“कनाडा क्यों गये थे आप? -
“ उसका वारदात से क्या लेना-देना ? -
“ लेना-देना पता नहीं किस बात का किस बात से निकल आता है। वैसे आप न बताना चाहें तो कोई बात नहीं लेकिन बता सकते हैं तो जरूर बता दें ।
“वासी में हम पन्द्रह इमारतों की एक कॉलोनी बनाने वाले हैं।” राजदान ने कहा ---- "चाहते हैं ये पन्द्रह इमारतें ऐसी हों कि इण्डिया तो इण्डिया विदेशों में भी कहीं न हों। उन्हों के नक्शे बनवाने कनाडा गये थे । ”
“बन गये ?”
“मेरे सूटकेस में हैं। "
“मुझे दिखा सकते हैं?”
“नहीं।"
“क्यों?”
“ये नक्शे हमारा बिजनेस सीक्रेट्स हैं, किसी कम्पटीटर की नजर में आ गए तो...
“तो?”
“हम प्लान ही बनाते रह जाएंगे और वह वैसी इमारतें अपनी साइट पर बना चुका होगा । ”
"कौन ?”
“कौन से मतलब ?”
" ऐसा खतरा आपको किससे है?”
“वो कोई भी हो सकता है ---- शर्मा बिल्डर्स, मेहता कंस्ट्रक्शंस या यादव एसोसियेट्स | कोई भी ! कम्पटीटर अनेक हैं। जमाना कम्पटीशन का है ।”
बहुत ही मोहक मुस्कान उभर आई ठकरियाल के मोटे, काले और भद्दे होठों पर । बोला ---- “अंजाने में ही सही, आप उनके नाम उगलने लगे हैं जो आपकी रामनाम सत्य के तलबगार हो सकते हैं।"
“मिस्टर ठकरियाल ----मैंने दुश्मनों की नहीं कम्पटीटर्स की बात की है। ये सब और दूसरे, जो भी बिल्डिंग कंस्ट्रक्शंस के धंधे में हैं ----स्वभाविक रूप से एक-दूसरे के कम्पटीटर हैं। मगर ये कम्पटीशन बिजनेस का है। एक-दूसरे की हत्या करने के बारे में नहीं सोचने लगते हम लोग | "
"माफ करें राजदान साहब, हर शख्स आप जितना शरीफ नहीं हो सकता।”
“मेरे ख्याल से तुम 'काम' करने की जगह बेवजह के ख्यालों को तूल देते रहने वाले एक सनकी इंस्पेक्टर हो ।”
" हो सकता है ।” एक बार फिर ठकरियाल ने बगैर जरा भी उत्तेजित हुए अपनी आलोचना स्वीकार की और बोला-~-~-“अब सवाल नम्बर दो ---- मैंने सुना है, जमीन-जायदाद का धंधा आजकल मंदा है । आप जैसे बिल्डर्स ने पिछले दिनों फाइनेंसर्स से रकम ले-लेकर जिन रेट्स पर जमीनें खरीदीं और उन पर बिल्डिंग बनाईं, आज... उन रेटस पर परचेजर नहीं मिल रहे हैं। रेट्स में चालीस से पचास प्रतिशत तक की गिरावट के बारे में सुना है मैंने। क्या आपकी कम्पनी भी इस गिरावट से प्रभावित है ?”
राजदान ने नागवारी के साथ कहा ---"अब -“अब तुम मेरे पर्सनल सवाल पूछने लगे हो जिनका इस वारदात से कोई ताल्लुक नहीं है।”
“मैं फिर वही कहूंगा ----कोई नहीं जानता कब किस बात का ताल्लुक किस बात से निकल आये । खैर... आप जवाब नहीं देना चाहते तो न दें। अब अगला सवालकुछ देर पहले मिसेज राजदान ने कहा, दुनिया में आप तीनों का आप और कोई नहीं है। क्या में जान सकता तीनों के अलावा ऐसा क्यों?”
“क्यों से क्या मतलब ? बड़ा अटपटा सवाल है ये।”
“अटपटा सही मगर सवाल आखिर सवाल है। सवाल ये उठता है कि खुदा के फजल से आप और मिसेज राजदान, दोनों ही पूरी तरह चाक चौबंद और स्वस्थ हैं। मेरे संज्ञान के मुताबिक पांच साल आपकी शादी को हुए गुजर भी चुके हैं । फिर गोद हरी क्यों नहीं हुई आपकी? मेरा मतलब...
