लूसी आईलेसबरो का नाम जाना माना हो गया था।

लूसी आईलेसबरो की उम्र 32 साल थी। उसने ऑक्सफोर्ड से गणित में प्रथम श्रेणी से पास किया था, उसके बारे में यह कहा जाता था कि वह दिमाग़ की बहुत तेज़ है और उसके बारे में यह उम्मीद की जा रही थी कि वह अकादमिक जगत में कैरियर बनायेगी।

लूसी आईलेसबरो पढ़ाई में तेज़ होने के अलावा सामान्य बुद्धि में भी बहुत तेज़ मानी जाती थी। वह इस बात को समझ गयी थी कि केवल पढ़ाई में बेहतर होने से कोई ख़ास फ़ायदा नहीं होता। उसकी पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी और उसको ऐसे लोगों के साथ रहना अच्छा लगता था जो उससे कम प्रतिभा वाले थे। संक्षेप में कहें, तो उसकी दिलचस्पी हर तरह के लोगों में थी और वह हर वक़्त एक तरह के लोगों के साथ ही नहीं रहना चाहती थी। साफ़-साफ़ कहें, तो उसको पैसा भी बहुत अच्छा लगता था। पैसा कमाने के लिए एक आदमी की कमजोरियों का लाभ उठाना चाहिए।

एक बार घर में काम करने वाले हुनरमन्द लोगों की बड़े पैमाने पर कमी हो गयी। उसके दोस्तों और पढ़े लिखे तबके के लोगों को तब बहुत आश्चर्य हुआ जब लूसी आईलेसबरो ने घरों में काम करने का काम शुरू कर दिया।

उसको तत्काल सफलता मिली और पक्के तौर पर सफलता मिली। लेकिन अब कई सालों के बाद उसका नाम पूरे ब्रिटेन में था। पत्नियाँ अपने पतियों से कहा करती थी कि मैं तुम्हारे साथ अमेरिका जा सकती हूँ क्योंकि मेरे पास लूसी आईलेसबरो है! लूसी आईलेसबरो की ख़ासियत यह थी कि वह जिस भी घर में घुसती थी वहाँ से चिन्ता फ़ि‍क्र‍ गायब हो जाती थी। लूसी आईलेसबरो हर काम करती थी, सबका ध्यान रखती थी, सभी सामानों का ध्यान रखती थी। वह अविश्‍वसनीय ढंग से हर काम में होशियार थी। वह बुजुर्गों की देखभाल किया करती थी, बच्चों की देखभाल करना स्वीकार करती थी, बीमारों की सुश्रुषा किया करती थी, बढ़िया खाना बनाती थी, किसी पुराने नौकर के साथ अच्छी तरह से निभाती थी, जिनके साथ निभाना मुश्किल होता था उन जैसे लोगों के साथ भी निबाह कर लेती थी, शराबियों को राहत पहुँचाती थी, कुत्तों के साथ तो बहुत ही अच्छा रिश्ता बना लेती थी। सबसे बढ़कर बात यह थी कि वह जो भी करती थी उसका बुरा नहीं मानती थी। वह रसोई के फ़र्श को पोंछती थी, बगीचे में खुदाई किया करती थी, कुत्तों की गन्दगी साफ़ किया करती थी, और कोयला धोने का काम भी किया करती थी!

उसका एक नियम था कि वह किसी भी काम को बहुत लम्बे समय तक करना स्वीकार नहीं करती थी। 15 दिन उसका सामान्य कार्यकाल होता था—बहुत ज़रूरी होने की अवस्था में एक महीने तक काम करना स्वीकार कर लेती थी। 15 दिनों के समय के लिए आपको जो पैसा देना पड़ता था उसके बदले में आपको स्वर्ग जैसा सुख मिलता था। आप पूरी तरह से आराम कर सकते थे, विदेश जा सकते थे, घर में बैठ सकते थे, जो मन में आये कर सकते थे, अगर घर लूसी के समर्थ हाथों में होता तो यह पक्का रहता था कि सब कुछ ठीक-ठाक रहेगा।

