चारों तरफ गहरा अंधेरा था। दर्द से बेयर्ड की जान निकली जा रही थी। थकन हरेक पल बढ़ती जा रही थी और उसकी पलकें भारी होती जा रही थीं। उसका शरीर अब हल्की सर्दी के कारण कांपने लगा था।

दूर से आने वाली पुलिस सायरन की आवाज से बेयर्ड का दिमाग फटा जा रहा था। हर पल सायरन की आवाज तेज होती जा रही थी। उसी तेजी से बेयर्ड के दिमाग की नसें भी तनती जा रही थीं।
वह जिस अंधेरे कमरे में पड़ा था, उसमें एक खिड़की थी जिससे वह तारों भरा आकाश देख सकता था। गली में लो लैम्पपोस्ट लगा था, उसकी धीमी रोशनी कमरे में पड़ रही थी।
नीचे एक धचके के साथ एक कार आकर रुकी। पुलिस सायरन की आवाज भी उसी के साथ डूब गई। कार का दरवाजा खुला और बंद हो गया। उसी के साथ किसी के कदमों की आहट गली में उभर पड़ी।
अचानक बेयर्ड को लगा कि एक औरत दीवार से चिपकी खड़ी है। वह बड़ी सतर्कता से खिड़की के रास्ते बाहर गली में झांक रही थी। कमरे में गहरा अंधेरा था। इसके आगे बेयर्ड उसे नहीं देख सकता था।
उस औरत का कद छोटा था। खुले बाल उसके कंधों पर बिखरे थे। उसने अपने दोनों हाथ छाती पर रखे हुए थे। वह अंधेरे कमरे में बिल्कुल उदास खड़ी थी।
तभी कहीं दूर पुलिस सायरन की आवाज फिजां में गूंज उठी।
बेयर्ड ने अपना सिर उठाया। उसने अंधेरे में अपनी पिस्तौल को देखा, वह वहां नहीं मिली। वह बेहद थक चुका था, मगर पुलिस सायरन की आवाज ने उसके शरीर में एक झुरझुरी पैदा कर दी। उसने उठने की कोशिश की।
मगर तभी उस औरत का स्वर अंधेरे में उभरा- ‘अपनी जगह से मत उठो। बहुत से पुलिस वाले नीचे मौजूद हैं। उन्हें तुम्हारी तलाश है।’
बेयर्ड बिस्तर से उठ बैठा। दर्द उसके सारे शरीर में उभर आया था। उसने दर्द को सहन करने की कोशिश की, मगर वह उसकी जान लेने पर तुला हुआ था। वह दोबारा बिस्तर पर गिर पड़ा। गुस्से और निराशा से उसका सारा शरीर तन रहा था।
उसे याद आया कि पिछली बार जब उसको गोली लगी थी तो उसकी इतनी बुरी हालत नहीं हुई थी। इस बार तो खून इतना निकला था कि उसकी सारी ताकत ही जवाब दे गई थी। जिस शारीरिक शक्ति पर उसे हमेशा भरोसा रहा था, वही उसे आज धोखा दे गई थी।
तभी नीचे पुलिस की कई और जीपें आकर रुकी। दरवाजे खुले और बंद हो गए। बेयर्ड ने पूछा।
‘क्या हो रहा है?’
‘वे लोग नीचे मकानों की तालाशी ले रहे हैं।’
‘तलाशी?’
‘हां, वे पांच-पांच के दलों में बंट गए हैं।’
बेयर्ड की गुस्से से भरी आवाज कमरे में गूंजी।
‘मेरी पिस्तौल और बन्दूक कहां हैं? तुमने उन्हें कहां रख दिया है?’
‘वे तुम्हारे बायें तरफ बिस्तर पर पड़ी हैं।’ कहकर उसने नीचे गली में झांका।
बेयर्ड ने बन्दूक उठानी चाही, मगर नाकाम रहा। उसका सांस फूल चुका था। वह कराहते हुए बोला।
‘तुम चाहो तो उनसे जाकर कह दो कि मैं यहां हूं। जब तक वे यहां आएंगे, मैं अपने को खत्म कर चुका होऊंगा। वे मुझे जिन्दा कभी न पकड़ पाएंगे।
‘वे यहां नहीं आ सकते। अगर पुलिस वाले यहां आये भी तो मैं कह दूंगी कि मैंने तुम्हें देखा नहीं है। यह मेरा मकान है। वे जबरदस्ती यहां नहीं घुस सकते।’
एक पल को बेयर्ड ने जो सुना, उस पर उसे यकीन नहीं आया, वह बोला।
‘वे तुम्हारी बात का विश्वास क्यों करने लगे? वे अंदर आकर तलाशी जरूर लेंगे। इसके अलावा मैं कॉरिडोर में से गुजरा था तो वहां पर खून के छींटे पड़े होंगे। उन्हें देखकर पुलिस को विश्वास हो जाएगा कि मैं यहीं पर छिपा हूं।’
उसने अंधेरे को भेदकर औरत की भाव-भांगिमा को परखने का प्रयास किया।
वह बोली- ‘मैंने खून के छींटे साफ कर दिए थे।’
‘क्या?’ बेयर्ड को आश्चर्य हुआ।
‘हां, ऐसा करते ज्यादा देर नहीं लगी।’ वह बोली।
‘तुमने साफ कर दिए थे? तुम क्या चाहती हो? मैं समझ ... मैं समझ नहीं सका। ऐसा करने में तुम्हारा क्या स्वार्थ है। बताओ?’
‘दुनिया में क्या हर काम स्वार्थ के लिए किया जाता है।’
‘हूं! क्या तुम्हें मालूम नहीं कि अगर उन्होंने मुझे यहां ढूंढ लिया तो तुम भी मुसीबत में फंस जाओगी।’
‘मैं जानती हूं, मगर मुझे तुम पर रहम आ गया।’
इससे पहले कभी ‘रहम’ शब्द का प्रयोग किसी ने नहीं किया था। उसे रहम, दया और स्नेह आदि शब्दों से सदा चिढ़ रही थी।
‘मुनासिब यही है कि तुम बाहर चली जाओ। मेरे और उनके बीच कभी भी गोलियां चल सकती हैं। तुम अपनी जान खतरे में क्यों डालती हो?’
‘शायद ऐसा अवसर न आये।’
‘मतलब?’
‘शायद वे यहां न आयें।’
तभी उसे लगा कि उस औरत ने उसका कोट और कमीज तब उतार डाले थे, जब वह बेहोश हुआ था। अब उसके घाव से खून भी नहीं निकल रहा था। वहां पर रुई का पैड लगा था।
‘यह पैड तुमने लगाया है?’
‘हां।’
‘मगर ....।’
‘तुम खामोश रहो।’
‘लेकिन... ।’
उस औरत ने डांटा- ‘दीवारें बहुत झीनी हैं। तुम्हारी आवाज बाहर सुनाई दे सकती है। क्या तुम चुप नहीं रह सकते?’
बेयर्ड एक पल चुप रहकर बोला, ‘खून रुक गया है।’
‘तुम चुप रहो। हिलो मत, वरना खून बहना दोबारा शुरू हो सकता है।’ कहकर उसने खिड़की से बाहर झांका।
बेयर्ड ने पूछा।
‘वे लोग नीचे क्या कर रहे हैं?’
‘वे इधर-उधर खड़े हैं। शायद किसी का इंतजार कर रहे हैं। उनमें से कुछ सिपाहियों के हाथों में मशीनगनें हैं।’
बेयर्ड ने गुस्से से दांत पीसे। उसे कई घटनाएं याद आईं, जो उसने सुनी और देखी थीं, जब उसकी तरह कोई आदमियों चारों तरफ से घिर गया था और अंत में पुलिस की गोलियों का शिकार होकर मारा गया था।
बेयर्ड कांप उठा।
उसकी कल्पना में खून और आग उभरे।
उसने थके स्वर में कहा- ‘तुम यहां से बाहर चली जाओ।’
‘मगर क्यों?’
‘वे यहां आ जाएंगे और इस कमरे की ईंट से ईंट बजा देंगे। तुम यहां से बाहर निकल जाओ।’
तभी बाहर किसी के कदमों की आहट गूंजी।
बेयर्ड ने पूछा।
‘यह बाहर किसके कदमों की आवाज है?’
‘शायद वे आ रहे हैं।’
बाजू के सहारे बेयर्ड ने एक बार पुनः उठने की कोशिश की, मगर फिर नीचे लुढ़क गया। बड़ी मुश्किल से वह उठकर बिस्तर पर बैठा और बोला- ‘मुझे पकड़कर दीवार के सहारे खड़ा कर दो। मैं दरवाजे की आड़ में खड़ा हो जाता हूं।’
‘फिर क्या होगा?’
‘तुम बाहर चली जाना।’
‘तब ?’
‘जब उनमें से कोई आएगा तो मैं गोली चला दूंगा।’
‘क्या इस तरह तुम बच सकते हो?’
‘नहीं, मगर मैं दो-चार को मारकर मरना चाहता हूं।’
किसी ने दरवाजा फिर खटखटाया।
अबकी बार जैसा बेयर्ड ने कहा था, उस औरत ने वैसा ही किया।
बेयर्ड किवाड़ की आड़ में खड़ा हो गया।
उस औरत ने दरवाजा खोल दिया।
बाहर की रोशनी अंदर आई।
पहली बार बेयर्ड ने उसको देखा। उस लड़की की उम्र ज्यादा-से-ज्यादा तेईस-चौबीस थी। चेहरा आकर्षक था। रंग गोरा और आंखें नीली थीं। उसका नाम अनिता था।
‘हैलो, अनिता।’
आने वाला टोनी था, जो उसी इमारत में रहता था। वह अनिता से अक्सर छेड़छाड़ किया करता था, मगर अनिता को उससे बेहद नफरत थी।
अनिता ने टोनी को देखा। वह इस वक्त दरवाजे के बीचो-बीच खड़ी थी। बाहर की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी।
वह चौंककर बोली- ‘टोनी तुम? क्या बात है?’
‘एक खूनी।’
‘कहां है?’
‘इसी इमारत में छिपा है। हो सकता है कि वह बिस्तर के नीचे छिपा हो।
अनिता खिलखिलाकर हंसी।
‘तुम हंस रही हो। नीचे कोहराम मचा है। वे लोग अभी ऊपर आ जाएंगे। एक-एक कमरे की तलाशी लेंगे।’
‘लेने दो, मगर तुम यहां क्यों आए हो?’
‘तुमसे प्यार करने।’
‘पुलिस का तुम्हें डर नहीं है?’
‘मैं क्यों डरने लगा? क्या किसी खूबसूरत लड़की से प्यार करना जुर्म है?’
‘तुम बातें बहुत बनाते हो, मगर तुममें हिम्मत नहीं है।’
‘क्या?’
अनिता ने मुस्कराकर कहा- ‘जो कहा, क्या तुमने नहीं सुना?’
टोनी झपटकर अंदर आ गया और उसने अनिता को बाजू से पकड़ लिया।
‘छोड़ो, क्या करते हो?’
