विराटनगर में ।

अलाइड कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के विशाल आफिस के एक हाल में बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की मीटिंग चल रही थी ।

शमशेर सिंह मैनेजिंग डाइरेक्टर की कुर्सी पर बैठा था । लम्बे–चौडे डील डौल का वह करीब साठ वर्षीय आदमी था । कठोर चेहरे और धूर्त आँखों वाला शमशेर सिंह बड़ा ही दूरदर्शी, सुलझा हुआ और हर तरह के बखेड़ों से निपटने में माहिर था । कम्पनी की आड़ में आर्गेनाइजेशन के लिए वह हमेशा मोटे दाँव लगाता और उसका दांव हमेशा कामयाब रहता था ।

उसने अपने सामने मौजूद हरएक आदमी को गौर से देखने के बाद पूछा–'इस मीटिंग के बुलाए जाने की वजह आप सब जानते हैं ?

–'यस, सर ।' सबने एक साथ कहा ।

–'किसी ने कुछ कहना है ?'

–'यस, सर । विनायक राव बोला–'मैं जिन मेंबर्स को रिप्रेजेंट करता हूँ । लगभग वे सभी अपनी रकम वापस पाना चाहते हैं ।'

–'मेरे साथ भी यही स्थिति है ।' अविनाश मुखर्जी ने कहा ।

शमशेर सिंह ने अपने हाथ परस्पर बांध कर तोंद पर रख लिए ।

–'होटल गगन और उसके आस–पास की जायदाद खरीदने के लिए मनमोहन को कुल दो करोड़ रुपए दिए गए थे । वह बोला–'उसमें पचास, लाख विश्वास नगर से गए थे, पचास लाख बम्बई से पचास लाख कलकत्ता से और पचास लाख यहाँ से गए थे । लेकिन इसमें बीस लाख रुपए के नोट वे निकले जो चन्दन अपहरण कांड में बतौर फिरौती चुकाए गए थे । और सी० आई० डी० ने दो करोड़ रुपए की सारी रकम जब्त कर ली । अब सवाल यह पैदा होता है बीस लाख रुपए निकाल कर उनकी जगह फिरौती की रकम के नोट किसने उस रकम में मिलाए थे ।' सहसा उसका स्वर कठोर हो गया–'मैं जानना चाहता हूं–'वह कौन था !' हमें पता लगाना है–'वह कौन था ।'

कमरे में सन्नाटा छा गया । कोई कुछ नहीं बोला ।

–'शमशेर सिंह की पैनी निगाहें बारी–बारी से उन पर फिसलती रहीं ।'

–'बीस लाख रुपए के वे नोट कहाँ से आए ?' अंत में वह स्वयं ही बोला–'आप में से कोई बता सकता है ?'

सबने सर हिलाकर इंकार कर दिया ।

–'विश्वास नगर के बारे में क्या ख्याल है, कमलकांत ?' शमशेर सिंह ने पूछा–'वहाँ छोटे बड़े सैकड़ों जुआघर हैं । और हर किस्म की हॉटमनी न सिर्फ आसानी से बल्कि बेहद सस्ती कीमत पर भी वहां खरीदी जा सकती है ।'

–'इस मामले में विश्वास नगर बाकी सब शहरों से अलग नहीं है ?' कमलकांत ने पूछा–'क्या बम्बई और कलकत्ता में यह काम नहीं हो सकता ? आखिरकार, वहां भी तो रेस, जुआ वगैरा होते हैं । हॉटमनी की कमी वहाँ भी नहीं है । और फिर विराटनगर को आप क्यों भूल रहे हैं ? क्या सिर्फ इसलिए कि आप यहाँ हैं ? या फिर यहाँ हॉटमनी नहीं है ?'