इसी वजह से स्वाभाविक तौर पर उसकी सेवाओं की ज़बर्दस्त माँग थी। अगर वह चाहती तो आने वाले तीन सालों के लिए बुकिंग कर सकती थी। स्थायी तौर पर काम करने के लिए उसको काफ़ी पैसे देने की पेशक़श की जाती थी। लेकिन लूसी का स्थायी रूप से काम करने में कोई यकीन नहीं था, न ही वह छह महीने से अधिक की बुकिंग करती थी। और इस दौरान वह कुछ समय अपने लिए भी निकाल लेती थी, जो उसकी सेवा लेने वालों को पता नहीं होता था (क्योंकि कुछ भी और खर्च नहीं करती थी और उसे बहुत अच्छी राशि दी जाती थी जिनको वह बचाकर रखती थी) या कुछ समय किसी पद को स्वीकार कर लेती थी वह भी इसलिए क्योंकि या तो उसे काम बहुत पसन्द आ जाता था या उसे देने वाले लोग अच्छे लग जाते थे। चूँकि उसको यह आज़ादी थी कि वह अपने लिए काम चुन सके तो वह अधिकतर निजी पसन्द नापसन्द के आधार पर काम चुना करती थी। केवल पैसे की बदौलत ही आप लूसी आईलेसबरो की सेवाओं को हासिल नहीं कर सकते थे। काम वह खुद चुनती थी। काम देने वाले उसे नहीं चुन सकते थे। वह अपने जीवन को बेहद पसन्द करती थी और उसे इसमें लगातार मज़ा भी आता था।

लूसी आईलेसबरो ने मिस मार्पल की चिट्ठी को बार-बार पढ़ा। मिस मार्पल से उसकी पहचान दो साल पहले तब हुई थी जब उपन्यासकार रेमण्ड वेस्ट के लिए उसने काम किया था। उसने उसकी बूढ़ी बुआ की देखभाल की थी जब उनको न्यूमोनिया हो गया था।

लूसी ने काम करना स्वीकार कर लिया और सेंट मेरी मीड तक गयी थी। उसको मिस मार्पल बहुत पसन्द आयीं। जहाँ तक मिस मार्पल का सवाल था तो उन्होंने अपने कमरे की खिड़की से लूसी आईलेसबरो की एक झलक देखी और निश्चिन्त होकर तकिये पर घूमकर सो गयीं, उन्‍होंने वह स्वादिष्ट खाना खाया जो लूसी आईलेसबरो लेकर आयी थी और उनको तब बहुत आश्चर्य हुआ जब उनको उनकी आया ने बताया कि किस तरह लूसी आईलेसबरो ने उसको क्रोशिया का एक ऐसा डिज़ाइन सिखाया जिसके बारे में उसने कभी सुना भी नहीं था। इसके लिए वह बहुत आभारी थी! और जिस तेज़ी से उसने स्वास्थ्य लाभ किया उससे डॉक्टर भी हैरत में पड़ गये।

मिस मार्पल ने यह पूछा था कि क्या लूसी आईलेसबरो एक ख़ास काम उसके लिए कर सकती थी—जो थोड़ा अलग तरह का था? सम्भव हो तो लूसी आईलेसबरो एक बार मिल लें जिससे वे उसके बारे में बातचीत कर सकें।

एक मिनट के लिए लूसी आईलेसबरो की त्योरियाँ चढ़ गयीं। तब उसने इस बारे में सोचा। असल में उसके पास बिलकुल समय नहीं था। लेकिन असामान्य शब्द ने उसका ध्यान खींचा, मिस मार्पल के व्यक्तित्व का भी उसको ध्यान आया, उसने मिस मार्पल को फ़ोन मिलाया और कहा कि वह उस दिन तो नहीं आ सकती है लेकिन अगले दिन 2 से 4 बजे के बीच उसके पास समय है। तब वह मिस मार्पल के लन्दन में कहीं भी मिल सकती थी। उसने अपने क्लब में मिलने का सुझाव दिया जहाँ कई छोटे-छोटे कमरे थे और वहाँ लोग कम ही आते थे।

मिस मार्पल को यह सुझाव पसन्द आया और अगले दिन दोनों की मुलाक़ात हुई।

अभिवादन के बाद लूसी आईलेसबरो अपनी मेहमान को सबसे अँधेरे कमरे में ले गयी और उसने कहा, ‘इस समय तो मेरे पास बहुत काम है लेकिन आप मुझे बताएँ कि आप मुझसे क्या चाहती हैं?’

‘यह बहुत आसान है। थोड़ा अलग लेकिन बहुत आसान। मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे लिए एक लाश ढूँढ दो।’

एक मिनट के लिए लूसी को लगा जैसे मिस मार्पल का दिमाग़ ख़राब है, इसलिए उसने इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया। मिस मार्पल पूरी तरह से होश में थी। उन्होंने जो कहा था, पूरे होशो हवास में कहा था।

‘किस तरह की लाश है?’ लूसी ने बेहद आराम से पूछा।

‘एक औरत की लाश है, जिसकी ट्रेन में गला दबाकर हत्या कर दी गयी थी,’ मिस मार्पल ने कहा।

लूसी की भौहें थोड़ी-सी तन गयी।

‘यह तो सचमुच बहुत अजीब काम है। इसके बारे में मुझे बताइये।’

मिस मार्पल ने उसे बताया। लूसी ने ध्यान से सुना, बिना टोका-टाकी किये। और आखिर में उसने कहा, ‘यह सब इस पर निर्भर करता है कि आपकी दोस्त ने क्या देखा—या सोचा कि उसने देखा था—?’

