“आपके मुताबिक़ संजय बंसल और गौरव कालिया की मौत की टाइमिंग एक ही है ।” रणवीर ने आश्चर्य से कहा, “यानी कि जिस रात को हमें गौरव कालिया की लाश मिली, उसी दिन शनिवार को ही संजय बंसल ने भी दम तोड़ा !”
“विसरल टेस्ट से तो यही कन्फर्म होता है कि दोनों की मौत का समय एक ही है ।” डॉक्टर नवनीत ने स्वीकार किया ।
“क्या दोनों की मौत एक ही जगह पर संभव है ! जबकि मौका-ए-वारदात तो दोनों के केस की अलग-अलग है । दोनों की लाशें दो अलग-अलग जगहों पर बरामद हुई हैं । अगर उनकी मौत एक ही समय पर हुई है तो ये वारदात एक ही जगह होनी चाहिए थी । या ये महज इत्तेफाक है और दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं है ।”
“अब ये पता लगाना तुम्हारा काम है, इंस्पेक्टर रणवीर ! मैं तो जो रिपोर्ट में सामने आया है, वही तुमको बता सकता हूँ ।”
“ठीक है, डॉक्टर साहब ! आपका इन सब बातों की जानकारी और कॉफी के लिए, बहुत-बहुत शुक्रिया !” रणवीर इतना कहकर अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ ।
रास्ते में उसने वेदपाल को फ़ोन किया और पुरुषोत्तम गोयल के घर दूसरे कमरे से मिले ब्लड सैंपल का और गौरव कालिया के डीएनए टेस्ट से मिलान करवाने के लिए कहा ।
“वर्मा जी, एक अनोखा केस हमारे सामने आ गया है ! मुझे पक्का यकीन है, गौरव कालिया भी संजय के साथ ही परलोक पहुँच गया होगा ।”
“पर जनाब, अगर वे दोनों गोयल के घर पर हुई वारदात का शिकार हुए थे, तो गौरव की लाश का खेतों में मिलना... इसका क्या मतलब है ?”
“इसकी दो संभावनाएँ हैं । पहली तो ये कि कातिल एक है और उसने इन दोनों को मौत के घाट उतारा और दोनों की लाश वहाँ से ठिकाने लगाना चाहता था । एक लाश को ले जाने में कामयाब हो गया लेकिन दूसरी को ठिकाने लगाने में कामयाब नहीं हो सका । या फिर वह हद से ज्यादा चालक है और हमें गुमराह करना उसका एकमात्र मकसद था ।”
“लेकिन जनाब, उस कातिल ने दोनों की लाशें जलाई क्यों ?” वर्मा ने हैरानी से पूछा ।
“ऐसा कोई कातिल क्यों करता है ? जब उसने मकतूल की पहचान छुपानी हो । मगर यहाँ मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा करना चाहता था । कम-से-कम संजय बंसल के केस में तो ऐसा नहीं है ।” रणवीर ने कहा ।
“और दूसरी थ्योरी, कातिल दो हैं ?” वर्मा ने रणवीर को देखते हुए पूछा ।
“हो सकता है । पर उस हालत में दो कातिल अलग-अलग जगह दो आदमियों को एक ही तरीके से कत्ल को अंजाम देंगे, ये बहुत दूर की कौड़ी है । कोई भी शातिर अपराधी अगर ऐसा करना चाहेगा तो वह एक ही बार में अपने दुश्मन को मारना चाहेगा । वह दो जगह चुनने की जहमत क्यों उठाएगा और दो बार खतरा क्यों उठाएगा ? मेरे ख्याल से अगर कातिल उनका जानकार है तो कभी भी नौसिखियों में इतना जिगरा नहीं होता कि दो आदमी मिलकर ऐसी हौलनाक वारदात को अंजाम दें । दो कातिलों की थ्योरी मेरे हिसाब से काफी कमजोर है ।”
“लेकिन अगर एक ही आदमी कातिल है तो दो आदमियों को एक ही समय में अलग-अलग जगह पर मारने में कैसे कामयाब हो सका ?”
