मन्नू बाल्टी थामे दरवाजा खोलकर बाहर निकला।

उसका दूसरा साथी बाहर ही खड़ा था। दरवाजा खुलते ही फौरन घूमा, परंतु स्वीपर को देखकर उसने मुंह फेर लिया। मन्नू बाल्टी थामें एक तरफ बढ़ता चला गया। एयरपोर्ट पर भीड़ थी। चंद पलों में ही वह भीड़ में मिक्स हो गया। उसके शरीर पर पड़ी स्वीपर की नीले रंग की वर्दी ने उसे सुरक्षित कर रखा था।

भीड़ में से निकलते हुए उसने नीचे गिरे कागज के टुकड़े उठाकर बाल्टी में डाले। आगे बढ़ा कि फौरन सिर पर पड़ी कैप को माथे की तरफ झुका लिया।

दो आदमी जैनी को थामें उसके पास से ही निकले थे।

मन्नू के होंठ भिंच गए। जैनी को फंसे पाकर, परंतु उसे बचाने के लिए वह कुछ नहीं कर सकता था। क्योंकि वह खुद खतरे में था। यहां से जल्दी निकल जाना चाहता था।

मन्नू बाल्टी थामें बाहर गेट की तरह बढ़ गया। कुछ आगे जाने पर मौका मिला तो उसने बाल्टी को एक दीवार के पास रख दिया। उसके बाद कुछ आगे बढ़ा तो माईक दिखा। जो कि एक जगह ठिठका। इधर-उधर नजरें घुमा रहा था। शायद वो, उसकी तलाश में नजरें दौड़ा रहा था।

वो बाहर निकलने वाले दरवाजे के पास आ पहुंचा।

वहां और भी कई स्वीपर नजर आ रहे थे नीली वर्दी में। इसलिए उसे तलाश कर पाना जिन्न के आदमियों के लिए आसान नहीं था। अब तक तो उन्हें पता चल गया होगा कि वह उनके हाथों से निकल भागा है।

मन्नू बाहर निकला और एक तरफ बढ़ गया।

कुछ ही देर में वह पार्किंग के उस हिस्से में जा पहुंचा, जहां कतारों में कारें खड़ी थीं। अब मन्नू को अपने शरीर पर पड़े कपड़े मुसीबत लग रहे थे। उसे दूसरे कपड़े चाहिए थे। कुछ देर पार्किंग में चलने के पश्चात उसे कार में बैठा एक ड्राइवर दिखा तो वो उसके पास जा पहुंचा। इस तरफ कोई और न था।

ड्राइवर ने उसे देखा तो मन्नू ने उसे कपड़ों में छुपा रखी रिवाल्वर दिखाई।

ड्राइवर घबरा उठा।

"गोली मारूं तेरे को?"

"न...नहीं।" वो कांपता-सा कह उठा।

"तेरे कपड़े और कार चाहिए मुझे।"

"द...देता हूं।" कहकर ड्राइवर फौरन कार से बाहर निकला और कपड़े उतारने लगा।

चंद पलों में ही मन्नू उसके कपड़े पहन चुका था।

"मेरे कपड़े पहन ले तू।" मन्नू रिवाल्वर और डॉलर की गड्डी पैंट की जेब में ठूंसता कह उठा।

ड्राइवर खामोशी से खड़ा रहा।

मन्नू कार में बैठा। चाबी लगी हुई थी। उसने कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी।

"जय मुंबई मैया!" मन्नू बड़बड़ा उठा। आठ सालों बाद वो फिर मुंबई आ पहुंचा था।

वो जानता था कि ये कार उसे जल्दी ही छोड़नी है। कुछ ही देर में इस कार का नंबर पुलिस वालों तक पहुंच जाएगा कि एयरपोर्ट से ये कार चोरी हो गई है, तभी उसे जैनी का ध्यान आया।

जैनी जिन्न के हाथों में फंस गई थी। वो लोग जैनी को छोड़ने वाले नहीं।

मुंबई में वो आ तो गया था, परंतु करने को कुछ नहीं था। जैनी साथ होती तो वह कुछ सोचता, परंतु अब वो क्या करता। ये भी जानता था कि जैनी को 'जिन्न' के हाथों से नहीं निकाल पाएगा।

उसे भी जिन्न से खतरा था।

माईक भी जान जाएगा कि वो बच निकला है और उसे ढूंढेगा, परंतु माईक से कम और जिन्न से ज्यादा खतरा था उसे। अब उसे कई बार महसूस होता कि माईक की बात मान लेता तो ठीक रहता। माईक उसे लाखों डॉलर भी देता और जैनी के साथ अमेरिका की नागरिकता भी दिला देता। इंडिया पहुंचकर वो खुद को फंसा महसूस करने लगा था। जैनी का जिन्न के हाथों में पहुंच जाना, उसे तकलीफ दे रहा था।

■■■

इंडिया की गुप्त जासूसी संस्था F.I.A. का ठिकाना।

जैनी एक कमरे में कुर्सी पर बैठी हुई थी और दीवान-कपूर अभी उसके पास पहुंचे थे।

जैनी के चेहरे का रंग फक्क पड़ा हुआ था। वो परेशान नजर आ रही थी।

"तुम लोग कौन हो, मुझे क्यों पकड़ा गया है? मैं...।" जैनी ने कहना चाहा।

"हम 'जिन्न' हैं F.I.A. वाले और तुम...?"

"कौन जिन्न, कैसी F.I.A. ।" जैनी चीखी--- "मैं तुम लोगों को नहीं जानती।"

"तुम जानती हो।" कपूर कठोर स्वर में कह उठा--- "ज्यादा चालाक बनने की चेष्टा न करो। हम वो ही लोग हैं, जिनके लिए आठ साल पहले तुमने क्रोशिया में हजार डॉलर के लिए ड्यूक हैरी और ब्रिगेडियर छिब्बर के नामों से बुक होने वाले केबिनों के बारे में पता किया था। हमें पहचानने से तुम इंकार नहीं कर सकती क्योंकि तब तुम मन्नू के साथ काम के बाद खिसक गई थी और तुम लीवनो में रहने लगे। इस दौरान मन्नू ने तुम्हें अवश्य बताया होगा कि वो क्या काम करने क्रोशिया आया था। तुम हमें बहुत अच्छी तरह जानती हो। तुम हालात को भी अच्छी तरह पहचान रही हो। हमसे चालाकी मत दिखाओ।"

जैनी कपूर को देखने लगी, फिर बोली।

"मन्नू कहां है?"

"वो हमारे हाथों से बच निकला है।" कपूर ने कहा।

"मुझसे क्या चाहते हो?" जैनी का स्वर शांत था।

"पहले हममें कुछ बातें स्पष्ट हो जाएं, उसके बाद बात आगे करेंगे।" कपूर बोला--- "तुमने और मन्नू ने वहां हमारे दो एजेंटों की हत्या की। जब हम पीछे पड़े तो तुम लोग इंडिया की तरफ भाग निकले।"

जैनी कपूर को देखती रही।

"तुम लोगों ने अमेरिकन विदेश मंत्री की हत्या से जुड़ी बातें अमेरिकी सरकार को बेंची।"

"ये झूठ है।"

"क्यों! क्या तुम लोग क्रोशिया में माईक से नहीं मिले? माईक प्लेन में तुम लोगों के साथ इंडिया नहीं आया?"

"ये सब गलत है। सच बात पर तुम लोग यकीन नहीं करोगे।"

"क्या कहना चाहती हो?"

"पहली बात तो ये है कि मेरा इस सारे मामले से कोई वास्ता नहीं है।" जैनी ने गंभीर स्वर में कहा--- "दूसरी बात यह है कि मन्नू माईक से मिला अवश्य, परंतु उसे कुछ बताया नहीं।"

"ये कैसे मुमकिन है।"

"ये सच है।"

"तो वो माइक से मिला क्यों?"

"मन्नू को एक लाख डॉलर का उधार लीवनो के मार्शल को चुकाना था। मार्शल ने मुझे कैद कर रखा था और एक महीने का वक्त दिया था मन्नू को कि अगर उसने एक लाख डॉलर नहीं चुकाए तो उसे भी मार दिया जाएगा यानी कि मन्नू को लाख डॉलर की सख्त जरूरत थी। इसलिए उसने C.I.A. से संबंध बनाया कि वो ड्यूक हैरी की हत्या से वास्ता रखती बातें बताना चाहता है, जबकि ऐसा उसका कोई इरादा नहीं था। वो तो C.I.A. से लाख डॉलर झटकना चाहता था कि मेरे को और खुद को मुसीबत से बचा सके। C.I.A. ने माईक को क्रोशिया भेजा, लेकिन तुम लोगों को ये सब होने की खबर मिल गई। तुम्हारे आदमी पहले ही उस नाइट क्लब में मौजूद थे।"

"आगे कहो।"

"माईक से मन्नू मिला। वो दस लाख डॉलर तय बात के हिसाब से लाया था, परंतु मन्नू ने उससे लाख डॉलर ले लिए और दोबारा मिलने को कहा। जबकि मन्नू का इरादा उससे दोबारा मिलने का नहीं था। गायब हो जाने का था, तभी उन्हें पास में ही तुम्हारे एजेंट के होने का आभास हुआ, जिसे कि मन्नू ने मार दिया। वो तुम लोगों से डरा हुआ है।" जैनी गंभीर स्वर में कहती जा रही थी--- "फिर जब वो लीवनो अपने फ्लैट पर पहुंचा तो वहां तुम्हारा आदमी उसे मारने पहुंच गया जिसे कि मन्नू मार कर भाग निकला। उसके बाद सुबह उसने मार्शल को लाख डॉलर देकर मुझे हासिल किया। तब मुझे पता चला कि वो कैसी मुसीबत में फंस चुका है। बहरहाल हमने उसी वक्त वहां से भाग निकलने का प्रोग्राम बनाया। पासपोर्ट मन्नू साथ ही लाया था। हम जैसे-तैसे एयरपोर्ट पहुंचे और इंडिया जाने वाली प्लेन में सीटें भी मिल गईं।"

दीवान और कपूर जैनी की बात को गंभीरता से सुन रहे थे।

"उसके बाद हमें पता चला कि हमारे प्लेन में माईक भी है। वो प्लेन में हमसे मिला। वो ड्यूक हैरी की हत्या के सिलसिले की सारी बात जानना चाहता था, परंतु हमने उसे कुछ नहीं बताया, जबकि उसने हमें कई तरह के लालच दिए।"

"हम कैसे यकीन कर लें कि तुम दोनों ने उसे कुछ नहीं बताया?"

"मैं कह रही हूं, इसलिए यकीन करो।"

"क्यों नहीं बताया जबकि वो तुम दोनों को तगड़े लालच दे रहा था?"

"बस, हमने नहीं बताया। हम उसे कुछ भी बताना नहीं चाहते थे।"

"विश्वास नहीं होता।"

"ये ही सच है।"

तभी खामोश खड़ा दीवान कह उठा।

"आठ साल पहले तुम और मन्नू क्यों खामोशी से खिसक गए थे। मनु ने बीस लाख रुपए भी नहीं लिए।"

"इसका जवाब तो तुम लोगों के पास है।" जैनी का स्वर तीखा हो गया।

"हमारे पास?"

"हां, तुम लोग काम के पश्चात मन्नू, राघव, तीरथ और मुझे मार देना चाहते थे।"

"ऐसा तो नहीं था।" कपूर कह उठा।

"मन्नू ने तुली को काम के फौरन बाद फोन पर बातें करते सुना था। दूसरी तरफ कोई दीवान था। दीवान उसे कह रहा था कि उन लोगों को खत्म कर देना बेहतर होगा, जबकि तुली ने इस बात पर एतराज जताया तो उधर से दीवान ने कहा कि तुम लोग इंडिया पहुंचो, तब इस बात का फैसला करेंगे। उस वक्त तुली को नहीं पता था कि कार के पीछे वाली सीट पर मन्नू लेटा हुआ सारी बातें सुन रहा है। उसके बाद तो मन्नू को अपनी जान खतरे में लगी, तब वो मुझे पसंद करने लगा था इसलिए मुझे भी बचाया और अपने साथ ले गया। वो राघव और तीरथ को भी ये बात बता देना चाहता था, परंतु तब वे वहां से जा चुके थे।" क्षण-भर ठिठककर जैनी तीखे स्वर में कह उठी--- "तुम लोगों ने कमीनापन किया। पहले तो हम लोगों से अपना काम लिया, फिर हमारी जान लेने की सोचने लगे।"

"हमने किसी को नहीं मारा। राघव-तीरथ जिंदा हैं।" दीवान बोला।

"वो मैं नहीं जानती, परंतु तब सबको खत्म कर देने बात हुई थी।"

"हां, हुई थी।" दीवान ने सिर हिलाया--- "मैं ही दीवान हूं।"

"ओह!" जैनी की नजरें दीवान पर टिकीं।

"तुमने जो कहा, ठीक कहा। तब तुली से मेरी ये बात हुई थी।" दीवान बोला।

"इसी वजह से मन्नू और मुझे लीवनो में छुप कर रहना पड़ा।"

"लेकिन चार साल बाद हमें पता चल गया था कि तुम दोनों लीवनो में हो। चूंकि तुम खामोशी से रह रहे थे, इसलिए हमने तुम लोगों को कुछ भी नहीं कहा। अब ये मामला तभी शुरू हुआ जब मन्नू ने C.I.A. से संपर्क किया।"

"मैं तुम्हें बता चुकी हूं कि तब मन्नू को लाख डॉलर की सख्त जरूरत...।"

"माईक को क्या बताया कि ड्यूक हैरी की हत्या के वक्त वहां कौन-कौन था?"

"कुछ नहीं बताया उसे।"

"हमसे झूठ मत बोलो। हम...।"

"मेरी बात का यकीन करो, मैं सच कह रही हूं।"

कपूर सिर हिलाकर दीवान से कह उठा।

"ये सीधी तरह नहीं मानने वाली।"

जैनी गुस्से से कह उठी।

"विश्वास करो मेरा। मैं सच कह रही हूं।"

"इसे नारंग के हवाले कर दो।" दीवान बोला--- "वो ही इसका मुंह खुलवाएगा।"

जैनी पुनः गुस्से से कह उठी।

"तुम लोग मेरी बात मानते क्यों नहीं कि माईक को, C.I.A. को मैंने या मन्नू ने कुछ नहीं बताया।"

कपूर ने जैनी से कहा।

"तीरथ हो राघव के बारे में तो बताया होगा?"