उसने एक सवालिया ढंग से अपने वाक्य को अधूरा छोड़ दिया।

‘एल्स्पेथ मैकगिलीकडी बेवजह की कल्पना नहीं करती,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘इसलिए मैं उसकी बातों पर विश्वास कर रही हूँ। अगर डोरोथी कार्टराइट होती तो बात कुछ और होती। डोरोथी के पास हमेशा एक अच्छी कहानी होती है, और अक्सर उसके ऊपर वह खुद भी विश्वास करती है, और हालाँकि उसकी बातों में सच का थोड़ा बहुत अंश होता है लेकिन उससे अधिक नहीं। लेकिन एल्स्पेथ उस किस्म की औरत है जो किसी भी असाधारण बात के ऊपर कम ही विश्वास करती है। जिस बात के ऊपर उसका विश्वास एक बार जम जाता है उससे वह बड़ी मुश्किल से टलती है।’

‘अच्छा,’ लूसी ने कुछ सोचते हुए कहा। ‘अच्छा चलिये हर बात मान लेते हैं। लेकिन मैं कहाँ आती हूँ इसमें?’

‘मैं तुमसे बहुत प्रभावित हुई थी,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘और आजकल मेरे शरीर में इतनी ताकत नहीं रह गयी है कि मैं इधर-उधर दौड़ भाग कर सकूँ।’

‘आप यह चाहती हैं कि मैं इसके बारे में पूछताछ करूँ? इस तरह का काम? लेकिन क्या पुलिस ने सब कुछ किया नहीं है? या आपको लगता है उन्होंने ठीक से काम नहीं किया?’

‘अरे नहीं,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘ऐसा नहीं है कि उन्होंने ठीक से काम नहीं किया। लेकिन उस औरत की लाश को लेकर मेरी अपनी सोच है। मुझे लगता है कि उसे कहीं-न-कहीं होना चाहिए। अगर वह ट्रेन में नहीं थी तो ज़रूर उसे ट्रेन से फेंक दिया गया। लेकिन लाइन के आसपास वह कहीं मिली नहीं। मैंने उस रास्ते से यात्रा करके यह पता करने की कोशिश की कि ऐसी कोई जगह हो सकती है जहाँ उस लाश को फेंका जाये और वह किसी को न मिल पाये—और ऐसी एक जगह मुझे मिली। ब्रैखेम्‍पटन जाने से पहले रेलवे लाइन एक बाँध से बड़ा मोड़ लेती है। अगर लाश को वहाँ फेंका जाये जब ट्रेन कोण बनाते हुए मुड़ती है तो मुझे लगता है कि लाश सीधे बांध के नीचे गिरेगी।’

‘लेकिन ज़ाहिर है वह अभी वहाँ भी नहीं मिली है?’

‘हाँ, उसे वहाँ से निकालना होगा—लेकिन हम अभी उस पर आयेंगे। नक्शे में ये है वह जगह?’

लूसी झुककर उस जगह को देखने लगी जहाँ मिस मार्पल ने इशारा किया था।

‘अब यह ब्रैखेम्‍पटन के ठीक बाहर है,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘लेकिन पहले यह एक कन्‍ट्री हाउस था, मैदान था—वह अब भी वहीं है। उसे रदरफोर्ड हॉल कहा जाता है। इसे क्राइकेनथोर्प नाम के एक आदमी ने बनवाया था, जो बहुत अमीर था, उसने 1884 में इसे बनवाया था। क्राइकेनथोर्प का बेटा अब भी वहाँ रहता है, मुझे लगता है अपनी बेटी के साथ। रेलवे ने उसकी आधी सम्पत्ति को घेर रखा है।’

‘और आप क्या चाहती हैं कि मैं क्या करूँ?’

मिस मार्पल ने तत्काल जवाब दिया।

'मैं चाहती हूँ कि तुम वहाँ काम करो। हर कोई रो रहा है कि घर का काम ढंग से करने वाले नहीं मिलते—मुझे नहीं लगता है कि इसमें कोई मुश्किल होगी।’

‘नहीं मुझे नहीं लगता है कि इसमें किसी तरह की मुश्किल होगी।’

‘मुझे पता चला है कि मिस्टर क्राइकेनथोर्प को वहाँ आसपास के लोग कंजूस कहते हैं। अगर तुम वहाँ कम तनख्वाह पर काम करना स्वीकार कर लो तो मैं बाकी पैसे तुमको दे दूँगी, जो कि अभी की दर से अधिक होगा।’

‘मुश्किल की वजह से?’

