अध्याय १६
“मैं युद्ध के लिए नहीं, शांति के लिए आया हूँ।”
– अनाम
भूखी सकीना हमाद, दोपहर के खाने के लिए लंबी कतार में खड़ी, अपनी बारी का इन्तज़ार कर रही थी। उसने स्कूल में शरण नहीं ली थी, वह तो युद्ध में प्रभावित परिवारों के कल्याण और प्रबंधन के लिए स्वेच्छा से सेवा कर रही थी। शिविर के अंदर, नए शरणार्थियों की मदद में व्यस्त होने के कारण, उसने अभी तक कुछ खाया-पिया नहीं था। युद्ध-विराम की संक्षिप्त समय-सीमा में उसने अपनी सच्ची लगन, पूरी गंभीरता से दिखाई।
धीमी गति से आगे बढ़ते हुए, उसने एक सपाट टोपी पहने एक अजीब, मोटा, बूढ़ा आदमी देखा, उसकी शर्ट पर संयुक्त राष्ट्रसंघ का बैज लगा हुआ था; वह लोगों को दोपहर का भोजन परोस रहा था।
कोई नया आदमी लगता है, उसने सोचा।
अपनी बारी आने पर, वह खाना बांटने के स्थान पर पहुँची। बूढ़े आदमी ने उसके सामने एक चुटकी नमक डालकर उसे शाकाहारी सूप परोसते हुए कहा–
“खानसामा नमक बराबर डालना भूल गया।”
“शुकरन… आप कहाँ से हो?” सकीना ने मुस्कुराते हुए, उसे बातचीत में संलग्न करने की मंशा से पूछा। उसकी आवाज़ कोमल और दयालुता से परिपूर्ण थी।
“अमेरिका।” जॉर्ज ने उत्तर दिया।
“ओह… अच्छा है,” सकीना ने उत्तर दिया।
जॉर्ज ने कहा, “यहाँ लोगों को सुकून से खाना खाते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है।”
“लेकिन ये हालात लंबे समय तक नहीं रहेंगे। यहूदी किसी भी वक़्त फिर से बमबारी करने लगेंगे। इन लोगों को अपने परिवार के साथ घर पर खाना, खाना चाहिए, यहाँ पर तो होना ही नहीं चाहिए।”
“उम्मीद करते हैं कि ये बुरे दिन जल्द ही समाप्त हो जाएँगे,” जॉर्ज ने बातचीत को सहज बनाने की इच्छा से कहा।
सकीना ने जॉर्ज पर एक संदिग्ध दृष्टि डाली और आगे बढ़ गयी। जॉर्ज ने खाना परोसने के चम्मच को उसके बगल में खड़े एक आदमी के हवाले किया और अपनी जगह से पीछे हट गया।
सकीना एक चौड़े-खुले स्थान के एक कोने में, नीले स्तंभ के पास बैठकर सूप पीते हुए इन्तज़ार करने लगी। उसने स्टालों पर सेवारत लोगों पर, जॉर्ज को देखने की मंशा से अपनी निगाह डाली, पर वह वहाँ से जा चुका था।
अचानक, उसे चक्कर आ गये; उसका सिर घूम रहा था। वह लड़खड़ायी और सूप का कटोरा गिर गया फिर दोनों हाथों से उसने अपना सिर थाम लिया, “आह… मुझे क्या हो रहा है?”
वह नीचे गिरने को हुई। ज़मीन से टकराने से पहले ही, किसी ने उसे अपने हाथों का सहारा दिया। सौभाग्य से, जॉर्ज अपने मिशन के तहत, शुरू से ही उस पर नज़र रखे हुए था, लेकिन सकीना को चक्कर आना, जॉर्ज की योजना का हिस्सा नहीं था।
“क्या हुआ, तुम ठीक तो हो?” उसे सहारा दिए हुए जॉर्ज ने पूछा।
“मेरा सिर… मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,” सकीना ने कहा, उसकी आवाज़ धीमी होती जा रही थी।
जॉर्ज ने उसे अभी तक छोड़ा नहीं था; पहले वह उसका, विश्वास हासिल करना चाहता था। तभी एक-दो महिलायें उनकी ओर दौड़ती हुई आईं।
“माद्ह्हा, वका (क्या हुआ?)” उन्होंने पूछा।
“रा’सी युलिमुनि (मेरे सर में दर्द हो रहा है।)” सकीना ने कराहते हुए कहा।
उन्होंने, उसे जॉर्ज के हाथों से अपने हाथों में ले लिया, उसे उठाया और वह उनके कंधे पर झूल गयी। वे परिसर के कोने पर एक कक्षा की ओर बढ़े, ठीक उसी जगह, जहाँ जॉर्ज उसे ले जाना चाहता था; भाग्य उसकी तरफ़ था। उसने उनके पीछे आने के लिए अपने कदम बढ़ाए।
“वैसे आज गर्मी भी बहुत है और मुझे लगता है आप बिना कुछ खाए-पिए पूरे दिन काम करती रही होंगी।” पीछे-पीछे चलते हुए जॉर्ज ने उसे सांत्वना दी। आगे उन्होंने आधे सफ़ेद और आधा नीले रंग से पुते, एक धूल भरे कमरे में प्रवेश किया। इसमें लकड़ी के डेस्क और बेंच चारों ओर बिखरे हुए पड़े थे। कुछ खिड़कियाँ टूट गईं और कुछ बंद पड़ी थीं। एक मोटे बीम के बीच से होकर वहाँ उजाला आ रहा था। एक ब्लैकबोर्ड, जिस पर अंग्रेजी वर्णमाला लिखी गई थी, और उनके नीचे, एक वृत्त के अंदर तीन मोटे-मोटे अक्षर लिखे थे। जॉर्ज ने सकीना को डेस्क पर लिटाने में उनकी सहायता नहीं की। उसने घेरे में लिखे हुए शब्दों पर ध्यान दिया; उसने तुरंत अनुमान लगा लिया कि मोटे-मोटे अक्षरों में क्या कहने की कोशिश की गयी थी: ‘W A R’ (युद्ध)।
उसने सोचा, यहाँ के लोगों का दिमाग़ ख़राब हो गया है।
“सकीना, मैं तुम्हारे लिए कुछ दवाएँ लेने जा रहा हूँ, ठीक है ना?” जॉर्ज ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा।
सकीना को जॉर्ज के बात करने से भी चिढ़ मच रही थी। एक तो कठोर लकड़ी के डेस्क पर पड़ा रहना पहले ही कष्टप्रद था, उस पर सिरदर्द और बैचेनी, वह तमक कर पलटी और बोली, “आप मेरा नाम कैसे जानते हैं?”
लेकिन तब तक, जॉर्ज और दोनों महिलाएँ, कमरे से बाहर निकल चुके थे। वह अर्ध-चेतन अवस्था में थी और समझने की कोशिश कर रही थी, कि वह कहाँ है। कुछ मिनटों के बाद, उसका चेहरा मुरझा गया था और दृष्टि धुंधली हो गयी थी, इसीलिए कमरे में आये तीन लोगों को अपने सामने पाकर भी केवल उन्हें छाया के रूप में ही देख पाई। इसके बाद, उसने एक महिला की आवाज़ सुनी।
“ओह माय गॉड, जॉर्ज! उसे क्या हुआ?”
“वह गिर गई थी, शायद गर्मी के कारण उसे चक्कर आ गए थे, मुझे लगता है ये भूख के कारण हुआ है।”
“आराम करो, सब ठीक हो जाएगा।”
जॉर्ज ने उसकी दाहिनी बाँह पर कुछ दवा लगाई और धीरे से उसकी बाँह में इंजेक्शन लगा दिया। उसे एक चुटकी और ठंडी अनुभूति हुई। कुछ ही सेकंड में, उसका सिर घूमना बंद हो गया।
फिर धीरे से वह उठी और अपनी भारी आँखों से देखा कि कमरे के अंदर वे लोग कौन थे? उनमें से एक को देखकर सहसा उसे अपनी रीढ़ में सर्द ठंडक महसूस हुई और उसका खून जैसे जम गया; एक पल के लिए समय जैसे ठहर सा गया। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। आश्चर्य से उसकी आँखें फटी की फटी रह गई और उसके मुँह से अनायास ही निकला…
“एमा? तुम यहाँ क्या कर रही हो?
काहिरा में, डोलोरेस ने अपने होटल के सुइट में जूते उतार कर मिनी फ्रिज से एक बीयर पिंट निकाला और एक घूंट लिया फिर पिंट को अपने चेहरे से सटा लिया। उसका थका हुआ मन, किसी के साथ के लिए तरस रहा था। एक आह के साथ वह बिस्तर पर लेट गई। वह किसी के भी द्वारा डिस्टर्ब होना नहीं चाहती थी। लेकिन एकाएक उसका फोन बज उठा;
“हे भगवान्, हेल्लो?”
“फोन पर मैथ्यू था।”
“क्या हुआ?” थोड़ी नाराज़गी भरी आवाज़ में बोली।
“वे स्कूल के अंदर हैं, लेकिन हम उन पर नज़र नहीं रख पा रहे हैं।”
“यह मिशन का हिस्सा है, मैथ्यू।”
“मुझे पता है, सिर्फ़ रिपोर्टिंग के लिए मैंने फोन किया।”
“तुम नियंत्रण खोना पसंद नहीं करते, ऐसा ही है ना?”
“कौन करता है?”
युद्ध-विराम समाप्त होने से पहले, हमें उन्हें बाहर निकालने के लिए केवल तीन घंटे का समय मिला है।
“इतना समय बहुत है।”
“ऐसा ही होना चाहिए” फोन कट गया। उसने पिंट को नीचे पटकने के पहले, उसकी आख़री बूंद को भी अपने मुँह में टपकाकर एक चटकारा लिया।
फिर दीवार पर लगी घड़ी को, एकटक देखते हुए सोचने लगी।
“क्या यह इस युद्ध के अंत की शुरुआत है?” उसने अपने आप से ज़ोर से पूछा, वह नशे मे थी।
सकीना को उसके साथ लगातार हो रही घटनाओं का सिरा नहीं मिल पा रहा था। एमा ने उसे गले लगाया। उसे अच्छा लगा और वह शांत हो गई। आलिंगन से अलग होते हुए एमा ने सकीना की लाल-पड़ गयी आँखों को देखा और कहा, “मुझे असुविधा के लिए खेद है, लेकिन इस मुद्दे पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। मैं यहाँ केवल तुम्हारे लिए ही आयी हूँ, सकीना। मेरे पति भी मेरे साथ आए हैं।” डेविड ने एक खिड़की से खड़े होकर उसे ‘हाय’ किया।
सकीना ने अविश्वसनीय रूप से एमा को सिर से पाँव तक देखते हुए कहा,
“तुम्हें देखकर खुशी हुई?”
फॉर्मल जीन्स और जैकेट पहने एमा को देखकर सकीना समझ गयी कि, वह एक संक्षिप्त यात्रा पर थी।
भले ही एमा यहाँ आधिकारिक कार्य से आयी थी, लेकिन सीधे मुद्दे पर आना अशिष्टता होती, इसलिये एमा ने औपचारिकता निभाहते हुए पूछा, “क्या तुम और तुम्हारा परिवार ठीक है?”
आश्चर्यचकित होने के बावजूद, सकीना ने अपनी आवाज़ में नरमी बनाए रखते हुए कहा, “हाँ, हम ठीक हैं, लेकिन आप बताइए, ऐसी क्या आवश्यकता आन पड़ी जो आप एकाएक गाज़ा पहुँच गए? हमें मिले हुए सालों हो गए डियर, मुझे पहले बता देती तो अच्छा होता।”
“उम्म… हमारी उपस्थिति यहाँ गुप्त रूप से है। एमा ने कहा, “हम संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा सच्चाई का पता लगाने के एक गुप्त मिशन पर, यहाँ राहत-सामग्री से भरे ट्रक में छुपकर पहुँचे हैं। मैं…मेरे पास एक योजना है, जिससे ये घेराबंदी समाप्त होकर यहाँ शांति-स्थापना हो सकती है।
सकीना के चेहरे के भाव बदले, एमा ने जो कुछ भी कहा, उसकी गहराई पर जाकर विचार करने के लिए वह बेंच पर बैठ गयी।
“मैं नहीं जानती कि मैं आप लोगों लिए क्या कर सकती हूँ? उसके बोलते ही, एमा ने जेब में हाथ डाला और अपने फोन का एक बटन दबाया। सकीना को ये अंदाज़ा नहीं था कि उनकी बातचीत संयुक्त राष्ट्रसंघ में, एक ‘प्रामाणिक सबूत’ के उद्देश्य हेतु, गोपनीय तरीके से रिकॉर्ड की जा रही थी।
एमा ने एक गहरी साँस ली और सावधानी से बातचीत करने लगी।
“क्या तुम इस खून-खराबे के बारे में कुछ जानती हो, जो उन तीन लड़कों के अपहरण और उनकी हत्या किए जाने के बाद शुरू हुआ?”
