बेड़ की तरफ बढ रहा था, उसे महसूस हुआ कि यह काम बहुत कठिन था।
दिमाग में जाने कहां से आकर अजीब-सी शंकाए रेंगने लगीं।
और भी कुछ नहीं तो दिमाग में यही विचार बड़ी तेजी से कौंधा कि उस वक्त गार्डनर जाग जाए तो क्या हो—इस विचार ने उसे नर्वस-सा कर दिया।
माथे पर पसीने की बूंदे उभर आईं और दिल स्वयं ही बेकाबू होकर जोर-जोर से धड़कने लगा—बेड़ के समीप पहुंचने तक वह डर उसके दिल में कुछ इस तरह बैठ गया था कि अपनी सांसें तक रोक लीं उसने।
जेब से रुमाल और शीशी निकाली।
जिस वक्त उसने शीशी से दो बूंद तरल पदार्थ रुमाल पर डाला उस वक्त न केवल उसके दोनों हाथ बल्कि टांगे भी बुरी तरह कांप रही थीं और इसी घबराहट का नतीजा था कि उसके हाथ से शीशी छूट गईं।
पट की आवाज के साथ फर्श पर गिरी
हैम्ब्रीग बौखला गया, जबकि इस आवाज ने गार्डनर की नींद भी तोड़ दी थी—वे एकदम हड़बड़ाए-से उठकर खड़े होते हुए बोले—"कौन हो तुम?"
हैम्ब्रीग को काटों ते खून नहीं।
मूर्खों की तरह भाड़-सा मुंह फाड़े वह गार्डनर की तरफ देखता रह गया।
"बोलो।" इस बार गार्डनर चीख पड़ा—"कौन हो तुम?"
हैंम्ब्रीग स्टैचू-सा खड़ा रहा, दिमाग कुंद हो गया था उसका—पसीने से लथपथ वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था कि क्या कहे?"
एकाएक ही गार्डनर अपने तकिए की तरफ लपका और यही वह क्षण था कि जब हैम्ब्रीग के दिमाग में बड़ी तेजी से यह विचार कौंध गया कि तकिए ते नीचे गार्डनर का रिवॉल्वर होगा और अब अगले ही पल वह उसे शूट करने वाला था।
इस विचार ने हैम्ब्रीग के जिस्म में जाने कहां से इतनी फुर्ती भर दी कि वह एकदम किसी चीते की तरह गार्डनर पर झपट पड़ा।
गार्डनर संभल भी नहीं पाया था कि हैम्ब्रीग ने अपना रुमाल वाला हाथ उसके मुंह और नाक पर रख दिया—सच यह है कि जो हुआ वह हैम्ब्रीग ने करना नहीं चाहा था, हड़बड़ाहट की वजह से खुद-ब-खुद ही हो गया था और होनें के बाद उसके दिमाग में यह बात कौंधी कि जो हुआ था वह ठीक ही हुआ था और यह बात दिमाग में आते ही उसने अपनी पकड़ सख्त कर दी—मुहं पर रखे हाथ का कसाव बढाता ही चला गया वह।
गार्डनर उसकी सख्त पकड़ से निकलने की भरपूर कोशिश कर रहा था, किन्तु सच्चाई यह है कि वह किसी भी तरह शारीरिक शक्ति में हैम्ब्रीग की टक्कर का नहीं था।
अतः कहना यह चाहिए कि बंधनों से निकलने के प्रयास में वह छटपटा मात्र रहा था।
इधर, शारीरिक शक्ति में गार्डनर से कई गुना ज्यादा होने के बावजूद हैम्ब्रीग चोर होने की वजह से मानसिक रूप से कमजोर था और उसे डर भी था कि यदि गार्डनर उसकी पकड़ से निकल गया तो न केवल मास्टर की सारी योजना यहीं बिखरकर छिन्न—भिन्न हो जाएगी, बल्कि मौका मिलते ही गार्डनर उसे मार डालेगा।
इसी डर से वह अपनी पकड़ को सख्त और सख्त करता चला गया और अंतिम परिणाम यह निकला कि मिस्टर गार्डनर रुमाल में लगी दवा के प्रभाव से बेहोश हो गए।
हां बेहोश होने से पूर्व वो बेड़ से नीचे गिर गए थे।
उनके बेहोश होने से बावजूद भी घबराए हुए हैम्ब्रीग ने यह देखने के लिए उनके जिस्म में दो-तीन ठोकरें जमाईं कि वे बेहोश हुए भी थे या नहीं।
तब कहीं जाकर उसे लगा कि इस मुसीबत से उसने छुटकारा पा लिया था।
हैम्ब्रीग बुरी तरह हांफ रहा था। गार्डनर को उसने बेहोश जरूर कर दिया था, किन्तु कांप वह अब भी रहा था।
हैम्ब्रीग को लगा कि बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई थी—अलफांसे मास्टर ने तो कहा था कि गार्डनर को अपने बेहोश होने तक का पता न लगे और यहां यह सब हो गया हैं—उसे यह ख्याल आया कि इस गलती पर मास्टर बहुत बिगड़ेंगे और यह ख्याल आते ही उसकी नजर रिस्टवॉच पर पड़ी—पौने पांच बजा रही रिस्टवॉच को तो देखते ही उसके होश उड़ गए।
पौने पांच—उफ—पांच बजे तो मास्टर को आना हैं।
सिर्फ पंद्रह मिनट रह गए हैं।
'ये घड़ी कम्बख्त अचानक इतनी तेज क्यों चलने लगी हैं'–यह सोचते हुआ वह ठीक उसी तरह सेफ पर झपटा जैसे गार्डनर पर झपटा था—हैंडिल पकड़कर झटका दिया उसने।
सेफ नहीं खुली।
हैंम्ब्रीग बौखला गया और एकाएक ही उसे ख्याल आया कि अभी सेफ के नंबर तो उसने मिलाए नहीं है, अतः वो बिजली-की-सी तेजी से नंबर मिलाने लगा।
बौखलाहट की चरम सीमा देखो कि सेफ का नंबर अच्छा—खासा रटा हुआ था उसे, इस वक्त ठीक से याद नहीं आया—बड़ी मुश्किल से, कई बार गलतियां करने के बाद वह ठीक नंबर मिला सका और इस बार उसके हैंडिल घुमाते ही सेफ खुल गई।
अब उसे फोन नंबर मिलाना था।
उसकी कुछ ऐसी की हालत फोन का नंबर मिलाते वक्त भी हुई, किन्तु अंततः नंबर मिलाने में वह कामयाब हो ही गया, किन्तु तब तक पांच बजने में केवल पांच मिनट रह गए थे।
हैम्ब्रीग आंधी-तूफान-सा बाथरूम की तरफ लपका।
रुमाल अब भी उसके हाथ में था, तहखाने में उसे अंधेरा-ही-अंधेरा नजर आया, इसके बावजूद भी वह लोहे की सीढियां उतरने लगा—टटोल-टटोलकर, वह भी तेजी-से सीढ़ियां तय करने में उसे बहुत दिक्कत हो रही थी।
कई बार तो अंधेरे में वह गिरते-गिरते बचा।
फिर भी, मन-ही-मन वह गिनता जा रहा था कि कितनी सीढियां उतर चुका था, उसे मालूम था कि यह बीस सीढियां थी और बीसवे डंडे पर पैर रखते ही यह कोठरी एक बल्ब के प्रकाश से भर जाएगी और इसी क्षण उसे कोठरी में मौजूद एकमात्र सशस्त्र सैनिक से जूझना था।
बीसवे डंडे पर पैर रखते ही, बल्ब जला।
सशस्त्र सैनिक गार्डनर के स्थान पर किसी अपरिचित को देखकर चौंका और अभी उसने अपने कंधे पर लटकी गन को उतारने की कोशिश की ही थी कि गोरिल्ले की तरह उस पर झपट पड़ा।
सैनिक चीख भी नहीं सका और हैम्ब्रीग का रुमाल वाला हाथ उसके मुंह और नथुनों पर कूकर के ढक्कन की तरह चिपक गया।
गार्ड़ का बेहोश जिस्म शीघ्र ही कोठरी के फर्श पर गिर गया।
हैम्ब्रीग ने जल्दी से समय देखा—पांच दस हो रहे थे—उसकी हड़बड़ाहट कुछ और बढ़ गई, उसने जल्दी-से गार्ड़ की जेबें टटोलीं और तीन टांग वाला प्लग निकला लिया।
अभी वह इस प्लग की स्विच में लगाने ही वाला था कि ठिठक गया।
जाने क्या याद आ गया था उसे?
उफ कहकर उसने बड़ी तेजी—से अपने कपड़े उतारने शुरु कर दिए, अपने बाद उसने गार्ड़ के बेहोश जिस्म से उसकी वर्दी उतारी और फिर वह वर्दी उसने पहन ली।
इस सारे काम में उसे पंद्रह मिनट और लग गए थे।
पांच पच्चीस पर उसने प्लग स्विच में लगाया और बाईं तरफ की दीवार किसी शटर के समान जमीन में धंसती चली गई।
सामने गैलरी थी और गैलरी में खड़े गार्ड़ बिल्कुल सावधान की मुद्रा में खड़े थे, दीवार के फर्श में धंसने की आवाज सुनकर उन्होंने इधर नहीं देखा।
ऐसा करने से उन अऩुशासित गार्डस की सावधान की मुद्रा टूटती थी न।
हैम्ब्रीग न चोर दृष्टि से छत की तरफ देखा।
छिपकली के समान चलता हुआ अलफांसे उस स्थान को पार कर रहा था, जहां स्विच में से प्लग के निकलते ही जमीन में से शटर के समान दीवार निकलकर छत से सट जानी थी।
मुश्किल से दो मिनट में अलफांसे वह सीमा रेखा पार करके कोठरी की छत पर आ गया था और यह अभियान पूरा होते ही हैम्ब्रीग ने स्विच से प्लग निकाल लिया।
दीवार ने पुनः कोठरी को गैलरी से अलग कर दिया।
छत पर चिपके अलफांसे ने कहा—"रास्ता खोल हैम्ब्रीग, जल्दी।"
"अभी लीजिए मास्टर।" कहने के बाद हैम्ब्रीग लोहे की सीढ़ी के बिल्कुल निचले सिरे को टटोलने लगा।
हैम्ब्रीग को एक स्विच मिल गया। उसके दबते ही बाथरूम वाला दरवाजा खुल गया और बल्ब स्वयं ही बुझ गया।
अंधेरे में अलफांसे की आवाज गूंजी—"संभलकर हैम्ब्रीग, सीढ़ी के आखिरी सिरे पर तुम्हारा पैर न पड़े, वरना रास्ता फिर बंद हो जाएगा।"
"म..मुझे याद है मास्टर।" अंधेरे में डंडे को टटोलते हुए हैम्ब्रीग ने कहा और फिर सीढ़ी पर चढने के लिए उसने निचले नहीं, बल्कि पैर सीधा उससे ऊपर वाले डंडे पर रखा तथा फिर अंधेरे में टटोलता हुआ चढने लगा।
इस बीच अलफांसे रास्ता पार करके बाथरूम में पहुंच चुका था।
जब हैम्ब्रीग बाथरूम में पहुंचा तब अलफांसे वहां भी मौजूद नहीं था। दरवाजा खोलकर उसने कदम कमरे में रखा तो कांप गया, क्योंकि चकित-सा अलफांसे फर्श पर पड़े गार्डनर और टूटी हुई शीशी को देख रहा था।
"हैं...हैम्ब्रीग।" अलफांसे के लहजे में सख्ती थी।
"ज...जी मास्टर।" हैम्ब्रीग हकला गया।
"यह सब क्या हैं?"
"ज...जरा-सी गड़बड़ हो गई मास्टर।"
उसकी तरफ घूमकर लगभग गुर्रा-सा उठा अलफांसे—"कैसी गड़बड़?"
