‘क्या मैं पार्क में थोड़ा बहुत गोल्फ़ खेलने का अभ्यास कर सकती हूँ,’ लूसी ने पूछा।
‘अरे, बिलकुल। क्या तुम्हें गोल्फ़ खेलने का बहुत शौक़ है?’
‘मैं अच्छा खेलती तो नहीं हूँ, लेकिन अभ्यास करती रहती हूँ। दौड़ने की जगह कसरत करने के लिए मुझे यह बेहतर विकल्प लगता है।’
‘इस जगह से बाहर घूमने की कोई जगह भी नहीं है,’ मिस्टर क्राइकेनथोर्प ने ग़ुस्से में कहा। ‘कुछ भी नहीं है, छोटी-छोटी पगडण्डियाँ और छोटे-छोटे बक्से जैसे घर। वे चाहते हैं कि मेरी ज़मीन के ऊपर कब्ज़ा जमा लें और उनके ऊपर घर बनायें। लेकिन जब तक मैं ज़िन्दा हूँ तब तक ऐसा नहीं कर सकते। और मैं किसी को राहत पहुँचाने के लिए मरने वाला नहीं हूँ। मैं तुमको यह कह सकता हूँ। किसी को फ़ायदा नहीं पहुँचाने वाला हूँ मैं!’
एम्मा क्राइकेनथोर्प ने आहिस्ता से कहा :
‘पापा!’
‘मुझे पता है कि वे सब क्या सोचते हैं—और वे किस दिन का इन्तज़ार कर रहे हैं। सब के सब। सेडेरिक, वह चालाक लोमड़ हैरोल्ड। जहाँ तक अल्फ्रेड की बात है तो मुझे हैरत होती है कि उसने अभी तक मुझे ख़ुद से मार कर नहीं भगाया। पता नहीं वह इस क्रिसमस पर क्या करे। वह बड़ा अजीब है। अजीब-अजीब तरह के सवाल पूछता रहता है।’
‘पापा सबका हाजमा कभी-न-कभी ख़राब होता रहता है।’
‘अच्छा, अच्छा, साफ़-साफ़ कहो कि मैं बहुत ज़्यादा खाता हूँ! यही मतलब है न तुम्हारा। और मैं क्यों ज़्यादा खाता हूँ? क्योंकि मेज़ पर खाना बहुत अधिक रहता है, बहुत अधिक। बरबादी और खर्चीला। और इससे मुझे याद आता है—तुम जब जवान थी, तुम दिन के खाने के लिए पाँच बड़े-बड़े आलू भेजा करती थी। किसी के लिए भी दो आलू काफ़ी होते हैं। इसलिए आगे से चार से अधिक मत भेजा करो। एक अधिक था जो आज बर्बाद हो गया।
‘वह बर्बाद नहीं हुआ मिस्टर क्राइकेनथोर्प। मैंने यह योजना बनाई है कि आज रात स्पैनिश ऑमलेट बनाने में उसका इस्तेमाल कर लूँ।’
‘ओह!’ जब लूसी कमरे से कॉफी की ट्रे लेकर बाहर निकल रही थी तो उसने सुना कि मिस्टर क्राइकेनथोर्प कह रहे थे, ‘इस अच्छी लड़की के पास हर सवाल का जवाब रहता है। खाना भी अच्छा बनाती है—और देखने में भी अच्छी है।’
लूसी आईलेसबरो ने गोल्फ़ का सामान निकाला जो वह अपने साथ लेकर आयी थी और दीवार फाँदकर पार्क में निकल गयी।
वहाँ जाकर वह शॉट लगाने का खेल खेलने लगी। क़रीब पाँच मिनट के बाद उसकी गेंद उड़कर रेलवे की दीवार के पास जा गिरी। लूसी वहाँ गयी और उसे खोजने लगी। उसने वापस घर की तरफ़ देखा। वह वहाँ से बहुत दूर था और ऐसा कोई भी नहीं था जिसकी इसमें दिलचस्पी हो कि वह क्या कर रही है। वह गेंद ढूँढती रही। बीच-बीच में वह वहाँ दीवार के पास से गेंद को नीचे घास में मार देती थी। उस दिन दोपहर के दौरान उसने रेलवे की उस बाँध की दीवार के पास दो तिहाई हिस्से को खोज डाला। कुछ भी नहीं मिला। उसने गेंद वापस घर की तरफ़ मार दी।