“हाँ, आगे कहो,” सकीना ने कहा।
“हम अभी तक इस बात से पूरी तरह अंजान हैं कि ये सब कैसे शुरू हुआ?” आईडीएफ द्वारा उन घटनाओं के बाद की गई दमनात्मक कार्रवाई ने अंततः स्थिति को और बद्तर बना दिया, लेकिन हमारी गुप्तचर एजेंसियाँ भी इस फ़साद के विकराल रूप धारण करने के कारणों को समझने में विफल रहीं हैं। हम यहाँ किसी ऐसे व्यक्ति से सच्चाई का पता लगाने के लिए आये हैं, जिस पर भरोसा किया जा सके।”
सकीना खड़ी हो गई। उसने अविश्वास के साथ एमा की ओर देखते हुए हताशापूर्ण लहजे में कहा–
“मुझसे और तुमसे यह आग बुझने वाली नहीं, एमा। यह युद्ध तब तक ख़त्म नहीं होगा जब तक कि या तो हम सब मर नहीं जाते, या फिर वे सब मारे नहीं जाते।”
“ऐसे मामले कभी इतनी सरलता से हल नहीं होते, क्या हो सकते हैं?” एमा ने उसे समझाते हुए कहा।
“तुमने इसके लिए केवल हमें ही दोषी क्यों माना, उन्हें क्यों नहीं?”
सकीना ने कठोरता से कहा, उसे लगा कि सारे फ़साद के लिए केवल हमें (फ़िलिस्तीनीयों को) ही दोषी समझा जा रहा है।
“मेरा मतलब यह नहीं था।” एमा बोली।
सकीना ने एमा को बीच में टोकते हुए, सुनने के नहीं बल्कि अपने मन की बात कहने के अंदाज़ में कहा, “मुझे सारी बात बताने दो, जब उन्होंने पहला बम गिराया तो मैं खान यूनुस में अपनी माँ के घर में रह रही थी। उनकी बिल्डिंग के पास फ़ातिमा नाम की एक छोटी लड़की रहती थी। पहले मिसाइल हमले के वक़्त वह अपने भाई-बहनों के साथ पार्किंग में खुशी-खुशी खेल रही थी, लेकिन भयानक विस्फोट होते ही वह बच्ची उछल कर हमारी बिल्डिंग की दीवार से जा टकराई और गर्दन टूटने से उसी वक़्त, उसकी वहीं मौत हो गई और साथ ही उसका पूरा परिवार भी इस हमले में मारा गया।” कहते-कहते, सकीना की आँखों में आँसू भर आये।
“जब हमने उनको दफ़नाया, तो मुझे एक बात का एहसास हुआ कि इज़राइल जो कर रहा है, उसे ना तो कभी माफ़ किया जा सकता है और ना ही कभी भुलाया जा सकता है।”
सकीना के आँसू भरे चेहरे पर घृणा के भाव स्पष्ट थे।
“जो हुआ उससे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन ये फिर से शुरू ना हो, इसीलिये मैं यहाँ आई हूँ।” एमा ने उसे समझाने की कोशिश की।
“मैं अपने लोगों की जान का सौदा नहीं कर सकती। यदि आप हमें दोष देने जा रहे हैं, तो यहूदियों को भी समान रूप से दोषी ठहराया जाना चाहिए।” सकीना ने रोषपूर्ण स्वर में फटकार लगाते हुए कहा।
भावुक होती हुई एमा की भी आवाज़ ऊँची हो गई और वह बोली–
“गाज़ा की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो रही है, तुम्हारे बैंकों की शाखाएँ बंद पड़ी हैं। हर कोई नकदी की किल्लत का सामना कर रहा है और लोग भूख से मर रहे हैं।” एमा ने, मिशन ब्रीफिंग के दौरान दी हुई जानकारी को ध्यान में रखते हुए, स्थिति के अनुसार, ज़ोर से और स्पष्ट आवाज़ में कहा।
“मैं यहाँ तुम लोगों की भलाई के लिए आयी हूँ, भगवान के लिए मेरी मदद करो!”
“हम अपने लोगों के लिए यहाँ हैं। हम अपने समुदाय के प्रति वफ़ादार हैं और अपनी आख़री साँस तक रहेंगे।” सकीना ने कहा।
डेविड हस्तक्षेप नहीं करना चाहता था, लेकिन बातचीत शत्रुतापूर्ण तर्क में बदल रही थी। उसके मन में पछतावे का बीज, जो उस समय रोपा गया था जब उसने यहाँ आने का निर्णय लिया था, अब संदेह के पौधे के रूप में विकसित हो रहा था। वह मन मसोस कर रह गया। लेकिन जॉर्ज इस बैठक को यूँ ही बेकार नहीं जाने देना चाहता था। यहाँ से खाली हाथ लौटने के लिए उसने सबका जीवन जोख़िम में ऐसे ही नहीं डाला था। वह सकीना की ओर मुख़ातिब होकर आदेशात्मक लहजे में बोला–
“क्या तुम एमा की बात शांति से नहीं सुन सकती? तुम लोगों के लिए उसने आज दो बार अपनी जान दाव पर लगा दी। एमा ने मुझे बताया था कि तुम उसकी अच्छी दोस्त हो और जो कुछ वह कहेगी उसे तुम ध्यान से सुन लोगी। मैं तुमको यकीनी मशवरा देता हूँ कि उसकी कुर्बानियों की तौहीन मत करो।”
सकीना चुप हो गई। उसे इस बात का पछतावा हुआ कि उसने एमा के साथ कैसा व्यवहार किया। वह सोचने लगी। निश्चित रूप से; वह एक जानलेवा घेराबंदी के बीच में सिर्फ़ इसलिए आई क्योंकि उसने मुझ पर भरोसा किया था और मैं, मैं उसे निराश करने में लगी हूँ।
उसे लगा कि उसके दिमाग़ में नसें हलचल मचा रही हैं। उसकी दृष्टि फिर से धुंधली होने लगी। उसका सिर घूम रहा था; वह गिर पड़ी।
वे सभी उसकी ओर दौड़ते हुए आए। वह सब सुन सकती थी पर उनकी आवाज़ें, अजीब तरह की लग रही थी।
“मेडिकल रूम कहाँ है?” एमा ने पूछा।
“मेरे साथ आओ,” जॉर्ज ने आदेश दिया।
“क्या उसके साथ बाहर जाना सुरक्षित रहेगा?” डेविड ने पूछा।
“हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।” जॉर्ज ने आश्वासन भरे शब्दों में कहा।
डेविड ने अपनी बाहों में सकीना को उठाया और वे सभी इमरजेंसी मेडिकल रूम की ओर तेजी से चल पढ़े।
लोगों की व्यथित भीड़ ने सकीना की ओर एक नज़र देखा, फिर वे अपने सामान्य काम-काज में लग गए; क्योंकि यहाँ कैंप में लोगों का बेहोश हो जाना उनके लिए एक मामूली घटना थी।
चिकित्सा कक्ष में, बाद में, एमा ने सकीना को फिर से इंजेक्शन लगाया। सकीना काफ़ी थकी हुई थी इसलिये बिस्तर पर आराम से लेट गई। कमरे के अंदर उनके अलावा कोई नहीं था। एमा ने उससे फिर कुछ और नहीं पूछा। वह जानती थी जब कोई ‘ना’ कहता है तो उसका मतलब ‘ना’ ही होता है। डेविड को अपनी पत्नी के लिए दुःख हुआ; वह वास्तव में विश्वास करती थी कि वह एक बदलाव ला सकती है। जॉर्ज ने दवा रखने के कैबिनेट को खोलकर देखा, वहाँ कोई दवा उपलब्ध नहीं थी।
“मैं ट्रक से कुछ दवाएँ लेकर आता हूँ,” जॉर्ज ने कहा।
“मैं आपकी कुछ मदद करूँ,” डेविड ने पूछा और फिर वे दोनों बाहर आ गए।
एमा ने एक कुर्सी खींची और सकीना के पास बैठ गई। बिना तकिए के, सकीना ने अपना सिर अपनी बाँह पर रख लिया।
“हम जल्द ही चले जायेंगे, तुम अपना ख़याल रखना।” एमा ने मुस्कुराकर, उसके माथे को सहलाते हुए कहा।
“शुक्रिया। सुनो, कुछ ऐसी बात है, जो आपके लिए जानना आवश्यक है। हमास काफ़ी समय से एक गुप्त योजना पर काम कर रहा है। मुझे नहीं पता कि यह क्या है, लेकिन मुझे यकीन है कि वह कोई बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। इसके अलावा मैं, बाकी और कुछ नहीं जानती। मैं आपकी बस इतनी सी मदद कर सकती हूँ। एमा आशापूर्ण तरीके से मुस्कुरा कर बोली,
“शुक्रिया, इससे बहुत मदद मिलेगी।”
उसने अपनी जैकेट से नकदी का एक बंडल निकाला और सकीना की ओर बढ़ाया। उसने अपना सिर इंकार में हिलाते हुए कहा,
“नहीं, नहीं। मैं, इसे नहीं ले सकती।”
“यह तुम्हारे लिए, सीआईए द्वारा दिया गया एक तोहफ़ा है,” एमा ने ज़ोर देते हुए कहा।
“इसमें भी ‘सीआईए’ ने अपनी नाक घुसा रखी है? अमेरिका हम फ़िलिस्तीनीयों के बारे में कब से सोचने लगा?” सकीना ने चुटकी ली।
“वे भी चाहते हैं कि यह सब शांति से समाप्त हो जाए।” एमा ने कहा, उसकी अभिव्यक्ति में कोई छल नहीं था।
सकीना ने एमा को सम्मान के साथ इंकार करते हुए पैसे वापस कर दिए।
उधर परिसर के बाहर जॉर्ज ने, दूर से अपने ट्रक को देखते हुए एक सिगरेट जलाई। उसने कुछ लोगों को भारी बक्सों को इधर-उधर ले जाते हुए देखा। उसे कुछ संदेह हुआ। उसे अपने अनुभव से यह समझ आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा था।
“अरे सुनो, अरे, सुनों!” उसने उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ज़ोर से आवाज़ लगाई। आवाज़ सुनकर वे लोग बक्सों को ट्रक के पास फेंक कर भाग गए। उनमें से एक बॉक्स खुला और नाशपाती के आकार का एक हैण्ड-ग्रेनेड उसमें से लुढ़कता हुआ ट्रक के पिछले टायर के ठीक नीचे जाकर अटक गया। जॉर्ज का शक सही था, वे स्कूल के अंदर हथियारों को छिपाने के लिए ले जा रहे थे।
इसके ठीक पहले, एक बच्चा, ट्रक की ड्राइविंग सीट पर चढ़ कर खेलने लगा। भारी वाहन के अंदर कोई नहीं था इसलिये वह चुपके से अंदर घुस गया था। जॉर्ज के चिल्लाने से वह छोटा बच्चा डर गया, जिसके कारण उसके हाथ में हैण्डब्रेक का हैंडल आ गया और उसने, उसे नीचे कर दिया, जिससे रिवर्स गियर में खड़ा ट्रक, फ्री होकर ग्रेनेड के ऊपर से गुज़रा और ग्रेनेड में ब्लास्ट हो गया, इससे वहाँ पड़े दूसरे बक्सों में भरे ग्रेनेडों में भी आग लग गयी और लगातार होते विस्फोटों की एक बाढ़ सी आ गयी और ट्रक पूरी तरह से उसकी चपेट में आकर दसियों फीट ऊपर की ओर उछल कर गिरा।
जॉर्ज और डेविड पीछे दूर फिका गए। उनके कानों से खून बह रहा था, वे कुछ भी नहीं सुन सकते थे, लेकिन उनके बहरे कानों में, उच्च-गगनभेदी ध्वनि सांय सांय कर अभी भी गूंज रही थी।
दर्द से कराहते हुए डेविड ने देखा कि ट्रक का क्या हश्र हुआ?
“ये हमारे साथ ही क्यों होता है!” उसके चेहरे पर आतंक के भाव थे।
जॉर्ज ने यह जाँचने के लिए कि उसे कहीं चोट तो नहीं लगी, अपने शरीर को टटोला और फिर डेविड को देखते हुए कहा। “मैं तो इस बात से खुश हूँ कि मैं, मेरे ट्रक के अंदर नहीं बैठा था।”
अध्याय १७
“हमें डरना, बहुत डरना चाहिए।”
– अनाम
दुर्भाग्य का एक बुरा क्षण, किसी बेकाबू शक्ति से प्रेरित या स्वयं की गलती से, आपका पूरा जीवन ही बदल देता है। आपकी सभी योजनाएँ और प्रयास, सब व्यर्थ चले जाते हैं। और कठिनाइयाँ अपने आये दिन बदलते स्वरुप के साथ एक नए रूप में आपके सामने उपस्थित होती हैं। दुर्भाग्य…किसी को प्यारा नहीं है, लेकिन आज तक इससे कोई बच नहीं पाया है। और यह बड़ी मासूमियत से आपको याद दिलाता है, कि आप हर उस दुर्घटना के लिए आसान शिकार हो, जो मानव-मात्र के साथ कभी भी घट सकती है।
अत्यधिक तीव्रता वाले भूकम्प के प्रभाव जैसे धमाके के बाद लगे झटके और आग लगने से स्कूल परिसर में, कई लोग गिर पड़े, कई घायल हो गए।
चारों ओर फैली आग की लपटों के बीच डेविड उठा और दौड़ कर मेडिकल रूम में वापस आ गया। उसने देखा कि सकीना, बिस्तर पर सुरक्षित और एमा कुर्सी के नीचे फ़र्श पर पड़ी थी। डेविड ने एमा के ऊपर पड़ी कुर्सी को एक ओर फेंका और बैठकर, उसका सर अपनी जंघा पर रखा।
“हे मेरे भगवान, हनी! तुम ठीक तो हो न?” डेविड ने घबराकर ऊँची आवाज़ में पूछा।
“मेरे पैर में चोट लगी है। क्या हुआ, युद्ध-विराम ख़त्म हो गया; हम पर हमला हुआ है?” एमा ने घबराहट में कई सवाल एक साथ पूछ डाले।
“नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। हम ठीक हैं, हनी। कहो… हम ठीक हैं। “
एक दर्द भरी मुस्कान के साथ एमा ने कहा, “हाँ, हम ठीक हैं।”
हमले से पूर्व छिपने के लिए, एक तेज सायरन की आवाज़ सुनाई पड़ी।
डेविड ने उस पर झुकते हुए कहा, “हमें अब यहाँ से जाना होगा!”
