'47,48 और यह 49'संजय ने पैसे गिनते हुए कहा' 50000 में 1000 कम पड़ गए बे। किसी को छोड़ तो नहीं दिये थे ना तुम ?'
'भैया छोड़े हम नहीं आप थे उ लड़की को, वरना पूरे 50,000 हो जाते' रोहित ने नाराजगी से कहा।
'अबे इज्जत से बोलो बे तुम्हारे होने वाले अध्यक्ष की होने वाली भाभी हैं' संजय ने रोहित के सर पर टपली मारते हुए कहा।
'चलो 500 हम देते हैं 500 तुम निकालो, और ई हुई गवा 50,000 'संजय ने रोहित को नोटों का बंडल देते हुए कहा' जाओ नेताजी को दे देना और कहना कि संजय ने मिठाई के लिए पैसे भेजे हैं'
' संजय..... ओए संजय.... कहां मर गए थे बे पता है कहां कहां ढूंढा तुझे' भागते हुए अंकुश ने संजय से कहा।
' तुम जाओ ' रोहित से कहा, फिर अंकुश को थामते हुए संजय ने पूछा' क्या हुआ बे क्यों गला फाड़ रहे हो? '
' फाड़ हम नहीं रहे ,फाड़ तो उसकी देंगे बे'अंकुश ने हांफते हुए एक-एक शब्द बोला।
' किसकी फाड़ देंगे बे?' संजय ने पूछा
' राहुल की ' अंकुश से तेज तेज सांस लेते हुए कहा।
' इस बार क्या किया उ' संजय ने मोटरसाइकिल पर बैठते हुए कहा।अंकुश पीछे बैठ गया।
' अरे उ कोई लड़की छेड़ दिया लगता है, हमको पूरा मैटर तो नहीं पता पर यह जरूर पता है कि वह पीटने वाला है'
अंकुश ने पिछली सीट से कहा।
' साले को हजार बार कहे है कि हर दूसरी तीसरी लड़की पर ट्राई ना मारे, पर हमारी सुनता कौन है ?'संजय ने किक मारते हुए कहा।
'अरे तुम ज्ञान मत पेलो मोटरसाइकिल चलाओ वरना वो उसको पेल देंगे' अंकुश ने स्थिति की गंभीरता समझाते हुए कहा।
संजय ने बाइक स्टार्ट की और 2 मिनट में कॉलेज गार्डन में पहुंच गए जहां 6- 7 लड़के राहुल को घेरे हुए थे और राहुल उन्हें कुछ समझा रहा था।
'देखो हमको गलतफहमी हो गई थी भाई.. हम वैसे लड़के नहीं है जैसे तुम लोग सोच रहे हो' राहुल ने एक लड़के से कहा।
' कोई गलतफहमी नहीं है साला 1 महीने से उसको परेशान कर रहा है' उस लड़के ने बीच वाले लड़के से कहा जिसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था।
'देखो भाई तुम छेड़े तो हो इसकी गर्लफ्रेंड और इसलिए ठुकाई भी होगी तुम्हारी तो इससे अच्छा है कि तुम मान लो तुमने गलती की है।हम थोड़ा कम ठोकेंगे'बीच वाले लड़के ने कहा।
' अरे क्या हो गया? ,क्यों भीड़ जमा रखी है ?' संजय ने उनकी तरफ जाते हुए कहा।
' तुम कौन हो बे?' बीच वाले लड़के ने मुड़कर पूछा।
' तुम हमको नहीं जानते.. खैर छोड़ो...नए हो थोड़े दिनों में जान जाओगे जब हम अध्यक्ष बन जाएंगे।'संजय ने शर्ट की बाहे चढ़ाते हुए कहा।
एक लड़के ने उस बीच वाले लड़के के कान में कुछ कहा।
' ई कौन है? पहली बार देखा है इसको यहां पर 'संजय ने अंकुश से पूछा।
'अरे हम तुमको कल बता रहे थे ना उ क्लास में नया लड़का आया है ' आदित्य ' यही है वो ' अंकुश ने संजय के कान में कहा।
' ये तुम्हारा दोस्त ,इसकी गर्लफ्रेंड को 1 महीने से परेशान कर रहा है , ' आदित्य ने एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा 'आज हाथ आया है ,इसलिए आज तो पिटकर ही जाएगा '
' बस इतनी सी बात है और इसके लिए तुम लड़ रहे हो,अरे इसके लिए तो यह भी माफी मांग लेगा, हैं ना राहुल ' संजय ने राहुल की तरफ देख कर कहा।