"नहीं। हमने जरा भी मुंह नहीं खोला, लेकिन माईक ये जरूर कहता रहा कि वो जानता है कि ड्यूक हैरी की हत्या के पीछे F.I.A. का हाथ है, लेकिन उसे F.I.A. के खिलाफ सबूत चाहिए, परंतु हमारा मुंह बंद रहा।"

"इसे नारंग के हवाले करेंगे।" दीवान ने कहा--- "वो ही इसके मुंह से सच निकलवाएगा।"

"पागल हो तुम लोग--- तुम...।" जैनी कहती रह गई।

दीवान और कपूर कमरे से बाहर निकले। दरवाजा बंद किया और आगे बढ़ गए।

"मेरे ख्याल से जैनी सच कहती लगती है।" कपूर ने कहा।

"ये गंभीर मामला है। हम आसानी से उसकी बातों पर यकीन नहीं कर सकते।"

■■■

राघव पैदल ही बाजारों में घूम रहा था। चेहरे पर गंभीरता थी। वो चाहता था कि तुली उसे फिर देख ले, उसके सामने आए, ताकि उससे बात कर सके। इसमें खतरा भी था। तुली कहीं से उसे गोली मार सकता था। परंतु राघव ये खतरा उठा रहा था। वो तु ली के बारे में, तीरथ, मन्नू और जैनी के मामले को जानना चाहता था कि आखिर इन सब लोगों के साथ मिलकर उसने क्या काम किया था और आज तुली उसकी जान क्यों लेना चाहता है?

राघव ने बहुत सोचा, परंतु उसे कुछ भी याद न आ सका था। बहरहाल राघव खुद को ज्यादा-से-ज्यादा खुले में रखना चाहता था कि तुली से उसका सामना हो सके।

■■■

तीरथ के मस्तिष्क में उलझन का तूफान उठा हुआ था।

वो खुद को तुली कह रहा था, जो उसे मारने उसके ठिकाने तक आ पहुंचा था। उसका कहना था कि राघव, मन्नू, जैनी के साथ मिलकर उसने किसी की हत्या की थी। बीस लाख में। फिर उनकी उस वक्त की याददाश्त मिटा दी गई कि उस मामले के बारे में उसे कुछ भी याद न रहे।

अब वो तुली उसे मारने आ पहुंचा था।

उसका कहना था कि उसने राघव को भी मारना चाहा, परंतु वो बच निकला था। आखिर कौन था तुली?

अब क्यों उसके पीछे है। उसे याद भी तो नहीं आ रहा कुछ। यूं तीरथ के टिकने को कई जगह थीं, परंतु वो ऐसी किसी भी जगह पर नहीं छिपना चाहता था, जहां तुली पहुंच जाए। तुली को उसके छिपे होने की खबर मिल सकती थी। जाने वो कौन था, लेकिन खतरनाक था। जिस प्रकार वो उसे मारने उसके पास आ पहुंचा था, उससे स्पष्ट था कि वो हौसले वाला है।

यूं वो तुली की कही बातों का जरा भी यकीन नहीं करता, परंतु उसे तुली को देखते ही इस बात का एहसास हुआ था कि वो उसे जानता है। कहीं देखा है उसे। यही वजह थी कि वो तुली की बातों का यकीन करने को मजबूर था। वो अच्छा निशानेबाज है, ये बात भी वो तुली जानता था। उसके ड्रग्स के धंधे के बारे में भी तुली जानता था। और भी जाने क्या-क्या जानता होगा वो उसके बारे में। जाने क्यों तीरथ तुली से डर-सा गया था।

ये राघव कौन है?

मन्नू कौन है?

जैनी कौन है?

उसे किसी के बारे में कुछ भी याद नहीं आ रहा था। पता नहीं क्या मामला है। किसको मारा था उसने?

तुली अकेला ही था। अगर उसके और साथी होते तो, तभी आ गए होते, जब तुली वहां था। तीरथ को लग रहा था कि उसके सामने खामख्वाह की नई मुसीबत खड़ी हो गई है। मन-ही-मन उसने यही सोचा कि आज रात वो किसी होटल में बिताएगा। उसके बाद सोचेगा कि तुली के मामले में क्या करना है। उसने भानू को फोन किया।

"सर जी आप कैसे हैं--- कहां हैं?" भानू की आवाज कानों में पड़ी।

"मैं ठीक हूं कोई नई बात?" तीरथ ने पूछा।

"नहीं, कोई नई बात नहीं। वो आदमी तो उसी वक्त भाग गया था बचकर। वो कौन था?"

"मैं नहीं जानता, कौन था। पुलिस तो नहीं आई?"

"आई थी। गोली चलाने के बारे में पूछ रही थी। हमने कह दिया कि इस बारे में हम कुछ नहीं जानते। दीपू पुलिस वालों को सब कुछ बताने लगा था, लेकिन रहीम ने उसे वक्त पर पीछे खींच लिया। पुलिस के जाने के बाद अच्छी धुनाई की दीपू की।"

दीपू तंदूर में नान रोटी लगाने वाला लड़का था।

"वो आदमी होटल में फिर दिखे तो उसे कुछ मत कहना। वो पंगा खड़ा करे तो पुलिस को बुला लेना।"

"ठीक है। आप नहीं आ रहे?"

"अभी नहीं।" तीरथ ने कहा और फोन बंद कर दिया।

रात के नौ बज रहे थे।

तीरथ का प्रोग्राम था कि डिनर के बाद होटल में कमरा लेगा कहीं।

उस वक्त वो दादर में था। वहां पंजाबी पहलवान का खाने का होटल था। तीरथ वहां कई बार खाना खा चुका था। वहीं उसने खाने की सोची और पंजाबी पहलवान के होटल पर जा पहुंचा।

तीरथ ने कभी सोचा भी नहीं था कि यहां राघव उसे मिलेगा।

■■■

तीरथ एक टेबल पर बैठा तो फौरन बीस साल का लड़का वहां आ पहुंचा।

"नमस्ते साब जी।" वो पानी रखता बोला--- "अब की बार तो बहुत दिनों बाद आए।"

"हां।" तीरथ मुस्कुराया--- "याद है मैं क्या खाऊंगा?"

"पक्का याद है साब जी। दस मिनट में लाया।" वो चला गया।

रेस्टोरेंट में इस वक्त भीड़ थी। शोर हो रहा था।

तीरथ के पीछे वाली सीट पर राघव बैठा हुआ खाना खा रहा था। दोनों की कुर्सियों की पुश्त आपस में सटी हुई थी। तभी राघव का फोन बजने लगा। उसने फोन निकाला। बात की।

"हां।" राघव बोला।

"तेरे को कहा था कि तूने घर पर रहना है।" एक्स्ट्रा का गुस्से से भरा स्वर कानों में पड़ा।

"फ्लैट में बंद रह कर क्या करता।"

"बेवकूफ, तेरे को खतरा...।"

"उसी खतरे को तो ढूंढ रहा हूं।" राघव ने गंभीर स्वर में कहा।

तीरथ को लगा कि उसने ये आवाज सुन रखी है। उसने सिर घुमाया पीछे कि बात करने वाले को देख सके।

परंतु राघव की पीठ थी इस तरफ।

तीरथ ने सिर वापस घुमा लिया।

"पागल मत बन राघव! सीधा फ्लैट पर पहुंच। तुली खतरनाक है। वो छिपकर भी तेरे को शूट कर सकता है।"

"मुझे तुली की ही तलाश है। मैं जानना चाहता हूं कि आखिर ये मामला क्या है।"

तुली?

तीरथ के विचारों को ब्रेक लगा।

इस आदमी को तुली की तलाश है और आवाज से उसे लगता है कि इसकी आवाज सुन रखी है। तीरथ फौरन उठा और राघव की टेबल के सामने जा खड़ा हुआ राघव को देखा।

अगले ही पल उसके मस्तिष्क को झटका लगा।

इसे देखा है कहीं?

"हम भी उसे ढूंढ रहे हैं। तू फ्लैट पर पहुंच। इस तरह खतरा मत ले।" एक्स्ट्रा की आवाज कानों में पड़ी।

राघव ने पास खड़े किसी को देखा तो सिर उठाया।

तीरथ पर निगाह पड़ते ही राघव चिंहुक उठा। उसी पल फोन बंद किया और उठ खड़ा हुआ।

"तीरथ!" राघव के होंठों से निकला।

तीरथ के माथे पर बल पड़े।

"तीरथ--- मैं हूं राघव।"

"राघव?" तीरथ चौंका। नजरें राघव के चेहरे पर रहीं।

"तूने मुझे पहचाना नहीं?" राघव कह उठा।

"लगता है कहीं देखा है, परंतु याद नहीं आ रहा। लेकिन तेरा नाम तो तुली ने बताया था मुझे।"

"तुली?" राघव चौंका--- "वो कहां है?"

"मालूम नहीं।" याद करने की चेष्टा करता परेशान-सा तीरथ बोला--- "आज उसने मुझे मारने की कोशिश की, लेकिन मैं बच...।"

"उसने मुझे भी आज मारने की कोशिश की।" राघव के होंठों से निकला।

"क्या?"

"हां। मैं उसे ही ढूंढ...।" वो ठिठका, फिर बोला--- "हम दोनों पहले तो मिल चुके हैं। ये तो पक्का है।"

"हां, मैंने तुम्हें कहीं देखा है, ऐसा लगता है मुझे। तुली तुम्हारे बारे में भी बता रहा था कि...।"

"हम पहले कहां मिले--- क्या किया हमने--- याद है?" राघव कह उठा।

"नहीं याद। कुछ याद नहीं, लेकिन तुली ने मुझे कुछ बातें कही थीं।" तीरथ उलझन में फंसा कह उठा।

"क्या?"

"कि हमने मिलकर किसी को मारा था।" कहते हुए तीरथ के स्वर में हिचकिचाहट आ गई थी--- "साथ में मन्नू और जैनी भी थे।"

"हां, मन्नू और जैनी भी, लेकिन--- लेकिन कुछ याद क्यों नहीं आ रहा?"

"तुली कह रहा था कि काम के बाद हम लोगों की, उस काम से वास्ता रखती याददाश्त मिटा दी गई।"

"याददाश्त मिटा दी गई, ऐसा क्यों?"

"वो कहता है, ये सब तय हुआ था।"

"कब की बात है ये?"

"ये नहीं बताया।"

"तुझे भी कुछ याद नहीं ?"

"नहीं।" तीरथ ने होंठ भींचे इंकार में सिर हिलाया।

"मुझे सिर्फ नाम ही याद है। तुली को तो मैंने देखते ही पहचान लिया था, जैसे कि तुझे पहचाना।" राघव आवेश में था।

"मुझे तो तुली की या तुम्हारी शक्ल देखकर लगा कि तुम लोगों को मैं जानता हूं।"

दोनों एक-दूसरे को देखने लगे।

"कितनी अजीब बात है कि जानते हुए भी हम एक-दूसरे के प्रति अनजान हैं।" तीरथ ने कहा।

"तुली ने तुझे भी मारने की चेष्टा की और मुझे भी। ऐसा उसने क्यों किया?"

"होगी कोई बात।" तीरथ सोच-भरे स्वर में बोला--- "हम इस मामले से वास्ता रखती बातें भूल चुके हैं।"

"कुछ याद होता तो हम समझ जाते। तू... तू करता क्या है?"

"मैं...।" तीरथ उसे अपने बारे में नहीं बताना चाहता था कि जाने क्या मामला है--- "मैं कुछ नहीं करता। पहले नौकरी करता था।"

"मन्नू कहां है?" राघव ने पूछा।

"मालूम नहीं।"

"जैनी का भी नहीं पता?"

"इस मामले की कोई बात मुझे याद नहीं।"

"मुझे सिर्फ नाम ही याद है।" राघव होंठ भींचकर बोला--- "कितनी अजीब मुसीबत है ये। तुली तुम्हें कहां मिला।"

"मेरे रेस्टोरेंट में।" अगले ही पल तीरथ बात संभालते हुए कह उठा--- "मेरा मतलब है तब मैं रेस्टोरेंट में बैठा था, जब वो मेरे पास आ गया था। उसने बहुत आराम से मुझसे बात की। मुझे ये सारी बातें बताईं, जो मैंने तुमसे कहीं। तुम सबका नाम भी मुझे तुली ने ही बताया था। उसके बाद वो रिवाल्वर निकालकर मुझे मारने लगा तो उसे धक्का देकर मैं भाग खड़ा हुआ?"

तभी राघव का फोन बजा और दूसरी तरफ एक्स्ट्रा था।

"तूने फोन क्यों बंद कर दिया बात करते-करते।" एक्स्ट्रा ने पूछा।

"मुझे तीरथ मिल गया है।" राघव कह उठा।

"तीरथ?"

"वो ही जो किसी काम में तुली, मन्नू और जेनी के साथ था। ये नाम मैंने तुम्हें दिन में बताए थे।"

"वह कहां मिला?" एस्ट्रा का चौंका स्वर कानों में पड़ा।

"यूं ही मिल गया।"

"कोई चाल न हो उसका मिलना। आज ही तुली तुम्हारे सामने आया और आज ही तीरथ।"

"इस बात का ध्यान रखूंगा मैं।"

"तुम कहां हो। मैं तुम्हारे पास आता...।"

"अभी मैं तीरथ से बात कर रहा हूं। तुमसे बाद में फोन करूंगा।" कहकर राघव ने फोन बंद कर दिया।

"कौन था?" तीरथ बोला।

"दोस्त...। हम एक साथ रहते हैं।" राघव ने तीरथ को देखा--- "अब तुम क्या कर रहे हो?"

तीरथ खामोश रहा।

तभी खाना लाने वाला छोकरा तीरथ से कह उठा।

"आपका खाना लगा दिया साब जी।"

"इसी टेबल पर लगा दो।" तीरथ ने कहा।

राघव और तीरथ उसी टेबल पर बैठ गए।

लड़के ने खाना उस टेबल पर रख दिया।

"कुछ समझ में नहीं आता कि तुमसे क्या बात करूं?" तीरथ कह उठा।

"क्यों?"

