क्रैडोक को कुछ मिनट के लिए इन्तज़ार करना पड़ा जबकि उस बीच क्विम्पर ने ऑपरेशन ख़त्म कर लिया, उसके बाद डॉक्टर उसके पास आये। वे थके हुए और उदास लग रहे थे।
उन्होंने क्रैडोक से कुछ पीने के लिए पूछा और जब उसने हामी भरी तो उन्होंने एक गिलास अपने लिए भी बना लिया।
‘बेचारे,’ कहते हुए वे अपने घिसी हुई आरामकुर्सी में धँस गये। ‘इतने डरे हुए और इतने बेवकूफ़। काफ़ी दुखभरा मामला था आज शाम। जिस औरत को मेरे पास एक साल पहले आना चाहिए था। अगर वह तब आ गयी होती, तब उसका ऑपरेशन सफल रहा होता। अब बहुत देर हो चुकी है। इससे मुझे ग़ुस्सा आ गया। सच्चाई यह है कि लोगों में बहादुरी और कायरता एक साथ होती है। वह दुख झेल रही है, लेकिन बिना एक भी शब्द कहे, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उसे इस बात का डर था कि बाहर आकर दिखने से जो उसका डर है कहीं वह सच न हो जाये। दूसरी तरफ़ यह है कि ऐसे लोग आकर मेरा समय ख़राब करते हैं जिनकी किसी उँगली में सूजन भी हो जाती है तो उनको लगता है कि यह कहीं कैंसर तो नहीं है। अच्छा, मेरी बातों की परवाह मत कीजिये। आप बताइये कि मुझसे किसलिए मिलना चाहते थे?’
‘सबसे पहले, मैं आपका शुक्रिया अदा करने आया हूँ, मुझे लगता है आपने ही मिस क्राइकेनथोर्प को यह सुझाव दिया था कि वह मेरे पास वह ख़त लेकर आयें जो शायद उनके भाई की विधवा का था।’
‘अच्छा वह। कुछ था उसमें? मैंने असल में यह सुझाव उसको नहीं दिया था। वह खुद यह चाहती थी। वह दुखी थी। जबकि उसके सारे प्यारे भाई उसको रोकना चाहते थे।’
‘वे क्यों रोकना चाहते थे?’
डॉक्टर ने अपने कंधे उचका दिये।
‘मुझे लगता है कि वह औरत सचमुच में थी।’
‘आपको क्या लगता है कि वह चिट्ठी सही थी?’
‘पता नहीं। मैंने कभी देखा नहीं। मुझे यह लगता है कि यह कोई ऐसी औरत भी हो सकती थी जिसे सारी बातें मालूम रही हों, वह इस तरह की कोशिश कर रही हो। हो सकता है कोई एम्मा की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा हो। वे लोग पूरी तरह से ग़लत थे। एम्मा कोई बेवकूफ़ नहीं है। वह किसी को भी अपनी भाभी ऐसे ही नहीं बना लेगी जब तक कि वह उससे कुछ सवाल नहीं कर ले।’
उसने कुछ उत्सुकता के साथ कहा :
‘लेकिन आप मेरे विचार क्यों जानना चाह रहे हैं। मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है?’
‘मैं आपसे कुछ अलग तरह की बात करने आया हूँ लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि किस तरह पूछूँ।’
डॉ. क्विम्पर ने थोड़ी उत्सुकता दिखाई।
‘मेरे ख़याल से क्रिसमस के समय मिस्टर क्राइकेनथोर्प की तबीयत ख़राब हो गयी थी।’
‘हाँ।’
‘मुझे पता चला है कि पेट में कुछ गड़बड़ी हो गयी थी?’
‘हाँ।’
‘यह मुश्किल है—मिस्टर क्राइकेनथोर्प ने अपने स्वास्थ्य के बारे में ख़ूब बढ़ा-चढ़ाकर बोला, कह रहे थे कि वे परिवार के अधिकतर लोगों से अधिक दिन तक जीना चाहते हैं। वह आपका हवाला दे रहे थे—’
‘अरे आप मेरी परवाह मत कीजिये। मैं इतना संवेदनशील नहीं हूँ कि इस बात की परवाह करूँ कि मेरे मरीज मेरे बारे में क्या कहते हैं!’
‘उन्होंने आपके बारे में यह बताया कि आप गन्दगी का टोकरा हैं।’ क्विम्पर मुस्कुराने लगे। ‘वे कह रहे थे कि आपने उनसे हर तरह के सवाल पूछे। न केवल यह कि उन्होंने क्या-क्या खाया था, बल्कि यह भी कि उस खाने को किसने पकाया था और किसने परोसा था।’
डॉक्टर अब मुस्कुरा नहीं रहे थे। उनका चेहरा फिर से सख़्त हो गया था।
‘आगे कहिए।’
‘उन्होंने यह भी कहा कि उनको जैसे ज़हर दिया गया हो।’
कुछ देर ख़ामोशी रही। ‘आपको किसी तरह का सन्देह है?’
