होम्बी बेड जैसी जगह पर बैठी अपने काले बाल फैलाए, उनमें कंघी फेर रही थी। ऐसा करते समय उसके गालों पर लटकता मांस हिल रहा था।

उसकी आंखें एकटक सामने की दीवार को देख रही थीं।

“आ गई।” होम्बी बुदबुदा उठी –“मैं जान चुकी थी कि ओमारू कि तू ही उसे लेकर मेरे पास आएगा।”

चंद पल बीते कि होम्बी के कानों में कदमों की आहटें पड़ने लगी।

होम्बी के चेहरे पर बेहद शांत भाव थे।

तभी दरवाजे जैसी जगह पर आहट हुई और ओमारू ने भीतर प्रवेश करते हुए कहा।

“जादूगरनी। रानी ताशा तुमसे मिलने आई है।”

होम्बी ने ओमारू को देखा, परंतु खामोश रही।

तभी रानी ताशा ने भीतर कदम रखा।

होम्बी ने उसे देखा। बालों पर कंघी करती रही।

रानी ताशा के चेहरे पर मुस्कान छाई थी।

“तुम्हारी बहुत बातें सुनी थी होम्बी।” रानी ताशा कह उठी –“तुमसे मिलकर खुशी हुई।”

होम्बी ने कुछ नहीं कहा।

“क्या होम्बी मुझसे नाराज है?” रानी ताशा ने पूछा।

इसी पल सोमाथ ने भीतर कदम रखा।

होम्बी की निगाह सोमाथ पर जा टिकी। उसे ध्यानपूर्वक देखा। फिर ओमारू से बोली।

“तू जा।”

“पर मैं यहां रहना चाहता हूं जादूगरनी।” ओमारू कह उठा।

“जा तू।” होम्बी के स्वर में इस बार आदेश के भाव थे।

ओमारू खामोशी से बाहर निकल गया।

“तेरा नाम सोमाथ है।” होम्बी बोली –“तू सबसे खतरनाक है। तू इंसान नहीं, धातु और तारों का बना है। तेरे में कृत्रिम दिमाग बनाकर डाला गया है। पर तू हर काम में सबसे आगे है।”

रानी ताशा के चेहरे पर हैरानी के भाव उभरे।

“तू बबूसा का मुकाबला कर लेगा? होम्बी ने पुनः कहा।

“मैं उसे मार दूंगा।”

“मैं तेरा भविष्य देख रही हूं। परेशानी और कठिनाइयां बहुत हैं।” होम्बी शांत स्वर में बोली।

“तुम तो सच में जादूगरनी हो। तुमने सोमाथ के बारे में जान लिया।” रानी ताशा कह उठी।

“तू।” होम्बी ने रानी ताशा को देखा –“राजा देव को लेने आई है तू।”

“हां।” रानी ताशा पैनी निगाहों से होम्बी को देख रही थी।

“और क्या करना चाहती है तू?”

“और?”

“क्या है तेरे मन में? मुझसे मत छिपा। सब जानती हूं मैं कि तेरे इरादे क्या हैं।”

“क्या हैं मेरे इरादे?” रानी ताशा बोली।

“ये पूछकर तू मेरा इम्तिहान ले रही है। क्या तुझे मुझ पर विश्वास नहीं?” होम्बी का स्वर शांत था।

“बता, क्या इरादे हैं मेरे?” रानी ताशा ने पूछा।

“बुरे इरादे हैं। दोस्त बनकर आई है और दुश्मनों से भी बुरा बर्ताव करने का तेरा इरादा है।” होम्बी बोली –“इस जगह पर कब्जा करने का इरादा है तेरा कि इस तरह इस ग्रह पर तू आने-जाने की जगह बना सके। यहां अपने लोगों को छोड़ सके। इसी ताने-बाने में लगी है तू। तू डोबू जाति के साथ धोखा करने वाली है।”

रानी ताशा के चेहरे पर आश्चर्य उभरा।

“तू तो सब कुछ सच कह रही है होम्बी।” रानी ताशा अजीब से स्वर में कह उठी।

होम्बी, रानी ताशा को देखती रही।

“ये बात तूने ओमारू को बताई?” “

“नहीं।”

“क्यों?”

“मैं नहीं चाहती कि तेरे को डोबू जाति खत्म करने का बहाना मिल जाए। ओमारू को ये बात पता चल गई तो वो उसी वक्त तेरे खिलाफ खड़ा हो जाएगा। तेरे साथ आए लोग जरूर मरेंगे, परंतु अंत में जीत तेरी होगी, क्योंकि तेरे पास खतरनाक हथियार हैं। पोपा में तूने हथियार चलाने वाले आदमियों को रखा हुआ है।”

“तू तो सच में जादूगरनी है। मैं तो तेरे को झूठा समझ रही थी।”

होम्बी के चेहरे पर किसी तरह का भाव नहीं था।

“तुमने सच कहा, ये जगह मुझे पसंद आई। मैं इस वीरान जगह पर अपने ग्रह का ठिकाना बनाना चाहती हूं। पहाड़ों को भीतर से खोखला करके कितना सुरक्षित ठिकाना बनाया हुआ है। मुझे ऐसे ही किसी ठिकाने की तलाश थी। पोपा पर मेरे लोग यहां पहले भी आते रहे हैं। उन्होंने जब मुझे इस जगह के बारे में बताया तो होम्बी, मैंने तभी सोच लिया था कि जब पृथ्वी पर जाऊंगी तो इस जगह पर अधिकार कर लूंगी। यहां मेरे लोग आया-जाया करेंगे और पृथ्वी ग्रह को देखने-समझने में हमें आसानी होगी। यहां की कोई चीज हमारे काम की होगी तो उसे पोपा में रखकर अपने सदूर ग्रह पर ले जाया करेंगे। मुझे ये जगह जरूर चाहिए।”

होम्बी कुछ नहीं बोली। रानी ताशा को देखती रही।

“तूने तो सब कुछ कहकर मुझे आश्चर्य में डाल दिया। तू मेरे बहुत काम आ सकती है। मेरे साथ सदूर ग्रह चलेगी?”

होम्बी मुस्कराई और मुस्कान लुप्त हो गई।

“बोल चलेगी न?” रानी ताशा ने पुनः पूछा।

“जा। अपना काम कर। होम्बी इस पहाड़ की तरह नहीं है जो तेरी मुट्ठी में आ जाएगी। राजा देव के बारे में सोच जिसे लेने तू आई है। उस काम में सफलता पाने की कोशिश कर।” होम्बी बोली।

“मैं राजा देव को सदूर ग्रह ले जाऊंगी न?” रानी ताशा ने पूछा।

होम्बी चुप रही।

“बता होम्बी। मैं राजा देव को फिर पा लूंगी न?” रानी ताशा बोली।

“मैं सिर्फ डोबू जाति को भविष्य बताती हूं। बाहर के लोगों को नहीं।” होम्बी ने कहा।

“हम दोस्त हैं होम्बी। मैं तुम लोगों के लिए कितने उपहार लेकर आई हूं।”

होम्बी मुस्करा पड़ी। उसे देखती रही।

“क्या बात है होम्बी?”

“तू बहुत चालाक है, चतुर है परंतु होम्बी के सामने तू नन्ही बच्ची है। मैं तेरे मन और दिमाग की हर बात पढ़ रही हूं। तू क्या सोच रही है, क्या चाहती है, सब मुझे पता चल रहा है। तू क्या करने जा रही है यहां, ये भी मैंने पढ़ लिया है। मैं तेरे आर-पार देख रही हूं। मेरे सामने तू शीशा है। तेरा कुछ भी मेरे से नहीं छिपा। होम्बी को अपनी बातों में फंसाने की कोशिश मत कर।”

रानी ताशा की आंखों में चमक थी। वो कह उठी।

“तू तो बहुत शानदार जादूगरनी है। मैं तेरे से प्रभावित हो गई। सिर्फ एक बात बता दे कि मैं राजा देव को सदूर ग्रह पर ले जाने में कामयाब हो सकूँगी या नहीं? सिर्फ हां या न कह दे।”

होम्बी ने सोमाथ को देखा।

सोमाथ शांत-सा खड़ा होम्बी को देख रहा था।

“बता होम्बी। सिर्फ हां या न कर दे।”

“मैं डोबू जाति से बाहर के लोगों के सवालों का जवाब नहीं देती। तेरे को मेरे से कुछ भी हासिल नहीं होगा। मैं तेरा न तो भला करूंगी न बुरा करूंगी। तेरे सवाल का जवाब तो आने वाला वक्त ही देगा।”

“हां-न भी नहीं कहेगी होम्बी?”

होम्बी मुस्करा पड़ी।

“राजा देव के बारे में कुछ बता दे होम्बी।” एकाएक रानी ताशा की आंखों में आंसू चमक उठे –“तू तो जानती ही है कि मैं राजा देव को कितना चाहती हूं। कई जन्म उनसे मिलने की आस में बिता दिए। तू जादूगरनी है तो मेरे मन की हर बात पढ़ चुकी होगी। बता होम्बी बता, राजा देव के बारे में कुछ तो बता। अच्छा ये बता क्या कभी वो मुझे याद करते हैं?”

“तूने ऐसा क्या काम किया राजा देव के साथ कि वो तुझे याद करे।”

होम्बी कह उठी –“वो सब भूल चुका है। पृथ्वी पर जन्मों के फेर में पड़कर उसे कुछ भी याद नहीं कि वो हकीकत में कौन है और कहां से पृथ्वी पर आया है। ये तेरी बातें हैं, तेरा काम है तू जान। मैं सिर्फ डोबू जाति के बारे में ही भविष्य बताती हूं।”

“इतना बता दे होम्बी कि मैं राजा देव को सदूर ग्रह पर ले जाऊंगी न?”