एमा, डेविड के सहारे से खड़ी हुई और लंगडाकर चलने लगी।
बाहर का दृश्य, इस आकस्मिक दुर्घटना की आग, गलियारे से होती हुई राहत-सामग्री से भरे कक्ष तक फ़ैल चुकी थी। मौत के भय से, सभी के भागने से वहाँ भयानक अफ़रा-तफ़री मची हुई थी।
जॉर्ज, आतंकित जनसमूह के द्वारा की जा रही बेतहासा चिल्ला-पुकार को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा था।
बाहर की घटना से अंजान, परिसर के अंदर सभी आश्चर्यचकित थे कि राहत-शिविर एक सुरक्षित आश्रय माना जाता था, फिर उन पर हमला क्यों हुआ?
फ़िक्रमंद सकीना ने, पूरे परिसर को छान डाला। उसे बालकनी की कगार पर एक बच्चा दिखा, जिसके पथराये चेहरे से मासूमियत गायब थी। अपनी सूखी आँखों से विनाश को ऐसे देख रहा था जैसे अपने भाग्य को ख़ामोशी से स्वीकार कर रहा हो।
सकीना उससे कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, कि पीछे हट जाये नहीं तो नीचे गिर जाएगा। उसने डेविड और एमा को देखते हुए निवेदन किया, “हमें इन लोगों की मदद करना चाहिए वरना भगदड़ में बेवजह कई लोग मारे जाएँगे।”
डेविड और एमा ने उसका आग्रह समझा।
एमा ने सर हिलाकर ज़ोर से जवाब दिया, “हम ज़रूर, मदद करेंगे!”
एमा के लिए फ़िक्रमंद डेविड बोला, “तुम रुको, ये सब मैं देखता हूँ। तुम डोलोरेस को कॉल कर हमारी स्थिति से अवगत कराओ।”
जॉर्ज लोगों की हताश भीड़ के बीच खड़ा होकर, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर उन्हें हिम्मत दिला रहा था,
“कुल शाय ‘बाइखेयर, कुल शाय’ बाइखेयर। (सब कुछ ठीक है, सब कुछ ठीक है।)”
सकीना और डेविड रोते-बिलखते लोगों के बीच पहुँचे।
सकीना ने ज़ोर से बोली, “डेविड फाटक खोलकर लोगों को बाहर निकालो और आग बुझाने वाला उपकरण भी ले आओ।”
“मैं अभी लाता हूँ।” बोलते हुए वह फाटक की ओर दौड़ा।
अन्य वालेंटियर लगातार पानी और बालू की बाल्टियों से आग बुझाने का प्रयास कर रहे थे। चिलचिलाती धूप और भीषण आग की संयुक्त तपन के कारण, वहाँ हो रहे नुकसान को रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था।
धमाके से लगी आग की चपेट में आये लोगों पर, कई वालेंटीयर्स कम्बल डालकर आग बुझाने का प्रयास कर रहे थे।
एमा ने पीछे हो रहे शोरगुल के बीच डोलोरेस को फोन लगाया।
उधर होटल के कमरे में, बिस्तर पर पड़ा फोन बजा। जवाब देने वाला कोई नहीं था। डोलोरेस नहा रही थी। फोन कट गया।
“हे भगवान!” ज़ोर-ज़ोर से साँस लेते हुए एमा ने फिर डायल किया, लेकिन अब भी कोई जवाब नहीं मिला। तभी–
एमा की आँखों ने जलते हुए ट्रक में एक हौलनाक मंज़र देखा – ट्रक की ड्राइविंग सीट पर बैठे एक बच्चे का शरीर जल रहा है। इस क्षण के बाद उसकी दुनिया हमेशा के लिए बदलने वाली थी। अत्यधिक भीभत्स दृश्य देखकर उसे उल्टीआ गयी।
जॉर्ज और सकीना को, भीड़ को शांत करने का साहसपूर्ण प्रयास करने के बावजूद सफलता नहीं मिल पा रही थी। जैसे ही डेविड ने गार्ड्स की मदद से फाटक खोला, लोग ऐसे भागे जैसे आग में घिरे खलिहान से मवेशी अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हों। कुछ लोग आग से तिल-तिल कर नष्ट होती स्कूल की इमारत को बेबसी से देख रहे थे।
एमा ने अपना मुँह पोंछते हुए, आस-पास के माहौल को समझने का प्रयास किया।
बाकी बचे हुए सभी ट्रक, अभी भी वहाँ खड़े थे। स्थिति अभी भी नियंत्रण में थी, और वे अभी भी घर लौट सकते थे।
वहाँ आग बुझाने वाला कोई नहीं था, लपटें स्कूल में तेजी से फैल रही थीं। जॉर्ज ने अपनी निराशा से निजात पाने के लिए सिगरेट का एक गहरा कश लगाया। डेविड आती हुई भीड़ में घुसकर एमा के पास पहुँचा, उसे एमा की हालत ठीक नहीं दिखी।
“डोलोरेस से कोई जवाब नहीं मिला।”
“भाड़ में जाने दो, तुम उसे फिर फोन करो। मैं यहाँ से निकलने का कोई रास्ता ढूंढता हूँ।”
“ठीक है, तुम अपना ध्यान रखना।” उसने डेविड के लिए फ़िक्रमंद होकर कहा।
“मैं रखूँगा…हनी। शांत रहना, तुम सब संभाल लोगी।” डेविड ने जाते हुए, एमा का साहस बढ़ाया।
डोलोरेस ने बाथरूम से बाहर आकर टीवी चालू किया। लेकिन वह म्यूट मोड पर था। रिमोट उठाते वक़्त उसे मोबाइल की अलर्ट लाईट झपकती दिखी – ‘२ मिस्ड कॉल’। जल्दबाज़ी में किसी अच्छी ख़बर की चाह में, उसने री-डायल किया। “हेल्लो” लेकिन उसे दूसरी ओर से लोगों की दर्द भरी चीखें और कराहटें ही, सुनाई दी।
एमा, मेडिकल रूम में पड़े अपने फोन की आवाज़ सुनकर उसकी ओर लपकी।
“रुकना, रुकना!” वह फोन पर चिल्लाई। “डोलोरेस, डाइहार्ड, डाइहार्ड!” संकट के समय के लिए सुरक्षित कोडवर्ड में उसने डोलोरेस को सन्देश दिया।
ऐसी दहशत में कोड वर्ड सुनकर, उसने आदेश दिया, “तुरंत जॉर्ज को फोन दो।”
“ठीक है।” एमा अपने दुखते पैरों से लंगड़ाते हुए जॉर्ज को फोन देने के लिए तेजी से चल पड़ी।
वह भीड़ को धकेलते हुए चौड़े-खुले स्थान में जॉर्ज की ओर भागी। तभी, बू……म! एक और विस्फोट, ज़मीन ऐसे कांपी जैसे कोई भूकंप आ गया हो। वह सर के बल गिरी, हड़बड़ाहट में फोन उसके हाथ से छूटकर गिरा और भीड़ की ठोकर से और दूर चला गया। एक तो सर के बल गिरने से उसे सर में काफ़ी चोट लगी थी, दूसरे भागते हुए लोगों के पैरों के नीचे कुचला गई, लिहाज़ा बेहोश हो गई।
डोलोरेस ने जैसे ही विस्फोट और कॉल कट होने की आवाज़ सुनी, उसकी नब्ज की गति अचानक धीमी हो गई। उसने फिर से डायल किया; किसी ने जवाब नहीं दिया। वह सोचने लगी, क्या एमा मर चुकी है? क्या युद्ध – विराम भंग हो गया है? उसने तुरंत दूसरा नंबर डायल किया।
“मैथ्यू, स्कूल के ऊपर तत्काल एक दूसरा ड्रोन भेजो।”
मैथ्यू ने दूसरे छोर से जवाब दिया, “हम ऐसा नहीं कर सकते, इसमें बहुत ख़तरा है, मोसाद को शक हो सकता है… “
“अगर हमारा राज़ खुलता है तो खुल जाए, मुझे परवाह नहीं। जो कहा गया है, अभी करो!” डोलोरेस झल्लाकर बोली।
“सब कुछ ठीक है, मैम? आप थोड़ी परेशान लग रही हैं।”
अपने गीले बालों में हाथ फेरते हुए उसने उत्तर दिया, “वहाँ विस्फोट हुआ है या मिसाइल से हमला, मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन तुम जो कुछ भी कर सकते हो, जल्दी से, अभी के अभी करो।”
“हे भगवान्! मैं कर रहा हूँ।” मैथ्यू ने तुरंत उसके आदेश का पालन किया।
परेशान डोलोरेस ने, फिर से एमा को कॉल किया, लेकिन इस बार भी कोई उत्तर नहीं मिला।
फैलती हुई आग वहाँ खड़े एक दूसरे ट्रक के फ्यूल टैंक तक पहुँची, और उस ट्रक में विस्फोट हो गया। कंटेनर के अंदर घुसकर बक्सों को उतार रहे एक अन्य ड्राइवर की, विस्फोट की चपेट में आकर, जलती हुई लाश, धमाके से उड़कर स्कूल की छत पर जा गिरी।
कंपाउंड सुनसान था। डेविड, जॉर्ज और सकीना एमा के बगल में ज़मीन पर बैठ गए। उसका खून से लथपथ ज़ख़्मी सर, उसके पति की गोद में था। हतोत्साहित डेविड, अपनी आँखें बंद करके रो रहा था। उसने अपनी पत्नी के चेहरे को रगड़ा और उसकी साँस चल रही है या नहीं, ये देखने के लिए उस पर झुका।
“वह साँस ले रही है, बस बेहोश है,” राहत की साँस लेते हुए डेविड के कुछ आँसू एमा के गाल पर गिरे और उसने आँखें खोली और कहा, “मुझे थोड़ा पानी मिलेगा।”
सकीना लौटी और एमा के मुँह पर कुछ छींटे मारे। वह खांसते हुए उठी। सकीना ने अपने हिज़ाब का एक हिस्सा फाड़कर एमा के सर के ज़ख़्म पर बाँध दिया।
“मुझे पता है कि तुम एक बहादुर लड़की हो,” डेविड ने मज़ाकिया लहजे में कहा।
वह डेविड की बाहों थी, खांसते, खांसते वह फुसफुसाकर कहने लगी, “हे भगवान! हम यहाँ से कैसे निकलेंगे?
