सुबह आठ बजे फोन आया तो आदिन ने बात की।
“हैलो।”
“सब ठीक है?” उधर से आवाज आई।
“ठीक है साहब जी।”
“आज वोमाल जगवामा से फिरौती की बात करना। कौन करेगा बात तुम में से?”
“मैं चिकी बनकर करूंगा।”
कुछ क्षणों की चुप्पी के बाद साहब जी की आवाज आई।
“अभी चिकी का बात करना ठीक नहीं होगा। आने वाले वक्त में जब हालात बिगड़ेंगे तो चिकी बनकर बात करना।”
“जैसा आप कहें।”
“एक खबर और। जगवामा के मंगाए हथियार समंदर के किनारे कुछ दिन में पहुंचने वाले हैं। छ:-सात दिन में । मेरा खयाल है कि गाठम उन हथियारों पर हाथ डाल दे तो कैसा रहे?”
“क्या मतलब?” आदिन के होंठों से निकला।
“पांच-छः दिन तक जगवामा और गाठम के बीच हालात बिगड़ जाएंगे। तब गाठम, जगवामा को सबक सिखाने, उसे दबाने के लिए, उसके हथियारों पर हाथ डाल सकता है या नहीं?”
“डाल सकता है सर। इससे गाठम और जगवामा के बीच दुश्मनी बढ़ेगी।”
“ये ही तो हम चाहते हैं।” दूसरी तरफ से आवाज आई –“गाठम के लोगों का इसी शहर में एक ठिकाना हमारी नजर में है। जहां दस-बारह लोग रहते हैं। जब हथियारों पर हाथ डाला जाएगा तो उसके कुछ देर बाद ही गाठम के ठिकाने पर हमला करके वहां मौजूद गाठम के लोगों को मार देना है ताकि गाठम ये सोचे कि ये काम जगवामा ने किया है।”
“ये प्रोग्राम तो हमारा पहले से ही तय था। हथियारों वाली बात को भी हम बीच में ले लेते हैं।”
“लेकिन उससे पहले जगवामा के दो लोग, गाठम से बात करने जाएंगे।”
“होपिन और रत्ना ढली जाएंगे सर। आपको पता ही है। कब जाना है?”
“मेरे खयाल में कल जाना ठीक होगा। आज जगवामा के सामने फिरौती की मांग रखी जाएगी। ऐसे में जगवामा के आदमी कल पूर्व के जंगलों में पहुंचे तो ठीक होगा।”
“जाने के लिए हैलीकॉप्टर की तैयारी...।”
“एक प्राइवेट कम्पनी का हैलीकॉप्टर मैं अभी कल के लिए बुक करा देता हूं। तुम होपिन और रत्ना ढली को रात को ही मेरे पास भेज देना। उनकी जगह मैं दो आदमी भेज दूंगा।”
“ठीक है सर।”
“बेवू ने कोई खास बात कही?”
“नहीं। वो नार्मल है।”
“हमारा काम जगवामा और गाठम को लड़वाने का है। हमने सफल होना है। कहीं भी कोई, लापरवाही मत कर जाए। ये प्लान हमने महीनों की मेहनत के बाद बनाया है। सफल न होने पर हमारे लिए शर्म की बात होगी।”
“हम सफल रहेंगे सर।” आदिन दृढ़ स्वर में कह उठा।
“अभी हमें लम्बा सफर तय करना है तभी हम कामयाबी की स्थिति में पहुंचेंगे।”
“जी साहब जी।”
उधर से फोन बंद कर दिया गया।
आदिन दूसरे कमरे में पहुंचा जहां रत्ना ढली मौजूद था। दोनों रात को जल्दी सो गए थे और मोक्षी होपिन रात को देर से सोए थे, इसलिए वो अभी तक नींद में थे।
“बड़े साहब का फोन आया। आज फिरौती मांगनी है।” आदिन ने कहा।
“फिरौती चिकी मांगेगा?” रत्ना ढली ने आदिन को देखा।
“साहब जी कहते हैं कि कुछ दिन बाद जब हालात गम्भीर हो जाएंगे तब चिकी को बात करनी चाहिए। होपिन चिकी बनकर तब बात करेगा। अब हममें से कोई भी बात करेगा।”
“अभी नहीं। ढली और होपिन को जाग लेने दो। उनसे विचार-विमर्श करके बात करेंगे जगवामा से।”
“कुछ दिन बाद जगवामा के हथियार समंदर किनारे पहुंचने वाले हैं। उन्हें हमारे लोग लूट लेंगे और...।” आदिन बताने लगा। देर तक रत्ना ढली से बातें होती रहीं कि तभी जगमोहन की आवाज कानों में पड़ी।
“उसे होश आ गया है। ये बेवू की आवाज है।” रत्ना ढली कहता बाहर निकल गया।
दूसरे कमरे में पहुंचा। साथ में आदिन भी था।
जगमोहन बेड पर जगा हुआ मिला। पास में होपिन सोया हुआ था।
“गुड मार्निंग मिस्टर बेवू।” रत्ना ढली ने मुस्कराकर कहा।
तभी नींद में डूबे होपिन ने कहा।
“इसे दूसरे कमरे में ले जाओ। मेरी नींद मत खराब करो।”
“आइए बेवू साहब। आपको सुबह की सैर कराते हैं।” आदिन ने कहा और उसकी टांगों के बंधन खोल दिए।
जगमोहन को चलाकर दूसरे कमरे में ले गए।
जगमोहन वहां की हर चीज को ध्यान से देख रहा था।
जगमोहन को कुर्सी पर बिठाया गया।
“मेरे हाथ खोल दो।”
“आप ऐसे ही ठीक हैं।” आदिन ने कहा।
“मेरे बांहों में दर्द हो रहा...।”
“चुप कर।” रत्ना ढली गुर्रा उठा –“हम तेरी सेवा करने, तेरे को यहां नहीं लाए।”
जगमोहन रत्ना ढली को देखने लगा।
“ये बेवू साहब हैं।” आदिन ने कहा –“ठीक से बात करो।”
“मुझे इसकी परवाह नहीं।” रत्ना ढली ने जगमोहन को घूरा।
“कॉफी तो पिला दो।” जगमोहन ने सामान्य स्वर में कहा।
“मैं बना कर देता हूं।” आदिन ने कहा और बाहर निकल गया।
“तुम लोग कौन हो?” जगमोहन ने पूछा।
“रात ये सवाल नहीं पूछा था क्या?”
“तुमसे नहीं पूछा।”
“तो क्या एक-एक से ये ही पूछता रहेगा। कान खोलकर सुन ले बच्चे, तेरा अपहरण गाठम ने किया है। हम गाठम के लिए काम करते हैं। समझ गया न। अब दोबारा मत पूछना।”
“गाठम पूर्व के जंगलों में रहता है।”
“तो?”
“तुम लोग पढ़े-लिखे लगते हो। ऐसे लोग गाठम के आदमी नहीं हो सकते।”
“हम गाठम के लिए ही काम करते हैं शहर में रहकर। नोट मिलते हैं हमें गाठम से। काम क्यों नहीं करेंगे। हर शहर में गाठम के लिए हम जैसे लोग ही काम करते हैं। हो सकता है तेरी रिहाई जल्दी हो जाए।”
“वो कैसे?”
“आज हम तेरे बाप से फिरौती मांगने वाले हैं।”
“पापा पैसे दे देंगे।” जगमोहन ने विश्वास भरे स्वर में कहा।
“देगा क्यों नहीं।” रत्ना ढली ने कड़वे स्वर में कहा –“अपने बेटे को जिंदा पाना है तो जरूर देगा।”
“तुम लोग बच नहीं सकोगे। पापा गाठम को छोड़ने वाले नहीं।”
“गाठम की हवा को भी तेरा बाप नहीं छू सकता। न ही वो हमें पकड़ सकता है। तू अभी हमें जानता नहीं।”
“मेरे को नहाना है।” जगमोहन ने कहा।
“नहा लेना। पहले कॉफी तो पी ले।” रत्ना ढली ने कड़वे स्वर में कहा।
“तुम लोग कब से मेरे अपहरण की तैयारी कर रहे थे?” जगमोहन ने पूछा।
“छ: महीने लगे हमें तैयारी करने में। पिछले दस दिन से हम मौके की तलाश में थे। एक दिन पहले हमें मौका। मिला जब तू शादी पर जाने के लिए इस्टेट से निकला था, पर हम चूक गए, लेकिन अगले दिन बात बन गई। तू हाथ आ गया।”
जगमोहन मुस्करा पड़ा।
“मैंने ऐसा क्या कह दिया जो तू मुस्कराया?” रत्ना ढली की आंखें सिकुड़ी।
“अच्छा ही हुआ जो तू शादी वाले दिन मेरा अपहरण नहीं कर सका।”
“तब क्या हो जाता?”
“तुम्हें तो कुछ नहीं होता, मेरे लिए परेशानी आ जाती।” जगमोहन ने गहरी सांस ली।
“बता तो, क्या?”
तभी आदिन कॉफी के प्याले के साथ आ गया।
“इसके हाथ खोलकर पैर बांध दो, ताकि ये कॉफी का प्याला पकड़ सके।” आदिन ने कहा।
☐☐☐
इंडिया। मुम्बई।
देवराज चौहान गहरी नींद में था। सुबह के 8.30 बजे थे। तभी मोबाइल बजने लगा। देवराज चौहान की आंखें फौरन खुली। करवट लेकर मोबाइल को उठाया और बात की। आंखें बंद कर ली थी उसने।
“हैलो।”
“नींद में हो?” उधर से मार्शल का स्वर कानों में पड़ा।
देवराज चौहान की आंखें खुल गईं।
“कहो। जगमोहन ठीक है?”
“मेरा एजेंट तुम्हारे पास पहुंच रहा है। एक घंटे का वक्त है तुम्हारे पास तैयार हो जाओ।”
“मैंने पूछा है जगमोहन कैसा है?” देवराज चौहान की आंखें एकाएक सिकुड़ी।
दो पल की खामोशी के बाद मार्शल का स्वर कानों में पड़ा।
“हम इसी सिलसिले में बात करने जा रहे हैं। एजेंट तुम्हें मेरे पास ले आएगा।”
“जगमोहन जिंदा है?” देवराज चौहान के होंठ भिंच गए।
“जिंदा है। एक घंटे तक मेरा एजेंट तुम्हारे पास पहुंच जाएगा।”
“जगमोहन बर्मा (म्यांमार) में ही है?”