‘हिम्मत का सबूत दे रहा हूं।’ कहकर टोनी उसको खींचता हुआ बिस्तर पर ले गया। कमरे में गहरा अंधेरा था। केवल बाहर की कुछ रोशनी दरवाजे के आसपास बिखरी थी।
टोनी को हैरत हुई। आज अनिता ने कोई खींचातानी नहीं की थी।
उसने अनिता को बिस्तर पर गिराया और उसके ऊपर गिर गया।
‘बेवकूफ।’
‘कौन ?’
‘तुम! पुलिस आ गई तो क्या करोगे?’
‘पुलिस की ऐसी की तैसी।’
‘मान लो ऐसी हालत में कोई आ जाए तो क्या होगा?’
इस बार एक तो क्या-एक हजार सिपाही भी मुझे अपना इरादा बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।’
‘इतना मत इतराओ।’
‘यह हकीकत है।’
‘दरवाजा खुला है।’
‘रहने दो।’
‘बंद नहीं करोगे?’
‘चारों तरफ लोग डर से दुबके पड़े हैं। इस वक्त यहां कौन आएगा।’
कहकर जैसे ही टोनी अनिता को चूमने के लिए नीचे को झुका कि दो कांस्टेबल दरवाजे पर आकर खड़े हो गए। एक ने टॉर्च की रोशनी अंदर फेंकी। टोनी और अनिता को प्यार की मुद्रा में देखकर दोनों हंसे।
टोनी चिल्लाया- ‘ओफ्फोह! क्या मुसीबत है? क्या शराफत है? यों किसी की प्राइवेट लाइफ में दखल देना कहां का कानून है?’
एक सिपाही बोला- ‘सॉरी, सर! हमें मालूम नहीं था कि यहां यह सब हो रहा होगा। हम एक खूनी की तलाश में हैं।’
‘भाग जाओ यहां से।’
दोनों सिपाही हंसते हुए आगे बढ़ गए।
उनके जाते ही बिस्तर पर चुपचाप पड़ी अनिता शेरनी की तरह बिफर उठी। वह बोली- ‘छोड़ो मुझे।’
‘हर्गिज नहीं।’
‘हरामी।’
‘आज तुम मेरे हाथों से नहीं बच सकती।’
इस संघर्ष में टोनी ने उसकी कमीज फाड़ डाली। अब अनिता आधी नंगी हो चुकी थी। वह हर पल टोनी के सामने कमजोर पड़ती जा रही थी। बेयर्ड को बचाने के लिए जो नाटक अनिता ने खेला था, वह सफल हुआ था, मगर एक खतरा टल गया, पर दूसरा खतरा टोनी की शक्ल में उसको बरबाद करने के लिए आ धमका था।
अनिता ने चिल्ला पड़ने के अंदाज में कहा
‘बदमाश! छोड़ो मुझे।’
‘नहीं।’
बेयर्ड ने यों अनिता को झुकते देखा तो धीरे से अंधेरे में आगे बढ़ा और अपने बंदूक का हत्था टोनी के मुंह पर दे मारा। वह हल्की सी चीख मारकर पीछे हट गया। उसकी नाक से खून बहने लगा।
उसने बेयर्ड को नहीं देखा। वह समझा कि किसी भारी चीज से अनिता ने उसको मारा है। वह दर्द से सिसकते हुए बोला- ‘हरामजादी, कुतिया। तूने तो मुझे अंधा ही कर दिया।’
‘निकल जाओ यहां से।’ अनिता चीखी।
वह बाहर जाते हुए बोला- ‘मैं तुम्हें इसका मजा चखाऊंगा, बेहया।’
बाहर निकलते हुए बेयर्ड ने टोनी को देखा। उसके चेहरे पर गहरा घाव आया था और उसका हुलिया बिगड़ गया था।
उसके जाते ही झपटकर अनिता ने दरवाजा बंद कर दिया और बिस्तर पर गिर पड़ी।
बेयर्ड ने कहा-‘क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?’
‘मैं ठीक हूं।’
‘थैंक्स गॉड।’
उसने पूछा- ‘क्या तुम्हारे जख्म से खून फिर बहने लगा है?’
‘नहीं।’
कुछ देर तक अंधेरे में दोनों चुप रहे, फिर अनिता ने कहा-‘लाओ मैं तुम्हारे जख्म पर पट्टी बांध दूं। क्या बहुत दर्द हो रहा है?’
‘पहले से कुछ कम है। अब खून बंद है।’
अनिता ने घाव को देखा। खून बंद था। वहां पर रक्त प्रवाह का कोई निशान नहीं था। हां, अब ठीक है।’ वह बोली, ‘अब तुम आराम करो।’
‘तुमने एक खूनी को पनाह दी है।’
‘........।’
‘जानती हो इसकी सजा?’
अनिता चुप रही।
‘तुम्हें जेल में डाल सकते हैं।’
‘मुझे पुलिस के नाम से ही नफरत है। वे अब तुम्हें कभी न ढूंढ पाएंगे।’
‘मैं तुम्हारे अहसान को कभी नहीं भूल सकता। तुम न होती तो मैं अब तक कभी का मर चुका होता।’
अनिता के होंठों पर स्मित रेखा उभरी। वह बोली-
मैंने कुछ नहीं किया। वह तो तुम्हारी किस्मत थी कि तुम बच गए, इसलिए तुम्हें मेरा अहसानमंद होने की जरूरत नहीं है।’
बेयर्ड ने पूछा, ‘तुम्हारा नाम क्या है?’
‘अनिता जैक्शन।’ फिर बोली- ‘तुम कुछ देर के लिए सो क्यों नहीं जाते?’
‘मेरा नाम बेयर्ड है। उनका ख्याल है कि मैंने उनके एक सिपाही को मार डाला है।’
उसने बेयर्ड को देखा, मगर कुछ बोली नहीं।
‘तुम कुछ देर के लिए सो जाओ।’ उसने अपना वाक्य पुनः दोहराया।
‘एक बात बताओगी?’
‘पूछो।’
‘तुम पुलिस से नफरत क्यों करती हो?’
‘तुम्हें इससे क्या लेना-देना है?’ अनिता ने तीखेपन से कहा।
‘शायद तुम ठीक कहती हो। मैं एक अजनबी हूं। मुझे इससे क्या लेना-देना है। खैर, जान बचाने के लिए शुक्रिया।’
‘इसकी जरूरत नहीं।’
‘मैं एक घंटे बाद यहां से चला जाऊंगा।’
‘नहीं, तुम्हें यहीं ठहरना होगा।’
‘मतलब ?’
‘तुम्हारा घाव काफी गहरा है। तुम ज्यादा दूर नहीं चल पाओगे। जब तक तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते, यहीं रहो।’
‘कुछ अपने बारे में भी सोचा है? मेरे यहां रहते तुम्हारे लिए खतरा लगातार बना रहेगा।’
‘कैसे?’
‘हो सकता है, वह मोटा टोनी फिर दोबारा वापस आ जाए?’
‘नहीं, अब वह नहीं आएगा। मैं सारा दिन बाहर रहती हूं। सिर्फ रात को लौटती हूं। मैं उसकी परवाह नहीं करती हूं।’
‘खैर, कमरे में एक ही बिस्तर है। तुम कहां सोओगी? मैं फर्श पर सो जाता हूं।’
‘ओह, शटअप! ज्यादा बातें मत करो।’ उसने दो कुर्सियों को एक साथ मिलाया और लेटती हुई बोली- ‘मैं यहीं पर आराम से लेटी हूं।’
‘जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं कल सुबह तक ठीक हो जाऊंगा।’
अनिता ने खिड़की बंद कर दी। कमरे में जो हल्की रोशनी थी।, वह अंधेरे में बदल गई।
‘गुड नाइट।'
‘गुड नाइट, मिस।’
बेयर्ड अंधेरे में पड़ा छत को घूर रहा था। नीचे तथा इमारत के दूसरे भागों में पुलिस उसे तलाश करने का काम करने में व्यस्त थी। धीरे-धीरे रात ढलने लगी। धीरे-धीरे पुलिस के लोग निराश होने लगे और धीरे-धीरे उनके कदमों की आवाजें रात की स्याही में गुम होने लगीं।
बेयर्ड सोचने लगा।
यह लड़की कौन है? इसने उसे क्यों बचाया है? वह तो उसका एहसान भी स्वीकारना नहीं चाहती। उसके कठोर मन में अपनत्व की एक धारा जीवन में पहली बार बहने लगी। जो दिल कभी मौत को सामने देखकर भी नहीं पसीजता था, वह अनिता के प्यार भरे व्यवहार से द्रवित हो गया था।
बेयर्ड चाहकर भी न सो पाया और न अनिता की कल्पना से अपने को मुक्त कर पा रहा था। उसे लगा मानो इस एक मासूम-सी लड़की ने उसको किसी एक ऐसे सूत्र से बांध दिया है कि वह चाहकर भी उससे मुक्त नहीं हो पाएगा।
बेयर्ड के दिए पांच हजार रुपये उसकी जेब में अभी तक पड़े थे। उसने सोचा, वह कुछ रुपये उस लड़की को दे देगा, पर क्या वह उन्हें स्वीकार करेगी? उसने उसकी जान बचाई है। क्या रुपये उसका बदला चुका सकते हैं?
कमरे में अंधेरा फैल था। अनिता की तेज-तेज चलती सांसों से वह समझ गया कि वह गहरी नींद में सो गई है। उसने सोचा, अनिता निडर भी है और चालाक भी।
कुछ देर सोचने के बाद उसकी खुद की आंखें भी नींद से बोझिल होने लगीं। थोड़ी देर बाद उसको गहरी नींद ने आ दबोचा।
उसने सपने में उस लड़की को देखा, जो उसे स्टोर में मिली थी, सेल्जगर्ल। उसके सफेद कोट पर खून के धब्बे थे। वह उसके बिस्तर के किनारे पर बैठी थी। वह घूर-घूरकर उसे देख रही थी। उसके मन में कहीं उस लड़की के प्रति डर की भावना नहीं थी।
* * *
रिको ने पेन को मेज पर पटका और कुर्सी से टेक लगा दी। उसके चेहरे से बेजारी टपक रही थी। उसने सारे महीने का हिसाब-किताब लगाया तो आमदनी काफी होने के बावजूद बचत बहुत कम थी। उसी अनुपात से मुनाफा भी घटा था।
दिन-ब-दिन उसका जीवन स्तर ऊंचा होता जा रहा था और उसी के साथ खर्चे भी बढ़ते जा रहे थे। उसने तीन कमरों का फ्लैट छोड़कर छः कमरों का एक नया फ्लैट ले लिया था। पुरानी कार बेच दी थी और नई खरीद ली थी। अनेक खूबसूरत लड़कियां क्लब में काम करती थीं जिनसे उसका शारीरिक संबंध था। इन सब पर उसे नकद पैसा खर्च करना पड़ता था। क्या करे? कैसे ज्यादा-से-ज्यादा रुपया बनाये? यही बात उसको परेशान कर रही थी।
जबसे बेयर्ड ने जीन ब्रूस की हत्या की थी, उसने चोरी की ज्यूलरी का धंधा बंद कर दिया था। न भी करता तो क्या करता! जॉर्ज ओलिन की उस पर कड़ी नजर थी। जब तक जीन की हत्या का मामला ठंडा न पड़ जाता, उसे चौकस रहना था। वह जान-बूझकर अपने लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं करना चाहता था। आजकल प्रायः ऊपर की आमदनी बंद हो चुकी थी, इसीलिए रिको कुछ परेशान था।
रिको ने व्हिस्की का एक नया पैग तैयार किया और पीने लगा। काईल को मिले तीन सप्ताह बीत चुके थे। इस बीच उसने और उसके आदमियों ने बेयर्ड को तलाश करने की भयंकर कोशिश की थी, मगर उसका कुछ पता ही नहीं चला था। आसमान उसे खा गया था या जमीन उसे निगल गई थी?
