मैकिनटॉश ने मुझे एक वकील का नाम, पता लिखवा दिया था कि अगर कोई मुसीबत आन पड़े तो उससे संपर्क स्थापित कर लें और उसके ऐड्रेस को हमेशा अपने पास सुरक्षित रखूं। वह कागज इस समय भी मेरे पास था। मैंने वह कागज अपनी जेब से निकाला और स्केट के हाथ में दे दिया।

स्केट उस वकील का नाम पता पढ़ते हुये बोला, “यह वकील आपके जैसे ही केसों की पैरवी करता है। किन्तु आपको यहां आये तो एक सप्ताह भी नहीं हुआ। आपको इसके बारे में कैसे पता चला?”
“इससे आपका कोई संबंध नहीं।”
“ठीक है‒मैं उसे अभी फोन किये देता हूं।”
मैंने डिटेक्टिव इन्स्पेक्टर जॉहन स्केट से अनुरोध करते हुये कहा, “सिगरेट पीते-पीते मेरा गला खुश्क हो गया। यदि आप एक चाय के प्याले का प्रबंध कर दें, तो आपकी बहुत कृपा होगी।”
“मुझे खेद है। मिस्टर रिअरडन कि हम पुलिस स्टेशन में एक संदिग्ध व्यक्ति को चाय तो सर्व नहीं कर सकते, अलबत्ता मैं आपको पानी जरूर पेश कर सकता हूं।”
“तो चलो पानी ही सही।”
“अच्छा मिस्टर रिअरडन अब आप मुझे उन हीरों के बारे में बताईये।”
“कौन से हीरे?”
“तत्पश्चात स्केट काफी देर तक अपने एकमात्र प्रश्न को नये-नये स्वरूप देकर मुझसे हीरों के बारे में पूछता रहा पर मेरा एक ही पेटन्ट उत्तर था‒कौन से हीरे। थक हारकर वह कमरे से बाहर जाने ही वाला था कि जरविस वहां पहुंच गया, और इशारे से स्केट को बुलाकर दरवाजे के पास ले गया। वह काफी देर तक वहां खड़े आपस में खुसर-फुसर करते रहे। तब स्केट फिर मेरे सामने आकर बैठ गया।”
“मिस्टर रिअरडन, तुम्हारे खिलाफ जो इल्जाम है वह इतना स्पष्ट है कि तुम्हारा अभियुक्त साबित हो जाना अवश्यम्भावी हैं। और मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि तुम्हें कम से कम दस वर्ष का कारावास होगा। मैं तुम से अब भी यही कहता हूं कि यदि तुम वह हीरे बरामद करने में हमें सहयोग दो, तो हो सकता है कि जज सजा सुनाते समय नरमी से काम लें।”
“लेकिन कौन से हीरे?” मैंने थकित स्वर में पूछा।
“तो ठीक है। आप मेरे साथ आईये।” कहकर स्केट मुझे एक हाल में ले आया। वहां पर बारह आदमी एक कतार में खड़े थे। जरविस भी वहां पर मौजूद था।
“यह शिनाख्ती परेड है। तुम इस पंक्ति में जहां भी चाहो वहीं खड़े हो सकते हो। और एक बार की शिनाख्त के पश्चात अपनी जगह बदलनी चाहो, तो उसकी भी पूरी इजाजत है।”
मैं पंक्ति में तीसरे नंबर पर खड़ा हो गया। तभी एक छोटे से कद की स्त्री हाल में प्रविष्ट हुई और पंक्ति में खड़े लोगों को ध्यान से देखने लगी। वह पंक्ति के सामने से दो बार गुजरी और अंत में मेरे सामने आकर खड़ी हो गई। “यही वह आदमी है।”
उस स्त्री के हाल से जाने के बाद एक लड़का सा कमरे में आया। और पंक्ति के एक सिरे से आगे बढ़ता हुआ मेरे पास आकर खड़ा हो गया।
“यही है वह।”
जरविस ने उस लड़के को भी हाल से बाहर भेज दिया। इस दौरान मैं पंक्ति में अपनी जगह बदलकर सातवें नंबर पर आकर खड़ा हो गया। तभी एक और आदमी कमरे में प्रविष्ट हुआ, और सीधा मेरे सामने आकर खड़ा हो गया।
“यही वह बदमाश है।”
यह तीसरा आदमी वही डाकिया था, जिससे मैंने पार्सल छीना था।
डाकिये के हाल से बाहर निकलते ही पंक्ति भंग कर दी गई। तब मैंने जरविस से कहा, “तुम तो कह रहे थे कि डाकिये की हालत बहुत गंभीर है?”
“तुम्हें कैसे मालूम हुआ कि वह डाकिया है। तुमने उसे कैसे पहचान लिया?” जरविस ने मेरे प्रश्नों का उत्तर देने की बजाये मुझसे प्रश्न करते हुये पूछा।
मेरे पास कोई उत्तर नहीं था। मैं फंस चुका था।
तब मैंने स्केट से पूछा, “क्या आप वह बता सकते हैं कि मेरे बारे में आपको यह सूचना किस व्यक्ति ने दी थी?”
“उससे आपका कोई संबंध नहीं, मिस्टर रिअरडन। आप पर अभियोग लगाकर कल सुबह आपको मैजिस्ट्रेट की कचहरी में पेश किया जायेगा। मैंने आपके वकील मिस्टर मैसकल को सूचित कर दिया है। वह सुबह कचहरी पहुंच जायेंगे।” यह कहकर डिटेक्टिव इंस्पेक्टर मुझे हवालात में ले आया और एक कोठरी में बन्द कर दिया।
दो
अगले दिन सुबह मुझे ड्यूटी पर तैनात एक सरकारी कर्मचारी पर आक्रमण करके उससे सरकारी संपत्ति छीनने के आरोप में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। मेरा वकील मैसकल भी वहां पहुंच गया था। उसने मुझे जमानत पर रिहा करवाने के लिये यथासंभव प्रयास किये किन्तु मेरे खिलाफ अभियोग इतने सप्रमाण थे कि मेरी जमानत नहीं हो पाई और मेरा केस अदालत के सुपुर्द करके मुझे हवालात वापस भेज दिया गया। वह सारी रात भी मैंने हवालात में काटी।
सुबह मेरा वकील मैसकल मुझसे मिलने आया। उसने मुझे बताया कि मेरे खिलाफ सबूत इतने ठोस हैं कि मेरे बचने का प्रश्न ही नहीं होता। अतएव यदि मैं अपना जुर्म स्वीकार लूं और वह हीरे बरामद हो जायें तो मुझे अधिक से अधिक पांच साल की सजा होगी जो अपील करने पर घटा कर तीन साल कर दी जायेगी। और अगर जेल में मेरा आचार व्यवहार अच्छा रहा, तो मुझे दो साल के बाद ही छोड़ दिया जायेगा। इसके विपरीत यदि मैंने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया और वह हीरे बरामद नहीं हुये तो मुझे कम से कम पंद्रह साल की सजा होगी।
“अब तुम ही बताओ कि तुम अपना जुर्म इकबाल करना चाहते हो या नहीं। मैंने तुम्हें पूरी स्थिति से अवगत कर दिया है।”
“मैंने कोई जुर्म किया हो तो इकबाल करूं। मैं बिलकुल बेगुनाह हूं।” मैसकल ने मुझसे और कुछ नहीं कहा। अपने कागज एकत्र किये और मेरे पास से चला गया।
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अदालत में जब यह केस पेश किया गया, तो इसकी शुरूआत ही इस ढंग से हुई कि मेरे बचने की हर उम्मीद पर पानी फिर गया। पुलिस ने तीन-तीन ऐसे चश्मदीद गवाह पेश किये थे, जिन्होंने मुझे डाकिये पर प्रहार कर उससे कुछ छीनकर बिल्डिंग से भागते देखा था।
डिटेक्टिव इंस्पेक्टर जॉहन स्केट इस केस का मुख्य गवाह था।
“जब हमें यह सूचना मिली तो मैं डिटेक्टिव सारजेन्ट जरविस को साथ लेकर मुलजिम से मिलने उसके होटल गया। मुलजिम के जवाब कुछ ऐसे थे कि मुझे उस पर शक होने लगा, और उसे गिरफ्तार कर लिया। तत्पश्चात हमने मुलजिम की उंगलियों के निशान लिये, और इनको किडिडकर टाइज के ऑफिस में पड़ी चीजों‒मसलन चाय की केतली, कप, प्याले आदि पर पड़े निशानों से मिलाया। यह हूबहू वही थे।”
मेरे वकील मैसकल ने आपत्ति करते हुये स्केट से पूछा, “आपने अभी-अभी यह कहा कि जब आपको यह सूचना मिली...। आप मुझे यह बताइये कि आपको यह सूचना किसने दी?”
स्केट ने तनिक संकोच के पश्चात उत्तर देते हुये कहा, “अपने संपर्क सूत्रों का हवाला देना हमारे लिये हानिकार साबित हो सकता है। अगर पुलिस अपने सूत्रों का नाम प्रकट करने लगी, तो आइंदा से पुलिस को कोई सूचना नहीं देगा।”
मैसबल (मेरा वकील)‒“आपके अपने मुखबिर का नाम प्रकट न करना मेरे मुवक्किल के लिये हानिकर साबित हो सकता है।”
जज (हस्तक्षेप करते हुये)‒“आपके मुवक्किल का केस इस हद को पहुंच चुका है कि उसे और कोई हानि नहीं हो सकती।”
मैसकल‒“बहरहाल मैं उस मुखबिर के बारे में जानना चाहता हूं।”
स्केट‒हमें एक टेलीफोन और एक पत्र द्वारा यह सूचना प्राप्त हुई थी।
मैसकल‒टेलीफोन काल और पत्र दोनों गुमनाम थे?
स्केट‒हां।
मैसकल‒क्या टेलीफोन एवं पत्र दोनों में यह संकेत दिया गया था कि इस मुलजिम ने ही यह अपराध किया है?
स्केट‒हां।
मैसकल‒क्या इन गुमनाम संदेशों में आपको यह भी बताया गया था कि मुलजिम ही किडिडकर टॉइज कंपनी का मालिक है?
स्केट (कुछ संकोच)‒हां।
मैसकल‒क्या किडिडकर टॉइज जैसी कंपनी का मालिक होना कोई अपराध है?
स्केट (कुछ अधीरता से)‒नहीं तो।
मैसकल‒इन्स्पेक्टर स्केट, आप मुझे यह बताइये कि क्या आप इस बात से इंकार कर सकते हैं कि यह केस किसी और ने आपके लिये हल किया?
स्केट‒मैं समझा नहीं।
मैसकल‒मेरे कहने का आशय है कि यदि आपको यह दो गुमनाम संदेश न मिले होते, तो क्या आपने मुलजिम को इतनी जल्दी से पकड़ लिया होता?
स्केट‒मैं इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं देना चाहता। हर मुलजिम एक न एक दिन पकड़ा ही जाता है। यह भी पकड़ा ही जाता।
मैसकल‒पर इतनी शीघ्रता से तो न पकड़ा जाता।
स्केट‒शायद नहीं।
मैसकल‒यानी आप इस बात को स्वीकार करते हैं कि मुलजिम आपके गुमनाम इन्फोरमर की सूचना की बुनियाद पर पकड़ा गया। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह हुआ कि आपके गुमनाम सूत्र को पहले से ही यह मालूम था कि यह घटना घटने वाली है। इससे साफ जाहिर होता है कि आपका मुखबिर इस अपराध में सहअपराधी है। उसने या उन्होंने अपनी जान बचाने के लिये आपको चुपचाप यह सूचना दे दी ताकि उसकी ओर आपका ध्यान ही न जा सके।
मैसकल की इस दलील का स्केट कोई उत्तर नहीं दे पाया लेकिन मैसकल की इस दलील से मुझ पर यह वास्तविकता स्पष्ट विदित हो गई कि वे गुमनाम मुखबिर मैकिनटॉश और मिसेज स्मिथ के अलावा और कोई नहीं हो सकते थे। मेरे वकील ने बहुतेरी दलील दी कि यह काम मेरे अकेले का नहीं है। अतः जब तक दूसरे अपराधी न पकड़े जायें तब तक यह फैसला नहीं किया जा सकता कि असली अपराधी कौन है, किन्तु जज ने मेरे वकील की एक नहीं सुनी और मुझे बीस वर्ष की कैद सुना दी।
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बीस वर्ष ।
मैं चौंतीस वर्ष का हूं, और जब मैं रिहा होऊंगा, तो मेरी आयु चौवन वर्ष की हो चुकी होगी। हे ईश्वर!!