फिर, अगले दिन, उसे कुछ दिखाई दिया। एक काँटेदार झाड़ी जो काफ़ी बड़ी हो चुकी थी, उसको काट दिया गया था, उसके कुछ टुकड़े आसपास बिखरे हुए भी थे। लूसी ने पेड़ को खुद से जाकर देखा। एक झाड़ी के ऊपर फर का एक टुकड़ा पड़ा हुआ था, उसका रंग लकड़ी जैसा था, हल्का भूरा रंग। लूसी ने उसे कुछ देर तक देखा और फिर अपनी जेब से कैंची निकालकर उसे बीच से काट दिया। काटे गये हिस्से को उसने अपनी जेब से एक लिफ़ाफ़ा निकालकर उसमें रख लिया। वह इस उम्मीद में ढलान से नीचे उतर आयी कि कहीं कुछ और मिल जाये। उसने सतह की ऊबड़ खाबड़ घास को ध्यान से देखा। उसने सोचा कि उसके बीच में उसे शायद किसी के आने-जाने का रास्ता मिल जाये। लेकिन वह बहुत धुँधला था—उसके अपने चलने के निशान की तरह ही। वहाँ कोई कुछ समय पहले आया हो शायद या यह भी हो सकता था कि वह उसे अपनी कल्पना लगे। वह घास में ध्यान से कुछ खोजने में लग गयी, वहीं जहाँ उसे वह टूटी हुई झाड़ी मिली थी। इस बार उसे उसकी खोज का ईनाम मिल गया। उसे पावडर का एक डिब्बा मिला। उसे उसने अपने रूमाल में रखकर अपनी जेब में रख लिया। उसने आगे भी तलाश की लेकिन कुछ मिला नहीं।
अगली दोपहर वह अपनी कार में बैठकर अपनी अशक्त बुआ से मिलने गयी। एम्मा क्राइकेनथोर्प ने कहा, ‘जल्दी मत आना। हमें रात के खाने से पहले तुमसे कोई काम नहीं है।’
‘शुक्रिया, लेकिन मैं छह बजे तक आ जाऊँगी।’
4 मेडिसन रोड एक छोटी से सड़क पर एक छोटा-सा घर था। उसके पर्दे बहुत अच्छे थे, नौटिंघम के बने हुए। सफ़ेद चमकता हुआ डोरस्टेप और अच्छी तरह से पॉलिश किया हुआ दरवाज़े का हैंडल। दरवाज़ा एक लम्बी, गम्भीर दिखने वाली महिला ने खोला, उसने काले कपड़े पहने हुए थे।
वह लूसी को कुछ सन्देह से देखते हुए मिस मार्पल के पास लेकर गयी।
मिस मार्पल पीछे के कमरे में रह रही थी, कमरे से बाहर छोटे-से बगीचे को देखते हुए बैठी थीं। कमरा बहुत साफ़-सुथरा था, ख़ूब सारे फूल फूलदान में लगे हुए थे। मिस मार्पल एक बड़ी-सी कुर्सी पर बैठी हुई थी, पास में आग जल रही थी।
लूसी ने अन्दर आकर दरवाज़े को बन्द कर दिया। वह मिस मार्पल के सामने की कुर्सी के ऊपर बैठ गयी।
‘मुझे लगता है कि आपने जो कहा था सही कहा था,’ उसने कहा।
उसको जो सामान मिले थे उसने सामने रख दिये और उनके बारे में विस्तार से बताने लगी।
मिस मार्पल के गालों पर उपलब्धि की चमक कौंध गयी।
‘शायद किसी को ऐसा नहीं लगे,’ उन्होंने कहा। ‘लेकिन यह बड़े सन्तोष की बात है कि हमने एक थ्योरी बनायी और उसके मुताबिक सबूत भी मिल गया कि वह थ्योरी सही थी।’
उसने फर के उस छोटे से टुकड़े की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, ‘एल्स्पेथ ने कहा था कि उस औरत ने हल्के रंग का फर कोट पहन रखा था। मुझे लगता है कि पाउडर का डिब्बा उसके कोट की जेब में रहा होगा, जो तब नीचे गिर गया होगा जब लाश ढलान से नीचे की तरफ़ गिर रही होगी। यह कुछ ख़ास तो नहीं लगता है, लेकिन इससे ज़रूर मदद मिलेगी। तुमने सारा फर नहीं उठाया?’
