मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा, ‘बात की गम्भीरता को समझो? यह हत्या थी!’
वह मिस मार्पल पर ग़ुस्से में लग रही थी और मिस मार्पल ने उसकी तरफ़ मुड़ कर देखा।
‘तुम भी कहो जेन, कि यह सब ग़लत था! यह कहो कि मैंने यह इस सबकी कल्पना की थी! तुम आजकल यही सोचती हो न, नहीं?’ मिसेज़ मैकगिलीकडी बोली।
‘किसी से भी ग़लती हो सकती है,’ मिस मार्पल ने बड़े सहज भाव से ध्यान दिलाया। ‘कोई भी एल्स्पेथ—तुम भी। मुझे लगता है हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए। लेकिन मुझे अब भी लगता है कि शायद तुमसे ग़लती नहीं हुई थी—तुम पढ़ने के लिए चश्मा लगाती हो लेकिन तुम्हारी दूर की नज़र बहुत तेज़ है—और तुम जो भी देखती हो उसे बहुत अच्छी तरह देख लेती हो। तुम जब यहाँ आयी थीं तब सदमे में दिखाई दे रही थीं।’
‘यह एक ऐसी चीज़ है जिसे मैं कभी भी नहीं भूल सकती,’ मिसेज़ मैकगिलीकडी ने काँपते हुए कहा। ‘मुश्किल यह है कि मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि मैं इसके बारे में क्या कर सकती हूँ!’
‘मुझे नहीं लगता है कि इसके बारे में तुम और भी कुछ कर सकती हो,’ मिस मार्पल ने कुछ सोचते हुए कहा। ‘तुमने जो देखा उसके बारे में बता दिया—रेलवे वालों को और पुलिस को भी। अब इससे ज़्यादा तुम क्या कर सकती हो।’
‘यह एक तरह से राहत की बात है,’ मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा, ‘क्योंकि मैं क्रिसमस के तत्काल बाद सीलोन जा रही हूँ—रोड्रिक के साथ रहने के लिए, और मैं यह नहीं चाहती कि इस सफ़र को टालना पड़े—मुझे इसका बड़ी शिद्दत से इन्तज़ार है। लेकिन ज़ाहिर है, मैं इसे टाल देती अगर मुझे लगा होता कि यह मेरा कर्तव्य है,’ उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा।
‘मुझे पता है तुम टाल दोगी, एल्स्पेथ, लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि तुमने हरसम्भव कोशिश की।’
‘यह पुलिस के ऊपर है,’ मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा। ‘और पुलिस बेवकूफ़ बने रहना चाहती है—’
मिस मार्पल ने असहमति में गर्दन हिलाई।
‘नहीं,’ उन्होंने कहा। ‘पुलिस बेवकूफ़ नहीं है। और इससे यह मज़ेदार हो जाता है, नहीं?’
मिसेज़ मैकगिलीकडी ने उनकी तरफ़ देखा और मिस मार्पल ने अपनी दोस्त के निर्णय की एक बार फिर तारीफ़ की कि वह बहुत सिद्धान्तवादी है।
‘कोई यह जानना चाहता है,’ मिस मार्पल ने कहा, ‘सचमुच हुआ क्या था।’
‘उसकी हत्या हुई थी?’
‘ठीक है, लेकिन किसने उसे मारा, और क्यों, और उसकी लाश का क्या हुआ? वह अभी कहाँ है?’