क्विम्पर ने तत्काल इस बात का जवाब नहीं दिया। वे उठे और आगे-पीछे चलने लगे। आख़िरकार, वे क्रैडोक के चारों ओर चक्कर लगाने लगे।
‘आप क्या उम्मीद करते हैं कि मैं क्या कहूँ? आपको क्या लगता है कि डॉक्टर बिना किसी सबूत के ज़हर दिये जाने के बारे में बोलता फिरे?’
‘मैं तो बस यूँ ही पूछ रहा हूँ कि क्या आपके दिमाग़ में यह ख़याल आया था?’
डॉ. क्विम्पर ने कहना शुरू किया : ‘बूढ़े क्राइकेनथोर्प को कंजूसी में जीने की आदत है। जब घर के बाकी लोग आते हैं तो एम्मा अच्छा खाना बनाने लगती है। जिससे होता यह है कि पेट ख़राब हो जाता है। इलाज में उसी के लक्षण मिले थे।’
क्रैडोक ने आगे कहा।
‘मैंने देख रहा हूँ कि आपको किसी तरह की उलझन नहीं थी?’
‘अच्छा ठीक है। अब मैं कहता हूँ कि मुझे बड़ी उलझन हो रही थी। इससे आपको खुशी हुई?’
‘हाँ, इसमें मुझे रुचि हुई,’ क्रैडोक ने कहा। ‘आपको असल में किस तरह का शक़ हुआ या डर लगा?’
‘पेट ख़राब होने के मामले भी अलग-अलग तरह के होते हैं, लेकिन इस मामले में कुछ ऐसी बातें थी जिनसे ऐसा लग रहा था कि यह मामला ज़हर देने से जुड़ा हो सकता था। लेकिन मैं आपको यह बता दूँ कि दोनों चीज़ें एक जैसी ही होती हैं। अच्छे-अच्छे लोग ज़हर के मामले की पहचान नहीं कर पाते।’
‘और आपने जो जाँच की, उसका क्या नतीजा निकला?’
‘मुझे लगा कि मुझे जिस बात का सन्देह था वह शायद सही नहीं था। मिस्टर क्राइकेनथोर्प ने मुझे यह कहा कि जबसे मैं उनका इलाज कर रहा हूँ उससे पहले से भी उनके ऊपर इस तरह के दौरे पड़ते रहे है। ऐसा हर बार तब होता है जब खाना बहुत अच्छा हो जाता है।’
‘यह तब हुआ था जब घर भरा हुआ था? घरवालों से या मेहमानों से?’
‘हाँ। यह ठीक लगता है। लेकिन साफ़ कहूँ, क्रैडोक, तो मुझे खुशी नहीं थी। मैंने तो डॉ. मौरिस को भी चिट्ठी लिखी। वे मुझसे सीनियर थे और जब मैंने उनके साथ काम करना शुरू किया था तो उसके कुछ दिनों के बाद ही वे रिटायर हो गये थे। क्राइकेनथोर्प उनके ही मरीज थे। मैंने उनसे क्राइकेनथोर्प को पहले पड़ने वाले दौरों के बारे में पूछा था।’
‘और उनका क्या जवाब था?’
क्विम्पर ने दाँत निपोर दिये।
‘मेरे कान में एक मक्खी भिनभिना रही थी। मुझसे कह कर गयी है कि बेवकूफ़ी मत करना। अच्छा’—उसने अपने कंधे उचकाते हुए कहा—‘शायद मैं बेवकूफ़ हूँ।’
‘मुझे लगता है,’ क्रैडोक ने कुछ सोचते हुए कहा।
फिर उसने यह तय किया कि खुलकर बात करेगा।
‘अब साफ़-साफ़ कहूँ डॉक्टर तो लूथर क्राइकेनथोर्प के मरने से कई लोगों को फ़ायदा होने वाला है,’ डॉक्टर ने सिर हिलाया। ‘वह एक बूढ़े आदमी हैं—तन्दुरुस्त हैं। और इस हालत में तो वे 90 साल से भी ऊपर जियेंगे?’
‘आराम से। वह अच्छी तरह से अपनी देखभाल करते हैं। उनका शरीर अच्छा है।’
‘और उनके बच्चों को यह बात महसूस होने लगी है?’