‘नहीं, मैंने उसका आधा टुकड़ा उसी झाड़ी में छोड़ दिया।’
मिस मार्पल ने सहमति में सिर हिलाया।
‘ठीक किया। तुम बहुत तेज़ हो। पुलिस उसे उसी तरह से देखना चाहेगी।’
‘आप इन चीज़ों को लेकर पुलिस के पास जाना चाहती हैं?’
‘अभी नहीं—’ मिस मार्पल ने कहा, ‘मेरे ख़याल से बेहतर तो यही रहेगा कि हम पहले लाश को खोज लें। नहीं?’
‘हाँ, लेकिन यह बड़ी बात नहीं होगी? मेरा मतलब यह है कि आपने जो अनुमान लगाया था वह सही था। हत्यारे ने लाश को ट्रेन से बाहर फेंका, फिर शायद ब्रैखेम्पटन या किसी और स्टेशन पर उतरकर—शायद उसी रात—उसने वहाँ आकर लाश को ठिकाने लगा दिया। लेकिन उसके बाद क्या हुआ? वह लाश को कहीं और ले गया होगा।’
‘कहीं नहीं,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘मुझे नहीं लगता है कि आपने इस मामले को तार्किक तरीके से समझा है मिस आईलेसबरो।’
‘मुझे लूसी बुलाइये। कहीं और क्यों नहीं?’
‘इसलिए क्योंकि अगर ऐसा होता तो उसने लड़की का किसी सुनसान स्थान पर क़त्ल कर दिया होता और वहाँ से उसकी लाश को कहीं और पहुँचा देता। तुमने इसके ऊपर ध्यान नहीं दिया—’
लूसी ने रोकते हुए कहा।
'आपके कहने का मतलब यह है कि यह हत्या पूर्वनियोजित थी?’
‘पहले मैंने ऐसा नहीं सोचा था,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘ज़ाहिर है कोई नहीं सोच सकता था। ऐसा लगा जैसे आपस में लड़ाई हुई हो और आदमी ने ग़ुस्से में बेकाबू होकर उस औरत का गला घोंट दिया हो और उसके सामने जो समस्या आयी हो, कुछ मिनटों में उसका समाधान कर दिया हो। लेकिन यह सोचना बहुत अधिक संयोग को मानना होगा कि उसने ठीक उसी जगह पर महिला का गला घोंटा जहाँ पर वह मोड़ आता था जहाँ से वह उसकी लाश को नीचे फेंक सके, और जहाँ बाद में जाकर वह उस लाश को वहाँ से हटा भी सके। अगर उसने ऐसा संयोगवश किया होता तो उसने उसके बाद कुछ भी नहीं किया होता, और अब तक लाश मिल भी गयी होती।’
वह रुकी। लूसी उनकी तरफ़ देखने लगी।
‘जानती हो,’ मिस मार्पल ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि इस हत्या को काफ़ी सोच समझकर अंजाम दिया गया। कुछ है इस ट्रेन के बारे में जिसको कोई नहीं जानता। अगर उसने उसको वहाँ मारा होता जहाँ वह रहती थी तो किसी-न-किसी का ध्यान उसके ऊपर गया होता, किसी ने उसको आते जाते देख लिया होता। या अगर वह उसको गाड़ी से कहीं लेकर जाता तो कोई उस कार को देखकर उसका नम्बर नोट कर सकता था। लेकिन ट्रेन आने जाने वाले अजनबियों से भरी होती है—बिना गलियारे वाली ट्रेन में, उसके साथ अकेले यह करना बहुत आसान था—वह रदरफोर्ड हॉल के बारे में अच्छी तरह से जानता था। वह अच्छी तरह जानता था कि रेल लाइन के नीचे एक ऐसी जगह है जो एक द्वीप की तरह दुनिया से कटी हुई है।’
‘बिलकुल। आसपास का जीवन तो पूरी तरह से शहरी हो चुका है लेकिन वह अतीत में फँसा हुआ है। सुबह के वक़्त सिर्फ समान पहुँचाने वाले आते हैं और बस।’ लूसी ने कहा।
‘इसलिए ऐसा लगता है कि हत्यारा उस रात रदरफोर्ड हॉल में आया था। जब लाश वहाँ गिराई गयी तो अँधेरा हो चुका था और अगले दिन से पहले उसे कोई देख भी नहीं सकता था।’
‘बिलकुल नहीं।’
‘हत्यारा कार से आया होगा? किस रास्ते से?’