“इसीलिए तो ये केस अनोखा है और हमें यही गुत्थी तो सुलझानी है ।”
इतनी देर में सिटी थाना आ गया और दोनों गाड़ी में से उतरकर ऑफिस में पहुँचे । वरुण ऑफिस में इंस्पेक्टर रणवीर का इन्तजार कर रहा था ।
“ओह, वरुण ! कब आया भई तू ?” रणवीर अपनी कैप को मेज पर रखते हुए बोला ।
“कोई पंद्रह मिनट हो गये, बड़े दरोगा जी ! आपने एक जिम्मेवारी मुझे सौंपी थी, उसके बारे में हुई डेव्लपमेंट के बारे में आपको बताने आया हूँ ।” वरुण मेज के सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए बोला ।
“वर्मा जी ! आप पुरुषोत्तम के घर के आसपास वाली दुकानों पर पूछताछ करवाओ कि किस दुकान से अनिकेत के घर में खाने-पीने का सामान गया था । अनिकेत और उसके दोस्तों की कुंडली का भी पता करवाने की कोशिश करो । आज शाम तक वेदपाल से भी वहाँ की केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट और फिंगरप्रिंट रिपोर्ट के बारे में भी हमें पता चल जाएगा ।” रणवीर ने रोशन वर्मा को कहा । वर्मा तुरंत वहाँ से पुरुषोत्तम गोयल के घर की तरफ रवाना हो गया ।
“अब बोलो वरुण, क्या खबर है ?” रणवीर, वरुण की तरफ मुखातिब होते हुए बोला ।
“आपने मुझे गौरव कालिया के बारे में पता लगाने के लिए बोला था । उसी के बारे में आपको बताने के लिए आया हूँ । गौरव का वैसे तो अपने बाप सुरेंद्र कालिया के शोरूम के काम-काज में पूरा दखल था और सारा काम-काज वही देखता था; लेकिन उसका संजय बंसल और अनिकेत के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग में भी ढकी-छुपी पार्टनरशिप थी ।” वरुण ने बताना शुरू किया ।
“प्रॉपर्टी डीलिंग में गौरव का खुद का काम था या वह अपने बाप की तरफ से ये काम देखता था, या पैसा लगाता था । सुरेन्द्र कालिया को उसके इन कामों का पता था ?” रणवीर ने बीच में पूछा ।
“नहीं, ये तो उसका खुद का ही साइड बिज़नेस था । जिसमें पिछले कुछ दिनों से वह अच्छा-खासा मोटा नावां पीट रहा था । पर पिछले दो-तीन साल से इस सैक्टर में मंदी छाई थी; लेकिन हैरानी की बात ये है कि बन्दे के शौक वैसे ही बरकरार थे जैसे कि मार्केट की तेजी के समय में थे ।”
“शौक ! अच्छा ! जैसे कि ?” रणवीर ने इस बात पर खास ध्यान दिया ।
“एक अमीर बाप के बेटे में जो शौक हो सकते हैं, वह सब । हमारे पास पैसे नहीं तो आम आदमी को वह सब ऐब लगते है; लेकिन बड़ा कालिया इन सारी चीजों से नफरत करता था । बाप का कुछ कंट्रोल अभी भी था उस पर, इसलिए लोक दिखावा ही सही, लड़के की शराफत आम लोगों की नजरों में अभी कायम थी ।”
“आगे ?”
“आगे ये कि संजय बंसल का खुद का मेडिकल लाइन का होलसेल का बिज़नेस था और अनिकेत उन सबके फाइनेंस को देखता था । उनकी तरफ से डील ढूँढ़कर मार्केट में पैसा लगाता था ।”
“मतलब उनका पैसा लगाने का जिम्मा अनिकेत का था । वही उन लोगों के सारे स्याह-सफ़ेद कारनामों का ज़िम्मेवार था । इसके अलावा और भी कुछ करता था ये जमूरा ?”
“हाँ । पैसे का लेनदेन और उनका हिसाब-किताब अनिकेत ही करता था । इस चीज को छोड़ दें तो उसके पास और करने को कुछ नहीं था ।”
“वरुण, आजकल मंदी का दौर चल रहा है ! इन तीनों में जरूर कोई-न-कोई पैसे की दिक्कत या आपस में कोई झगड़ा हुआ हो सकता है । ऐसी कोई बात हो तो इसका भी पता लगाने की कोशिश करो अगर हो सके तो ।”
“बिल्कुल, बड़े दरोगा जी ! अब मेरी रोजी-रोटी के लिए भी कुछ बता दो अगर इस केस में कोई नयी बात हो तो ?”
