'पर नेताजी इ गलत बात है आप हमसे वादा किया थे ' संजय ने सिर झुकाकर कहा।

' का गलत बात है?, का वादा किया थे? हम को तो कुछ याद नहीं... ए संभू हम ऐसा कुछ कहे थे क्या रेे? ' नेताजी ने अंगुली से कान खुजाते हुए कहा। संभू पान लगा रहा था।

' क्या पता मालिक कहा होगा, आप तो नेता हो दिन भर कुछ ना कुछ कहते रहते हो इसको भी कह  दिया होगा क्या पता? ' संभू ने हिसाब से कत्था रगड़ते हुए कहा।

' नेताजी आप ऐसा काहे कह रहे है?,आपने ही चुनाव से पहले  कहा था कि ' बेटा संजय जी जान लगा दो हमे जीताने के लिए और अगर हम जीत गए ना तो तुम्हे कॉलेज प्रेसिडेंट चुनाव में खुला समर्थन देंगे ' संजय ने पैरो के पास बैठे बैठे कहा।

' अच्छा वो ,वो तो हम ऐसे ही कह दिए थे भाई,ये तो तुम्हारे साथ बाकी कॉलेज के 15 और कार्यकर्ताओं  को भी कहे थे तो का उन सबको भी समर्थन दे दे का? ' नेताजी ने रूखे स्वर में कहा, और मुंह में पान भर लिया।

' पर नेता जी आपने हमें जुबान दी थी' संजय ने लगभग रुहासा होते हुए कहा।

' अरे क्या जुबान दी थी ,क्या वादा किया था ।एक ही रट लगाए जा रहे हो, हम तो तुमको समझदार समझते थे और तुम साला मिमियां रहे हो ' नेता जी ने खड़े होकर गुस्से में कहा और बोलते बोलते पान की पीक गटक ली। संजय अभी भी घुटनों के बल बैठा जमीन को देख रहा था।

' देखो संजय इस बार तुम आदित्य को समर्थन दो उसको जीताओ और अगली बार हम तुमको पक्का समर्थन देंगे और पूरा खर्चा हम ही उठाएंगे बस इस बार आदित्य को जीता दो। इ हमारा भतीजा है, और राजनीति में आना चाहता है तो यह चुनाव तो उसे जीतना ही होगा। ऊपर से यह अंग्रेजी में पढ़ा लिखा है, अच्छा बोलता है, अच्छा खिलाड़ी भी है भई... तो यूथ में काफी पॉपुलर है...बस यह चुनाव जीत जाए तो अगली बार हम इसके लिए भी टिकट मांगने लायक हो जाएं'  नेता जी ने संजय को समझाते हुए कहा।

' हां भैया आप अगली बार लड़ लेना आप कौन सा कानपुर छोड़कर जाने वाले हो ,आपको तो यहां ही रहना है.... यहीं सड़ना है' आदित्य ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा।

संजय ने मुंह ऊपर करके आदित्य की तरफ देखा तो आदित्य संजय का गुस्से भरा चेहरा देखकर पीछे सरक गया । संजय की आंखें अंगारो की तरह  लाल हो रही थी पर उनसे आंसू बह रहे थे।

' देखो नेताजी समर्थन तो आपको हमको ही देना पड़ेगा, पूरी साल दिन-रात आपके पीछे कुत्तों की तरह भागा हूं रात को  4,4  बजे तक जगा हूं,नेता जी की रैली में जाना है ,नेताजी के पोस्टर लगवाने हैं। नेताजी का नॉमिनेशन भरवाना है , नेताजी की रैली निकलवानी है,नेता जी का ये.. नेता जी का वो.... साला पूरी साल एक रात चैन से नहीं सोया ताकि आप चुनाव जीत सके और जब मेरी बारी आई तो आप पलट रहे हो ' संजय अब खड़ा हो गया।

' ओए ...नीची आवाज में बात करो ,जानते हो ना किससे बात कर रहे हो' नेताजी के पास एक बंदूक पकड़े पहलवान ने कहा, नेता जी ने उसे इशारा किया और वो पीछे हट गया।

' देखो भाई हम मानते हैं तुमने बहुत अच्छा काम किया है पर ऐसा काम करने वाले तुम अकेले तो हो नहीं और भी बहुत है तो  हम क्या उन सबको चुनाव लड़ाते फिरे....भाई राजनीति के अपने नियम कायदे होते है... यहां सब्र रखना पड़ता है... हमको भी क्या टिकट एक ही बार में मिल गया था...कितने साल काम किए तभी तो चांस मिला ' नेताजी को समझाते हुए कहा।

