महापंडित, रानी ताशा, देवराज चौहान, बबूसा, सोमारा, सोमाथ, जगमोहन, नगीना, मोना चौधरी, उसी इमारत पर पहुंचे जहां गेट पर तीन पहरेदार मौजूद थे। महापंडित को वो जानते थे और उन्हें भीतर जाने दिया गया। महापंडित उन सबको लेकर भीतर नीचे की मंजिल पर पहुंचा।
महापंडित को मालूम हुआ कि उसके पिता कुछ देर पहले ही लौटे हैं। उन सबने कुछ देर इंतजार किया फिर डुमरा का संदेश आने पर वो सब दूसरी मंजिल के उस हॉल में पहुंचे, जहां डुमरा पहले से ही मौजूद था और नहाकर कपड़े बदल चुका था। उसके चेहरे पर गम्भीरता थी। तब वो खिड़की के बाहर देख रहा था। शाम हो रही थी। सूर्य छिपने वाला था और कुछ ही देर में अंधेरा हो जाना था। महापंडित की आवाज सुनकर वो पलटा।
“पिताश्री।” महापंडित ने कहा-“ये सब आपसे मिलना चाहते हैं। ये रानी ताशा है और ये राजा देव। ये नगीना है, राजा देव की पृथ्वी की पत्नी। ये जगमोहन है राजा देव का, भाई जैसा दोस्त। ये मोना चौधरी है नगीना की बहन। ये बबूसा है और ये आपकी बेटी सोमारा। ये सोमाथ है जिसका निर्माण मैंने किया है, परंतु ये इंसानों से बेहतर काम करता है।”
“डुमरा को सोमाथ का नमस्कार।” सोमाथ फौरन मुस्कराकर कह उठा-“मैं सच में आप इंसानों से बेहतर हूं क्योंकि मेरे पास जबर्दस्त ताकत है और मुझे कोई मार भी नहीं सकता।”
रानी ताशा का चेहरा कठोर हुआ पड़ा था।
डूमरा शांत नजरों से सबको देख रहा था। बोला।
“बैठ जाओ।”
सब वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गए।
“ये मेरे पिताश्री डुमरा हैं। पवित्र शक्तियों से इनका करीबी रिश्ता है। बुरी ताकतों को खत्म करना इनका काम है। इनके शरीर पर मत जाइए। कुछ समय पहले ही इन्होंने नया शरीर प्राप्त किया है, जबकि इनकी उम्र हजार वर्ष से ऊपर है।” महापंडित बोला।
डुमरा की निगाह सब पर जा रही थी।
“पिताश्री। ये लोग खुंबरी से वास्ता रखती समस्याओं में फंसे हैं। आप ही हल कर सकते हैं इनकी समस्या।”
“डुमरा।” रानी ताशा सख्त स्वर में बोली-“मुझे खुंबरी से बदला लेना है। ढाई-तीन सौ साल पहले खुंबरी की ताकतों ने मुझे और राजा देव को अपने फायदे के लिए अलग किया था और अब हाल ये है कि मैं अभी तक राजा देव को वापस प्राप्त नहीं कर सकी। खुंबरी मेरी गुनाहगार है। तुम्हारी सहायता चाहिए। वरना मैं खुंबरी का मुकाबला नहीं कर पाऊंगी।”
“आप इनकी सहायता अवश्य करें पिताश्री। ये मेरे बड़े हैं।” महापंडित ने कहा।
“खुंबरी से तुम लोग मुकाबला नहीं कर सकते।” डुमरा गम्भीर स्वर में बोला।
“आपका साथ होगा तो हम ये काम कर लेंगे।” बबूसा कह उठा।
“आपको हमारे काम आना चाहिए पिताश्री।” सोमारा बोली।
“खुंबरी से टकराव का मतलब मौत है। वो ताकतों की मालिक है।”
डुमरा ने गम्भीर स्वर में कहा-“खुंबरी अब वापस आ गई है तो मेरा उसका मुकाबला होगा ही। वो मुझसे बदला लेगी, तब...”
“खुंबरी ने मुझसे कहा था कि वो आपसे बदला लेगी।” बबूसा बोला।
“तो खुंबरी का मुकाबला मुझे ही करने दो। तुम लोगों का बदला में ले लूंगा।”
“नहीं डुमरा।” रानी ताशा कह उठी-“मैं खुंबरी से बदला लूंगी। उसने मेरे साथ अन्याय किया है।”
“ये काम मौत को गले लगाने जैसा होगा।”
“तुम्हारा साथ होगा तो हम ये काम आसानी से कर लेंगे।” रानी ताशा ने कठोर स्वर में कहा।
“इसे मामूली खेल न समझो। ये जानलेवा मुकाबला होगा। खुंबरी तुम लोगों को मार देगी।”
“मैं खुंबरी से बदला लेना चाहूंगी। तुम्हें मेरा साथ देना होगा डुमरा।”
डुमरा ने महापंडित को देखा।
“मेरी खातिर पिताश्री।” महापंडित बोला-“इन्हें मैं आपके पास लाया हूं।”
“खुंबरी से लड़ाई में हम तुम्हारा पूरा साथ देंगे डुमरा।” देवराज चौहान ने कहा-“तुम्हें निराशा नहीं होगी।”
डुमरा कुछ कहने लगा कि तभी उसके कानों में फुसफुसाती आवाज पड़ी।
“मौका अच्छा है डुमरा। ये लोग खुद तेरे पास आए हैं।”
“ओह तोखा तुम?” डुमरा के होंठों से निकला।
“इन्हें अपने साथ ले ले।
“पर मुझे कोई फायदा नजर नहीं आता तोखा।”
“बहुत फायदे होंगे इनके। तोखा ने तेरे को कभी गलत सलाह दी है?”
“नहीं।”
“तो आज भी मेरी सलाह मान ले।”
डुमरा की गम्भीर निगाह सब पर गई।
“ठीक है। तुम लोग मेरे साथ रहोगे। हम मिलकर ये काम करेंगे।” डुमरा ने कहा।
“तो मैं जाऊं पिताश्री।”
“बेशक। सोमारा को साथ ले जाओ। इसका यहां कोई काम नहीं।”
“मैं नहीं जाऊंगी।” सोमारा कह उठी-“मैं तो बबूसा के साथ रहूंगी।”
डुमरा ने महापंडित को देखा।
“सोमारा को बबूसा के साथ ही रहने दीजिए।” महापंडित बोला-“मैं जाता हूं।”
महापंडित चला गया।
“तुम लोग, इस तरफ कमरे बने हैं, उनमें आराम कर सकते हो।”
डुमरा बोला-“अभी व्यस्त होने के कारण बात नहीं कर सकता। कुछ देर बाद आऊंगा तुम लोगों से बात करने।”
डुमरा चला गया वहां से।
तभी बबूसा उठा और चिंतित अंदाज में रानी ताशा के पास पहुंचकर बोला।
“रानी ताशा। मैंने धरा की ताकतों को करीब से पहचाना है। हम खुंबरी के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरते।”
“वो मेरे हाथों से नहीं बचेगी।” रानी ताशा ने दांत पीसकर कहा।
“आप जोश से नहीं होश से काम लें, खुंबरी तो...”
“बबूसा।” रानी ताशा ने बेहद कठोर स्वर में कहा-“खुंबरी ने मुझे और राजा देव को जुदा किया था। ऐसा जुदा कि भरपूर चेष्टा के बाद भी मैं अपने देव को ठीक से हासिल नहीं कर पाई। इस बात की गुनाहगार खुंबरी को सजा भुगतनी होगी।”
“परंतु खुंबरी बुरी ताकतों की मालिक है। हम उसकी बराबरी नहीं कर सकते।”
“डुमरा की सहायता हमें मिलेगी।” रानी ताशा गुर्रा उठी।
“इस पर भी पक्का क्या कि खुंबरी को हम जीत लेंगे।” बबूसा ने कहा।
“बबूसा ठीक कहता है रानी ताशा।” पास आती सोमारा कह उठी-“खुंबरी से हमारी बराबरी नहीं हो सकती। वो बुरी ताकतों की मालिक है। जबकि हम साधारण लोग हैं। डुमरा पर हम ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते। जान तो हमारी ही जाएगी।”
“मैं रानी ताशा को कुछ नहीं होने दूंगा।” सोमाथ ने कहा।
“पर रानी ताशा के साथ हम सब हैं।” सोमारा ने कहा।
“डुमरा इतना बेवकूफ नहीं होगा कि हमें मरने के लिए खुंबरी के सामने छोड़ दे।” देवराज चौहान ने कहा-“अभी डुमरा से हमारी बात होनी है। तब देखेंगे कि वो क्या कहता है। हमसे बेहतर वो खुंबरी को जानता है।”
“और उसे ये भी पता है कि खुंबरी का मुकाबला कैसे करना है।”
“राजा देव, धरा की ताकतों को मैंने महसूस किया है, जबकि उसका कहना था कि उसके पास दो-तीन ताकतें ही हैं। सदूर की जमीन पर आकर तो उसके पास ढेरों ताकतें होंगी। हम उसके सामने ठहर भी नहीं सकेंगे।” बबूसा ने गम्भीर स्वर में कहा।
“डुमरा से बातचीत करके ही हमें अंदाजा हो जाएगा कि खुंबरी का मुकाबला हम कर सकते हैं या नहीं।” मोना चौधरी ने कहा-“खुंबरी के बारे में अब तक जो सुना है, उससे तो ये ही लगता है कि हम उसका मुकाबला नहीं कर सकेंगे।”
“तुम खुंबरी से डरती लगती हो।” रानी ताशा ने कहा।
“डर नहीं रही, मैं स्पष्ट बात कर रही हूं।” मोना चौधरी ने कहा-“वो हमसे ज्यादा बहादुर है। वो ताकतों का सहारा रखती है। उसका नाम सुनते ही हर कोई घबरा-सा जाता है तो स्पष्ट है कि उसका मुकाबला करना भी आसान नहीं होगा।”
“मैं खुंबरी को नहीं छोडूंगी।” रानी ताशा गुर्रा पड़ी-“उसने मुझे मेरे देव से अलग किया था।”
“हम ताशा के साथ हैं।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा-“मैं स्वीकार करता हूं कि खुंबरी ने हमारे साथ बुरा किया था।”
“आप मुझसे प्यार करते हैं न?” नगीना कह उठी।
“हां नगीना।”
“ताशा से तो नहीं?”
“ताशा से मेरा इतना ही रिश्ता है कि कभी वो मेरी पत्नी थी। कभी वो मुझे बहुत प्यारी हुआ करती थी। पर वो जन्मों पुरानी बात...”
“ऐसा न कहो देव।” रानी ताशा की आंखों में आंसू चमक उठे-“मैं आज भी आप से उतना ही प्यार करती हूं।”
“मैं जानता हूं कि तुम सच कह रही हो।” देवराज चौहान गम्भीर था-“परंतु अब नगीना मेरी पत्नी है। ये तुम्हें याद रखना होगा।”
“मैं आपके बिना जी नहीं सकती देव।” रानी ताशा तड़प उठी।
देवराज चौहान रानी ताशा को देखता रहा।
“खुंबरी से बदला लेने के बाद मैं आपको अपना बना लूंगी देव।” रानी ताशा के स्वर में विश्वास था।
“नगीना मेरे लिए पहले है। तुम्हारी जगह मुझे कहीं भी नजर नहीं आ रही ताशा।” देवराज चौहान बोला-“तुम्हें इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए कि तुम कभी मेरी पत्नी थी, लेकिन आज नगीना मेरी पत्नी है।”
रानी ताशा ने आंसुओं भरा चेहरा घुमा लिया, परंतु चेहरे पर दृढ़ता नजर आ रही थी।
बबूसा वहां से हटा और टहलने लगा।
“ये उतरकर वो कहां गई?” जगमोहन बोला।
“ये बात शायद डुमरा को पता हो।” बबूसा ने कहा-“पवित्र शक्तियां उसे खबर देती रहती हैं।”
“ऐसा है तो डुमरा ने अभी तक उस पर हमला क्यों नहीं किया, उसे मारने के लिए।” मोना चौधरी बोली।
“डुमरा ऐसा नहीं कर सकता। धरा ने मुझे बताया था।” बबूसा कह उठा।
“क्यों नहीं कर सकता?”
