प्रेतात्माओं का उत्पात

विराट ने एक तरह से जबरन डॉक्टर से डिस्चार्ज हासिल किया और अस्पताल से निकल गया। गुजिश्ता छह दिनों में बीमार होने के बावजूद वह हर क्षण इस बात पर तड़पता रहा था कि राहुल हांडा का केस अभी भी जहां का तहां पड़ा था। जोशी रोजाना उससे अस्पताल में मिलने आता था और हर बार अपनी नाकामी की दास्तान सुनाकर लौट जाता था।
दो बार एसीपी राजावत भी अस्पताल पहुंचा था, मगर उस दौरान केस से रिलेटेड कोई बातचीत उनके बीच नहीं हुई, उल्टा दोनों ही मुलाकातों में उसने विराट को राय दी थी कि उसे कम से कम महीने भर के लिए मैडिकल लीव पर चले जाना चाहिए, क्योंकि उसकी हालत बहुत बुरी दिखाई दे रही थी।
बहरहाल डिस्चार्ज होकर घर जाने की बजाये वह सीधा एसीबी के हैडक्वार्टर पहुंचा और अपने कमरे में जा बैठा। तभी उसके आने की खबर पाकर कुल जहान का उल्लास अपने चेहरे पर समेटे सुलभ जोशी उसके सामने आ खड़ा हुआ।
“मुझे बधाई दीजिए सर।”
“किस बात की?”
“आपके जिंदा बच जाने की।”
“वो तो तुम दोगे मुझे।”
“नहीं आप देंगे - जोशी बड़े ही भावुक लहजे में बोला - आपके अस्पताल पहुंच जाने के बाद मैंने इस बात को बड़ी शिद्दत के साथ महसूस किया कि डिपार्टमेंट को आपकी कितनी जरूरत है। खासतौर से मुझे, जिसने अपना सारा जोर लगा दिया मगर केस को नाखून के बराबर भी आगे नहीं खिसका सका। यूं समझ लीजिए कि सारी चतुराई बस धरी की धरी रह गयी।”
“ऐसा नहीं होता जोशी साहब। केस के बीच में आईओ बदल जाने से काम डिले हो सकता है, नये बंदे को उसे समझने में थोड़ा वक्त लग सकता है, मगर किसी के रहने या न रहने से काम नहीं रुक जाया करता। इसलिए मुझमें फुंदने टांकने की कोशिश मत करो - कहकर वह क्षण भर की चुप्पी के बाद बोला - हमारे केस की कोई अपडेट?”
“अभी तो बस लावारिश लाशों का ब्योरा जुटाने में लगा हूं सर। सब इंस्पेक्टर मुकुल सिंह क्योंकि दिल्ली एनसीआर के थानों से ऐसी जानकारियां पहले ही हासिल कर चुका था, इसलिए मैंने अपना दायरा बढ़ाया और दिल्ली से हरिद्वार के बीच जितने भी थाने आते हैं सबको राहुल की फोटो और उसकी कद काठी की डिटेल्स मेल कर दी। ये अलग बात है कि अभी तक कहीं से कोई रिस्पांस नहीं आया।”
“और कुछ?”
“राहुल और उसके सातों दोस्तों का पिछले छह महीनों का कॉल रिकार्ड निकलवाकर माथापच्ची की, तो पता लगा उन आठों की दुनियां तो जैसे उन्हीं के बीच सिमटी हुई थी। कोई नौवां तो है ही नहीं उनकी जिंदगी में। मेरा मतलब है नब्बे फीसदी कॉल्स आपस में ही की और रिसीव की गयी हैं। बाकी के दस परसेंट में उनके मां बाप, केजुअल फ्रैंड्स या फिर मार्केंटिंग से रिलेटेड कॉल्स हैं, जैसे कि क्रेडिट कार्ड, लोन्स, फुल बॉडी चेकअप वगैरह वगैरह। कहने का मतलब ये है कि उस फ्रंट पर भी हमारे हाथ कुछ नहीं लगा।”
“और मुलाकात सातों में से किसी से हो नहीं पाई अभी तक, है न?”
“यही बात है सर, फोन करने पर या तो वे लोग उठाते नहीं हैं, या फिर उठाकर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं और मिलने से इंकार कर देते हैं। बल्कि अरसद नाम के एक लड़के की कॉल तो सीधा उसके लॉयर ने पिक की और बोला पुलिस पहले ही उसके क्लाइंट को बहुत परेशान कर चुकी है, इसलिए आगे कोई पूछताछ करनी है तो पहले उसपर कोई चार्ज लगाकर गिरफ्तार किया जाये। ऐसे ही एक लड़की ने फोन अपने बाप को पकड़ा दिया, कोई सबरवाल कर के था। उसने स्पष्ट लहजे में चेतावनी दे दी कि अगर फिर से उसकी बेटी को पुलिस ने कॉल कर के परेशान करने की कोशिश की तो वैसा करने वाले की वर्दी उतरवा देगा।”
“ये तो हद ही हो गयी, एसीपी साहब से मशवरा नहीं किया?”
“किया था, जवाब मिला विराट के हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने तक सब्र करो, तब तक उन सातों पर हाथ डालने की कोई जरूरत नहीं है। सच पूछिये सर तो साहब की तमाम उम्मीदें आप पर ही टिकी हुई हैं। वरना तो राहुल हांडा की गुमशुदगी हमेशा के लिए राज ही बनकर रह जायेगी।”
“और कुछ?”
“कल दिन में में ‘रॉयल ब्यूटी’ के पीछे वाले डीडीए पार्क में गया था मैं। वहां कुछ रेहड़ी वाले रात गये तक खड़े रहते हैं, कुछ तो ऐसे हैं जो सोते भी वहीं है। उनसे जमकर पूछताछ की मगर किसी ने कुछ देखा होने की हामी नहीं भरी।”
“उस बात की उम्मीद वैसे भी कम ही है जोशी साहब। दिन भर काम करने के बाद थका हुआ इंसान जब नींद के हवाले होता है तो सुबह कहीं जाकर उसकी आंख खुलती है।”
“बशर्ते कि कोई स्लीपिंग डिस्ऑर्डर का शिकार न हो।”
“निचले तबके के लोगों को अमूमन ऐसी बीमारियां नहीं होती हैं - विराट बोला - खैर कोई बात नहीं, केस हाथ में लिया है, इंवेस्टिगेशन शुरू की है तो कहीं ना कहीं तो पहुंचकर ही रहेंगे।”
“आगे बढ़ने का कोई रास्ता दिखाई तो नहीं देता सर।”
“दिखेगा, अभी मैं केस की फाईल अपने साथ ले जा रहा हूं। घर पर बैठकर दिमाग खपाऊंगा, फिर कल से कमर कस के निकल लेंगे। रही बात राहुल के सातों दोस्तों की तो डोंट वरी, आज नहीं तो कल उनके साथ हमारी पूछताछ मुकम्मल होकर रहेगी, तब तक के लिए एक काम करो।”
“क्या सर?”
“सातों के मोबाईल नंबर्स सर्विंलांस पर लगा दो।”
“आपका मतलब है हमें उनकी कॉल्स मॉनिटर करनी हैं?”
“नहीं अभी बस लोकेशन पर निगाह रखो, देखो वह कहां जाते हैं, जहां जाते हैं उस जगह को चेक करो, किसी नये शख्स से मिलते हैं, कॉल करते हैं, तो उसके बारे में पता लगाओ कि वह कौन है, क्या करता है, और राहुल या उसके दोस्तों के साथ उसका क्या संबंध है।”
“ठीक है सर, मैं अभी सारे इंतजामात किये देता हूं।”
“गुड।” कहकर विराट उठ खड़ा हुआ।
उसी रात दस बजे।
आसमान में काले बादल छाये हुए थे। हवा की रफ्तार सामान्य से कई गुणा तेज, आंधी जैसा एहसास कराती हुई, और उसमें व्याप्त नमी मानो चेतावनी दे रही थी कि किसी भी पल बारिश शुरू हो सकती थी। बीच बीच में पेड़ों के जोर-जोर से चरमराने की आवाज वातावरण को बेहद भयावह बनाये दे रहे थी, ऊपर से अमावस की रात तो जैसे कहर ही ढाये दे रही थी।
सड़क एकदम सूनी, सन्नाटे से भरी हुई। दोनों तरफ मौजूद बड़े बड़े पेड़ मस्त हाथी की तरह झूम रहे थे, और दूर दूर तक फैले खेतों के बीच छोटे छोटे गांव उग से आये प्रतीत हो रहे थे, जिनका एहसास इसलिए हो जाता था क्योंकि वहां लाइटें जल रही थीं।
सड़क इतनी पतली कि आमने-सामने से आते वाहन एक दूसरे को उसी रफ्तार से क्रॉस नहीं कर सकते थे, जिस रफ्तार से चल रहे थे। उन्हें रुककर अपनी-अपनी गाड़ियों को सड़क किनारे ढलान पर लटकाना पड़ जाता था, तब कहीं जाकर एक दूसरे को पास दे पाते थे।
ऐसे नीरवता से भरे रास्ते पर गुजरती एक चमचमाती हुई इनोवा क्रिस्टा में उस वक्त ड्राईवर को मिलाकर कुल जमा छह लोग बैठे थे। सब के सब थोड़ा नशे में भी जान पड़ते थे। ड्राईवर तो यकीनन क्योंकि गाड़ी रह रह कर लहरा सी उठती थी, जो उस संकरी सड़क पर चलने के लिहाज से बेहद खतरनाक बात कही जा सकती थी।
इसलिए भी क्योंकि सड़क के दोनों तरफ फॉस्ट ढलान थी, फिर खेत जो कि सड़क से कम से कम भी चार फीट नीचे तो जरूर रहे होंगे, यानि ढलान की तरफ बढ़ने का मतलब था कि एक्सीडेंट होकर रहता।
मगर सवारियों को शायद ही उस बात की कोई परवाह थी।
उन सबके लिबास बताते थे कि दौलतमंद घरानों से थे। बेपरवाही बताती थी कि आपस में गहरे दोस्त थे। और अंदाज बताता था कि आधुनिकता की तमाम सीमायें लांघे बैठे थे।
सब के सब जोड़ों की शक्ल में थे, यानि जितने लड़के उतनी ही लड़कियां। सबसे आगे बैठे जोड़े को अगर नजरअंदाज कर दिया जाता तो बाकी के दोनों कपल्स फुल मस्ती करते दिखाई दे रहे थे। आगे वाला जोड़ा वैसा शायद इसलिए नहीं कर पा रहा था, क्योंकि उनमें से जो मर्द था वह ड्राईव कर रहा था।
“हम कहां जा रहे हैं बेबी? - ऐना ने गाड़ी चलाते अपने ब्वॉयफ्रैंड सैंडी से सवाल किया - अब तो शहर भी बहुत पीछे छूट गया है, तुम कुछ बताते क्यों नहीं?”
“टॉप सीक्रेट है मेरी जान, इसलिए नहीं बता सकता।”
“सीक्रेट माई फुट - बीच की सीट पर रोहताश के साथ बैठी हनी मुंह बिचकाकर बोली - देखना आगे कहीं जगह मिलते ही ये गाड़ी को यू टर्न देकर दांत दिखाता हुआ कह देगा कि ही वाज जोकिंग।”
“ओह नो, नॉट अगैन सैंडी - तीसरी सीट पर अरसद के साथ बैठी वाणी यूं बोली जैसे उसी वक्त नींद से जागी हो - इस बार ऐसा मत करना, वरना मैं तुम्हारे मुंह में निप्पल लगा दूंगी, क्योंकि ऐसे मजाक तो बस बच्चे ही कर सकते हैं।”
“निप्पल तू इधर क्यों नहीं लगाती?” अरसद थोड़ा गुस्से से बोला।
“माई पुअर बेबी - वह अरसद का गाल चूमती हुई बोली - निप्पल से मेरा मतलब था दूध की बोतल वाला निप्पल, ना कि वह जो तुम समझ रहे हो।”
“मैं भी दूध के कंटेनर वाले निप्पल की ही बात कर रहा हूं।”
सुनकर बाकी सब ठहाके लगाकर हंस पड़े।
“सैंडी।” रोहताश बोला।
“सुन रहा हूं, बहरा नहीं हूं मैं।”
“फिर बताता क्यों नहीं कि हम कहां जा रहे हैं?”
“हैवन में।”
“वॉट?”
“जहां हमें देखने वाला कोई नहीं होगा। ना ही हमारे मां बाप आधी रात को हमें ढूंढते हुए वहां पहुंच जायेंगे? मतलब कि फुल प्राईवेसी, और जहां प्राईवेसी वहां हम पापियों की ऐशगाह।”
“कम से कम इतना तो बता दे कि और कितनी देर लगेगी?”
“बस पांच मिनट, उससे ज्यादा नहीं।”
“अभी पांच मिनट और! - वाणी फिर से उनींदे स्वर में बोली - तुम्हारा मतलब है पांच मिनट और?”
“दोहरा क्यों रही है? बस पांच मिनट ही तो कहा है, जबकि तू तो ऐसे रिएक्ट कर रही है, जैसे पांच घंटे बोल दिये हों।”
उसी वक्त!
“आ ऽ ऽ ऽ...
चिल्लाती हुई वाणी कस के अरसद से लिपट गयी।
सैंडी ने जोर से ब्रेक लगाया।
“क्या हुआ?” सबने एक साथ पूछा।
“गाड़ी मत रोक ईडियट, भाग यहां से।”
“अरे हुआ क्या?”