‘मुश्किल उतनी नहीं है इसमें जितना कि ख़तरा है, हो सकता है इसमें ख़तरा हो। बेहतर यही है कि मैं पहले ही तुमको उसके बारे में चेतावनी दे दूँ।’

‘मुझे नहीं लगता,’ लूसी ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘ख़तरे की वजह से मुझे कोई फ़र्क पड़ने वाला है।’

‘मुझे नहीं लगा था कि इससे कोई फ़र्क पड़ने वाला है। तुम उस तरह की लड़की नहीं हो,’ मिस मार्पल ने कहा।

‘मुझे लगता है कि आपको यह लगा कि यह तब भी मुझे पसन्द आयेगा? मैंने ज़ि‍न्‍दगी में अधिक ख़तरा उठाया नहीं है। लेकिन आपको क्या ऐसा लगता है कि यह ख़तरनाक हो सकता है?’

‘किसी ने एक अपराध किया और वह उसे छिपाने में सफल भी रहा। किसी को पता नहीं चला, किसी को कोई शक़ नहीं हुआ। दो बूढ़ी औरतों ने ऐसी कहानी सुनाई जिसके ऊपर किसी को भरोसा नहीं हुआ, पुलिस ने छानबीन की और उसको कुछ भी नहीं पता चला। इसलिए सब कुछ ठीक रहा। इसलिए कोई यह नहीं चाहेगा कि इस मामले को उठाया जाये—ख़ासकर तब जब कि तुम इतनी सफल रही हो,’ मिस मार्पल ने ध्यान दिलाते हुए कहा।

‘मुझे एकदम से करना क्या है?’

‘उस बाँध के आसपास देखना है कि कहीं किसी कपड़े का टुकड़ा हो, टूटी हुई झाड़ी हो—इसी तरह की चीज़ें।’

लूसी ने गदर्न हिलायी।

‘और फिर?’

‘मैं भी पास ही रहूँगी,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘मेरी एक पुरानी नौकरानी, और मेरी विश्वासपात्र फ्लोरेन्स, वहीं ब्रैखेम्‍पटन में रहती है। वह काफ़ी सालों से अपने बूढ़े माता-पिता की देखभाल करती रही। अब वे दोनों मर चुके हैं, अब वह वहाँ लोगों को रहने के लिए जगह देती है—सभी सम्मानित किस्म के लोगों को। उसने मेरे लिए कमरे का इन्‍तज़ाम कर दिया है। वह अच्छी तरह से मेरा ध्यान रखेगी और मुझे लगेगा जैसे मैं अपने घर में ही हूँ। मेरा तुमको यह सुझाव है कि तुम यह कहना कि तुम्हारी एक बूढ़ी बुआ पास में ही रहती हैं, और तुम ऐसा काम चाहती हो ताकि तुम उनके पास रह सको, और यह भी तुम यह भी चाहती हो कि तुम्हारे पास इतना समय रहे ताकि तुम जाकर उनके साथ समय बिता सको।’

लूसी ने एक बार फिर सिर हिलाया।

‘मैं कल के बाद ताओर्मीना जा रही थी,’ उसने कहा। ‘छुट्टियाँ इन्‍तज़ार कर सकती हैं। लेकिन मैं सिर्फ़ तीन सप्ताह का वादा कर सकती हूँ। उसके बाद मेरे पास समय नहीं है।’

‘तीन सप्ताह काफ़ी रहेंगे,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘अगर तीन सप्ताह में भी कुछ नहीं मिला तो हम इस चीज़ को भूल जायेंगे।’

मिस मार्पल वहाँ से चली गयीं, और लूसी ने एक पल सोचने के बाद ब्रैखेम्पटन के रजिस्ट्री दफ़्तर में फ़ोन लगाया, जिसकी महिला मैनेजर को वह बहुत अच्छी तरह से जानती थीं। उन्‍होंने उससे कहा कि उसे अपनी बुआ के पड़ोस में रहने के लिए कोई काम चाहिए। कई जगह के बाद रदरफोर्ड हॉल का ज़ि‍क्र आया।

‘यह एकदम वैसा ही लगता है जैसा कि मुझे चाहिए,’ लूसी ने कहा। रजिस्ट्री दफ़्तर ने मिस क्राइकेनथोर्प को फ़ोन किया और मिस क्राइकेनथोर्प ने लूसी को।

