अध्याय ११
“हमारे पीछे क्या था और हमारे सामने क्या है, ये महत्वपूर्ण नहीं है, बनिस्बद इसके कि हमारे अंतर्मन में क्या निहित है।”
– राल्फ वाल्डो इमर्सन
डेविड होटल के सुइट में शॉवर के नीचे नहाते हुए, धीरे-धीरे पलकें झपका रहा था। उसे यह महसूस हो रहा था कि वह जैसे कोई स्वप्न देख रहा हो। आज अत्यधिक पीड़ादायक गर्म दिन था। उसकी त्वचा पर पड़ती ठंडे पानी की बूंदों ने उसे, उसके नौ-सेना में प्रशिक्षु-सैनिक के रूप में चुने जाने के दिनों की याद ताज़ा कर दी।
उसके प्रशिक्षक के शब्द उसके दिमाग़ में गूँज रहे थे – “जब तक हम सहज रूप से नहीं जानते कि संभावित खतरे से कैसे निपटा जाये, हम सही प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पूर्व ही, डर के कारण निष्क्रिय हो सकते हैं।”
उसने उस परीक्षा को याद किया, जिसने अंततः उसे नौसेना में एक नेवी-सील बनने के लिए अग्रसर किया। उनमें सबसे अधिक भयानक टेस्ट, एक स्विमिंग पूल में, जिसे ‘पानी के भीतर की योग्यता का टेस्ट’ भी कहा जाता था, उसमें प्रत्येक प्रशिक्षु से बीस मिनट तक अपने साँस लेने के उपकरण पर बार-बार होने वाले हमलों को सहन करते हुए, पानी के अंदर ठहरने की अपेक्षा की जाती थी। इस प्रशिक्षण के दौरान, आधे समय तक तो उन्हें बिना ऑक्सीजन के भी रहना पड़ता था।
प्रशिक्षु-जवानों को पानी के नीचे रहते हुए ही, साँस लेने के उपकरण के अलग हुए हिस्सों को फिर से जोड़ना होता था। उनसे यह भी अपेक्षा की जाती थी कि जान बचाने के लिए, वे दिए गए निर्देशों का अक्षरशः पालन करें, विशेष रूप से साँस लेने के लिए सतह पर आने की तीव्र उत्कंठा पर नियंत्रण रखें। एक बार वे उपकरण के हिस्सों को जोड़ लेते, प्रशिक्षक फिर दूसरे पर हमले करता। अन्य परीक्षाओं की अपेक्षा प्रशिक्षण के इस भाग में काफ़ी संख्या में जवान असफल होते थे।
अन्य प्रशिक्षुओं के साथ डेविड ने भी ट्रंक पहनकर, साँस लेने के उपकरणों सहित, विशाल पूल में डुबकी लगाई और बारह फुट गहराइ में जाकर खड़ा हो गया। पानी के अंदर उनका प्रशिक्षक पहले से ही मौजूद था। प्रशिक्षण शुरू होने पर, जैसे ही प्रशिक्षक ने उसके मास्क को उसके मुँह से हटाकर ऑक्सीजन नली से उसका संपर्क काटा, उसकी रगों में भय की लहर दौड़ गई। वह जल्दी-जल्दी, उसे सिखाये गए अनुसार उपकरण के हिस्सों को फिर से जोड़ने की कोशिश करने लगा।
ऑक्सीजन की कमी और साँस लेने में रूकावट की वजह से उसे लगा कि “मैं, मरने वाला हूँ।” और उसने साँस लेने की मंशा से, पानी की सतह की ओर तैरना शुरू किया। पहले प्रयास में असफल होने के बाद, उसने अपने-आप से वादा किया कि कैसे भी हो, मुझे स्वयं पर नियंत्रण रखकर इस परीक्षा में पास होना ही होगा।
उसका प्रशिक्षक चिल्लाया – “जवान, शांत रहकर स्वयं से सकारात्मक वार्तालाप करने से ही सफलता मिलेगी।”
“शांत, संयत और एकाग्रचित्त रहो,” उसने खुद को आश्वस्त किया। अंततः डेविड ने उस टेस्ट को तीसरे प्रयास में पास कर लिया। उस दौरान, डेविड को डर का जवाब देने के लिए लगातार, भयानक जानलेवा परिस्थितियों का सामना करवाते हुए एक नेवी-सील के रूप में प्रशिक्षित किया गया था।
“बाथरूम में उसने खुद को यह कहते हुए आश्वस्त किया कि वह शांत, संयत और एकाग्रचित्त है। अब वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार था।
जैसे ही वह शानदार बेडरूम में गया, उसे शीशे के सामने सुन्दर से अधोवस्त्र पहने एमा, अपने-आप को प्रशंसा की नज़रों से निहारती हुई दिखाई दी। उसने स्थानीय स्त्रियों की तरह दिखने के लिए अपने बालों पर ब्राउन डाइ लगाई हुई थी।
“तुम निहायत ही खूबसूरत लग रही हो,” डेविड ने उसकी तारीफ़ की।
“हाँ, भूरे बाल मुझ पर अच्छे लगते हैं।” उसने शीशे में देखकर कहा। फिर उसने डेविड को हल्की सी मुस्कान के साथ तिरछी चितवन से देखते हुए कहा – “तुम पर तो सब कुछ अच्छा लगता है।”
उसने नीली जींस, एक सफ़ेद टी-शर्ट और गर्मियों में पहने जाने वाली महीन बॉम्बर जैकेट धूप से बचाव के लिये पहन रखी थी, उसने अपने सिर को ढकने के लिए समुद्री-हरे रंग का स्कार्फ ओढ़ लिया।
डेविड ने अपने बैग में, सभी आवश्यक वस्तुएँ जैसे-चाकू, दवाईयाँ, सनस्क्रीन, कुछ टी-शर्ट और कुछ फोल्ड किए हुए कागज़ रख लिए। उसे डोलोरेस ने पिछली रात विमान में ही गाज़ापट्टी का नक्शा सौंप दिया था। दोनों ने उसका बारीकी से अध्ययन किया। अचानक, उनके बिस्तर के बगल में रखे हुए फोन की घंटी बजी। अभियान पर उनके प्रस्थान का समय हो गया था।
किसी को संदेह ना हो, इसलिये डोलोरेस अलग होटल में ठहरी हुई थी। एमा और डेविड अब आधिकारिक रूप से स्थायी युद्ध-विराम वार्ता का हिस्सा थे। बुलाये जाने पर उन्हें परिसर छोड़ना था, इसलिए वे होटल की लॉबी में संकेत मिलने का इंतज़ार करने लगे।
एमा ने खुद को पुराने दिनों की तरह एकाग्रचित्त और आत्मविश्वास से परिपूर्ण रखा। दूसरी ओर हथियारबंद होकर दुश्मन का शिकार करने को हमेशा तैयार रहने वाले डेविड के लिए, जासूसी करना एक नया और एकदम अलग प्रयास था।
जब कोई अभियान बड़ा होता है और हज़ारों जीवन दाव पर लगे होते हैं, तब अच्छे से अच्छे महारथी भी घबरा जाते हैं। अंत में, डेविड और एमा ने शान्ति के साथ इस बात पर विचार किया कि उन्हें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य के लिए विशेष कारणों से चुना गया है, क्योंकि वे ही इस अभियान को सफल बना सकते हैं। अगले निर्देशों की प्रतीक्षा में सहज रहते हुए उन्होंने होटल के प्रतीक्षा कक्ष में समय गुज़ारा।
होटल की अलंकृत लॉबी की सुंदरता को निहारते हुए, पर्यटकों का एक दल उनके पास से गुज़रा। भीड़ में से एक छोटी सी बच्ची रेंगते हुए उनकी ओर आयी और एमा उसे एकाएक गोद में उठाकर उससे खेलने लगी। एमा की नाक को छूने के लिए बच्ची ने अपने नन्हें हाथ आगे बढ़ाये। “अले अले, तुम मेली नाक पोंछना चाहती हो!” एमा ने बच्चों जैसी आवाज़ में कहा। “डेविड, मैं इसके जैसा एक प्यारा सा गोलू-मोलू बच्चा चाहती हूँ।”
डेविड ने बच्चे के गाल पर प्यार से एक चुटकी काटते हुए मुस्कुराकर कहा – “जब हम वापस आयेंगे, तो कोशिश करेंगे।”
“उसका नाम समांथा है,” उसकी माँ ने कहा। उन्होंने यह नहीं देखा था कि बच्ची की माँ उनकी ओर आ रही थी।
एमा ने समांथा को वापस सौंप दिया। उसकी माँ ने दोनों को अलविदा कहा और चली गई। ले जाते हुए बच्ची ख़ुशी से चहकते हुए एमा को ही देख रही थी। एमा के हृदय पर वह वात्सल्य की एक गहरी छाप छोड़कर गई।
फोन बज उठा, यह डोलोरेस थी।
“वे निकल चुके हैं, मिशन शुरू हो चुका है,” डोलोरेस ने दूसरे छोर से कहा। दोनों ने आदेश का पालन किया और चमकते, तपते रेगिस्तान की ओर निकल पड़े।
यह कॉल तब होने वाला था जब होटल के कैमरों को जान-बूझकर थोड़े समय के लिए बंद कर दिया गया था, ताकि उन्हें ट्रेस हुए बिना बाहर निकाला जा सके।