“मिस्टर ठकरियाल!” उसकी बात पूरी होने से पहले ही दिव्या चीख पड़ी----“अब आप हद से गुजर रहे हैं। पर्सनल लाइफ में झांकने की कोशिश कर रहे हैं हमारी । और कम से कम इस सवाल का वर्तमान घटना से कोई सम्बन्ध नहीं हो सकता।”
“ मैंने एक स्वाभाविक सवाल किया है मिसेज राजदान । जिसका 'एम्पायर' इतना बड़ा हो - ----वह उसका वारिस जरूर पैदा करना चाहेगा । अगर नहीं है तो कोई मेडिकल प्रॉब्लम ही रही होगी। खैर, अगर आप इस सवाल का भी जवाब नहीं देना चाहते तो न सही । मेरी आदत रही है, जबरदस्ती नहीं किया करता मैं ।”
देवांश पूरी तरह कसमसा रहा था । ठकरियाल द्वारा भैया भाभी को इस तरह जलील किया जाना उसे बिल्कुल पसंद नहीं आया था। जी चाहा---- -- आगे बढ़कर इंस्पेक्टर की गर्दन नाप दे जबकि ठकरियाल के शब्दों ने दिव्या के अंदर जाने क्या सुलगा दिया था कि ठकरियाल उन तीनों के चेहरों पर उभरने वाले एक - एक भाव को बड़ी बारीकी से रीड कर रहा था । उसे खुशी थी कि उसके सवाल से वह उत्तेजना फैली थी जो वह फैलानी चाहता था। दरअसल, उसका मकसद था ---- इन तीनों के सम्बन्धों में झांकना और फिलहाल वह अपने मकसद में कामयाब था । इतना ज्यादा कि राजदान ने एक नजर दिव्या को देखा । जेब से सिगार निकाला। उसे सुलगाया। चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे खुद कोई राज की बात बताने के लिए तैयार कर रहा हो ।
“शायद आप कुछ कहना ठकरियाल ने उसे उकसाया-चाहते हैं मिस्टर राजदान ।”
“तो तुम यह जानना चाहते हो शादी के पांच साल गुजर जाने के बावजूद हमारे पास कोई बच्चा क्यों नहीं है ?”
“क्या आप नहीं चाहते इतने बड़े एम्पायर का कोई वारिस हो ?”
राजदान ने देवांश की तरफ इशारा करके पूछा----“तुम्हारे
ख्याल से ये कौन है ? "
“आपका भाई । ”
“जिस वारिस की बात तुम कर रहे हो, वह ये क्यों नहीं हो सकता?”
“ये क्या कहने जा रहे हैं आप?” एकाएक दिव्या चीख पड़ी ---- “देवांश भी यहीं खड़ा है । चुप रहिए । प्लीज ---- चुप रहिए।" -
“मुझे बोलने दो दिव्या ।” राजदान भी उत्तेजित नजर आया-———— - “इस सड़े हुए दिमाग वाले आदमी के दिमाग की सड़ांध दूर करने दो मुझे ।"
“नहीं । वह सब आप देवांश के सामने खुद अपने मुंह से नहीं कह सकते जिसे कभी न कहने की कसम आपने पहली रात को मुझसे ली थी।”
अब, चौंकने की बारी देवांश की थी ।
वह कुछ कहना ही चाहता था कि राजदान ठकरियाल की तरफ इशारा करके बोला ---- “ये गलीज शख्स शायद ये सोच रहा है हम बच्चा पैदा करने लायक ही नहीं हैं।”
“सोचने दीजिए उसे । क्या फर्क पड़ता है हम पर, मगर देवांश के सामने...
“आखिर क्या राज है ये ? ” देवांश फट पड़ा ---- “क्या राज है भाभी जिसे तुम मेरी मौजूदगी के कारण भैया के मुंह से छीन लेना चाहती हो । बोलो भैया ----बोलो आप। मैं ये बरदाश्त नहीं कर सकता आप और भाभी मुझसे कुछ छुपायें ।”
“पगला है तू।” राजदान ने प्यार से उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया ---- “भला तुझसे छुपाने के लिए हम दोनों के पास है ही क्या?”