“गाड़ी भगा बहन चो...” इस बार वह चिल्ला ही पड़ी।
सैंडी की समझ में तो कुछ नहीं आया, मगर वहां रुके रहने की हिम्मत फिर भी नहीं हुई। हड़बड़ाकर उसने ब्रेक से पांव हटाया और पूरी ताकत से एक्सेलेटर का पैडल दबा दिया।
गाड़ी पगलाये सांड की तरह आगे की तरफ लपकी, सैंडी का कंट्रोल पल भर के लिए उसपर से छूट गया, यूं लगा जैसे तेज रफ्तार इनोवा अभी सड़क के नीचे जा गिरेगी।
सबके मुंह से दिल दहला देने वाली चींखें निकल गयीं।
मगर सैंडी ने उसे काबू में कर लिया।
“साले मरवायेगा क्या सबको?” रोहताश चिल्लाकर बोला।
“सॉरी पापियों, अब सब ठीक है - कहकर उसने वाणी से पूछा - चीखी क्यों थी तू?”
“क्यों चीखी थी?” कई स्वर एक साथ गूंजे।
“रास्ते में डैडी की तस्वीर लगी कोई होर्डिंग देख ली होगी, तभी डर गयी बेचारी।” रोहताश बोला।
“क्या बक रहा है साले? - वाणी तुनक कर बोली - तेरा बाप क्या इतना भयानक दिखता है, जो उसकी सूरत देखकर मैं डर जाती?”
“मैं तुम्हारे डैडी की बात कर रहा हूं मिस वाईस।”
“सोच समझ कर बोला कर वरना किसी दिन तेरा मुंह तोड़ दूंगी मैं।”
“अच्छा।”
“क्या अच्छा?”
“तुम्हारे डैडी ऐश्वर्या राय हैं, अब खुश?”
“इससे तो बात करना ही गुनाह हो जाता है - वह मुंह बिचकाती हुई बोली - इतना भी नहीं पता कि मेरे डैड मर्द हैं, कोई कंपैरिजन करना ही था तो शाहिद का नाम लेता, रणबीर का ले लेता, या भले ही शाहरूख बोल देता, मगर ऐश्वर्या, ये तो हद ही हो गयी।”
“ऐसी बात है?” रोहताश ने फिर उसे छेड़ने की कोशिश की।
“क्या कैसी बात है?”
“तेरे डैडी मर्द हैं?”
“नहीं होते मेरे बच्चे तो आज तू हमारे बीच कैसे होता?”
उस बात को समझने में रोहताश को जरा वक्त लग गया, तब तक सबको वाणी के कटाक्ष का मतलब समझ आ चुका था, इसलिए ठहाके लगाकर हंस पड़े।
“बस बहुत हो लिया तुम दोनों का - हनी डपटने वाले अंदाज में बोली - अब साफ साफ बता कि तू चिल्लाई क्यों थी?”
“वहां सड़क किनारे मुझे कुछ दिखाई दिया था।”
“क्या?”
“मालूम नहीं लेकिन बेहद डरावना था।”
“बकवास बंद कर यार।”
“मैं सच कह रही हूं पापियों, वहां पक्का कोई खड़ा था।”
“अगर था भी तो इसमें डरने की क्या बात है, कोई ग्रामीण रहा होगा।”
“इंसान नहीं था।”
“फिर शुरू कर दी बकवास?” हनी थोड़ा झुंझला सी उठी।
“हमें डराने की कोशिश मत करो मिस वाईस।” रोहताश बोला।
“मेरा मतलब है इंसानों जैसा नहीं लगा था।”
“उसके सिर पर सींग रही होगी, है न?” रोहताश बोला।
“मैं सच कह रही हूं ईडियट, वह कोई बेहद खौफनाक चीज थी, मैंने बस उसकी आंखें देखी थीं, सुलगती हुई लाल आंखें, जिन्हें देखकर पल भर को यूं लगा जैसे कोई तपती हुई सलाख मेरी आंखों घुसी जा रही हो।”
“आंखें ना हुईं - अरसद थोड़ा हंसकर बोला - लेजर बीम हो गयीं।”
“मत मानो लेकिन मैं सच कह रही हूं।”
“स्मैक कितनी ली है बेबी?” अरसद उसके गालों पर हाथ फिराता हुआ बोला।
“जितना तेरी मां ने तुझे जनते वक्त जहर खाया होगा।”
“गुस्सा क्यों हो रही है?”
“और क्या करूं, यहां कोई मेरी बात पर यकीन कर के राजी नहीं है, और इस बहन चो... सैंडी का पांच मिनट भी अभी तक पूरा नहीं हुआ। जाने कहां ले जा रहा है। इधर तो बस खेत और गांव ही दिखाई दे रहे हैं।”
“बोला तो था हैवन ले जा रहा है।” ऐना ने याद दिलाया।
“हैवन माई फुट, इधर साला हर तरफ सन्नाटा छाया है। दूर दूर तक इंसान का नामो निशान नहीं है। शहर हम पीछे छोड़ आये हैं। मुझे तो लगता है हैवन की कहकर ये हमें नर्क में ले जा रहा है।”
“डोंट वरी बेब, हम पापियों को ऐसी बातों की परवाह नहीं करनी चाहिए - रोहताश सरदाना बोला - स्वर्ग नर्क, अच्छाई बुराई, सही और गलत पर हमारा कोई ऐतबार ना पहले था ना ही आगे चलकर होने वाला है। हम जिंदगी को इंजॉय करने में यकीन रखते हैं, और आज तक वही करते आये हैं। फिर क्या फर्क पड़ता है कि हमारा यार हमें कहां ले जा रहा है।”
“एकदम सही कहा स्वीट हॉर्ट, ऐसी बातों की परवाह कमजोर और बुजदिल किया करते हैं, ना कि हम पापी - हनी ने उस स्पीच को आगे बढ़ाया - जीवन गतिमान है, इसका एक क्षण भी जाया करना ईश्वर की सबसे खूबसूरत कलाकृति का निरादर करने जैसा होगा। हम चाहे हंस कर जियें या रोकर, इंजॉय कर के जियें या गमगीन होकर, आखिरकार तो जिंदगी ने एक दिन खत्म होकर ही रहना है।”
“एग्जैक्टली - गाड़ी चलाते सैंडी ने वार्तालाप का सूत्र अपने हाथों में ले लिया - हम पापी ऐसे ही हैं, और हमेशा रहेंगे। न होते तो राहुल के जुदा होते ही हमारा सफर खत्म हो गया होता, हम एक दूसरे से दूर हो गये होते। मगर हमने ऐसा नहीं किया क्योंकि जीवन चलते रहने का नाम है।”
“राहुल का नाम अच्छा याद दिलाया तुमने - हनी ने गहरी सांस ली - काश वह हमारे बीच होता - फिर पूछा - जानते हो मुझे उसकी कौन सी बात सबसे ज्यादा पसंद थी?”
“नहीं तू बता?”
“उसका पीकर आउट होना।”
सुनकर सब हंस पड़े।
“मैं सच कह रही हूं पापियों, आउट होने के बाद तो जैसे वह हमारी पार्टी में जान ही डाल देता था। सर्कस का जोकर बन जाया करता था।”
“जबकि मुझे हमेशा यही लगता था कि वह जानबूझकर टल्ली होने की एक्टिंग करता था, ताकि वो कर सके जो खुद को फुल नशे में पहुंचा दिखाकर किया करता था।”
“एक बात बता सैंडी?” रोहताश ने पूछा।
“चार पूछ ले, उसपर कौन सा जीएसटी लगने वाला है।”
“नैना और जयदीप हमें जॉयन नहीं करेंगे आज?”
“अड्डे पर पहुंचकर देखना करते हैं या नहीं करते।”
“मैं समझ गयी।” हनी बोली।
“क्या?”
“दोनों पहले से ही वहां मौजूद होंगे।”
“चलकर देखना, हैं या नहीं।”
“पांच मिनट कब पूरा होगा बेबी?” ऐना ने पूछा।
“बस हो गया समझो, मुश्किल से आधा किलामीटर और जाना है।”
“ऐसे सुनसान इलाके में कोई होटल तो नहीं हो सकता।”
“नहीं होटल नहीं है।”
“फिर?”
“एक बहुत पुरानी हवेली है, जिसकी डील बस दो दिन पहले ही फाईनल कर के हटा हूं। भीतर एक खूब बड़ा हॉल है, जहां की साफ सफाई की जा चुकी है और आने वाले दिनों में हवेली के बाकी हिस्सों को भी चमका दिया जायेगा। एकदम रोमांचित कर देने वाली जगह है, तुम सबको देखते ही पसंद आ जायेगी।”
“तू हमें अपनी ही किसी प्रॉपर्टी पर ले जा रहा है?” अरसद ने पूछा।
“और क्या इस वीराने में खेतों के बीच ले जाकर बैठा दूंगा?”
“वीराना! ओह माई गॉड - रोहताश एकदम से रोमांच से भर उठा - फर्स्ट टाईम जब देखा था तो मैं बस दस साल का था, क्या मूवी थी यार, होश फाख्ता हो गये थे, कुछ सींस तो ऐसे थे जिन्हें बैक टू बैक कई बार देख डाला था।”
“उंह, मुझे तो जरा भी डर नहीं लगा, हां हंसी बराबर आई थी - ऐना मुंह बिचकाती हुई बोली - फील ही नहीं हुआ कि कोई हॉरर मूवी देख रही हूं, बट कॉमेडी बराबर थी।”
“मैं डर लगने की बात नहीं कर रहा ऐना - रोहताश मुदित भाव से बोला - उसमें जो मस्त सी लड़की थी न उसे देखकर होश उड़ गये थे मेरे, जितनी बार देखता हूं बस देखता ही रह जाता हूं, क्या कमाल की लगती है।”
“अगर ऐसा है तो उसी को अपने साथ क्यों नहीं ले आया साले - हनी गुस्से से बोली - तुझे अपने लटके झटके दिखाकर बॉथटब में ले जाती, फिर लॉस्ट मूवमेंट पर जब अपना वीभत्स रूप दिखाती तो हॉर्टफेल हो जाता तेरा।”
“काश ला पाता - वह आहें भरता हुआ बोला - मगर जब फिल्म बनने के टाईम ही वह जवान थी तो अब तो बूढ़ी हो गयी होगी, ऊपर से सुना है कि कुछ फिल्में करने के बाद वह यूं गायब हो गयी कि किसी को ढूंढे नहीं मिली थी। इसके बावजूद अगर कहीं उसके होने का एहसास भी हो तो मैं उस जगह पर जाना जरूर चाहूंगा।”
“समझ लो आज तुम्हारी तमन्ना पूरी होने वाली है।” गाड़ी चलाता सैंडी हंसता हुआ बोला।
“मतलब?”
“सुना है जैस्मीन की मौत के बाद उसकी आत्मा आज भी उस हवेली में भटकती है, जहां वीराना फिल्म की शूटिंग हुई थी।”
“बकवास, उसकी मौत की पुष्टि आज तक नहीं हो पायी है।”
“कोई बात नहीं - सैंडी फिर हंसा - आज हो जायेगी।”
“कैसे?”
“बिग सरप्राईज ये है पापियों कि जिस हवेली में हम लोग जा रहे हैं। वीराना की शूटिंग उसी में हुई थी, बल्कि उस दौरान जिस तरह से इमारत को तैयार किया गया था, आज भी वैसी की वैसी ही पड़ी है।”
सुनकर सब हंस पड़े।
“इसके जैसा फेंकूचंद नहीं देखा मैंने - वाणी बोली - आज के जमाने की बात होती तो मैं एक बार को मान भी लेती कि प्रोड्युसर डाइरेक्ट अपनी यूनिट के साथ यहां आ गये होंगे, मगर उन दिनों तो मुम्बई के बाहर शायद ही कोई फिल्म शूट की जाती होगी। भूतिया तो बिल्कुल नहीं हो सकती थी, क्योंकि ऐसी फिल्मों को तब सी या डी ग्रेड माना जाता था, जो कि बेहद लो बजट हुआ करती थीं।”
“अगर ऐसा है तो फिर डरने की तो कोई बात नहीं है, है न वाणी?”
“बिल्कुल नहीं है, जब मैं अपने बाप से नहीं डरती तो भला किसी और से क्या डरूंगी?”
“इतनी बहादुर है तो रास्ते में चिल्लाने क्यों लगी थी?”
“वह तो अचानक कुछ देख लिया था इसलिए।”
“हम पहुंच गये पापियों।” कहते हुए सैंडी ने लेफ्ट टर्न मारा और गाड़ी को कच्चे रास्ते पर उतार दिया।
सामने एक खूब बड़ा हवेलीनुमा मकान था। जो पुराने जमाने के राजा महाराजाओं की रिहाईश का एहसास कराता था। मकान के चारों तरफ औसत से कहीं ज्यादा ऊंची बाउंड्री थी जो बारह-तेरह फीट से कम तो क्या रही होगी।
इमारत दो मंजिलों तक उठी थी। बीच में लोहे के सींकचों वाला एक फाटक लगा था, जो दूर से ही जंग खाया प्रतीत हो रहा था। हवेली के सामने की तरफ वह सड़क थी जहां से होकर वे लोग वहां पहुंचे थे, जबकि बाकी के तीनों तरफ या तो खेत थे, या फिर दूर दराज स्थित गांव।
“एक मस्ती भरी रात के लिए तैयार हो जाओ पापियों - सैंडी गाड़ी से उतरता हुआ जोर से बोला - इस हवेली में हम इतना इंजॉय करने वाले हैं जो आज से पहले कभी नहीं किया होगा। मां-बाप को भूल जाओ, पुलिस को भी जो अब तक दो बार हमारे आनंद में खलल डाल चुकी है। मगर आज ऐसा नहीं होगा, मुझे गारंटी है कि इस जगह की भनक भी नहीं लगने वाली किसी को।”
“इससे बढ़िया कोई प्रॉपर्टी नहीं मिली तुझे?” रोहताश ने पूछा।
“मेरे ख्याल से तो नहीं ही मिली होगी।” सैंडी की बजाये जवाब अरसद ने दिया।
“फर्निश्ड करवा लिया है न बेबी?” ऐना ने पूछा।
“नहीं, मगर जल्दी ही करा लूंगा।”
“यू मीन - वह बुझे स्वर में बोली - आज रात हम सब फर्श पर सोने वाले हैं?”