' अरे मैं तो आधे घंटे से माफी ही मांग रहा हूं, कह कहकर थक चुका हूं कि भाई हमको कोई गलतफहमी हो गई थी पर ये तो सब अड़े हुए हैं मुझे कूटने पर 'राहुल ने भावुक होते हुए संजय से कहा।
' लो बताओ इसने तो माफी भी मांग ली,फिर काहे लड़ना, लड़ाई खत्म हुई, चलो बे चलते हैं'संजय ने राहुल का हाथ पकड़कर जाने के लिए पीछे की ओर मोड़ा।
' यह बिना पीटे तो नहीं जाएगा'आदित्य ने पीछे से कहा। अंकुश ने संजय के चेहरे की तरफ देखा तो यह अंदेशा तो हो गया कि आदित्य आज जरूर पिटेगा बस वह इंतजार कर रहा था कि संजय कब तक कंट्रोल कर पाएगा।
'देखो भाई यह माफी मांग लिया है और इसका पीटना कोई जरूरी तो है नहीं ,फिर भी तुम्हारा इतना मन है तो एक - आधा घुसा हमको मार लो पर इसको हाथ लगाने नहीं देंगे हम ' संजय ने आदित्य से कहा और उसके सामने आ गया।
माहौल तनावपूर्ण हो चुका था बाकी लड़के जो संजय को जानते थे, राहुल और अंकुश सब थोड़ा थोड़ा पीछे हो गए।
संजय कुछ बोलने वाला था कि अचानक आदित्य ने एक जोरदार मुक्का संजय के मुंह पर मारा। आदित्य के साथ वाले लड़कों की सीटी पीटी गुम हो गई।अंकुश तो आदित्य के किर्या - क्रम के मंत्र पड़ने लगा।
' वाह...क्या बात है... लडके में जोर तो है...अच्छा भाई हमें मार भी लिया अब तो लड़ाई खत्म हुई ना' संजय ने हंसते हुए अपने मुंह को सहलाया।
'ये तो तू जो बीच में आया है ना उसका हिसाब है, इसका पिटना तो अभी बाकी है ' आदित्य ने राहुल की कॉलर पकड़ ली और उसे मारने ही वाला था कि पीछे से उसके दोस्त ने उसे खींच लिया।
'अबे हमें काहे पकड़ रहे हो बे, देख नहीं रहे हम उसको पेल रहे है।' आदित्य ने खुद को छुड़ाते हुए कहा।
'गुरु देख तुम नहीं रहे हो सही से, जो उसको हाथ लगा रहे हो.... उ संजय का दोस्त है और संजय इस कॉलेज का सबसे बड़ा गुंडा है ।साला पिछले साल 5 लडको को एक साथ कुट दिया था वो भी सिर्फ हाथो से .... उ पेलने लगा ना तो मरहम पट्टी के लिए हड्डियां भी नहीं बचेंगी...चलो यहां से' एक लड़के ने आदित्य के कान में कहा। और संजय की कमर की तरफ इशारा किया जिसमें खुले शर्ट के कारण रामपुरी साफ दिख रही थी।
आदित्य खड़े हुए संजय को देख रहा था जो उसकी ओर घूर रहा था ।उसकी आंखो में देखते ही पता नहीं क्यों पर , डर के मारे उसका गला सुख गया।
' देखो गुरु हम हमारे दोस्त को हाथ तो नहीं लगाने देंगे ,और फिर भी तुम मे हिम्मत है तो लगाकर देख लो ' संजय मुड़ा और राहुल और अंकुश के साथ बाइक पर बैठकर चला गया।
पर आदित्य वही खड़ा था उसे संजय पर गुस्सा नहीं आया बल्कि उसने वो चीज महसुस की जिससे उसे सबसे ज्यादा नफरत हैं- बेइज्जती।
' तुम काहे आगे आए बे उ हमको एक ठो मारकर चला जाता , साला होने वाला अध्यक्ष हो तुम ... इ चुतिया लोंडे से मार खा लिए यार' राहुल ने बीच में बैठे हुए कहा।
' हमको तो लगा था कि ये उन्हें जाकर समझाएगा की मारपीट मत करो और इ खुद पीटकर आ गया ' अंकुश ने भी पीछे से कहा।
' अरे उ बच्चा लोग हैं पहली बार कानपुर आया लगता है और आते ही हमसे भीड़ गया ,अब उसको पिट देते तो वो तो भाग जाता ना फिर उ हमारे बारे में जानता कैसे? ,अब उ यहां रहेगा और उसे पता लगेगा कि उ किसपर हाथ उठाया है तो पूरे साल डर में रहेगा कि अब हम पेले जाएंगे और गुरु डर में आदमी को देखने में जितना मज़ा आता है ना उतना किसी में नहीं आता'संजय ने मुस्कुराते हुए कहा। और मोटरसाइकिल की स्पीड बढ़ा दी ।