“वहीं है।” कहने के साथ ही उधर से मार्शल ने फोन बंद कर दिया।
देवराज चौहान के चेहरे पर कठोरता ठहर चुकी थी।
मार्शल मामूली बात के लिए उसे फोन नहीं करेगा। जरूर कुछ हुआ है जिसका वास्ता जगमोहन से है। स्पष्ट था कि जगमोहन किसी खतरे में फंस गया है। ऐसा न होता तो मार्शल उसे फोन नहीं करता।
☐☐☐
दो घंटे बाद देवराज चौहान मार्शल के ठिकाने पर मौजूद था। उसे लाने वाले एजेंट ने उसकी आंखों पर कपड़ा बांध दिया था और उसे पीछे की सीट पर लेट जाने और सिर न उठाने को कहा था। देवराज चौहान ने उसकी बात पूरी तरह मानी थी। इस वक्त वो उसी हॉल में मौजूद था जहां पहले, जगमोहन के साथ मार्शल से मिला था। देवराज चौहान को जगमोहन की चिंता हो रही थी कि उसके साथ ऐसा क्या हो गया है जो मार्शल ने उसे....।”
उसी पल दरवाजा खुला और मार्शल ने भीतर प्रवेश किया। वो काफी व्यस्त लग रहा था। कोई दुआ-सलाम नहीं। मशीनी अंदाज में वो पास पहुंचता देवराज चौहान से बोला।
“बर्मा में जगमोहन के साथ कुछ गड़बड़ हो गई है।”
“वोमाल जगवामा ने पहचान लिया कि वो उसका बेटा नहीं है।” देवराज चौहान ने कहा।
“ऐसा नहीं हुआ। जगमोहन ने सफलता से बेवू की जगह ले ली और बेवू मेरे एजेंटों की कैद में पहुंच गया। परंतु उससे अगले दिन शाम जगमोहन का अपहरण कर लिया गया...।”
“अपहरण?” देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ी।
“हां। अपहरण के वक्त छोटा-सा शूटआउट हुआ उन छः गनमैनों पर जो उस वक्त जगमोहन के साथ थे। वो छः के छः मारे गए। पता चला कि अपहरण करने वालों में चिकी नाम का व्यक्ति मौजूद था। चिकी बर्मा में गाठम का दायां हाथ है और गाठम अपहरण के धंधे का बेताज बादशाह है वहां। उसने बर्मा में अपना अपहरण उद्योग फैला रखा है। अगर एक तरफ वोमाल जगवामा का नाम आता है तो दूसरी तरफ गाठम का नाम आता है। गाठम पूर्व के घने जंगलों में रहता है, परंतु कोई बाहरी आदमी उसका ठिकाना नहीं जानता। जंगल में कई बस्तियां मौजूद है। उन्हें भी खबर नहीं कि गाठम किधर, किन ठिकाने पर रहता है। गाठम के उस जंगल में पचासों ठिकाने हैं और वहां उसके सैकड़ों आदमी फैले रहते हैं। किसी अनजान आदमी को वो पकड़ ले और वो उन्हें संदिग्ध लगता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है। पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं कि गाठम के लिए उन जंगलों में प्रवेश कर पाए। गाठम जैसे खतरनाक इंसान को पार पाना आसान काम नहीं। वो अपने शिकार को जंगल में ले जाता है और वहीं रखकर फिरौती की सौदेबाजी की जाती है। फिरौती में गाठम मोटी रकम वसूलता है। तसल्ली से सौदा करता है वो।”
देवराज चौहान के चेहरे पर गम्भीरता दिख रही थी।
मार्शल भी गम्भीर था।
“मेरे खयालों में हमें इस बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। जगमोहन, वोमाल जगवामा के बेटे के रूप में वहां मौजूद है। गाठम ने जगमोहन का नहीं, जगवामा के बेटे बेवू का अपहरण किया है। जगवामा के पास दौलत का पहाड़ है, वो अपने बेटे को छुड़ा लेगा।”
“मैं भी ये ही सोचता हूं।” मार्शल ने कहा –“लेकिन वहां जरूर बड़ी मुसीबत खड़ी होने वाली है।”
“मैं समझा नहीं।” देवराज चौहान की निगाह मार्शल पर थी।
“वोमाल जगवामा खतरनाक शेर है और मेरे बर्मा स्थित एजेंट कहते हैं कि वो शराफत से गाठम को फिरौती नहीं देगा। अगर दे भी दी तो वो गाठम को छोड़ने वाला नहीं। मतलब कि बर्मा के हालात बदलने वाले हैं। वहां...।”
“जगमोहन का इन बातों से क्या वास्ता। उसने तो सिर्फ ये पता करना है कि बेवू पाकिस्तान के किन लोगों को, वोमाल की मौत के बाद, संगठन बेचेगा। ये बात जगमोहन गाटम के यहां से वापस आकर, पता लगा लेगा।”
मार्शल, कुछ पल देवराज चौहान को देखता रहा फिर सिर हिलाकर बोला।
“बर्मा से मेरे एजेंटों ने, अपने तौर पर कुछ कहा है, कहूं क्या?”
“कहो।”
“वो कहते हैं गाठम, इतनी आसानी से, बेवू को वापस नहीं करने वाला। गाठम भी जानता है कि जगवामा बेवू को वापस पाकर चुप नहीं बैठेगा और उसके खिलाफ तगड़ी हरकत करेगा।”
“पर गाठम अपहरण और फिरौती का काम करता है। वो तो बेवू के बदले फौरन फिरौती ले लेना चाहेगा।”
“हां। वो ऐसा ही करेगा, पर शायद बेवू को मार दे।”
देवराज चौहान चिहुंक पड़ा।
“मार दे। क्या मतलब?” देवराज चौहान के होंठों से निकला।
“वोमाल जगवामा की जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है।” मार्शल ने कहा –“वो दो साल से बेड पर लेटा हुआ है। पीठ के बल लेटकर, वो अपने संगठन को चला रहा है। लेकिन उसकी तबीयत कभी भी बिगड़ सकती है। मेरे एजेंट कहते हैं कि गाठम ये बात जानता है। ऐसे में फिरौती लेने के बाद भी वो बेवू को इसलिए मार देगा कि संगठन को संभालने वाला कोई न रहे। ऐसा होने पर गाठम भविष्य में सुरक्षित रहेगा। बेवू को जिंदा छोड़ा तो भविष्य में बेवू उसका दुश्मन भी बन सकता है। बेवू की मौत की खबर सुनकर शायद वोमाल जगवामा को झटका लगे और वो जिंदा न रहे।”
“ये–ये सब बातें तुम्हारे एजेंटों के विचार हैं।”
“हां। वो कहते हैं कि जगमोहन की जिंदगी खतरे में भी हो सकती है।” मार्शल बोला।
“असल में तुम ये बात मुझे बताना चाहते हो कि जगमोहन की जिंदगी खतरे में है।”
“मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता। वहां के हालात, वहां के एजेंट बेहतर जानते हैं। उन्होंने मुझे जो कहा, वो मैंने तुम्हें बता दिया।” मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा –“अब तुम सोचो कि...।”
“क्या तुम सीधी तरह कह रहे हो कि जगमोहन वहां किसी भी वक्त मर सकता...।”
“नहीं देवराज चौहान। ये कहना गलत होगा। पर ये कहना सही है कि वो खतरे में पड़ चुका है। इस वक्त गाठम क्या सोचकर चल रहा है। क्या सोचकर उसने जगवामा के बेटे का अपहरण किया, कहा नहीं जा सकता। परंतु ये बात तो गाठम भी जानता है कि जगवामा के बेटे का अपहरण करेगा, फिरौती लेगा, उसे छोड़ेगा तो उसकी खैर नहीं। मेरे एजेंट कहते हैं कि उन्हें लगता है गाठम, बेवू को जिंदा नहीं छोड़ेगा। बेवू की मौत की खबर पाकर, जगवामा भी सलामत नहीं रहने वाला। उसे जबर्दस्त झटका लगेगा और हो सकता है किसी डॉक्टर के आने से पहले ही वो मर जाए।”
“तुम्हारे एजेंट जगमोहन को बचाने में कुछ क्यों नहीं कर रहे?”
“वो नहीं कर सकते कुछ भी। वोमाल जगवामा या गाठम के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते। वो अपनी कोशिश पर लगे हुए हैं और इस वक्त जगमोहन की कोई खबर पाने को दौड़ रहे हैं। इसके अलावा उनके पास कोई काम नहीं है। मेरे एजेंटों के कामों का केंद्र तो जगमोहन ही था और उसका अपहरण हो गया। वो कहते हैं कि गाठम अपने शिकार को पूर्व के जंगलों में ले जाता है और जगवामा के बेटे को रखने के लिए सबसे बेहतर जगह वो घने जंगल हैं, जहां कहीं वो रहता है।”
“तुम्हारा मतलब कि तुम्हारे एजेंट जगमोहन को बचाकर नहीं ला सकते।”
“अगर जगमोहन को वहीं, शहर में रखा हो और उन्हें पता चल जाए कि वो कहां है तो उसे वहां से निकालने की कोशिश कर सकते हैं।”
“और वो ये भी कहते हैं कि गाठम, बेवू को पूर्व के जंगलों में ले गया होगा।”
मार्शल ने सिर हिलाया।
“इन हालातों में मुझे बर्मा जाना पड़ेगा मार्शल । जगमोहन को बचाना है।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।
“एक बात और है। अगर जगमोहन गाठम से कह देता है कि बेवू नहीं है। उसका मेकअप उतरवा कर उसका चेहरा देख लिया जाता है तो तब पता नहीं गाठम क्या फैसला लेगा। उसे मारता है या जिंदा छोड़ता है।” मार्शल बोला –“हालात बहुत उलझे हुए हैं जगमोहन के लिए। अगर गाठम फिरौती लेकर जगमोहन को छोड़ देता है तो सब ठीक हो जाएगा।”
“तुम परेशान हो मार्शल।”
“कैसे जाना?” मार्शल ने देवराज चौहान की आंखों में झांका।
“क्योंकि तुम कभी कुछ कह रहे हो तो कभी कुछ। कभी जगमोहन के खतरे में होने की बात कहते हो तो कभी उसके बच जाने की बात कहते हो। कभी कहते हो कि...।”
“तुम्हारा कहना सही है।” मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा –“जगमोहन के पास छोटा-सा मिशन था, कुछ दिन में उसने अपना काम पूरा कर लेना था। लेकिन ये तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका अपहरण हो जाएगा और हालात इतने बुरे होते चले जाएंगे कि जगमोहन का जिंदा बच आना, कठिन लगने लगे।”
“मैं बर्मा जा रहा हूं मार्शल । मुझे तुम्हारे काम से कोई मतलब नहीं। मुझे जगमोहन को बचाना...।”
“तुम अकेले वहां कुछ नहीं कर सकते। सारी स्थिति तुम्हारे सामने है। तुम्हें मेरे एजेंटों की सहायता लेनी ही पड़ेगी और मेरे एजेंट तभी तुम्हारी सहायता करेंगे जब तुम मेरे काम का भी ध्यान रखो।”
“बेवू तुम्हारे एजेंटों के पास है। उसका मुंह खुलवाओ।” देवराज चौहान बोला।
“वो मुंह नहीं खोल रहा। तुम जा रहे हो तो, तुम कोशिश करके देखना।”
“मेरा पहला काम वहां होगा जगमोहन को निकालना, उसे बचाना। उसके बाद तुम्हारे बारे में सोचूंगा।”
“ठीक है। ऐसा ही सही। बर्मा कैसे पहुंचोगे। प्लेन से या उसी तरह जैसे जगमोहन गया था।”
“जैसे जगमोहन गया था। वैसे ही जाऊंगा। प्लेन से जाना ठीक नहीं होगा। वहां पता नहीं, कैसे हालात सामने आते हैं। मार्शल तुम जल्द-से-जल्द मुझे बर्मा भेजो। शायद ये वक्त बहुत कीमती है।” देवराज चौहान गम्भीर स्वर में कह उठा।
“तीन घंटों में तुम्हें यहां से रवाना कर दूंगा।” मार्शल ने उठते हुए कहा।
☐☐☐
केली सुबह नौ बजे ही वोमाल जगवामा के पास पहुंच गया।
केली साढ़े पांच फुट का सामान्य-सा दिखने वाला व्यक्ति था। वो संगठन के महत्त्वपूर्ण काम देखता था और जगवामा का विश्वासी माना जाता था। रंग सांवला, चपटी नाक और क्रूर-सा दिखने वाला इंसान था वो। परंतु उसके पास संगठन की हर जानकारी मौजूद रहती थी। कुछ भी पूछो, फौरन बता देता था। संगठन की ही नहीं, बाहर की जानकारियां भी उसके पास मौजूद रहती थीं। वो अपने काम की तरफ ध्यान देता था और काम को पूरा करके ही दम लेता था। केली के हाथों में भूरे रंग का ब्रीफकेस था। वो जगवामा के करीब पहुंचा। सिटवी सोफे पर बैठा उसे देख रहा था रात सिटवी उसी सोफे पर सोया था।
“मुझे बहुत दुख और हैरानी है सर कि गाठम ने बेवू सर का अपहरण किया।” केली एक-एक शब्द को चुनकर बोला रहा था –“उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। हम उससे ज्यादा ताकतवर हैं। वो बेवकूफी कर बैठा है।”
“गाठम ने सोचा कि वो मेरे से बहुत ज्यादा पैसा फिरौती में ले लेगा।” जगवामा कह उठा।
“हमारा पैसा उसे हजम नहीं होगा।”
“हम पैसा देने वाले ही नहीं।” वोमाल जगवामा ने कहा –“बेवू को लेकर चिंता की कोई बात नहीं। वो जिसका अपहरण करके ले गए हैं, वो बेवू है ही नहीं। वो कोई और है। उसका इंतजाम बेवू ने किया था मेरी आंखों में धूल झोंकने के लिए। ताकि वो पूर्व के जंगलों की बस्ती में उस लड़की के पास जा सके। पर मैंने देखते ही पहचान लिया कि वो बेवू नहीं है।”
“आप तो मुझे हैरान कर रहे हैं सर।” केली हैरान-सा कह उठा।
“मैंने सही कहा है। मुमरी माहू बेवू को लेने गया है उस बस्ती में। गाठम चूक गया केली।”
“ओह। ये खबर तो मेरे लिए बिल्कुल नई है। सिटवी को पता है ये सब?”