तत्श्पश्चात मेरे हाथों में हथकड़ी डालकर मुझे अदालत से बाहर लाया गया तथा जेलवाहन में बिठाकर जेल पहुंचा दिया गया। मेरे कपड़े उतरवाकर मुझे जेल के कपड़े पहनवाये गये‒फिर मेरा मेडिकल करवाया गया, और उसके पश्चात मुझे एक बारह फुट गुणा सात फुट की कोठरी में बन्द कर दिया गया। संध्या होने को थी। सुबह से शाम तक कटहरे में खड़ा रहने के कारण मैं बहुत थक गया था। अतः कम्बल पर सिर रखते ही मेरी आंख लग गई।
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सुबह जब कैदियों के जागने के लिये जेल की घंटी बजी, और मेरी आंख खुली तो कुछ क्षण के लिये तो मुझे समझ ही नहीं लगी कि मैं कहां पर हूं। मैं आंखें मलता-मलता बिस्तरे से उठा, अपना बिस्तरा लपेट कर एक ओर को रखा, और वहीं बैठकर प्रतीक्षा करने लगा। कुछ देर बाद मुझे बाहर ले जाकर दूसरे कैदियों से कुछ फासले पर बिठा दिया गया। मेरे दोनों ओर दो सशस्त्र सिपाही खड़े कर दिये गये। तब नाश्ता लाकर मेरे सामने रखा गया।
मुझे अचरज होने लगा कि मुझे अन्य कैदियों के बीच बिठाकर नाश्ता क्यों नहीं दिया गया। जब मैंने एक सिपाही से पूछा, तो उसने मुझे कोई उत्तर नहीं दिया। नाश्ते के पश्चात अन्य कैदियों को काम पर भेज दिया गया किन्तु मुझे कोठरी में लाकर बन्द कर दिया गया। मुझे फिर आश्चर्य होने लगा कि मेरे प्रति यह खास रवैया क्यों अपनाया गया है। मेरी कोठरी के बाहर दो सशस्त्र सिपाही तैनात थे। मुझे इस पर भी हैरानी हो रही थी। सारांश में ये कि कुछ भी मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा था।
ग्यारह बजे के करीब मुझे जेल के ऑफिस ले जाया गया। वहां पर कई जेल अधिकारी मौजूद थे। पहले वह मुझे जेल के नियमों के विषयों में बताते रहे। तब मुझे यह बताया गया कि यदि वे लोग मेरे आचार व्यवहार से संतुष्ट नहीं हुये, तो मेरा कारावास बढ़ा देने की सिफारिश करेंगे। अंत में जेल प्रबन्धक ने मुझे बताया कि मैं एक भयानक किस्म का कैदी हूं। अतः मुझे हर समय निगरानी में रखा जायेगा‒रात को सोने से पहले मुझे कमीज के अलावा सब कपड़े उतार कर कोठरी के बाहर रखने होंगे‒और समूची रात मेरी कोठरी की बत्ती जलती रहा करेगी। जब मैंने उससे यह अनुरोध किया कि मैं कुछ पढ़ना-लिखना चाहूंगा, और मुझे पुस्तकों एवं कापियों आदि की आवश्यकता होगी, तो उसने मुझसे कहा कि यह चीजें मेरे लिये उपलब्ध कर दी जायेंगी। जब मैं जेल प्रबन्ध से निवृत्त हुआ तो मुझे बताया गया कि स्काटलैंड यार्ड का कोई पुलिस अधिकारी मुझसे कुछ पूछने के लिये आया हुआ है।
मेरा विचार था जॉहन स्केट मेरा मगज चाटन आया होगा, पर वह कोई और था‒उसका नाम डिटैक्टिव इन्स्पेक्टर फोरविस था।
“बैठ जाओ, मिस्टर रिअरडन।” फोरविस ने अपने सामने पड़ी कुर्सी की ओर इशारा करते हुये कहा।
“मेरा ख्याल है कि तुम्हें यह बता दिया गया होगा कि तुम एक हार्ड रिस्क कैदी हो।”
“हां।”
“वह सब कुछ जो तुम्हें बताया गया है कि तुम्हें हर रात अपने कपड़े कोठरी के बाहर रखने होंगे, और तुम्हारी कोठरी की बत्ती सारी रात जलती रहेगी, उन सबका तुमसे सीधा संबंध है, और यह सब तुम्हें खुद करना होगा। इसके अलावा एक और चीज भी है‒वह तुम्हें नहीं बताई गई क्योंकि वह जेल वाले खुद करेंगे‒वह यह है कि तुम्हें बताये बिना किसी समय भी तुम्हारी कोठरी तब्दील कर दी जायेगी‒और कई बार तुम्हें सिर्फ शौचघर में ही रात व्यतीत करनी पड़ेगी।”
“मेरे साथ क्या बीतेगा, या मुझे कहां रखा जायेगा, उससे तुम्हारा क्या मतलब? अब पुलिस का मुझसे कोई संबंध नहीं।”
“मेरा वाकई कोई संबंध नहीं। मुझे तो खेद इस बात का है कि तुम अपनी मूर्खता के कारण स्वयं इस विपत्ति में फंस गये हो।”
“तुम कहना क्या चाहते हो?”
“मैं यह कहना चाहता हूं कि अब भी कुछ नहीं बिगड़ा‒तुम अभी प्रोबेशन पर हो। अगर तुम सहयोग देने पर तैयार हो, तो मैं अपनी रिपोर्ट में तुम्हारे लिये यह सिफारिश कर दूंगा कि तुम्हारे कारावास की अवधि कम कर दी जाये, यदि तुम सहयोग देने पर तैयार होओ, तो।”
“तुम किस बात में मेरा सहयोग चाहते हो?”
“अब तुम बनने की कोशिश मत करो, रिअरडन। तुम जानते हो कि हमें किस बात में तुम्हारा सहयोग चाहिये‒उन हीरों के बारे में।”
“कौन से हीरे? मुझे कुछ ज्ञान हो, तो मैं तुम्हें सहयोग दूं।”
“देखो रिअरडन, तुम जानते हो कि तुमने वह हीरे उड़ाये हैं तथा हमने तुम्हारा यह जुर्म सिद्ध कर दिया है इसके बावजूद तुम अपनी जिद पर अड़े रहे हो‒तुम इस पहलू पर गौर क्यों नहीं करते कि बीस वर्ष पश्चात तुम्हारा पिंजर निकल आयेगा‒तुम अपने आप तक को पहचान नहीं पाओगे।”
“तुम सिर्फ मुझे यह उपदेश देने ही यहां आये हो? क्या यह भी मेरी सजा का एक हिस्सा है?”
“तुम मेरी बात नहीं सुनना चाहते, तो तुम्हारी मर्जी। मैं तो महज तुम्हारी सहायता करना चाहता हूं। मुझे तो केवल एक ही बात में दिलचस्पी है कि तुम्हें यह कहां से पता चला था कि उस एड्रेस पर हीरों का पार्सल भेजा जा रहा है?”
“तुम फिर घूम फिर कर वहीं आ गये हो‒मुझे कुछ मालूम हो, तो मैं तुम्हें बताऊं।”
फोरबिस काफी समय तक मेरे चेहरे की समीक्षा करता रहा।
“रियरडन, किसी ने तुम्हारा खूब उल्लू खींचा है‒तुम्हें बेवकूफ बनाया है‒तुम्हें धोखा दिया है।”
“मुझे तो समझ ही नहीं पड़ती कि तुम क्या बात कर रहे हो?” मैंने गुस्से भरे भाव से कहा।
“मैं तुम्हें समझाता हूं, रिअरडन‒तुम पहली बार लंदन आये, और तीन दिन पश्चात तुमने वह कांड कर दिया‒तीन दिन के अल्प समय में कोई भी चतुर से चतुर अपराधी एक अजनबी शहर में डाके की योजना बनाकर उसको कार्यान्वित नहीं कर सकता। इससे स्पष्टतया यह विदित होता है कि किसी अन्य ने यह योजना बनाई थी, और तुम्हें इसे कार्यान्वित करने के लिये यहां बुलाया था। कांड होते ही उसने या उन्होंने अपनी ओर से पुलिस का ध्यान बंटाने की खातिर तुम्हें कुरबानी का बकरा बना दिया और स्वयं तुमसे माल लेकर गायब हो गये। जहां तक मेरा अनुभव है उन्हीं लोगों ने हम पुलिस वालों को तुम्हारे बारे में गुमनाम संदेश दिये।”
मैंने कोई उत्तर नहीं दिया।
फोरबिस अपनी बात जारी रखते हुये बोला, “तुम्हारा हित इसी में है कि तुम मुझे उसके बारे में बता दो‒फिर हम किसी न किसी भांति उसका पता लगाकर छोड़ेंगे‒और तुम्हें इसका फायदा यह होगा कि तुम्हारा नाम हाई रिस्क कैदियों की सूची से हट जायेगा, और तुम साधारण कैदियों का-सा जीवन व्यतीत कर सकोगे। साथ ही मैं तुम्हारे बारे में रिव्यू बोर्ड को यह सिफारिश करूंगा कि तुम्हारे कारावास की अवधि कम कर दी जाये। और अगर तुमने सहयोग नहीं दिया, तो तुम्हें बीस वर्ष कोठरियों में व्यतीत करने पड़ेंगे।”
मैं मन ही मन में सोचने लगा कि एक डिटेक्टिव इन्स्पेक्टर की रिपोर्ट को कौन कोई महत्त्व देगा। यह फोरबिस मुझसे सच उगलवाकर श्रेय प्राप्त करना चाहता है। एक बार इसका मतलब हल हो गया, तो फिर यह अपनी सूरत भी नहीं दिखायेगा।
मैंने धीरे से कहा, “बीस वर्ष तो बहुत लंबा समय होता है। मैं तुम्हारी बात पर गौर करके फिर कोई उत्तर दूंगा।”
“हां हां जल्दी करने की कोई आवश्यकता नहीं। लो सिगरेट पियो।”
तीन
एक हफ्ते के पश्चात मुझे अन्य कैदियों के साथ डाईनिंग हाल में खाना दिया जाने लगा। वहां पर मुझे ज्ञात हुआ कि दूसरे कैदी मुझे प्रतिष्ठा की दृष्टि से देखते हैं। जेल का वातावरण अजीब प्रकार का होता है। जिसने जितना बड़ा अपराध किया हो, उसे दूसरे कैदी उतना ही अधिक महत्त्व देते हैं। मैं चूंकि एक हाई रिस्क कैदी था, अतः अन्य कैदी मुझे बहुत ही आदर की दृष्टि से देखते थे। अलबत्ता मैं दूसरों से अलग-थलग रहता था। उनमें से बस एक कैदी से मेरा दोस्ताना हो गया था। उसका नाम जॉहनी था, और वह सेंध मारने के अपराध में सजा काट रहा था। यह उसकी चौथी या पांचवीं जेल यात्रा थी। वह अक्सर मुझे परामर्श देता रहता था कि मुझे जेल में किस तरह का आचार व्यवहार करना चाहिये।
एक बार मैंने यों ही बातों-बातों में उससे कहा, “तुम जब भी सेंध मारते हो, पकड़े जाते हो‒इससे तो बेहतर है कि तुम कोई ऐसा धंधा करो कि तुम पुलिस की गिरफ्त में ही न आ सको।”
जॉहनी विचारमग्न भाव से बोला, “अगर अपने लोग पुलिस की गिरफ्त में न आयें, और अपने को जेल न हुई, तो तुम जैसे हाई रिस्क कैदियों का क्या होगा। बाहर वालों का तो सारा धंधा ही ठप्प हो जायेगा।”
“मैं समझा नहीं।”
“शनैः शनैः सब समझ आ जायेगी। बस तुम सावधान रहा करो क्योंकि तुम पर हर समय निगरानी रखी जाती है।”
“कुछ तो बताओ।” मैंने आग्रह करते हुये जॉहनी से कहा।
जॉहनी अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरता हुआ बोला, “तुमने स्कारपिर का नाम सुना है?”