' वैसे राहुल तुम सच में उसकी गर्लफ्रेंड को छेडा था क्या बे?'संजय ने कई देर बाद जरूरी सवाल पूछा।
' अरे मुझे तो पता ही नहीं था कि उसका कोई बॉयफ्रेंड है' राहुल ने सफाई देते हुए कहा।
' पूरी कहानी क्या है शुरू से बताओ'पीछे से अंकुश बोला
' तो सुनो हमारी प्रेम-लीला' राहुल ने कहानी सुनानी शुरू कि ' उ लड़की का नाम था स्वेता,पहले उसने ही हमसे चला कर बात की थी। उ सबको भैया कह देती थी, पर हमारा सिर्फ नाम लेकर बोली , भैया नहीं लगाया।'
' कब की बात है बे ये?' अंकुश ने पूछा
' एग्जाम के दिनों की ' राहुल ने इतना कहा और संजय हंसते हुए बोला'तो साला किसी भी लड़की को एग्जाम हॉल के अंदर किसी को भैया कहते हुए सुना है का,नहीं सुना होगा बे क्योंकि भाई उस दिन किसी से भी कॉपी करनी पड़ सकती है सबको पटाकर चलना पड़ता हैं इसलिए कोई किसी को भैया वैया नहीं बोलती '
' तो हमको क्या पता था, हमको तो लगा कि उ हम में इंटरेस्टेड है। इसलिए एग्जाम के दिनों में हम ने उससे खूब जमकर बातचित की और जैसे ही एग्जाम खत्म हुए उससे बातचीत भी बंद हो गई। पर हमको लगा कि शरमा गई होगी इसलिए अबकी बार हमने चला कर उसको मैसेज किया, कॉल किया ,प्रेम - पत्र भेजें.. '
'प्रेम - पत्र भेजे .....' संजय जोर जोर से हंसने लगा जिससे बाइक का संतुलन बिगड़ रहा था।
' तुम तो गुरु पूरा ही पीटने का इंतजाम किए थे, उससे पूछ तो लेते हैं कि उ तुमसे प्यार करती है कि नहीं'अंकुश ने कहा।
' पूछे थे और उसने मना भी कर दिया था, पर हमने कहीं सुना था कि लड़कियों की ना में भी हां ही होती है तो हमको भी यही लगा कि इ सब से वो ख़ुश है , फिर कल रात हमको उसका मैसेज आया कि कल सुबह 6 बजे हमसे गार्डन में मिलेंगी, हमको तो भाई कल पूरी रात नींद नहीं आई, साला सुबह 4:00 बजे उठकर दो बार नहाया ,तैयार हुआ और गार्डन में जाकर एक घंटा वेट किया जब कोई नहीं आया तो हम जैसे ही जाने के लिए मुड़ा तभी ये लड़का लोग सामने आके खड़ा हो गया। तो हम समझ गए कि साला हमें चुतीया बनाया गया है।' राहुल ने भावुक होकर सारी कहानी बता दी।पर संजय और अंकुश हंस-हंसकर पगलाए जा रहे थे।
' सुनो बे हम आते हैं' संजय ने कॉलेज के आगे बाइक रोककर कहा।
' अब तुम कहां जा रहे हो बे?' राहुल ने सीट से आगे सरककर हैंडल थाम लिया
' तुम्हारी भाभी से मिलने जा रहे हैं पिछली बार की घटना से खफा हैं हमसे ' संजय ने राहुल की तरफ आंख मारी और चला गया।
'यह आज लड़की के चक्कर में दूसरी बार पिटेगा'अंकुश ने पीछे से कहा।
' शुभ शुभ बोलो बे , बड़े ही पनौती इंसान हो तुम' राहुल ने बाइक स्टार्ट की ओर वो चला गया।
संजय ने देखा कि वह लड़की लाइब्रेरी में जा रही है तो संजय भी उसके पीछे लाइब्रेरी में चला गया। लाइब्रेरियन संजय को देखते ही खड़ा हो गया -
' संजय भैया लगता है आप गलत जगह आ गए हो, वो आपका चुनाव कार्यालय तो उस तरफ है।' लाइब्रेरियन ने संजय की गलती सुधारने की कोशिश में कहा क्योंकि संजय ने कॉलेज जाकर आज तक एक किताब नहीं उठाई और आज वह पूरी लाइब्रेरी में चला आ रहा था।
' चुप करो बे तुम ,अपना काम करो' संजय बोला ' और तुम्हें का लगता है हम यहां पढ़ने नहीं आ सकते ?'