हैम्ब्रीग एक ही सांस में सब कुछ बता गया।
अलफांसे के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। अभी कुछ कहने के लिए उसने मुंह खोला ही था कि वे दोनों बुरी तरह उछल पड़े।
हैम्ब्रीग बेचारे की तो बात ही क्या, स्वयं अलफांसे के जिस्म के सभी मसामों ने लावे के समान गर्म पसीना उगल दिया, जिस्म का
पोर-पोर कांप उठा था।
दूर-दूर तक छाए सन्नाटे को झंझोड़ती चली गई थी वह घंटी।
हक्के-बक्के से अलफांसे ने हैंम्ब्रीग की तरफ देखा—बेचारे हैम्ब्रीग का चेहरा तो पहले से ही ऐसा हो रहा था जैसे किसी मुर्दे का चेहरा—बिल्कुल पीला, निस्तेज।
स्वयं अलफांसे का सारा शरीर कांप रहा था।
टेलीफोन की घंटी अब भी बजे चली जा रही थी।
अलफांसे तेजी-से लपका, एक झटके से रिसीवर उठा लिया उसने।
दूसरी तरफ से कहा जा रहा था—'हैलो...हैलो...हैलो बॉस।''
अलफांसे ने कई क्षण चुपचाप गंवा दिए, शायद यह सोचने में कि वह क्या करे—किसी फिरकनी की तरह घूमते हुए उसके दिमाग में जाने क्या आया था कि अगले ही पल उसके मुंह से गार्डनर की आवाज निकली—''हैलो...गार्डनर हियर।''
"स...सर...समझ में नहीं आता—अब से एक घंटे पहले अचानक ही कंट्रोल रूम की दीवार अपने स्थान से हटी और दो मिनट बाद पुनः बंद हो गई—आश्चर्य की बात है कि दीवार के हटने के और बंद होने के बीच न तो कोई कंट्रोल रूम में ही गया और न ही बाहर निकला—हम यह सोचकर हैरत में पड़ गए कि आखिर दीवार अपने स्थान से क्यों हटी थी?"
"कंट्रोल रूम में मौजूद रिचर्ड़ आदि से पूछते?"
"तब से अब तक हम यही कोशिश तो करते रहे है बॉस, हमने सैंकड़ों बार दीवार पर सा..रे...गा...मा...की धुन बजाई, परन्तु अन्दर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।"
"क्या बक रहे हो?" गार्डनर की आवाज में अलफांसे चीख पड़ा।
सहमा हुआ स्वर—"म...मैं ठीक कह रहा हूं, सर।"
"ठहरो—कुछ देर बाद हम खुद देखते हैं।" कहने के तुरंत बाद अलफांसे ने रिसीवर क्रेड़िल पर पटक दिया और हैम्ब्रीग की तरफ घूमा।
घबराए-से हैम्ब्रीग ने पूछा—"क्या हुआ, मास्टर?"
"बहुत गड़बड़ हो गई है—ऐसा करो हैम्ब्रीग, कमरे का लॉक खोलकर तुम पिछले दरवाजे से लॉन में पहुंच जाओ—ठीक इस कमरे की इस खिड़की के पास और फिर बाहर से इस खिड़की का शीशा तोडते हुए इस कमरे के अन्दर कूद पड़ो।"
इस अटपटे-से आदेश का अर्थ हैम्ब्रीग की समझ में बिल्कुल नहीं आया, इसलिए उसने पूछा—"ल...लेकिन इस सबका लाभ, मास्टर?"
"बताने का समय नहीं है, हैम्ब्रीग, जल्दी करो—क्विक।"
और हैम्ब्रीग जेब से चाबी निकालकर कमरे में बंद दरवाजे की तरफ झपट पड़ा, दरवाजा खोलकर वह बाहर निकल गया और अलफांसे ने बड़ी तेजी से अपनी जेब से वह घड़ी निकाली जो उसने गार्डनर की कलाई से निकाली थी।
अब वह गार्डनर के हाथ में बंधी हुई रिस्टवॉच को बदलने में व्यस्त हो गया—शीघ्र ही उसने चेन बदली—गार्डनर के हाथ में बंधी रिस्टवॉच निकालकर जेब में रखी और और अपनी जेब से निकाली रिस्टवॉच उसकी कलाई में डाल दी।
यही वक्त था जब भड़ाक् की एक जोरदार आवाज के साथ खिड़की के कांच तो तोड़ता हुआ हैम्ब्रीग कमरे के अन्दर आ गिरा।
उसके साथ ही कमरे में चारों तरफ कांच के छोटे-बड़े सैंकड़ों टुकड़े बिखर गए।
खुद हैम्ब्रीग के सिर से खून बहने लगा था।
मगर इस बात की परवाह किए बिना फुर्ति के साथ खड़ा होकर हैम्ब्रीग बोला—"अब क्या हुक्म है मास्टर?"
"श...शाबाश हैम्ब्रीग, मुझे नाज है तुम पर, मगर सुनो, खून की एक बूंद भी फर्श पर न गिरे।"
हैम्ब्रीग ने तुरंत अपने जिस्म से कोट उतारकर सिर पर लपेट लिया।
अलफांसे का दिल चाहा कि हैम्ब्रीग की इस गुरूभक्ति और कुर्बानियों पर चूम ले उसे, किन्तु समय नहीं था, बोला—"समय बहुत कम है हैम्ब्रीग, बात मेरी उम्मीदों से कई गुना ज्यादा बिगड़ चुकी हैं—अब शायद कोहिनूर तक पहुंचना तो हमारे लिए ख्वाबों की बात ही हो जाएगी, खैर—फिलहाल तुम जाओ, किसी भी दिन शाम को पांच बजे मैं तुम्हें सदाबहार में मिलूंगा।"
"ओ○के○ मास्टर।"
"अरे ठहरो, इस कमरे की चाबी तो देते जाओ।"
हैम्ब्रीग ने चाबी अलफांसे की तरफ उछाल दी और स्वयं टूटी हुई खिड़की के रास्ते से अंधेरे में गुम हो गया।
चाबी हाथ में लिए अलफांसे कुछ देर कमरे में खड़ा रहा, कमरे की स्थिति को देखता हुआ कई मिनट तक जाने वह क्या सोचता रहा।
सर्वेण्ट्स क्वार्टर्स कोठी के ठीक विपरीत सिरे पर थे इसलिए उसे डर नहीं था कि खिड़की का कांच टूटने की आवाज ने उनमें से किसी को चौंकाया होगा—कोठी के अन्दर एकमात्र इर्विन थी, हालांकि वह कमरा वहां से काफी दूर था, किन्तु आवाज वहां तक पहुंचनी संभव थी, मगर अलफांसे जानता था कि इर्विन गहरी नींद सोती थी और इस आवाज से उसका जाग जाना कठिन ही था।
आश्वस्त होने के बाद वह कमरे से बाहर निकला, सबसे पहले इमारत के पिछले भाग में स्थित दरवाजा बंद करके आया और जब वह अपने कमरे में पहुंचा तब यह देखकर उसे संतोष हुआ कि इर्विन बेखबर सो रही हैं, मगर उन दो आंखों से वह अब भी परिचित नहीं था, जिन्होनें उनकी आज की भी संपूर्ण कार्यावाही देखी थी।
¶¶
बात उसी रात की है।
सुरंग बनाने का काम अपने पूरे जोर-शोर से जारी था और अब यह सुरंग ऐसे स्थान पर पहुंच गई थी, जहां तक टेम्स के पानी के लिए पहुंचना संभव नहीं था।
भारतीय सीक्रेट सर्विस के वे पांच जासूस जिन्हें इस केस के अंतर्गत मुजरिम कहना ही ज्यादा उचित हैं, उस वक्त जहां थे, वहां दो पैट्रोमेक्सों का भरपूर प्रकाश बिखरा हुआ था, सुरंग पांच फीट के करीब ऊंची थी और जहां से कम ऊंची थी, वहां से ऊंची की जा रही थी।
सुरंग के जिस भाग में उस वक्त वे थे, वहां पानी का कहीं नामोनिशान नहीं था।
पांच फीट ऊंची यह सुरंग कम-से-कम पांच गज आगे तक चली गई थी, मगर चौड़ाई में वह तीन फीट ही थी यानि आराम से केवल एक समय में एक ही व्यक्ति गुजर सकता था—लंबाई में पांच गज से आगे सुरंग की ऊंचाई एक गज तक मात्र दो फीट थी, जिसे अशरफ, विक्रम और आशा अपने हाथों में दबे फावड़ों से ऊंची कर रहे थे।
उनसे आगे ड्रिल मशीन चल रही थी।
उसका संचालन कर रहा था विजय।
विकास मिट्टी कूटने वाले मुगदर से उस मिट्टी को दबा रहा था, जिसे वे तीनों फावड़ो से सुरंग की छत से गिरा रहे थे—जब मिट्टी ज्यादा हो जाती थी तो ये पांचों मिलकर उसे टेम्स के तेज बहाव में बहा देते थे।
समझना यूं चाहिए कि धरती के गर्भ को काटती हुई सबसे आगे ड्रिल मशीन थी, वह तीन बार में तीन फीट व्यास की सुरंग बनाती चली जा रही थी, फिर उसके पीछे-पीछे चलते ये लोग फावड़ों से सुरंग की ऊंचाई बढ़ाते चले जा रहे थे ताकि गर्दन को थोड़ी-सी जुम्बिश देकर सुरंग में आराम से चल—फिर सकें।
लिखने की आवश्यकता नहीं है कि फावड़े आदि का इंतजाम भी उस रहस्यमय ब्लैकमेलर ने ही किया था, उस वक्त उनके जिस्म पर गोताखोरी का लिबास नहीं था, हां सुरंग के एक कोने में सिलेंड़र आदि जरूर पड़े थे।
सुरंग का काम आजकल दिन—रात चल रहा था यानि चौबीस घंटे—ड्रिल मशीन को चलाने के लिए अब उनके पास एक नहीं, दो बैटरियां थीं—यदि एक में शक्ति खत्म होती तो दूसरी से उसे चालू रखा जाता और इनमें से कोई भी जाकर पहली को चार्ज कर लाता—उन्हें पूरा शारीरिक श्रम करना पड़ रहा था, परन्तु इस मामले में उनमें से कोई भी पीछे नहीं था और फिर, बात कोहिनूर की थी।
उस गौरवमयी हीरे की, जो कभी हिंदुस्तान की शान था।
वे तन-मन से सुरंग बनाने में जुटे थे, यह बात इसी से जाहिर है कि विजय जैसा व्यक्ति भी चुपचाप अपने काम में जुटा रहा था, मगर मजे की बात यह है कि पांचों ही उस खतरें से बिल्कुल अनभिज्ञ थे, जो दबे पांव उनकी तरफ बढ़ रहा था।
¶¶
यदि कोई सुने तो जेम्स बॉण्ड को पागल ही कहे।
रात के दो बजे वह टेम्स के गर्भ में तैराकी कर रहा था, सिर पर टॉर्च वाली कैप लगाए पागलों की तरह इधर-उधर जाने वह क्या तलाश कर रहा था?