लूसी ने सिर हिलाया।
‘फैक्टरी की दीवार के साथ एक कच्ची सड़क है। हो सकता हो वह उस रास्ते आया हो, रेलवे की मेहराब के नीचे कार को पीछे की तरफ़ चला कर आया होगा। फिर दीवार फाँद कर पैदल ही बाँध की तरफ़ गया होगा, वहाँ से लाश उठाकर कार में ले गया होगा।’
‘फिर वह उस लाश को किसी ऐसी जगह ले गया होगा जिसे उसने पहले ही चुन लिया होगा। यह सारी योजना पहले से तैयार की गयी होगी। और मुझे नहीं लगता है कि वह उसे रदरफोर्ड हॉल से दूर ले गया होगा, लेकिन बहुत दूर नहीं। सबसे आसान था कि उसे कहीं दफ़ना दिया जाये? उसने सवालिया निगाहों से लूसी की तरफ़ देखा।
‘मुझे भी यह लगता है,’ लूसी ने कुछ सोचते हुए कहा। लेकिन यह उतना आसान भी नहीं है जितना कि दिखता है।’
मिस मार्पल ने सहमति जतायी।
‘वह उसे पार्क में तो नहीं दफ़ना सकता। बहुत मुश्किल बात है ये और उसकी ओर ध्यान भी चला जाता। किसी ऐसी जगह जहाँ ज़मीन पहले से ही खोदी गयी हो?’
‘किचन गार्डेन हो सकता है, लेकिन वह माली के घर के बहुत क़रीब है। वह बूढ़ा है और बहरा भी—लेकिन तो भी यह ख़तरनाक तो है ही।’
‘क्या वहाँ कोई कुत्ता है?’
‘नहीं।’
‘फिर किसी छायादार जगह में या बाहर की तरफ़ बनी किसी जगह में।?’
‘हाँ वह सबसे आसान और तुरन्त फुरन्त वाला मामला है—उस परिसर में ऐसी कई इमारतें हैं जहाँ अब कोई भी नहीं जाता। हो सकता है कि उसे वहाँ किसी झाड़ी में भी फेंक दिया हो।’
मिस मार्पल ने सिर हिलाया।
‘हाँ मुझे इस बात की अधिक सम्भावना लगती है।’
दरवाज़े पर खटखट हुई और फ्लोरेंस ट्रे लेकर आयी।
‘यह अच्छा है कि आपसे मिलने कोई आयी,’ उसने मिस मार्पल से कहा, ‘मैंने ख़ास तौर पर खाने के लिए कुछ बनाया है जो आपको पसन्द था।’
‘फ्लोरेन्स हमेशा बहुत अच्छा केक बनाती है जो चाय के साथ खाई जा सके,’ मिस मार्पल ने कहा।
फ्लोरेन्स अचानक मुस्कुराते हुए वहाँ से चली गयी।
‘मुझे लगता है कि हमें चाय पीते हुए उस हत्या के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। यह ऐसा असहज मुद्दा है,’ मिस मार्पल ने कहा।
II
चाय पीने के बाद लूसी वहाँ से उठ गयी।
‘मैं आती रहूँगी’ उसने कहा। ‘मैंने आपको पहले ही कहा कि रदरफोर्ड हॉल में कोई नहीं रहता जो ऐसा आदमी लगे जिसकी हमें तलाश हो। वहाँ एक बूढ़ा आदमी है, एक औरत और एक बहरा माली।’
‘मैं यह नहीं कह रही थी कि वह असल में वहाँ रह रहा था,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘मेरा मतलब सिर्फ़ यह है कि कोई ऐसा आदमी जो रदरफोर्ड हॉल को बहुत अच्छी तरह जानता है। लेकिन हम उसके बारे में तब सोचेंगे जब हमें लाश मिल जाये।’
‘आप तो ऐसा लगता है कि इस बात को मान चुकी हैं कि मैं लाश को खोज लूँगी,’ लूसी ने कहा। ‘मुझे इतनी उम्मीद नहीं है।’
‘मुझे पूरा यकीन है कि तुम सफल होगी लूसी। तुम इतनी होशियार जो हो।’
‘कुछ मामलों में, लेकिन मुझे लाशों को देखने का कोई अनुभव नहीं है।’
‘मुझे पता है उसके लिए बस थोड़ी-सी सहज बुद्धि की ज़रूरत होती है,’ मिस मार्पल ने उत्साह बढ़ाते हुए कहा।
