सुनील सीधी और तनहा सड़क पर ट्रक चला रहा था ।
उसी क्षण हो हसेन की दिशा से एक हैलीकाप्टर आया और उनके एकदम ऊपर उड़ने लगा ।
चेन पियाओ ने ट्रक की खिड़की से सिर निकाल कर ऊपर देखा ।
हैलीकाप्टर फौरन ऊंचा उठ गया लेकिन अब भी वह ट्रक जितनी रफ्तार से ट्रक के एकदम ऊपर उड़ रहा था ।
“मशीन गन देना ।” - चेन पियाओ खिड़की में से बाहर सिर निकाल कर पीछे बैठे लोगों से बोला ।
सो ने तिरपाल का एक कोना उठाकर मशीन गन उसकी ओर बढा दी ।
चेन पियाओ ने मशीन गन सम्भाली । फिर एक उचित अवसर पर उसने मशीन गन का रुख हैलीकाप्टर की ओर किया और फायरिंग आरम्भ कर दी ।
थोड़ी देर बाद उसने मशीन गन रख दी । हैलीकाप्टर गोलियों की रेंज से बहुत ऊंचा उड़ रहा था ।
“हैलीकाप्टर हमारी निगरानी कर रहा है” - सुनील बोला - “शायद उन्हें मालूम हो गया है कि हम रोड ब्लाक तोड़कर निकल भागे हैं । फौजी दस्ता भी हमारे पीछे आता ही होगा ।”
“हम अपने ठिकाने पर लगभग पहुंच चुके हैं ।” - चेन पियाओ बोला ।
“वैरी गुड ।” - सुनील बोला ।
“ट्रक की रफ्तार कम कर दो” - चेन पियाओ बोला - “वर्ना मुझसे सही ठिकाना नहीं पहचाना जायेगा ।”
सुनील ने रफ्तार कम कर दी ।
एक स्थान पर चेन पियाओ ने उसे ट्रक रोकने का संकेत किया ।
सुनील ने ट्रक रोक लिया । सब लोग उतर पड़े और फिर ट्रक को सड़क पर ही खड़ा छोड़ कर चेन पियाओ के पीछे जंगल में घुस गये ।
हैलीकाप्टर अब भी उनके सिरों पर उड़ रहा था लेकिन अब पायलट के लिये पेड़ों के बीच में से उन्हें देख पाना सम्भव नहीं था ।
पुरुष हाथ में जरूरी सामान से भरे थैले और मशीन गनें थाम चल रहे थे । स्त्रियां खाली हाथ थीं ।
“तुम्हें विश्वास है हम सही रास्ते पर जा रहे हैं ?” - सुनील ने चेन पियाओ से पूछा ।
चेन पियाओ ने स्वीकृति सूचक ढंग से सिर हिला दिया ।
लगभग आधे घण्टे तक वे इसी प्रकार जंगल में चलते रहे ।
फिर एक स्थान पर चेन पियाओ रुक गया । उसने अपनी मशीन गन और थैला एक पेड़ के सहारे रख दिया और बोला - “तुम लोग यहीं ठहरो मैं खान का मुंह तलाश करके वापिस आता हूं ।”
सब वहीं ठहर गये ।
चेन पियाओ जंगल में आगे बढ गया और फिर आगे पेड़ों में कहीं गुम हो गया ।
पांच मिनट बाद वह वापिस लौटा ।
“मैंने खान का मुंह खोज लिया है । तुम लोग मेरे पीछे आओ ।” - वह बोला । उसने अपना सामान का थैला और मशीनगन उठा ली ।
चेन पियाओ उन्हें रास्ता दिखाता हुआ एक स्थान पर ले आया । सामने जमीन में खान का बड़ा सा मुंह दिखाई दे रहा था ।
“यह खड्डा ज्यादा गहरा नहीं है ।” - चेन पियाओ ने बताया - “नीचे जमीन में से काटी हुई खान की सीढियां हैं । पहले मैं भीतर जाता हूं ।”
चेन पियाओ खड्डे में उतर गया । खड्डा कम से कम आठ दस फुट गहरा था क्योंकि उस अन्धेरे खड्डे में उतर जाने के बाद वह बाहर दिखाई नहीं दे रहा था ।
पहले खड्डे में चेन पियाओ को सारा सामान पकड़ा दिया गया । फिर खड्डे में मौजूद चेन पियाओ की सहायता से वे सब बारी बारी भीतर उतर गये ।
खान की सीढियां उतर कर वे एक लम्बी अन्धेरी सुरंग में आ गये ।
सो ने अपने थैले में से दो मोमबत्तियां निकाली और उन्हें बनाकर सुरंग में एक ईंट पर लगा दिया । सब लोग बैठ गये । और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगे । सभी बेहद थके हुये थे ।
सो ने अपने थैले में से काफी बनाने का सामान निकाला और काम में जुट गई ।
***
सड़क पर जहां सुनील वगैरह का छोड़ा गया ट्रक पाया गया था क्वांग चू मिंग ने उसके आस पास के सारे जंगल का चप्पा-चप्पा छान डाला लेकिन सुनील वगैरह का कहीं पता नहीं चला सैकड़ों आदमी बार्डर तक के जंगल के टुकड़े का कोना कोना तलाश कर चुके थे लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला था ।
क्वांग चू मिंग का दिल डूबा जा रहा था । वह जानता था कि अगर वह भगोड़ों को गिरफ्तार करने में सफल न हो सका तो चीफ तांग फान सी उसकी वह दुर्गति करेगा जो उसे जिंदगी भर याद रहेगी ।
उसी क्षण रेडियो आपरेटर ने उसे आकर कहा कि चीफ तांग फान सी वहां पहुंच रहा है ।
क्वांग चू मिंग को अपना हार्ट फेल होता महसूस हुआ उसने च्यांग लू को संकेत किया और फिर भारी कदमों से चलता हुआ आगे बढा । च्यांग लू उसके पीछे हो लिया । दोनों जंगल से निकल कर सड़क के किनारे आ खड़े हुये ।
दस मिनट बाद एक जीप उनके समीप आकर रुकी और उनमें से चीफ तांग फान सी निकला ।
“वे लोग पकड़े गये ?” - चीफ ने क्वांग चू मिंग से सीधा सवाल किया ।
क्वांग चू मिंग ने सिर झुका लिया ।
“कामरेड क्वांग चू मिंग ।” - चीफ कठोर स्वर से बोला - “मैंने तुम से एक सवाल पूछा है ।”
“अभी नहीं पकड़े गये ।” - क्वांग चू मिंग बिना सिर उठाये बोला - “लेकिन फौज जंगल में उनकी तलाश कर रही है ।”
“कोई परिणाम निकलने की आशा है ?”
क्वांग चू मिंग का झुका हुआ सिर और झुक गया ।
“कामरेड क्वांग चू मिंग ।” - चीफ दांत पीसता हुआ बोला - “तुम गधे हो । हजारों सैनिकों की तुम्हें सहायता प्राप्त है । फिर भी पन्द्रह मील इस जंगल के टुकड़े में तुम पांच आदमियों को तलाश नहीं करवा सकते ?”
“लेकिन सैनिकों ने जंगल का चप्पा-चप्पा छान मारा है । वे लोग कहीं नहीं हैं ।”
“यह कैसे हो सकता है ? क्या वे बार्डर पार कर गये ?”
“असम्भव ।”
“तो फिर वे जंगल में ही होंगे ।”
“जंगल में वे नहीं हैं ।”
“तो क्या उन्हें आसमान खा गया या जमीन निगल गयी ।”
“क्वांग चू मिंग चुप रहा । उसे तो लग रहा था कि वास्तव ऐसा ही कुछ करिश्मा हो गया था । या तो उन्हें आसमान खा गया था या जमीन निगल गई थी ।”
“कुत्ते मंगवाओ ।” - चीफ चिल्लाकर बोला - “कामरेड क्वांग चू मिंग, मुझे अफसोस है कि तुम्हारे से ज्यादा मुझे कुत्तों की काबलियत पर भरोसा करना पड़ रहा है । अगर वे लोग जंगल में कहीं छुपे हुए हैं तो कुत्ते उनकी गंध सूंघ कर उन्हें जरूर तलाश कर लेंगे ।”
“यस सर ।”
“अब खड़े खड़े मेरा मुंह मत देखो । फौरन रेडियो मेसेज भेजो और हैलीकाप्टर द्वारा कुत्तों को यहां मंगवाओ ।”
“राइट, सर ।” - क्वांग चू मिंग बोला और फौरन उस जीप की ओर लपका जिसमें रेडियो टेलीफोन फिट था ।”
***
थकावट की वजह से अजरा गमाल और मार्क हैरिसन सोये पड़े थे । सुनील और चेन पियाओ जाग रहे थे । वे सोये हुये लोगों से थोड़ी दूर सुरंग की दीवार से पीठ लगाये पास पास बैठे थे और धीरे धीरे बातें कर रहे थे । चेन पियाओ अपनी उंगली में सुरंग की रेतीली जमीन पर कुछ लकीरें खींच रहा था ।
“यहां से यह सीधी सुरंग आगे जाती है आगे एक चौड़ी गुफा है जिससे दो सुरंगे फूटती हैं । दाईं ओर की सुरंग पानी से भरी हुई है और हमारे किसी काम की नहीं है । बाईं ओर की सुरंग का दूसरा मुंह कटीले तार की पहली बाड़ के आगे जाकर खुलता है इस सुरंग के रास्ते एक बाड़ तो हम बड़ी आसानी से पार कर लेंगे ।”
“लेकिन इस बाड़ के आगे के जमीन के टुकड़े पर बिछी बारूद की सुरंगें ? दूसरी बाड़ ? ये सब कैसे पार करेंगे हम ? मैं तो समझा था कि इस खान की सुरंग का रास्ता एकदम बार्डर से पार जाकर निकलता है ।” - सुनील बोला ! उसके स्वर में निराशा का पुट था ।
“ऐसा नहीं है ।” - चेन पियाओ शान्ति से बोला - “लेकिन अगर हम धीरज से काम लेंगे तो इन दोनों कठिनाइयों से हम बड़ी आसानी से पार पा लेंगे ।”
“कैसे ?”
“यह सुरंग हमें पहली और दूसरी बाड़ के बीच बारूद की सुरंगों से अटे जमीन के टुकड़े के बीच में पहुंचा देगी । बारूद की सुरंगें जमीन में लगभग दस सेंटीमीटर गहरी बिछी हुई हैं । उनमें वाइब्रेशन फ्यूज लगे हुये हैं । वे सुरंगे तभी फटती हैं जब जमीन में काफी वाइब्रेशन (कम्पन) हो । मसलन जैसे आदमी दौड़ता हुआ उसके ऊपर से गुजर गये या कोई बहुत वजनी चीज उस स्थान से आकर टकराये । बारूद की सुरंगों वाला यह टुकड़ा हमें जमीन पर लेटकर छाती के बल एक एक इन्च रेंग कर पार करना पड़ेगा । ऐसे जमीन में वाइब्रेशन नहीं होगी और सुरंग नहीं फटेगी । इसी रास्ते से और इसी तरीके से आज से लगभग एक साल पहले मैंने अपने एक दोस्त की चीन से निकल जाने में सहायता की थी और वह अपने प्रयत्न में पूरी तरह सफल रहा था । यह रास्ता मेरा आजमाया हुआ है ! मिस्टर । लेकिन सफलता के लिये अधिक धैर्य और आत्मविश्वास बहुत आवश्यक है ।”
सुनील चुप रहा ।
“मेरे दोस्त ने बारूद की सुरंगों वाले जमीन टुकड़े को पेट के बल एक एक इंच सरक कर चार घण्टे में पार किया था । अपने इस प्रयत्न में वह कई बारूद की सुरंगों पर से गुजरा था लेकिन उसकी सावधानी से एक भी सुरंग फटने नहीं पाई थी । हम पांच हैं । इसलिये यह सारा सिलसिला उससे पांच गुणा अधिक खतरनाक है । एक रात में केवल दो आदमी पार जा सकते हैं । इसलिये हम पांचों तीन दिन में पार पहुंच पायेंगे । पहली रात को मैं और मेरी पत्नी जायेंगे । दूसरी रात को अजरा गमाल और तुम और मार्क हैरिसन में से कोई और तीसरी रात को तुम दोनों में से जो बाकी बच जाये ।”
“लेकिन हम कांटों की दूसरी बाड़ कैसे पार करेंगे ?”