इस झमेले में वह इस कदर उलझ गया था कि अलफांसे उसके दिमाग से ही निकल गया था—उसने हर रोज क्लब के काउंटर पर जाल बिछाया था, यह सोचकर कि शायद उनमें से कोई आए, परन्तु परिणाम कुछ नहीं निकला था।
आज दिन में जाने क्या सनक सूझी थी कि वह क्लब के काउंटर पर पहुंचा था, रजिस्टर में बहुत देरे तक देखता रहा था कि चार दिनों में उन पांचों को कौन-कौन से नंबर की पोशाकें इशू हुई थी, फिर उसने इन सब पोशाकों की लिस्ट बना ली थी।
ग्यारह नंबर पोशाक ऐसी थी, जो चारों ही दिन उन पांचो में से किसी—न—किसी को इशू हुई थी, सात नंबर की पोशाक उनमें से किसी-न-किसी को दो दिन, पांच नंबर की तीन दिन और बाकी पोशाकें ऐसी थीं, जो एक दिन उनमें से किसी को इशू हुई थीं—एकाएक ही उसने ग्यारह, पांच और सात नंबर की पोशाकें देखने की इच्छा जाहिर की थी।
कुछ भी न समझते हुए काउंटर क्लर्क ने वे पोशाकें लाकर उसके सामने डाल दी थीं।
बॉण्ड कुछ इस तरह उनका निरीक्षण करने लगा था और कुछ इतनी देर तक करता रहा था कि काउंटर क्लर्क को उसकी मानसिकता स्थिति पर संदेह होने लगा था।
उसे लगने लगा था कि ब्रिटेन के उस महान जासूस के दिमाग में कोई खराबी आ गई थी और सचमुच वह दिमाग की खराबी वाली ही बात थी, क्योंकि बॉण्ड खुद नहीं जानता था कि उन पोशाकों में से आखिर वह तलाश क्या करना चाहता था?
एकाएक उसने पांच नंबर पोशाक की जेब में हाथ डाला था, कुछ देर जाने क्या खकोड़ता रहा और फिर हाथ खाली ही बाहर निकल लिया था, हाथ खाली जरूर था, परन्तु उंगलियों के सिरों पर मिट्टी के कण लगे हुए थे और उन कणों को देखकर जाने वह क्या सोचने लगा था?
फिर उसने लिबास की सभी जेबे उलटनी शुरु कर दी थीं।
प्रत्येक जेब से झड़ती हुई सूखी मिट्टी उसका ध्यान आकर्षित कर रही थी और जब उसने ग्यारह नंबर पोशाक की भी जेबें उलटी तो उनमें से मिट्टी के कण कुछ ज्यादा ही मिले थे।
अचानक बॉण्ड को न जाने ऐसा क्यों लगने लगा था कि उसे कोई सूत्र मिलने वाला था?
उसने काउंटर क्लर्क से पूछा था—"इन पोशाकों की जेब से मिट्टी मिलने का क्या मतलब हैं?”
"मैं क्या बता सकता हूं, जनाब?" काउंटर क्लर्क ने उदासीन और थोड़े खिन्न स्वर में कहा था, क्योंकि उसकी समझ के मुताबिक बॉण्ड बिल्कुल बेकार की बातें कर रहा था।
बॉण्ड ने थोड़े सख्त स्वर में पूछा था—"मैं तुमसे पूछ रहा हूं कि जेबों में मिट्टी कहां से आ गई, तुम अपना अऩुमान व्यक्त कर सकते हो।"
"टेम्स का पानी इतना स्वच्छ नहीं हैं, जितना आप सोच रहे हैं, हवा में उड़ती हुई मिट्टी तो पानी में गिरती हैं, तैराकी के समय मिट्टी के कण जेब में घुस गए होंगे।"
"टेम्स के पानी में मिट्टी नहीं, रेत घुला रहता है—उस अवस्था में जेबों में से रेत निकले तो कई विशेष नहीं है, मगर मिट्टी...।"
"मेरे ख्याल से तो मिट्टी निकलने पर भी कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ा है, मिस्टर बॉण्ड।"
"मैं कुछ ऐसी पोशाकों का निरीक्षण करना चाहता हूं, जो इन पांचो में से कभी किसी को इशू न हुई हों।"
"मैं आपको पोशाक रूम में लिए चलता हूं, वहां आप जिसे चाहे चैक कर लें।"
"चलो।"
फिर करीब डेढ़ घंटे तक वह पोशाकों की जेबे टटोलता रहा था किसी भी जेब में उसे मिट्टी नहीं मिली थी, हां—कुछ में रेत के कण
जरूर मौजूद थे।
अब इतनी मेहनत के बाद उसे सोचने के लिए एकमात्र प्रश्न यह मिला था कि उन पांचो के द्वारा इस्तेमाल की गई पोशाकों की जेब में मिट्टी कहां से आ गई, कहीं यह मिट्टी टेम्स की दीवारों की तो नहीं हैं, उसे इस बात की जांच जरूर करनी चाहिए।
और अपने उसी निश्चय के परिणामस्वरूप इस वक्त बॉण्ड टेम्स के गर्भ में था।
बिल्कुल तल में पहुंचने के बाद अब वह नदी की दीवार के सहारे-सहारे बहाव के विरुध्द तैर रहा था, बहुत ध्यान से वह दीवार की मिट्टी का अध्ययन करता चला जा रहा था।
एक स्थान पर पहुंचने के बाद वह चौंका।
उस तरफ से पानी कुछ गंदला-सा आ रहा था—ध्यान से देखने पर उसने पाया कि वहां का पानी सचमुच टेम्स के अन्य पानी के मुकाबले गंदा था—मिट्टी घुली हुई थी इसमें।
चश्में के पीछे छुपी बॉण्ड की आंखों में अजीब-सी चमक उत्पन्न हो गई।
सारी थकान भूलकर वह दूने जोश के साथ उसी दिशा में तैरने लगा जिधर से यह मिट्टी मिश्रित पानी निकल रहा था।
ध्यान से देखने पर भी वहां उसे कोई भट्ट नजर नहीं आया।
गंदा पानी दरअसल अपने पार देखने ही नहीं दे रहा था—उत्साहित बॉण्ड उस गंदे पानी में धंस गया और फिर उसे वह भट्ट भी चमक
गया जिसमें से मिट्टी बह-बहकर नदी में आ रही थी।
तीन फीट व्यास का गोल भट्ट था यह।
बॉण्ड की बांछे खिल उठीं।
इस अद्भुत सफलता की वजह से अजीब-सी रोमांच महसूस कर रहा था वह।
धीरे-धीरे इस छोटी-सी सुरंग में वह रेंगता ही चला गया, थोड़ा ही आगे आने पर उसे पानी में गूंजने वाली घुर्र...घुर्र की आवाज सुनाई दी।
वह रुक गया, इस आवाज को ध्यान से सुनने लगा।
थोड़ी ही देर में वह समझ गया कि आवाज किसी ड्रिल मशीन की थी—अब यह बात उसके दिमाग में बिल्कुल स्पष्ट हो गई थी कि सुरंग किस प्रकार बनाई जा रही थी।
वह आगे बढ़ा।
सारी सुरंग में गंदा पानी भरा हुआ था।
चारों तरफ अजीब-सी दलदल फैली हुई थी।
शीघ्र ही बॉण्ड एक दीवार से टकराया, यहा से आगे सुरंग नहीं थी—उसने दांए-बाएं टटोला, कही भी रास्ता नहीं, तीनों तरफ दीवार।
अब बॉण्ड को सोचना था कि वहां से सुरंग किस तरफ ले जाई गई थी?
उसने ध्यान से सुरंग में गूंज रही घुर्र...घुर्र की आवाज को सुना, लगा कि आवाज ऊपर की तरफ से आ रही थी—बॉण्ड ने हाथ ऊपर करके सुंरग की छत को छूना चाहा, परन्तु इस स्थान पर से छत गायब थी—हाथ ऊपर ही किए वह सुरंग में खड़ा हो गया।
और अब उसने सुरंग में ऊपर की तरफ तैरना शुरु कर दिया।
शीघ्र ही वह पानी की सतह के ऊपर पहुंच गया।
वहां रोशनी थी, बहुत ज्यादा तो नहीं, मगर इतनी जरूर थी कि वह आस-पास की स्थिति को बड़े आराम से देख सके—उस स्थान पर सुरंग की छत कोई दस फीट ऊपर थी।
कहना यह चाहिए कि नदी की दीवार से थोड़ी दूर तक सुरंग सीधी बनाई गई थी फिर इस स्पॉट से सुरंग को ऊपर की तरफ मोड़ दिया गया था, जैसे बाहर निकालने के लिए मोड़ते है मगर सुरंग बाहर निकाली नहीं गई थी—दस फीट ऊपर से जाकर पुनः सीधी यानि उसी के समान्तर बनाई गई थी, जैसी दहाने से इस मोड़ तक थी।
पानी का स्वभाव एक ही लेवल में रहने का हैं, मन-ही-मन बॉण्ड सुरंग को पानी से बचाने के लिए सुरंग बनाने की इस स्टाइल की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका, मगर अब उसने इन पांचों को इस सारी कारगुजारी का सबक सिखाने का दृढ़-संकल्प कर लिया था, उसके जबड़े कस गए और चेहरा सख्त होता चला गया।
जो रोशनी वहां थी वह सुरंग के दूसरे यानि ऊपर वाले मोड़ से छनकर आ रही थी और उस रोशनी का रंग दूधिया था, जिससे बॉण्ड समझ गया कि उस मोड़ के पार कोई पैट्रोमेक्स था।
बॉण्ड ने अपना ऑक्सीजन मास्क और चश्मा उतारा, ऑक्सीजन सिलेंड़र ऑफ किया—चेहरा पानी से बाहर होने की वजह से उसे अब सिलेंडर की ऑक्सीजन की जरूरत नहीं थी।
ऊपर तक चली गई सुरंग सिर्फ तीन फीट व्यास का सीवर-सी थी, अतः पानी से निकनले के बाद अब वह दोनों तरफ की दीवारों पर हाथ-पैर टिकाए ऊपर चढ़ने लगा।
उसके चढ़ने से लेशमात्र भी आहट उत्पन्न नहीं हो रही थी।
ऊपर वाले मोड़ के नजदीक पहुंचकर उसने पीठ एक दीवार से तथा दोनों पैर ठीक सामने वाली दीवार से सटा दिए। इस प्रकार पैरो पर जोर डालकर वह आराम से बैठ गया और अब उसने गोताखोरी के लिबास की चेन खोली।
कोट की भीतरी जेब से रिवॉल्वर निकाला।
चेन बंद की और हाथ में रिवॉल्वर लिए थोड़ा और ऊपर चढ़ा, बहुत ही सावधानी से उसने मोड़ के पार झांककर देखा—अब उसे सब कुछ स्पष्ट नजर आ रहा था।
जोर-शोर से चलता हुआ सुरंग बनने का काम।
वहां सुरंग पांच फीट ऊंची थी—जहां से नीचे थी वहां से फावड़ों से ऊंची की जा रही थी—वे पांचों अपने स्थायी मेकअप में थे, परन्तु कम-से-कम बॉण्ड को उनमें से किसी को पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।
विकास हाथ में मुगदर लिए सुरंग की मिट्टी को थपथपा रहा था।
अपने देश में, कोहिनूर को चुराने के उद्देश्य से आए इन पांचों से सुरंग बनाए जाने के काम को इतने विशाल स्तर पर जारी देखकर
जेम्स बॉण्ड की आंखों में खून उतर आया।
जी चाहा कि उन सबको भून-भूनकर खा जाए वह।
अचानक ही ट्रेगर दबाना शुरु करे और इस सुरंग को इनकी लाशों से पाट दें, मगर बॉण्ड बुजदिल नहीं था, दुश्मन की पीठ पर वार करना नहीं सीखा था उसने।
¶¶
वे पांचो ही अपने-अपने काम में पूरी तरह तल्लीन थे, उन्हें इल्म तक नहीं था कि जेम्स बॉण्ड के रूप में मौत उनके सिर पर पहुंच चुकी थी।
वे तो तब चौंके जब सुरंग में बॉण्ड की आवाज गूंजी।
बल्कि कहना तो यह चाहिए कि उस क्षण उनके होश फाख्ता हो गए जिस क्षण सुरंग में बॉण्ड की कठोर और कर्कश आवाज गूंजी—"तो कोहिनूर तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाई जा रही है?"