जवाब में होम्बी ने होंठ बंद कर लिए। फिर कोई शब्द मुंह से निकला ही नहीं।

रानी ताशा, सोमाथ के साथ वहां से बाहर निकल गई।

“बुरा ही बुरा नजर आ रहा है हर तरफ।” होम्बी बुदबुदा उठी।

मूर्ति के पास ही ओमारू बेचैनी भरे अंदाज में टहल रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था कि क्यों जादूगरनी ने उसे बाहर कर दिया और रानी ताशा से अकेले में बात करने लगी। तभी उसने रानी ताशा और सोमाथ को मूर्ति के पीछे के रास्ते से बाहर निकलते देखा।

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ओमारू चेहरे पर मुस्कान लाया और रानी ताशा के पास जा पहुंचा।

“जादूगरनी क्या बातें कर रही थी रानी ताशा?” ओमारू ने पूछा।

रानी ताशा ठिठकी और सोमाथ को देखकर कह उठी।

“तुम बताओ सोमाथ।”

“होम्बी बहुत खुश है हमारे आने से। वो जानती है कि हमारे आने से, डोबू जाति की मुसीबतें दूर होंगी।” सोमाथ ने कहा –“होम्बी चाहती है कि हम यहां पर ज्यादा देर रुके रहें, परंतु ऐसा नहीं हो सकता। हमें अपने ग्रह पर भी जाना है। हमने उसे कहा कि हमारे द्वारा लाए तोहफों में उसके लिए भी कुछ है तो वो खुश हुई।”

जवाब में ओमारू सिर हिलाकर रह गया।

“तुम्हारी जादूगरनी तो कमाल की है ओमारू।” रानी ताशा मुस्कराकर बोली।

“वो कैसे?”

“उसने मेरे बारे में कुछ बातें बताईं, जो कि बिल्कुल सही थीं। मैं तो उसे यूं ही समझ रही थी।”

“जादूगरनी भविष्य के बारे में बहुत अच्छा बताती है।” ओमारू ने कहा।

“ये बात आज मुझे पता चल गई।”

“अब तुम खाना खा लो रानी ताशा। तुम्हारे लिए सब कुछ तैयार हो चुका है।”

“मेरे आदमियों ने खा लिया?”

“हां। वे कुछ पहले ही खा चुके हैं। सोमाथ खाना नहीं खाता क्या? रात को भी नहीं खाया।”

“इसे कभी भी भूख नहीं लगती।” रानी ताशा मुस्कराई –“ये हम जैसा नहीं है।”

“जो लोग पोपा के भीतर हैं, उनसे भी कह दो कि वो बाहर आकर खाना खा लें।”

रानी ताशा ने शांत भाव से ओमारू को देखा, फिर कह उठी।

“उनके पास खाने को बहुत कुछ है।”

“वो बाहर क्यों नहीं आते?”

“वे भीतर जरूरी काम कर रहे हैं। जब उनका काम पूरा होगा वो बाहर आ जाएंगे।” रानी ताशा ने सामान्य स्वर में कहा –“मैं रात वाले कमरे में जा रही हूं तुम मेरा खाना वहीं पहुंचा दो।”

“ठीक है। मैं खाना लाने को अभी कहता हूं। तुम उस कमरे तक चलो।”

रानी ताशा सोमाथ के साथ आगे बढ़ गई। रास्ते में डोबू जाति के लोग मिल रहे थे वो उनसे मुस्कराकर बातें कर लेती थी। वो और सोमाथ नजरों से ओझल हो गए। ओमारू एक आदमी को बुलाकर, रानी ताशा तक खाना पहुंचाने का आदेश देने लगा। वो आदमी चला गया तो उसे बोबला दिखा, जो कि उसके पास आ पहुंचा था।

“तुम क्या कर रहे हो?” ओमारू ने धीमे स्वर में पूछा।

“पोपा पर नजर रखी जा रही है दूर रहकर।” बोबला ने बताया –“वो पोपा का दरवाजा कभी भी खुला नहीं रखते।”

“मेरे को तो ऐसा कुछ नहीं लगा कि जिससे मुझे इनके इरादे बुरे लगे।”

“ऐसे दोस्तों का भी क्या फायदा, जिनके लिए मन में शक उभरता रहे। ये मामला निबटा क्यों नहीं देते?”

“कैसे?”

“रानी ताशा के खाने में जहर डाल दो। उसके बाकी लोगों को हम संभाल लेते हैं।”

“ऐसा करना ठीक नहीं होगा। मुझे रानी ताशा में अभी तक कोई बुराई दिखाई नहीं दी।”

“और जादूगरनी जो कहती है, उसका क्या...?”

“मुझे कुछ वक्त दो। जल्दी में मैं रानी ताशा जैसा दोस्त नहीं गंवाना चाहता।” ओमारू ने सोच भरे स्वर में कहा –“क्या तुमने कोई ऐसी बात देखी-सुनी कि संदेह उठे?”

“मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा। परंतु रानी ताशा के आदमी, जो पोपा में उसके साथ ही बाहर निकले थे, वो हमारे पहाड़ के भीतर, हर जगहों पर घूमते रहते हैं। उनका इस तरह से घूमना मुझे अच्छा नहीं लगता।”

“वो हमारे दोस्त भी हैं, मेहमान भी। वो कहीं भी जा सकते हैं बोबला।”

“जैसा तुम ठीक समझो। तुम यहां सरदार हो।”

“आज रात रानी ताशा अपना पर्व यहां मनाने वाली है। पर्व ताकत से वास्ता रखता है। रानी ताशा का कहना है कि रात के वक्त हम सारे हथियार एक अंधेरे से भरे कमरे में रख दें और कमरा बंद कर दें। दरवाजे के बाहर सोमाथ पहरा देगा। बाकी की रात हम सब मिलकर हंसी-खुशी बिताएंगे और सुबह हथियारों वाला कमरा खोल दिया जाएगा।”

“ये कैसा पर्व हुआ?”

“सदूर ग्रह का पर्व है। रानी ताशा कहती है कि आज रात पर्व की रात है।”

“तुम ऐसा करोगे?”

“मेहमान की खुशी के लिए ऐसा करना चाहिए हमें।”

“जैसा तुम ठीक समझो। अभी तक हमारे योद्धा उस लड़की और बबूसा को नहीं मार सके।”

“हमारे योद्धा वहां अपने काम में लगे हैं। अब हमें बबूसा की फिक्र नहीं करनी चाहिए।”

“क्यों?”

“रानी ताशा बबूसा से निबट लेगी। आखिर वो उसी के ग्रह का है।”

“और वो लड़की?”

“उसे हम अवश्य मार देंगे।”

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रानी ताशा ने खाना खाया, परंतु कम खाया। आज उसका दिमाग उलझा हुआ था। वो सोचों में गुम दिखी।

इस दौरान सोमाथ कमरे में टहलता रहा था। उसे खाना खिलाने में डोबू जाति की कुछ औरतें लगी थी। अंत में रानी ताशा के कहने पर वो औरतें बर्तन वगैरह ले गईं।

रानी ताशा ने पास रखा यंत्र उठाया और उसके कुछ बटनों को दबाया।

“कहिए रानी ताशा?” यंत्र में से किलोरा की आवाज उभरी।

“क्या तैयारी हो रही है?” रानी ताशा ने पूछा।

“हमारे आदमी डोबू जाति के महत्वपूर्ण लोगों की पहचान करने में लगे हैं, अब उनकी संख्या सत्रह हो गई है। हमने योजना बनाई है कि आज रात हम उन सबको खत्म कर देंगे। वैसे तो ये काम हम बेहद सावधानी से करेंगे और कोशिश करेंगे कि किसी को उनकी हत्या होने का पता न चले। परंतु हमारी हरकत उनकी नजरों में आ सकती है और वो अपने हथियारों से हम पर हमला कर सकते हैं। हमारे लोग भी मर सकते हैं।”

“ऐसा कुछ नहीं होगा। आज रात मैं पर्व के बहाने डोबू जाति के सारे हथियार एक कमरे में बंद करवाने जा रही हूं। ऐसे में ये चाहकर भी हम पर अपने हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।”

“वो कमरे से हथियार निकाल भी सकते हैं।” किलोरा की आवाज यंत्र से उभरी।

“ऐसा कुछ नहीं होगा। सोमाथ उस कमरे पर पहरे पर रहेगा।”

“ठीक है रानी ताशा। हम आज रात के लिए तैयार हैं। मैं आपको खबर करता रहूंगा।”

“आज जो लोग खाना लेने गए हैं उनके बारे में कोई प्लान बनाया?”

“मेरे ख्याल में उन्हें खाना ले आने दिया जाए। हमारा प्लान आज रात शुरू होगा। उनमें भी तीन महत्वपूर्ण आदमी हैं डोबू जाति के। रात उन्हें भी खत्म कर दिया जाएगा।”

“इन पर कौन-सा हथियार इस्तेमाल किया जाएगा?” रानी ताशा ने पूछा।

“जोबिना का इस्तेमाल करेंगे। देखते-ही-देखते इनका शरीर राख हो जाएगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा कि क्या हुआ।”

“ठीक है। ऐसा ही करना।” रानी ताशा ने कहा और यंत्र का बटन दबाकर उसे बंद कर दिया।

सोमाथ ठिठका और कह उठा।

“जाति के बाकी लोग भी बाद में सिर उठा सकते हैं रानी ताशा।”

“मेरी कोशिश ये ही होगी कि ऐसा न हो सके।” रानी ताशा गम्भीर दिखी।

सोमाथ ने कुछ नहीं कहा वो पुनः टहलने लगा और बोला।

“इस बारे में महापंडित क्या कहता है?”

“हम सफल रहेंगे।” कहते हुए रानी ताशा मुस्करा पड़ी।

तभी ओमारू भीतर प्रवेश करते कह उठा।

“किस सफलता की बात की जा रही है रानी ताशा?”

“ओह ओमारू, मेरे दोस्त, आओ।” रानी ताशा ने कहा –“हम राजा देव की बात कर रहे थे कि उन्हें वापस अपने ग्रह पर ले जाने में सफल रहेंगे। वो हमारे साथ वापस जाना जरूर पसंद करेंगे।”

ओमारू एक तरफ रखे पत्थर पर बैठता कह उठा।

“वो वहां के राजा हैं। वापस क्यों नहीं जाएंगे।” ओमारू मुस्कराया।

“आज खाना अच्छा था ओमारू।”

“जाति के लोगों ने खासतौर से तुम्हारे लिए बनाया था।” ओमारू कह उठा।

“उन्हें मेरा शुक्रिया कहना। तुम्हें याद है कि आज रात हमारा पर्व है?” रानी ताशा ने कहा।

“मुझे सब याद है। शाम तक ही सारे हथियार एक बड़े कमरे में रख दिए जाएंगे। वहां रोशनी भी नहीं की जाएगी, क्योंकि तुमने वहां अंधेरा रखने को कहा है। ऐसा करने के आदेश दे दिए हैं मैंने।”

“एक बात और भी है।”

“क्या?”