दो दिन बाद लूसी लन्दन से रदरफोर्ड हाल के रास्ते में थी।

II


अपनी छोटी-सी कार चलाती हुई लूसी एक विशाल लोहे के गेट को पार करके अन्दर पहुँची। अन्दर एक छोटा-सा घर था लेकिन अब वह बुरी हालत में था। वजह चाहे युद्ध से हुआ नुकसान रहा हो या देखभाल की कमी, यह कहना मुश्किल था। एक लम्बी घुमावदार सड़क फूलों की लतरों को पार करती हुई घर तक ले गयी। लूसी ने उस घर को हैरत से देखा जो अपने आप में एक छोटा मोटा विंडसर पैलेस लग रहा था। दरवाज़े के सामने पत्थर की सीढ़ियाँ थी जो रख रखाव की कमी के कारण बदरंग हो चुकी थीं।

उसने एक पुराने ढंग के जंग लगी कॉलबेल दबाई, और उसकी आवाज़ अन्‍दर गूँजने लगी। एक महिला ने अपने हाथ ऐप्रन से पोंछते हुए दरवाज़े को खोला और सन्देह से उसे देखने लगी।

‘तुम वही हो न,’ उसने कहा। ‘मुझे तुम्हारे बारे में उसने बता दिया था।’

‘बिलकुल वही,’ लूसी ने कहा।

घर अन्‍दर से बहुत ठण्डा था। जिसने घर का दरवाज़ा खोला था वह उसे एक अँधेरे हॉल में ले गयी और उसने दायीं तरफ़ का एक दरवाज़ा खोल दिया। लूसी को आश्चर्य हुआ क्योंकि वह काफ़ी अच्छी बैठक थी, किताबों और गद्देदार कुर्सियों वाली।

‘मैं उनको बता देती हूँ,’ उस औरत ने कहा और एक अजीब-सी नज़र से लूसी को देखते हुए उसने पीछे से दरवाज़ा बन्द कर दिया।

कुछ मिनट के बाद दरवाज़ा फिर से खुला। एक पल में ही लूसी ने तय कर लिया कि उसे एम्मा क्राइकेनथोर्प पसन्द है।

वह अधेड़ महिला थी जिसके नैन नक्श कुछ ख़ास नहीं थे, उसने ट्वीड और पुलोवर पहन रखा था, अपने गहरे बालों को उसने माथे से पीछे की तरफ़ कर रखा था, उसकी बादामी आँखें थी और बहुत मीठी आवाज़।

उसने कहा, ‘मिस आईलेसबरो?’ और अपने हाथ आगे बढ़ा दिये।

फिर उसने कुछ सन्देह से देखा।

‘मुझे अजीब लग रहा है,’ उसने कहा, ‘क्या तुम यही काम करना चाह रही थी? मुझे घर की देखभाल के लिए कोई नहीं चाहिए। मुझे तो काम करने वाली चाहिए।’

लूसी ने कहा कि ज़्यादातर लोग यही चाहते हैं।

एम्मा क्राइकेनथोर्प ने माफ़ी माँगने के अन्‍दाज़ में कहा :

‘कई लोग ये सोचते हैं कि थोड़ी बहुत झाड़-सफाई से काम चल जायेगा—लेकिन उतना काम तो मैं खुद भी कर सकती हूँ।’

‘मैं समझ गयी। आप चाहती हैं कि कोई खाना पकाना, बर्तन धोना, साफ़-सफाई जैसे काम करे। यही तो मैं करती हूँ। मुझे काम करने से डर नहीं लगता,’ लूसी ने कहा।

‘मैं तुमको बता दूँ कि यह एक बड़ा घर है, और थोड़ा अजीब-सा भी। हालाँकि हम इसके एक हिस्से में ही रहते हैं—मेरे पिता और मैं, बस। वे थोड़े अशक्त हैं। हम लोग बेहद ख़ामोशी से रहते हैं। मेरे कई भाई हैं, लेकिन वे कभी-कभार ही आते हैं। दो महिलायें आती हैं, सुबह के समय मिसेज़ किडर और मिसेज़ हार्ट सप्ताह में तीन दिन आती हैं पीतल के सामानों पर कलई चढ़ाने के लिए। तुम्हारे पास अपनी कार है?’