–'जिन लोगों को मैं रिप्रेजेंट करता हूँ ।' मुखर्जी प्रतिवाद करता हुआ बोला–'उनके पास दो नम्बर का अपना ही इतना पैसा है कि उन्हें हॉटमनी खरीदने की कोई जरूरत नहीं...।'

–'वन मिनट ।' शमशेर सिंह उसे टोकता हुआ बोला–'आप सबकी जानकारी के लिए बताए देता हूँ कि जिन लोगों को आप रिप्रेजेंट करते हैं । उनमें से कोई भी अकेला ऐसा नहीं है जिसने इस सौदे में अकेले ही बीस लाख दिए थे । किसी भी अकेले आदमी द्वारा दी गई सबसे बड़ी रकम चौदह लाख रुपए थी । जो विश्वास नगर के जमशेद अली की थी । इसलिए अपने दिमाग से निकाल दो कि आप लोगों के किसी आदमी ने सही रकम की बजाय फिरौती की रकम दी थी । असलियत यही है किसी ने फिरौती की रकम खरीदकर सही नोटों की जगह वे नोट भेजे थे ।'

–'और अगर यह काम हमारे आदमियों ने नहीं किया ।' विनायक राव बोला–'तो इसका मतलब है, हममें से ही किसी ने किया था ?'

–'हाँ ।' शमशेर सिंह बोला ।

–'लेकिन हममें से किसी ने क्यों ऐसा करना था ?' मुखर्जी ने व्याकुलतापूर्वक पूछा ।

–'अपने जाती फायदे के लिए ।' शमशेर सिंह बोला–'बीस लाख की वो हॉटमनी अगर ज्यादा से ज्यादा दस लाख में भी खरीदी गई थी तो भी खरीदार को दस लाख का नेट प्रॉफिट हुआ । क्योंकि उसने उस हॉटमनी के बदले में हमारी रकम से बीस लाख निकाल लिए थे ।

सामने मौजूद तीनों आदमियों के चेहरों पर ऐसे भाव उत्पन्न हो गए मानों वे एक दूसरे पर शक कर रहे थे ।

यह सही था कि बगैर ठोस सबूत, महज शक की बिना पर, उनके खिलाफ एक्शन नहीं लिया जा सकता । लेकिन साथ ही, यह भी उतना ही सही था कि गुनाह साबित हो जाने की सूरत में गुनाहगार का एक ही अंजाम होना था–मौत ।

–'हम लोगों के अलावा मनमोहन को भी तो नोट बदलने को सहुलियत हासिल थी । विनायक राव, लंबी खामोशी के बाद, मत व्यक्त करता हुआ बोला–'हो सकता है, उसी ने यह काम किया था ।'

शमशेर सिंह ने सर हिलाकर इंकार कर दिया ।

–'अगर ऐसा हुआ होता तो उसके पास से रकम बरामद होनी चाहिए थी । लेकिन उसके अपार्टमेंट, बैंक लॉकर वगैरा सब जगह छानबीन करने पर भी न तो मोटी नगद रकम मिली और न ही ऐसा कोई सबूत जिससे पता चले कि दस लाख रुपया उसने कहीं इनवेस्ट कर दिया था ।

–'मनमोहन को ठिकाने लगवाने में आपने बहुत जल्दबाजी, की ।' मुखर्जी बोला–'अगर उससे पूछताछ की जाती तो असलियत पता चल सकती थी ।'

–'मनमोहन के मामले में देर करना खतरनाक था ।' शमशेर ने कहा–'सी० आई० डी० वाले अमरकुमार की जान खा रहे हैं और अमरकुमार हम पर दबाव डाल रहा है । उसने एक खत में हमारे बारे में सब कुछ लिख रखा है–'पैसा कहाँ से और कैसे आता है और उसे किस तरह इनवेस्ट किया जाता है । अब अगर हम अमरकुमार के साथ सख्ती करते या सी० आई० डी० वाले उस पर ज्यादा दबाव डालते तो वह सब कुछ उन्हें बता देता । इस हालत में अमरकुमार की ओर से उनका ध्यान हटाने के लिए हमें मनमोहन को आनन फानन में ठिकाने लगाना पड़ा । अगर इस काम में देर की गई होती तो अब तक एक साथ कई सरकारी महकमों ने हम पर टूट कर सबको दबोच लेना था ।

मुखर्जी की बोलती बंद हो गई ।

–'लेकिन अमरकुमार को इस्तेमाल करने का आइडिया भी तो आप ही का था । कमलकांत ने कहा–'उसे फ्रंटमैन बनाने की सारी योजना आप ही की थी । हमसे तो इस बारे में सलाह तक नहीं ली गई । आपने खुद ही फैसला करके हमें बता दिया । उस रात तुम भी थे न, विनायक ।'