"तुम जाने कौन हो। तुली ने तुम्हारा नाम अवश्य बताया था, लेकिन मुझे तुम्हारे बारे में कुछ भी नहीं पता।"

"ये शंका तो मेरे मन में भी है कि तुम्हारा नाम तो जानता हूं परंतु इसके अलावा मुझे कुछ भी याद नहीं। तुम्हीं ने मुझे बताया कि हम सबने मिलकर किसी को मारा था।"

"जो भी हो, बातों में कुछ सच तो है ही।"

"हां।" राघव ने सिर हिलाया--- "ज्यादा नहीं तो थोड़ा-बहुत भरोसा हमें एक दूसरे पर करना चाहिए।"

तीरथ चुप रहा।

"खाना खाओ। ठंडा हो रहा है।" राघव बोला।

"भूख गायब हो गई तुम्हें देखकर। तुमने भी तो खाना बीच में छोड़ दिया।"

राघव ने कुछ नहीं कहा। दोनों अजीब-सी उलझन में थे।

"तुम अब तुली के मामले में क्या कर रहे हो?" राघव ने पूछा।

"मैं अभी तो उससे बचने की चेष्टा कर रहा हूं।"

"बचने की?"

"हां। क्योंकि मुझे नहीं पता कि यह मामला क्या है। कुछ पता नहीं तो छिपना ही पड़ेगा मुझे।"

राघव ने सिर हिलाया।

"तुम्हें याद नहीं कि तुली कहां रहता है?"

"नहीं।"

"तुम पर भी तुली ने आज हमला किया। तुम इस मामले में क्या कर रहे हो?"

"तुली को ढूंढ रहा हूं।"

"क्यों?" तीरथ की आंखें सिकुड़ी।

"ताकि उससे जान सकूं कि ये सारा मामला क्या है?"

"वो तुम्हें मार देगा।"

"कुछ भी हो सकता है, लेकिन मैं सब कुछ जान लेना चाहता हूं।" राघव ने गंभीर स्वर में कहा।

"मैं तुम्हारे घर पर रह सकता हूं?" तीरथ बोला।

"क्यों?"

"तुली से बचना चाहता हूं।"

"मेरे घर पर आज सुबह तुली आया था। वो जानता है कि मैं कहां रहता हूं।"

"ओह! फिर तो मेरा वहां रहना ठीक नहीं।"

"हम दोनों किसी होटल में एक साथ रह सकते हैं।" राघव बोला--- "इन हालात में हम इकट्ठे रहेंगे तो बेहतर होगा।"

"ठीक है।" तीरथ बोला--- "तुम मुझ पर हमला तो नहीं करोगे।"

"हम एक-दूसरे के लिए मन से शक निकाल दें तो ज्यादा ठीक रहेगा। तब हम अच्छी तरह सोच-समझ सकेंगे।"

"क्या हो रहा है ये सब।" तीरथ बड़बड़ा उठा।

■■■

मन्नू ने दोपहर में ही एयरपोर्ट से दूर जाकर कार छोड़ दी थी। उसके बाद उसने टैक्सी ली और अंधेरी वेस्ट के एक होटल जा पहुंचा। पुराना और साधारण-सा होटल था वो। बाहर का बोर्ड भी अपनी जगह छोड़ कर लटक रहा था। वो जान-बूझकर घटिया से होटल में आया था कि जो लोग उसे ढूंढ रहे हैं वे आसानी से उस तक न पहुंच सकें।

मुंबई उसका पुराना शहर था।

ढूंढने पर ढेरों, पुराने लोग मिल जाएंगे। अपने घर भी जा सकता था, परंतु खतरा था हर तरफ।

माईक से इतना खतरा नहीं था, जितना कि 'जिन्न' से था। वो नहीं भूला था कि उसने जिन्न के दो एजेंटों की हत्या की है। ऐसे में 'जिन्न' उसे नहीं छोड़ने वाला। साथ ही जिन्न को इस बात की भी जानकारी थी कि वो ड्यूक हैरी की हत्या के सिलसिले में C.I.A. एजेंट माईक से क्रोशिया में मिला था तो 'जिन्न' उसे किसी भी सूरत में छोड़ने वाला नहीं।

होटल में कमरा लेकर वहीं टिक गया।

वो समझ नहीं पा रहा था कि अब क्या करें?

जैनी के साथ जिन्न ने जाने कैसा व्यवहार किया होगा। इन्हीं सोचों में डूबा मन्नू नींद में जा डूबा। पिछली रात भी वो क्रोशिया और लीवनो में व्यस्त रहा और नींद नहीं ले पाया था।

जब आंख खुली तो कमरे में अंधेरा था। उसने लाइट जलाई। हाथ-मुंह धोया, फिर कमरा बंद करके होटल से बाहर निकल आया कि डिनर ले सके।

उसके निकलने के मात्र पांच मिनट बाद ही राघव और तीरथ उसी होटल में कमरा लेने आ पहुंचे थे।

■■■

"मैं सोचता हूं कुछ दिनों के लिए मुंबई से बाहर चला जाऊं।" तीरथ बोला।

"उससे क्या होगा?"

दोनों होटल के कमरे में बैठे थे। रात के ग्यारह बज रहे थे।

"तुली नाम का खतरा कम होगा। वो मुझे ढूंढ-ढूंढकर थक जाएगा और...।"

"तुम तुली से बचने की ही क्यों सोचते हो? क्या ये नहीं जानना चाहते कि मामला क्या है।" राघव कह उठा।

तीरथ ने राघव को देखा और सिगरेट सुलगाई।

"तुली ने जो बातें बताईं, अगर वे सच हैं, जो कि सच ही लगती हैं तो ये मामला खतरनाक भी हो सकता है।" तीरथ बोला।

"तो तुम डर रहे हो?"

"नहीं।" तीरथ ने इंकार में सिर हिलाया--- "बल्कि मुझे चिंता है कि ड्रग्स का मेरा जमा-जमाया धंधा न बिगड़ जाए। मैं किसी लफड़े में नहीं पड़ना चाहता। मेरा सब कुछ बढ़िया चल रहा है।" तीरथ ने कहा।

"तुम दस-बीस दिन मुंबई से बाहर लगा आए और तुली तब भी तुम्हें ढूंढता रहा तो क्या करोगे?"

तीरथ ने होंठ भींचकर राघव को देखा।

"वो तुम्हें मारना चाहता है। मुझे मारना चाहता है तो तुम क्या सोचते हो की दस-बीस दिन बीत जाने के बाद वो चैन से बैठ जाएगा। हमें भूल जाएगा। ऐसा सोचते हो गलत सोचते हो। वो मुझे खतरनाक और लक्ष्य को पूरा करने वाला इंसान लगा है।"

"तुम्हारा ख्याल है कि मुझे मुंबई से जाना नहीं चाहिए?"

"यही कहना है मेरा। जो हालात हैं, उनका डटकर मुकाबला का करो। पहले तुम अकेले थे, अब हम दो हैं। हालात को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं। हमें तुली को तलाश करके उससे सारा मामला जानना चाहिए।"

"वो हमें दूर से भी गोली मार सकता है।" तीरथ ने गहरी सांस ली।

"तुम्हें इतना घबराना नहीं...।"

"मैं घबरा नहीं रहा, बल्कि इस झंझट से बचकर निकलने की चेष्टा कर रहा हूं। ड्रग्स के धंधे में मेरा बीस-तीस करोड़ रूपया लगा है। इसलिए मैं किसी और काम में उलझना नहीं चाहता।"

"ठीक है, मत उलझो।" राघव ने मुस्कुरा कर कहा और सिगरेट सुलगाकर कश लिया--- "इस तरह क्या वो तुली तुम्हें नहीं मारेगा?"

तीरथ ने मुंह बनाया, फिर पहलू बदला।

"दोनों तरफ ही मुसीबत है।" तीरथ बोला।

"पीठ दिखाने में मुसीबत ज्यादा है, बाकी तुम्हारी मर्जी। मैं तुली को तलाश करूंगा। उससे मामला जानने की चेष्टा करूंगा। नहीं जान सका तो उसे शूट कर दूंगा कि कम-से-कम वह खतरा तो टले।" राघव ने कहा।

"वो खतरनाक है।"

"मैं भी कम नहीं।"

"वो जाने कौन है। वो मरा तो उसकी जगह दूसरा आदमी आ जाएगा हमें मारने के लिए।"

"ठीक कहा, तभी तो कहता हूं कि मामले की जड़ तक पहुंचो। तुली को गर्दन से पकड़कर सारा मामला जानो। जब तक जड़ का पता नहीं चलेगा, तब तक हम मामला सुधार नहीं सकते। असल बात जानना जरूरी है हमारे लिए।"

"मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूं?"

"पूरी तरह। जो तुम्हारे हालात हैं, वही मेरे हैं मैं तो...।"

तभी राघव का फोन बजा दूसरी तरफ धर्मा था।

"कहो।" राघव बोला।

"कहां हो तुम?"

"एक घटिया से होटल में। तीरथ मेरे साथ है।"

"आखिर ये सब हो क्या रहा...?"

"मुझे भी कुछ पता नहीं। हम मामले के भीतर तक पहुंचने की चेष्टा कर रहे हैं। तुली की कोई खबर?" राघव ने पूछा।

"हमारे पास कोई खबर नहीं।"

"सावधान रहना। वो हमारे फ्लैट के बारे मैं जानता है।"

"वह तुम्हें मारना चाहता है।"

"मेरी कोई खबर नहीं मिलने पर वो तुम पर हाथ डाल सकता है और पूछेगा कि मैं कहां हूं।"

"सामने आने दो उसे।" धर्मा का स्वर कठोर हो गया--- "तुम अपने होटल के बारे में बताओ।"

"यहां आना मत। तुली इस वक्त भी तुम पर नजर रखता हो सकता है।" कह कर राघव ने होटल के बारे में बताया।

"अब तुम क्या करोगे?" धर्मा की आवाज कानों में पड़ी।

"तुली को ढूंढना है।। तुम भी ढूंढो। कोई खबर मिले तो बताना।"

"तुम तीरथ के साथ रहोगे?"

"जब तक ये मामला ठीक नहीं होता, मेरा तीरथ के साथ ही रहना ठीक है। अब सुबह बात करेंगे।" कहकर राघव ने फोन बंद कर दिया।

"तुमने अपने बारे में सच नहीं बताया कि तुम कौन...?"

"पहले तुली के बारे में जान लूं, उसके बाद अपने बारे में बात करूंगा।"

"तो तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं।"

"है, परंतु इस वक्त हमें तुली के बारे में बातें करनी चाहिए। नींद लेने से पहले चाय पीना चाहोगे?"

"हां, कोई हर्ज नहीं।"

राघव ने दीवार पर लगे कॉलबेल के स्विच को दबाया। परंतु वो स्विच खराब निकला।

"मैं रिसेप्शन पर चाय के लिए कहकर आता हूं।" राघव ने कहा दरवाजा खोलकर कमरे से बाहर निकला।

कतार में बने कमरों के बाहर तीन फीट का रास्ता था। एक जगह बल्ब जल रहा था। रोशनी मद्धिम थी, परंतु इतनी भी कम नहीं थी कि किसी को पहचाना न जा सके। सामने से मन्नू आ रहा था। डिनर के पश्चात वो होटल वापस लौटा था।

राघव की निगाह उस पर पड़ी तो चेहरे पर अचकचाहट भरे भाव आ ठहरे।

"मन्नू?" उसके होंठों से निकला।

दरवाजा खुला था। भीतर बैठे तीरथ ने यह शब्द सुना तो वो तुरंत खुले दरवाजे पर आ गया।

"क्या कहा?" तीरथ के होंठों से निकला।

"वो देख, मन्नू... वो मन्नू है।"

और तब तक सामने से आते मन्नू ने भी राघव को देख लिया था। उसके चेहरे पर से कई तरह के भाव आकर, आगे बढ़ गए। अब उसकी आंखें हैरानी से फैल गई थी।

"राघव!" मन्नू के होंठों से निकला।

"पहचान लिया तुमने?" राघव ने अजीब से स्वर में कहा।

तभी दरवाजे से गर्दन निकालकर तीरथ ने मन्नू को देखा।

मन्नू की निगाह तीरथ पर पड़ी।

"तीरथ? तुम दोनों एक साथ।" मन्नू पास आ पहुंचा था।

"दो नहीं, अब तीन, तीनों एक साथ।" राघव ने उसकी बांह पकड़ी और उसे कमरे में खींच लिया।

"तुम दोनों जिंदा हो।" मन्नू का हैरानी में डूबा स्वर असंयत था।

"हां, आज हम दोनों को ही तुली ने मारने की चेष्टा की। उसके बाद हम दोनों अचानक ही मिल गए।"

"आज मारने की कोशिश की। मैंने तो सोचा आठ साल पहले मार दिया होगा।"

"आठ साल पहले?" तीरथ की आंखें सिकुड़ी।

मन्नू खुद को नए हालात में ढालने की चेष्टा कर रहा था। वो अभी तक हैरान था।

"तेरे को सब कुछ याद है?" राघव ने पूछा।

"हां, सब कुछ याद है।" मन्नू ने दोनों को देखा।

"हमें कुछ भी याद नहीं आ रहा था, तुम बताओगे कि हम लोगों के साथ क्या हुआ था और ये तुली कौन है?"

"तुली?" मन्नू ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी--- "इसका मतलब आठ साल पहले उस काम की याददाश्त, तुम्हारे दिमागों से मिटा दी गई थी।"

"शायद ऐसा ही कुछ हुआ होगा।" तीरथ बोला--- "तुम बताओ कि क्या हुआ था।"

राघव ने आगे बढ़कर दरवाजा बंद किया।

"तुम यहां इस होटल में कैसे?" तीरथ ने पूछा।

"दोपहर में मैं इस होटल में ठहरा थ।"

"क्या इत्तेफाक है, हम फिर मिल गए।" राघव बोला--- "जैनी की कमी रह गई।"

"जैनी की याद है तुम्हें?" मन्नू ने उसे देखा।

"याद कुछ नहीं।" राघव ने सिर हिलाया--- "सिर्फ नाम का ही पता...।"

"वो सुबह तक, बल्कि दोपहर तक मेरे साथ थी, परंतु अब वो 'जिन्न' के कब्जे में है।" मन्नू व्याकुल स्वर में बोला।

"जिन्न?"

