दो घंटों बाद रानी ताशा एक खुले कमरे में बैठी थी। ये कमरा खास तौर से रानी ताशा के लिए तैयार किया गया था। बाकी सब लोगों को भी ठहरने की जगह दे दी गई थी। सोमाथ कमरे में रखे एक बड़े से पत्थर पर बैठा था। वो शांत था। आराम से बैठा था। कमरे में मशाल जल रही थी। रानी ताशा यहां की सारी जगह देख चुकी थी। पहाड़ियों के भीतर ही भीतर, पहाड़ों को खोखला करके एक किलोमीटर लम्बी ये जगह तैयार की गई थी। वो समझ चुकी थी कि ये काम इन लोगों ने सैकड़ों बरसों पहले से शुरू किया होगा। ये जगह सुरक्षित और अच्छी लगी रानी ताशा को। रानी ताशा ने यंत्रों वाला वो बिजली की तारों वाला कमरा भी देखा था, जिसे कभी उसके ही लोग तैयार करके गए थे और अब वहीं के यंत्रों से ये लोग सदूर ग्रह पर उनसे बातचीत किया करते थे। रानी ताशा ने अभी तक कुछ भी खाया-पिया नहीं था। वो सोचों में डूबी लगी। तभी ओमारू ने भीतर प्रवेश किया।
सोमाथ फौरन सतर्कता भरे अंदाज में उठ खड़ा हुआ था।
“रानी ताशा तुमने अभी तक कुछ खाया नहीं?” ओमारू ने कहा।
“बाद में खाऊंगी। मैं तुमसे बबूसा के बारे में बात करना चाहती हूं।”
“बबूसा?” ओमारू रानी ताशा को देखने लगा।
“क्या हुआ बबूसा का नाम सुनकर?” रानी ताशा बोली।
“बबूसा ने मेरा बहुत नुकसान किया है रानी ताशा।” ओमारू गम्भीर दिखने लगा।
“कैसे?”
“उसने मेरे तीस से ऊपर योद्धा मार डाले हैं।”
“लेकिन क्यों?”
“ये तो तुम्हें बता ही चुका हूं कि बबूसा किसी बात को लेकर तुमसे नाराज है। वो छोटा-सा था जब पोपा उसे यहां छोड़ गया था, उसके बाद उसने युद्ध की शिक्षा यहीं से ली। उसके भीतर बचपन से ही ये खास बात रही कि वो हर चीज को फौरन सीख लेता था। बेशक युद्ध हो या कुछ और। बड़ा होते-होते वो बेहतरीन योद्धा बन गया।”
“महापंडित ने उसके भीतर ऐसी शक्तियां डाल दी थीं कि वो सबसे बेहतर हो।” रानी ताशा ने गम्भीर स्वर में कहा –“उसका दिमाग तेज है उसके शरीर की ताकत ज्यादा होगी और युद्ध कला में वो शानदार होगा। महापंडित ने ऐसी कई चीजों का मिश्रण बबूसा का जन्म कराते वक्त, उसके भीतर डाला था, जो कि राजा देव से मेल खाता था। उसे मेरे लिए शक्तिशाली बनाया गया था। ताकि अब वो मेरे काम आ सके। तो वो ये जगह छोड़कर चला गया?”
“हां”
“तुमने उसे रोकने की चेष्टा नहीं की?”
“बहुत की, परंतु जब वो मेरे योद्धाओं की जान लेने लगा तो मैंने उसे जाने दिया।”
“लेकिन तुम उसे रोक सकते थे।”
“मैंने बबूसा पर ज्यादा सख्ती करना ठीक नहीं समझा।”
“क्यों?”
“क्योंकि वो आपकी अमानत के रूप में मेरे पास था। मैं आपको नाराज नहीं करना चाहता था।”
“बबूसा चला गया तो, उसने तुम्हारे योद्धा पहले मारे या बाद में?”
“बाद में।” ओमारू पूरी तरह गम्भीर था –“एक लड़की पूरे चंद्रमा की रात यहां तक आ पहुंची, तुम्हें तो पता ही है कि हमारी जाति की रीत है कि पूरे चंद्रमा की रात हम पेट के बल लेटकर बिताते हैं। ये रीत जाने कब से चली आ रही है, परंतु मेरी जानकारी में ये ही है कि पहली बार जब पोपा हमारे यहां आया था तो तब पूरे चंद्रमा की रात थी। ऐसे में हर पूरे चंद्रमा की रात हम पोपा के स्वागत में इसी तरह बिताते हैं। उस रात भी हम इसी पहाड़ के भीतर पेट के बल लेटे थे और वो लड़की आ पहुंची। हममें से कोई भी उठ नहीं सकता था ये हमारी जाति का नियम है। इसलिए वो आजाद रही और ये सारी जगह देखकर चली गई। (ये सब विस्तार से जानने के लिए पढ़ें अनिल मोहन का उपन्यास ‘बबूसा’) बाद में पता चला कि उसका नाम धरा है और वो मुम्बई में रहती है। मुझे चिंता थी कि वो हमारा बिजली वाला कमरा देख गई है और ये बात उसने बाहरी दुनिया को बता दी तो वो लोग ये जानने के लिए यहां आ सकते हैं कि हम उस कमरे का क्या इस्तेमाल करते हैं।”
“फिर क्या हुआ?”
“दिन का उजाला फैलते ही हमारे योद्धा धरा की तलाश में निकल गए। उसे यहां तक लाने वाला टाकलिंग ला इलाके के गांव का आदमी जोगाराम था। उसे तो योद्धाओं ने मार दिया, परंतु वो लड़की जाने कैसे बचकर निकल गई। योद्धाओं ने टाकलिंग ला का वो गांव घेर लिया कि धरा वहां पहुंचेगी, परंतु वो वहां नहीं पहुंची तो हम समझ गए कि वो मुम्बई की तरफ निकल गई है। हमारे योद्धा फौरन मुम्बई पहुंचे। धरा के घर पहुंचे। वहां उसकी मां थी। उससे पूछताछ की तो वो सिर्फ इतना ही बता सकी कि धरा मुम्बई से बाहर गई है। तो हम समझ गए कि अभी वो मुम्बई नहीं पहुंची। मैं इधर से अपने योद्धाओं को मुम्बई की तरफ भेजता रहा कि जैसे भी हो धरा को खत्म किया जा सके। उस दौरान बबूसा भी मुम्बई में रह रहा था और मेरे योद्धा उस पर पहले से ही नजर रखे थे कि तभी धरा बबूसा के साथ दिखाई दी।”
“बबूसा के साथ, वो लड़की?” रानी ताशा की खूबसूरत आंखें सिकुड़ीं।
“हां।” ओमारू ने सिर हिलाया –“पता नहीं बबूसा का धरा के साथ क्या रिश्ता है। बबूसा मेरे योद्धाओं से लड़की को बचाने में लग गया। मेरे योद्धा धरा को मार देना चाहते थे। ऐसे में कई बार बबूसा से सामना हुआ और झगड़े में मेरे योद्धाओं की जानें, जाने लगीं। मजबूर होकर मैंने बबूसा को भी मारने को कह दिया, परंतु मेरे योद्धा अभी तक न तो बबूसा का कुछ बिगाड़ पाये, न धरा का।”
रानी ताशा के चेहरे पर मुस्कान नाच उठी।
“बबूसा का कुछ नहीं बिगड़ सकता। महापंडित ने उसमें राजा देव के कई गुण डाले हैं। पूरे सदूर ग्रह पर राजा देव से मुकाबले में कोई नहीं जीत सकता था। अक्सर राजा बनने के लिए ताकतवर लोग राजा देव को चुनौती देते रहते थे और राजा देव कभी नहीं हारे। बबूसा में कई गुण राजा देव के भरे हुए हैं।” रानी ताशा ने कहा।
“मैंने आपको बबूसा का हाल सुना दिया।”
“अब बबूसा मुम्बई में ही है।”
“हां।”
“कहां?”
“अभी वो हमारी नजरों से बच गया है। इसकी वजह हमारे खास योद्धा सोलाम की गद्दारी है। उसने एक मौके पर बबूसा की मदद की और उसे छोड़कर चला गया। सोलाम मुम्बई में ही रहना चाहता है। उसे वहां का जीवन पसंद आ गया। इस वक्त मेरे योद्धा बबूसा की तलाश कर रहे हैं जल्दी ही बबूसा फिर मेरे योद्धाओं के कब्जे में होगा।”
“बेशक तुम्हारे योद्धा बबूसा को तलाश करते रहें, परंतु अब बबूसा कुछ नहीं कर सकेगा।” रानी ताशा की आंखों में तीव्र चमक लहरा उठी और होंठों के बीच कातिल मुस्कान –“मैं राजा देव को वापस सदूर ग्रह ले जाऊंगी। बबूसा अपने इरादे में कभी भी कामयाब नहीं हो सकेगा। वो हार जाएगा।”
“बबूसा के इरादे क्या हैं?” ओमारू बोला –“वो चाहता क्या है?”
रानी ताशा ने ओमारू को देखा और कह उठी।
“बबूसा के विचारों के बारे में महापंडित मुझे बता चुका है। मैं उसे सफल नहीं होने दूंगी।”
“पर बबूसा से मुकाबला कर पाना खेल नहीं है।”
रानी ताशा की निगाह दस कदमों पर खड़े सोमाथ की तरफ गई।
“उसे देख रहे हो।”
ओमारू की निगाह उस तरफ गई।
“हां।” ओमारू के होंठों से निकला।
“वो सोमाथ है। दस बबूसा भी आ जाएं, तो उन पर भी भारी पड़ेगा।” रानी ताशा हंस पड़ी।
“बबूसा को मार दोगी तुम?”
“नहीं। उसे तो मैं वापस सदूर ग्रह पर ले जाऊंगी और हमेशा के लिए कैद में डाल दूंगी। रानी ताशा के खिलाफ चलने का अंजाम कभी भी अच्छा नहीं होता। बबूसा को जरूर एहसास कराऊंगी इस बात का।”
“अगर बबूसा ने इस सोमाथ को ही मार दिया तो?”