“दूसरी बाड़ में एक ऐसा स्थान है जहां जगह ढलान पर होने के कारण बरसाती पानी बहता रहता है । वहां से निरन्तर पानी बहता रहने की वजह से वहां की जमीन बहुत नर्म हो गई है और नीचे धसक गई है । आदमी के शरीर का भार पड़ने पर वह जमीन और अधिक धसक जाती है । उस स्थान पर एकदम जमीन के साथ लगकर सरकने से दूसरे बाड़ को नीचे से पार किया जा सकता है लेकिन इसके लिये भारी सावधानी की जरूरत है । अगर शरीर का कोई भाग एक क्षण के लिये भी बाड़ के किसी तार से छू गया तो बिजली के धक्के से तत्काल मृत्यु हो जायेगी ।”
सुनील के शरीर में झुरझुरी दौड़ गई ।
“और वाच टावर ?” - थोड़ी देर बाद उसने पूछा ।
“जहां से हम बार्डर क्रास करेंगे” - चेन पियाओ बोला - “उसकी दाईं ओर दो सौ मीटर दूर एक वाच टावर है । बाईं ओर पड़ने वाला पहला वाच टावर भी दो सौ मीटर दूर है । दोनों पर सर्च लाइट लगी हुई हैं जो घूमती रहती हैं लेकिन उन दोनों सर्च लाइटों का प्रकाश उस छोटे से टुकड़े तक अच्छी तरह नहीं पहुंचता जहां से कि हम बार्डर क्रास करने वाले हैं । इसलिये हमें सर्च लाइटों से डरने की आवश्यकता नहीं है ।”
“और कोई मुश्किल ?”
“बार्डर क्रास कर लेने के बाद भी हमे कम से कम छ: सात सौ गज छाती के बल रेंगना पड़ेगा । हम बार्डर क्रास करते ही उठकर भाग नहीं सकते ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि वाच टावर पर सशस्त्र सैनिक मौजूद हैं । अगर उन्होंने हमें देख लिया तो वे वाच टावर से ही हमें गोली से उड़ा देंगे ।”
“हे भगवान !” - सुनील गहरी सांस ले कर बोला - “मुझे तो यह असम्भव कृत्य लगता है । हम कभी सफल नहीं हो पायेंगे ।”
“अगर हम धैर्य से काम लेंगे तो जरूर सफल हो जायेंगे” - चेन पियाओ दृढ स्वर बोला - “मिस्टर, यह आजमाया हुआ रास्ता है । मेरे दोस्त...”
“श श श ।” - सुनील एकाएक होंठों पर जुबान रखता हुआ बोला ।
चेन पियाओ फौरन चुप हो गया ।
कहीं से कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी । साथ ही कई आदमियों के एक साथ बोलने की आवाजें भी आ रही थीं ।
सुनील ने मशीनगन उठा ली और खान के मुंह की ओर बढा । समीप पहुंच कर वह आड़ में खड़ा हो गया और कान लगाकर सुनने लगा ।
मगर खान के मुंह के पास कुत्ते जोर जोर से भौंक रहे थे । सुनील समझ गया कि कुत्ते उनकी गन्ध सूंघते-सूंघते वहां पहुंच गये थे और अब चीनी जानते थे कि वे लोग उस खान में थे ।
“वे लोग भीतर हैं ?” - बाहर खान के मुंह के समीप खड़ा क्वांग चू मिंग उत्साहपूर्ण स्वर से बोला ।
“यह है क्या बला ?” - चीफ तांग फान सी बोला ।
“कोई पुरानी खान मालूम होती है ।” - क्वांग चू मिंग बोला ।
“फिर तो नीचे लम्बे लम्बे रास्ते होंगे और शायद इस खान का कोई मुंह बार्डर से पार बहुत दूर जा कर खुलता हो और वे लोग भी पता नहीं कितना आगे निकल चुके हों ।”
क्वांग चू मिंग चुप रहा ।
“कामरेड क्वांग चू मिंग” - चीफ बोला - “खान में तीन चार टियर गैस बम फेंक दो । अगर वे लोग भीतर होंगे तो उन्हें बाहर निकलना हो पड़ेगा ।”
“लेकिन सर, हमारे पास टियर गैस बम नहीं है ।”
“तो फिर तुम खुद खान में उतरो ।”
“जी !” - क्वांग चू मिंग चौंका ।
“हां । अपने साथ जितने आदमी चाहे ले जाओ लेकिन उनका नेतृत्व तुम्हें ही करना होगा और कायरता मत दिखाओ, कामरेड । यह मत भूलो कि वे लोग तुम्हारी ही वजह से भागने में सफल हुये हैं ।”
मुर्दा दिल से क्वांग चू मिंग अपने पीछे खड़े फौजियों की ओर घूमा ।
सुनील वापिस गुफा के भीतर की ओर भागा ।
सोने वाले पहले ही जाग चुके थे ।
“वे लोग कुत्तों की सहायता से हमें तलाश करते हुये यहां पहुंच गये हैं” - सुनील बोला - “तुम लोग सुरंग के रास्ते बार्डर की ओर दौड़ जाओ । मैं इन लोगों को यहां से आगे नहीं बढने दूंगा ।”
“लेकिन...” - चेन पियाओ ने विरोध करना चाहा ।
“बहस मत करो” - सुनील तीव्र स्वर से बोला - “यह बहस करने का व्यक्त नहीं है । यहां देर लगाओगे तो हम सभी सारे जायेंगे ।”
“मैं कहता हूं, तुम आगे बढो” - चेन पियाओ बोला - “मैं इन लोगों को रोकता हूं ।”
“मूर्ख मत बनो । तुम्हारे अलावा उस स्थान का किसी को ज्ञान नहीं है जहां से बार्डर क्रास किया जा सकता है । तुम्हारा इन लोगों के साथ होना बहुत जरूरी है ।”
आदतन मार्क हैरिसन बड़ा कायर आदमी था लेकिन शायद यह वातावरण का प्रभाव था कि वह एक कदम आगे बढ कर बड़े दृढ स्वर से बोला - “मैं रुक जाता हूं ।”
“नहीं” - सुनील बोला - “तुम्हारे रुकने से कोई फायदा नहीं । तुम लोगों को अधिक देर यहां रोके नहीं रह पाओगे । ...भागो ।”
और सुनील जबरदस्ती उन लोगों को आगे धकेलने लगा । अनिच्छापूर्ण ढंग से चेन पियाओ अंधेरी सुरंग में भागने लगा । उसके पीछे उसकी पत्नी सो, सो के पीछे अजरा गमाल और सबसे पीछे मार्क हैरिसन भागा ।
सुनील ने गुफा में जल्दी मोमबत्तियां बुझा दीं और वापिस उस स्थान पर लौट आया जहां से छुपकर खान का मुंह देखा जा सकता था । वह मशीनगन हाथ में संभाले दीवार के साथ चिपका खड़ा रहा ।
मार्क हैरिसन कुछ क्षण अपने आगे भागते लोगों के साथ भागता रहा और फिर रुक गया । किसी को इस बात की ओर ध्यान देने की सुध नहीं थी कि मार्क हैरिसन उनके पीछे नहीं आ रहा है । एकाएक मार्क हैरिसन के मन जीवन के प्रति भारी निराशा भर आई थी । उसे इस बात का एक प्रतिशत भी विश्वास नहीं था कि वह चेन पियाओ के बताये रास्ते से बार्डर क्रास करने में सफल हो पायेगा । वह सोच रहा था कि अगर मरना ही है तो वह क्यों न सुनील के साथ एक हीरो की तरह मरे । वह हाथ में मशीनगन सम्भाले चुपचाप वापिस लौटने लगा ।
क्वांग चू मिंग ने कुछ सशस्त्र सैनिक चुन लिये । एक सैनिक की कमर के साथ तीन हथगोले बन्धे हुये लटक रहे थे । क्वांग चू मिंग ने उससे हथगोले लेकर अपनी कमर से बांध लिये ।
चीफ तांग फान सी के निर्देश पर मन ही मन उसे हजार हजार गालियां देता हुआ क्वांग चू मिंग खान में उतर गया उसके पीछे सैनिक भी खान में उतरने लगे । क्वांग चू मिंग एक बायें हाथ में टार्च और दायें हाथ में रिवाल्वर लिये सतर्कता की प्रत मूर्ति बना आगे बढ रहा था ।
सुनील को मालूम नहीं था कि मार्क हैरिसन वापिस आ गया था और उसके पीछे थोड़ी ही दूर क्वांग था ।
क्वांग चू मिंग की टार्च का प्रकाश सीधा जाकर मार्क हैरिसन के चेहरे पर पड़ा । मार्क हैरिसन ने फौरन मशीनगन सीधी की और फायर करना आरम्भ कर दिया । उसका निशाना इतना घटिया था कि मशीनगन में से निकलने वाली बीसियों गोलियों में से केवल एक गोली क्वांग चू मिंग के कन्धे पर लगी जिसकी वजह से उसके हाथ से रिवाल्वर निकल गई । पीड़ा से बिलबिलाते हुये उसने अपनी कमर में बंधे हथगोलों में से एक खींच लिया । उसने हथगोलों का पिन निकाला और उसे मार्क हैरिसन की दिशा में खींच मरा ।
हथगोला सीधा मार्क हैरिसन की छाती में जाकर टकराया । हथगोला फूटा और मार्क हैरिसन के परखचे उड़ गये ।
उसी क्षण क्वांग चू मिंग की दिशा में सुनील ने फायर करने आरम्भ कर दिये ।
क्वांग चू मिंग का सारा शरीर गोलियों से छलनी हो गया । उसके पीछे खड़े कई सैनिक भी गोलियों के शिकार हो गये ।
गोलियों की आवाज सुनकर ऊपर से उतरते हुये सैनिकों ने उतरना बन्द कर दिया ।
सुनील अपने स्थान से निकला । वह लपक कर आगे बढा । उसने क्वांग चू मिंग की कमर में बंधे बाकी दो हथगोले खींच लिये और फिर सिर नीचा किये वापिस भागा । ओट में आकर सुनील रुका । उसने हथगोलों के पिन निकाल दिये और उन्हें अपने समाने की ओर फेंक दिया । दो कान फाड़ देने वाले धमाके हुये और खान की छत भरभरा कर नीचे बैठ गई । धूल और मिट्टी के गुबार से खान भर गई । ऊपर से बड़े-बड़े पत्थर खान की जमीन पर गिरने लगे ।
खान का सुनील की ओर का रास्ता एकदम ब्लाक हो गया था । अब ढेर सारा मलवा हटाये जाने से पहले चीनों सैनिक उसके पीछे नहीं आ सकते थे ।
उसने जेब से सिगरेट लाइटर निकाल कर जलाया और मार्क हैरिसन के शरीर के पास पहुंचा । वह खून और गोश्त के टुकड़ों का ढेर बनाकर सुरंग की जमीन पर पड़ा था ।
सुनील ने लाइटर जेब में रख लिया और सुरंग में उस दिशा में भागा जिधर चेन पियाओ वैगरह गये थे ।
कुछ देर बाद वह उस चौड़ी गुफा में पहुंच गया जिसका चेन पियाओ ने जिक्र किया था । सुनील बाईं ओर की गुफा में भागा ।
शीघ्र ही उसे अपने आगे भागते कदमों की आवाज सुनाई देने लगी ।
“चेन पियाओ ! अजरा ! !” - वह चिल्लाया । उसे भय था कि कहीं वे अन्धेरे में अपने पीछे आते सुनील को कोई दुश्मन समझ कर गोली न मारे दें ।
भागते हुये कदम रुक गये ।
सुनील उनके समीप पहुंचा । उसने लाइटर जलाकर प्रकाश किया ।
लाइटर के प्रकाश में चेन पियाओ ने अपने आसपास देखा । मार्क हैरिसन उसे कहीं दिखाई नहीं दिया ।
“मार्क हैरिसन कहां गया ?” - यह तीव्र स्वर से बोला ।
“मार्क हैरिसन मर गया है ।” - सुनील हांफता हुआ बोला - “हथगोले फटने की वजह से पीछे खान की छत बैठ गई है । सारा रास्ता मलबे से ब्लाक हो गया है । वक्ती तौर पर हम इस सुरंग में सुरक्षित हैं । सुरंग में पड़ा बेशुमार मलबा हटाकर उन्हें हम तक पहुंचने में दो दिन लग जायेंगे ।”
चेन पियाओ का मुंह खुले का खुला रह गया । उसके चेहरे से गहरी निराशा झलकने लगी ।
“क्या हुआ ?” - सुनील ने तीव्र स्वर से पूछा ।
चेन पियाओ ने एक गहरी सांस ली और बोला - “और मैंने मार्क हैरिसन से मिलने वाली पिचहत्तर हजार पाउन्ड की वजह से ही चीन से भागने का यह बेहद खतरनाक रास्ता अपनाया था । अगर मैंने धन का लालच न किया होता तो मैं मकाड के रास्ते बड़े आराम से हांगकांग पहुंच जाता ।”
“चेन पियाओ !” - सुनील बोला - “यह डूबी रकम का अफसोस मनाने का समय नहीं है । धन का महत्व तभी है जब तुम उसका सुख भोगने के लिये जिन्दा रहो । फिलहाल अपनी जान बचाने पर ध्यान दो । जिन्दगी पिचहत्तर हजार पाउन्ड से बहुत ज्यादा कीमती होती है ।”
“शायद तुम ठीक कह रहे हो ।” - चेन पियाओ बोला ।
“अब क्या इरादा है ?”