“तू यहां सोने आई है?”
“अरे कभी तो नींद मारनी ही पड़ेगी न, भले ही सुबह के वक्त।”
“टेंशन मत ले, थोड़ा बहुत इंतजाम तो मैंने कर ही रखा है। हां प्राईवेसी नहीं होगी, क्योंकि हम सबको एक ही हॉल में रहना होगा, मतलब समझ रही है न? हम जो भी करेंगे वह सबको दिखाई देगा, वैसे ही बाकियों के कारनामें भी हमारी निगाहों के सामने होंगे, जो कि नया एक्सपेरीमेंट होगा, क्योंकि आज से पहले हम पापियों ने एक ही कमरे में रात कभी नहीं गुजारी है।”
“ओह नो बेबी, तुम्हें क्या अच्छा लगेगा कि मेरी कमर का टैटू जो मैंने स्पेशली तुम्हारी लिए बनवाया है, उसका नजारा हर कोई करे?”
“हां लगेगा, क्योंकि बदले में दूसरे भी तो कुछ दिखा रहे होंगे। यानि हिसाब बराबर हो जायेगा।”
“अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं है - ऐना का स्वर एकदम धीमा पड़ गया - तो इट्स ओके बेबी।”
“ये हुई न बात, अब मुस्करा कर दिखा।”
जवाब में ऐना ने अपने होठों के कोरों को दायें बायें फैल जाने दिया।
“यहां का माहौल तो बहुत ही डरावना है यार।” हनी धीरे से बोली।
“डरावना हो या न हो, अजीब तो बराबर है। ऐसा लगता है जैसे सालों से इस जगह पर कोई रहा ही न हो। बट नो डाउट कि यहां हमें बहुत मजा आने वाला है।” वाणी बोली।
“तुम्हें डर तो नहीं लग रहा मिस वॉईस?” रोहताश ने पूछा।
“भूत प्रेतों से डर नहीं लगता मुझे, बट सांप बिच्छू तो हो ही सकते हैं अंदर। वो सब मेरे ऊपर चढ़कर गुदगुदी कर सकते हैं, और तुम तो जानते हो ऐसा मजाक मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है।”
“डोंट वरी स्वीट हॉर्ट - रोहताश उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ बोला - मैं हूं न, मेरे रहते तुम्हें किसी भी बात की परवाह करने की जरूरत नहीं है। अरसद अगर सांप बिच्छुओं को तुमसे परे न रख पाये, तो बिंदास मेरे पास चली आना।”
“साले कुछ तो शर्म कर ले।” अरसद थोड़ा गुस्से से बोला।
“लो इसमें शर्म जैसी क्या बात है, मैं इसका ख्याल रखने को ही तो कह रहा हूं, ट्रायल थोड़े ही मांग रहा हूं तेरी गर्लफ्रैंड से।”
“तू भीतर तो चल लौंडे - हनी दांत पीसती हुई बोली - तब मैं तुझे बताऊंगी कि अपनी गर्लफ्रैंड के सामने दूसरे की गर्लफ्रैंड पर निगाह रखने का अंजाम कितना भयानक हो सकता है।”
“प्लीज गुस्से में रेप मत कर देना इस बेचारे का - ऐना हंसती हुई बोली - वरना कल को कोई इसका हाथ थामने को तैयार नहीं होगा। जिसकी आबरू लुट चुकी हो भला उससे शादी करने को कौन आगे आता है।”
उस बात पर सब ने एक साथ ठहाका लगाया।
तब तक सैंडी लोहे का फाटक खोल चुका था।
“म्याऊं ऽ ऽ।” भीतर से कोई बिल्ली जोर से गुर्राई।
“तू मत आ पगली, हम आ रहे हैं।” अरसद हंसता हुआ बोला।
तत्पश्चात सैंडी वापिस इनोवा की ड्राईविंग सीट पर जा बैठा। गाड़ी को स्टार्ट करके उसने खुले फाटक से भीतर पहुंचाया, फिर नीचे उतर आया।
“अंधेरे में कैसे रहेंगे हम इस जगह पर?” ऐना ने पूछा।
“डोंट वरी स्वीट हॉर्ट, सारा इंतजाम कर के आया हूं मैं।” कहकर सैंडी ने डिक्की खोली तो भीतर एक पोर्टेबल जनरेटर रखा हुआ था, साथ में कुछ कॉर्टन बॉक्सेज भी, जिसे बाकी दोनों मर्दों ने उसके साथ मिलकर उतारना शुरू कर दिया।
“बिजली अंदर कैसे पहुंचेगी, या जनरेटर भीतर ले जाने वाले हैं हम?” रोहताश ने सवाल किया।
“नहीं जनरेटर भीतर गया तो इसकी आवाज ही हमारे मूड का सत्यानाश लगाकर रख देगी।”
“तो?”
“तो ये।” कहकर वह थोड़ा आगे गया, नीचे झुककर कुछ उठाया फिर उसे खींचता हुआ वापिस जनरेटर के पास लौट आया।
“ये तो इलैक्ट्रिक वॉयर है।”
“जैसे बहुत बड़ा राज जान गया तू - कहकर सैंडी ने उस तार को जनरेटर से निकले तारों के साथ जोड़कर यू गांठ लगा दिया कि दोनों के ज्वाइंट आपस में टच न होने पायें, फिर बोला - भीतर हॉल में कुछ बल्ब मैं पहले ही लगा चुका हूं, हां बाकी जगहों पर अभी रोशनी का इंतजाम नहीं है। मगर हमें रात क्योंकि हॉल में ही गुजारनी है इसलिए काम चल जायेगा।”
“स्टार्ट करूं?”
“हां कर दो।”
रोहताश ने फौरन उस काम को कर दिखाया।
“जयदीप और नैना क्या सच में आने वाले हैं?”
“हां बस पहुंचते ही होंगे।”
“एड्रेस तो मालूम है न उन्हें।”
“ऑफ कोर्स मालूम है यार। कल दिन में दोनों मेरे साथ ही थे। भीतर की साफ सफाई भी हम तीनों ने मिलकर की थी। चाहता तो घर से नौकरों को पकड़कर ला सकता था, मगर इसलिए नहीं लाया क्योंकि बाद में डैड की एक घुड़की पर उन लोगों ने सब बक देना था, जबकि मैं नहीं चाहता कि हमारे इस अड्डे की किसी को भी खबर लगे।”
तभी सब के सब किसी वाहन के हैडलाईट की रोशनी में नहा उठे।
“लो आ गये दोनों।”
कहता हुआ वह गेट से बाहर निकल आया।
मगर गाड़ी जब नजदीक पहुंची तो सैंडी ये देखकर हैरान रह गया कि वह जयदीप की सफारी नहीं थी, बल्कि एक बोलेरो थी। जो रुकी तो उसमें से निकल कर चार लोग बाहर आ खड़े हुए।
चारों ही उम्रदराज और देहाती दिखाई दे रहे थे।
सैंडी कुछ सकपका सा गया।
“कौन हो जी आप लोग?” बोलेरो से उतरे लोगों में से एक ने सवाल किया, जो बाकियों की अपेक्षा ना सिर्फ बढ़िया धोती कुर्ता पहने था, बल्कि सिर पर एक बड़ी सी पगड़ी भी लगा रखी थी।
“हम लोग कौन हैं? - सैंडी ने हड़बड़ाहट में उसी की कही बात दोहरा दी, फिर जल्दी से बोला - मेरा मतलब है इस प्रॉपर्टी के ऑनर हैं, और कौन होंगे?”
“आप सब लोग मालिक हो इस हवेली के?”
“नहीं मालिक मैं हूं, बाकी मेरे दोस्त हैं।”
“कब खरीदा?”
“आपसे मतलब?” सैंडी का स्वर अचानक ही थोड़ा रूखा हो उठा।
“नाराज मत हो बेटा, जवाब दे?”
“पहले ये बताइये कि आप कौन हैं?”
“पास में एक गांव है जी तिमारपुर, मैं वहां का मुखिया हूं। बाकी के लोग मेरे दोस्त हैं। सवाल इसलिए कर रहा हूं बेटा क्योंकि ये जगह कुछ ठीक नहीं है।”
“अच्छा, ऐसी क्या खराबी है इसमें?”
“सब खराब ही खराब है, कोई एक बात हो तो कहूं। इस इमारत को चंद्रशेखर महाराज ने बनवाया था, जो उन दिनों बड़े जमींदार हुआ करते थे इधर के। मगर पचास-साठ साल पहले किसी दुश्मन ने पूरे परिवार के साथ उन्हें खत्म कर दिया। उसके बाद ये हवेली सुनसान पड़ गयी। बीच बीच में कुछ सालों के अंतराल पर विदेश में रहता उनका भतीजा यहां दिखाई जरूर दे जाता है, मगर दिन में आता है और शाम ढलने से पहले ही निकल जाता है। आखिरी बार चार-पांच साल पहले आया था। तब से लेकर आज तक यहां कोई रहने नहीं आया। भतीजा भी जब आता है हवेली को बेच देने की कोशिशें करता है, मगर यह जगह इतनी मनहूस है कि कोई इसे खरीदने को तैयार ही नहीं होता।”
“जानकारी बहुत है आपको यहां के बारे में।”
“बचपन से ही मैं इस हवेली को देखता हुआ, इसके किस्से सुनता हुआ बड़ा हुआ हूं, इसलिए हवेली से संबंधित ऐसी कोई बात नहीं है जो मुझे पता न हो।”
“वह मेरे दादा जी थे।” सैंडी बोला।
“कौन?”
“चंद्रशेखर महाराज। और उनके जिस भतीजे की बात आप कर रहे हैं, वह अब वे विदेश में नहीं रहते, सालों पहले भारत लौट आये थे। उनका गुड़गांव में बहुत बड़ा कारोबार है, बहुत व्यस्त आदमी हैं इसलिए यहां आना नहीं हो पाता, मैं उन्हीं का छोटा बेटा हूं।”
“ओह, फिर तो हमारा राम-राम कबूल कीजिए। अपने पिता जी से कहिएगा कि हमारे गांव के लोग उन्हें बहुत याद करते हैं, कभी वक्त निकालकर दर्शन देने जरूर आयें।”
“मैं बोल दूंगा - सैंडी मुस्कराया - और कुछ कहना चाहते हैं?”
“कहना तो नहीं चाहिए बेटा, क्योंकि तुम लोग यहां रात को रुकने का मन बनाकर आये हो, मगर तुम्हें चेतावनी देना अपना फर्ज समझता हूं।”
“मैं समझा नहीं।”
“यह जगह अब रहने के लायक नहीं रह गयी है। तुम्हारे दादा जी और बाकी के लोगों के साथ यहां जो कुछ भी घटित हुआ था, उसके कारण ये हवेली शापित होकर रह गयी। जो कोई भी इसके भीतर जाता है लौटकर नहीं आता। हर तरफ भूत प्रेतों का बसेरा है, जो आधी रात के बाद उपद्रव मचाना शुरू कर देते हैं। गांव के बहुत से लोगों ने यहां प्रेतों को विचरते देखा है। हवेली के ऊपर जो घंटा लगा है उसके बजने की आवाज तो मैंने अपने कानों से सुनी है कई बार। इसलिए मेरी मानो तो अभी वापिस लौट जाओ, और किसी रोज दिन में आकर पहले यहां पूजा पाठ करा जाना उसके बाद ही कदम रखना इस हवेली में।”
“और कोई बात?” सैंडी ने उकताये मन से पूछा।
“ना जी और तो कुछ नहीं है।”
“ठीक है मैं आपकी सलाह पर गौर करूंगा, अब जाइये यहां से।”
“चले जाते हैं जी। आपको समझाना हमारा फर्ज था, इसलिए इधर रोशनी देखकर चले आये थे। बाकी आपकी मर्जी चाहे हमारी बात मानो या न मानो, जबरदस्ती थोड़े ही खदेड़ देंगे आपको यहां से।”
“बात ये है मुखिया जी कि मैं भूत प्रेतों पर यकीन नहीं करता, बल्कि कोई पापी नहीं करता।”
“आप पापी हो?” मुखिया को थोड़ी हैरानी हुई।
“सॉरी जुबान फिसल गयी, मेरे कहने का मतलब था कि कोई भी पढ़ा लिखा इंसान भूत प्रेतों की बात पर यकीन नहीं करता।”
“ना करो जी, उससे भूत प्रेत देश दुनियां छोड़कर भाग थोड़े ही जायेंगे।”
“मैं आपकी बात समझ गया, नाओ एक्सक्यूज मी।”
“बस एक आखिरी बात सुन लो।”
“बोलिये।” कहते हुए उसने एक गहरी सांस खींची और छोड़ दी।
“हवेली के भीतर रात में अगर कुछ अजीब दिखाई दे, या किसी को अपने आस-पास से गुजरता देखो, तो मुंह से आवाज मत निकालना, टोकना तो बिल्कुल भी नहीं, क्योंकि सुना है वही बात जान की दुश्मन बन जाती है।”
“मैं समझा नहीं।”
“वो तो कभी मेरे भी समझ में नहीं आया बेटा, क्योंकि हर किसी को यहां नई नई चीजें दिखाई देती हैं। जैसे कोई खूब बड़ी बिल्ली, कोई काले कपड़ों में लिपटी औरत या मुंह से आग उगलता मर्द, कराहती हुई आवाजें, दर्दनाक चींखें, सुना है यही सब सुनाई और दिखाई देता है यहां, और जो उन्हें टोक देता है उसी ठौर मार गिराया जाता है।”
“ठीक है मैं आपकी चेतावनी याद रखूंगा।”
“अच्छा करोगे।”
कहकर मुखिया अपने साथियों के साथ बोलेरो में सवार हो गया।
“मुझे इन बच्चों की चिंता हो रही है।”
“मरन दो जी - उसका साथी बोला - आपने अपना काम कर दिया। अब वो आपकी सुण ही ना रहे हैं तो क्या करोगे?”