लूसी मिस मार्पल को देखकर हँसने लगी। वह भी उसकी तरफ़ देखकर मुस्कुरा दी।
अगली दोपहर लूसी ध्यान से इस पर काम करने लगी।
अगले दिन वह बाहर खाली पड़े सभी घरों में झाँक-झाँक कर देखने लगी, जब वह एक कमरे में झाँक रही थी कि तभी उसने पीछे से खाँसी की आवाज़ सुनी, मुड़कर देखा तो माली उसको कुछ नाराज़गी से देख रहा था।
‘आपको ध्यान रखना चाहिए। आप सीढ़ी से ऊपर चढ़ गयी हैं, लेकिन यह सुरक्षित नहीं है,’ उसने चेतावनी देते हुए कहा।
लूसी ने इस बात का ध्यान रखा कि यह न दिखे कि वह किसी भी तरह से शर्मिंदा है।
‘मुझे लगता है आप यह सोच रहे होंगे कि मैं बहुत ताक-झाँक करने वाली हूँ,’ लूसी ने हँसते हुए कहा। ‘मैं तो बस यह देख रही थी कि इस जगह का कुछ इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं—बाज़ार के लिए मशरूम उगाने से लेकर कई अन्य तरह के काम। यह बुरी तरह से वीरान है।
‘मालिक ऐसे ही हैं। वे एक पैसा नहीं खर्च करेंगे। इस जगह को ठीक-ठिकाने से रखने के लिए तो आदमी और एक लड़के की ज़रूरत है, लेकिन वे सुनते ही नहीं। मैं बस इतना ही कर पाया कि मैं घास काटने वाली मशीन खरीदने के लिए उनको राज़ी कर पाया। वे चाहते थे कि मैं हाथ से ही घास साफ़ करूँ।’
‘लेकिन अगर कुछ ठीक-ठाक करके इस जगह से कमाई होने लगे तो?’
‘उन्हें इस बात की परवाह भी नहीं। वे तो सिर्फ़ बचाने में यकीन रखते हैं। अच्छी तरह से जानता हूँ कि उनके जाने के बाद इसका क्या होगा—नौजवान लोग जल्दी से जल्दी सभी कुछ बेच देंगे। वे सभी इनके मरने का इन्तज़ार कर रहे हैं। इनके मरने के बाद काफ़ी पैसे आने वाले हैं, मैंने सुना है।’
‘मुझे लगता है कि ये काफ़ी अमीर आदमी है’ लूसी ने कहा।
'क्राइकेनथोर्प के पिता ने यह सब सम्पत्ति अर्जित की। वे काफ़ी तेज़ आदमी थे, हर लिहाज से। उन्होंने पैसा कमाया और यह जगह बनवायी। वे काफ़ी सख़्त थे। लेकिन देने के मामले खुले हाथ वाले थे। उनमें कोई कंजूसी नहीं थी। अपने दोनों लड़कों से निराश रहते थे, और इस तरह से आगे कहानी चलती रही। उन्होंने अपने बच्चों को ऑक्सफोर्ड में पढ़ाया। लेकिन वे व्यवसाय चलाने के लायक नहीं निकले। सबसे छोटे ने एक हीरोइन से शादी कर ली और शराब पीकर उसने गाड़ी ठोक दी और मर गया। जो सबसे बड़ा है, यहाँ रहने वाला, पिता ने उससे ज़्यादा उम्मीद नहीं की थी। वह विदेश में रहता था, वहाँ से काफ़ी सारी मूर्तियाँ खरीद कर उसने यहाँ भेजा। जब वह जवान था तो पैसों के पीछे इतना नहीं पड़ा रहता था—उम्र बढ़ने के बाद उसे पैसों ने खींचना शुरू किया। उसके बाद से वह उसी से चिपक गया,’ मैंने यही सुना है।
लूसी ने बड़ी शालीनता से इस बात को सुना। वह बूढ़ा आदमी दीवार से लग कर खड़ा हो गया और अपनी गाथा सुनाने की तैयारी में लग गया। वह काम करने से ज़्यादा बातें करने में यकीन रखता था।
‘लड़ाई से पहले उस बुज़ुर्ग की मौत हुई। उसका ग़ुस्सा बहुत भयानक था। उनको कोई मौका मिल जाता तो वे आपे से बाहर हो जाते थे।’
‘उनके मरने के बाद मिस्टर क्राइकेनथोर्प आकर यहाँ रहने लगे?’