“अब हमें फौरन आगे बढना पड़ेगा ।” - चेन पियाओ बदले स्वर से बोला - “इस सुरंग का मुंह यहां से तीन किलोमीटर दूर है । हम रात के आठ बजे तक सुरंग के मुंह पर पहुंच जायेंगे । एक घन्टा अराम करने के बाद मैं और मेरे पत्नी बार्डर क्रास करने का अभियान आरम्भ कर देंगे । अगर तुम्हें पूरा विश्वास है कि पीछे मलबे से ब्लाक हो गई गुफा का मुंह वे दो दिन से पहले नहीं खोल सकेंगे तो तुम और अजरा गमाल अगले दिन बार्डर क्रास करने की कोशिश करना वर्ना तुम्हें आज रात भी बार्डर क्रास करने का समय मिल सकता है । नौ बजे चल कर हम एक बजे तक बार्डर पार कर जायेंगे । हमारे फौरन बाद अगर तुम भी बार्डर पार करने का अभियान आरम्भ कर दो तो सुबह का उजाला फैलने से बहुत देर पहले तुम बार्डर से पार पहुंच जाओगे ।”
“ठीक है । चलो ।” - सुनील बोला ।
चेन पियाओ ने मोमबत्ती सम्भाली और आगे बढने लगा बाकी लोग उसके पीछे पीछे चलने लगे ।
***
हथगोलों की कान फाड़ देने वाली आवाज और फिर बाद में भारी पत्थरों के गिरने के धमाके खान के बाहर खड़े चीफ तांग फान सी के कानों में भी पड़े । फिर खान के मुंह में से धुयें और धूल का गुब्बार फूटने लगा । खान में कूदने के लिये तत्पर सशस्त्र सैनिक एकदम पीछे हट गये । भीतर गये सैनिकों में से एक भी बाहर नहीं निकला । चीफ खान के मुंह से दूर खड़ा पत्थरों के गिरने की आवाजें सुनता रहा और अंगारों पर लोटता रहा । विस्फोट से पहले उसने मशीनगन की रेट रेट की आवाज भी सुनी थी । उसे विश्वास था कि क्वांग चू मिंग और उसके साथ खान में उतरे सैनिक दूसरी दुनिया में पहुंच चुके थे लेकिन उसे उन लोगों की चिंता नहीं थी । उसे चिंता थी मार्क हैरिसन और सुनील वगैरह की । उसके पास यह जानने का कोई साधन नहीं था कि वे लोग खान के भीतर जिंदा थे या मर चुके थे ।
“इस फौजी टुकड़ी का इंचार्ज कौन है ?” - चीफ उच्च स्वर से बोला ।
एक कैप्टेन आगे बढा । चीफ के सामने पहुंच कर उसने ठोककर सलाम मारा ।
“कैप्टेन ।” - चीफ बोला - “खान के मुंह पर भारी पहरा बिठा दो । और फौरन किसी ऐसे आदमी को तलाश करो जो इस खान के बारे में जानकारी रखता हो । कहीं न कहीं खान का दूसरा मुंह जरूर होगा । अगर भगोड़े जिंदा हैं तो वे दूसरे रास्ते से बाहर निकलने का प्रयत्न जरूर करेंगे ।”
“यस सर ।” - कैप्टेन तत्पर स्वर से बोला ।
“धुयें और धूल का गुब्बार जब खान में से निकलना बन्द हो जाये तो कुछ आदमी नीचे उतारना और पता लगवाना कि कामरेड क्वांग चू मिंग और उसके साथियों का क्या हुआ ।”
“यस सर ।”
“मैं बार्डर की चैक पोस्ट पर जा रहा हूं । कोई विशेष बात हो तो मुझे वहां रिपोर्ट करना ।”
“यस सर ।”
“च्यांग लू । मेरे साथ आओ ।”
च्यांग लू तत्काल चीफ के साथ हो लिया ।
***
सुरंग के मुंह तक पहुंचने तक सब लोग थक कर चूर हो चुके थे ।
चेन पियाओ ने मोमबत्ती जमीन पर पटक स्थान पर खड़ी कर दी और बैठ गया । बाकी लोग भी बैठ गये ।
“आठ बजने को हैं” - चेन पियाओ अपनी घड़ी पर दृष्टिपात करके बोला - “नौ बजे में और सो सुरंग से निकल कर बार्डर की ओर बढना आरम्भ कर देंगे ।”
सुनील ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिलाया ।
“बाद में यह सोचना तुम दोनों का काम होगा कि तुम हमारे बाद आज ही बार्डर क्रास करने की कोशिश करोगे या अगली रात को ।”
“आज की रात तुम्हारे लिये भी बार्डर क्रास करना बहुत खतरनाक है सकता है” - सुनील बोला - “बार्डर पर सैनिक सचेत हो चुके होंगे ।”
“मुझे मालूम है लेकिन मजबूरी है । मैं कल तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता । तुम कहते हो कि गुफा से मलबा हटाने में उन्हें कम से कम दो दिन लगेंगे लेकिन तुम्हारा अन्दाजा गलत भी हो सकता है । शायद वे लोग तुम्हारे अनुमान से बहुत पहले रास्ता साफ करा लें और हमें इस सुरंग में ही आ दबोचें ।”
“लेकिन आज बहुत खतरा है ।”
“मुझे उस खतरे का सामना करना ही पड़ेगा ।”
“पीछे जो हम दाईं ओर वाली सुरंग छोड़ कर आये हैं - जिसमें पानी भरा हुआ है - क्या वह वाकई हमारे किसी काम की नहीं ?”
चेन पियाओ ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया ।
“क्यों ?”