“न।”
“स्कारपिर एक संस्था है। मैं निश्चित रूप से तो कुछ नहीं कह सकता, पर अफवाह यह है कि ये हाई रिस्क कैदियों को जेल से फरार करने में सहायता देते हैं। यह उनका धंधा है।”
“उनसे संपर्क कैसे स्थापित किया जा सकता है?” मैंने उत्सुकता से जॉहनी से पूछा।
“तुम उनसे संपर्क स्थापित नहीं कर सकते‒यदि वह उचित समझेंगे, तो खुद ही तुमसे संपर्क स्थापित करेंगे। वे गारंटी के साथ काम करते हैं।”
मैंने जॉहनी से विनय करते हुये कहा, “मैं तो यहां के लिये बिलकुल अजनबी हूं। यदि तुम किसी से कहलवा दो, तो तुम्हारा बहुत भला होगा।”
“देखूंगा।” कुछ सोचते हुए जॉहनी ने कहा
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दो महीने बीत गये।
अब मुझे डाईनिंग हाल के झाडू पोंछे की ड्यूटी सौंप दी गई थी। अपने खाली समय में मैं शतरंज खेला करता‒और दोपहर पश्चात जब मुझे कोठरी में बंद कर दिया जाता तो मैं रूसी भाषा पढ़ने लगता। इस दौरान फोरबिस कई बार मुझसे मिलने आया, और उन हीरों के बारे में पूछताछ करता रहा। पर मैंने उसे कुछ बताकर नहीं दिया। जिंदगी कुछ डगर पर चलने लगी थी। मैं यहां जेल के वातावरण से अभ्यस्त हो गया था। इसी तरह से एक साल बीत गया।
इन्हीं दिनों स्लेड से मेरी पहली भेंट हुई। वह नया-नया जेल में आया था। उसे जासूसी के अपराध में बयालीस वर्ष की कैद हुई थी। उसका रंग पीला था, और उसके शरीर से प्रतीत होता था कि किसी समय वह वाकई हृष्ट-पुष्ट रहा होगा। अब वह दो-दो डंडों के सहारे चलता था। बाद में मुझे पता चला था कि उसे पकड़ने से पहले उसकी टांगों और एक कूल्हे में गोली मारी गई थी। तथा वह आठ महीने तक अस्पताल में रहा था।
वह एक रूसी जासूस था और मुकदमे के मध्य में जाकर कहीं यह पता चला था कि वह के जी बी का एजेन्ट है। उसकी अंगरेजी इतनी अच्छी थी कि कोई अनुमान ही नहीं लगा सकता था कि वह एक रूसी हो सकता हे। स्लेड मुझे बहुत अच्छा लगा था‒वह बहुत ही सभ्य, व्यवहार कुशल और एक बहुत ही अच्छा मृदुभाषी था। मैं उससे रूसी भाषा सीखने लगा, और बहुत जल्दी ही उन्नति करने लगा। इस दौरान जॉहनी से मेरी बहुत कम मुलाकात हुई थी। उसने एक प्रकार से मुझसे मिलना जुलना बन्द कर दिया था। एक दिन मैं एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ कोई रूसी किताब पढ़ रहा था कि जॉहनी ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया। मैंने पुस्तक बन्द की, और धीरे-धीरे चलता हुआ उसके पास चला आया। वह उस समय एक फुटबाल पर तबला बजा रहा था।
“क्यों यहां से बाहर जाने का इरादा है?” उसने बाल की टप्पा देते हुए मुझसे पूछा।
“क्यों कोई बात हुई है?” मैंने उत्साह से पूछा।
“बात तो कोई नहीं हुई‒अलबत्ता मुझसे संपर्क स्थापित किया गया है। तुम कहो तो मैं बात आगे चलाऊं।”
“जरूर चलाओ‒जल्दी से जल्दी चलाओ।”
“पैसे का प्रबंध कैसे करोगे?”
“कितना पैसा चाहिये?”
“पांच हजार पेशगी चाहिये, जो खर्चें में लग जायेगा। अपनी फीस तो वह तुम्हारी रिहाई के पश्चात ही वसूल करेंगे।”
“वह कितनी होगी?”
“उस बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं। जो मुझे बताया गया था, सो मैंने तुम्हें बता दिया। वे यह जानना चाहते हैं कि तुम पांच हजार का प्रबंध कब तक कर सकते हो, ताकि वे अपना काम शुरू कर सकें।”
“मेरे पास यहां इंग्लैंड में तो कुछ भी नहीं, किन्तु दक्षिण अफ्रीका में मेरे पास काफी पैसा है। यदि तुम मुझे जोहान्सबर्ग के स्टैन्डर्ड बैंक के एक चैक का प्रबंध कर दो, तो वह मैं भर दूंगा। वह चैक निश्चित रूप से कैश हो जायेगा।”
“उसमें कुछ समय लग जायेगा।”
“कितना समय लग जायेगा, जॉहनी‒मुझे तो उन्नीस साल यहां काटने हैं। चैक भुनने में दस नहीं तो पंद्रह दिन लग जायेंगे।”
“वह देखो जेल प्रबंधक आ रहा है। मैं फिर कभी तुमसे बात करूंगा।” कहकर जॉहनी बाल को टप्पा देते हुये आगे बढ़ गया।
दस दिन पश्चात एक अन्य कैदी ने मुझे चैक लाकर दिया।
“तुम इसे भर के शैरविन को दे देना।”
मैं शेरविन को पहचानता था‒वह भी एक कैदी था, और कुछ ही दिनों में रिहा होने वाला था।
“कोई और भी संदेश है?” मैंने उत्सुकता से उस कैदी से पूछा, जिसने मुझे चैक लाकर दिया था।
“और कोई संदेश नहीं।” कहकर वह कैदी मेरे पास से चला गया। मैंने उस चैक को तह करके जेब में रख लिया।
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उस रात कोई आधी रात बीते मैंने वह चैक अपनी कमीज की जेब से निकाला और उसे पढ़ने लगा। उस पर दस हजार की रकम लिखी थी, जबकि जॉहनी ने मुझे पांच हजार बताये थे। बहरहाल मैंने चैक पर हस्ताक्षर कर दिये, और अगली सुबह वह चैक शैरविन को दे दिया। बीस दिन बीत गये, और मुझे कोई समाचार नहीं मिला।
एक दिन सुबह मैं अनमने से मन से डाईनिंग हाल का झाडू पोंछा कर रहा था कि जेल प्रबंधक मुझे लापरवाही से काम करने के लिये डांटने लगा। पास ही कासग्रोव खड़ा था। कासग्रोव एक अपहरण के सिलसिले में दण्ड भुगत रहा था। जब जेल प्रबंधक मुझे डांट डपटकर वहां से चला गया, तो कॉसग्रोव मुझसे कहने लगा‒“यह डांट डपट तो चलती ही रहती है। आओ एक शतरंज की बाजी हो जाये।”
“आज मूड नहीं कर रहा, कोसी।” मैंने कॉसग्रोव को उत्तर देते हुये कहा।
पास ही जेल का एक अन्य अधिकारी खड़ा था।
कॉसग्रोव ले रहस्यमय भाव से कहा, “आओ एक बाजी खेलते हैं। आज मैं तुम्हें ऐसे टिप बताऊंगा। कि तुम जीतते ही जाओगे।” कहने के साथ वह मेरा हाथ पकड़कर एक मेज पर ले आया, और उस पर विसात बिछाकर मोहरे लगाने लगा।
“अब से मैं तुम्हारा मध्यस्थ। तुम मेरे अलावा किसी से कोई बात नहीं करोगे। तुम मेरा आशय समझ गये हो न?”
“हां समझ गया हूं। सबसे पहले तो मैं अपने पैसे के बारे में बात करना चाहता हूं। तुम लोग मुझसे दस हजार ले चुके हो, और अभी तक मुझे कोई परिणाम दिखाई नहीं दिया।”
“परिणाम तो तुम्हारे सामने है,” कासग्रोव ने शांत स्वर में कहा, “मैं उसका परिणाम हूं।”
“तो बताओ अब क्या करना है?” मैंने अधीरता से कासग्रोव से पूछा।
“देखो रिअरडन, जो तुमने वह रकम दी है, वह तो पेशगी है। वह खर्चे में बराबर हो जायेगी। बाकी रही यहां से भागने की फीस की बात‒तुमने डेढ़ लाख का हाथ मारा था‒हम उसमें से आधा लेंगे।”
“तुम्हारा दिमाग चल गया है। मैं तुम्हें आधा कैसे दे सकता हूं। यह काम मेरे अकेले का नहीं था। इस कांड में हम तीन साझेदार थे। उन्होंने योजना बनाई थी, और मैंने उसे कार्यन्वित किया था। हम तीनों के बीच यह फैसला हुआ था, कि मुझे एक तिहाई मिलेगा‒अतः मैं तुम्हें उस समूची रकम का आधा कहां से दे सकता हूं?”
“वे कौन हैं?” कासग्रोव ने मुझसे पूछा।
“मैंने तो पुलिस को यह नहीं बताया‒तुम्हें क्यों बताऊं? तुम मेरा काम कर सकते हो तो ठीक है, नहीं तो मेरा पैसा वापस कर दो।”
“तुम्हारा पैसा कहीं नहीं जायेगा‒तुम यह तो बता सकते हो कि उस डेढ़ लाख में तुम्हारा कितना हिस्सा था।”
“तुम्हें बताया तो है‒एक तिहाई यानी पचास हजार।”
“वह पैसा कहां है यानी तुम्हारे हिस्से की रकम कहां है?”
“एक स्विस बैंक के नम्बर अकाऊंट में!”
“तो ठीक है,” कासग्रोव ने कहा, “तुम्हें बीस वर्ष की सजा हुई है‒तुम हमें एक हजार पाऊंड प्रति वर्ष के हिसाब से दे दो, अर्थात तुम हमें बीस हजार पाऊंड दे दो‒हम तुम्हें जेल की दीवार फंदवा कर इंग्लैंड से बाहर भेज देंगे। वह हमारी गारंटी है‒किन्तु अगर तुम फिर वापस लौट आये, तो यह तुम्हारी जिम्मेदारी होगी। साथ ही मैं तुम पर यह विदित कर दूं कि जेल से बाहर पहुंचते ही तुम्हें बाकी रकम का भुगतान करना होगा‒और यदि तुमने नहीं किया, तो तुम्हें खत्म कर दिया जायेगा। बोलो मंजूर है?”
“मुझे मंजूर है। तुम लोग मुझे यहां से निकलवा दो‒मैं तुरन्त तुम्हें पैसा दे दूंगा। पर कोसी मुझे एक बात बताओ‒यदि तुम्हारी संस्था दूसरों को यहां से निकलवा सकती है, तो उन्होंने तुम्हें यहां से क्यों नहीं निकलवाया?”
“अगर वे मुझे यहां से निकलवा लें, तो मध्यस्थ का काम कौन करेगा? मुझे यहां दो साल और गुजारने हैं, और यहां पर बीसियों हाई रिस्क कैदी हैं‒उनमें से हर कोई यहां फरार होना चाहता है। इन दो सालों में मैं कम से कम छः सात को तो यहां से फरार करवा दूंगा। मेरे पास इतना पैसा हो जायेगा कि मुझे अपराध करने की जरूरत ही नहीं रहेगी। तुम मुझे एक बात बताओ, रिअरडन‒स्लेड से तुम्हारे क्या संबंध हैं?”
“कोई विशेष संबंध नहीं। मैं उससे रूसी भाषा सीखता हूं‒वह एक बहुत ही अच्छा अध्यापक है।”
“स्लेड जो भी हैं, तुम आज से उससे किसी प्रकार का मेल जोल नहीं रखोगे।” यह कहकर कासग्रौव मेरे सामने से उठकर चला गया।
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मुझे समझ नहीं लगी कि कासग्रौव ने मुझे स्लेड के साथ संबंध तोड़ने को क्यों कहा है। बहरहाल मैंने उसकी इच्छानुसार स्लेड से मिलना जुलना बन्द कर दिया। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, त्यों-त्यों मेरे भीतर तनाव बढ़ता गया। कासग्रौव मेरे पास से निकलता पर मुझसे आंख तक न मिलाता। जब तीन हफ्ते बीत गये, तो एक दिन मैं जबरदस्ती उसके पास आकर खड़ा हो गया।
“कोसी, मेरा शतरंज की बाजी खेलने का मूड है‒आओ।”
“मेरे पास समय नहीं है।”
“समय तो निकालना ही पड़ेगा।” मैंने उसकी आंखों में झांकते हुये कहा।
कासग्रौव मेरी आंखों में देखते हुये बोला, “तो चलो उस मेज पर चलते हैं।”
कासग्रौव ने मेज पर बिसात बिछा दी, और मोहरे लगाने लगा।
“कोसी, मैं बहुत चिंतित हूं‒मेरे ऊपर निगरानी तो और कड़ी कर दी गई है। यह कैसे होगा? आज तीन सप्ताह होने को लाये हैं।”
“तुम्हारा दिमाग खराब है। ऐसे कामों में समय तो लगता ही है। योजना मिनटों में तैयार हो जाती है किन्तु उसकी अंतिम रूप देने में काफी समय दरकार होता है। जेल की दीवार फांदना कोई मुश्किल काम नहीं होता। असली काम दीवार फांदने के पश्चात शुरू होता है कि किस रास्ते से फरार किया जाये ताकि अगर किसी को शक पड़ भी जाये तो भी न रोक सके।”
उसी समय हमें जेल प्रबंधक दिखाई दिया। वह हमारी ओर आ रहा था। हम दोनों खामोशी से शतरंज खेलने लगे।
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दो दिन और बीत गये।
मैं डाईनिंग रूम के झाडू पोंछे से निवृत्त होकर बाहर निकला ही था कि कासग्रौव मेरे पास पहुंच गया।
“तुम्हारा प्रबंध हो गया है।”
“मेरी तो कोठरी बदल दी गई है।”
“उससे कोई अंतर नहीं पड़ता।”
“मुझे क्या करना होगा?”