“पता है। उसने तो नकली बेवू को देखा भी है।”
“फिर तो सर हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। मुमरी माहू बेवू को दो-चार दिन में वापस...।”
“बेवू तो आ ही जाएगा। पर मामला अब गाठम का है। वो तो अभी तक ये ही समझ रहा होगा कि उसने बेवू का ही अपहरण किया है। मेरे बेटे पर हाथ डाला। उसे इतनी ज्यादा हिम्मत नहीं दिखानी चाहिए थी।”
“इस बात से मैं सहमत हूं सर। हम गाठम की जान ले लेंगे।”
“ऐसा ही किया जाएगा। गाठम सोचता है कि मेरे से बहुत-सा पैसा ले लेगा फिरौती में।”
“सर।” केली सोच भरे स्वर में बोला –“बेवू का हमशक्ल गाठम से कह सकता है कि वो बेवू नहीं है।”
“वो जो भी कहे, गाठम को सबक सिखाना जरूरी है। उसके लोग फोन पर बदतमीजी से बात करते हैं।”
“चिकी ने बात नहीं की?”
“नहीं। मैंने कहा चिकी से बात करा दो, लेकिन वो मेरी बात सुनने को तैयार नहीं। तुम पूर्व के जंगलों का नक्शा लाए हो?”
“हां सर।” केली ने ब्रीफकेस खोला और तह किया। बड़ा-सा नक्शा बाहर निकाला।
“सिटवी को बुला।”
केली ने इशारे से सिटवी को पास आने को कहा।
सिटवी आ पहुंचा।
“मुझे उठा। केली तू तकिये ठीक से लगा। मेरे को बैठना है।”
सिटवी ने जगवामा को बांहों में उठा लिया।
केली ने फौरन तकिये सैट किए तो सिटवी ने जगवामा को तकियों से टेक लगाकर बिठा दिया।
“मेरा स्टैंड ला, जिस पर मैं लिखता पढ़ता हूं।”
एक तरफ रखा लकड़ी का स्टैंड सिटवी लाया और बेड पर सेट करके लगा दिया। स्टैंड के दो पाए एक तरफ थे तो दो दूसरी तरफ बीच में जगवामा का शरीर था। वहीं पर स्टैंड से जुड़ा एक बोर्ड था। जो कि जगवामा के चेहरे के ठीक सामने पड़ रहा था। ऐसे में वो कुछ भी लिखना-पढ़ना चाहे, तो ये काम आसानी से कर सकता था।
“नक्शा खोलो और बोर्ड पर लगा दो।” वोमाल जगवामा ने कहा।
ऐसा ही किया गया। अब जगवामा आसानी से नक्शे पर नजरें दौड़ा सकता था। वो दो फुट चौड़ा और तीन फुट लम्बा था।
जगवामा कुछ पल नक्शे को देखता रहा फिर कह उठा।
“केली। क्या तुम्हें अंदाजा है कि गाठम का ठिकाना कहां हो सकता है?”
“मुझे कोई अंदाजा नहीं।”
“नक्शा समझाओ मुझे। इस तरह कि जंगल की पहचान हो सके।”
“क्या करना चाहते हैं आप?”
“हमें गाठम पर हमला करके उसे खत्म करना है।”
“ये आसान काम नहीं है।” केली ने गम्भीर स्वर में कहा –“पूर्व का जंगल बहुत बड़ा है और जगह-जगह गाठम के आदमियों के ठिकाने हैं। वहां से गाठम को ढूंढ़ निकालना असम्भव जैसा है।”
“तुम मुझे नक्शा समझाओ। मैं प्लान बनाऊंगा कि गाठम तक कैसे पहुंचना है।” जगवामा ने कहा।
केली नक्शा समझाने लगा।
बेड के दूसरी ओर सिटवी खामोशी से खड़ा था।
आधे घंटे तक वोमाल जगवामा और केली नक्शे के बारे में बातें करते रहे।
“अब ठीक है।” जगवामा नक्शे में देखता कह उठा –“मैं प्लान करूंगा कुछ। जंगल का सबसे घना और खतरनाक इलाका ये है।” जगवामा ने नक्शे पर एक जगह उंगली रखी –“और यहीं पर सूखे पहाड़ ऐसे बिखरे पड़े हैं कि कठिनता से ही यहां पहुंचा जा सकता है। बीच में बहती नदी भी है।”
“जी सर।”
“ये घना इलाका है। पानी भी है यहां । यहां पहुंचना आसान नहीं। यहां पर हो सकता है गाठम –हम...।”
“माफ कीजिएगा। सर, अगर गाठम यहां है भी, यहीं रहता है तो भी उस तक नहीं पहुंचा जा सकता। जंगल में गाठम के बहुत-से ठिकाने हैं। वो बाहरी लोगों को जंगल में देखते ही पकड़ लेते हैं। गाठम के लोग उस घने जंगल का चप्पा-चप्पा जानते हैं। वहां गाठम का राज चलता है। हम कुछ नहीं कर सकते।”
“कुछ नहीं कर सकते?” जगवामा ने केली को घूरा।
“नहीं कर सकते सर। गाठम तक पहुंचने से पहले ही वो हमें मार देंगे।”
“हमारे पांच सौ आदमी एक साथ जाएंगे।” जगवामा के होंठ भिंच गए।
“ये इतना आसान नहीं होगा जितना कि आप सोच रहे हैं।” केली ने शब्दों का चुनाव करते हुए कहा –“मुझे पता है कि गाठम के आदमी जंगल में पेड़ों के ऊपर छिप कर हर तरफ निगाह रखते हैं। उन्हें देख पाना भी आसान नहीं होगा। वो जहर से बुझे तीरों का इस्तेमाल करते हैं और अचूक निशानेबाज हैं। वहां की औरतें भी गाठम के लिए काम करती हैं। जंगल में कई बस्तियां हैं और बस्तियों के लोग गाठम के खिलाफ नहीं जाते। गाठम भी उन बस्तियों का खयाल रखता है।”
“तुम्हारा मतलब कि गाठम की अक्ल ठिकाने लगाने का इरादा छोड़ दूं।” जगवामा ने चुभते स्वर में कहा।
“मेरा ये मतलब जरा भी नहीं है। ये बातें बताने का मतलब है कि, आप जो भी प्लान बनाएं सोच-समझकर बनाएं। गाठम तक पहुंचना, उसे ढूंढ़ लेना, एक चक्रव्यूह तोड़ने जैसा है। वो बहुत सुरक्षित जगह बैठा हुआ है।”
“तुम्हारी बातों से मुझे परेशानी होने लगी है केली।” जगवामा ने उलझन भरे स्वर में कहा।
“जो सही था, मैंने वो ही आपको बताया।”
“तुम्हारा क्या खयाल है वो उस बेवू को कहां ले गए होंगे?”