“क्योंकि सारी सुरंग में गन्दा बदबूदार तेलयुक्त पानी भरा हुआ है । सुरंग कम से कम चार किलोमीटर लम्बी है और उसकी हवा इतनी गन्दी और बदबूदार है कि आदमी के प्राण दम घुटने से ही निकल जाये । फिर उसमें बिल्लियों जैसे बड़े-बड़े पानी के चूहे हैं जो उस पानी में कदम रखने वाली आदमी के नोच नोच कर खा जायेंगे । मिस्टर, उस सुरंग में कदम रखने के बाद कोई दस मिनट भी जीवित रह जायें तो मैं इसे करिश्मा मानूंगा । चार किलोमीटर लम्बी पानी से भरी उस सुरंग को आदमी खा जाने वाले चूहों की मौजूदगी में तैर कर पार करने का तो विचार भी करना गुनाह है ।”
“शायद यह सुरंग उतनी खतरनाक न हो जितनी कि तुम उसे सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हो ।” - सुनील आशापूर्ण स्वर से बोला ।
“मिस्टर, बहस मत करो, वह सुरंग उससे ज्यादा खतरनाक है जितनी कि मैं इसे सिद्ध करने की कोशिश कर रहा हूं और वैसे भी हम लोग एक बार उस सुरंग को आजमा चुके हैं । दो साल पहले मेरे एक साथी ने भी यही सोचा था कि बारूद की सुरंगों के ऊपर से रेंग कर गुजरने और फिर बिजली की तारों वाली बाड़ के नीचे से गुजरने के मुकाबले में पानी की सुरंग वाला रास्ता कम खतरनाक होगा । उसने उस सुरंग में से तैर कर आगे बढने की कोशिश की थी लेकिन पन्द्रह मिनट बाद उसका तेल से चिपचिपाता हुआ और चूहों द्वारा आधे से अधिक खाया हुआ शरीर पानी में तैरता हुआ वापस आ गया था ।”
सुनील के शरीर में सिहरन दौड़ गई ।
“यह सुरंग निकलती कहां जाकर है ?” - सुनील ने पूछा ।
“बार्डर से पार । हिन्दोस्तान में । बिजली के तारों की आखिरी बाड़ से तीन सौ मीटर परे । मिस्टर अगर वह सुरंग इतनी खतरनाक न होती तो मजा आ जाता । फिर तो बार्डर क्रास करना मजाक बन जाता ।”
“तुम्हारे मित्र की वह दुगर्ति दो साल पहले हुई थी । शायद अब तक कुछ अन्तर आ गया हो ।”
“जरूर आ गया होगा” - चेन पियाओ कठोर स्वर से बोला - “अब तक चूहे पहले से दस गुणा अधिक बढ चुके होंगे और हवा और विषैली हो गई होगी ।”
सुनील चुप हो गया ।
सब लोग चुपचाप बैठे रहे ।
ठीक नौ बजे चेन पियाओ अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ । बाकी लोग भी उसके साथ उठ खड़े हुये । सो अपने पति की बगल में आ खड़ी हुई ।
“हम जाते हैं ।” - चेन पियाओ बोला ।
सुनील ने सहमतिसूचक ढग से सिर हिलाया और बोला - “गुड लक ।”
चेन पियाओ ने बड़ी गर्मजोशी से उसका हाथ थाम लिया और बोला - “टु यू आलसो ।”
सो आगे बढी और उसने अजरा गमाल को अपने अलिंगन में बांध लिया ।
“मिस्टर ।” - चेन पियाओ बोला - “हम लोगों पर निगाह रखना । बिजली के तारों वाली बाड़ को जहां से हम पार करें उसे वहीं से तुमने करना है । क्योंकि वही एक जगह है जहां जमीन नर्म है और नीचे दब गई है और किसी भी जगह से बाड़ को पार करने में तुम बिजली का धक्का खा जाओगे ।”
“मैं ख्याल रखूंगा ।”
अभिवादनों का आदान प्रदान समाप्त हो जाने के बाद चेन पियाओ और सो सुरंग के मुंह की ओर बढे । चेन पियाओ उचक कर सुंरग से बाहर निकल गया । सुंरग के मुह पर उग आई झाड़ियों को हटाकर वह पेट के बल जमीन पर लेट गया ।
सो भी उसके पीछे सुंरग से निकल गई ।
सुनील और अजरा गमाल सुंरग से सिर निकाल कर उत्कंठापूर्ण नेत्रों से उन्हें कछुवे की चाल से आगे बढता देखते रहे ।
हर दो मिनट बाद वाच टावरों पर लगी सर्च लाइट का प्रकाश उस ओर घूम जाता था लेकिन दोनों सर्च लाइटों में किसी का भी प्रकाश उस स्थान पर नहीं पड़ता था जहां चेन पियाओ और सो बार्डर की ओर रेंग रहे थे । ज्यों ही सर्च लाइट घूमती हुई उनकी ओर आती थी वे एक दम स्थिर हो जाते थे । सर्च लाइट के दुबारा उस ओर लौट आने से पहले वे पन्द्रह बीस सेन्टीमीटर आगे सरक जाते थे ।
उत्कंठा से सुनील की पलक नहीं झपक रही थी । वह मुंह बाये उनको एक एक इंच आगे सरकता देख रहा था । अजरा गमाल कुछ क्षण वह द्दश्य देखती रही फिर जब उससे टैंशन बरदाश्त कर पाना मुश्किल हो गया तो उसने उस ओर से दृष्टि फिरा ली ।
समय गुजरता रहा ।
सुनील ने घड़ी देखी । आधा घन्टा गुजर गया था लेकिन अभी तक वे लोग मुश्किल से दस मीटर फासला तय कर पाये थे ।
फिर वह हो गया जिसका सुनील को डर था ।
आगे रेंगते हुये चेन पियाओ से पता नहीं क्या गलती हो गई थी कि जहां सुनील को चेन पियाओ दिखाई दे रहा था, वहां प्रकाश का झमाका-सा फूटा, एक कान फाड़ देने वाली आवाज वातावरण में गूंजी और फिर चेन पियाओ का शरीर किसी भारहीन वस्तु की तरह हवा में उछलता देखा ।
जमीन में बिछी कोई बारूद की सुरंग फट गई थी ।
चेन पियाओ का शरीर धम्म से दस मीटर आगे जमीन पर आकर गिरा और फिर सुंरग फट गई ।
चेन पियाओ के शरीर के परखचे उड़ गये ।
सो के गले से एक हृदय विदारक चीख निकली । वह अपने स्थान से उठी और पागलों की तरह अपने पति के क्षत-विक्षत शरीर की ओर भागी ।
उसी क्षण दायें बायें के दोनों वाच टावरों से मशीनगन की गोलियों की बौछार होने लगी ।
कितनी ही गोलियां सो के शरीर के विभिन्न भागों से टकराई । उसके मुंह से फिर चीख निकली और वह अपने पति के धज्जियां बन चुके शरीर पर जा गिरी ।
बारूद की एक और सुंरग फटी ।
बारूद के धमाकों, लोगों की चीख पुकार और मशीनगनों की रेट-रेट के बीच में एक सायरन की तीव्र आवाज गूंज उठी ।
जिस समय बारूद की सुरंगें फटने के धमाके वातावरण में गूंजे उस समय चीफ तांग फान सी बार्डर की चैक पोस्ट में बैठा था । उसके समीप च्यांग लू एक मेजर और एक रेडियो आफिसर बैठे थे ।
बारूद के धमाकों के साथ मशीनगन की रेट-रेट की आवाज वातावरण में गूंज उठी ।
“यह सब क्या हो रहा है ?” - चीफ चिल्लाकर बोला ।
मेजर ने रेडियो आफिसर को संकेत किया ।
रेडियो आफिसर फौरन अपने रेडियो सैट पर झुक गया ।
“हल्लो ! हल्लो ! कण्ट्रोल टावर !” - वह जोर जोर से बोल रहा था । वह थोड़ी देर सुनता रहा और फिर बोला - “एक स्त्री और पुरुष बार्डर क्रास करने के प्रयत्नों में जमीन पर बिछी सुरंगों और मशीनगन की गोलियों का शिकार हो गये हैं ।
चीफ को फौरन सुनील का ख्याल आया । वह अपने स्थान से उठा और जल्दी में बोला - “मेजर मैं वाच टावर पर जा रहा हूं । अगर खान का कोई जानकार मिल जाये तो उससे प्राप्त सूचना मुझे वहां पहुंचा देना । च्यांग लू !”
च्यांग लू फौरन चीफ के साथ हो लिया ।
तीन मिनट बाद चीफ वाच टावर पर था । एक शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से वह उस इलाके को देख रहा था जहां सुंरगें फटी थी ।
थोड़ी देर बाद उसने अपनी आखों से दूरबीन हटा ली और बोला - “मरने वाला कोई चीनी है । वह सुनील नहीं है । औरत भी चीनी है ।”
“वे चेन पियाओ और उसकी पत्नी होंगे ।” - च्यांग लू बोला ।
“हां” - चीफ बोला - “उन दोनों की वहां मौजूदगी सिद्ध करती है कि बिजली के तारों की पहली बाड़ के आगे बारूद की सुरंगों वाले इलाके के बीच में कहीं खान का दूसरा मुंह खुलता है और चेन पियाओ और उसकी पत्नी की वहां मौजूदगी सिद्ध करती है कि वे लोग खान की सुरंगों में दबकर मरे नहीं । इसका मतलब है कि सुनील और अजरा गमाल भी जिन्दा हैं और वे जरूर खान के इस मुंह के समीप ही होंगे ।”
“यस सर ।”
“च्यांग लू उन लोगों को फौरन पकड़वाने का इन्तजाम करो ।”
च्यांग लू वाच टावर पर मौजूद एक कैप्टन से बात करने लगा ।
थोड़ी देर बाद वह चीफ के पास वापिस लौटा और झिझकता हुआ बोला - “चीफ उस क्षत्र में फौरन नहीं जाया जा सकता ।”
“क्यों ?” - चीफ गुर्राया ।
“उस सारे क्षेत्र में बारूद की सुरंगे बिछी हुई हैं । जब तक वे सुरंगे हटवाई नहीं जायेंगी तब तक उस क्षेत्र में सैनिक कदम नहीं रख सकते ।”
“तो सुरंगे हटवाओ ।”
“इस वक्त इन लोगों के पास माइन डिटेक्टर (जमीन में बारूद की सरंगों का पता बताने वाला यन्त्र) नहीं है । उन्होंने माइन डिटेक्टर मंगवाया है माइन डिक्टेटर आने के बाद सुरंगे हटाने में चार घण्टे लग जायेंगे ।”
“मतलब यह कि जब तक यह क्षेत्र सैनिकों के कदम रखने के काबिल होगा तब तक सवेरा हो जायेगा ।”
च्यांग लू चुप रहा ।
“लानत है ।” - चीफ क्रोध और बेबसी भरे स्वर से चिल्लाता ।
“वे लोग खान में फंस गये हैं, चीफ ।” - च्यांग लू धीरे से बोला - “अब वे लोग भाग नहीं सकते । खान की सुरंग का मुंह एक ओर से मलबे के ढेर से बन्द है और दूसरी ओर बारूद की सुरंगे फट रही हैं । अगर वे लोग इस ओर सुंरग से बाहर सिर भी निकालेंगे तो मशीन गन की गोलियों से भून दिये जायेंगे ।”
“ईडियट ।” - चीफ गुर्राया - “खान से निकलने का अगर कोई तीसरा रास्ता भी हुआ तो ?”
च्यांग लू चुप रहा ।
उसी क्षण वाच टावर का रेडियो आफिसर बोला - “सर, चैक पोस्ट से कोई आपको रिपोर्ट करना चाहता है ।”
चीफ ने रिसीवर अपने हाथ में लिया । वह कुछ क्षण सुनता रहा और फिर जोर से बोला - “उस आदमी को यहां लेकर आओ ।”
और उसने रिसीवर रेडियो आफीसर की ओर उछाल दिये ।
क्रोध से बिलबिलाता हुआ वह वाच टावर के सीमित स्थान में चहल कदमी करता रहा ।
च्यांग लू सहमा सा एक ओर खड़ा रहा ।
दस मिनट बाद चैक पोस्ट वाले मेजर के साथ एक बूढा सा चीनी वाच टावर में आया ।
“सर ।” - मेजर बोला - “यह आदमी खान के सारे रास्तो के बारे में जानता है ।”
और उसने बूढे चीनी को बांह पकड़ कर चीफ से सामने धकेल दिया ।
बूढे का चेहरा राख की तरह सफेद था । वह थर थर कांप रहा था ।
“जल्दी जबान चलाओ ।” - चीफ बोला ।
“इस खान के तीन रास्ते हैं ।” - बूढा कम्पित स्वर से बोला !
“तीन रास्ते ?”
“जी हां । एक पीछे जंगल में । दूसरा यहां और तीसरा बार्डर से तीन सौ मीटर परे भारतीय क्षेत्र में ।”
“क्या बकते हो ?”
“मैं ठीक कह रहा हूं साहब लेकिन तीसरे रास्ते से आगे बढ पाना असम्भव है ।”
“क्यों ?”
“तीसरे रास्ते की चार किलोमीटर लम्बी सुंरग में गन्दा बदबूदार तेलयुक्त पानी भरा हुआ है ।”
“फिर क्या हुआ ? कोई भी आदमी चार किलोमीटर तैर सकता है ।”
“लेकिन पानी में आदमी को जिंदा खा जाने वाले बड़े बड़े चूहे हैं और सुरंग की हवा विषैली है । उस सुरंग में कदम रखने के बाद आदमी हरगिज भी जिन्दा नहीं रह सकता ।”
“मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं । तुम बात को बढा चढा कर कह रहे हो ।”
बूढा चीनी चुप रहा ।
“तीसरा सुंरग का मुंह बार्डर के पार कहां खुलता है ?”
बूढे ने एक ओर सकेत कर दिया ।
“बार्डर से तीन सौ मीटर दूर ?”
“जी हां ।”
“इस आदमी को निकालो यहां से ।”
मेजर ने एक सैनिक को संकेत किया । सैनिक बूढे को वाच टावर से निकाल ले गया ।
“सुनील तीसरी सुरंग के रास्ते जरूर भाग निकलेगा ।” - चीफ बोला ।
“लेकिन यह असम्भव है ।”
“बको मत । सइ संसार में कुछ असम्भव नहीं । उस तीसरे रास्ते को ब्लाक करना जरूरी है ।”
“लेकिन उसका मुंह तो भारतीय क्षेत्र में खुलता है ।”
“फिर क्या हुआ ? तुम बार्डर पार करके चुपचाप बार्डर के दहाने पर पहुंच जाओ । सुनील के वहां से बाहर निकलते ही तुम उसे शूट कर देना और वापिस लौट आना ।”
“जी ।”
“डरते हो ?”