“डुमरा ने खुंबरी को श्राप दिया था और खुंबरी ने नियम से श्राप को पूरा किया। ऐसे में अब पहले वार का हक खुंबरी का बनता है। खुंबरी वार करने की शुरुआत कर दे तो तभी डुमरा के लिए, हमले के दरवाजे खुलेंगे। अगर डुमरा नियम के खिलाफ खुंबरी पर वार पहले कर देता है तो इसका बुरा अंजाम डुमरा को भुगतना होगा।” बबूसा ने बताया।
“अगर खुंबरी वार करे ही नहीं?” नगीना बोली।
“तो डुमरा कुछ भी नहीं कर सकेगा।” बबूसा ने गम्भीर स्वर में कहा-“परंतु धरा ने मुझसे कहा था कि वो डुमरा से पांच सौ सालों का बदला लेगी। ऐसे में पूरी तरह सम्भव है कि वो जल्दी ही डुमरा पर वार करेगी।”
“तुम खुंबरी के काफी करीब हो गए थे।” देवराज चौहान बोला।
“हां। इत्तेफाक से धरा को काफी हद तक जान गया था। वो सच में खतरनाक है। कभी-कभी तो वो शैतान की तरह लगती है। जब वो मुस्कराती है तो उसका निचला होंठ टेढ़ा हो जाता है तो खूबसूरत भी लगती है और खतरनाक भी। खुंबरी भी बिल्कुल धरा जैसी ही है। जादूगरनी (होम्बी) ने बताया था कि वो दोनों एक ही चेहरे वाली होंगी।”
“पांच सौ सालों में खुंबरी का शरीर खराब हो गया...”
“नहीं।” बबूसा ने मोना चौधरी से कहा-’खुंबरी के शरीर की देखभाल उसका खास सेवक दोलाम कर रहा है। उसने खुंबरी के शरीर को खराब नहीं होने दिया होगा। धरा ने मुझसे कहा था कि खुंबरी का शरीर संभालने में उसकी ताकतें भी दोलाम का साथ देती हैं। सच में खुंबरी की ताकतें, बहुत वफादार हैं। मैंने जब धरा को गला दबाकर मारना चाहा तो उसकी ताकतों ने उसी पल मुझे पीछे धकेल दिया। पर खुंबरी भी उन ताकतों के लिए वफादार है। डुमरा ने खुंबरी को स्पष्ट कहा था कि वो सदूर की रानी बनी रहेगी, पर वो नागाथ की ताकतों को त्याग दे। परंतु खुंबरी ने ताकतों को छोड़ने से मना कर दिया और श्राप को स्वीकार करके पांच सौ सालों के लिए सदूर छोड़ गई। ऐसे में वो ताकतें खुंबरी का जरूरत से ज्यादा ख्याल क्यों नहीं रखेंगी।”
“खुंबरी के बारे में और बताओ बबूसा।” नगीना कह उठी।
“धरा ने कहा था कि अब ऊर्जा प्राप्त करने के बाद उसकी ताकतें और बढ़ जाएंगी। वो डुमरा को नहीं छोड़ेगी। ये महज बातें ही नहीं हैं उसकी। मेरे ख्याल में वह ऐसा करने का दम भी रखती है।”
“तो डुमरा ने भी बचने की कोई तैयारी कर ली होगी?” जगमोहन बोला।
“डुमरा के ऊपर पवित्र शक्तियों की छाया है। खुंबरी बेशक कितनी भी ताकतवर हो, डुमरा पर हाथ डालना उसके लिए आसान नहीं होगा। शक्तियां डुमरा को हमेशा सुरक्षित रखती हैं। डुमरा माध्यम है पवित्र शक्तियों का। डुमरा के द्वारा ही शक्तियां लोगों की तकलीफें दूर करती हैं। बुरी ताकतों को खत्म करती हैं। शक्तियों को कोई न कोई माध्यम चाहिए, जो कि समझदार हो और कामों को तेजी से पूरा कर सके। ये काम करते डुमरा को हजार वर्ष से भी ज्यादा हो गए हैं। शक्तियां डुमरा पर मेहरबान हैं और उसे खुंबरी के वारों से बचाकर रखेंगी।” बबूसा ने बताया।
“अगर डुमरा को कुछ हो जाता है तो?” नगीना ने पूछा।
“तो वो शक्तियां किसी और को माध्यम बनाएंगी। ये बातें मैं इसलिए जानता हूं कि मैं महापंडित के करीब रहा हूं। उसी से थोड़ी-थोड़ी जानकारी मुझे मिलती रही और बातों को समझ पाया कि उसके पिता क्या करते हैं।”
“तुम शायद भूल गए बबूसा कि डुमरा के बारे में मैं भी जानता हूँ।” देवराज चौहान मुस्कराया।
“आपको डुमरा के बारे में ज्ञान क्यों नहीं होगा। आप डुमरा के बारे में महापंडित से जानकारी लिया करते थे।”
“परंतु मैंने डुमरा से मिलने की इच्छा कभी नहीं दिखाई थी। अब मिला डुमरा से।”
“लेकिन डुमरा हमें छोड़कर अचानक कहां चला गया?” रानी ताशा बेचैनी से कह उठी।
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डुमरा तीसरी मंजिल के उसी कमरे में पहुंचा और पहले की तरह चक्र घुमाकर टेबल रूपी डायल का एक नम्बर घुमा दिया। मिनट भर बाद डायल और चक्री एक साथ रुकी तो तोखा की आवाज सुनाई दी।
“बहुत जल्दी उन लोगों के पास से आ गए।”
“तुमसे बात करना चाहता था।” डुमरा ने गम्भीर स्वर में कहा-“मेरे पास कुर्सी पर आकर बैठो तोखा।”
“क्या ऐसे बात नहीं हो सकती?”
“मैं चाहता हूं तुमसे आमने-सामने बात करूं।”
चंद पल बीते कि एकाएक कुर्सी पर बैठा एक व्यक्ति दिखने लगा। परंतु वो सामान्य व्यक्ति न लग कर, धुएं जैसा व्यक्तित्त्व लग रहा था, जिसके आर-पार काफी हद तक देखा जा सकता था।
“अब कहो डुमरा।” तोखा बोला।
“मैंने वजू से बात की थी। सलूरा से भी की। परंतु वो खुंबरी के मामले में मेरा साथ नहीं दे रहे।”
“मुझे मालूम है।”
“वो कहते हैं खुंबरी का मामला मुझे ही संभालना है, क्योंकि मैंने उनकी राय के बिना खुंबरी को श्राप दिया था।”
“ये भी जानता हूं। परंतु तुम चिंता क्यों करते हो डुमरा। तुम्हारे आदेश का पालन करने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त शक्तियां हैं। तुम किसी भी तरफ से, खुंबरी से कमजोर नहीं हो।” तोखा ने शांत स्वर में कहा।
“अगर सब मेरे साथ होते तो खुंबरी के बारे में फैसला लेने में मुझे आसानी होती।”
“खुंबरी का मामला सिर्फ तुम्हारा मामला बन चुका है, क्योंकि हमने देखा है कि खुंबरी के व्यक्तित्त्व में कोई बुराई नहीं है। वो हमारे लिए सिर्फ इसलिए बुरी है कि वो नागाथ की दी हुई ताकतों का इस्तेमाल करती है।”
“उसका व्यक्तित्त्व बुरा है। क्योंकि उसने अपने मतलब के लिए रानी ताशा और राजा देव को अलग कर दिया था।”
“इस बात को गलत नहीं माना जा सकता। खुंबरी को श्राप के बाद वापस भी तो आना था। वो अपना रास्ता तैयार कर सके इसलिए पूरा करने उसने ऐसा किया। इन छोटी बातों में न ही उलझो डुमरा तो बेहतर होगा।” तोखा के होंठ हिल रहे थे।।
“तो तुम सलूरा या वजू से सहमत हो?”
“सलूरा को गलत नहीं कहा जा सकता। वो बड़ी शक्तियां हैं।” तोखा की धीमी, शांत आवाज सुनाई दे रही थी।
“मैं जानता हूं कि खुंबरी को अब मुझे ही सम्भालना होगा।”
“तुम अकेले नहीं हो। तुम्हारी सहायता के लिए हम तुम्हारे साथ हैं। बस, फैसले इस बार तुमने ही लेने हैं।”
डुमरा ने गहरी सांस ली और बोला।
“तुमने कहा कि इन लोगों से मुझे फायदा मिलेगा।”
“हां।”
“ये साधारण इंसान खुंबरी के मामले में मेरी क्या सहायता कर सकेंगे?” डुमरा ने उलझन-भरे स्वर में कहा।
“साधारण लोगों में ये सब असाधारण हैं। बेहतर जांबाज हैं। अगर इन्हें कुछ शक्तियां दे दी जाएं तो ये खुंबरी को उलझा देंगे।”
“ये तुम जानो। मेरा विचार है कि ये शक्तियों का इस्तेमाल खुंबरी को खिलाफ करेंगे।”
“तुम्हारा विचार है ये, विश्वास नहीं।”
“विश्वास भी कह सकते हो।” तोखा ने सिर हिलाकर कहा-“इसमें से एक खुंबरी के बहुत करीब पहुंच जाएगा।”
“करीब?”
“शायद उसे खुंबरी से प्यार होने वाला है।”
“खुंबरी से प्यार?” डुमरा हैरान हुआ-“पर जहां तक मैं जानता हूं। खुंबरी प्यार को नहीं मानती।”
“अब खुंबरी के विचार बदल जाएंगे।”
“वो कौन है जो खुंबरी से प्यार करने वाला है।”
“ये नहीं बताऊंगा।”
“क्यों?”
“इससे तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा। जब ऐसा होगा तो इस बारे में तुमसे बात करूंगा।”
“खुंबरी कब तक मुझ पर वार करेगी?”
“बहुत जल्दी। तुम्हें अपनी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। मुझे हुक्म दो कि मैं क्या करूं। तुम कैसे काम करोगे।”
“खुंबरी का ठिकाना?”
“नहीं मालूम। उसकी ताकतों ने उस जगह पर अपने साये फैला रखे हैं और हमें नजर कुछ नहीं आता कि उसने कहां पर बसेरा डाल रखा है, लेकिन उसका ठिकाना पूर्व के जंगलों में कहीं है। जब-जब भी हमने खुंबरी का ठिकाना जानने की चेष्टा की, हमें पूर्व दिशा के जंगलों की तरफ के ही संकेत मिले। लेकिन ठिकाना नहीं ढूंढ पाए।”
“तो अब खुंबरी का ठिकाना मुझे ढूंढ़ना होगा।”
“बेहतर होगा कि ये काम उन लोगों से कराओ, जो अभी तुम्हारे पास पहुंचे हैं। मुझे संकेत मिल रहे हैं कि वो बेहतर काम कर लेंगे। वो भी खुंबरी तक पहुंचना चाहते हैं। दिल से काम करेंगे। वो सब ही मेहनती हैं।” तोखा के होंठ हिलते स्पष्ट दिखाई दे रहे थे-“उन सबमें सोमाथ तुम्हारे बहुत काम आएगा।”
“सोमाथ? जिसका निर्माण मेरे बेटे ने किया है।”
“वो ही। वो नकली इंसान है। बैटरी से चलता है। उस पर खुंबरी की ताकतों का कुछ भी असर नहीं होगा। घिर जाने की स्थिति में वो सुरक्षित रहेगा। उसका सही जगह इस्तेमाल करना।”
“ये बात तुमने अच्छी बताई।”
“उस पर हमारी शक्तियां भी काम नहीं करेंगी। इसलिए सोच-समझकर उससे काम लेना। उसका दिमाग जो कहेगा, वो उसी हिसाब से काम करेगा। ये उसके नकली दिमाग पर है कि वो सोचता किस तरह है। महापंडित ने उसका दिमाग कैसा बनाया है।”
“मैं अपने बेटे से बात करूंगा।” डुमरा ने सोच भरे स्वर में कहा।
“अब अपनी तैयारी शुरू कर दो डुमरा। खुंबरी के वार का वक्त करीब आता जा रहा है।” तोखा ने कहा।
डुमरा ने सिर हिलाया।
“हम सबके लिए काम बताओ।”
“क्या पूर्व के जंगलों की दिशा बता सकते हो?” डुमरा बोला।
“लाल पत्थर के पहाड़ों को पार करके जो जंगल पड़ता है, वहीं के संकेत हमें मिलते रहते हैं।”
“ठीक है। अभी तुम्हारे या अन्यों के लिए कोई काम नहीं है। अभी ये मामला मैं ही संभालूंगा।”
“अपनी सुरक्षा का इंतजाम करके रखना।”
“उसके लिए तो मैं हमेशा ही इंतजाम करके रखता हूं।” डुमरा ने कठोर स्वर में कहा-“तो आने वाला वक्त दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि सोमाथ पर खुंबरी की ताकतें असर नहीं करेंगी और इनमें से एक को खुंबरी से प्यार होने वाला है।”
“खुंबरी को भी उससे प्यार हो जाएगा।”
“क्या तब वो हमारी सहायता करेगा या खुंबरी की खूबसूरती में गुम हो जाएगा।” डुमरा ने पूछा।
तोखा मुस्कराया।
“मैं इस बारे में मौके पर ही बात करूंगा। इस सवाल का जवाब तुम सोचो डुमरा।”
“कहने को तुम मेरे साथ हो परंतु मेरी बातों का जवाब टाल रहे हो।” डुमरा ने चुभते स्वर में कहा।
“वक्त आने दो।” तोखा ने मुस्कराकर कहा और देखते ही देखते कुर्सी से उसका पारदर्शी व्यक्तित्त्व गायब हो गया।
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डुमरा ने बारी-बारी सबको देखा और गम्भीर स्वर में कह उठा।
“तुम लोग जिस राह पर चलने को कह रहे हो, वो आसान नहीं है। खुंबरी कोई साधारण युवती नहीं है कि जिसे फौरन कोई नुकसान पहुंचाया जा सकता है या जिसे आसानी से मारा जा सकता है। ये काम इतना आसान होता तो मैंने इसे कब का कर दिया होता। खुंबरी बुरी ताकतों की मालिक है। वो शैतान ताकतें किसी के बस में नहीं आती। वो ताकतें पुरानी हो चुकी हैं। जो ताकत जितनी पुरानी होगी, उतनी ही खतरनाक होगी। इस रास्ते पर चलने का मतलब मौत से कम नहीं है। ये हाथ-पांवों की लड़ाई कम और ताकतों-शक्तियों के वारों की ज्यादा है। इसमें...”