“हम दोस्त हैं न?”

“पक्के दोस्त हैं।” ओमारू बोला –“हम एक-दूसरे का भला चाहते हैं। क्या मेरी दोस्ती में कोई कमी रही?”

“तुमने मेरी मूर्ति वाली बात नहीं मानी, लेकिन मैंने बुरा नहीं माना। दोस्ती में बुरा नहीं माना जाता, परंतु अब मैं चाहती हूं कि तुम अपनी जाति के सब लोगों से कहो कि वो मेरी बात को भी, तुम्हारा ही हुक्म समझे।”

“ये तो साधारण बात है। मैं अभी कह देता हूं।”

“जब तुम ये बात अपने लोगों से कहोगे तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।”

रानी ताशा ने कहा। वो मुस्करा रही थी।

“मुझे भला क्या एतराज हो सकता है। अभी चलो रानी ताशा।” ओमारू कह उठा।

रानी ताशा उसी पल उठ खड़ी हुई।

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शाम चार बजे बोबला, ओमारू से मिला।

“ये तुमने क्या कह दिया जाति वालों से?”

“क्या?” ओमारू, बोबला को देखने लगा।

“ये ही कि रानी ताशा का कहा, तुम्हारा कहा माना जाए। तुम तो जाति के सरदार हो और वो मेहमान...।”

“इसमें बुरा क्या है। सरदार तो मैं ही हूं। मेहमान की खुशी के लिए...।”

“पर तुम्हें ये बात सबसे नहीं कहनी चाहिए थी। मुझे अच्छा नहीं लगा।”

“मेरे इतना भर कह देने से रानी ताशा खुश हो जाती है तो, मैंने गलत नहीं किया।” ओमारू ने सामान्य स्वर में कहा –“रानी ताशा के लाए उपहारों को देखा है। वो सब जाति के लोगों में बांट दो।”

“कल सुबह ये काम करूंगा।” बोबला ने कहा –“तुम रानी ताशा को जरूरत से ज्यादा महत्व दे रहे हो।”

“ऐसा कुछ नहीं है। मैं रानी ताशा के प्रति सतर्क हूं।”

तभी एक व्यक्ति ने ओमारू से आकर कहा कि जादूगरनी उसे बुला रही है।

“आज रानी ताशा के ग्रह का पर्व है। ऐसे में हमें रात को उनकी खुशी में शामिल होना है। जैसे रानी ताशा के लोग कहें, वैसे ही हमें पर्व में उनका साथ देना है। इस सारे काम की तैयारी तुम अपने हाथ में ले लो।”

बोबला ने सहमति से सिर हिला दिया।

ओमारू वहां से सीधा होम्बी के पास पहुंचा।

होम्बी दीवार के सहारे टेक लगाए बैठी थी। उसके सिर के काले बाल कुछ पीछे की तरफ थे तो कुछ उसके कंधों से होते आगे की तरफ आ रहे थे। उसका झुर्रियों से भरा चेहरा गम्भीरता से भरा था।

ओमारू होम्बी के सामने पत्थर के फर्श पर बैठता कह उठा।

“कहो जादूगरनी, क्या कुछ नया देखा तुमने?”

होम्बी ने ओमारू को देखा और धीमे स्वर में कह उठी।

“तेरे को देखने, तेरे से बात करने का मन था तो तेरे को बुला लिया।”

ओमारू की निगाह होम्बी के झुर्रियों भरे चेहरे पर जा टिकी।

“क्या बात है जादूगरनी। इस तरह तो पहले तुमने कभी बात नहीं की?”

“वक्त ही ऐसा है, क्या करूं। क्या तेरे को कहूं और क्या तेरे को न कहूं।” होम्बी बोली –“मैं बहुत कुछ देख रही हूं। दो बातों में जाति का भविष्य देख रही हूं। समझ में नहीं आता कि तेरे से बात करूं या नहीं?”

“कर बात।”

“तू सब कुछ सुनने के बाद मेरे कहने पर चलेगा। इसी में जाति का भला है।” होम्बी ने कहा।

“जाति के भले के लिए मैं सब कुछ करूंगा।” ओमारू ने गम्भीर स्वर में कहा।

“तो फिर सुन, अगर तूने अपने पर काबू रखा तो जाति को फिर से संवारा जा सकता है।”

“फिर से का क्या मतलब जादूगरनी?”

“बरबादी के बाद।”

“बरबादी कैसी होगी?”

“अब ये मत पूछ। जो होना है उसे रोका नहीं जा सकता। रोकने की चेष्टा में बरबादी बहुत बड़ी हो जाएगी।”

“मुझे बताओ जादूगरनी। तुम छिपा रही हो मुझसे।”

होम्बी, ओमारू को देखने लगी।

वहां कुछ पल खामोशी रही।

“जो पूछना हो, कल सुबह पूछना।” होम्बी ने बेहद शांत स्वर में कहा।

“कल सुबह?”

“हां, कल तेरे को सब बता दूंगी।”

“अभी क्यों नहीं?”

“समय ठीक नहीं है। अनर्थ हो सकता है। कल सुबह से पहले मेरा कुछ भी कहना गलत होगा।”

“आज रानी ताशा अपने ग्रह का पर्व यहां कर रही है।” ओमारू ने कहा।

जादूगरनी मुस्करा पड़ी।

“रात काफी व्यस्त रहूंगा। क्या ये अच्छा नहीं होगा कि तुम अभी मुझे कह दो, जो कहना चाहती हो।”

“अनर्थ हो जाएगा। तू अपने पर काबू नहीं रखेगा और तेरा उग्र स्वभाव ही जाति को पूरी तरह खत्म करवा देगा। तू आज की रात खामोशी से बिता ले तो जाति, डोबू जाति आगे भी चलती रहेगी। बाद में सब ठीक किया जा सकता है।”

“मैं तेरी बात का मतलब नहीं समझ रहा जादूगरनी, पर तू जो सोचती है, ठीक ही सोचती होगी। तेरा फैसला ठीक ही होगा।” ओमारू ने गम्भीर स्वर में कहा –“मैंने हमेशा तेरी बात मानी है।”

होम्बी, ओमारू को देखती रही।

“कोई और बात जादूगरनी?”

“बस तेरे को देखना चाहती थी। तेरे से बात करना चाहती थी।” होम्बी ने शांत स्वर में कहा।

“आज तेरी बातें रहस्य से भरी हैं जादूगरनी।” ओमारू ने कहा।

“सब रहस्य आज रात का ही है। कल सब कुछ स्पष्ट होगा। इधर आ मेरे पास।”

ओमारू तुरंत उठा। होम्बी के करीब पहुंचा तो वो बोली।

“नीचे हो। अपना माथा मेरे पास ला।”

ओमारू ने ऐसा ही किया।

होम्बी ने हाथ उठाया। उसके सिर पर रखा और चेहरा करीब खींचकर उसके माथे को चूमा। फिर उसे पीछे धकेल दिया। ओमारू सीधा हो गया।

परंतु उसके चेहरे पर हैरानी के भाव आ ठहरे थे।

“ये क्या जादूगरनी। आज तूने पहली बार स्नेह से मेरा माथा चूमा है।”

होम्बी की आंखों में आंसू चमके।

“आज दिल किया। तेरे पे प्यार आ गया। तूने जाति की बहुत सेवा की। दिल लगाकर की। पूरी मेहनत से की। मुझे प्यारा है तू। बच्चों की तरह है तू। तेरा बचपन भी मैंने देखा है। जवानी भी देखी और अब भी देख रही हूं। बस-जा अब तू।” होम्बी ने निगाहें फेर लीं –“रानी ताशा के पर्व की तैयारी कर। आज रात के बाद तूफान थम जाएगा। कल का सूरज नया होगा। डोबू जाति को फिर से संवारना होगा। मैं सब संभाल लूंगी। परंतु उसमें काफी वक्त लगेगा।”

“मैं समझा नहीं तुम क्या कह रही हो जादूगरनी?”

“अब जा। कल सुबह आना मेरे पास। तब बताऊंगी।”

ओमारू वहां से चला गया।

होम्बी ने गीली आंखें साफ की और बुदबुदा उठी।

“मैं जानती हूं कि अब तेरे को नहीं देख सकूँगी सरदार ओमारू।”

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रानी ताशा इस वक्त पहाड़ी के भीतर डोबू जाति के ठिकाने का चक्कर लगाकर लौटी थी। जो कि पहाड़ के भीतर ही भीतर गहराई में जाकर सब देखा था और सब कुछ उसे पसंद आया था। तब उसके साथ सोमाथ के अलावा उसके चार लोग और थे जो कि तभी से सारी जगह की खोजबीन कर रहे थे, जबसे वे पोपा से यहां पहुंचे थे।

“सब ठीक है।” रानी ताशा बोली –“ये जगह हमारे लिए इस ग्रह पर बहुत बेहतर रहेगी।”

“इसे हम अपनी जरूरत के मुताबिक बना लेंगे।” एक आदमी ने कहा।

तभी रानी ताशा के हाथ में थमे यंत्र से अजीब-सी आवाजें निकलने लगीं। रानी ताशा ने यंत्र का एक स्विच दबाया और यंत्र को मुंह के पास ले जाकर धीमे स्वर में बोली।

“किलोरा।”

“रानी ताशा।” किलोरा की आवाज आई –“मैं आपको बताना चाहता हूं कि ये लोग पोपा पर निगाह रख रहे हैं।”

“दिलचस्प।” रानी ताशा के होंठों से निकला –“सच में ऐसा हो रहा है?”