'वह और उनका परिवार, हाँ। वे तब तक बहुत बड़े हो चुके थे।'
'ज़रूर—अच्छा आपका मतलब 1914 की लड़ाई से है।’
'नहीं, मेरा यह मतलब नहीं था। उनकी मौत 1928 में हुई, मेरे कहने का मतलब यह था।'
लूसी ने यह मान लिया कि 1928 का मतलब हुआ लड़ाई से पहले, लेकिन वह इस तरह से खुद को नहीं समझा पा रही थी।
उसने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि आप अपना काम करना चाहेंगे। मुझे आपको बातों में नहीं लगाना चाहिए।’
‘इस समय कुछ कर नहीं सकते हैं, रोशनी बहुत कम है।’ हिलमैन ने बिना किसी उत्साह के कहा।
लूसी रास्ते में इधर उधर देखते हुए लौट गयी।
उसने देखा कि एम्मा क्राइकेनथोर्प हाल में खड़ी होकर एक चिट्ठी पढ़ रही थी। दोपहर की डाक उस समय आयी थी।
‘कल मेरा भतीजा आयेगा—उसके साथ उसके स्कूल का दोस्त भी होगा। पोर्च के ऊपर वाला जो कमरा है वह अलेक्ज़ेंडर का है। उसके बगल वाला कमरा जेम्स वेस्ट का रहेगा। वे उसके सामने वाले बाथरूम का उपयोग करेंगे।’
‘ठीक है मिस क्राइकेनथोर्प, मैं उससे पहले कमरे तैयार कर दूँगी।’
‘वे कल सुबह दोपहर के खाने से पहले आयेंगे,’ कहकर वह थोड़ा हिचकिचाई। ‘मुझे लगता है वे भूखे होंगे।’
‘मैं शर्त लगा सकती हूँ कि वे भूखे होंगे,’ लूसी ने कहा। ‘रोस्ट बीफ और टार्ट तैयार कर दूँ तो कैसा रहेगा?’
‘अलेक्ज़ेंडर को टार्ट बहुत पसन्द है।’
अगली सुबह दोनों लड़के आ गये। दोनों ने बाल बहुत अच्छी तरह से बनाये हुए थे, उनके चेहरे बहुत सुन्दर थे, और दोनों बेहद व्यवहारकुशल थे। अलेक्ज़ेंडर ईस्टली के बाल चमक रहे थे और चेहरा गोरा था, वेस्ट गहरे रंग का था और चश्मा लगाये हुए था।
भोजन के दौरान दोनों खेल की दुनिया के बारे में ख़ूब बातें कर रहे थे, बीच-बीच में वे स्पेस से जुड़े उपन्यासों के बारे में भी बात कर रहे थे। बातें इस तरह से कर रहे थे जैसे बड़े-बड़े प्रोफेसर प्राचीन काल के प्रभावों के बारे में बोलते हैं। उनकी तुलना में लूसी ख़ुद को बेहद कम उम्र की समझ रही थी।
जल्दी ही उन्होंने बीफ और टार्ट के प्लेट ख़त्म कर दिये।
मिस्टर क्राइकेनथोर्प बुदबुदाये, ‘तुम दोनों मेरा घर भी खा जाओगे।’
अलेक्ज़ेंडर ने उनको नीली आँखों से घूरा।
‘ठीक है दादा जी, अगर मीट आपको भारी लगता है तो हम ब्रेड और चीज़ ही खा लेंगे।’
‘मैं खरीद सकता हूँ, खरीद सकता हूँ। मैं बर्बाद नहीं करना चाहता।’
‘मैंने थोड़ा भी बर्बाद नहीं किया, सर।’ वेस्ट ने नीचे देखते हुए कहा, जैसे अपने खाने का सबूत दे रहा हो।
‘तुम मुझसे दोगुना खाते हो।’
‘हम लोग बॉडी बिल्डिंग कर रहे हैं,’ अलेक्ज़ेंडर ने बताया। ‘हमें बड़ी मात्रा में प्रोटीन खाना पड़ता है।’
बुजुर्ग आदमी बुदबुदाने लगे।
जैसे ही वे दोनों लड़के टेबल से उठे, लूसी ने सुना कि अलेक्ज़ेंडर अपने दोस्त से माफी माँगने के अन्दाज़ में कह रहा था :
‘तुम मेरे दादाजी की बातों पर ध्यान मत देना। वे कुछ कम खाना खाते हैं। वे बड़े मीन मेख वाले हैं। मुझे लगता है कि उनके मन में किसी तरह की हीन भावना है।’
स्टोडार्ट वेस्ट ने जैसे समझते हुए कहा :
‘मेरी एक बुआ हैं जिनको हमेशा यह लगता रहता है कि वे कंगाल होने वाली हैं। सच में, उनके पास बहुत पैसा है। डॉक्टर कहते हैं कि उनको बीमारी है। क्या तुम फुटबॉल लाये हो, अलेक्स?’