‘हाँ। यह बाहर खुले में रह सकती है।’

‘अरे नहीं यहाँ कई पुराने अस्तबल हैं। उसे रखने में कोई मुश्किल नहीं है।’ उसने एक मिनट के लिए कुछ सोचा फिर कहा, ‘आईलेसबरो—अजीब-सा नाम है। मेरे कुछ दोस्त किसी लूसी आईलेसबरो के बारे में बता रहे थे—केनेडी के परिवार में भी थी।’

‘हाँ, मैं उनके साथ उत्तरी देवन में थी जब श्रीमती केनेडी को बच्चा होने वाला था।’

‘मुझे पता है, वे कह रहे थे कि इतना अच्छा वक़्त उनके लिए कभी नहीं रहा जब तुम वहाँ थी, तुम हर चीज़ की देखभाल किया करती थी। लेकिन मेरा ख़्याल था कि तुम बहुत अधिक पैसे लेती हो। मैंने जो पैसे देने के लिए कहे थे—’

‘बिलकुल सही,’ लूसी ने जवाब दिया। ‘मैं ब्रैखेम्पटन के पास रहना चाहती थी। मेरी एक बूढ़ी बुआ हैं जिनकी हालत अच्छी नहीं है और मैं यह चाहती थी कि उनके आसपास रहूँ। इसलिए मैंने वेतन के ऊपर अधिक ध्यान नहीं दिया। बिना काम के रहना मेरे लिए सम्भव नहीं है। अगर यह पक्का हो कि मुझे हर दिन कुछ समय की छुट्टी मिल पायेगी?’

‘बिलकुल, हर दोपहर से शाम छह बजे तक, अगर तुम राजी हो तो?’

‘एकदम सही है।’

कुछ झिझकते हुए मिस क्राइकेनथोर्प ने कहा, ‘मेरे पिता बूढ़े हैं—और कभी-कभी सम्भाल में नहीं आते। वे पैसे के मामले में थोड़ा ध्यान रखने वाले हैं, और कई बार कुछ ऐसा कह जाते हैं जिससे लोगों को परेशानी हो जाती है, मैं नहीं चाहती—’

लूसी ने तुरन्त जवाब दिया :

‘मुझे बुजुर्गों के साथ काम करने की आदत है, हर तरह के,’ उसने कहा। ‘मैं उनके साथ हमेशा निभा लेती हूँ।’

एम्मा क्राइकेनथोर्प ने राहत महसूस किया।

‘आपके पिता को क्या समस्या है? मुझे लगता है कि उम्र के साथ उनमें चिड़चिड़ापन आ गया होगा,’ लूसी ने कहा।

वह लूसी को घर दिखाने लगी। वह बहुत बड़ा महल था। जब वे एक दरवाज़े के सामने से गुज़रे तो एक आवाज़ आयी :

‘एम्मा तुम हो? नयी लड़की आयी है? उसे अन्‍दर लेकर आओ। मैं उसको देखना चाहता हूँ।’

एम्मा शर्मा गयी। उसने माफी के अन्‍दाज़ से लूसी की तरफ़ देखा।

दोनों महिलाओं ने कमरे में प्रवेश किया। कमरे में काफ़ी अच्छी तरह से गद्दे लगाये गये थे, पतली खिड़कियों से हल्की-सी रोशनी आ रही थी, और उसमें विक्टोरियाई शैली के महोगनी के फर्नीचर लगे हुए थे।

बुजुर्ग मिस्टर क्राइकेनथोर्प एक टूटी हुई कुर्सी में पसरे हुए थे, बगल में चाँदी की मूठ वाली एक छड़ी रखी हुई थी।

वे एक विशालकाय आदमी थे और उनकी झुर्रियाँ लटकी हुई थीं। उनका चेहरा किसी बुलडॉग की तरह था, चिपकी हुई ठुड्डी, सिर में बाल घने और खिचड़ी; आँखें छोटी लेकिन शक़ से भरी हुई।

‘आओ लड़की, तुमको देख लूँ।’

लूसी शान्त और मुसकुराते हुए भाव से आगे बढ़ी।

‘एक बात तुमको अभी समझ में आ जानी चाहिए। हम बड़े घर में रहते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि हम अमीर हैं। हम अमीर नहीं हैं। हम साधारण तरीके से रहने वाले लोग हैं—समझी! इस बात को मत भूलना। मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहता। मैं यहाँ रहता हूँ क्योंकि मेरे पिता ने यह घर बनवाया था और मुझे यह पसन्द है। मेरे मरने के बाद अगर वे चाहें तो इसे बेच सकते हैं—और मैं चाहता हूँ कि वे ऐसा करें। इसमें परिवार का कोई भाव नहीं है। यह घर अच्छी तरह बना है—मज़बूत है, और इसके आसपास हमारी अपनी ज़मीन है। जो हमें सबसे अलग बनाये रखता है। अगर ज़मीन बेच दें तो काफ़ी पैसा आयेगा लेकिन तब तक नहीं जब तक कि मैं ज़िन्‍दा हूँ। तुम तब तक मुझे यहाँ से नहीं निकाल सकती हो जब तक कि मैं मर नहीं जाता।’

उसने लूसी की तरफ़ घूरा।

‘आपका घर किला है,’ लूसी ने कहा।

‘मेरे ऊपर हँस रही हो?'