“तो फिर बार-बार भाभी क्या कहने से रोक रही आपको?”
“यह कि... यह कि पहली रात मैंने इससे वादा लिया था, हम दोनों किसी संतान को जन्म नहीं देंगे और यह बात हम तुझे पता भी नहीं लगने देंगे।”
“क्यों? क्यों? क्यों भैया ? ” देवांश चीख पड़ा ---- "ऐसा फैसला क्यों लिया आपने?”
“ताकि वो प्यार बंट न सके जो मेरा तुझमें है । ”
“ये क्या बात हुई भैया? ये कौन सा अंदाज है आपके सोचने का?" देवांश बुरी तरह छटपटा रहा था ---- “मेरा भतीजा होता तो क्या मुझे खिलौना नहीं मिल जाता ?”
राजदान उसके सवाल का जवाब देने की जगह ठकरियाल की तरफ पलटा । बोला- “अब कोई बात घुसी तुम्हारे सड़े हुए भेजे में? आगे से एक ही पैमाने से मत नापना हर परिवार को । परिवार वैसे भी होते हैं जैसा इस वक्त तुम्हारे सामने खड़ा है। हमारे मां-बाप का देहान्त हुआ तो हम फुटपाथ पर थे। मैं और छोटा । मैं दस साल का था । ये पांच साल का । इसे गोदी में उठाये, दर-दर भटकता रहता था मैं । भीख के पानी से पेट की आग बुझाया करते थे हम | फिर मैंने मेहनत शुरू की । मेहनत रंग लाई और वह एम्पायर खड़ा हो गया, जिसे देखकर तुम्हारी आंखें चकाचौंध हैं। दिव्या से शादी हुई । पहली रात को मैंने इससे कहा ---- 'दिव्या, हमें कोई बच्चा नहीं चाहिए । एक बच्चा हमारे पास पहले ही से है । छोटा! बच्चा ही है वो मेरा । और जब मेरा है तो तुम्हारा भी बच्चा है ही हुआ । सदा उसे ही बेटे की तरह प्यार करेंगे हम ... बोल.... बोल इंस्पेक्टर, कौन लड़की पसंद करेगी ऐसा ? कौन मां बनने के अपने शाश्वत अधिकार को त्याग देगी? मगर इसने ! इस देवी ने किया वो सब जिसके तू अपने देवर से सम्बन्ध होने की कल्पना कर रहा था । दूर कर अपने भेजे की सड़ांध और याद रख ---- - देवर भाभी का रिश्ता तेरे - शरीर की तरह टेढ़ा-मेढ़ा ही नहीं, इतना पवित्र और महान भी होता है। "
ठकरियाल पर सचमुच कुछ कहते न बन पड़ा जबकि उक्त रहस्योद्घाटन ने देवांश को मानो पागल कर दिया था। वह लगातार कहे चले जा रहा था ---- “ये तो अन्याय है भैया!... भाभी ये तो जुल्म है मुझ पर क्यों मानी तुमने भैया की नाजायज बात! जिस तरह तुम दोनों मुझे प्यार करते हो, क्या उसी तरह मुझे अपने से किसी छोटे को प्यार करने का हक नहीं है? क्यों....क्यों तुम दोनों ने मुझसे मेरा ये हक छीना?”
दिव्या ने तड़पते देवांश को आगे बढ़कर अपनी बाहों में भर लिया। देवांश फूट-फूटकर रो पड़ा। आंसू दिव्या की आंखें भी उगल रही थीं। राजदान ने फीकी मुस्कान के साथ ठकरियाल से कहा ---- “तुम्हें तो इनके इस मिलन में भी सैक्स नजर आ रहा होगा ।”
“सॉरी । सॉरी मिस्टर राजदान ।” कहकर ठकरियाल जले हुए पेड़ की तरफ बढ़ गया । उसके साथ आये पुलिसिए और राजदान एसोसियेट्स के कर्मचारी तक अभी-अभी हुए रहस्योद्घाटन के कारण 'सकते' की हालत में थे।
0 Comments