“तुम सोमाथ को नहीं जानते, तभी ऐसा कह रहे हो।” रानी ताशा खतरनाक अंदाज में मुस्कराई –“बबूसा मेरे लिए कभी भी समस्या नहीं बन सकता। समस्या तो राजा देव की है।”
“मैं तुम्हारी हर समस्या को दूर कर दूंगा।”
रानी ताशा ने ओमारू को देखा और कह उठी।
“राजा देव की हर समस्या का हल मुझे ही निकालना होगा। वो सिर्फ मेरे हैं और मैं उनकी रानी हूं। जो हुआ उसमें गलती मेरी थी तभी हम जुदा हुए। परंतु राजा देव सिर्फ मेरे हैं। रानी ताशा के हैं।”
“तुम्हें पता है वो कहां रहता है?”
“मालूम हो जाएगा। महापंडित मुझे रास्ता बताएगा राजा देव तक पहुंचने का। परंतु इतना जरूर कह सकती हूं कि बबूसा मुम्बई में है तो राजा देव भी मुम्बई में है। वो राजा देव को ही ढूंढ़ रहा होगा।”
“हैरानी है बबूसा राजा देव को कैसे ढूंढ़ लेगा जबकि...।”
“महापंडित की दी शक्तियों से वो राजा देव को पहचान कर, उस तक पहुंच सकता है ओमारू।”
“मैं कुछ समझा नहीं।”
“तुम्हें समझने की जरूरत भी क्या है। रानी ताशा पहली बार तुम्हारे पास आई है। तुम सिर्फ मेरी सेवा-सत्कार की सोचो। राजा देव और बबूसा के बारे में सोचना-समझना मेरा काम है। मैं तुम्हारी दोस्त हूं न?”
“हां रानी ताशा।”
“जो मैं कहूंगी, वो करोगे न?”
“क्यों नहीं रानी ताशा।”
“सुबह तुम्हारा इम्तिहान लूंगी कि तुम अपनी बात पर खरे उतरते हो या नहीं। अब मेरे लिए खाने-पीने का इंतजाम करो। देखूं तो सही कि तुम मुझे क्या खिलाते हो।” रानी ताशा मुस्कराई।
ओमारू बाहर निकल गया।
“सोमाथ।” रानी ताशा ने सोमाथ को देखा।
“कहो रानी ताशा?” सोमाथ का स्वर सामान्य था।
“सतर्क रहना। इस वक्त हम न तो दोस्तों में हैं, न दुश्मनों में। कभी भी ये लोग खतरा बन सकते हैं हमारे लिए।”
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अगले दिन रानी ताशा की नींद खुली तो सोमाथ को चौकस मुद्रा में वहां मौजूद पाया। सोये उठने पर रानी ताशा का खूबसूरत चेहरा खिला हुआ और भी सुंदर लग रहा था। वो किसी सीनरी की हिरोइन की तरह लग रही थी जो कि दीवार पर टंगी होती है। उसके रस भरे गुलाबी होंठ, जैसे अपनी दास्तान सुना रहे हों। नींद से भरी उसकी बड़ी आंखों पर जब पलकें झपकतीं तो समां और भी सुहावना-सा महसूस होने लगता।
“यहां की सुबह कैसी है सोमाथ?” रानी ताशा ने मुस्कराकर पूछा।
“कुछ अलग है।”
“क्या?”
“यहां का सूरज हमारे जैसा नहीं है। यहां का सूरज ऊपर आसमान के बीचो बीच आ जाता है।”
“अच्छा, तुमने देखा?” रानी ताशा की निगाह सोमाथ पर थी।
“हां। कुछ देर पहले बाहर गया था तो देखा।”
“मुझे अकेला छोड़ गए थे?”
“हमारे तीन आदमी तब इस कमरे के बाहर खड़े थे।”
“लेकिन इस ग्रह का सूरज और हमारे ग्रह का सूरज है तो एक ही।”
“सूर्य एक ही है, परंतु यहां पर वो आसमान में पहुंच जाता है। जब सुबह दिखा तो ग्रह के एक तरफ था उसके बाद बीच में, यहां के लोगों के सिरों की तरफ आने लगा।”
“ये पृथ्वी ग्रह दिलचस्प है।” रानी ताशा मुस्कराई।
सोमाथ ने कुछ नहीं कहा।
“महापंडित ने तुम्हारे दिमाग में बहुत अच्छे ढंग से जानकारी भरी है। वो सच में महान है।”
“मैं भी आपकी तरह इंसान हूं।”
“जरूर। तुम हो।” रानी ताशा उठ खड़ी हुई –“कोई नई बात?”
“कुछ नहीं। परंतु सुबह से यहां के लोग इस कमरे में झांककर तुम्हें देखने की चेष्टा करते रहे।”
“कौतूहल है उन्हें कि रानी ताशा इतनी खूबसूरत क्यों है।” रानी ताशा हंसी।
“यहां की औरतें खूबसूरत नहीं हैं।” सोमाथ ने कहा।
“औरत देखने में जैसी भी हो, मर्द के लिए वो खूबसूरत ही होती है। औरत है ही ऐसी। औरतें न होतीं तो जहान वीरान-सा लगता। कोई रंगीनी न होती। इस दुनिया को बनाने के पीछे औरत का ही हाथ है। वरना मर्द तो किसी काम के नहीं हैं। मर्दो से काम लेना पड़ता है। इनका बस चले तो ये कोई भी काम न करें।”
“राजा देव के बारे में ऐसे ही विचार हैं आपके?” सोमाथ ने पूछा।
“राजा देव।” रानी ताशा ने गहरी सांस ली -“राजा देव जैसा मर्द मिलना बहुत कठिन है सोमाथ। वो प्यार करना भी जानता है और अपना काम करना भी जानता है। उस जैसा कोई दूसरा नहीं। तभी तो उसे वापस ले जाने के लिए मुझे पृथ्वी ग्रह पर आना पड़ा। मैंने राजा देव के साथ बुरा व्यवहार किया। मैंने जो किया वो मुझे कभी नहीं करना चाहिए था। ये बात मुझे तब समझ में आई जब राजा देव को मैंने खो दिया। अब उसी भूल को सुधारने पृथ्वी पर आई हूं।”
“राजा देव से प्यार है आपको?” सोमाथ ने पूछा।
“बहुत।”
“उन्हें चाहती हैं?”
“अपने से भी ज्यादा।”
“राजा देव भी आपको चाहते हैं?”
रानी ताशा सोमाथ को देखने लगी। आंखें गीली हो गईं।
“आपने जवाब नहीं दिया।”
“राजा देव मुझे बहुत चाहते हैं। वो मेरे दीवाने रहे हैं। उनका प्यार करने का ढंग भी सबसे जुदा था। वो-वो-बस करो सोमाथ। पुरानी बातों को याद करके मुझे तकलीफ होती है कि राजा देव ने मुझे इतना प्यार किया और मैंने...”
“आप रो रही हैं।”
रानी ताशा ने गीली आंखों को साफ किया।
“मैंने पूछा था कि राजा देव भी आपको चाहते हैं?”
“अब क्या हालात हैं मैं अभी कुछ नहीं कह सकती। उसके बाद से राजा देव पृथ्वी ग्रह पर आकर तीन जन्म ले चुके हैं। ऐसे में उन्हें वो जन्म याद नहीं होगा। महापंडित ने बताया था। लेकिन महापंडित का कहना है कि मेरा चेहरा देखने के बाद राजा देव को वो जन्म याद आने लगेगा। मैं याद आने लगूंगी।”
“आपने तब क्या किया था राजा देव के साथ?”
रानी ताशा चुप-सी हो गई।
“मेरा मतलब है कि राजा देव को ये बात भी याद आ सकती है। क्या आपने बहुत बुरा किया था राजा देव के साथ?”
“हां।” रानी ताशा के होंठ हिले।
“तब तो वो बात याद आते ही, राजा देव आपसे नाराज हो जाएंगे।”
“ये ही तो डर है मुझे।”
“अगर नाराजगी में राजा देव ने आपके साथ सदूर ग्रह पर जाने को मना कर दिया तो?”
“राजा देव को सदूर ग्रह पर ले जाना ही मेरा लक्ष्य है और इसमें तुम मेरी सहायता करोगे सोमाथ।” रानी ताशा ने गम्भीर स्वर में कहा –“अपने ग्रह पर पहुंचकर राजा देव मुझे जो भी सजा देंगे, उसे मैं स्वीकार करूंगी।”
“अगर राजा देव ने आपको कठोर सजा दे दी तो?”
रानी ताशा के होंठ भिंच गए।
“अगर राजा देव ने महापंडित को हुक्म दिया कि तुम्हारी जान ले ले और दोबारा तुम्हारा जन्म न कराए तो तब क्या फायदा होगा राजा देव को सदूर ग्रह ले जाने का। तुम्हें तो कोई फायदा नहीं हुआ।” सोमाथ ने कहा।
रानी ताशा एकाएक मुस्कराई और सोमाथ से बोली।
“सच में, महापंडित ने तुम्हारा दिमाग बहुत शानदार बनाया है।”
“आप ये सोचकर रहिए कि राजा देव आपको कठोर सजा देंगे।”
“मैंने राजा देव के साथ जो व्यवहार किया था, उसके बदले में मैं कठोर सजा की ही हकदार हूं।” रानी ताशा गम्भीरता से कह उठी –“मुझे राजा देव की दी हर सजा मंजूर है, परंतु सजा मैं सदूर ग्रह पर ही स्वीकार करूंगी। मेरा लक्ष्य राजा देव को सदूर ग्रह पर ले जाना है। राजा देव बेहतर ढंग से अपने ग्रह को संभाल सकते हैं। मुझे उनसे प्यार है। अगर उन्होंने प्यार के बदले मुझे सजा दी तो मुझे कोई अफसोस नहीं होगा। मैंने भी तो बुरा किया था उनके साथ।”
“औरतें कैसी होती हैं मैं ठीक से जान नहीं पाया।”
“क्यों?”
“प्यार भी करती हैं, धोखा भी देती हैं और सजा भी खुशी से...”
तभी ओमारू ने भीतर प्रवेश किया। रानी ताशा को देखते ही मुस्कराकर बोला।
“जाग गई तुम। आधा दिन बीत गया। मैं तो कब से तुम्हारे उठने का इंतजार कर रहा था।”
“रात का खाना बहुत अच्छा था ओमारू।”
“मैं दिल से दोस्त का स्वागत कर रहा हूं। रानी ताशा हमारी दोस्त है।”
“और ओमारू रानी ताशा की दोस्त है।” रानी ताशा ने मुस्कराकर कहा।
“आपके लिए अब खाना तैयार है। लाऊं क्या?”