“जी हां। हमने पोपा के कैमरों द्वारा आस-पास की जगह का निरीक्षण किया तो सात लोग अलग-अलग कुछ दूरी पर छिपे, पोपा पर नजर रखते देखे गए।” उधर से किलोरा ने कहा।

“बाहर शाम हो गई?” रानी ताशा ने सोच भरे स्वर में पूछा।

“अंधेरा फैल रहा है।”

“अंधेरा फैलते ही अपने लोगों को उन सातों के पास भेजना। अपने लोगों से कह देना जोबिना हथियार का इस्तेमाल करें। ताकि वो राख हो जाएं और किसी को उनकी मौत की जानकारी न हो।” रानी ताशा ने कहा और यंत्र को बंद कर दिया।

रानी ताशा सोमाथ के साथ और अन्य चारों के साथ आगे बढ़ी जा रही थी।

“आज रात पोपा से जोबिना के साथ हमारे लोग बाहर आएंगे।” रानी ताशा उन चारों से बोली –“तुम सब उन्हें डोबू जाति के उन महत्वपूर्ण लोगों को दिखा देना जिन पर जोबिना का इस्तेमाल करके, उन्हें राख बनाना है।”

“जी रानी ताशा।”

“अब तुम लोग जाओ और अपनी तैयारी में लग जाओ।”

“सरदार ओमारू पर जोबिना का इस्तेमाल करना कठिन होगा क्योंकि वो हर किसी की नजर में रहता है।”

रानी ताशा दो पल सोचकर कह उठी।

“ओमारू को मैं देख लूंगी।”

“रानी ताशा ओमारू को मैं मार दूंगा।” सोमाथ ने कहा।

“तुम नहीं। ओमारू का शरीर इन्हें नहीं दिखना चाहिए। उस पर भी जोबिना का ही इस्तेमाल करना होगा।” फिर रानी ताशा ने एक से कहा –“तुम पोपा में जाओ और मेरे लिए एक जोबिना ले आओ।”

“जी रानी ताशा।” उसने कहा और तेजी से आगे बढ़ गया।

“तुम लोग भी अपने काम करो।”

बाकी के तीन भी चले गए।

“आज रात सब कुछ हमारे काबू में आ जाएगा रानी ताशा?”

“जरूर।” रानी ताशा ने विश्वास भरे स्वर में कहा –“डोबू जाति हमारी मुट्ठी में होगी सुबह तक।”

रानी ताशा और सोमाथ मूर्ति वाले हाल में पहुंचे।

वहां सब रात के पर्व की तैयारियों में लगे थे। शोर हो रहा था। रानी ताशा कठिनता से ओमारू को उन लोगों की भीड़ में देख पाई। सोमाथ को भेजकर ओमारू को अपने पास बुलाया।

“ओमारू रात के पर्व की तैयारी हो रही है?”

“पूरी तरह।” ओमारू मुस्कराया –“जाति वाले आपके पर्व में शामिल हैं और आज नाच-गाना भी करेंगे।”

“ये तो अच्छी बात है। पर्व रात के खाने के बाद शुरू होता है हमारे यहां।”

“आज तो खाने में ज्यादा पकवान बनाए गए हैं आपके पर्व के लिए।”

“ओह तुम कितने अच्छे दोस्त हो। हमारा कितना ध्यान रख रहे हो। क्या तुमने अपनी जाति के हथियार किसी कमरे में पहुंचा दिए?”

“ये काम हो चुका है।”

“अच्छा किया। रात के खाने के बाद सोमाथ उस जगह पर पहरा देगा। एक और खुशखबरी है कि पोपा में मौजूद लोग भी बाहर आकर रात को पर्व में शामिल होंगे। वो यहां पर खाना भी खाएंगे।” रानी ताशा ने कहा।

“फिर तो वो भी हमारे दोस्त बन जाएंगे।”

“वो अब भी तुम्हारी जाति के दोस्त हैं। आज रात तुम उन्हें देख पाओगे। वो भी अपने दोस्तों से मिलना चाहते हैं।” रानी ताशा ने भीड़ की तरफ देखते हुए कहा –“मैं बाहर खुली हवा में घूमना चाहती हूं। क्या तुम मेरे साथ चलोगे?”

“चलिए।” ओमारू ने तुरंत सिर हिलाया।

“चलो सोमाथ।”

रानी ताशा, सोमाथ और ओमारू बाहर जाने के लिए आगे बढ़ गए।

तभी सामने से वो आदमी आता दिखा जिसे रानी ताशा ने जोबिना लाने पोपा में भेजा था। वो पास आया और मात्र दो इंच लम्बी, आधा इंच मोटी पारदर्शी पाइप रानी ताशा को दी, जिसके भीतर पीले रंग का तरल पदार्थ हिलता नजर आ रहा था। उसके एक तरफ नन्हा-सा बटन लगा था। वो आदमी चला गया।

“ये क्या है रानी ताशा?” साथ चलते ओमारू ने पूछा।

“ये दवा है।” रानी ताशा मुस्कराई –“इस दवा को लेने के बाद कोई दर्द बाकी नहीं रहता।”

“हमारी जाति को भी ऐसी दवा की जरूरत है। कुछ दवा हमें भी दे देना।” ओमारू ने कहा।

“जरूर देंगे।” रानी ताशा की मुस्कान गहरी हो गई।

तीनों पहाड़ से बाहर निकले और रानी ताशा के रुकते ही, सोमाथ-ओमारू भी रुके।

पूरी तरह अंधेरा घिर चुका था। आसमान पर बादलों के टुकड़े भटकते दिखाई दे रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी और मौसम सर्द था। पोपा ऐसे में किसी दैत्य की तरह लग रहा था।

“किस तरफ ले जाओगे हमें ओमारू?” रानी ताशा ने पूछा।

“इस तरफ चलते हैं।” ओमारू ने एक तरफ इशारा किया।

तीनों उस तरफ चल पड़े।

सामने पहाड़ बर्फ की सफेदी लिए अंधेरे में भी स्पष्ट नजर आ रहे थे।

रानी ताशा ने हाथ में पकड़े यंत्र के कुछ बटन दबाए तो किलोरा की आवाज आई।

“कहिए रानी ताशा?”

“जो काम कहा था वो किया?” रानी ताशा ने पूछा।

“हो गया। हमारे आदमी पहरेदारों पर जोबिना का इस्तेमाल करके वापस लौट आए हैं।”

“रात के लिए तैयारी रखो। आज काम होगा।” कहकर रानी ताशा ने यंत्र को बंद किया।

“किस काम की बात कर रही हो रानी ताशा?”

“पर्व में कुछ काम किया जाता है। वो तुम रात को ही देख पाआगे।”

रानी ताशा ने आगे बढ़ते हुए कहा –“तुम्हारी ये जगह मुझे बहुत पसंद आई ओमारू। सदूर ग्रह पर ऐसी जगह नहीं है।”

“जब भी तुम्हारा मन यहां रहने को करे तो यहीं आ जाना।”

“हां अब तो ऐसा करना ही पड़ेगा।”

धीरे-धीरे वे पहाड़ से कुछ दूर आ गए। इतना दूर कि आसानी से उन्हें कोई देख न सके। तब रानी ताशा ठिठकी और ओमारू को देखते मुस्कराई और कह उठी।

“तुम्हारी जाति के लोग पोपा पर नजर रख रहे थे ओमारू।”

“क्या?” ओमारू चौंका फिर संभला।

“वो ऐसा क्यों कर रहे थे? तुमने उन्हें ऐसा करने को क्यों कहा?”

“म-मैंने नहीं कहा।”

रानी ताशा कुछ पल उसे देखती रही फिर बोली।

“तुम्हारे इशारे के बिना तो वो पोपा पर नजर रखेंगे नहीं। तुम्हें सब पता है। बोलो, वो ऐसा क्यों कर रहे थे?”

ओमारू ने आंखें सिकोड़कर सोमाथ को और रानी ताशा को देखा।

“मुझे समझ नहीं आ रहा कि ऐसी वीरान जगह पर आकर, ऐसा सवाल पूछने का क्या मतलब है?”

रानी ताशा मुस्करा पड़ी।

“होम्बी ने तुमसे ये बात छिपाए रखी है कि हम कुछ करने वाले हैं यहां।”

“बताया था।” ओमारू के होंठों से निकला।

“क्या?”

“ये ही कि तुम कुछ बुरा कर सकती हो हमारा।”

“फिर भी तुम सतर्क नहीं हुए?” रानी ताशा हंसी।

ओमारू के चेहरे पर उलझन उभरी। अंधेरे की वजह से भाव दिखे नहीं।

“तुम कैसी बातें कर रही हो रानी ताशा।”

“तुम्हारा सफर यहीं पर खत्म होता है।” रानी ताशा ने गम्भीर स्वर में कहा –“वैसे हम बुरे लोग नहीं हैं परंतु तुम्हारी ये पहाड़ों के बीच बनी जगह, मुझे बहुत पसंद आई। भविष्य में हम इस ग्रह पर, इस जगह को अपना ठिकाना बना सकते हैं और तुम किसी भी कीमत पर इस जगह को हमारे हवाले नहीं करोगे।”

“ये क्या कह रही हो, हम दोस्त हैं रानी ताशा। तुम इस जगह को हमसे छीनने की कैसे सोच सकती हो?”