लाइब्रेरियन संजय का गुस्सा देखकर सकते में आ गया' नहीं,नहीं भैया क्यों नहीं आ सकते पूरा कॉलेज ही आपका है'
' है ना, तो अपना काम करो हमें ज्यादा राय मत दो 'संजय बोला और उस लड़की के पीछे चला गया। उसने कुछ किताबे ली और डेक्स पर बैठकर पढ़ने लगी। और संजय उसे किताबों के सेल्फ के बीच में से देख रहा था।
' हमारा पीछा काहे कर रहे हो?, हमने कह दिया ना हम नहीं डरते तुमसे, हम तुमको एक पैसा भी नहीं देंगे' लड़की ने संजय को देखते हुए कहा। संजय सामने आ गया और उस लड़की के सामने वाली बेंच पर बैठ गया।
' नहीं तुम गलत समझ रही हो हम वैसे नहीं हैं जैसे.....' संजय ने अपनी सफाई देनी शुरू की।
' हम सब जानते हैं तुम कैसे हो , जूनियर से हफ़्ता लेते हो, कॉलेज में चाकू छुरी लेकर आते हो, और लड़कियों से बात करने की कोई तमीज हैं नहीं तुम्हें' लड़की ने गुस्से में कहा। जिस पर लाइब्रेरियन ने उसे चुप रहने का इशारा किया।
' अरे उ रामपुरी बस डराने के लिए, आज तक कभी इस्तेमाल नहीं किए हम, उ हमारा दोस्त लोग तो दारू पीते टाइम उससे सलाद काटता हैं' संजय को अहसास हुआ जोश जोश में ज्यादा ही बता दिया। ' और बच्चों से जो पैसा ले रहे हैं ना वह चुनाव जीतने के बाद उन्हीं की सुविधाओं में लगाएंगे, भले ही आदमी अच्छे ना हो पर हमने हराम का कुछ नहीं खाया आज तक ' संजय ने समर्पित होकर कहा।
' ओ रहने दो, मैं तुम जैसे गुंडे मवालीओं को अच्छी तरह से जानती हूं ,आइंदा से मेरा पीछा किया ना तो मैं चाचा जी से कहकर ऐसा कुटवाऊंगी, की जिंदगी भर किसी का पीछा करने लायक नहीं रहोगे' लड़की ने कहा और उठकर जाने लगी।
' अरे अपना नाम तो बता दो' संजय ने पीछे से कहा। लाइब्रेरियन ने संजय को भी डरते हुए चुप रहने का इशारा किया। पर वह चली गई।
' मेघना ...मेघना नाम है उसका 'उसके साथ वाली डेक्स पर बैठी हुई लड़की ने कहा।
'और देवी जी आप कौन है?' संजय ने उस लड़की से पूछा।
' प्रतिभा ... मेघना की दोस्त ... उस दिन क्लास मैं सबके साथ मिलकर मारने कि धमकी हमी दिए थे ,आपको ' प्रतिभा ने हंसते हुए कहा।
' ओहो तो वो आप थी, खैर धन्यवाद उनका नाम बताने के लिए ' संजय उठा और जाने लगा।
' रुको'
संजय पीछे की तरफ मुड़ा
' मैं तुम्हें बता सकती हूं कि वो तुम्हें कैसे पसंद करेगी.... ' प्रतिभा ने हंसकर कहा।
' और ये आप हमारे लिए क्यों करेंगी?.... हमने तो आपसे पैसे भी लिए थे , और डराया भी था ' संजय ने स्वाभाविक प्रश्न पूछा।