“मेरा कन्धा घायल है ।”
“कोई फर्क नहीं पड़ता । यह काम तुम्हें करना पडेगा ।”
“भारतीय सैनिक मुझे पकड़ लेंगे ।”
“भारतीय सैनिक बार्डर से बहुत दूर हैं । अगर तुम सावधानी से काम लोगे तो तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा ।”
च्यांग लू चुप हो गया । वह जानता था कि चीफ उसे मौत के मुंह में धकेल रहा था लेकिन आज्ञा पालन के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था । इन्कार की सूरत में भी चीफ उसे जिन्दा नहीं छोड़ने वाला ।
“लेकिन सर” - मेजर बोला - “अभी बार्डर से पार जाना सम्भव नहीं है ।”
“क्यों ?”
“जब तक बारूद की सुरंगे नहीं हटाई जायेंगी कोई उस क्षेत्र में कदम नहीं रख सकता ।”
चीफ कुछ क्षण चुप रहा और फिर बोला - “च्यांग लू बारूद की सुरंगों वाले क्षेत्र में कदम रखे बिना ऊपर से गुजर जायेगा ।”
“कैसे ।” - च्यांग लू के मुंह से निकला ।
“मेजर ।” - चीफ बोला - “तारों की बाड़ में से बिजली का प्रवाह बन्द करवा दो । एक बड़ा सा रस्सा लाओ उसके दूसरे सिर पर एक मजबूत हुक लगाकर उसे वाच टावर से बाड़ की ओर फेंको । हुक के तारों में फंस जाने के बाद रस्सा कस दो । च्यांग लू उस रस्से के सहारे बारूद की सुरंगों से पार पहुंच जायेगा ।”
च्यांग लू के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं ।
“मेरा कन्धा घायल है ।” - वह भयभीत स्वर से बोला - “रस्से के सहारे मैं पार नहीं जा पाऊंगा । रस्से से मेरा हाथ छूट गया तो मैं बारूद की सुरंगों पर जा गिरूंगा ।”
“तुम कोशिश करो ।” - चीफ विषैले स्वर से बोला - “अगर रस्से से तुम्हारा हाथ छूट गया तो मैं दूसरा आदमी भेज दूंगा ।”
च्यांग लू चुप हो गया । विवाद बेकार था । चीफ उसकी जान लेने पर तुला हुआ था ।
चीफ के निर्देशानुसार लोहे का हुक लगी लम्बी रस्सी लाई गई । एक सैनिक ने वाच टावर से रस्सी का हुक वाला सिरा बाड़ की ओर उछाला । हुक तारों में नहीं फंसा ।
पांच छः प्रयत्नों के बाद हुक तारों में फंस गया रस्सी के दूसरे सिरे को कस कर वाच टावर के खम्बे से साथ बांध दिया गया । रस्सा अखिरी कंटीली बाड़ और वाच टावर के बीच में फंस गया ।
“तुम्हारे पास रिवाल्वर है ?” - चीफ ने पूछा ।
च्यांग लू ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया ।
“यह लो ।” - चीफ एक आटोमैटिक रिवाल्वर उसकी ओर बढाता हुआ बोला ।
च्यांग लू ने रिवाल्वर लेकर पतलून की बैल्ट में खोंस ली । चीफ के संकेत पर उसने रस्सा पकड़ा और उसके सहारे टावर से बाहर लटक गया । रस्से को मजबूती से थामे वह धीरे धीरे आगे सरकता रहा । उसका घायल कन्धा बुरी तरह दुखने लगा था । च्यांग लू अपनी घायल कन्धे वाली बांह को बहुत कम इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा था । मुख्यतः वह अपनी दाईं बांह और दोनों टांगों के सहारे ही आगे बढ रहा था । रह रह कर उसके घायल कन्धे से सारे शरीर में दर्द की लहर सी दौड़ जाती थी और उसे यूं लगता था जैसे अभी रस्सी से उसकी पकड़ छूट जायेगी । मन ही मन चीफ तांग फान सी और अपने देश को हजार-हजार गलियां देता हुआ वह आगे सरकता जा रहा था ।
बाड़ के समीप उसके वजन से रस्सा इतना नीचे लटक गया था कि रह रह कर उसकी पीठ जमीन के साथ छू जाती थी और उसके प्राण कांप जाते थे । उसके शरीर का जमीन पर वजन पड़ने से अगर कोई बारूद की सुरंग फट गई तो उसके शरीर की धज्जियां उड़ जायेंगी ।
उसकी तकदीर अच्छी थी । वह सुरक्षित कंटीली तारों की बाड़ तक पहुंच गया । बाड़ की तारों पर पांव रख कर वह दूसरी ओर कूद गया ।
फ्रन्टियर पर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था । कहीं कोई भारतीय सैनिक दिखाई नहीं दे रहा था ।
च्यांग लू अपने पैरों पर सम्भल कर खड़ा हो गया । उसने अपने घायल कन्धे को छुआ । ताजे जख्म में से खून रिसने लगा था और कन्धा जोर-जोर से दुखने लगा था ।
च्यांग लू दांत भींचे उस ओर बढा जिधर खान की तीसरी सुरंग का मुंह था ।
***
सुनील और अजरा गमाल वापिस सुरंग में घुस गये ।
बाहर से चीख पुकार की आवाजें अभी आ रही थी ।
सुनील ने उसका हाथ थामा और उसे अपने साथ खींचता हुआ बोला - “चलो ।”
लेकिन अजरा गमाल ने अपना हाथ छुड़ा लिया और धम्म से जमीन पर बैठ गई । उसने अपनी बांहों में सिर छुपा लिया और सुबकने लगी ।
“पागल हो गई हो क्या ?” - सुनील उसे झिंझोड़ कर बोला ।
“अब कहीं जाने से कोई फायदा नहीं” - अजरा गमाल रोती हुई बोली - “वे लोग हमें पकड़ लेंगे ।”
“अभी उन्हें हम तक पहुंचने में डेढ दो घन्टे लगेंगे । उतने समय में हम भाग निकलने की कोशिश कर सकते हैं ।”
“लेकिन अब रास्ता कौन सा है ? हम तो यहां चूहों की तरह फंस गये हैं ।”
सुनील कुछ क्षण चुप रहा और फिर दृढ स्वर से बोला - “मैं पानी की सुरंग वाले रास्ते से आगे बढने की कोशिश करूंगा ।”
“तुम्हारा दिमाग फिर गया । वह तो सीधा साधा मौत का रास्ता है ।”
“यहां बैठे बैठे मौत का इन्तजार करने से जिन्दा रह पाने की कोशिश में मरना ज्यादा अच्छा है । मेरी तो जब तक सांस चलती रहेगी । मुझे तब तक बच निकलने की आस रहेगी । शायद उस सुरंग की हवा इतनी विषैली न हो जितनी चेन पियाओ ने कही थी । शायद चूहे भी उतने खतरनाक न हो जितने चेन पियाओ समझता था । मैं उस सुरग के रास्ते तैर कर निकल जाने की कोशिश जरूर करूंगा । उठो ।”
अजरा गमाल अपने स्थान से नहीं हिली ।
“तुम मेरे साथ चलती हो या नहीं ?” - सुनील ने पूछा ।
“मैं चूहों का भोजन नहीं बनना चाहती ।”
“अगर तुम यहां रही तो चीनियों के हाथों में पड़ जाओगी ।”
“चूहों का भोजन बनने से यह ज्यादा अच्छा है ।”
“ओके दैन ।” - सुनील बोला और उसने रिवाल्वर निकाल ली ।
अजरा गमाल की रिवाल्वर पर नजर पड़ी । वह विस्फारित नेत्रों से सुनील की ओर देखने लगी ।
“अगर नास्तिक नहीं हो तो भगवान को याद कर लो” - सुनील बोला - “मैं तुम्हें यहां चीनियों के हाथ में पड़ने के लिये जिन्दा छोड़ कर नहीं जा सकता । तुम्हें चीन में मौजूद हमारे कई भेदियों की जानकारी है । अगर तुम पकड़ी गई तो वे सब पकड़े जायेंगे । तुम्हारा चीनियों के हाथ में पड़ जाना हमारी इन्टेलीजेंस के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकता है ।”
और सुनील ने रिवाल्वर उसकी ओर तान दी ।
“नहीं, नहीं” - अजरा गमाल दहशत भरे स्वर से चिल्लाई - “गोली मत चलाना ।”
“सॉरी” - सुनील बोला - “इसके अतिरिक्त और कोई चारा नहीं है ।”
“मैं... म.. मैं... तुम्हारे साथ चलती हूं ।”
“जहां तुम्हें मैं ले जाऊंगा, वहां तुम्हारा खूबसूरत शरीर चूहों का भोजन हो सकता है ।”
“मैं तुम्हारे साथ चलूंगी ।”
“उठो फिर ।”
अजरा गमाल उठ खड़ी हुई ।
सुनील ने रिवाल्वर जेब में रख ली । उसने चेन पियाओ द्वारा छोड़ी हुई मशीनगन उठा ली और फिर अजरा गमाल की ओर हाथ बढा दिया । अजरा गमाल ने उसका हाथ थाम लिया । सुनील उसको अपने साथ लगभग घसीटता हुआ तेज कदमों से सुरंग में वापिस चलने लगा ।
अन्त में वे उस गुफा में पहुंच गये जहां तीनों सुरंगे मिलती थी । वे लोग दायें घूमे और पानी वाली सुरंग में चलने लगे ।
“पानी तो यहां कहीं नहीं है ।” - कुछ देर बाद अजरा गमाल बोली ।
“आगे होगा ।” - सुनील ने उत्तर दिया । उसने अपना सिगरेट लाइटर जला लिया और उसके प्रकाश में वे लाग बढने लगे ।
एकाएक गजरा गमाल एक स्थान पर रुक गई । उसने सुरंग की दीवार का सहारा ले लिया और हांफती हुई बोली - “मैं बहुत थक गई हूं । मुझसे और नहीं चला जाता ।”
“तुम थोड़ी देर यहीं बैठकर आराम कर लो” - सुनील बोला - “मैं आगे का रास्ता देखकर आता हूं ।”
“नहीं” - अजरा गमाल ने उसकी बांह पकड़ ली - “मुझे अकेली छोड़कर मत जाओ ।”
“घबराओ मत” - सुनील अपनी बांह छुड़ाता हुआ बोला - “मैं अभी लौटकर आता हूं ।
अजरा गमाल चुप रही । वह जमीन पर बैठ गई ।