“कुछ देर बाद, अभी मैंने पोपा के भीतर जाना है। उसके बाद बाहर निकलकर खाना खाऊंगी।” कहने के साथ ही रानी ताशा ने एक तरफ रखा ट्रांसमीटर जैसा यंत्र उठाकर हाथ में लिया –“सुना है तुम्हारे ग्रह का सूर्य सिर पर पहुंच जाता है।”
“ये तो सामान्य बात है।”
“परंतु हमारे लिए नई बात है। क्योंकि हमारे यहां सूर्य इस तरह नजर नहीं आता। आओ सोमाथ बाहर चलें। सूर्य भी देख लेंगे और पोपा के भीतर जाकर आवश्यक काम भी पूरे कर लेंगे।” रानी ताशा ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गई।
ओमारू साथ चल पड़ा।
सोमाथ पीछे था।
“रानी ताशा।” ओमारू साथ चलते बोला –“क्या तुम्हारे मुम्बई जाने का इंतजाम कर दूं?”
“मुम्बई क्यों?” रानी ताशा कमरे से बाहर निकल आई थी।
“आपने कहा था कि राजा देव की तलाश के लिए...।”
“मुझे कोई जल्दी नहीं है राजा देव की तलाश की।” रानी ताशा मुस्कराकर कह उठी –“कुछ और भी सोचकर आई हूं, वो सब भी पूरा करना है। सब काम ही होने हैं।”
“जैसा तुम ठीक समझो।”
फिर रानी ताशा वहां से निकली, जहां चबूतरे पर मूर्ति मौजूद थी। वो ठिठकी।
वहां काफी लोग आ-जा रहे थे। रानी ताशा को उत्सुक निगाहों से देख रहे थे।
“ओमारू, ये मूर्ति मुझे अच्छी नहीं लगी।” रानी ताशा कह उठी।
ओमारू ने उलझन भरी निगाहों से रानी ताशा को देखा।
सोमाथ दो कदम पीछे खड़ा था।
“सुना ओमारू, ये मूर्ति...।”
“ये मूर्ति हमारी देवी है। हम इसकी पूजा करते हैं।” ओमारू अजीब-से स्वर में कह उठा।
“पत्थर की मूर्ति देवी कैसे बन सकती है।” रानी ताशा मुस्कराई।
“पर ये हमारी देवी है।”
“मैं तुम्हें नई देवी की मूर्ति पोपा में भेजूंगी। ये मूर्ति टूट-फूट चुकी है। मैं तुम्हें कैसी लगती हूं?”
“अ-अच्छी हो तुम।”
“तो फिर यहां पर मेरी मूर्ति लगा लो। मुझे अपनी देवी बना लो।”
“ये तुम क्या कह रही हो।”
“क्या मैं देवी के रूप में अच्छी नहीं लगूंगी?”
ओमारू चुप रहा।
“हम दोस्त हैं न ओमारू?”
“हां।”
“तो एक दोस्त को दूसरे की बात माननी चाहिए। इस टूटी-फूटी मूर्ति को उठाकर बाहर खड़ा कर दो।”
“बाहर?”
“हां। ये चबूतरा खाली करा दो। यहां मैं बैठा करूंगी।”
“ये असम्भव है।” ओमारू के होंठों से निकला –“चबूतरे पर जादूगरनी के अलावा कोई नहीं बैठ सकता। ये हमारी देवी की मूर्ति है इसे यहां से बाहर नहीं निकाला जा सकता। तुम्हारी बातें अजीब-सी हैं रानी ताशा।”
“कुछ भी अजीब नहीं। मैं तुम्हारी दोस्त हूं। तुम्हारा भला चाहती हूं। मैं तुम सब के लिए अपने ग्रह से उपहार लाई हूं। हमारा रिश्ता पुराना है और अटूट है। तुम्हें मेरी बात जरूर माननी चाहिए।”
“ये-ये सम्भव नहीं।”
“मूर्ति को बाहर निकालना?”
“हां। ये हमारी देवी है। भला ये तम्हें क्या तकलीफ दे रही है। ये तो...”
“रहने दो।” रानी ताशा मुस्कराई –“इस बारे में हम फिर बात करेंगे। ओमारू मुझे अब पोपा में जाना है और बाहर का सूरज भी देखना है कि वो आसमान के बीच में पहुंचकर कैसा दिखता है।” फिर रानी ताशा पलटकर सोमाथ से बोली –“हमारे लोग क्या कर रहे हैं। मुझे कोई भी नजर नहीं आ रहा?”
“वो इस सारी जगह को ठीक से देख रहे हैं।” सोमाथ ने कहा।
“हूं। ठीक है चलो।”
वे तीनों पहाड़ से बाहर निकले। बाहर धूप खिली हुई थी। जमीन हर तरफ बर्फ से ढकी चांदी की तरह सफेद दिख रही थी। ठंडी हवा चल रही थी।
“यहां का मौसम कितना अच्छा है।” रानी ताशा कह उठी –“काश राजा देव इस ग्रह के मालिक होते।”
“रानी ताशा।” सोमाथ बोला –“सूर्य को देखिए वो किस तरह आसमान के भीतर, ऊपर आ गया है।”
रानी ताशा ने सिर उठाकर ऊपर देखा।
सूर्य को देखा तो उसी पल उसके होंठों से निकला।
“अद्भुत। ओह ये मैं क्या देख रही हूं। सूर्य आसमान के बीच में आ गया। अति अद्भुत, ऐसा नजारा मैंने पहले कभी नहीं देखा। सोमाथ ये तो कमाल हो गया। मुझे यकीन नहीं आ रहा कि जो मैं देख रही हूं वो सच है। मैंने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा। ये पृथ्वी ग्रह कितना सुंदर है। कितना अद्भुत है। हमारे ग्रह पर सूर्य ऐसा नहीं होता...।”
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ओमारू, मूर्ति के पीछे के रास्ते से होता, वहां जा पहुंचा जहां होम्बी रहती थी। कमरे में मशाल जल रही थी। लाल-सा प्रकाश फैला था। होम्बी अपने बिस्तरे जैसे पत्थर पर लेटी हुई थी। उसका झुर्रियों से भरा चेहरा सोच में डूबा हुआ था। उसके सिर के काले बाल, सिर के आसपास बिखरे हुए थे।
आहट सुनकर भी होम्बी ने उसकी तरफ नहीं देखा।
“जादूगरनी।” ओमारू उसके पास बैठता कह उठा।
“बोल।” होम्बी के होंठ हिले। मध्यम-सी आवाज उभरी।
“मैं परेशान हो रहा हूं।” ओमारू बोला।
“मैंने तो पहले ही कहा था कि ये वक्त ठीक नहीं चलेगा। क्या परेशानी हो गई।”
ओमारू चुप रहा।
“रानी ताशा से मिला?” होम्बी बोली।
“हां जादूगरनी।”
“क्या कहता है तू उसके बारे में?”
“वो खूबसूरत है। अच्छी है। सब ठीक है, परंतु वो देवी की मूर्ति हटाने को कह रही है।”
होम्बी उठ बैठी। चिंता भरी निगाहों से ओमारू को देखा
“देवी की मूर्ति?”
“वो उसे पत्थर कह रही है। कहती है इसे यहां से उठाकर बाहर रख दो। चबूतरे पर मैं बैठूंगी।”
“ये अनर्थ है।” होम्बी के होंठों से निकला –“मैंने तो पहले ही कहा था कि पोपा के आने से हमारा कोई भला नहीं होगा। कुछ नुकसान ही हो सकता है। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।”
“तुम्हारा जादू क्या कहता है?” ओमारू ने पूछा।
“मुझे कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा। मैं भविष्य में नहीं देख पा रही हूं। मेरे जादू को जाने क्या हो गया है कि उसने काम करना बंद कर दिया। भविष्य में झांकती हूं तो धुंधला-सा दिखता है, स्पष्ट नहीं।”
“मैं क्या करूं जादूगरनी?”
“जाति का सरदार है तू, जाति के भले के लिए जो ठीक लगता है वो कर।” होम्बी बोली।
“रानी ताशा हमारी दोस्त है।”
“तेरे को जाति प्यारी है या दोस्ती?”
“जाति।”
“तो सख्ती से कह दे उसे कि दोस्तों की तरह मेहमान बन के रहे।” होम्बी शांत स्वर में बोली।
“ये कहना ही होगा।” ओमारू गम्भीर था –“अगर तेरा जादू ठीक से काम करता तो मेरे लिए आसानी हो जाती।”
“मेरी शक्तियों को, रानी ताशा के आते ही जाने क्या हो गया है। सिर्फ बबूसा का चेहरा ही स्पष्ट दिखता है मुझे। बाकी सब धुंधला नजर आता है। ऐसे वक्त में बबूसा क्यों दिख रहा है मुझे?”
“जरूर कोई बात होगी।”
“वो तो है पर मुझे आने वाले वक्त का स्पष्ट आभास क्यों नहीं हो रहा?”
“तुमने कोशिश की?”
“बहुत कोशिश की। पर कोई फायदा नहीं हो रहा।” होम्बी ने गम्भीर स्वर में कहा।
ओमारू होम्बी को देखता रहा। फिर बोला।
“तुम मुझे कोई राह नहीं दिखा रही जादूगरनी?”
होम्बी, ओमारू को देखती रही फिर कह उठी।
“राह दिखाने का वक्त निकल गया है।” उसका झुर्रियों से भरा चेहरा गम्भीर था।
“क्या मतलब?”
“वक्त आगे निकल चुका है और तू पीछे खड़ा है। अब कुछ भी ठीक नहीं हो सकता।”
“तुम कहना क्या चाहती हो?”
“अब कुछ भी कहने का कोई फायदा नहीं। तूफान उठ चुका है। उसे अब रोका नहीं जा सकता। तबाही होगी। इस जाति के पुरखों ने सदूर ग्रह के लोगों से दोस्ती करके भूल की। उस भूल की सजा आज के लोग भुगतेंगे।”
“तुम-तुम्हारा मतलब कि तुम्हें सब पता है कि क्या होने वाला है।” ओमारू का स्वर तेज हो गया।
होम्बी ने सहमति से अपना झुर्रियों भरा चेहरा हिलाया।
“क्या? मुझे सब कुछ स्पष्ट...”