“हम ये लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।” देवराज चौहान ने कहा।
“जल्दी मत करो। अभी भी वक्त हाथ में है, सोच लो और...”
“डुमरा।” रानी ताशा बेहद सख्त स्वर में कह उठी-“खुंबरी को किसने इस बात का हक दिया कि वो मेरे को राजा देव से अलग कर दे।”
“ऐसा हक किसी को भी नहीं दिया जा सकता कि दो प्यार करने वालों को अलग कर दिया जाए।”
“तो खुंबरी ने ऐसा क्यों किया था मेरे और देव के साथ?”
“ये काम खुंबरी का ताकतों ने, खुंबरी के भले के लिए किया...”
“मतलब कि अपने भले के लिए खुंबरी की ताकतों ने मेरा प्यार तबाह कर दिया। क्या वो मेरी कसूरवार नहीं?”
“खुंबरी की ताकतों ने ये काम किया है तो इसका जवाब देने की जिम्मेवारी खुंबरी की बनती है।” डुमरा ने गम्भीर स्वर में कहा।
“तो मेरा हक बनता है खुंबरी से बदला लेने का।”
“तुम खुंबरी का मुकाबला नहीं कर पाओगी। उसके पास ताकतें हैं।”
“तभी तो हम तुम्हारे पास आए हैं कि तुम हमें राह दिखाओ। तुम्हारे पास शक्तियां हैं। तुम हमारी सहायता कर सकते हो।”
“इसमें तुम लोगों की जान भी जा सकती है।”
“खुंबरी से मुकाबला करने में, मुझे मौत का डर नहीं।”
डुमरा की निगाह अन्यों पर जाने लगी।
सब डुमरा को ही देख रहे थे।
“तुम हमें परखो मत।” मोना चौधरी ने कहा-“हम सब एक साथ ही हैं।”
“मुझे हैरानी है कि सबके विचार एक जैसे हैं।” डुमरा ने कहा।
“क्या तुम हमें, खुंबरी तक पहुंचने की राह दिखाओगे?” जगमोहन बोला।
“कोशिश कर सकता हूं।” डुमरा ने सोच भरे स्वर में कहा-“डरता भी हूं कि तुम लोगों की जान न ले ले खुंबरी।”
“उसकी तुम फिक्र मत करो।”
“मुझे भी बड़ी शक्तियों को जवाब देना पड़ता है कि फलां कदम मैंने क्यों उठाया? तुम लोगों को लेकर मुझसे पूछा जा सकता है कि मैंने तुम सबको, ताकतों की मालिक खुंबरी के सामने क्यों उतार दिया।”
“हम अपनी इच्छा से खुंबरी को उसके किए की सजा देना चाहते हैं।”
रानी ताशा ने दांत भींचकर कहा।
“खुंबरी वास्तव में सजा की हकदार है।” बबूसा बोला।
“आप भी तो खुंबरी को खत्म करना चाहते हैं।” सोमारा कह उठी।
“मेरी बेटी।” डुमरा सिर हिलाकर बोला-“मैं कभी भी खुंबरी का विरोधी नहीं रहा। उसे मारना नहीं चाहा। मेरा विरोध तो उन बुरी ताकतों के लिए है, जो खुंबरी को राह देती हैं, बुराई के रास्ते पर चलने के लिए। मैं उन बुरी ताकतों को खत्म करना चाहता हूं बेशक इस कोशिश में खुंबरी की जान चली जाए, परंतु मैं अपना काम पूरा करके रहूंगा।”
“मैं लूंगी खुंबरी की जान।” रानी ताशा कह उठी-“वो मेरी गुनहगार है। राजा देव को तो उसकी ताकतों ने ग्रह से बाहर फिंकवा दिया, परंतु मैं अपनी जगह पर स्थापित रही, इस बात का पश्चाताप करने के लिए, जो मैंने की ही नहीं थी। जन्मों तक मैं इस दुख में डूबी रही कि राजा देव को मैंने, धोमरा के चक्कर में पड़कर, ग्रह से बाहर फेंक दिया। क्यों मैं धोमरा की तरफ झुक गई थी। राजा देव से मैंने इतनी बड़ी धोखेबाजी कैसे कर ली। मैंने अपने को खत्म कर लिया होता अगर महापंडित ने मुझे फिर से राजा देव से मिलने की बात न कही होती। खुंबरी की ताकतों ने मेरे साथ बुरा किया जो...”
“और खुंबरी को इस बात का जरा भी अफसोस नहीं है।” बबूसा गम्भीर स्वर में बोला-“वो मेरे को शान से बताती है कि अपनी वापसी का रास्ता तैयार करने के लिए, उसकी ताकतों ने रानी ताशा के द्वारा राजा देव को ग्रह से बाहर फिंकवा दिया था। डुमरा, तुम कहते हो कि खुंबरी बुरी नहीं है, उसकी ताकतें बुरी हैं, परंतु मेरे विचार से खुंबरी भी बुरी हो चुकी है, उन बुरी ताकतों के साथ रहते-रहते। मैं उसके रूप धरा को कुछ हद तक
समझा हूं, वो खुश होती है अपनी बुरी ताकतों पर।”
“जरूर ऐसा ही होगा। बुरी ताकतों के साथ को ही वो अपना जीवन समझ बैठी है। मेरा अनुमान है कि उसे बुरी ताकतों के साथ की आदत हो चुकी है। लेकिन जब बुरी ताकतें नहीं होंगी उसके साथ, तो वो सुधर जाएगी।”
“क्या तुम उसे सुधारना चाहते हो डुमरा?” देवराज चौहान बोला।
“अवश्य। मेरी पहली चेष्टा तो ये ही है कि वो बुरी ताकतों का साथ छोड़ दे।”
“ऐसा न हुआ तो?”
“तो उसका जीवन खत्म करने की चेष्टा की जाएगी।” डुमरा बोला।
“ऐसे में बुरी ताकतें तो खत्म नहीं होंगी?”
“खत्म तो नहीं होंगी, परंतु ऊर्जा न मिलने से वो कमजोर हो जाएंगी और अपना नया मालिक ढूंढ़ेगी।”
“नया मालिक?” देवराज चौहान बोला-“मतलब कि बुरी ताकतें नया मालिक मिलते ही फिर से सक्रिय हो जाएंगी।”
“अवश्य। लेकिन वो नया मालिक हमारी बात मानकर बुरी ताकतों को छोड़ने को तैयार हो जाएगा तो तब मैं उन ताकतों पर काबू पा लूंगा।”
“अब उन ताकतों पर काबू क्यों नहीं पा लेते?”
“कोशिश कर रहा हूं परंतु ताकतों के मालिक का साथ हो तो ये काम बहुत ही सरल हो जाएगा।”
“ताकतों के मालिक के साथ से तुम्हें क्या सहायता मिलेगी?”
“उन ताकतों के मालिक द्वारा मेरे बताए कुछ पवित्र मंत्र पढ़ने से, ताकतें बेहद कमजोर हो जाएंगी। फिर वो कभी भी ताकतें हासिल नहीं कर सकेंगी और मैं उन्हें पकड़कर कहीं भी बिठा दूंगा।” डुमरा ने गम्भीर स्वर में कहा।
“इन ताकतों का जन्म कैसे हुआ?”
“नागाथ इन ताकतों का जन्मदाता है। कभी पवित्र शक्तियों ने नागाथ को अपना माध्यम बनाया था। नागाथ पक्के इरादों वाला एक मजबूत इंसान था। उसने पवित्र शक्तियों को धोखा देना शुरू कर दिया। वो शक्तियों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने लगा। उसने कई ऐसे गुप्त मंत्र जान लिए, जिनसे वो अपने मतलब हल कर सकता था। पवित्र शक्तियों को जब नागाथ के धोखे की खबर लगी तो उन्होंने नागाथ को सही रास्ते पर लाने की चेष्टा की। परंतु नागाथ अपनी इच्छा से उड़ान भरना चाहता था तो शक्तियों ने उससे स्पष्ट कहा कि अगर वो उसकी बात नहीं मानेगा तो छ: बरस बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी। नागाथ ने ये बात स्वीकार कर ली और शक्तियों से अलग होकर, शक्तियों से हासिल ज्ञान के दम पर बुरी ताकतों को अपने सम्पर्क में लाने लगा। नागाथ बुरे रास्ते पर पड़ गया और बुरी ताकतों का मालिक बनता चला गया। फिर जब उसकी मृत्यु का वक्त आया तो उसने अपनी ताकतें खुंबरी को सौंप दीं, जो कि तब सदूर की रानी बनने की कोशिश में, झगड़ों में फंसी थी और उन ताकतों ने खुंबरी का बहुत साथ दिया और उसे सदूर की रानी बना दिया। परंतु खुंबरी उन बुरी ताकतों के साथ पाकर बुरे रास्ते पर चल पड़ी। जनता को तकलीफें देने लगी। उनकी जान लेने लगी। लोग खुंबरी से परेशान होते चले गए, परंतु खुंबरी का खौफ ऐसा छा चुका था कि कोई सिर नहीं उठा पाता था। कई बार तो अपनी ताकतों को खुश करने के लिए खुंबरी खून बहाती थी तो कभी खुंबरी के माध्यम से ताकतें मासूम लोगों पर जुल्म करतीं और उन्हें मारती थीं।”
“तभी तुम खुंबरी के पीछे पड़े?”
“हां। शुरू-शुरू में तो अपनी शक्तियों द्वारा खुंबरी पर वार किए कि वो बुरा रास्ता छोड़ दे। परंतु बुरा कभी भी बुराई नहीं छोड़ सकता। खुंबरी की ताकतें मुझ पर वार करने लगीं। मैं किसी ऐसे मौके की तलाश में था कि ‘बटाका’ खुंबरी से अलग...”