“वो तो ठीक है यार, लेकिन सुबह सुबह जब छह लाशें बरामद होंगी तो क्या पुलिस सवाल पूछ पूछ के हम गांव वालों का जीणा मुहाल नहीं कर देगी?”
“हां ये तो है, मगर हम कर भी क्या सकते हैं मुखिया जी?”
“गल्ती हो गयी, उनको थोड़ा और डराना चाहिए था, तब शायद वापिस लौट जाते।”
“ना जी, वो ना जाने वाले। बड़े बाप की पढ़ी लिखीं औलादें हैं। भूत प्रेत पर यकीन ना करते होंगे। आप ज्यादा समझाण लाग जाते तो आप पर ही गुस्सा दिखाने लगते।”
“कोई रास्ता नहीं है?”
“पूछण लाग रहे हो, या बता रहे हो जी?”
“पूछ रहा हूं?”
“ना जी, हमारे तो समझ में ऐसा कोई रास्ता नहीं आ रहा।”
“पहले गांव चलते हैं फिर सोचेंगे।” मुखिया बोला।
“सोचने का वक्त कहां है जी, भूल गये आज रात हमें बाहर जाना है?”
“अरे हां मैं तो सच में भूल गया था।”
“तो फिर गोली मारो बच्चों को, जैसा करेंगे वैसा भुगतेंगे।”
“ठीक कहते हो, अपना किया धरा तो सबको भुगतणा ही पड़वे है।” पीछे बैठा एक शख्स बड़े ही गंभीर लहजे में बोला।
तत्पश्चात बोलेरो के भीतर सन्नाटा पसर गया।
“कौन लोग थे बेबी?” मुखिया के जाने के बाद सैंडी के करीब पहुंचती ऐना ने पूछा।
“पास के गांव का मुखिया अपने दोस्तों के साथ आया था।”
“क्या कह रहा था?”
“खामख्वाह डराने की कोशिश कर रहा था, गांव के गंवार लोग और कर भी क्या सकते हैं।”
“यू मीन घोस्ट के बारे में बता रहा था, वॉव!” ऐना ने जोर की किलकारी भरी।
“हाऊ रोमांटिक?” हनी ने जोड़ा।
“भूत! - अरसद बोला - यहां भूत घूमते हैं?”
“नहीं, मुखिया बता रहा था कि इस हवेली में एक पागल हाथी रहता है जो रात में लोगों का शिकार करता है। ये भी कहता था कि हाथी को कई बार उसने डिनर के बाद हवेली की छत पर टहलते देखा था। हद तो तब हो गयी जब मुझसे रिक्वेस्ट करने लगा कि अगर वह हाथी मुझे दिखाई दे जाये तो उससे कह दूं कि मुखिया उससे मिलना चाहता है, इसलिए पहली फुर्सत में उसके घर पहुंच जाये।”
उस बात पर सब एक साथ हंस पड़े।
“एक बात कहूं - रोहताश बोला - भले ही मुखिया की बातें बेसिर पैर की हैं, मगर अजीब तो मुझे भी लग रहा है ऐसी जगह पर रात गुजारने में, क्योंकि कीडे़ मकौड़े तो बराबर हो सकते हैं भीतर।”
“तो वापिस लौट जा।”
रोहताश ने आहत भरी निगाहों से उसकी तरफ देखा।
“अब जाता क्यों नहीं?”
“तू इतना गुस्सा क्यों हो रहा है?”
“और क्या करूं - सैंडी झल्लाकर बोला - पहले वो साला मुखिया का बच्चा दिमाग खराब कर गया अब तू कर रहा है। भूल गया हम पापियों की जिंदगी का मोटो क्या है?”
“सॉरी।”
“सॉरी नहीं बोलकर दिखा।”
“हम किसी से नहीं डरेंगे - रोहताश धीरे से बोला तो बाकियों ने भी उसके स्वर में स्वर मिलाया - मौत सामने खड़ी हो तो भी नहीं झुकेंगे। जो मन आयेगा करेंगे, कभी हार नहीं मानेंगे। ना रूकेंगे ना लौटेंगे, आखिरी सांस तक एंजॉय करेंगे। अपनी जिंदगी की हर एक बूंद का रस चूसेंगे। मौत आती हो तो आये परवाह नहीं, मंडली कायम रहेगी, लोग जायेंगे नये आयेंगे, सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।”
“सिलसिला यूं ही चलता रहेगा - सैंडी ने दोहराया - जैसे कि राहुल के बाद जयदीप आ गया, वैसे ही हमारे बाद कोई और आ जायेगा। मौत अटल है पापियों फिर उससे डरना कैसा, बोलो हम कभी नहीं डरेंगे।”
“हम कभी नहीं डरेंगे।” सब एक साथ बोल पड़े।
“ये हुई न बात, चलो अब भीतर चलते हैं।” कहकर वह गेट की तरफ बढ़ा ही था कि तभी जयदीप की सफारी वहां आ खड़ी हुई। नैना उसके साथ आगे की पैसेंजर सीट पर बैठी थी, जबकि गाड़ी का पिछला हिस्सा तरह तरह के सामानों से भरा पड़ा था।
“हम क्या महीना भर रुकने वाले हैं यहां?” हनी ने पूछा।
“लगातार नहीं, पहले की तरह बस वीकेंड पर आया करेंगे, इसलिए सामान जरूरी था, वापसी में हम सबकुछ यहीं छोड़ जायेंगे, ताकि कोई नया सामान याद आ जाये तो अगले फेरे में साथ ला सकें।”
उसके बाद कोई कुछ नहीं बोला।
बाउंड्री गेट के सामने करीब बीस फीट की दूरी पर सीढ़ीनुमा पांच स्टैप बने हुए थे, जिसके बाद एक दस बाई दस का प्लेटफॉर्म था। और आगे लकड़ी का दरवाजा, जो कि एक ऐसे हॉल में खुलता था जो सैकड़ों फीट की गोलाई लिए हुए था। उसमें कई दरवाजे दिखाई दे रहे थे जो कि हॉल वाले गेट की तरह ही ठोस लकड़ी के बने हुए थे।
पहली मंजिल पर गोलाकार रेलिंग बनी हुई थी, जो उतनी ही जगह में थी जितने के नीचे ग्राउंड फ्लोर पर कमरे बने हुए थे। वही हाल दूसरी मंजिल का भी था। फिर सबसे ऊपर छत के बीचों बीच करीब दस फीट का गोलाकार हिस्सा खाली पड़ा था, जिसके एक खूब बड़ी छतरी का अभास हो रहा था, जिसे पिलर्स देकर खड़ा किया गया था। दीवारें वहां नहीं थीं इसलिए दिन के वक्त हॉल पूरी तरह रोशन ही रहता होगा।
छतरी के नीचे एक घंटा लटक रहा था और वहां से लेकर नीचे फर्श तक पूरी की पूरी जगह खाली पड़ी थी, छतरी का इंतजाम शायद इसलिए किया गया था ताकि बारिश के पानी को नीचे पहुंचने से रोका जा सके।
हॉल रोशन था इसलिए सामान वहां पहुंचाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। जिनमें कॉर्टन, म्युजिक सिस्टम, मैट्रेस, ठोस प्लास्टिक के कुछ बड़े टुकड़े जो पोर्टेबल डांसिंग फ्लोर का हिस्सा थे।
और भी जाने क्या क्या।
फर्श का प्लास्टर कई जगहों पर उधड़ सा गया था मगर हवेली की हालत को देखते हुए तो यही कहना बेहतर होगा कि अभी भी बढ़िया कंडीशन में था।
चार सिंगल मैट्रेस फर्श पर बिछा दिये गये। उसके बाद सब ने मिलकर डांसिंग फ्लोर के टुकड़ों को आपस में जोड़ा और उसे हॉल के बीचों बीच, छतरी के ठीक नीचे रख दिया। अब वहां नाचने के लिए करीब दस बाई दस का एक बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार हो चुका था।
तत्पश्चात चारों वहां बिछे गद्दों पर एक दूसरे के ऊपर यूं पसर गये कि किसकी टांग पर किसका सिर रखा था, इसका पता बहुत ध्यान से देखने के बाद ही लग सकता था।
आज कोई पहली बार ऐसा नहीं हुआ था जब वे लोग घर से दूर कहीं इकट्ठे हुए हों, बल्कि हर शनिवार उनका यही शगल था। अलबत्ता आज जैसी उजाड़ जगह पर पहले कभी रात नहीं बिताई थी।
मंडली में बस जयदीप ही था जिसने सबसे बाद जॉयन किया था। उसे पापी मंडली में लेकर आने वाली नैना थी, जिसका ब्वॉयफ्रैंड राहुल होटल ‘रॉयल ब्यूटी’ की पॉर्टी के दौरान गायब हो गया था।
बाद में जब जयदीप नैना का ब्वॉयफ्रैंड बना तो पापी मंडली का हिस्सा बनते भी देर नहीं लगी। उन आठ दोस्तों के बीच एक वही ऐसा था जिसकी हैसियत बाकियों से बहुत कमतर थी, मगर मजाल क्या जो कभी किसी ने जयदीप को उस बात का एहसास तक होने दिया हो।
खर्च करने के लिए पैसों की उनमें से किसी के पास कोई कमी नहीं थी, इसलिए जयदीप को कभी पल्ले से कुछ लगाना ही नहीं पड़ता था। वैसे भी ज्यादातर पार्टिंयों का खर्चा सैंडी बिना कहे खुद उठा ले जाता था। इसलिए पापी मंडली का वह सबसे ताकतवर या यूं कह लें कि दबदबे वाला सदस्य था।
“जश्न मनाओ पापियों, कब तक यूं पसरे रहोगे? - रोहताश सरदाना जोर से बोला - नींद ही मारनी होती तो क्या घर का बेडरूम काट रहा था हमें?”
“ठीक है शुरूआत चिलम से करते हैं।”
“डन - सैंडी बोला - बट नीट।”
“ओह नो।” वाणी ने मुंह बिचकाया।
“समझने की कोशिश कर, आधी रात से पहले नशा करना अफोर्ड नहीं कर सकते हम।”
“ओके नीट।”
रोहताश ने सबके लिए सिगरेट सुलगाकर दिखाया।
“दम मारो दम मिट जाये गम...
वाणी ने पहले ही कश के साथ गुनगुनाना शुरू कर दिया।
“बोलो सुबह शाम - हनी ने जोड़ा - मेरा सिगरेट मेरा दाम...
“मेरा सैंडी मेरा काम...
“मेरी ऐना मेरी जान...” अरसद बोला।
“साले - सैंडी ने हंसते हुए उसके सिर पर एक चपत जमा दी - पहले ही कश में होश खो बैठा। भूल गया कि ऐना तेरी नहीं मेरी जान है?”
“ओके करेक्शन कर के बोलता हूं - कहकर वह हंसता हुआ बोला - मेरी हनी मेरी जान..., मेरी हनी मेरी जान...
“गोली मार दूंगी बहन चो...” वाणी दिखावटी गुस्से से बोली - जो मेरे अलावा किसी और को अपनी जान बताया।”
“अरे हनी से मेरा मतलब रोहताश वाली हनी से नहीं था, उस हनी से था जो मेरी हनी है, और मेरी हनी तो मेरी जान ही है न?”
“बात को घुमाने की कोशिश मत कर लौंडे मैं खूब समझती हूं।”
“जैसे मैं नहीं समझता।”
“मतलब?”
“मुझे पता है कि परसों रात तू सैंडी के साथ होटल गयी थी।”
“वॉट?”
हॉल में एकदम से सन्नाटा छा गया। सब हैरानी से अरसद की शक्ल देखने लगे।
“लगता है घर से ही नशा कर के आया है साला, इसलिए होश ही नहीं है कि क्या बक रहा है।” वाणी हड़बड़ाकर बोली।
“ये क्या कह रहा है बेबी?” ऐना ने यूं सैंडी से पूछा जैसे अभी रो पड़ेगी।
“क्या कह रहा है?”
“तुम और वाणी होटल गये थे?”
“ऐसा कहा इसने?”