“वो तो नहीं जानते कि वो बेवू का हमशक्ल है। ऐसे में मेरा खयाल है कि उसे उन्हीं जंगलों में ले गए होंगे।”
वोमाल जगवामा की निगाह पुनः नक्शे पर जा टिकी।
“सर।” केली बोला –“मेरा कहना है कि अभी कुछ मत किया जाए। मुमरी माहू, बेवू सर को वापस ले आए तो...।”
“उसके बाद ही कुछ किया जाएगा। लेकिन तैयारी अभी से शुरू करनी है। तू जा केली, कोई प्लान तैयार करने के बाद ही तेरे को बुलाऊंगा। सिटवी का और मेरा दिमाग इस काम में बहुत चलता है। हम दोनों मिलकर योजना पर काम करेंगे और उसके बाद तेरे से, योजना पर राय लेंगे।”
“जी सर।”
“ये बात बाहर नहीं जाए कि जिसका अपहरण हुआ वो बेवू नहीं है।” जगवामा ने केली को देखा।
उसके बाद केली चला गया।
“सिटवी, इधर आ। तू नक्शे को समझ ले। फिर योजना बनानी है। योजना में ये तय करना है कि कितने आदमी जंगल में जाएंगे और कैसे जाएंगे। हैलीकॉप्टरों से भी हम अपने लोगों को जंगल में जगह-जगह उतार सकते हैं या खामोशी से वो जंगल में प्रवेश करेंगे। छः-सात ग्रुप में हमारे आदमी जंगल की इस घनी जगह की तरफ बढ़ेंगे। रास्ते में गाठम के लोग मिलेंगे। उनसे कैसे निबटना है। हम ये भी सोच सकते हैं कि हमारे लोगों के ग्रुप जंगल में फैले गाठम के लोगों को किसी तरह उलझा के रखेंगे और हमारे खास लोग जैसे कि मैगवी, मुमरी माहू, केली, पैथिन, हकाकाबू, लूचर इन सबके साथ दो-चार खास लोग और भी होंगे, ये सब, सबकी नजरों से बचकर उस जगह पर पहुंच जाएंगे वो जंगल का सबसे घना इलाका है और वहां गाठम के होने का चांस है। परंतु हमें ये भी सोचना है कि गाठम वहां पर अकेला नहीं होगा। उसके आस-पास काफी लोग होंगे जो उसे सुरक्षा दे रहे होंगे। इन्हीं बातों पर हमें सोचना है सिटवी। काफी कुछ है हमारे पास। सोचने में, प्लान करने में कई दिन लग सकते हैं। जब हम अपना प्लान तैयार कर लेंगे तो सब ओहदेदारों को बुलाकर, प्लान उनके सामने रखेंगे कि प्लान में कोई कमी-बेशी हो तो वो सामने आ जाए और उसे हम दूर कर सकें। ये मुसीबत से भरा प्लान होगा। परंतु गाठम को मैं जिंदा नहीं...।”
तभी पास के टेबल पर पड़ा इंटरकॉम बजने लगा।
सिटवी फौरन बेड के पास पहुंचकर टेबल के करीब आया और रिसीवर उठाया। बात की।
“सर।” बात करने के बाद सिटवी ने कहा –“ पुलिस चीफ जामास आया है।”
चंद पल जगवामा सिटवी को देखता रहा फिर सिर हिला दिया।
“उसे अंदर आने दो।” सिटवी ने कहा और रिसीवर रखकर बोला –“जामास आपके लिए कुछ करना चाहता है। उसके फोन आ चुके हैं कि आप बेवू के मामले में उसे कुछ सेवा बताएं। वो मुसीबत के वक्त में हमेशा हमारे काम आता है।”
“उसे अपनी नौकरी की चिंता है। वो जानता है कि मेरा एक इशारा उसे वक्त से पहले रिटायर्ड कर सकता है।”
“क्या इस मामले में जामास हमारे काम आ सकता है?” सिटवी ने पूछा।
“नहीं। इस मामले में गाठम है और वो दूर, पूर्व के जंगलों में रहता है। जामास कुछ नहीं कर सकता।” जगवामा ने कहा।
सिटवी कुछ नहीं बोला।
“ये नक्शा ले लो और इस स्टैंड को हटवा दो।”
सिटवी ने ऐसा ही किया।
तभी दरवाजे पर जामास दिखा। पुलिस चीफ जामास।
पचपन बरस का था वो। सांवला रंग। सिर के बाल आधे काले-सफेद थे। वो क्लीन शेव्ड था और पके चेहरे वाला था। उसका चेहरा पुलिस वालों की तरह सख्त और कद-काठी लम्बी-चौड़ी थी। नीचे से वो पुलिस में भर्ती हुआ था और आज पुलिस चीफ की कुर्सी पर था। उसके रिटायर्ड होने में पांच साल अभी बाकी थे। इस वक्त वो वर्दी में था और भीतर आते कह उठा।
“सर, मैं बहुत शर्मिंदा हूं कि शहर का पुलिस चीफ होते हुए भी, बेवू सर के अपहरण को रोक नहीं सका। मुझे तब खबर मिली जब अपहरण हो चुका था। पुलिस वाले बाद में वहां पहुंचे और गनमैनों की लाशें उठाई। तब मैंने कई बार आपको फोन किया कि आप हुक्म दें तो अपहरणकर्ताओं को पकड़ने की चेष्टा करूं। परंतु सिटवी साहब ने कहा कि मैं कुछ न करूं। ऐसे बुरे वक्त पर मैं आपके काम नहीं आया तो मेरा पुलिस चीफ होने का क्या फायदा। आप मुझे कोई सेवा करने का मौका तो देते।”
जामास, वोमाल जगवामा के पास आ पहुंचा था।
“अभी इस काम में तुम्हारी जरूरत नहीं जामास।” जगवामा ने शांत स्वर में कहा।
“आप चाहेंगे तो मेरी जरूरत पड़ जाएगी। तफ्तीश में पुलिस वालों को पता लगा कि ये अपहरण चिकी ने किया। पुलिस वालों ने वहां लोगों के बयान लिए तो ये बात सामने आई। ये चिकी, गाठम वाला चिकी ही है न सर?”
“वो ही है।”
“तो इस मामले के पीछे गाठम है।” जामास की आवाज में सख्ती आ गई –“आपको कुछ करना होगा सर । गाठम ने आपकी पीठ पर वार किया है। वो पागल हो गया है। लेकिन कुछ करने से पहले, बेवू सर को गाठम के हाथों से ले लीजिए। तब तक गाठम को इस बात का एहसास भी न होने दीजिए कि आपका इरादा क्या है, उसके बाद गाठम का इंतजाम कर देना सर।”
जगवामा चुप रहा।
“मैंने अपने मुखबिर फैला रखे हैं, ये सोचकर कि हो सकता है बेवू सर को कहीं इसी शहर में रखा गया हो।”
“ये बात पता लगाने की तुम कोशिश करते रहो।”
“मेरे से जो हो सकेगा, मैं करने को तैयार हूं। मैं चिकी की भी खबर पाने की चेष्टा कर रहा हूं कि कहीं वो इसी शहर में तो नहीं रुका हुआ। आपको चिकी का फोन तो आ गया होगा?”
“नहीं। चिकी का तो नहीं, पर उसके साथियों के फोन आ रहे हैं।”
“कितनी रकम मांग रहे हैं वो लोग?”
“अभी रकम नहीं मांगी।” वोमाल जगवामा ने कहा।
“गाठम अपहरण के धंधे का बादशाह है। वो जो रकम मांगे, वो ही मत दे देना सर। रकम कम करवाइएगा। गाठम आपसे बड़ी रकम मांगेगा, पर उसे काफी नीचे लाया जा सकता...।”
तभी जगवामा का फोन बजने लगा।
जामास की बात अधूरी रह गई।
सिटवी ने फोन उठाया। नम्बर देखा फिर जगवामा से कहा।
“वो ही नम्बर है।”
फोन जगवामा ने लिया और बात की।
“कहो।”
“हमें रकम चाहिए।” उधर से मोक्षी का तीखा स्वर कानों में पड़ा।
“कितनी?”
“बीस मिलियन डॉलर।”
“ज्यादा है।” जगवामा ने शांत स्वर में कहा।
“तुम्हारे बेटे का हाथ-पांव काटकर तुम्हारे पास भेज देते हैं फिर जो चाहे दे देना।” मोक्षी का खतरनाक स्वर आया।
वोमाल जगवामा के होंठ भिंच गए।
“तुम सौदेबाजी करने की स्थिति में नहीं हो।”
“मैं हूं। क्योंकि पैसा मुझे देना है।”
“पर मुझे हुक्म है कि बीस मिलियन डॉलर ही तुमसे लेने हैं। ये गाठम का फैसला है। वो तो तुमसे पचास मिलियन डॉलर की मांग रखने वाला था, लेकिन चिकी ने समझाया कि बीस ही ठीक है। तुम बच गए, वरना और ठुक जाती।”
“मैं इतना पैसा नहीं दे सकता।” जगवामा का स्वर सख्त हो गया।
“बेवू की लाश चाहते हो क्या?”
“तुम लोग बेवू को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि उसे लौटाने के बदले गाठम को पैसा मिलेगा।”
“भूल में मत रहना। गाठम को गुस्सा आ जाए तो वो शिकार को खत्म कर देता है। वो तुम्हारे बेटे को भी खत्म कर सकता है। गाठम को शिकार की कमी नहीं है। पैसा उसे और शिकार से मिल जाएगा।”
“चिकी से मेरी बात कराओ।”
“वो मेरे पास नहीं है। उसके पास करने को बहुत काम है। काम की बात करो, बीस मिलियन डॉलर देते हो या बेवू की लाश भेजने का इंतजाम किया जाए।” इस बार मोक्षी के स्वर में दरिंदगी आ गई थी।
“बीस मिलियन ज्यादा है। गाठम को पैसे कम करने होंगे।”
“तो तुम बेवू की लाश देखना चाहते हो। ठीक है हम...।”
“मुझे सोचने का मौका दो।” जगवामा बिल्कुल शांत दिख रहा था।
“कितना वक्त चाहते हो? दो घंटे ठीक रहेंगे?”
“तुम परसों मुझे फोन करना। तभी इस बारे में बात करूंगा। मेरी तबीयत ठीक नहीं है। आज का दिन डॉक्टर मेरे चेकअप में बिता देंगे। शायद कल भी ऐसा ही कुछ हो।”
“तुम्हारी आवाज से तो तुम्हारी तबीयत ठीक लग रही है जगवामा।”
“मुझे पीठ की समस्या है। परसों फोन करना...।”
“बीस मिलियन डॉलर। एक पैसा भी कम नहीं। कोई चालाकी मत करना। गाठम ने कह रखा है कि तुम्हारी तरफ से एक चालाकी हो तो बेवू की टांग तोड़ दें। दूसरी हो तो उसकी बांह तोड़ दें। ऐसे ही चलता...।”
“मैं कोई चालाकी नहीं कर रहा। मुझे अपना बेटा सही-सलामत वापस चाहिए।” जगवामा बोला।
“समझदार हो।” उधर से मोक्षी ने कहा और फोन बंद कर दिया।
सिटवी ने जगवामा से फोन लिया और टेबल पर रख दिया।
“तो गाठम बीस मिलियन डॉलर मांग रहा है।” जामास गम्भीर स्वर में बोला –“ये तो सच में ज्यादा है।”
“मुझे अकेला छोड़ दो जामास। जरूरत पड़ने पर मैं तुम्हें फोन करूंगा।” जगवामा ने कहा।
जामास चला गया।
“अब उसकी डिमांड सामने आ गई है।” जगवामा ने सिटवी को देखा –“बीस मिलियन डॉलर, जैसे पेड़ पर डॉलर लगते हैं पर हमें वक्त बिताना है, तब तक जब तक मुमरी माहू, बेवू को लेकर लौट नहीं आता।”
“उन्हें आने में कम-से-कम पांच दिन लगेंगे। पिछली बार भी मुमरी को बेवू के साथ लौटने में पांच दिन लगे थे।”
“इतना वक्त हम इन लोगों से बातें करके निकाल सकते हैं।”
“ये नम्बर, जो अभी आपके फोन पर आया, इसी शहर का है।” सिटवी बोला।
“इसी शहर का। इसका मतलब गाठम ने अपने आदमी, हमसे बात करने के लिए यहां छोड़ रखे हैं। मोबाइल का नम्बर है?”