पांचों को एक साथ झटका-सा लगा।
काम करते हाथ जहां-के-तहां रुक गए।
एक झटके से उन्होंने आवाज की दिशा में देखा।
सामने बॉण्ड खड़ा था, हाथ में रिवॉल्वर लिए।
उनके पैरों तले से मानों जमीन खिसक गई—एकदम जिन्न की तरह प्रकट हुआ था बॉण्ड, जैसे अभी-अभी उसी क्षण सुरंग ही में पैदा हुआ हो।
तिरपन कांप गए उनके, चेहरे फक्क।
जबकि बॉण्ड गुर्राया—"हाथ ऊपर—आई से हैंड्स अप।"
पाचों के हाथ स्वयं ही ऊपर उठते चले गए।
रिवॉल्वर से उन्हें कवर किए जेम्स बॉण्ड सचमुच किसी जिन्न-सा दिखाई दे रहा था, उनके दिमाग हवा में चकरा रहे थे, किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि बॉण्ड का सुरंग में, वहां तक पहुंच जाने का चमत्कार कैसे हो गया था?"
आँखो में अजीब-सी आंतक और आश्चर्य लिए वे बॉण्ड को देख रहे थे।
"यह मुगदर नीचे फेंक दो, विकास बेटे।" कठोर स्वर में बॉण्ड ने जब यह आदेश दिया तो विकास की नजर अपने दाएं हाथ में दबे मुगदर पर गई, जिससे वह सुरंग की मिट्टी को थपथपा रहा था और अचानक ही बॉण्ड की मौजूदगी से इस कदर अवाक् रह गया था कि हाथ उसने मुगदर सहित ही हवा में उठा लिया।
अब मुगदर उसे फेंक देना पड़ा, परन्तु इस मिले हुए समय में भले ही कोई अन्य न सही, किंत विजय स्वयं को नियंत्रित कर चुका था, हाथ ऊपर उठाए ही वह अपने स्थान से आगे बढ़ता हुआ बोला—"तुमने तो कमाल कर दिया बॉण्ड प्यारे, होश उड़ा दिए हमारे।"
"नहीं तो क्या तुमने सोचा है कि बॉण्ड के मुल्क, बॉण्ड के शहर से तुम दुनिया का वह सबसे नायाब हीरा चुराकर ले जाओगे और बॉण्ड चैन की नींद सोता रहेगा?"
"अरे नहीं प्यारे, भला ऐसा हम कैसे सोच सकते हैं?" अपने स्थान से आगे बढ़ते हुए विजय ने कहना शुरु किया—"हमने तो यह सोचा था कि...।"
"रुक जाओ विजय, वहीं रुक जाओ।" विजय की बात को बीच ही में काटकर बॉण्ड गुर्रा उठा—"ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो और सुनो, कोई भी अपने स्थान से से सूत भर भी हिलेगा नहीं—जो जहां है, जिस अवस्था में है—खड़ा रहे—वर्ना इस रिवॉल्वर से निकली एक ही गोली उसे हमेशा के लिए निश्चल कर देगी।"
"ब...बिल्कुल—बिल्कुल नहीं हिलेंगे, बॉण्ड भाई।"
होंठो पर जहरीली मुस्कराहट बिखरते हुए बॉण्ड ने व्यंग्य—भरे लहजे में कठोरतापूर्वक कहा—"मैं जानता हूं कि तुम संगआर्ट के मास्टर हो, रिवॉल्वर से निकली गोलियों को धोखा देने में माहिर, परन्तु मुझे दु:ख हैं कि उस आर्ट का इस्तेमाल तुम यहां नहीं कर सकोगे, क्योंकि दुर्भाग्य से यह सुरंग इतनी बड़ी है ही नहीं कि जिसमें तुम उछल-कूद कर सको।"
विकास केवल कसमासकर रह गया, मुट्ठियां और जबड़े बुरी तरह भिंचे हुए थे—बहुत कुछ करना चाहकर भी इस वक्त वह हिलने तक की स्थिति में नहीं था—चेहरा बुरी तरह भभकर रहा था उसका—और बॉण्ड उसकी इस अवस्था का मजा खुलकर लूट रहा था।
एकाएक ही बॉण्ड के पीछे सुरंग में रहस्यमय ब्लैकमेलर नजर आया।
वे पांचों बुरी तरह चौंके थे, परन्तु एक ने भी चेहरे से उस भाव को प्रकट नहीं किया—उस मोड़ पर चढ़ने की कोशिश करते हुए ब्लैकमेलर ने उन्हें चुप रहने का संकेत दिया था।
विजय ने बात शुरु कर दी—"मगर प्यारे, कमाल कर दिया तुमने—धोती को फाड़कर रुमाल कर दिया—यहां तक आखिर तुम पहुंच कैसे गए?"
"पहले भी कह चुका हूं कि बॉण्ड सोचा नहीं करता है।"
"सो तो ठीक है, प्यारे, मगर पता तो लगे बात आखिर तुम्हारे दिमाग में आ कैसे गई कि हम लोग नदी के अन्दर से भी सुरंग खोद सकते हैं?"
बॉण्ड के होंठो पर थोड़ी गर्वीली मुस्कान नाच उठी, बोला—"मुझे अफसोस है विजय बेटे कि इतने नजदीक रहकर भी तुम बॉण्ड को ठीक से समझ नहीं सके—यह समझने लगे कि बॉण्ड को धोखा दे सकोगे—माना कि तुमने नदी में सुरंग निकालने का काम बड़ी खूबी से किया और एकाएक सुनकर भी कोई व्यक्ति इसे असंभव कहेगा, परन्तु मैं जानता था कि तुम कितनी पहुंची हुई चीज हो।"
इस प्रकार विजय अपना पुराना हथकंड़ा इस्तेमाल कर रहा था।
संवेदनशील समय में दुश्मन को अपनी बातों में उलझाकर समय गुजारने का हथकंड़ा।
कहना चाहिए कि फिलहाल बॉण्ड उसके इस हथकंड़े में फंसा हुआ था, वह विजय के सवालों के जवाब दे रहा था, जबकि ब्लैकमेलर उसके पीछे से धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा था।
ब्लैकमेलर बहुत ही सावधानीपूर्वक, एक-एक कदम फूंक-फूंककर रख रहा था, शायद वह जानता था कि हल्की-सी भी आहट बॉण्ड को चौंका सकती थी और यदि बॉण्ड को इल्म हो गया कि उसके पीछे भी कोई था तो गजब हो जाता।
बड़े ही तनावपूर्ण और संवेदनशील क्षण थे वे।
शायद उसी वजह से आशा से चूक हो गई थी, बॉण्ड के स्थान पर उसके पीछे चले आ रहे ब्लैकमेलर को देखने की चूक—सांस रोके वह ब्लैकमेलर को देख रही थी।
आशा की इस अवस्था को बॉण्ड ने भांप लिया।
बड़ी ही मोहक और चतुर मुस्कराहट उसके होंठो पर उभरी, बोला—"तुम सबसे, सबसे ज्यादा चालाक तो मुझे आशा नजर आती है।"
हड़बडा गई आशा, बोली—"क...क्यों...क्यों?"
"तुम मेरे पीछे इस तरह देख रही हो जैसे वहां कोई हो---हुंह—दुश्मन को धोखा देने की यह बहुत पुराना हरकतें हैं, आशा डार्लिंग। तुम यह चाहती हो कि तुम्हारी नजर और भंगिमा के फेर में पड़कर मैं अपने पीछे देखूं और उसी क्षण तुममें से कोई मुझ पर झपट पड़े।"
ब्लैकमेलर से लेकर विजय तक की सांसे रुक गई।
आशा का चेहरा हल्दी की तरह बिल्कुल पीला पड़ गया था, जबकि बॉण्ड कहता ही चला गया—"मगर, अफसोस है आशा डार्लिंग कि बॉण्ड ने इन छोटी-मोंटी हरकतों में नहीं फंसता है, मैं जानता हूं कि मेरे पीछे कोई नहीं हो सकता, क्योंकि भारत से तुम केवल पांच ही आए हो और पांचों ही मेरे सामने हो, लंदन में ढूंढने से भी तुम्हें कोई मददगार नहीं मिलेगा।"
एकाएक विजय बोला पड़ा—"तुम भी बस यूं ही रही मिस गोगियापाशा, अपने बॉण्ड प्यारे को छठी का दूध याद दिलाने के लिए यदि कोई चाल ही चलनी थी तो ऐसी चलती, जिसमें यह फंस सकता, खैर—आशा की तरफ से मैं तुमसे माफी मांगता हूं, बॉण्ड भाई।"
यह थी विंडबना।
बड़ी ही अजीबो-गरीब हालात।
ब्लैकमेलर के रूप में शिकस्त दबे पांव बॉण्ड के नजदीक आ रही थी, आशा से उसे देखने की चूक भी जरूर हो गई थी, बॉण्ड ने उस चूक को देख भी लिया था और फिर उस चूक को उसने उपरोक्त रूप में लिया, तभी तो किसी ने कहा है कि ज्य़ादा बुध्दिमान व्यक्ति धोखा जल्दी खाता है।
काश—बॉण्ड ने यह न सोचा होता कि आशा का उसके पीछे देखना एक चाल थी।
वही हुआ जो बॉण्ड की किस्मत करा रही थी, यानि ब्लैकमेलर ने नजदीक पहुंचते ही एक भरपूर ठोकर बॉण्ड की पीठ पर मारी।
एक चीख के साथ वह सुरंग में मुंह के बल गिरा।
संभलने से पहले ही विकास ने बाज की तरह झपटकर उसे दबोच लिया—रिवॉल्वर बॉण्ड के हाथ से निकलकर ठोकर लगते ही सुरंग में कहीं गिर चुका था।
सुरंग में इतनी जगह नहीं थी कि बॉण्ड उससे संघर्ष कर सकता, वैसे भी वे छह थे, बॉण्ड अकेला।
उनकी गिरफ्त में कसमसाकर रह गया बेचारा।
ब्लैकमेलर ने अपने लिबास से रेशम की बनी पतली, परन्तु अत्यन्त ही मजबूत रस्सी निकालकर उनकी तरफ उछालते हुए कहा—"लो हुजूर, इसे कसकर बांध दो।"
¶¶
"मान गए प्यारे ब्लैकमेलर भाई, तुमने हक अदा कर दिया।"
"मैं किस लायक हूं, सरकार यह तो आपकी जर्रानवाजी है जो आपने इस खाकसार की तारीफ में चंद अल्फाज कहे। वैसे आप मेरे काम से खुश हैं न?"
"बिल्कुल खुश हैं, प्यारे।"
"तब तो मैं आपसे रिक्वेस्ट कर सकता हूं कि मुझे भी खुश कर दें।"
"क्या मतलब?"
"अब तो कोहिनूर में से मुझे कम-से-कम तीन परसेंट मिलना चाहिए।"
"अमा, तुम—तुम, तो साले एक नंबरी हो—हर बात पर एक परसेंट बढ़ा देते हो।" विजय अचानक ही उससे की गई इस मांग पर बौखला गया था।
"अगर आपने मेरी मांग न मानी तो यह बहुत बड़ी नाइंसाफी होगी बंदापरवर, जरा सोचिए, आप लोग तो फंस ही चुके थे—सही वक्त पर यदि यह खासकर न आया तो कोहिनूर को प्राप्त करने की तो बात ही दूर, आप लोग अपनी जान तथा अपने देश की इज्जत तक नहीं बचा सकते थे, क्या इस सबके बदले एक परसेंट कुछ ज्यादा है?"
