नये हैडक्वार्टर्स में !



उस चार्टर्ड फ्लाइट की डिटेल्स का पता लगा लिया गया जिससे डिसूजा आ रहा था । वर्ल्ड काउंसिल ऑन कैथोलिक कम्युनिकेशन में शिरकत करने ।



प्लेन अगली सुबह छ: बजे एयरपोर्ट पर उतरना था । यात्रियों को उनके होटल ले जाया जायेगा उनमें से एक जगह रंजीत मलिक के घर के पास थी । प्रत्येक व्यक्ति को वहां से कैथेड्रल पहुंचाया जायेगा–कार्यक्रम के अनुसार । इस बात की कोई संभावना नही थी कि इस दौरान डिसूजा और जो भी उसके साथ था कहीं कि खिसक सकेंगे ।



मोतीलाल ने हैडक्वार्टर्स फोन करके वर्मा से बातें की । वह जानना चाहता था आगे और क्या करना है । वर्मा ने हर एक को वहीं टेम्प्रेरी हैडक्वार्टर्स में इंतजार करने के लिये कहकर बताया, वह खुद भी दूसरे अफसरों के साथ एक घण्टे तक पहुँच जायेगा और और तब इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जायेगा ।



* * * * * *



इंसपेक्टर मोतीलाल ने अपनी घड़ी पर निगाह डाली ।



उस पर और ज्यादा व्याकुलता सवार हो गयी । वक्त तेजी से गुजर रहा था और वह उस्मान लंगड़ा को इन्फारमेशन पास करने के मौके की तलाश में था ।



हालांकि जाल तेजी से कसता जा रहा था फिर भी वह हसन भाइयों से ज्यादा से ज्यादा पैसा झटकने का निश्चय कर चुका था ।



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इंटेरोगेशन रूम का दरवाज़ा भड़ाक् से इतनी जोर से खुला कि कमल किशोर तक उछल पड़ा ।



आगंतुक रंजीत मलिक था ।



–"आउट !" वह अंदर कदम रखते ही गुर्राया ।



–"यस, सर !" कमल किशोर और उसके मातहत एस० आई० ने एक साथ कहा ।



कमल किशोर ने असगर अली को तरस भरी निगाहों से 'अब तेरा भगवान ही मालिक है' के अंदाज़ में देखा और रंजीत को आँख मारकर अपने मातहत सहित बाहर निकल गया ।



असगर अली के साथ अकेले रह गये रंजीत ने सिगरेट सुलगा कर अपनी घड़ी पर नजर डाली ।



–"दो मिनट में !" वह सर्द लहजे में बोला–"हमारे एस० पी० वर्मा साहब इसी दरवाजे से यहां आयेंगे । उनके आते ही तुम्हें ड्यूटी ऑफिसर के पास ले जाया जायेगा और तुम पर हत्या का आरोप लगेगा–पांच हत्याओं का । चार पुलिस अफसरों और उस वक्त उनकी हिरासत में राकेश मोहन की हत्याओं का…!"



–"मैं…!"



–"तुम्हारी कोई बात सुनना मैं नहीं चाहता । एक लफ्ज भी नहीं । तुम्हें एक मौका दिया गया था इंसपेक्टर कमल किशोर के साथ । वो तुम गवां चुके हो । अब हम कहेंगे और तुम सिर्फ सुनोगे…!"



–"मैं उस मौका–ए–वारदात के आसपास भी नहीं था । मैं…!"



–"तुम्हें जरूरत भी नहीं थी । तुमने वो बम बनाया था जिसके विस्फोट में उन पांचों की जानें गयीं...!"



–"तुम इसे...!"



–"साबित नहीं कर सकते ? तुम बड़ी भारी खुशफहमी के शिकार हो रहे हो, मियाँ असगर अली ! हम एक बार नहीं दर्जनों मर्तबा साबित कर सकते हैं । हसन भाइयों का वक्त लद चुका है । उनके हर एक आदमी ने अपना–अपना बयान दे दिया है । खुद फारूख हसन ने भी अपना पूरा रिकार्ड सुना दिया । अब तुम्हारे इंकार करने से कुछ नहीं हो सकता । फांसी का फंदा बेसब्री से तुम्हारा इन्तजार कर रहा है...!"



–"लेकिन मैं उस कार में नहीं था, जिससे पुलिस कार पर बम फेंका गया था । उसमें कालका प्रसाद, बद्री और क...!"