“हां सर।”
“जामास को अभी फोन करो। उसे कहो कि पता करे ये नम्बर किसके नाम से रजिस्टर्ड है। नाम-पता हमें बताए।”
सिटवी, जामास को फोन करने लगा।
जामास से बात करने के बाद सिटवी फोन रखते हुए कह उठा।
“पूर्व के जंगलों में फोन काम नहीं करता। वहां मोबाइल टॉवर नहीं है।”
“गाठम बिना फोन के नहीं रह सकता। उसका काम ही ऐसा है कि उसे उसके आदमियों के सम्पर्क में रहना पड़ता होगा। यकीनन उसके पास सेटेलाइट फोन होगा।” वोमाल जगवामा, सिटवी को देखने लगा।
“हां। वो अपने लोगों से बात तो करता होगा। वो सैटेलाइट फोन का ही इस्तेमाल करता होगा।” सिटवी ने सिर हिलाया।
“तुम वो नक्शा मेरे पास लाओ। मैं तुम्हें समझा देता हूं जंगल के बारे में। उसके बाद प्लान के बारे में सोचेंगे।”
सिटवी नक्शा लेकर वोमाल जगवामा के पास आ गया।
उसी पल पुनः फोन बज उठा। सिटवी ने बात की। दूसरी तरफ केली था।
“हां केली।” सिटवी ने कहा।
“सर से बात कराओ।”
सिटवी, जगवामा की तरफ फोन बढ़ाकर बोला।
“केली आपसे बात करना चाहता है।”
जगवामा ने फोन लिया और केली से बात की।
“हां।”
“सर, डिसूजा छः दिन में हथियारों को समंदर के रास्ते ला रहा है। पर वो कहता है कि पेमेंट उसे डिलीवरी के वक्त चाहिए।”
“ऐसा उसने पहले तो कभी नहीं कहा।”
“कहता है पैसे की जरूरत है।”
“पहली बार उसने ऐसा कहा है। उसे डिलीवरी के वक्त पैसा दे देना।” जगवामा ने कहा।
“जी। अभी पैथिन का फोन आया सर। वो कहता है उसके एकाउंट में पचास हजार डॉलर डाल दूं।”
“मत डालना केली। पैथिन से कहो कि काम है वापस आ जाए। उसने बहुत मौज कर ली।”
“पैथिन को फौरन, आने को कह दूं?”
“बस, आने को कह दो।”
“ठीक है सर। मोनायावा के पास हमारी एक वैन का एक्सीडेंट हो गया है। वैन में बड़ी मात्रा में ड्रग्स है। पुलिस आ पहुंची है और हमारे आदमियों को गिरफ्तार कर लिया है। ड्रग्स जब्त कर ली गई है।”
“मैं अभी सब ठीक कर देता हूं।”
“ओके सर।” कहने के साथ ही उधर से केली ने फोन बंद कर दिया।
“मोनायावा की पुलिस को फोन लगाओ। सीधा वहां के पुलिस चीफ से मेरी बात कराना।”
सिटवी ने मोनायावा के पुलिस चीफ का नम्बर मिला दिया।
जगवामा चार मिनट उससे फोन पर बात करता रहा फिर फोन बंद कर दिया।
“पैथिन को आपने जल्दी बुला लिया।” सिटवी बोला।
“धीरे-धीरे सबको इकट्ठे करना है। पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए। मुमरी माहू के वापस आने का इंतजार है। एक बार बेवू इस्टेट में पहुंच जाए उसके बाद गाठम का इंतजाम किया जाएगा।”
☐☐☐
चॉपर (हैलीकॉप्टर) को उड़ान भरे एक घंटे बीस मिनट से ऊपर हो चुके थे। छोटा-सा चॉपर आसमान में तेजी के साथ भाग रहा था। उसमें सिर्फ तीन लोग थे। उसे चलाने वाला और रत्ना ढली के अलावा होपिन। रत्ना ढली ने आंखें बंद कर रखी थी। होपिन, चॉपर चलाने वाले से बोला।
“कितना वक्त और लगेगा?”
“आधा घंटा।”
रत्ना ढली ने आंखें खोली और गम्भीर निगाहों से होपिन को देखा।
“क्या बात है?” होपिन ने पूछा।
“हम काफी बड़े खतरे में जा रहे हैं। वहां कुछ भी हो सकता है।” रत्ना ढली ने कहा।
“खतरा तो है ही।”
“गाठम हमें मार भी सकता है।”
“वो ऐसा नहीं करेगा। क्योंकि हम वोमाल जगवामा के आदमी बनकर जा रहे हैं। ये योजना हमने साहब जी के साथ मिलकर बनाई है और इन बातों पर पहले ही विचार-विमर्श हो चुका है। हम सलामत रहेंगे।”
“ये हमारा खयाल है। गाठम हमारी किसी बात पर गुस्से में भी आ सकता है।”
“फिर भी वो हमें वापस आने देगा।”
“किसी की हिम्मत नहीं है कि इस तरह हैलीकॉप्टर में आकर, पूर्व के जंगलों में उतरे।”
“तुम सब समझ रहे हो कि हम क्यों जा रहे हैं। हमें वोमाल जगवामा ने भेजा है कि बात करके हम बेवू को गाठम से वापस ला सकें। ऐसे में गाठम हमसे ठीक तरह पेश आएगा और बार-बार कहेगा कि उसने बेवू का अपहरण नहीं किया। ये सिर्फ बातचीत होगी गाठम के साथ।” होपिन ने गम्भीर स्वर में कहा।
“गाठम पागल की हद तक खतरनाक है। हमें सावधानी से काम लेना होगा। ये मत कहो कि वैसा ही होगा, जैसे हमारी योजना है। गाठम उससे उलट भी, हमसे पेश आ सकता है। ऐसे मौके पर उसका दिमाग कैसे काम करता है, ये तो वो ही जाने, परंतु हमें ये सोचकर चलना है कि गाठम हमारे साथ कुछ भी कर सकता है।”
होपिन ने सिर हिला दिया।
“हमारी प्लानिंग का पहला खतरनाक हिस्सा बेवू का अपहरण करना और दूसरा खतरनाक हिस्सा है गाठम के पास पूर्व के जंगलों में जाकर, उसे कहना कि वो बेवू को लौटा दे। वोमाल जगवामा से दुश्मनी न ले।”
“जाहिर है, गाठम कहेगा कि उसने बेवू का अपहरण नहीं किया।”
“और हमें कहना होगा कि उसने अपहरण किया है।”
“बात बढ़ गई तो गाठम हमें कैद भी कर सकता है। तुम ठीक कहते हो कि वहां कुछ भी हो सकता है।”
“परंतु गाठम से मुलाकात जरूरी है हमारी योजना में कि, उसे पता चल जाए कि वोमाल जगवामा उसके पीछे पड़ जाएगा।”
होपिन ने चॉपर चलाने वाले से कहा।
“जहां चॉपर उतरना है वो जगह तुम्हें याद है न?”
“जी हां। आपका दिया नक्शा मेरे पास है। मैंने अच्छी तरह समझ लिया है। लेकिन ये इलाका खतरनाक है। गाठम का जंगल माना जाता है ये। गाठम के लोगों से चॉपर को खतरा आ सकता है।” उसने कहा।
“सब ठीक रहेगा। बस इतना याद रखो कि तुमसे गाठम के लोग पूछताछ करें तो तुमने ये ही कहना है कि ये हैलीकॉप्टर वोमाल जगवामा ने किराए पर लिया है और हम दोनों जगवामा के आदमी हैं।”
चॉपर चलाने वाले ने सिर हिला दिया।
फिर वो वक्त भी आया, जब वहां आ पहुंचे।
नीचे गहरा जंगल नजर आ रहा था। हर तरफ खड़े हरे पेड़ थे। कहीं-कहीं जमीन नजर आ जाती थी।
“वो जगह कहां है जहां चॉपर उतारना है?” रत्ना ढली ने पूछा।
“कुछ आगे है।”
“चॉपर नक्शे के हिसाब से ही जा रहा है न?”
“पूरी तरह।” चॉपर चलाने वाले ने कहा।
चॉपर की तेज आवाज के कारण उन्हें ऊंचे स्वर में बातें करनी पड़ रही थी।
दस मिनट बाद पायलट बोला।
“हम उतर रहे हैं।”
होपिन और रत्ना ढली ने नीचे झांका।
आगे की तरफ खाली जमीन नजर आ रही थी। वहां तालाब भी नजर आ रहा था, जिसमें पानी भरा हुआ था। कोई इंसान वहां नहीं दिख रहा था। तेज आवाज के साथ चॉपर जमीन की तरफ जाने लगा और फिर जमीन पर जा टिका । चॉपर के ब्लेड तेजी से घूम रहे थे। रत्ना ढली और होपिन छलांग लगाकर नीचे उतरे और चॉपर से कुछ दूर हो गए। होपिन ने आस-पास देखते जेब से तह किया कागज निकाला और उसे खोलने लगा।
“अब हमें किस तरफ जाना है?” रत्ना ढली नजरें घुमाता कह उठा।
“नक्शा देखकर बताता हूं।”
“गाठम के आदमियों ने चॉपर उतरते देख लिया होगा। वो जल्दी ही हमारे सामने आ जाएंगे।”
होपिन नक्शा देखने के बाद बोला।
“हमें उस तरफ जाना है।” उसने एक तरफ इशारा किया।
“चलो।” कहकर रत्ना ढली ने चॉपर की तरफ देखा।
पायलट उन्हें ही देख रहा था।
रत्ना ढली ने हाथ से इशारा किया कि वो जा रहे हैं।
पायलट ने भी हाथ हिला दिया। चॉपर के घूमते ब्लेड थम चुके थे।
होपिन और रत्ना ढली आगे बढ़ गए। नक्शा होपिन ने जेब में रख लिया था। तालाब के किनारे होते-होते आगे बढ़े और जंगल में प्रवेश करते चले गए।
“हमें ऐसा व्यवहार करना है कि उन्हें ये ही लगे कि हम वोमाल जगवामा के आदमी हैं।” होपिन बोला।
दोनों तेजी से आगे बढ़ते रहे।
बीस मिनट बीत गए। वे गहरे जंगल में आ चुके थे।
“अभी तक हमें कोई नहीं मिला।” होपिन ने कहा।
“चलते रहो। सुना जाता है कि गाठम के आदमी पेड़ों पर चढ़े, पत्तों में छिपकर पहरा देते हैं।” रत्ना ढली ने कहा –“हो सकता है उनकी आंखें हम पर टिकी हो। तुम एक बार नक्शा फिर देख लो कि हम ठीक रास्ते पर जा रहे हैं।”
“हम ठीक जा रहे हैं।”
ठीक इसी पल एक आदमी उनके सामने पेड़ से कूदा और जमीन पर स्थिर खड़ा होकर उन्हें देखने लगा। होपिन और रत्ना ढली ठिठक गए। हाव-भाव में सतर्कता के भाव आ गए थे।
उस आदमी ने हाफ पैंट पहन रखी थी। ऊपर कुछ नहीं पहना था। उसके काले शरीर पर तेल लगा चमक रहा था। सिर के बाल बेहद छोटे-छोटे थे। हाथ में कुल्हाड़ी जैसा हथियार था।
तभी दोनों चौंके।
आस-पास और भी आदमी दिखे। वो घेरा तंग करते जा रहे थे।
“कौन हो तुम लोग?” उसने ऊंची आवाज में कठोर स्वर में पूछा।
“मेरा नाम मितकीना है ये राजी है। हम गाठम से मिलने आए हैं।” होपिन ने स्थानीय भाषा में कहा।
“कौन गाठम?”
“तुम जानते हो कि हम किस गाठम की बात कर रहे हैं।”
“यहां इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं है।” उसका स्वर कठोर ही था।
“बेवकूफी की वाली बातें न करो। हमारा गाठम से मिलना बहुत जरूरी है।” रत्ना ढली ने सख्त स्वर में कहा।
तब तक उनके गिर्द घेरा पड़ चुका था। वो सात लोग थे जो कि दस-बारह-पंद्रह कदमों के फासले पर आकर ठिठक गए थे। उन्होंने कुल्हाड़ी, डंडे, तलवार जैसे हथियार थाम रखे थे।
“तुम पुलिस वाले हो?”