“इस मामले की तफ्तीश जारी है, वरुण ! मामला आपसी रंजिश का लगता है । अभी अनिकेत और उनके चौथे साथी की तलाश हमारी पुलिस को बड़ी शिद्दत से है । चौथे साथी का नाम पब्लिक को बताना चाहो तो वह है रोहित गेरा ।”
“जी, बड़े दरोगा जी ! कुछ और ? मसलन किसी पर शक या पुलिस की कोई खास... ?”
“इस बात की तफ्तीश जारी है, वरुण ! कोई भी और जानकारी होगी तो प्रेस के साथ तुम्हें भी बता दी जाएगी ।” यह एक तरह से उनके बीच वार्तालाप के खत्म होने की निशानी थी । वरुण ने अपनी कुर्सी से खड़ा होते हुए अभिवादन करके रणवीर से विदा ली ।
वरुण के जाने के बाद इंस्पेक्टर रणवीर ने फॉरेंसिक एक्सपर्ट वेदपाल के पास फ़ोन मिलाया । वेदपाल की रिपोर्ट से उसके मन में जो अंदेशा था वह सही साबित हुआ । अनिकेत के घर पाये गए ब्लड सैंपल दो अलग-अलग लोगों के थे । एक ब्लड सैंपल संजय बंसल का था और दूसरा ब्लड सैंपल गौरव कालिया का हो सकता था और इस बात की पुष्टि गौरव कालिया के डीएनए टेस्ट और दूसरे ब्लड सैंपल के डीएनए (DNA) मिलान से हो गई थी ।
वहाँ पर उठाये गए फ़ूड सैंपल में मेफेड्रोन नाम का साल्ट मिला था, जिसकी डॉक्टर नवनीत ने भी संजय बंसल के विसरल टेस्ट में कन्फर्मेशन की थी । यही साल्ट म्याऊँ-म्याऊँ नामक ड्रग का भी घटक था । इसका मतलब उनके खाने में इस ड्रग को मिलाया गया था और यह प्री-प्लांड और डेलीब्रेट डबल मर्डर की तरफ इशारा कर रहा था ।
गौरव कालिया का अनिकेत के घर में मौजूद होना, अब सिर्फ वहाँ पर पाये गए फिंगरप्रिंट्स और उसके घर या दुकान पर पाये गए फिंगर प्रिंट्स के मिलान से ही स्थापित किया जा सकता था । अनिल और कृष्ण इस दिशा में काम करने के लिए गये हुए थे । इस बात की तसदीक अगर हो जाती तो इससे रणवीर की मुश्किल और भी ज्यादा बढ़ने वाली थी । अगर गौरव कालिया, अनिकेत के घर मौजूद था तो उसकी लाश फिर वीरू के ढाबे के पास खेतों में पहुँची कैसे ? उससे भी बड़ा सवाल ये था कि पहुँचाई किसने ?
इतने में हवलदार अनिल ने रणवीर के ऑफिस में कदम रखा । अनिल को रणवीर ने कालिया के शोरूम की सीसीटीवी फुटेज को देखने और रिकॉर्डिंग लाने के लिए भेजा था ।
“जयहिंद जनाब !” अनिल ने इंस्पेक्टर रणवीर का अभिवादन किया । रणवीर ने जवाब देते हुए उसे बैठने का इशारा किया ।
“अनिल, अपने काम की कोई रिकॉर्डिंग हासिल हुई, जिससे दोनों मकतूलों के बारे में हम कह सके कि वह दोनों एक-दूसरे को जानते थे ?”
“जी, शोरूम पर अनिकेत का आना-जाना ज्यादा था और उसकी फुटेज भी मिली है । मैं गौरव के चचेरे भाई से भी उसके फोन का मेमोरी कार्ड लाया हूँ, जिसमें से कुछ फोटो हमारे काम की हो सकती है । इनमें वह अपने दोस्तों के साथ है । कुछ फोटो में वह संजय, अनिकेत के साथ है और रोहित गेरा भी है । सर, रोहित गेरा इस इलाके के बाहुबली समझे जाने वाले शमशेर सिंह गेरा का लड़का है !”