“अब कोई फायदा नहीं होगा। तूफान उठ चुका है, बरबादी होकर रहेगी।” होम्बी ने कहा।
“कुछ बताओ तो कि...”
“मेरा चुप रहना ही, जाति के लिए बेहतर है। मैं जिंदा रहूंगी तो जाति को फिर से राह दिखाने की कोशिश करूंगी। परंतु अब कुछ भी ठीक नहीं हो सकता।”
“तुमने ये सब पहले क्यों नहीं बताया?”
“मेरे जादू ने कुछ वक्त के लिए काम करना बंद कर दिया था।”
“हमारी दुश्मन रानी ताशा ही है न?”
“सही सोचा।”
“रानी ताशा ही हमें बरबाद करेगी?” ओमारू के दांत भिंच गए।
“हां।”
“फिर तो कोई समस्या नहीं।” ओमारू गुर्राया –“मेरे योद्धा अभी रानी ताशा को खत्म कर...”
“ऐसी भूल मत कर देना ओमारू।”
“क्या मतलब?”
“रानी ताशा को मारा नहीं जा सकता। वो बहुत चालाक है, शातिर है। उसके पास गजब तरह के हथियार हैं। वो पलों में पूरी जाति की जान ले लेगी। अब उसके कदम वापस नहीं जा सकते। ऊपर से उसे सोमाथ का सहारा है, जो कि तारों और धातु का बना इंसान है। मैंने बहुत कुछ देखा है कि अब बरबादी होगी ही।” होम्बी ने गम्भीर स्वर में कहा और पास ही रखी कंघी उठाई और अपने बालों में फेरने लगी।
ओमारू होंठ भींचे होम्बी को देखता रहा।
“तुमने अपना काम ठीक से नहीं निभाया। तुम तब ये बात मुझे बता रही हो जब रानी ताशा यहां आ पहुंची। अगर ये सब तुझे पहले बताया होता तो में पोपा को नीचे नहीं उतरने देता।” ओमारू गुस्से से बोल।
“उस वक्त तक तो ज्यादा मुझे भी नहीं पता था।”
“अब तुम रानी ताशा को मारने से मना कर रही हो।”
“मैंने मना नहीं किया। सलाह दी है। अगर तुमने रानी ताशा को मारा तो उसके साथ आए लोग, यहां सबको मार देंगे। ये खतरनाक हथियार साथ लाए हैं। मैं देख रही हूं कि अगर इन्हें कुछ कहा गया तो यहां कोई भी जिंदा नहीं बचेगा।”
“कुछ न कहा जाए इन्हें तो?”
“तब जाति के लोग बच जाएंगे। बाद में हम फिर से सामान्य जीवन बिताने लगेंगे। बरबादी होगी तो अवश्य परंतु कम होगी। अब तेरे मन में जो आता है, तू वो ही कर।” होम्बी ने कहा।
“तू कोई रास्ता नहीं दिखाएगी जादूगरनी?”
“ये सब कहकर मैंने तेरे को रास्ता ही दिखाया है।”
“रानी ताशा किस तरह की बरबादी करेगी?”
“तेरे सामने आ जाएगा।”
“तू नहीं बताएगी।”
“कोई फायदा नहीं होगा। फायदा होने का वक्त निकल चुका है। जाति को बचाना है तो मेरे कहने पर चल और रानी ताशा को संभाले रख। तभी सब कुछ बचा रह सकता है।” होम्बी ने कहा।
“पर रानी ताशा तो अपने राजा देव को पृथ्वी से ले जाने आई है।” ओमारू परेशान-सा बोला।
“इस काम में वो अपने और भी मतलब साध रही है। आगे जो होने वाला है वो संभाल। अपनी जाति को बचा। रानी ताशा के इरादे ठीक नहीं हैं। वो हमें सिर्फ नुकसान ही पहुंचाएगी और हम कुछ नहीं कर सकते।”
“जादूगरनी। हम उसके साथ आए आदमियों को फौरन खत्म कर सकते हैं। उसके बाद रानी ताशा अकेली रह जाएगी और कुछ नहीं कर सकेगी। मैं उसे भी मार दूंगा। सब ठीक हो जाएगा।” ओमारू कह उठा।
“जितने लोग रानी ताशा के बाहर हैं, उससे ज्यादा भीतर हो सकते हैं।”
“भीतर-पोपा के?” ओमारू के होंठों से निकला।
होम्बी मुस्करा पड़ी, बोली।
“रानी ताशा को कम मत समझ। बहुत कुछ है उसके दिमाग में। वो सिर्फ बरबादी फैलाएगी।”
ओमारू का चेहरा कठोर हो गया। वो होम्बी को देखता रहा, फिर उठ खड़ा हुआ।
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ओमारू, होम्बी से मिलने के बाद, बोबला से मिला। बोबला उस वक्त पहाड़ के एक बड़े से कमरे में कुछ युवकों को हथियार थामने की कला के बारे में समझा रहा था। ओमारू के चेहरे पर छाये कठोरता के भाव देखकर बोबला चौंका और ओमारू के करीब आते ही उलझन भरे स्वर में कह उठा।
“क्या बात है ओमारू। सब ठीक तो है?”
“तुमसे बात करनी है, अकेले में आ।”
दोनों उस कमरे से निकलकर पहाड़ के भीतर ही खुले में एक दीवार के पास जा पहुंचे।
“कुछ बुरा हुआ लगता है।” बोबला बोला।
“बुरा होने वाला है।” ओमारू का स्वर सख्त था।
“रानी ताशा की तरफ से कोई बात हुई क्या?”
ओमारू ने बोबला को होम्बी की कही बातें और होम्बी से हुई बातचीत बताई। साथ ही रानी ताशा के बारे में बताया कि जो देवी की मूर्ति को वहां से हटाने के लिए कह रही थी।
सुनकर बोबला हक्का-बक्का रह गया।
“वो मूर्ति नहीं, हमारी देवी है। रानी ताशा कौन होती है उसके बारे में कुछ कहने वाली।” बोबला का स्वर तेज हो गया।
“मैंने रानी ताशा को ये ही कहा कि वो मूर्ति हमारी देवी है।”
“रानी ताशा अपनी औकात से बाहर की बात कर रही है।” बोबला गुस्से में आ गया –“उसकी हिम्मत कैसे हुई हमारी देवी की मूर्ति के बारे में ऐसा कहने की। हम रानी ताशा को यहां से निकाल देंगे।”
“इस बारे में जादूगरनी जो कहती है, तुम्हें बता ही चुका हूं।” ओमारू ने होंठ भींचकर कहा।
बोबला, ओमारू को देखने लगा।
“होम्बी कहती है कि रानी ताशा के पास खतरनाक हथियार हैं। वो हमें बर्बाद कर देगी। अगर हम खामोश रहे तो जाति बच सकती है। होम्बी की सलाह है कि हम खामोश रहें।” ओमारू ने कहा।
“लेकिन रानी ताशा करना क्या चाहती है?” बोबला के माथे पर बल नजर आ रहे थे।
“जादूगरनी इस बारे में स्पष्ट नहीं बता रही।”
“क्यों?”
“जादूगरनी शायद समझ चुकी है कि हमें कुछ न बताने में ही हमारा भला है। तभी वो चुप है।”
“रानी ताशा हमारी देवी की मूर्ति को उठाकर बाहर रखने को कह रही है, इस बात को कोई नहीं सहेगा। खून बहेगा ओमारू और हमारे योद्धा कुछ ही पलों में रानी ताशा सहित सबको खत्म कर देंगे।”
“जादूगरनी कहती है कि पोपा में और भी लोग हैं। वो हमें मार देंगे।” ओमारू गुर्राया।
बोबला के चेहरे पर सख्त भाव दिखाई दे रहे थे।
“हम पोपा के भीतर जाकर उन्हें मारेंगे।”
“जादूगरनी कहती है कि उनका मुकाबला करने में हमारा नुकसान है।”
“ये थोड़े से लोग हैं, हम इन्हें मार देंगे।”
“तुम जादूगरनी के शब्दों की परवाह नहीं कर रहे।”
“तो तुम क्या कहते हो कि क्या करें हम?”
“ये ही तो समझ नहीं आ रहा।” ओमारू ने दांत भींचकर कहा –“जब से बबूसा यहां से गया है, तब से हमारा चैन छिनता जा रहा है। जब से धरा नाम की वो लड़की यहां से होकर गई है, तब से हमारे योद्धा जान गंवाने लगे हैं। पहले बबूसा को लेकर हम परेशान थे और अब रानी ताशा की तरफ से मुसीबत आने वाली है। हम हाथ पर हाथ रखे बैठे तो नहीं रह सकते। हमें कुछ करना होगा। परंतु जादूगरनी कहती है कि हम कुछ न करें।”
“आखिर रानी ताशा चाहती क्या है?” बोबला कह उठा।
“ये पता नहीं।” ओमारू ने सोच भरे स्वर में कहा।
“जब तक दुश्मन के इरादे का पता न हो, उस पर हमला करना बेवकूफी होगी ओमारू।”
“तुम उन पर हमला करने की सोच रहे हो?”
“खुद पर कोई मुसीबत आती है तो हमारे योद्धा किस दिन काम आएंगे।” बोबला ने खतरनाक स्वर में कहा।
“और जादूगरनी? वो जो कहती है कि हमारा खामोश रहना ही बेहतर...।”
“मैं जादूगरनी की बात को नहीं मानता। अगर कोई हमारे घर मे घुसकर हम पर हमला करे तो हम खामोश कैसे रह सकते हैं। क्या जादूगरनी पसंद करेगी कि कोई उसे चांटे मारता रहे और वो खामोश रहे।”
ओमारू के चेहरे पर सोच के भाव उभरे
“पहले हमें रानी ताशा के इरादों को समझना होगा।” बोबला कह उठा –“फिर कुछ विचार करेंगे।”
“मेरे ख्याल में हमारे पास काफी वक्त है।” ओमारू बोला –“हम मुकाबले की तैयारी कर सकते हैं।”
“तुम ठीक कहते हो। हमारे पास करने को बहुत काम है। सोचो ओमारू, हम क्या करें?”