"F.I.A. । फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी। इस एजेंसी के एजेंट बेहद खतरनाक हैं।" मन्नू ने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा--- "भारत सरकार द्वारा इस एजेंसी को चलाया जा रहा है और तुली भी F.I.A. का एजेंट है।"

राघव और तीरथ की नजरें मिलीं।

मन्नू के होंठ भिंच गए थे।

"तुम हमें बताओ कि ये सब क्या हो रहा है?"

"आठ साल बाद, मैं आज ही इंडिया लौटा और इस वक्त बहुत मुसीबत में...।"

"हम भी मुसीबत में हैं। तुम पहले हमें सारा मामला बताओ, ताकि हमें भी पूरी तरह हालात का आभास हो सके।"

फिर मन्नू ने सब कुछ बताया।

राघव और तीरथ को उनके सवालों के जवाब, मन्नू की बातों में ही मिलते चले गए।

■■■

राघव और तीरथ ने वो सब जान लिया था, जो मन्नू जानता था और उन्हें याद नहीं था।

अब वो तीनों एक समान हालात से वाकिफ थे।

मन्नू के खामोश होने के बाद वहां कुछ देर चुप्पी छाई रही।

तीनों एक-दूसरे को देखते रहे।

"जिन्न तो बहुत खतरनाक है।" तीरथ के होंठों से निकला।

"F.I.A. के बारे में सुन रखा है मैंने।" राघव गंभीर स्वर में बोला।

"जब हमने काम किया, तब हमें नहीं मालूम था कि हम 'जिन्न' के लिए काम कर रहे हैं।" मन्नू कह उठा--- "तब इस संस्था को 'जिन्न' के नाम से ही जाना जाता था। ये अब पता चला कि 'जिन्न' को नया नाम F.I.A. मिल गया है।"

"हम खतरनाक हालात में घिर चुके हैं।" राघव का स्वर गंभीर था।

"ये सब गलती मन्नू की है।" तीरथ उखड़े स्वर में बोला।

"मेरी?"

"हां, तुम C.I.A. से बात नहीं करते तो ये सब नहीं होता था। सब ठीक चलता रहता।"

"मुझे जैनी को बचाने के लिए पैसों की जरूरत थी। मैं जैनी को इस तरह मरने नहीं दे सकता था।" मन्नू ने गहरी सांस ली।

"उसका नतीजा तुम्हारे सामने है। जिसे बचाने के लिए तुमने ये सब किया, वो 'जिन्न' के हाथों में फंसी पड़ी है और वो तुम्हारे-हमारे पीछे है। क्रोशिया में तुमने उनके दो एजेंट भी मारे। ये सारा गुस्सा वो हम पर ही निकालेंगे।"

"मुझे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि हालात इस कदर बिगड़ जाएंगे।"

"तुम...।"

"चुप हो जाओ तीरथ! ये सब करके मन्नू मजे नहीं ले रहा। वह भी बुरी तरह फंसा पड़ा है।" राघव ने कहा।

"अब मैं सोचता हूं कि मुझे माईक की बात मान लेनी चाहिए थी। वो मुझे अमेरिका में सुरक्षा के साथ लाखों डॉलर भी दे रहा था। जैनी साथ में होती और हम अमेरिका में आसान जिंदगी बिताते।" मन्नू कह उठा।

"तो क्या F.I.A. तुम्हें छोड़ देती?" राघव ने कड़वे स्वर में कहा।

मन्नू ने उसे देखा।

"चूंकि तुमने मुंह नहीं खोला, इसलिए तुम्हारे बचने के चांसेस अभी बाकी है। अभी अपने को मरा मत समझो।"

"बचने के चांसेस जरा भी नहीं हैं।" मन्नू ने इंकार में सिर हिलाया।

"वो हमें इसलिए मार देना चाहते हैं कि हम C.I.A. को ड्यूक हैरी की हत्या के बारे में कुछ न बता सकें।" राघव ने कहा--- "हमें तुली को तलाश करके उसे समझाना होगा कि हम लोगों का ऐसा कोई इरादा नहीं है।"

"और तुली तुम्हारी बात मान लेगा।" तीरथ ने कड़वे स्वर में कहा।

"हमें तुली से बात तो करनी चाहिए।"

"बेकार है। F.I.A. वालों से रहम की उम्मीद नहीं की जा सकती।"

राघव दोनों को देखने लगा। चेहरे पर सोचें दौड़ रही थीं।

"एक बात मैंने सोची है।" राघव बोला।

"क्या?"

"अगर तुमने मुंह खोला होता और माईक को सब बताया होता तो तुली के बारे में भी बताया होता।"

"तो?"

"तो तुली की स्थिति भी हमारे जैसी होती। माईक तुली तक पहुंच जाता किसी भी तरह। उसे ढूंढ लेता।"

"क्या कहना चाहते हो?"

"ये बात F.I.A. भी जानती होगी कि हममें से किसी का मुंह खोलने पर तुली भी माईक की नजरों में आ जाएगा।"

मन्नू और तीरथ की निगाह राघव के चेहरे पर जा टिकी।

"ऐसे में तुली की स्थिति भी हमारे जैसी हुई। F.I.A. हमें मारना चाहती है तो तुली को भी सलामत नहीं छोड़ेगी। अगर इस मामले को वो हमेशा के लिए दबाना चाहती है।" राघव ने अपने शब्दों पर जोर देकर कहा।

"बहुत खतरनाक बात कह रहे हो।" मन्नू के होंठों से निकला।

"लेकिन ये बात मुझे ठीक लगती है।" तीरथ कह उठा।

"फिर तो तुली को कब का मर जाना चाहिए था। F.I.A. ने उसे छोड़ा क्यों?" मन्नू बोला।

"मेरे ख्याल में F.I.A. एक तीर से दो शिकार करना चाहती है। F.I.A. तुली को भी खत्म करेगी, परंतु तब जब वो हम तीनों को खत्म कर देगा और तुली को अपने ऊपर मंडरा रहे खतरे का पता नहीं है।"

"तुम्हारा सोचना गलत भी हो सकता है।" मन्नू बोला।

"मुझे इसकी बात ठीक लगती है।" तीरथ ने फौरन कहा--- "F.I.A. ऐसा ही करेगी।"

"और तुली इतने बड़े खतरे से अनजान है।" मन्नू कह उठा--- "अपनी मौत से बेखबर वो हमें मारने के लिए भागा फिर रहा है। मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी बात सही हो सकती है। वो F.I.A. का हत्यारा है। उनका एजेंट है।"

"तुम F.I.A. को ठीक से नहीं जानते, लेकिन मैंने इस एजेंसी के बारे में कई बातें सुन रखी हैं। F.I.A. सिर्फ देश की बेहतरी के लिए सोचती है। देश की बेहतरी के लिए ये एजेंसी किसी भी हद तक जा सकती है। हममें से किसी का मुंह खुलता है तो सारा मामला खुलेगा और तुली का भी जिक्र होगा। उसका हुलिया भी पूछा जाएगा। हो सकता है कंप्यूटर आर्टिस्ट को पास बैठाकर उसका स्केच तैयार करवाया जाए कि उसका चेहरा कैसा लगता है। C.I.A. के लिए दुनिया का कोई भी देश हो, अपने घर जैसा होता है उनके लिए। वो हर काम कर डालते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता। तुली को भी वे ढूंढ लेंगे, हमारा मुंह खुलते ही। इस तरह तुली की स्थिति भी हम जैसी हुई 'ऑपरेशन टू किल' के मामले में F.I.A. उसे भी खत्म करेगी, ताकि C.I.A. के हाथ कुछ भी न लगे। तुली को मारने से पहले वो तुली के हाथों हमें मरवा देना चाहते हैं।"

"मुझे तुम्हारी बात पर यकीन नहीं।" मन्नू बोला।

"तुम्हारे यकीन करने या न करने से हालात बदलने वाले नहीं। मेरी बात सच है।" राघव जोर देकर बोला।

"मैं जानना चाहता हूं कि तुम्हारी C.I.A. वाली बात सच है कि नहीं?" एकाएक तीरथ कह उठा।

"तो क्या मैं झूठ कह...।"

"तुम सच कह रहे हो, इसका मुझे कैसे यकीन हो, क्या पता, असल मामला कुछ और हो।"

"मेरे पास C.I.A. की न्यूयॉर्क ब्रांच का फोन नंबर है। जिससे  मैंने चीफ लैरी से बात की।" मन्नू बोला

"वो नंबर मुझे दिखाओ।"

"तुम्हें मुझ पर शक नहीं करना चाहिए।" मन्नू ने जेब से मोबाइल निकालते हुए कहा और फिर उसकी उंगलियां की-पैड के बटनों से छेड़छाड़ करने लगीं। कुछ पलों के लिए वहां खामोशी आ ठहरी।

राघव ने सिगरेट सुलगाई। वो सोचों में डूबा हुआ था।

तभी मन्नू ने स्क्रीन पर आए एक नंबर को तीरथ के सामने करके कहा।

"ये है न्यूयॉर्क के C.I.A. चीफ टॉम लैरी का नंबर।"

तीरथ ने उस नंबर पर नजर दौड़ाई, फिर सिर हिलाकर कह उठा।

"मेरी समझ में नहीं आ रहा कि ये सब क्या हो रहा है।"

मन्नू ने फोन बंद करके जेब में रखा।

"हम बुरी तरह फंस चुके हैं। अब हमें क्या करना चाहिए।" मन्नू ने दोनों पर निगाह दौड़ाई।

"तुली हमारी समस्या को दूर कर सकता है।" राघव बोला।

"तुली?"

"हां, हमें उससे बात करके देखनी चाहिए। मैं उसे समझाऊंगा कि F.I.A. भी उसे जिंदा नहीं छोड़ने वाली--- वो ये...।"

"तुम्हें तुली की क्यों चिंता हो रही...?"

"मुझे तुली की नहीं, हम तीनों की चिंता है और बात तभी बनेगी, जब तुली हमारी बात समझ ले।"

"वो F.I.A. का हत्यारा है। हमारी बात सुनेगा भी नहीं। तुम बेकार की कोशिश करने की सोच रहे हो।"

"लेकिन मैं कोशिश करूंगा।" राघव ने दृढ़ स्वर में कहा।

"हमें क्या पता है कि तुली किधर है उससे कैसे बात होगी।"

राघव ने फोन निकाला और एक्स्ट्रा के नंबर मिलाए।

"बोल।" एक्स्ट्रा की आवाज कानों में पड़ी।

"F.I.A. यानि 'जिन्न' के बारे में जानकारी लेनी है।" राघव बोला।

"जिन्न?" एक्स्ट्रा का अजीब-सा स्वर कानों में पड़ा--- "चक्कर क्या है?"

"अभी मन्नू मिला। इत्तेफाक से वो मिल गया, जबकि आठ सालों बाद वो क्रोशिया से आज ही इंडिया लौटा है।"

"इसका मतलब तुम, तीरथ और मन्नू इकट्ठे हो?"

"हां। मन्नू से पता चला कि असल मामला क्या है। तुली F.I.A. का पेशेवर हत्यारा है "

"नहीं।"

"सच बात है ये।"

"F.I.A. तुम्हारे पीछे क्यों?"

"बताता हूं।" उसके बाद राघव ने सारी बात एक्स्ट्रा को बताई।

"तुम लोग खतरनाक हालात में फंसे पड़े हो। हम आते हैं तुम्हारे पास।"

"मेरे पास आने की गलती मत कर देना।" राघव कह उठा--- "वरना तुम दोनों भी जिन्न के निशाने पर आ जाओगे।"

एक्स्ट्रा के गहरी सांस लेने की आवाज सुनाई दी।

"जिन्न से टक्कर नहीं ली जा सकती, वो भारत सरकार की खतरनाक संस्था है। एक मरेगा तो दो सामने आ जाएंगे। इसलिए अपना बचाव करते हुए आगे बढ़ना है। जितना खतरा हमें है, उतना ही तुली को भी है, परंतु वो समझ नहीं पा रहा।"

"तुम्हारी बात सही है।" एक्स्ट्रा का गंभीर स्वर कानों में पड़ा।

"ऐसे में तुली से बात करना जरूरी है, परंतु हमें नहीं मालूम कि वह किधर होगा। तुम जिन्न के किसी फोन नंबर की तलाश करो।"

"ये आसान काम नहीं है।"

"मैं जानता हूं आसान नहीं है, परंतु तुम इस काम पर लग जाओ। मुझे जिन्न का कोई फोन नंबर दो, ताकि बात कुछ आगे बढ़े। हो सके तो तुली के बारे में पता करो कि वह कहां मिल सकता है।"

"कोशिश करता हूं।"

राघव ने फोन बंद करके जेब में रखा।

"तुमने किसे फोन किया?" मन्नू ने पूछा।

"दोस्त को।" राघव बोला।

"कैसा दोस्त?"

"तुम्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए।"

"तुमने उसे सब कुछ बता दिया--- वो...।"

"उसकी फिक्र मत करो। उसे पूरी तरह भूल जाओ। इन हालातों से बचने का कोई रास्ता देखो।"

"सारी मुसीबत इसी की बुलाई हुई है।" तीरथ टेढ़े स्वर में बोला।

"अगर मुझे पहले से ही मालूम होता कि ये सब होता तो पैसा पाने के लिए मैं दूसरा रास्ता ढूंढता। ये क्यों भूलते हो कि मैं जैनी के साथ चैन से जिंदगी बिता रहा था और वो सब कुछ खत्म हो गया। मैंने जान-बूझकर कुछ नहीं किया।"

"तेरी वजह से हम तो फंस गए।"

"चुप रहो।" राघव तीरथ से बोला--- "हम एक दूसरे को दोष देकर बचने वाले नहीं। फिर राघव ने कहा--- "F.I.A. ने जैनी से बात की होगी।"

"हां।"

"जैन जी के पास क्या था F.I.A.को बताने को?"