उसके बुझे हुए चेहरे को देखकर डेविड को कुछ सूझ नहीं रहा था।
उनकी आँखें आपस में मिली, और वह जो डर का अनुभव कर रही थी, वही डर अब डेविड के चेहरे पर भी परिलक्षित हो रहा था। डर के बारे में ख़तरनाक सच्चाई, इसकी संक्रामक प्रकृति है – जिस क्षण डर के मारे आपका साहस टूटा, उसी क्षण आपकी मृत्यु निश्चित हो जाती है।
लेकिन डेविड को अपने अनुभव से एक बात और मालूम थी, बहादुरी भी संक्रामक है। जैसे खरबूजा, खरबूजे को देखकर रंग बदलता है, वैसे ही एक की बहादुरी देख, दूसरे का डर भी गायब हो जाता है। उसने एक गहरी साँस ली और कहा, “तुम इस तरह हताश नहीं हो सकती, हनी। क्योंकि तुम्हारा ख़याल रखने के लिए, यहाँ मैं जो हूँ।”
आग और दहशत के बीच, डेविड द्वारा बंधाई हिम्मत से उसे राहत महसूस हुई।” मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।” उसने धीरे से कराहते हुए कहा।
जॉर्ज ने स्थिति का जायजा लिया और कहा, “मेरी बात ध्यान से सुनो। हम, ना तो वापस जा सकते हैं और ना ही यहाँ ठहर सकते। बहुत देर हो चुकी है, ना जाने युद्ध-विराम कब टूट जाये। ज़ख़्मी एमा को दूर नहीं ले जा सकते। हमें रात गुज़ारने के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना तलाशना होगा।”
एमा आँखें मूंदे हुए थी। भारी मन से डेविड ने सिर हिलाते हुए सोचा कि एमा को सुरक्षित रखने के लिए जो भी बन पड़ेगा मैं करूँगा।
उसी क्षण सकीना ने एक निर्णय लिया, “इससे पहले कि युद्ध-विराम ख़त्म हो और इज़राइल फिर से हमला करे, हमें यहाँ से फ़ौरन निकल जाना चाहिए।”
“लेकिन कहाँ?” डेविड ने अनमने भाव से पूछा।
“कहीं भी, लेकिन यहाँ से चलो। हम रास्ते में इस बारे में बात कर लेंगे,” सकीना शीघ्रता से बोली।
“जॉर्ज ज़ोर से बोला “फिर इंतज़ार किस बात का, चलो, आगे बढ़ो।“
डेविड ने कमज़ोर, आँखें बंद की हुई एमा को उठा लिया।
आग की लपटों में घिरे, धराशाई होते स्कूल कंपाउंड से वे बाहर निकलकर, सामने खड़ी सकीना की कार में बैठे और फ़ायर फायटर ट्रकों के वहाँ पहुँचने से पूर्व ही वे रवाना हो गए।
उधर लैंग्ले में मैथ्यू को, एक घंटे बाद ‘बटर फ्लाई ड्रोन’ से मिली तस्वीरों में कंपाउंड में आग की लपटों सहित कुछ धुआँ दिखा। उसने डोलोरेस को डायल किया।
“मैडम, स्कूल कंपाउंड की तस्वीरों से जाहिर है, कि कई लोग मारे गए होंगें, लेकिन हमारे एजेंटों का कुछ पता नहीं चला।”
“एक और चीज़, हमारे दोनों ट्रक भी नहीं बचे।”
“भाड़ में जाओ, मैथ्यू, हम बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गए हैं।”
डोलोरेस मैथ्यू को डांटने के बाद सोचने लगी, यह मेरे जीवन का सबसे बुरा दिन था: मिशन विफल रहा। उसने एमा को फिर से डायल किया; परन्तु अब भी कोई उत्तर नहीं मिला।
एमा का फोन, ढह चुके परिसर में, मलबे के एक छोटे से ढेर के नीचे दबा पड़ा था – किसी की भी पहुँच से परे।
अध्याय १८
“हर समस्या का हल सरल है। लेकिन इन दोनों के बीच की जो दूरी है, रहस्य वहीं निहित है।”
– डेरेक लेनदी
मिशन विफल हो चुका है, पर्यवेक्षण कक्ष में इस तरह के विचारों में खोये हुए मैथ्यू ने बड़ी स्क्रीन को निराशापूर्ण दृष्टि से घूरा; तभी स्पीकर से एक आवाज़ गूंजी,
“हम युद्ध के प्रतिकूल आसमान में उड़ रहे हैं।”
ड्रोन के लाइव वीडियो में देर शाम का अंधेरा नुक्सान के आँकलन में बड़ी बाधा था, लेकिन एक बात यकीनन सच थी, कि आग की लपटों में घिरी लगभग ढह चुकी, इमारत के मलबे के नीचे दबे हुए सभी लोग मर चुके थे। मलबे से उठता सफ़ेद धुआँ भी धीरे-धीरे लुप्त हो रहा था।
“ज़ूम इन,” अपने बालों में हाथ फेरते मैथ्यू ने आदेश दिया। ज़ूम-इन फुटेज में, धराशाई स्कूल के खुले मैदान में विस्फोट से नष्ट हुए दोनों ट्रकों के अवशेष स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
ब्रैंडन जैक्सन एक अश्वेत, गंजा सर और चौड़े जबड़े वाला विश्लेषक, पर्यवेक्षण कक्ष के एक कोने में बैठा था। उसे गाज़ा में मिशन को हुए नुक्सान पर अपनी राय देने हेतु बुलाया गया था। उसने अपना मत प्रकट किया।
“इस तरह के विस्फोट की चपेट में आये ट्रकों की हालत देखने पर कहा जा सकता है, कि वहाँ, कोई जीवित नहीं बचा होगा।”
“हाँ, मुझे पता है,” मैथ्यू ने आँखें चौड़ी करते हुए कहा। वह आश्चर्यचकित हो, सोच रहा था कि धरती पर ये क्या काण्ड हो गया?
उधर, काहिरा में, डोलोरेस ने होटल कॉन्फ्रेंस रूम को एक मिनी ऑपरेशन-स्टेशन में बदल दिया था। टेलीफोन, लैपटॉप और दीवार पर स्क्रीन, सब फिट थे। आशंकाग्रस्त डोलोरेस के खुले बाल और काली पौषाक, दोनों अस्त-व्यस्त थे; हालाँकि टीम जल्दबाज़ी में बुलाई गई थीं, मगर उन्होंने सारा सेटअप, कुशलता से व्यवस्थित कर दिया था।
हेदर ने बताया, “मैंने मैथ्यू से बात की थी, उसकी सूचना के आधार पर निर्णायक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता, हम केवल अंधेरे में निशाना साध रहे हैं।”
“यह किस तरह की बकवास है?” परेशान सी डोलती हुई डोलोरेस ने कहते हुए पीछे पलट कर दीवार पर कई बार घूंसे मारे, जिससे उसका हाथ ज़ख़्मी हो गया, लेकिन टीम के सदस्यों ने डोलोरेस की इस नकारात्मक प्रतिक्रिया पर ध्यान नहीं दिया, वे उसकी पीड़ा समझते थे।
“येन-केन-प्रकारेण।” किसी भी तरह, कैसे भी, मुझे उनकी ख़बर चाहिए, कैसे भी। और कान खोल के सुन लो, मुझे केवल उनके ‘जीवित’ होने की ख़बर चाहिए, समझे तुम सब।” उसके इस वाक्य में औपचारिक चिंता की अपेक्षा व्यक्तिगत लगाव, ज़्यादा झलक रहा था।
उधर एमा, घबराकर, एक झटके से उठी, उसने अपने आप को एक सजे-धजे बेडरूम में, बिस्तर पर पाया। दूर से आती विस्फोटों की गड़गड़ाहट से बिस्तर हिल रहा था और उसका मन बैचेन हो रहा था। डेविड बिस्तर की बगल में, प्लास्टिक की कुर्सी पर उदास मन से बैठा था। उठने में असफल एमा को, डेविड ने मुस्कुराते हुए सहारा देकर उठाया। अपने आप को इतने सुन्दर कक्ष में पाकर हैरान एमा को, आईने में अपने सर पर पट्टी और कपड़ों पर खून के धब्बे नज़र आये।
“हम कहाँ है?” उसने अनमने भाव से पूछा।
“हम सकीना के घर पर हैं।” डेविड ने सकारात्मक स्वर में कहा। “आज रात यहीं रूककर, कल वापसी का रास्ता तलाश करेंगें।”
“डोलोरेस को पता है कि हम यहाँ हैं?”
उसका चेहरा विचारशून्य हो गया। “नहीं… यहाँ संचार व्यवस्था ठप्प है, और, और…तुम्हारा फोन भी कहीं खो गया है।”
उसे याद आया कि दूसरे विस्फोट के दौरान वह गिर पड़ी थी और फोन उसके हाथ से छिटककर दूर चला गया था, उसके चेहरे पर खिसियाहट के भाव उभरे।
“मैंने उसे खो दिया।” उसने माफ़ी माँगने वाले लहजे में कहा।
“अफ़सोस मत करो, हनी। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है।”
चिंता और आशा के साथ एमा ने कहा, “वह हमें ढूंढ रही होगी।”
“हाँ, जॉर्ज उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई है।”
“तुम्हें कुछ बताना है, डेविड। सकीना ने कुछ महत्वपूर्ण बात बताई है।”
डेविड आश्चर्य-चकित था, “क्या?”
इससे पहले कि वह बातचीत जारी रख पाती, हरी आँखों वाली एक पाँच साल की खूबसूरत लड़की बेडरूम में दाखिल हुई और हँसते हुए डेविड की गोद में चली गई। जब एमा आराम कर रही थी, तब डेविड ने उससे दोस्ती कर ली थी। डेविड ने उसे गुदगुदी की और जवाब में वह मुँह दबाकर हँस पड़ी। एमा की आँखें चमक उठीं। डेविड ने उसका हाथ पकड़ लिया और एमा को उसकी ख़ुशी का एहसास कराया।
“आफ़रीन, एमा आंटी को हेल्लो कहो।”
आफ़रीन पहले कुछ शरमाई, लेकिन उसने बाद में कहा। “अस सलामु अलयकुम”, उसने पहली बार किसी से मिलने पर औपचारिक अभिवादन के शब्द कहे, जिनका अर्थ था “आप पर ईश्वर की कृपा बनी रहे।”
बच्ची के आकर्षण के सामने एमा का व्यक्तित्व कुछ फ़ीका लग रहा था; उसकी सुंदरता और मासूमियत में उसकी माँ, सकीना की झलक दिखाई दे रही थी। एमा ने उसके गालों को धीरे से खींचते हुए जवाब दिया।
“वा अलयकुम-सलाम,” जिसका अर्थ था “तुम पर भी ईश्वर की कृपा बनी रहे।”
उसने डेविड की गोद से कूदकर बाहर जाते हुए कहा, “अम्मी बोली हैं, रात का खाना तैयार है।”
आधी रात के वक़्त हो रही मूसलाधार बारिश ने लैंग्ले का दृश्य ऐसा विकृत बना दिया था जैसे कोई तस्वीर गीली होकर धीरे-धीरे मिट रही हो। मैथ्यू और ब्रैंडन धुम्रपान के लिए छतरी खोलते हुए पार्किंग स्थल की ओर बढ़े।
मैथ्यू ने अपने और ब्रैंडन के लिए सिगरेट सुलगाई।
“बिन मौसम ये बारिश क्यों हो रही है?” आश्चर्य-चकित मैथ्यू सिगरेट के कश खींचता हुआ बोला।”
“मैं नहीं जानता यार, शायद ग्लोबल वार्मिंग के कारण।” ब्रैंडन ने एक मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया।
मैथ्यू ने उस पर एक नज़र डाली और अपनी पत्नी को कॉल किया।
“हे… हनी। कैसा चल रहा है? तुमने और बच्चों ने डिनर किया? “
ब्रैंडन ने मैथ्यू की पत्नी की खनकती आवाज़ को सुना; लेकिन उसे केवल गूंजती हुई अस्पष्ट सी आवाज़ ही सुनाई दे रही थी।
“कुछ भी नहीं, बस ऑफिस में कुछ इमरजेंसी है।” मैथ्यू ने मौसम पर एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी का प्रयास करते हुए कहा।
“सुनो, मैं आज रात घर नहीं आ पाऊँगा… हाँ, मुझे पता है। मुझे माफ़ करना।” उसकी पत्नी ने फोन रख दिया।
“क्या वह गुस्सा है?” ब्रैंडन बोला।
“हाँ थोड़ी… वह समझती है।” मैथ्यू ने, झूठी उम्मीद के साथ कहा।
“देश की रक्षा के लिए हम जो कीमत चुकाते हैं… परिवार के लोग उसे कभी नहीं समझेंगे।” ब्रैंडन ने उसे सांत्वना दी।
कभी-कभी मैथ्यू ने भी ऐसा ही महसूस किया था लेकिन उसने अपने जीवन में विकल्पों को वीरता और गर्व के साथ स्वीकार किया। उसका मानना था कि एक सच्चे देशभक्त के लिए उसका देश, उसके परिवार से पहले है।
“किसी को कभी पता नहीं चलेगा कि हम गुमनामी का जीवन, सारे सुखों का त्याग करते हुए उनकी रक्षा हेतु दाव पर लगाते हैं, जबकि लोग हमारी परवाह किए बिना, मज़े से, आनंदपूर्वक जीवन जीना अपना अधिकार समझते हैं।”
ब्रैंडन ने कहा, “देश सेवा का यही एक तरीका है, कि आज रात हम अपने बिस्तर पर ना सोयें।” दोनों मुस्कुराये।
उन्होंने खाली कूड़ेदान में सिगरेट फेंकी। समुद्र के किनारे-किनारे ऑफिस की ओर वापस चलते हुए मैथ्यू ने शहर के परिदृश्य की प्रशंसा की, “जगमगाता हुआ शांतिपूर्ण शहर।”
वह संसार में व्याप्त विरोधाभास पर झूम रहा था, एक संसार वह, जिसमें वह जी रहा था। और एक और दूसरी दुनिया, जिसमें डेविड और एमा मुसीबत के बीच फँसे हुए थे। क्या पता, मर भी गए हों?