"हमें मंजूर है।" विजय से पहले विकास बोले पड़ा—"तुम्हारा हिस्सा तीन परसेंट ही रहा।"
"जहेनसीब।" ब्लैकमेलर ने किसी शेख की तरह झुकते हुए कहा—"शुक्रिया हुजूर और इस बात के लिए खासतौर से शुक्रिया कि यह मांग आपने मानी है—विजय बाबू तो हम पर पहले ही से मेहरबान थे, आप ही जरा रुसवा रहते थे, खुश हो गए—मेरी किस्मत।"
"मगर तुम्हें मेरे कुछ सवालों का जवाब देना होगा।"
"आपका हुक्म सिर-आंखों पर।"
"क्या बॉण्ड अंकल सुरंग के अन्दर अकेले ही आए थे?"
"फिलहाल तो ऐसा ही लगता है।"
विकास ने शंका व्यक्त की—"मुमकिन है कि किसी अन्य को इनके यहां आगमन की जानकारी हो?"
"जरूर मुमकिन हैं, मगर इस बारें में खाकसार कोई दावा पेश नहीं कर सकता।"
"क्या मतलब?"
"मैं जनाब के जेहन में पनप रही चिंता की वजह को समझ सकता हूं।" ब्लैकमेलर ने अपने ही स्टाइल में कहा—"आप यही सोच रहे हैं
न कि अगर बॉण्ड के यहां आगमन की जानकारी किसी अन्य को हुई तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी—संभव है कि यह जनाब अपने किसी साथी को इस सुरंग के बारे में बताने के बाद यहां आए हो—यदि ऐसा हुआ तो खतरा टला नहीं है, बल्कि बढ़ गया है—इस सुरंग में किसी भी समय ब्रिटिश पुलिस दाखिल हो सकती हैं।"
"तुम ठीक समझ रहे हो।"
"मैं जनाब से इत्तफाक रखता हूं।"
विकास ने एक अलग सवाल किया—"तुम सही मौके पर हमारी मदद के लिए कैसे पहुंच गए?"
"बस, मुझमें यही तो एक खासियत है, जनाब—हर जगह सही समय पर पहुंचता हूं।"
उसके इस अटपटे जवाब पर कई क्षण तक तो विकास आग्नेय नेत्रों से उसे घूरता रहा, फिर थोड़े कठोर लहजे में बोला—"मेरा मतलब यह है कि क्या तुम्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि बॉण्ड यहां के बारे में किसी से कुछ कहकर आया हैं या नहीं?"
"मुझे कोई जानकारी नहीं है, हुजूर।"
विकास चुप रह गया, फिलहाल उसके पास यह मालूम करने का भी कोई तरीका नहीं था कि ब्लैकमेलर झूठ बोल रहा था या सच—नकाब के कारण उसके चेहरे पर मौजूद भावों तक को तो वह देख नहीं सकता था, बोला—"खैर, इस बारे में पता लगाने का काम तुम्हारा है।"
"आपका हुक्म सिर-आंखों पर।"
"ज्यादा-से-ज्यादा आज सुबह तक तुम्हें पता लगा लेना है कि बॉण्ड के पीछे कोई अन्य इस सुरंग तक पहुंच सकता है या नहीं, ताकि हम उसका इलाज कर सकें।"
"जरूर।" बहुत संक्षेप में ब्लैकमेलर ने उसके इस आदेश को मान लिया।
सुरंग के एक कोने में बंधे पड़े जेम्स बॉण्ड ने उनके बीच होने वाली यह सारी बातें सुनी थीं—वह समझ सकता था कि वह वही रहस्यमय ब्लैकमेलर हैं, जिसका जिक्र ट्रांसमीटर पर आशा बनी जासूस ने किया था—स्वेच्छापूर्वक वह अपने शरीर के किसी भी अंग को नहीं हिला सकता था, अपनी शिकस्त पर कसमसाने के अलावा फिलहाल वह करता भी क्या?
मुंह पर ढक्कन बना, सख्ती के साथ एक टेप चिपका हुआ था।
¶¶
बहुत ध्यान से सुन रहे मिस्टर एम ने सवाल किया—"फिर क्या हुआ?"
"जब हम होश में आए तो देखा कि लॉन की तरफ खुलने वाली खिड़की का सारा कांच कमरे में बिखरा पड़ा हैं, हम हड़बड़ाकर उठ बैठे—दिमाग में बेहोश होने से पहले के दृश्य चकराने लगे, वह व्यक्ति जिसने बाज की तरह झपटकर हमारे मुंह पर रुमाल रख दिया था।”
"क्या आप उस व्यक्ति को पहचान सकते हैं?"
"शायद नहीं, क्योंकि कमरे में नाइट बल्ब का मध्दिम प्रकाश था, हम गहरी नींद से जागे थे और उस कम्बख्त ने इतना समय भी नहीं दिया था कि हम ठीक से कुछ समझ सकते।"
"खैर, होश में आने के बाद आपने क्या किया?"
"अभी हम चमत्कृत-से अपने कमरे करी अवस्था को देख ही रहे थे कि कमरे में रखे फोन की घंटी घनघना उठी, हमने रिसीवर उठाकर 'हैलो' कहा तो दूसरी तरफ से उस अधिकारी की आवाज उभरी जो कंट्रोल रूम के बाहर वाली गैलरी में तैनात सैनिकों का नेतृत्व करता हैं, उसने कहा—'क्या बात हैं सर, आप अभी तक यहां नहीं पहुंचे हैं?'
'क्या मतलब?' हम चौंके—'हमें वहां क्यो पहुंचना था?'
'स...सर, अजीब बात कर रहे हैं आप—अभी एक घंटा पहले ही तो आपने फोन पर मुझसे यहां पहुंचने के लिए कहा था।'
'क्या बक रहे हो तुम? हमने तुमसे फोन पर कब बात की?'
'यह आप क्या कह रहे हैं सर, मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा हैं—आप जल्दी यहां आइए, कोई बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई मालूम पड़ती है।'
'कैसी गड़बड़?' हमने चौंकते हुए पूछा।
'अब से करीब डेढ घंटे पहले कंट्रोल रूम और गैलरी के बीच की दीवार कुछ क्षणों के लिए हटकर पुनः अपने स्थान पर फिक्स हो गई—चौंकने वाली बात यह थी कि इस बीच न कंट्रोल रूम से कोई बाहर निकला, न अन्दर गया—हमारी भरपूर कोशिश के बावजूद भी कंट्रोल रूम के अन्दर से दरवाजा नहीं खोला गया तो हमने यहां से आपको फोन किया, यही सब बाते मैंने आपको बताई और आपने फौरन ही आने के लिए कहा, मगर आधा घण्टा गुजरने पर भी जब आप यहां नहीं आए तो कारण जानने के लिए मैंने पुनः फोन किया—आधे घंटे से लगातार आपसे सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश कर रहा हूं, एक घंटे पहले फोन पर आपने मुझसे बात नहीं की थीं।'
"उसके बयान ने हमारी खोपड़ी घुमाकर रख दी। यह तो हम समझ ही सकते थे कि कोई गड़बड़ी हुई हैं, मगर क्या—यही समझने के लिए रिसीवर को तुरंत क्रेड़िल पर पटकर सेफ की तरफ लपके।"
एम ने पूछा—"क्या सेफ पूर्ववत बंद थी।"
"जी हां।"
"खैर, आगे क्या हुआ?"
गार्डनर ने बताया—"तहखाने का दरवाजा खोलकर जब हम बाथरूम के नीचे कोठरी में पहुंचे तो वहां मौजूद रहने वाले गार्ड को एक कोने में बेहोश पड़े पाया—उसके शरीर से सैनिकों वाली वर्दी गायब थी—तीन टांगों वाला प्लग कोठरी के फर्श पर ही पड़ा था, जिसका इस्तेमाल करके हमने कोठरी और गैलरी के बीच की दीवार हटाई—वहां गैलरी में मौजूद सैनिको ने हमें बताया कि एक घंटे पहले दीवार क्षण भर के लिए हटकर बंद हुई थी, परन्तु कोठरी से गैलरी में या गैलरी से कोठरी में आते-जाते उन्होने किसी को नहीं देखा।"
एम ने पूछा—"किसी सैनिक को भी नहीं?"
"नहीं।"
"अजीब बात हैं!"
"गैलरी में स्थिति सामान्य थी, दोनों तरफ खड़ी सैनिक मुस्तैदी के साथ सावधानी की मुद्रा में उसी तरह खड़े थे, जिस तरह हमेशा खड़े रहते हैं—उनके बीच से लगभग हुए हम कंट्रोल रूम के समीप पहुंचे—दीवार पर सा...रे...गा...मा...की धुन बजाकर हमने भी कुछ देर तक दरवाजा खुलवाने की नाकाम कोशिश की—इसके बाद हमने एक ऐसा गुप्त बटन दबाकर इधर ही से दीवार को उसके स्थान से हटाया जिसकी जानकारी केवल हमें है।"
"कंट्रोल रूम की स्थिति क्या थी?"
"बड़ी ही भयावह!" गार्डनर बोला—"वहां मौजूद पांचों व्यक्तियों की लाश ही हमें देखने को मिली थीं, आश्चर्य की बात तो यह है कि दुश्मन वहां से भी गायब था और स्क्रीनें ठीक काम कर रही थीं।"
"यह आप क्या कह रहे हैं?" मिस्टर एम ने चकित भाव से पूछा।
"वही मिस्टर एम, जिसने हमारे दिलो-दिमाग को बुरी तरह हिलाकर रख दिया है।" एकाएक ही मिस्टर गार्डनर इस तरह हांफने लगे थे जैसे अभी-अभी वो बहुत दूर से भागते हुए यहां पहुंचे हो, बोले—"आप जानते हैं कि कंट्रोल रूम में एक समय में केवल पांच ही व्यक्तियों की ड्यूटी रहती हैं, वहां वे पांचों ही लाश में बदल कर पड़े थे—प्वांइट फोर फाइव के रिवॉल्वर से गोली मारी गई थी उन्हें—खैर, हमने तुरंत उन पांच व्यक्तियों की टुकड़ी को बुलाया, जिनकी ड्यूटी इस शिफ्ट के बाद शुरु होनी थी, इसके साथ ही हमने के○एस○एस○ के उन जासूसो को भी बुलाया, जिन्हें हम सुपर समझते हैं।"
"फिर?"
"इन पांचों व्यक्तियों की दूसरी टीम ने पांचों मृतकों का काम संभाला, सबकी प्रथम रिपोर्ट यह थी कि सभी स्क्रीनें और अलार्म बिल्कुल ठीक काम कर रहे हैं—टीo वीo सैट्स को चैक करता हुआ इंजीनियर सिग्नल देने वाले सैट पर ठिठक गया।"
"क्यों?"
"चैक करने के बाद उसने कि यह सैट पिंग-पिंग की आवाज के साथ रेड़ सिग्नल नहीं दे सकेगा, क्योंकि इससे सम्बन्धित वॉल्व फ्यूज पड़े हैं।"
"ओह!” मिस्टर एम की पेशानी पर लकीरें उभर आईं।
"हम चिंतित हो उठे, क्योंकि समझ सकते थे कि रेड़ सिग्नल न मिलने का अर्थ क्या है?"
"सीधी-सी बात हैं, कोई चाहता है कि कोहिनूर को उठा लिया जाए और उपग्रह से भेजा गया सिग्नल स्क्रीन पर न उभरे।"
"जी हां।"
"इसके बाद आपने क्या किया?"
"सबसे पहले मैंने आदेश देकर वे फ्यूज वॉल्व बदलवाए।"
"क्या इस वक्त आपको सबसे पहले कोहिनूर की फिक्र नहीं होनी चाहिए थी?" मिस्टर एम ने पूछा—"सारी वारदातों से जाहिर था कि यह सब कुछ जिसने किया है कोहिनूर के लिए किया है, क्या तुरंत ही आपको यह जांच नहीं करनी चाहिए थी कि कहीं कोहिनूर तो अपने स्थान से गायब नहीं है?"