“नहीं। हम वोमाल जगवामा के आदमी हैं। नाम तो सुन रखा होगा जगवामा का?”
“गाठम से क्यों मिलना चाहते हो?”
“गाठम ने वोमाल जगवामा के बेटे का अपहरण किया है। उसी के बारे में गाठम से बात करनी है।”
कुछ क्षण चुप रहने के बाद उसने ऊंची आवाज लगाई।
“तौबू।”
अगले ही पल पेड़ से उस जैसा ही एक व्यक्ति नीचे कूद आया।
दोनों धीमे स्वर में बात करने लगे। फिर वो नया व्यक्ति एक तरफ भाग गया।
होपिन और रत्ना ढली उसे जंगल में गुम होता देखते रहे।
“वो किसी को हमारे बारे में खबर करने गया है।” रत्ना ढली ने होपिन से कहा।
उस व्यक्ति ने अपनी भाषा में ऊंचे स्वर में कुछ कहा।
तीन आदमी उन दोनों के पास पहुंचे और उनकी तलाशी लेने लगे।
दोनों की जेबों से रिवॉल्वरें निकलीं। मोबाइल निकले। पर्स निकले। वो सब कुछ उन्होंने अपने कब्जे में ले लिया।
“यहीं पर नीचे बैठ जाओ।” उस आदमी ने कहा –“तुम लोगों से बात करने कोई आएगा अभी।”
☐☐☐
दो घंटे बीत गए।
होपिन और रत्ना ढली वैसे ही नीचे बैठे रहे। वो सब उन पर पहरा दे रहे थे। किसी ने उनसे कोई बात करने की कोशिश नहीं की थी। होपिन और रत्ना ढली ने बीच में दो-तीन बार पूछा कि कितनी देर लगेगी। परंतु उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। खामोशी से वक्त गुजरता रहा। पेड़ों को छांव और मध्यम हवा में वो जगह ठीक लग रही थी।
चार घंटे बीत गए। तब वो जाने वाला आदमी चार लोगों के साथ वापस लौटा दो ने गनें थाम रखी थीं। उन चारों ने पैंट-कमीज पहनी हुई थी और वो भी उनके बीच के ही लोग लग रहे थे। पर वे इन लोगों से कुछ समझदार लग रहे थे। एक ने सैटेलाइट फोन थाम रखा था।
रत्ना ढली और होपिन उठ खड़े हुए।
वे पास पहुंचे। उन्होंने मुस्कराकर हाथ मिलाया।
“हमें वोमाल जगवामा ने भेजा है।” ढली ने उनसे कहा –“हम बेवू को लेने आए हैं।”
“हमें जानकारी हो चुकी है कि वहां क्या हो रहा है। परंतु हमने जगवामा के बेटे का अपहरण नहीं किया।”
“झूठ मत बोलो। चिकी ने छः लोगों को मारकर, बेवू का अपहरण कर लिया और अब बीस मिलियन डॉलर की फिरौती मांगी जा रही है। ये सब गाठम ही तो कर रहा है।” होपिन ने तेज स्वर में कहा।
“सब बकवास है। चिकी ने ऐसा कुछ नहीं किया, हम तो सोच रहे थे कि हमारे नाम पर, ऐसा किसने कर दिया। हम भी बहुत उलझन में हैं।” उस व्यक्ति ने गम्भीर स्वर में कहा।
“देखो। जगवामा साहब फिरौती देने को तैयार हैं। उनका कहना है कि बेवू को कुछ नहीं होना चाहिए।”
“हमने बेवू का अपहरण नहीं किया।”
“इन बातों का क्या फायदा। जगवामा साहब गाठम से पहले ही बहुत नाराज हैं। उन्हें यकीन नहीं आ रहा कि गाठम उनके बेटे का अपहरण कर सकता है। ऐसा करके गाठम ने दुश्मनी...।”
“तुमने सुना नहीं, हम कह रहे हैं कि हमने जगवामा के बेटे का अपहरण नहीं किया।”
“एक तरफ से तुम लोग बीस मिलियन डॉलर फिरौती मांग रहे हो और अब कहते हो कि...।”
“फिरौती हम नहीं मांग रहे। ये काम कोई और गाठम के नाम पर कर रहा है। ये हमारा काम नहीं है। हमने ये काम किया होता तो हम अवश्य कहते कि हमारा काम है ये...।”
“गाठम से बात करनी है हमें।” रत्ना ढली ने कठोर स्वर में कहा।
“गाठम साहब तुम लोगों से क्यों बात करेंगे?”
“क्योंकि हम वोमाल जगवामा के भेजे आदमी हैं। गाठम हमें इस तरह नजरअंदाज नहीं कर सकता।”
वो आदमी कुछ पल चुप रहा फिर वहां से हटकर कुछ दूर गया और सैटेलाइट फोन से नम्बर मिलाने लगा। मिनट भर उसने फोन पर धीमे स्वर में बात की फिर उनके पास आ पहुंचा।
“गाठम साहब से बात करो।” उसने सैटेलाइट फोन रत्ना ढली की तरफ बढ़ाया।
रत्ना ढली ने फोन लेकर बात की।
“गाठम साहब।”
“कहो।” भारी-सी आवाज ढली के कानों में पड़ी तो ढली सतर्क दिखने लगा कि वो गाठम से बात कर रहा है।
“जगवामा साहब का कहना है कि आपको बेवू का अपहरण नहीं करना चाहिए। हममें दुश्मनी पैदा होगी तो दोनों का नुकसान होगा। वो चाहते हैं कि आप बेवू को सही-सलामत वापस लौटा दें। जगवामा साहब को फिरौती देने में एतराज नहीं। आपने बीस मिलियन डॉलर मांगे हैं, जोकि इकट्ठे किए जा रहे हैं। वो आपको मिल जाएंगे। पर आप बेवू को अभी हमारे हवाले कर दें।”
“मैं वोमाल जगवामा के बेटे का अपहरण करने की सोच भी नहीं सकता।” वो भारी आवाज कानों में पड़ी।
“पर आपने ही तो बेवू का अपहरण करवाया है। चिकी ने ये काम किया...।”
“जिस दिन बेवू का अपहरण हुआ, तब चिकी मेरे साथ बैठा खाना खा रहा था।”
“आप झूठ कह रहे हैं।”
“तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि गाठम को झूठा कह सको।” वो भारी आवाज कठोरता से भर गई।
“ये मैं नहीं, जगवामा साहब कह रहे हैं।” ढली ने जल्दी से कहा –“हम तो उनके नौकर हैं।”
“मैंने बेवू का अपहरण नहीं किया। किया होता तो इंकार क्यों करता। मत भूलो तुम गाठम से बात कर रहे हो। गाठम जो काम करता है, खुलकर करता है। छिपकर नहीं।”
“चिकी आपके पास बैठा था जब अपहरण हुआ तो चिकी वहां कैसे पहुंच गया?”
“वो चिकी था ही नहीं।”
“आपके लोग जगवामा साहब से बेवू की फिरौती मांग रहे हैं। पूरे बीस मिलियन...।”
“वो मेरे आदमी नहीं हैं। कुछ लोग मेरे नाम की आड़ ले रहे हैं।” गाठम की भारी आवाज कानों में पड़ी।
“तो आप उन्हें ढूंढ़िए कि...।”
“मेरे को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
“तो जगवामा साहब से मैं क्या कहूं?”
“कह देना गाठम ने उनके बेटे को नहीं उठाया है। गाठम उनके बेटे का अपहरण कभी नहीं करेगा।”
“जगवामा साहब को इस बात से तसल्ली नहीं होगी। उन्होंने कहा था कि गाठम साहब न मानें तो कह देना कि इसका अंजाम बुरा होगा। मेरी बात आपको बुरी तो लगेगी, पर मैं जगवामा साहब का नौकर हूं।”
“भली इसी में ही है कि तुम लोग चले जाओ और दोबारा यहां आए तो तुम्हें खत्म कर दिया जाएगा।” गाठम ने स्वर में खतरनाक भाव आ गए थे –“फोन मेरे आदमियों को दो।”
“गाठम साहब मैं...।”
“फोन मेरे आदमी को दो।” उधर से गाठम के गुर्राने की आवाज आई।
रत्ना ढली ने फोन सामने खड़े आदमी को दे दिया।
वो उधर से कहे जाने वाले गाठम के शब्द सुनता रहा फिर फोन बंद करके बोला।
“चलो। तुम लोगों को चॉपर तक पहुंचाना है।”
“लेकिन हम जगवामा साहब से क्या कहें कि गाठम ने बेवू को लौटाने से इंकार कर दिया है।” ढली कह उठा।
“गाठम साहब ने कहा है कि अगर तुम दोनों यहां से जाना न चाहो तो तुम्हें शूट कर दें।”
“ये तो धमकी हो गई...मैं...।”
उस आदमी ने ढली के कंधे पर हाथ रखकर धक्का दिया।
ढली लड़खड़ा गया।
“चॉपर की तरफ चलते हो या नहीं?” वो गुर्रा उठा।
“च-चलो।”
ढली और होपिन वापस चल पड़े।
वहां मौजूद सब आदमी घेरे के अंदाज में आगे बढ़ने लगे।
“बेवू ठीक तो है?” होपिन चलते-चलते कह उठा।
“तुमने सुना नहीं वो हमारे पास नहीं है। हमने उसका अपहरण नहीं किया।” उस आदमी ने कठोर स्वर में कहा।
“ऐसी बात मत कहो। चाहो तो फिरौती की रकम बढ़ा सकते...।”
“बकवास मत करो और चुपचाप चलते रहो।”
इसी प्रकार के चॉपर तक पहुंचे। चॉपर को दस लोगों ने घेर रखा था।
उनके हाथों में कुल्हाड़ी, तलवारें जैसे हथियार थे।
पायलट भीतर अपनी सीट पर बैठा था।
“गाठम साहब ने कहा है कि दोबारा इधर आए तो मार दिए जाओगे।” उस आदमी ने सख्त स्वर में कहा।
“जगवामा साहब, गाठम के शब्द सुनकर बहुत नाराज होंगे।” रत्ना ढली ने कहा।
“जल्दी से यहां से चले जाओ और ये मत भूलो कि तुम लोग गाठम के इलाके में हो।”
दोनों चॉपर में बैठे और चॉपर उड़ान भर गया।
रत्ना ढली और होपिन की आंखें मिली। दोनों मुस्कराए।
“हमने बढ़िया ढंग से काम किया।” रत्ना ढली कह उठा।
होपिन ने चॉपर के पायलट को देखा।
“तुम्हें मालूम है न कि अपना मुंह बंद रखना है।” होपिन ने कहा।
“इस बारे में मुझे ऑर्डर मिल चुके हैं।” पायलट ने कहा।
“हम इस जंगल की तरफ आए भी नहीं।”
“जी सर।”
“हमने चॉपर किराए पर लिया ही नहीं।”
“वहां के रजिस्टर में मुताबिक चॉपर वहीं खड़ा हुआ है। ये किराए पर नहीं गया।”
“गुड। हमारी बातें भी तुम्हें याद नहीं रखनी हैं।”
“मुझे इस बात के ऑर्डर मिले हैं कम्पनी से कि वापस आकर किसी से भी इस बारे में बात नहीं करनी है।”
“ऐसी ही समझदारी दिखाना, नहीं तो भुगतना पड़ेगा।”
“मैं ये बात भूल जाऊंगा।”
होपिन ने ढली से कहा।
“इस काम को हम सबसे कठिन समझ रहे थे लेकिन ठीक से काम हो गया।”
“गाठम को सब खबर है कि उसके नाम पर बेवू का अपहरण किया गया। अब हम जगवामा की तरफ से उसके पास बेवू को मांगने भी चले गए। गाठम जरूर परेशान हो रहा होगा कि ये क्या हो रहा है।”
“अभी तो आगे जो होना है, उससे गाठम को मैदान में आना पड़ेगा जगवामा के खिलाफ। इस वक्त तो वो परवाह ही नहीं कर रहा कि उसके नाम पर किसी ने बेवू का अपहरण कर लिया है और बीस मिलियन डॉलर की फिरौती मांगी जा रही है। हमारे वहां जाने से गाठम अब सोचेगा कि बात बढ़ रही है।” होपिन ने सिर हिलाकर कहा।
“लेकिन वोमाल जगवामा की तरफ से कोई तेज हरकत क्यों नहीं हो रही। वो देर क्यों लगा रहा है।”
“शायद वो भीतर ही भीतर तैयारी कर रहा हो।”
“अगर तैयारी नहीं भी कर रहा तो आगे जो होने वाला है, उससे वो बहुत तेजी दिखाएगा।” ढली ने कहा।
“जगवामा के हथियार समंदर किनारे पर कब आ रहे हैं?”