घेराबंदी से त्रस्त, निराशा में डूबे हुए गाज़ा शहर के लगभग पूरे क्षेत्र की बिजली काट दी गयी थी। जॉर्ज और डेविड छत पर आ गए थे। असीम और घने काले अन्धकार भरे आसमान में सितारे, मनुष्यों द्वारा रचे गए छल-प्रपंचों से बेख़बर, चारों ओर अपनी रोशनी बिखेरते हुए चमक रहे थे।
तभी एक उल्लू उड़ता हुआ आकर रेलिंग पर बैठा, जैसे अँधेरी और लम्बी रात में अकेले बैठे डेविड और जॉर्ज का साथ देने आया हो।
डेविड घबराए हुए उल्लू को देखकर आश्चर्य-चकित हो गया और उससे पूछा, “क्या आप हॉगवर्ट्स से मेरे लिए कोई सन्देश लेकर आये हो?” डेविड की आवाज़ सुनकर वह निशाचर पक्षी डरते हुए अजीब सी आवाज़ निकालता हुआ उड़ गया।
“मैं अभी भी मगलू हूँ।” डेविड अपनी बचकानी हरकत पर खुद ही हँस दिया। जॉर्ज मज़ाक के मूड में नहीं था। उसने पैंट की जेब से सिपर निकालकर व्हिस्की का घूंट लिया फिर सिपर डेविड की ओर बढ़ाया लेकिन उसने शिष्टाचारवश मना कर दिया।
“आज का दिन बहुत बुरा था,” मुँह पोंछते हुए जॉर्ज ने कलपकर कहा।
“हाँ, चलो शर्त लगाते हैं,” डेविड ने उसे उकसाते हुए उत्तर दिया।
“जब तक हमारे यहाँ होने से किसी को फ़र्क नहीं पड़ता, तब तक सब ठीक है।”
यह उनके लिए दिनभर के कुछ शांत क्षण थे। लेकिन जब आप मुसीबतों में कमर तक धंसे हुए हो, तो एक पल की शांति शायद काफ़ी नहीं होती।
पड़ौस से एक कुत्ते के रोने की आवाज़ के साथ जॉर्ज और डेविड को कुछ और सुनाई दिया क्या है, ये देखने के लिए दोनों मुड़े। बादल रहित आकाश से एक ज्वलंत रॉकेट मिसाइल आकर उनसे कुछ दूर गिरी। जैसे ही यह टारगेट से टकराई तो ज़मीन बहुत ज़ोर से कांपी और बर्बादी फिर एक बार जीत गयी।
युद्ध-विराम समाप्त हो चुका था। इज़राइल से कुछ और रॉकेट दागे गए। इस बार वे पहले वाले की तुलना में ज़्यादा करीब थे। मिसाइलों से जिन ठिकानों पर हमला किया गया था, वे सब के सब, आग की लपटों में घिर कर राख के ढेर में बदल चुके थे।
“और देखो, युद्ध फिर से चालू हो गया… बाप रे, क्या ख़तरनाक मंज़र है।” जॉर्ज ने कहा।
“मैं भयभीत हूँ।” डेविड ने कबूल किया। उसकी आँखों में आग की लपटों की प्रतिछाया दिखाई दे रही थी।
“अगर गोली मारने से लोग ज़िन्दा हो जाते, तो दुनिया बड़ी अद्भुत होती,” युद्ध की दुखद वास्तविकता का मज़ाक उड़ाते हुए जॉर्ज ने कहा।
लैंग्ले में, इस उपद्रव से निपटने हेतु एक योजना बनाने के लिए, दसवी मंज़िल पर सम्मेलन कक्ष के अंदर बैठक शुरू होने वाली थी।
काहिरा स्थित होटल के सम्मेलन कक्ष से डोलोरेस स्क्रीन पर थी। पृष्ठभूमि में दिखाई दे रही उसकी टीम भी बैठक शुरू होने का इंतज़ार कर रही थी। वह थकी और संभवतः सुस्त दिखाई दे रही थी। दूसरी ओर मैथ्यू, जैसा कि उससे ऐसी स्थिति में अपेक्षा की जाती है, अविचलित बैठा था। मैथ्यू ने कभी भी शासकीय काम के टेंशन को अपने दिलो-दिमाग़ पर हावी नहीं होने दिया था; इसी कारण वह कभी भी अशांत नहीं होता था।
लैंग्ले में, मैथ्यू की टीम, पूरी तैयारी के साथ अपने बॉस के किसी भी संभावित सवालों के जवाब देने के लिए तैयार थी। अपने काम के प्रति वे सजग और पूरी तरह से समर्पित थे।
डोलोरेस ने स्क्रीन पर बात की, “ठीक है, परिस्थितियाँ बदल गयीं हैं, जैसा सोचा था वैसा नहीं हुआ लेकिन जासूसी की दुनिया में हम ही सर्वश्रेठ हैं, इसलिए हमें इसे पूरी काबिलयत से अंजाम देना है। मैथ्यू, आगे क्या संभावनाएँ दिखाई देती हैं?”
मैथ्यू के मुँह से आ रही तंबाकू की बदबू से उसके सहकर्मी चिढ़चिढ़े हो रहे थे।
“मैम, आपके और एमा के बीच हुए अंतिम वार्तालाप के हिसाब से, सत्तर प्रतिशत संभावना है कि वे मर चुके हैं, बीस प्रतिशत संभावना है कि वे गंभीर रूप से घायल हैं, और दस प्रतिशत संभावना है कि वे हमसे संपर्क करने में असमर्थ हैं। जीपीएस की सहायता से पता चला है कि फोन मलबे के नीचे कहीं दबा पड़ा हुआ है।”
डोलोरेस का अंतर्मन अभी भी हार मानने को तैयार नहीं था।
“विस्फोट के बारे में कोई रिपोर्ट मिली? मुझे उस समय युद्ध-विराम समाप्त होने की कोई सूचना नहीं दी गई थी।”
“मैडम, हम जो भी जानकारी जुटा पायें हैं, वह सब न्यूज चैनल के आधार पर हैं। वे कहते हैं कि वहाँ अचानक विस्फोट हुआ था, इससे अधिक कुछ भी नहीं।”
“मुझे जवाब चाहिए, मैथ्यू। हम समय से काफ़ी पीछे चल रहे हैं, और वह भी बिना संसाधनों के।”
“मैं समझता हूँ, मैम, हम पूरी कोशिश रहे हैं।
“मैथ्यू, मुझे जितनी जल्दी हो सके, उनकी सूचना दो। उन्हें तलाश करो, वह भी ज़िंदा।”
“मैडम, जैसा नज़र आ रहा है, उनके ज़िन्दा होने की संभावना बहुत ही कम है। धमाका बहुत ही बड़े पैमाने पर हुआ था और इसमें काफ़ी जानें गई होंगी। यहाँ तक कि मलबे के नीचे दबे शवों को भी नहीं ढूंढ पा रहे हैं।”
“और ये, सकीना कहाँ मर गयी?”
“वह भी गायब है मैम।”
वह गुर्राई, “मुझे ड्रोन फुटेज दिखाओ।”
मैथ्यू ने फुटेज और तस्वीरें दिखाई। उसने दिखाई गई तस्वीरों का बारीकी से मुआयना किया और आंकड़ों का विश्लेषण भी।
“मैडम, कुछ ऐसा है जो आपको देखना चाहिए। हमें यकीन नहीं है कि यह क्या है, लेकिन हमारे लिए ये बहुत काम की जानकारी हो सकती है।
“क्या है ये?”
ब्रैंडन ने पिक्चर को झूम किया। ट्रक के बगल में पड़े, एक बक्से की धुंधली सी छवि दिखाई पड़ रही थी।
सदमे के कारण डोलोरेस का मुँह खुला का खुला रह गया।
“क्या यह हथियारों को लाने-ले जाने वाला क्रेट है?”
अध्याय १९
“बिन बुलाए मेहमान अक्सर जाते हुए ही अच्छे लगते हैं।”
– इसोप
एक अनिंद्रा भरी रात। ऐसे में कोई सोये भी तो सोये कैसे? जब आप एक युद्ध-क्षेत्र की भूल भुलैया में खोये हुए हों। आपकी पत्नी एक नेक नीयत से कई ज़िंदगियों को बचाने के लिए यहाँ तक आये और घायल हो जाये। निश्चित रूप से आपको नींद नहीं आएगी।
डेविड सकीना के लिविंग रूम में अब भी करवटें बदलते हुए केवल अपने साहस और ज़िंदा रहने के तरीकों के ज्ञान और विश्वास के साथ, सर के पीछे हाथ रखे हुए घुप्प अंधेरे में, अपने विचारों में व्याप्त भय की आहट सुनते हुए; जाग रहा था। तभी–
ठक, ठक, ठक!
केवल मुसीबत ही आधी रात के समय दरवाज़े पर दस्तक देती है। बंद दरवाज़े पर पड़ते धक्कों ने जैसे पूरे घर को झकझोर कर रख दिया।
ठक…ठक… ठक!
ठक-ठकाहट अब तेज और हिंसक हो चली थी।
अचानक और अप्रत्याशित रूप से किसी के इतनी रात को दरवाज़ा ठोकने से डेविड चौंक गया था। वह जल्दबाज़ी में दबे पाँव सकीना को देखने बेडरूम की ओर बढ़ा। हाल में सोफे के बजाय गद्दे और बीच में कढ़ाई वाले नीले कालीन बिछे थे। थका हुआ जॉर्ज, कालीन पर ही गहरी नींद में, बेसुध पसरा हुआ खर्राटे ले रहा था। सकीना अंदर से डरती हुई बाहर आते हुए, डेविड से टकराते-टकराते बची। उसकी आँखें नींद से बोझल और सिर से हिज़ाब गायब था। उसके घने काले बाल, बिखरे हुए थे।
ठक… ठक… ठक! फिर आवाज़ आई।
डेविड पसीने में नहा गया था और उसका चेहरा कुछ विकृत सा हो गया था। उसने फुसफुसा कर पूछा, “इतनी रात गए कौन आया है?”
“मुझे नहीं पता है,” फिर उसने दरवाज़े की झिरी से झांककर बाहर देखा और वापस मुड़कर डेविड से बोली,” मेरे पति के बड़े भाई हैं।”
“क्या? वह इतनी रात गए यहाँ क्यों आया है?”
“मुझे नहीं पता। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। आमतौर पर, गैर-मर्दों को रात में घर के अंदर आने की इजाज़त नहीं है। कुछ ना कुछ ज़रुर हुआ है।”
ठक…ठक… ठक!
“अत्या (आ रही हूँ!)” वह दालान से दरवाज़े तक पहुँची। खटखटाना बंद हो गया।
सकीना ने आदेश दिया, “जॉर्ज को अंदर ले जाओ। मैं उसे संभाल लूंगी।” और दरवाज़े से इशारा किया।
डेविड ने जॉर्ज को उठाने की नाकाम कोशिश की। सकीना ने चिढ़ कर जॉर्ज को अंदर ले जाने के लिए फिर से डेविड को इशारा किया।
डेविड ने जॉर्ज को जगाने की फिर कोशिश की लेकिन उसके ना उठने पर उसने कालीन को पकड़ा और उल्टा घसीटकर अंदर ले गया।
सकीना ने गहरे पीले रंग के लकड़ी के दरवाज़े को खोला। एक लंबा मोटा आदमी, सुल्तान हमाद, कलफ़ लगा कुर्ता पहने अंदर घुसा। उसका झुर्रीदार चेहरा क्रूर और डरावना था।
“सलामू अलयकुम, क्या तुम ठीक हो?” उसने सिर से पाँव तक सकीना को घूरा और पूछते हुए वह दरवाज़े के पास गद्दे पर बैठ गया।
“वा अलयकम-अस-सलाम, क्या हुआ? सब ठीक तो है?” सुल्तान का इतनी रात पड़े आना सकीना को अच्छा नहीं लगा।
“मैंने स्कूल में हुए धमाके के बारे में सुना। क्या तुम और आफ़रीन ठीक हो?”
“हाँ, हम ठीक हैं।” उसने महसूस किया कि वह कुछ अस्त-व्यस्त थी। वह शर्मिंदा होकर हिज़ाब पहनने के लिए अंदर चली गई और बिन बुलाये, अवांछित मेहमान को पानी की पेशकश की। लेकिन यह सब एक बहाना था। वह इस अप्रिय आश्चर्य के लिए तैयार नहीं थी। हालाँकि यह स्पष्ट था कि विस्फोट के बाद कोई ना कोई उसके हाल-चाल पूछने ज़रूर आयेगा पर वह जल्दबाज़ी में यह बात भूल गई थी। वह अपने बेडरूम में घुस गई। एमा अभी भी सोई हुई थी। सकीना को डेविड और जॉर्ज के अंदर होने की उम्मीद थी लेकिन वे वहाँ नहीं थे। उसने हिज़ाब पहना और संकीर्ण दालान से होकर चुपके से किचन में गई। उसने वहाँ देखा कि जॉर्ज अभी भी पड़ा खर्राटे भर रहा था और डेविड गंभीर मुद्रा में कमर पर हाथ रखे खड़ा था।
“वह विस्फोट के बारे में जानता है। वह बस चिंतित था” उसने तनाव को दूर करते हुए डेविड को बताया।
डेविड ने गिलास में पानी डालते हुए सकीना की ओर मुस्कुराकर देखा लेकिन वह अभी भी चिंतित थी।
डेविड ने उसे दिलासा देने की कोशिश की, “आराम से रहो, अगर उसे हमारे बारे में पता होता तो वह तुम्हारे और तुम्हारी बेटी के बारे में चिंता के साथ बातचीत शुरू नहीं करता।”
“आप सही कह रहे हैं मिस्टर ग्लास,” उसने सिर हिलाते हुए कहा।
“ज़्यादा जानकारी मत देना, सब ठीक रहेगा।”
“ठीक है, मिस्टर ग्लास।” वह लिविंग रूम की ओर चली।
“सकीना,” डेविड ने फुसफुसाकर कहा। वह पलटी। “आप मुझे डेविड कह सकती हो।”
“ठीक है।” उसने एक दोस्ताना आवाज़ में कहा।
बाहर जाकर उसने एक स्टील की ट्रे पर सुल्तान को पानी दिया। सुल्तान उसे एक घूंट में ही पी गया। सकीना ने उससे दूर रहकर अपनी गरिमा और संबंधों की पवित्रता को बनाए रखा।
उसने अपने गले को साफ़ किया और तिरछी आँखों से सकीना को देखा।
“दरअसल, मैं बात करना चाहता था कि आज क्या हुआ?”
सकीना को फिर से डर लगा। “ठीक है।” उसे पता था कि सुल्तान क्या कहेगा और वह इस बात से घबरा गई थी।
“क्या तुमको कोई अंदाज़ा है कि यह सब कैसे हुआ?”
परेशान करने वाली घटना को याद करते हुए, कुछ सेकंड के लिए रूककर बोली,
“यह सब बेहद तेजी से हुआ। इससे पहले कि हम समझ सकें कि क्या हुआ था, चारों तरफ़ आग फ़ैल चुकी थी।” सकीना ने उसे पूरी बात नहीं बताई।
सुल्तान ने जैसे समझते हुए सिर हिलाया। “आज एक बुरा दिन था। हम गाज़ा के लिए ही ये सब कर रहे थे, लेकिन हम नाकामयाब रहे।” उसने उदास होते हुए कहा।
“मैं नहीं समझी, आप क्या कह रहे हैं?” सकीना ने पूरी तरह से अंजान बनते हुए पूछा।
सुल्तान फैसला लेने के लिए रुका, कि उसे बताना है या नहीं। फिर उसने अपना मन बना लिया और कहा, “हम स्कूलों के अंदर हथियार रख रहे थे।”
सकीना अपने स्थान पर जैसे जम गई। उसने अपने हाथों से चेहरा ढक लिया और बोली “आपको पता है कि आपने क्या किया है?”