बेयर्ड के न मिलने से भी रिको परेशान था। जो रुपया काईल से हीरों को लेकर मिलने वाला था- उसे रिको हाथ से निकलता देख रहा था।
उधर काईल ने भी जल्दी मचा रखी थी। कल रात को ही वह क्लब आया था और उसने साफ-साफ कह दिया दिया था कि अगर तीन दिन के अंदर रिको कहीं से बेयर्ड को तलाश करके नहीं लाता तो उसका वायदा खत्म हो जाएगा। इसका मतलब था कि काईल किसी और आदमी को तलाश कर लेगा।
‘न जाने साला कहां मर गया है।’ रिको ने मन-ही-मन बेयर्ड को गाली दी।
उसने सोचा- कहीं ड्रग स्टोर की घटना में बेयर्ड का ही तो हाथ नहीं था? पुलिस का कहना था कि खूनी भागते समय जख्मी हो गया था। हो सकता है कि वह बेयर्ड ही हो, उसे गोली लगी हो और वह कहीं जाकर मर गया हो।
तेईस दिन!
हां, बेयर्ड को गये तेईस दिन बीत गये थे। उसके माथे पर पसीने के बूंदें उभर आई थीं। उसने सोचा कि अगर बेयर्ड मारा गया है तो काईल से मिलने वाला एक लाख रुपया खाक में मिल जाएगा।
उसने गिलास में दूसरा पैग भरा।
वह उठ खड़ा हुआ और चलने लगा। अचानक मानो उसकी आंखों के सामने बिजली कौंध गई हो। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं आया।
उसके सामने बेयर्ड खड़ा था।
उसने आगे बढ़कर बेयर्ड का हाथ दबाया और खुशी से चहककर बोला- ‘एक मिनट पहले मैं तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था। आओ, आओ तुम कहां जा छिपे थे? मैं तो तुम्हारी तलाश में बहुत भटका।’
बेयर्ड ने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गया। वह कुर्सी पर बैठते हुए बोला- ‘मेरे लिए एक पैग तो बनाओ।’
रिको ने देखा कि बेयर्ड पहले से कुछ कमजोर लग रहा था। उसकी आंखों से लगता था, जैसे वह एक लम्बे अर्से तक सोता रहा हो।
‘मैंने तो सारा शहर छान मारा। तुम थे कहां?’
‘शहर से बाहर।’
‘जॉर्ज अब भी तुम्हारे पीछे लगा है।’
‘फिर ?’
‘अच्छा होता तुम शहर में वापस न आते।’
‘तुम क्यों घबरा रहे हो? मैं जानता हूं कि जॉर्ज कितने पानी में है। मैं उससे मिल चुका हूं।’
‘तुम जॉर्ज से मिले हो? कब?’
‘आज दोपहर को।’
‘आज दोपहर को।’
‘फिर क्या हुआ?’
‘मैंने ऐसा बहाना बनाया कि मजबूर होकर जॉर्ज को मानना पड़ा कि मेरा किसी घटना से कोई रिश्ता नहीं है। बस।’
‘तुम जॉर्ज से कहां मिले थे?’
‘पुलिस हैडक्वार्ट्स में।’
‘उसका कैसा रवैया था?’
‘जैसा एक पुलिस अफसर का होना चाहिए था। जब मेरे खिलाफ कोई सबूत ही नहीं तो वह मुझे कैसे गिरफ्तार कर सकता था।’
‘मतलब यह कि तुम अब आजाद हो?’
‘हां।’
‘मगर यह सब हुआ कैसे?’
‘पुलिस मुझ पर हमेशा से शक करती आई है, मगर उसके पास कभी कोई सबूत तो हुआ नहीं। जीन ब्रूस की हत्या के मामले को लेकर उनका मेरे पर शक था, कोई प्रमाण तो उनके पास था नहीं।’
‘तुम ठीक कहते हो।’
‘बस, मैं सीधा न्यूयॉर्क चला गया। वहां मेरे कई दोस्त हैं। छः आदमियों ने हलफिया बयान दिया कि जिस रात जीन ब्रूस की हत्या हुई, मैं उन लोगों के साथ न्यूयॉर्क में था। उन लोगों के हलफिया बयान लेकर मेरा वकील जॉर्ज के पास पहुंचा और मामला खत्म।’
‘खत्म?’
‘जॉर्ज को उनके हलफिया बयान पर यकीन करना पड़ा। अब मैं आजाद हूं।’
रिको ने शांति की एक गहरी सांस ली।
वह बोला- ‘यह तो बहुत ही अच्छा हुआ। अब तुम आजादी से घूम-फिर सकते हो?’
‘बिल्कुल।’ फिर बेयर्ड ने पूछा- ‘तुमने उस चेन को ठिकाने लगाया या नहीं ?’
रिको ने स्वीकृति में सिर हिलाया-
‘हां, एक खरीददार मिल ही गया था, मगर पैसा कुछ ज्यादा नहीं मिला।’
‘बको मत। माल अच्छा हो तो खरीदने वालों की क्या कमी है।
‘खैर, तुम अपने बारे में बताओ- क्या हुआ था। सुना था कि तुम्हें गोली लगी है?’
बेयर्ड ने सिगरेट का एक लम्बा कश लगाकर कहा- ‘तुमने ठीक सुना था। मैं तो मौत के मुंह से बचकर निकला।’
‘सच ?’
‘हां, कई हफ्ते तक बिस्तर में पड़ा रहा।’
‘मगर तुमने पुलिस को चकमा कैसे दिया? रिको की आंखें आश्चर्य से फटी-फटी सी थीं।
‘मुझे एक लड़की ने बचाया था, वह न होती तो मेरी मौत शर्तिया थी।’
‘तुम उसी लड़की के पास रहे?’
‘हूं।’
‘कौन थी वह? उसके बारे में कुछ और बताओ। क्या वो खूबसूरत थी?’
बेयर्ड ने उसे तीर की नजर से घूरकर कहा- ‘तुम अपनी चालाकी का जाल फैलाने से बाज नहीं आओगे। वैसे वह जितनी निडर थी, तुम उतने ही कायर हो। खैर, छोड़ो उसका किस्सा।’
‘तुम ठीक कहते हो। मुझे उससे क्या लेना-देना है। तुम अपनी सुनाओ, कैसे चल रही है?’
‘मैं आजकल बेहद परेशान हूं।’
‘क्यों ?’
‘जेब खाली है।’
‘हूं।’
‘मेरे लिए कोई काम हो बताओ। माल फौरन चाहिए।’ बेयर्ड ने कहा।
रिको बोला- ‘काम है, लेकिन बड़ा है।’
‘मतलब ?’
‘काम कर दो तो एक लाख मिलेगा।
‘सच?’
‘मैं कभी झूठ बोलता हूं?’
रिको ने कहना शुरू किया- ‘काम क्या है, यह मैं नहीं जानता। प्रिस्टन काईल तुमसे पहले मिलना चाहता है, बहुत बड़ा आदमी है।’
‘तुम उसे अच्छी तरह जानते हो?’
‘बहुत अच्छी तरह। तुम उस पर भरोसा कर सकते हो।’
बेयर्ड उसकी बात से प्रभावित नहीं हुआ।
‘तुम्हें विश्वास है कि वह एक लाख दे देगा?’
‘अगर काम होगा तो एक लाख, वरना एक सौ। काईल खुद भी बड़ा है, उसके काम भी बड़े ही होते हैं।’
बेयर्ड कुछ कहना ही चाहता था कि बात उसके मुंह में ही रह गई, तभी एक लड़की ने भीतर प्रवेश किया। रिको बोला-
‘जूई, मैं अभी व्यस्त हूं। तुम फिर आना।’
‘वह आदमी है न डैलेस।’
‘हूं।’
‘वह एक चैक को कैश करवाना चाहता है। चैक सिर्फ तीन सौ का है। वह मेरे लिए शैम्पेन खरीदना चाहता है।’
चैक जूई के हाथ में था। रिको ने गुस्से से ले लिया। उलट-पलटकर देखा, ड्राज खोला और नोटों का बंडल निकालकर गिनने लगा।
रिको बोला- ‘अब वह यहां पर हर रोज आने लगा है। क्या बात है?’
‘लगता है, मुझ पर मर मिटा है।’ कहकर जूई मुस्कराई। बेयर्ड की तरफ देखकर उसने आंख मारी जो उसे देख रहा था। वह बोली- ‘वह आता है तो कुछ खर्च करके ही जाता है। तुम क्यों घबराते हो?’
रिको ने आंखें तरेरकर कहा- ‘मुझे क्या, चाहे सुबह से शाम तक यहां बैठा रहे। मैं क्यों घबराने लगा?’
वह जाने लगी तो रिको बोला- ‘आइन्दा आओ तो दरवाजा खटखटा लिया करो।’
जूई ने उसकी ताकीद को अनसुना करते हुए बेयर्ड की ओर देखकर कहा- ‘अपने दोस्त से नहीं मिलवाओगे?’
‘अब तुम जाओ, मैं कुछ जरूरी बातें कर रहा हूं।’
जूई ने बेयर्ड की तरफ एक अदा से देखा और कूल्हे मटकाती हुई कमरे से निकल गई।
उसके जाते ही बेयर्ड ने पूछा- ‘यह कौन थी?’
‘जूई नरैटन। यहीं क्लब में रहती है।’ फिर रिको बात बदलकर बोला- ‘आज रात को ही काईल से तुम्हारी मुलाकात का इंतजाम कर दूं? ठीक है ना?’
बेयर्ड ने स्वीकृति में सिर हिलाया।
रिको ने उसका टेलीफोन नम्बर मिलाया। उधर से ईव बोल रही थी - ‘कौन?’
‘मैं रिको बोल रहा हूं। मिस्टर काईल से बात करना चाहता हूं।’
‘प्लीज, इंतजार करें।’
दूसरे ही पल फोन पर काईल की आवाज उभरी- ‘क्या बात है ?’
‘आप जिससे मिलना चाहते थे, वह इस वक्त मेरे पास बैठा हुआ है।’
‘उसे अभी यहां ला सकते हो?’