' पर आपने ही कहा था कि तुम कार्यकर्ताओं के वजह से ही हम चुनाव जीते हैं तुम नहीं तो ,हम नहीं उसका क्या हुआ फिर?' संजय ने गुस्से में पूछा।

' तो कार्यकर्ता हो तो हमारे सर पर मुतोगे , उ तो बोलना पड़ता है भाई ताकि तुम जैसा कुत्ता लोग वफादार रहें।'नेताजी खड़े हुए और संजय को धक्का देकर गिरा दिया। माहौल थोड़ा शांत हो गया।

आदित्य गिरे हुए संजय के पास आया और नजदीक आकर कान में धीरे से कहा ' क्या हुआ संजय भैया ?... बस हो गया आपका... आपको उ दिन हमको उस लौंडे को पीटने देना था....अगर आप बीच में नहीं आते ना तो यह बात उसी दिन खत्म हो जाती ....पर नहीं आपको तो हीरो बनना था ....हमको  इस दो टके की कॉलेज पॉलिटिक्स में झांट इंट्रेस्ट नहीं है..पर आपकी मारने के लिए तो हम यह भी कर सकते हैं'  आदित्य ने पीछे हटते हुए कहा।

' तो इ तुम हमसे बदला लेने के लिए किए हो..' संजय ने आंसू को गुस्से में दबाते हुए कहा।

' तो और क्या ....हम सब कुछ सहन कर सकते है पर कोई हमारी बेज्ज्ती करे हमसे बर्दास्त नहीं होता...चलो ऐसे उदास ना होइए...एक उपाय है आपके लिए, आप एक काम करो हम अपने दोस्तो कि बुलाते हैं आप उन सब के सामने हमसे पैर पकड़कर माफी मांग लो ...तो हम आपको माफ कर देंगे ...और चुनाव में आपका समर्थन भी करेंगे...क्यों ठीक है ना? ' आदित्य ने ऑफर दिया।

' अपना समर्थन अपनी गां* में डाल लो समझे ना .... तुम हमको जानते नहीं हो हम  चीज का है' संजय उठा और खुदको झाड़ने लगा।

' चलो बेटा आदि, तुम्हारे लिए नया प्लान बनाते हैं, ई साला एक ही थोड़ी है इस जैसे 50 संजय को हम हमारे पिछवाड़े तले दबाकर चलते हैं। हमको तो लगा साला इ....' नेता जी बोलते बोलते आदित्य को लेकर अंदर जाने लगे।

' इ तुम  गलत किए नेता , हम से पंगा ले कर.... गलत किए,कसम भोलेनाथ की अगर तुम्हारी विधायकी नहीं छुड़वा दी तो हम एक बाप की औलाद नहीं' संजय ने जोर से कहा। यह सुनते ही नेताजी के गुस्से का पारा आसमान छू गया।

' साला तू हमारी विधायकी छूड़वाएगा ....  दो कौड़ी की औकात नहीं तेरी और हमसे जबान लड़ा रहा है..' नेता ने संजय को जोरदार लात मारी और संजय गिर गया।

' ए इसको मार पिटके कचरे में फेंक आवो , चोट्टा...हमसे जबान लडाता है..' नेता ने अपने आदमियों से कहा और सब संजय को पीटने लगे , फिर कई देर उसको पीटने के बाद सब उसको वहीं छोड़कर अंदर चले गए। थोड़ी देर में संजय उठा और चल दिया।

# कॉलेज में-

' संजय कहां है बे? सुबह से देखा नहीं उसको' अंकुश ने पेड़ के नीचे बैठे नोट्स पढ़ते हुए कहा।

' ओ नेता जी से मिलने गया है लगता है, उ और नेता जी कोई प्लानिंग कर रहे हैं उसके चुनाव जीतने की' राहुल ने दूरबीन से किसी को देखते हुए कहा।

' हां बे सुना है नेताजी बड़े बहुमत से जीते हैं अबकी बार, अगर इस बार उन्होंने संजय को समर्थन दिया तो संजय पक्का प्रेसिडेंट बनेगा' अंकुश में राहुल की तरफ देख कर कहा।

' हां ज़रूर बनेगा ' राहुल अभी भी किसी को दूरबीन से देख रहा था।

' साला हम इतनी जरूरी बात कर रहे हैं और तुम किसको ताड़ रहे हो बे होगे, इधर दो ' अंकुश ने राहुल से दूरबीन छीन कर खुद देखा' साला तुम को शर्म नहीं आ रही मेघना को देख रहे हो वह होने वाली भाभी है हमारी, संजय को पता चल गया ना....'