“मैं रानी ताशा से बातचीत करके उसका इरादा जानने की चेष्टा करूंगा। वो क्या चाहती है और क्या करने वाली है। तुम अपने खास योद्धाओं के हवाले, पोपा पर हर वक्त नजर रखने का काम कर दो। उन्हें पोपा के भीतर जाने का, चुपके से मौका मिले तो वो भीतर जाकर, भीतर मौजूद लोगों पर कब्जा जमा लें या उन्हें मार दें। जादूगरनी की बातों से लगता है कि पोपा के भीतर के लोग हमें ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्हें खत्म कर दिया तो जो लोग यहां पर मौजूद हैं, उन्हें आसानी से मार सकते हैं। इस तरह सब ठीक हो जाएगा।”
“परंतु पोपा का दरवाजा तो हर वक्त बंद रहता है।” बोबला बोला।
“इंतजार करो और देखो कि दरवाजा कब खुलता है।” ओमारू ने कहा –“कोई ऐसा वक्त, जब चुपके से पोपा के भीतर जाने का मौक मिले तो तब भीतर जाना है और इस तरह सारा काम करना है कि इधर के लोगों को पता ही न चले कि पोपा में हम उनके साथियों के साथ क्या कर रहे हैं।”
बोबला चुप रहा।
“मेरी बात में तुम्हें क्या ठीक नहीं लगा?” ओमारू बोला।
“ये बात नहीं।”
“तो?”
“मैं सोच रहा हूं कि अभी तक हम जो भी सोच रहे हैं, वो सब कुछ जादूगरनी की बातों को सुनकर सोच रहे हैं।”
“हां।”
“देवी की मूर्ति के अलावा रानी ताशा ने अभी तक कोई गलत बात नहीं की।”
“वैसे तो नहीं की।”
“तो पहले हमें यकीन तो कर लेने दो कि रानी ताशा सच में हमारे लिए, बुरे विचार रखती है अपने मन में।”
“तुम जादूगरनी की बात पर अविश्वास कर रहे हो।”
“मुझे जादूगरनी की बात पर पूरा भरोसा है।” बोबला ने होंठ भींचे सख्त स्वर में कहा –“जादूगरनी ने हमें सतर्क करके अपना काम पूरा कर दिया। हम सतर्क हो चुके हैं, परंतु हमें भी तो यकीनी तौर पर इस बात की तसल्ली करनी है कि रानी ताशा सच में हमारे खिलाफ कुछ करने की सोच रही है। अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है।”
“जादूगरनी ने आज तक कोई बात गलत नहीं कही। बबूसा के बारे में भी उसने पहले ही कह दिया था कि अगर उसे रोका नहीं गया तो मुसीबतें आएंगी और वो आ रही हैं।” ओमारू कह उठा।
बोबला के चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे।
“रानी ताशा, राजा देव को वापस ले जाने आई है, जो इसी पृथ्वी पर रहता है।”
“हां-तो?”
“ऐसे में रानी ताशा हमारा बुरा क्यों करेगी। हमसे झगड़ा क्यों करेगी। उसे तो हमारी सहायता चाहिए होगी।”
ओमारू, बोबला को देखने लगा।
“ओमारू।” बोबला सोच भरे स्वर में कह उठा –“मुझे लगता है कि जादूगरनी को इस वक्त भविष्य दिखाई नहीं दे रहा या उससे कोई गलती हुई है भविष्य की बातों को समझने में।”
“जादूगरनी ने ये तो कई बार कहा है कि उसे भविष्य की घटनाएं इस बार स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहीं।”
“वो ही तो मैं कह रहा हूं कि जादूगरनी से कोई गलती हो रही है। रानी ताशा हमारी दुश्मन नहीं बन सकती। वो हमारा बुरा नहीं सोच सकती। इससे उसे कोई फायदा नहीं होने वाला। वो तो राजा देव को ढूंढ़ने की सोच रही होगी।”
“राजा देव की बात की थी मैंने परंतु रानी ताशा ने कहा कि उसे राजा देव को ढूंढ़ने की कोई जल्दी नहीं है। उससे पहले और भी काम करने हैं। मुझे नहीं समझ आया कि उसके और काम क्या हैं।”
बोबला सोच भरी निगाहों से ओमारू को देखने लगा।
“अब मैं जो कहता हूं वो करो बोबला।” ओमारू बोला।
“क्या?”
“हमें सतर्क रहना होगा। पोपा पर हर वक्त नजर रखनी होगी और इस काम में विश्वासी आदमियों को लगाना होगा जो किसी को भी न बताएं कि हम क्या सोच रहे हैं। जहां पर गड़बड़ देखी तो हम हरकत में आ...।”
“एक बात मुझे खटक रही है।” बोबला ने कहा –“रानी ताशा के लोग पोपा के भीतर क्यों बैठे हैं। कुछ बाहर आ गए तो कुछ भीतर हैं। हमने उन्हें देखा भी नहीं। वो बाहर भी नहीं निकले। ऐसा क्यों?”
ओमारू बेचैन-सा हुआ।
“कुछ बात तो है।” बोबला पुनः बोला।
दोनों कई पलों तक खामोश रहे। फिर ओमारू ही बोला।
“जैसा मैंने कहा है, वैसा ही करो बोबला। किसी को कानों-कान खबर न हो कि हमारे मन में क्या चल रहा है।”
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रानी ताशा ने पोपा में प्रवेश किया और पल भर के लिए ठिठकी सोमाथ उसके साथ था। एक अन्य आदमी भी था जिसने बटन दबाया तो सीढ़ी सिमटकर भीतर आ गई तो दरवाजा बंद कर लिया गया। पोपा में हल्की ठंडक व्याप्त थी। रानी ताशा के हाथ में यंत्र दबा था।
“अब तुम आराम कर सकते हो सोमाथ।” रानी ताशा ने कहा।
“ठीक है रानी ताशा।” सोमाथ ने कहा और एक तरफ चला गया।
यहां से तीन रास्ते अलग-अलग दिशाओं में जा रहे थे।
रानी ताशा ने दरवाजा बंद करने वाले से कहा।
“ठीक हो किलोरा?”
“जी रानी ताशा।”
रानी ताशा सामने जाते रास्ते पर बढ़ी तो किलोरा साथ चल पड़ा।
“बाहर कैसा रहा?”
“बहुत बढ़िया।” रानी ताशा बोली –“पहाड़ों के बीच बनी जगह सुरक्षित है। ऐसी जगह को हमें अपना बना लेना चाहिए, ताकि हम जब भी पृथ्वी ग्रह पर आएं तो हमारे पास रहने को सुरक्षित जगह हो।”
“तो ये जगह आपको पसंद आई?”
“बहुत। इस जगह को हमने अपने कब्जे में करना है और जाते वक्त यहां अपने लोग छोड़ देने हैं। ये ग्रह मुझे पसंद आया अभी तक। यहां सूर्य आसमान के बीच चला जाता है। सब कुछ लाजवाब है यहां।”
“उन लोगों की संख्या क्या है?” किलोरा ने साथ चलते पूछा।
“चार सौ-पांच सौ हो सकती है। जैसा कि हम पहले से ही जानते है कि ये लोग युद्ध कला में निपुण हैं। ऐसे में हमें सोच-समझकर कदम उठाना होगा। सबको नहीं मारा जाएगा। डोबू जाति के मजबूत कंधे तोड़ दिए जाएंगे ताकि इनका संचालन करने वाला कोई न रहे। फौज तब बेकार हो जाती है, जब सेनापति न रहे।” रानी ताशा शांत स्वर में कह रही थी –“डोबू जाति का सरदार ओमारू है। ओमारू के साथ-साथ और जो भी महत्वपूर्ण लोग हैं, उन्हें पहचानना होगा। ताकि एक ही बार में उन्हें खत्म किया जा सके।”
“होम्बी भी तो है।” किलोरा बोला।
“उससे अभी मेरी मुलाकात नहीं हुई। परंतु होम्बी डोबू जाति मे दखल नहीं देती। वो अपना जीवन बिता रही है और कभी-कभी मन से पैदा करके कुछ बातें जाति के लोगों को बता देती है कि उसका प्रभाव बना रहे। जैसा कि हम जानते ही हैं कि इन लोगों का सम्पर्क पृथ्वी ग्रह के बाकी लोगों से नहीं है। ये हमारे लिए अच्छी बात है। यहां जो भी होगा कोई नहीं जान सकेगा। हमारे लोग इस जाति के बनकर यहां की दुनिया का हिस्सा बन सकते हैं। हमें यहां के लोगों को, यहां की दुनिया को करीब से जानना और देखना है।”
“राजा देव के बारे में कोई खबर?”
“कुछ नहीं। राजा देव की तलाश में जाएंगे। फिर उन्हें अपने साथ पोपा में ले आएंगे। परंतु पहले यहां पर कब्जा कर लेना ठीक होगा। यहां पर हुकूमत हमारी होगी तो राजा देव को आराम से ढूंढ़ लेंगे।”
“बबूसा नहीं मिला?”
“नहीं। बबूसा यहां के मुम्बई शहर में कहीं है। मुझे पूरा विश्वास है कि वो राजा देव को तलाश कर रहा होगा।” रानी ताशा का चेहरा सख्त हुआ –“हमसे विद्रोह कर दिया है बबूसा ने। इसकी उसे सजा अवश्य मिलेगी।”
“तो क्या बबूसा हमारे साथ नहीं है?”