“हां मैंने अपनी आंखों से सुना है, बाकी भी कहीं न कहीं से तो सुन ही चुके होंगे।”
“कान के जड़ में एक खींच कर दे बास्टर्ड को, अभी होश में आ जायेगा।”
“पक्का?”
“एकदम पक्का।”
सुनकर ऐना ने थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि अरसद जल्दी से बोल पड़ा, “मारना नहीं प्लीज, मुझे वैसे ही होश आ गया है।”
“श्योर?”
“डैड श्योर।”
“अब बोलो क्या कह रहे थे?”
“मजाक कर रहा था सॉरी।” कहकर उसने दांत चियार दिये।
“ओह माई गॉड - वाणी ने जोर की सिसकारी भरी - तू मजाक कर रहा था और मैं ये सोचकर डर गयी कि तूने सच में हम दोनों को वहां देख लिया था।”
उस बात पर सबने जोर का ठहाका लगाया।
“म्युजिक के बिना मजा नहीं आ रहा पापियों।” नैना बोली।
“बजा सकते हैं, मगर ज्यादा लाउड नहीं वरना पूरा गांव ये जानने के लिए यहां उमड़ पड़ेगा कि आखिर रात के वक्त इस हवेली में हो क्या रहा था।”
“ठीक है धीमी आवाज में बजा देती हूं क्या सुनोगे तुम लोग?” कहकर नैना ने उठकर म्युजिक सिस्टम ऑन किया, फिर वापिस आकर जयदीप की गोद में पसर गयी। बाकी का काम उनमें से कोई अपने मोबाईल के जरिये बखूबी कर सकता था।
“लैला मैं लैला - अरसद बोला - अगर गर्ल्स में से कोई डांस करने को तैयार हो जाये।”
“मुझसे नहीं हो पायेगा।” नैना।
“मेरा भी मन नहीं हो रहा।” वाणी।
“ओके मैं करती हूं, बट साथ देना होगा।” कहकर हनी उठ खड़ी हुई।
अगले ही पल म्यूजिक बज उठा, हनी उसकी धुन पर थिरकने लगी। सब बीच बीच में लैला लैला, ओ मेरी लैला, कहकर उसका हौसला बढ़ाने लगे।
तभी रोहताश उठकर उसके करीब चला गया।
‘तुम आ गये हो - वह उसके गालों पर हाथ फिराती हुई म्युजिक की लय में गुनगुनाई - यकीं कैसे आये, दिल कह रहा है तुम्हें छू के देखूं।’
ओ लैला ऽ ऽ ऽ....
लैला....लैला...लैला....
सब एक साथ चिल्लाने लगे।
थोड़ी देर बाद गाना खत्म होते ही वह सिलसिला रुक गया।
“कैसा किया मैंने?” हनी ने पूछा।
“एकदम कमाल, बल्कि तू जो भी करती है वह कमाल ही होता है।”
“एक और हो जाये।” अरसद बोला।
“आई हैव नो प्रॉब्लम पापियों - हनी मुस्कराती हुई बोली - फुल चार्ज हूं मैं, जितना मर्जी मुजरा करा लो।”
“इस बार सांग कौन सा होगा?” अरसद ने पूछा।
“बीड़ी।”
“ओके बीड़ी - रोहताश बोला - इस सांग पर तो ये आग ही लगा देती है।” कहकर उसने गाना प्ले कर दिया।
ना गिलाफ़, ना लिहाफ़, ठंडी हवा भी खिलाफ, ससुरी...
इत्ती सर्दी है किसी का लिहाफ लई ले.....
सब उठकर ठुमकने लगे।
‘बीड़ी जलाई ले जिगर से पिया, जिगर मा बड़ी आग है....
आग है, आग है, आग है...
सब जोर जोर से चिल्लाने लगे।
रात ग्यारह बजे तक यही सब चलता रहा।
“अब डिनर कर लिया जाये? - इस बार म्यूजिक बंद होने के बाद जयदीप ने धीरे से पूछा - वरना खाना ठंडा हो जायेगा, क्योंकि नौ बजे का पैक हुआ पड़ा है।”
सबने उस बात पर सहमति जताई, फिर ड्रिंक और डिनर का दौर शुरू हो गया जो कि रात साढ़े ग्यारह बजे तक चला। अलबत्ता ड्रिंक भी उन लोगों ने बस इतना ही किया जिससे नशा न होने पाये।
खाना खा चुकने के बाद नैना ने नये सिरे से सबके लिए स्मॉल पैग तैयार किये, सबने एक साथ चियर्स बोला फिर सैंडी अपना जाम हाथ में लिए उठा और जाकर डांसिंग फ्लोर पर खड़ा हो गया।
“अटैंशन टू मी पापियों, अब मिड नाईट को वैल्कम कहने का वक्त बस आने ही वाला है। वह मिडनाईट जो हम पापियों के लिए बहुत ही खास होती है। क्योंकि रात बारह बजे हमारी अनोखी जिंदगी का अनोखा अध्याय शुरू होता है। ऐसा अध्याय जो हमेशा से हमारी पार्टी की जान रहा है। और इससे पहले कि बारह बज जायें, हमें कुछ तय करना होगा, जरा बताओ तो किस बारे में?”
“गेम ऑफ डेथ।”
कहते हुए सब ने अपना अपना जाम ऊंचा उठाया और यूं चहक कर दिखाया जैसे गेम खेलने की बात सुनकर खुशी से बावले हुए जा रहे हों। जबकि वैसा वे लोग अपनी हर पार्टी में किया करते थे। ये अलग बात थी कि ट्रेडिशनल गेम खेलना उन्हें पसंद नहीं था। हर बार उनमें कोई एक जना नया गेम तैयार करता था, फिर उसके रूल्स बनाये जाते थे, साथ ही हारने वाले के लिए एक खास सजा भी मुकर्रर की जाती थी।
जैसे कि लॉस्ट वीक जब सैंडी हारा था तो उसे सजा के रूप में पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़नी पड़ी थी। उससे पहले रोहताश को एक दुकान का शटर तोड़कर सिगरेट के पैकेट चुराने पड़े थे।
ये अलग बात थी कि हारने वाले को अकेला कभी नहीं छोड़ा जाता था। रहते सब उसके साथ ही थे, बस फर्क ये था कि उसकी कोई मदद नहीं करते थे।
ऐसे में किसी वजह से गिरफ्तारी की नौबत आ जाती तो सब एक साथ जेल पहुंच जाते। मगर उन्हें ऐसी बातों की खाक परवाह थी? गजब की दोस्ती थी उनके बीच, और गजब की जिंदगी वे लोग जीते आ रहे थे। और सबसे खास बात ये थी कि सब के सब अपनी जुबान के पक्के थे।
“बोलो पापियों - सैंडी चिल्लाकर बोला - इस बार गेम कौन तैयार करेगा? उसके रूल्स कौन बनायेगा? है किसी के दिमाग में कोई नया आइडिया, जो हमारी इस रात को रोमांच से भर दे? मगर इतना ध्यान रखना कि गेम चाहे जैसा हो सजा ऐसी होनी चाहिए जिसके लिए यहां से बाहर जाना जरूरी न हो, हो भी तो बहुत दूर न जाना पड़े क्योंकि बारिश शुरू हो चुकी है, और आंधी तो पहले से ही चल रही थी। ऐसे मौसम में अगर शहर तक जाना पड़ा तो सिवाय वक्त की बर्बादी के और कुछ हाथ नहीं लगेगा। हां अगर बाकी लोग मेरी सोच से इत्तेफाक न रखते हों तो और बात है।”
“हमें मंजूर है।” सब एक साथ बोले।
“गुड अब जल्दी से अपने अपने आइडियाज बाहर लाओ पापियों ताकि बारह बजने से पहले हम सबकुछ तय कर सकें। नाकामयाब रहे तो डोंट वरी, मैंने पहले से ही कुछ सोच रखा है।”
सन्नाटा छा गया।
दो मिनट बाद।
“किसी के पास कोई आइडिया नहीं है?” सैंडी ने पूछा।
“वेट करो मैं सोच रही हूं।” ऐना बोली।
“ओके स्वीट हॉर्ट जी भर कर सोच लो।”
तत्पश्चात फिर से वहां सन्नाटा छा गया, यूं जब पांच मिनट और गुजर गये तो सैंडी बोल पड़ा, “बस अब अपने दिमाग पर जोर देना बंद कर दो क्योंकि वक्त नहीं है हमारे पास। तुम लोग फेल हो गये इसलिए हम वो गेम खेलेंगे जिसके बारे में मैंने कल दिन में ही सोच लिया था, बल्कि इंतजाम भी कर के आया हूं।”
“क्या?”
“गेम मामूली है लेकिन सजा इंट्रेस्टिंग है।”
“अब कुछ बोलेगा पापी।”
“गेम ये है कि हम छतरी में लटके घंटे के साथ या उसके किसी पिलर के साथ नीचे तक पहुंचती एक रस्सी बांध देंगे, आगे हम सबको उस रस्सी के सहारे छत तक पहुंचना होगा, जो पहुंच गया वह विजेता, जो नहीं पहुंच सका वह हार जायेगा।”
“ऐसे तो हारने वालों की संख्या एक से ज्यादा भी हो सकती है?”
“हो सकती है, उन हालात में हम उसे हारा हुआ मान लेंगे जो सबसे कम ऊंचाई तक पहुंचकर वापिस लौट आयेगा।”
“उंह ये भी कोई गेम है?” नैना मुंह बिचका कर बोली।
“बराबर है, तुम्हें क्या लगता है रस्सी के जरिये छत तक पहुंचना कोई आसान काम है, होने को ये भी हो सकता है कि हममें से एक भी न जा पाये। या ऊपर तक पहुंचकर उसका बैलेंस बिगड़े और वह नीचे आ गिरे, मतलब कि मौत। एकदम जान जोखिम में डालने वाला काम है। मगर हम पापी करेंगे क्योंकि हम किसी भी बात से नहीं डरते।”
“साले ये तू गेम बना रहा है या मरवाने पर तुला है सबको?” वाणी झुंझला सी उठी।
“नहीं खेलना तो क्विट कर सकती है।”
“क्यों, मैं क्या किसी से कम हूं?”
“नहीं है तो मीन मेख क्यों निकाल रही है?”
“मुझे पसंद है - अरसद बोला - मेरी तरफ से ओके।”
“मैं भी सैंडी के साथ हूं - ऐना बोली - जो होगा देखा जायेगा।”
इसी तरह बारी बारी से सब ने हामी भर दी, सिवाय जयदीप के जो अभी भी खामोश बैठा उनकी बातें सुन रहा था।
“तू भी तो कुछ बोल पापी?” सैंडी ने पूछा।
“अगर नैना को मंजूर है तो मुझे भी है।”
“क्या कहने तेरे, जैसे ये अभी जान देने पर उतारू हो जाये तो तू भी इसके साथ दे देगा।”
“तेरे मुंह में खाक।” नैना बोली।
“दे दूंगा, इसके बिना भला जीकर भी क्या करूंगा मैं?”
“ओह बेबी, ओ माई स्वीट हॉर्ट - नैना ने तुरंत जयदीप को अपनी बाहों में खींच लिया - इतना प्यार करते हो मुझे?”
“हां करता हूं।”
“बंद करो ये लैला मजनू के डॉयलाग।” सैंडी हंसता हुआ बोला।
“जो हारेगा उसकी सजा क्या होगी?” रोहताश ने पूछा।
“डांस, वह भी बिना कपड़ों के।”
“तुम्हारा मतलब है न्यूड डांस बेबी?” ऐना ने पूछा।
“हां यही मतलब है मेरा।”
“ओह गॉड, यहां सब वो देख लेंगे जो मैं आज तक बस तुम्हें दिखाती आ रही हूं, ये बात क्या तुम्हें अच्छी लगेगी?”
“हारने की जरूरत ही क्या है?”
“मर्दों की भी यही सजा होगी न?” हनी ने पूछा।
“ऑफकोर्स होगी।”
“फिर तो पक्का मजा आयेगा, लड़कियों का न्यूड डांस तो मैं फिल्मों में भी देख चुकी हूं मगर किसी मर्द को नंगा होकर नाचते आज तक नहीं देखा - कहकर उसने अरसद की तरफ देखा - प्लीज बेबी तुम मेरी खातिर हार जाना, बोलो हार जाओगे न?”
“मुझे तो लगता है तुम्हीं हार जाओगी, कोई मजाक है पचास-साठ फीट की ऊंचाई रस्सी के सहारे चढ़ना।”
“नो वे, मैं यहां किसी को कुछ नहीं दिखाने वाली, लेकिन जब तुम हार जाओगे स्वीटहॉर्ट तो मुझे बहुत मजा आयेगा, तुम क्या मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते?”
“शर्म कर लो।”
“कर के ही बोल रही हूं, वरना ये नहीं कहती कि जब तुम बिना कपड़ों के अपनी कमर लचकाओगे तो मैं पीछे से चपत मारना शुरू कर दूंगी, ये कहकर कि ‘नाच बसंते नाच’, इधर चपत उधर आह! फिर चपत फिर से आह! और उसके बाद....