विनायक राव ने सर हिलाकर हामी भर दी ।

–'मैं मानता हूँ, अमरकुमार को बतौर फ्रंटमैन इस्तेमाल करने का आइडिया मेरा ही था ।' शमशेर सिंह बोला–'मगर मेरे इस फैसले पर किसी ने कोई एतराज नहीं किया । अब तक सारा सिलसिला भी सही चलता रहा । लेकिन नोट बदले जाने के चक्कर ने सब गड़बड़, कर दिया । और नोट बदलने का आइडिया मेरा नहीं था उसके स्वर में कड़वाहट आ गई वो आइडिया किसी और का था–'आप तीनो में से किसी एक का ।'

उन तीनों ने यूं एक दूसरे की ओर देखा मानों पूछ रहे थे–'वह कौन था ।

कमलकांत का चेहरा पीला पड़ गया था ।

–'इसीलिए आपने रोशन को मेरे साथ काम करने के लिए भेजा है ।' वह फंसी सी आवाज में बोला–'यानी आपको पूरा यकीन है फिरौती की रकम मेरी भेजी गई रकम में विश्वास नगर से आयी थी ।'

–'अभी मैंने किसी को गुनाहगार नहीं ठहराया है ।' शमशेर सिंह बेमन से बोला–'फिलहाल हम सभी इसमें शामिल हैं । आप लोग चाहें तो मुझ पर भी शक कर सकते हैं । बशर्ते कि आपके पास ऐसा करने की कोई माकूल वजह हो ।' उसने तनिक रुक कर प्रश्नात्मक निगाहों से उन्हें देखा फिर उनमें से, किसी को कुछ कहता न पाकर बोला–'असल मुद्दा है–'फिरौती की रकम और हमें पता लगाना है, वो किसने भेजी थी ।'

मुखर्जी ने अपने खुश्क हो गए होठों पर जुबान फिराई ।

–'मेरे आदमी जानना चाहते हैं उन्हें कब तक रकम वापस मिलेगी ।'

–'जब हम पता लगा लेंगे वो हॉटमनी कहाँ से आई और उसे किसने भेजा था ।'

मुखर्जी ने शमशेर सिंह से निगाहें मिलाने की कोशिश की मगर कामयाब नहीं हो सका ।

–'लेकिन मेरे दो आदमियों केदारनाथ और नारायनदास का कहना है अगर उन्हें पंद्रह दिन में उनकी रकम वापस नहीं मिली तो चेयरमैन और प्रेसीडेंट का दरवाजा खटखटाएंगे ।

शमशेर सिंह ने कमलकांत की ओर देखा ।

–'आपके आदमी क्या कहते हैं ?

–'यही जानना चाहते हैं कि उनकी रकम कब वापस मिलेगी ?'

–'और आपके आदमी, वाडेकर ?'

–'वे भी यही जानना चाहते हैं ।'

–'आप लोग वापस जाकर उन सब को यकीन दिला दीजिए कि पैसा जरूर वापस मिलेगा ।' शमशेर सिंह बोला–'लेकिन तब तक नहीं जब तक मैं पता नहीं लगा लेता कि नोट किसने बदले थे ।'

–'आप उसका पता लगाएंगे कैसे ? कमलकांत ने जानना चाहा ।

शमशेर सिंह ने उसे घूरा फिर उसके होंठ कड़वाहट भरी मुस्कुराहट की मुद्रा में खिंच गए ।

फिरौती की वो रकम चंदन मित्रा के अपहरण की थी । अपहरणकर्ताओं ने फिरौती वसूलने के बाद वो रकम आगे बेच दी । जाहिर है खरीदार को वे जानते हैं । और मुझे यकीन है खरीदार का पता वे जरूर बता देंगे । फिर हम बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की एक और मीटिंग बुलाएंगे और गुनहगार का गुनाह साबित करके उसे सजा देंगे ।'

–'ठीक है ।' कमलकाल अपनी कुर्सी पीछे खिसकाकर बोला–'मैं अपने आदमियों को यह बता तो दूंगा लेकिन मैं नहीं समझता कि वे इसे पसंद करेंगे ।'