‘बिलकुल नहीं। मुझे लगता है कि इस तरह शहरों से घिरे गाँव में घर होना बहुत रोमांचक होता है।’

‘एकदम। यहाँ से कोई और घर नहीं देख सकते, क्या तुम देख सकती हो? खेत में चरती गायें—ब्रैखेम्पटन के एकदम बीच में। जब इस तरफ़ की हवा चलती है तो ट्रैफिक की आवाज़ सुनाई देती है—लेकिन उसके अलावा यह अभी भी गाँव है।’

उसने बिना लहजा बदले अपनी बेटी से कहा :

‘डॉक्टर को फ़ोन मिलाओ। उससे कहो कि पिछली दवाई किसी काम की नहीं थी।’

लूसी और एम्मा वहाँ से चले गये। वह आदमी उनके ऊपर चिल्लाया :

‘और उस औरत को यहाँ धूल झाड़ने के लिए मत भेजना। उसने मेरी सारी किताबें इधर-उधर कर दीं।’

लूसी ने पूछा :

‘क्या मिस्टर क्राइकेनथोर्प बहुत दिनों से अशक्त हैं?’

एम्मा ने कुछ टालने वाले अन्‍दाज़ में कहा :

‘ओह, सालों से—यह रसोई है।’

रसोई बहुत बड़ी थी। रसोई का बहुत सारा समान वहाँ यूँ ही पड़ा था।

लूसी ने खाने के समय के बारे में पूछा और भण्डार को देखने लगी। फिर उसने खुश होकर एम्मा से कहा, ‘अब मुझे सब कुछ पता चल गया। परेशान मत होइये। सब मेरे ऊपर छोड़ दीजिये।’

एम्मा निश्चिन्त होकर उस रात सोने चली गयी।

‘केनेडी परिवार का कहना सही था,’ उसने कहा। ‘यह तो कमाल है।’

अगले दिन लूसी सुबह छह बजे उठी। उसने घर ठीक किया, सब्जी तैयार की, उनको एक साथ जुटाया, पकाकर नाश्ता परोसा, फिर मिसेज़ किडर के साथ उसने घर के बिस्तर ठीक किये और क़रीब 11 बजे वे रसोई में बिस्कुट के साथ कड़क चाय पीने के लिए बैठ गये। इस बात को समझते हुए कि लूसी को अपने बारे में कोई गुमान नहीं है, साथ ही चाय की मिठास और ताकत के कारण मिसेज़ किडर गप्पें मारने लगीं, वह एक छोटी-सी महिला थी जिनकी आँखें तेज़ थी और होंठ जकड़े हुए।

‘बड़ा पुराना कंजूस है। लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि इस औरत की हालत ख़राब है। जब ज़रूरी होता है तब अपनी बात रखवा लेती है। जब सज्‍जन लोग नीचे आते तो यह ध्यान रखती थी कि कुछ बढ़िया खाने के लिए हो।’

‘सज्‍जन लोग?’

‘हाँ, यह परिवार बड़ा था। सबसे बड़े मिस्टर एडमण्ड लड़ाई में मारे गये। फिर मिस्टर सेडरिक हैं, जो कहीं विदेश में रहते हैं। उनकी शादी नहीं हुई है। बाहर के मुल्क में चित्र बनाते हैं। मिस्टर हैरोड हैं, जो लन्दन में रहते हैं—एक अर्ल की बेटी से उनकी शादी हुई। फिर मिस्टर अल्फ्रेड हैं, उनका अच्छा चल रहा है। लेकिन वे कुछ ग़लत काम करते हैं, एकाध बार मुश्किल में भी फँस चुके हैं—और फिर मिस एडिथ के पति हैं, मिस्टर बारन, हमेशा बहुत अच्छे बने रहने वाले। उनकी कुछ साल पहले मौत हो गयी, लेकिन वे हमेशा परिवार की तरह ही रहे। फिर मास्टर अलेक्ज़ेंडर है, मिस एडिथ का छोटा बेटा। वह स्कूल में है, छुट्टियों में यहाँ आता है; मिस एम्मा उसे बुरी तरह से डाँटती हैं।’

लूसी बातें सुनती रही, बताने वाले को चाय पिलाती रही। आख़िरकार, मिसेज़ किडर खड़ी हुई।

‘ऐसा लगता है आज सुबह हम लोगों का भोज हो गया’ उसने कुछ आश्चर्य से कहा। ‘तुम चाहती हो कि आलू बनाने में मैं तुम्हारी मदद करूँ?’