‘आप एम्मा को इससे बाहर रखिये। वह कोई ज़हर देने वाली नहीं लगती है। इस तरह के दौरे उनको तभी पड़ते हैं जब उनके बेटे यहाँ होते हैं—तब नहीं जब बाप बेटी अकेले रहते हैं।’
‘एक चेतावनी है कि यह उनमें से एक हो सकते हैं,’ इंस्पेक्टर ने सोचा, लेकिन इस बात का ध्यान रखा कि यह बात वह ज़ोर से न कहे।
कुछ रुककर उसने अपने शब्द ध्यान से चुने।
‘बिलकुल—मुझे इन मामलों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है—लेकिन बस यह सोचता हूँ कि ज़हर मिलाया गया था—लेकिन क्राइकेनथोर्प बहुत भाग्यशाली थे कि वे बच गये?’
‘अब यह कुछ अजीब है। यही बात है जिसके कारण मुझे डॉक्टर मौरिस ने कहा था कि मैं गधा हूँ। आपको बताऊँ तो यह कोई ऐसा मामला नहीं है कि थोड़ा बहुत ज़हर रोज़ दिया जाता रहा हो—जो कि ज़हर देने का पुराना तरीका है। क्राइकेनथोर्प कभी भी लगातार पेट ख़राब होने का मरीज नहीं रहा है। इसलिए इस तरह के दौरे पड़ने से अजीब लगता है। इससे लगता है जैसे हर बार ज़हर दिया जाता रहा हो—इसका कोई मतलब नहीं होता।’
‘हाँ। जबकि दूसरी तरफ़, क्राइकेनथोर्प का शरीर बहुत अच्छा है और जिससे किसी दूसरे आदमी को नुकसान पहुँच सकता है उसको उससे कोई नुकसान नहीं होता। आदमी आदमी में फ़र्क होता है। लेकिन आप सोचेंगे कि ज़हर देने वाले ने मात्रा बढ़ा दी होगी। उसने क्यों नहीं बढ़ाई?’
‘इसलिए, कोई ज़हर दे रहा हो, ऐसा है नहीं। शायद शुरू से आखिर तक वह मेरी कल्पना रही हो,’ उसने आगे कहा।
II
‘इंस्पेक्टर क्रैडोक!’
फुसफुसाहट सुनकर इंस्पेक्टर उछल पड़ा।
वह सामने वाले दरवाज़े की घण्टी बस बजाने ही वाला था। अलेक्ज़ेंडर और उसका दोस्त वेस्ट बड़ी सावधानी से पीछे से निकलकर आये।
‘हमने आपकी कार की आवाज़ सुनी और हम आपको पकड़ना चाहते थे।’
‘अच्छा चलो अन्दर चलते हैं,’ क्रैडोक का हाथ एक बार फिर से दरवाज़े की घण्टी पर गया, लेकिन अलेक्ज़ेंडर ने उसके कोट को खींचा जैसे कुत्ता पंजा मारता है।
‘हमें एक सुराग मिल गया है,’ उसने साँस लेते हुए कहा।
‘हाँ हम लोगों को एक सुराग मिल गया है,’ वेस्ट ने भी यही बात कही।
‘अच्छा घर के अन्दर चलकर देखते हैं,’ उसने कहा।
‘नहीं वहाँ कोई-न-कोई रोक देगा। आइये सामान वाले कमरे में चलते हैं,’ अलेक्ज़ेंडर ने कहा।
बड़े बेमन से क्रैडोक उनके साथ-साथ अस्तबल की तरफ़ चलने लगा। वेस्ट ने एक भारी दरवाज़े को धक्का दिया, और आगे बढ़कर बल्ब को जलाया, जिससे बहुत मद्धिम रोशनी आ रही थी। घोड़ों के रहने वाला वह कमरा एक ज़माने में घोड़ों का ठिकाना हुआ करता था लेकिन आज एक ऐसी जगह बन चुका था जहाँ वैसे सामानों को रखा जाता था जिनकी किसी को ज़रूरत नहीं होती थी। टूटी हुई कुर्सियाँ, घास काटने की पुरानी मशीनें और भी इसी तरह की चीज़ें।
‘हम इसलिए यहाँ आये हैं जिससे किसी को पता न चल सके,’ अलेक्ज़ेंडर ने कहा।
वहाँ कुछ ऐसे सबूत थे जिससे लगता था जैसे वहाँ कोई कभी-कभी रहता हो। पुरानी दरियों को जोड़ कर उनको पलँग की तरह से बना लिया गया था, एक पुरानी जंग खाई मेज़ थी जिसके ऊपर चॉकलेट बिस्कुट के डिब्बे, टौफ़ी के डिब्बे और खेलने का समान था।
‘यह असल में सुराग है सर,’ वेस्ट ने कहा, चश्मे के पीछे से उसकी आँखें चमक रही थीं। ‘हमें यह आज दोपहर मिला।’
‘हम लोग कई दिनों से झाड़ियों में तलाश कर रहे थे—’