“तुम्हें दिन के समय दीवार फांदनी होगी।”
“दिन के समय दीवार फांदनी होगी।”
“दिन के समय?”
“हां। दीवार के पास के दो-खंबों की ट्यूब लाईट्स फ्यूज हो गई हैं। उनको बदलने के लिये एक आधे दिन में दोपहर पश्चात के समय एक ट्रक आएगा। जिस समय वह ट्रक यहां पहुंचेगा, वह कैदियों की दोपहर पश्चात की हाजरी का समय होगा। तुम्हें पंक्ति से बुलाया जाएगा, और ट्रक पर लगी लिफ्ट में ऊपर चढ़ कर ट्यूब लाईट्स को उतारने के लिये कहा जाएगा। वह दो खंबे जिनकी ट्यूब लाईट खराब है, वह बिलकुल दीवार से जुड़े हुये हैं। उन खंबों के ऐन पीछे दो मोटे पीतल के रस्से लटका दिये गये हैं। उन रस्सों पर अरंडी का तेलज लगा हुआ है ताकि तुम्हें नीचे फिसलने में किसी कठिनता का सामना न करना पड़े। जब तुम ट्रक की लिफ्ट से दीवार के पास पहुंचो, तो नीचे की ओर कोई ध्यान मत देना। तुम्हारे ऊपर पहुंचते ही नीचे शोर शराबा शुरू हो जायेगा, और एक साथ कई विस्फोटों की आवाज आने लगेगी, मानो गोलियां चल गई हों। तुम नीचे की ओर बिलकुल कोई ध्यान मत देना। और दीवार पर पहुंचते ही पीतल के रस्सों को पकड़कर नीचे फिसल जाना। यह तो रहा तुम्हारा काम। अब मुझे तुम्हें एक संदेश देने को कहा गया है‒वह यह कि बाहर पहुंचने के पश्चात अगर तुमने बाकी का भुगतान नहीं किया, तो तुम्हें ईश्वर भी नहीं बचा सकेगा।”
“तुम लोगों को मांगने से पहले पैसा मिल जायेगा।” मैंने कासग्रौव को आश्वासन देते हुये कहा।
“तो ठीक है। अब मैं शनिवार तुमसे मिलने आऊंगा।” कहकर कासग्रौव आगे बढ़ गया। और फिर अचानक पीछे मुड़ कर मेरे निकट आते हुये बोला, “मैं तुम्हें एक जरूरी बात तो कहना ही भूल गया था‒तुम्हारे साथ एक और आदमी भी जायेगा, तथा तुम्हें उसकी पूरी सहायता करनी होगी।”
“वह कौन है?”
कासग्रौव भावशून्य दृष्टि से मेरी ओर देखने लगा।
“स्लेड।”
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मैं अविश्वास भरी दृष्टि से कासग्रौव की ओर देखने लगा, “तुम्हारा दिमाग तो नहीं चल गया?”
“क्यों-क्या बात हो गई?” कासग्रौव ने मुझसे पूछा, “तुम्हें दूसरों की आजादी से ईर्ष्या ही होती है क्या?”
“क्या बात हो गई?” मैंने तनिक ऊंची आवाज में कहा, “वह दो-दो डंडों के सहारे चलता है। वह बिलकुल अपंग है।”
“चिल्ला क्यों रहे हो। धीरे बोलो।”
मैंने कटु स्वर में कहा, “वह लंगड़ा तो दौड़ तक नहीं सकता‒वह दीवार कैसे फांद सकेगा?”
“तुम जो उसकी सहायता के लिये होओगे।” कासग्रौव ने शांत स्वर में कहा।
“मेरी बला से। मेरी तरफ से वह जाये जहन्नुम में। मैं अपने आपको देखूंगा या उसकी सहायता करूंगा।”
“मैं तुम्हें एक बात बताऊं, रिअरडन‒स्लेड की वह छड़ियां एकदम दिखाने के लिये हैं। जब से वह अस्पताल से आया है, वह यह अभिनय करता रहा है। वह तुम्हारी तरह तो नहीं, पर अच्छा खासा दौड़ सकता है।”
“यदि वह अच्छा खासा दौड़ सकता है, तो अपने बलबूते पर फरार क्यों नहीं होता? तुम यह तो सोचो कि अगर मैं उसकी सहायता करते-करते पकड़ा गया, तो मुझे दरहम में समुद्र के किनारे एक काल कोठरी में बन्द कर दिया जायेगा।”
“स्लेड का भी वही हाल होगा। और फिर तुम यह मत भूलो, रिअरडन कि स्लेड को चालीस वर्ष का कारावास मिला है। तुम कान खोलकर सुन लो, रिअरडन कि तुम्हारी अपेक्षा स्लेड हमारे लिये कहीं अधिक महत्त्व रखता है। तुम अनुमान भी नहीं लगा सकते कि उसकी फरारी के लिये हमने कितना दांव पर लगा रखा है। और जहां तक दरहम की काल कोठरी का संबंध है वहां तो वैसे भी तुम्हें इस इतवार को स्थानांतरित कर दिया जायेगा।”
“तुमने मुझे जाल में फंसा दिया है।”
“तुम्हें स्लेड से इतनी घृणा क्यों हैं?”
“मुझे उससे कोई घृणा नहीं‒मुझे तो उसकी हालत से भय होता है कि कहीं उसकी लंगड़ी टांगें मेरे लिये मुसीबत न बन जायें।”
“तुम कोई चिंता मत करो,” कासग्रौव ने किंचित हास्य भाव से कहा, “तुम्हारे और हमारे बीच यह तय है कि यहां से फरार होने के पश्चात तुम हमें बीस हजार पाऊंड दोगे। तुम एक बार स्लेड को सही सलामत जेल की दीवार पार करवा दो। इतने से काम के लिये हम तुम्हें दस हजार पाऊंड देंगे‒अर्थात हम तुमसे बीस हजार पाऊंड की बजाय दस हजार पाऊंड लेंगे।”
“क्या तुम्हें ऐसी पेशकश करने की इजाजत है?” मैंने दिलचस्पी से कासग्रौव से पूछा।
“बिलकुल इजाजत है। लेकिन तुम तसवीर के दूसरे रुख पर भी गौर कर लो‒अगर तुम स्लेड को सही सलामत बाहर नहीं पहुंचा पाये, तो हम तुम्हें तुम्हारे हाल पर छोड़ देंगे। जेल के बाहर हम तुम्हारी कोई सहायता नहीं करेंगे। और यदि तुमने स्लेड को सही सलामत बाहर पहुंचा दिया, तो हम अंत तक अपना वचन निभायेंगे। इससे तुम अंदाजा लगा सकते हो कि स्लेड की रिहाई हमारे लिये कितना महत्त्व रखती है।”
“मेरा काम स्लेड को दीवार पार करवा के हिफाजत से बाहर पहुंचाना है या कुछ और भी?” मैंने कासग्रौव से पूछा।
“बस इतना ही। तुम दोनों के दीवार पार करते ही हमारे आदमी तुम दोनों को संभाल लेंगे। मैं फिर तुम से साफ-साफ कह दूं कि स्लेड तेजी से नहीं दौड़ सकता‒उसकी टांगों में स्टील की प्लेट लगी हुई हैं‒तुम्हें ही उसकी सहायता करनी होगी।”
“उसके बाजुओं में भी ताकत है कि वे भी नकली हैं?”
“पूरी ताकत है, पर चूंकि उसका नीचे का धड़ गोली लगने के कारण कुछ कमजोर है अतः तुम्हें उसे नीचे से ऊपर की ओर धकेलना होगा।”
“तो ठीक है‒मैं उससे बात कर लेता हूं।”
“बिलकुल नहीं।” कासग्रौव ने कहा, “उससे बात करने की कोई जरूरत नहीं। उसे सब कुछ बता समझा दिया गया है। उसे मालूम है कि उसे क्या करना है। तुमने जो बात करनी है, मुझसे करो।”
तभी जेल की घंटी बजने लगी और दोनों की बातचीत समाप्त हो गई।
“अच्छा तो मैं तुम्हें शनिवार को हाजिरी के मैदान में मिलूंगा।” यह कहकर कासग्रौव वहां से चला गया।
शनिवार के अभी काफी दिन पड़े थे। अगले तीन दिनों में दो बार मेरी कोठरी तब्दील की गई। कई बार मुझे संदेह होने लगता कि कहीं किसी को इस साजिश का सुराग न मिल गया हो। दिन के समय मुझे जब भी मौका मिलता, मैं स्लेड की टांगों की ओर देखने लगता। उसकी टांगें देखकर मुझे निश्चय हो गया कि वे काफी कमजोर हैं, और उसे दीवार पार करवाने में मुझे काफी कठिनता का सामना करना पड़ेगा। इन दो तीन दिनों में मैंने कासग्रौव को एक बार भी स्लेड से बात करते नहीं देखा था। इससे मुझे निश्चय हो गया कि वह किसी अन्य के द्वारा उससे संपर्क बनाये हुये है।
आखिर शनिवार भी आन पहुंचा। मैंने रोजमर्रा के अनुसार डाईनिंग हाल का झाडू पोंछा किया। तत्पश्चात दोपहर के भोजन से निवृत्त होकर मैं ढाई बजने की प्रतीक्षा करने लगा। ढाई बजने से कुछ देर पहले ही मैं हाजिरी के मैदान में चला आया। कासग्रौव पहले से वहां मौजूद था। मैं टहलते-टहलते उसके पास चला आया। अभी दोपहर पश्चात की हाजिरी लगने में कुछ समय बाकी था। कासग्रौव मुझे अपने साथ एक जगह ले आया।
“तुम दीवार पर वह चाक का निशान देख रहे हो।”
“हां।”
उसकी दोनों ओर जो खंबे हैं, उनकी ट्यूब लाईट्स फ्यूज हैं। वह ट्रक ठीक चाक के निशान के पास आकर खड़ा होगा। उस समय तुम पंक्ति में खड़े होओगे। हाजिरी लेने वाला आज देर से आयेगा। तुम चुपचाप पंक्ति से खिसककर ट्रक के पास चले आना, और उसकी लिफ्ट में बैठ आना।”
“और स्लेड?”
“उसे मैं ट्रक के पास पहुंचा दूंगा, और वहां से पीछे हट जाऊंगा। ज्यों ही तुम्हें स्लेड दिखाई दे, तुम उसे खींच कर अपने साथ लिफ्ट में बिठा लेना।”
“अगर किसी ने देख लिया तो?”
“उससे तुम्हारा कोई संबंध नहीं। वह मेरा काम है। तुम बस इतना करना कि जैसे ही तुम्हें स्लेड दिखाई दे, तुम उसे खींच कर अपने साथ बिठा लेना। यह सरासर तुम्हारी जिम्मेदारी होगी।” यह कहकर कासग्रौव मुझे फिर उसी जगह ले आया। जहां पर हाजिरी की लाईन लगनी थी।
“अभी बीस मिनट बाकी हैं।” कासग्रौव ने मुझसे कहा, “तुम यहीं खड़े रहो।”
तनिक देर पश्चात हमें एक ट्रक की आवाज सुनाई देने लगी।
“देखो रिअरडन, अब मैं चलता हूं। अभी थोड़ी देर में वहां, पर छोटा सा झगड़ा शुरू हो जायेगा, जो शनैः शनैः गंभीर रूप धारण कर लेगा। झगड़ा शुरू होते ही तुम उस चाक के निशान की तरफ चलना शुरू कर देना।”
“तुम तो कह रहे थे कि मुझे पंक्ति से खिसककर ट्रक के पास पहुंचना होगा?”