‘ठीक है, ले आता हूं।’
‘मगर जल्दी आना।’
‘ओ० के०।’
‘पता मालूम है?’
‘मालूम है।’ बॉय कहकर रिको ने फोन बंद कर दिया और बेयर्ड की तरफ देखकर बोला, ‘आओ अब चलें। संभलकर और शालीनता से बातें करना। वह बहुत चालाक आदमी है।’
बेयर्ड के होंठों पर व्यंग्य भरी मुस्कान उभरी। दोनों बाहर निकल गए। उन दोनों को मालूम नहीं था कि जूई उनका पीछा कर रही है। उनके जाते ही उसने डैलेस को अपने पास बुलाकर कुछ कहा और सुनकर डैलेस पब्लिक बूथ पर पहुंचा और हरमन का फोन नम्बर मिलाने लगा।
* * *
काईल और ईव बड़ी बेसब्री से बेयर्ड का इंतजार कर रहे थे। जहां वे कुर्सियों पर बैठे थे, वह फ्लैट बड़े सुन्दर ढंग से सजा हुआ था। चूंकि गर्मियों का मौसम था, इसलिए कमरे की सारी खिड़कियां खुली हुई थीं।
चूंकि दिन काफी गुजर चुके थे, इसलिए काईल का प्रारम्भिक उत्साह प्रायः समाप्त हो चुका था। वह तो ईव ही थी, जो उसकी हिम्मत और दिलचस्पी को योजनाओं में कायम रखे थे।
काईल सिगरेट का धुआं हवा में उड़ाता हुआ बोला, ‘मुझे अब यह योजना एक तमाशा नजर आ रही है। पता नहीं कि बेयर्ड नाम का यह आदमी इस काम को कर भी पाएगा या नहीं।’
‘मिलकर देख लो।’
‘अगर उसने इंकार कर दिया?’
‘तो हम ख्याल छोड़ देंगे। अगर वह काम करने का वायदा करके उसे कर देता है तो लाखों हमारी जेब में होंगे।’
‘यह तो बहुत बाद की बात है।’
ईव ने कहा, ‘तुम्हारी बातों से लगता है कि तुम्हें रुपयों की ज्यादा जरूरत नहीं है।’
‘रुपये-पैसे की किसे जरूरत नहीं होगी, मगर यह योजना इतनी मुश्किल और खतरनाक है कि ....।’
‘तुम क्यों डरते हो? सारी जिम्मेदारी तो बेयर्ड की होगी।’
‘वह इतना बेवकूफ नहीं, जो सारी जिम्मेदारी खुद अपने कंधों पर लेनी पसंद करेगा।’
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
नौकर ने अंदर आकर कहा- ‘मिस्टर रिको आये हैं।’
‘उन्हें अंदर ले आओ।’ काईल ने कहा।
पहले रिको अंदर आया, उसके पीछे बेयर्ड था। बेयर्ड ने पहले एक नजर ईव को देखा और फिर सारे कमरे का जायजा लेती हुई उसकी नजर काईल पर जाकर ठहर गई।
काईल ने लम्बे कद के बेयर्ड और उसकी नीली आंखों को देखा, उसके कपड़ों का जायजा लिया और दोनों की आंखें टकराईं।
रिको ने दोनों का परिचय करवाया- ‘यह बेयर्ड है। यह मिस्टर काईल जो तुमसे मिलना चाहते थे।’
काईल ने दोनों को कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया।
‘फिलिप, व्हिस्की लाओ।’ काईल ने नौकर को आदेश दिया।
नौकर ने गिलास और बोतल ट्रे में सजाये और मेज पर लाकर रख दिये। रिको शराब को गिलासों में मिलाने लगा।
इस बीच बेयर्ड ने एक सिगरेट सुलगाया और धुआं उड़ाने लगा।
काईल ने कहा- ‘इस योजना में मिस गिलिस की ज्यादा दिलचस्पी है।’
गिलिस खिड़की के पास खड़ी थी। काईल ने कहा, ‘ईव तुम भी हमारे पास आकर बैठो।’
दूसरे ही पल वह भी उनके पास आकर बैठ गई। बेयर्ड के कठोर चेहरे को देखते ही डर की एक हल्की सी लहर उसके सारे शरीर में व्याप्त हो गई थी।
रिको ने ईव से कहा- ‘मिस गिलिस, क्या हाल है आपका?’ बड़े दिनों से आपको क्लब में नहीं देखा है।’
‘अगर आप मुनासिब समझें तो काम की बात शुरू की जाए। मुझे आधे घंटे बाद किसी से मिलना है।’ बेयर्ड ने गंभीर स्वर में कहा।
काईल ने उसे घूरकर देखा। वह बोला- ‘एक काम है, जो करना है, मगर उसके बारे में अभी कुछ विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता है कि हो सकेगा या नहीं।’
तभी रिको ने बीच में कुछ बोलने की कोशिश की तो बेयर्ड ने उसे झिड़कते हुए कहा- ‘तुम चुप रहो।’
बेयर्ड आगे को झुका और बोला- ‘रिको का कहना है कि अगर मैं आपका काम कर दूं तो आप एक लाख रुपये देंगे। काम क्या है?’
उसकी आवाज और बात करने के अंदाज से काईल को बड़ी कोफ्त हुई। मगर यह समय गुस्सा करने का नहीं था। वह बोला।
‘एक आदमी जेल में है। उसे छुड़ाना है।’
रिको कांप उठा, मगर बेयर्ड शांत स्वर में में बोला- ‘आगे चलिये।’
‘मैं उसे एक लाख दूंगा। जो उस आदमी को जेल से छुड़ाकर मेरे पास ले आयेगा। मैं नहीं जानता कि यह काम कैसे करना होगा, पर जब वह आदमी मेरे पास पहुंच जाएगा, मैं रुपया अदा कर दूंगा।’
बेयर्ड ने सिगरेट की राख ऐश-ट्रे में झाड़ते हुए कहा- ‘इस काम के लिए एक लाख! यह काम तो बहुत कम में भी हो सकता है। आखिर माजरा क्या है?’
अपने माथे को छूकर काईल बोला- ‘यह काम इतना आसान नहीं है।’
‘कैसे ?’
‘हो सकता है कि जिसे मैं छुड़ाना चाहता हूं, वह खुद बाहर न आना चाहे। इससे यह काम और भी मुश्किल बन जाता है।
रिको खामोशी से सुन रहा था।। उसका ख्याल था कि काईल ने शायद हीरों की डकैती का कोई प्लान बना रखा था। काईल की बात ने उसे कुछ परेशान कर दिया।
बेयर्ड बोला- ‘आप चाहते हैं कि उस आदमी को जेल से अपहृत कर लिया जाये?’
‘यह मेरा अपना मामला है। मैं इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता।’ काईल ने रूखेपन से कहा, ‘यह काम आसान नहीं है, पर अगर मुझे अहसास हो गया कि आपनेे कोशिश की, मगर सफल न हो सके तो मैं पचास हजार दूंगा।’
‘वह किस जेल में है?’
‘बलमोर स्टेट की जेल में। यह रेड रिवर से तीन मील दूरी पर बनी है। जेल के आसपास पानी और दलदल है।’
‘आदमी कौन है ?’
‘यह मैं तब बताऊंगा जब मुझे यकीन हो जाएगा कि आप यह काम कर सकते हैं, तब मैं जेल का नक्शा व उस आदमी का फोटो आपको दे दूंगा। इस वक्त वह दूसरे कैदियों के साथ रेड रिवर के पास एक ऐसी जगह काम कर रहा है, जो जेल से एक मील की दूरी पर है। वह सुबह आठ बजे ट्रक में आता है और शाम को छः बजे वापस चला जाता है। जहां काम करता है, वहां चार पहरेदार मौजूद रहते हैं।’
‘चार नहीं, पांच।’ ईव बीच में ही बोल पड़ी।
काईल ने जरा गुस्से से कहा- ‘चार हो पांच- इससे क्या फर्क पड़ता है। पहरेदारों के साथ कुछ शिकारी कुत्ते भी हैं।’
‘मैं जरा सारे इलाके पर एक नजर डालना चाहूंगा। आपकी बात सुनने के बाद जो मेरी राय बनी है, मैं यकीन से कह सकता हूं कि यह काम किया जा सकता है।’
‘यह मत भूलो कि वह आदमी छुड़ाने की हमारी कोशिशों का विरोध भी कर सकता है।’
‘तो क्या हुआ? आपका काम हो जाएगा।’
‘तो मैं अपना वायदा पूरा कर दूंगा, मगर यह देख लो कि इसमें खतरा कितना है।’
‘आपको इसकी फिक्र करने की जरूरत नहीं। आपका यह काम मैं कर सकता हूं। यह कैसे हो सकता है, ठीक मैं एक हफ्ते बाद इसी वक्त आपको बता दूंगा। शुरू के खर्च के लिए कुछ रुपया चाहिए होगा- एक हजार।’
रिको ने देखा कि रुपये की बात सुनकर काईल कुछ हिचकिचा रहा है। तो वह झट से बोला, ‘चूंकि मैं बेयर्ड को जानता हूं, इसलिए यह काम आप मुझ पर छोड़ दे। रुपये मैं इसे दे दूंगा।’
काईल ने स्वीकृति में सिर हिलाया।
‘ठीक है।’ कहकर बेयर्ड उठ खड़ा हुआ।
काईल ने कहा- ‘इन्हें शायद जल्दी कहीं जाना है।’ उसका इशारा बेयर्ड की तरफ था। आपको जल्दी न हो तो बैठिये।’ उसने रिको से कहा।
बेयर्ड जाने के लिए तैयार हुआ और बोला- इस बात की क्या गारंटी है कि काम होते ही एक लाख फौरन मिल जाएगा?’
‘तुम फिक्र न करो, बेयर्ड। मैं मिस्टर काईल की तरफ से जिम्मेदारी लेता हूं।’
‘ओ० के०!’ कहकर बेयर्ड कमरे से निकल गया।
उसके जाते ही काईल बोला- ‘आपका दोस्त बड़ा अजीबो-गरीब है।’
रिको ने कहा, ‘मगर आदमी बड़े काम का है। अगर किसी काम को करने का वायदा कर लेता है तो उसे पूरा करके छोड़ता है।’
फिर एक पल रुककर बोला- ‘इस सारे खेल में मेरा क्या हिस्सा होगा?’
‘काम हो जाने पर एक लाख बेयर्ड का और डेढ़ लाख आपका। खुश हैं आप?’
‘थैक्यू। मुझे बेयर्ड पर बड़ा भरोसा है। यह उस आदमी को जरूर वहां से छुड़ा लाएगा। वैसे आपको बेयर्ड कैसा लगा?’
‘काफी सख्त आदमी है। ऐसे आदमी मुझे कभी अच्छे नहीं लगते। खैर, एक बार मामला तय हो जाए तो आप ही इससे वास्ता रखना। मैं इससे कम-से-कम मिलना चाहूंगा।’
‘ठीक है, आप फिक्र न करें। मैं बेयर्ड को संभाल लूंगा, मगर काम शुरू करने से पहले उसने कुछ पेशगी मांगा तो इंतजाम हो जाएगा?’