"यही कि मैंने C.I.A. को कुछ नहीं बताया।" मन्नू ने कहा।

"लेकिन F.I.A. उसकी ये बात नहीं मानेगी। वो यही सोचेगी कि जैनी झूठ बोल रही है।" राघव ने कहा।

"जैनी को F.I.A. सच समझे या झूठ, इससे हमें कोई मतलब नहीं।" मन्नू खीझकर बोला--- "मैं तो सिर्फ इतना जानता हूं कि F.I.A. हमें नहीं छोड़ेगी। जब तक हम जिंदा हैं F.I.A. चैन से नहीं बैठेगी।"

"मैं इसकी बात से सहमत हूं।" तीरथ बोला--- "अब क्या किया जाए?"

"हमारे पास यही एक रास्ता है कि हम किसी तरह तुली से संपर्क बना लें। उससे बात कर सकें।" राघव ने गंभीर स्वर में कहा।

"ये भी कोई पक्का रास्ता नहीं है।" मन्नू ने कहा।

"तो हम इसी होटल में रहेंगे?" तीरथ ने राघव को देखा।

"और कोई जगह नहीं, हमारे पास?"

"यहां F.I.A. हमें ढूंढ सकती है। मेरे पास कई जगह हैं, उनमें से किसी में हम टिक सकते हैं।"

"आज की रात तो हम यहीं रहेंगे। ये बात कल सोचेंगे कि हमें यह जगह छोड़नी है कि नहीं।"

■■■

अगले दिन सुबह तीरथ दस बजे तक नहा-धोकर तैयार हो गया।

जबकि राघव और मन्नू तब नींद से ही उठे थे।

"कहां जा रहे हो?" मन्नू ने पूछा।

"कहीं नहीं, सिगरेट खत्म हो गई है। वो लेने जा रहा हूं।" तीरथ बोला।

"सिगरेट लाने के लिए इतनी तैयारी?" राघव मुस्कुरा पड़ा।

"आदत है सुबह सबसे पहले मैं तैयार होने का काम करता हूं।" तीरथ भी मुस्कुराया--- "अभी आता हूं।"

"सतर्क रहना। तुली की नजर तुम पर पड़ सकती है। क्या पता वो बाहर ही हो।" मन्नू ने कहा।

तीरथ कमरे से बाहर निकल गया।

"एक बात समझ में नहीं आ रही।" मन्नू ने राघव को देखा।

"क्या?"

"F.I.A. बहुत बड़ा संगठन है, ऐसे में सिर्फ तुली ही हमें क्यों ढूंढ रहा है। अकेला क्यों है?"

"हमें क्या पता--- हो सकता है वो अकेला न हो। उसके साथ और लोग भी हों।" राघव ने कहा।

"वो अकेला ही है।" मनु ने सोच-भरे स्वर में कहा।

"कैसे?"

"तीरथ की जान तुली अकेला पहुंचा था और तुम्हारी जान लेते वक्त भी वो अकेला था, जबकि जिन्न जब किसी को घेरता है तो बच पाना संभव नहीं होता। वे कई लोग होते हैं और उनका शिकार तड़पकर फंस जाता है। बच नहीं सकता। मैंने भुगता है जिन्न को क्रोशिया में, लीवनो में।" मन्नू ने गंभीर स्वर में कहा--- "तुली जब तुम पर वार करने को आगे बढ़ा तो वह कभी न भागता, अगर वो अकेला न होता। उसके दूसरे साथी तुम्हारे दोनों साथियों को पहले ही दबोच लेते। तीरथ के यहां भी तुली उसके आदमियों के बीच तभी फंसा कि वो अकेला था। तभी तो तीरथ को भाग निकलने का मौका मिला।"

"हो सकता है तुली अकेला ही ये काम कर रहा हो।"

"जिन्न जब भी कोई काम करता है, इस तरह करता है कि उनके शिकार को बचने का मौका न मिले। मकड़े की तरह वो शिकार को आठों तरफ से जकड़ लेते हैं। जिन्न कभी भी कोई काम अकेले नहीं करता, फिर तुली अकेला क्यों है?"

"तुम कहना क्या चाहते हो?"

"पता नहीं--- मैं तो...।"

तभी राघव का फोन बजा।

"हैलो!" राघव ने बात की। दूसरी तरफ धर्मा था।

"तुम ठीक हो?"

"हां।"

"मन्नू और तीरथ तुम्हारे साथ हैं?"

"हां, जिन्न के बारे में कुछ पता चला या तुली के बारे में? उनका कोई फोन नंबर?" राघव ने पूछा।

"पता कर रहे हैं। कुछ देर बाद फोन करेंगे। अभी तो तुम्हारी खैरियत जानने के लिए फोन किया है।"

राघव ने फोन बंद कर दिया।

"मुझे जैनी की चिंता हो रही है। वो F.I.A. के कब्जे में है।" मन्नू व्याकुल स्वर में कह उठा।

राघव ने कुछ नहीं कहा।

■■■

तीरथ होटल से बाहर निकल कर पैदल ही आगे बढ़ गया। वो सतर्क था। तुली की तरफ से भी और हर तरफ से भी। रह-रहकर वो अपने पीछे देख लेता था। ये भरा-पूरा बाजार था। लोग आ-जा रहे थे। कभी-कभार कोई वाहन भी शोर करता वहां से निकल जाता था। कुछ आगे जाने पर तीरथ ठिठका। सामने ही पब्लिक बूथ था।

वो बूथ पर पहुंचा। वहां एक औरत बैठी हुई थी।

"अमेरिका फोन करना है।" तीरथ बोला।

"उस बूथ से कर लो।" औरत ने एक बूथ की तरफ इशारा किया।

तीरथ उस बूथ में पहुंचा रिसीवर उठाकर नंबर मिलाने लगा। वो नंबर, जो रात मन्नू ने अपने मोबाइल फोन की स्क्रीन पर दिखाया था। C.I.A. न्यूयॉर्क ब्रांच का नंबर। उस नंबर को देखते ही रात, तीरथ में याद करके मस्तिष्क में सुरक्षित रख लिया था और अब उस नंबर का इस्तेमाल कर रहा था।

पहले तीन-चार मिनट तो नंबर लगा नहीं। एंगेज जाता रहा था।

काफी कोशिशों के बाद नंबर लगा। बेल हुई, तुरंत ही रिसीवर उठाया गया था।

"हैलो।" उधर से युवती की आवाज कानों में पड़ी।

"C.I.A. न्यूयॉर्क ल ऑफिस?" तीरथ ने सतर्क स्वर में कहा।

"यस।"

"मुझे चीफ टॉम लैरी से बात करनी है। मैं इंडिया से, मुंबई से बोल रहा हूं।"

"क्यों बात करनी है, कारण बताओ।"

"तुम बात कराओ। इसमें C.I.A. का ही फायदा है। मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है।"

"इस तरह चीफ से तुम्हारी बात नहीं कराई जा...।"

"माईक इस वक्त मुंबई में है। C.I.A. का एजेंट माईक। मैंने उसी सिलसिले में बात करनी है।"

"होल्ड करो।"

तीरथ रिसीवर थामें खड़ा रहा। चेहरे पर तनाव का असर था। मिनट-भर बाद उसके कानों में चीफ टॉम लैरी की आवाज पड़ी।

"हैलो, मैं चीफ टॉम लैरी, क्या कहना चाहते हो तुम?"

"माईक इस वक्त मुंबई में है।" तीरथ बोला।

"हां।"

"मुझे उसका नंबर चाहिए।"

"क्यों?"

"जो वो जानना चाहता है, वो मैं बता सकता हूं उसे।" तीरथ बोला।

"तुम क्यों बताओगे?"

"क्योंकि बदले में वो लाखों डॉलर मुझे देगा, जो वो मन्नू को देने वाला था।" तीरथ ने कहा।

"तुम कौन हो?"

"मैं उस दल का सदस्य हूं, जिस दल ने अमेरिकी विदेश मंत्री ड्यूक हैरी को मारा था।"

"तुम्हारा नाम?"

"नहीं बताऊंगा। तुम माईक का नंबर देते हो या नहीं?" तीरथ का स्वर उखड़ा--- "मैं फोन बंद कर दूंगा।"

"नोट करो।" इसके साथ ही माइक का नंबर बताया गया--- "तुम अपना नंबर दे दो, मैं माईक को...।"

"थैंक्स! मैं खुद ही उससे बात कर लूंगा।" तीरथ ने कहा और फोन काट दिया। इतने में ही उसके चेहरे पर तनाव आ चुका था। गहरी सांस लेकर उसने उस औरत को देखा, जो अखबार पढ़ने में व्यस्त थी। उसके बाद तीरथ ने रिसीवर उठाया और चीफ टॉम लैरी का बताया माईक का नंबर डायल किया।

दो बार ट्राई करने के बाद दूसरी तरफ बेल बजने लगी।

"हैलो।" फिर माईक की आवाज कानों में पड़ी।

"माईक?" तीरथ ने धीमे स्वर में पूछा।

"हां--- तुम...?"

"मैंने तुम्हारे चीफ टॉम लैरी को फोन करके तुम्हारा नंबर लिया है। समझ रहे हो मेरी बात?"

"कहो।"

"तुम मुंबई में हो। मैं भी यहीं हूं। मैं जानता हूं तुम मन्नू के पीछे हो, ताकि ड्यूक हैरी की हत्या का सच जान सको।"

"तुम कौन हो?"

"मैं उसी दल का सदस्य हूं, जिसने ड्यूक हैरी की हत्या की थी।" तीरथ बोला।

"क्या चाहते हो?" माईक की आवाज में सतर्कता आ गई थी।

"तुम्हें जो जानकारी चाहिए, वो मैं दे सकता हूं। मुझे डॉलर चाहिए, बीस लाख।"

"बीस लाख?"

"हां, पूरे--- तुम...।"

"ये डॉलर हैं।" माईक की आवाज कानों में पड़ी--- "हिन्दुस्तान के नोट नहीं, जो कि कम कीमत के हों।"

"तुम्हें जानकारी नहीं चाहिए?"

"बीस लाख के बदले नहीं। मन्नू के साथ मेरा दस लाख में सौदा हुआ था। उसमें से एक लाख वो ले चुका है।"

"लेकिन मन्नू ने तुम्हें जानकारी नहीं दी। मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगा। सोच लो।"

"बीस ज्यादा हैं।"

"अट्ठारह दे देना।"

"दस।"

"ड्रामा मत करो। पंद्रह लाख डॉलर देते हो तो ठीक, नहीं तो मैं फोन बंद...।"

"ठीक है।" माईक की आवाज कानों में पड़ी--- "तुम इस मामले की गवाही भी दोगे।"

"गवाही?"

"हिन्दुस्तान की सरकार के सामने अमेरिकी सरकार ये मामला रखेगी। गवाह के तौर पर तुम्हें सामने आना होगा।"

"पागल हो क्या?"

"क्यों?"

"बात जानकारी देने की हो रही है, गवाही कि नहीं। अपने देश की सरकार के खिलाफ गवाही दूंगा तो जिंदा नहीं बच पाऊंगा।"

"गवाही जरूरी है।"

"पंद्रह लाख डॉलर में तुम मेरे मालिक नहीं बन सकते।" तीरथ ने होंठ भींचकर कहा।

"रकम बढ़ई भी जा सकती है।"

"तुम नहीं जानते, इस मामले में F.I.A. है, वो मुझे मार...।"

"मैं जानता हूं इस मामले में F.I.A. है।" माईक ने उधर से कहा--- "जो तुम मुझे बताना चाहते हो, वो बातें मैं काफी हद तक जानता हूं, परंतु सिलसिलेवार नहीं जानता। गवाही के बिना बात नहीं बन पाएगी। तुम डरते क्यों हो? अमेरिका तुम्हारा साथ देगा।"

"क्या साथ देगा?"

"तुम्हें अमेरिका की नागरिकता मिल जाएगी। एक फ्लैट भी दिया जाएगा।"

"उसके बाद क्या होगा, मेरा काम-धंधा।"

"इंडिया में क्या करते हो तुम?"

"ड्रग्स का कारोबार करता हूं।"

"ये काम क्या अमेरिका में नहीं होते, वहां भी ये काम कर सकते हो।"

तीरथ ने गहरी सांस ली।

"मैं हिन्दुस्तान नहीं छोड़ना चाहता। जो मजा यहां है, वो कहीं और नहीं। कई देशों में घूमा हूं मैं, परंतु जो चैन मुझे अपने देश की जमीन पर पहुंचकर मिलता है, वो कहीं नहीं मिलता। मुझे तो लगता है कि धरती का स्वर्ग है हिन्दुस्तान।"

"भावुक क्यों हो रहे हो, हम सौदा कर रहे हैं।"

"इस सौदे में मुझे देश छोड़ना मंजूर नहीं।"

"मैं तुम्हें मुंह मांगी रकम बीस लाख देने को तैयार हूं। तुम्हें गवाही देनी होगी।"

"इस बारे में मुझे सोचना पड़ेगा।"

"तुम बेकार में चिंता कर रहे हो। मैं तुमसे मिलना चाहता हूं। मिलकर बढ़िया बात होगी।"

"मैं अभी नहीं मिल सकता।"

"तुम अमेरिकन एंबेसी आ जाओ। ये जगह सुरक्षित है, हम आराम से बात करेंगे।"

"सोचूंगा।" तीरथ ने बेचैन स्वर में कहा--- "F.I.A. हमें मारने के लिए तलाश कर रही है।"

"हमें से मतलब? क्या तुम लोग एक से ज्यादा हो?"

"बेकार की बातें मत करो। मैं तुम्हें फिर फोन करूंगा।"

"तुम्हारा नाम क्या है?"

"रहने दो अब...।"

"क्या मैं बीस लाख तैयार रखूं?"