रेगिस्तान में दूर, राहत-सामग्री से भरे, सफ़ेद ट्रकों का एक काफ़िला, सहारा रेगिस्तान के बीच में टीलों के पास खड़ा था। वहाँ इतनी झुलसा देने वाली तपन थी कि अगर ग़लती से किसी ने किसी धातु को छू भर लिया तो उसकी त्वचा झुलस कर काली पड़ जाती। सारे ट्रक, पीड़ितों के लिए दवाओं, डिब्बाबंद भोजन और पीने के पानी इत्यादि सामग्री से भरे हुए थे। ट्रकों पर चित्रित “यूएन” उनके लिए एक अदृश्य बुलेट-प्रूफिंग की तरह काम कर रहा था। हमास ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के ट्रकों पर कभी गोलीबारी नहीं की। प्रचंड धूप से झुलसने से बचते हुए, नीली टोपियों में वाहन चालक बोतल से घूंट-घूंट करके, पानी लेते हुए एक घेरे में बैठ गए। गीज़ा के पिरामिडों की दूरवर्ती महापाषाण संरचना को देखते हुए, एक मोटा व्यक्ति दूर खड़ा सिगरेट पी रहा था। एक तन्हा शख्स, जो हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ा रहा था। तम्बाकू के हर कश के साथ वह धुआँ बाहर छोड़ते समय अपनी बड़ी हुई सफ़ेद दाड़ी को सहलाते हुए हल्की सी गुरगुराहट की आवाज़ देर तक मुँह से निकाल रहा था। उसकी सफ़ेद शर्ट की बाईं जेब पर एक नैमेटैग पिन किया गया था, उसके सस्पेंडर्स की बद्दी के बगल में “जॉर्ज मार्टिन” लिखा हुआ था।
काले शीशों वाली सफ़ेद सेडान एक ट्रक के पास खड़ी थी। एमा, डेविड और डोलोरेस ने उससे बाहर कदम रखा। वे उस मोटे बूढ़े की ओर बढ़े। जॉर्ज सिगरेट का अंतिम कश लगाते हुए आगंतुकों के स्वागत के लिए आगे बढ़ा। एक गोरी नस्ल का जोड़ा, जो शांति स्थापना के लिए अपनी जान जोख़िम में डालने को तैयार था।
“जॉर्ज,” डोलोरेस ने उसका नाम लेते हुए हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया।
“डोलोरेस,” बूढ़े व्यक्ति ने भी जवाब में अपना हाथ आगे बढ़ाया।
डोलोरेस ने डेविड और एमा की ओर इशारा करते हुए कहा – “ये वे योद्धा हैं, जिनका साथ तुम्हें इस ख़ामोश-मिशन में देना है।”
डेविड ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-, “हाय, मैं डेविड हूँ, और ये मेरी पत्नी, एमा है।” बूढ़े ने किसी नतीजे पर पहुँचने की कोशिश करते हुए अपना हाथ उठाकर उन्हें एक नज़र देखते हुए अपना परिचय बड़े अजीब तरीके से दिया – “नाम जॉर्ज मार्टिंस।” फिर बोला “बच्चों, तुम इस नरक में, क्या कर रहे हो? वैसे हनीमून डेस्टिनेशन के लिए तुम्हारी ये भयानक पसंद बहुत बढ़िया है।”
डोलोरेस असमंजस को कम करने के लिए हल्के से मुस्कुराई और बोली – “वह थोड़ा अजीब है, लेकिन हमारे एजेंटों में सबसे अच्छा है।”
“ठीक है,” एमा ने झुरझुरी लेते हुए कहा।
जार्ज ने उन्हें कठोर दृष्टि से देखते हुए कहा – “बच्चों, मैं जो कहता हूँ, उसे ध्यान से सुनों। यहाँ, मौत और ज़िन्दगी के बीच का फ़र्क मैं तुम्हें बताऊँगा।”
डेविड उत्तेजित होते हुए एमा के कानों में फुस्फुसाया – इसके व्यवहार से मुझे, इसे एक घूँसा मारने की इच्छा हो रही है। एमा मुँह दबाकर हँस पड़ी।
डोलोरेस ने एमा को एक स्मार्टफोन सौंपा। “कुछ भी खोजने के लिए इसमें ट्रैकर के साथ सेटेलाईट इन्टरनेट भी है। याद रहे, सकीना के साथ बातचीत करते समय इसका रिकॉर्डर चालू रखना।”
“बहुत अच्छा! यह काम आएगा” एमा ने धन्यवाद दिया।
एमा और डेविड ने अपने निजी सेल फोन डोलोरेस को सौंपे। इस अतुलनीय खोज के कोई निशान नहीं छोड़ने के लिए एक और कदम। डोलोरेस ने एक पीले रंग का लिफ़ाफा निकाला और उनको सौंपा।
“तुम्हारे पास परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने के पूरे अधिकार हैं। रास्ते के लिए कुछ नकदी रख लो। यदि किसी काम के लिए इसका उपयोग करना पड़े, तो तुम कर सकते हो। बाकी तुम सब जानते हो।”
डोलोरेस ने अपने अंतिम निर्देश जारी रखते हुए कहा-“तुम्हें वहाँ कुछ भयानक जगहें दिखाई दे सकती हैं। ऐसे में धैर्य के साथ एकाग्रचित्त होकर, अपने काम पर ध्यान देना। अगर सकीना झूठ बोलती लगे, तो सच्चाई का पता लगाने का प्रयास करना,” एमा ने सिर हिलाया।
“सबसे महत्वपूर्ण बात, किसी भी परिस्थिति में, ना तो तुमको पकड़े जाना है और ना ही अपनी असली पहचान उजागर होने देना है। यदि गाज़ापट्टी में युद्ध के बीच, सैन्य और जासूसी पृष्ठभूमि वाले, दो अमेरिकी पकड़े जाते हैं, तो वैश्विक राजनीति में बहुत बड़ा भूचाल आ जाएगा।”
“और हाँ, डेविड, एमा को सुरक्षित रखना।
“बिलकुल, डोलोरेस,” डेविड ने अनुकूल लहजे में जवाब दिया।
वे ट्रक पर चढ़ गए। जॉर्ज ने गोल चश्मा और एक भूरे रंग की फ्लैट कैप पहनी। उसके चाबी घुमाते ही ट्रक का इंजन दहाड़ के साथ चालू हुआ। कुछ समय के लिए डेविड और एमा, जॉर्ज के पास केबिन में बैठे रहे।
गाज़ा के लिए यात्रा शुरू हुई। उनके ट्रक के काफ़िले के साथ कुछ अज्ञात यात्रियों सहित, कई अन्य ट्रकों का काफ़िला भी था। आने वाले समय में मृतकों की संख्या कम से कम हो, इस उद्देश्य के साथ एक शांतिपूर्ण गुप्त राजनयिक मिशन की शुरुआत हो चुकी थी।
डोलोरेस अपनी कमर पर हाथ धरे उन्हें जाते हुए देख रही थी। देखते हुए जार्ज के ट्रक के पीछे चिपके स्टीकर ने उसका ध्यान आकर्षित किया। उस पर लिखा था – “राइड द लाइटनिंग” (तूफ़ानों की सवारी करो।)
अध्याय १२
“बर्बर, नीच, घिनौने; ऐसे ही दुश्मनों से हम इराक़ में लड़ रहे थे। इसीलिए बहुत सारे लोग, जिनमें मैं खुद भी शामिल हूँ, उन्हें ‘बर्बर’ कहते हैं।” वास्तव में हम जिन लोगों का सामना कर रहे थे, उसका वर्णन करने के लिये इसके अलावा कोई दूसरी संज्ञा थी ही नहीं।”
– क्रिस काइल
वातावरण में व्याप्त भीषण गर्मी को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे सूर्य कुंठित होकर सहारा रेगिस्तान में अपने क्रोध का निर्दयतापूर्ण प्रदर्शन कर रहा हो। इससे सुनहरी रेत और ज़्यादा चमक रही थी, जैसे रेगिस्तान में चारों ओर भीषण गर्मी का साम्राज्य स्थापित था। इस तरह के तपते मौसम में किसी भी तरह के पंचरों से बचाने और ठंडा रखने के लिए ट्रक के टायरों के बाहरी हिस्सों को सफ़ेद रंग से पेंट किया गया था। रास्ते में, बीच-बीच में ताड़ के पेड़ों और रेत के टीलों के अलावा, चारों ओर दूर-दूर तक कुछ था ही नहीं।
गाज़ा बॉर्डर आने वाली थी, एमा और डेविड ट्रक के भीतर मुस्तैदी से बैठे थे। सूरज की रोशनी में उनके शरीर पर चमकती पसीने की बूंदें मोतियों जैसी दिख रही थीं। रेडियो सेट से निकलती कर्कश ध्वनि, उन्हें आगे के मार्ग के बारे में लगातार जानकारी उपलब्ध करा रही थी। काहिरा से डोलोरेस और लैंग्ले में बैठा मैथ्यू इनके सीधे संपर्क में था। शांति से ट्रक चलाते हुए जॉर्ज की पैनी दृष्टि, सड़क पर पड़ी सहारा की रेत के एक-एक कण का बारी से मुआयना भी करती जा रही थी।
जॉर्ज ने कहा, “जब से हमने ड्राइविंग शुरू की है, तब से इतनी देर हो गई है, तुम लोगों के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला। तुम दोनों क्या रोबोट हो भई?”