“तीन दिन बाकी हैं।”
“साहब जी ने कल कहा, पहले जगवामा के हथियार लूटे जाएंगे, उसके बाद गाठम के ठिकाने पर हमला करके वहां मौजूद सब लोगों को शूट किया जाएगा।” होपिन का स्वर गम्भीर था।
“साहब जी ने बहुत शानदार तरकीब सोची है। मुझे तो काम करने में बहुत मजा आ रहा है।”
“खतरा भी बहुत है। अगर जगवामा को खबर मिल गई कि बेवू को लेकर हम कहां पर मौजूद हैं तो समझ ले हममें से कोई भी नहीं बच सकेगा। खतरे की तेज धार तलवार हमारे सिर पर लटक रही है।”
“जगवामा को पता नहीं चल सकती ये बात।”
“क्यों नहीं चल सकती। हमारे आदमियों में कोई भी गद्दारी कर सकता है। करीब हम बीस लोग हैं, जो ये काम कर रहे हैं। कोई एक गद्दार जगवामा के कान में फूंक मार सकता है।”
“साहब जी ने अपनी पसंद के हिसाब से सबको चुना है।”
“साहब जी से भी गलती हो सकती है।”
“जरूर हो सकती है।” रत्ना ढली ने गम्भीर स्वर में सिर हिलाते कहा –“पर सबसे अच्छी बात है कि हम चारों के अलावा सिर्फ साहब जी ही जानते हैं कि बेवू को कहां रखा गया है। कैसे भी हालातों में हम सुरक्षित रहेंगे।”
होपिन सोच भरे चेहरे के साथ चुप रहा।
“अगर किसी मौके पर जगवामा और गाठम की बात हो जाती है तो गड़बड़ हो सकती है।”
“कुछ नहीं होगा। हमने अपनी हरकतों से दोनों का ऐसा हाल कर देना है कि वे किसी भी हालत में एक-दूसरे की बात पर विश्वास नहीं करेंगे। बहुत जल्दी एक-दूसरे के पक्के दुश्मन बन जाएंगे।”
“मैं साहब जी को खबर दे दूं कि काम बढ़िया ढंग से निबट गया।” ढली ने कहा –“वो चिंता में होंगे।” इसके साथ ही उसने फोन निकाला और नम्बर मिलाने लगा।
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सोहन गुप्ता ने मोबाइल कान से हटाया और कमरे में नजरें दौड़ाने लगा। वो ट्रेवल एजेंसी के पीछे, ड्राइंग रूम में बैठा था। अकेला था। रोशन और भसीन देर से बेवू के पास गए हुए थे। फोन सुनने के बाद वो कुछ गम्भीर नजर आने लगा था। तभी रोशन और भसीन वहां आ पहुंचे। दोनों पसीने से भीगे हुए थे। सोहन गुप्ता ने प्रश्नभरी निगाहों से उन्हें देखा।
“कोई फायदा नहीं।” भसीन गहरी सांस लेकर बैठता हुआ बोला –“वो मुंह नहीं खोल रहा। उन पाकिस्तानी लोगों के बारे में नहीं बता रहा, जिन्हें वो वोमाल की मौत के बाद संगठन बेचेगा।”
“जिद्दी बहुत है।” रोशन ने कहा –“उसका बुरा हाल कर दिया, पर इस बारे में कुछ कहने को तैयार नहीं। मुझे नहीं लगता कि भविष्य में वो मुंह खोलेगा। उस पर मेहनत करना बेकार है।”
“उसे कहा कि इस बात का जवाब देकर वो यहां से जा सकता है।”
“कहा। बहुत लालच दिए, पर वो मुंह खोलने को राजी नहीं।” रोशन बोला।
“जगवामा की कोई नई खबर?” भसीन ने पूछा ।
“कोई नहीं।”
“तुम्हें लगता नहीं कि जगवामा बेवू को वापस पाने में धीमी रफ्तार से चल रहा है।”
“मेरे खयाल में वो गाठम से फिरौती की सौदेबाजी कर रहा होगा।”
सोहन गुप्ता ने कहा –“जगवामा सबसे पहले बेवू को वापस पा लेना चाहता होगा। उसके बाद ही गाठम के खिलाफ कोई कदम उठाएगा।”
“तो ये बात है।”
“गाठम गलती कर चुका है बेवू पर हाथ डालकर, लेकिन वो दूसरी गलती नहीं करेगा।”
“दूसरी गलती?”
“बेवू को जिंदा छोड़ने की।”
“तुम्हारा मतलब कि गाठम जगमोहन को मार देगा।”
“यकीनन। लेकिन पहले वो जगवामा से फिरौती में भारी दौलत लेगा और बेवू को वापस करने के बदले उसे मार देगा। गाठम जानता है कि जगवामा मरने की कगार पर है। बेवू की मौत देखकर, वो सदमे से मर जाएगा। अगर बेवू को जिंदा छोड़ दिया जाए तो, जगवामा की हिम्मत सलामत रहेगी और वो गाठम के लिए आदमी भेज देगा। गाठम को जगवामा की ताकत का खूब अंदाजा होगा। वो यकीनन बेवू को मार देगा।”
“त-तो जगमोहन की जान खतरे में है।”
“पूरी तरह।”
“तुम्हें मार्शल से बात करनी चाहिए कि यहां के हालात...।”
“बात कर चुका हूं। मैंने मार्शल से कहा कि बेवू हमारे कब्जे में है। हम चाहें तो जगमोहन को बचा सकते हैं, परंतु मार्शल कहता है कि इस स्थिति में जगमोहन को तभी बचाया जा सकता है, जब गाठम से बात हो सके कि वो असली बेवू को ले लें और नकली बेवू को हमें वापस दे दें। परंतु गाठम तक हमारी पहुंच नहीं है। गाठम के लोग अगर इस शहर में हैं तो वो कहां हैं, हम नहीं जानते। गाठम तक पहुंचने में, हमें लम्बा वक्त लग सकता है, जबकि ये खेल दो-चार-पांच दिन का ही बाकी रहा है।”
“हम ये भी नहीं जानते कि उसने जगमोहन को कहां रखा है?” रोशन बोला।
“हमारे एजेंट गाठम का सुराग पाने की कोशिश में लगे हैं कि पता चल सके कि उसके आदमी इस शहर में कहां पर हैं। ये पता लग गया तो गाठम को असली बेवू देकर, नकली वापस ले सकते हैं।”
“गाठम के लोगों का नहीं पता लगा तो जगमोहन नहीं बचेगा।”
“नहीं बचेगा।”
“क्या पता गाठम फिरौती की रकम लेकर बेवू को छोड़ दे?”
“वो बेवकूफ नहीं है। वो जानता है कि बेवू को छोड़ना खतरनाक होगा। जगवामा तो कभी भी मर जाएगा। कहीं ऐसा न हो कि बाद में गुस्से में बेवू संगठन संभाल ले और गाठम के पीछे पड़ जाए। ऐसे में गाठम का जीना कठिन हो जाएगा। इस वक्त गाठम हर तरफ सोच चुका होगा और ये ही फैसला लिया होगा कि आखिरकार बेवू को मार देना है।”
“अगर जगमोहन उसे ये बता दे कि वो बेवू नहीं है तो...?”
“तब तो गाठम उसे गुस्से में ही मार देगा कि उसके आदमी गलत आदमी को ले आए। मेरे खयाल में जगमोहन गाठम को अपनी हकीकत बताने की बेवकूफी नहीं करेगा। वो जानता होगा कि अगर बचा तो बेवू बने रहकर ही वो बच सकता है।”
“हमने सोचा भी नहीं था कि जगमोहन बेवू बनकर वहां पहुंचेगा और उसका अपहरण कर लिया जाएगा।”
“असली बेवू जो हमारे पास है, वो हमारे किसी काम का नहीं।”
“सही कहा। वो उन पाकिस्तानी लोगों के बारे में बताने को तैयार नहीं।”
“अगर गाठम के लोगों का पता लगे तो जगमोहन को बचाने के लिए हम बेवू का सौदा कर लें।”
“हम जगवामा से भी तो कह सकते हैं कि असली बेवू हमारे पास है, वो नकली को बचाए तो हम...।”
“जगवामा हमारी गर्दन काट देगा। वो असली बेवू को देखेगा और हमें मार देगा। सिर्फ हमारे कहने पर तो भरोसा करने से रहा और मैं पहले भी कह चुका हूं कि उधर गाठम, जगमोहन को बेवू समझते हुए मार देगा। हमें इस मामले में ज्यादा हाथ-पांव मारने को मना कर दिया गया है। अभी मार्शल का फोन आया था। हिन्दुस्तान से देवराज चौहान नाम का आदमी, मार्शल भेज रहा है, वो ही इस मामले को देखेगा।”
“देवराज चौहान –वो एजेंट है मार्शल का?”
“नहीं। मार्शल ने बताया कि वो हिन्दुस्तान का माना हुआ डकैती मास्टर है और जगमोहन का साथी। मतलब कि देवराज चौहान और जगमोहन दोनों साथी हैं।”
“मार्शल अपना काम निकालने के लिए किसी की भी सहायता ले लेता है। उसे सिर्फ काम पूरा चाहिए।”
“देवराज चौहान कब आ रहा है?”
“वो वहां से चल पड़ा है। रंगून (यंगून) के समंदर से उसे हमारा आदमी ‘पिक’ करेगा और यहां टारो में छोड़ देगा और हमें खबर कर देगा कि हम देवराज चौहान को यहां ला सकें।”
“सोचने की बात ये है कि क्या देवराज चौहान यहां के बुरे हालातों में सेट हो पाएगा?”