“हमने इसे अपने लोगों के लिए किया।” उसने गर्व के साथ दावा किया।
“और अब वे सब लोग मर चुके हैं।” सकीना ने उसे दोषी ठहराते हुए अपनी आवाज़ को उंचा करते हुए घृणापूर्ण स्वर में कहा।
उसने कहा, “हम खाली पड़े स्कूलों में केवल पढ़ाई करवा रहे थे, लेकिन प्लान बदल गये। हम केवल रात के लिए वहाँ ये सब रखने जा रहे थे, और सुबह में हथियारों को दूसरी जगह शिफ्ट करने वाले थे।” सुल्तान ने उसे समझाते हुए अपने आप को सभी अपराध से मुक्त समझ लिया।
“आपका क्या ख़याल है… बताएँ कि जो बच्चे ज़िन्दा जल गए, उनका क्या कुसूर था? अल्लाह ना करे उनकी जगह, मेरी बेटी हो सकती थी,” सकीना ने आँसुओं सहित जवाब दिया।
“ये फ़ैसला, सबने मिलकर लिया हैं। मैं केवल अकेला नहीं हूँ। तुम मुझे ही क्यों ज़िम्मेवार ठहरा रही हो? यह जंग है, सकीना। कुछ कुर्बानियां तो देनी ही होगी।”
“क्या आपको यह पता नहीं है? यहूदियों को पता चल जाएगा कि आपने क्या किया है, फिर वे राहत-शिविरों को भी निशाना बनायेंगे।” सकीना ने शोक जताया।
तभी, अपनी आँखें रगड़ती हुई, आफ़रीन कमरे से बाहर आई और अपनी माँ की गोद में जाकर समा गयी। तुम क्यों जग गई, मेरी बच्ची?” सकीना ने पूछा।
आफ़रीन ने अपनी माँ के गालों को सहलाते हुए कहा, “मैं जाग गई और आप पास में नहीं थे।” सकीना को उसने पलटकर जवाब दिया। सुल्तान ने अपनी भतीजी को देखकर पहले से कहीं अधिक गहराई से पछतावा महसूस किया। लेकिन वह एक जिद्दी आदमी था। ‘जिहाद’ के लिए समर्पित, उसे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था कि कितने मरे होंगे।
उसे नहीं पूछना चाहिए था, लेकिन आफ़रीन ने सवाल किया, “एमा आंटी कहाँ है?”
सुल्तान की भोंहैं ऊपर उठी; सकीना घबरा गई।
“ये एमा कौन है?”
“कोई नहीं… बस उसकी एक काल्पनिक दोस्त। वह पूरे दिन घर में रहकर बोर हो जाती है।”
सकीना ने अपने त्वरित उत्तर से उसे अवाक कर दिया।
“एमा सो रही है, मेरी बच्ची, और तुम्हें भी सो जाना चाहिए। अंदर जाओ, मैं आती हूँ।”
आफ़रीन ने अपनी माँ की बात मानी और अंदर चली गई।
सुल्तान उठकर अपनी आँखों से संदिग्ध रूप से घर की छानबीन करने की कोशिश में वह बेडरूम की ओर बढ़ने लगा, लेकिन सकीना ने अपने हाथ फैला कर उसका रास्ता रोकते हुए कहा–
“बहुत रात हो चुकी है, आपको अब और यहाँ नहीं रुकना चाहिए।” अगर आपको इस वक़्त मेरे घर में घुसते हुए किसी ने देख लिया, तो पड़ोसी क्या सोचेंगे? आपको अब वापस चले जाना चाहिए।”
उसने सकीना को संदिग्ध नज़र से देखा, लेकिन फिर सोचा कि उसकी बहु ठीक ही कह रही है।
“तुम ठीक कह रही हो। मुझे अपनी पत्नी के साथ आना चाहिए था। माफ़ करना।”
“ठीक है।” सकीना ने उत्तर दिया।
वह दरवाज़े की ओर बढ़कर बाहर निकल गया।
सकीना ने दरवाज़ा बंद करते हुए ज़ोर से कहा, “आपने जो कुछ किया उससे बहुतों की जान जाएगी।”
सुल्तान ने जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा।
सकीना डेविड को देखने के लिए किचन में चली गई। वह किनारे पर झुक कर उनकी बातचीत सुन रहा था। उसने अपने बहादुर मेज़बांन का अपनी आँखों से आभार व्यक्त किया।
उसने कहा, “हम फिर बाल-बाल बच गए।”
अध्याय २०
“जीवन में आप बहुत कुछ चुनते हैं, परन्तु कभी भी आप अपने दुःस्वप्न नहीं चुन सकते, वे स्वयं आपको चुनते हैं।”
– जॉन इरविंग
दुःस्वप्नों की अंधेरी भूमि में निराशा में डूबा मन, एक ख़ूँख़ार दानव की तरह होता है और जब यह एक अविश्वास के रूप में परिवर्तित होता है, तो धोखे आस-पास ही होते हैं।
एक अंजान शहर के विघटित अवशेषों के बीच, अंधेरी – धुंधली शाम को, चाँद की हल्की रोशनी में, डेविड नग्नावस्था में एक मुलायम सी सड़क पर दौड़ा चला जा रहा था। अपनी ही परछाई से दूर भागते हुए, वह एक सतरंगी इंद्रधनुष की ओर बढ़ रहा था। खंडहर हुई इमारतों से घिरी रास्ते के बीच एक दरार में उसका पाँव फँसा, वह गिर गया। जब उसने खुद को उठाया तो देखा कि सड़क अब मृतकों की सेना से भरी हुई है।
सैकड़ों की तादाद में धराशायी, विस्फारित, रक्तस्रावी और सड़ी हुई लाशें, चारों ओर से उसकी ओर सरपट दौड़ी चली आ रहीं थीं। बहिष्कृत होने के बावजूद, वह एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी था। उसने नीचे देखा और पाया; अब वह अपनी नौसेना सील की वर्दी में था, लेकिन निहत्था। जैसे ही लाशों की सेना उसकी ओर बढ़ी, उसने अपने पहले शिकार को मुक्का मारा। उसके प्रहार में इतनी अपार शक्ति थी कि, उससे उत्पन्न तरंगों ने लाशों की सेना को पीछे धकेल दिया। फिर उसने नीचे पड़ी हुई भूतों की सेना पर लातों और घूंसों की बरसात कर दी। इसकी चोट इतनी ताकतवर थी कि जो कोई भी इसकी चपेट में आ रहा था, उसके अंग और हड्डियां हवा में पेड़ से टूटे हुए पत्तों की भांति उड़ते जा रहे थे।
जब उसने भूतों पर प्रहार करना रोक दिया तब, सड़क एक पथरीले भवन में तब्दील हो गई और डेविड ने खुद को अब वही काला सूट पहने पाया, जो उसने अपनी शादी के दिन पहना था। उसने देखा कि आकाश की ओर ऊँची उठ रही सीड़ियों के नीचे वह एक बिना छत वाले बर्बाद हुए हॉस्पिटल के अंदर खड़ा है। अब बारिश होने लगी थी।
भूतों की सेना ने फिर उसकी ओर कूच किया। उनमें से कुछ छिपकलियों की तरह गीली दीवारों पर रेंग रहे थे। उसने पास के स्ट्रेचर से कुछ सर्जिकल उपकरण उठाये और सीढ़ियों पर ऊपर की ओर चढ़ने लगा। भूतों की सेना, कान फाड़ू शोर करती हुई उसके शरीर के अंगों को नोचने के लिए उस पर झपट रही थी। डेविड ने हाथ में पकड़े हुए सर्जिकल औज़ार से उनका मुक़ाबला करते हुए एक भूत की आँख में कैंची घोंप दी। उसकी दाहिनी मुट्ठी से औजार छूट गया। आगे बढ़ने के लिए कशमकश करते हुए, उसने अपने दाएँ हाथ की कलाई से एक प्लास्टर चाकू को उछालकर बाएँ हाथ में लिया और जो कोई भी उसके रास्ते में आया, उसे काटता चला गया लेकिन इससे जंग ख़त्म नहीं हुई थी।
अचानक, उसके नीचे की सीढ़ियाँ एक-एक कर टूटकर गिरने लगी और भूतों की सेना भी उसके साथ ही नीचे गिरने लगी। डेविड हिंसक भीड़ के बीच से अपने आप को नीचे गिरने से बचाते हुए ऊपर की ओर उठता चला गया। जैसे ही मरे हुए जीवों से पीछा छुड़ाता हुआ वह जर्जर हुई सीढ़ियों के अन्तिम छोर पर पहुँचा, उसने खुद को फिर से उसी सड़क पर पाया, जहाँ वह शुरू में दौड़ रहा था।
डेविड, अंधाधुंध हो रही बारिश में किंकर्तव्यविमूढ़ सा खड़ा, आँखें फाड़े कुछ देखने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उससे लड़ने के लिए अब वहाँ कोई नर-कंकाल नहीं था। वह खाली पड़ी गली में, पानी से भरे डबरों में, छप-छप की आवाज़ें करता, स्पष्ट देखने के लिए अपनी भौंहों को उंगलियों से ढके हुए चला जा रहा था। तभी उसे डामर की सड़क पर, एक गोरी महिला, दूसरी ओर नज़रें किए हुए, पेट के बल पड़ी हुई दिखाई दी। फिर उसने अपना सर डेविड की ओर घुमाया; वह एमा थी।
वह पड़े-पड़े ही, अपनी बेजान आँखों से डेविड को घूर रही थी।
उसने एक भयानक गूंजती हुई आवाज़ निकाली, “तुम आज भले ही बच गए हो, लेकिन यह अंत तक तुम्हारा पीछा करेगी। हम सभी मौत के मुँह में समा जायेंगे।” और फिर वह गला फाड़कर बुरी तरह चिल्लाई। गुरुत्वाकर्षण ने अपनी परिभाषा खो दी और पानी ज़मीन से ऊपर उठकर हवा में तैरने लगा। डेविड ने उसके चेहरे पर हाथ फेरा और चीखने से रोकने के लिए उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया। वह घबराई हुई आवाज़ में बोली, “डेविड… डेविड… डेविड!!!”
और डेविड की नींद खुल गई। एमा गद्दे पर उसके पास बैठी थी। उसका चेहरा डेविड के पसीने से नहाये, डरे हुए चेहरे के ठीक ऊपर था। एमा ने बुरी तरह से डरे हुए डेविड के सिर से पसीना पोंछते हुए कहा–
“सब ठीक है, सब ठीक है” और उसे अपनी बाहों में भर लिया।
सपने भी एक वास्तविकता हैं, जिनका बोझ और एहसास आप जागते हुए भी महसूस करते हैं। डेविड का जी घबरा रहा था। उसकी परेशानियाँ नींद में भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी।
डेविड, एमा की गोद में सर रख कर एक बच्चे की तरह रोने लगा। अभी-अभी, जो कुछ उसने सपने में देखा था, उसने एमा को वह सब नहीं बताया। यह एमा के लिए कोई नयी बात नहीं थी। न जाने कितनी सुबहों को इसी तरह बुरे सपनों से डरे हुए डेविड को उठते हुए देखती थी। वहाँ खड़ी आफ़रीन ने उन्हें भयभीत और आश्चर्यचकित करने वाली नज़रों से देखा। उसने अपने हाथ जोड़े और उन्हें ठीक से देखने के लिए चुपके से उनकी ओर बढ़ी। जब उन्होंने आफ़रीन की आँखों में मासूमियत देखी, तो उन्हें एहसास हुआ कि शायद, और शायद गाज़ा में उनका काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
दोनों पड़ोसियों के बीच लम्बे समय से चली आ रही घृणा बरकरार थी। मानवीय संघर्ष-विराम के समाप्त होने के बाद इज़राइल ने अपनी मारक क्षमता की हदें दिखाई, और डोलोरेस अपने सभी एजेंटों के साथ, इस विषम युद्ध में इज़राइल के स्पष्ट रूप से भारी पड़ने की गवाह बनी।
अपने निष्कलंक और शानदार करियर में पहली बार, डोलोरेस को इस यातनापूर्ण दुर्दशा से बाहर निकलने के रास्ते में आ रही बाधा, उसके व्यवहार में स्पष्ट रूप से झलक रही थी। सभी संचार साधन बंद पड़े थे समय गुज़रता जा रहा था और अगर डेविड, एमा और जॉर्ज जीवित थे, तो भी उनके पास अधिक समय नहीं बचा था। अगर वे जीवित होते, तो भी वह उनसे जानकारी कैसे हासिल कर सकती थी? सोचते हुए, अपनी हालत से बेख़बर, कल के जूते और कपड़े पहने हुए डोलोरेस अपने बिस्तर पर जंगलियों की तरह पड़ी हुई थी। नाश्ते की प्लेट में आधा खाया हुआ पैनकेक, छोटी गोलाकार मेज़ पर पड़ा था। अचानक उसके फोन से तेज आवाज़ आयी। उसने अपनी उनींदी आँखों से झाँका और जवाब देने के लिए बोली।
“हेल्लो।”
“मैंने विस्फोट के बारे में सुना। क्या वे ठीक हैं?” दूसरी तरफ़ हेनरी से पूछा।
“आप जवाब जानते हैं, हेनरी। वे मिसिंग इन एक्शन हैं।” उसने निराश स्वर में उत्तर दिया।
“अरे, इसे अन्यथा मत लो। मैंने आपातकालीन योजना जानने के लिए फोन किया। अब आगे क्या?”