खाना साफ़ करके लूसी वहाँ से चली गयी। उसे सुनाई दे रहा था कि बच्चे लॉन में शोर मचा रहे थे। वह दूसरी तरह गयी और वहाँ झाड़ी को साफ़ करने में लग गयी। वह पत्तों को हटा-हटाकर ध्यान से देख रही थी। वह गोल्फ़ खेलने की छड़ी से पेड़ों के बीच देखने में लगी थी कि पीछे से अलेक्ज़ेंडर की विनम्र आवाज़ आयी।
‘आप कुछ खोज रही हैं क्या मिस आईलेसबरो?’
‘गोल्फ़ की गेंद’ लूसी ने तत्काल जवाब दिया। ‘असल में गोल्फ़ की कई गेंद। यहाँ मैं गोल्फ़ की प्रैक्टिस करती रहती हूँ और इसके कारण कई गेंदें खो चुकी हैं। मैंने सोचा कि आज कुछ गेंदों को खोज लिया जाये।’
‘हम आपकी मदद करेंगे,’ अलेक्ज़ेंडर ने तुरन्त कहा।
‘यह तो बहुत अच्छा लगेगा। मैंने सोचा कि आप लोग फुटबॉल खेल रहे हैं।’
‘लगातार फुटबॉल खेलते ही नहीं रहा जा सकता है न,’ वेस्ट ने कहा। ‘गर्मी लगने लगती है। आप लगातार गोल्फ़ खेलती हैं क्या?’
‘मुझे गोल्फ़ खेलना बहुत पसन्द है। मुझे अधिक मौका नहीं मिलता है।’
‘मुझे पता है आपको ज़्यादा वक़्त नहीं मिल सकता। आप यहाँ खाना बनाती हैं?’
‘हाँ।’
‘आज का लंच आपने बनाया था?’
‘हाँ। सब ठीक था न?’
‘कमाल का था', अलेक्ज़ेंडर ने कहा। ‘हमारे स्कूल में तो सूखा मीट मिलता है, मुझे वैसा मीट पसन्द है जो अन्दर से रसीला हो। मछली भी बहुत अच्छी बनाई थी आपने।’
‘आप बताइये आप लोगों को खाने में क्या-क्या पसन्द है।’
‘क्या आप ऐप्पल पाई बना सकती हैं? वह मुझे बहुत पसन्द है।’
‘बिलकुल।’
अलेक्ज़ेंडर खुश हो गया।
‘एक गोल्फ़ सेट सीढ़ी के नीचे रखा है। चलो उसे ले आते हैं और खेलते हैं,’ क्या कहते हो वेस्ट?’
‘अच्छा रहेगा।’
‘यह आस्ट्रेलियाई मूल का नहीं है,’ अलेक्ज़ेंडर ने कहा। ‘लेकिन वह इस तरह से अभ्यास कर रहा है ताकि लोग उसे देखकर अगले साल टेस्ट मैच दिखाने ले जायें।’
लूसी के जोश दिलाने से वे गये और गोल्फ़ का सेट लेकर आये। जब वह बाद में लौट कर आयी तो उसने देखा कि बाहर लॉन में वे उसे सेट करने में लगे थे।
‘इनको थोड़ा पेंट करने की ज़रूरत है, सफ़ेद रंग से।’ लूसी ने कहा।
‘अच्छा आइडिया है,’ अलेक्ज़ेंडर का चेहरा खिल उठा। ‘मेरे ख़याल से कुछ पेंट के डिब्बे उस पुराने मकान में होंगे—पेंटर्स वहाँ छोड़ गये थे—चलकर देखें?’