‘और पेड़ के तनों में—’
‘यह काफ़ी मज़ेदार लग रहा है—’
‘हम बॉयलर वाले घर में भी गये—’
‘वहाँ जो आदमी काम करता है वह काफ़ी सारे पुराने काग़ज़ जमा करके रखता है—’
‘जब बॉयलर बुझ जाता है तो उसे फिर से चालू करने के लिए—’
‘वह काग़ज़ उठा-उठा कर उसमें डालता जाता है—’
‘और वहीं हमें यह मिला—’
‘क्या मिला?’ क्रैडोक ने उस बातचीत को वहीं रोकते हुए कहा।
‘सुराग। वेस्ट अब सावधान होकर अपने दास्ताने निकाल लो।’
ख़ास बात यह थी कि स्टोडार्ट वेस्ट ने जासूसी कहानियों की तरह अपनी जेब से गन्दे से दस्तानों का एक जोड़ा निकाला और अपनी जेब से कोडक फोटोग्राफिक का एक फोल्डर निकाला। उसके अन्दर से उसने अपने दस्तानों वाले हाथ की उँगलियों से मिट्टी में सना एक लिफ़ाफ़ा निकाला और उसे उसने बड़े ध्यान से इंस्पेक्टर को दे दिया।
दोनों लड़कों ने जोश के मारे अपनी साँसें थाम लीं।
क्रैडोक ने बड़े ध्यान से उस लिफ़ाफ़े को लिया। वह उन दोनों बच्चों को पसन्द करता था और वह उनकी भावना के साथ पूरी तरह रहना चाहता था।
चिट्ठी डाक से आयी थी, और उसके अन्दर कुछ भी नहीं था, वह एक फटा हुआ लिफ़ाफ़ा था—उसके ऊपर पता लिखा हुआ था मिसेज़ मार्टिन क्राइकेनथोर्प, 126 एल्वस क्रेसेंट, नम्बर-10।
‘देखिये?’ अलेक्ज़ेंडर ने तेज़-तेज़ साँसें लेते हुए कहा: ‘इससे साफ़ है कि वह यहाँ थी—चाचा एडमण्ड की फ्रेंच बीवी, मेरा मतलब वह औरत जिसको लेकर सारा गड़बड़झाला है। वह यहाँ आयी थी और यहाँ से कहीं और ले जायी गयी। ऐसा लगता है कि नहीं—’
स्टोडार्ट वेस्ट ने बीच में कहा :
‘ऐसा लगता है कि वही थी जिसका ख़ून हुआ था—आपको नहीं लगता। हो सकता है ताबूत में उसी की लाश रही हो?’
वे बेसब्री के साथ इन्तज़ार करने लगे।
क्रैडोक ने आगे बात बढ़ाते हुए कहा।
‘हो सकता है। बहुत सम्भावना है,’ उसने कहा।
‘क्या यह महत्वपूर्ण नहीं है?’
‘आप इसका इस्तेमाल फिंगरप्रिंट के मिलान के लिए करेंगे न सर?’
‘बिलकुल,’ क्रैडोक ने कहा।
स्टोडार्ट वेस्ट ने राहत की साँस ली।
‘आज यहाँ हमारा आख़िरी दिन है और हमारी किस्मत भी अच्छी है,’ उसने कहा।
‘आखिरी दिन?’
‘हाँ,’ अलेक्ज़ेंडर ने कहा। हमारी छुट्टियाँ अब कुछ ही दिनों की और बची हैं और हम उसे बिताने के लिए वेस्ट के घर जा रहे हैं। इन लोगों का घर बहुत शानदार है—रानी के परिवार से ताल्लुक है न?’
‘विलियम और मेरी,’ स्टोडार्ट वेस्ट ने कहा।
‘मेरे ख़्याल से तुम्हारी माँ ने कहा था—’
‘मम्मी तो फ्रांस से हैं उनको इंग्लिश वास्तुकला के बारे में ज़्यादा पता नहीं है।’
‘लेकिन तुम्हारे पिता ने कहा था कि घर बनवाया गया था—’
क्रैडोक लिफ़ाफ़े को ध्यान से देख रहा था।
लूसी आईलेसबरो चालाक निकली। उसने किस तरह से इस लिफ़ाफ़े के डाक वाले निशान को बदल दिया? उसने नज़दीक से देखने की कोशिश की मगर रोशनी कम थी। बच्चों को बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन उनको अजीब लग रहा था। लूसी के हिसाब से तो कभी सोचा ही नहीं था। अगर यह सच है तब तो इसके ऊपर कार्रवाई करनी पड़ेगी। —
दूसरी तरफ़ वास्तुकला को लेकर गरमागरम बहस जारी थी। वह उसे अनसुना कर रहा था।
‘अच्छा बच्चों,’ उसने कहा। ‘अब घर के अन्दर चलते हैं। तुम दोनों ने आज बड़ी मदद की।’
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