डेविड ने उत्तर दिया, “हम आपको तंग नहीं करना चाहते थे, इसलिये चुप थे, बस और कुछ नहीं।”
“यार, मेरा इतना ध्यान मत रखो, मैं रो दूंगा।” जॉर्ज ने व्यंग्य से कहा।
एमा ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली, दो घूंट लिए और उसे जॉर्ज को सौंप दिया। आधी बोतल गटकने के बाद, जॉर्ज थोड़ा ठंडा पड़ा।
“तुम जानते हो, यह रेगिस्तान… यह एक ऐसे ड्रेगन जैसा है जो साँस के साथ मुँह से आग उगलता है और जरा से असावधान हुए नहीं कि ये कब आपको निगल जायेगा, पता ही नहीं चलेगा।
“लगता है आप यहाँ काफ़ी लम्बे समय से हैं?” एमा ने बातचीत में शामिल होते हुए कहा।
पूरे दस साल, यहाँ आता-जाता रहा हूँ।” जॉर्ज ने उत्तर दिया।
“ऐसी ज़िन्दगी पसंद हैं आपको?” एमा को जॉर्ज की आवाज़ में कुछ पछतावा जैसा लगा।
“जबआप ऐसी चीजों को देखते हैं, जो किसी और को दिखाई नहीं देती, तो लोग आपको पागल समझते हैं। जॉर्ज ने उपदेशात्मक स्वर में अपनी बात कही।
“आपने क्या देखा है?” एमा ने फिर पूछा।
“सच्चाई,” जॉर्ज ने दावा किया। “युद्ध अब देशभक्ति के कारणों से नहीं होते हैं; वे लाभ के लिए होते हैं। ईश्वर के नाम पर छद्म युद्ध। तुम्हें एक बात बताऊँ, जब आप सीरिया जैसी जगहों पर बलात्कार पीड़ित महिलाओं और बच्चों के सैकड़ों क्षत-विक्षत शवों को देखते हैं, तो आप निश्चित रूप से एक बात जानते हैं, कि ऐसे स्थानों में ईश्वर है ही नहीं, केवल उनका नाम ही है।” उसने एक क्षण विराम लिया। “जुल्मी लोग इसे जिहाद कहते हैं। उनकी नज़रों में, इसका मतलब है, काफ़िरों के ख़िलाफ़ युद्ध, लेकिन वास्तव में, जिहाद का मतलब पूरी तरह से कुछ और है। जिहाद का मतलब पाप के ख़िलाफ़ खुद के भीतर एक आध्यात्मिक-संघर्ष है।”
डेविड, जॉर्ज के तर्कों से प्रभावित हुआ। “उन्हें कैसे पता चलेगा, आतंकवादी शायद उस पुस्तक को कभी नहीं पढ़ते हैं, जिस पर वे विश्वास करते हैं?” डेविड ने पवित्र कुरान का हवाला देते हुए कहा।
एमा भी बातचित में शामिल हुई; उसने कहा, “अगर वे पवित्र पुस्तक में विश्वास करते, तो बंदूकों को कभी तरजीह नहीं देते।”
“तुम्हारी बात सही है,” जॉर्ज ने सराहना की। एक मोड़ पर जॉर्ज ने ट्रक मोड़ा। रेडियो सेट से आवाज़ आयी, “जॉर्ज, तीस मिनट में तुम बार्डर के करीब पहुँचने वाले हो, ओवर।”
माइक को चालू कर, जॉर्ज ने सहमति जताते हुए कहा, “कॉपी, ओवर। “बाहर, रेत के टीलों का आकार बड़ा होता जा रहा था। इन बंजर, घुमावदार ज़मीनों में सभ्यता का एक भी निशान मौजूद नहीं है। संभावित टक्कर से बचने और सुरक्षा को मद्दे नज़र रखकर सभी ट्रकों के बीच लम्बी दूरी बनाए रखते हुए, काफ़िला स्थिर गति से आगे बढ़ रहा था।
“वह क्या है?” एमा ने अपनी उंगली से सड़क किनारे खड़ी एक जीप की ओर इशारा करते हुए पूछा। वहाँ दो आदमी जीप के पास झुककर ऐसे बैठे थे जैसे बीमार हों।
जॉर्ज ने अपने चश्मे से नज़रों को नीचा करते हुए देखा और ज़ोर से बोला – “छिप जाओ, अभी के अभी।”
डेविड ने केबिन की सीट के पीछे की बड़ी खिड़की को खोला और वे दोनों राहत-सामग्री के बक्सों से भरे, विशाल कंटेनर के अंदर चले गए। जॉर्ज ने अपनी टोपी उतार कर उसकी जगह नीले रंग का ‘यूएन’ अंकित हेलमेट पहन लिया। उसने स्पीकर का बटन दबाया और पूछा “आपको वहाँ क्या नज़र आया है?” दूसरी ओर से किसी ने जवाब नहीं दिया। उसकी चिंता बढ़ गई क्योंकि ट्रक वहाँ खड़ी एक कार के क़रीब पहुँच चुका था। उन्हें, ऊपर से एक ड्रोन द्वारा कवर किया जा रहा है, इस आशा के साथ, जॉर्ज अपने शब्दों को बार-बार दोहराते हुए कह रहा था, “आपको वहाँ कुछ हलचल दिखाई दी, ओवर।” जवाब ना मिलने पर उसके मुँह से स्वत ही निकल गया “धत्त तेरे की।”
डेविड और एमा दरवाज़े में लगी फिश आई से बाहर की ओर झांकते हुए, अगले आदेश का इंतज़ार कर रहे थे। ट्रक के अचानक रुक जाने के कारण उनका हृदय ज़ोर से धड़का। ट्रक के आगे सड़क पर एक बीमार आदमी परंपरागत कपड़ों और पगड़ी में प्यास से तड़पता हुआ पड़ा था और दूसरा आदमी उसे झुक कर देख रहा था।
“अन-नजदा…अन-नजदा” उन्होंने मिस्र की भाषा में एक आदमी को चिल्लाते हुए सुना, लेकिन वे उसके शब्दों का अर्थ नहीं समझ सके। बंद खिड़कियों के शीशे से जॉर्ज उन पर नज़रें गड़ाए हुए था।
“वे मदद के लिए पुकार रहे हैं।”
जॉर्ज अरबी भाषा में बोला – “माद्हा वक़ा?” (क्या हुआ?)”
“सा’इदूनी” (मेरी मदद करो) वह आदमी बोला।
“माद्हा वक़ा?” (क्या हुआ?)” जॉर्ज अपने शब्दों को दोहराता हुआ बोला। कंटेनर के अंदर, जेब में रखा एमा का नया फोन वाईब्रेट करने लगा। वह घबरा कर पीछे हटी, उसने फोन देखा, उसकी स्क्रीन लाल हो गई थी; और उस पर लिखा था–
“सिग्नल जैमर अलर्ट!”
यह देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई। उसने जल्दबाज़ी में खिड़की खोली और अपनी सीट पर कूदकर वापस जाकर ज़ोर से चिल्लाई – “जॉर्ज हम पर घात लगाकर हमला किया जाने वाला है, यह एक जाल है।”
जॉर्ज ने उसकी ओर देखा। फोन की ओर देखकर, वह बाहर आदमी को देखने के लिए वापस मुड़ा। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उस आदमी ने अपने कपड़ों के नीचे से एके – ४७ झटके से निकाली और, “अल्लाह-हू-अकबर!” चिल्लाते हुए ट्रक की बंद खिड़की की ओर गोलियों की बौछार कर दी। जॉर्ज और एमा ने उन्हें मिले प्रशिक्षण के कारण स्वाभाविक रूप से झुककर गोलियों से बचाव का प्रयास किया। डेविड ने छलांग लगाकर एमा को अपनी आड़ में कर लिया। चूँकि ट्रक की खिड़कियों के शीशे बुलेटप्रुफ थे, इसलिये गोलियों की बौछार से छलनी होने से बच गए और गोलियाँ शीशे से टकरा कर छिटक कर गिर गईं। लगातार चल रही गोलियों की कर्कश ध्वनि इनके कानों में इतनी ज़्यादा और तेजी से घुस रही थी कि ये ना तो किसी चीज़ पर ध्यान केन्द्रित कर पा रहे थे और ना ही कुछ समझ पा रहे थे। अचानक हुए हमले ने इनका दिमाग़ कुंद कर दिया था। बाहर की तरफ़, एक और कार रेत के टीलों की आड़ लेते हुए तेजी से ट्रकों के काफ़िले की ओर बढ़ी चली आ रही थी।
“कमबख़्त जंगली,” परेशान जॉर्ज ने उन्हें गाली दी।
उसने रेडियो सेट पर मुक्का मारा और बोला – “हमारी जान खतरे में हैं, हम मरने वाले हैं।” लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। अब गोलियाँ चलनी बंद हो गयीं थीं, शायद वे मैगज़ीन बदल रहे थे। थोड़ा इंतज़ार करने के बाद, जॉर्ज सावधानी से बाहर झाँकने की कोशिश करते हुए सर उठा कर बोला – “नीचे झुके रहना!” अरबी में चिल्लाने की आवाज़ के साथ ही उधर से फिर गोलियाँ चलने लगीं। जॉर्ज को हमलावरों की दूरी का अंदाज़ा नहीं होने से वह फिर से नीचे झुक गया।
घटना स्थल से बहुत दूर लैंग्ले में, मैथ्यू पसीना-पसीना होता हुआ, मिशन के कंट्रोल रूम के अंधेरे कमरे में कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठा था। कमरे में कंप्यूटर स्क्रीन से ही थोड़ा उजाला हो रहा था। सामने की दीवार पर लगी, बड़ी सी काली पड़ी कंप्यूटर स्क्रीन पर उसे कुछ दिखाई दिया – “सिग्नल लॉस्ट।”
कुछ मिनट पहले तक ड्रोन कैमरे से तस्वीरें आ रही थीं, लेकिन अब सिग्नल नहीं मिल रहे थे। इस तरह के हादसे पहले कभी नहीं हुए थे, लेकिन जब परिस्थितियाँ विपरीत हो, तो कुछ भी हो जाता है।
फोन बजने की आवाज़ पर मैथ्यू ने डेस्क पर रखे रिसीवर को उठाया और बोला–
“हाँ, मैं… मैं यहाँ बहुत परेशान हूँ। ठीक है, ठीक है। मैं काम पर लगा हूँ।” डोलोरेस ने दूसरी तरफ़ से फोन रख दिया।
मैथ्यू ने कक्ष में उपस्थित एजेंटों से कहा – “हमें उन पर सतत दृष्टि रखने की ज़रूरत है, तुरंत एक और ड्रोन भेजो!”
ट्रक के अंदर अभी भी रेडियो से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी। इसे तोड़ने के लिए दरवाज़े पर ज़ोर-ज़ोर से पड़ रही ठोकरें, उनके लिए एक बड़ी चिंता का विषय था।
जॉर्ज ने दरवाज़े के हैंडल पर चुपके से हाथ रखा और धीरे से झुक कर बाहर की ओर देखा। उसने हैंडल घुमाया और दरवाज़ा खोला, बाहर से दरवाज़ा ठोक रहे आदमी को धक्का दिया और दरवाज़ा बंद कर लिया।
एक और कार ट्रक के पास आकर रुकी और उसमे से कुछ लोग अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाते हुए बाहर निकले और क्लाशिकनोव बंदूकों से ट्रक की ओर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जॉर्ज, डेविड और एमा सोच ही रहे थे कि अब उनके जीवन का अंत होने वाला है, तभी ट्रक के पास एक भीषण विस्फोट हुआ, जिससे ट्रक भयानक तरीके से हिल गया और गोलीबारी बंद हो गयी।
डेविड अपने छुपने की जगह से बहादुरी के साथ यह देखने के लिए खड़ा हुआ कि क्या हुआ था।
ट्रक के पास खड़ी कार में इस तरह से आग लगी हुई थी जैसे विस्फोट उसी में हुआ हो। क्षत-विक्षत हुए मानव शरीर के अंग ज़मीन पर बिखरे हुए थे। उसने पीछे मुड़कर देखा और राहत की साँस ली। पूरा काफ़िला उनकी सहायता के लिए आ पहुँचा था।
जॉर्ज बाहर निकलकर, उस आदमी के पास खड़ा हो गया जो दरवाज़े पर ठोकर मार रहा था और अब विस्फोट से गंभीर रूप से घायल हो, ज़मीन पर पड़ा था। जॉर्ज इस तथ्य से बेख़बर कि वह युद्ध क्षेत्र के बीच खड़ा था, उसने डेविड और एमा को आदेश दिया, “भीतर ही रहो, बाहर का सब मैं संभाल लूँगा।”
फिर उसने उनके सर के ऊपर चक्कर लगाते एक मानव रहित, सशत्र ड्रोन को देखा। अन्य सभी चालक दल के सदस्य भी अब बाहर आ गए थे। जॉर्ज ने उन्हें अपना अंगूठा ऊपर कर अपनी सलामती के बारे में आश्वस्त किया। उसने ज़ख़्मी हमलावर को, काफ़िले की तरफ़ घसीटते हुए कहा, “चल गप्पे लड़ाते हैं, साले-हरामी।”
ट्रक के अंदर, एमा का फोन बजा। सिग्नल जैमर क्षेत्र से वे अब बाहर थे। स्क्रीन पर डोलोरेस का नाम था।
हेल्लो एमा? क्या तुम ठीक हो?”