–"करन थे ?" वर्मा ने दरवाजे से पूछा ।



–"सर, अब आप संभालिये ।" रंजीत बोला ।



असगर अली पूरी तरह टूट चुका था ।



–"मैं सब कुछ बताने को तैयार हूं ।" वह पराजित स्वर में बोला–"उन्होंने मुझे मजबूर कर दिया था । फारूख हसन ने धमकी दी थी, अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो वह मेरे हाथ कटवा देगा...।"



–"तुम खुद ही उन्हें कटवा चुके हो ।" रंजीत ने कहा–"इसका पूरा बयान लेकर मैं इस पर मर्डर चार्ज लगा दूँगा, सर ।"



–"यह काम कमल किशोर भी कर लेगा ।" वर्मा बोला–"तुम्हारे लिये ताजा खबर है, रंजीत, हमारे दोस्त रजनी के फ्लैट से खाली हाथ वापस लौट आये हैं ।"



* * * * * *



टेम्प्रेरी हैडक्वार्टर्स के लिये निकलने से पहले रंजीत के आग्रह पर रजनी राजदान को पुलिस प्रॉटेक्शन दे दी गयी । वह एक एस० आई० और युवती लेडी कांस्टेबल के साथ कार में अपने घर वापस लौट गयी । वे दोनों हथियारबंद और खतरनाक थे । अगर किसी बदमाश ने रजनी का कोई भी अहित करने की कोशिश की तो उसके लिये वे दोनों बेहद खतरनाक साबित होने थे ।



–"ट्रायल के दौरान कई बेहूदा सवाल सामने आयेंगे ।" वर्मा बोला ।



–"कौन–सी ट्रायल, सर ?" रंजीत मुस्कराया–"जितना भारी बवाल हमने खड़ा कर दिया है और जो हड़कम्प मच रहा है उसके सामने दयाशंकर और मीना रमानी के मामूली स्टंट का कोई वजूद नहीं है ।"



–"फिर भी डिफेंस लायर्स तो बाल की खाल निकालते ही है ।"



–"कोई कुछ नहीं कर पायेगा, सर ।"



दोनों टेम्प्रेरी हैडक्वार्टर्स में पहुंच गये ।



तोमर, कमल किशोर, रोशन लाल वगैरा उनसे पहले ही वहां पहुंच चुके थे ।



पूरी टीम इकट्ठा हो गयी ।



वर्मा ने क्राइम ब्रांच वालों को पहले ही सचेत कर दिया था कि जो कुछ वह कहने वाला था अजीब लग सकता है । इस बात का सही आशय वे समझ गये और उनके मुंह बन गये । यह सुनना किसी को भी अच्छा नहीं लगता कि उनकी टीम में कोई गद्दार है ।



एस० पी० ने संक्षेप में बता दिया कि शहर में हसन भाइयों की हुक़ूमत खत्म होने वाली थी ।



–"हमें अनवर हसन चाहिये । वह फरार है ।" वर्मा भारी गूंजती आवाज़ में बोला–"लेकिन इसका प्रचार हमें नहीं करना है । प्रेस को इसका पता नहीं लगने देना है । मैं नहीं चाहता दूसरे लोग चौकस हो जायें । हसन भाइयों के साम्राज्य का पतन निश्चित है इसलिये फिलहाल अनवर अगर हमारे हाथ नहीं भी लगता है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा । मेरा अपना ख्याल है वह मुल्क से बाहर भागने की कोशिश करेगा और हमने बाहर जाने के सभी रास्तों को कवर कर दिया है । लेकिन, मैं फिर दोहरा रहा हूं, इसे प्रेस या टी० वी० से हमने दूर ही रखना है । जरा भी प्रचार नहीं होने देना है । क्योंकि इससे बड़ी एक और गेम हमारे सामने है ।" वर्मा ने डॉन डिसूजा और उसके आदमियों के आने के बारे में संक्षिप्त डिटेल्स देने के बाद कहा–"अगर इस स्टेज पर डिसूजा को जरा भी शक हो जाता है तो वह किसी न किसी तरह चुपचाप वापस लौट जायगा । जबकि मैं चाहता हूं कि वह यहां पहुंच जाये । जब वह खुद यहां आकर देखेगा हसन भाइयों में भगदड़ मच गयी है तो वह इसे अपने लिये सुनहरी मौका समझकर टेक ओवर करने की कोशिश करेगा । सीधा कब्ज़ा करना चाहेगा और हम उसे वाच करके धर दबोचेंगे । हमारे लिये डिसूजा को पकड़ना ज्यादा जरूरी और अहम है । अनवर को बाद में भी पकड़ा जा सकता है । इसलिये हमने अनवर के चक्कर में या किसी और वजह से ऐसा कोई कदम नहीं उठाना है कि हमारा असली मकसद चौपट हो जाये ।"



