जॉन्सन कुछ गुनगुनाते हुए अपने घर की सीढियाँ चढ़ रहा होता तब उसकी पत्नी नैंसी ऊपर खिड़की से अपने पति को देख रही थी| जॉन्सन के हाथों में पत्तों के बीच कुछ था जिसे देख नैंसी घर के दरवाजे तक आई| जॉन्सन उसके सामने था| वह मुस्करा कर उसका स्वागत करती है| उसे वाकई बहुत ख़ुशी हो रही थी क्योंकि कल सुबह जब जॉन्सन तिलमिलाता हुआ घर से निकला था तब नैंसी बहुत दूर तक उसके पीछे पीछे आवाज़ लगाती हुई आई थी पर जॉन्सन ने एक बार भी पीछे पलट कर नहीं देखा|

बहुत गुस्से में गया था उसे डर था कि जॉन्सन नाराज गाँव वालों से फिर कोई झगड़ा मोल न ले ले पहले से ही उसका गाँव वालों से बैर चल रहा है| जॉन्सन उसके सामने था जिसके चेहरे पर भरपूर मुस्कान थी जिसे सदियों बाद उसने उसके चेहरे पर देखा था आखिर जीवन के संघर्षो ने धीरे धीरे उनके जीवन को बेहद नीरस बना दिया था|

“ये लो|”

नैंसी की तन्द्रा भंग होती है| उसका प्रश्न वो समझता हुआ बोला –

“मांस है इसमें - बच्चे दो दिनों से भूखे है - आज हम इसे पका कर दावत करेंगे|” ये कहते हुए उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी|

जॉन्सन सीढियाँ चढ़कर ऊपर आ चुका था| नैंसी दरवाजा बंद करते वक़्त एक बार बाहर देखती है यहाँ के बरसाती मौसम में सभी के घर ऐसे ही बांस के बने थे ऊँचे मचान जैसे| उसे धीरे धीरे बादल घिरते हुए दिखाई देते है शायद फिर से बारिश के आसार थे| यहाँ तो खैर ऐसा होता ही रहता है इसीलिए गाँव में सभी के घर ऐसे ही मचान जैसे सीढियाँ पर ऊपर की ओर बने थे क्योंकि यहाँ जंगल से अकसर की कोई न कोई जंगली जीव जंतु आ जाता|

यहाँ तक कि जिनसे पास बकरियां होती उसे भी वे सभी ऊपर ही बाँधते| घने जंगल के पास ऐसे ही दो तीन गाँव थे यहाँ के लोग वर्षा वन होने के कारण कुछ खेती तो बाकी के ज्यादातर लोग जंगलों पर निर्भर थे इसलिए गाँव में उनका आना जाना बना रहता| ऐसे ही जॉन्सन तीन दिन पहले तक यहाँ के मुखिया के खेतों पर काम करता था वहीँ उसकी रोजी रोटी का एक मात्र सहारा था|

नैंसी दरवाजा बंद कर अन्दर आ जाती है| अन्दर जॉन्सन के साथ उसके तीनो बच्चे पूरी उमंग में थे| क्रमशा छह, आठ और ग्यारह वर्षीय उसके बच्चे अपने पिता को घेरे खड़े थे| नैंसी मुस्करा कर उनकी तरफ देखती है एक पल ऐसा आता है जब जॉन्सन और नैंसी की आंखे आपस में मिलती है तब जॉन्सन जैसे आँखों से ही कह देता है कि जब तक तुम खाना बनाओ मैं बच्चों को बहलाता हूँ|

“अरे सब शांत हो जाओ तभी मैं कुछ सुनाऊंगा|” अपने हाथों को हवा के लहराते हुए कहता है| उसकी बात सुनकर अब सब शांत हो कर उसके आस पास उसे घेर कर बैठ जाते है|

“तो सुनो मैं एक दम सच्ची कहानी बताता हूँ कि मेरे साथ कल रात क्या हुआ|”

कहते कहते अपना मुंह वो गोल गोल कर लेता है – “ये एक डरावनी और सच्ची कहानी है|” बच्चे आपस में सिमट कर बैठ जाते है|

“घना जंगल था उसमे मैं चला जा रहा था, बेखबर और बेख़ौफ़ – चलते चलते मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब जंगल के बीचों बीच आ गया, वहां इतना घना जंगल था कि दिन में भी रात जैसा लग रहा था, मैं एक पल रुककर अपने आस पास देखता हूँ – चारोंओर बस घने पेड़ ही पेड़ थे, मैं कुछ देर वहां ठिठका|”

एक पल चुप होकर जॉन्सन अपने बच्चों के चेहरे की ओर देखता है फिर उनकी तरफ झुकते हुए अपने हाथों को चारों ओर घुमाकर वृत आकार में घुमाते हुए कहता है – “मैं चारों तरफ घूमता हूँ उस पल ऐसा लगता है जैसे मैं रास्ता ही भटक गया हूँ, कहाँ से आया और अब किस ओर बढ़ना है कुछ नहीं सूझ रहा था – आखिर थककर मैं किसी पेड़ के नीचे बैठ जाता हूँ – फिर कब मुझे नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला अचानक एक तेज गुर्राहट सुन मेरी आंख खुलती है – मैं चौंक कर उठता हूँ शायद रात हो चुकी थी, मैं अपने सामने देखता हूँ  पर सामने कोई नहीं था शायद कहीं पास से ही ये आवाज़ आई थी – आवाज़ लगातार आ रही थी – मैं तेज़ी से उठा और आवाज़ की ओर बढ़ा, थोड़ा डरा हुआ तो था लेकिन उस आवाज़ को भी जानना चाहता था, मैंने एक घने पेड़ के पीछे छुपकर देखा वहां कोई था बल्कि वहां कई परछाईयां सी थी – उस अँधेरे में कुछ नहीं सूझ रहा था मैं अपनी आंख गड़ाए उस ओर देखने की कोशिश कर रहा था, तभी चाँद पर से जैसे बादल का एक टुकड़ा हटा और उस अँधेरे हिस्से पर कुछ रौशनी पड़ी फिर जो मेरी आँखों ने दृश्य देखा तो मेरी ऑंखें डर से फ़ैली की फैली रह गई – वहां आदम भेड़िये थे वेयरवुल्फ...|”