“बटाका क्या?” नगीना बोली।
“बटाका, खुंबरी की सुरक्षा कवच है, जो कि नग की तरह है। जिसे वो धागे में बांधकर गले में डाले रहती है। जब तक बटाका उसके शरीर के साथ रहेगा, कोई भी वार उस पर नहीं चल सकता। इसी कारण वो हमेशा मेरे वारों से सुरक्षित रही। लेकिन मैं धैर्य से उस वक्त का इंतजार करता रहा, जब बटाका उससे अलग हो जाए। बड़ी शक्तियों ने मुझे बता दिया था कि जल्दी ही वो वक्त आएगा, जब बटाका खुंबरी से अलग हो जाएगा। लम्बे इंतजार के बाद वो वक्त आया। अपने किले से बाहर, कर्मचारियों के जश्न में वो पहुंची और कारू (शराब) पीकर नाचने लगी और उसी नाचने में बटाका गिर गया।”
डुमरा सारा हाल बताता चला गया कि कैसे उसने खुंबरी को श्राप दिया।
“तुम्हारे लिए अफसोस की बात रही कि खुंबरी फिर वापस आ गई।” जगमोहन गम्भीर स्वर में बोला।
“मैं एक बार फिर कोशिश करूंगा कि खुंबरी की बुरी ताकतों की जीत सकूं।” डुमरा ने कहा।
“हम तुम्हारा साथ देंगे डुमरा।” सोमाथ कह उठा।
डुमरा ने सोमाथ को गहरी निगाहों से देखा।
जवाब में सोमाथ मुस्कराया। फिर बोला।
“तुम मेरी ताकत पर भरोसा कर सकते हो।”
डुमरा जवाब में मुस्कराकर रह गया।
“अब बताओ कि हम किस रास्ते पर जाएं कि खुंबरी को पा लें।” नगीना ने कहा।
“खुंबरी को अपनी ताकतों का साया हासिल रहता है, यही वजह है कि शक्तियां उसे ढूंढ़ नहीं पा रहीं। परंतु तुम लोग उसे ढूंढने की कोशिश कर सकते हो। शक्तियों को इतना ही पता है कि खुंबरी की ताकतें पूर्व की पहाड़ियों के पार डेरा जमाए हुए है, वहां घना जंगल है और आसानी से उन्हें नहीं ढूँढा जा सकता।” डुमरा ने गम्भीर स्वर में कहा।
“हम आज ही पूर्व की पहाड़ी के पीछे के जंगल में...” जगमोहन ने कहना चाहा।
“जल्दी मत करो। ये जिंदगी और मौत का मामला है। खुंबरी की ताकतों को तुम लोगों की मंशा का एहसास हो जाएगा और वो तुम लोगों पर वार करके, तुम्हारी जान भी ले सकती हैं। उसकी ताकतें तुम लोगों पर असर न करें, इसके उपाय करने होंगे।”
“कैसे उपाय?”
“सुरक्षा के उपाय। मैं तुम लोगों को ऐसा कुछ दूंगा कि जिससे ताकतों के जानलेवा वार का किसी पर असर न हो। साथ ही रानी ताशा के कंधे पर एक शक्ति भी बिठा दूंगा कि जिससे रानी ताशा सलाह-मशवरा कर सके। वो शक्ति जरूरत पड़ने पर तुम लोगों की सहायता करेगी। तब मैं भी तुम लोगों से ज्यादा दूर नहीं रहूंगा। परंतु तुम लोगों के साथ नहीं चलूंगा।”
“साथ क्यों नहीं?”
“मैं अपने तौर पर ताकतों की जगह तलाश करूंगा। परंतु तुम लोग भी एक साथ नहीं रहोगे। वो जंगल बहुत बड़ा और घना है, सबको अलग-अलग होकर, या दो-दो के साथ में उस जंगल को छानना होगा।” डुमरा के चेहरे पर चिंता थी-“अगर तुममें से किसी को कुछ हो गया तो मुझे सबसे ज्यादा दुख होगा। सबको अपना ख्याल खुद ही रखना...”
“पर तुम तो हमें सुरक्षा कवच दोगे।” मोना चौधरी बोली-“जिससे हमें कुछ नहीं होगा।”
“सुरक्षा कवच पर निर्भर मत रहे कोई। पांच सौ साल बाद खुंबरी की ताकतें किस रूप में सामने आएंगी, नहीं कह सकता। हो सकता है कोई ताकत सुरक्षा कवच को भेद दे। इस बात का मुझे कोई अंदाजा नहीं है।”
डुमरा व्याकुल दिखने लगा था।
“हमें जाना कब होगा?”
“कल। सबको घोड़े दे दिए जाएंगे। रास्ता लम्बा है।” डुमरा ने बबूसा को देखा-“तुम पूर्व के जंगलों का रास्ता जानते हो?”
“जानता हूं।” बबूसा ने कहा।
“फिर तो साथ में मार्गदर्शक की जरूरत नहीं पड़ेगी।” डुमरा बेहद गम्भीर और परेशान दिखने लगा था।
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डुमरा रात के खाने के बाद सबके पास आया। तब वे बातें कर रहे थे। डुमरा ने हाथ में छोटी-सी ट्रे थाम रखी थी, जिसमें कुछ अंगूठियां और छोटा-सा हार पड़ा था। डुमरा ने सोमाथ और रानी ताशा के अलावा सबको पहनने को अंगूठियां दीं। फिर छोटा हार रानी ताशा को देते हुए कहा।
“इसे पहन लो।”
रानी ताशा ने वो हार गले में पहन लिया।
सबने अंगूठियां अपने हाथ की उंगली में पहन ली थीं।
“अब आप लोग खुंबरी की बुरी ताकतों से सुरक्षित हो। ताकतों का कोई वार तुम लोगों पर नहीं चलेगा। अगर खुंबरी के पास खास विशेष वाली ताकत हुई तो फिर आप लोग परेशानी में घिर सकते हैं।” डुमरा बोला।
“तुम्हें इस बात का ज्ञान नहीं कि खुंबरी के पास कोई विशेष ताकत है?” देवराज चौहान ने पूछा।
“मेरे ज्ञान में तो ऐसी कोई ताकत उसके पास नहीं है।” डुमरा गम्भीर दिखा-“परंतु पांच सौ सालों में उसकी ताकतों में क्या बदलाव आया है, ये जानने का मुझे अभी तक मौका नहीं मिला।”
“मतलब कि अगर तुम जानना चाहो तो जान सकते हो?”
“अवश्य। परंतु व्यस्तता की वजह से मैं इस तरफ ध्यान नहीं दे पाया।”
“अब तुम ये बात जान सकते हो।” देवराज चौहान की निगाह डुमरा पर थी।
“ये थोड़े पलों का काम नहीं है। इसमें दिनों का वक्त चाहिए। ज्यादा वक्त भी लग सकता है। इस काम को करने की क्रिया लम्बी है। इसलिए तुम लोगों को खतरा उठाना पड़ेगा अगर खुंबरी के पास विशेष ताकत हुई तो...”
सब गम्भीर दिख रहे थे।
“हम तुम्हारी शक्तियों को देखना चाहते हैं।” मोना चौधरी ने कहा।
“नहीं देख सकते तुम लोग।”
“क्यों?”
“साधारण लोगों को शक्तियां नहीं दिखतीं, न ही वो इतनी फुर्सत में होती हैं कि वो हर किसी से मिलें। तुम लोगों की बात मेरे से ही होगी।” कहते हुए डुमरा ने रानी ताशा को देखा-“तुम्हें पहनने को जो हार दिया गया है, उस हार में एक शक्ति रहती है। हार तुम्हारे गले में पहुंचते ही वो शक्ति तुम्हारे कंधों पर सवार हो चुकी है। तुम उससे किसी भी तरह की बात कर सकती हो। बात गुप्त रहेगी और उसे सिर्फ हम ही जान पाएंगे, वो भी जरूरत पड़ने पर। मुसीबत के वक्त में वो शक्ति तुम लोगों की सहायता करेगी। उसे हर काम में अपनी सहायक मान सकती हो।”
“क्या वो शक्ति खुंबरी की ताकतों से भी लड़ेगी?” रानी ताशा ने पूछा।
“ये शक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। मैं इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहता। यूं वो तुम्हारे अधीन होगी कि तुम उसे जो भी कहोगी, वो मानेगी। परंतु बेहद गलत बात मानने से वो इंकार कर सकती है। उसे इस बात की आजादी है कि तुम्हें किसी भी बात से इंकार कर सके और तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि शक्ति का इस्तेमाल व्यक्तिगत फायदे के लिए न हो। अगर तुमने ऐसा करने की चेष्टा की तो शक्ति तुम्हें छोड़कर वापस अपनी जगह पर आ जाएगी।”
“मैं उसे खुंबरी और उसकी ताकतों के खिलाफ ही इस्तेमाल करूंगी।” रानी ताशा ने कहा।
“क्या शक्ति का साथ सबको नहीं मिल सकता?” नगीना ने पूछा।
“नहीं। रानी ताशा के लिए शक्ति जरूरी है क्योंकि ये खुंबरी की ताकतों की विशेष दुश्मन है। इन हालातों में एक शक्ति ही किसी को दे सकता था। आने वाले वक्त में जाने क्या हालात सामने आते हैं। कष्ट के वक्त में भी सबको विवेक से काम लेना है। खुंबरी की ताकतें कभी भी कुछ भी कर सकती हैं और वे इस बात को पहले ही जान जाएंगी कि तुम लोग किस प्रकार के विचारों के साथ पूर्व के जंगलों में आ रहे हो। तब...”
“ऐसा नहीं हो सकता कि वो हमारे इरादों को न जान सके।” जगमोहन बोला।
“ऐसा नहीं हो सकता। ताकतों की अपनी पहुंच है। उनका अपना जाल फैला है, जिससे उन्हें सूचनाएं मिलती हैं। जैसे शक्तियां कई बातें पहले ही जान लेती हैं, ऐसे ही ताकतें भी बातें पहने जान लेती हैं। कई मामलो में तो वो शक्तियों से ज्यादा ताकत रखती हैं, क्योंकि शक्तियों को नियम के हिसाब से चलना पड़ता है जबकि ताकतों को किसी भी तरह के नियम का पालन नहीं करना पड़ता। वो सिर्फ अपना काम पूरा करना जानती हैं और करके रहती हैं। नियम की वजह से शक्तियों को कई बार पीछे हटना पड़ता है और ताकतें अपने मकसद में कामयाब हो जाती हैं।”
“जरूरी तो नहीं है कि शक्तियां मुकाबले में भी नियम का पालन करें।” मोना चौधरी बोली।
“बहुत जरूरी है।” डुमरा सिर हिलाकर कह उठा-“शक्तियां कभी भी नियम के बाहर नहीं जातीं। नियमों के दायरे में रहकर ही उन्हें काम करना पड़ता है। परंतु बड़ी शक्तियां चाहें तो ऐसा हुक्म दे सकती हैं। बड़ी शक्ति के पास नियमों का दायरा ज्यादा बड़ा होता है, जिन्हें वे अपने पास ही रखती हैं, लेकिन बहुत जरूरत पड़ने पर, वो दायरे को पार करने का हुक्म देती हैं। हम लोग इंसान हैं, इंसानों की तरह सोचते हैं, परंतु उनका सोचने और देखने का पैमाना हमसे बहुत ही जुदा होता है। वो शक्तियां हैं और हम साधारण इंसान। हर कोई अपने नियमों से बंधा है।”
“तो कल सुबह हम पूर्व के जंगल की तरफ जाएंगे?” जगमोहन ने पूछा।
“मेरी जिंदगी में ये पहली बार है कि अपने किसी काम में मैं इंसानों का साथ ले रहा हूं। ऐसा करने की पहली वजह तो मेरा बेटा (महापंडित) है। दूसरी वजह है कि रानी ताशा के साथ नाइंसाफी हुई है, इसलिए रानी ताशा को एक मौका दिया जा रहा है कि वो अपना और राजा देव का बदला ले सके। बाकी सब रानी ताशा और राजा देव के सहायक हैं। आप लोग जो भी काम करेंगे, रानी ताशा और राजा देव के हक में और खुंबरी और उसकी ताकतों के खिलाफ करेंगे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आप लोगों को दिया सुरक्षा कवच यानी कि अंगूठी अपना काम करना बंद कर देगी और आप खतरे में घिर जाएंगे।”
सब डुमरा को देख रहे थे।
“मुझे एक बात और पता चली है जो भविष्य में होने वाली है।” डुमरा बोला।
“क्या?” रानी ताशा के होंठों से निकला।
डुमरा की निगाह देवराज चौहान, जगमोहन और बबूसा पर गई।
“आपमें से किसी को खुंबरी से प्यार होने वाला है।”
देवराज चौहान, जगमोहन और बबूसा एक-दूसरे को देखने लगे।
सोमाथ मुस्कराकर उन तीनों को देखने लगा।
“ये बात कैसे सम्भव है?” मोना चौधरी कह उठी।
“सम्भव है। क्योंकि मेरी शक्तियां मुझे इस बारे में आगाह कर चुकी हैं और मैं आप लोगों को सतर्क कर देना चाहता हूं कि अपने पर काबू रखें और धैर्य से काम लें। ऐसा वक्त आए और आपको महसूस होते ही दिमाग की सोचों को बदलना होगा। खुंबरी बुरी ताकतों की मालिक है और किसी भी तरह के रिश्ते के काबिल नहीं है। खुंबरी का संग पाकर मुसीबतों के अलावा शक्तियों की दुश्मनी मिलेगी।”
“हममें से कोई भी खुंबरी के प्यार में नहीं पड़ना चाहेगा।” जगमोहन ने कहा।
सोमारा ने बबूसा को देखा।
“खुंबरी से बुरी ताकतें छीनना या खुंबरी को खत्म करना हमारा उद्देश्य है।” बबूसा कह उठा-“ऐसे में कोई आकर्षित क्यों होगा खुंबरी की तरफ। मुझे सम्भव नहीं लगता कि ऐसा हो जाए।”
“खुंबरी बहुत सुंदर है।” डुमरा ने गम्भीर स्वर में कहा-“साथ में खास बात तो ये है कि आज तक उसने सहवास भी नहीं किया। वो बेशक सदूर पर रही या पृथ्वी ग्रह पर, परन्तु मर्दों से दूर रही, अब...”