' अरे मेघना को नहीं देख रहे हैं उसके साथ में देखो'राहुल ने दूरबीन घुमाते हुए कहा।

' हां दिख रहा है ,कौन है बे ये हमेशा मेघना के साथ ही रहती है मैने भी देखा है'अंकुश ने दूरबीन में  देखते हुए राहुल से पूछा

' उसका नाम है प्रतिभा ,वह मेघना की दोस्त है और तुम्हारी होने वाली भाभी भी' राहुल ने शरारती हंसी के साथ कहां।

' क्या बात कर रहे हो संजय दोनों पर ट्राई कर रहा हैं , मुझे यकीन नहीं होता संजय इतना बड़ा प्लेयर कब बन गया बे' अंकुश बोला।

' अरे उसके लिए नहीं हम हमारी बात कर रहे हैं प्रतिभा बनेगी तुम्हारी भाभी और हमारी प्रेमिका' राहुल ने बात स्पष्ट करते हुए कहा।

' बेटा जिस तरह की तुम्हारी हरकतें है ना उससे तो इस जन्म में नहीं बनेगी तुम्हारी ' प्रेमिका ' ...' अंकुश ने दूरबीन  वापस राहुल को दे दी।

' शुभ शुभ बोलो बे, तुम सच में बहुत पनौती आदमी हो' राहुल ने दूरबीन ली और वापिस प्रतिभा को देखने लगा।

कुछ देर तक शांति रही फिर थोड़ी देर में एक बाइक आकर उनके पास रुकी और रोहित ने बाइक से उतरकर अंकुश से पूछा।

' भैया को देखे थे क्या सुबह से मिल नहीं रहे हैं?' रोहित ने अंकुश के पास बैठते हुए कहा।

' उ नेताजी के यहां गया हुए लगता है।' अंकुश में नोट्स पढ़ते हुए कहा।

' अरे नहीं वहां हम देख आए , उ नेताजी के घर के बाहर वाला पहलवान कह रहा था कि वो सुबह कुछ लड़ाई किए और फिर निकल गए, फिर उनको किसी ने नहीं देखा' रोहित ने बात बताई और अंकुश और राहुल दोनों का ध्यान उसकी तरफ आ गया।

' उ  लड़ाई किए, किससे नेता से ' अंकुश ने रोहित से पूछा जिस पर रोहित ने हां में सिर हिलाया।

'चल भाई चल उसको ढूंढते हैं ,मामला सीरियस लग रहा है हमको'राहुल ने रोहित और अंकुश को खड़े करते हुए कहा।

' हां चलो भैया हमको भी टेंशन हो रहा है थोड़ा-थोड़ा'रोहित ने बाइक स्टार्ट की राहुल बीच में बैठा और अंकुश पीछे पीछे और बाइक कॉलेज से बाहर निकल गई।

पहले तो तीनों संजय के घर गए जहां उसकी मम्मी ने बताया कि वह तो सुबह सुबह ही मिठाई का डब्बा लेकर नेता जी के यहां गया उसके बाद घर नहीं आया ,फिर वहां से तीनों असलम चाचा की चाय की दुकान पर गए जहां पर बैठकर वह अक्सर चुनाव की तैयारियां करता था पर चाचा ने भी यही कहा कि संजय आज तो नहीं आया। सारा दिन ढूंढते ढूंढते आखिर शाम हो गई।

' भैया किधर है समझ में नहीं आ रहा पूरा शहर छान मार लिया' रोहित बोला।

' पता नहीं उसको क्या हो गया है ऐसा तो आज तक नहीं किया, पता नहीं कहां होगा?' राहुल ने बीच में से चिंता जाहिर की।

' अरे! इ हमारे दिमाग से कैसे स्लिप हो गया रे..... चलो चलो हमको पता है वह कहां है साला हमारे दिमाग में पहले क्यों नहीं आया' अचानक अंकुश पीछे से उत्साह में चीलाया।

' कहां है बे तुम्हें पता है?' राहुल ने गर्दन घुमा कर अंकुश की तरफ देखा।

' हां पता है, चलो रोहित, दुर्गादास वाली पानी की टंकी पर ले चलो'अंकुश बोला और रोहित ने बाइक चला दी।