सुनकर सब ने जोर का ठहाका लगाया।
तत्पश्चात वहां रखा एक बड़ा सा कार्टन खोला गया, जिसमें खूब लंबी और करीब एक इंच मोटे ब्यास वाली रस्सी रखी हुई थी।
सैंडी और रोहताश उसे लेकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गये। मगर जब ऊपर पहुंचे तो पाया कि छत वाले दरवाजे को ताला लगा हुआ था।
“अब क्या करें?” रोहताश ने पूछा।
“यहीं रुक मैं अभी आता हूं।” कहकर वह तेजी से सीढ़ियां उतरता चला गया। फिर दो मिनट बाद जब वापिस लौटा तो उसके हाथ में पिस्टल थमी हुई थी।
अगले ही पल उसने गोली चलाकर ताला तोड़ दिया।
पूरी छत अंधेरे में डूबी हुई थी, जो इतना घना था कि हॉल के ऊपर की छतरी तक नहीं दिखाई दे रही थी। ऊपर से बूंदा बांदी भी हो रही थी जिसके कारण हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहा था।
रोहताश ने मोबाईल का टार्च जला लिया।
आगे छतरी के करीब पहुंचकर उन लोगों ने पाया कि वहां छोटे छोटे पत्थरों को जोड़कर करीब तीन फीट ऊंची और गोलाकार रेलिंग बनाई गयी थी, जिसके ऊपर चार पिलर्स खड़े कर के छतरी की ढलाई कर दी गयी थी।
सैंडी ने वहां लटकते घंटे के कुंडे में रस्सी फंसाने की कोशिश की तो पाया वह बीच में होने के कारण चारों तरफ से इतना दूर था कि वहां तक पहुंचना मुमकिन नहीं था।
आखिरकार उसने रस्सी को वहां मौजूद चारों पिलर्स में से एक के साथ कई बार लपेटा और कसकर दो-तीन गांठे लगा दीं। फिर उसे जोर से अपनी तरफ खींचकर देखा और छोड़ दिया।
“मैं इधर से ही नीचे जा रहा हूं - वह रोहताश से बोला - तू सीढ़ियों के रास्ते पहुंच।”
कहकर उसने अपने जूते उतारकर नीचे हॉल में फेंक दिये, जो कि सीधा डांसिंग फ्लोर के ऊपर जाकर गिरे। फिर रस्सी में जगह-जगह बंधी गांठों में से एक पर दायें पैर का पंजा रखा और अंगूठे में उसे दबा लिया, और एक के बाद एक गांठों पर पांव टिकाता तेजी से नीचे उतरने लगा।
हॉल में पहुंचने तक उसे तीन से चार मिनटों का वक्त लग गया मगर कोई समस्या आड़े नहीं आई।
“रस्सी खूब मजबूत है पापियों इसलिए टूटने का कोई खतरा नहीं है - नीचे पहुंचकर वह बोला - हम बेझिझक इसके सहारे छत तक पहुंचने की कोशिश कर सकते हैं। सबसे पहले जो ऊपर जायेगा वह वहीं रुका रहेगा, तब तक जब तक कि गेम खत्म नहीं हो जाता, और बाकी लोग यहां रस्सी के इर्द गिर्द खड़े रहेंगे ताकि कोई फिसलता हुआ नीचे गिरने लगे तो उसे कैच किया जा सके।”
सबने मुंडी हिलाकर उस बात पर सहमति जता दी।
ठीक बारह बजे उस अजीबो गरीब खेल की शुरूआत हुई। एक एक कर के सब लोग अपनी किस्मत आजमाने लगे। आधे घंटे के भीतर चारों मर्द ऊपर पहुंच गये, जिनमें से रोहताश वहीं रुक गया, जबकि बाकी तीनों नीचे लौट आये।
तत्पश्चात वाणी ने ऊपर पहुंचने में पूरे पंद्रह मिनट लगा दिये, मगर पहुंच गयी। ऐना बारह मिनट में जबकि नैना ने दूसरी मंजिल के लेबल तक पहुंचकर हार मान ली और धीरे धीरे सरकती हुई नीचे वापिस लौट आई। मगर हनी की तो जैसे किस्मत ही खराब थी। वह अभी पहली मंजिल तक भी नहीं पहुंच पाई थी कि रस्सी के गांठ से उसका पांव फिसला, दोनों पैर हवा में, और हाथ पूरी कोशिशों के बावजूद नीचे को सरकने लगे। उसके मुंह से न चाहते हुए भी दिल दहला देने वाली चीख निकल गयी।
“पांव को रस्सी पर टिका हनी।” ऊपर से रोहताश और नीचे से सैंडी एक साथ चिल्लाये। लड़की ने कोशिश भी की मगर खुद को रस्सी के सहारे स्थिर नहीं कर पाई। तब सैंडी ने तेजी से ऊपर चढ़ना शुरू किया, और एक हाथ से उसके दांये पैर को पकड़कर अपने कंधे पर टिका दिये, फिर वैसा ही हनी के बायें पैर के साथ भी किया।
“अब मैं नीचे उतर रहा हूं - वह जोर से बोला - मेरे कंधे पर बैलेंस बनाये धीरे धीरे तू भी उतरना शुरू कर दे।”
दो मिनट के भीतर सैंडी के पैर फर्श से जा लगे, तब उसने हनी को कमर से पकड़ा और नीचे उतार लिया।
“ओह माई गॉड - वह हांफती हुई बोली - मुझे तो लगा आज हाथ पांव टूट कर रहेंगे।” कहकर वह अपनी हथेलियां देखने लगी जो हल्की सी छिल गयी थीं।
तभी छत पर खड़े रोहताश ने रस्सी खोल दी।
“तू फिसल कैसे गयी?”
“पता नहीं, अचानक ही चक्कर से महसूस होने लगे थे।”
“खैर अब हमारे पास तेरे लिए एक बुरी खबर है।”
“क्या?”
“तू हार गयी बेबी - नीचे पहुंचता रोहताश इस बात का अफसोस जताने की बजाये कि अब उसकी गर्लफ्रैंड को न्यूड डांस करना पड़ेगा, हंसता हुआ बोला - अब तुझे इन लोगों को वो सबकुछ दिखाना पड़ेगा जो आज तक सिर्फ मैं देखता आया हूं।”
“मुझे चक्कर आ गये थे यार, इसलिए फिसल गयी, वन मोर चांस प्लीज।”
“नो, जिंदगी किसी को दूसरा मौका नहीं देती। अब रूल्स के मुताबिक सजा तो तुम्हें भुगतनी ही पड़ेगी।” सैंडी बोला।
“ओह नो।”
“मंजूर नहीं था तो रूल्स बताने पर मना कर देना चाहिए था।”
“मेरी हालत ठीक नहीं है पापियों, ऐसे में डांस तो क्या कर पाऊंगी। बट मैं वादा करती हूं कल सुबह तुम सबकी मुराद पूरी कर दूंगी।”
“तुम जानती हो कि हम पापियों के बीच ऐसे बहाने नहीं चलने वाले।”
“अरे मैं मना थोड़े ही कर रही हूं।”
“तो भी हमारा जवाब इंकार में ही है।”
“ठीक है जब नहीं मान रहे तुम लोग तो और कर भी क्या सकती हूं।”
“क्या ठीक है?”
“जाती हूं पापियों, इंजॉय करो, आज ये हनी तुम लोगों को ऐसे जलवे दिखायेगी, जिसे देखकर तुम सबके होश उड़ जायेंगे।”
“हंसकर, खुश होकर।”
“और क्या रोकर करूंगी? डोंट वरी गाईज, आई डोंट माईंड कि यहां कौन कौन बैठा है, हां गर्ल्स सावधान हो जायें, कहीं उनके ब्वॉयफ्रैंड आज के बाद उन्हें छोड़कर हनी के दीवाने न हो जायें।”
“ये हुई न बात।” सब एक सुर में बोले।
“म्यूजिक।” डांस फ्लोर पर पहुंचकर वह बोली।
सैंडी ने मोबाईल के जरिये कोई विदेशी धुन प्ले कर दी, जो वह पहले से सोचे बैठा था। अलबत्ता बस धुन ही थी, सांग नहीं बज रहा था कोई।
लड़की ने नाचना शुरू करते के साथ ही अपनी जैकेट उतारी और गोल गोल घुमाकर मैट्रैस पर बैठे लोगों के ऊपर उछाल दिया। फिर म्युजिक की धुन पर उसने अपना टॉप उतारा और उसे भी जैकेट की तरह सामने की तरफ उछाल दिया।
उसी वक्त फड़फड़ाती हुई कोई चीज डांसिंग फ्लोर और मैट्रेस के बीच की खाली जगह में आ गिरी, गिर कर उठी और सामने की तरफ भागती चली गयी।
पल भर के लिए सब जैसे सन्नाटे में आ गये।
“क्या था वह?” हनी ने ऊपर की तरफ देखते हुए पूछा।
“मुझे तो कोई मुर्गा लगा था।” अरसद धीरे से बोला।
“यहां कैसे आ गिरा?”
“क्या पता?”
अभी वे लोग उस हैरानी से उबर भी नहीं पाये थे कि बारिश की बूंदें उनके शरीर को भिगोने लगीं। गीली और ठंडी मगर लाल...
खून का एहसास होते ही सबके मुंह से एक साथ चींख निकल गयी।
सब के सब हड़बड़ाकर उठे और अपने-अपने कपड़े झाड़ने लगे, जैसे हाथ मार मार कर खून के धब्बों को दूर झटक देंगे। ये अलग बात थी कि कामयाबी किसी को नहीं मिली, हां उस कोशिश में उनकी हथेलियां जरूर लाल हो गयीं।
“ये सब चल क्या रहा है यहां?” वाणी ने पूछा।
जवाब भला कौन देता, बाकियों का हाल क्या उससे जुदा था।
“सैंडी ये क्या तेरी शरारत है?” अरसद ने पूछा।
“पागल हुआ है, मैं तो खुद समझने की कोशिश कर रहा हूं।”
“इसमें समझने जैसा क्या है? साफ दिखाई दे रहा है कि कोई इस बिल्डिंग की छत से ऐसी चीजें यहां हॉल में फेंक रहा है। जरूर वह तेरा ही सिखाया पढ़ाया कोई बंदा होगा।”
“ये तो गलत बात है सैंडी, मुर्गे तक तो फिर भी ठीक था - नैना बोली - लेकिन यूं हमें भिगोना नहीं चाहिए था, यहां तो दूसरे कपड़े भी नहीं हैं हमारे पास।”
“मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है पापियों, और मैं ये भी नहीं जानता कि कौन साला छत पर खड़े होकर हमारी इंजॉयमेंट में बाधा डाल रहा है, लेकिन सबक जरूर सिखाऊंगा मैं उस कमीने को।” कहकर वह एक तरफ रखे अपने बैग की तरफ लपका।
तभी...
हॉल में घुप्प अंधेरा छा गया।
“ये क्या हुआ?” मैट्रेस पर बैठी लड़कियां मर्दों से लिपट गयीं, कौन किसके बॉय फ्रैंड के साथ लिपट रही थी इसका किसी को पता नहीं था। एक हनी ही थी जो अभी भी डांसिंग फ्लोर पर खड़ी थी।
“लगता है कोई मुझे न्यूड होने से बचाना चाहता है।” कहकर उसने जोर का ठहाका लगाया।
तब सबसे पहले सैंडी ने मोबाईल का टॉर्च ऑन किया, उसकी देखा देखी बाकियों ने भी किया, तत्पश्चात जयदीप उठता हुआ बोला, ‘जनरेटर में तेल खत्म हो गया होगा, मैं देखकर आता हूं।”
“जल्दी आना बेबी, मुझे तुम्हारी फिक्र रहेगी।” नैना बोली।
“बस अभी आया।” कहकर वह दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
हनी ने उतारे जा चुके कपड़े दोबारा पहनने की कोई कोशिश तो नहीं की मगर फ्लोर पर खड़ी भी नहीं रही। वह रोहताश के पास पहुंची और वहीं पड़ा सिगरेट का पैकेट उठाकर सुलगाने में जुट गयी।
“एक मुझे भी देना।” नैना बोली।
तब हनी ने एक की बजाये दो सिगरेट सुलगाये और एक उसे थमा दिया।
“ये तो बंद है।” जयदीप का स्वर उनके कानों में पड़ा।
“मैंने किया था, हैरान क्यों हो रहा है? - अरसद बोला - अब क्या नाड़ा खोलना भी मुझसे सीखेगा? - कहकर उसने नैना की तरफ देखा - कैसा बॉय फ्रैंड है यार तेरा?”
“तुझसे लाख दर्जे बेहतर।”
“बाहर से बंद है पापियों।”
सुनकर सबको जैसे सांप सूंघ गया।”
“पागल हो गया है साला - सैंडी उठता हुआ बोला - मैं देखकर आता हूं।”
“उसकी कोई बहन नहीं है सैंडी - नैना नाक से धुंआ उगलती हुई बोली - साला नहीं बना पाओगे।”
“और जीजा भी नहीं - वाणी हंसती हुई बोली - क्योंकि नैना तुम्हारी बहन नहीं है।”
सैंडी ने उनके कटाक्ष का जवाब देने की कोई कोशिश नहीं की। दरवाजे तक पहुंचकर जयदीप की तरह उसने भी थोड़ी जोर आजमाईश की फिर मान लिया कि किसी ने उसे बाहर से बंद कर दिया था।
“किसने किया होगा?” जयदीप फुसफुसाया।
“मुखिया ने।”
“कौन मुखिया?”
सैंडी ने बताया।
“उसे भला क्या हासिल होगा हमें यहां बंद कर के?”
“डराना चाहता है, अपने कहे को सच साबित कर के दिखाना चाहता होगा, और क्या बात हो सकती है?”
“अब बाकी लोगों से क्या कहें?”