"समझने के बावजूद अभी हमें कोहिनूर की फिक्र नहीं थी।"
"क्यों?"
"आप जानते हैं कि कोहिनूर के लिए एकमात्र रास्ता 'बैंक संस्थान' नामक इमारत में स्थित हमारे ऑफिस से जाता है—रास्ते में यह विशेषता है कि उसे केवल दिन के नौ से छह तक ही खोला जा सकता हैं और वह टाइम अभी नहीं था।"
"गुड!"
"फिर भी हमने म्यूजियम में फोन किया, वहां की सिक्योरिटी के इंचार्ज से बातें कीं—उसने बताया कि कोहिनूर बिल्कुल सुरक्षित अपने स्थान पर रखा है—आप समझ ही सकते हैं कि यदि कोहिनूर अपने स्थान से हटेगा तो म्यूजियम में नजर आने वाला उसका अक्स भी अपने स्थान से गायब हो जाएगा।"
"इसका मतलब यह है कि कोहिनूर को कोई खतरा नहीं है?"
"कम-से-कम नौ बजे से पहले तक बिल्कुल नहीं, क्योंकि मैंने अभी कहा कि उससे पहले 'बैंक संस्थान' में स्थित हमारे ऑफिस का फर्श लॉक नहीं खुलेगा।"
"फिर भी हमें यह पता लगाना चाहिए कि तहखाने में घुसा वह व्यक्ति आखिर था कौन?"
"इसी के लिए हमने कंट्रोल रूम में के.एस.एस के सुपर समझे जाने वाले जासूस इकट्ठे कर लिए थे—उन्होंने जांच की—गैलरी में मौजूद सैनिकों के बयान लिए—बाथरूम के नीचे वाली कोठरी में बेहोश पड़े गार्ड़ को होश में लाकर उसके बयान लिए गए—उसका कहना है कि सुबह के पांच बजे के करीब एक व्यक्ति बाथरूम के रास्ते से कोठरी में आया—अंधेरा रहने तक उसने सोचा कि हम होंगे, हां—उस क्षण यह सोचकर वह चकित जरूर था कि आज एक रात में हमारा यह दूसरा चक्कर क्यों लग रहा है—यह तो उसे बल्ब ऑन होने पर पता लगा कि आंगतुक हम नहीं, कोई और हैं, परन्तु बल्ब तक आगंतुक ने उसे बेहोश कर दिया।"
मिस्टर एम ध्यानपूर्वक सुनते रहे।
गार्डनर ने आगे कहा—"इसके बाद जासूसों की टीम ने हमारे कमरे का निरीक्षण किया और वे इस नतीजे पर पहुंचे कि आंगतुक हमारे कमरे की लॉन में खुलने वाली खिड़की का शीशा तोड़कर कमरे में आया था, बस—इसके अलावा कोई विशेष परिणाम नहीं निकल सका—इसीलिए आपके पास आया हूं—मैंने आपसे पहले भी रिक्वेस्ट की थी। अब फिर कर रहा हूं—इस सारे झमेले को समझने के लिए मुझे जेम्स बॉण्ड की जरूरत है, प्लीज—उसे इस
अभियान पर लगाइए।"
"वह तो पहले ही इस केस पर काम कर रहा है।"
"क...क्या—र...रियली!"
"जी हां।"
"फिर भी यह सब हो गया?"
"इस बारे मुझे बॉण्ड से जवाब तलाब करने होंगे।"
"ल...लेकिन बॉण्ड आखिर है कहां, इस मामले में अब तक उसने किया क्या है?"
मिस्टर एम के होंठो पर मुस्कान उभर आई, बोले—"आपको याद है न कि पिछले दिनों मैंने आपके बंगले पर एक नौकर को स्थान दिलवाया था?"
"हां मर्लिन।"
"वह मर्लिन ही बॉण्ड है।"
"क...क्या?" इस बार तो मिस्टर गार्डनर कुर्सी से उछल ही जो पड़े।
"जी हां।" बड़ी ही मोहक मुस्कान के साथ मिस्टर एम ने कहा—"उसी की इच्छा पर मैंने उसे मर्लिन के नाम से आपकी कोठी में दाखिल किया था।"
"म...मगर क्यों—आखिर इसकी क्या जरूरत थी और फिर आपने उसके बॉण्ड होने का रहस्य मुझसे भी छुपाया, ऐसा क्यों?"
एक क्षण के लिए मिस्टर एम दुविधा में पड़ गए—वो समझ नहीं सके कि यह बात गार्डनर को बताएं या नहीं कि बॉण्ड को दरअसल उनके दामाद, यानि अलफांसे पर कोहिनूर की तरफ बढने का शक हैं, परन्तु इस उलझन में बहुत ज्यादा देर तक नहीं रहे वे, बोले—"यह बॉण्ड की ही इच्छा थी और इस बात का जवाब बॉण्ड ही दे सकता है, ऐसा उसने क्यों करवाया?"
"इस वक्त कहां है वह?"
"मर्लिन बनने के बाद से उसने हमें कोई रिपोर्ट प्रेषित नहीं की है।"
"म...मगर कथित मर्लिन तो छह दिन पहले ही हमारी कोठी छोड़—चुका है।"
"क...क्या कह रहे हैं आप!" इस बार चौंकने की बारी एम की थी।
"जी हां।" गार्डनर बोला—"वह अपने गांव जाने के लिए हमसे दो दिन की छुट्टी ले गया था, मगर आज तक नहीं लौटा।"
मिस्टर एम के चेहरे पर हर तरफ चिंता-ही-चिंता नजर आने लगी।
"इसका मतलब कोई बहुत बड़ी गड़बड़ है, आप पता लगाइए मिस्टर एम कि बॉण्ड आखिर कहां गायब हो गया है—कहीं दुश्मन ही ने तो उसे गायब नहीं किया है?"
"एक मिनट ठहरिए!" कहने के बाद एम ने रिसीवर उठा लिया—नंबर डायल किए, किसी से बात करने के बाद रिसीवर वापस रखते हुए बोला—"दस मिनट बाद पता लग जाएगा कि बॉण्ड कहां हैं, मैंने जूनियर जासूसों को सक्रिय कर दिया है।"
मिस्टर एम से बात के बाद गार्डनर की पेशानी पर पड़ी चिंता की लकीरों में कुछ और वृध्दि हो गई थी, बोला—"पहले सिर्फ हमें संदेह था कि कुछ व्यक्ति कोहिनूर में दिलचस्पी ले रहे हैं, मगर रात की घटना ने इसे विश्वसनीय बना दिया है—बड़े आश्चर्य की बात है कि गैलरी में मौजूद एक भी सैनिक वहां से किसी के गुजरने की पुष्टि नहीं करता और वह न केवल कंट्रोल रूम में मौजूद स्क्रीन के वॉल्व चेंज कर गया, बल्कि पांच मर्ड़र करने के बाद छलावे की तरह निकल भी गया।"
पंद्रह मिनट बाद।
फोन की घंटी घनघना उठी—एम ने रिसीवर उठाया—कुछ देर तक दूसरी तरफ से मिलने वाली रिपोर्ट को ध्यान से सुनते रहे, फिर रिसीवर रखते हुए बोले—"फिलहाल यह तो पता नहीं लग सका है कि इस वक्त बॉण्ड कहां है, मगर यह जाहिर है कि वह दुश्मन के हाथ नहीं लगा है।"
"क्या मतलब?"
"एक जूनियर जासूस ने बताया है, जिस मकसद से वह मर्लिन बनकर आपकी कोठी में दाखिल हुआ था, उसे वहां अपना वह मकसद पूरा होता दिखाई नहीं दिया और इसीलिए छह दिन पहले वह आपके यहां से चला आया—आज से पांच दिन पहले उसने कोहिनूर में दिलचस्पी लेने वालों में से किसी एक को टेम्स में गोताखोरी करते देखा, वह इस गोताखोरी के पीछे छुपे मकसद की खोज करने लगा—खुद रिपोर्ट देने वाले जूनियर जासूस से भी उसने विचार-विमर्श किया, मगर तब तक वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका था—कल रात तक उसे अपनी कोठी में देखा गया है, मगर सुबह से उसे किसी ने नहीं देखा हैं, वह कोठी में है ही नहीं।"
"कहां गया?"
"फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता, तलाश जारी हैं।" मिस्टर एम ने कहा—"वैसे यह हो सकता है कि रात ही में दुश्मन ने उसे सोते दबोच लिया हो, किन्तु इतनी आसानी से जेम्स बॉण्ड का किसी के चंगुल में फंस जाना संभव नहीं हैं और फिर कल रात दुश्मन आपकी कोठी पर सक्रिय था, अतः इन सब बातो से नतीजा यह निकलता है कि बॉण्ड स्वयं ही गायब हुआ है और उसके स्वयं गायब होने के अर्थ है कि वह सक्रिय है और संभव है कि इस वक्त दुश्मन के सिर पर ही कहीं मंडरा रहा हो।"
"वह सब तो ठीक है, मगर मुझे सलाह दीजिए, ऐसे हालात में मैं क्या करुं?"
"आप चिंतित न हों—हां, पूरी तरह सतर्क जरूर रहें—वॉल्व आपने चेंज करा ही दिए है—सुरक्षा व्यवस्था पूख्ता है, कोहिनूर को चुरा लेना मजाक नहीं हैं—आज आप सारे दिन विशेष रूप से सतर्क रहे, हमें पूरी उम्मीद है कि शाम तक बॉण्ड की तरफ से जरूर कोई सूचना मिलेगी—हां, सूचना न मिलने पर हमें जरूर चिंतित होना पड़ेगा—खैर, उस संभावना पर हम शाम को बैठकर विचार—विमर्श करेंगे।"
"ठीक है, फिलहाल हम चलते हैं।" मिस्टर गार्डनर ने अपनी रिस्टवॉच पर नजर ड़ालते हुए कहा—"ऑफिस का टाइम भी हो रहा है।"
मिस्टर एम भी कुर्सी से खड़े हो गए।
हाथ मिले और फिर मिस्टर गार्डनर वहां से विदा हो गए—उनके जाते ही मिस्टर एम ने किसी का नंबर डायल किया और बातें करने लगे।
¶¶
दिन हो या रात!
सुरंग में एक जैसा ही वातावरण रहता था—हां, उनकी कलाइयों में बंधी घड़ियां उन्हें जरूर बता देती थी कि इस वक्त दिन है या रात और क्या समय हुआ हैं?
दिन के दो बजे का समय!
सुरंग बनने का कार्य निर्विघ्न जारी था, ड्रिल मशीन अपना काम कर रही थी और वे पांचों अपना—विघ्न डालने वाला यानि जेम्स बॉण्ड बेचारा सुरंग के एक कोने में इस वक्त बेहोश पड़ा था।
बंधनों में जकड़ा।
वे काम जरूर कर रहे थे, परन्तु दिमाग ब्लैकमेलर से मिलने वाली रिपोर्ट में ही उलझा हुआ था—उसने अभी तक रिपोर्ट नहीं दी थी।
उसे देखते ही सबने काम छोड़ दिया और आगे बढ़कर विजय ने सवाल किया—"कहो प्यारे, क्या खबर लाए हो?"
"खतरा है भी हुजूर और नहीं भी।"
"क्या मतलब?"
"गोताखोरी का लिबास पहनकर बॉण्ड कल रात दो बजे टेम्स में कूदा—कूदने से पहले उसे खुद जानकारी नहीं थी कि नदी में से कोई सुरंग बनाई जा रही है, अतः जाहिर है कि इस सुरंग के बारे में उसने किसी से कोई बातचीत नहीं की है।"
"मगर इसकी क्या गारंटी है?"