' अरे हां हम तो भूल ही गया थे, हम साला जब हम छोटे थे  तो वही जाकर बैठते थे' राहुल ने पुरानी याद ताजा करते हुए कहा।

थोड़ी देर में बाइक टंकी के पास पहुंची राहुल और अंकुश उतर गए अंकुश ने रोहित को कुछ कहा और वह बाइक लेकर चला गया। अंकुश और राहुल सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर आए जहां संजय रेलिंग से बाहर पैर लटकाए आसमान में तारों को देख रहा था।

' गुरु जगह तो रोमांटिक है पर लगता हैं इतना सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते हमको गठीया हो जाएगा ' अंकुश ने संजय से कहा। जिस पर संजय ने पीछे मुड़कर उन दोनों की तरफ मुस्कुरा दिया।

'क्या हुआ बे कहां थे पूरे दिन? तुमको पूरे शहर में ढूंढ ढूंढकर थक गए और तूम मिले कहां दुर्गादास की टंकी पर' कहते हुए राहुल संजय के पास जाकर बैठ गया और अंकुश भी आकर बैठ गया तीनों ने अपने पैर रेलिंग से बाहर लटका लिए और एक साथ आसमान देखने लगे।

' उ हमको धोखा दिया बे' संजय ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा। वह अभी भी उदास था।

' कोनो उ नेता ?' अंकुश ने पूछा।

' वह साला आदित्य उसका भतीजा निकला ।हमको कहता है कि इस बार तुम बैठ जाओ और आदित्य को जीता दो ,हम अगली बार तुमको समर्थन देगा।' संजय रूहांसा होकर बोला।

'आदित्य उसका भतीजा है?' राहुल ने चौंककर पूछा।

' पर तुमने भी तो साला उसके लिए दिन-रात एक किया था और उसने भी तो वादा किया था कि वह तुम्हें समर्थन देगा' अंकुश बोला।

'हमारा बाप हमेशा कहता था हमको की इ नेता लोग किसी का सगा नहीं होता पर हम ही चुतीया थे जो उनकी नहीं माने ।हम नेताजी ,नेताजी करते हुए उसके पीछे भागते रहे ... दिन रात उसके पीछे अपनी मरवाई और वह सबके सामने हम को कुत्ता बोले, हमारा बेईजती किया बे।' संजय ने जिन आंसुओ को रोक रखा था वह आखिरकार बाहर आ ही गए।

राहुल और अंकुश ने एक दूसरे को देखा फिर अंकुश बोला

' तूम रो काहे रहे हैं ,  हम जीतेंगे ना चुनाव, अभी तेरे दोस्त मर थोड़ी गए हैं।' अंकुश ने संजय के कंधे पर अपना हाथ रखा।

' उ नेता के सामने हम नहीं जीत सकते भाई। उ जिसको समर्थन देता है वही जीतता है और तुम दोनों दोस्त अच्छे हो पर हमको चुनाव नहीं जीता सकते, इसके लिए तो नेता जैसे हरामि लोग ही चाहिए'संजय ने आंसू पोंछ कर अंकुश से कहा।

' कौन कहता है बे हमको राजनीति नहीं आती हम  सारे न्यूज़ चैनल फॉलो करता है हमको सब पता है कि चुनाव कैसे लड़ा जाता हैं? और कैसे जीता जाता हैं?'राहुल ने भी संजय के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा जिस पर संजय ने मुस्कुरा दिया।

' चुनाव  कोरी प्लानिंग से नहीं जीता जाता उसके लिए पैसे भी लग ते है, प्रचार करना पड़ता हैं, रेलिया निकालनी पड़ती हैं। और हम  सारा पैसा उ नेता के चुनाव में लगा दिया है, हमारे पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं है'संजय ने धीमे से  कहा।

' हम करेंगे बे प्रचार तुम्हारा, हम सारा डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स किए हैं, तुम्हारी मार्केटिंग भी हम ही करेंगे ,सोशल मीडिया की पावर को तुम कम ना समझो गुरु,बस टेंशन तो पैसों की है...वो हमे कौन देगा?'अंकुश बोला। थोड़ी देर खामोशी रही।

' हम देंगे 'राहुल ने धीरे से कहा' हम देंगे पैसे....तुम चिंता ना करो'