‘इसके बारे में पता करने का काम पुलिस का है।’
‘एकदम सही—और उनको पता नहीं चला। इससे पता चलता है कि वह आदमी बहुत चालाक था—बहुत ही चालाक। मैं कल्पना नहीं कर सकती,’ मिस मार्पल ने भौंहें चढ़ाते हुए कहा, ‘उसने लाश को किस तरह ठिकाने लगाया—आपने ग़ुस्से में एक औरत का ख़ून कर दिया—यह ज़रूर पहले से सोची समझी योजना नहीं रही होगी, आप कभी किसी औरत को इस तरह के हालात में नहीं मारते, वह भी तब जब कुछ ही मिनटों में ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर पहुँचने वाली हो। नहीं, ज़रूर कोई झगड़ा हुआ होगा—ईर्ष्या—कुछ इसी तरह का। आप उसका गला घोंट देते हैं, अपने हाथ में एक लाश लिए हुए होते हैं, वह भी तब जब ट्रेन एक स्टेशन पर पहुँचने वाली हो। आप क्या कर सकते हैं सिवाय इसके कि, एक कोने में लाश को ऐसे बैठा दें जैसे कि वह सो रही हो, उसका मुँह छिपाकर, फिर जितनी जल्दी सम्भव हो ट्रेन से उतर जायें। मैं इसके पीछे और किसी तरह की सम्भावना नहीं देखती—लेकिन कोई सम्भावना ज़रूर रही होगी।’
मिस मार्पल सोच में डूब गयी।
मिसेज़ मैकगिलीकडी ने दो बार कहा, तब जाकर मिस मार्पल ने जवाब दिया।
‘तुम बहरी तो नहीं हो गयी हो जेन।’
‘शायद थोड़ी-सी, मुझे लोगों की बातें उतनी साफ़ तरीके से सुनाई नहीं देतीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने आपको सुना नहीं। मुझे लग रहा है कि मेरा ध्यान कहीं और था।’
‘मैंने कल लन्दन जाने वाली ट्रेनों के बारे में पता किया है। क्या दोपहर का वक़्त सही रहेगा? मैं मारग्रेट के पास जा रही हूँ और वह चाय से पहले मेरे आने की उम्मीद नहीं करेगी।’
‘मैं सोचती हूँ एल्स्पेथ कि क्या तुम 12:15 बजे जा सकोगी? हम दिन का खाना जल्दी खा लेंगे।’
‘बिलकुल ठीक है—’ मिस मार्पल ने अपनी दोस्त की बात को आगे बढ़ाना शुरू किया :
‘और मुझे यह भी लग रहा है, कि अगर तुम चाय के वक़्त तक नहीं पहुँचीं तो मारग्रेट को बुरा तो नहीं लगेगा—अगर तुम सात बजे के आसपास पहुँचो तो?’
मिसेज़ मैकगिलीकडी अपनी दोस्त को थोड़ी उत्सुकता के साथ देखने लगी।
‘तुम्हारे दिमाग़ में चल क्या रहा है जेन?’
‘मैं यह सोच रही हूँ कि मुझे तुम्हारे साथ लन्दन चलना चाहिए, और फिर वहाँ से हम दोनों को ब्रैखेम्प्टन तक ट्रेन से जाना चाहिए, जिस तरह तुम उस दिन गयी थीं। तुम वहाँ से लन्दन लौट जाना और मैं यहाँ वापस आ जाऊँगी। किराया मैं दे दूँगी,’ मिस मार्पल ने इस बात पर ज़ोर देकर कहा।
मिसेज़ मैकगिलीकडी ने किराये वाली इस बात को नज़रअन्दाज़ कर दिया।
‘तुमको क्या लगता है जेन?’ उन्होंने पूछा। ‘एक और ख़ून?’