“तुम्हें ये बात किसने कही?” देवराज चौहान ने पूछा।
“शक्तियों ने।”
“वो गलत भी हो सकती हैं।”
“नहीं। शक्तियां अपनी बात को कहने से पहले सौ बार तोलती हैं उसे। जब वो कोई बात कहती हैं तो पूरी तरह सत्य होती है। शक्तियों की कही बातों पर शंका नहीं की जा सकती। मैं फिर कहता हूं कि अपने मन को पक्का कर लें कि खुंबरी की सुंदरता पर मोहित नहीं होना है। खुंबरी के पास सिर्फ नर्क का रास्ता है। खुंबरी ऐसी नहीं कि उससे प्यार किया जा सके। बुरी ताकतें उसे गोद में लिए फिरती हैं। वो उन ताकतों में मदहोश है।”
“तुम सच कहते हो डुमरा।” बबूसा गम्भीर स्वर में बोला-“पोपा में धरा (खुंबरी) का मुझे जितना साथ मिला, उसे सामने रखते हुए में कह सकता हूं कि वो प्यार के काबिल नहीं। मुझे तो शक है कि वो प्यार करना जानती है।”
डुमरा के चेहरे पर गम्भीरता नाच रही थी।
“रात आप नींद लीजिए। सुबह आपको पूर्व के पहाड़ के पार जंगलों में जाना...”
“डुमरा।” सोमाथ ने कहा-“तुमने मुझे अंगूठी क्यों नहीं दी?”
“तुम्हें अंगूठी की जरूरत नहीं है।” डुमरा ने सोमाथ को देखा-“खुंबरी की ताकतों का जादू तुम पर नहीं चल सकता क्योंकि तुम कृत्रिम इंसान हो। तुम मशीन भर हो और बैटरी से चलते हो। खुंबरी की ताकतों का जादू इंसानों पर ही चल सकता है। ऐसे में तुम निश्चिंत रहकर सब काम कर सकते हो सोमाथ।”
“ये तो तुमने मजेदार बात बताई डुमरा।” सोमाथ खुश हो गया।
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वो एक खुला कमरा था। जिसमें दरवाजे नहीं लगे थे। मशालों का तीव्र प्रकाश वहां फैला था। कमरे में मात्र चंद कुर्सियां और एक टेबल थी। कमरे की दीवारों पर कई रंगों का इस्तेमाल किया गया था। ये कमरा अन्य कमरों से हटकर लग रहा था। टेबल पर पारदर्शी शीशे जैसी वस्तु का जार रखा हुआ था जिसका मुंह नीचे टेबल पर टिका था। कमरे का फर्श भूरे पत्थरों को बिछाकर बनाया गया था। तभी कमरे में दोलाम ने भीतर प्रवेश किया और ठिठककर तसल्ली भरी निगाह हर तरफ डाली और ठीक है के अंदाज में सिर हिलाने लगा।
उसी पल कदमों की आहटें उठने लगी और पहले खुंबरी ने फिर धरा ने भीतर प्रवेश किया। दोनों ने गाऊन जैसा लबादा ओढ़ रखा था। धरा के बाल बंधे थे जबकि खुंबरी के खुले बाल पीठ से होते कूल्हों तक जा रहे थे। वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी और चेहरे पर कोई मेकअप नहीं था।
“दोलाम।” खुंबरी बोली-“हमारे कपड़े कहां हैं पहनने वाले?”
“संभाल रखे हैं महान खुंबरी।”
“वो मुझे देना। बाहर घूमने का मन हो रहा है।”
“जी।” दोलाम ने फौरन सिर हिलाया।
खुंबरी ने हाथ बढ़ाकर धरा के गले में पड़े ‘बटाका’ को छूकर बोली।
“ढोला।”
“हुक्म, महान खुंबरी।” ढोला की मध्यम-सी आवाज कानों के पास उभरी।
“ऊर्जा मिल गई ताकतों को?”
“पूरी तरह महान खुंबरी। सब ताकतें खुशी से नाच रही हैं। अब कोई भी ताकत कमजोर नहीं रही।”
“टोमाथ कहां है?”
“वो तो आपके बुलावे के इंतजार में बैठा है।”
“मैं तुम सबसे एक साथ बातें करना चाहती हूं।”
“हुक्म दीजिए महान खुंबरी।”
खुंबरी ने आगे बढ़कर उस कांच भरे उल्टे जार पर हाथ रखकर कहा।
“ढोला, गोमात, अमाली, टोमाथ।”
उसी पल कमरे में आवाज उभरी।
“महान खुंबरी का स्वागत करता है टोमाथ। मुझे तुम्हारे आ जाने की बहुत खुशी है।”
“मैं जानती हूं टोमाथ। सबसे ज्यादा खुश तुम ही हो।” खुंबरी मुस्करा पड़ी।
“आपके बिना कभी भी मेरा मन नहीं लगा। मैं अंधेरे से भरे कोने में बैठकर वक्त बिताता रहा।”
“मुझे दुख है टोमाथ।”
“तुम भी कहां खुश थीं। तुम्हें भी तो तकलीफें हुईं।”
“अमाली, गोमात और ढोला भी आ गए हैं?” खुंबरी ने पूछा।
“मेरे पास ही खड़े हैं।”
“तुम सबको सामने आ जाना चाहिए ताकि मैं देख सकूं।”
“पहले के रास्ते खराब हो चुके हैं। हमें अब नए रास्ते बनाने पड़ेंगे। सामने आने के लिए।”
“तो रास्ते तैयार कर लो।”
“अभी काम शुरू हो जाएगा।” टोमाथ की आवाज आई।
दोलाम एक तरफ खड़ा था।
धरा खुंबरी के पास मौजूद थी।
“डुमरा को खत्म करना है टोमाथ।” खुंबरी के चेहरे पर कठोरता नाच उठी।
“जानता था मुझे ये ही हुक्म मिलने वाला है।”
“डुमरा हमेशा सुरक्षा कवच में रहता है। कैसे कर पाओगे उसका इंतजाम।”
“मैं कोई रास्ता निकालूंगा। शक्तियां हर पल उसे घेरे रहती हैं। मोरगा से बात करूंगा।”
“मोरगा तो अब और भी बूढ़ी हो गई होगी।”
“वो पूरी तरह जवान है। ऊर्जा मिलते ही उसने अपने लिए नया शरीर बना लिया है।”
“खूब। मोरगा तो बहुत तेज निकली।” खुंबरी ने कहा-“मुझे डुमरा की मौत चाहिए।”
“ये काम आसान नहीं है टोमाथ।” गोमात की आवाज उभरी-“डुमरा का तुम कुछ नहीं बिगाड़ सकते।”
“मैं उसे मार डालूंगा महान खुंबरी के लिए।” अब टोमाथ की आवाज में गुर्राहट आ गई।
“गलत मत बोलो। तुम डुमरा का कभी भी कुछ नहीं बिगाड़ पाए।”
“अब मैं और भी ताकतवर हो गया हूं। डुमरा को मारने की युक्ति सोच लूंगा। मोरगा ने नया शरीर बना लिया है। हम दोनों हर वो काम कर सकते हैं, जो कोई नहीं कर सकता।”
“मुझे टोमाथ पर पूरा भरोसा है।” खुंबरी ने कहा।
“ये आपको बहला रहा है।” गोमात बोला-“ये डुमरा का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
“गोमात ठीक कहता है।” ढोला की आवाज उभरी-“डुमरा को मारने के लिए टोमाथ की जगह कोई और हो तो अच्छा है।”
“तुम लोग मेरी ताकत पर संदेह कर रहे हो।” टोमाथ ने गुस्से से कहा।
“संदेह जायज है।” ढोला बोला-“तुम पहले भी डुमरा को नहीं मार सके थे।
“वो सुरक्षा कवच में रहता है। मैं हमेशा ही कोशिश करता रहा कि मेरा वार उस पर चल जाए।” टोमाथ के स्वर में क्रोध था।
“सुरक्षा कवच में तो डुमरा अब भी होगा फिर कैसे मार सकोगे उसे।” गोमात बोला।
“महान खुंबरी। इनकी बातें बेकार हैं। मुझे मौका मिलना चाहिए डुमरा को मारने का।”
“दिया।” खुंबरी बोली-“मुझे डुमरा की मौत चाहिए।”
“वो मर जाएगा।”
“जा। तैयारी कर और मुझे खबर दे।”
उसके बाद टोमाथ की आवाज नहीं उभरी।
“टोमाथ गया, ढोला?”
“हां। परंतु वो डुमरा को मार नहीं सकेगा उसकी ताकत ज्यादा होकर भी ज्यादा नहीं।”
खुंबरी ने उसी पल कांच के जार पर हाथ रखा और बोला।
“मोरगा।”
“हुक्म महान खुंबरी।” तभी एक युवती की शांत आवाज उभरी।
“तूने अपना नया शरीर बना लिया?”
“क्या करती। वो शरीर अब खराब होने लगा था। पांच सौ साल बैठी जो रही।”
“टोमाथ की ताकतें कितनी बढ़ीं अब तक?”
“खास फर्क नहीं पड़ा।”
“डुमरा को मार सकेगा वो?”
“नहीं।” मोरगा की आवाज आई-“डुमरा के सुरक्षा कवच को टोमाथ नहीं भेद सकता।”
“तेरा अपने बारे में क्या ख्याल है?”
“मेरी ताकतें काफी बढ़ गई हैं। मैं कोशिश करूं तो डुमरा के सुरक्षा कवच को भेद सकती हूं।”
“ढोला-गोमात।” खुंबरी बोली-“मेरा ये फैसला सही है?”
“हां। मोरगा की कोशिश रंग ला सकती है।”
“इसने कई खास ताकतें हासिल की हैं। श्राप के वक्त में ये खाली नहीं बैठी। यंत्रों पर ही काम करती रही।”
“तू तो बहुत आगे निकल गई मोरगा।” खुंबरी मुस्करा पड़ी।
“अभी तो मैं और भी आगे निकलूंगी।”
“डुमरा को मार तो मैं जानूं तुझे।”
“कोशिश करूंगी। पर मैं टोमाथ के साथ काम नहीं करूंगी। उसका साथ मेरे लिए अच्छा नहीं रहेगा।”
“पहले तो तू टोमाथ के साथ काम करना पसंद करती थी।”
“तब मेरी ताकत उसके बराबर थी। अब मेरे पास ज्यादा ताकतें हैं। टोमाथ आलसी हो गया है। पांच सौ सालों में वो कोठरी में ही बैठा रहा। यंत्रों पर थोड़ा-बहुत ही काम किया। वो ज्यादा ताकत नहीं बढ़ा सका।”
“डुमरा को मार। मेरा बदला ले। मैं तेरे से खुश हो जाऊंगी।” खुंबरी के दांत भिंच गए।
“डुमरा को तो मैं जरूर मारूंगी। उसने श्राप देकर सबको ही बहुत दुख दिया। मैं तुमसे बहुत खुश हूं कि तुमने हमारा साथ नहीं छोड़ा और श्राप स्वीकार कर लिया। मैं तेरे लिए कुछ भी करूंगी। जाऊं मैं?”