' बस ऐसे ही आप हमें अच्छे लगे इसलिए.... पर हम फ्री में नहीं करेंगे आपको हमारे पैसे वापस देने होंगे ऊपर से 5000 एक्स्ट्रा लगेंगे हमारी सर्विस के लिए.... बोलिए मंजूर है? ' प्रतिभा ने सहायता का रेट बताते हुए कहा।
' हां.... अब और क्या ही रास्ता है हमारे पास ' संजय ने हंसते हुए कहा।
कल रात चुनाव का रिजल्ट आया और संजय जैसे कार्यकर्ताओं के होते नेताजी का चुनाव जीतना तो निश्चित ही था। संजय ने ढोल नगाड़े और डीजे के साथ पूरे शहर में नेताजी की रैली निकाली और नेता जी की जीत और संजय के जोश को देखकर सभी बहुत खुश थे ,पर एक इंसान था जो ख़ुश नहीं नजर आ रहा था जो दूर से ही खड़े होकर संजय को ही देख रहा था। और उसकी कुटिल मुस्कान देकर कहा जा सकता था कि वो कुछ खतरनाक ही सोच रहा है।
# 10 दिन बाद, सुबह 8 बजे ----
संजय मिठाई का डब्बा लेकर नेताजी के घर पहुंचा आज नेताजी ने चुनाव जीतने के 10 दिन मैं पहली बार संजय को फोन करके बुलाया था संजय को लगा कि कॉलेज के प्रेसिडेंट के चुनाव के बारे में ही कोई बातचीत होने वाली है इसलिए वो तैयार होकर वहां पहुंच गया।
'प्रणाम नेताजी, चुनाव जीतने की हार्दिक शुभकामनाएं' संजय ने आते ही नेताजी की पांव छूते हुए कहा।
'खुश रहो, खुश रहो... अरे चुनाव कैसे नहीं जीतते भाई तुम जैसे कार्यकर्ता हो तो हमको तो चुनाव जीतना ही था, अगर तुम नहीं तो हम क्या है भाई!' नेताजी मुस्कराकर बोले ।
' अरे हां हमें तूमको किसी से मिलाना है' नेताजी ने कहा तभी उनके के पीछे से एक लड़का आगे आया। संजय उसे देखते ही चौंक गया।
वह आदित्य था।
' कैसे हो संजय भैया ' आदित्य ने हाथ मिला कर कहा।
'अच्छे हैं ,तुम बताओ तुम कैसे हो ?' संजय ने भी बेमन से हाथ मिलाया।
'अच्छा तो तुम एक दूसरे से मिल चुके हो चलो यह तो और भी बढ़िया है' नेता जी ढहाका मार के हंसे और आदित्य भी हंसा।
' यह हमारा भतीजा आदित्य है शायद तुम्हारी क्लास में पढ़ता है और इसी साल यहां कानपुर में रहने आया इसी के लिए हम तुमको बुलाए थे'
' हां नेता जी बताइए क्या समस्या है आदित्य को ' संजय ने नेताजी के पास घुटनों के बल बैठते हुए बेमन से पूछा।
'अरे समस्या कुछ नहीं है भाई बस तुम्हें इसके लिए वही काम करना है जो तुम हमारे लिए करते आए हो' नेताजी ने कहा।
' मतलब?' संजय ने चोंककर पूछा।
' मतलब वो जो कॉलेज प्रेसिडेंट के चुनाव आ रहे हैं ना उसमें तुमको आदित्य को जिताना है बस' नेताजी फिर ठहाका मारकर हंसे और आदित्य भी हंसा ।पर संजय नहीं हंसा ,उसके चेहरे का रंग उड़ा चुका था।
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