सुनील लाइटर के प्रकाश में आगे बढा । अभी वह कुछ ही दूर गया था कि उसे अजरा गमाल की आतंकित आवाज सुनाई दी । वह उसे पुकार रही थी । सुनील दौड़ता हुआ वापिस उसके समीप पहुंचा ।
“क्या हुआ ?” - वह घुटनों के बल उसके समीप बैठता हुआ बोला ।
“मुझे अंधेरे में अकेले डर लगता है” - वह बोली और जोर से उसके साथ लिपट गई - “सुनील, खुदा के लिये मुझे अकेले छोड़कर मत जाओ ।”
सुनील ने अपना माथा ठोक लिया । उसने पहली बार गम्भीरता से महसूस किया कि अजरा गमाल को सम्भालना उसके लिये भारी मुसीबत का विषय बनने लगा था ।
वह अजरा गमाल की बगल में बैठ गया । उसने लाइटर बुझा दिया ।
लगभग आधे घण्टे बाद उसने लाइटर दुबारा जलाया ।
“उठो” - वह बोला - “काफी आराम हो गया ।”
वह उठा और उसने अजरा को भी सहारा देकर उठाया ।
वे फिर आगे बढने लगे ।
ज्यों-ज्यों वे आगे बढते जा रहे थे, सुंरग के वातावरण में घुटन और दुर्गन्ध बढती जा रही थी । शीघ्र ही उन्हें वातावरण में सीलन का आभास होने लगा और उन्हें तेल की गन्ध आने लगी ।
“हम लोग पानी के समीप पहुंच रहे हैं ।” - सुनील बोला ।
अजरा गमाल चुप रही । वह उसके कन्धे का सहारा लिये आगे बढती रही ।
एक स्थान पर सुनील ठिठक गया ।
उसने देखा, सुरंग की दीवार के साथ-साथ पांच छः तेल के ड्रम पड़े थे । सुनील उनके समीप पहुंचा । उसने एक ड्रम को हिलाकर देखा । ड्रम खाली था । इसी प्रकार उसने बाकी ड्रमों को भी चैक किया ।
सारे ड्रम खाली थे । उनके मुंह पर मजबूती से ढक्कन लगे हुये थे ।
सुनील के मन में एक नई आशा का संचार होने लगा । खाली तेल का ड्रम पानी पर तैर सकता था । शायद वे इन खाली ड्रामों की सहायता से सुंरग पार करने में सफल हो जायें ।
वह अजरा गमाल के साथ फिर आगे बढा । दस पन्द्रह मीटर बाद ही उन्हें रुक जाना पडा । वहां सुरग का फर्श एक दम झोल खा गया था और आगे की सारी सुरंग गन्दे काले, दुर्गन्धपूर्ण पानी से भरी हुई थी । पानी से इतनी दुर्गन्ध निकल रही थी कि दोनों को उबकाइयां आने लगी । अजरा गमाल ने घबराकर मुंह फेर लिया ।
सुनील कुछ क्षण आगे पानी से भरी सुंरग देखता रहा और फिर वापिस लौटा । अजरा भी उसके पीछे टिक गई ।
“अब भगवान के लिये थोड़ी देर के लिये एक स्थान पर टिक जाओ ।” - सुनील कड़े स्वर से बोला ।
अजरा गमाल ने कुछ कहने के लिये मुंह खोला लेकिन फिर चुप हो गई । वह सहमी सी दीवार के साथ लगकर खड़ी हो गई ।
सुनील तेल के खाली ड्रमों के पास पहुंचा । उसने एक ड्रम को जमीन पर गिरा लिया और उसे लुढकाता हुआ पानी के समीप ले आया ।
अजरा गमाल बिना एक शब्द बोले दीवार के साथ लगी खड़ी रही ।
सुनील वापिस ड्रमों के समीप पहुंचा । उसने दूसरे ड्रम की ओर हाथ बढाया । उसी क्षण कोई भारी सी चीज उसके आगे आकर गिरी । सुनील घबरा गया । घबराहट में उसके हाथ से लाइटर छूट गया और जमीन पर गिर गया ।
उसी क्षण अजरा गमाल की चीख से सुंरग गूंज गई । वह अन्धेरे में भागती हुई आई और सीधी सुनील से आ टकराई । सुनील ने उसे जबरदस्ती अपने से अलग किया और फिर नीचे बैठ कर जमीन टटोलने लगा । थोड़ी देर बाद लाइटर उसके हाथ में लग गया । उसने लाइटर को दुबारा जलाया और अजरा गमाल की ओर देखा । अजरा गमाल का चेहरा भय और आतंक से सफेद पड़ गया था ।
सुनील ने देखा उनसे थोड़ी दूर जमीन पर एक बिल्ली जैसा मोटा चूहा बैठा था और अपनी गोल-गोल आंखों से उसकी ओर देख रहा था ।
सुनील ने जोर से जमीन पर पांव पटका । चूहा भागा और जाकर पानी में घुस गया ।
“घबराओ मत । चूहा था ।” - सुनील सांत्वनापूर्ण स्वर से बोला ।
“हे भगवान !” - अजरा गमाल कांपती हुई बोली - “वह चूहा था या हाथी । मुझे तो यू लगा था जैसे मेरे पैरों पर मन भर का पत्थर आकर गिरा हो ।”
“अब अपने आपको सम्भालो और लाइटर पकड़ लो ।” - सुनील बोला ।
अजरा गमाल ने जलता हुआ लाइटर अपने हाथ में थाम लिया ।
सुनील फिर दूसरे ड्रम की ओर बढा । उसने ड्रम को जमीन पर गिरा दिया । उसी क्षण उसकी दृष्टि उस स्थान पर पड़ी जहां से उसने दूसरा ड्रम हटाया था । उसके नेत्र चमक उठे । वहां एक रस्सी का मोटा गुच्छा पड़ा था ।
“डार्लिंग” - सुनील तनिक उत्साहपूर्ण स्वर से बोला - “लगता है तकदीर साथ देने लगी है ।
“कैसे ?”
सुनील ने रस्सी के गुच्छे की ओर संकेत किया ।
“इसका क्या होगा ?”
“इस रस्सी से हम तीन खाली ड्रमों को एक साथ बांध लेगे और फिर एक शानदार नाव तैयार हो जायेगी । इस नाव की वजह से हमारा सफर बड़ा आसान हो जायेगा ।”
“लेकिन क्या ये ड्रम पानी पर तैर जायेंगे ?”
“जरूर तैरेंगे ।”
“और हमारा वजन भी सम्भाल लेंगे !”
“एक साथ बन्धे हुये तीन ड्रम हमारा वजन जरूर सम्भाल लेंगे ।”
अजरा गमाल के नेत्रों में आशा की क्षीण सी चमक उभर आई ।
सुनील और दो ड्रमों को लुढका का पानी के किनारे ले आया । फिर उसने रस्सी द्वारा तीनों ड्रमों को बड़ा मजबूती से एक दूसरे के साथ बांध किया । सुनील ने धीरे से बन्धे हुये ड्रमों को पानी में उतार दिया । उसने ड्रमों की एक ओर की रस्सी को मजबूती से थामे रखा ताकि वे किनारे से लगे रहें । फिर उसने अजरा गमाल को ड्रमों पर सवार होने का संकेत किया ।
“मेरा दिमाग बदबू से फटा जा रहा है ।” - अजरा गमाल बोली ।
“फालतू बातों में वक्त बरबाद मत करो ।” - सुनील तीव्र स्वर से बोला ।
अजरा गमाल ड्रमों पर सवार हो गई ।
“लेट जाओ । ताकि तुम्हारा वजन तीनों ड्रमों पर रहे ।”
अजरा ड्रमों पर पेट के बल लेट गई ।
फिर सुनील भी ड्रमों पर सवार हो गया । दोनों के वजन से ड्रम तीन चौथाई पानी में डूब गये । ड्रमों की वह किश्ती थोड़ी सी हिली और फिर स्थिर हो गई ।
“ये आगे कैसे बढेंगे ?” - अजरा गमाल बोली ।
“उसका भी इन्तजाम करता हूं ।” - सुनील बोला । उसने लाइटर को जला कर रस्सियों के बीच में एक जगह फंसा दिया फिर उसने अपने दोनों हाथों में मशीन गन को उल्टी ओर से पकड़ लिया और उसे चप्पू की तरह पानी में चलाने लगा ।
ड्रमों का बजरा बढने लगा ।
सुनील मशीन गन को चप्पू की तरह पानी में चलाता रहा लेकिन शीघ्र ही उसे महसूस हुआ कि वह सिलसिला अधिक देर तक नहीं चल सकता था । मशीन गन बहुत भारी थी । शीघ्र ही सुनील की पीठ और कन्धे बुरी तरह दुखने लगे । उसने मशीन गन को पानी से बाहर खींच लिया और ड्रमों पर रख दिया ।
लगभग तत्काल ही ड्रम पानी में रुक गये ।
“हाथों को चप्पू की तरह इस्तेमाल करना पड़ेगा ।” - सुनील बोला - “तुम पानी में हाथ चलाओ ।”
उस पानी में हाथ डालने के विचार मात्र से ही अजरागमाल के शरीर में झुरझुरी दौड़ गई ।
“ओह कम आन ।” - सुनील झल्ला कर बोला - “यह नखरे करने का मौका नहीं है ।”
अजरा गमाल ने अपना एक हाथ पानी में डाल दिया और पानी को पीछे धकेलने लगी । दूसरी ओर से सुनील भी यही कर रहा था । बजरा फिर धीरे धीरे आगे बढने लगा ।
आधे घन्टे तक वे यूं ही ड्रमों के बजरे को खेते रहे, अजरा गमाल की बांह बुरी तरह दुखने लगी लेकिन उसने प्रयत्न करना नहीं छोड़ा । आगे सुरंग का मुंह तंग होता जा रहा था और हवा में घुटन और बदबू बढती जा रही थी । कठिन परिश्रम और दुर्गन्धपूर्ण हवा में सांस लेने की वजह से अजरा गमाल की सांसें उखड़ने लगी थीं ।
“थोड़ी देर आराम कर लो ।” - सुनील सहानुभूतिपूर्ण स्वर से बोला ।
अजरा गमाल ने अपना हाथ पानी में से निकाल लिया । उसी क्षण पानी में से एक बड़ा सा चूहा हवा में उछला और भड़ाक से अजरा गमाल की बगल में ड्रम पर आकर गिरा ।
अजरा गमाल के मुंह से चीख निकली और वह पलट कर सुनील से आ टकराई । ड्रमों का बजरा बुरी तरह आन्दोलित हो उठा । चूहा फौरन ड्रम पर से पानी में कूद गया ।
उसी क्षण सुनील को लगा जैसे उसके पानी में चलाते हाथ को किसी गर्म चीज ने चुआ हो । सुनील ने फौरन अपना हाथ पानी में से खींच लिया और आंखें फाड़ कर पानी में झांका एक चूहे की जुगनुओं की तरह चमकती आंखें उसे अपनी ओर घूरती दिखाई दीं ।