“जा।”
उसके बाद मोरगा की आवाज नहीं आई।
“मोरगा की कोशिश कामयाब हो सकती है।” गोमात बोला-“इसने कई छिपी ताकतें हासिल कर ली हैं।”
धरा खामोश खड़ी थी।
तभी खुंबरी ने कांच जैसे गोले पर हाथ रखा और कह उठी।
“ओहारा।”
“कहो महान खुंबरी।” एक गम्भीर-सी आवाज सुनाई दी।
“मेरे आने पर खुश हो?” खुंबरी मुस्कराई।
“बहुत। ऊर्जा की जरूरत मुझे सबसे ज्यादा थी। मुझे तो ऊपरी ताकतों ने संभाल रखा था। तुम तो जानती हो कि मुझे ऊर्जा की जरूरत ज्यादा रहती है। औरतों पर मेरी बहुत ऊर्जा लग जाती है। मुझे तो बार-बार मंत्रों वाले पानी के कटोरे के पास जाकर डुबकी लगानी पड़ती है। औरतें मेरा पीछा नहीं छोड़तीं।” ओहारा का शांत स्वर कानों में पड़ रहा था।
खुंबरी की मुस्कान गहरी हो गई।
“औरतें तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ती या तुम औरतों से दूर नहीं रहते।”
“बात तो एक ही है खुंबरी। औरतों को भी तो खुश रखना पड़ता है। वो खुश तो मैं भी खुश हो जाता हूं।”
“औरतें काम की हैं या...”
“सब काम की हैं खुंबरी।” ओहारा ने फौरन कहा-“सबके पास अपनी-अपनी ताकतें हैं। दोती की ताकत का तो मुकाबला ही नहीं है। वो हर काम को फौरन पूरा कर देती है। वो मेरी सबसे पसंदीदा है।”
“दोती का नाम पहले नहीं सुना।”
“पहले छोटी ताकतों का समूह में रहती थी। खूबसूरत लगी मुझे तो मैंने उसे अपने पास रख लिया और यंत्रों से खेलने का तरीका बताया। यंत्रों से खेलने में दोती जल्दी ही माहिर हो गई और ताकतें प्राप्त करती चली गई। मुझे पूरा भरोसा है कि दोती एक दिन बड़ी ताकत बन जाएगी। अब तक तो वो सबसे खतरनाक बन चुकी है।”
“तुम्हारी अपनी ताकतें क्या कर रही है?”
“पाँच सौ बरसों से कोई काम ही नहीं था।”
“काम करने के लायक हो तुम?”
“पूरी तरह।” ओहारा की आवाज उभरी वहां।
“दोती को भी साथ ले लेना।”
“डुमरा को मारना है।” ओहारा की आवाज आई।
“तुमसे क्या छिपा है ओहारा।”
“डुमरा को अब मर ही जाना चाहिए। उसने हम सबमें बहुत उथल-पुथल कर दी थी। गलती तो तुमने भी की थी।”
“मैंने?”
“इतनी ज्यादा कारू पीने की क्या जरूरत थी कि ‘बटाका’ के गिर जाने का भी पता न लगा। अगर तुम उस जश्न में गई, कारू पी तो मस्त होकर नाचने की क्या जरूरत थी। तुम लापरवाह हो गई थी।”
“ये भूल मुझसे अवश्य हुई।”
“डुमरा ने तुम्हारे पहरे पर अपनी शक्तियां छोड़ रखी थीं। बटाका तुमसे अलग हुआ कि शक्तियों ने फौरन तुम्हें घेर लिया। हम कुछ भी न कर सके। क्योंकि सुरक्षा कवच तुमसे दूर पड़ा था। तुमने सावधानी नहीं बरती।”
खुंबरी का चेहरा क्रोध से दहक उठा।
धरा के भी दांत भिंच गए थे।
“अब ऐसी गलती नहीं होगी ओहारा।” खुंबरी एक-एक शब्द चबाकर कह उठी।
“अब ऐसी गलती हुई तो ताकतें तुम्हारा साथ नहीं देंगी। इस बार तो ताकतें तुम्हारे लिए रास्ते बनाती रहीं। तुम्हारे साथ रहीं, परंतु दोबारा ऐसा नहीं किया जाएगा। हम बार-बार तुम्हारी गलती का नतीजा नहीं भुगतेंगे। इस बार तो सबने ही तुम्हारा साथ दिल से दिया क्योंकि तुमने हमारा साथ छोड़ना नहीं स्वीकारा। श्राप स्वीकार कर…”
“ओहारा।” खुंबरी बेहद कठोर स्वर में कह उठी-“अगर मुझसे दोबारा गलती होती है तो, तब भी सब ताकतें मेरा साथ देंगी।”
“ये तुम कैसे कह सकती हो?”
“तुम ताकतों को खुंबरी जैसा मालिक नहीं मिलेगा। मेरे बिना तुम सब खत्म हो जाओगी।”
“हम नया मालिक तलाश लेंगे।”
खुंबरी ठहाका लगा उठी।
धरा भी मुस्कराई।
“नया मालिक तलाशोगे। इतनी हिम्मत है तुममें?”
ओहारा की आवाज नहीं आई।
“जवाब दो ओहारा।”
“तुम जीती, मैं हारा।” ओहारा की आवाज आई।
“इतनी जल्दी हार मान ली। तुम तो नया मालिक तलाश करने को कह रहे थे।” खुंबरी के चेहरे पर कड़वी मुस्कान थी।
“मैं ज्यादा बड़ी ताकत नहीं हूं। ये फैसला तो बड़ी ताकतों के पास है।”
“क्या बड़ी ताकतों ने ऐसा कुछ कहा?”
“नहीं। ये तो मैंने अपने विचार कहे तुमसे।”
तभी धरा कह उठी।
“तुम्हारे इन विचारों के लिए तुम्हें सजा मिलेगी ओहारा।”
“अगर मैंने गलती की है तो मैं सजा जरूर स्वीकार करूंगा। मालिक का हर हुक्म मानूंगा।” ओहारा की आवाज आई।
“तुम अच्छी तरह जानते हो कि अगर किसी ताकत को स्वाहा करना है तो वो मंत्र मेरे पास ही है।” धरा ने पुनः कहा।
“मैंने इतनी बड़ी गलती तो नहीं की कि मेरा वजूद ही खत्म कर दिया जाए।” ओहारा के स्वर में बेचैनी के भाव आ गए।
“मुझे श्राप क्यों दिया गया। चाहती तो सदूर की रानी बनकर रह सकती थी अगर डुमरा की बात मान लेती।” धरा गुर्रा उठी।
“क्षमा महान खुंबरी।” ओहारा कह उठा।
तभी खुंबरी बोली।
“डुमरा को खत्म करने की शक्ति है तुममें?”
“अवश्य। मैं डुमरा को खत्म कर दूंगा। मैं तो पहले भी कहा करता था कि डुमरा को मारने का मौका मुझे दो।”
“ठीक है ओहारा।” खुंबरी ने सिर हिलाया-“तुम डुमरा को मारकर मुझे खबर दो।”
“ये काम इतनी भी जल्दी नहीं होगा, जितनी जल्दी तुम सोच रही हो।” ओहारा की आवाज सुनाई दी-“डुमरा की शक्तियों ने उसे खास सुरक्षा कवच दे रखा है। पहले तो मैं उसके सुरक्षा कवच को, उससे अलग करूंगा।”
“हो सकेगा तुमसे ये काम?”
“क्यों नहीं होगा। दोती मेरे साथ रहेगी। उसे भी परख लूंगा।”
“ढोला।” खुंबरी ने कहा-“ओहारा को ये काम देकर मैं गलती तो नहीं कर रही?”
“ये तो खुशी की बात होगी अगर ओहारा ये काम करना स्वीकार कर ले।” ढोला की आवाज आई।
“तो मेरे बारे में ढोला से सलाह ली जा रही है।” ओहारा ने नाराजगी से कहा-“ये तो मेरी बेइज्जती है।”
“ढोला बेहतर जानता है कि किसके पास ज्यादा ताकतें हैं।”
“तो मेरे बारे में ढोला से पहले पूछ लेती। मेरे सामने ही क्यों पूछा। ये मुझे अच्छा नहीं लगा।”
“ज्यादा बातें न बना। तेरे को डुमरा को खत्म करना है।”
“जान चुका हूं।”
“ये काम मैंने टोमाथ और मोरगा को भी दिया है।” खुंबरी बोली।
“मोरगा ने तो काफी शक्तियां हासिल कर ली हैं, परंतु टोमाथ तो किसी काम का नहीं है।”
“मैं डुमरा के गिर्द जाल फैला देना चाहती हूं कि किसी का वार तो उस पर चले। टोमाथ सफल नहीं हो सकता तो कम-से-कम उसे परेशान तो अवश्य कर देगा। जो काम कर देगा, वो मेरे सबसे करीब पहुंच जाएगा।”
“फिर तो ये काम मैं ही करूंगा।” ओहारा की आवाज आई-“मैं ही डुमरा की जान लूंगा। परंतु एक बात तुम्हें बताना चाहता हूं। मुझे अभी-अभी मेरी ताकतों ने बताया है कि डुमरा ने कुछ लोगों को इस तरफ तुम्हारी तलाश में भेजा है।”
“लोगों को?” खुंबरी के माथे पर बल पड़े।
धरा के होंठ सिकुड़ गए।
“हां खुंबरी।”
“शायद तुमने बात को समझने की भूल कर दी है ओहारा। डुमरा लोगों को हमारे मुकाबले पर उतारने की बेवकूफी नहीं करेगा।”
“ऐसा हो चुका है। वो सब लोग पोपा से सदूर पर तुम्हारे साथ ही पहुंचे हैं।”
खुंबरी और धरा की नजरें मिलीं।
“उन लोगों का हमसे क्या मतलब?” खुंबरी कह उठी।
“ये तो अजीब बात हो गई।” धरा ने कहा।
“ये सम्भव नहीं लगता ओहारा। वो डुमरा के कहने पर हमारी तलाश में क्यों आएंगे। वो तो...”
“उन्हें डुमरा ने सुरक्षा कवच देकर भेजा है।” ओहारा ने पुनः कहा-“वो तुम्हें मारने का इरादा रखते हैं या तुमसे, ताकतों को अलग कर देना चाहते हैं। रानी ताशा तुम्हारी जान लेने में सबसे आगे है।”
“रानी ताशा।” धरा के सिकुड़ चुके होंठ हिले।
खुंबरी ने धरा को देखकर जहरीले स्वर में कहा।
“बात समझी तू?”
“समझ गई।” धरा हंस पड़ी-“क्यों न समझूंगी। मेरी ताकतों ने, रास्ता बनाने के लिए, ढाई-तीन सौ साल पहले रानी ताशा और राजा देव को अलग करके, राजा देव को ग्रह से बाहर फेंक दिया था। ये बात मैंने ही बबूसा से कही थी और अब वो उस बात का बदला लेने आ रहे हैं; बेवकूफ लोग। उन्हें ये नहीं पता कि ताकतों का मुकाबला वे नहीं कर सकते।”
“डुमरा उनके साथ है।” खुंबरी मुस्कराई।
“उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है हैं तो वो साधारण इंसान ही।”
“डुमरा ने उन्हें सुरक्षा कवच भी दिया है।”
“वो सुरक्षा कवच बेहतर किस्म का नहीं होगा। हमारी ताकतें उन पर काबू पा लेंगी।”
“डुमरा क्या इतना कमजोर हो गया कि हमारे खिलाफ साधारण लोगों का इस्तेमाल करे।” खुंबरी जहरीले स्वर में कह उठी।
“कोई बात तो है ही।” एकाएक धरा ने सोच भरे स्वर में कहा-“डुमरा इंसानों को हमारे खिलाफ इस्तेमाल नहीं कर सकता। उसकी शक्तियां इस बात की इजाजत नहीं देंगी, परंतु वो ऐसा कर रहा है।”
“क्यों ओहारा।” खुंबरी बोली-“डुमरा पोपा से आए लोगों का इस्तेमाल क्यों कर रहा है?”