"तैयार रखने में क्या हर्ज है। वो भाग थोड़े न जाएंगे।" तीरथ ने कहा और फोन बंद कर दिया। चेहरे पर परेशानी-उलझन के भाव नजर आ रहे थे। उसने औरत को फोन के पैसे चुकाए और बाहर निकल आया।

■■■

तीरथ वापस होटल पहुंचा। चेहरा सामान्य और मुस्कान भरा था।

मन्नू और राघव तब तक नहा-धोकर तैयार हो चुके थे।

तीरथ हाथ में पकड़ा लिफाफा टेबल पर रखता बोला।

"गर्म पकौड़े हैं, नाश्ता कर लो।"

"इतनी देर कहां लगा दी?"

"पकौड़े ढूंढ रहा था।" तीरथ ने हँसकर कहा और कुर्सी पर बैठते हुए सिग्रेट सुलगाई--- "अब क्या करें हम?"

मन्नू ने पकौड़ों का लिफाफा खोला और राघव के साथ, खाना शुरू कर दिया।

"बिना वजह से हमें होटल से बाहर जाने की जरूरत नहीं।" मन्नू ने कहा--- "बाहर खतरा है।"

"और बाहर जाने की वजह कैसे पैदा होगी?"

"देखते हैं।" मन्नू ने गंभीर स्वर में कहा--- "जिन्न हमें मारने के लिए ढूंढ रहा है।"

"हम लोगों का कमरे में बैठा रहना भी तो ठीक नहीं।"

"तुम नाश्ता नहीं करोगे?" राघव ने पूछा।

"कर लिया है मैंने। तुम करो।"

तभी राघव का फोन बजा।

"हैलो!" राघव ने खाते हुए बात की।

"एक पुलिस वाले से, एक मोबाइल नम्बर मिला है।" धर्मा की आवाज कानों में पड़ी--- "उस पुलिस वाले का दावे के साथ कहना है कि नम्बर जिन्न यानी कि F.I.A. का ही है। उसका कहना है कि महीना-भर पहले F.I.A. की तरफ से एक मामले से पीछे हटने के लिए फोन आया था और उसने नम्बर अलग से, यूं ही नोट करके रख लिया था। बीस हजार में उसने नम्बर मुझे दिया।"

"नम्बर बताओ।" राघव बोला--- "ट्राई करने में क्या हर्ज है?"

उधर से धर्मा ने नम्बर बताकर पूछा।

"तुम क्या करना चाहते हो?"

"अभी मुझे भी नहीं पता।" राघव का स्वर गंभीर हो गया--- "मैं तुली से बात करना चाहता हूं। उसे बताना है कि वो भी हमारी तरह खतरे में है। बेवकूफ इस बात को जरा भी नहीं समझ रहा। तुली हमारी तरफ हो गया तो फिर ये मामला संभल सकता है।"

"कुछ नहीं कहा जा सकता कि इस मामले में आगे क्या हो जाए।"

"हां, कुछ भी हो सकता है।"

"हमारे लिए कोई काम बताओ।" धर्मा की आवाज कानों में पड़ी।

"मैं तुम लोगों को इस मामले से दूर रखना चाहता हूं।" राघव ने कहा--- "मैं नहीं चाहता कि F.I.A. ये सोचे कि तुम लोग इस मामले को जान चुके हो, तब तुम दोनों के लिए भी खतरा बन जाएगी F.I.A.।"

"हमारी परवाह मत करो--- हम...।"

"मुझे सबकी परवाह है। फोन बंद करो। मैं फिर बात करूंगा।" कहकर राघव ने फोन बंद कर दिया।

मन्नू और तीरथ की निगाह राघव पर थी।

राघव ने उन्हें नम्बर के बारे में बताया।

"हमें ये तो नहीं मालूम कि ये नम्बर किसका है। ये किसी एजेंट का भी हो सकता है।" तीरथ ने कहा।

"किसी का भी हो सकता है। अगर जिन्न से वास्ता रखता हुआ है तो हमारा काम बना सकता है।" राघव बोला--- "हम बाहर चलेंगे और इस नम्बर पर फोन करेंगे। हम इस सलीके से कम-से-कम दस किलोमीटर दूर जाकर फोन करेंगे, ताकि वो सोच न सकें कि हम यहाँ से हो सकते हैं।"

■■■

दोपहर का एक बज रहा था।

राघव ने उस नम्बर पर फोन किया। बेल हुई, फिर कपूर की आवाज कानों में पड़ी।

"हैलो।"

"F.I.A. राघव ने शांत स्वर में कहा।

क्षण-भर की खामोशी के बाद कपूर का सामान्य स्वर राघव के कानों में पड़ा।

"कौन हो तुम?"

"F.I.A. हो तुम--- जिन्न?" राघव ने पुनः पूछा--- "जवाब दो, वक्त बर्बाद मत करो।"

"हां।"

"मुझे तुली का नम्बर चाहिए।"

"तुली? तुम कौन हो।" कपूर का सामान्य स्वर कानों में पड़ा।

"क्या तुम्हें तुली का नम्बर देने में कोई परेशानी है?"

"हां, मुझे वजह मालूम होनी चाहिए। तुम्हारे बारे में पता होना चाहिए कि मैं किससे बात कर रहा हूं।"

"तुम कौन हो?"

"तुम किसी F.I.A. वाले से उसकी हकीकत से वास्ता रखते सवाल का जवाब नहीं पा सकते। अपने बारे में बताओ। अगर तुली का फोन नम्बर चाहते हो तो।" कपूर का शांत स्वर राघव के कानों में पड़ा।

"मैं राघव हूं। पहचाना मुझे?" राघव के माथे पर बल आ ठहरे थे।

"हां, जानता हूं तुम्हें। तुम हमारे पास क्यों नहीं आ जाते। आराम से बात...।"

"कहां हो तुम?"

"तुम कहां हो? मैं अपने आदमी को भेजता हूं। वो तुम्हें मेरे पास ले आएगा।"

"चूहे-बिल्ली का खेल मत खेलो मेरे साथ।" राघव का चेहरा तीखा हो उठा।

पास खड़े मन्नू और तीरथ की बेचैन निगाह, राघव पर थी।

"तुम्हें ये फोन नम्बर किसने दिया?" कपूर की आवाज कानों में पड़ी।

"बेकार सवाल।"

"तुम्हें क्या सब याद है?" कपूर की आवाज कानों में पड़ी।

"नहीं, सबके नामों के अलावा कुछ भी याद नहीं आया, परन्तु अब सब कुछ पता है।"

"कैसे पता लगा?"

"मन्नू ने बताया।"

"मन्नू मिला तुमसे?"

"वो इस वक्त भी मेरे पास खड़ा है। तीरथ भी मेरे पास है।" हम तीनों अब एक हैं।"

"खूब।"

"जैनी तुम्हारे पास है?"

"हां।"

"कैसी है वो?"

"ठीक है।"

"मुझे तुली का नंबर दो। मैं उससे बात करना चाहता हूं।" राघव ने कहा।

"तुम मुझसे बात कर सकते हो।"

"नहीं, मैं तुली को जानता हूं और बात सिर्फ तुली से होगी और किसी से भी नहीं।"

"क्या बात करना चाहते हो तुली से?"

"तुम बात को जान-बूझकर लंबा क्यों कर रहे हो। क्या ये जानना चाहते हो कि मैं कहां से फोन कर रहा हूं। अगर ऐसी कोई कोशिश कर रहे हो तो बेकार जाएगी। हम हाथ नहीं आने वाले। हमें कम मत समझना।"

"मैं तुम्हें कम नहीं समझ रहा R.D.X. के--- R।"

"ओह, तुम मेरे बारे में सब जानते हो।"

"F.I.A.अपने काम की बात जान लेती है। तुझे का नंबर नोट करो।"

"बोलो।"

उधर से कपूर ने तुली का फोन नंबर बताया।

"वैसे तो मुझे तुम्हें शुक्रिया-धन्यवाद कहना चाहिए, लेकिन सच बात तो ये है कि तुम लोग कमीने-कुत्ते हो।" राघव ने एकाएक गुस्से से कहा और रिसीवर रख दिया। चेहरे पर कठोरता नाच रही थी।

"अब हम तुली से बात कर सकते हैं।" तीरथ बोला।

"हां। अगर नंबर ठीक न हुआ तो?" राघव ने कहा।

"वो नंबर क्यों गलत देगा?" मन्नू ने कहा--- "नंबर ठीक होगा। बात करो।"

"क्या उसे फोन पर बताओगे कि...?"

"नहीं। हम उससे मिलेंगे।" राघव कह उठा--- "तभी बात बनेगी।"

"वो मिलेगा?"

"जरूर मिलेगा।" राघव मुस्कुराया--- "बल्कि वो तो ये सोच कर खुश होगा कि पंछी आसानी से उसके जाल में फंस रहे हैं।"

राघव ने कपूर के दिए तुली के नंबर पर फोन किया।

बेल हुई और फौरन ही तुली की आवाज कानों में पड़ी।

"हैलो।"

"तुली!" राघव ने कहा।

"तुम कौन हो?"

"राघव। तुम तुली ही हो?"

"हां।" तुली का सतर्क स्वर कानों में पड़ा--- "मैंने तुम्हारी आवाज पेहचान ली है।"

"तुम मुझे मारना चाहते हो।"

तुली की आवाज नहीं आई।

"बोल। जवाब दे। हमें आपस में साफ-साफ बात कर लेनी चाहिए। हम जानते हैं कि तुम F.I.A. के एजेंट हो।"

"हम, कौन?"

"तीरथ और मन्नू भी मेरे साथ हैं।"

"तुम लोग मिल गए--- हैरानी है। मेरा फोन नंबर कहां से मिला?"

"मिल गया। तुम काम की बात करो। 'ऑपरेशन टू किल' खत्म हो गया। तुमने याददाश्त मिटा दी थी इस ऑपरेशन की, फिर क्यों...?"

"मन्नू के पास है इस बात का जवाब।"

"गलती मन्नू ने की तो, मेरे और तीरथ के पीछे क्यों पड़ गए तुम?"

"मन्नू की वजह से C.I.A. हरकत में आ गई। माईक तुम लोगों को ढूंढ रहा है। हम नहीं चाहते कि बात बाहर जाए।"

"इसलिए मार रहे हो हमें?"

"जरूरी है। मन्नू ने माईक से बात की है। तुम लोगों के बारे में बता दिया है उसने।"

"मन्नू कहता है कि उसने माईक को कुछ नहीं बताया।"

"उसका भरोसा नहीं किया जा सकता।"

"ऐसा मत कहो, वो सच कहता है। उसने मुंह खोला होता तो इस वक्त वो माईक के पास होता। मेरे साथ न होता।"

"मुझे ऑर्डर है तुम लोगों को खत्म करने का।"

"तो तुम पीछे नहीं हटोगे?"

"नहीं।"

"ठीक है।" राघव के होंठ सिकुड़ चुके थे--- "हम तीनों ही तुमसे एक बार मिलना चाहते हैं।"

"ताकि मुझे मार सको।"

"नहीं, ये बात नहीं। तुमसे इसी मुद्दे पर आराम से बात करनी है।" राघव ने कहा।

"बात फोन पर हो सकती है।"

"फोन वाली बात होती तो मैंने फोन पर कर ली होती। ये मिलकर, करने वाली बात है।"

"मैं जानता हूं कि तुम तीनों मेरी हत्या करने की सोच रहे हो, परंतु कोई फायदा नहीं...।"

"यकीन करो तुली, ये बात नहीं है।"

"मेरी सुन लो। मैं मारा गया तो F.I.A. के दूसरे लोग तुम लोगों को खत्म करने के लिए मैदान में आ जाएंगे। तुम तीनों बच नहीं सकते।"

"तुम्हें मारने का हमारा कोई प्लान नहीं है। तुमसे मिलकर कुछ बात करनी है।"

"मिल लो।" तुली की आवाज राघव के कानों में पड़ी--- "मुझे कोई एतराज नहीं।"

"लेकिन हमें कैसे पता चलेगा कि हमारी इस मुलाकात में तुम कोई चाल नहीं चलोगे? F.I.A. के एजेंट का घेरा नहीं डलवाओगे?"

"यही तो मैं कह रहा हूं कि क्या पता तुम लोग मेरी हत्या का  इंतजाम कर दो, मिलने की जगह पर।"

"ऐसा नहीं होगा।"

"मैं यह भी यही कह रहा हूं कि ऐसा नहीं होगा।" तुली का शांत स्वर कानों में पड़ा।

"तुम्हारी तरफ से ऐसा हो सकता है, क्योंकि तुम हमारी हत्या की कोशिशें कर चुके हो।"

"अगर तुम शराफत से मिलोगे तो मेरी तरफ से भी कोई बदमाशी नहीं होगी।"

राघव ने होंठ भींच लिए।

उधर से तुली भी खामोश रहा।

"ठीक है।" राघव बोला--- "मैं तीरथ और मन्नू से बात करके तुम्हें फिर फोन करूंगा।"

"मुझे इंतजार रहेगा।"

राघव ने रिसीवर रखा और पैसे चुकाकर तीनों वहां से निकले और आगे बढ़ गए।

"तुली मिलने के लिए तैयार है, परंतु मुझे शक है कि इस मुलाकात में वो हमारी मौत का इंतजाम कर लेगा। वो इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहेगा कि हम तीनों को एक साथ खत्म कर दे।" राघव ने गंभीर स्वर में कहा।

"हम बेकार में तुली से बात करने के चक्कर में पड़ रहे हैं।" तीरथ झल्लाकर बोला--- "रहने दो ये सब।"

"तुली से बात किए बिना हालात नहीं संभलेंगे।" राघव ने कहा--- "जरूरी है उससे बात करना।"

"लेकिन खतरा है।" मन्नू ने गंभीर स्वर में कहा।

"खतरा तो हमें हर जगह पर है। अगर हमने तुली को इस बात का यकीन दिला दिया कि F.I.A. उसे भी खत्म कर देगी तो बात हमारे हक में ठीक हो सकती है, लेकिन तुली का...।"

"F.I.A. तुली के दम पर नहीं टिकी हुई कि तुली के समझते ही सब ठीक हो जाएगा।" तीरथ ने कहा--- "सबसे पहले तो ये ही कठिन है कि तुली समझे। तुली समझ गया तो वो क्या करेगा। उसके पीछे पूरी F.I.A. है जो कि अपना काम पूरा हुआ देखना चाहती है।"

राघव के होंठ भिंच गए।

"तीरथ सही कहता है।" मन्नू ने सहमति में सिर हिलाया।

"हमारे पास कुछ और करने का रास्ता भी तो नहीं।" राघव बोला--- "हम एक छोटी-सी कोशिश कर सकते हैं। F.I.A. को हमने यकीन दिलाना है कि जो हम जानते हैं, वो हम किसी को बताने वाले नहीं।"

"और F.I.A. तुम्हारी बात का यकीन कर लेगी?" तीरथ ने कड़वे स्वर में कहा।

"बेशक न करे, परंतु हमें कोशिश तो करनी ही है।"

"ये सब बेकार लग रहा है मुझे।" मन्नू परेशान-सा कह उठा।

"यही तो मैं कहना चाहता हूं।" तीरथ ने कहा--- "F.I.A. के हाथों हमारे बचने का कोई रास्ता नहीं है।"

"एक ही रास्ता है कि हम चुपचाप यहां से कहीं दूर खिसक जाएं। माइक जो कि C.I.A. का जासूस है, वो सारी जानकारी के बदले लाखों डॉलर देगा। वो हम आपस में बांटकर कहीं दूर भाग सकते हैं।" मन्नू में कहा।

"इस बारे में सोचा जा सकता है।" तीरथ तुरंत कह उठा।

राघव ने दोनों पर निगाह डालते हुए कहा।

"मुझे ये बात मंजूर नहीं।"

"क्यों?"