पानी मोटे मोटे चूहों से भरा पड़ा था । कितने ही चूहे ड्रमों पर चढने का उपक्रम कर रहे थे लेकिन ड्रम की गोलाई पर से फिसल जाते थे ।
बजरा चूहों से भरे उस पानी में एक दम रुक गया था उसे आगे चलाने के लिये पानी में हाथ डालना जरूरी था और सुनील जानता था अगर उसने पानी में हाथ डाला तो चूहे उसके हाथ की हड्डी तक नहीं छोड़ेंगे ।
सुनील ने मशीनगन उठा ली और उसे नाल की ओर से पकड़ कर फिर चप्पू की तरह पानी में चलाने लगा ।
बजरा आगे बढने लगा ।
सुनील को अपनी बांहें टूटकर कन्धों से अलग होती महसूस हुई लेकिन वह हाथ चलाता रहा । वह जानता था कि जीवित रह पाने के लिये बजरे को आगे बढाये रखना बहुत जरूरी थी ।
एक मोटा सा चूहा मशीन गन के सहारे नाल तक चढ आया और सुनील के हाथ पर झपटा । सुनील ने अपना एक हाथ मशीनगन से हटाकर दूसरे हाथ पर मार चूहा वापस पानी में जा गिरा ।
लेकिन तब तक एक की जगह दस चूहे मशीन गन के साथ लिपट चुके थे । सुनील ने मशीन गन को पानी से निकाल लिया और उसे जोर से झटक कर चूहे वापस पानी में गिरा दिए । फिर उसने मशीन गन को अपने हाथों में सीधा किया और फिर उसका रुख पानी की ओर करके ट्रीगर उस उंगली रख दी ।
गोलियों की रेट रेट की आवाज से सारी सुरंग गूंज गई । उस बन्द वातावरण में फायरिंग की आवाज यूं लगती थी जैसे तोप के गोले छूट रहे थे । लेकिन उसका बड़ा लाभदायक प्रभाव सुनील को दिखाई दिया । उस भयानक शोर को सुनकर चूहे बजरे से दूर भागने लगे । कुछ ही क्षणों बाद बजरे के आस पास के पानी में एक भी चूहा मौजूद नहीं था ।
चूहे शोर की आवाज से बुरी तरह डर गये मालूम होते थे ।
सुनील ने मशीनगन रख दी और अपना हाथ फिर पानी में डाल दिया । वह अपने हाथ को पानी में चप्पू की तरह चलाने लगा ।
“अजरा !” - वह चिल्लाया - “हाथ चलाओ ।”
आतंक की प्रतिमूति बनी अजरा दूसरी और से पानी में हाथ चलाने लगी ।
बजरा फिर आगे बढ चला ।
लेकिन यह सिलसिला अधिक देर नहीं चल सका । अजरा को अपना हाथ हिला पाना असम्भव लगने लगा । उसने पानी से हाथ खींच लिया और सुबकती हुई बोली - “मुझसे नहीं होता ।”
“थोड़ी देर आराम कर लो ।” - सुनील बोला । खुद उसका भी बुरा हाल था लेकिन वह किसी प्रकार हाथ चलाये जा रहा था ।
अजरा औंधे मुंह ड्रमों पर पड़ी रही और गन्दी हवा में उखड़ी उखड़ी सांसें लेने लगी ।
सुनील हाथ चलाता रहा ।
एकाएक उसे यूं लगा जैसे उसकी पीठ से कोई चीज छुई हो । सुनील ने अपनी पीठ पर हाथ लगाया वहां कुछ नहीं था । वह दुबारा पानी में हाथ चलाने लगा । थोड़ी देर बाद उसने फिर अपने कन्धे पर किसी चीज के स्पर्श का अनुभव किया । सुनील के शरीर में सिरहन दौड़ गई । उसने पानी में से हाथ निकाल लिया । उसने घूमकर ऊपर की ओर देखा । लाइटर के मध्यम प्रकाश मे उसे गुफा की छत एकदम अपने सिर के ऊपर दिखाई दी उस स्थान पर या तो पानी अधिक था और इसलिये ड्रम तैर कर ऊंचे हो गये थे और या फिर सुंरग तंग हो गई थी । सुंरग की छत इतनी नीची आ गई थी कि वह उसे हाथ बढाकर छू सकता था ।
सुनील भयभीत हो उठा । कहीं सुरंग आगे जाकर पानी से एकदम तो ब्लाक नहीं हो गई थी । ऐसी स्थिति में उनकी वही जल समाधि बन जानी निश्चित थी ।
सुनील ड्रमों पर पीठ के बल लेट गया और उसी स्थिति में बड़ी कठिनाई से पानी में हाथ चलाने लगा । नये सम्भावित संकट के बारे में उसने अजरा गमाल को नहीं बताया । उसे भय था कि उसे सुनकर कहीं अजरा गमाल के दिल की धड़कन ही न रुक जाये ।
अजरा गमाल पूर्ववत पेट के बल ड्रमों पर पड़ी रही ।
बजरा धीरे धीरे आगे बढता रहा । ज्यों ज्यों सुरंग का मुंह तंग होता जा रहा था हवा में बदबू और घुटन बढती जा रही थी ।
थोड़ी देर बाद सुरंग की छत इतनी नीची हो गई कि सुनील लेटे लेटे ही उसे हाथ उठा कर छू सकता था । सुनील ने पानी में से हाथ निकाल लिया और अपने दोनों हाथों को छत पर टिका कर छत को धकेलने लगा । छत को धकेलने से बजरा आगे बढने लगा । उसे पानी में चप्पू की तरह हाथ चला कर चलाने के मुकाबले में अब उसकी रफ्तार भी बढ गई थी ।
सुंरग और तग होती चली गई ।
उसी क्षण लाइटर बुझ गया और सुंरग में एक दम गुप्प अंधेरा छा गया ।
अजरा गमाल ने एक झटके से अपना सिर उठाया । उसका सिर भड़ाक से सुंरग की छत से जा टकराया । उसके मुंह से एक चीख निकली और और वह फिर ड्रमों पर लोट गई । ड्रमों का बजरा बुरी तरह डगमगा गया ।
“सम्भल के !” - सुनील चिल्लाया ।
अजरा गमाल शान्त हो गई ।
“ड्रमों से चिपकी लेटी रहो” - सुनील बोला - “सिर मत उठाना । यहां छत बहुत नीची है ।”
“अंधेरा क्यों हो गया ?” - अजरा गमाल भयभीत स्वर से बोली ।
सुनील ने लाइटर उठा लिया । सुनील ने लाइटर को दुबारा जलाने की कोशिश की लेकिन उसमें केवल चिंगारियां फूट कर रह गई । उसने लाइटर को कान के पास लगा कर हिलाया फिर उसने लाइटर को जेब में डाल लिया ।
“लाइटर में पट्रोल खतम हो गया है ।” - सुनील ने बताया ।
“अब क्या होगा ?”
“होना क्या है ? कुछ नहीं होगा । जो कुछ हो रहा है उससे बुरा और क्या हो सकता है ? अगर तुम्हें अन्धेरे से बहुत डर लग रहा है तो आंखें बन्द कर लो ।”
अजरा गमाल चुप हो गई ।
सुनील कच्चे जख्म की तरह दुखते हाथों से छत को धकेलता रहा । बजरा आगे बढता रहा ।
फिर सुरंग की छत ऊंची उठने लगी ।
थोड़ी देर बाद सुनील ने अनुभव किया कि ड्रमों पर लेटे लेटे उसके हाथ छत तक नहीं पहुंच रहे थे । सुनील घुटनों के बल बैठ गया और दुबारा दोनों हाथों से छत को धकेलने लगा । थोड़ी देर बाद फिर छत उसकी पहुंच से बाहर हो गई । वह ड्रमों पर खड़ा हो गया । ड्रम बुरी तरह डगमगाने लगे । उसने सावधानी से अपने आप को ड्रमों पर बैलेंस किया और फिर छत को धकेलने लगा ।
बजरा आगे बढता रहा ।
थोड़ी देर बाद सुंरग की छत इतनी ऊंची हो गई कि सुनील को अपनी एड़ियां उठा कर भी छत को छुपना असम्भव हो गया ।
उसी क्षण ताजी और ठन्डी हवा का एक झोका उसके शरीर से टकराया ।
सुनील के सारे शरीर मे हर्ष की लहर दौड़ गई । वह फौरन ड्रमों पर बैठ गया और पागलों की तरह अजरा गमाल के शरीर को झिझोड़ता हुआ बोला - “अजरा ! अजरा ! बच गये । हम सुरंग के सिरे पर पहुंच रहे हैं ।”
ताजी हवा को अजरा गमाल ने भी अपने शरीर पर अनुभव किया । वह उठकर बैठ गई और लम्बी-लम्बी सी सांसे लेने लगी ।
“ओह सुनील !” - एकाएक वह सुनील से लिपट गई और जोर जोर से रोने लगी ।
“शान्त हो जाओ” - सुनील उसका सिर थपथपाता हुआ बोला - “और पानी में हाथ चलाओ वर्ना हमारी यह किश्ती यहां अटकी रह जायेगी ।”
अजरा गमाल सुनील से अलग हट गई । आंखों में आंसू और होंठों पर मुस्कराहट लिये एक नये उत्साह के साथ वह पानी में दुबारा हाथ चलाने लगी ।
थोड़ी देर बाद ड्रमों के किसी सख्त चीज से टकराने की आवाज आई और फिर वे स्थिर हो गये ।
सुनील ने ड्रमों से आगे अन्धकार में हाथ बढाया । उसके हाथ पथरीले धरातल से छू गये । उसने जमीन को और टटोला ।
आगे पानी नहीं था ।
वह ड्रमों से उठ खड़ा हुआ । उसने सावधानी से बजरे से बाहर आगे कदम रख दिया । उसने अपने पैरों के नीचे पक्की जमीन का अनुभव किया । वह सावधानी से कदम बढाता आगे बढने लगा । आगे कहीं पानी का निशान नहीं था । सौ कदम बाद ही उसे सुरंग का मुंह दिखाई दे गया । उसने सुरंग के मुंह के एकदम नीचे खड़े होकर ऊपर झांका । सुंरग के मुंह पर उगी झाड़ियों में से उसे तारों भरे आसमान के दर्शन हो गये । उसने आंखें बन्द कर ली । उसके होंठों पर मुस्कराहट आ गई । उसने छुटकारे की एक गहरी सांस ली ।
कई क्षण वह पत्थर के बुत की तरह स्थिर वहीं खड़ा रहा । फिर वह वापिस लौटा ।
अनुमान से पानी के किनारे पर पहुंच कर उसने अजरा को पुकारा ।
“हां” - एकदम समीप से उसे अजरा गमाल की आवाज सुनाई दी - “सुनील !”