‘बिलकुल नहीं,’ मिस मार्पल ने कुछ चौंकते हुए कहा। ‘मैं अपनी आँखों से तुम्हारे साथ जाकर वह जगह देखना चाहती हूँ जहाँ ख़ून हुआ।’
ठीक इसी तरह अगले दिन मिस मार्पल और मिसेज़ मैकगिलीकडी ने पहले दर्जे के एक कूपे में एक-दूसरे के आमने-सामने वाली पैडिंगटन से 4:50 लन्दन की ट्रेन में थीं। पिछले शुक्रवार के मुक़ाबले पैडिंगटन में अधिक भीड़ थी—अब क्रिसमस में सिर्फ़ दो दिन ही रह गये थे, लेकिन 4:50 में थोड़ी शान्ति थी।
इस बार उस ट्रेन के साथ कोई और ट्रेन नहीं दौड़ रही थी, बीच-बीच में लन्दन जाने वाली ट्रेन सामने से तेज़ी से गुज़र जाती थी। दो बार ऐसा हुआ कि दूसरी तरफ़ से आती ट्रेन तेज़ी से उनके सामने से गुज़र गयी। बीच-बीच में मिसेज़ मैकगिलीकडी कुछ शंका से अपनी घड़ी की तरफ़ देखती थी।
‘यह कहना मुश्किल है कि हम उस स्टेशन पर कब पहुँचेंगे जिसे मैं जानती हूँ—’ लेकिन वे एक के बाद दूसरे स्टेशन से गुज़रते जा रहे थे।
‘हम लोग पाँच मिनट में ब्रैखेम्प्टन पहुँचने वाले हैं,’ मिस मार्पल ने कहा।
दरवाज़े के पास एक टिकट कलक्टर आया। मिस मार्पल ने उसकी तरफ़ सवालिया निगाहों से देखा। मिसेज़ मैकगिलीकडी ने अपनी गर्दन हिलायी। यह वह टिकट कलक्टर नहीं था। उसने उनका टिकट चेक किया।
‘मुझे लगता है कि हम ब्रैखेम्प्टन आने वाले हैं,’ मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा।
‘मुझे लगता है, हम बाहर की तरफ़ आ गये हैं,’ मिस मार्पल ने कहा।
बाहर रोशनी चमक रही थी, बिल्डिंगें, बीच-बीच में सड़क और ट्राम की झलक भी दिखाई दे जाती थी। ट्रेन की रफ़्तार और कम हो गयी थी।
‘हम वहाँ एक मिनट में पहुँच जायेंगे,’ मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा। ‘और मुझे नहीं लगता कि इस सफ़र का कोई फ़ायदा भी हुआ। क्या इससे तुमको याद आया, जेन?’
‘नहीं,’ मिस मार्पल ने थोड़ी शंका के साथ कहा।
‘पैसे की बरबादी,’ मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा, लेकिन उस तरह से नहीं जैसे वह अपने सफ़र का किराया खुद चुका रही हों। मिस मार्पल किराये की बात पर बिलकुल अड़ गयी थीं।
‘कोई बात नहीं,’ मिस मार्पल ने कहा, ‘मैं अपनी आँखों से वह जगह देखना चाहती थी जहाँ यह सब हुआ था। यह ट्रेन कुछ मिनट देरी से चल रही है। क्या शुक्रवार को तुम्हारी ट्रेन समय पर थी?’
‘मुझे लगता है। मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था।’
ट्रेन धीरे-धीरे ब्रैखेम्पटन स्टेशन पर रुक गयी। लाउडस्पीकर पर उद््घोषणा होने लगी, दरवाज़े खुल रहे थे, बन्द हो रहे थे, लोग आ जा रहे थे और बाहर प्लेटफॉर्म की भीड़ में खो जा रहे थे। ख़ूब भीड़भाड़ थी।
बहुत आसानी से हत्यारा इस भीड़ में गायब हो सकता है, या किसी और ट्रेन में बैठकर अपने मक़ाम की तरफ़ जा सकता है। यह किसी पुरुष यात्री के लिए बहुत आसान बात हो सकती है। लेकिन कोई लाश हवा में गायब हो जाये यह नहीं हो सकता है। लाश तो कहीं होनी चाहिए, मिस मार्पल ने सोचा।
मिसेज़ मैकगिलीकडी उतर गयी। उन्होंने बाहर प्लेटफॉर्म पर खुली हुई खिड़की के पास जाकर बात शुरू की।