“इस लड़के, रोहित गेरा के नाम का जिक्र तो अनिकेत के घर से मिली डायरी में भी हुआ है । पर हमें यह साबित करना पड़ेगा कि वह उस घटना के वक्त अनिकेत के घर मौजूद था । शमशेर सिंह पर तो वैसे भी कई क्रिमिनल केस पहले से ही दायर हैं । पुलिस का उसके साथ पुराना याराना है । पर अब वह आदमी सियासत की हवा में बह रहा है तो जाहिर है कि हवा में ऊँचा ही उड़ रहा होगा ।”
“मैंने उसकी शोरूम से और वहाँ बने एक रिटायरिंग रूम से एक फॉरेंसिक वाले की मदद से वहाँ के फिंगरप्रिंट उठवाएँ हैं । उसके घर के रूम से और उसके परिवार और शोरूम में मौजूद लोगों के भी हमने फिंगरप्रिंट ले लिए हैं । वेदपाल अब उन सबको मैच कर रहा है और हमें गौरव कालिया के फिंगर प्रिंट तो शर्तिया मिल ही जाएँगे । “
“अंदाजन कितनी देर में ये नतीजा निकलेगा ? लगता है, सारी बात अब कल पर गई । वेदपाल को कल दोपहर तक ये रिपोर्ट सबमिट करने के लिए बोलो । कल सुबह तुम इंस्पेक्टर वर्मा के साथ शमशेर सिंह गेरा के घर जाकर रोहित गेरा को दोपहर ग्यारह बजे तक यहाँ लाकर एक बार अपने फिंगर प्रिंट देने और बयान दर्ज करने के लिए बोलो ।” इतना कहकर उसने थाने के मुंशी रतनलाल को घंटी बजाकर अपने ऑफिस में बुलाया ।
“कल रोहित गेरा के पास जाते हुए उन फोटोज के प्रिंट जरूर साथ लेते जाना जो गौरव कालिया के यहाँ से तुमने बरामद की हैं ।” अनिल वहाँ अपना काम ख़त्म समझ उठने को हुआ तो रणवीर बोला ।
अनिल सहमति में सिर हिलाता हुआ ऑफिस से बाहर चला गया ।
रतनलाल रोजाना की दर्ज की गई रिपोर्ट और शहर में रात को लगने वाली गश्त की रिपोर्ट को लेकर ऑफिस में आ गया । रणवीर ने उससे दोनों वारदातों की दर्ज एफआईआर की रिपोर्ट को भी लाने के लिए कहा । शुरूआती दौर में क्योंकि दोनों केस अलग-अलग लग रहे थे इसलिए पुलिस ने एफआईआर में गौरव कालिया का केस धारा 306 और 309 में दर्ज किया था लेकिन संजय बंसल का केस दफा 302 और 309 में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया था ।
रणवीर पूरी फाइल को एक बार फिर से पढ़ने लगा । इतने में कृष्ण कुमार और कदम सिंह के कदम रणवीर के ऑफिस में पड़े । रणवीर ने फाइल से अपना सिर उठाया और एक हल्की-सी मुस्कराहट उसके चेहरे पर फ़ैल गई । उसको पता था कि उनकी दी हुई जानकारी ही उसके अगले कदम की बुनियाद बनने वाली थी ।
“गौरव कालिया के मोबाइल नंबर ट्रैक हुए, कृष्ण ? क्या पोजीशन निकली ?” रणवीर, कृष्ण से मुखातिब होते हुए बोला ।
“जनाब, उन तीनों के जो नम्बर हमें मिले थे, उनमें से गौरव कालिया, संजय बंसल और अनिकेत के मोबाइल की लोकेशन चार सितंबर को रात आठ बजे के आसपास अनिकेत के घर के पास से ही आखिरी बार लोकेट हुई है !”
“और वीरू के ढाबे के पास से इनमें से किसी की लोकेशन मिली है क्या ?” रणवीर ने पूछा ।
“नहीं जनाब ! इन तीनों का नंबर तो लोकेट नहीं हुआ है पर कुछ दूसरे फ़ोन नम्बर हैं जिनकी एक्टिविटी दोनों लोकेशन पर एक्टिव पायी गई है ।”
“ठीक है । कृष्ण तुम ऐसे मोबाइल नंबर्स की लिस्ट बनाओ जो कॉमन हैं । उनसे पूछताछ करो । जो कोई इस मामले में आनाकानी करे उसे पहले सारी बात प्यार से समझा दो । अगर नहीं समझे तो उसका एक सम्मन निकलवाकर उन्हें एक दिन यहाँ बुलाओ । तारीख मुझसे पूछ लेना । और हाँ, अनिकेत का फोटो सभी पुलिस नाकों और चौकियों पर भेज दिया गया है । कल तुम दोनों एएसआई दिनेश को अपने साथ लेकर अनिकेत का पता लगाने की कोशिश करो । आखिर वह कहाँ गायब हो गया है ! आखिर कुछ तो पता चले !”