“दोस्त बनकर ही तो गर्दन काटी जाती है।” रानी ताशा ने जोबिना थामे, वो हाथ सीधा किया –“मुझे अफसोस है ओमारू पर ये जरूरी है। आज रात हम तुम्हारे इस ठिकाने पर कब्जा करने जा रहे हैं। यहां हमारी हुकूमत होगी।” कहने के साथ ही रानी ताशा ने जोबिना वाली पारदर्शी ट्यूब पर लगा बटन दबा दिया।

चुटकी बजाने जैसी आवाज उभरी।

ओमारू को लगा जैसे कोई अंगारा उसके पेट में धंस गया हो। अगले ही पल वो नीचे जा गिरा और तड़पने लगा। वातावरण में मांस जलने की दुर्गंध फैल गई।

ओमारू का शरीर राख बनता जा रहा था। मात्र मिनट भर का वक्त लगा, नीचे सफेद बर्फ पर मानवीय आकृति के रूप में राख पड़ने का निशान-सा नजर आने लगा। हैरत की बात थी कि शरीर की हड्डियां भी राख में परिवर्तित हो गई थीं। वहां कोई हड्डी पड़ी नहीं दिख रही थी।

सोमाथ ने पैर से राख के उस निशान पर बर्फ सरका दी।

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सूर्य निकल आया था।

वो ही दिन की रोशनी। वो ही सूर्य। वो ही जगह। वो ही बर्फ के पहाड़। सब कुछ रोज की तरह था परंतु डोबू जाति में सब कुछ बदल चुका था। ओमारू, बोबला सहित जाति के अट्ठारह महत्त्वपूर्ण व्यक्ति एकाएक ही रात को जाने कहां गायब हो गए थे। पहाड़ के भीतर जाति के ठिकाने पर कई जगह थोड़ी-थोड़ी राख पड़ी नजर जरूर दिखी। परंतु कोई समझ नहीं पाया कि वो राख क्या है। जाति के लोगों में हलचल थी। जाति के कई महत्वपूर्ण लोग ढूंढ़े नहीं मिल रहे थे।

उन्हें हर तरफ ढूंढा जा रहा था। पहाड़ के भीतर भी, बाहर भी। भागा-भागी का माहौल बना हुआ था।

पोपा के भीतर से रात को जो लोग निकलकर डोबू जाति के लोगों में आए थे, वो रात को ही वापस पोपा में चले गए थे। जो लोग शुरू से ही रानी ताशा के साथ पोपा से बाहर आए थे, वो ही अब डोबू जाति के लोगों में मौजूद थे। डोबू जाति में हैरत फैली हुई थी कि ओमारू, बोबला और अन्य लोग अचानक कहां चले गए, जो कि जाति के लोगों को राह दिखाते थे। बीती रात डोबू जाति के हथियार जिस कमरे में रखे गए थे, वहां से अभी तक हथियार बाहर नहीं निकाले गए थे। वहां पर पोपा से आए दो आदमी जोबिना हाथों में थामे पहरे के तौर पर खड़े थे। डोबू जाति के कुछ लोग हथियार लेने आए भी, परंतु उन दोनों व्यक्तियों ने कहा कि सरदार ओमारू की इजाजत से ही हथियार बाहर निकाले जाएंगे। सरदार ओमारू से कहो कि वो आकर ऐसा आदेश दे।

परंतु ओमारू तो था ही नहीं।

जब डोबू जाति के लोग तलाश से थक-हार कर बैठ गए, दिन कुछ आगे बढ़ा तो रानी ताशा, सोमाथ के साथ सबके सामने आई। सबको मूर्ति वाले हॉल में इकट्ठा किया। सब चुपचाप और सहमे हुए थे। रानी ताशा ऊंचे स्वर में बोली।

“कल तुम लोगों के सरदार ओमारू ने कहा था कि मेरी बात को ओमारू की बात के बराबर समझा जाए। मुझे लगता है कि ओमारू को किसी काम के सिलसिले में कहीं जाना था तभी उसने ऐसा कहा और आप सबको मेरे हवाले करके चला गया। साथ में वो जाति के कुछ और महत्वपूर्ण लोगों को भी ले गया। परंतु आप लोग चिंता न करें। वो लौट आएंगे। जाति के सब काम पहले की तरह ही चलते रहेंगे। मुझे भी किसी काम के सिलसिले में मुम्बई शहर जाना है। कल मैं चली जाऊंगी परंतु जाति के काम सिलसिलेवार चलते रहें, इसके लिए मेरे आदमी आपके पास रहेंगे और जाति को चलाएंगे। ओमारू के और अन्य लोगों के वापस लौटने तक आप सबको मेरे आदमियों का हुक्म मानना होगा और हथियार आप लोगों को तब तक नहीं दिए जाएंगे, जब तक कि ओमारू लौट नहीं आता। वैसे भी हथियारों की जरूरत नहीं रही। युद्ध कला सिखाने वाला बोबला भी ओमारू के साथ चला गया है कोई भी फिक्र नहीं करे। ओमारू वापस आएगा और सब ठीक हो जाएगा। हो सकता है बोबला पहले ही वापस आ जाए या ऐसा भी हो सकता है कि वो सब ही आज या कल में लौट आए। आप लोग जैसे जिंदगी बिता रहे हैं, वैसे ही बिताते रहिए। मेरे आदमी आपकी हर जरूरत का ख्याल रखेंगे सिर्फ युद्ध कला को छोड़कर।”

डोबू जाति वालों को दिलासा देने के बाद रानी ताशा होम्बी के पास पहुंची। सोमाथ साथ में था। होम्बी दीवार से टेक लगाए बैठी थी। शांत निगाहों से उसने रानी ताशा को देखा।

“तुम्हें तो अपनी जादूगरी के दम से हर पल की खबर होगी होम्बी।” रानी ताशा के चेहरे पर गहरी मुस्कान उभरी।

“बुरा किया तूने।” होम्बी ने गम्भीर स्वर में कहा -“मेरे बच्चों की जान ले ली।”

“अब ये जगह सदूर ग्रह का हिस्सा बन चुकी है। यहां पर हमारी हुकूमत चलेगी।”

होम्बी, रानी ताशा को देखती रही फिर कह उठी।

“इतनी ऊंची उड़ान मत उड़। वक्त और हवा का पता नहीं चलता कि वो किस तरफ चलने लगे।”

“क्या मतलब?” रानी ताशा के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई।

“आने वाला वक्त तेरे को मतलब समझाएगा।”

“साफ कह, जो कहना चाहती है तू।” रानी ताशा की आवाज में तीखापन आ गया।

“यहां तेरी हुकूमत नहीं चल सकती। कुछ वक्त की बात है, फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा।”

“तेरे को हमारी ताकत का अंदाजा नहीं होम्बी।” रानी ताशा का स्वर कठोर हो गया।

“तेरी ताकत क्या करेगी, जब आने वाला वक्त ही तेरा नहीं होगा।” होम्बी ने कहा।

“वक्त कैसा भी हो, ताकत हमारी ही चलेगी।”

“तूने जो करना था कर लिया। अब और कुछ नहीं कर सकेगी तू।”

“मैं तुझे भी मार सकती हूं।”

“पर तू मारेगी नहीं। मेरी मौत से तेरे को जरा भी फायदा नहीं होगा। डोबू जाति को संभालने वाला जल्दी आएगा।”

“यहां मेरे आदमी रहेंगे। वो ही सब कुछ संभालेंगे। यहां के लोग उनके इशारे पर चलते रहेंगे।”

“तेरे को तेरी बात का जवाब आने वाला वक्त देगा।”

रानी ताशा, होम्बी को देखती रही फिर कह उठी।

“हमने यहां जो भी किया जरूरत के हिसाब से किया। जबकि हम ऐसे लोग नहीं हैं। ये जगह हमें अच्छी लगी अपने लिए तो यहां पर हमने कब्जा करने की सोच ली। तेरे को बुरा नहीं मानना चाहिए।”

“तूने मेरे बच्चों की जान ली।”

“करना पड़ा ऐसा। मैं बुरी नहीं हूं।”

“तू बुरी है या अच्छी, मैं सब जानती हूं तेरा आगा-पीछा। मुझे अपने बारे में मत बता। तू इसी काम के लिए यहां रुकी हुई थी, वरना अपने राजा देव के पास जाने के लिए तू उतावली हुई पड़ी है।”

रानी ताशा मुस्करा पड़ी।

“राजा देव मुझे मिल जाएगा न होम्बी?”

“जाति के बाहर के लोगों के सवालों का मैं जवाब नहीं देती। तेरा मामला जाति के बाहर का मामला है।”

“अब तो डोबू जाति मेरे रहमोकरम पर है।”

“डोबू जाति हमेशा आजाद रही है और अब भी आजाद हो जाएगी। तेरा भ्रम टूट जाएगा।”

तभी सोमाथ कह उठा।

“इसे मार दूं रानी ताशा।”

“कोई फर्क नहीं पड़ता ये जिंदा रहे या न रहे। ये न तो हमारा कुछ संवार सकती है, न बिगाड़ सकती है। इसे जिंदा रहने दो और देखने दो कि आज के बाद डोबू जाति किस तरह हमारी मुट्ठी में रहती है।” रानी ताशा ने तीखे स्वर में कहा।

होम्बी खामोश रही।

रानी ताशा, सोमाथ के साथ वहां से वापस चली गई। मूर्ति वाले हॉल में पहुंची। डोबू जाति के लोग रोज की तरह अपने कामों में लग चुके थे। रानी ताशा के लोग उन्हें निर्देश दे रहे थे। उसने एक आदमी से कहा।

“कल ओमारू ने हमारे कपड़े लेने के लिए किसी को भेजा था। मालूम करो कि क्या कपड़े आ गए हैं?”

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रानी ताशा, सोमाथ के साथ पोपा में पहुंची। हमेशा की तरह किलोरा ने ही पोपा का दरवाजा खोला था।

“सब ठीक है किलोरा?” रानी ताशा मुस्कराई।

“सब काम ठीक से निपट गया रानी ताशा।” किलोरा मुस्कराया।

“सोमाथ।” रानी ताशा बोली –“तुम आराम करो। कल नई बैटरी लगा लेना। हमने अब राजा देव के पास जाना है।”

सोमाथ चला गया।

रानी ताशा, सोमारा के कमरे में पहुंची।

“ओह रानी ताशा।” सोमारा उसे देखते ही कह उठी –“बबूसा की कोई खबर?”

“तेरे को बबूसा के अलावा कोई और भी ख्याल आता है क्या?” रानी ताशा मुस्कराई।

“वे लड़की धरा के बारे में बताकर तो तुमने मुझे और भी चिंता में डाल दिया है।” सोमारा बोली।।

“सब कुछ ठीक हो जाएगा। कल हम पृथ्वी ग्रह के उस शहर की तरफ चलेंगे जहां राजा देव और बबूसा हैं।”

“ओह।” सोमारा खुशी से बोली –“ये खबर तुमने अच्छी सुनाई।”

“तू बहुत जल्दी बबूसा से मिल पाएगी।”

“और आप राजा देव से। फिर से सब अच्छा हो जाएगा। बबूसा हर जन्म में मेरा पति बना है और इस जन्म में भी बनेगा।”

“क्यों नहीं, आखिर तू महापंडित की बहन है परंतु बबूसा को विद्रोह की सजा मैं जरूर दूंगी।”

“जब ऐसा वक्त आएगा तो आपसे बात करूंगी।” सोमारा ने कहा –“राजा देव और बबूसा एक ही जगह रहते हैं?”