–'उन्हें पसन्द करना ही होगा ।' शमशेर सिंह गुर्राकर बोला ।

–'आपके पास दो हफ्ते का वक्त है । मुखर्जी ने कहा–'इस बीच अगर आप नोट बदलने वाले का पता लगा लेते हैं तो ठीक है लेकिन अगर पता नहीं लगा पाए तो इसके लिए हम लोग कतई जिम्मेदार नहीं होंगे । यह आपकी ही योजना थी कि अमरकुमार को फिल्म इंडस्ट्री में ऊँचे मुकाम पर पहुंचाकर उसे बतौर फ्रंटमैन इस्तेमाल किया जाए । और उसके जरिए नंबर दो का वो पैसा इनवेस्ट किया जाए जिसे हम खुद अपने लिए इनवेस्ट नहीं कर सकते । अगर मेरा विचार गलत नहीं है तो इस तरह आपने एक प्रकार से गारंटी दे दी थी कि इस मामले में किसी भी तरह की गड़बड़ के लिए भी आप ही जिम्मेदार होंगे । अब क्योंकि गड़बड़ हो चुकी है तो उससे निपटना भी आप की ही सरदर्दी है । हम लोगों के आदमियों को इससे कोई मतलब नहीं है गड़बड़ क्यों हुई, कैसे हुई या किसने की ।' वे सिर्फ अपने नुकसान की भरपाई चाहते हैं ।' उसने अपने साथियों पर निगाह डाली–'ठीक है ?'

–'हाँ ।' शेष दोनों ने एक साथ कहा ।

–'ओके ।' मुखर्जी ने शमशेर की ओर देखा–'अब बात साफ हो गई । आप कुछ और कहना चाहते हैं ?'

शमशेर सिंह कई पल खामोशी से उसे घूरता रहा, फिर कहा–'मीटिंग खत्म की जाती है ।

कमलकांत और मुखर्जी उठ कर खड़े हो गए ।

–'गुडबाई एन्ड गुड लक, सर ।' मुखर्जी ने कहा और कमलकांत सहित बाहर निकल गया ।

शमशेर सिंह ने कुर्सी की पुश्त से पीठ सटाकर आँखें बंद कर लीं । वह गहरी सोच में फंसा नजर आ रहा था ।

विनायक राव उठकर खिड़की के पास जा खड़ा हुआ ।

–'अमरकुमार के लफ़्ड़े में पड़ने का आइडिया मुझे शुरू से ही पसंद नहीं था !' वह बाहर देखता हुआ बोला–'मैंने उस रात भी आपसे यही कहा था । इस किस्म के आदमियों के साथ धंधा नहीं किया जा सकता । क्योंकि शोहरत पाते ही इनका दिमाग खराब हो जाता है ।'

शमशेर सिंह ने आँखें खोली ।

–'नोट बदलने वाला अमरकुमार नहीं था, वाडेकर ।' वह बोला–'इस तरह की इन्वेस्टमेंट के तरीके से तुम बखूबी वाकिफ हो । उसने तो रकम देखी तक नहीं थी । रकम सीधी मनमोहन के पास पहुंची थी और उसने वो होटल के मालिकों को सौंप दी थी.....।'

–'अमरकुमार ने कैसे यह किया, मैं नहीं जानता । लेकिन मेरे विचार से यह उसी का काम था । आपने खुद बताया है कि उसने हमारा सारा कच्चा चिट्ठा लिख रखा है । अगर उसका वो खत पुलिस, सी० आई० डी० वगैरा में से किसी के हाथ पड़ गया तो आपका, मेरा–हम सबका पुलंदा बंध जाएगा ।

–'अमरकुमार, निहायत डरपोक किस्म का आदमी है । वक्त आने पर उससे तो हम निपट लेंगे । लेकिन अब सबसे पहला काम है–'नोट बदलने वाले का पता लगाना । मैं जानता हूं, मैंने यह काम नहीं किया ।' शमशेर सिंह ने गौर से उसे देखा–'इस तरह सिर्फ तीन आदमी बाकी बचते हैं–तुम, कमलकांत और मुखर्जी । और मुझे पता लगाना है–तुम तीनों में से किसका यह काम था ।'

–'आप मुझ पर शक कर रहे हैं ?' विनायक राव ने पलट कर पूछा ।'

–'नहीं, मुझे तुम तीनों पर शक है । मगर बिना ठोस सबूत मैं कुछ नहीं कर सकता । लेकिन सबूत मिलने पर गुनाहगार का क्या अंजाम होगा । यह तुम सब जानते हो ।'

विनायक राव ने कुछ नहीं कहा । वह पुनः पलटकर खिड़की से बाहर देखने लगा ।