"छिपकर जीना मुझे पसंद नहीं। तुम लोग जहां जाना चाहो जा सकते हो। मैं तुली से मिलूंगा।"

"वो तुम्हें मार देगा।"

"जो होगा देखा जाएगा। मैं तुली से जरूर मिलूंगा।"

"ठीक है। मैं तुम्हारे साथ हूं।" मन्नू गंभीर स्वर में कह उठा।

तीरथ खामोश रहा।

"हमें कोई ऐसी जगह चुननी है, जहां तुली से मिला जा सके। वो जगह भीड़-भाड़ वाली नहीं होनी चाहिए।"

"क्यों?"

"ताकि कोई गड़बड़ हो। गोलियां चलें तो दूसरे लोग खामख्वाह न मरें।"

"मेरे ख्याल से जगह भीड़-भाड़ वाली हो तो ज्यादा ठीक होगा।" मन्नू बोला--- "वहां F.I.A. को गोलियां चलाने से कुछ तो परहेज होगा।

"ये भी ठीक है। सोचा जा सकता है।"

मन्नू ने चलते-चलते तीरथ पर नजर डाली।

"तुम क्यों खामोश हो? क्या हमसे अलग होने की बात सोच रहे हो?" मन्नू कह उठा।

"पता नहीं।" तीरथ सोच भरे स्वर में कह रहा था--- "अभी मैंने कोई फैसला नहीं किया।"

तभी राघव का फोन बजा।

"हैलो!"

"क्या बात हुई फोन पर?" एक्स्ट्रा का स्वर कानों में पड़ा--- "मैं तुम पर नजर रख रहा हूं।"

"ऐसा करने की क्या जरूरत है?"

"जरूरी है। जिन्न तुम्हारे पीछे है। तुम कहीं भी खतरे में घिर सकते हो।" उधर से एक्स्ट्रा ने कहा।

"तुम अभी मुझे देख रहे हो?" राघव ने पूछा।

"हां, तुम तीनों मेरी नजर में हो।"

"धर्मा भी तुम्हारे साथ है?"

"साथ ही समझो। इस वक्त वो मेरे पास नहीं। कुछ देर में आएगा। तुम बोलो, तुली से बात हुई?"

"हां।" कहने के साथ ही राघव ने सारी बात बताई--- "तुली से मिलना खतरनाक भी हो सकता है।"

"परवाह मत करो। उससे मिलो। हम तुम पर नजर रखे हुए हैं।" एक्स्ट्रा का स्वर कानों में पड़ा।

"वो F.I.A. है, हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते।" राघव ने कहा।

"सामने जाए बिना, ये मामला किसी नतीजे पर पहुंचने वाला नहीं। तुम लोग मिलो तुली से।"

मन्नू और तीरथ का प्लान भी हो रही बातों पर था।

"कैसी जगह पर मिला जाए?"

"भीड़ वाली जगह पर। वो जैसे भी हैं, सरकारी लोग हैं। भीड़ वाली जगह पर गोलियां चलाने में अवश्य परहेज करेंगे।"

"जगह तुम्हीं बताओ।" राघव ने कहा।

"बाद में तुम्हें फोन करता हूं जगह के बारे में सोचकर। आज नहीं, तुली से कल मिलना, ताकि हम भी पूरी तैयारी कर लें।"

"ठीक है।" राघव ने कहा और फोन बंद करके दोनों से बोला--- "तुली से हम कल मिलेंगे।"

"कहां?"

"तय कर लेंगे। कोई भीड़-भाड़ वाली जगह पर। जहां और लोग भी हों।" राघव बोला।

"तुम अपने दोस्तों से हमें क्यों नहीं मिलवाते।" तीरथ से बोला--- "वो करतबी लगते हैं। वो हम पर नजर रख रहे हैं क्या?"

"नहीं।" राघव फौरन कह उठा।

"बातों से मुझे लगा जैसे वो हम पर नजर रख रहे हों।"

"मुझे भूख लग रही है। हमें लंच ले लेना चाहिए। उसके बाद होटल चलेंगे। हमारा ज्यादा बाहर रहना ठीक नहीं।"

■■■

न्यूयॉर्क, C.I.A. चीफ टॉम लैरी।

टॉम लैरी ने रिसीवर कंधे और गले के बीच फंसा रखा था। हाथ में एक अस्पष्ट-सी तस्वीर थी, जो कि किसी युवक की लग रही थी। तस्वीर कहीं दूर से ली गई थी, इसलिए ज्यादा स्पष्ट न थी, परंतु उस युवक ने सफ़ेद कमीज़ पहन रखी थी। तस्वीर के खाके से स्पष्ट हो रहा था कि वो कोई स्मार्ट युवक है।

तभी कानों में सूजी की आवाज पड़ी।

"सर, माईक लाइन पर है।"

टॉम लैरी ने रिसीवर हाथ में लिया कि माईक की आवाज कानों में पड़ी।

"हैलो चीफ!"

"ओ माईक! इंडिया में कैसा चल रहा है? तुम कहां तक पहुंचे?" टॉम लैरी ने पूछा।

"चीफ, मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि ये काम मेरे लायक नहीं है। इस काम में इंतजार और बोरियत है।"

"मन्नू से मुलाकात नहीं हुई?"

"वो करना नहीं चाहता। उसने मुंह खोलने का इरादा बदल दिया है, लेकिन कोई और सामने आया है।"

"और कौन?"

"जिसे तुमने मेरा फोन नंबर दिया था। वो कहता है कि वो भी उसी दल में था, जिसने ड्यूक हैरी की हत्या की।"

"तो मिलो उससे?"

"वो जानकारी तो सारी देना चाहता है, परंतु गवाही के तौर पर आगे आने को तैयार नहीं मैंने बीस लाख डॉलर लगा दिए, अगर वो गवाही दे तो...।"

"नहीं माना वो?"

"सोच रहा है, फिर फोन करेगा।"

"तुम अपने तौर पर इन लोगों की तलाश करवाओ।"

"करवा रहा हूं। छः एजेंट इन्हीं की तलाश कर रहे हैं।" उधर F.I.A. उन लोगों को खत्म कर देना चाहती है।"

"कैसे पता?"

"उसी ने बताया, जिसने मुझे फोन करके बात की थी।"

टॉम लैरी की निगाह हाथ में पकड़ी तस्वीर पर जा टिकी।

"मैं तुम्हें एक खास खबर देना चाहता हूं। उसी के लिए फोन किया।"

"कहो चीफ।"

"F.I.A. के एक सीक्रेट एजेंट के बारे में पता चला है। जिसका नाम नहीं मालूम, लेकिन वो सैवन इलैवन के नाम से जाना जाता है। वो बहुत ही खतरनाक, तेज, चालाक दिलफेंक और जबरदस्त हत्यारा है, गजब का निशानेबाज है ।हमारे एजेंट ने खबर दी है कि वो इस कदर सतर्क रहने वाला है कि नींद में उसकी तीसरी आंख खुली रहती है। उस पर वार कर पाना आसान नहीं। वो आकर्षक है। युवतियां उसकी तरफ़ खींचती हैं। हमारे एजेंट ने दूर से उसकी तस्वीर ली परंतु तस्वीर स्पष्ट नहीं आ सकी।"

"सैवन इलैवन। तुम्हारा मतलब सैवन हंड्रेड इलैवन।"

"हां। सात सौ ग्यारह, भारतीय भाषा में। यूं वो सैवन इलैवन के नाम से जाना जाता है। F.I.A. ने उसे सैवन इलैवन नंबर दिया है।"

"सैवन इलैवन के बारे में पहले कभी नहीं सुना?"

"सैवन इलैवन, F.I.A. का सीक्रेट एजेंट है। इसका इस्तेमाल F.I.A. तभी करती है, जब उसे बहुत जरूरत महसूस होती है। F.I.A. के ओहदेदारों के अलावा, सैवन इलैवन का चेहरा किसी ने नहीं देखा। ये F.I.A. के ठिकाने पर नहीं देखा जाता। ज्यादातर इसे फोन पर ही काम के लिए कहा जाता है। यूं कह लो कि सैवन इलैवन F.I.A. का गुप्त मोहरा है, जिसे F.I.A. खास मौकों पर इस्तेमाल करती है।"

"क्या सच में सैवन इलैवन इतना स्पेशल है?"

"जितना बताया है, उतना तो है ही। ज्यादा भी हो सकता है। सैवन इलैवन की पहली जानकारी C.I.A. के पास पहुंची है। मैं तुम्हें सतर्क करवाना चाहता था कि तुम्हारा सामना सैवन इलैवन से भी हो सकता है।" चीफ टॉम लैरी ने कहा।

"थैंक्स चीफ, मैं सैवन इलैवन से जरूर मिलना चाहूंगा।"

"नया फसाद खड़ा मत करा देना। जहां तक हो सके, सैवन इलैवन से दूर ही रहना।"

"फिर बात करेंगे चीफ!" इतना कहकर उधर से माईक ने फोन बंद कर दिया था।

टॉम लैरी रिसीवर वापस रखते हुए तस्वीर को देखता बड़बड़ा उठा।

"माईक को जितना भी समझा लो, समझेगा नहीं।"

■■■

दीवान उसी हॉल कमरे में दोनों हाथ जेबों में डाले टहल रहा था, जहां लंबी अंडाकार टेबल के गिर्द करीब बीस कुर्सियां रखी हुई थीं। फर्श पर कारपेट की वजह से उसके जूतों की आवाज नहीं गूंज रही थी। दीवान के चेहरे पर गंभीरता थी। रह-रहकर उसके होंठ सिकुड़ जाते थे। कभी वो अपनी ही सोचों में सिर हिलाने लगता था।

तभी दरवाजा खुला और तुली ने भीतर कदम रखा।

उसके देखते ही दीवान ठिठका, फिर कह उठा।

"आओ तुली!"

तुली आगे बढ़ा।

"तुमने मुझे बुलाया?"

"हां, कपूर तुमसे बात करना...।"

तभी दूसरी तरफ का दरवाजा खोलकर कपूर ने भीतर प्रवेश किया।

"वो आ गया।" दीवान ने कपूर को देखा।

तुली की निगाह भी उसकी तरफ उठी।

वे तीनों टेबल के गिर्द पड़ी कुर्सियों पर जा बैठे। कपूर बोला।

"राघव को मैंने तुम्हारा नम्बर दिया था। उसका फोन आया है?"

"हां।" तुली ने कपूर को देखते हुए सिर हिलाया--- "वो मेरे से मिलना चाहता है।"

"राघव?"

"वे तीनों ही।" तुली ने कहा।

"मतलब कि राघव, तीरथ और मन्नू मिलना चाहते हैं तुमसे?" दीवान कह उठा।

"हां।"

"क्यों?"

"ये राघव ने नहीं बताया। कह रहा था कि मिलकर ही बात होगी।" तुली ने दीवान को देखा।

"वे तीनों जानते हैं कि तुम उनकी जान लेने के लिए भागे फिर रहे हो, फिर भी वे तुमसे मिलना चाहते हैं।"

"ये उनकी मर्जी।" तुली शांत था।

"और क्या कहा?"

"यही कि मैं अकेला आऊं। वो भी अकेले आएंगे।"

"वे तीन हैं, तुम एक। इस मुलाकात में उनके पास बेहतर मौका होगा तुम्हें मारने का।"

"कुछ भी हो सकता है। तुम कहना चाहते हो?"

"तुमने क्या फैसला किया?" कपूर बोला।

"मैं मिलूंगा उनसे। इन हालात में भी वे मुझसे मिलना चाहते हैं तो वे खास बात ही कहना चाहते होंगे।" तुली ने कहा।

कपूर ने दीवान को देखा। दीवान ने मुंह फेर लिया।

"वो तुम्हें मार सकते हैं।" कपूर ने गंभीर स्वर में कहा।

"मैं भी उन्हें, इस मुलाकात से मार सकता हूं, इस बात का डर उन्हें भी होगा।"

"तुम अकेले नहीं जाओगे उनसे मिलने।"

"क्यों?" तुली ने कपूर को देखा।

"हमारे पास उन तीनों को एक साथ खत्म करने का बेहतर मौका आ रहा है। तुम उन तीनों से मिलोगे। हमारे एजेंट वहां घेरा डालेंगे और उन्हें खत्म कर देंगे। तुम्हारी भी यही राय होगी तुली या कुछ और इरादा है तुम्हारा?"

"कपूर!" तुली ने शांत स्वर में कहा--- "तुम क्या समझते हो कि तुम जो कह रहे हो, उसके बारे में उन्होंने सोचा नहीं होगा।"

कपूर के माथे पर बल पड़े।

"तुम्हें लगता है कि वे तीनों तुम्हें मारने की कोशिश कर सकते हैं तो फिर उनसे क्यों मिलने की सोच रहे हो?"

"वो मेरी जान नहीं लेंगे, खतरा उन्हें है।"

"क्या मतलब?"