“मैं नहीं जानती। महापंडित से इस बारे में बात करनी पड़ेगी।”

रानी ताशा उस कमरे में पहुंची जहां स्क्रीन और स्विचों के अलावा लीवर लगे थे।

वहां तीन लोग और भी थे जो दीवार के साथ लगी सीटों पर बैठे थे।

रानी ताशा को देखते ही वो खड़े हो गए। रानी ताशा स्क्रीन के पास पहुंचकर, बटनों और लीवरों से छेड़छाड़ करने लगी। दो-तीन मिनट बीतने पर स्क्रीन पर महापंडित दिखाई देने लगा, फिर उसकी आवाज आई।

“कामयाबी की बधाई हो रानी ताशा।”

“तो तुम्हें पता चल गया।” रानी ताशा मुस्कराई।

“मुझे सब खबर रहती है।”

“कल मैं राजा देव के लिए मुम्बई शहर रवाना हो जाऊंगी।”

“ये तो खुशी की बात है।”

“तुम्हारी बहन बबूसा के लिए तड़प रही है।”

“वो बेवकूफ है। मेरी बात नहीं मानती। सदूर ग्रह पर उसके लिए अच्छे से अच्छा इंसान मौजूद है। परंतु हर बार उसे बबूसा ही जाने क्यों पसंद आता है। इस जन्म में तो बबूसा मुसीबतों से घिरने वाला है।”

“मैं सोमारा को इसलिए साथ लाई कि वो, बबूसा पर प्यार से काबू पा सकती है।”

“इस जन्म में बबूसा के उद्देश्य का रुख समझ नहीं आ रहा। वो विद्रोह कर चुका है।” महापंडित की आवाज आई –“बबूसा राजा देव को तलाश कर चुका है और उनके पास ही रह रहा है।”

“ये खबर नई है मेरे लिए।”

“जिस रात तुम पृथ्वी ग्रह पर पहुंची, उसी रात बबूसा ने राजा देव को ढूंढ़ निकाला।”

“राजा देव को वो जन्म याद आ गया क्या?” रानी ताशा ने पूछा।

“नहीं। परंतु बबूसा सब बातें राजा देव से कह रहा है। राजा देव को कुछ समझ नहीं आ रहा। वो उलझन में है कि बबूसा की बात को सत्य माने या न माने। परंतु आपको इन बातों की चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप उस शहर में पहुंचकर राजा देव के सामने जाइए।” महापंडित की आवाज आई।

“तो क्या राजा देव मुझे फौरन पहचान जाएंगे?”

“नहीं। कुछ वक्त तो लगेगा उन्हें आपकी याद आने में। वो वक्त थोड़ी देर का भी हो सकता है और ज्यादा देर का भी। इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। समय चक्र के साथ ही ये बातें सामने आएंगी।”

“तुमने मुझे राजा देव का पता नहीं बताया कि वो मुम्बई में कहां पर है।”

“आप उस शहर में पहुंचे रानी ताशा। राजा देव तक पहुंचने का रास्ता मैं आपके दिमाग में डाल दूंगा।”

“बबूसा ने जो रास्ता चुना है, उसमें उसकी जान भी जा सकती है। सोमाथ उसे मार देगा अगर उसने परेशानी पैदा की।”

“बबूसा के मन में क्या है, मुझे पता नहीं चल पा रहा। वो मरा तो सोमारा को दुख होगा।”

“जो भी होगा बबूसा की गलती से होगा। मैं सोमारा को सब बातें बता चुकी हूं। सोमारा कहती है कि वो बबूसा को राह पर ले आएगी।”

“बबूसा अगर सोमारा की बात मान जाए तो इससे अच्छी और क्या बात होगी।” स्क्रीन पर नजर आते महापंडित ने कहा -“आप कल यहां से जाने के लिए तैयारी शुरू कर दीजिए। मुझे यकीन है कि आप राजा देव को सदूर ग्रह पर ले आने में सफल रहेंगी।”

“मुझे सफलता मिलेगी महापंडित?” रानी ताशा ने पूछा।

“कह नहीं सकता। पृथ्वी ग्रह दूर होने की वजह से मेरी मशीनें मुझे ठीक से बता नहीं पा रहीं। जब-जब मुझे इन बातों का पता चलता रहेगा, मैं आपको खबर करता रहूंगा रानी ताशा। मेरे अपने विचार हैं कि राजा देव को सदूर ग्रह तक ले आने में, आपको कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए, क्योंकि राजा देव को सदूर ग्रह वाला जन्म याद नहीं। कुछ भी नहीं पता। ऐसे में बबूसा अवश्य कुछ परेशानी खड़ी कर सकता है, परंतु बबूसा को सोमाथ संभाल लेगा, जरूरत पड़ी तो बबूसा को मार देगा।”

“मैं राजा देव को फिर से पाने में सफल रहूंगी महापंडित।” रानी ताशा दृढ़ स्वर में कह उठी।

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बबूसा और धरा को देवराज चौहान के पास रहते हुए आज तीसरा दिन था। बबूसा हर वक्त देवराज चौहान के पास ही मंडराता रहता और अपनी बातें कहने और उसे याद दिलाने की कोशिश करता। देवराज चौहान उसकी बातें सुन भी रहा था और समझ भी रहा था। बबूसा के हाव-भाव और उसके बोलने के ढंग से नहीं लगता था कि वो झूठ बोल रहा हो। देवराज चौहान गम्भीरता से उसकी हर बात सुनता। बबूसा अक्सर कहता रहता कि रानी ताशा पृथ्वी ग्रह पर पहुंच चुकी है और कभी भी उसके पास आ सकती है। महापंडित उसे राह दिखाएगा, उस तक पहुंचने के लिए।

इस वक्त धरा बंगले के हॉल में जगमोहन के सामने बैठी थी। कुछ देर पहले ही जगमोहन का बाहर से लाया नाश्ता, सबने किया था। बबूसा देवराज चौहान के पास था। वो वापस आया तो जगमोहन ने पूछा।

“तीन दिन से तुम रानी ताशा के आने की बात कह रहे हो, परंतु वो आई नहीं।”

“आ जाएगी।” बबूसा ने गम्भीर स्वर में कहा –“उसके आने का इंतजार मत करो।”

“क्यों?”

“वो आएगी तो अच्छा नहीं होने वाला। एक बात तो बताओ कि तुम राजा देव के खास हो, इस ग्रह पर।”

“वो मेरे दोस्त हैं, भाई हैं, सब कुछ हैं।” जगमोहन ने कहा।

“अगर रानी ताशा, राजा देव को सदूर ग्रह पर वापस ले गई तो क्या होगा?”

“मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।”

“अगर राजा देव ही रानी ताशा के साथ सदूर ग्रह पर जाना चाहें तो तुम क्या करोगे?”

“देवराज चौहान अगर अपनी मर्जी से ऐसा करता है तो मैं उसे नहीं रोकूंगा।”

“तुम्हें लगे कि राजा देव अपनी मर्जी से रानी ताशा के साथ जाने को कह रहे, जबकि वो रानी ताशा के प्रभाव में हों?”

“ऐसा कुछ हुआ तो मैं पहचान लूंगा। तब देवराज चौहान को नहीं जाने दूंगा।”

“वो जाना चाहेंगे तो तुम उन्हें रोक नहीं सकोगे।”

“क्यों?”

“मेरे ख्याल में तो तुम रानी ताशा का ही मुकाबला नहीं कर सकते। राजा देव ने उन्हें कभी युद्ध कला सिखाई थी, फिर अब तो रानी ताशा के साथ सोमाथ है जो कि बहुत ताकतवर इंसान है। तुम उन्हें रोक नहीं सकते।”

“मुझे बता रहे हो या समझा रहे हो?” जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा।

“सतर्क कर रहा हूं कि रानी ताशा के सामने आने पर तुम उनके सामने कोई हैसियत नहीं रखते। राजा देव अगर खुद जाना चाहें तो तुम रोक नहीं सकते। रानी ताशा उन्हें जबर्दस्ती ले जाए तो तब भी तुम कुछ नहीं कर सकते।”

“वक्त आने पर बताऊंगा कि मैं क्या कर सकता हूं।”

“तुमने ज्यादा झगड़ा डाला तो वे तुम्हें जोबिना से मार डालेंगे।”

“जोबिना क्या?”

“हथियार है जो इंसान को पलों में राख बना देता है।” बबूसा ने बताया।

“तुम तो उन्हें रोक सकते हो?” जगमोहन बोला।

“कह नहीं सकता।” बबूसा ने चिंतित स्वर में कहा –“महापंडित ने कहा सोमाथ मुझसे ज्यादा ताकतवर है।”

“तो क्या तुम सोमाथ को देखते ही भाग जाओगे।”

“बबूसा ने भागना नहीं सीखा। सारी समस्या तो राजा देव को कुछ याद न आने की है। अगर उन्हें अपना वो जीवन याद आ जाए तो फिर राजा देव सब कुछ संभाल लेंगे। रानी ताशा के बस में कुछ नहीं रहेगा। परंतु राजा देव को कुछ याद नहीं आ रहा। मैंने पूरी कोशिश कर ली परंतु राजा देव को तब का कुछ पता नहीं है।” बबूसा ने गम्भीर स्वर में कहा।

जगमोहन कुछ कहने लगा कि मोबाइल बज उठा। दूसरी तरफ सोहनलाल था।

“बबूसा का क्या हाल है?” उधर से सोहनलाल ने पूछा।

“मजे कर रहा है।” जगमोहन ने बबूसा पर निगाह मारी।

“मजे?”

“और क्या...कभी नॉन लाकर खिलाता हूं तो कभी छोले भठूरे। कभी डोसा खाना पसंद करता है। ये हम जैसा भी नहीं है कि एक प्लेट में इसका काम निबट जाए। चार-पांच प्लेट तो चाहिए ही इसे। तीन दिन से इसकी सेवा करने में लगा हूं।”

“रानी ताशा की कोई खबर?”