“मार्शल ने काबिल आदमी ही भेजा होगा।”
“डकैती करना और बात है और जासूसी के काम करना जुदा बात है।” भसीन बोला –“मेरे खयाल में ये काम हम ही संभालते तो ज्यादा बेहतर रहता। देवराज चौहान गलती भी कर सकता है।”
“हम से इस वक्त काम बेहतर नहीं हो रहे। हम देवराज चौहान के साथ काम करेंगे। हमारे बिना तो देवराज चौहान भी कुछ नहीं कर सकेगा। ये सिर्फ चंद दिनों का खेल बाकी है। गाठम कभी भी जगमोहन को मार सकता है।” सोहन गुप्ता ने कहा –“ऐसा हो गया तो फिर ये मामला हमारे लिए खत्म हो जाएगा।”
“क्यों न बेवू को हिन्दुस्तान पहुंचा दें। मार्शल, बेवू का मुंह खुलवा लेगा।”
“अब जो भी करना है, देवराज चौहान ही आकर करेगा। कल रात वो रंगून पहुंचेगा और परसों यहां आ जाएगा।”
शाम के 4.30 बजे वोमाल जगवामा को मुमरी माहू का फोन आया।
“बेवू मिल गया?” वोमाल जगवामा ने छूटते ही पूछा।
“नहीं सर। बेवू उस बस्ती में नहीं पहुंचा।” उधर से मुमरी माहू की आवाज आई।
“ये कैसे हो सकता है।” जगवामा के माथे पर बल उभर आए –“उसे वहीं पर होना चाहिए।”
“वो बस्ती में पहुंचा ही नहीं। बीती रात हमने बस्ती में ही बिताई। वो लड़की उषमा ने ही हमारे खाने-पीने का इंतजाम किया और रात रहने की जगह दी। वो मुझसे बेवू का हाल पूछ रही थी। मैंने बस्ती के अन्य लोगों से भी पूछा, परंतु बेवू वहां पहुंचा ही नहीं। जो बात मैं आपसे कह रहा हूं वो सौ-प्रतिशत सच है सर।”
जगवामा फोन कानों को लगाए चुप रहा।
सामने खड़ा सिटवी, जगवामा पर नजरें टिकाए हुए था।
“तुम इस वक्त कहां हो?” जगवामा ने पूछा।
“मैं जंगल के बाहर पास के छोटे से कस्बे से फोन कर रहा हूं।”
“एक बार फिर चेक करो। ऐसा न हो कि बेवू वहीं कहीं छिपा हो और वो लड़की या लोग झूठ बोल रहे हों।”
“सर मैंने सौ प्रतिशत सब कुछ चेक कर लिया है। सब कुछ जांचने के बाद ही मैंने आपको फोन किया है।” मुमरी माहू की आवाज आई।
“तो बेवू उस बस्ती में पहुंचा ही नहीं?”
“नहीं सर।”
“मैं तुम्हारी बात को सच मान लूं?”
“पक्की तरह सर। मुमरी माहू पर पूरा भरोसा रखें।”
“उस बस्ती में सप्ताह भर के लिए दो आदमी छोड़ दो। अगर बेवू सप्ताह भर में वहां पहुंचता है तो वो हमें खबर कर देंगे, नहीं तो सप्ताह बाद वो वापस आ जाएंगे।” जगवामा ने गम्भीर स्वर में कहा।
“मैं ऐसा इंतजाम कर देता हूं सर। पर मेरे दिमाग में एक बात आ रही है।”
“कहो।”
“कहीं हम यूं ही बेवू सर को नकली मान बैठे हों। वो असली बेवू सर ही हों, जिनका अपहरण हुआ है।”
“वो असली बेवू नहीं है। नकली है।”
“इतने दावे के साथ कैसे कह सकते हैं सर?”
“उसकी उस दिन की गलतियां देखकर। अगर मैं गलतियों को नजरअंदाज कर दूं तो भी वो असली बेवू नहीं है, क्योंकि उसकी आंख की पुतली के सफेद हिस्से में खून जमने का लाल निशान है, जो कि उसकी आंख में नहीं था।”
“वो निशान हट नहीं सकता?”
“कभी नहीं।”
“तो अब क्या किया जाए सर?”
“मुमरी। मुझे पूरा भरोसा था कि बेवू लड़की के पास ही गया होगा, परंतु उसका वहां न मिलना मुझे उलझन में डाल गया। अपना हमशक्ल यहां बिठाकर, बेवू और कहीं नहीं जा सकता।”
“एक खुशखबरी भी है सर, अगर आप सुनना चाहें।” मुमरी माहू की आवाज आई।
“क्या?”
“उस लड़की से बेवू सर का बच्चा है दो साल का।”
जगवामा एकाएक कुछ कह न सका।
“सॉरी सर, मैंने सोचा आपको बता...।”
“लड़का है या लड़की?”
“लड़का है। बेवू सर जैसा ही दिखता है। वैसी ही आंखें, वैसा ही चेहरा, ठोड़ी और...।”
“तुम दो आदमी बस्ती में छोड़कर वापस आ जाओ। हमें बेवू को तलाश करना है।” कहकर जगवामा ने फोन बंद कर दिया।
खामोश खड़ा सिटवी कह उठा।
“बेवू सर, उस बस्ती में नहीं पहुंचे?”
“नहीं। इसी बात की मुझे उलझन होने लगी है कि बेवू सिर्फ वहीं जाना चाहता था और अपने हमशक्ल को यहां छोड़ने के बाद वो वहां नहीं गया तो किधर गया है।” वोमाल जगवामा परेशान दिखने लगा।
“ऐसे में बेबू सर को ढूंढ़ना कठिन हो जाएगा।”
“कहां जा सकता है बेवू?” जगवामा सोच भरे स्वर कह उठा।
“इस सवाल का जवाब शायद हमें मिल सके। क्योंकि बेवू सर का कोई पहचान वाला नहीं है। कोई दोस्त नहीं। वो कम लोगों से ही बात करते थे और अपने दिल की बात तो किसी से भी नहीं करते थे।”
“केली, मैगवी, पैथिन, हकाकाब और लूचर, सबको बेवू की तलाश पर लगाना होगा।”
“शायद ये लोग बेवू सर को न ढूंढ़ सकें। इन्हें पता ही नहीं होगा कि बेवू सर को कहां ढूंढ़ना है। वो किधर गया है।”
जगवामा सिटवी को देखने लगा।
“मुझे अब बेवू की चिंता होने लगी है। वो अचानक कहां गायब हो गया।”
“शायद बेवू सर का फोन आ जाए।”
“बेवू मेरे को कभी फोन नहीं करेगा। वो मेरे से दूर रहना पसंद करता है। हमारे विचार नहीं मिलते।”
“हमें सोचना होगा कि बेवू को कैसे ढूंढ़ा जाए।”
जगवामा के होंठ भिंच गए। फिर एकाएक कह उठा।
“सिर्फ एक ही इंसान बेवू के बारे में बता सकता है। वो जरूर जानता होगा।”
“कौन सर?”
“बेवू का हमशक्ल बना वो इंसान।”
“हां। उसे जरूर पता होगा परंतु वो तो गाठम की कैद में है। उसे छोड़ने के बदले गाठम बीस मिलियन डॉलर मांगता है।”
“बीस मिलियन।” जगवामा का स्वर कड़वा हो गया –“गाठम सोचता है कि डॉलर पेड़ पर लगते हैं। मेरे से उसे एक पैसा भी नहीं मिलने वाला। डॉलर की बात तो जुदा है। कमीना-कुत्ता गाठम।”
“सर हमें ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए।”
“मैं समझा नहीं सिटवी?” जगवामा ने उसे देखा।
“नकली बेवू गाठम के पास है। वो हमें बेवू सर के बारे में बता सकता है कि वो कहां पर होंगे। अगर नकली बेवू हमारे हाथ लग जाए तो हमारी समस्या हल हो सकती है। लेकिन गाठम फिरौती लिए बिना उसे आजाद नहीं करेगा।” सिटवी ने कहा।
जगवामा सिटवी को देखता रहा।
“तुम्हारा मतलब कि बेवू के हमशक्ल को पाने के लिए मैं बीस मिलियन डॉलर की फिरौती गाठम को दूं।”
“मेरा मतलब ये नहीं था। मैं सोच रहा हूं कि नकली बेवू से हमारी पांच मिनट की मुलाकात भी हो जाए तो हमारा काम बन सकता है। हम उससे पूछ सकते हैं कि...।”
“गाठम फिरौती लेने से पहले, उससे मिलने नहीं देगा।”
“पर आप कोशिश तो कर सकते हैं।”
“मुझे नहीं लगता कि गाठम किसी भी स्थिति में ये बात मानेगा।”
“आप कोशिश जरूर कीजिए।" सिटवी गम्भीर दिख रहा था।
“वो नकली बेवू, अगर जरा भी समझदार हुआ तो मेरी बात का जवाब नहीं देगा। वो कहेगा पहले मुझे गाठम से आजाद कराओ। तब बताऊंगा। मेरे सवाल से वो समझ जाएगा कि मैं फिरौती देने का इरादा नहीं रखता।”
“जरूरत पड़ी तो बीस मिलियन डॉलर भी देने पड़ेंगे सर।” सिटवी ने कहा –“अभी आप गाठम के लोगों से कहेंगे कि पैसा इकट्ठा करने में समस्या आ रही है। आपको बीस घंटे का वक्त चाहिए। बीस घंटे बीत जाएं तो दस घंटे का वक्त और मांग लीजिए। ऐसा इसलिए कि हम तीन दिनों के वक्त में शहर में गाठम के किसी ठिकाने की तलाश करेंगे। गाठम का ठिकाना इस शहर में जरूर होना चाहिए वहां गाठम के आदमियों को जरूर पता होगा कि नकली बेवू सर को कहां रखा हुआ है। सम्भव है बेवू सर हमें वहीं मिल जाएं। ये भी हो सकता है कि इस भागदौड़ के दौरान बेवू सर इस्टेट में लौट आएं। वो यहां की खबरें भी ले रहे होंगे। उन्हें पता चल गया होगा कि अपनी जगह पर जिस नकली बेवू को वो छोड़ गए थे, उसका गाठम ने अपहरण कर लिया है।”
जगवामा सिटवी को देखता रहा।
“नकली बेवू हमारे लिए बहुत जरूरी हो गया है सर।” कुछ पलों बाद सिटवी ने पुनः कहा।
“तुमने मुझे सोचने को बहुत कुछ दे दिया है। सोचकर मुझे किसी फैसले पर पहुंचना होगा। मुझे थोड़ा वक्त दो। मेरे दिमाग में बहुत उलझनें आ गई हैं। सब कुछ मुझे फिर से नए सिरे से सोचना होगा।”
“मुमरी माहू दो आदमी बस्ती में छोड़कर, खुद वापस आ रहा है क्या?” सिटवी ने पूछा।
“हां। उसको वहां कोई काम नहीं। यहां काम है। अब चुप रहो। मुझे सोचने दो कि ये क्या हो रहा है।”
सिटवी सोफे पर जा बैठा और इसी मामले के ताने बाने बुनने लगा।
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