‘अपना ध्यान रखना, जेन,’ उन्होंने कहा। ‘ठण्ड से बचकर रहना। यह साल का सबसे ख़तरनाक समय है, और तुम्हारी उम्र भी अब उतनी कम नहीं रह गयी है।’
‘मुझे पता है,’ मिस मार्पल ने कहा।
‘और अब हमें इस बात को लेकर उतना परेशान होने की ज़रूरत भी नहीं है। हम जो कर सकते थे, हमने किया।’
मिस मार्पल ने सिर हिलाया और कहा :
‘ठण्ड में खड़ी मत रहो, एल्स्पेथ। नहीं तो तुमको ठण्ड ज़रूर लग जायेगी। बाहर रेस्तरां में जाकर एक कप गरम चाय और कॉफी पी लो। तुम्हारे पास समय है, 12 मिनट में तुम्हारी ट्रेन शहर से आयेगी।’
‘मैं ले लूँगी। अच्छा बाय जेन।’
‘बाय एल्स्पेथ। तुमको क्रिसमस मुबारक हो। मुझे उम्मीद है कि तुम मारग्रेट से अच्छी तरह मिलोगी। और सीलोन में जाकर ख़ूब मजे करना—रोड्रिक्स को मेरा ख़ूब सारा प्यार देना—अगर उसे मेरी याद हो तो, जिसमें मुझे वैसे शक़ है।’
‘बिलकुल उसे तुम्हारी याद है—अच्छी तरह। तुमने उसकी कई तरह से मदद की है। जब वह स्कूल में था तो तुमने उसकी मदद की थी—लॉकर से पैसे गायब हो गये थे—वह इस बात को कभी नहीं भूला।’
‘ओ अच्छा!’ मिस मार्पल ने कहा।
मिसेज़ मैकगिलीकडी मुड़ गयी, गाड़ी की सीटी बज उठी, ट्रेन चलने लगी। मिस मार्पल गोल मटोल शरीर वाली अपनी दोस्त को जाते हुए देखती रही। एल्स्पेथ अब साफ़ मन से सीलोन जा सकती थीं—उन्होंने अपना कर्तव्य पूरा कर लिया था।
जब ट्रेन रफ़्तार में आ गयी तो मिस मार्पल पीछे टिककर नहीं बैठीं। बल्कि वह आगे होकर तन कर बैठ गयीं और बड़ी गम्भीरता से कुछ सोचने लगीं। हालाँकि बोलने में मिस मार्पल भले कुछ उलझन में लगती हों लेकिन अपने दिमाग़ में वह पूरी तरह से स्पष्ट थीं। उनको एक समस्या सुलझानी थी, और अजीब बात यह थी कि इसने मिसेज़ मैकगिलीकडी की तरह उन्हें भी अपने कर्तव्य के भाव से भर दिया।
मिसेज़ मैकगिलीकडी ने कहा था कि उनसे जो कुछ हो सकता था उन्होंने किया। मिसेज़ मैकगिलीकडी के लिए तो यह बात सच हो सकती थी लेकिन मिस मार्पल को ऐसा नहीं लगता था।
यह एक ऐसा सवाल था जो उनके अपने ख़ास हुनर के इस्तेमाल को लेकर था—लेकिन वह शायद अहंकार था—आख़िरकार, उन्होंने क्या किया? उनकी दोस्त की आवाज़ उन तक गूँजती हुई पहुँच रही थी, ‘तुम्हारी उम्र अब उतनी कम नहीं रह गयी है।’
बिना किसी उत्साह के, उन्होंने इस तरह से योजना बनायी जैसे कोई किसी अभियान या काम शुरू करने से पहले बनाता है। मिस मार्पल ने अपने दिमाग़ में उस काम के पक्ष और विपक्ष के पहलुओं को लिख लिया। पक्ष में इस तरह की बातें लिखी गयी थीं :
1. इंसान के स्वभाव का लम्बा अनुभव
2. सर हेनरी क्लिथेरिंग और उनका दत्तक पुत्र (जो अब शायद स्कॉटलैंड यार्ड में है), जिसने पैडोक के मामले में बहुत अच्छी तरह से काम किया था।
3. मेरे भतीजे रेमण्ड का दूसरा लड़का, डेविड, जो कि मुझे पक्का यकीन है कि ब्रिटिश रेलवे के मामले में बहुत जानकार है।
4. ग्रिसेल्दा का बेटा लियोनार्ड जिसे नक्शों के बारे में ख़ूब जानकारी थी।
मिस मार्पल ने इन पहलुओं के ऊपर सोचा और फिर फ़ैसला ले लिया। ये सब बेहद ज़रूरी थे, जो कमज़ोर पहलू थे उनको दूर करने के लिहाज़ से—ख़ासकर इसलिए क्योंकि वे शारीरिक रूप से कमज़ोर थीं।