“हाँ, पर यहाँ हो क्या रहा है?” एमा परेशान आवाज़ में बोली।
“रडार जाम हो गए थे, इसलिए हमें ‘अडवांस’ हमलावर ड्रोनों को भेजना पड़ा।” उधर से डोलोरेस ने कहा।
“मैं भयभीत हूँ।” एमा फिर बोली।
“डरो नहीं, तुमने बहुत अच्छा काम किया है।” डोलोरेस ने उसे शाबाशी दी।
“धन्यवाद।” एमा ने शुक्रिया अदा किया।
“एमा, क्या हमें मिशन को स्थगित कर देना चाहिए?” डोलोरेस थोड़ा विचलित हो गई थी।
एमा ने डेविड की आँखों में झाँका। वे युद्ध के दिनों में हर सैनिक की तरह भय और वीरता से भरी हुई थी। उसने सहमति में सिर हिलाया।
“हमारे पास केवल यही एक अवसर है, अब वापस मुड़ना नहीं है।”
एमा ने घोषणा की, “हम आगे बढ़ रहे हैं, आगे का रास्ता साफ़ करो।”
डोलोरेस की आवाज़ खुशी से गूंज उठी, “ये हुई ना बात।”
फोन पर आवाज़ आनी बंद हो गई। उनकी नजरें आपस में मिलीं।
“हम ठीक हैं?” एमा को उससे आश्वासन की ज़रूरत थी।
“हाँ,” डेविड ने एकटक देखते हुए उत्तर दिया।
थोड़ी देर बाद, जॉर्ज वापस आया, उन्हें थोड़ी राहत मिली।
“वे आतंकवादी नहीं थे। साले डाकुओं ने हमें लूटने की कोशिश की। एक के दो दांत उखाड़ लाया हूँ, नीच की औलाद, सोंन चिरैया जैसे गाकर बोला।”
डेविड ने राहत की साँस ली। एमा ने घबराहट में अपनी आँखें बंद कर लीं, जॉर्ज के जवाब से उसके दिमाग़ में एक ख़राब छवि उभर रही थी। लैंग्ले में, मैथ्यू ने ड्रोन को हेंडल करने वाले पायलट की पीठ थपथपाई। उसे बहुत ज़्यादा भूख लगी थी इसलिये पायलट के लिए रखे, हॉट डॉग में से एक टुकड़ा तोड़कर खाते हुए बोला “गुड किल।”
उसे डोलोरेस ने फोन पर बताया था, “हमलावर हमारे असली दुश्मन नहीं थे, बल्कि लुटेरे थे, जिन्होंने आसान और मोटा शिकार समझकर उन पर हाथ डाला था।”
उसने स्क्रीन पर देखा; ड्रोन कैमरे ने ‘बर्ड्स आई व्यू’ से घटना-स्थल की तस्वीरें भेजीं थीं। उसमे जीप से उठती आग की लपटें ऐसे दिखाई दे रही थी जैसे चमकीली रिबन हों। काफ़िला अस्त-व्यस्त होकर रुक गया था। लेकिन अब उसके आगे बढ़ने का समय हो चुका था।
इधर लैंग्ले में कंट्रोल रूम में मैथ्यू ने घोषणा सी करते हुए कहा, “ठीक है, सब लोग काम पर वापस लग जाओ, हमें अब अपने मिशन को उसके अंजाम तक पहुँचाना है।”
उधर जॉर्ज ने इंजन को फिर से चालू किया। जैसे ही उसने पैडल पर अपना पैर रखकर एमा और डेविड के थके हुए चेहरों को देखा, वह स्वयं से ही मुख़ातिब होकर बोला “ये सब…एक अच्छा शगुन नहीं है।”
अध्याय १३
“युद्ध के समय में, सत्य इतना मूल्यवान होता है, कि उसे हमेशा असत्य रूपी अंगरक्षक की अभिरक्षा में रखा जाना चाहिए।”
– विंस्टन चर्चिल
हाल की घटनाओं के कारण, काफ़िले को अपना मार्ग बदलना पड़ा और लम्बा मार्ग चुनने के कारण यात्रा अनावश्यक रूप से खिंच गई। समुद्र का किनारा पास ही होने से इस रास्ते में काफ़ी हरियाली और वातावरण में नमी थी; समुद्री बयार, खेतों में लहलहाती फसलों की क्यारियों को छूती हुई गुज़र रही थी।
डेविड और एमा ट्रक के कंटेनर के अंदर आराम कर रहे थे। वे भी बक्सों में भरी दवाओं की ही भांति थे, क्योंकि उनका इस्तेमाल भी युद्ध रूपी एक भयानक बीमारी के इलाज के लिए किया जा रहा था। कंटेनर में रखे दवाओं के बक्सों से आती अजीब सी गंध से उन्हें आख़िरकार, मतली जैसा महसूस होने लगा था। वे जागने के लिए और शारीरिक तरल पदार्थों को बनाए रखने के लिए एनर्जी बार खा रहे थे और ग्लूकोज का पानी पी रहे थे, क्योंकि पसीना मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी प्रकार के लवणों को बाहर निकाल रहा था।
बढ़ते तापमान के कारण कंटेनर फ्राइंग पैन की तरह गर्म हो जाता, लेकिन फ़र्श पर लगाये गए कालीन के कारण डेविड और एमा गर्मी से झुलसकर बेहोश होने से बचे हुए थे। हाल की घटनाओं से वे दोनों एक दूसरे से दूर-दूर बैठने को मजबूर थे इसलिये अब वे दोनों पास-पास बैठ गए। डेविड ने एमा के कंधे पर अपना सर रख दिया और उसे एनर्जी बार खिलाते हुए पूछा, “तुम ठीक हो?”
“हाँ।” एमा ने उत्तर दिया।
अमेरिका से इस रेगिस्तान तक की लम्बी यात्रा उनसे अपनी कीमत वसूल रही थी, फलस्वरूप उनका सारा बदन थकान से अकड़ा हुआ था। वे पहले की तरह कठोर और घातक नहीं रह गए थे। सामान्य ‘नागरिक-जीवन’ जीने की आदत ने उनके युद्ध – कौशल को जंग लगा दिया था, लेकिन अब धीरे-धीरे परिस्थितियों के अनुसार जंग उतर रहा था और वे पहले जैसे बनते जा रहे थे।
कुछ सोचते हुए एमा को अचानक हँसी आ गई।
“हँसने की क्या बात है?” डेविड उसकी हँसी पर बोला।
“वास्तव में कैसी विडंबना है… पहले जब मैं सीआईए की जासूस थी। एक बार मैं एक संवाददाता सम्मेलन में पीछे खड़ी थी। एक पत्रकार ने कुछ आँकड़े प्रस्तुत किए और एक सवाल पूछा, “युद्ध के लिए धन हमेशा आसानी से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन स्कूलों के लिए कभी नहीं?”
सम्मलेन के किसी प्रवक्ता द्वारा आधिकारिक रूप से जवाब देने से पहले, प्रेस के लिए पीछे सुरक्षित स्थान से एक व्यक्ति ने जवाब दिया – “क्योंकि क़िताबें हमेशा बंदूकों से सस्ती होती हैं।” उसकी इस बात पर सम्मलेन में ऐसा सन्नाटा छा गया कि सुई भी गिरे तो उसकी आवाज़ सुनाई दे। कभी-कभी सच कितना अजीब होता है ना।”
उसकी हँसी में छुपा गहरा कटाक्ष, उनके भाग्य का प्रतिबिंब था। मुसीबत हमेशा आपसे दोस्ती करने का रास्ता स्वयं ढूंढ लेती है और मौका मिलते ही सीधे आपके हृदय पर वार करती है।
केबिन की खिड़की थोड़ी सी खुली और जॉर्ज ने उसमें से पीछे झाँका।
“आगे रास्ता उबड़-खाबड़ होगा, तुम लोग संभल के बैठना।”
डेविड ने अंगूठा-ऊपर कर अपनी सहमति दी। खिड़की फिर बंद हो गई।
एमा ने टाईम पास करने के लिए अपना फोन निकाला। जर्जर सड़क के बीच बड़े-बड़े खड्डों से गुज़रते हुए ट्रक को इतना ज़ोरदार धचका लगा कि एमा और डेविड अपनी जगह से तीन बार उछल गए। इससे एमा का फोन हाथ से छूट गया, लेकिन इससे पहले कि वह तल से टकराता, एमा ने संभलते हुए उसे बीच में ही थाम लिया।
“माफ़ करना, मेरी गलती के कारण ऐसा हुआ,” ड्राइविंग सीट से आवाज़ आई। जॉर्ज ने और बड़े धचकों से बचने के लिए ट्रक की गति थोड़ी कम कर दी। संयोग से, एमा के हाथ से फोन की स्क्रीन पर कहीं टच हुआ और एक एप्प ओपन हो गया, जिसमें उसके निजी फोन के सभी डेटा दिखने लगे। एमा को ये सब पसंद नहीं आया लेकिन उसे आश्चर्य नहीं हुआ। चूँकि वह सीआईए के साथ काम कर रही थी इसलिये जानती थी कि सीआईए वाले अपने साथ काम करने वालों पर पूरी नज़र रखते हैं। उसने सोचा–
“वे मुझे क्यों बतायेंगे कि उन्होंने मेरा फोन हैक किया है?”
उसने डोलोरेस को मैसेज किया: “मुझे इस फोन पर अपनी सभी व्यक्तिगत फाइलें मिलीं। क्या मैं जान सकती हूँ ऐसा क्यों हुआ?”