“बहस मत करो‒जो मैं कहता हूं, करते जाओ। ज्यों ही तुम यहां से चाक के निशान की ओर आगे बढ़ना शुरू करोगे, स्लैड तुम्हारे पीछे-पीछे चला जायेगा। तभी वहां पर वह ट्रक आकर खड़ा होगा। तुम स्लेड को कंधों पर उठाकर ट्रक की लिफ्ट में बिठा देना।”
“जेल के बाहर जो क्लोज सर्कट टी. वी. लगे हैं, उनका क्या होगा। हमारी हर नक्लोहरकत उनके पर्दों पर आ जायेगी?” मैंने कासग्रौव से पूछा।
“तुम फिर बहस करने लगे हो।” कासग्रौव ने रुष्ट भाव से कहा, “उनका प्रबंध किया जा चुका है।” यह कहकर कासग्रौव वहां से चला गया।
मैं उस चाक के निशान की ओर आगे बढ़ने लगा। तभी मुझे स्लेड दिखाई दिया। वह मेरे पीछे-पीछे आ रहा था। कासग्रौव दूर एक अन्य कैदी के पास खड़ा गप्पे हांकने का बहाना कर रहा था।
कोई पंद्रह मिनट पश्चात एक ट्रक उस निशान के पास पहुंचकर खड़ा हो गया। ट्रक चालक अपनी सीट से नीचे उतरा, तथा एक निगाह इधर उधर गहरी नजरों से मेरी ओर देखने लगा। तत्पश्चात वह ट्रक के पिछवाड़े के पास आया, और उसका पिछला हिस्सा खोल दिया, और अपनी सीट पर जाकर वापस बैठ गया। तभी वहां से थोड़ी दूरी पर झगड़ा शुरू हो गया। मैंने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। स्लेड ऐन मेरे पीछे खड़ा था। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, और ट्रक के ऊपर बिठा दिया। फिर मैं खुद ट्रक के ऊपर चढ़ा, और एक बार फिर स्लेड को गोद में उठाया और ट्रक की लिफ्ट में बिठाया। उसके साथ उछलकर मैं खुद भी लिफ्ट में बैठ गया। ट्रक चालक अपनी सीट की खिड़की से पीछे हमारी तरफ देखे जा रहा था। मेरे लिफ्ट में बैठते ही लिफ्ट ऊपर की ओर सरकने लगी। कासग्रौव दूर खड़ा तिरछी नजरों से हमारी ओर देखे जा रहा था। सब कैदियों का ध्यान उस झगड़े की ओर था। तभी एक जोर का धमाका हुआ, और जेल के समस्त अधिकारी उपस्थिति मैदान की ओर दौड़ने लगे। जो गार्ड दीवारों के पास नियुक्त थे, वह भी घटनास्थल की ओर दौड़ने लगे। उसी समय वह लिफ्ट दीवार के ऊपर पहुंच गई। वहां पर, जैसा कि कासग्रौव ने मुझे बताया था दो मोटे-मोटे पीतल के रस्से किसी मजबूत सी चीज के साथ हुकों द्वारा अटका दिये गये थे। मैंने स्लेड को अपनी पीठ पर लेटने को कहा, और एक रस्से को कसकर पकड़ लिया, और अपना पूरा बोझ पीतल के रस्से पर डाल दिया। पीतल के रस्से पर इतनी चिकनाई थी कि मेरे दोनों हाथ अपने आप नीचे की ओर फिसलने लगे।
कुछ ही क्षणों पश्चात हम दोनों जेल के बाहर थे।
हम नीचे उतरे ही थे कि एक ट्रक ठीक हमारे सामने आकर खड़ा हो गया। उसमें कई आदमी थे। वह विद्युत गति से ट्रक से नीचे उतरे और हम दोनों को उठाकर ट्रक के अन्दर यूं फेंका, मानो हम दोनों कोई बेजान वस्तु हों। मुझे कुछ समझ नहीं लग रही थी कि क्या हो रहा था। मुझे दीवार से नीचे उतरे अभी पंद्रह सेकंड भी न हुये होंगे, कि मैं उस ट्रक में पड़ा न जाने किधर को जा रहा था। ट्रक साधारण गति से सड़क पर चल रहा था, ताकि किसी को कोई शक ही न हो। तभी ट्रक चालक की पीछे की सीट का दरवाजा खुला, और एक आदमी पीछे मेरे पास चला आया।
“तुम तैयार हो जाओ।”
मुझे कुछ समझ नहीं लगी। उसी समय ट्रक एक वैन के पास रुका, और मुझे ट्रक से नीचे उतार कर उस वैन में बिठा दिया गया।
“स्लेड कहां है? आपने हम लोगों को अलग क्यों किया है?” मैंने वैन चालक से पूछा, किन्तु उसने मुझे कोई उत्तर नहीं दिया।
“आप लोग कम से कम मुझे यह तो बताईये कि आप मुझे किधर ले जा रहे हैं।”
“तुम चुपचाप बैठे रहो‒तुम्हें अभी मालूम हो जायेगा।”
उन लोगों की बात मानने के अतिरिक्त मेरे पास और कोई चारा ही नहीं था। मैं चुपचाप उस वैन में बैठा रहा। मुझे तनिक भी ज्ञात नहीं था कि मुझे किधर ले जाया जा रहा है। थोड़ी देर बाद वैन सड़क से घूमकर एक अंधेरी सी गली में मुड़कर रुक गई। मैं वैन की खिड़की से बाहर देखने लगा। सामने एक बहुत बड़ा लकड़ी का फाटक था। फाटक के दोनों पट खुले हुये थे। फाटक के अन्दर एक महाकाय ट्रक धीमी गति से पीछे की तरफ सरक रहा था। ट्रक के पिछवाड़े का पट खुला हुआ था। वह ट्रक सरकता-सरकता हमारे वाली वैन के पास आकर बोनट से भिड़ गया। ट्रक और वैन के स्पर्श होते ही हमारे वाली वैन का अगला हिस्सा यों ऊपर उठने लगा, मानो वह कोई शटर हो। अब वैन एवं ट्रक एक ही नल पर थे। तथा उन दोनों के बीच बहुत थोड़ा-सा अन्तर था। तभी एक आदमी ट्रक से बाहर आया और वैन को ट्रक के साथ टोकर के फाटक के अंदर ले गया। वैन और ट्रक के अन्दर पहुंचते ही फाटक बन्द हो गया। अब चारों ओर अंधेरा हो गया था तथा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमारे वाली वैन का दरवाजा खुला।
“अब आप नीचे उतर जाइये।” यह एक स्त्री की आवाज थी।
अंधेरा होने के कारण मैं वैन से उतरते-उतरते उस स्त्री से टकरा गया।
“क्या तुम वैन के अन्दर की बत्ती भी नहीं जला सकते!” उस स्त्री ने वैन चालक को डांटते हुये कहा।
वैन चालक ने तुरन्त बत्ती रोशन कर दी।
वह स्त्री बहुत ही सुन्दर थी। उसका कद लंबा, बाल सुनहरे, और आंखें नीली-नीली-सी थीं। उसने अपने लिबास पर एक सफेद कोट पहन रखा था, और अपनी पोशाक से एक डाक्टर प्रतीत हो रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और ट्रक के एक कंपार्टमेन्ट के अंदर ले आई।
“अब आप अपने कपड़े उतार दीजिये‒हमारे पास ज्यादा समय नहीं है।”
“मैं हक्का-बक्का-सा उसकी ओर देखने लगा। एक स्त्री के सामने अपने कपड़े उतार दूं!!!”
“जल्दी कीजिये। मेरी ओर आंखें फाड़-फाड़ कर मत देखिये। अपने कपड़े उतारिये।”
मैं ज्यों का त्यों अपनी जगह पर बैठा रहा।
“आप बुत बनकर मत बैठिये। अपने कपड़े उतारिये। आप पहले आदमी नहीं जिसको मैं नंगा देखूंगी‒मैं कईओं को नंगा देख चुकी हूं।”
मैं संकोच से कपड़े उतारते हुये उसकी ओर देखने लगा।
वह एक सूटकेस से मरदाना बनियान, अंडरवीयर, पतलून, कमीज, तथा जुराबें निकालने में लगी हुई थी। उधर ट्रक चलने लगा था। मैंने चलते हुये ट्रक में जैसे-तैसे करके अंडरवियर, पतलून एवं बनियान आदि पहन लिये। जब मैं कमीज पहनने लगा तो उस स्त्री ने कहा, “अभी कमीज मत पहनो।”
मैंने कमीज एक ओर को रख दी। तभी ट्रक में बैठे हुये एक आदमी ने मुझसे पूछा, “जेल से बाहर कैसा अनुभव हो रहा है?”
“अभी मैं क्या कह सकता हूं?” मैंने उत्तर देते हुये कहा, “मुझे तो तब कुछ महसूस होगा जब मैं बिलकुल आजाद हो जाऊंगा।”
“तुम बिलकुल आजाद हो जाओगे।” उस आदमी ने मुझे आवश्वासन देते हुये कहा।
मैंने पूछा, “आपने जो यह कपड़े मुझे दिये हैं, यह मुझे बिलकुल फिट आये हैं। आप लोगों को मेरे माप का कहां से पता चला?”
“हम तुम्हारे बारे में सब कुछ जानते हैं। केवल एक चीज के अलावा।”
“वह क्या?”