“रानी ताशा आपको मारना चाहती है। राजा देव उसे सहयोग दे रहे हैं और सब एक साथ...”
“मैंने पूछा है डुमरा साधारण लोगों को मेरी ताकतों के खिलाफ क्यों इस्तेमाल कर रहा है?”
“ये मैं नहीं जानता। परंतु रानी ताशा के साथ डुमरा ने एक शक्ति भी कर दी है।” ओहारा की आवाज आई।
“ओह।” धरा ने खतरनाक स्वर में कहा-“डुमरा हमारे खिलाफ कोई चाल चलने की चेष्टा में है।”
“इन लोगों के साथ वो कोई चाल चलने में कामयाब नहीं हो सकता।” खुंबरी ने विश्वास भरे स्वर में कहा।
“लेकिन ये बात सच है कि डुमरा क्यों साधारण लोगों का इस्तेमाल कर रहा है।” ओहारा की गम्भीर आवाज सुनाई दी।
“रानी ताशा को ताकत देकर इस तरफ भेजना...दूसरे लोगों को...” धरा ने कहना चाहा।
“इस तरह हमारा कुछ नहीं बिगड़ सकता।” खुंबरी ने हाथ हिलाकर कहा।
“बात बिगड़ने की नहीं है, चाल की है कि वो क्या चाल चलना चाहता है।” धरा बोली-“अगर हमें उसकी चाल समझ में आ जाए तो हम उसे करारा जवाब दे सकते हैं। उसे हार दे सकते हैं।”
“चाल जरूर समझ आएगी वक्त आने पर।” खुंबरी ने सिर हिलाया और सोच भरे स्वर में बोली-“ओहारा।”
“हुक्म महान खुंबरी?” ओहारा की आवाज गूंजी।
“उन साधारण लोगों के पास जो सुरक्षा कवच है क्या उन पर काबू पाया जा सकता है।”
“मुझे इन छोटे कामों में मत डालें। मैं अपना पूरा ध्यान डुमरा पर लगाना चाहता हूं। ये काम कोई और कर सकता है। लेकिन डुमरा ने उन्हें कमजोर सुरक्षा कवच नहीं दिया। बेहतर सुरक्षा कवच दिया है। रानी ताशा के पास जो शक्ति है, वो भी कमजोर नहीं है। उन पर बहुत सोच-समझकर वार करना होगा।” ओहारा की आवाज सुनाई दी-“उनके साथ एक नकली इंसान भी है-वो...”
“नकली इंसान?” धरा कह उठी-“परंतु सोमाथ को तो बबूसा ने पोपा से बाहर आकाशगंगा में फेंक दिया था।”
“उसका नाम सोमाथ ही है। वो तारों से चलता है और उस पर ताकतों का कोई असर नहीं होगा।”
“ये तो बुरी बात है कि ताकतें उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं।” खुंबरी के माथे पर बल दिखे।
“सोमाथ नाम के नकली इंसान से सावधान रहना होगा।” ओहारा ने कहा-“वो खतरनाक हो सकता है। अभी-अभी मुझे पता चला है कि डुमरा भी इसी दिशा की तरफ चल पड़ा है।”
“क्या?” खुंबरी का चेहरा क्रोध से भर गया-“डुमरा इसी तरफ आ रहा है?”
“उसने अपनी यात्रा की इसी तरफ की दिशा पकड़ी है। बीच में न रुका तो अवश्य वो इसी तरफ ही आएगा।”
“डुमरा का इरादा क्या है ओहारा?” एकाएक खुंबरी के दांत भिंच गए।
जबकि धरा की आंखों से चमक आ गई।
“इससे ज्यादा मैं नहीं जानता। अगर नई बात पता चली तो जरूर बताऊंगा। मैं डुमरा पर निगाह रखने के लिए कुछ काम करना चाहता हूं मुझे अभी जाना होगा। दोती को डुमरा की निगरानी पर लगा देता हूं।”
“तुम जाओ ओहारा।” खुंबरी खतरनाक स्वर में बोली-“ये हमारे लिए खुशी की बात है अगर डुमरा इसी तरफ आ रहा है तो।”
ओहारा की आवाज नहीं आई।
“हमें सतर्क रहना होगा।” धरा कह उठी।
“अवश्य।” खुंबरी जहरीले स्वर में बोली-“मेरा प्यारा दुश्मन, इसी तरफ आ रहा है तो सतर्कता की जरूरत उसे है।”
“गोमात।” धरा बोली-“डुमरा उधर ही आ रहा है क्या?”
“मुझे खबर नहीं है।” गोमात की आवाज सुनाई दी।
तभी अमाली की आवाज आई।
“मेरी भी तो सुनो। मैं कब तक चुप रहूंगी?”
“कह अमाली, क्या कहना है तुझे?” खुंबरी बोली।
“मुझे तेरी चिंता हो रही है। तेरे को प्यार जो होने जा रहा है।”
“बेवकूफ।” खुंबरी मुस्कराई-“खुंबरी को प्यार नहीं होगा।”
“मैंने पन्नों पर लिखा आया पढ़ लिया है। पृथ्वी से आए लोगों में से एक के साथ तू प्यार में पड़ जाएगी।”
“तू मजाक तो नहीं कर रही अमाली।” धरा ने कहा।
“मैं ऐसा मजाक क्यों करूंगी।”
“फिर तो हमें इस बात को गम्भीरता से लेना चाहिए।” धरा ने खुंबरी से कहा।
“तेरे को क्या लगता है मैं प्यार जैसी बातों में पडूंगी।” खुंबरी हंसी।
“अमाली की बात को तू इस तरह नहीं उड़ा सकती।”
“मेरी बात सही है।” अमाली की आवाज उभरी-“तभी तो मुझे चिंता हो रही है। पोपा में आने वाले लोग, इस तरफ आ पहुंचे हैं। उनमें पृथ्वी के लोग भी हैं। मैं इसी से सोच सकती हूं कि तू प्यार के करीब पहुंचती जा रही है।”
धरा और खुंबरी की नजरें मिलीं।
चंद कदमों के फासले पर खड़े दोलाम के चेहरे पर नाराजगी उभरी दिखाई देने लगी।
“यहां आने वाले लोग तो मारे जाएंगे।” खुंबरी बोली-“फिर प्यार कैसा?”
“ऐसा तो नहीं कि आने वाला वक्त उथल-पुथल मचा दे।” धरा ने सोच-भरे स्वर में कहा-“पोपा के लोग इसी तरफ आ चुके हैं। डुमरा भी इसी दिशा की तरफ चल पड़ा है। अमाली कहती है कि तुझे प्यार होने वाला है।”
“दिलचस्प बातें हैं ये सब। पृथ्वी के मर्द दो हैं, देवराज चौहान और जगमोहन।” खुंबरी बोली-’लेकिन देवराज चौहान की पत्नी नगीना है और पहले के जन्मों की पत्नी रानी ताशा है। वो तो मेरे से प्यार में नहीं पड़ेगा।”
“तू इन बातों को मजाक में ले रही है।”
“जगमोहन ही रह जाता है।” खुंबरी मुस्करा रही थी-“देखने में वो कम नहीं। शरीर भी अच्छा है।”
दोलाम उखड़ी नजरों से खुंबरी को देखने लगा।
“तू अमाली की बात को गम्भीरता से नहीं ले रही।” धरा ने कहा।
“मैं गम्भीर हूं। तभी तो सोच रही हूं कि पृथ्वी के किस मर्द से मुझे प्यार होगा।”
“पृथ्वी के मर्द ज्यादा अच्छे नहीं होते।” दोलाम बोल पड़ा-“वो कमजोर होते हैं।”
“अच्छा।” खुंबरी ने दोलाम को देखा-“ये बात तुझे कैसे पता है?”
“महान खुंबरी को अपने करीब के लोगों से प्यार करना चाहिए। जिन्होंने दिल से तुम्हारी सेवा की है।”
“जैसे कि तुम?” खुंबरी के होंठ सिकुड़े-“यही कहना चाहता है दोलाम?”
“मैंने जी-जान से पांच सौ साल आपके शरीर का ख्याल रखा है। उसे खराब नहीं होने दिया।”
“सुना तूने।” खुंबरी ने धरा से कहा।
“दोलाम।” धरा बोली-“सेवक, सिर्फ सेवा करने के लिए होते हैं। प्यार जैसी बातें उन्हें नहीं सोचनी चाहिए।”
दोलाम ने मुंह फेर लिया।
“ढोला।” खुंबरी बोली-“सब तरफ नजर रखो और ताजा हालातों की मुझे खबर देते रहना।”
“मैं ऐसा ही करूंगा खुंबरी।” ढोला की आवाज आई।
“एक ‘बटाका’ तैयार करके मुझे दे दे। जरूरत पड़ ही जाती है।” खुंबरी ने पुनः कहा।
“मैं अभी ‘बटाका’ तैयार करता हूं।”
“अब तुम लोग जाओ।” फिर खुंबरी ने दोलाम से कहा-“मेरे कपड़े निकाल। कबसे मैंने कपड़े नहीं पहने।”
दोलाम कमरे से चला गया।
खुंबरी हंसकर कह उठी।
“डुमरा बेवकूफ है, जो कहता है ताकतों का साथ छोड़ दूं। ताकतों के साथ जीने का मजा ही कुछ और है।”
“पर डुमरा का इस तरफ आना मुझे खटक रहा है।” धरा सोच भरे स्वर में बोली।
“उसे आने दे। वो खुद मेरे करीब आकर, मुझे मौका दे रहा है कि मेरी ताकतें उसे आसानी से खत्म कर दें।”
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लम्बे सफर के बाद वे सब पहाड़ों के पार, पूर्व के जंगल में आ पहुंचे थे। ये सफर उन्होंने घोड़ों पर किया था। वे सब थके से लग रहे थे। जंगल के किनारे पर ही उन्होंने पड़ाव डाल लिया था। टाकोली की बनी रोटियां और सब्जी ढेर सारी साथ में थी। पानी की पर्याप्त मात्रा में बोतलें थीं। दिन निकलने के कुछ देर बाद ही वो यहां आ पहुंचे थे। बबूसा मार्गदर्शक बना था। सूर्य तीखी धूप फेंक रहा था। गर्मी बहुत थी। पसीना बह रहा था। परंतु वे इस वक्त पेड़ों की छांव में था।
देवराज चौहान सफर के दौरान नगीना के पास ही रहा था, जबकि रानी ताशा अकेली-अकेली-सी थी। वो कम बात कर रही थी और पूरे सफर के दौरान अजीब-से तनाव में घिरी दिखी थी। कई बार उसने देवराज चौहान को भी देखा था। जबकि नजरें मिलने पर देवराज चौहान हल्का-सा मुस्करा देता था। सफर के दौरान जगमोहन ने अवश्य रानी ताशा का दिल लगाने की खातिर बार-बार उससे बात करनी चाही थी, लेकिन रानी ताशा ने ज्यादा बात नहीं की। उधर बबूसा और सोमारा ने हंसते-खेलते बातें करते सफर तय कर लिया था। मोना चौधरी, सोमाथ के साथ बातों में लगी रही। वो सदूर के बारे में ज्यादा-से-ज्यादा जानकारी सोमाथ से लेती रही थी और कई नई बातें उसे समझ में आई थीं। वो नए ग्रह पर आकर खुश थी, परंतु खुंबरी के रगड़े ने उसकी खुशी को कम कर दिया था, इस बारे में उसे तसल्ली थी कि देवराज चौहान ने रानी ताशा का साथ छोड़ दिया है। रानी ताशा के प्रति उसके दिल में जो नाराजगी थी, वो खत्म हो गई थी।
पेड़ों की छांव में रुकते ही बबूसा कह उठा।
“मुझे भूख लगी है। मैं तो कुछ खाऊंगा।”
“थोड़ा-सा मैं भी खा लूंगी। तेरे साथ।” सोमारा ने कहा।
दोनों ने सामान में से खाना निकाला और खाने लगे। तभी जगमोहन पास पहुंचा।
“मुझे भी खाने को कुछ दे दो।” वो पास में बैठ गया।
“तुम भी खाओ।” सोमारा बोली-“खुद ही ले लो।”
नगीना ने देवराज चौहान से पूछा।
“कुछ खाएंगे?”