अगले ही पल डोलोरेस ने जवाब दिया।
“तकनीकों के युग में, हम चाहते थे कि तुम अपने डिवाइस के साथ सहज रहो। इसमें तुम्हारे सभी डेटा जैसे गाने, फोटो और ब्राउज़र हिस्ट्री भी हैं। यह तुम्हारे लिए सुविधाजनक होगा।”
“हाँ, इससे आसानी तो होगी,” उसने सहमति जताई।
“क्या हुआ?” डेविड ने पूछा।
“कुछ नहीं।” एमा बोली
उसने डेविड से डोलोरेस से मैसेज पर बात वाला ज़िक्र ना करके, एक गुप्तचर की विश्वसनीयता बरक़रार रखी। वह पहले से ही परेशान था, एमा उसकी परेशानी और बढ़ाना नहीं चाहती थी। उसे यह बताना बेतुका लगा कि कुछ दिनों से उन पर नज़र रखी जा रही थी। उसने डेविड के हाथ को प्यार से अपने हाथ में लिया और उसके करीब सरक गई। वह इन सब बातों को छोड़कर कोई सार्थक वार्तालाप करना चाहती थी।
“क्या तुमको वह ज़माना याद आता है? रेगिस्तानी गर्मी में छुपकर बैठना और हर समय, मारने या मारे जाने का इंतज़ार करते रहना।”
“हाँ, मैं याद करता हूँ… ज़्यादातर,” उसने कहा, उसकी आवाज़ में ईमानदारी झलक रही थी।” लेकिन वह वाकये नहीं, जहाँ मुझे अपने दोस्तों को मरते हुए देखना था… बल्कि जवानी के दिनों में, गोलीबारी के बीच दिल की धडकनें बढ़ने का रोमाँच; सैनिकों के बीच का आपसी भाईचारा, जिसका मतलब दोस्ती के रिश्ते से कहीं बहुत ज़्यादा है; जब आपके संगी-साथी आपके लिए अपने प्राणों की बलि देने को हमेशा तैयार खड़े रहते हों। इस तरह के रिश्ते की घनिष्ठता को केवल एक सैनिक ही महसूस कर सकता है और इसीलिए मैंने अपनी बगल में वह टैटू बनवाया है।”
एमा की पिछली नौकरी में उससे लोगों से लगाव ना रखने की अपेक्षा की जाती थी, लेकिन उसकी भी भावनाएँ डेविड जैसी ही थी। “यह हमारे हमपेशा लोगों को महसूस होता होगा कि हमारे जीवन का यह सबसे बुरा समय है। शायद यही वजह है कि युद्ध इतने प्रसिद्ध होते हैं। यदि आप जीवित बच के निकल आते हैं, तो भी इसकी यादें हमेशा आपके साथ रहती हैं।”
“यह वह कीमत है जो हम अपने फैसलों के लिए चुकाते हैं और मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है।”
एमा ने भी सहमति में सिर हिलाकर कहा, “कोई पछतावा नहीं है।”
भारी एयरब्रेक दबाने से एक झटके के साथ ट्रक रुक गया। जॉर्ज अपने गुप्त यात्रियों की ओर मुड़कर बोला, “हम सीमा के करीब हैं; शांत रहें और छिप जायें।”
उसने रेडियो स्पीकर पर कहा, “हम नाके पर हैं, उन्हें कॉल करें, ओवर।”
डेविड ने एमा का हाथ कस कर पकड़ रखा था। वहाँ इतनी तनावपूर्ण चुप्पी छा गयी कि, वे एक दूसरे के दिल की धड़कनें साफ़ सुन सकते थे। जॉर्ज खुद घबरा रहा था, लेकिन उसने संयम बरता, आख़िर उसको सौंपे गए काम को सफलता पूर्वक पूरा जो करना था। काफ़िला अंतिम चैक पोस्ट की ओर बढ़ा। नाकाबंदी, रेत की बोरियां और मशीन गन के साथ रास्ते में बड़ी रूकावट खड़ी की गयी थी। वे सीमा से पहले, आख़री परिसर से गुज़रे, जो ज़रूरी सुविधाओं से युक्त था।
काफ़िले के साथ हाल ही में हुई घात लगाकर हमले की घटना से बेख़बर, चैक पोस्ट के गार्ड, उनके आने की उम्मीद कर रहे थे। काफ़िले में जॉर्ज का ट्रक सबसे आगे चल रहा था, नाकाबंदी आने पर, सबसे पहले उसी ने ब्रेक लगाये।
एक छोटी सी लड़ाई के लिए पर्याप्त तादात में, सशस्त्र-गार्ड वहाँ मौजूद थे। उन्होंने काफ़िले की ओर अपनी बंदूकों का रुख इस तैयारी से किया, जैसे आदेश मिलते ही हमला करना हो।
जॉर्ज खिड़की से कूद कर नीचे आ गया। उसी समय ‘ग्रे-वर्दी’ पहने, हाथ में बंदूक लिए एक गार्ड उसके सामने पहुँचा और त्योंरियां चढ़ा कर खड़ा हो गया।
“जवाज अज़-सफ़र (पासपोर्ट?)” उसने पूछा।
जॉर्ज ने शर्ट की जेब से अपना पासपोर्ट निकाल कर उसे दिखाया। गार्ड ने पासपोर्ट का बारीकी से निरीक्षण किया, लेकिन उसकी मंशा इनसे उलझने की लग रही थी।
“बी ताकत-अज़ सा ‘ईक?” उसने जॉर्ज से ड्राइविंग लाइसेंस माँगा।
जॉर्ज ने डैश-बोर्ड से भारी वाहनों को चलाने के लिए जारी एक अंतर्राष्ट्रीय लाइसेंस निकाला और उसे गार्ड को सौंप दिया। पता नहीं क्यों, गार्ड को जॉर्ज पर संदेह हुआ।
यह जताते हुए कि उसे अंग्रेजी आती है, अपने मोटे मध्य पूर्वी लहजे में उसने जॉर्ज से अपनी बंदूक की नाल ट्रक की ओर करते हुए पूछा।
“ट्रक में क्या है?”
“आप पहले से ही जानते हैं… दवाइयाँ, भोजन और पानी,” शिकायती लहजे में जॉर्ज ने कहा।
गार्ड उससे सहमत नहीं लग रहा था। उसने अपने जबड़े भींचे और जॉर्ज को एकटक देखने लगा।
“तुम अमेरिकी, यहाँ रेगिस्तान में क्या कर रहे हो? हमें यहाँ तुम्हारी ज़रूरत नहीं है, हम पहले ही बहुत परेशानियाँ झेल रहे हैं।”
उसकी इस बात से जॉर्ज को अधीरता और बैचेनी महसूस होने लगी।
“आप ट्रक पर उस ‘नीले प्रतीक चिन्ह’ को देख रहे हैं? हम यहाँ मदद करने के लिए हैं। मुझे यकीन है कि आपको कुछ मिनट पहले एक कॉल आया था। क्या आप हमें अब जाने देंगे? हम यहाँ पहले ही ज़रूरत से ज़्यादा देर रुक चुके हैं और युद्ध-विराम लंबे समय तक नहीं रहेगा।” जॉर्ज शिकायती लहजे में बोला।
“पहले मुझे दिखाओ कि अन्दर क्या है फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा।” वह जिद पर अड़ गया था। ट्रक के अंदर, डेविड और एमा गहरी चिंता में उलझे हुए सब कुछ स्पष्ट रूप से सुन रहे थे, लेकिन उन्हें जॉर्ज पर पूरा भरोसा था।
लैंग्ले में दूर, मैथ्यू डरा हुआ, उलझन में था। वह स्क्रीन के सामने हाथ बांधे खड़ा था। अचानक काफ़िले के वहाँ देर तक रुके रहने के कारण वह थोड़ा नाराज़ भी था।
“उन्हें इतनी देर क्यों लग रही है?” हमने पहले ही उन्हें वहाँ से निकालने के लिए कॉल कर दिया था।”
जॉर्ज अपनी ओर से किसी भी संदिग्ध परिस्थिति के उत्पन्न होने से बच रहा था। इस वक़्त वह गार्ड की दया पर निर्भर था; वह जानता था कि उसे इसके बारे में बात करनी चाहिए।
“आपको ट्रक में क्या है, देखने का कोई अधिकार नहीं है।”
“मुझे इसकी परवाह नहीं है। मुझे तुम अमेरिकियों पर भरोसा नहीं है।
“क्या नौटंकी हैं!”
गार्ड की धृष्टता पर जॉर्ज भड़क गया। उसने एक साहसी कदम उठाया और बोला,
“सुन बे, ए, गुंडे! जीवन भर तुम्हें उतने लोगों को मारने का मौका नहीं मिलेगा, जितनी जानें मैं अब तक बचा चुका हूँ। मेरा जीवन भर तेरे जैसे कट्टर गधों से पाला पड़ा है। मैं तुझ को पहले ही बता चुका हूँ कि ट्रक में केवल मदद है। अब अपना काम कर और हमें जाने दे।”
अपने अपमान पर गार्ड का चेहरा जर्द पड़ गया और उसने अपनी बंदूक जॉर्ज के चेहरे पर तान दी। इसने जॉर्ज के अहंकार को ठेस पहुँचाई और जॉर्ज आपे से बाहर होकर ट्रक को ज़ोर-ज़ोर से थपथपाने लगा और गार्ड की आँखों में ऑंखें डालकर देखने लगा। गुस्से से उसके चेहरे पर पसीना छलक आया था।
“आजा लड़के। चल तू भी खुश हो ले। बंदूक ताने गार्ड के साथ, जॉर्ज ट्रक के पिछले हिस्से की ओर बढ़ गया। उसने इतनी ताकत से दरवाज़ा खोला जैसे उसे उखाड़ देगा।
स्क्रीन पर इस कृत्य को देखकर मैथ्यू का जबड़ा खुला हुआ था।
“वहाँ क्या बकवास चल रहा है? मुझे सीसीटीवी फुटेज दिखाओ। अभी!”
जैसे ही गेट खुला, डेविड और एमा ने जम कर मुँह को अपने हाथों से भींच लिया ताकि किसी को साँस कि आवाज़ भी न सुनाई दे। डेविड ने एमा को अपनी आँखों से इशारा किया कि जरा भी ना हिले। गार्ड यह देखकर निराश हुआ की ट्रक नीचे से लेकर ऊपर तक दवाइयों के बक्सों से भरा हुआ है। जॉर्ज ने एक बक्सा उठाकर गार्ड के मुँह पर मारने जैसे खोला।
“अब तो खुश हो, तुम्हें क्या लगा कि मैं ट्रक के अंदर लोगों को ले जा रहा हूँ। क्यों, तुम तो ऐसा ही सोच रहे थे ना?” जॉर्ज अपनी बेगुनाही साबित करते हुए अधिकार पूर्वक बोला।
इससे गार्ड के अहंकार को और भी चोट लगी, वह तिलमिला कर बोला-बक्सों को सरकाओ।
जॉर्ज ने गुस्से में अपनी मुट्ठी बांध ली और ज़ोर से बोला, “भगवान् के लिए मान जा!”