उस आदमी ने सिगरेट सुलगाते हुये कहा, “कि तुम्हारा पैसा कहां हैं, पर वह भी तुम हमें बता ही दोगे।”
“समय आने पर बताऊंगा।”
“इधर आओ।” उस स्त्री ने मुझे अपनी ओर बुलाते हुये कहा।
वह एक बड़े बाशबेसन के सामने स्टूल पर बैठी हुई थी।
“मुझे तुम्हारे बाल शैम्पू करने हैं। तुम यहीं मेरे सामने बैठ जाओ।”
मैं उस स्त्री के सामने बैठ गया। वह मेरे सर में शैम्पू डालकर अपनी लंबी-लंबी उंगलियों से मेरे बालों को मलने लगी। उसने तीन बार ऐसा किया।
तत्पश्चात वह मेरी ठोड़ी को ऊपर उठाते हुये बोली, “अब मुझे तुम्हारी भौहें ठीक करनी हैं।” कहकर वह मेरी भौहों को काटने छांटने लगी।
तब मेरे हाथ में आईना देते हुये बोली, “अब तुम अपने आपको देखो कि कैसे लग रहे हो।”
मैं आईने में अपना प्रतिबिम्ब देखकर आश्चर्यचकित रह गया। मेरे काले बाल भूरे हो चुके थे, भौहों का आकार एकदम बदल गया था। अगर इस समय मैकिनटॉश भी मुझे देख लेता, तो बिलकुल भी पहचान न पाता।
तभी वह स्त्री अपनी उंगलियों से मेरे गालों का स्पर्श करते हुये बोली, “तुम्हें दिन में दो शेव करनी होगी‒एक बारा सुबह और एक बार शाम को‒कहीं ऐसा न हो कि सिर के बालों और दाढ़ी के बालों का रंग अलग-अलग होने के कारण कोई तुम्हें पहचान ले। तुम तुरन्त दाढ़ी बनाओ। शेव का सामान सूटकेस में है।”
मैं उस स्त्री के पास से उठा और सूटकेस से बैट्री से चलने वाला शेवर निकाल कर दाढ़ी बनाने लगा।
जब मैं शेव बना चुका, तो उस स्त्री ने मुझसे कहा, “अब से तुम्हारा नाम रेमांड क्रूसीशैंक होगा। यह लो अपनी कमीजों के लिये कफ लिंक्स। इन पर तुम्हारे नये नाम के आरंभिक अक्षर अंकित हैं। इसके अलावा सूटकेस पर भी यही अक्षर अंकित हैं। तुम इन चीजों का पूरा ध्यान रखना। तनिक-सी भी चूक तुम्हें संदिग्ध बना देगी।”
“और कुछ?” मैंने उस स्त्री से पूछा।
“तुम आस्ट्रेलिया में रह चुके हो। कुछ साल पूर्व जब तुम वहां पर थे, तो तुमने किसी के साथ मिलकर सिडनी में एक कांड किया था। सो हमने तुम्हें एक आस्ट्रेलियन का रूप दिया है– क्योंकि यहां के लोग एक आस्ट्रेलियन एवं दक्षिण अफ्रीका के एक गोरे के बीच अन्तर नहीं कर सकते। अतएव अब तुम एक आस्ट्रेलियन हो। यह रहा तुम्हारा पासपोर्ट।”
पासपोर्ट के साथ-साथ उस स्त्री ने मुझे एक बटुआ भी दिया। बटुए में सिडनी क्लब के कुछ क्रेडिट कार्ड थे, कुछ आस्ट्रेलियन डॉलर थे, आस्ट्रेलिया का मेरे नये नाम का ड्राईविंग लाइसेन्स था, मेरे नये नाम के चंद एक विजिटिंग कार्ड थे‒विजिटिंग कार्डस में मुझे मशीनों के पुरजे आयात करने वाली एक आस्ट्रेलियन कंपनी का प्रबंध संचालक दिखाया गया था। बटुए के एक खाने में एक तसवीर थी। तसवीर में मेरे बाल सुनहरे थे‒बिलकुल वैसे जैसे इस समय थे‒उस चित्र में मैंने अपना दाहिना हाथ एक सुन्दर-सी स्त्री की कमर में डाल रखा था‒तथा हम दोनों के आगे दो छोटे बच्चे खड़े थे।
“यह तुम्हारे परिवार की तसवीर है।” उस स्त्री ने शांत स्वर में मुझसे कहा।
इस तसवीर ने मुझे विस्मित कर दिया था। बहुत बारीकी से देखने पर भी कोई यह अनुमान नहीं लगा सकता था कि यह तस्वीर एक ट्रिक फोटोग्राफी का कमाल है।
इन लोगों ने अपना कार्य बहुत ही कुशलता से अन्जाम दिया था।
“बहुत खूब‒आपने बहुत ही अच्छा किया है।” मैंने प्रशंसा भाव से कहा।
“यह सब चीजें किसी प्रकार के खतरे के प्रति आपका बीमा है। आपके पास इन चीजों के होते हुये आपको कोई हाथ नहीं लगा सकता। यह आपका बीमा है।”
मैंने वह सब चीजें संभालकर सूटकेस में रख दीं, और कमीज पहनकर उसके कफ लगाने लगा।
“इस आदमी को कसकर पकड़ लो।” उस स्त्री ने अपने लोगों से कहा।
उस स्त्री के मुंह से यह शब्द निकलते ही तीन-चार हट्टे-कट्टों ने मुझे अपनी जकड़ में ले लिया।
“यह क्या है...?” मैंने रुष्ट भाव से उस स्त्री से पूछा।
“मिस्टर क्रूसीशैंक, यह हमारा बीमा है ताकि आपके मुंह से कोई ऐसी बात न निकल जाये जिसे कि हमारे लिये कोई विपत्ति उत्पन्न हो जाये।”
उसी समय उस स्त्री ने अपना दाहिना हाथ पीठ के पीछे से सामने किया। उसके हाथ में एक सिरिंज थी। सिरिंज में कोई दवाई भरी थी। उसने बड़े कुशल अंदाज से सिरिंज को ऊपर उठाकर देखा, तथा मेरी ओर आगे बढ़ आई। तब उसने मेरी कमीज की आस्तीन ऊपर चढ़ा दी।
“इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं।” कहकर उसने सुई मेरे बाजू में घोंप दी।
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जब मेरी आंख खुली, तो मुझे ऐसा अनुभव होने लगा, मानो मैं बहुत देर से सोता रहा होऊं। मेरा सर बहुत भारी हो रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था, मानो मेरे सिर पर कोई हथौड़े मार रहा हो। मैं काफी समय तक आंखें बन्द किये बिस्तरे पर लेटा रहा।
थोड़ी देर पश्चात मुझे जोर की प्यास लगने लगी। मैं आंखें खोलकर आस-पास पानी का गिलास देखने लगा। तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई धीरे से दरवाजा बन्द करके कमरे से बाहर गया है। मैं आहिस्ता से उठकर बिस्तरे पर बैठ गया और सोचने लगा कि मैं कहां हूं‒मेरे साथ क्या हो रहा था। मुझे कुछ समझ नहीं लग रही थी। न ही मुझे कुछ याद पड़ रहा था। मैं कमरे की समीक्षा करने लगा।
कमरा बहुत सजा हुआ था। फिर मैं अपने बिस्तरे की ओर देखने लगा।
बिस्तरा बहुत ही आरामदेह था। बिस्तरे पर नजर पड़ते ही मेरी निगाह अपनी नाईट ड्रेस पर चली गई। मैंने सिल्क का पाजामा और कुर्ता पहना रखा था।
अपनी नाईट ड्रैस देखते ही मेरी स्मृति जागृत हो गई। यह सिल्क की नाइट ड्रैस मैंने सूटकेस में देखी थी‒और सूटकेस मैंने ट्रक के कंपार्टमेन्ट में देखा था। तभी मुझे स्मरण हुआ कि अब मेरा नाम रेमांड क्रूसीशैंक हैॆ यह नाम मुझे उस स्त्री ने बताया था।
उस स्त्री का ख्याल आते ही मुझे याद आया कि जब मैं कमीज का कफ कस रहा था, तो उस स्त्री ने मुझे अपने आदमियों से पकड़वाकर मुझे एक सूई लगाई थी, और फिर मुझे कुछ होश नहीं रहा था।
उस स्त्री ने ऐसा क्यों किया? रह रहकर यही प्रश्न मेरे मस्तिष्क में उठ रहा था।
मैंने रोष से अपने ऊपर ओढ़ी हुई चादर हटाई और बिस्तरे से उठ खड़ा हुआ। तभी मेरा सिर चकराने लगा, और मुझे जोर की मिचली होने लगी। मैं लड़खड़ाता हुआ बाथरूम में चला आया और बेसिन पर झुककर उल्टियां करने लगा। पेट चूंकि खाली था, अतः पित्त के अलावा और कोई चीज भी बाहर नहीं निकली। मैं नलका खोलकर कुल्ला करने लगा। उसी क्षण मेरी दृष्टि बेसन के ऊपर लगे आईने पर चली गई।
मैं अपना प्रतिबिम्ब देखकर घबरा गया। मेरी दाढ़ी उग आई थी। मेरे सिर के बालों का रंग सुनहरा था, और दाढ़ी के बालों का रंग काला। मेरा ध्यान फिर उस स्त्री की ओर चला गया। उसने मुझे सावधान किया था कि मुझे हर सुबह और हर शाम शेव करनी चाहिये, अन्यथा सिर के बालों के रंग और दाढ़ी के बालों के रंग के फर्क से मुझ पर संदेह हो सकता है।
तभी मेरी जांघ में खुजली होने लगी। मैं पाजामें की मोहरी ऊपरी चढ़ाकर जांघ को खुजलाने लगा जहां पर मुझे खुजली हो रही थी, वहां पर सूईयों के निशान थे। इसका आशय था कि मेरे बाजु में सूई लगाने के पश्चात मेरी जांघ में भी पांच और सूईयां लगाई गई थीं‒अर्थात कुल मिलाकर मुझे छः सूईयां लगाई गई थीं। मैं कोई अनुमान नहीं लगा सकता था कि मैं कितनी देर बेहोशी की नींद सोता रहा था।
तत्पश्चात मैंने जोर-जोर से अपने चेहरे पर पानी के छींटे मारे और अपना चेहरा तौलिये से पोंछकर बैडरूम में चला आया। वहां एक खूबसूरत सी ड्रैसिंग टेबल पर मेरे शेव का सामान और दूसरी चीजें करीने से सजी हुई रखी थीं। मैंने उन चीजों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया, और बिस्तरे पर बैठकर पास पड़ा आईना उठाकर अपना चेहरा देखने लगा। आईने में अपने पीछे का प्रतिबिम्ब देखकर मैं और शशोपंज में पड़ गया। मैं जिस बिस्तरे पर बैठा था, वह एक डबल बैड था। उस बैड के जिस भाग पर मैं बैठा था, उस पर सलवटें पड़ी हुई थीं, जबकि दूसरा बिस्तरा बिलकुल साफ था। तभी मेरी दृष्टि बिस्तरे के पास पड़े समाचार-पत्र पर पड़ गई। मैं वह समाचार-पत्र उठाकर पढ़ने लगा।
पहले पृष्ठ पर एक कैदी (मेरी) फोटो छपी हुई थी, नीचे यह ब्यौरा दिया हुआ था कि यह कैदी जेल की दीवार फांद कर जेल से फरार हो गया है। फरार होने से पहले क्लोज सर्कट टी बी के पर्दे पर पेंट छिड़क दिया गया था। तथा अचानक यह घटना उस समय घटी थी जब जेल में दो गुटों के बीच उपद्रव हो गया था। इस उपद्रव में जेल प्रबंधक की टांग टूट गई थी, और उसे अर्धचेतना की अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया था। समाचार के अंत में यह लिखा हुआ था कि जेल से कुछ फासले पर एक छोड़ा हुआ ट्रक पाया गया जिसका दावा करने के लिये अभी तक कोई नहीं आया।
समाचार-पत्र के संपादक ने अपने संपादकीय में जेल अधिकारियों के तीव्र शब्दों में निंदा की थी। यह समाचार तथा संपादकीय पढ़कर मेरा सर दर्द काफी हद तक कम हो गया था।
मैंने समाचार-पत्र पढ़कर एक ओर रखा ही था कि मुझे दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी। एक आदमी सफेद कोट पहने नाश्ते की ट्रॉली धकेलकर अंदर ला रहा था। उसके पीछे एक और आदमी था। उसका कद कुछ लंबा था।
“हम आपके लिये हल्का नाश्ता लाये हैं।”
“मेरी तबियत ही ठीक नहीं है मैं नाश्ता क्या क्ररूंगा।”
“आपकी तबीयत तो अब तक ठीक हो जानी चाहिये थी। हमने पहले ही आप की बैड टेबल के पास एक एस्परीन की शीशी और पेट ठीक करने की दवा रख दी थी। आपने शायद ध्यान नहीं दिया होगा।”
“मेरा ध्यान इस तरफ था।” मैंने उंगली से समाचार-पत्र की ओर इशारा करते हुये कहा।
“यह तो कोई विशेष समाचार नहीं है।” यह कहकर वह ट्रॉली लाने वाले को संबोधित करते हुये बोला, “तुम जा सकते हो।” तब मेरी ओर देखते हुये कहने लगा, “अगर मैं चाय के लिये यहीं रुक जाऊं, तो आपको अखरेगा तो नहीं?”
“मुझे क्यों अखरने लगा‒आप तशरीफ रखिये।”
तब वह ट्रॉली वाला मेज पर नाश्ता लगाकर कमरे से बाहर चला गया। और वह दूसरा आदमी मेरे सामने बैठ गया। उसकी आकृति बड़ी अजीब सी थी...कद लंबा, शरीर दुबला-पतला और चेहरा एकदम भारी और मोटा।
“आपकी तारीफ?” मैंने उससे पूछा।
“मेरी कोई तारीफ नहीं है।”
“मैंने आपका नाम पूछा है।”
“मेरा कोई नाम हो, तो मैं आपको बताऊं।” वह यह उत्तर देने के साथ-साथ विषयांतर करता हुआ बोला, “बाथरूम में आपके इस्तेमाल के लिये एक गाऊन टांग दिया गया है। आप एस्परीन की दो गोलियां ले लीजिये‒आप अभी थोड़ी देर में ठीक हो जायेंगे।”
मैं अपनी जगह से उठा और एस्परीन की शीशी उठाकर बाथरूम में चला आया। एस्परीन की दो गोलियां खाईं, और गाऊन पहनकर बाहर कमरे से वापस पहुंचा। वह मोटे चेहरे वाला‒यानी फैटफेस‒चाय बनाने में लगा हुआ था।
मैं उसके सामने बैठ गया और टमाटो सूप पीने लगा।
“यदि तुम्हें कष्ट न हो, तो मेरे लिये भी चाय बना दो।” मैंने फैटफेस से कहा।
“कष्ट काहे क्या।” कहकर फैटफेस मेरे प्याले में चाय उड़ेलने लगा। “और कोई सेवा?”
“और सेवा यह है कि मुझे यह बताओ‒मैं इस समय कहां पर हूं?”
“मुझे खेद है मिस्टर रिअरडन कि यह बात मैं आपको नहीं बता सकता।”
मुझे पहले ही ज्ञात था कि इस बारे में वह मुझे कुछ नहीं बतायेगा।
मैंने दूसरे बिस्तरे की ओर इशारा करते हुये उससे पूछा, “यह किसके लिये है?”
“स्लेड के लिये।” वह बोला।
“वह कहां पर है?”
“वह स्वास्थ्य लाभ कर रहा है।” कहने के साथ फैटफेस ने चाय की प्याली मेरे सामने सरकाते हुये कहा, जब तक आपको यहां से स्थानांतरित करने का समय नहीं आ जाता, तब तक आपको इन दो कमरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहना पड़ेगा।”
“तो वह समय कब आयेगा?”