“अभी तो कुछ भी नहीं। “

“रानी ताशा कोई है भी या हम बेवकूफ ही बन रहे हैं?”

“बेवकूफ बन रहे हैं तो इसमें हमारा कोई नुकसान नहीं। परंतु ऐसा लगता नहीं।”

“बबूसा क्या कहता है। कब तक आ सकती है रानी ताशा?”

“वो तो कहता है कभी भी आ सकती है।”

“मतलब कि पता नहीं कि कब आती है।”

जगमोहन ने देवराज चौहान को इस तरफ आते देखा।

“देखते हैं क्या होता है।” जगमोहन बोला –“अभी तो सब कुछ ठीक ही चल रहा है।” कहकर जगमोहन ने फोन बंद कर दिया।

देवराज चौहान पास पहुंचा तो बबूसा कह उठा।

“मुझे अपने हथियार लाने हैं।”

“कहां से?” देवराज चौहान ने पूछा।

“जिस होटल में मैं पहले ठहरा हुआ था, वहां के वेटर को मैंने काफी सारे पैसे देकर, हथियार रखने को दिए थे।”

“जगमोहन को अपने साथ ले जाओ और ले आओ।”

बबूसा ने धरा पर निगाह मारकर कहा।

“मैं धरा को अकेला नहीं छोड़ सकता। डोबू जाति के योद्धा इसकी जान ले लेंगे।”

“मेरे होते फिक्र मत करो। ये सुरक्षित रहेगी।”

“वो सामने आ गए तो राजा देव वो आपकी जान भी ले लेंगे। आप उनका मुकाबला नहीं कर सकते।” बबूसा बोला।

“तो तुम क्या चाहते हो?”

“मैं धरा को अपने साथ ले जाऊंगा, तुम अपनी कार मुझे दे दो।”

“जैसा तुम ठीक समझो।” देवराज चौहान ने कहा।

बबूसा ने धरा से मोबाइल फोन लिया और वेटर को फोन करने में व्यस्त हो गया।

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धरा कार ड्राइव करती बंगले से निकली। बबूसा उसकी बगल में बैठा था। बंगले से बाहर निकलकर, कार सड़क पर आई ही थी कि धरा तेज स्वर में कह उठी।

“खतरा-वो मुझे मारने के लिए यहां मौजूद है।”

“कौन?” बबूसा के चेहरे पर खतरनाक भाव उभरे।

“वो, पीछे काले रंग की कार पर मैंने उसे देखा है।” धरा का रंग फक्क पड़ चुका था।

बबूसा ने तुरंत गर्दन घुमाकर पीछे देखा।

पीछे काली कार आती दिखी। बबूसा देखता रहा और चंद पलों के बाद बोला।

“वो सोलाम है। कार को रोको, सोलाम को यहां देखकर मुझे हैरानी हो रही है।”

“मैंने कार रोकी तो वो मुझे मार देंगे।”

“उससे बात करनी होगी। जरूर कोई बात है। सोलाम ने अभी तक मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ा।”

धरा कार दौड़ाती रही।

“कार रोको।”

“मुझे डर लग रहा है। वो मुझे...।”

“मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम डरो मत।” बबूसा की निगाह अभी भी पीछे थी –“वो शायद अकेला है।”

धरा ने कार को सड़क किनारे रोक दिया।

वो काली कार भी पीछे आ रुकी।

धरा ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी और शीशे में पीछे रुकी काली कार को देखा।

बबूसा ने बाहर निकलने के लिए दरवाजा खोला तो धरा कातर स्वर में कह उठी।

“प्लीज, मेरे पास रहो बबूसा।”

बबूसा ने धरा की टांग थपथपाई और कार से बाहर निकल गया।

तब तक काली कार से सोलाम भी बाहर आ गया था। बबूसा ने महसूस किया कि पीछे की सीट पर दो और डोबू जाति के योद्धा बैठे हैं। सोलाम उसके पास आया। कुछ पल दोनों एक-दूसरे को देखते रहे।

“तो तुम मुझ पर नजर रखे थे सोलाम।” बबूसा बोला।

“बुरे इरादे के साथ नहीं ।” सोलाम ने गम्भीर स्वर में कहा।

“तुम्हारे साथ और योद्धा भी हैं।” बबूसा ने काली कार की तरफ देखा।

“वो मेरे साथ हैं और कार में ही बैठे हैं। वो ही तुम पर नजर रखे हुए थे।” (सोलाम के बारे में विस्तार से जानने के लिए राजा पॉकेट बुक्स से अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास ‘बबूसा’ अवश्य पढ़ें।)

“क्या चाहते हो अब? तुम तो डोबू जाति छोड़ चुके हो।” बबूसा ने कहा।

“हां। मुम्बई मुझे अच्छी लगी। मैं यहीं रहना चाहता हूं परंतु अपनी जाति को भी नहीं भूल सकता।”

बबूसा, सोलाम को देखता रहा।

“बुरी खबर देने के लिए तेरे पास आया हूं।”

“क्या?”

“दो घंटे पहले मैंने अपने यंत्र द्वारा वहां अपनी जाति के लोगों से बात की। रानी ताशा तीन दिन से वहां पहुंची हुई है।”

“मुझे पता है वो आ चुकी है।

“कल रात रानी ताशा ने अपनी जाति के लोगों के साथ कुछ बुरा किया है। अभी बात स्पष्ट नहीं है, परंतु जाति का हर महत्वपूर्ण व्यक्ति अचानक ही पहाड़ से गायब हो गया है। ओमारू भी गायब है। बोबला भी गायब है। जो-जो लोग जाति को संभालते थे वो हर कोई गायब है। ऐसे में रानी ताशा ने हमारी जाति पर अपना अधिकार जमा लिया है। वो ही अब हमारी जाति का संचालन करने लगे हैं। जाति के हथियार एक कमरे में बंद कर दिए गए हैं। किसी को हथियार छूने की इजाजत नहीं है।”

बबूसा के माथे पर बल पड़े।

“तेरे को ये बात किसने बताई?”

“अगोमा ने। वहां बिजली वाले कमरे में उसी से मेरी बात हुई। उसने बताया कि आज सुबह पहाड़ में कई जगह राख के छोटे-छोटे ढेर देखने को मिले, जो कि अजीब बात थी कि...।”

“राख के ढेर?” बबूसा चौंका।

“अगोमा कहता है कि थोड़ी-थोड़ी राख बहुत जगह पड़ी देखी गई।”

“तो उन्होंने जोबिना का इस्तेमाल किया।” बबूसा के होंठों से निकला।

“जोबिना?” ये क्या है?”

“ये सदूर ग्रह वालों का खास हथियार है।” बबूसा का चेहरा गुस्से से भर उठा -“इस हथियार का इस्तेमाल करने से सामने वाला बिना आग के जल जाता है। हड्डियां भी नहीं बचतीं और वो मिनट भर में राख हो जाता है। ये सदूर ग्रह का बहुत ही ज्यादा खतरनाक हथियार है। इसे वहां के वैज्ञानिक जम्बरा ने बनाया था। तो रानी ताशा उस जगह को अपने अधिकार में कर रही है। बहुत बुरा इरादा है उसका। रानी ताशा कभी भी चैन से नहीं बैठ सकती। वो कुछ न कुछ करती रहेगी। ये बहुत बुरी खबर है सोलाम। वो हमारी जाति के लोगों को अपना गुलाम बना लेगी।”

“मेरा भी ये ही ख्याल है।” सोलाम ने गम्भीर स्वर में कहा –“सब कुछ जानने के बाद मैंने तुमसे मिलने का इरादा किया कि तुम अच्छी तरह जानते हो, क्योंकि तुम भी उन्हीं में से ही हो।”

“जो भी हो सोलाम, मेरा ये जीवन डोबू जाति में बीता है। मैं डोबू जाति का बुरा नहीं चाह सकता। कम-से-कम ये तो कभी भी नहीं सोच सकता कि रानी ताशा वहां पर अपनी हुकूमत कायम कर ले।”

“वो ऐसा कर रही है।”

“बहुत तेजी दिखाई रानी ताशा ने।” बबूसा ने कठोर स्वर में कहा –“काश मैं वहां मौजूद होता।”

“मैं तुम्हारे साथ हूं।” सोलाम ने कहा –“तुम जब कहो मैं डोबू जाति में जाने को तैयार हूं।”

बबूसा सोलाम को देखने लगा।

“क्या हुआ?” सोलाम ने पूछा।

“मैं अभी नहीं जा सकता।” बबूसा ने गम्भीर स्वर में कहा।

“क्यों?”

“इस वक्त मुझे राजा देव के साथ रहना है।”

“मैं समझा नहीं...”

“रानी ताशा सदूर ग्रह से राजा देव को वापस ले जाने के लिए आई है और वो कभी भी राजा देव के पास पहुंच सकती है। महापंडित जो कि सदूर ग्रह का विद्वान है, वो रानी ताशा की सहायता कर रहा है वहीं बैठा। राजा देव अकेले पड़ रहे हैं और मैं सदूर ग्रह पर राजा देव का खास सेवक हुआ करता था। मैंने यहां पर राजा देव को ढूंढ़ निकाला है और इस वक्त उनके साथ ही रह रहा हूं कि रानी ताशा आए तो मैं हालातों को संभाल सकूं। ये बातें शायद तुम न समझ सको सोलाम।”

“जो भी हो डोबू जाति के प्रति भी तुम्हारा कुछ फर्ज बनता है।”

“जरूर बनता है। परंतु इस वक्त मैं डोबू जाति की तरफ नहीं जा सकता।” बबूसा ने गम्भीर स्वर में कहा –“रानी ताशा ने बहुत गलत काम किया है जो डोबू जाति पर हुकूमत करने की सोची। हमें जरूर कुछ करना चाहिए।”

“परंतु तुम तो वहां चलने को इंकार कर रहे हो।”

“इंकार नहीं कर रहा। इस वक्त मेरा यहां रहना जरूरी है। तुम साथ दो तो हम काफी कुछ कर सकते हैं।”

“क्या?”