गार्ड अधीरता से बक्से को सरकाने की कोशिश करने लगा। जॉर्ज असहाय था, उसकी एक गलती से पूरा मिशन विफल हो सकता था। बक्से के दो ढेरों के बीच एक पतली सी झिरी दिखाई दी, जिसमें से डेविड और एमा की उपस्थिति उजागर हो सकती थी। दोनों झिरी से जॉर्ज और गार्ड को लड़ते हुए देख सकते थे। उनके शरीर में भय की एक लहर सी दौड़ गयी, उन्होंनें महसूस किया एक क्षण, आतंक की पराकाष्ठा का। लेकिन वे चुपके से एक ओर सरक गए, ताकि गार्ड की नज़रों से स्वयं को बचा सके।
गार्ड अपनी अपेक्षानुसार किसी चीज़ को ढूंढने में असफल होकर, आग-बबूला हो रहा था। वह जो सामने दिखाई दे रहा था, के अलावा कुछ और खोजने के लिए तेजी से बक्सों को खोलने लगा। इससे पहले कि गार्ड को कुछ और मिल पाता, जॉर्ज ने गार्ड की पीठ थपथपाई। वह पलटा।
गार्ड ने दांत पीसते हुए पूछा, “क्या हुआ?”
“तुम्हारी पीठ पर एक कीड़ा था,” जॉर्ज ने तुरंत झिरी को छिपाने के लिए एक दूसरा बक्सा उसके आगे लगा दिया।
“सुनो… बहुत हो चुका। मुझे अब तुम्हारी बकवास बर्दाश्त नहीं हो रही है। तुम मुझे गोली मारना चाहते हो, आगे बढ़ो, मारो। लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के एक निर्दोष कर्मचारी की हत्या के लिए कोर्ट-मार्शल झेलने के पहले ये एक चीज़ तो देख” और गार्ड को मुक्का मारना चाहा। उलटे जॉर्ज को मारने के लिए गार्ड ने उसकी मुट्ठी पकड़ ली। चैक पोस्ट केबिन से एक और गार्ड ने अरबी में गार्ड से चिल्लाकर कुछ कहा। उसने जॉर्ज की पकड़ से अपनी मुठ्ठी छुड़ाई और घबराये हुए बूढ़े जॉर्ज को बिना देखे, केबिन की ओर चला गया। केबिन के अंदर, एक फोन उग्र गार्ड के लिए इंतज़ार कर रहा था। वह कॉल पर दस सेकंड से ज़्यादा नहीं रहा। उसकी हालत, एक बाप द्वारा बच्चे को डांटने के बाद जैसी दिख रही थी। उसने अपनी हार स्वीकार करते हुए सुस्त आवाज़ में कहा, “रास्ता खोलो, उन्हें जाने दो।”
जॉर्ज को पता था कि यह सीआईए की करामात है।
वह ट्रक के अंदर वापस चढ़ गया और घोर नफ़रत से गार्ड की तरफ़ देखने लगा। उसने अपनी उंगली से आसमान की ओर इशारा किया, उसका अभिप्राय ड्रोन से था।
“अल्लाह हम सभी को देखता है।” और वह मुस्कुराया।
काफ़िला फिर से चल पड़ा। बक्से के ढेर के पीछे छिपना, गार्ड की नज़रों से केवल एक इंच दूर रह जाना, इस रोमाँचकारी अनुभव से गुज़रने के बाद एमा और डेविड ने राहत की साँस ली।
लैंग्ले में, मैथ्यू के चेहरे पर मुस्कान थी। उसने अपने फोन पर ‘स्पीड-डायल’ बटन दबाया।
“मैम, उन्होंने बॉर्डर पार कर ली है। अब सब कुछ ठीक है।”
“बहुत अच्छा,” दूसरी तरफ़ से डोलोरेस ने जवाब दिया।
मैथ्यू अभी भी पूरी तरह से मुस्तैद था। उसे काफ़िले के बाकी के सफ़र का भी ख़याल रखना था।
स्थिर गति से ड्राइविंग करते हुए, जॉर्ज ने एक और सिगरेट सुलगाई।
“देवियों और सज्जनों, अब हम गाज़ा में हैं।”
अध्याय १४
“जो चल बसे हैं और जो बच गए हैं, उन सभी के लिए कहीं ना कहीं, हम ही ज़िम्मेदार हैं।”
– ऐली विसेल
कई कारण है कि मनुष्य इस ग्रह पर सबसे अधिक जानलेवा प्राणी के रूप में जाना जाता है। हम आगे बढ़ने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, भले ही इन कर्मों से प्रकृति को और हमें कितना भी नुकसान क्यों ना पहुँचे। हम अपने डर की ज़ंजीरों में जकड़े हुए, अपने एशो-आराम के लिए बद से बद्तर होते जा रहे हैं।
हमें बचपन की कहानियों में राक्षसों से बचने के बारे में चेतावनी दी जाती थी, लेकिन वे कुछ भयावह विघटित प्राणी नहीं थे… वे हम में से ही हैं, जो दुष्ट-संकल्पों से प्रेरित हैं।
शायद इसीलिए जीवन को एक अंधकारपूर्ण यात्रा कहा गया है और आज की दुनिया एक अधिक अंधकारमय स्थान बन गया है; और गाज़ापट्टी इसका जीवंत उदाहरण है।
ट्रक के पिछले हिस्से में बैठे डेविड के सब्र का बांध अब टूटने वाला था; उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह अब किसी काम का नहीं रह गया। एमा और वह कुछ ताज़ी हवा लेने के लिए आगे की सीट पर चले आए। अब चूँकि वे सीमा पार कर चुके थे, कोई नहीं जानता था कि वे कौन थे या वे क्या करने वाले थे। उनकी गोपनीयता को बनाये रखते हुए न्यूनतम जोख़िम के साथ थोड़ी देर के लिए सामने बैठाने का निर्णय सोच-समझ कर लिया गया था।
एमा कई बार गाज़ा में आ-जा चुकी थी, लेकिन इस बार उसका यहाँ आना एक विशिष्ट, अति महत्वपूर्ण कार्य हेतु हुआ था और इस बार की परिस्तिथियाँ काफ़ी कठिनाइयों से भरी थी। इससे पहले उसे युद्ध के दौरान कभी भी, कहीं नहीं भेजा गया था। काफ़िला एक मोहल्ले के पास से गुज़रा, जो उस जगह के समान दिखती थी जहाँ उसने सेंट्रीफ्यूज बेचने में हुई धांधली का पर्दाफ़ाश करने वाले मिशन में अपने साथियों को खो दिया था। यादों ने उसके अशांत मन को फिर से कुरेदा; उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और धीरे-धीरे साँस लेने लगी। उसका सबसे महत्वपूर्ण चरित्र था, एक ऐसा गुण ‘संयम’ जो इस मिशन में निर्णायक साबित होने वाला था।
गाज़ा सिटी की ओर जाने वाले रास्ते में जहाँ तक नजरें जाती थी, नियमित अन्तराल से कहीं, राख, कहीं मिसाइलों के आक्रमण से ध्वस्त हुई इमारतों के मलबे के ढेर और भी इसी तरह के तबाही के दृश्य ही दिखाई पड़ते थे। इस क्षेत्र में ना तो भोजन पर्याप्त मात्रा उपलब्ध था और ना ही पानी। बिजली केवल कुछ घन्टे आती थी। जीवन-यापन के लिए आवश्यक सुविधाएँ, यहाँ के रहवासियों के लिए अब एक स्वप्न के सामान थीं। वास्तव में वर्तमान में गाज़ापट्टी के निवासियों का जीवन पूरी तरह से इज़राइल की दया पर निर्भर था।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के ट्रकों को देखकर लोग हैरान रह गए जैसे कि कोई उड़न-तश्तरी उनके पास से गुज़री हो। बच्चों ने काफ़िले का जहाँ तक वे कर सकते थे, पीछा किया। जैसा कि अक्सर यहाँ होता था; उन्होंने ट्रकों पर पथराव किया। आगे रास्ते में, आतंकवादियों का एक समूह, जिसके सदस्यों ने एके-४७ रायफलें अपने हाथों में ले रखी थी और जिनके चेहरों पर एक अजीब सा अहंकार दिख रहा था, अपने सीने पर हाथ मारते हुए काफ़िले का मज़ाक उड़ाते हुए गुज़रा। हाथों में बंदूक लेकर, हर कोई सोचता था कि वह अजेय है।
“दिल दहला देने वाला नज़ारा है।” डेविड ने कहा।
जॉर्ज थोड़ा आश्चर्य-चकित था “नहीं, जांबाज।” तुम इससे पहले भी ऐसे दृश्य, कई बार देख चुके हो।”
डेविड ने कहा, “हाँ, पर कभी भी इसकी आदत नहीं पड़ी।”
जॉर्ज ने सिर हिलाया। उसने एमा की ओर देखकर कहा-
“बड़ा भावुक आदमी है।”
“हाँ, और ऐसा ही मुझे पसंद है।” एमा ने कहा। वह हँसी-मज़ाक में संलग्न होने के स्थान पर नक़्शे के बारीकी से अध्ययन में लग गई। उसने देखा की इज़राइल ने इस इलाके की कितनी कठोर घेराबंदी की है, लेकिन वह इससे निजात पाने में किसी की कोई मदद नहीं कर सकती थी। वास्तव में, इज़राइल ने हमास को नेस्तनाबूत करने के लिए विध्वंसक हमले अब और तेज़ कर दिए थे।
पहली बार, उसने अपने मिशन की सबसे महत्वपूर्ण ‘कड़ी’ सकीना के बारे में सोचा। हिज़ाब में लिपटी एक खूबसूरत मुस्कान के साथ उसका गोल-मटोल, दूधिया-गोरा चेहरा, उसका आकर्षण था। वह एक मुख़बिर थी, लेकिन एक सदगुणी; कभी उसने ऐसी कोई जानकारी नहीं दी जिसके कारण किसी की जान गई हो। बेशक, उसने अपने हित के लिए कुछ ऐसे काम किए जो सारा ज़माना करता आया है – “काम के बदले दाम।”
क्या वह अभी भी पहले जैसी ही है?