“अगर वो हमारे साथ होता तो हमारे इंतजार में यहां मौजूद होता। परंतु महापंडित का कहना है कि बबूसा ने स्पष्ट तौर पर हमसे विद्रोह कर दिया है। अब वो राजा देव की तलाश में है। परंतु बबूसा ये भी बेहतर जानता है कि हम उसे माफ करने वाले नहीं। बेशक वो राजा देव का सेवक है, परंतु मैं उसे सजा देकर रहूंगी। उसका जन्म मेरे कहने पर, महापंडित ने ताकतवर बनाकर कराया था कि आज के वक्त में वो हमारी सहायता करेगा, परंतु अब उसने विद्रोह कर दिया। बबूसा से हमारी मुलाकात अवश्य होगी, तब देखेंगे कि वो क्या रुख अपनाता है।”
उस छोटे-से रास्ते को पार करके वे एक गोल जैसे कमरे में पहुंचे।
कमरे में पांच दरवाजे नजर आ रहे थे। वहां की दीवारों के साथ बेंच जैसी सीटें कतार में लगी हुई थीं। एक तरफ काउंटर जैसा बना था, जिसके सामने स्क्रीन लगी थी। काउंटर पर असंख्य यंत्र और बटन लगे हुए थे। बटनों का रंग पीला और नीला था। लीवर जैसी चीजें भी खड़ी दिख रही थीं। वहां की छत किसी धातु से बनी नजर आ रही थी और दीवारें भी धातु की थीं। फर्श भी वैसा ही था।
इस वक्त दीवार के साथ सीटों पर सात-आठ आदमी बैठे बातें कर रहे थे कि रानी ताशा को आया पाकर वे सब सतर्कता से उठ खड़े हुए। रानी ताशा ने ठिठककर, मुस्कराते हुए उन्हें देखा।
“कैसे हो तुम सब?” रानी ताशा ने कहा।
“हम बेहतर हैं और ये ग्रह देखना चाहते हैं।” एक ने कहा –“परंतु हमें बाहर निकलने की इजाजत नहीं है।”
“अभी भीतर ही रुको।” रानी ताशा ने कहा –“हमें डोबू जाति पर कब्जा करना है कि पृथ्वी ग्रह पर हम अपना पक्का ठिकाना बना सकें और पोपा में बैठकर हम लोग आते-जाते रहें। हो सकता है ये ग्रह हमारे काम का हो। यहां का सूर्य कमाल का है। वो आसमान के बीचो बीच आ जाता है। जबकि हमारे ग्रह पर ऐसा नहीं होता। यहां और भी ऐसी अद्भुत चीजें होंगी, जो कि हमें जरूर पसंद आएंगी।”
“तो क्या हमें अभी पोपा के भीतर ही रहना होगा?” दूसरे ने कहा।
“हां। क्योंकि इस जगह पर कब्जा जमाने के लिए, झगड़ा हो सकता है। उस स्थिति में मुझे तुम लोगों की जरूरत पड़ेगी। तब तुम लोगों ने पोपा से बाहर निकलना है और उन पर कब्जा जमाना है। तुम लोग मेरे खास योद्धा हो और मेरी चाह के मुताबिक सब काम कर लोगे। बाकी लोग कहां हैं?”
“वो अपनी जगहों पर आराम कर रहे हैं।”
“हूं, अगर बाहर जाने का ज्यादा मन हो तो रात को बाहर निकलकर घूम सकते हो। परंतु सब लोग नहीं, दो-तीन की संख्या में। वो भी ज्यादा देर बाहर नहीं रहना है। जल्दी ही वापस आ जाना है।”
“जी रानी ताशा।”
रानी ताशा तारों-स्विचों वाले काउंटर के पास पहुंची और उनसे छेड़छाड़ करने लगी।
किलोरा ने तुरंत हटकर अलग पड़ा बड़ा-सा स्टूल रानी ताशा के पास रख दिया।
अपने काम में व्यस्त रानी ताशा ने कहा।
“जम्बरा से बात हुई?”
“उसे सिर्फ पृथ्वी ग्रह पर पहुंचने की खबर दी थी। उसके बाद बात नहीं की गई।” किलोरा बोला।
“जम्बरा ने भी सम्पर्क नहीं बनाया?”
“नहीं रानी ताशा।”
“हमारे हथियार तैयार हैं?”
“पूरी तरह। क्या हम हमला करने के लिए तैयार हो जाएं?”
“अभी नहीं। इस बात में अभी समय है। हमें इन सब लोगों को खत्म करना नहीं है। इन्हें गुलाम बनाकर रखने में ज्यादा फायदा है। परंतु इस जाति के अहम लोगों को अवश्य खत्म किया जाएगा ताकि वो हमारे सामने कोई परेशानी पैदा न कर सकें। हमारे लोग ऐसे लोगों की पहचान करने में लगे हैं वहां। इनके लिए हम जो भी उपहार लाए हैं वो पोपा के बाहर पहुंचा दो। उपहार पाकर ये लोग व्यस्त हो जाएंगे। कुछ करने से पहले हमें अपना विश्वास जमाना है इन पर। ताकि जब हम कुछ भी करना चाहें तो आसानी से कर सकें।”
किलोरा वहां से चला गया।
उसी पल स्क्रीन पर जगमगाहट-सी हुई और किर्र-किर्र की आवाजें आने लगीं।
रानी ताशा ने हेडफोन जैसा यंत्र वहां से उठाकर कानों से लगा लिया। उसके हाथ तेजी से स्विचों और बटनों पर चल रहे थे। लीवर जैसी चीजों को आगे-पीछे किया जा रहा था।
तभी स्क्रीन पर अस्पष्ट-सी तस्वीर उभरने लगी जो कि धीरे-धीरे स्पष्ट होती चली गई। तस्वीर पचास बरस के व्यक्ति की थी। अब उसका चेहरा स्पष्ट स्क्रीन पर नजर आ रहा था।
“कैसे हो जम्बरा?” रानी ताशा ने कहा।
“आप से बात करके मुझे खुशी हो रही है रानी ताशा। मैं तो कब से इस बात का इंतजार कर रहा था कि आप सम्पर्क बनाएं। पृथ्वी ग्रह पर पहुंचकर कैसा लग रहा है? क्या पृथ्वी हमारे सदूर ग्रह से ज्यादा अच्छी है?”
“अभी मैं ज्यादा नहीं देख पाई, परंतु यहां सूर्य आसमान के बीच में आ जाता है।” रानी ताशा ने कहा।
“सूर्य आसमान के बीच में? ये कैसे सम्भव है?” नजर आती तस्वीर के चेहरे पर हैरानी उभरी।
“ऐसा ही है यहां।”
“ये तो हैरानी की बात है रानी ताशा।”
“सच में हैरानी की बात है।” रानी ताशा मुस्कराई -“मैं भी देखकर हैरान हो गई थी।”
“फिर तो पृथ्वी ग्रह हमारे ग्रह से अलग है।”
“ये देखना अभी बाकी है। सदूर पर सब ठीक है न?”
“सब ठीक है रानी ताशा। सब कुछ आपके हुक्म के मुताबिक ही मैंने सम्भाल रखा है।”
“डोबू जाति की जगह मुझे पसंद आई। ये जगह पृथ्वी पर हमारे रहने का अच्छा ठिकाना बन सकती है।'
“तो डोबू जाति का क्या होगा?”
“उन पर हम कब्जा करने की सोच रहे हैं। ये काम हम आसानी से कर लेंगे।”
“राजा देव मिल गए क्या रानी ताशा?”
“अभी नहीं। डोबू जाति पर कब्जे के बाद मैं राजा देव को तलाश करूंगी। साथ ही इस ग्रह को अच्छी तरह देखना है। अगर ये मुझे पसंद आया तो हम इस ग्रह पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे।”
“क्या ऐसा सम्भव है?”
“पता नहीं। ये मेरा विचार है। क्या पता इस ग्रह के लोग हमसे कमजोर हों। डोबू जाति के हालात देखकर तो लगता है कि यहां के लोग बहुत पीछे का जीवन जी रहे हैं। बाकी बातें बाद में पता चलेंगी। तुम महापंडित को लाइन दो। इस वक्त वो अपने ठिकाने पर होगा। मेरे पास कम वक्त है, तुम्हारी लाइन पर ही उससे बात करूंगी।”
“मैं अभी महापंडित से आपकी बात कराता हूं रानी ताशा। लेकिन मैं कुछ कहना चाहता हूं।”
“कहो जम्बरा।”
“आप राजा देव को लेने पृथ्वी ग्रह पर गई हैं तो क्यों न राजा देव पर ही ध्यान दिया जाए। कहीं ऐसा न हो कि डोबू जाति से उलझकर हमारा नुकसान हो जाए और आप राजा देव तक न पहुंच सकें।”
“ऐसा कुछ नहीं होगा। डोबू जाति हमारे सामने बेहद कमजोर है। उन पर काबू करने में हमें कोई समस्या नहीं आएगी। तुम महापंडित को लाइन दो। अभी मेरे पास वक्त कम है।”
“जी।”
रानी ताशा कानों पर हेडफोन लगाए खड़ी रही।
स्क्रीन पर से जम्बरा की तस्वीर गायब हो गई थी।
करीब पांच मिनट का लम्बा इंतजार करने के बाद स्क्रीन पर एक अन्य व्यक्ति का चेहरा दिखाई दिया। गोल सा, कुछ मोटा चेहरा, फूला-फूला-सा। वो मुस्कराया फिर बोलता दिखा।
“रानी ताशा को महापंडित का नमस्कार।” हेडफोन के माध्यम से नर्म-सी आवाज रानी ताशा के कानों में पड़ी –“पृथ्वी पर सुरक्षित पहुंच जाने की बधाई हो। तो अब आप डोबू जाति पर कब्जा करने की सोच रही हैं।”
“जम्बरा ने तुम्हें बताया?”
“नहीं रानी ताशा, ये बात तो मैं पहले ही जान चुका हूं।” महापंडित की आवाज आई।
“तुम अपनी विद्या के दम पर मेरी छानबीन करते रहते हो।”
“आपके भले के लिए रानी ताशा।”
“क्या मैं सफल रहूंगी अपनी कोशिश में?”
“पूरी तरह।”
“राजा देव के बारे में मुझे जानकारी दो। मेरे ख्याल में वो मुम्बई नाम के शहर में हैं।” रानी ताशा बोली।
“आपका ख्याल सही है। राजा देव मुम्बई नाम के शहर में हैं।” महापंडित की आवाज आई।
“कहां पर?”
“बेहतर रहेगा कि पहले आप डोबू जाति का काम निबटा लें। उसके बाद मैं राजा देव के बारे में सारी जानकारी आपको दे दूंगा। कुछ काम बाकी है तब तक मैं उन्हें भी पूरा कर लूं।”
“क्या मैं राजा देव को सदूर पर ले जाने में सफल रहूंगी?”