‘कितना?’
‘बीस-तीस हजार के बीच।’
‘वो मैं कर दूंगा।’ उसे मालूम था कि यह उसे अपनी जेब से नहीं देना पड़ेगा। महाराजा उसे पहले ही पचास हजार दे चुका था, इसलिए उसने कहा- ‘मैं आपको चालीस हजार दे देता हूं। आप जैसा मुनासिब समझें, खर्च करें।’
रिको का चेहरा खुशी से खिल उठा। मैं जब जिस वक्त बेयर्ड को पैसे की जरूरत होगी, देता रहूंगा। आपको बाद में मैं सारा हिसाब दे दूंगा।’
‘एक हफ्ते बाद यहीं...इसी वक्त आपको रुपया मिल जाएगा।’
कहकर काईल उठ खड़ा हुआ।
उसके जाते ही काईल ने ईव के हाथ को छूकर कहा- ‘यह सब कुछ मैं तुम्हारी खुशी के लिए कर रहा हूं। अब तो खुश हो?’
ईव चुप रही।
काईल को अब इस भागा-दौड़ी के जीवन से नफरत-सी हो चली थी। वह आराम से जिन्दगी के दिन गुजारना चाहता था, मगर ईव ने उसे एक ऐसे तूफान में ला फंसाया था कि न वह तैर सकता था और न ही उसका मुकाबला कर सकता था। उसे बेहद शारीरिक थकन का अहसास हो रहा था। वह बोला- ‘अच्छा, अब मैं वापस अपने फ्लैट पर जा रहा हूं। मैं बेहद थक गया हूं। खैर, तुम्हारा क्या ख्याल है, बेयर्ड यह काम कर सकता है?’
‘हां, वह इस काम को कर देगा। ऐसा आदमी कोई भी काम कर सकता है।’
उसकी आवाज शांत और गंभीर थी।
* * *
जब बेयर्ड एक हफ्ते के लिए न्यूयॅार्क गया था तो अक्सर अनिता जैक्शन के बारे में सोचता रहता था। आज तक किसी भी लड़की ने उसे आकर्षित नहीं किया था। वह उसे आज तक वक्ती जरूरत की चीज समझता आया था। उसके नजदीक स्त्री मात्र वासना पूर्ति का एक साधन ही थी।
मगर अनिता की बात दूसरी थी। वह दूसरी लड़कियों से जुदा थी। वह तेरह दिन उसके कमरे में छिपा रहा था। वह सुबह साढ़े सात बजे जाती और रात देर से लौटती। जब तक वह कमरे में रहती तो उसके कपड़े धोती, खाना बनाती और उसके कपड़ों को सीती रहती। वह हर पल-छिन उसकी जरूरत का अहसास रखती थी। उसके इसी अपनत्व से भरे व्यवहार ने बेयर्ड को औरत के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलने के लिए मजबूर कर दिया था।
अनिता ने न सिर्फ उसकी जान बचाई थी, बल्कि दिन-रात दवा-दारु करके उसके घाव को भी अच्छा कर दिया था। पूछने पर भी अनिता ने नहीं बताया था कि उसने क्यों उसकी जान बचाई और क्यों अपने यहां पनाह दी थी।
एक दिन इस विषय को लेकर जब बेयर्ड ने जिद की तो वह भड़ककर बोली- ‘मैंने जो कुछ किया है, सिर्फ अपनी खुशी के लिए। इस बारे में मुझसे फिर कभी मत पूछना।’
यही नहीं, एक दिन जब उसने अनिता को एक हजार रुपये देने चाहे तो उसने लेने से साफ इंकार कर दिया था। बेयर्ड को इस बात से घोर आश्चर्य हुआ था। बाद में उसे अपनी भूल का अहसास हुआ था। अनिता ने कहा था- ‘हमदर्दी पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।’
एक दिन जब वह काम पर गई तो उसे बिना बताये बेयर्ड ने कमरा छोड़ दिया और न्यूयॅार्क चला गया, मगर वहां जाकर भी वह उसको एक पल के लिए भूल नहीं सका था। अगरचे वह तेरह दिन तक उसके साथ रहा था, मगर कुछ ज्यादा न जान सका था। बस इतना ही मालूम हुआ कि वह एक होटल में वेटरस का काम करती है। वह कहां पैदा हुई थी, उसके मां-बाप कौन थे, वह अकेली क्यों रहती थी? अनेक सवाल थे, जो बेयर्ड जानना चाहता था, मगर ऐसे सवाल पूछने की उसकी हिम्मत कभी न हुई थी।
अनिता दूसरी लड़कियों की तरह नहीं थी। वह बेहद गरीब थी। सिनेमा देखना, नाचघरों में जाना या दोस्त बनाना उसे अच्छा नहीं लगता था। वह बिल्कुल उसी की तरह अकेली थी। एक दिन जब बेयर्ड ने उससे पूछा था, तो वह बोली थी- ‘मुझे यह सब कुछ अच्छा नहीं लगता। मैं अपने आप में ही ठीक हूं। पुरुषों में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है। वो जो चीज एक लड़की से चाहते हैं, मैं वो उन्हें नहीं दे सकती।’
काईल से मिलने के बाद वह अनिता के मकान की तरफ चल दिया। उसके दिमाग में काईल को लेकर अनेक प्रश्न मंडरा रहे थे। वह यह तो समझ गया था कि काईल के पीछे भी कोई आदमी है, जो उसे इस्तेमाल कर रहा है, पर वह उस आदमी को क्यों छुड़ाना चाहता है? अगर वह एक लाख उसको देने के लिए तैयार है तो वह आदमी काईल के लिए कई लाख की चीज होगा, फिर ईव कौन है? वह क्यों इस मामले में दिलचस्पी ले रही है?
बलमोर स्टेट की जेल के बारे में उसने सुन रखा था कि बड़ी सख्त है। एक गोदीम नाम के आदमी को वह जानता था, जो वहां रह चुका था। उसने बताया था कि वह जेल तेरह मील लम्बी और दस मील चौड़ी है। चारों तरफ अधिकांश पानी और दलदल है। वहां से भागना मौत को बुलावा देना है। दरिया के रास्ते से जब-जब किसी ने भागने की कोशिश की थी तो बड़े-बड़े मगरमच्छों ने उसे अपना शिकार बना लिया था।
मगर बेयर्ड इससे घबराया नहीं था। वह नामुमकिन कामों को करने का आदी था। उसने फैसला कर लिया था कि वह जरूर इस मामले में अपनी किस्मत आजमाएगा।
जब वह अनिता के कमरे की तरफ जा रहा था तो रास्ते में उसे टोनी मिला। बेयर्ड ने उसे खा जाने वाली नजरों देखा। वह एक तरफ को हो गया।
उसने अनिता के कमरे पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया। अंदर से आवाज आई- ‘कौन है?’
‘बेयर्ड! मैं तुमसे मिलने आया हूं।’
अनिता ने दरवाजा खोला। उसकी आंखों में नींद थी। वह बोली- ‘क्या बात है? मैं सो रही थी।’
अनिता के स्वर में कोई खुशी नहीं थी। बेयर्ड के मन को धक्का लगा। वह बोला- ‘मैं अभी-अभी न्यूयॅार्क से आ रहा हूं। सोचा, तुमसे मिल लूं।’
‘मैं इस वक्त तुमसे नहीं मिल सकती। देर बहुत हो चुकी है।’
‘क्यों, क्या तुम्हें मुझसे डर लगता है?’
‘मैं क्यों डरने लगी, मगर तुम इतनी रात गए क्यों आए हो?’
वह कमरे के अंदर जाकर बैठ गया और बोला- ‘तुम्हारा ज्यादा वक्त नहीं लूंगा। थोड़ी देर बाद चला जाऊंगा। ओ० के०।’
अनिता ने अपने बालों में उंगलियां फेरते हुए कहा- ‘अच्छा हो कि तुम अभी यहां से चले जाओ।’
बेयर्ड के दिल-दिमाग में गुस्से की लहरें उठने लगीं, मगर उसने अपने पर काबू पाकर कहा- ‘सॉरी! मुझे यों बिन बताए नहीं आना चाहिए था। यहां से जाने के बाद मैं तुम्हें एक पल के लिए भी नहीं भूल सका था।’
अनिता उसको एक पल तक फटी-फटी नजरों से देखती रही और फिर मुस्करा दी। बेयर्ड को उसका मुस्कराना बड़ा प्यारा लगा।
‘हूं, अब यहां क्यों आए हो?’
‘मैंने सोचा, शायद तुम्हें कुछ पैसों की जरूरत हो।’
‘मुझे नहीं चाहिए।’
‘उधार ले लो, बाद में वापस कर देना।’
‘थैंक्यू। मुझे जरूरत हो, तब भी मैं उधार नहीं लेती। इंसान को अपने पांव पर खड़ा होने की कोशिश करनी चाहिए।’
‘जिद्दी हो।’
‘चलो, मैं जिद्दी ही सही। बस या और कुछ?’
‘तुमने जो कुछ मेरे लिए किया है, मैं उसे भूल नहीं सकता, मुझे भी कुछ करने दो।’
‘कुछ बातों को भूल जाना ही अच्छा होता है।’
‘मैंने तुम जैसी लड़की आज तक नहीं देखी।’ कहकर बेयर्ड ने अनिता को चूम लिया। उसने प्रतिरोध नहीं किया।
बेयर्ड बोला- ‘हो सकता है कि हम जल्दी ही न मिलें, पर अगर तुम्हें कभी किसी चीज की जरूरत हो, मुझे भूलना मत। मेरा पता है- 223 एंड ट्वेंटी फिफ्थ स्ट्रीट। अच्छा, मैं अब चलता हूं। किसी भी परेशानी के वक्त मुझे याद रखना।’ कहकर बेयर्ड कमरे से बाहर निकल गया। जब वह जा रहा था तो टोनी और उसके दोस्त रास्ते में खड़े थे।
नीचे उसकी पुरानी फोर्ड कार खड़ी थी। वह उसमें जा बैठा और कार चला दी।
थोड़े ही फासले पर जैक बर्नज खड़ा था। वह उसका काफी देर से पीछा कर रहा था। उसके जाते ही वह पास में बने ड्रग स्टोर पर गया और उसने हरमन को टेलीफोन मिलाया।
‘मैं बर्नज बोल रहा हूं। काईल से मिलने के बाद रिको वहीं रह गया था। बेयर्ड अकेला बाहर निकला था। उसके बाद वह अनिता जैक्शन से मिलने चला गया, जो रोक्सबर्ग हाउस में रहती है। मेरा ख्याल है कि यह वही लड़की है जिसके कमरे में बेयर्ड जख्मी होने के बाद छिपा रहा था।’
‘वह वहां काम करती है?’