“हम उन्हें अभी तक ढूंढ नहीं पाए हैं।” अफ़सोस के साथ डोलोरेस ने कहा।
यह वैसा जवाब नहीं था जैसा हेनरी, जासूसी व्यवसाय में सबसे अच्छे अधिकारियों में से एक से उम्मीद कर रहा था। लिहाज़ा वह भड़क गया।
“ऐसा तो होना ही नहीं चाहिए था। क्या तुम को पता है कि हम कितने परेशान हैं? अगर उनकी पहचान उजागर हो गई तो, संयुक्त राष्ट्रसंघ पूरी दुनिया के सामने अपनी विश्वसनीयता खो देगा… हमें मूर्ख समझा जायेगा।”
डोलोरेस ने कहा, “ऐसा होने से पहले वे अपनी जान दे देंगे।”
“उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाने का कोई तरीका निकालो, और यदि वे मर जाते हैं, तो उनकी मौत के ज़िम्मेवार हम खुद होंगे। एक तो पहले से ही यहाँ अराजकता फैली हुई है और ऊपर से हम अपनी नाक़ामी से आग में घी डालने का काम कर रहें हैं।” कहते हुए, उसने फोन काट दिया।
खिसियाकर डोलोरेस ने अपने पैरों को हवा में झटका दिया, इससे उसका एक जूता उछलकर टीवी स्क्रीन पर लगा। वह इतनी अशांत क्यों थी? उसने अपने करियर में ना केवल इससे भी बदतर परिस्थितियों का सामना किया अपितु उन्हें बड़ी ही चतुराई और शांत चित्त से नियंत्रित भी किया था। वह अपने विचारों पर नियंत्रण क्यों खो रही थी? क्यों?
गिद्ध सरीखे कपटी लोग, हर जगह मिल जाते हैं। यहाँ तक कि सीआइए के देशभक्ति से परिपूर्ण कार्य-परिवेश में भी। वे सदा आड़ में छिपे रहते हैं और सही व्यक्ति के ग़लत चाल चलने की प्रतीक्षा करते हैं, ताकि समय आने पर वे उसकी पीठ का इस्तेमाल, सीढ़ियों की भाँति उस पर पैर रख कर, मनचाही तरक्की हासिल कर सकें।
मैथ्यू अपनी ग्रे – ’प्रियस’ कार के पास पार्किंग में खड़ा था। बिना नहाये उसे अच्छा नहीं लग रहा था। वह नहाने और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कुछ अच्छे पल बिताने के लिए घर जाना चाहता था, ताकि फिर से तरो-ताज़ा महसूस कर सके।
“अरे, मैट!” उसके पीछे से किसी ने उसका नाम पुकारा। कौन है, देखने के लिए वह मुड़ा।
एडम मान, एक मोटा मध्यम आयु वर्ग का गोरा आदमी था, जो मानव स्वभाव की बुराइयों से औत-प्रोत था।
“मैंने सुना है कि आजकल तुम कुछ सीक्रेट से काम में व्यस्त हो।” उसने मैथ्यू को चिड़ाने के लिए व्यंग्य किया।
“तुमको देखकर मुझे भी अच्छा लगा, एडम,” मैथ्यू ने उसके व्यंग्य को नज़रअंदाज़ कर बोलते हुए, रिमोट से कार को अनलॉक किया।
“तुम इतने दिनों से कहाँ-कहाँ की ख़ाक छानते फिर रहे थे? अफ़ग़ानिस्तान? इराक़? सीरिया? या फिर यहाँ अपने ही देश की? “
मैथ्यू ने उसकी ओर तिरछी नज़रों से देखते हुए कहा, “जो जिसके लायक है उसे वह काम सोंपा जाता है और तुम्हें यह सब कैसे पता है?”
“एक उड़ती चिड़िया ने बताया।” एडम ने पलकें झपकाते हुए कहा।
“ठीक है… मुझे नहीं पता कि क्या हुआ। मैं सिर्फ़ इतना जानता हूँ कि आजकल डोलोरेस और तुम्हारे बीच कुछ ज़्यादा ही गाढ़ी छन रही है।” एडम ने उस पर जैसे कृपा करते हुए बताया।
मैथ्यू ने कार में बैठते हुए खिड़की के शीशे उतारे लेकिन मैथ्यू को और चिढ़ाने के लिए एडम उसकी कार तक चला आया।
“जब तक उठा सकते हो, मुफ्त में मिली ऑफिस की कार का आनंद उठालो, लेकिन और ज़्यादा दिन तक नहीं उठा पाओगे।” बोलते हुए उसने औरतों की तरह नज़ाकत से मैथ्यू को गुडबाई कहा।
मैथ्यू ने उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा, “क्या बकवास कर रहे हो, तुम्हारा मतलब क्या है?”
एडम ने जवाब नहीं दिया, अपनी काल्पनिक विजय की मस्ती का आनंद लेते हुए बस दूर चलता चला चला गया।
मैथ्यू ने टोलगेट भी पार नहीं किया था कि उसे एक खतरनाक सन्देश मिला।
“९११, जल्दी वापस आ जाओ! वे मलबा हटा रहे हैं!”
उसने तेजी से अपनी कार को वापस मोड़ा और पास ही की एक पार्किंग में उसे खड़ा कर अंदर भागा।
डेविड, जॉर्ज और एमा, सकीना के शयनकक्ष में नरम बिस्तर पर घुटनों के बल घेरे में बैठे, उनके पास उपलब्ध संसाधनों और काहिरा लौटने के मौकों के बारे में विचार-विमर्श कर रहे थे। एमा के ज़ख़्म तेजी से ठीक हो रहे थे लेकिन उसके सर पर अभी भी पट्टी बंधी थी। एमा ने कहा–
“हमारे पास काफ़ी मात्रा में नकद राशि है।”
“बढ़िया” जॉर्ज खुशी से बोला।
डेविड ने सबके बीच में गाज़ापट्टी के नक्शे को फैलाया। जॉर्ज ने ‘शुजा’इया’ नाम के एक कसबे की ओर इशारा किया।
“मैं वहाँ एक आदमी को जानता हूँ जो हमारी मदद कर सकता है खासकर, काहिरा से संपर्क करा सकता है।”
लंबे अंतराल के बाद डेविड और एमा के चेहरों पर आशा भरी मुस्कान दिखाई दी।
“मुझे कुछ नकदी की ज़रूरत है… उसे मनाने के लिए।”
“ज़रूर, कोई बात नहीं,” एमा ने कहा।
“मैं सकीना और आफ़रीन के लिए कुछ किराने का सामान भी ले आऊँगा, शुक्राने के रूप में। उसने कल हमारी जान बचाई थी।” जॉर्ज ने सराहना करते हुए कहा।
डेविड ने कहा, “हाँ, यह एक अच्छा विचार है।”
एमा ने भी सहमति में सिर हिलाया।
“बस शांत रहो और चिंता कम करो। हम इस झंझट से जल्दी ही बाहर निकल जायेंगे।” जॉर्ज ने बात को सँभालते हुए कहा।
“बस इतना पता है, यह मिशन पूरी तरह से असफल नहीं था,” एमा ने अपनी आँखों में विश्वास लिए कहा।
“हाँ, हाँ बेशक।” जॉर्ज ने उसका हौसला बढ़ाते, बाहर जाते हुए कहा।
एमा को एहसास हुआ कि वह सकीना द्वारा साझा की गई जानकारी के बारे में डेविड और जॉर्ज को बताना भूल गई थी।
“रुको… सकीना ने कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। मुझे लगता है कि यह एक स्थायी समाधान निकालने में मददगार साबित हो सकती है।”
जॉर्ज ने अपनी भौहें उठाईं; डेविड भी उत्सुकता से एमा की ओर देखने लगा। एमा ने सकीना के साथ स्कूल के चिकित्सा कक्ष में अपनी बातचीत के बारे में उनको शब्दशः बताया। जॉर्ज ने अपनी दाढ़ी को सहलाते हुए चुपचाप उसकी बात सुनी।
इस विश्वास के साथ कि वे खाली हाथ नहीं थे, वे कुछ हद तक सफल हुए थे। जॉर्ज के पास कहने के लिए केवल एक ही चीज़ थी, “मैं कुछ उपाय सोचता हूँ।”
एमा जानती थी कि ये जानकारी कितनी महत्वपूर्ण है और उसने जॉर्ज से स्पष्ट बोला। “भले ही हम यहाँ से बाहर ना निकल पायें लेकिन आप ये सुनिश्चित करें कि आप यह जानकारी डोलोरेस तक जरुर पहुँचायेंगे।”
“एमा तुम इसे खुद डोलोरेस को सौंपोगी।” जॉर्ज ने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा। दोनों एक साथ मुस्कुराये।
जैसे ही जॉर्ज ने चलने के लिए कदम बढ़ाये, उसने पाया कि आफ़रीन दरवाज़े पर खड़ी, उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्दे को हिला रही है।
वह उसे उठाकर लिविंग रूम में सकीना के पास ले गया। आफ़रीन को अपनी गोद में उठाते जॉर्ज को एक अजीब सा आत्मिक आनंद महसूस हुआ।
आफ़रीन को उसकी माँ को सौंपने के बाद जॉर्ज को याद आया कि वह यहाँ किस उद्देश्य के लिए आये हैं।
हम इसके जैसे बच्चों के लिए ही यहाँ आये हैं, ताकि उनका जीवन युद्धों की काली छाया से दूर रह सके। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि इसके लिए हमें क्या कीमत चुकानी पड़ेगी, इन बच्चों के पास एक उज्ज्वल भविष्य होना चाहिए।
अध्याय २१
“युद्ध दोनों ओर से केवल गोलियों और बमों की बौछार नहीं है, यह दोनों तरफ़ रक्त और अस्थियों की बौछारें भी है।”
– अमित कलंत्री
जॉर्ज ने जैसे ही सकीना की पुरानी हेच्बेक कार के इग्निशन में चाबी लगाई, इंजन घरघराता हुआ झटके के साथ स्टार्ट हुआ। जॉर्ज की वृद्धावस्था का एकमात्र साथी ट्रक, जिसे जॉर्ज दिलो-जान से प्यार करता था कल के धमाके में उड़ गया था, लेकिन जॉर्ज के पास अपने फौलादी घर के लिए शोक मनाने का समय नहीं था।
डेविड अपनी टी-शर्ट और जींस के ऊपर सकीना के दिवंगत पति का जैतूनी-हरा कुर्ता पहन घर से बाहर आया था। एमा इस अभियान में पहली बार अपने पति से अलग होने के कारण दुखी मन से दरवाज़े पर हाथ मोड़े खड़ी थी। उसे ऐसा लगा जैसे डेविड के युद्ध क्षेत्र में तैनाती के लिए जाने वाले पुराने दिन एक नये रूप में फिर से उसके सामने आ खड़े हुए थे। कार में घुसने से पहले, डेविड ने अपनी घायल पत्नी को देखा और एक उम्मीद भरी मुस्कान के साथ उसकी ओर हाथ हिलाया। जॉर्ज दोनों के मनोभावों को समझ रहा था, लेकिन वर्तमान में, उसकी नज़रों में ये सब बेमानी था। उसने झटके से कार शुजा’इया की ओर आगे बढ़ा दी। डेविड ने भी अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए एमा की ओर हाथ हिलाकर उससे विदा ली।
रास्ते में, सतर्कतापूर्वक ड्राइविंग करते हुए, जॉर्ज ने कहा, “मैं सब कुछ देख रहा हूँ, लड़के। तुम उदास हो और तुम्हारी आँखों में अपराधबोध भी दिखाई दे रहा है।”
डेविड ने गम्भीरता से जवाब दिया, “हमें देखो, जॉर्ज देखो, आज हम कहाँ खड़े हैं? मेरी पत्नी घायल है और हमारे पास घर लौटने का कोई रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहा।”
जॉर्ज ने उसकी उदासी को समझा और उसे छोटी सी सलाह दी। “हम अधिक से अधिक लोगों के भले के लिए ऐसा कर रहे हैं। ये उद्देश्य हम सभी के ऐशो-आराम, यहाँ तक कि हमारी ज़िंदगियों से भी बड़ा है। हम स्वर्ग-दूतों की भांति इस काम में लगें हैं……और मेरे दोस्त, आज की दुनिया में स्वर्ग-दूत ही सबसे ज़्यादा दुखी और परेशान हैं।”
डेविड ने खिड़की से बाहर झाँक कर देखा।
“तुम्हें कुछ पता है, कि सकीना हमें उसके घर में क्यों पनाह दे रही है?” जॉर्ज ने फिर पूछा। “वह उन कुर्बानियों का महत्त्व समझती है जो हम उसके और उसकी गाज़ा के लोगों के लिए कर रहे हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन गुनहगार है और कौन बेगुनाह। इस लड़ाई में हर दिन बड़ी संख्या में बेगुनाह मारे जा रहे हैं। याद रखो, हम सभी किरदार हैं और हम सभी के पास युद्ध के इस चरण में ना चाहते हुए भी भाग लेना, हमारे भाग्य का ही एक हिस्सा है। वह सबसे छुपकर अपना काम कर रही है, और हम अपने घर वापस जरुर जायेंगे। इसलिए, तुम किसी भी चीज़ के लिए अपने आप को कुसूरवार मत मानों। हम एक अच्छा काम कर रहे हैं।”
“उम-हम्म,” डेविड ने बेमन से उसके तर्क स्वीकार किए।
जॉर्ज को रास्तों के बारे में अपनी याददाश्त पर यकीन नहीं था इसलिये उसने चलते-चलते, कार एक उजड़ी हुई मस्जिद के सामने रोकी। हालाँकि मस्जिद की बनावट सुन्दर थी लेकिन उसकी सभी खिड़कियाँ आस-पास हुए विस्फोटों के कारण टूटी हुई थीं। खंभे और फर्श की टाईल्स भी पूरी तरह से उखड़ी हुई थीं, जिससे अंदर का सीमेंट बाहर दिखाई दे रहा था। हालाँकि हरे रंग की मज़ार शायद धमाकों से दूर होने और ऊँचाई के कारण ढहने से बची हुई थी।
उन्होंने खिड़की से बाहर सतर्कता से देखा और फिर अपने गंतव्य की स्पष्ट पहचान पाने के लिए नक्शे को बाहर निकाला। मस्जिद की टूटी हुई संरचना के अंदर, नमाज़ पढ़ते कुछ लोगों ने डेविड का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, इससे वह थोड़ा विचलित हो गया। लेकिन उनकी आस्था को ठेस ना पहुँचे, इसलिये वे अंदर नहीं गए। डेविड सोचने लगा। गाज़ा में निर्दोष और गुनहगार बिना फ़र्क किए मारे जा रहे थे। लेकिन यहाँ,
घेराबंदी में जो लोग प्रार्थना करने के आदी हैं, वे हारे नहीं थे। सभी उम्र के लोग, बच्चों सहित प्रार्थना टोपी और कुर्ते पहन कर, आस्था और एकाग्रता के साथ इबादत मैट पर बैठकर नमाज़ अदा कर रहे थे।
उनकी आस्था से प्रेरित होकर, डेविड ने अपने मन की बात ज़ोर से कही, “अंधकार में भी हमें ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।”
डेविड की आवाज़ सुनकर जॉर्ज ने नक्शे से अपना सिर उठाते हुए पूछा, “क्या?”