“जनाब, अनिकेत के फ़ोन की लास्ट एक्टिविटी उसी दिन की पायी गई है, जिस दिन संजय की लाश मिली थी । उसके बाद वह नंबर एक्टिव नहीं है ।”
“उसके सामान में उसका लैपटॉप भी हम बरामद करके लाए थे । उसको भी अपने साइबर सेल के एक्सपर्ट की मदद से टेस्ट करवाओ ।”
इतने में रणवीर के फ़ोन की घंटी बजी । सब-इंस्पेक्टर रोशन वर्मा की कॉल थी ।
“कहो रोशन !” रणवीर ने कॉल रिसीव करते हुए कहा ।
“सर, यहाँ पर मार्केट में एक ‘मिलन रेस्टोरेंट’ है । वहाँ से उन लड़कों के लिए एक ‘सिज़्लर’ नाम की ऑनलाइन फूड सप्लाई करने वाली कंपनी का आदमी डिनर लेकर गया था । उस आदमी का नाम विक्की मालूम हुआ है । मैंने उसको यहाँ पर बुला लिया है । अब उसे कल सुबह थाने बुलाऊँ या अभी लेकर आऊँ ।” रोशन ने पूछा ।
“उसे अभी यहाँ ले आओ । कल पता नहीं कहीं डरकर भाग न जाए । इसकी कंपनी में संपर्क कर वहाँ के किसी अधिकारी से बात करो और उनकी जिम्मेदारी फिक्स करो कि वह उसका थाने में पूछताछ के लिए पहुँचना पक्का करें । अगर हो सके तो उन्हें इन्फॉर्म करके इस विक्की को आज और अभी ले ही आओ पूछताछ के लिए ।”
“ठीक है, सर ! वह आ ही गया है । मैं उसे लेकर अभी ऑफिस पहुँचता हूँ ।” कहकर रोशन ने सम्बन्ध विच्छेद कर दिया ।
रणवीर ने एक बार फिर मुंशी रतनलाल को बुलाया और कुछ निर्देश देकर एक फाइल निकालने के लिए कहा और स्केच बनाने वाले को भी बुलाने के लिए कहा । कोई बीस मिनट के बाद रोशन थाने में विक्की को लेकर पहुँचा ।
विक्की कोई पच्चीस एक साल का नवयुवक था, जो आजकल के लड़कों की तरह टाँगों पर फँसी हुई नीले रंग की जींस और काली टी-शर्ट पहने हुए था । खुद को पुलिस वालों के बीच और उस पर थाने में पाकर उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थी । रोशन वर्मा ने सीधा उसको उस कमरे में बिठा दिया, जहाँ वह लोग रिमांड पर लेकर लोगों से पूछताछ करते थे । कमरे के गेट के ऊपर ‘रिमांड रूम’ लिखा देखकर उसके होश फाख्ता हो गए । उसने सूखे पत्ते की तरह काँपना शुरू कर दिया । उसकी हालत देख रणवीर ने उसके लिए कदम सिंह को पानी लाने के लिए कहा । पानी पीकर उसके कुछ होश ठिकाने आए । रणवीर ने सिर्फ रोशन और कदम सिंह को वहाँ रुकने को कहा ।
“तो क्या नाम है तुम्हारा ? विक्की ?” रणवीर ने उससे पूछा ।
“जी… व… विक्की ! म… म्म्म… मैंने कुछ नहीं किया साहब जी ! मैंने कुछ नहीं... ।” वह हकलाता हुआ बोला ।
“हम कब कह रहें हैं, तुमने कुछ किया है, विक्की ! तुम बिलकुल मत घबराओ । देखो, जो तुमसे पूछा जाए, तुम्हें बस उसका सही-सही जवाब देना है और सच बताना है । बस इतनी-सी ही बात है । समझ गए ?”
“ज... जी !”
“तो कौन-सी कंपनी में काम करते हो तुम और कब से ?”