"गारंटी है।"
"क्या?"
"सीक्रेट सर्विस के जूनियर जासूस सारे लंदन में इन्हें तलाश करते फिर रहे हैं।"
चौंकते हुए विजय ने पूछा—"क्यों?"
"इस क्यों का विस्तारपूर्वक जवाब तो मैं बाद में दूंगा हुजूर, फिलहाल केवल इतना ही समझ लें कि मिस्टर एम को किसी मामले में बॉण्ड की फौरन जरूरत है, उन्हें यह संदेह भी है कि कहीं बॉण्ड उन लोगों के हाथ न लग गया हो, जो कोहिनूर के चक्कर में हैं।"
"क्या उन जूनियर जासूसों के यहां तक पहुंच जाने की संभावना हैं?"
"बस, फिलहाल यही एक खतरा है।"
आशा ने सवाल किया—"जब बॉण्ड किसी से कुछ कहकर ही नहीं आया है तो किसी को कैसे पता लगेगा कि रात के दो बजे वह टेम्स में कूदा था?"
"गोताखोर क्लब से।"
"क्या मतलब?"
"बॉण्ड ने आज दिन में ही गोताखोरी का यह लिबास क्लब से रात—भर के लिए लिया था। जॉन नामक जूनियर जासूस को मालूम है कि बॉण्ड गोताखोरी से कोहिनूर की चोरी का सम्बन्ध जोड़ने के लिए कटिबध्द था, अतः क्लब से लिबास लिए जाने के बात पता लगते ही जूनियार जासूस के सामने यह बात स्पष्ट हो जाएगा कि बॉण्ड टेम्स में कूदा होगा—इसके बाद जूनियर जासूस बॉण्ड की खोज टेम्स में करेंगे और बॉण्ड की तरह उनमें से भी किसी को दहाना मिल सकता है।"
अशरफ ने चिंतित स्वर में कहा—"इसका मतलब बॉण्ड को तलाश करते हुए वे लोग यहां पहुंच सकते हैं।"
विजय ने ब्लैकमेलर से पूछा—"हमारे क्यों पर तुम कौन-सा विस्तारपूर्वक जवाब देने वाले थे?"
"रात एक बड़ी घटना घट गई है, सरकार।"
"क्या?"
जवाब में ब्लैकमेलर ने कहा—"रात अलफांसे गार्डनर की कोठी के तहखाने में स्थित कंट्रोल रूम तक पहुंच गया—उसका मकसद चुपचाप उपग्रह से सम्बन्धित सैट में छोटी-सी तकनीकी गडबड़ करके वापस जाना था, परन्तु कंट्रोल रूम में जाने कैसे गड़बड़ हो गई—अपनी योजना के विरुध्द उसे कंट्रोल रूम में पांच व्यक्तियों का मर्ड़र करना पड़ा—और कहना चाहिए कि वह बड़ी मुश्किल से खुद को गुप्त रखने और वहां से फरार होने में कामयाब हो सका है।"
"यह सब कैसे हुआ?"
ब्लैकमेलर ने विस्तारपूर्वक सब कुछ बता दिया, परन्तु मजे की बात यह था कि उसने कहीं भी हैंम्ब्रीग का नाम नहीं लिया—बताने के बाद उसने आगे कहा—"कंट्रोल रूम में मर्डर और गार्डनर के द्वारा अलफांसे के साथी को देख लिए जाने जैसी घटनाएं अलफांसे की योजना में हो गई गड़बड़ी कही जा सकती हैं और इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से गार्डनर को यह पता लग गया कि रात के वक्त कोई कंट्रोल रूम तक पहुंच गया था, अतः सम्पूर्ण के.एस.एस से भी मिले—विशेष रूप से रात की घटना की वजह से ही बॉण्ड की तलाश ज्यादा जोर-शोर से हो रही हैं।"
विकास बड़बड़ाया—"इसका मतलब यह कि क्राइमर अंकल ने अपनी योजना पर काम अपना शूरू कर दिया है।"
"इन सब बातों का मतलब यह भी निकलता है प्यारे कि अपनी योजना पर निर्विघ्न वह भी काम नहीं कर पा रहा है—रास्ते में जिस तरह की छोटी-मोटी अड़चनें हमारे सामने आ रही हैं, वैसी ही अड़चनों का सामना लूमड़ को भी करना पड़ा रहा हैं।"
"छोटी-मोटी नहीं हुजूर, बल्कि इस वक्त अलफांसे के सामने बहुत बड़ी अड़चन आ खड़ी हुई है।" एक बार फिर ब्लैकमेलर उनके बीच टपका।
"मैं जानता हूं कि वे इस बाधा का हल भी निकाल लेंगे।" विकास थोड़ा खिन्न-सा नजर आ रहा था—"हम यह सुरंग खोद रहे हैं, यह कभी बैंक संस्थान की इमारत के तहखाने तक नहीं पहुंचेगी—हम ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस के जासूसों से ही उलझे रह जाएंगे और क्राइमर अंकल कोहिनूर को लेकर गायब हो जाएंगे।"
"तुम चिंता मत करों प्यारे दिलजले, लूमड़ से पीछे हम भी नहीं रहेंगे।" विजय ने कहा। जवाब में विकास बोला कुछ नहीं, परन्तु उसके चेहरे से लग रहा था कि विजय के वाक्य ने उसे बिल्कुल प्रभावित नहीं किया हैं, जबकि उसकी तरफ कोई ध्यान दिए बिना विजय ने ब्लैकमेलर से पूछा—"तो अब तुम यह राय दो प्यारे ब्लैकमेलर भाई कि उन साले जूनियर जासूसों को यहां पहुंचने से कैसे रोका जाए?"
"वे तो तभी रुक सकते हैं, जब बॉण्ड की तलाश बंद कर दें।"
विक्रम बड़बड़ाया—"बॉण्ड के न मिलने तक वे भला तलाश बंद क्यों करने लगे?"
"बात ठीक है, लेकिन...।"
बात विजय ने लपकी—"लेकिन क्या प्यारे?"
"मेरे दिमाग में एक तरकीब है और यदि आप कहे तो वह बता सकता हूं—उसे इस्तेमाल करने या न करने की जिम्मेदारी आपकी है।"
"फरमाओ प्यारे, फौरन फरमाओ।"
"जहां तक मेरा ख्याल है हुजूर, बॉण्ड की अंगूठी में एक ट्रांसमीटर है—उसे पर मिस्टर एम से सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है, यदि बॉण्ड एक नपी-तुली रिपोर्ट मिस्टर एम को दे तो बॉण्ड की तलाश होनी बंद हो सकती है।"
"कैसी रिपोर्ट?"
"बॉण्ड यह कहे कि कल रात गार्डनर की कोठी में जो कुछ हुआ है, वह उस सबसे वाकिफ है, बल्कि अगर वह चाहता तो वैसा कुछ भी नहीं होता—बॉण्ड कहे कि उसने कोहिनूर की चोरी करने वाली टुकड़ी के एक व्यक्ति को पकड़ लिया है और अब वह उस पकड़े हुए व्यक्ति के मेकअप में इस टुकड़ी के साथ है, टुकड़ी में से किसी को उसके बॉण्ड होने का शक नहीं है—अतः मिस्टर एम या गार्डनर बिल्कुल चिंतित न हो—जो हो चुका हैं यानि कंट्रोल रूम वाली घटना, ये लोग उससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकेंगे—टुकड़ी के बीच में घुसा वह उचित समय आने पर इन सबको गिरफ्तार करा देगा।"
"वैरी गुड।" विजय की आंखों चमकने लगीं।
"इस रिपोर्ट के बाद न केवल बॉण्ड की तलाश बंद हो जाएगी, बल्कि अनावश्यक रूप से सतर्क हो गए एम, गार्डनर और के○एस○एस○ विभाग पुरानी स्थिति में पहुंच जाएंगे।"
"कौड़ी तो तुम ऊंची लाए हो प्यारे।"
"तारीफ के लिए शुक्रिया।" वह शेख की तरह झुका।
आशा बोली—"म...मगर बॉण्ड एम को यह रिपोर्ट देगा क्यों?"
"मैं जानता हूं कि विजय बाबू बॉण्ड की आवाज की नकल कर सकते हैं।"
"ओह।" विकास सहित एक साथ सभी के चेहरे चमक उठे।
विजय ने कुछ कहने के लिए अभी मुंह खोला ही था कि सुरंग में हल्की-सी पिक—पिक की आवाज गूंज उठी—सभी ने चौंककर बॉण्ड की उंगली में पड़ी अंगूठी की तरफ देखा।
नग के अन्दर रह-रहकर एकत नन्हा-सा बल्ब स्पार्क कर रहा था।
"यह लीजिए सरकार, मुझे तो लगता है कि मिस्टर एम खुद ही जेम्स बॉण्ड से बात करना चाहते हैं, शायद अपने जूनियर जासूसों से निराश हो गए हैं वो।"
विजय बॉण्ड की तरफ बढ़ गया।
¶¶
शाम के पांच बजे।
होटल सदाबहार के एक केबिन में बैठे हुए हैम्ब्रीग ने पूछा—"क्या रहा, मास्टर?"
"सब कुछ चौपट हो गया है।" अलफांसे ने मायूसी और झुंझलाहट के संयुक्त भाव लिए कहा, वह उस पट्टी को देख रहा था, जो हैम्ब्रीग ने अपने सिर पर बांध रखी थी—यह पट्टी उस जख्म पर बंधी थी जो हैम्ब्रीग के सिर पर अलफांसे के आदेश का पालन करते समय हुआ था।
हैम्ब्रीग की स्वामिभक्ति को याद करके अलफांसे रोमांचित-सा हो उठा था, बोला—"तुम्हारी सारी कुर्बानी, सारी मेहनत बेकार गई हैम्ब्रीग।"
"ऐसा क्यों कहते हैं मास्टर?"
अलफांसे बड़बड़ाया—"पहले उन्हें सिर्फ शक था कि कुछ लोग कोहिनूर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, अब वही शक विश्वास में बदल गया है। अब कोहिनूर के चारों तरफ की गई सुरक्षा व्यवस्थाओं पर के○एस○एस○ की नजर कड़ी हो जाएगी और हमारा सफल होना कठिन हो जाएगा।"
"कठिन ही तो हो जाएगा मास्टर, असंभव तो नहीं?"
"तुम मामले की गंभीरता को समझ नहीं रहे हो हैम्ब्रीग, खैर लगता है कि कुछ दिन तक हमें बिल्कुल निष्क्रिय होकर शांत बैठना पड़ेगा।"
"खतरा टलने तक शांत रहने में हमें क्या दिक्कत है?"
"कोई दिक्कत नहीं थी हैंम्ब्रीग, कोहिनूर को चुराने की यह सारी स्कीम ही मैंने धैर्य पर आधारित होकर बनाई थी—उस अवस्था में यदि मुझे एक साल तक भी शांत बैठे रहना पड़ता तो मैं बैठ जाता, बिल्कुल न हिचकिचाता परन्तु, सारा मामला विजय ग्रुप ने गड़बड़ कर रखा हैं।"
"वे भला इसमें कहां आड़े आ रहे हैं, मास्टर?"
"काफी कोशिश के बाद भी तुम पता नहीं लगा सके हो कि पीटर हाउस से फरार होने के बाद वे कहां गायब हो गए—चैम्बूर से उन्होंने सब कुछ मालूम कर लिया था—मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वे लंदन में कहीं होंगे और कोहिनूर तक पहुंचने की कोई-न-कोई तिकड़म लड़ा रहे होंगे।"
"ओह, यह तो सचमुच चिंता का विषय है, मास्टर।"
"उन्हीं की वजह से मैं उस धैर्य का प्रदर्शन भी नहीं कर सकता, जिसकी इन बिगड़े हुए हालात में बहुत जरूरत है, अनावश्यक खतरे
उठाने पड़ेंगे।"
बेचारे हैम्ब्रीग के पास कहने के लिए कुछ था ही नहीं, इसलिए चुप रहा। अलफांसे भी जाने क्या सोचने लगा था—कम-से-कम पांच मिनट तक उनके बीच खामोशी छाई रही, तब हैम्ब्रीग एकाएक ही बोला—"यदि इजाजत हो मास्टर तो मैं एक सवाल पूछूं?"