डॉन पीटर डिसूजा की, दुबई से प्राप्त की गयी, एक फिल्म सबको दिखायी गयी । फिर डिसूजा के विभिन्न वेषों में फोटो पूरी टीम को बाँट दिये गये ताकि सब उसे पहचान सकें ।



तत्पश्चात, रंजीत मलिक ने डिसूजा के साथ और वर्ल्ड काउंसिल ऑन कैथोलिक कम्युनिकेशन के बारे में कुछेक और तथ्यों की जानकारी दी । उसने इस बात पर खासतौर पर जोर दिया कि कल दिन में ग्यारह बजे डिसूजा सैंट्रल कैथेड्रल चर्च में यकीनी तौर पर मौजूद रहेगा ।



इस सबमें एक घण्टे से ज्यादा वक्त लग गया । फिर वर्मा की टीम के मेम्बर या तो अपने कामों पर निकल गये या फिर आने वाले मुश्किल वक्त से पहले थोड़ा आराम करने ।



वर्मा ने कुछेक दूसरे लोगों के साथ वहीं ऑफिस में ही सोने का फैसला किया ।



रंजीत और दूसरे लोगों ने बंद ऑफिस में अपने एक्शन प्लान के विभिन्न पहलुओं पर गौर किया, जिनका मोतीलाल की मौजूदगी में जिक्र भी नहीं किया गया था ।



फिर दूसरे लोग भी सोने चले गये ।



वर्मा और रंजीत ऑफिस में अकेले रह गये ।



वर्मा ने हैडक्वार्टर्स में आप्रेशन रूम को फोन किया । लेकिन अनवर हसन की गतिविधियों की अभी भी कोई जानकारी नहीं मिल पायी ।



रंजीत खिड़की के पास खड़ा बाहर सड़क पार देख रहा था ।



मोतीलाल उसी पब्लिक फोन बूथ में खड़ा दिखाई दिया जहां से पहले रंजीत उसे बातें करते सुन रहा था ।



–"वह मौका पाते ही अपने काम में लग गया ।"



वर्मा भी उसके पास आ खड़ा हुआ ।



–"अब हम सही अंदाजा लगा सकते हैं अनवर हसन को डिसूजा के आने की पुख्ता खबर मिल गयी है । यह खबर उसे सामने आने पर मजबूर कर देगी । अगर यह खबर भी उसे बाहर नहीं ला सकी तो कोई नहीं ला सकेगा ।"



मोतीलाल को बूथ से निकलता देखकर रंजीत पीछे हट गया ।



–"हो सकता है वह अपना इरादा बदल दे ।"



–"बिल्कुल हो सकता है ।" वर्मा बोला–"जैसा कि मैंने कुछ देर पहले बाहर मीटिंग में कहा था, उसके देश छोड़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता । फिर भी इस पर मुझे संदेह है । अनवर पूरी तरह घिर चुका होने के बावजूद इंतकाम की आग में बुरी तरह जल रहा होगा । वह अपने सर्वनाश के लिये ज़िम्मेदार डिसूजा को ख़त्म करने जरूर आयेगा ।"



–"तर्क से हमेशा मैं उलझन में पड़ जाता हूं, सर ।"



–"क्यों ?"



–"हसन भाई अपने सर्वनाश के लिये खुद ही जिम्मेदार है ।" रंजीत ने कहा–"राकेश मोहन हमारे हाथ पड़ गया तो डिसूजा के साथ अपने समझौते को तोड़ने की पहल उन्होंने ही की थी । अब वे सारा दोष डिसूजा को दे रहे हैं । क्योंकि किसी पर भी भरोसा न करना उनकी आदत है ।"



–"समझौता किसने तोड़ा ? इसकी सही जानकारी हमें नहीं है । इस सारे बखेड़े की शुरूआत राकेश मोहन के बारे में हमें मिली टिप के बाद हुई थी । वो टिप किसने हमें दी ? गुमनाम फोन किसने किया ? किसने राकेश को माल समेत पकड़वाकर इस बखेड़े के बारूद में पलीता लगाया ?"