एमा को पता था कि इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में उससे बहुत ज़्यादा उम्मीद रखना दूर की कौड़ी होगी। एक लंबे समय से भूला हुआ चेहरा, लेकिन आज, सकीना उसका उद्देश्य थी।
वह कैसे प्रतिक्रिया करेगी? हम उससे सच कैसे उगलवायेंगे। यह बात हज़म होने जैसी तो नहीं है पर… उसे सच बताना है, उसे बताना ही होगा, आख़िर लाखों निर्दोष महिलाओं और बच्चों का जीवन उस पर निर्भर है।
सड़क ऊबड़-खाबड़ थी, लेकिन जॉर्ज ने रफ़्तार धीमी नहीं की।
रिव्यू मिरर में एमा ने देखा कि कुछ ट्रक काफ़िले से अलग होकर दूर जा रहे हैं, उसके दिल की धड़कन जैसे थम गईं। वह घबराए हुए चेहरे के साथ जॉर्ज की ओर मुड़ी। इससे पहले कि वह अपने मुँह से शब्द निकाल पाती, जॉर्ज बोला, “फ़िक्र मत करो, काफ़िला पूरी गाज़ापट्टी के लिए राहत सामग्री लाया है, ना कि सिर्फ़ किसी विशेष शहर के लिए। जब हम गाज़ा शहर पहुँचेंगे तब हमारे साथ एक ट्रक के अलावा कोई और नहीं होगा।”
और यह हमारी गोपनीयता को बनाए रखने में मदद भी करेगा,” एमा ने इस विचार से सहमति जताते हुए कहा, जिससे कम से कम प्रचार हो।
उसका फोन बजा; फिर से डोलोरेस थी।
“हाय, मेरी लड़की कैसी है? क्या हम तैयार हैं?” डोलोरेस ने अति-उत्साह से कहा।
“हम तैयार हैं।” एमा ने भी उसी टोन में उत्तर दिया।
“टोल पर गड़बड़ी के लिए माफ़ करना। उधम मचाने वाला एक मूर्ख था।”
“ठीक है। यह सब मायने नहीं रखता, हम अंदर आ गए हैं।”
“इसे स्पीकर मोड पर रखो। मैं डेविड से बात करना चाहती हूँ।”
“हाँ, यकीनन।”
एमा ने अपना हाथ बाहर रखा और फोन को स्पीकर मोड पर कर दिया। डेविड का ध्यान अब फोन पर हो रही बातों की ओर था।
“हेलो हेंडसम,” डोलोरेस ने कहा।
डेविड चकित था, “हाय।”
“तुम बहुत बढ़िया काम कर रहे हो। हमें तुम्हारे और एमा पर गर्व है।”
“धन्यवाद।”
“सुनो, तुम दोनों। चलो पहले काम की बात कर लें। अब हम ड्रोन के साथ काफ़िले को कवर नहीं करेंगे, क्योंकि हम मोसाद को छेड़ना नहीं चाहते। तुम दोनों अब हमारी आँखें और कान हो। तुम्हें क्या करना है, ये तुम अच्छी तरह जानते हो, लेकिन मैं फिर से एक बार दोहरा देती हूँ… जितनी अधिक से अधिक जानकारी हासिल कर सकते हो, करो, लेकिन किसी भी परिस्थिति में अपना राज़, फ़ास मत होने देना। सुनिश्चित करें कि तुम्हारे द्वारा हासिल की गई जानकारी पूर्ण सत्य हो। हम अपने माथे पर एक और ‘मोकुसात्सू’ नहीं झेल सकते। और हाँ, तुम्हें समय का ख़ास ध्यान रखना है, इसलिए दिए गए समय में कार्य पूरा करें ताकि तुम दोनों को हम सुरक्षित वापस ला सकें।”
“विल्को (सब समझ गया।)” डेविड ने ज़ोर से कहा। फोन डिस्कनेक्ट हो गया।
“मोकुसात्सू क्या है?” डेविड ने हैरानी से पूछा।
एमा को डेविड का सवाल ठीक से सुनाई नहीं दिया,
“क्या, तुम कुछ पूछ रहे थे?”
“हाँ, डोलोरेस ने क्या कहा? वह एक और ‘मोकुसात्सू’ नहीं चाहती है? यह क्या है?”
“यह दुनिया की सबसे दुखद ग़लतफहमियों में से एक है, जिसके कारण अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों से हमला किया गया।”
“क्या?”
“हाँ।”
जॉर्ज उत्सुकतावश उनकी बातचीत सुन रहा था। उसकी नज़र सड़क पर थी लेकिन कान उन दोनों की बातों पर थे।
एमा ने कहना जारी रखा, “द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिक जापानी क्षेत्रों में अंदर तक घुस चुके थे, इसलिए युद्ध का अंत निकट आ रहा था। मित्र देशों के नेताओं ने जर्मनी के पॉट्सडैम में एक बैठक की। उन्होंने जापान के आत्मसमर्पण की रूपरेखा की घोषणा की और उत्सुकता से जापान की प्रतिक्रिया का इंतज़ार करने लगे थे।
जापान के प्रीमियर, मुझे लगता है कि उनका नाम सुज़ुकी था, उसने कहा कि हाँ, वही था। उन्होंने आत्मसमर्पण की घोषणा के जवाब में ‘मोकुसात्सू’ कहा। दुर्भाग्य से, इस शब्द के कई अर्थ हैं, और उनमें से एक का अर्थ, ‘अवमानना पूर्ण व्यवहार करो’ था।”
“इसके दूसरे अर्थ क्या हैं?” जॉर्ज ने उत्सुकता से पूछा।
एमा ने जवाब दिया, “चुप्पी से नज़रअंदाज़ करना” और “शांति से प्रतीक्षा करते हुए, निष्क्रिय रहो।”
“काफ़ी गड़बड़ शब्द है,” डेविड ने कहा।
“हाँ,” जॉर्ज ने पुष्टि की।
“वास्तव में प्रीमियर का आशय यह था कि वह किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से बच रहे थे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों ने दुनिया को यह बताना ज़्यादा उचित समझा कि जापानी सरकार की नज़र में, ‘अंतिम चेतावनी टिप्पणी के योग्य नहीं थी।’ और इस प्रकार, जैसा कि इतिहास गवाह है, सहयोगियों ने इसे जापान की ‘कामाकाज़ी’ (आत्मघाती) भावना के एक और उदाहरण के रूप में लिया। जैसा कि घोषणा में ‘तेजी से विध्वंसात्मक कार्रवाई’ करने का उल्लेख था, उन्होंने वैसा ही करने का निर्णय लिया। दस दिनों के बाद, मित्र-राष्ट्रों ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों से हमला करने पर सहमति व्यक्त की और फलस्वरूप अगस्त-१९४५ में, दोनों शहर परमाणु हमलों से ज़मींदोज़ कर दिए गए।”
सभी अवाक थे।
“मानव इतिहास में यह सबसे बड़ा नरसंहार था और यह केवल और केवल एक ग़लतफ़हमी (मोकुसात्सू) के कारण हुआ था।” डेविड ने कहा, उसकी आवाज़ में आक्रोश था।
एमा ने शीघ्रता से जवाब दिया, “जापानी प्रीमियर ने एक राजनेता की तरह, कूटनीतिक जवाब दिया था। वैसे वह अलग-अलग शब्द चुन सकते थे, और प्रेस को भी जल्दबाज़ी में, कुछ भी छापने से पहले गहराई में जाकर उसे सही अर्थों में समझना चाहिए था; इसके लिए सभी को दोषी ठहराया जाना चाहिये।”
“तुम यह सब कैसे जानती हो?” डेविड ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
“यह सीआईए की वेबसाइट के ‘डि-क्लासिफाइड सेक्शन’ में उपलब्ध है। हर कोई इस जानकारी तक पहुँच सकता है। यह पूरी तरह से अलग बात है कि केवल कुछ ही लोग इसके अस्तित्व के बारे में जानते हैं।”
कुछ देर बातें करने के बाद, वे भूल गए कि वे कितनी दूर निकल आए हैं। डेविड ने अपनी घड़ी को देखा और अपनी पत्नी को कंटेनर में वापस जाने का संकेत दिया। अंदर वापस जाने से ठीक पहले, उन्होंने एक मील का पत्थर पार किया, जिससे उनका खून जम गया।
गाज़ा सिटी ‘०’ कि.मी.।
अध्याय १५
“हमें अपनी घायल दुनिया को ठीक करना है। आज हम जो अराजकता, निराशा और संवेदनहीन विनाश देख रहे हैं, वे उस अलगाव का परिणाम हैं जो लोग एक-दूसरे से और उनके वातावरण से महसूस करते हैं।”
– माइकल जैक्सन
I love Gaza “मुझे गाज़ा से प्यार है।”
एक विशाल इमारत का खंडहर और उसके टूटे हुए बड़े स्लैब पर बना ढाल भित्ति-चित्र, आशा और प्रेम का एक विडंबनापूर्ण चित्रण था। इसके अलावा भित्ति-चित्र में एक ग्रे-मिसाइल द्वारा भेदा हुआ दिल भी उकेरा गया था। यह गाज़ा शहर की वर्तमान स्थिति को रो-रो कर बयाँ कर रहा था। अपने गंतव्य, संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्कूल के लिए जाने वाले मार्ग से गुज़रते हुए ट्रक में बैठे लोगों ने, इस दर्दनाक नज़ारे को देखा। डेविड और एमा ने कंटेनर और चालक कक्ष के बीच लगी खिड़की से झाँकते हुए, विध्वंस के इन भयानक दृश्यों को जैसे अपनी आँखों में कैद किया।
जॉर्ज ने रेडियो सेट ऑन किया।
“मैथ्यू, हम ‘डेन’ के बीच में हैं।” इस ऑपरेशन के लिए ‘डेन’, गाज़ा सिटी का कोडनेम था।
“ठीक है, मैं समझा,” मैथ्यू ने उत्तर दिया।
“सिट्रेप क्या है?” जॉर्ज से सैन्य स्थिति के बारे में पूछताछ की।
“सब साफ़।”
“अच्छा, मैं रख रहा हूँ।”
“ईश्वर तुम्हारे साथ रहे।”
“तुम्हारे भी, बच्चे।”
पुराने मिस्रवासियों द्वारा गाज़ा शहर को “गज्जत” नाम की संज्ञा दी गयी थी, जिसका अर्थ “स्वर्ग-सा एक शहर” था। इसके विपरीत, सेमिटिक भाषाओं में, “गाज़ा” शब्द का अर्थ प्रचंड अथवा मज़बूत होता है। लेकिन आज, ये उजड़ा हुआ शहर उसके किसी भी प्राचीन नाम को सार्थक नहीं कर रहा था।