“अभी कह नहीं सकता।” महापंडित की सोच भरी आवाज रानी ताशा के कानों में पड़ी –“मैंने अपनी विद्या का इस्तेमाल करना चाहा इस बात के लिए तो साफ तौर पर कुछ नहीं जान पाया। परंतु बबूसा का रूप मेरे सामने जरूर आता रहा। सम्भव है बबूसा की तरफ से आपको समस्या पैदा हो।”
“बबूसा को सोमाथ आराम से संभाल लेगा।” रानी ताशा ने कठोर स्वर में कहा।
“जानता हूं।”
“तुम इस बारे में मुझे कुछ स्पष्ट नहीं बता पा रहे महापंडित।”
“सदूर और पृथ्वी में काफी दूरी है रानी ताशा। मेरी मशीनें ज्यादा दूरी की वजह से ठीक तरह काम नहीं कर पा रहीं। मैं इस वक्त अपनी मशीनों का दायरा बढ़ाने पर लगा हूं। इसमें कुछ वक्त लगेगा। मैंने तो आपको पहले ही कह दिया था कि पृथ्वी पर आपकी ज्यादा सहायता नहीं कर पाऊंगा।”
“तुम्हें ये तो पक्का पता है न कि राजा देव कहां पर हैं?”
“वो मालूम कर चुका हूं आपको राजा देव तक पहुंचा दूंगा।”
“मैं तुमसे फिर बात करूंगी महापंडित।” कहने के साथ ही रानी ताशा ने हेडफोन उतारकर रखा और दो लीवरों को खींचने के बाद कुछ स्विच दबाए तो स्क्रीन पर नजर आती महापंडित की तस्वीर हट गई। रानी ताशा के चेहरे पर सोच भरी गम्भीरता नजर आ रही थी। उसने अपना यंत्र उठाकर हाथ में पकड़ा और पलटी।
वो छ:-सात लोग अभी तक खड़े थे।
“तैयार रहना। कभी भी तुम सबकी जरूरत पड़ सकती है।” कहने के साथ ही रानी ताशा आगे बढ़ी और एक रास्ते में प्रवेश कर गई। दस फुट आगे जाकर वो रास्ता खत्म हुआ तो गैलरी आ गई। रानी ताशा दाईं तरफ मुड़ते हुए आगे बढ़ी और सीढ़ियां आने पर, सीढ़ियों पर चढ़ गई।
सीढ़ियां खत्म होते ही ऊपर की गैलरी में जा पहुंची तो आगे बढ़ने के बाद एक कमरे का दरवाजा खोला और भीतर प्रवेश करते हुए दरवाजा बंद कर लिया। पोपा में ये कमरा उसका था। सोमाथ के अलावा यहां कोई नहीं आ सकता था। हाथ में थाम रखा ट्रांसमीटर जैसा यंत्र एक तरफ रखा और सोच भरे अंदाज में अपने कपड़े उतारने लगी। कमरे में बेड था। कुर्सियां थीं। टेबल था। वार्डरोब था। जरूरत की हर चीज थी वहां।
qqq
रानी ताशा नहा-धो चुकी थी। कपड़े बदल लिए थे। काले रंग का ऐसा चमकीला कपड़ा पहना था कि जिससे उसका रूप और भी निखर उठा था।
वो इंतहाई खूबसूरत लग रही थी। उसने अपना यंत्र उठाया और उस पर मौजूद बटनों में से एक बटन दबाया तो फौरन ही उसमें से सोमाथ की आवाज उभरी।
“कहिए रानी ताशा?”
“हमें पोपा से बाहर जाना है।” रानी ताशा ने यंत्र पर कहा।
“मैं अपनी बैटरी चार्ज कर रहा हूं। कुछ देर मुझे और लगेगी।” सोमाथ की आवाज यंत्र से उभरी।
“तुमने नई बैटरी क्यों नहीं लगाई। पुरानी को चार्ज पर लगा देते।”
“ये थोड़ी-सी कम थी तो मैंने चार्ज कर लेना ही बेहतर समझा।”
“अब ऐसे ही चलो। बाकी चार्जिंग बाद में करना सोमाथ। हमने डोबू जाति पर कब्जा करना है। उसके बाद ही मैं राजा देव से मिलने के लिए यहां से चलूंगी।”
“मैं अभी तैयार हो जाता हूं।”
रानी ताशा ने यंत्र का एक बटन दबाकर उसे बंद किया। हाथ में थामे दरवाजे के पास पहुंची और उसे खोलते हुए बाहर निकलकर दरवाजा बंद किया और आगे बढ़ गई। सीढ़ियां उतरने के बाद वो नीचे की गैलरी में पहुंचकर आगे बढ़ने लगी। उसके खूबसूरत चेहरे पर गम्भीरता दिख रही थी। इस बात का आभास स्पष्ट हो रहा था कि वो सोचों में उलझी हुई है। गैलरी पार करके बाएं मुड़ी और एक दरवाजा खोलकर भीतर प्रवेश कर गई। अगले ही पल ठिठक गई और होंठों पर शांत-सी मुस्कान उभरी वो आगे बढ़ी और कुर्सी पर बैठ गई।
कमरे मे बाईस-तेईस बरस की लड़की टहल रही थी। जो कि उसे देखते ही रुक गई। वो हरे रंग के कपड़े पहने हुई थी। दोनों टांगों पर अलग-अलग लिपटा कपड़ा कमर पर जाकर खत्म हो रहा था। पैरों में ऐसा कुछ पहना था जिसकी डोरी पांवों से बांध रखी थी। वक्षों पर चोली जैसा कपड़ा बंधा था। उसके बाल खुले थे और रेशम की तरह लग रहे थे। कानों में झुमके जैसे गहने लटक रहे थे। उसका पेट और नाभी वाला नग्न हिस्सा बहुत ही आकर्षक लग रहा था। वो खूबसूरत थी। बेहद खूबसूरत थी परंतु रानी ताशा के सामने उसकी खूबसूरती बेहद कम थी। एकाएक वो कह उठी।
“बाहर के लोग कैसे लगे रानी ताशा?”
“ठीक हैं। ये ज्यादा तरक्की वाले लोग नहीं हैं। हमसे पीछे हैं।”
“बबूसा नहीं मिला?” उसने पुनः पूछा।
“सोमारा। तुम बबूसा के बिना इतनी बेचैन क्यों हो रही हो?” रानी ताशा मुस्कराई।
“वो मेरा पति है।”
“इस जन्म में नहीं...।”
“वो हर जन्म में मेरा पति रहा है तो इस जन्म में भी वो मेरा पति बनेगा।” सोमारा जिद भरे स्वर में कह उठी।
रानी ताशा, सोमारा को देखती रही।
“मैं उसे तैयार कर लूंगी कि वो मेरा पति बने।” सोमारा ने कहा।
“तुम्हारे लिए समस्या आ सकती है सोमारा।” रानी ताशा ने कहा।
“क्या?” सोमारा आगे बढ़ी और कुर्सी पर जा बैठी।
“बबूसा यहां नहीं है। तुम्हें पता है कि वो विद्रोह करके यहां से चला गया है और मुम्बई नाम के किसी शहर में है।” रानी ताशा सोच भरे स्वर में कहती जा रही थी –“मुम्बई में बबूसा के साथ एक लड़की है।”
“लड़की?”
“धरा नाम है उसका। डोबू जाति वाले उसकी जान लेना चाहते हैं और बबूसा, उस लड़की को बचाता हुआ, डोबू जाति के ही लोगों को मारने में लगा है। हो सकता है बबूसा, धरा की तरफ आकर्षित हो गया हो।”
सोमारा के माथे पर बल आ ठहरे।
“वो लड़की धरा तुम्हारी राह में समस्या बन सकती है।”
“रानी ताशा, आपका...।”
“मैंने तुझे कितनी बार कहा है कि मुझे ताशा कहा कर। तू मेरी सहेली है।”
“सहेली जरूर हूं रानी ताशा, पर आपका रुतबा मेरे से बड़ा है। आप ग्रह की रानी हैं। मैंने भी कितनी बार कहा है कि हममें जो फर्क है, वो बना रहने दीजिए। मैं आपको रानी ताशा ही कहती रहूंगी।” सोमारा सोच भरे स्वर में बोली –“आपका मतलब कि बबूसा को उस लड़की से प्यार हो गया है।”
“सम्भव है।”
“मैं बबूसा का गला दबा दूंगी।” सोमारा का चेहरा गुस्से से भर उठा
“इससे तो बबूसा मर जाएगा।” रानी ताशा मुस्कराई।
“मैं उस लड़की को मार दूंगी।”
“ऐसा किया तो बबूसा नाराज हो जाएगा।”
“आप कहना क्या चाहती हैं?”
“इस समस्या के बारे में गम्भीरता से सोचकर हल निकालना।”
“बबूसा मेरा है और मेरा ही बनेगा।” सोमारा जिद भरे स्वर में कह उठी –“अगर वो उस लड़की से प्यार करने लगा है तो भी वो मेरा बनेगा। उस लड़की को मैं चुपके से खत्म कर दूंगी।”
“सोमारा।” रानी ताशा ने कहा –“मैं तेरे को इसलिए अपने साथ पृथ्वी पर लाई हूं कि तेरे द्वारा बबूसा पर काबू पाया जा सके क्योंकि बबूसा जानता है कि तू बीते जन्मों में उसकी पत्नी रही है। महापंडित ने हर बार तुझे बबूसा की पत्नी के रूप में ही बनाया है, क्योंकि तू महापंडित की छोटी बहन है और तूने हर बार बबूसा को चाहा है। परंतु इस बार बबूसा के हालात दूसरे हैं। बबूसा ने सदूर ग्रह पर नहीं, पृथ्वी ग्रह पर परवरिश पाई है और वो राजा देव के मामले में उलझ गया है। मेरे से विद्रोह कर बैठा है। वो मेरे खिलाफ चलने की चेष्टा कर रहा है।”
“आप कहना क्या चाहती हैं?”
“इस जन्म में बबूसा तेरा नहीं बन पाएगा। किसी और को चुन ले।”
“मैं समझी नहीं रानी ताशा।” सोमारा कह उठी।
“बबूसा को विद्रोह की सजा जरूर मिलेगी।” रानी ताशा का स्वर सख्त हो गया।
“और वो सजा क्या होगी?”
“सदूर ग्रह पर बबूसा को ले जाकर, जन्म भर के लिए कमरे में बंद कर देना।”
सोमारा गम्भीर हो उठी।
“मेरी खातिर बबूसा को माफ नहीं किया जा सकता?” सोमारा बोली।
“बबूसा का जुर्म संगीन है। वो राजा देव को मेरे खिलाफ भड़काना चाहता है। मैं चाहती हूं राजा देव को मेरे बारे में जो भी याद आए, सदूर ग्रह पर जाकर याद आए। जबकि बबूसा अभी उन्हें सब कुछ याद दिला देना चाहता है।”
“अगर मैं बबूसा को इस राह पर जाने से रोक लूं तो?” सोमारा ने पूछा।
“तब बबूसा को माफ किया जा सकता है।” रानी ताशा ने कहा।
“मैं बबूसा को रोक लूंगी। वो मेरी बात मान जाएगा।”
“ये अच्छी बात होगी।”
“वो लड़की धरा खूबसूरत है?”