"पूछो।"
"आपने मुझे लॉन से खिड़की का शीशा तोड़ते हुए कमरे में आने का हुक्म क्यों दिया था?"
"बिगड़े हुए हालात पर थोड़ा-सा काबू पाने के लिए।"
"मैं समझा नहीं?"
"जरा सोचो हैम्ब्रीग, इतना सब कुछ होने पर भी जब गार्डनर और उसके अधीनस्थ काम करने वाले के○एस○एस○ के जासूसों को गार्डनर के कमरे में किसी व्यक्ति के प्रविष्ट होने तक रास्ता न मिलता तो वे क्या सोचते, यही न कि लॉक की चाबी का इस्तेमाल करके कोई कोठी के अन्दर रहने वाला ही कमरे में आया था—यह टूटी हुई खिड़की उन जासूसों को बताएगी कि आने वाला खिड़की के रास्ते से आया था। अतः कोई बाहरी व्यक्ति था, कोठी के अन्दर का कोई व्यक्ति काण्ड में शामिल नहीं था।”
"ओह।" हैम्ब्रीग अलफांसे का आशय समझ गया।
"जब तुम लॉन की तरफ गए थे तब मैंने गार्डनर की रिस्टवॉच भी चेंज कर दी थी, यानि उसकी रिस्टवॉच उसकी कलाई में डाल दी और अपनी वाली रख ली।"
"क...क्यों—मेरा मतलब ऐसा करने की क्या जरूरत थी, मास्टर?"
"मेरे दिमाग में उसी समय यह बात आ गई ती कि योजना से हुई गड़बड़ी की वजह से गार्डनर निश्चय ही दिन में एक बार अपने ऑफिस में सुरक्षावश कोहिनूर को चैक करने जाएगा और जब घूमता हुआ ऑफिस का फर्श नीचे की तरफ जाएगा, तब मेरी रिस्टवॉच से उसकी कलाई में कोई सुई नहीं चुभेगी, अतः क्षण भर में उसे अपनी रिस्टवॉच बदल जाने का पता लग जाएगा।"
"आप ठीक कह रहे हैं, मास्टर।"
"उस अवस्था में वह और ज्यादा सतर्क हो उठता, अब कम-से-कम वह तो नहीं होगा।"
"यकीनन आपने उन उत्तेजनात्मक क्षणों में भी काफी दूर की सोची मास्टर।"
"अब अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने से पहले मुझे दुबारा रिस्टवॉच को चेंज करने का खतरा उठाना पडेगा—खैर, तुम जॉनसन के पीछे लगे रहो हैम्ब्रीग—अभी मामला गर्म है, थोडा-सा ठंड़ा पड़ते ही हमें अपनी आगे की योजना पर मुस्तैदी से अमल करना है।"
"आप फिक्र न करें मास्टर, जॉनसन की पूरी दिनचर्या मुझे मालूम है।"
"हालांकि गार्डनर मुझे या इर्वि को कोहिनूर के बारे में कभी कुछ बताते नहीं हैं, बल्कि यह कहना चाहिए कि उनकी नजर में हमें यह मालूम ही नहीं हैं कि वे के.एस.एस.के डायरेक्टर हैं, फिर भी मैं उन्हीं से मालूम करने की कोशिश करूंगा कि रात की घटना की वजह से के○एस○एस○ में किस स्तर तक सरगर्मी है?"
"सुबह आपने, इर्विन भाभी ने और कोठी के सभी नौकरों ने कमरे की अवस्था देखी होगी और उनसे पूछा होगा कि यह सब कैसे हुआ, तब उन्होंने क्या जवाब दिया था?"
"उन्होंने कहा कि रात में किसी चोर ने उनके कमरे में घुसने की कोशिश की, मगर उनके जाग जाने की वजह से तुरंत ही वापस भाग गया—इर्वि और नौकरों ने उनकी इस बात पर यकीन कर लिया और मेरे पास भी यकीन करने का अभिनय करने के अलावा कोई चारा नहीं था।"
"तब फिर आप उनसे के○एस○एस○ की सरगर्मी किस तरह मालूम करेंगे?"
"कोशिश करूंगा, शायद कोई बात चल जाए या बातों के घुमाव में ही शायद उनके मुंह से कोई ऐसी बात निकलवाने में कामयाब हो जाऊं जो सच्ची हो।"
¶¶
खुशी से लगभग झूमते हुए मिस्टर एम ने कहा—"देखा, हम न कहते थे कि हमारा बॉण्ड सक्रिय है, अतः इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हो सकेगा, जो बॉण्ड की पैनी नजर में बचा रहे।"
"क्या हुआ है, कुछ मुझे भी तो बताइए मिस्टर एम।" गार्डिनर ने उत्सुकतापूर्वक पूछा।
"यह पूछो कि क्या नहीं हुआ है?"
"ओफ्फो, कुझ कहिए भी।"
"आज दोपहर करीब तीन बजे बॉण्ड की रिपोर्ट मिल गई है।"
गार्डनर ने उत्सुकतापूर्वक पूछा—"अपनी रिपोर्ट में क्या कहा है बॉण्ड ने?"
"वही, जो हम उसकी रिपोर्ट मिलने से पहले ही कह रहे थे।"
"प...प्लीज मिस्टर एम, प्लीज हमें साफ-साफ बताइए।"
गार्डनर की बेताबी की देखकर मिस्टर एम ठहाका लगाकर हंस पड़े, उनके इस तरह हंसने से ही जाहिर था कि वे इतने खुश थे—गार्डनर उन्हें इस तरह देखने लगा जैसे उसे एम के पागल होने का संदेह हो गया हो—दिल खोलकर हंसने के बाद मिस्टर एम ने खुद ही कहा—"आज दिन में तीन बजे के करीब तक हम उन जूनियर्स पर निर्भर रहे, जिनकी पूरी टीम बॉण्ड की तलाश कर रही थी—मगर वे बॉण्ड का पता नहीं लगा सके—तब हमने निराश होकर स्वयं ही ट्रांसमीटर पर संपर्क स्थापित करने की कोशिश की और मजे की बात देखो कि पहली ही कोशिश में सम्बन्ध स्थापित हो गया—बल्कि बॉण्ड ने कहा कि वह स्वयं ही हमसे सम्बन्ध स्थापित करना चाहता था।"
"प्लीज बताइए कि बॉण्ड की रिपोर्ट क्या है?"
"अपना परिचय देने और हमारा पाते ही बॉण्ड ने कहा कि वह जानता है हम परेशान होंगे—हमारे यह पूछने पर कि क्यों, अगली रात की सारी घटना खुद ही बताता चला गया।"
"आश्चर्य!"
"बताने के बाद बोला कि यह सब कुछ वह इसलिए जानता है, क्योंकि सभी कुछ उसकी आंखों के सामने घटा हैं।"
"बॉण्ड की आंखों के समाने?"
"जी हां, अपराधियों को वह सब कुछ करने से उसने इसलिए नहीं रोका, क्योंकि अभी उन्हें गिरफ्तार करने का सही वक्त नहीं आया है।"
"फिर बॉण्ड ने क्या किया?"
"वह पांच आदमियों की एक टुकड़ी है जो कोहिनूर को चुराना चाहते हैं, बॉण्ड ने शेष चार की नजरों को धोखा देकर उनमें से एक को दबोच लिया है।"
"वैरी गुड, हमें बॉण्ड से यह उम्मीद थी।" गार्डनर की आंखें चमक उठीं।
"आपको सिर्फ उम्मीद थी मिस्टर गार्डनर जबकि हम अच्छी तरह जानते थे कि बॉण्ड के गायब होने के पीछे ऐसा ही कुछ होगा। उसका नाम जेम्स बॉण्ड है और इसमें शक नहीं कि अब तक किसी भी देश के पास ब्रिटिश जीरो-जीरो सेवन का जवाब नहीं है।"
"ल...लेकिन मिस्टर एम, क्या बॉण्ड ने यह नहीं बताया है कि वह कहां है?”
"नहीं।"
"क्यों?"
"यह बॉण्ड के काम करने की शैली हैं, वह तब तक कुछ नहीं बताता, जब तक कि उसे संपूर्ण न मिल जाए, हमने वही सवाल उससे किया जो आपने किया। बोला—हमें इस किस्म के सवाल के जवाब में उलझने की जरूरत नहीं हैं—उपयुक्त समय आने पर या तो वह इन सबको खुद ही यहां से आएगा अथवा वहां फोर्स बुला लेगा, जहां हैं।"
"यह उचित समय वाली बात समझ में नहीं आई मिस्टर एम, जब बॉण्ड उनके बीच है तो क्यों नहीं इसी क्षण गिरफ्तार कर लेता, किस उपयुक्त समय का इंतजार है उसे?"
"केवल बॉण्ड का यह जान लेना ही तो काफी नहीं है मिस्टर गार्डनर कि अपराधी ये लोग हैं, अंतर्राष्ट्रिय अदालत में उन्हें अपराधी साबित करने के लिए सबूत भी तो चाहिए—उपयुक्त समय से उसके अर्थ संपूर्ण सबूत जुटा लेने से है।"
"मुकदमा अतंर्राष्ट्रीय अदालत में चलेगा?"
"जी हां।"
"म...मगर क्यों?"
"क्योंकि वे पांचों अपराधी ब्रिट्रिश नहीं इंड़ियन जासूस हैं, अपने मन को यह बहकाकर कि कभी कोहिनूर उनका था, ये पांचों गुप्त ढंग से उसे यहां से चुराने आए हैं—अंतर्राष्ट्रीय अदालत के माध्यम से भारत की इस कारगुजारी को दुनिया के सामने लाकर भारत की नाक नीची कर देने का दायित्व भी तो आखिर ब्रिटेन ही का बनता हैं।"
"वाकई बॉण्ड ग्रेट है।"
"अब, आज की रात आप निश्चिंत होकर चैन से सो सकते हैं—बॉण्ड ने कहा है कि ज्यादा-से-ज्यादा हो सकता था, वह ये लोग रात कर चुके हैं—अब कुछ नहीं कर सकेंगे—कोहिनूर तक पहुचंने से बहुत पहले ही बॉण्ड उन्हें अपना असली रूप दिखा देगा।"
"गुड।"
"अब तो आपको चैन मिला?"
"जी हां।"
"अब आप कहिए, क्या आज दिन में आपने कोहिनूर को चैक किया था?"
"जी हां, ऑफिस जाते ही—हम म्यूजियम के नीचे उस स्थान पर गए, जहां कोहिनूर रखा है, वह सुरक्षित है और ऐसा भी कोई आभास नहीं मिलता कि कोई वहां आया है।"
"जो व्यवस्थाएं आपने हमें बताई है उन्हें मद्देनजर रखकर हम कह सकते हैं मिस्टर गार्डनर कि वहां तक पहुंचना कोई मजाक बात नहीं है, और विशेष रूप से अब जबकि उन इंडियन जासूसों के बीच, उन्हीं के साथी के रूप में बॉण्ड है, ऐसा कुछ भी होना असंभव है अतः आप सारी चिंताए दिमाग से निकाल दीजिए और नींद की गोली खाकर सो जाइए।"
"थैंक्यू मिस्टर एम।" कहने के साथ ही खड़े होते हुए गार्डनर ने विदाई के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया, मिस्टर एम ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया।
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