‘इस कारण यह सम्भव नहीं था कि वे इधर-उधर हर कहीं जाकर पूछताछ कर सकें,’ मिस मार्पल ने सोचा।
यही सबसे बड़ी कमज़ोरी थी, उनकी अपनी उम्र और शारीरिक कमज़ोरी। वैसे उनकी उम्र के लिहाज़ से उनका स्वास्थ्य ठीक था लेकिन उनकी उम्र बहुत हो चुकी थी। और डॉ. हेडौक ने जब उनको बागवानी करने से मना कर रखा था तो ऐसे में यह मुमकिन नहीं था कि वे उनको इस बात की इजाज़त देते कि वे जायें और एक ख़ूनी का पीछा करें। जबकि वह यही करने की योजना बना रही थीं—और यही उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी। वैसे भी इस ख़ून की जाँच उनके ऊपर एक तरह से थोप दी गयी थी, कह सकते हैं कि उन्होंने खुद आगे बढ़कर यह जाँच करने का फ़ैसला किया था, और वह इस बात को लेकर पक्के तौर पर यह तय नहीं कर पा रही थीं कि वह इस काम को करना चाहती थीं—वह बूढ़ी हो चुकी थीं, बूढ़ी और थकी हुई। इस समय एक थके हुए दिन के आखिर में किसी नये काम को शुरू करने के ख़याल में नहीं थीं। वह इस समय इससे अधिक कुछ भी नहीं चाहती थीं कि घर में आग के सामने बैठकर रात का खाना खायें, और सो जायें, अगले दिन उठकर अपने बगान में थोड़ा बहुत काम करें, बिना झुके, बिना खुद को थकाये।
‘मैं अब इस तरह के ख़तरनाक काम के लिहाज़ से बहुत बूढ़ी हो चुकी हूँ,’ मिस मार्पल ने खिड़की से बाहर आकाश में बादलों को देखते हुए खुद को कहा।
एक मोड़—
कुछ हल्का-सा उनके दिमाग़ में कौंधा—ठीक उसके बाद जब टिकट कलक्टर ने उनका टिकट जाँच लिया था—
इससे उनके दिमाग़ में एक ख़याल आया, सिर्फ़ ख़याल। एकदम अलग तरह का ख़याल—
उनके चेहरे पर हल्की-सी चमक आयी। अचानक उनको ऐसा लगा जैसे किसी तरह की थकान नहीं थी।
अचानक उनको एक और मूल्यवान सूझ आयी।
‘बिलकुल। मेरा विश्वासी फ्लोरेन्स!’
II
उन्होंने अच्छी तरह अपनी योजना तैयार की जिसमें क्रिसमस के लिए कुछ छूट भी दी, जो ज़ाहिर तौर पर एक ध्यान बँटाने वाला समय था।
उन्होंने अपने पोते डेविड वेस्ट को लिखा, क्रिसमस की शुभकामनाएँ देते हुए उन्होंने उसे तुरन्त सूचना देने के लिए भी लिखा।
सौभाग्य से पिछले सालों की तरह इस बार भी उनको क्रिसमस डिनर के लिए आमन्त्रित किया गया था, यहाँ उन्होंने लियोनार्ड को नक्शे के सम्बन्ध में जानकारी के लिए घर बुलाया।
लियोनार्ड की हर तरह के नक्शे में रुचि थी। इस बात से उसको किसी तरह का सन्देह नहीं हुआ कि क्यों वह एक ख़ास इलाके के नक्शे के बारे में उससे इस क़दर पूछताछ कर रही थीं। उसने बड़े ध्यान से नक्शे के बारे में बताया और उनको यह भी लिखकर दिया कि इस काम के लिए सबसे अच्छा क्या रहेगा। वास्तव में, उसने इसे बेहतर कर दिया। उसको अपने संग्रह में वैसा एक नक्शा मिल भी गया, और उसने वह नक्शा उनको दे भी दिया, मिस मार्पल ने उससे यह वादा किया कि वह इस नक्शे को बेहद सम्भालकर रखेंगी और काम हो जाने के बाद उसको लौटा भी देंगी।
III
‘नक्शा’ उसकी माँ ग्रिसेल्दा ने आश्चर्य से पूछा। ‘उनको नक्शे किसलिए चाहिए?’