‘वेस्टर्न स्ट्रीट में वेटरस है। पड़ोसियों की उसके चरित्र के बारे में कोई खास अच्छी राय नहीं है। आप क्या चाहते हैं कि मैं अनिता से कुछ बातचीत करूं?’
‘अभी नहीं। अगर बेयर्ड उससे दोबारा मिले तो मुझे बताना। हम फिर उसके बारे में सोचेंगे, मगर बेयर्ड को नजरों से ओझल मत होने दो। दो-तीन दिन में अच्छे परिणाम निकलने की संभावना है।’
‘ओ० के० बॉस। मैं बेयर्ड की तरफ जा रहा हूं। ऐंसवर्थ के कहिए कि वहां पहुंच जाए। मैं कुछ देर के लिए सोना चाहता हूं।’
‘सोने की बात छोड़ो। वह तुम सुबह भी कर सकते हो। जो जरूरी चीजें हैं, पहले उनकी तरफ ध्यान दो।’ हरमन ने बड़ी बेदर्दी से कहा।
‘अगर मैं ड्यूटी पर रहूंगा तो क्या आप सो सकेंगे?’ कहकर उसने फोन बंद कर दिया।
* * *
एडम गिलिस खिड़की के पास गया और उसने बाहर झांककर नीचे देखा। उस वक्त कमरे में एक लड़की अपने कपड़े उतारे पड़ी थी। जब वह उसे मिली थी तो अच्छी लगती थी। शायद इसलिए कि उस समय उस पर शराब का नशा चढ़ा हुआ था। बाद में उसे उस लड़की से घिन आने लगी थी। उसने अपने बदबू भरे शरीर को इत्र और कपड़ों से ढांप रखा था। गिलिस उसे लाकर पछता रहा था।
अचानक नीचे एक टैक्सी आकर रुकी। उसमें से ईव उतरी, उसे देखते ही गिलिस के औसान उड़ गए।
वह अधनंगी लड़की के पास दौड़कर पहुंचा और उसे झिंझोड़कर बोला- ‘मारे गए, जल्दी करो। जल्दी से कपड़े पहनकर यहां से भाग जाओ।’
लड़की ने हड़बड़ाकर पूछा- ‘क्या हुआ?’
‘मेरी बहन आ गई है। जल्दी से तुम कपड़े पहनो और भाग जाओ।’
लड़की ने हड़बड़ाकर कपड़े पहने। गिलिस ने बीस का एक नोट उसे दिया और उसे कमरे से बाहर निकाल दिया। उसने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
सारे कमरे में सिगरेट के टुकड़े बिखरे पड़े थे। कमरे की फिजां में इत्र की खुशबू रच-बस गई थी। उसने सारी खिड़कियां खोल दीं। पंखा चला दिया। सिगरेट के टुकड़े इकट्ठे करके बाहर फेंकने लगा।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने अपने कपड़ों को देखा, उस पर लिपस्टिक के दाग लगे थे। उसने भागकर बाथरूम में नाइट सूट पहना और मुंह पर छींटे मारे, तभी उसकी नजर बिस्तर पर गई जो अस्त-व्यस्त हो चुका था। उसने जल्दी से चादर ठीक की।
दरवाजा लगातार थपथपाया जा रहा था।
उसने भागकर दरवाजा खोला और ईव को सामने पाकर बनावटी आश्चर्य से बोला- ‘अरे तुम! इस वक्त? आओ।’
‘क्या बात है? कब से दरवाजा खटखटा रही हूं। तुम क्या ...?’
‘सॉरी, मैं सो रहा था।’
‘कमरे में इतनी खुशबू क्यों फैली है?’
‘मैं तुम्हारे लिए परफ्यूम की एक शीशी लाया था। वह नीचे गिर गई। यह उसी की खुशबू है।’ गिलिस ने झूठ बोला।
सारा कमरा गंदा हो रहा था। चीजें इधर-उधर बिखरी पड़ी थीं। सामने एक ग्रुप फोटो रखा था जिसमें गिलिस अपने दोस्तों के साथ खड़ा था। यह कॉलेज के जमाने का फोटो था। उस फोटो में गिलिस कितना मासूम और भोला नजर आ रहा था, मगर अब उसके बाल रूखे होने लगे थे और चेहरे का सौन्दर्य कुछ मंद पड़ने लगा था। ईव के मन को एक धक्का लगा।
कमरे की व्यवस्था को देखकर वह समझ गई थी कि थोड़ी देर पहले कोई लड़की वहां आ चुकी है। जब उसने गिलिस से पूछा तो उसने साफ झूठ बोल दिया।
ईव बैठ गई और बोली- ‘रिको अपने साथ बेयर्ड को लाया था।’
‘तुम उससे मिली?’
‘हां ।’
‘क्या वह काम करने को तैयार है ?’
‘हां, पर काम करने से पहले वह उस इलाके का मुआयना करना चाहता है।’
‘जो बातें हुई हैं, उन्हें खोलकर बताओ।
ईव ने उसे सविस्तार बताया। सुनकर गिलिस बोला- ‘मैं तो पहले ही जनता था कि बेयर्ड यह काम कर सकता है। खैर, तुम तो उसे मिली हो। तुम्हारी उसके बारे में क्या राय है?’
‘मैं तो उसे देखते ही डर गई थी। वह किसी जंगली शेर की तरह नजर आता है। बेहद भयंकर और सख्त। ऐसा है वह।’
‘चूंकि वह खूनी है, इसलिए हमारे काम का है। ऐसा आदमी ही हमारा काम कर सकता है।’
‘गिलिस, मुझे यह सारा मामला बड़ा खतरनाक नजर आता है। माना लो बेयर्ड बेलमोर जेल से बाहर हेटर को ले आता है तो क्या वह तुम्हें बता देगा कि हीरे कहां छिपे हैं?’
‘क्यों नहीं, जब, उसे पता चलेगा कि हमने उसे बाहर निकाला है तो वह क्या हमारा अहसानमंद नहीं होगा? जब उसे पता चलेगा कि राजा हमारे जरिए उससे हीरों का सौदा करना चाहता है तो सब कुछ बता देगा।’
‘तुम हेटर को क्या बेवकूफ समझते हो? तुम उसे छुड़ाने नहीं बल्कि उसका अपहरण करने जा रहे हो। वह इसका विरोध करेगा, क्योंकि उसकी सजा खत्म होने में सिर्फ दो साल बाकी है। अगर वह अब जेल से भगाया गया तो पुलिस उसको भगोड़ा समझकर उसका पीछा करेगी। वह क्यों यह खतरा मोल लेने लगा? दो साल की और सजा भुगतने के बाद वह एक आजाद इंसान के तौर पर रिहा होना पसन्द करेगा।’
‘मगर मैं दो साल तक इंतजार नहीं कर सकता। हो सकता है, दो साल के बाद महाराजा न रहे या वह अन्य किसी दूसरे आदमी से सम्पर्क कर ले। रिहा होने पर हेटर किसी और के धंधे में भी फंस सकता है। तब मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो मैं चालीस लाख से हाथ धो बैठूंगा। सोचो, ऐसा मौका जीवन में बार-बार नहीं आता। हम इन रुपयों से एक नई जिन्दगी शुरू कर सकते हैं।’
‘हेटर क्या यों ही चुपचाप रहेगा? क्या वह चालीस लाख में अपना हिस्सा नहीं मांगेगा?’
‘इसका फैसला हेटर के बाहर आने पर करेंगे। वह हीरों के बारे में सूचना देगा तो उसे भी कई लाख देना होगा।
‘और काईल को? उसने महाराजा से सीधा सौदा किया है।’
‘इसके लिए तुम कोशिश करो।’
‘मतलब?’ ईव ने आश्चर्य से पूछा।
‘तुम काईल का कोई ऐसा रहस्य जानने की कोशिश करो कि उसकी गर्दन हमेशा हमारी मुट्ठी में रहे। जब वह तीन-पांच करने लगे तो हम उसकी गर्दन दबा देंगे।’
ईव ने कहा- ‘बेयर्ड की नीयत भी तो बदल सकती है। हो सकता है कि सारा रुपया वह खुद ही हजम करना चाहे?’
गिलिस खिलखिलाकर हंसा- ‘तुम क्यों अपने को व्यर्थ में परेशान करती हो। मैं बेयर्ड को संभाल लूंगा। तुम उसे काम तो स्टार्ट करने दो।’
‘तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।’
‘कौन सा सवाल ?’
‘काईल के बारे में।’
‘तुम उसका कोई-न-कोई रहस्य जानने की कोशिश करो। बाकी मैं देख लूंगा।’
‘मैं यह नहीं कर सकती।’
‘क्यों?’
‘वह ब्लैकमेल करना होगा।’
‘बाजी जीतने के लिए कोई भी चाल चली जा सकती है। मकसद तो दुश्मन को मात देना है।’
ईव ने गिलिस का हाथ पकड़कर कहा- ‘प्लीज गिलिस, मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हूं। तुम इस आग में अपने को मत धकेलो। मुझे डर लगता है। मैं जानती हूं कि बेयर्ड जेल से हेटर को निकालने में सफल हो जाएगा। पर उसके बाद जो तूफान उठेगा, उसमें हम सब फंस जांएगे।’
गिलिस ने उसका हाथ थपथपाकर कहा- ‘तुम डरो मत। मैं भी थक चुका हूं। अब सोना चाहता हूं। तुम भी जाकर आराम करो। तुम अपना काम करो और मुझे अपना काम करने दो।’
ईव ने बेबस दृष्टि से उसकी तरफ देखा- ‘जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं तो तुम्हें आने वाले खतरे से आगाह करने आई थी। आगे तुम जानो। अभी भी वक्त है कि तुम संभल जाओ।’
गिलिस ने दरवाजे की तरफ बढ़ते हुए कहा- ‘तुम्हारे पास सौ रुपये है। वापस कर दूंगा।’
ईव ने बिना कुछ कहे हैंड बैग खोला और सौ-सौ के दो नोट निकालकर उसकी तरफ बढ़ा दिए।
‘नहीं, सौ ही काफी है।’
‘रख लो।’ कहकर वह आगे बढ़ गई। गिलिस उसको नीचे तक छोड़ आया और वापस आकर बिस्तर पर लेट गया।
* * *
जैक बर्नज अपनी कार में बैठा था। उसके होंठों में सिगरेट दबा था। उसके चेहरे पर बेजारी थी। वह बार-बार कलाई पर बंधी घड़ी को देख रहा था। एक बजने वाला था, मगर ऐंसबर्थ का कहीं पता नहीं था।
उसने सोचा अगर बेयर्ड सो जाए तो उसकी कुछ समय के लिए जान छूटे और वह घर जाकर सो जाए। चूंकि अभी तक उसके कमरे में रोशनी जल रही थी और उसका प्रकाश शीशों से छनकर बाहर आ रहा था...इसका मतलब था कि बेयर्ड अभी तक जाग रहा था।
तभी वहां पर रात को गश्त करने वाला एक कांस्टेबल आ गया। वह बर्नज को जानता था। दोनों आपस में बातें करने लगे। कांस्टेबल भी बेयर्ड को जानता था।
अचानक बेयर्ड की कमरे की बत्ती बुझ गई। चंद मिनट बाद वह नीचे उतरा। उसके हाथ में एक सफारी बैग था। जाहिर था कि वह कहीं सफर पर जा रहा था। कांस्टेबल बोला- ‘लगता है कि यह किसी का हुलिया बिगाड़ने जा रहा है।’
बर्नज ने कहा- ‘प्लीज भाईजान, मेरा एक काम करोगे?’