“मैं कहता हूं - कहकर वह मैट्रेस के करीब पहुंचकर बोला - यहां एक छोटी सी प्रॉब्लम हो गयी है पापियों, जिसके कारण हमेंं मोबाईल की रोशनी से ही काम चलाना होगा।”
“रोशनी तक तो बात ठीक है - अरसद बोला - लेकिन बिना म्युजिक के हनी डांस कैसे करेगी?”
“तू बहुत मरा जा रहा है उसका डांस देखने को - वाणी गुस्से से बोली - ऐसा क्या छिपा रखा है उसने अपने कपड़ों के नीचे जो तेरी मां के पास नहीं होगा?”
“मां की बात मत कर यार वरना मुझे गुस्सा आ जायेगा?”
“क्यों, वह औरत नहीं है?”
“कहा न चुपकर।”
“साले तू होता कौन है मुझे चुप रहने को कहने वाला?”
“वाणी - ऐना बड़े ही प्यार से बोली - शांत हो जा, ये तेरा बॉय फ्रैंड है डियर।”
“ओह माई गॉड - वह एकदम से अरसद के साथ लिपट गयी - ये तुम हो बेबी?”
“नाटक मत कर यार - अरसद झल्ला सा उठा - फिर सैंडी की तरफ देखकर बोला - तुम्हें लगता है दरवाजा किसी ने बाहर से बंद कर दिया है?”
“नहीं बात बस इतनी है कि दरवाजे में एक छोटा सा लीवर लगा हुआ है, जिसको हटाना मैं भूल गया था, उसी कारण जब मैंने दरवाजा बंद किया तो वह लॉक हो गया।”
“कमाल है ऐसे इंतजामात अंदर की तरफ से तो देख रखे हैं मैंने, लेकिन बाहर से, ये तो हद ही हो गयी।”
“अब है तो है, क्या कर सकते हैं?”
“मैं देखता हूं।” कहकर रोहताश दरवाजे की तरफ बढ़ा तो वाणी और ऐना भी उठ खड़ी हुई, फिर उनकी देखा देखी अरसद भी आगे बढ़ गया। पीछे मैट्रेस पर बस हनी और नैना ही रह गयी थीं। और उस वक्त सबके मोबाईल का रूख क्योंकि दरवाजे की तरफ था इसलिए मैट्रेस वाली जगह पर पूरी तरह अंधेरा हो चुका था। हां बीच बीच में जब दोनों सिगरेट के कश खींचतीं तो थोड़ी सी रोशनी वहां जरूर फैल जाती थी।
“तुम्हारे पास चाबी नहीं है इसकी?” दरवाजे के करीब पहुंचकर रोहताश ने पूछा।
“नहीं है।”
“ये तो हद ही हो गयी यार, हम यहां इंजॉय करने आये हैं या अंधेरे में बंद रहने की सजा काटने?”
“सजा काटने आये हो मेरे बच्चों।” एक नया किंतु खरखराता हुआ स्वर गूंजा। फिर किसी ने जोर का ठहाका लगाया। इतना भयानक ठहाका जैसे साक्षात शैतान हंस रहा हो।
आठों बड़े ही हिम्मती नौजवान थे, मगर वह कहकहा उनके रोंगटे खड़े कर गया।
“कौन है?” सैंडी ने चिल्लाकर पूछा।
“मैं वो हूं बच्चों जिसकी सल्तनत में तुम लोग बिना इजाजत दाखिल हो गये हो। मगर अब बचकर बाहर वही निकल पायेगा, जिसे मैं जाने दूंगा। और वैसा खुशकिस्मत तुममें से बस सात लोग ही होंगे।”
कहकर वह एक बार फिर जोर जोर से हंसने लगा।
तत्तकाल मोबाईल की रोशनी हॉल में इधर उधर फेंकी जाने लगी।
मगर उनके अलावा वहां और कोई नहीं था। होता तो जरूर दिखाई दे जाता क्योंकि वह एकदम खुली जगह थी। कहीं कोई ऐसी चीज नहीं थी जिसके पीछे छिपा जा सके। हां कमरे बराबर थे, मगर उनके दरवाजे दूर से ही बंद दिखाई दे रहे थे।
“तुम जो कोई भी हो एक बात अच्छी तरह से जान लो कि ये प्रॉपर्टी अब हमारी है, इसलिए फौरन यहां से दफा हो जाओ वरना पुलिस को कॉल कर दूंगा।” अरसद गुस्से से बोला।
जवाब में इस बार पहले से ज्यादा भयानक ठहाका गूंजा।
“हंस क्यों रहा है साले? - रोहताश करीब करीब चिल्ला ही पड़ा - हिम्मत है तो सामने क्यों नहीं आ जाता?”
“जरूर आऊंगा मगर उससे पहले जरा अपने इस दोस्त से पूछो कि इसने मेरी हवेली कब खरीद ली? मैं बेच नहीं सकता क्योंकि बरसों पहले मेरी मौत हो गयी थी। मेरा भतीजा जो जिंदा है वह भी नहीं बेच सकता क्योंकि देश से बाहर है। फिर किससे खरीद ली ये हवेली? तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई मेरी सल्तनत में कदम रखने की?”
“ये क्या कह रहा है सैंडी?” अरसद ने पूछा।
“झूठ बोल रहा है।”
“या तू झूठ बोल रहा है हमसे?”
“पागल हो गया है, तुझे क्या मेरी औकात इतनी कम लगती है कि मैं इस हवेली को नहीं खरीद सकता?”
“नहीं तेरी औकात पर मुझे कोई शक नहीं, तू चाहे तो ऐसी दो दर्जन हवेलियां खरीद सकता है, मगर अभी बात बस इस हवेली की है, सच सच बता तूने इसे परचेज कर रखा है न?”
“हां कर रखा है।” वह बोला तो इस बार उसके लहजे में पहले जैसा जोर नहीं था।”
“खा मंडली की कसम।”
“अरे कहां की बात कहां पहुंचाये दे रहा है पापी, मान ले मैंने हवेली को नहीं भी खरीदा है, तो पचास साल पहले मर चुका उसका मालिक यहां भूत बनकर घूम रहा है, ये क्या कोई मानने वाली बात है?”
“उस बारे में हम बाद में सोचेंगे, पहले ये बता कि आज की तारीख में ये हवेली तेरी मिल्कियत है या नहीं?”
“नहीं है।” उसका सिर झुक गया।
“हे भगवान।” सबने एक साथ सिसकारी भरी।
“अगर नहीं खरीदा था बेबी तो तुम्हें यहां आने की क्या जरूरत थी?”
“कोई जरूरत नहीं थी, मैं आता भी नहीं। लेकिन कुछ दिनों पहले मेरे एक नौकर ने इस हवेली की कथा कहनी शुरू कर दी, और ऐसी ऐसी बातें बताईं जिनपर मैं यकीन नहीं कर सका, फिर इस इलाके में पहुंचकर मैंने जयदीप और नैना ने थोड़ी पूछताछ की तो पता लगा आस-पास के लोग इसे शापित समझते हैं इसलिए कोई इधर आता जाता भी नहीं है। ये भी पता लगा कि इसका मालिक विदेश में रहता है और ये जगह सालों से खाली पड़ी है। तभी हम तीनों ने मिलकर इसे अपनी ऐशगाह बनाने का फैसला कर लिया। और क्या पहली बार मैंने ऐसा कुछ किया है जो तुम सब चौंक कर दिखा रहे हो। क्या इससे पहले हम कहीं बड़े कारनामों को अंजाम नहीं दे चुके हैं, फिर इस बार हैरानी क्यों?”
“क्योंकि तूने बात छिपाई, और कोई वजह नहीं है।”
“ठीक है छिपाई, सॉरी।”
“इट्स ओके पापियों - रोहताश बोला - जो हो गया वो हो गया, आगे जो होगा सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे। इस सल्तनत के बादशाह को छठी का दूध न याद दिला दिया तो मैं पापी नहीं - कहकर वह गर्दन ऊपर कर के जोर से चिल्लाया - सामने आ हरामजादे, देखूं तो सही तू कितना बड़ा भूत है, मुझसे बड़ा तो क्या होगा।”
जवाब में फिर से कहकहा सुनाई दिया।
“हंस ले, क्योंकि जल्दी ही तुझे रोना पड़ जायेगा।”
उससे पहले तुम सब जरा अपने अरमान तो पूरे कर लो।”
“कौन से अरमान?”
“क्यों हनी का नंगा नाच नहीं देखोगे?”
तब पहली बार उनका ध्यान इस तरफ गया कि हनी उनके साथ नहीं थी। फिर दूर मैट्रेस की तरफ रोशनी फेंकी गयी जो वहां तक पहुंच तो नहीं सकी मगर नजारे का एहसास बराबर हो गया, जिसे देखकर सब जहां के तहां फ्रीज होकर रह गये।
नैना का आधा शरीर मैट्रेस के ऊपर था और आधा नंगे फर्श पर। और दूर से ही पता लग जाता था कि वह अपने होशो हवास में नहीं थी। मगर रोंगेटे खड़े कर देने वाला नजारा कुछ और था।
हनी का शरीर धीरे धीरे झूमता हुआ सा हवा में ऊपर उठता जा रहा था। यूं लग रहा था जैसे वह कोई प्रेतात्मा हो, या जैसे उसने उड़ने की तालीम हासिल कर ली हो।
“जाती हूं पापियों - हनी की आवाज सुनकर उनकी तंद्रा भंग हुई - इंजॉय करो, आज ये हनी तुम लोगों को ऐसे जलवे दिखायेगी, जिसे देखकर तुम सबके होश उड़ जायेंगे।”
“देखो, नाच देखो इस रंडी का - फिर वही अजनबी आवाज - नहीं रुको अब सिर्फ मैं देखूंगा, आज के बाद ये सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए नाचेगी, चल लड़की तुझे मेरे साथ प्रेत लोक में चलना है।”
आवाज सुनकर सब एक साथ तेजी से डांसिंग फ्लोर की तरफ दौड़े, मगर जब तक वहां पहुंच पाये हनी का शरीर दूसरी मंजिल के लेबल पर पहुंच चुका था, जिसका बस एहसास भर हो रहा था, साफ साफ कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।
सबने अपने मोबाईल का रूख ऊपर की तरफ कर दिया मगर किसी दूसरे शख्स के दर्शन उन्हें नहीं हुए। फिर मोबाईल की रोशनी ऊपर तक पहुंच भी तो नहीं रही थी।
हैरानी की बात थी कि वह चिल्लाई नहीं, किसी से बचाने को भी नहीं कहा, और जो कहा यूं कहा जैसे अपनी मर्जी से कहीं चली जा रही हो।
मारे बौखलाहट के सबका बुरा हाल हो उठा। भूत प्रेतों की बात पर यकीन करने वाले जीव नहीं थे, इसलिए ये बात अभी तक उनका मन कबूल नहीं कर पाया था कि वहां जो कुछ घटित हो रहा था, वह इंसानी कारनामा न होकर प्रेतलीला थी।
उसी वक्त सैंडी को सीढ़ियों का ध्यान आया, उसने झपटकर अपने बैग से रिवाल्वर निकाला और पूरी ताकत से उधर को दौड़ लगा दी। उसके पीछे-पीछे बाकी लोग भी दौड़ पड़े। किसी को इस बात का ध्यान ही नहीं रहा कि नैना वहां फर्श पर बेसुध पड़ी थी, या शायद मर चुकी थी।
सब छत पर पहुंचे, गन सामने ताने सैंडी सबसे आगे-आगे चल रहा था। हर तरफ भयानक अंधकार फैला हुआ था। मोबाईल की रोशनी बेशक उनके काम आ रही थी मगर पर्याप्त नहीं थी, उससे बस दस-पंद्रह फीट की दूरी तक ही देखा जा सकता था, जबकि छत सैकड़ों फीट लंबी चौड़ी थी।
हवा की रफ्तार अभी भी तेज थी। पेड़ों का चरमराना जारी था। हल्की बारिश भी हो रही थी, मगर सब के सब पहले से ही खून में भीगे पड़े थे इसलिए उस बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
छहों लोग छतरीनुमा गुंबद के पास पहुंचकर रुक गये।
“वह ज्यादा दूर नहीं गया होगा हनी को लेकर - सैंडी बोला - चलो ढूंढते हैं।”
“अरे ये भी तो पता लगे कि गया किधर से? दो मंजिलों से छलांग तो नहीं लगा दी होगी कमीने ने।”
“हर तरफ फैल जाओ, किसी भी तरह उसे ढूंढो प्लीज।” रोहताश भर्राये स्वर में बोला।
“डोंट वरी मिल जायेगी।” वाणी हौले से उसके कंधे पर हाथ रखती हुई बोली।
“अलग अलग होकर ढूंढते हैं, किसी को कुछ दिखाई दे तो आवाज लगा देगा, नहीं दिखे तो पांच मिनट बाद हम सब यहां वापिस लौट आयेंगे।” अरसद ने कहा।
तत्पश्चात सब छत पर बिखर गये। हनी को तलाशते आखिरी छोर तक हो आये, मगर वह कहीं नहीं दिखी, कोई और भी नहीं दिखा। जबकि इस बात के प्रति सब श्योर थे कि वहां से नीचे जाने का दूसरा कोई रास्ता नहीं था।
लड़की तो जैसे जादू के जोर से गायब हो गयी थी।
दस मिनट तक इधर-उधर भटकते रहने के बाद छहों दोस्त छतरी के पास वापिस लौट आये। उन लोगों ने एक दूसरे की तरफ देखा और इंकार में सिर हिला दिया।
“ये तो हद ही हो गयी - सैंडी झुंझलाकर बोला - ये कैसे मुमकिन है कि कोई हमारी आंखों के सामने हनी को उठा ले गया और हमें कोई अंदाजा तक नहीं है कि लेकर कहां गया?”