‘पता नहीं,’ युवा लियोनार्ड ने कहा। ‘मुझे उन्होंने इसके बारे में कुछ बताया नहीं।’
‘मुझे हैरत हो रही है,’ ग्रिसेल्दा ने कहा। ‘मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है—उनकी उम्र में आकर लोग इस तरह के काम छोड़ दिया करते हैं।’लियोनार्ड ने पूछा कि किस तरह के काम, और उसने विस्तार से बताना शुरू कर दिया।
‘ओह, हर काम में नाक घुसाना। नक्शा क्यों, मुझे आश्चर्य हो रहा है?’
इस बीच मिस मार्पल को अपने पोते डेविड वेस्ट का ख़त मिला। उसने बड़े प्यार से लिखा था :
‘प्यारी दादी जेन,—अब क्या हो गया? आपने जो सूचनाएँ माँगी थीं, मैंने जुटा ली हैं। केवल दो ट्रेन उस दौरान गुज़रती हैं—4:33 और 5 बजे। पहली वाली ट्रेन कम रफ़्तार से चलती है जो हेलिंग ब्रॉडवे, बरवेल, ब्रैखेम्प्टन और फिर मार्केट बेसिंग में रुकती है। जबकि 5 बजे वाली वेल्श एक्सप्रेस है जो कार्डिफ, न्यूपोर्ट और स्वानसी जाती है। पहली वाली ट्रेन ने क़रीब 4:50 बजे उस ट्रेन को पार किया होगा, क्योंकि वह ब्रैखेम्पटन में कुछ मिनट पहले पहुँचती है।
क्या इसके पीछे किसी तरह का स्कैंडल है? क्या आप 4:50 से ख़रीदारी करके लौट रही थीं और आपने देखा कि मेयर की पत्नी सफाई इंस्पेक्टर के गले लग रही है? लेकिन इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि कौन-सी ट्रेन थी? पुलोवर के लिए शुक्रिया। आपका बगीचा कैसा है? मैं समझ सकता हूँ कि आप साल के इस समय उतनी सक्रिय नहीं होंगी।
हमेशा आपका,
डेविड।
मिस मार्पल थोड़ा-सा मुस्कुराईं, और फिर उन्होंने उस सूचना के बारे में सोचा जो कि उन्हें दी गयी थी। मिसेज़ मैकगिलीकडी ने साफ़ तौर पर कहा था कि उस कूपे में गलियारा नहीं था। इसलिए वह स्वानसी एक्सप्रेस नहीं हो सकती। इसका मतलब है कि वह 4:33 की ट्रेन हो सकती थी।
कुछ और यात्राओं को रोका नहीं जा सकता था। मिस मार्पल ने उबासी ली, लेकिन अपनी योजना भी बना ली।
इस बार वह लन्दन पहले की तरह ही 12:15 से गयीं, लेकिन इस बार वह 4:50 से नहीं आयीं बल्कि ब्रैखेम्पटन तक उन्होंने 4:33 से सफ़र किया। यात्रा आम रही, लेकिन उन्होंने कुछ चीज़ों को दर्ज किया। ट्रेन में अधिक भीड़ नहीं थी—क्योंकि वह शाम की भीड़-भाड़ वाले समय से ठीक पहले की ट्रेन थी। पहले दर्जे के कूपों में से महज़ एक ही भरा हुआ था—एक बेहद बूढ़ा आदमी न्यू स्टेट्समैन पढ़ रहा था। मिस मार्पल ने एक खाली कूपे में सफ़र किया और दो स्टेशनों, हेलिंग ब्रॉडवे तथा बरवेल हीथ पर उन्होंने खिड़की से बाहर सिर निकालकर ट्रेन में आने-जाने वाले यात्रियों पर नज़र दौड़ायी। हेलिंग ब्रॉडवे पर तीसरे दर्जे में कुछ यात्री चढ़ गये। बरवेल हीथ पर तीसरे दर्जे के कुछ यात्री उतरे। सिवाय उस बूढ़े आदमी के पहले दर्जे के डिब्बे में न कोई यात्री चढ़ा न ही उतरा।
जब ट्रेन ब्रैखेम्पटन के पास पहुँची और उसके लिए मुड़ने लगी तो मिस मार्पल अपने पैरों पर खड़ी होकर उस खिड़की के पास जाकर खड़ी हुई जिसके ऊपर उन्होंने पर्दा गिरा रखा था।