–"यह सवाल मुझे भी शुरू से ही हर वक्त परेशान करता रहा है, सर ! पुलिस को गुमनाम फोन करके टिप देने वाला डिसूजा का कोई आदमी था या हसन भाइयों का...?"



–"या फिर किसी और ऐसे शख्स का जो नहीं जानता दोनों पार्टियाँ किस चक्कर में थीं ?"



–"यह भी हो सकता है । मुझे नहीं लगता सर, इस सवाल का जवाब हमें कभी मिल पायेगा ।"



–"फिलहाल इसे छोड़ो और डिसूजा को घेरने की तैयारी करो ।"



रंजीत दरवाजे में रुक गया ।



–"मैं यही करने वाला था । इस टीम में और कौन रहेगा ?"



–"तोमर, कमल किशोर और चार अचूक निशानेबाज़ ।"



–"और आप ?"



–"मैने अभी तय नहीं किया है । दरअसल मुझे अक्सर लगता है इस तरह के रीयल एक्शन के लिये बूढ़ा हो चला हूं ।"



रंजीत मुस्कराता हुआ बाहर निकल गया ।



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उस्मान लंगड़ा ने ।



टेलीफोन की घण्टी बजते ही रिसीवर उठा लिया ।



कालका प्रसाद की कॉल अपेक्षित थी इसलिये उसने सोचा वही होगा लेकिन उसकी जगह मोतीलाल की आवाज़ कान में पड़ी ।



वह सुनने लगा ।



–"तुम्हारी ताकत कितनी है ?" मोतीलाल ने पूछा ।



उस्मान ने सवाल की ओर ध्यान नहीं दिया ।



–"अपनी बात करो । क्या पता लगा ?"



–"बहुत कुछ...बशर्ते कि कीमत सही हो ।"



–"जो मांगोगे, मिल जायेगा । रिपोर्ट दो । जल्दी करो ।"



मोतीलाल ने असगर अली पर चार्जेज लगाये जाने के बारे में बता दिया । दो–चार वे बातें भी बता दी जो हैडक्वार्टर्स में चल रही थीं । फिर महत्वपूर्ण विषय पर आ गया ।



–"अनवर की तरफ उनका ध्यान नहीं है । एस० पी० का कहना है उसे बाद में भी जब चाहें पकड़ सकते हैं । सारी मुहीम उस दुबई वाले डॉन डिसूजा के खिलाफ चलायी जा रही है ।"



–"ठीक है !"



–"उसका मानना है वह चार्टर्ड फ्लाइट से कल सुबह छ: बजे यहां एयरपोर्ट पर पहुंच रहा है ।" मोतीलाल ने कहा । फिर वर्ल्ड काउंसिल ऑन कैथोलिक कम्युनिकेशन और उस होटल के बारे में, जहां उस फ्लाइट के पैसेंजरों की बुकिंग की गयी थी, डिटेल्स देने के बाद बोला–"कल दिन में ग्यारह बजे सब सैंट्रल कैथेड्रल चर्च में सामुहिक प्रार्थना में मौजूद रहेंगे ।"



–"वह कमीना भी वहां जायेगा ?"



–"हां !"



–"पक्की बात है ?"



–"हां ! पुलिस वाले भी सादा लिबास में वहां होंगे ।"



–"ग्यारह बजे ?"



–"हां ।"



–"और कुछ ?"



–"मुझे भी डिसूजा की कई फोटुएं दी गयी हैं । तुम्हें चाहिये ?"



–"हां ।"



मोतीलाल ने उस्मान लंगड़ा के ठिकाने के पास एक बार में फोटो भिजवाने का वादा कर लिया ।



उस्मान लंगडा ने ज्योंहि रिसीवर वापस रखा टेलीफोन फिर बज उठा ।



उसने पुनः रिसीवर उठा लिया ।



इस दफा फोनकर्ता कालका प्रसाद था ।



उस्मान लंगड़ा ने उसे तथ्यों की जानकारी देकर बताया, एक घण्टे बाद पन्द्रह मिनट के लिये फोटो लेने जायेगा ।



कालका प्रसाद ने कहा अनवर जानकर खुश होगा । फ़िलहाल पुलिस का ध्यान उसकी ओर नहीं था और वह दो घंटे बाद फोन करके अनवर की हिदायतों के बारे में बता देगा ।