दुनिया के तीसरे, सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में फैली इमारतों की एक भूल भुलैया। हर जगह लोगों की भीड़, निराशा में चारों ओर दिशा हीन भटक रही थी। थके और निराश, भोजन और पानी के एक हिस्से की प्रतीक्षा में, संयुक्त राष्ट्रसंघ के ट्रक को गुज़रते हुए उन्होंने बिना किसी उद्देश्य के देखा। ऐसा भयावह दृश्य देखकर एमा सिहर उठी। अचानक ट्रक रुक गया।
“क्या हुआ?” एमा ने पूछा।
“जॉर्ज ने बाहर की ओर इशारा करते हुए कहा – “एक जनाज़ा जा रहा है।”
सैकड़ों लोग एकजुट होकर कई लाशों को ताबूतों में रखकर, एक ही दिशा में ले जा रहे थे। युद्ध-विराम के दौरान उन्हें, मृतकों को दफ़नाने के लिए एक समय-सीमा प्रदान की गई थी। पुरुष, महिलाएँ और बच्चे कब्रिस्तान की ओर जाते हुए अपनी छाती पीटते हुए ज़ोर-ज़ोर से रो रहे थे। हिज़ाब में एक महिला अपने बेटे की मौत के गम में, लड़खड़ाते कदमों से चलती हुई ट्रक के सामने से गुज़री। वह गमज़दा स्त्री, ईश्वर को पुकारती हुई बोली,
“या खुदा, या खुदा।”
दो महिलाओं ने उसे गिरने से बचाते हुए गले लगा लिया। जैसे ही वह उनकी बाँहों में गयी, उसकी रुलाई और ज़्यादा वेग से फूट पड़ी। लेकिन जब उसने देखा कि जुलूस आगे बढ़ रहा है, दूर हो गए अपने बेटे के जनाज़े के पास जाने के लिए इस उम्मीद से दौड़ी कि कम से कम अपने बेटे के नश्वर शरीर के अंतिम दर्शन तो करलूं। यह देखकर, डेविड और एमा की आँखों में भी आँसू आ गए थे। जॉर्ज ने अपने आँसू छुपाने के लिए अपनी नज़रें दूसरी ओर कर ली, लेकिन उसके हृदय में उस माँ की पीड़ा, उसी वेग से, उसे भी महसूस हो रही थी।
शोकग्रस्त महिला की आँखों की पीड़ा को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे मानवता अपना युद्ध हार चुकी थी। उसकी दुनिया में जो कुछ भी था, बेटे को खोने के बाद जैसे सबकुछ लुट चुका था, अब केवल उसकी एक धुंधली स्मृति ही शेष थी। वह शेष जीवन, दिल के इन बेरहम ज़ख़्मों को सीने में छिपाए, जीने को मजबूर थी। डेविड ने एमा की आँखों में छलक आये आँसुओं को पोंछते हुए, उसे सांत्वना देने के लिए उसके बालों में प्यार से हाथ फेरा।
जनाज़ो का काफ़िला गुज़र चुका था। अब रास्ता साफ़ था। वे फिर से आगे बढ़े। कारवां गुज़र गया केवल गुबार ही शेष बची थी।
कुछ सौ मीटर आगे, उन्होंने अपने आँगन में कहानी कहते-सुनते, हँसते हुए एक परिवार को देखा। कुछ ही पलों के अंतराल में, इस तरह के बिलकुल अलग दृश्य को देखकर, डेविड को कुछ राहत महसूस हुई।
इस युद्ध से निपटने का हरेक का तरीका भले ही अलग-अलग था, परन्तु दुःख का अहसास सभी का एक जैसा ही था। मौत का खौफ़ उनके सिरों के ऊपर मंडरा रहा है, आशा की कोई किरण नज़र नहीं आती, ऐसे में अगर कोई प्रफुल्लित होता है तो लोग उसे पागल ही समझेंगे। मौत, आसमान से आएगी? या ज़मीन से? यह जल्दी आएगी? या तड़पाती हुई, देर से? इन सवालों के अवाँछित जवाब किसी को नहीं सुनने थे।
जीपीएस के सहारे, कई मोड़ लेने के बाद, वे एक ऐसे स्थान पर रुके जहाँ से कई रास्ते जा रहे थे। जॉर्ज ने अपने सिर को बाईं ओर घुमाया और उसे पीली टी-शर्ट और काले रंग की गन्दी सी पैंट पहने, एक दस साल का कमज़ोर सा लड़का, एक ज़मींदोज़ ईमारत, जिसका मलबा साफ़ किया जा चुका था, उसके समतल भाग पर पड़े, एक बड़े से पत्थर पर बैठा दिखाई दिया। उसकी बुझी-बुझी आँखों से मासूमियत झलक रही थी, लेकिन उसका लटका हुआ चेहरा कोई दूसरी ही दास्तान बयां कर रहा था। जैसे उसने रोंगटे खड़े कर देने वाले विध्वंस को साक्षात् देखा हो।
जॉर्ज उसे देखकर मुस्कुराया; वह भी मुस्कुराया। उसने उस परेशान लड़के को पास आने के लिए कहा। लड़के ने शर्म से सिर हिला कर आने से मना किया। जॉर्ज ने उसे फिर आने को कहा, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। जॉर्ज ने अपनी आस्तीन ऊपर कर जेब से एक एनर्जी-बार निकालकर, बच्चे को दिखाते हुए, खिड़की से बाहर अपना हाथ निकाला; जॉर्ज की यह तरकीब काम कर गयी। वह जॉर्ज के हाथों से उसे लेने के लिए अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए ट्रक की ओर बढ़ा।
“शुकरन जज़ीलन (बहुत बहुत धन्यवाद)!” लड़के ने कहा।
जॉर्ज ने उस बच्चे के धूल भरे बालों को झाड़ते हुए उससे पूछा,
“अयना अल-मदरसा (स्कूल कहाँ है)?”
“हुनाका! बीजानबी अल-तारिक (वहाँ! गली के बगल में),” लड़के ने कहा।
“शुकरन (धन्यवाद),” जॉर्ज ने सड़क के अंत में स्थित इमारत की ओर देखते हुए कहा।
आराम से, स्वाद के साथ, एनर्जी बार खाते हुए लड़के ने, चलते ट्रक को हाथ उठा कर, अलविदा कहा।
वे ग्रे-बिल्डिंग के कंपाउंड गेट पर पहुँचे। स्कूल के रूप में इसकी पहचान करने के लिए इसके स्तंभों को नीले रंग से रंगा गया था। कक्षाओं के अंदर पर्याप्त रोशनी प्रदान करने के लिए नियमित अंतराल पर खिड़कियाँ थीं, उनमें से ज़्यादातर के काँच टूट चुके थे। प्रवेश द्वार पर खड़े गार्ड ने उन्हें सौहार्द्रपूर्ण तरीके से अभिवादन करते हुए अंदर जाने दिया।
जॉर्ज ने रेडियो सेट ऑन किया।
“हम मंज़िल पर पहुँच चुके हैं।”
“ओके,” उधर से स्पीकर पर मैथ्यू की आवाज़ आयी।
ट्रक खड़ा किया जा चुका था। ट्रक में छिपकर बैठे डेविड और एमा कंपाउंड में हो रहे कोलाहल को सुन सकते थे। वे शांति से जॉर्ज के अगले कदम का इंतज़ार करने लगे। ट्रक फिर से चला, लेकिन इस बार, पीछे की ओर। पीछे बैठे हुए, वे ज़्यादा कुछ नहीं देख सकते थे। उन्होंने खिड़की से सामने के शीशे से देखा। जॉर्ज ने ब्रेक पैडल पर पैर रखा ओर इनकी ओर मुड़कर बोला–
“ठीक है, दोस्तों। अब हमें अपने-अपने रास्ते पर चलना होगा।”
अकेले रहने की तुलना में भीड़ में छिपना अधिक सरल था। जॉर्ज ने बाहर निकल कर दरवाज़ा खोला, बक्सों को ठीक से सरकाया ताकि वे आसानी से बाहर निकल सके। उसने चारों ओर देखा, उसे कोई दिखाई नहीं दिया, रास्ता साफ़ था।
पहले डेविड बाहर निकला और उसे जैसे किसी लड़ाई के मैदान में तैनात किया गया हो, सावधानी से ट्रक के दरवाज़े के पीछे उसने आड़ ले ली। उसने एमा को बाहर निकालने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। एमा, थोड़ा चिड़चिड़ाहट महसूस कर रही थी, उसे छिपाने के लिए उसने चेहरे को दुपट्टे से ढक लिया।
जॉर्ज ने कहा, “एक बॉक्स उठाओ और इसे अपने कंधे पर रखो।” उन्होने वैसा ही किया।
“मेरे पीछे आओ,” जॉर्ज ने आदेश दिया।
कंपाउंड के अंदर बदहवासी की स्थिति को समझते हुए, उन्होंने सर झुका कर जॉर्ज का अनुसरण किया। उन्होंने देखा कि घायल और नाराज़ लोग चारों दिशाओं में अपने पैरों को फैलाते हुए खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढालने का प्रयत्न कर रहे थे। जैसे ही एमा ने तपती धूप में अपनी आँखें उठाईं, उसने पीड़ा और निराशा के भाव लिए अपने आप में खोये हुए लोगों को, शून्य में तकते पाया। गंभीर रूप से घायल और निराश, महिलाओं और बच्चों को इलाज के लिए रोते-बिलखते देखकर, वह सिहर उठी। एमा ने एकाएक महसूस किया कि उसके शरीर में घुसा, एक अदृश्य तरल दौड़ रहा है, और उसके कानों में जैसे कोई फुसफुसाकर कह रहा है–
“अज्ञात सच्चाई का पता लगाओ। इस भयावह पागलपन को किसी तरह रोको।”
सोचते हुए जाती एमा से एक महिला टकरा गई। बॉक्स उसके हाथों से छूट कर गिरा, लेकिन खुला नहीं। गिरने की आवाज़ सुनकर, डेविड और जॉर्ज चिंता में पड़ गए। जो कुछ भी हुआ, उसे देखने के लिए वे वापस मुड़े।
“माफ़ करना”, एमा ने माफ़ी माँगते हुए बॉक्स फिर से उठाया।
मुस्कुराहट के साथ माफ़ी स्वीकार करते हुए वह महिला मुड़ी। मैंरून सलवार-कमीज़ पहने उस महिला ने एमा की एक झलक देखी। फिर उसने एमा को बड़े गौर से देखा, एमा का चेहरा उसे कुछ परिचित सा लगा। महिला की हैरान करने वाली टकटकी को देखते हुए, एमा ने दुपट्टे से चेहरे को और ढक लिया और उससे दूर चली गईं। लेकिन वह महिला एमा को भीड़ में गुम होते हुए देख, हैरान-परेशान सी वहाँ खड़ी रह गयी।
एमा ने, खूबसूरत मुस्कान और उदास आँखों वाली इस महिला को पहचान लिया, वह ‘सकीना हमाद’ थी।
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