‘बोलो?’
‘मेरा एक साथी अभी यहां आने वाला है। उससे कहना कि बेयर्ड सफारी बैग लेकर कहीं चला गया है। मैं उसके पीछे जा रहा हूं।’
‘जरूर जाओ, मैं कह दूंगा।’
बर्नज जाने लगा तो कांस्टेबल बोला - ‘एक दस का पत्ता हो तो देना, कल लौटा दूंगा।’
बर्नज ने उसे मन-ही-मन एक गाली दी। जेब से दस का एक नोट निकाला और उसके हाथ में थमा दिया।
बेयर्ड बड़ी तेजी से जा रहा था। रात गहरी काली थी। वह पैदल ही जा रहा था। उसने कोई टैक्सी नहीं ली थी। चूंकि स्टेशन पास में ही था और गाड़ी का वक्त हो रहा था, इसलिए वह पैदल ही जा रहा था।
सहसा उसे अहसास हुआ कि कोई आदमी उसका पीछा कर रहा है। वह मुड़कर नहीं देखना चाहता था, इसलिए सड़क के बराबर जाती एक अंधेरी गली में जाकर खड़ा हो गया। वहां से सड़क पर आने-जाने वालों को स्पष्ट देखा जा सकता था।
बेयर्ड ने देखा एक मोटा और छोटे कद का आदमी उसका पीछा कर रहा था। शक्ल से वह सिपाही तो नजर नहीं आता था। उसने सोचा, वह कौन हो सकता है?
मौका ऐसा था कि वह किसी से उलझना नहीं चाहता था, लेकिन वह यह भी नहीं चाहता था कि कोई उसका पीछा करे। वह गली में आगे बढ़ा, ताकि चकमा देकर दूसरी तरफ से निकल जाए मगर गली आगे जाकर बंद हो गई थी। वह वापस मुड़ा।
बर्नज गली के मोड़ पर खड़ा हो गया। वह समझ गया कि बेयर्ड को जरूर अहसास हो गया होगा कि वह उसका पीछा कर रहा है।
वह गली के मोड़ पर जाकर खड़ा हो गया।
उसे गली के मोड़ पर खड़े अंधेरे में छिपे बेयर्ड ने देख लिया था। उसके पास समय नहीं था कि वह सड़कों या गलियों में इधर-उधर भागकर उसे चकमा देता। गाड़ी आने में बहुत कम समय बाकी था।
वह धीरे से आगे बढ़ा। जैसे ही एक पल को गली से नजर हटाकर बर्नज ने सड़क की तरफ देखा कि एक जंगली शेर की तरह बेयर्ड झपटा और उसने बर्नज के कोट का कॅालर पकड़कर जमीन पर दे मारा। इससे पहले कि बर्नज उसे अचानक हमले की ताव खाकर संभले कोई हथौड़े की तरह भारी चीज उसके सिर पर जाकर पड़ी और वह बेहोश होकर लुढ़क गया।
बेयर्ड उसे खींचकर अंधेरी गली में ले गया। उसने दियासलाई जलाकर उसकी तलाशी ली तो अंदर से बर्नज का शिनाख्ती कार्ड निकला जिस पर लिखा था- ‘इंटरनेशनल डिटेक्टिव एजेंसी।’
उसने बूट से एक जोर की ठोकर बर्नज के सिर पर मारी। वह अब समझ गया था कि मामला क्या है, पर उसके पास समय नहीं था। गाड़ी चलने में सिर्फ दस मिनट बाकी थे।
बेयर्ड ने बर्नज को वहीं छोड़ा और स्टेशन की तरफ तेजी से भागने लगा।
ठीक चालीस मिनट बाद।
हरमन गहरी नींद में सोया था कि अचानक टेलीफोन की घंटी बज उठी। उसने रिसीवर उठाने से पहले पास में रखी घड़ी को देखा। रात के पौने तीन बज रहे थे।
उसने रिसीवर उठाकर कहा - ‘कौन?’
आवाज आई- ‘मैं डैलेस हूं। बेयर्ड हमें चकमा दे गया है। बर्नज जख्मी हालत में अस्पताल में पड़ा है। उसके सिर पर चोट आई है।’
‘कुछ पता चला कि यह कैसे हुआ?’ हरमन ने पूछा।
डैलेस ने जवाब दिया, ‘पहले ईव अपने भाई गिलिस से मिली। वह रात को साढ़े ग्यारह बजे उससे जुदा हुई। मैं उसके बाद तब तक वहां रहा, जब तक कि गिलिस के कमरे की बत्ती बुझ न गई। जब वह सो गया तो मैं वहां से ऐंसबर्थ के पास पहुंचा। हम दोनों बर्नज की तरफ चल दिए ताकि उसे ड्यूटी से मुक्त किया जा सके।’
‘फिर क्या हुआ?’
‘जब हम दोनों बेयर्ड के मकान के पास पहुंचे तो सड़क पर उसकी खाली कार मिली। वह वहां नहीं था। वहां पर घूमते एक कांस्टेबिल ने बताया कि बेयर्ड पांच मिनट पहले सफारी बैग लेकर चला गया है और बर्नज उसका पीछा कर रहा है। हम फौरन समझ गए कि वे जरूर रेलवे स्टेशन की तरफ गए होंगे। जब हम जा रहे थे तो एक अंधेरी गली के बाहर हमें किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज आई। मैंने टॅार्च की रोशनी फेंकी तो वहां पर बर्नज बहोश पड़ा था। बेयर्ड जा चुका था।’
हरमन ने पूछा- ‘क्या बर्नज की हालत काफी गंभीर है?’
‘यस, मगर डॉक्टर का कहना है कि वह बच जाएगा।’
‘तुम उसके बाद स्टेशन गए?’
‘मैं बर्नज को लेकर अस्पताल चला गया और ऐंसबर्थ स्टेशन गया था। उसे टिकट क्लर्क से पता चला कि बेयर्ड ने शरीबी पोर्ट का टिकट खरीदा था।’
‘शरीबी पोर्ट! क्या उसने वाकई वहां का टिकट खरीदा था?’
‘हां, मगर इसमें चौंकने की क्या बात है?’
हरमन ने कहा- ‘तुम दोनों टैक्सी पकड़कर जल्दी यहां आओ।’
‘रात काफी गुजर चुकी है। हमें कुछ आराम भी करना होगा।’
‘क्या मैं तुम्हें तनख्वाह आराम करने के लिए देता हूं? बेलमोर जेल का जो फार्म है, वह शरीबी पोर्ट से सिर्फ पन्द्रह मील दूर है। वहीं पर हेटर सजा काट रहा है। अब तुम्हारी कुछ समझ में आया?
डैलेस ने हैरत से सीटी बजाई।
‘मैं अभी आ रहा हूं।’ डैलेस ने कहा और रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया।
* * *
बेयर्ड ने फरु-फरु के पीछे का दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हो गया। जब उसे यकीन हो गया कि उसे किसी ने देखा नहीं तो वह कॉरीडोर में आगे बढ़ा। वह चुपचाप रिको के दफ्तरनुमा कमरे की तरफ चल दिया।
अचानक उसकी नजर दूर एक अधखुले दरवाजे पर गई। कोई उसे चुपके से देख रहा था। वह जूई नरैटन थी। बेयर्ड ने उसे देख लिया था। वह वापस मुड़ा। उसने चुपके से कमरे में प्रवेश किया।
वह जूई का ड्रेसिंग रूम था।
वह शीशे के सामने बैठी मेकअप कर रही थी। बेयर्ड को सामने खड़ा पाकर वह बोली- ‘क्या बात है? तुम बिना दरवाजा खटखटाए अंदर क्यों आ गए?’
‘हैलो! क्या बात है, तुम छिपकर क्या देख रही थी? क्या परेशानी है तुम्हें?’
‘क्या बक-बक कर रहे हो। मुझे क्या जरूरत है कि मैं तुम्हें छिपकर देखूं। मुनासिब यही है कि तुम अब यहां से चलते बनो।’
बेयर्ड ने उसके ड्रेसिंग टेबल के पास ही टेलीफोन पर एक नजर डाली और बोला- ‘संभलकर चलो। कहीं मुझे तुम्हारी चाल न दुरुस्त करनी पड़े।’
बेयर्ड ने जूई को आतंकित कर देने वाली नजरों से घूरा और बाहर चला गया।
जब वह रिको के कमरे में पहुंचा तो वह डैक्स पर झुका हुआ था।
‘आओ-आओ! दरवाजा बंद कर दो। तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है।’
बेयर्ड ने दरवाजा अंदर से बंद किया और रिको के सामने कुर्सी पर जाकर बैठ गया। वह बोला, ‘धीरे बात करो। कोई सुन भी सकता है। मैं ठीक कह रहा हूं।’
रिको ने उसे हैरत से देखा।
‘क्या मतलब? यहां कौन सुन सकता है?’
‘खैर छोड़ो, धीमी आवाज में बात करो। क्या खबर है बताओ।’
रिको ने चेहरे के भावों को गंभीर बनाकर कहा- ‘यह जगह सेफ है। तुम घबराओ मत। यहां कोई हमारी बातों पर कान धरने वाला नहीं है।’
‘खबर क्या है? बेयर्ड ने अपना वाक्य दोहराया।
‘मैं काईल से मिला था। मैंने उसे बता दिया है कि तुम सारे इलाके का मुआयना कर चुके हो। तुम हेटर को छुड़ा सकते हो। खर्चे का इंचार्ज उसने मुझे बना दिया है। मेरे पास चालीस हजार है। आधा-आधा कर लें?’
‘काम कौन कर रहा है- तुम या मैं?’
‘काम दोनों। खैर, तुम नाराज मत हो। तीस तुम ले लो, दस मैं लेता हूं।’
बेयर्ड ने स्वीकृति में सिर हिलाया।
‘तुमने पता किया कि वह आदमी कौन है, जिसे छुड़ाना है?’
‘हां।’ कहकर रिको ने दराज खोलकर एक लिफाफा बाहर निकाला तो बेयर्ड बोला- ‘तुम इसमें ताला लगाकर क्यों नहीं रखते?’
‘मैं कह चुका हूं कि यहां डरने की कोई बात नहीं है। मेरे न होने पर भी यहां कोई नहीं आता, मगर तुम्हें भीतर से क्या चीज परेशान कर रही है?’
‘कुछ नहीं। खैर, कौन है वो?’