"वे जानते हैं कि तुली के पीछे F.I.A. है। तुली को मारा तो उनके पीछे F.I.A. के कई एजेंट पड़ जाएंगे, वे बचेंगे नहीं इसलिए वे मेरी जान लेने की सोच भी नहीं सकते।" तुली ने विश्वास भरे स्वर में कहा--- "जबकि खतरा उन्हें है। उनके पीछे कोई नहीं। वे सोच सकते हैं कि इस मुलाकात की आड़ में उन्हें घेरकर खत्म किया जा सकता है, परंतु फिर भी वे मुझसे मिलना चाहते हैं। कोई बात तो होगी ही।"

"उन्हें अकेला समझने की भूल मत करो। राघव के पीछे धर्मा और एक्स्ट्रा हैं।"

"जानता हूं और मैं ये भी जानता हूं कि राघव, तीरथ और मन्नू खतरनाक हैं। वे किसी से कम नहीं हैं।" तुली बोला--- "लेकिन इनसे मैं निबट लूंगा। मैंने आज तक कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा। ये मेरा रिकॉर्ड है।"

"तो तुम उनसे मिलोगे?" कपूर ने सिर हिलाया।

"अगर F.I.A. को एतराज न हो तो...।"

"F.I.A. को कोई एतराज नहीं, लेकिन F.I.A. चाहती है कि उन्हें तुम्हारे हर कदम की खबर रहे।" कपूर ने कहा।

"मैं खबर देता रहूंगा।"

"कब मिल रहे हो उनसे?"

"उनका फोन कभी भी आ सकता है।"

"तो हमें खबर कर देना।"

"अवश्य खबर करूंगा, लेकिन तुम लोग करना क्या चाहते हो?" तुली ने पूछा।

"सावधानी के तौर पर F.I.A. के एजेंट वहां मौजूद रहेंगे, जहां तुम उनसे मिलोगे।"

"ये जरूरी है?" दीवान बोला।

"वे मुझे अकेले में मिलना चाहते हैं। उन्हें इस बात का आभास हो जाएगा कि वहां F.I.A. है।"

"तुम ये बात विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो कि वे अकेले ही तुमसे मिलने आएंगे।"

"क्या मतलब?"

"राघव इस काम में धर्मा और एक्स्ट्रा की सहायता अवश्य लेगा।"

"मेरे ख्याल में अभी तक तो धर्मा और एक्स्ट्रा इस मामले से अलग हैं।"

"दावे के साथ कहते हो?"

"नहीं, दावा तो नहीं करता।"

"तो फिर वो ही करो, जो तुमसे कहा जा रहा है। F.I.A. तुम्हारे भले के लिए ही सोच रही है।" कपूर ने कहा--- "सच बात तो ये है कि हमें तुम्हारा उन तीनों से बात करना ही पसंद नहीं, परंतु फिर भी हम तुम्हें रोक नहीं रहे।"

"माईक के बारे में नई खबर?" तुली ने पूछा।

"वो अमेरिकन एम्बेसी में है। जब से आया है, बाहर नहीं निकला, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि यहां स्थित अपने एजेंटों को उसने इस काम पर लगा रखा होगा। हम इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि माईक और मन्नू की मुलाकात हो तो हमें पता चल जाये।"

"जरूरी तो नहीं कि वे मिलें।" तुली बोला--- "जैनी का कहना है कि उन्होंने माईक को कुछ नहीं बताया।"

"हमें जैनी की बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।"

"जब तक हम किसी पर भरोसा नहीं करेंगे, तब तक सही निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकेंगे।"

कपूर ने दीवान को देखा।

दीवान गहरी सांस लेकर कह उठा।

"F.I.A. जानती है कि उन्हें कब, कहां, किस पर भरोसा करना है, तुम भी F.I.A. का ही हिस्सा हो तुली! मैं तुम्हें सतर्क कर देना चाहता हूं कि राघव, मन्नू और तीरथ तुम्हारा दिमाग खराब करने की चेष्टा कर सकते हैं, कोई बात कहकर। तभी वो तुमसे मिलकर बात करना चाहते हैं। उस स्थिति में तुम्हें अपने पर संयम रखना है। मुझे यकीन है कि वे कोई जबर्दस्त चाल लेकर तुमसे मिल रहे हैं।"

"कितनी अजीब बात है कि ये बातें मुझे समझाई जा रही हैं।" तुली मुस्कुरा पड़ा।

"हम तुम्हें सतर्क कर रहे हैं।"

"शुक्रिया!" तुली उठते हुए बोला--- "कोई और बात न हो तो मैं जाना चाहूंगा।"

"नए हालात से हमें वाकिफ कराते रहना।" कपूर ने कहा।

तुली बाहर निकल गया।

कपूर ने सिगरेट सुलगाई।

"कपूर!" दीवान बोला--- "तुली उन तीनों से मिलने का ज्यादा ही उत्सुक लगता है।"

"ये बात मैंने भी महसूस की।"

"क्यों?"

"कह नहीं सकता।तुली ने कभी उन लोगों के साथ मिलकर 'ऑपरेशन टू किल' को अंजाम दिया था। तुली के मन में उनके लिए कोमल भावनाएं हो सकती हैं। ये मत भूलो दीवान कि तुली तीरथ के सामने पहुंचकर, उसे मारने में असफल रहा। मेरे ख्याल में ये उसी कोमल भावना का नतीजा हो सकता है, वरना आज से पहले तो तुली हर काम में एक ही बार में सफल रहा है, परंतु इस बार वो काम को फौरन अंजाम नहीं दे पा रहा।"

दीवान के होंठ भिंच गए।

"कुछ तो कहो।" कपूर ने दीवान को देखा।

"तुली राघव, तीरथ, मन्नू से मिल मिलेगा। उसी मुलाकात के दौरान चारों को खत्म कर दिया जाए। चारों के मरते ही 'ऑपरेशन टू किल' के खुलने का खतरा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।" दीवान ने गंभीर स्वर में कहा।

"तुली F.I.A. का हिस्सा है। उसे भी खत्म करना हो तो ये काम हर किसी से नहीं लिया जा सकता।"

"ठीक कहा तुमने। हमारे पांच एजेंट इस काम को अंजाम देंगे। इनमें से एक नारंग होगा। सिर्फ नारंग ही जानेगा कि तुली को भी खत्म करना है। नारंग खामोशी से तो तुली को शूट कर देगा। कोई समझ भी नहीं पाएगा कि तुली को किसने मारा।"

"ये ठीक रहेगा।"

"हमारी मजबूरी है तुली को खत्म करना। अगर 'ऑपरेशन टू किल' को हमेशा के लिए दफन करना है तो इन चारों को खत्म करना ही पड़ेगा कि C.I.A.के लिए आगे बढ़ने का रास्ता समाप्त हो जाए। और ये मामला खत्म हो जाए।" दीवान ने कहा।

तभी दीवान का फोन बजा।

दीवान ने बात की। उधर से कहा गया।

"न्यूयॉर्क से 776 लाइन पर है।"

"लाइन दो।" दीवान बोला।

दो पलों बाद ही विक्टर की आवाज कानों में पड़ी।

"मैं हूँ।"

"कहो।"

"पता चला है कि 'ऑपरेशन टू किल' के दल के एक मैम्बर ने चीफ टॉम लैरी से बात करके मुम्बई में मौजूद माईक का नम्बर लिया है। वो माईक को ड्यूक हैरी की हत्या के बारे में सब कुछ बताना चाहता है।"

"क्या ये वो ही है, जिसने क्रोशिया से न्यूयॉर्क C.I.A. को फोन किया था?" दीवान ने पूछा।

"नहीं, ये दूसरा है।"

"उसके बारे में कोई और खबर?"

"इतनी ही खबर है।"

"तुम्हारे एकाउंट में पैसे डाले जा रहे हैं। गोवा कब घूमने आ रहे हो?" दीवान ने पूछा।

"अगले महीने।"

"आ जाना। पैसे बैंक एकाउंट में मिलेंगे तुम्हें।" कहकर दीवान ने फोन बंद किया।

कपूर दीवान को देख रहा था।

"राघव या तीरथ ने माइक से संपर्क साधा है 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में जानकारी बेचने के लिए।"

"ओह ये तो गलत हुआ।"

"लेकिन अभी माईक से वो मिल नहीं पाया। एम्बेसी पर और माईक पर नजर रखी जा रही है। ये बात हमें तुली को बता देनी चाहिए।"

"तुली से कोई फालतू बात मत करो।" कपूर ने कहा--- "उसे ये बात बताने का कोई फायदा नहीं। वो जो करना चाहता है, उसे करने दो।"

दीवान उठा और जेबों में हाथ डालकर टहलते हुए कह उठा।

"कपूर! हालात खतरनाक होते जा रहे हैं। तुम्हें इस बात का अंदाजा हो जाना चाहिए। राघव, तीरथ और मन्नू में से कोई भी माईक को ऑपरेशन टू किल की जानकारी बेच सकता है और उन्हें मिलने से हम रोक न सकेंगे।"

कपूर के होंठ भिंच गए।

"माईक को सबकुछ पता चल सकता है। वो तीनों में से किसी को इस बात के लिए भी तैयार कर लेगा कि वो अमेरिका के हक में गवाही दे। C.I.A. ऐसे मामले में डॉलर लुटाने में सबसे आगे है। ड्यूक हैरी की हत्या के मामले को C.I.A. इस तरह तोड़-मरोड़ के हमारे देश के सामने पेश करेगी कि हमसे जवाब देते नहीं बनेगा। वो इस बात को तो बीच में से मक्खी की तरह निकाल देंगे कि जब ड्यूक हैरी की हत्या की गई, तब वो ब्रिगेडियर छिब्बर से हमारे देश के राज खरीद रहा था।"

"तुम क्या कहना चाहते हो?"

"वक्त कम है और काम ज्यादा। हालात नाजुक हैं। हमें सैवन इलैवन का इस्तेमाल करना चाहिए।"

"सैवन इलैवन।" कपूर चौंका।

दोनों की नजरें मिलीं।

"क्या कहते हो?" दीवान ने पूछा।

"ये तो सैवन इलैवन की मर्जी पर है कि वो ये काम करता है कि नहीं।" कपूर ने गंभीर स्वर में कहा।

"सैवन इलैवन को ये काम करना होगा।"

"जल्दी नहीं है। F.I.A. का एकमात्र वो ही ऐसा एजेंट है, जो महामहिम राष्ट्रपति जी का ऑर्डर मानने को बाध्य है, हमारा नहीं। वो F.I.A. के अंडर जरूर है, लेकिन उसे स्पेशल एजेंट का नाम हासिल है। F.I.A. के पास हर एजेंट का रिकॉर्ड है, परंतु एजेंट नम्बर सैवन इलैवन का कोई रिकॉर्ड F.I.A. के पास नहीं है, वो सिर्फ राष्ट्रपति के पास है, जबकि F.I.A  भी राष्ट्रपति जी के अंडर है।"

दीवान के होंठ सिकुड़े।

कपूर ने कश लिया।

"सुना है कि सैवन इलैवन राष्ट्रपति जी का खास कमांडो हुआ करता था। उसे मिलिट्री की ट्रेनिंग भी हासिल है और वो पुलिस ट्रेनिंग भी ले चुका है। मालद्वीप की यात्रा के समय जब राष्ट्रपति जी पर जानलेवा हमला हुआ तो सैवन इलैवन ने ही राष्ट्रपति जी की जान बचाई थी। वो मिलिट्री के कई मिशनों में जान की बाजी लगा चुका है। सैवन इलैवन के बारे में कई बातें सुनने को मिल जाती हैं।"

"वो जो भी है, काबिल है दीवान!" कपूर ने गंभीरता से कहा।

"लेकिन उसकी हकीकत से हम अंजान हैं।" दीवान बोला।

"इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वो देश की सेवा करने वाला होना चाहिए, जो कि है। हमारे लिए इतना ही बहुत है।"

"सैवन इलैवन के पास हमारे कोड हैं, वो हमारी सारी फाइलें चैक कर सकता है, देख सकता है कि F.I.A. किस मिशन पर क्या काम कर रही है या बीते मिशनों पर क्या-क्या हुआ! मेरे ख्याल में राष्ट्रपति जी ने उसे काफी ज्यादा अधिकार दे रखे हैं।"

"इस काबिल होगा वो।"

"क्या पता, हमने उससे ज्यादा काम नहीं लिया, लेकिन पता चला है राष्ट्रपति जी गुप्त मिशनों में उसका इस्तेमाल बराबर करते रहते हैं।"

"तुम उसे क्या काम सौंपना चाहते हो?"

"उसे सारे हालात से वाकिफ कराया जायेगा कि 'ऑपरेशन टू किल' नाम का मिशन, अब किन हालातों में आ फंसा है।"

"मेरे ख्याल से ये ठीक नहीं होगा।" कपूर ने इंकार में सिर हिलाया।

"क्यों?"

"तुली मन्नू-तीरथ और राघव से मिलने वाला है। हम तुली को भी खत्म करा देना चाहते हैं। ये बात अगर सैवन इलैवन को पसंद न आई तो?"

"उसे इसमें क्यों एतराज होगा?"

"मैंने संभावना जाहिर की है।"

"तो जरा इस बारे में भी सोचो कि उन तीनों में से कोई माईक से जा मिलता है तो तब क्या होगा?"

कपूर ने गहरी साँस ली।

"सैवन इलैवन का काम होगा, सब कुछ ठीक करना। बेशक तुली को मारा जाये या न मारा जाये।"

"जल्दी मत करो, सोच लो। सैवन इलैवन के बीच में आते ही, हम स्वतंत्र तौर पर कोई फैसला नहीं ले सकेंगे। फिर ये काम उसका हो जायेगा।"

दीवान के चेहरे पर उलझन के भाव उभरे, फिर बोला।

"ठीक है। हम एक चांस लेते हैं। तुली जब उन तीनों से मिलेगा तो चारों को एक साथ खत्म कर देंगे।"

"नारंग को सारा मामला समझा देना। तुली का फोन कभी भी आ सकता है कि वो इनसे मिलने वाला है।" कपूर ने कहा।

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