“स... सर, सिज्लर नाम की लोकल... कंपनी है । मैं पिछले छः महीने से उसमें काम कर रहा हूँ ।”
“रहने वाले कहाँ के हो ? यहीं प्रेम नगर के ? अपना एड्रेस बताओ ?”
“सर, यहीं रामपुरा कॉलोनी का रहने वाला हूँ ।” फिर विक्की ने एड्रेस के तौर पर अपना आई-कार्ड दिखाया ।
रणवीर ने मुंशी रतनलाल को बुलाकर ये सब बयान लिखने के लिए कहा ।
“तुम्हें दुर्गा कालोनी, 32/11 का एड्रेस याद है ? तुम चार सितंबर को वहाँ खाने का सामान लेकर कितने बजे गए थे ?”
“जब साहब ने पूछा था तो मुझे तभी याद आ गया था, सर ! उस दिन शाम को सात बजे के आसपास मैं वहाँ पर खाने की डिलीवरी के लिए गया था ।”
“ये सब इतना अच्छे तरीके से तुम्हें कैसे याद है ? तुम तो दिन में कई जगह जाते होगे, फिर ये तुम्हें इतना सही ढंग से कैसे याद है ?”
“सर, जब मैं वहाँ उनका सामान लेकर पहुँचा था तो एक आदमी वहाँ नीचे सामान लेने के लिए आया था । उसने मुझे कुछ बीयर की बोतलें लाने के लिए कहा था । मुझे आगे भी डिलीवरी के लिए ऑर्डर देना था, इसलिए मैंने उसे मना कर दिया । मेरे मना करने के बाद तो वह आदमी मेरे साथ सीधा गाली-गलोच पर उतर आया । ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ था सर, इसलिए मुझे ये सब कुछ याद है ।”
“तुम्हें उस आदमी का नाम ध्यान में है ? तुमने उसे फ़ोन करके नीचे बुलाया होगा खाने की डिलीवरी लेने के लिए ?”
“सर, आर्डर पर उसका नाम तो था पर वह अब मुझे याद नहीं । हाँ, आर्डर के साथ जो फ़ोन नंबर लिखवाया गया था, वह मेरे मोबाइल रिकॉर्ड में होगा ।”
वर्मा ने उसका फ़ोन उसे दे दिया । वक्त का अंदाजा लगाकर उसने जो फ़ोन नंबर बताया, वह अनिकेत का निकला । इसका सीधा-सा मतलब ये था कि उसने अनिकेत को फ़ोन किया था ।
रणवीर ने रोशन को अनिकेत और संजय बंसल की फोटो उसे दिखाने के लिए कहा । उसने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया । उसके अनुसार उन दोनों में से कोई भी नहीं था । फिर उसे अनिल की लायी गई गौरव कालिया और रोहित गेरा की फोटो दिखाई गई तो उसने तुरंत रोहित की फोटो की तरफ इशारा किया ।
“कल तुम इस रोहित गेरा को यहाँ बुलाओ ।” रणवीर ने वर्मा की तरफ देखते हुए कहा, “अगर ये नहीं आता है तो इसे लेकर यहाँ पर आओ । विक्की, कल 11 बजे तुम्हें फिर से यहाँ आना है इस लड़के की पहचान के लिए ।”
विक्की घबराकर उसकी तरफ देखने लगा तो रणवीर ने उसे आश्वासन देने वाले अंदाज में कहा ।
“घबराओ नहीं । तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है । अगर तुम चाहोगे तो हम तुम्हारा उस लड़के से आमना-सामना भी नहीं होने देंगे । बस एक बार हमें घटना स्थल पर मौजूद रहा कोई ज़िंदा आदमी मिलना चाहिए । फिर तो आगे की कड़ियाँ हम आपस में जोड़ लेंगे ।”
विक्की के चेहरे पर कोई आश्वासन से भरे भाव तो नहीं आए पर उसने सहमति में सिर हिलाया ।
मुंशी रतनलाल उसका बयान लिख चुका था, फिर कंप्यूटर प्रिंट निकालकर और उसके सिग्नेचर करवाने के बाद और एहतियातन उसकी फोटो लेने के बाद विक्की को जाने की इजाजत दे दी गई ।
तभी स्केच बनाने वाला आर्टिस्ट वहाँ आ गया तो उसे उस काम के लिए थाने में रुकना पड़ा ।
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