‘पाल हेटर। यह उसका फोटो है, जो पुलिस ने लिया था। इसे वहां पहचान लेना मुश्किल नहीं होगा।’
उसने फोटो उसके सामने उछाल दिया।
बेयर्ड ने फोटो को गौर से देखा-रिको ने ठीक कहा था। उसे पहचान लेना मुश्किल नहीं था। वह पतला-सा और छोटे कद का था। उसके सिर के बाल उड़ चुके थे, मगर भौहें बड़ी मोटी थीं। उसकी दायीं आंख के नीचे एक लम्बा निशान था। वह सूरत से कोई जन्मजात अपराधी नजर आ रहा था। उसकी छोटी आंखों से जिद और कट्टरता टपकती थी।
बेयर्ड बोला- ‘शक्ल से तो ऐसा मालूम होता है, जैसे उसके दिमाग की चूलें ढीली हों।’ उसने फोटो वापस रिको को देते हुए कहा- ‘इसे पहचान पाना मुश्किल नहीं होगा। बोलो, कब से काम शुरू करें? बेयर्ड ने पूछा।
‘जितनी जल्दी हो सके, उतना ही बेहतर है।’
‘और माल?’
‘वो सब मिलेगा?’
‘तुम्हें कैसे मालूम?’
‘तुम कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो? काईल बड़ा आदमी है। दौलत में खेलता है।
’तुम्हें यकीन है।’
‘सौ फीसदी।’
‘मगर मुझे तो पता चला है कि वह कंगाल हो चुका है। उसने लोगों का बहुत पैसा उधार देना है। जो बंगला उसने रुजवेल्ट से खरीदा है, उसकी पेमेंट भी अभी तक नहीं की है। चंद महीनों की बात और है.... फिर गलियों में उसे भीख मांगनी पड़ेगी।’
‘ओह! यह बात है।’
‘बिल्कुल।’
रिको के माथे पर पसीने की बूंदें आ गईं। उसने पूछा- ‘अगर यह बात है तो उसने चालीस हजार झट से कैसे निकालकर दे दिए?’
‘यह काईल नहीं जो हेटर को चाहता है। कोई और आदमी है, जो उसे छुड़ाना चाहता है। उसी ने हो सकता है ये रुपये दिए हों।’
रिको ने कहा- ‘कोई भी हो, हमें तो माल से मतलब है... वह मिल रहा है।’
बेयर्ड ने पूछ- ‘जानते हो, हेटर कौन है?’
‘नहीं।’ रिको ने परेशानी के अंदाज में पहलू बदला।
बेयर्ड ने कहा- ‘बीस साल पहले वह हीरों का एक जबर्दस्त पारखी था और ज्यूलरी का धंधा करता था।’
‘क्या बिजनेस करता था?’
‘हेराफेरी। उसने पन्द्रह साल पहले किसी के कीमती हीरों पर हाथ मारा था। चोरी की चीजों का धंधा करने वाले एक आदमी का उसमें हाथ था।’
‘पन्द्रह साल पहले?’
‘हां। उनकी कीमत उस वक्त तीन करोड़ से कुछ ज्यादा थी।’
‘तीन करोड़।’
‘यस! मगर वे हीरे कहां गए... इसका कुछ पता न चल सका। कहा जाता है कि हेटर ने उन्हें कहीं गायब कर दिया, मगर हेटर आखिरी वक्त तक इंकार करता रहा।’
रिकी की आंखें आश्चर्य से फट गई थीं।
बेयर्ड बोला- ‘काईल या कोई और आदमी वक्त से पहले ही हेटर को कब्जे में लेकर उन हीरों तक पहुंचना चाहता है। समझे अब तुम?’
‘हां, समझा। मैं इस बारे में काईल से बात करूँगा। वह हमें कौड़ियों में नहीं टरका सकता।’ कहकर रिको ने शराब के दो गिलास बनाए।
बेयर्ड बोला- ‘यह हिमाकत मत करना। अपनी हर चाल को एक रहस्य ही रखो। वक्त आने पर हम उसे चकमा देकर सारा माल खुद ही ले उड़ेंगे।’
रिको ने चौंककर कहा- ‘तुम होश में तो हो? करोड़ों के माल को हम किसके हाथ बेचेंगे? सारे मुल्क में चोरी के इतने बड़े माल को खरीदने वाला तुम्हें एक भी नहीं मिलेेगा।’
बेयर्ड ने बेबसी और गुस्से के मिले-जुले स्वर में कहा- ‘मैं अक्सर सोचता हूं कि तुमसे माथापच्ची करने से मुझे क्या मिलता है? तुम्हारे दिमाग में भूसा भरा है।’
‘तुम बताओ, तुम क्या सोचते हो?’
काईल हीरों के मिलते ही हेटर को रास्ते से हटा देगा। जब हीरे उसके या किसी और के पास होंगे तो हम उसका सफाया कर देंगे। उसके बाद सोचेंगे कि उनको कहां पर ठिकाने लगाया जाए।’
‘मतलब यह है कि तुम एक लाख भी वसूल करोगे और हीरे भी हड़प कर जाओगे।’
‘हां, यह काम दोनों मिलकर करेंगे। हीरों को करोड़ों में बेचना मेरी जिम्मेदारी है।’
रिको ने अपने सूखे होंठों पर जुबान फेरी। वह बोला, ‘तुम्हारी बात तो ठीक है। अब हमें क्या करना चाहिए?
बेयर्ड बोला- ‘तुम काईल पर नजर रखो और देखो कि कौन आदमी उसको अपने इशारों पर नचा रहा है। इसके अलावा यह भी हमें मालूम कना है कि बर्नज को किसने हमारे पीछे लगाया था।’
‘मैं समझा नहीं।’
उसने सविस्तार उस रात की घटना के बारे में रिको को बताया। रिको शराब का घूंट भरकर बोला- ‘हो सकता है, वह काईल ही हो।’
‘मैं कह नहीं सकता। हमें इसका जल्दी ही पता लगाना चाहिए। एक बात और। यह जूई नरैटन कब से तुम्हारे क्लब में काम कर रही है?’
‘तुम उसको बीच में कैसे ले आए?’
‘मैं जब भी यहां आता हूं, वह मेरे पीछे साये की तरह लगी रहती है।’
‘मैं उसको पिछले तीन चार साल से जानता हूं। वह इस शो बिजनेस में काफी दिनों से है। जब मैंने क्लब खोला तो वह यहां आ गई। वह तुममें दिलचस्पी लेती है। उसे तुम जैसे आदमी ही पसन्द है। वह तुम्हारे बारे में पूछ भी रही थी।’
बेयर्ड ने कहा- ‘तुम अहमक हो। वह मुझसे नहीं, बल्कि हेटर के मामले में दिलचस्पी रखती है। मैं इसे साबित कर सकता हूं। तुम इस फोटो को दराज में रखकर ताला लगा दो। और यों करो कि ....।’
जब बेयर्ड चला गया तो जूई ने चैन की सांस ली थी। जिस ढंग से बेयर्ड ने उसे धमकी दी थी, उससे तो उसका रंग ही पीला पड़ गया था। उसने अपने आपसे कहा- ‘जूई, जरा संभलकर चलो। डैलेस से मिलो और उसकी राय लो कि आगे किस तरह काम किया जाए।’
उसने अंदर से दरवाजा बंद करके डैलेस को फोन किया। घंटी बजती रही। उसने फोन बंद कर दिया। वह समझ गई कि हो सकता है, वह क्लब के लिए चल पड़ा हो।
जूई अपनी जगह से उठी और उसने बाहर झांका.. रिको के कमरे को जाने वाला रास्ता खाली था। चूंकि बेयर्ड पलटा नहीं था, इसलिए वह समझ गई थी कि वह रिको के पास ही बैठा होगा।
वह न सिर्फ डैलेस से प्यार करने लगी थी, बल्कि रिको की जासूसी करने के काम का उसे काफी पैसा भी मिल रहा था। वह जानना चाहती थी कि रिको और बेयर्ड बैठे क्या बातें कर रहे हैं, मगर वह आगे कदम बढ़ाती हुई डरती थी। उसने जूई को धमकी जो दी थी।
आधे घंटे बाद उसे क्लब से रेस्तरां में जाना था। जहां पर उसे रात के तीन बजे तक रहना था। उसने जल्दी से मेकअप करके अपनी ड्रेस पहन ली।
तभी रिको के कमरे को दरवाजा खुला। वह बेयर्ड के साथ बाहर निकला। दोनों में बातें होने लगीं। वह गौर से दरवाजे से कान लगाकर सुनने लगी।
बेयर्ड बोला।
‘अरे यार रिको, चलो भी। एक घंटे में हम वापस आ जाएंगे। क्यों हर वक्त क्लब से चिपके रहते हो?’
‘जाना तो नहीं चाहता, पर तुम मजबूर करते हो तो चलता हूं।’
‘जो लिफाफा तुम्हें काईल ने दिया था, वह तुमने ड्राज में रखकर ताला लगा दिया है न?’
‘ड्राज मे रख दिया है, मगर ताला तो नहीं लगाया। घबराने की कोई बात नहीं है। मेरे दफ्तर में कोई नहीं आता। आओ अब चलें।’ कहकर दोनों बाहर निकल गये।
जूई को याद आया कि डैलेस ने काईल का जिक्र किया था। वह उत्सुकता से भर उठी कि देखा जाये कि उस लिफाफे में क्या है, जो रिको के ड्राज में पड़ा है।
उसने भागकर डैलेस का नम्बर मिलाया, मगर इस बार भी फोन किसी ने नहीं उठाया।
जूई ने सोचा, वे तो एक घंटे से पहले नहीं आएंगे। क्यों न वह थोड़ा सा साहस बटोरकर रिको के दफ्तर में जाये और खुद ही देखे कि उस लिफाफे में क्या है। मुश्किल से इस काम में उसे पांच मिनट लगेंगे।
वह धड़कते दिल से अपने कमरे से निकली और रिको के दफ्तर के सामने आकर खड़ी हो गई। उसने हाथ रखा था कि दरवाजा खुल गया।
अंदर अंधेरा था। वह कांपती आवाज में बोली- ‘अंदर कोई है?’
जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह कमरे में दाखिल हो गई। उसने दरवाजा बंद कर दिया। कमरे में स्विच को तलाश किया। हल्की रोशनी सिर्फ रिको की टेबल पर बिखर गई।
जूई ने जल्दी से ड्राज खोला। एक लिफाफा सामने ही पड़ा था। उस पर रिको का नाम लिखा था। जैसे ही उसने लिफाफे को उठाना चाहा, एक साया आगे बढ़ा।
यह बेयर्ड था।
जूई मारे डर के थरथर कांपने लगी, तभी उसने दरवाजे की तरफ देखा। वहां पर रिको खड़ा था। वह उसको लाल-लाल खा जाने वाली आंखों से देख रहा था।
‘हैलो, मैना।’ बेयर्ड ने नरमी से कहा- ‘क्या ताक-झांक रही हो?’
इसी के साथ एक घूंसा जूई की कनपटी पर पड़ा और वह चीख मारकर जमीन पर गिरी और बेहोश हो गई।
* * *