“यह तो आप पर निर्भर है। जब तक आप यहां पर हैं आपको किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने दिया जायेगा। आपको जिस सुविधा की आवश्यकता होगी, वह आपके लिये उपलब्ध कराई जायेगी। हम आपको आराम पहुंचाने का हर संभव प्रयास करेंगे।” कहकर वह अपनी जगह से उठा, और दीवार पर लगी एक अलमारी खोलता हुआ बोला, “इसमें हर प्रकार की व्हिस्की मौजूद है। आपका जब जी चाहे, आप कोई भी व्हिस्की पी सकते हैं। इसके लिये कोई रोकथाम नहीं। आप मुझे यह बता दीजिये कि आप सिगरेट कौन-सी पीते हैं?”
“राथमैन फिलटर।”
फैटफेस अपनी नोट बुक में नोट करते हुये बोला, “इसका प्रबन्ध भी कर दिया जायेगा। और कुछ?”
“मुझे डिनर के साथ अंगूरी शराब चाहिये।”
“उसका इंतजाम भी कर दिया जायेगा। अब आप बताइये कि आप अपना इंतजाम कब कर रहे हैं। मैंने सुना है कि आपको बीस हजार पाउंड का इंतजाम करना है।”
“तुमने बिलकुल गलत सुना है। मुझे केवल दस हजार पाऊंड का प्रबन्ध करना है। दस हजार पाउंड तो,” मैंने डबल बैड के दूसरे भाग की ओर इशारा करते हुये कहा, “दस हजार पाऊंड तो इसे अपने साथ लाने के तय हुये थे। वह बीस हजार पाऊंड से कम कर दो‒इस तरह अब मुझे केवल दस हजार पाऊंड देने हैं।”
“आप जितनी जल्दी अपना भुगतान कर देंगे, उतनी ही जल्दी आपको यहां से रवाना कर दिया जायेगा।”
“मुझे यहां से कहां के लिये रवाना किया जायेगा?”
“यह आप हम पर छोड़ दीजिये। बहरहाल आपको इंग्लैंड से कहीं बाहर ही भेजा जायेगा।”
“पर मुझे यह तो ज्ञान होना चाहिये कि मुझे यू-के से बाहर कौन-सी जगह भेजा जायेगा?”
फैटफेस ने अपने दोनों हाथ हवा में फैलाते हुये कहा, “मुझे खेद है, मिस्टर रिअरडन‒यह बात हम आपको पहले से नहीं बता सकते। यहां से जाने के पश्चात आपके मुंह से कोई बात निकल गई, और उन लोगों को यह पता चल गया कि मैंने उनका भेद आप पर प्रकट कर दिया था तो मेरी साख पर कलंक लग जायेगा। बहरहाल आप पर यह तो विदित कर ही दिया गया होगा कि यदि आपने अपना वचन न निभाया तो उसका क्या परिणाम होगा।”
मैं तुरन्त समझ गया कि फैटफेस ढके छिपे शब्दों में मुझे धमकी दे रहा है।
“तुम मुझे ज्यूरिज के हैन्डले बैंक का एक चैक ला दो।”
“आपका अकाऊंट नंबर?”
“वह मैं अपने आप भर दूंगा। तुम उसमें 2 लाख स्विस फ्रेंक्स की रकम भर दो। तुम लोग अपना हिस्सा लेकर बाकी की रकम मुझे उस देश की करंसी में देना, जिस देश में तुम लोग मुझे यहां से स्थानांतरित करना चाहते हो।”
“आप बहुत ही समझदार हैं। बहुत ही बुद्धिमान हैं‒आप बहुत अक्ल से काम ले रहे हैं।” फैटफेस ने उपदेशात्मक स्वर में कहा।
“प्रशंसा का धन्यवाद‒अब तुम मुझे यह बताओ कि मुझे हर समय यही कपड़े पहनने होंगे, या मेरे लिये कुछ और कपड़े भी हैं?”
“वार्डरोब आपके माप के कपड़ों से भरा हुआ है। आप कौन-सा लिबास चाहें पहन लें।”
मैं वार्डरोब के पास चला आया। वार्डरोब में अनेक प्रकार के सूट टंगे हुये थे। कमीजें तह हुई पड़ी थी। एक ओर शू रैक में दो जोड़े लाल और दो जोड़े काले जूतों के रखे हुये थे। हर जोड़ा पालिश किया हुआ था, और चमचमा रहा था। मैंने समूची अलमारी खंगाल मारी पर मुझे वह पासपोर्ट और बटुआ कहीं दिखाई नहीं दिये।
“मेरा पासपोर्ट और बटुआ तो गायब है।”
“इस समय आपको उनकी आवश्यकता ही क्या है।” फैटफेस ने मुझसे कहा, “समय आने पर वह आपको मिल जायेंगे।”
मुझे विश्वास होने लगा कि ये लोग बहुत ही फूंक-फूंक कर कदम उठाने वालों में से हैं। जिस चीज की जिस समय आवश्यकता हो, वह खुले दिल से देते हैं, और जिस चीज की आवश्यकता न हो, उसके पास तक नहीं फटकने देते। और किस चीज की किस समय आवश्यकता होगी, यह वह खुद निर्धारित करते हैं।
“मिस्टर रिअरडन उर्फ मिस्टर क्रुसीशैंक, आपको यदि किसी चीज की भी आवश्यकता पड़े, तो आप घंटी का बटन दबा देना। बंदा आपकी सेवा में हाजिर हो जायेगा।”
तभी कमरे का दरवाजा खुला और वह ट्राली धकेलने वाला कमरे के अन्दर चला आया।
फैटफेस ने मुझे उसका परिचय देते हुये कहा, “यह हर समय आपकी सेवा में उपस्थित रहेगा।” कहकर फैटफेस मेरे चेहरे की ओर देखने लगा, “आप शेव कर लें तो बेहतर हैं।” कहने के साथ वह कमरे से बाहर निकल गया।
फैटफेस के कमरे के बाहर निकलते ही मैं बाथरूम में घुस गया और शेव बनाकर नहाने के लिये कपड़े उतारने लगा। अनायास ही मुझे विचार आया कि अगर मैकिनटॉश ने मेरा हिस्सा बैंक में जमा न कराया हुआ, तो? इसी के साथ मुझे एक और भी ख्याल आया कि मैं इस समय हूं कहां पर? फैटफेस ने तो इस बारे में मुझे तनिक भी संकेत नहीं दिया था। टफि...फैटफेस ने अभी-अभी मुझसे कहा था कि टैफि हर समय मेरी सेवा में उपस्थित रहेगा। टैफि एक अंग्रेजी नाम नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझे पहले से ही यू-के से बाहर पहुंचा दिया गया हो। और इस समय मैं किसी और मुल्क में होऊं। खैर, समय आने पर सब कुछ पता चल जायेगा।
तत्पश्चात मैं बाथटब में बैठ गया।
पांच
फैटफेस मेरी एवं स्लेड की यों देखभाल करता, मानो हम दोनों वी-आई-पी हों। हमें किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी जाती थी। किन्तु हम यह पता नहीं लगा पाये कि हम कहां पर हैं। हम समाचार-पत्र मांगते, तो वह पेश कर दिया जाता। खाने के लिये मुर्गा मच्छी के लिये कहते, तो वह मेज पर चुन दिये जाते, पीने के लिये यदि स्कॉच के लिये मन करता, तो वह हमारे आगे लाकर रख दी जाती।
लेकिन जब मैं और स्लेड ने एक टेलीविजन के लिये फैटफेस से अनुरोध किया, तो वह भावशून्य दृष्टि से हमारी ओर देखने लगा, और कोई उत्तर दिये बिना कमरे से बाहर निकल गया।
“यह टेलीविजन देने से क्यों संकोच कर रहा है?” मैंने स्लेड से पूछा।
स्लेड मेरी ओर हिकारत की दृष्टि से देखते हुये बोला, “क्योंकि टेलीविजन से हमें तुरन्त पता चल जायेगा कि हम कहां पर हैं।”
“लेकिन समाचारपत्र तो हमें नियमित रूप से दिये जा रहे हैं?”
“हे ईश्वर।” स्लेड ने निराशा का दीर्घश्वास छोड़ते हुये कहा, “तुम्हारी अक्ल पर न जाने क्यों पत्थर पड़ गये हैं‒समाचार-पत्रों से हमें कुछ भी पता नहीं चल सकता।” कहकर स्लेड नीचे से समाचार पत्र उठाकर मेरे सामने करता हुआ बोला, “यह लंदन का ‘टाईम्ज’ समाचार पत्र है। यह पांच तारीख का है। कल जो समाचार पत्र हमें दिया गया था, वह चार तारीख का था‒और जो समाचार पत्र हमें दिया जायेगा, वह छः तारीख का होगा। लेकिन इससे हम यह कैसे निर्धारित कर सकते हैं कि आज पांच तारीख है। हो सकता है कोई और तिथि हो। हमें समय और जगह का तो कोई आभास ही नहीं। इसके अतिरिक्त यह भी तो हो सकता है कि हम फ्रांस में हों, यह समाचार पत्र एयर मेल के संस्करण हों। इन समाचार पत्रों से कोई भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता।”
“तुम्हारा क्या विचार है? हम क्या फ्रांस में हैं?”
स्लेड खिड़की से बाहर देखते हुये बोला, “मुझे तो यह फ्रांस प्रतीत ही नहीं होता।” तब एक लंबा-सा सांस खींचकर कहने लगा, “और न ही यहां की वायु में फ्रांस की गंध है। हम कहां पर हैं, इस बारे में कोई भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता। और न ही मैं जानना चाहता हूं।”
“तुम्हें इस बारे में तनिक भी चिंता नहीं कि तुम कहां पर हो?” मैंने स्लेड से पूछा।
“न....मुझे तो केवल इतना पता है कि मैं अपने वतन वापस लौट रहा हूं। मुझे अपनी मातृभूमि की सर जमीन पर कदम रखे अट्ठाईस वर्ष हो चुके हैं।”
मैंने स्लेड से कहा, “उन लोगों ने जो तुम्हें रिहा करवाने के लिये मुझे दस हजार छोड़े हैं, तो इसका आशय है कि उन लोगों के लिये तुम्हारा काफी महत्त्व होगा। एक अन्य व्यवसाय का पेशेवर होने के नाते उनके बारे में तुम्हारी क्या राय है?”
“वे सही मानो में पेशेवर हैं‒जैसा कि मैं।”
“पर तुम तो पकड़े गये थे।”
“अट्ठाईस साल बाद पकड़ा गया था‒और वह भी निरे संयोग से।”
“तुम जरा तफसील से बताओ कि इस समूह के बारे में तुम्हारी क्या राय है।”
“इनके सुरक्षा उपाय बहुत ही उत्तम हैं, और इनकी संस्था सर्वथा त्रुटिहीन है। जैसा उनमें तालमेल है, वैसा तालमेल मामूली संस्थाओं में नहीं पाया जाता।”
मैंने भी कुछ ऐसा ही अनुभव किया था कि ये लोग कोई साधारण अपराधी नहीं हैं। वे अपराध को एक व्यवसाय समझते हैं, और उसे धंधे के रूप से चलाते हैं। मैं स्लेड से और कुरेद करने लगा।
“तुम्हारे विचार में उनका पेशा भी वही तो नहीं जो तुम्हारा है?”
“हो भी सकता है और नहीं भी। एक संस्था को ढंग से चलाने के लिये काफी पैसा दरकार होता है। और ऐसी संस्था को चलाने के लिये एक तगड़ी पुश्त पनाह की आवश्यकता होती है।”
“तुम्हारे विचार में इनको किसकी पुश्त पनाह हो सकती है?”
“हो सकता है इन्हें हमारे लोगों की पुश्त पनाह प्राप्त हो।”
“हमारे लोगों से तुम्हारा आशय?”
“के-जी-बी।” स्लेड ने सपाट लहजे में कहा।
मुझे पहले से ही इस बात का संदेह था।
स्लेड ने मुझसे पूछा, “मेरे बारे में तुम्हारी क्या राय है?”