“मेरा हाथ थामो ।” - सुनील ने अन्धकार में अपना हाथ आगे बढाते हुये कहा ।
अजरा गमाल ने हवा में अपने हाथ फैलाये । शीघ्र ही उसका हाथ सुनील के हाथ से टकरा गया । सुनील ने उसे सहारा देकर ड्रमों के बजरे से नीचे उतार लिया ।
“हम चीनी अजगर के मुंह से निकल आये हैं, डार्लिंग ।” - सुनील उत्साहपूर्ण स्वर से बोला - “अब हम भारत में हैं ।”
“ओह सुनील ! ओह सुनील !” - अजरा गमाल बोली । उसके मुंह से कोई दूसरा शब्द नहीं निकला । वह सुनील के कन्धे पर अपना पूरा बोझ डाले कुछ कदम आगे बढी । फिर एकाएक सुनील के कन्धे से उनकी पकड़ छूट गई और वह धड़ाम से जमीन पर आ गिरी ।
“सुनील !” - वह धीरे से बुदबुदाई और फिर उसके नेत्र बन्द कर लिये ।
सुनील उसकी बगल में बैठ गया । उसने अजरा गमाल को धीरे से झिंझोड़ा । अजरा गमाल के मुंह से एक हल्की सी कराह निकली । सुनील ने उसके दिल पर हाथ रख दिया । दिल की धड़कन ठीक चल रही थी । सुनील समझ गया अजरा गमाल इतनी ज्यादा थक चुकी थी कि चलना तो दूर अब उसमें बोलने की भी हिम्मत नहीं रही थी ।
सुनील भी धीरे से उसकी बगल में लेट गया । उसने अपने नेत्र बन्द कर लिये ।
दोनों निर्जीव से उस गुफा में पड़े थे । दोनों की शक्ति का तिल-तिल खर्च हो चुका था ।
***
आरम्भ में च्यांग लू को बार्डर का भारत का ओर का इलाका जितना शान्त और सुरक्षित लगा था, वास्तव में उतना वह था नहीं । शीघ्र ही उसे जंगल में भारतीय सैनिकों की उपस्थिति का आभास होने लगा । हाथ में रिवाल्वर थामे, सावधानी की प्रतिमूर्ति बना, पेड़ों की ओट लेता हुआ वह उस ओर बढता रहा जिधर सुरंग का मुंह था ।
सौभाग्यवश वह सुरक्षित सुरंग के मुंह तक पहुंच गया । सुरंग का मुंह जंगली झाड़ियों और पेड़ पौधों से ढका हुआ था । च्यांग लू ने सुरंग के भीतर झांका । भीतर गुप्प अन्धकार के अतिरिक्त उसे कुछ दिखाई नहीं दिया । पहले उसने सुरंग में उत्तर कर भीतर सुनील के आगमन की प्रतीक्षा करने का विचार किया लेकिन शीघ्र ही उसने वह ख्याल छोड़ दिया । उस घुप्प अंधेरे में कदम रखने की उसकी हिम्मत नहीं हुई ।
वह सुरंग के मुंह के समीप ही झाड़ियों में घुस कर बैठ गया और रिवाल्वर हाथ में थामे सुरंग में से सुनील के निकलने की प्रतीक्षा करने लगा । जंगल से उसे भारतीय सैनिकों के घूमने की आवाज आ रही थी । वह झाड़ियों में दुबका हुआ मन ही मन कामना करता रहा कि कोई सैनिक उधर न आ निकले ।
वहां बैठे प्रतीक्षा में गुजरने वाला एक एक क्षण उसे एक एक युग जैसा लग रहा था । वह अपलक सुरंग के मुंह की ओर देख रहा था ।
रात गुजर गई ।
वातावरण में भोर का उजाला फैलने लगा ।
च्यांग लू चिन्तित हो उठा । प्रकाश फैल जाने के बाद उसका भारतीय सैनिकों की निगाहों से छुपकर वापिस बार्डर के पार पहुंच जाना बड़ा कठिन सिद्ध हो सकता था और दिन के प्रकाश में वह अपनी वर्तमान स्थिति में भी छुपा नहीं रह सकता था ।
अब उसे सुनील के उस सुरंग से निकलने की एक प्रतिशत भी आशा नहीं रही थी । उसे विश्वास था कि या तो सुनील ने उस सुरंग के रास्ते भाग निकलने का विचार ही नहीं किया था और अगर उसने ऐसा कोई प्रयत्न किया था तो वह विषैली हवा का या उन भयंकर चूहों का शिकार हो चुका था जिसका उस बूढे चीनी ने जिक्र किया था ।
वह अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ । प्रकाश फैलने से पहले ही उसने बार्डर पार करके चीन की जमीन पर पहुंच जाने का फैसला कर लिया ।
वह आगे बढा ।
सुरंग के मुंह के समीप पहुंचकर उसके मन में ख्याल आया । क्यों न वह एक बार सुरंग के भीतर झांक ले । भोर का मध्यम सा प्रकाश अब सुरंग के भीतर भी पड़ रहा था । च्यांग लू कुछ क्षण हिचकिचाया और फिर सुरंग में उतर गया ।
सुरंग के मुंह से भीतर आते हुये भोर के प्रकाश में सुरंग के भीतर उसे जो दिखाई दिया, उसे देख कर वह हक्का-बक्का रह गया ।
गुफा की ठण्डी पथरी जमीन पर सुनील और अजरा गमाल नीन्द में बेसुध एक दूसरे से लिपटे पड़े थे ।
यह करिश्मा कैसे हो गया ? - च्यांग लू मन ही मन बुदबुदाया । उसका विश्वास करने को जी नहीं चाह रहा था कि वह अपने सामने सुनील और अजरा गमाल को देख रहा था । कई क्षण वह मुंह उठाये उस ओर देखता रहा । कई सवाल उसके मस्तिष्क में हथौड़े की तरह बज रहे थे ।
क्या वह सपना देख रहा था ?
क्या उस चीनी बूढे ने इस सुरंग की दुर्गमता के बारे में झूठ बोला था ?
क्या सुरंग में विषैली गैस नहीं थी ?
क्या उसमें आदमी को खा जाने वाले चूहे नहीं थे ?
फिर उसने अपने सिर को एक जोरदार झटका दिया । और अपना रिवाल्वर वाला हाथ सीधा किया । रिवाल्वर की नाल उसने सुनील की ओर तान दी । उसकी उंगलियां रिवाल्वर के घोड़े पर कस गईं ।
लेकिन वह रिवाल्वर का घोड़ा दबाने के लिये अपने आप को तैयार नहीं कर सका । उसका रिवाल्वर वाला हाथ अपने आप नीचे झुक गया । एक क्षण के लिये उसे चेयर मैन माओ त्से तुंग के सारे उपदेश भूल गये । एक क्षण के लिये वह भूल गया था कि वह पार्टी का सदस्य है और उसका धर्म यही कुछ करना है जो कुछ उसे करने के लिये कहा गया है । एक क्षण के लिये वह भूल गया कि वह चायनीज सीक्रेट सर्विस का एक अंग था और उसके सामने उसका दुश्मन लेटा हुआ था । वह एक क्षण के लिये वह भूल गया था कि चीन तांग फान सी ने उसे एक काम सौंपा है और अगर उसने उसे अन्जाम नहीं दिया तो वह एक दीवार के सहारे खड़ा करके शूट कर दिया जा सकता है । एक क्षण के लिये वह भूल गया कि सुनील उसके देश का शत्रु है और उसे देश के एक शत्रु की हत्या करने का काम सौंपा गया है और इस काम को अन्जाम न देना देश के साथ गद्दारी होगी । उसे याद रहा केवल एक शास्वत सत्य कि उसके सामने सुरंग की पथरीली जमीन पर दीन दुनिया से बेखबर वही आदमी सोया हुआ था जो मौत को भी पराजित करने में सफल हो गया था, जिसने असम्भव को भी सम्भव कर दिखाया था । क्या सुनील एक करिश्मे की तरह मौत की उस सुरंग से इसलिये बाहर निकला था कि बाहर आकर वह उसकी गोली का शिकार होकर चुटकियों में जान दे दे ।
नहीं वह उसे नहीं मारेगा ।
वह चीफ तांग फान सी को कह देगा कि सुनील उस सुरंग से निकलने में सफल नहीं हो सकता था या यह कि वह सुनील और अजरा गमाल को शूट कर आया था ।
वह घूमा और दबे पांव सुरंग के मुंह पर पहुंचा । वह सुरंग से बाहर निकल कर वापिस झाड़ियों में आ गया और फिर सावधानी से बार्डर की ओर बढा ।
जंगल में भारतीय सैनिक घूम रहे थे । वह उन लोगों की निगाहों से बचता हुआ बार्डर की ओर बढ रहा था ।
बार्डर की कटीली तारों वाली बाड़ से वह केवल पचास मीटर दूर रह गया था । उतने टुकड़े के पेड़ पौधे काट दिये गये थे । च्यांग लू ने एक सतर्क दृष्टि अपने चारों ओर डाली और फिर सिर झुका कर तारों की ओर भागा ।
“रुको !” - कोई चिल्लाया - “कौन जाता है ?”
च्यांग लू को भाषा तो समझ नहीं आई लेकिन वह इतना जरूर समझ गया कि भारतीय सिपाही ने उसे देख लिया था और अब वह उसे ललकार कर रुकने का आदेश दे रहा था ।
वह बिना पीछे घूम कर देखे तारों की बाड़ की ओर भागा जा रहा था ।
उसी क्षण मशीन गन की रेट रेट से सारा वातावरण गूंज उठा ।
गोलियों की बाड़ आई और च्यांग लू के अंग अंग को छेदती हुई गुजर गई । च्यांग लू मशीनगन की गोलियों का शिकार तब हुआ था जब वह तारों की बाड़ के एकदम समीप पहुंच गया था । उसका गोलियों से छलनी शरीर सामने की ओर गिरा । और जाकर कटीले तारों में उलझ गया ।
चीनी क्षेत्र में वाच टावर पर खड़ा चीफ तांग फान सी यह सारा दृष्य देख रहा था । उसे इस बात का अफसोस नहीं था कि च्यांग लू उसकी आंखों के सामने कुत्ते की मौत मारा गया उसे अफसोस था तो सिर्फ इस बात का कि च्यांग लू के मर जाने के बाद उसके पास यह जानने का कोई साधन नहीं था कि जो काम च्यांग लू को सौंपा था, वह उसे करने में सफल हुआ था या नहीं ।
मशीनगन चलने की आवाज सुनकर सुनील और अजरा गमाल की नींद खुल गई । सुनील उठकर सुरंग के मुंह पर पहुंचा । उसने सावधानी से सुरंग से सिर निकाल कर बाहर झांका । उसे सारे इलाके में भारतीय सैनिक बिखरे दिखाई दिये ।
सुनील ने फिर वापिस सुरंग में खींच लिया । वह अजरा गमाल के पास पहुंचा ।
“हम अभी बाहर नहीं निकल सकते ।” - वह बोला ।
“क्यों ?” - अजरा गमाल बोली ।
“बाहर कोई गड़बड़ हो गई है । मैंने मशीन गन चलने की आवाज सुनी थी ऐसे में अगर हम बाहर निकले तो मुझे भय है कहीं हम भी गोली से न उड़ा दियें जायें ।”
“फिर ?”
“बाहर शान्ति हो जाने के बाद ही हम बाहर निकलेंगे ।”
“लेकिन... लेकिन मुझे भूख लगी है ।”
“उन चूहों को भी भूख लगी थी तुम्हारा नाजुक शरीर सुरंग में जिनका भोजन बनने से रह गया है । अगर उस सुरंग में तुम नहीं मरी तो विश्वास रखो भूख से भी नहीं मरोगी ।”
अजरा गमाल चुप हो गई ।
चार घन्टे के बाद सुनील सुरंग से बाहर कदम रखने की हिम्मत कर सका । अजरा गमाल उसके पीछे पीछे थी । लगभग फौरन ही वह एक भारतीय सैनिक द्वारा देख लिया गया । सैनिक रायफल उसकी ओर तानकर उसे ललकारा । सुनील ने फौरन अपने दोनों हाथ अपने सिर से ऊपर उठा दिये ।
वे दोनों गिरफ्तार कर लिये गये । तत्काल उन्हें कमांडिंग आफीसर के पास ले जाया गया । कमांडिंग आफीसर ने सुनील की जबानी उनकी कहानी सुनी । कहानी सुन चुकने के बाद उसने यूं आंखें फाड़ फाड़ कर सुनील की ओर देखा जैसे उसके सामने कोई इन्सान नहीं भूत बैठा हो । सुनील ने उससे प्रार्थना की कि वह स्पैशल इन्टैलीजेंस के चीफ कर्नल मुखर्जी से सम्पर्क स्थापित करे । लेकिन कमांडर आफीसर ने कुछ भी करने से पहले जाकर वह सुरंग देखी जिसका सुनील ने जिक्र किया था । सुरंग के दर्शन कर लेने के बाद ही उसे सुनील की कहानी पर विश्वास हुआ ।
उसने संदेश को आगे प्रसारित कर दिया । कई विभागों गुजरती हुई सूचना कर्नल मुखर्जी तक पहुंची कि सुनील नेपाल बार्डर की चौकी पर गिरफ्तार है और उसके साथ अजरा गमाल नाम की एक लड़की है ।
कर्नल मुखर्जी की मशीनरी फौरन हरकत में आगई ।
परिणामस्वरूप शाम तक सुनील और अजरा गमाल को एयरफोर्स के हैलीकाप्टर द्वारा तेजपुर पहुंचा दिया गया । वहां एक एयरफोर्स के प्लेन पर सवार हो कर वे राजनगर पहुंचे ।
कर्नल मुखर्जी एयरपोर्ट पर मौजूद थे उनके साथ प्रतिरक्षा मन्त्रालय का एक बहुत बड़ा अधिकारी था ।
मिलिट्री के एक अधिकारी ने सुनील और अजरा गमाल को उन लोगों को सौंप दिया ।
सुनील की सारी दास्तान सुन चुकने के बाद उनके मुंह केवल एक छोटी सी हुंकार निकली ।
उसकी निगाह में आपरेशन सफल रहा था । मार्क हैरिसन मर चुका था और अजरा गमाल अब चीनियों की पहुंच से बहुत दूर पहुंच चुकी थी ।
समाप्त
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