“जबरन ले जाई जाती भी तो नहीं दिखी - जयदीप बोला - वैसा होता तो आखिरी वक्त में हनी के मुंह से वह शब्द नहीं सुनाई दिये होते, जिन्हें सुनकर साफ साफ लगा था कि वह अपनी मर्जी से जा रही थी।”
“लगा बेशक कुछ ऐसा ही था, मगर इस बात में कोई शक नहीं कि वह जबरदस्ती ही यहां से ले जाई गयी है, अपनी मर्जी से भला जा भी कैसे सकती थी, उसे क्या हवा में उड़ना आता था?” रोहताश झुंझलाता हुआ बोला।
“नीचे कोई है पापियों।” अरसद गर्दन लटकाकर हॉल में झांकता हुआ बोला।
तत्काल सब नीचे देखने लगे।
अंधेरा तब भी था मगर उस अंधेरे में भी किसी के होने का एहसास बराबर हो रहा था। जैसे कोई राजा अपने सिंहासन पर बैठा हो, और उसके सामने एक नर्तिकी नाच रही हो। उन दोनों के इर्द गिर्द धुंध सी फैली हुई थी। मानों वह नृत्य बादलों के बीच चल रहा हो, अलबत्ता कोई आवाज ऊपर नहीं पहुंच रही थी।
“अब ये क्या बला है यार? - सैंडी झुंझलाकर बोला - हम तो हॉल को खाली छोड़कर आये थे।”
“नाचती दिखाई दे रही लड़की कहीं हनी तो नहीं है?” वाणी ने संभावना जाहिर की।
“मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा - ऐना धीरे से बोली - अगर वह सच में हनी है तो एक अजनबी के सामने नाच क्यों रही है? और वापिस नीचे कैसे पहुंच गयी? बल्कि जो कमीना कुर्सी पर बैठा है वह है कौन?”
“कहीं सच में ये सब प्रेतलीला ही तो नहीं है?” जयदीप जैसे खुद से बोला।
इस बार उस बात को काटने की कोशिश किसी ने नहीं की।
“चलकर पता लगाते हैं कि माजरा क्या है - रोहताश बोला - मगर इस बार हम कोई जल्दीबाजी नहीं दिखायेंगे, फूंक फूंक कर कदम रखेंगे।”
“मतलब?”
“चुपके से बिना कोई आहट किये नीचे पहुंचेंगे। फिर वहां चाहे जो कोई भी हो उसे धर दबोचेंगे, तब सारे राज खुद ब खुद बाहर आ जायेंगे।”
“ठीक है चलते हैं।” अरसद बोला।
“मेरे ख्याल से तो हममें से किसी को यहां छत पर रुकना चाहिए।” जयदीप ने अपनी राय व्यक्त की।
“वजह?”
“क्या पता फिर से कोई करतब करके वह हनी को वापिस छत पर ले आये। ऐसे में किसी की यहां मौजूदगी बहुत जरूरी है, कम से कम पता तो लगेगा कि साला कौन सा जादू कर रहा था?”
“तू खुद क्यों नहीं रुक जाता?” सैंडी ने पूछा।
“आई हैव नो प्रॉब्लम, ठीक है तुम लोग नीचे पहुंचो, मैं यहां से निगाह रखूंगा और कुछ दिखाई दिया तो आवाज लगाकर सावधान कर दूंगा।”
“तुम्हें डर तो नहीं लग रहा?” वाणी ने पूछा।
सुनकर जयदीप को झटका सा लगा, वैसा सवाल तो नैना को पूछना चाहिए था। उसने हड़बड़ाकर एक सरसरी निगाह वहां खड़े लोगों पर डाली फिर सवाल किया, “नैना कहां है पापियों?”
“नैना!” सब सकपका से गये।
“ओह नो - सैंडी के मुंह से सिसकारी सी निकल गयी - उसे तो हम हॉल में ही पड़ा छोड़ आये थे।” कहकर उसने सीढ़ियों के दरवाजे की तरफ दौड़ लगा दी।
“अपना ध्यान रखना।”
कहकर रोहताश सैंडी के पीछे भागा। फिर बाकी लोग भी उधर को ही दौड़ पड़े। मगर जिस तेजी से सैंडी दरवाजे तक पहुंचा था, उतनी ही तेजी से उसने अपने कदमों को ब्रेक भी लगा दिया।
आगे सब लोग बहुत सावधानी से बिना कोई आहट उत्पन्न किये सीढ़ियां उतरने लगे। उस स्थिति में उन्हें आम से ज्यादा समय लगना था, मगर वक्त की मांग यही थी कि नीचे पहुंचने की भनक किसी को भी न लगने दी जाये, ये अलग बात रही कि जल्दी ही उसकी जरूरत खत्म हो गयी।
“वो दोनों अब दिखाई नहीं दे रहे पापियों - छत पर खड़ा जयदीप चिल्लाता हुआ बोला - जल्दी से नीचे पहुंचो वरना वह हनी को लेकर कहीं दूर निकल जायेगा।”
सुनकर तीनों मर्द एक एक छलांग में कई कई सीढ़ियां उतरते नीचे पहुंचे और दौड़ते हुए गुम्बद के नीचे हॉल में जा खड़े हुए। मोबाईल की रोशनी हर तरफ डाली जाने लगी। अलबत्ता लड़कियां उतनी तेजी नहीं दिखा पाईं, इसलिए मर्दों से बहुत पीछे रह गयीं।
हॉल पहले की तरह खाली पड़ा था, कहीं कुछ नहीं था।
ना तो कोई महाराजा वहां सिंहासन पर बैठा दिखाई दिया, ना ही डांस करती हनी, हां नैना बराबर दिख गयी जो कि अभी भी जहां की तहां पड़ी हुई थी।
“जयदीप।” सैंडी ऊपर की तरफ मुंह कर के जोर से बोला।
“सुन रहा हूं।”
“ये नहीं देखा कि दोनों किधर गये?”
“नहीं, वहां एकदम से पहले जैसा अंधेरा फैल गया और कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया।”
सुनकर उनका दिमाग भन्नाकर रह गया।
“नीचे आ जा।” सैंडी एक बार फिर जोर से बोला और घुटनों के बल नैना के करीब जाकर बैठ गया। फर्श पर जहां लड़की का सिर पड़ा था, वहां इर्द गिर्द ढेर सारा खून फैल चुका था।
उसने बड़े ही उतावले भाव से उसके गालों को थपथपाते हुए आवाज दी, “नैना, ओ नैना।”
कोई हरकत नहीं हुई।
“अब उठ भी जा पापी क्यों हमारी जान निकाले दे रही है?” कहते हुए उसने जोर से उसे झकझोर दिया। तब तक सबके मोबाईल की रोशनी नैना पर पहुंचकर स्थिर हो चुकी थी।
“नब्ज और धड़कन चेक कर।” रोहताश बोला।
“जरूरत नहीं, सांसें चलतीं साफ दिखाई दे रही हैं, मगर खून ज्यादा बह गया है इसलिए फौरन किसी डॉक्टर के पास ले जाना होगा इसे।”
“कैसे? मेन डोर तो बंद है।”
“मेरे बैग में फर्स्ट एड बॉक्स रखा है, निकालकर दे।”
तत्पश्चात वे लोग नैना की मलहम पट्टी करने ही जा रहे थे कि उसने आंखें खोल दीं।
तभी जयदीप भी वहां पहुंच गया।
“तुम ठीक तो हो बेबी?”
“हां ठीक हूं - कहती हुई वह उठ बैठी - क्या हुआ था?”
“ये तो तुम बताओगी हमें, मगर उससे पहले तुम्हारे सिर से बहता खून रोकना जरूरी है।” कहकर सैंडी ने एक बेंडेज के रोल से करीब छह इंच का टुकड़ा काटा, और उसपर कोई दवा लगाने के बाद रोहताश से बोला - लाईट इसके सिर पर दिखा।”
“उसने दिखाया।”
“यहां तो हर तरफ खून ही खून है, चोट साफ करनी पड़ेगी तभी जख्म नजर आयेगा।”
“मुझे दो - कहकर नैना ने सैंडी के हाथ से बैंडेज को लिया और फिर एक उंगली से इधर-उधर जख्म टटोलना शुरू ही किया था कि उसके मुंह से चीख निकल गयी, फिर एक जगह पट्टी को टिकाती हुई बोली - अब बांध दो।”
सैंडी ने मिनट भर के भीतर उस काम को पूरा कर दिखाया।
“अब बता क्या हुआ था?”
“ठीक ठीक नहीं पता, मैं और हनी यहां बैठे सुट्टे लगा रहे थे, तभी मुझे अपने आस-पास किसी हलचल का एहसास हुआ, ऐसा लगा जैसे ऊपर से कोई चीज एकदम से हमारे करीब आ गिरी हो। आस-पास अंधेरा बहुत था इसलिए रोशनी करने के इरादे से मैं मैट्रेस पर पड़ा अपना मोबाईल टटोलने लगी, तभी हनी ने मेरे चेहरे को अपने पंजे से दबोचा और पूरी ताकत से पीछे की तरफ फर्श पर पटक दिया। उसके बाद क्या हुआ मैं नहीं जानती।”
“ये पक्का है कि तुझे धक्का हनी ने ही दिया था?”
“और किसने दिया होगा पापियों, वही तो बैठी थी मेरे करीब, तुम सब तो उस वक्त गेट पर खड़े थे।”
“थोड़ी देर के लिए मान लो कि तुम दोनों के अलावा भी कोई आस-पास रहा हो सकता है, ऐसे में क्या संभव है कि तुम्हें धक्का देने वाले हाथ हनी के न रहे हों?” जयदीप ने पूछा।
“हाथ किसी लड़की के ही थे, हनी थी या कोई और ये मैं गारंटी के साथ नहीं कह सकती, वैसे वह है कहां? तुम लोग उसी से क्यों नहीं पूछ लेते?”
“नहीं पूछ सकते क्योंकि वह हमें ढूंढे नहीं मिल रही।” कहकर जयदीप ने उसकी बेहोशी के बाद का तमाम किस्सा कह सुनाया। सुनकर वह यूं सन्न हुई कि मुंह से अफसोस भरे शब्द तक नहीं निकाल पाई।
“हमें पुलिस को खबर करनी चाहिए।” वाणी ने सलाह दी।
“मतलब कि अपना मोबाईल हमें ऑन करना पड़ेगा?”
“अफकोर्स करना पड़ेगा, वैसे भी हनी गायब है, ऐसे में देर सबेर तो सबको पता लग ही जायेगा कि आज रात हम कहां थे।”
“मैं करती हूं पुलिस को कॉल - कहकर ऐना ने अपना मोबाईल ऑन किया फिर थोड़े इंतजार के बाद बोली - ओह नो, यहां तो सिग्नल ही नहीं है, तुम लोग चेक करो प्लीज।”
“मेरा भी नैटवर्क गायब है।” सैंडी अपना मोबाईल ऑन करने के थोड़ी देर बाद बोला।
फिर जल्दी ही ये बात क्लियर हो गयी कि उनमें से किसी का भी मोबाईल उस वक्त नेटवर्क में नहीं था। जो कि हैरानी की बात थी, क्योंकि उनके पास अलग अलग टेलिकॉम कंपनियों के नंबर थे। किसी एक के साथ समस्या थी तो दूसरे का नेटवर्क तो फिर भी आना चाहिए था।
“अब क्या करें?” अरसद ने पूछा।
“यहां बहुत से दरवाजे दिखाई दे रहे हैं - जवाब रोहताश ने दिया - हो सकता है वह कमीना हनी के साथ उन्हीं में से किसी एक के पीछे छिपा बैठा हो।”
“ठीक है।” बाकी के तीनों मर्द एक साथ बोले और फौरन उस काम में जुट गये।
एक एक दरवाजा खोल खोल कर देखा जाने लगा, शुक्र था किसी पर भी ताला नहीं लगा हुआ था।
करीब पंद्रह मिनटों तक वह ड्रिल मुतवातर चलती रही, मगर हासिल कुछ नहीं हुआ, क्योंकि तमाम कमरों के भीतर बस कबाड़ की शक्ल अख्तियार कर चुके सामान ही पड़े थे, जिनपर जमी धूल की मोटी परत बता रही थी कि हाल फिलहाल वहां कोई आवागमन नहीं हुआ था।
सब लोग थक हार कर गुम्बद के नीचे खड़ी तीनों लड़कियों के पास वापिस लौट आये।
उसी वक्त अचानक बज उठे म्युजिक ने उन्हें चौंका कर रख दिया। साथ ही पूरा हॉल तेज प्रकाश से भर उठा, जिसने उनकी आंखों को चौंधिया कर रख दिया।
“लाईट आ गयी, मतलब जनरेटर फिर से चला दिया गया है - कहकर सैंडी ने अरसद की तरफ देखा - देखकर आ क्या दरवाजा भी खोला जा चुका है।”
सुनकर अरसद फौरन उधर को बढ़ गया।
दरवाजे के पास पहुंचकर उसने कुंडा हटाया और पल्लों को भीतर की तरफ खींचा तो वह निर्विघ्न खुलते चले गये, फिर जैसे ही उसकी निगाह दरवाजे के बाहर चबूतरे पर पड़ी उसके हलक से एक दिल दहला देने वाली चीख निकल गयी।
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