“अगोमा के साथ सम्पर्क में रहो और वहां के हालातों की जानकारी लेते रहो। इस दौरान तुम वहां पहुंचो परंतु ठिकाने पर नहीं जाना, वरना रानी ताशा के लोग तुम पर भी जोबिना का इस्तेमाल करके तुम्हें खत्म कर देंगे। तुम वहां से दूर अपना ठिकाना बना लेना। इस दौरान जब भी मुझे मौका मिलेगा, मैं तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगा और हम रानी ताशा के लोगों के पांव उखाड़ने में लग जाएंगे। हमें अपनी शुरुआत तो कर देनी चाहिए।”

“मुझे कैसे पता लगेगा कि तुम वहां आ रहे हो?”

“मैं यंत्र पर अगोमा से सम्पर्क करके मालूम कर लूंगा।”

सोलाम खामोश रहा।

उसके चेहरे पर व्याकुलता उभरी हुई थी

“क्या सोच रहे हो? मुझे बताओ।” बबूसा बोला।

“मैं सोच रहा हूं मुम्बई भर में तीस-चालीस योद्धा हैं डोबू जाति के, जो कि तुम्हारी और धरा की जान लेने की फिराक में हैं। मुझे उन सब को इकट्ठा करके जाति के हालात बताने होंगे। अगर वो साथ मिल जाते हैं तो हमारे पास ताकत हो जाएगी।”

“वो साथ जरूर मिलेंगे।”

“कह नहीं सकता। क्योंकि ओमारू ने उन्हें तुम्हें और उस लड़की को मारने का काम सौंप रखा है। ओमारू सरदार है।”

“उनसे कहो कि यंत्र द्वारा जाति से बात करके, वहां के हालात पता करें।” बबूसा ने कहा –“मेरे ख्याल में वहां के हालात पता लगने पर वो तुम्हारा साथ देने को तैयार हो जाएंगे आखिर तुम भी जाति के महत्वपूर्ण व्यक्ति हो।”

“मैं कोशिश करूंगा उन्हें राह पर लाने की।”

“ये जरूरी है। हमारे पास योद्धा होंगे तो हम रानी ताशा के लोगों को सख्ती से जवाब दे सकेंगे। डोबू जाति पर ये मुसीबत का वक्त है। हमें अपने लोगों को रानी ताशा के लोगों से आजाद कराना है।”

“अब मैं तुमसे बात करना चाहूं तो कैसे करूं?”

“मैं तुम्हें मोबाइल नम्बर दे देता हूं जो कि उसी लड़की धरा का है।” कहकर बबूसा ने सोलाम को नम्बर बता दिया।

नम्बर याद करके सोलाम गम्भीर स्वर में बोला।

“इस लड़की के साथ तुम्हारा क्या सम्बंध है?”

“मैं समझा नहीं।”

“तुम लड़की से प्यार करते हो?”

“नहीं।” बबूसा के होंठों से निकला।

सोलाम मुस्करा पड़ा।

“तुम लड़की से प्यार करते हो।”

“कैसे कह सकते हो?”

“तुम उसे बचा रहे हो। डोबू जाति के योद्धाओं को मार रहे हो।” सोलाम ने कहा।

कुछ पल चुप रहकर बबूसा गम्भीर स्वर में बोला।

“इस वक्त मैं किसी लड़की से प्यार करने की स्थिति में नहीं हूं। मेरे सामने ढेर सारे काम हैं।”

“मैंने उस लड़की को पकड़ लिया था परंतु छोड़ दिया ये सोचकर कि तुम उससे प्यार करते हो।” सोलाम बोला।

“धरा ने बताया था मुझे।”

“प्यार करना बुरा नहीं है। तुम चाह सकते हो उसे।”

“मेरे पास बहुत काम हैं सोलाम और अब तुमने एक नया काम दे दिया। ये सुनकर मुझे दुख हुआ कि रानी ताशा ने जाति के लोगों पर कब्जा कर लिया है। तुम्हें जो कहा है वो करो और फोन पर मुझे बताते रहना कि क्या कर पाए तुम।”

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बबूसा और धरा वापस आ गए थे। उस वेटर से बबूसा अपने हथियार ले आया था। जो कि उसने कार की डिग्गी में भर रखे थे और जगमोहन-देवराज चौहान के साथ लगकर उन हथियारों को बंगले के भीतर पहुंचाया था, जबकि बबूसा, देवराज चौहान से कहता रहा कि राजा देव आप कष्ट न करें, परंतु देवराज चौहान ने इस काम में पूरा हाथ बंटाया।

इस काम के पश्चात जब वे आराम से बैठे तो तब बबूसा ने उन्हें ये बात बताई कि रानी ताशा ने किस तरह डोबू जाति के महत्वपूर्ण लोगों की जान लेकर जाति पर अपना कब्जा कर लिया है।

“ये तो बहुत गलत किया रानी ताशा ने।” जगमोहन ने कहा।

“वो है ही ऐसी। कब क्या कर जाए, पता नहीं चल सकता।” बबूसा ने परेशानी से कहा।

“डोबू जाति वालों ने उन्हें रहने का ठिकाना दिया और उसने उनके साथ ऐसा कर डाला।”

तभी धरा का फोन बजने लगा।

“हैलो।” धरा ने बात की।

“बबूसा से मेरी बात कराओ।” उधर से सोलाम की आवाज आई।

सोलाम की आवाज को पहचानते ही धरा ने फोन बबूसा की तरफ बढ़ाया।

“कौन है?”

“तुम्हारी जाति का ही आदमी है।” धरा ने घबराए स्वर में कहा।

“हैलो।” बबूसा ने फोन लेकर बात की।

“बबूसा, मैंने अभी अगोमा से यंत्र द्वारा फिर बात की है। उसने बताया कि रानी ताशा अपने कुछ आदमियों के साथ और डोबू जाति के दो आदमी, जो कि मुम्बई तक का रास्ता जानते हैं, साथ लेकर मुम्बई रवाना हो गई है।”

“ओह।” बबूसा के होंठों से निकला—”वो अब राजा देव के पास ही आ रही होगी।”

“मैं डोबू जाति के योद्धाओं को इकट्ठा करने की चेष्टा में लग गया हूं जो मुम्बई में मौजूद हैं।” उधर से सोलाम ने कहा।

“जो भी खबर हो मुझे बताते रहना।” कहकर बबूसा ने फोन बंद करके सबको देखते हुए कहा –“रानी ताशा, वहां से मुम्बई आने के लिए चल दी है। राजा देव अब आपको सावधान हो जाना चाहिए, वो आपके पास ही आ रही है। जिस वक्त का हमें इंतजार था, वो आने ही वाला है। चूंकि आपको कुछ याद नहीं आ रहा उस जन्म का, ऐसे में रानी ताशा आपकी हालत का लाभ उठा सकती है और आपको आसानी से सदूर ग्रह पर, पोपा में बैठाकर ले जा सकती है।”

“मेरे होते ऐसा नहीं हो सकता।” जगमोहन दृढ़ स्वर में कह उठा।

बबूसा ने गम्भीर निगाहों से, जगमोहन को देखते हुए कहा।

“तुम कुछ नहीं कर सकते। रानी ताशा को रोक नहीं सकते।”

“रोक सकता हूं।”

“रानी ताशा के लोगों के पास खतरनाक हथियार हैं। रानी ताशा के साथ सोमाथ है जो मुझसे भी ताकतवर है। सोमाथ की मृत्यु नहीं हो सकती। महापंडित ने मुझे ये बात बताई थी।” बबूसा बोला।

देवराज चौहान के चेहरे पर गम्भीरता दिखाई दे रही थी।

तभी धरा, बबूसा से कह उठी।

“तुम्हारे पास वो हथियार है?”

“कौन-सा?”

“जिससे इंसान राख में बदल जाता है।”

“वो-वो तो सदूर ग्रह का हथियार है। मेरे पास कैसे होगा?”

“अगर वो तुम्हारे पास हो तो सोमाथ को राख बनाया जा सकता है।” धरा ने कहा।

“परंतु वो हथियार मेरे पास नहीं है।” बबूसा ने व्याकुलता से कहा।

“ये तो बुरा हुआ। अगर होता तो तुम काफी कुछ कर सकते थे।” बबूसा ने देवराज चौहान को देखकर कहा।

“आप कुछ कहिए राजा देव।”

“मेरे पास कहने को कुछ नहीं है।” देवराज चौहान ने कहा।

“रानी ताशा आ रही है।”

“मैं उसे नहीं जानता। वो आई तो उसे पहली बार देखूंगा कि...”

“मुझे बहुत चिंता हो रही है। आप रानी ताशा को नहीं जानते। उसने कभी आपके साथ बहुत बुरा किया था। फिर महापंडित ने इस बार रानी ताशा के चेहरे पर कुछ ऐसा असर डाल रखा है कि आप उसे देखकर उसके दीवाने हो सकते...।”

“बकवास।” देवराज चौहान के होंठों से निकला –“मैं इस बात को नहीं मानता।”

“तो क्या तब मानेंगे जब ऐसा कुछ हो जाएगा।” बबूसा ने पहलू बदलकर कहा –“परंतु ये बात भी साथ में है कि रानी ताशा का चेहरा देख लेने के बाद ही आपको अपना वो जन्म याद आना शुरू होगा। उसका चेहरा देखने में आपको फायदा भी है और नुकसान भी। मैं सोचता हूं कि आपको किसी ऐसी जगह छिपा दूं कि महापंडित की शक्तियां आपको ढूंढ़ न सकें।”

“मैं कहीं भी छिपने वाला नहीं।” देवराज चौहान ने सख्त स्वर में कहा –“मैं यहीं रहूंगा। अगर रानी ताशा आ रही है तो बेशक आ जाए। तुम्हें रानी ताशा से डरने की जरूरत नहीं है।”

बबूसा देवराज चौहान को चिंतित निगाहों से देखता रहा फिर कह उठा।

“मैं खामख्वाह ही घबरा रहा हूं। मैं उनका मुकाबला करूंगा। मेरे पास ताकत है। हथियार हैं। सोमाथ मेरे से जीत नहीं सकता। महापंडित ने मुझे ताकतवर बनाया है। मेरे हथियार मेरे पास हैं। मैं सब ठीक कर दूंगा।”

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