“तुम्हारे बारे में मेरी कोई राय नहीं। मेरा तुमसे कोई संबंध ही नहीं, जो मैं तुम्हारे बारे में कोई राय कायम करूं।”
“मैंने आखिर तुम्हारे देश में जासूसी की है‒तुम्हारी कोई न कोई राय तो होनी ही चाहिये।”
“यह मेरा देश है ही नहीं‒मैं तो दक्षिण अफ्रीका का रहने वाला हूं।”
 
कोई एक सप्ताह पश्चात एक दिन वे स्लेड को नीचे ले गये। जब वह वापस आया, तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया, और बस यही कहकर टाल दिया कि मुझे एक बिजनेस कांफ्रेंस में भाग लेने के लिये नीचे बुलाया था।
अगले दिन फिर मुझे नीचे ले जाया गया। और एक खूबसूरत से कमरे में एक सुखद से सोफे पर बिठा दिया। तनिक देर पश्चात फैटफेस वहां पहुंचा। उसके हाथ में ज्यूरिच के हैन्डले बैंक का चैक था।
“आप इस पर अपना अकाऊंट नंबर लिख दीजिये। रकम मैं खुद भरूंगा।” मैंने संकोच से अपना अकाऊंट नंबर उस पर लिख दिया।
“देखो, अगर तुमने 2 लाख स्विस फ्रैंक्स से एक कौड़ी भी ऊपर निकलवाई, तो तुम जहां भी होओगे, मैं तुम्हारा पीछा करके तुम्हें जिंदा दफन कर दूंगा।”
“मुझे ढूंढ़ निकालना कोई सहज काम नहीं।” फैटफेस ने अविचलित भाव से कहा।
“तुम इस भरोसे में मत रहना कि तुम मुझे धोखा देकर गायब हो सकते हो। मैं तुम्हें पाताल से भी ढूंढ़ लाऊंगा। तुम लोगों को यदि मेरे बारे में पूरी जानकारी है तो तुम्हें मालूम होगा कि जो मेरा रास्ता काटता है, मैं उसे ही काट देता हूं।”
फैटफेस ने थूक निगलते हुये कहा, “हमारी शोहरत भी आपसे कुछ कम नहीं हैं। जिन लोगों का हमारे साथ वास्ता पड़ा है वे इस बात से परिचित हैं कि हम अपने धंधे में न कोई बेईमानी करते हैं, और ना ही किसी को अपने साथ बेईमानी करने देते हैं।”
“तो ठीक है।” मैंने फैटफेस से पूछा, “यह चैक कब तक भुन जायेगा?”
“यही कोई एक हफ्ते में।” यह कहने के साथ फैटफेस कमरे से बाहर चला गया।
 
तीन दिन पश्चात वे स्लेड को वहां से ले गये‒और फिर वह वापस नहीं आया। मुझे उसकी कमी महसूस होने लगी। उसकी संगति में मेरा मन लगा रहता था‒और अब उसके बिना मेरा मन यहां से ऊबने लगा था।
उधर जब मैंने फैटफेस को धमकाया था, उसने भी मेरे पास आना जाना कम कर दिया था। और जब भी मेरे पास आता बड़े अनमने भाव से मुझसे बातचीत करता। उसे यकीन था कि मेरा चैक नहीं भुनेगा, तथा वापस लौट आयेगा। मुझे भी यही चिंता लगी रहती थी कि यदि मैकिनटॉश ने मेरा हिस्सा बैंक में जमा न कराया हुआ, तो मेरा क्या होगा!
और फिर वह दिन भी आन पहुंचा।
मैं अपने कमरे में बैठा हुआ था कि फैटफेस वहां पहुंच गया।
“तुमने तो कमाल कर दिया।”
“क्यों क्या हुआ?”
“तुम्हारा चैक भुन गया है।”
“मैं तो शुरू से ही तुमसे यह कहता था कि तुम लोगों को पैसा मिल जायेगा। तुम्हें ही विश्वास नहीं होता था। अब तुम मुझे बताओ कि मेरी मुक्ति कब होगी?”
“बैठ जाओ।” फैटफेस ने कुर्सी की ओर इशारा करते हुये कहा, “मैं तुमसे कोई बात करना चाहता हूं।”
“अब क्या बात बाकी रह गई है‒मैंने जो कहा था, वह पूरा कर दिया‒अब तुम अपना वचन निभाओ और मुझे यहां से मुक्त करो।”
“यहां से तो तुम चले ही जाओगे, किन्तु एक बाधा उत्पन्न हो गई है, और उसे तुम ही दूर कर सकते हो।”
“वह क्या बाधा है?” मैंने फैटफेस से पूछा।
“बात यह है कि प्रशासनिक एवं पुलिस रिकार्ड के अनुसार तो तुम वाकई रिअरडन हो, पर वास्तव में तुम कोई और हो। तुम मुझे यह बताओ कि तुम हो कौन?”
फैटफेस के इस प्रश्न ने मेरे समूचे अस्तित्व को झकझोर दिया।
“तुम पागल तो नहीं हो गये?” मैंने अपने आप पर अधिकार रखते हुये कहा।
“यह तो तुम भली-भांति जानते हो कि मैं पागल नहीं हूं और सोच समझकर मुंह से कोई बात निकालता हूं।”
“यदि तुम पागल नहीं हुये, तो क्या तुम्हारे मन में खोट आ गया है। अब तुम मुझसे पैसा लेकर अपने दायित्व से जी चुराना चाहते हो। और यदि तुम्हारे दिल में यह खोट आ गई है, तो उसे अपने दिल से निकाल दो। मैं तुम लोगों को दिन में तारे दिखा दूंगा।”
“तुम इस स्थिति में नहीं हो कि हमें धमकी दे सको।” फैटफेस ने शांत स्वर में कहा, “तुम अभिनय छोड़कर मेरे प्रश्न का स्पष्ट उत्तर दो‒तुम रिअरडन नहीं हो। यह तुम जानते हो‒और अब हम भी जानते हैं।” मेरा गला खुश्क होने लगा।
“तो तुम साबित करो कि मैं रिअरडन नहीं हूं।”
“बेवकूफों जैसी बातें मत करो। हमने तुम्हारे विषय में पूरी तहकीकात करने के पश्चात तुम्हारे सामने यह सवाल उठाया है कि तुम्हारी असलियत क्या है? तुम वास्तव में कौन हो?”
“मैं रिअरडन हूं।”
“यदि तुम वाकई रिअरडन हो तो जॉहन वारस्टर स्कवेअर (जोहानसबर्ग शहर की कोतवाली) से भली-भांति परिचित होओगे। वहां की हवालात में तो तुम्हें कई बार बन्द किया गया होगा।”
“बन्द तो उन्होंने मुझे अनेक बार किया था, पर एक बार भी मेरे विरुद्ध कोई जुर्म साबित नहीं कर सके। इससे बढ़कर और क्या प्रमाण हो सकता है कि मैं रिअरडन हूं।”
“इसी से तो साबित हुआ है कि तुम रिअरडन नहीं हो।”
“वह कैसे?”
“क्योंकि तुम्हें हर बार छोड़ दिया जाता था।”
“मैं तुम्हारी चिकनी चुपड़ी पहेलियों में नहीं आने वाला, कि चूंकि पुलिस मेरे खिलाफ कोई मुकदमा नहीं बना सकी, अतएव मैं रिअरडन नहीं हूं। तुम कहीं अफीम खाकर तो नहीं आये?”
“मैं अफीम खाकर नहीं आया‒अलबत्ता तुमने जो अपनी वास्तविकता पर झूठ का गाढ़ा रंग चढ़ा रखा है, उसे उतारने का प्रयास कर रहा हूं।”
“तो उतारो फिर‒मुझे भी तो पता चले कि मैं कौन हूं।” मैंने फैटफेस से कहा।
फैटफेस शांत स्वर में उत्तर देते हुये बोला, “जॉहन वारस्टर स्कवेअर के एक प्रवर पुलिस अधिकारी से हमारे घनिष्ठ संबंध हैं। हमें जब भी दक्षिण अफ्रीका का कोई काम पड़ता है, तो हम उससे सहायता लेते हैं। हमने उससे रिअरडन की उंगलियों के निशान मंगवाये हैं। तुम्हारी उंगलियों के निशान हम चाय की प्यालियों, शीशे के गिलासों पर से उतारते रहे हैं। तुम्हारे और रिअरडन की उंगलियों के निशान बिलकुल भी मेल नहीं खाते। अतएव तुम्हारे रिअरडन होने का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता।”
“हाथों के निशानों से क्या होता है। तुम मुझे अपनी उंगलियों के निशान दो‒मैं तुम्हारे सामने उनका अपनी उंगलियों के निशानों से मेल खिला दूंगा।”
“मुझे मंजूर है।” फैटफेस ने उत्तर देते हुये कहा, “किन्तु मैं तुम पर यह स्पष्टतया विदित कर देना चाहता हूं कि जब तक हमें यह पता नहीं चलेगा कि तुम वास्तव में कौन हो, और वहां क्या करने आये हो, तब तक तुम यहां से जीवित वापिस नहीं लौट सकते।”
“तुम भली भांति जानते हो कि मैं यहां क्या करने आया था‒अब मैंने तुम्हें पैसा दे दिया है‒तुम लोग अपना वायदा पूरा करो और मुझे यू-के से बाहर पहुंचाओ।”
फैटफेस अपनी जगह से उठता हुआ बोला, “अब मैं चलता हूं। मैं कल सुबह फिर आऊंगा। तब तक तुम्हारे पास काफी समय है। तुम सोचकर मुझे जवाब दे देना, पर जवाब सही होना चाहिये।” कहकर फैटफेस कमरे से बाहर चला गया।
फैटफेस के कमरे के बाहर जाते ही मैं यह सोचने लगा कि झूठ तो मैं बहुत खूबसूरती से बोल सकता हूं, किन्तु झूठ से फैटफेस को काइल करना असंभव था। उसे निरुत्तर करने के लिये एक लंबे-चौड़े अफसानों की आवश्यकता थी‒और मैं अफसाने घड़ने में बिलकुल कोरा था।
मैं बहुत भारी मुश्किल में फंस गया था।
 
समझ में नहीं आता कि इस वृत्तांत को कहां से आरंभ करूं। यह उन दिनों की बात है जब मैं जोहानसबर्ग के एक दफ्तर में काम करता था, और अकेला एक कमरे में रहता था।
एक दिन सुबह मैं नियमानुसार दफ्तर जाने के लिये तैयार होकर अपने अपार्टमेंट से नीचे उतर आया, तथा अपने लैटरबक्स से पत्र निकाल कर दफ्तर पहुंचने से पहले उनको पढ़ने लगा। उनमें से एक लिफाफे से मधुर सुगंध आ रही थी। यह ल्यूसी का पत्र था ल्यूसी से मुझे मिले छः वर्ष हो चुके थे। न ही इस दौरान हमारे बीच कोई पत्र वार्ता हुई थी। वह लिफाफा खोलकर उसका पत्र पढ़ने लगा। लिखा था‒
डार्लिंग,
मैं एक संक्षिप्त यात्रा पर यहां जोहानसबर्ग आई हुई हूं। पुरानी यादों को ताजा करने के लिये तुमसे मिलने को बहुत मन कर रहा है। मैं आज दोपहर ‘जू लेक रेस्तरां’ में तुम्हारी बाट देखूंगी। मुझमें बहुत परिवर्तन आ गया है, डार्लिंग। संभवतः तुम मुझे पहचान भी न सको। मैंने एक सफेद रंग का गाऊन देखते ही मेरे पास पहुंच जाना। मैं उत्कंठा से तुम्हारी राह देखूंगी।
हमेशा तुम्हारी
ल्यूसी
यह पत्र पढ़ते ही मेरा मन गवाही देने लगा कि ल्यूसी फिर कोई छल करने के लिये यहां आई है। मैंने उसका पत्र अपनी जेब में डाला, और दफ्तर जाने के बजाय वापस ऊपर अपने अपार्टमेंट में चला आया। वहां से मैंने अपने दफ्तर फोन किया, और उस दिन की छुट्टी ले ली। तत्पश्चात मैं अपने अपार्टमेंट से सर्विस स्टेशन चला आया। वहां पर मैंने अपनी कार मरम्मत होने के लिये छोड़ रखी थी। सर्विस स्टेशन से मैंने अपनी कार ली, और जू लेक रेस्तरां की और रवाना हो गया। वहां पर मैंने चारों ओर निगाह दौड़ाई, पर मुझे सफेद रंग के गाऊन वाली कोई स्त्री दिखाई नहीं दी। अलबत्ता वहां पर एक तरफ को एक आदमी सफेद रंग का ओवर कोट पहने बैठा था, और सिगरेट फूंके जा रहा था। मैं मन ही मन में सोचने लगा कि आदमी तो सफेद रंग का ओवर कोट बहुत कम पहनते हैं। मैं संकोच से उसके समीप आकर खड़ा हो गया। “ल्यूसी!”
उस आदमी ने विषाक्त स्वर में कहा, “जंग के दौरान स्विट्जरलैंड में‒के-जी-बी की उस कार्रवाई के पश्चात सुरक्षा विभाग वालों को हर स्त्री पर ल्यूसी का बहम होने लगता है। कहकर वह आदमी अपने सर पर हैट रखते हुये अपना परिचय देते हुये बोला, “मैं जानता हूं‒तुम कौन हो‒मेरा नाम मैकिनटॉश है।”