' कहा से दोगे बे ,तुम तो साला चाट पापड़ी भी हमारे ही पैसों की खाते आए हो' संजय ने पूछा

' उ हमारा बाप किस दिन काम आएगा....जिंदगी भर साला उ पैसे ही तो कमाए है' राहुल ने उदासी से कहा।

' तुने उनसे 8 साल में एक बार भी बात नहीं कि और हमारे लिए उनसे पैसे मांगोगे?' संजय ने आश्चर्य से पूछा।

दरअसल राहुल के पापा एक बहुत बड़े बिजनेसमैन है, पर जितनी अच्छी तरह उन्होंने बिजनेस को संभाला उतनी अच्छी तरह  अपने परिवार को नहीं संभाल पाए ,जब 8 साल पहले राहुल की मां बीमार थी और जब वह मरने वाली थी तो भी उसके पापा नहीं आए क्योंकि वो यूएस में कोई मीटिंग अटेंड कर रहे थे, राहुल की मम्मी ने अपने आखिरी समय में उनको बहुत याद किया पर वो नहीं आए। उसकी मम्मी के मरने के 2 दिन बाद आए और जब उन्होंने आकर  राहुल  से पूछा ' बेटा तुम कैसे हो ?' तो राहुल ने कहा ' अब आप क्यों आए? वहीं रहते ना ....हमको यहां आपकी कोई जरूरत नहीं है। ' और राहुल फुट फुटकर रोया ।उस दिन के बाद राहुल उनसे कभी नहीं बोला ,उसने 8 साल तक अपने पापा से बात ही नहीं की । वह कानपुर में यहां अपनी  मौसा जी के घर पर ही  रहता है, उसके पापा पिछले 8 साल से हर रोज उसे कॉल करते हैं पर राहुल ने आज तक उनका फोन नहीं उठाया।

' तेरे लिए तो जान दे सकता हूं ,ये तो बस उस शैतान से बात ही तो करनी है कर लूंगा यार ' राहुल ने गुस्से को मुस्कुराहट के पीछे छुपाते हुए कहा।

'लो भाई तुम्हारा प्रचार भी हो जाएगा और चुनाव के लिए पैसे भी आ जाएंगे अब लड़ोगे ना  चुनाव 'अंकुश ने बोला और संजय को गले लग गया।

' सालो जब तक तुम दोनों हमारे साथ होना हमें दुनिया में किसी की जरूरत नहीं' संजय रो पड़ा और राहुल को भी गले लगा लिया। तीनों दोस्त चांदनी रात में दुर्गादास की टंकी के ऊपर बैठे गले मिल ही रहे थे,की अचानक रोहित भी आ गया।

' हे भगवान ये क्या -क्या देखना पड़ रहा है ,आप लोग तो सरेआम अंधेरे का फायदा उठा रहे हो। यह सब काम बंद दरवाजों के बीच  ही होना चाहिए' रोहित ने आते हुए कहा जिसके हाथ में बियर की चार बोतल थी।

' तुम कहां थे बे ?' संजय ने आंसू पोंछे और बोला।

' अंकुश भैया हमको बोले थे बीयर  लाने के लिए वही लेने गए थे ' रोहित पास आकर बैठ गया।

' हम तो सोचे थे कि दुख में पिएंगे पर अब जब तुम चुनाव लड़ रहे हो तो खुशी में भी पी लेंगे' अंकुश ने कहा और सब ने एक-एक बोतल उठा ली।

' इस साल हम चुनाव ऐसे लड़ेंगे जैसा किसी ने सोचा नहीं होगा,और उस आदित्य और नेता की फाड़ के चार नहीं कर दिए ना तो हमारा नाम भी संजय नहीं 'संजय ने कहा और सबने बोतले टकराई और चीयर्स किया।

' जरूरी जीतेंगे बे , अभी तुम्हारे लिए जयकारे लगवाते है,बोलो हमारा नेता कैसा हो ' अंकुश ने अचानक खड़े होकर बोला।

' संजय भैया जैसा हो...... ' रोहित और राहुल ने भी खड़े होकर बोला।

'बोलो ....संजय भैया जिंदाबाद' अंकुश जोर से चिलाया।

' संजय भैया जिंदाबाद'

'संजय भैया जिंदाबाद' राहुल ओर रोहित भी बोले।

' संजय भैया जिंदाबाद' संजय ने धीरे से बोला और बीयर गटक ली, अब उसके चेहरे पर भी वही आदित्य वाली मुस्कान थी।