‘पुराना मकान क्या है?’ लूसी ने पूछा।
‘यह काफ़ी पुराना है। दादा जी कहते हैं कि यह एलिज़ाबेथ के काल का है। यह खेती के ज़माने का है जब इन ज़मीनों पर खेती हुआ करती थी। मेरे परदादा ने इसको गिरा दिया और इसकी जगह यह घर बनवाया,’ उसने कहा।
उसने आगे कहा, ‘दादा जी का काफ़ी सारा सामान उस मकान के अन्दर है। वे चीज़ें जो वे जवानी के दिनों में विदेशों से भेजा करते थे। उनमें से काफ़ी बहुत अच्छे हैं। इसका पहले कई तरह के कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आइये देखते हैं।’
लूसी भी उनके साथ चल पड़ी।
उस बाड़े का बड़ा-सा दरवाज़ा था जो ओक का बना हुआ था।
अलेक्ज़ेंडर ने अपना हाथ उठाया और दरवाज़े के दायीं तरफ़ एक चाभी घुमाई। दरवाज़ा खुला और अन्दर हो गया।
पहली नज़र में तो लूसी को लगा कि वह किसी बुरे रख रखाव वाले संग्रहालय में आ गयी है। संगमरमर की बनी दो रोमन सम्राटों की मूर्तियाँ उसकी तरफ़ घूर रही थीं, वहाँ और भी पुराने ज़माने की कलाकृतियाँ थीं जो अलग-अलग इलाकों की भी थीं। उन कलाकृतियों के अलावा वहाँ कुछ टेबल-कुर्सियाँ भी थी, कुछ बाल्टियाँ, कार की कुछ सीटें थी जिनको कीड़े खा चुके थे, और हरे रंग से रंगे लोहे की दो कुर्सियाँ थी, जिनके पैर गायब थे।
‘मेरे ख़याल से मैंने यहाँ पेंट देखा था,’ अलेक्ज़ेंडर ने कहा। एक कोने में जाकर उसने एक फटे हुए पर्दे को हटाया जिससे वहाँ कुछ ढँका हुआ था।
वहाँ उनको कुछ पेंट के डिब्बे और ब्रश मिले, ब्रश सूख के जम चुके थे।
‘तुम लोगों को थोड़ा तारपीन के तेल की ज़रूरत है,’ लूसी ने कहा।
उनको वहाँ मिला नहीं। लड़कों ने यह सुझाव दिया कि वे साइकिल से जाकर ले आयें, और लूसी ने उनसे ऐसा ही करने के लिए कहा। उसने सोचा कि गोल्फ़ के सेट को पेंट करने में वे कुछ समय तक लगे रहेंगे।
लड़के उसे वहीं बाड़े में छोड़कर चले गये।
‘इससे सफाई में मदद मिलेगी,’ वह फुसफुसायी।
‘मुझे परेशान नहीं होना चाहिए,’ अलेक्ज़ेंडर ने उसे सलाह दी। ‘अगर इसका इस्तेमाल किसी काम में किया जाये तो यह साफ़ हो जाता है। लेकिन साल भर से लगता है इसका इस्तेमाल हुआ नहीं है।
‘क्या मैं चाभी बाहर दरवाज़े में ही लगा दूँ? क्या यह वहीं लगा रहता है?’
‘यहाँ ऐसा कुछ है नहीं। वैसे भी संगमरमर की इन मूर्तियों की किसी को ज़रूरत नहीं है। वैसे भी इनका वजन एक टन से कम नहीं होगा।’
लूसी उससे सहमत हो गयी। उसे बूढ़े क्राइकेनथोर्प की कला रुचि कुछ ख़ास पसन्द नहीं आयी। लगता है उनको हर दौर की ख़राब कलाकृतियाँ जुटाने का शौक़ था।
जब बच्चे चले गये तो वह उठकर इधर-उधर देखने में लग गयी। उसक आँखें एक ताबूत पर आकर ठहर गयी।
यह ताबूत—
उस बाड़े की हवा में थोड़ी गन्ध थी क्योंकि वहाँ बहुत दिन से हवा आयी नहीं थी। वह उस ताबूत के पास गयी। वह काफ़ी भारी था। लूसी उसे ध्यान से देखने लगी।
फिर वह बाड़े को छोडकर निकल गयी, वहाँ से रसोई में गयी, वहाँ से उसने एक भारी लोहे का चिमटा उठाया और लौटकर आयी।
उसे तोड़ना आसान नहीं था। लेकिन लूसी उसे तोड़ने में लग गयी।
उसका ढक्कन ऊपर उठने लगा।
ढक्कन इतना ऊपर उठ चुका था कि लूसी यह देख सके कि उसके अन्दर क्या था—
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