उन्होंने यह देखने का फ़ैसला किया कि जब ट्रेन वहाँ मुड़ती है और उसकी रफ़्तार में कमी आती है तो क्या खिड़की के पास किसी का सन्तुलन बिगड़ सकता है और जिसके कारण क्या उसका पर्दा उठ सकता है? उन्होंने रात को देखा। वह उस दिन के मुक़ाबले हल्की थी जिस रात मिसेज़ मैकगिलीकडी ने सफ़र किया था—केवल अँधेरा था, इसलिए कुछ दिखा नहीं। देखने के लिए उनको दिन में सफ़र करना चाहिए।
अगले दिन वह सुबह के ट्रेन से गयी। तकिये के चार खोल खरीदे ताकि अपनी जाँच और घर के ज़रूरी सामानों की खरीद से जोड़ सकें, और जिस ट्रेन से लौटीं वह पेडिंग्टन से 12:15 बजे छूटती थी। इस बार भी वह पहले दर्जे के कूपे में अकेली थीं। उन्होंने सोचा कि भीड़-भाड़ के समय में व्यापारियों को छोड़कर पहले दर्जे में कोई भी सफ़र नहीं करता है, क्योंकि वे खर्चे दिखाकर टैक्स बचा सकते हैं।
ट्रेन के ब्रैखेम्पटन पहुँचने में जब 15 मिनट बाकी थे तो मिस मार्पल ने नक्शा निकाला और वहाँ के गाँवों के बारे में अध्ययन करने लगीं। उन्होंने नक्शे को बहुत ध्यान से पढ़ा और बीच से गुज़रने वाले स्टेशनों के नाम सावधानी से लिख लिये, और उनको जल्दी ही वह जगह समझ में आ गयी जहाँ से ट्रेन मुड़ती थी। वह सच में बहुत जाना-पहचाना मोड़ था। मिस मार्पल ने खिड़की से नाक लगाकर अपने नीचे की धरती के बारे में अध्ययन करना शुरू किया। जब तक ट्रेन ब्रैखेम्पटन पहुँची तब तक वह बाहर और नक्शे को देखकर मिलान करती रहीं।
उस रात उन्होंने ब्रैखेम्पटन की मिस फ्लोरेन्स हिल के नाम चिट्ठी लिखी, जो 4 मेडिसन रोड पर रहती थी। अगले दिन लाइब्रेरी में जाकर उन्होंने ब्रैखेम्पटन की डायरेक्टरी, वहाँ के गैज़ेट, और गाँव के इतिहास के बारे में जानकारी जुटाई।
जो धुँधला-सा ख़याल उनके दिमाग़ में आया था उससे अलग उनको कुछ भी नहीं पता चला। जो उन्होंने सोचा था वह सम्भव था और वह उससे आगे नहीं जाना चाहती थी।
लेकिन इसके बाद का जो क़दम था उसके लिए काम करने की ज़रूरत थी—काफ़ी काम करने की ज़रूरत थी—ऐसा काम, जिसके लिहाज से उनका शरीर तैयार नहीं था। उनकी बात सही या ग़लत साबित होती लेकिन इससे पहले उनको और भी कुछ स्रोतों से मदद लेने की ज़रूरत थी। सवाल यह था कि कौन? मिस मार्पल ने कई नामों के बारे में सोचा लेकिन गर्दन हिलाकर खुद ही उनको ख़ारिज कर दिया। जिन होशियार लोगों की होशियारी के ऊपर वह भरोसा कर सकती थीं वे सभी बहुत व्यस्त थे। उन सभी के हाथों में महत्वपूर्ण काम थे और उनके लिए खाली वक़्त निकाल पाना बहुत मुश्किल था। जिन लोगों के पास समय था उनके बारे में मिस मार्पल का विचार था कि वे किसी काम के नहीं थे।
वे उलझन को सुलझाने की उधेड़बुन में लगी रहीं, सोचती रहीं। अचानक उनके दिमाग़ में एक नाम आया।
‘बिलकुल,’ मिस मार्पल ने कहा। ‘लूसी आईलेसबरो!’
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