“कुछ नहीं,” डेविड ने जवाब दिया।
“मुझे रास्ता मिल गया है, लेकिन सड़कों पर भीड़ हो सकती है। रास्ते में बहुत सारे बाज़ार हैं। तुम अपना सिर नीचे रखना और किसी से बात मत करना।
डेविड अभी भी उन लोगों को निहार रहा था; उनका अनुशासन और साहस उसका ध्यान बरबस ही उस ओर खींच रहा था।
“वे सब यहाँ क्यों हैं? आसन्न गोलाबारी के समय में इतना बड़ा जोख़िम क्यों उठा रहे हैं?”
जॉर्ज ने अपना ध्यान उन लोगों की तरफ़ दिया।
“प्रार्थना हमारी आत्मिक शांति को बनाए रखती है। अराजकता और हंगामे में, ईश्वर की तरह स्वयं से अधिक किसी में विश्वास रखने की क्रिया, लोगों को प्रसन्न रखती है। ऐसा विश्वास है कि अंत में, सब कुछ ठीक हो जाएगा। उम्मीद, ईश्वर का दिया वह वरदान है, जो हमें राक्षस बनने से रोकता है, डेविड।”
डेविड, जॉर्ज के जवाब से प्रेरित था, लेकिन उसने स्वीकार नहीं किया। “क्या तुम्हारे दिल में उम्मीद है, जॉर्ज?”
वह मुस्कराया। “मैं पागल हूँ, लड़के। मैंने कुछ समय पहले अपना दिमाग़ी संतुलन और उम्मीद दोनों खो दिए हैं। हाँ, मुझे पता है कि मैं हूँ। मुझे मज़ा आता है। वैसे ये पागलपन बुरा नहीं है।” उसने पलकें झपकाते कहा।
डेविड श्रद्धा के साथ वापस मुस्कुराया, लेकिन अभी भी उसका ध्यान मस्जिद पर केंद्रित था।
“मस्जिद… इतनी बुरी अवस्था में है, दुःख की बात है,” डेविड ने सहानुभूति व्यक्त की।
“वे इसका पुनर्निर्माण करेंगे। युद्ध को तो एक दिन समाप्त होना ही है… या शायद कुछ वर्षों के लिए रुक जाना है।” यही जीवन है, उतार-चढ़ाव से परिपूर्ण।
नमाज़ ख़त्म हो चुकी थी। डेविड ने नमाज़ियों के चेहरे पर व्याप्त शांति देखी।
“उन्हें देखो, उनके चेहरों पर जरा भी डर नहीं है।”
जॉर्ज ने डेविड के साथ अपने ज्ञान को साझा किया, “मुझे लगता है कि उन्होंने जीवन के सार को समझ लिया है और जब आप जीवन की वास्तविकता को स्वीकार कर लेते हैं, तो जीवन में डर के लिए कोई जगह नहीं बचती है।”
जॉर्ज ने दावा किया था कि वह पागल था, लेकिन सच में, वह एक उदारवादी था। डेविड ने यात्रा के उस संक्षिप्त पड़ाव में समझा, कि ‘समर्पण और स्वीकारोक्ति’ जीवन के वास्तविक रूप हैं।
जॉर्ज ने कार आगे बढ़ाने के लिए गैस पैडल पर अपना पैर रखा और कार आगे बढ़ गई। अपने रास्ते में उन्हें परेशान करने वाला भीषण सन्नाटा, धधकते सूरज द्वारा उपहार में दी गई भीषण गर्मी और बमबारी के कारण खाली पड़ी सड़कों के अलावा कुछ दिखाई नहीं पड़ा।
रास्ते में उन्होंने देखा कि, सर्जिकल मास्क पहने एक व्यक्ति, एक के बाद एक घरों के सामने से कूड़े के थैले उठा रहा था। जॉर्ज ने उस आदमी की ओर इशारा करते हुए कहा, “तुम उसे देख रहे हो? यही कारण है कि यहाँ के लोग हमास का समर्थन करते हैं। इज़राइली नागरिकों की हत्या और युद्ध के अपराध एक तरफ़, वे गाज़ा पट्टी पर शासन कर रहे हैं। आप किसे चुनेंगे? एक ऐसा पड़ोसी जो आपको युद्ध की विभीषिका में धकेल देता है या फिर उसे जो आपका कूड़ा उठाता है?”
“लेकिन जॉर्ज, इस सबसे हमास को युद्ध-अपराध करने और नागरिकों को मारने का अधिकार नहीं मिल जाता।”
“डेविड, कभी-कभी जीवन में, नागनाथ और सांपनाथ में से किसी एक का चयन करना मजबूरी हो जाती है।”
जॉर्ज ने ऐसा मज़बूत तर्क रखा कि इसने डेविड को अवाक कर दिया।
सैनिकों की तुलना में नागरिकों के लिए युद्ध अधिक जटिल होते हैं। लोग कसाई खाने में मवेशी की तरह अपने मरने का इंतज़ार करते हैं। उनके पास अपने परिवार का बचाव करने के लिए कुछ भी नहीं होता। इस तरह के अत्याचार भोले-भाले लोगों को आतंकवादी बनने पर मजबूर कर देते हैं, जो एक घातक उद्देश्य के लिए सिर्फ़ इसलिए तैयार हो जाते हैं, क्योंकि उनके दिमाग़ में यह बात ठूंस-ठूंस कर भर दी जाती है कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं ‘केवल वही सही है और एक महान उद्देश्य के लिए है। यह बात केवल गाज़ापट्टी के मामले में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आतंकवाद के पनपने का एक प्रमुख कारण है। अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, कश्मीर और सूची में कई जगहों के नाम गिनाये जा सकते हैं।
चलते, चलते उन्होंने शुजा’इया में प्रवेश किया।
खाली सड़कों पर ड्राइविंग करते हुए उन्हें लगा कि उनके खून में अचानक ठंड बढ़ गई है। ऐसा लग रहा था जैसे यहाँ राक्षसों ने तबाही मचाई है। इमारतें ध्वस्त होकर ज़मींदोज हो चुकी थीं। फर्नीचर, खिलौने और बर्तन जैसे घरेलू सामान के टुकड़े चारों ओर कूड़े की तरह बिखरे हुए पड़े थे।
लंबी और गहरी साँस लेते हुए डेविड ने सुझाव दिया, “मुझे लगता है कि हमें वापस चलना चाहिए।” लेकिन ‘होनी’ को तो कुछ और ही मंज़ूर था।
“एक मिनट,” अपना हाथ ऊपर उठाते हुए जॉर्ज ने कहा। उन्होंने पास की एक ईमारत की छत पर एक आदमी को देखा, जो शायद एक रॉकेट लॉन्चर को जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार कर रहा था।
“जॉर्ज, हमें अब यहाँ से बाहर निकलना चाहिए!” आशंकित डेविड फिर बोला।
जॉर्ज ने कार को रिवर्स गियर में डाला और पैडल को जितनी ज़ोर से दबा सकता था, दबाया। जैसे ही कार पीछे की ओर चली, लड़खड़ाई और किसी अदृश्य वस्तु के कार के नीचे आने के कारण टकराकर रुक गई।
“कहाँ ठुकी?” जॉर्ज ने पूछा।
“मुझे नहीं पता। मैंने कुछ भी नहीं देखा।” डेविड ने ज़ोर से कहा।
तभी एक धमाका हुआ, जिससे पूरा मैदान हिल गया। उसी समय, हिज़ाब पहने एक महिला मदद के लिए उनकी ओर लपकी। जॉर्ज ने तुरंत कार से बाहर कदम रखा। इससे पहले कि महिला उसके पास पहुँचती, उसने अपनी कार के पीछे एक टूटी और गिरी हुई स्ट्रीट लाइट का पोल देखा।
पास आकर उसने झुककर अपने हाथ जोड़े और विनती की, “इब्नै रिजल, इब्नै रिजल (मेरे बेटे का पैर, मेरे बेटे का पैर)।”
जॉर्ज स्थिति को समझने के लिए उसके पीछे चला। डेविड भी कार से बाहर आ गया और अपनी पूरी ताकत के साथ उसने टूटे हुए पोल को एक तरफ़ धकेल दिया।
बार्सिलोना एफसी फुटबॉल टीम की जर्सी में, पंद्रह साल का एक बच्चा, खून में लथपथ, नीचे पड़ा, दर्द से चीख रहा था। उसका दाहिना पैर टूट कर मुड़ गया था। यह देखकर, जॉर्ज का चेहरा फ़ीका पड़ गया, लेकिन उसने, उस बच्चे को अपने कंधों पर उठाया और गाड़ी की ओर बढ़ा। आस-पास से लगातार आ रही गोलियों की आवाज़ से वह कुछ विचलित दिखाई दे रहा था।
जब वे कार की ओर आने लगे, तो महिला रो-रोकर स्थानीय भाषा में कह रही थी, “उन्होंने यहाँ से हटने के लिए पर्चे गिराए थे। लेकिन मुझे लगा कि यह पड़ौस के बच्चों द्वारा की गई शरारत है। मेरा बेटा, मेरा बेटा, ये क्या हो गया!” और फिर रोने लगी।
जॉर्ज और डेविड ने बच्चे और उसकी माँ को कार के अंदर जाने में मदद की और आसपास किसी अस्पताल की खोज में निकल पड़े।
इससे पहले कि वे कहीं पहुँच पाते, इज़राइली रक्षा बलों की ओर से हमले और तेज हो गए। पहला बम, दूसरा बम, फिर तीसरा…गिरते ही गए। बमों के गिरने की भीषण आवाज़ों से कान के परदे फटने लगे।
आगे का रास्ता घने काले धुएँ से भर गया। ऐसे में आगे बढ़ना आत्मघाती होता, जॉर्ज ने तेजी से ब्रेक लगाये।
चीख-पुकार और रोने की आवाज़ों ने डेविड के दिल में गुस्से की ज्वाला उत्पन्न कर दी। उसने माँ और उसके दर्द से कराहते बच्चे को कार में छोड़कर, आगे रास्ता बताने के लिए कार से बाहर कदम रखा। पीछे बच्चे के पैर से खून की एक धार बह निकली और कार में खून फैल गया।
घने, काले धुएँ में जैसे-जैसे डेविड कदम बढ़ा रहा था, वैसे-वैसे ही चीखों की आवाज़ तेज होती जा रही थी और अब धुआँ उसके फेफड़ों में घुस रहा था और उसकी आँखों में जलन के साथ आँसू भी आ गए थे। ज़ोर-ज़ोर से खाँसते हुए, जैसे-तैसे धुएँ से बाहर आया और उसने देखा कि सामने एक हमलाग्रस्त घर, आग की लपटों में घिरा हुआ था। बमों के भीषण विस्फोट से कई लोग उछलकर सड़क पर आ गिरे थे, लेकिन बेचारों के जिस्म में जान का नामों-निशान तक मौजूद नहीं था। उनके बीच खड़े, तीन छोटे बच्चों को उसने देखा, उनके शरीर गंभीर रूप से बारूद से जले हुए ज़ख़्मी और सिर से पैर तक खून में नहाये हुए थे, वे गला फाड़, फाड़कर रो रहे थे। यह घृणित दृश्य देखकर डेविड को लगा कि उसके घुटने उसका वजन नहीं उठा पा रहे और उसके हाथ भी भारी हो गए, फिर उसका शरीर सुन्न पड़ गया।
धरती पर नर्क ने अपना कब्ज़ा जमा लिया था।
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