‘सब तैयार है।’

‘अच्छा तुम सारे काम कर ले रही हो। मुझे भी अपने काम करने चाहिए वैसे अब ज़्यादा कुछ करने को है नहीं।’

मिसेज़ किडर चली गयी, लूसी के पास समय था इसलिए वह रसोई की टेबल को साफ़ करना चाहती थी, लेकिन उसने किया नहीं क्योंकि वह नहीं चाहती थी मिसेज़ किडर को बुरा लगे क्योंकि वह उनका काम था। फिर उसने चाँदी को साफ़ करके चमका दिया। उसने खाना पकाया, उसे साफ़ किया, और क़रीब ढाई बजे वहाँ से जाने के लिए तैयार हो गयी।

उसने चाय का सामान तैयार कर दिया, सैंडविच, ब्रेड, मक्खन को एक गीले कपड़े से ढँक दिया ताकि उसमें नमी बनी रहे।

वह बगीचे में टहलने लगी जो कि एक सामान्य-सी बात थी। किचन गार्डेन अच्छी तरह से उगाया गया था, उसमें कुछ सब्जियाँ भी उगी हुई थीं। गरम घर खण्डहर बन चुका था, रास्तों में हर जगह घास उगी हुई थी। घर के सामने उगी हुई कुछ शाखें ही ऐसी थीं जिनको देखकर लूसी को शक़ हुआ कि यह एम्मा ने किया हो शायद। माली बेहद बूढ़ा था, थोड़ा बहरा भी था, और उसको देखकर लग रहा था कि वह महज़ दिखाने के लिए काम कर रहा था। लूसी ने उससे सहजता से बात की। वह एक बड़े अस्तबल के पास एक झोंपड़ी में रहता था। अस्तबल से बाहर की तरफ़ का रास्ता एक बाड़े की तरफ़ जाता जिसे दोनों तरफ़ से घेरा गया था, और रेलवे के मेहराब के नीचे एक छोटी-सी गली थी।

हर कुछ मिनट पर कोई ट्रेन उस मेहराब या खम्भे के ऊपर बनी लाइन से गुज़रती थी। लूसी ने ट्रेन को देखा जिस तरह से तेज़ मोड़ के पास आकर उनकी रफ़्तार धीमी हो जाती थी, जो कि क्राइकेनथोर्प की सम्पत्ति के चारों ओर से बनी हुई थी। वह रेलवे के उस खम्भे के नीचे से होती हुई गली में आ गयी। उसको देखकर लगता था कि आने-जाने के लिए उसका इस्तेमाल कम ही होता था। एक तरफ़ रेलवे का बाँध था, उसके दूसरी तरफ़ एक ऊँची दीवार थी जिसके अन्‍दर कोई कारख़ाना था। लूसी उस गली में चलते-चलते छोटे-छोटे घरों वाली एक सड़क पर निकल आयी। उसे कुछ दूरी पर ट्रैफिक का शोर सुनाई देने लगा। उसने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा। पास के एक घर से एक औरत निकल कर आयी और लूसी ने उसको रोक दिया।

‘कृपया मुझे यह बताइये कि क्या यहाँ कोई फ़ोन बूथ है?’

‘सड़क के किनारे डाकघर है।’

लूसी ने उसे धन्यवाद कहा और चलती हुई डाकघर के पास आ गयी, जिसमें एक दुकान और डाकघर दोनों थे। एक तरफ टेलीफ़ोन का बक्सा रखा हुआ था। लूसी ने वहाँ जाकर फ़ोन मिलाया। उसने कहा कि उसे मिस मार्पल से बात करनी है। एक महिला की आवाज़ दूसरी तरफ़ से चीखी। ‘वह आराम कर रही हैं। मैं उनको परेशान नहीं कर सकती! उनको आराम की ज़रूरत है—वह एक बूढ़ी औरत हैं। मैं क्या कहूँ कि किसने फ़ोन किया था?’

‘मिस आईलेसबरो। उनको परेशान करने की कोई ज़रूरत नहीं है। सिर्फ़ उनको यह बता दीजियेगा कि मैं यहाँ आ चुकी हूँ और सब कुछ ठीक चल रहा है और यह कि जब मेरे पास कुछ बताने को होगा तो उनको बता दूँगी।’

उसने फ़ोन रखा और रदरफोर्ड हॉल वापस जाने के लिए चल पड़ी।