“अभी मन नहीं है।” देवराज चौहान जंगल में नजरें घुमाता कह उठा-“तुम खा लो।”
“मैं आपके साथ ही खाऊंगी।”
सोमाथ, रानी ताशा के पास पहुंचकर बोला।
“रानी ताशा, तुम्हारे खाने को कुछ लाऊं?”
“नहीं सोमाथ।” रानी ताशा ने सख्त स्वर में कहा-“मुझे तो खुंबरी चाहिए।”
“वो एक बार मुझे मिल गई तो बच न सकेगी।” सोमाथ ने सिर हिलाकर कहा।
“तुम पहले से काफी बदले-बदले हो।”
“हां रानी ताशा। महापंडित ने मेरे स्वभाव में कुछ बदलाव किया है। पहले मैं चुप-चुप रहता था। अपने काम से मतलब रखता था, परंतु इस बार महापंडित ने मेरे दिमाग में जो प्रोग्राम डाला है, उसकी वजह से मैं हंसता-मुस्कराता भी हूं। दोस्तों की तरह बातें करता हूं। ऐसा करने से लोग मेरे से दूर नहीं भागेंगे।”
बबूसा वहां से चला गया तो रानी ताशा के कानों में स्त्री की मध्यम-सी आवाज पड़ी।
“मेरे से भी बात कर ले ताशा।”
“तू-कौन?” रानी ताशा चौंकी।
“भूल गई क्या। मैं डुमरा की शक्ति हूं जो तेरी सहायता के लिए तेरे कंधों पर बैठी हूं पर पूरे सफर के दौरान तूने मुझसे एक भी बात नहीं की। तेरे को मेरे से बात करनी चाहिए।”
“मैं भूल गई थी तुझे।”
“जब भी मुझसे बात करनी हो तो मुझे ओरी कहकर बुला लेना।” वो ही आवाज सुनाई दी।
“मैं ऐसा ही करूंगी।”
“तूने कुछ खाया क्यों नहीं? जबकि तेरे को भूख है।”
“मन नहीं है।”
“जिसके कंधों पर मैं सवार होती हूं, उसके मन का हाल मुझे पता रहता है। मैं जानती हूं तू क्या सोच रही है।”
रानी ताशा ने कुछ नहीं कहा।
“तेरा मन उदास है कि राजा देव तेरे पास नहीं है।” ओरी की आवाज पुनः आई।
“उदास तो होगा ही।” रानी ताशा बोली-“कितनी खुश थी मैं पोपा में राजा देव के साथ।” उसकी आंखें भर आईं।
“वो सब खुंबरी की ताकतों की चालाकी थी। राजा देव ने तो तुझे इतने वक्त के लिए भी स्वीकार नहीं करना था। वो तो खुंबरी की ताकतों ने उसका दिमाग घुमा दिया और तेरा दीवाना होकर सदूर की तरफ चल पड़ा। यहां पहुंचे तो खुंबरी की ताकतों ने राजा देव पर से अपना साया उठाया तो उसे होश आया कि वो ये क्या कर रहा है।”
“राजा देव मेरे क्यों नहीं हो सकते।” रानी ताशा का स्वर भर्रा उठा।
“देख जब तक वो तेरा था, तेरा ही था। तेरा ही बनकर रहा। पर वो जन्म खत्म होते ही सब रिश्ते खत्म हो गए। तू सदूर पर जन्म लेती रही और वो पृथ्वी पर पहुंचकर जन्म लेने लगा। तू तो उसका इंतजार करती रही, क्योंकि महापंडित ने तेरे हर जन्म में, तेरे दिमाग का वो कोना सुरक्षित रखा, जहाँ राजा देव की यादें थी। पर राजा देव तो पृथ्वी पर जन्म लेते ही पुरानी यादों को भूल चुका था और नए जन्म के संग-संग ही चलने लगा। अब उसकी पत्नी नगीना है और वो किसी भी हाल में नगीना को छोड़कर तेरा हाथ नहीं थामेगा। आगे जाकर वक्त बदल जाए तो दूसरी बात है।”
“मेरा हाथ थामा तो था।”
“यो खुंबरी की ताकतों ने उसका दिमाग घुमा दिया था कि खुंबरी तुम लोगों के संग सदूर पर पहुंच सके।”
“राजा देव पृथ्वी पर कैसे पहुंच गए?” रानी ताशा ने पूछा।
“ये लम्बी दास्तान है। कभी वक्त मिला तो तुझे बताऊंगी।” ओरी की आवाज कानों में पड़ रही थी-“जब ग्रह से बाहर निकलकर राजा देव आकाशगंगा में जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे और बहुत दूर निकल गए थे, तभी पृथ्वी की एक शक्ति से मुलाकात हुई। वो पृथ्वी के लोगों का मृत्यु और जन्म का हिसाब रखती थी। उस शक्ति ने राजा देव के दिमाग को पढ़ लिया कि वो धोखे का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त होने जा रहा है। ऐसे में उस शक्ति ने राजा देव के शरीर से जान निकाली और अपने साथ ले गया और राजा देव का पृथ्वी पर जन्म कर दिया।”
“और राजा देव मुझे भूल गए।” रानी ताशा ने दुखी स्वर में कहा।
“हां। नया जन्म, नई यादें, नए लोग, पृथ्वी पर ऐसा ही होता है।”
“पृथ्वी की शक्तियां आकाशगंगा में घूमती रहती हैं?”
“अपने कार्य पूर्ण करने के लिए उन्हें दूर-दूर तक जाना पड़ता है।” ओरी ने कहा।
“तुम लोग भी जाती हो?”
“हाँ। काम बनाने के लिए हमें भी दूर-दूर तक जाना पड़ता है। तभी तो हम ताकतवर बनती हैं।”
“तो मैं राजा देव को नहीं पा सकती।” रानी ताशा ने गहरी सांस लेकर पूछा।
“नहीं। वो नगीना का है।”
“कोशिश करूं तो भी सफल नहीं होऊंगी?”
“पता नहीं। आने वाले वक्त में क्या होता है। अभी तक तो मेरा जवाब नहीं में है। तू इस बारे में ज्यादा मत सोच और राजा देव की दोस्त बन जा। इससे तेरे को राजा देव का ज्यादा साथ मिलता रहेगा।”
“वो मेरी जान है और तुम उसे दोस्त बनाने को कह रही हो।”
“तू उसके लिए अपने मन में कैसे भी विचार रख, पर उसकी जान तेरे में नहीं बसती। उसे हमदर्दी है तेरे से।”
रानी ताशा चुप रही।
ओरी की भी आवाज नहीं आई।
“खुंबरी की ताकतों ने बहुत बुरा किया मेरे साथ। अपने मतलब के लिए मेरे देव को मेरे से अलग कर दिया।”
“बुरी ताकतें तो बुरा काम ही करेंगी।” ओरी की आवाज सुनाई दी।
“मैंने खुंबरी को मार देना है।”
“उसे मार दिया तो बहुत अच्छा होगा। सदूर के लोगों का जीवन चैन से बीतेगा। शक्तियों को भी चैन मिलेगा।”
“खुंबरी को मारने में मैं सफल हो जाऊंगी न?”
“मुझे क्या पता। तू कोशिश करना।”
“तू क्या करेगी तब?”
“तेरी सहायता करूंगी। तेरे को खतरे से बचाऊंगी। रास्ता दिखा तो खुंबरी को मारने का रास्ता बताऊंगी। अब सारी बातें छोड़ और खाना खा ले। पेट खाली रहेगा तो तू काम कैसे कर पाएगी।” ओरी ने कहा।
रानी ताशा उठी और देवराज चौहान और नगीना के पास जा पहुंची।
“मुझे भूख लगी है।” रानी ताशा ने शांत स्वर में कहा-“हम मिलकर खाना खाते हैं।”
“ये तो अच्छी बात है।” नगीना मुस्करा पड़ी-“मेरा भी खाने का मन है, बैठ जाओ। आप भी खाएंगे क्या?”
देवराज चौहान ने सिर हिला दिया।
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सब थोड़ा-थोड़ा नींद ले चुके थे। रात भर सफर में जागते रहने से, नींद लेना जरूरी हो गया था। इस दौरान सोमाथ पहरा देता रहा था। आधा दिन बीत चुका था। अब आगे जाने की तैयारियां शुरू हो गईं। डुमरा ने कहा था कि सबने अलग-अलग बढ़कर, जंगल में खुंबरी की जगह को तलाश करना है। ऐसे में तय किया गया कि दो-दो होकर जंगल में जाया जाए, इस तरह चार ग्रुप बन जाएंगे। परंतु इसमें समस्या ये दिखी कि अलग हो जाने बाद उन्हें एक-दूसरे की स्थिति का पता नहीं चलेगा। कोई यंत्र भी नहीं कि जिससे वे एक-दूसरे से सम्पर्क कर सकें।
“बबूसा।” सोमारा कह उठी-“मैं तो तेरे साथ रहूंगी।”
“मेरे साथ ही क्यों?”
“कहीं खुंबरी का दिल तेरे पर आ गया तो? डुमरा ने कहा था कि किसी को खुंबरी से प्यार...”
“मुझसे नहीं, पृथ्वी से आए लोगों में से किसी के साथ होगा।” बबूसा ने सिर हिलाकर कहा।
पास खड़े जगमोहन ने बबूसा को देखा।
“तुम खुंबरी से सतर्क रहना।” बबूसा ने जगमोहन से कहा।
जगमोहन, देवराज चौहान के पास जाकर बोला।
“हम दोनों को खास सतर्क रहना होगा। डुमरा ने खुंबरी से प्यार हो जाने की बात कही थी।”
“अगर ऐसे हालात बनते हैं तो हमने अपने दिमाग को काबू में रखना होगा। इसी तरह बचा जा सकता है।” देवराज चौहान बोला।
उसके बाद जोड़ियां बनाई गईं, जो कि इस प्रकार बनीं।
रानी ताशा और नगीना, जगमोहन और बबूसा, देवराज चौहान और मोना चौधरी चौथी जोड़ी सोमाथ और सोमारा की थी। इसके साथ ही, साथ लाए खाना-पानी को भी आधा बांट लिया गया। घोड़े वहीं छोड़ दिए गए कि पैदल चलेंगे तो उनकी निगाहों से खुंबरी की जगह छिप नहीं सकेगी।”
चलने से पहले रानी ताशा गुस्से भरे स्वर में कह उठी।
“हमने खुंबरी को खत्म करना है। उसने कभी मुझे और राजा देव को जुदा किया था। ये मेरा बदला है।”
“ये मेरा भी बदला है ताशा।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।
“हम सब तुम लोगों के साथ हैं।” जगमोहन कह उठा।
“जो भी काम करना है हमें सोच-समझकर करना है।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा-“हमारा मुकाबला बुरी ताकतों से है। ये हाथ-पांवों की लड़ाई जैसा नहीं होगा। हमें ये भी नहीं पता कि कोई सामने आ जाए तो उसके साथ क्या करना होगा। हमारे पास कोई हथियार भी नहीं है।”
उसी पल ओरी, रानी ताशा के कान में बोली।
“जरूरत पड़ने पर सुरक्षा कवच सबको हथियार देता रहेगा।” रानी ताशा ने ये बात सबसे कह दी।
“सुरक्षा कवच?” जगमोहन ने हाथ की उंगली में पड़ी अंगूठी को देखा-’ये हमें कैसे हथियार देगा?”
“जब वक्त आएगा ऐसा तो पता चल जाएगा।” ओरी की बात, रानी ताशा ने पुनः सबसे कह दी।
“तुम्हें ये बातें कैसे पता है?” मोना चौधरी ने पूछा।
“जो शक्ति डुमरा ने मेरे कंधों पर बिठाई है, वो बता रही है मुझे।” रानी ताशा बोली।
“तुम्हारे पास तो शक्ति है, हमारे पास वो भी नहीं।”
रानी ताशा के पास इस बात का जवाब नहीं था।
फिर वे सब जंगल में आगे बढ़ गए। शुरू-शुरू में जंगल घना नहीं था। लेकिन कुछ आगे बढ़ने के बाद जंगल घना होने लगा और सब दो-दो के जोड़े में, अपनी-अपनी दिशा चुनकर अलग होते चले गए।
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