“वेयरवुल्फ!!!” सभी बच्चे धीरे से फुसफुसाए|

“हाँ वहां एक नहीं कई वेयरवुल्फ थे – छोटे बड़े कई – जैसे ये उनका कोई परिवार था – मैं अपनी साँस रोके देख रहा था – जिनके पूरे शरीर पर बड़े बड़े बाल थे और मुंह के दोनों तरफ से उनके नुकीले दांत बाहर निकले बहुत ही भयावह लग रहे  – तभी बादल का टुकड़ा उस चाँद को फिर ढंक लेता है और उसी के साथ वहां के वातावरण में एक साथ कई आऊ..उ उ उ ...उ ..उ .. की आवाज़ गूंज उठी – मैं अन्दर से कांप गया – डर कर मैं थोड़ा पीछे हो गया और अगले ही पल उनकी उ उ उ ... की आवाज़ एकदम से बंद हो गई – मैं थोड़ा और पीछे हुआ – मेरे पैरो से वहां के सूखे पत्तों से खड़..खड़ की आवाज़ हुई – मैं बुरी तरह से डर गया – मैं भागा – जहाँ रास्ता दिखा वहीँ भागा – अँधेरे में जहाँ हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था मैं बस भागा जा रहा था कि किसी पेड़ या पत्थर से टकरा कर मैं गिर गया – मैं अब जमीं में पड़ा बुरी तरफ से हाफ रहा था –हफ..हफ ...हफ|”

जॉन्सन अपने मुंह से हफ हफ की आवाज़ निकालता है और बच्चे उसकी बांहों में सिमट आते है| जॉन्सन सुनाना जारी रखता है –

“तभी एक दम से धप की आवाज़ होती है और मैं क्या देखता हूँ कि एक बड़ा सा वेयरवुल्फ मेरे सामने था – मैं चाँद की हलकी हलकी रौशनी में उसे साफ़ साफ़ देख सकता था – कमर से नीचे इंसान और ऊपर से पूरा जंगली भेड़िया – वो अपने दो पैरों पर खड़ा था उसके पंजे मेरी ओर उठे थे  और उसका जबड़ा खुला था जिस पर से लाल रंग की लार सी टपक रही थी – मैं बुरी तरह से डर गया – मुझे नहीं पता था कि अगले पल क्या होगा पर उस वक़्त मेरे चेहरे के सामने एक दम से तुम तीनों के चेहरे घूम गए – मैं ये सोचकर घबरा गया कि क्या अब मैं तुम लोगों को कभी नही देख पाउँगा|” अपनी बात कुछ पल के लिए रोक कर अपने बच्चों के चेहरे पर आते दर्द को वह महसूस करता है |

तभी उसका बड़ा बेटा धीरे से पूछता है –

“डैडी मैंने सुना है अगर वो काट ले तो सामने वाला भी वेयरवुल्फ बन जाता है|” अपने प्रश्न के उत्तर में वह बड़ी बेसब्री से अपने पिता के चेहरे की तरफ देखता है|

जॉन्सन धीरे से कहना शुरू करता है – “मुझे भी यही लग रहा था और वह मुझे खा भी सकता था पर तुम लोगों के पास वापस भी तो आना था यही सोचकर मैंने जमीन की मिट्टी उठाई और उसकी आँखों में झोंक दी – उस पल वो तिलमिला गया|”

“डैडी!!!” अबकि छोटा बेटा अपने पिता की  तरफ देखता हुआ पूछता है|

“फिर क्या – मैं तुम लोगों के सामने हूँ – देखों|” कहकर जॉन्सन जोर से हँसता है | उसे हँसता देख उनके बच्चे भी हंसने लगते है कुछ ही पल में वहां हंसी का फुव्वारा सा छूटता है|

नैंसी जो खाना बनाती बनाती उस कहानी को भी सुन रही थी वह भी हंस पड़ती है|

“अच्छा तुम सब बैठो मैं देखकर आता हूँ कि खाना बना की नहीं|” जॉन्सन नैंसी के पास जाता है |

नैंसी मुस्करा कर उसकी तरफ देखती है|

“खाना तैयार है -|” फिर थोड़ा डर चेहरे में लाती हुई कहती है – “क्या खूब बच्चों को बहलाया – सच में मैं तो डर ही गई|”

“अब मेरे बच्चे कभी भूखे नहीं रहेंगे – हम सदा साथ रहेंगे ऐसे ही खुश खुश|” जॉन्सन आज वाकई बहुत खुश था| नैंसी भी साथ में मुस्कराई

“हाँ मैं भी यही चाहती हूँ – लेकिन कल मैं बहुत घबरा गई थी जब तुम पर गाँव वालों ने बकरी चोरी का इलज़ाम लगाया जबकि तुम हाड़तोड़ मेहनत करते थे|”

“हाँ उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था|”

आज पूरे चाँद की रात थी| आधी रात जब सारा गाँव सो गया और आसमान में चाँद पर से बादल का एक टुकड़ा छट गया तो जॉन्सन के घर की छत से एक साथ कई मिली जुली आऊ उ..उ...उ..की आवाज़ गूंज उठी|