“मैंने उसे नहीं देखा। परंतु बबूसा ने पसंद किया है उसे तो वो खूबसूरत ही होगी।”
“मैं बबूसा के पास जाना चाहती हूं रानी ताशा।”
“पहले यहां मामला ठीक कर लें, उसके बाद ही...”
“यहां का मामला क्या है?”
“डोबू जाति की ये जगह मुझे अपना ठिकाना बनाने के लिए पसंद आ गई है। सदूर ग्रह का ये जगह ठिकाना बनेगी कि जब भी हमारे लोग आएं पोपा पर तो यहां खामोशी से रह सकें और अन्य जगह पर जाकर यहां की दुनिया के बारे में जानकारी ले सकें। अब हमने इस जगह पर कब्जा करना है।” रानी ताशा ने कहा।
“ये कब होगा?”
“आज-कल में हो जाएगा। डोबू जाति की जगह पर मौजूद मेरे लोग सोच-समझ रहे हैं कि कैसे इस काम को किया जाए, हम डोबू जाति को खत्म नहीं करना चाहते। वो लोग हमारे काम आएंगे। परंतु जो मुख्य लोग हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा।”
“मुझे सिर्फ बबूसा में दिलचस्पी है।” सोमारा मुस्कराकर कह उठी।
“दो दिन लग जाएंगे, मुम्बई की तरफ रवाना होते-होते।” रानी ताशा मुस्करा पड़ी –“तुम चाहो तो तुम भी पोपा के बाहर डोबू जाति में जाकर देख सकती हो कि वहां के लोग कैसे हैं।”
“मैं खुद को बबूसा की सोचों में व्यस्त रखना चाहती हूं।”
“तुम्हें धक्का पहुंचेगा अगर बबूसा उस लड़की को प्यार करने लगा हो तो...”
“मैं उस लड़की की परवाह नहीं करती। बहुत मौके मिलेंगे, उसे खत्म करने के और बबूसा को पता भी नहीं चलेगा कि ये काम मैंने किया है। बबूसा सिर्फ मेरा है और मेरा ही रहेगा।”
“बबूसा को संभालना तुम्हारा काम है, तभी तुम्हें साथ लाई हूं।” रानी ताशा ने कुर्सी से उठते हुए कहा –“यहां का सूर्य आश्चर्यजनक है। वो आसमान के बीचोंबीच आ जाता है। हमारे ग्रह का सूर्य तो बिल्कुल अलग है।”
“सच में?”
“हां, तुम बाहर जाकर देख सकती हो।”
“मैं जरूर देखूंगी परंतु तुम जल्दी से अपने काम पूरा करो कि हम बबूसा की तरफ जा सकें।” सोमारा बोली –“राजा देव के बारे में कोई नई खबर मिली क्या?”
“महापंडित जानता है कि राजा देव कहां पर हैं। जब हम मुम्बई पहुंचेंगे तो वो मुझे बता देगा।”
“राजा देव को देखने के लिए तुम बेचैन तो बहुत हो रही होगी रानी ताशा।”
“बहुत।” रानी ताशा ने गहरी सांस ली –“राजा देव तो मेरे दिल की धड़कन हैं।”
“जैसे कि बबूसा मेरे दिल की धड़कन...”
“राजा देव उससे भी ज्यादा मेरे को प्यारे हैं। मैं तुम्हें बता नहीं सकती सोमारा। मेरी दुनिया राजा देव से शुरू होकर राजा देव पर ही खत्म होती है। मैं पागल हो गई थी जब मैंने राजा देव को धोखा दिया। उनके साथ बुरा किया। उस बात का इतना पश्चाताप है मुझे कि हर जन्म राजा देव के नाम पर ही बिताए जा रही हूं।” रानी ताशा ने कहा और पलट कर कमरे से बाहर निकल गई।
पोपा के भीतर के रास्तों को पार करती रानी ताशा आगे बढ़ने लगी चेहरे पर गम्भीरता नजर आ रही थी। रास्ते में कोई मिलता तो आदर से सिर हिला देता था। फिर रानी ताशा पोपा के भीतर के एक ऐसे हिस्से से गुजरी जो कि बर्फ की तरह ठंडी जगह थी। वहां सर्द तापमान था। उसके बाद वो फिर पोपा के सामान्य हिस्से में आ गई। इस वक्त वो ऐसी तंग गैलरी से निकल रही थी जो एक ही व्यक्ति के आने-जाने के लिए थी। उसके बाद एक कमरे में प्रवेश कर गई। ये सामान्य-सा कमरा था। कमरे में किलोरा एक टेबल की ड्राज को खोले वहां कुछ कर रहा था। रानी ताशा ने उसे देखा। आहट पाकर वो सीधा हुआ और रानी ताशा को देखते ही मुस्कराकर बोला।
“उपहारों को पोपा के बाहर गिरा दिया गया है रानी ताशा। अभी ये काम पूरा करके यहां पहुंचा हूं।”
“क्या उन्होंने उपहार उठा लिए?”
“नहीं। मैंने स्क्रीन पर देखा है। वो दूर खड़े होकर उत्सुक निगाहों से उपहारों को देख रहे हैं।”
रानी ताशा मुस्कराई।
“मैं और सोमाथ बाहर जा रहे हैं। हमारे लोगों ने अब तक क्या खबर दी?”
“वो पहाड़ के भीतर की सारी जगहों को देख चुके हैं। वो ऐसे लोगों को पहचान चुके हैं जो डोबू जाति के लोगों को कंट्रोल करते हैं और जाति के बड़े माने जाते हैं। हमारे लोग आपसे बात करना चाहते हैं।”
“मैं उनके पास ही जा रही हूं। यंत्र पर उन्हें मेरे आने के बारे में बता दो कि वो मुझसे बात कर लें। इधर तुम सारी तैयारी रखो। कभी भी कुछ भी हो सकता है। मुझे तुम लोगों की जरूरत पड़ सकती है।”
“हम तैयार हैं। परंतु बाहर हमारे लोगों का कहना है कि उन्हें के पीछे के रास्ते की तरफ जाने से रोक दिया गया कि वहां पर जादूगरनी आराम कर रही है।” किलोरा ने कहा।
“जादूगरनी?” रानी ताशा के होंठ सिकुड़े –“अब इससे भी मिलना पड़ेगा।”
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किलोरा ने पोपा का दरवाजा खोला तो सामने ही डोबू जाति के लोगों की भीड़ दिखाई दी। वो सब उत्सुक निगाहों से पोपा से गिराए गए बड़े-बड़े बंडलों को देख रहे थे जो कि बहुत ज्यादा संख्या में इधर-उधर बिखरे हुए थे। किलोरा ने पोपा की सीढ़ी खोलनी चाही तो उन बंडलों में अटककर वो पूरी नहीं खुली। पोपा के दरवाजे से जमीन मात्र बारह फुट नीचे थी। रानी ताशा ने जरा भी इंतजार नहीं किया और बड़े आराम से नीचे कूद गई। सोमाथ ने भी ऐसा ही किया। किलोरा ने पोपा का दरवाजा बंद कर लिया।
रानी ताशा ने वहां की भीड़ को देखते हाथ हिलाया।
“हम तुम्हारे दोस्त हैं।” रानी ताशा ने ऊंचे स्वर में कहा –“ये उपहार तुम लोगों के लिए हैं।”
वहां हर तरफ बंडल ही बंडल बिखरे दिखाई दे रहे थे।
डोबू जाति के लोग, रानी ताशा के शब्द सुनते ही खुशी से चिल्लाने लगे। परंतु कोई आगे न बढ़ा।
“उठा लो इस सारे सामान को।” रानी ताशा ने पुनः ऊंचे स्वर में कहा।
कोई आगे न बढ़ा। सब रानी ताशा को ही देख रहे थे।
रानी ताशा के होंठों पर मुस्कान उभरी और सोमाथ से बोली।
“मेरे ख्याल में जब तक ओमारू नहीं कहेगा, तब तक ये सामान को हाथ नहीं लगाएंगे।”
“ये लोग अपने सरदार की इज्जत करते हैं रानी ताशा।”
रानी ताशा आगे बढ़ी।
तभी पहाड़ के भीतरी रास्ते से निकलकर ओमारू बाहर आ गया।
“आह रानी ताशा।” ओमारू मुस्कराकर आगे बढ़ता बोला –“इन कपड़ों में तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो। पहले से भी ज्यादा।”
रानी ताशा मुस्कराई।
“ये सब क्या है?” ओमारू वहां बिखरे बंडलों को देखता कह उठा।
“इनमें तुम सबके लिए हमारी तरफ से उपहार हैं। ये हम सदूर ग्रह से लाए हैं।” सोमाथ ने कहा।
“ओह, इन उपहारों को पाकर मुझे कितनी खुशी हो रही है।” ओमारू बोला।
रानी ताशा आगे बढ़ी और ओमारू के कंधे पर हाथ रखकर बोली।
“हम दोस्त हैं ओमारू।”
“हम सच्चे दोस्त हैं रानी ताशा।” ओमारू ने फौरन कहा।
रानी ताशा, ओमारू का कंधा थपथपाकर पहाड़ के भीतर प्रवेश कर गई। सोमाथ साथ था। पीछे से ओमारू को ये कहते सुना कि ये सारा सामान उठाकर भीतर पहुंचा दो। तुम सबको उपहार मिलेंगे।
शब्दों के खत्म होते ही बाहर खुशी का शोर उभरने लगा। रानी ताशा कुछ ही आगे गई कि उसके अपने दो आदमी मिले। वे पास आ गए।
“क्या देखा तुम लोगों ने?” रानी ताशा ने उनसे पूछा।
“पृथ्वी ग्रह की ये जगह हमारे लिए बेहतर है। हम इस जगह पर सदूर से आया करेंगे। यहां निश्चिंत होकर रुक भी सकते हैं। हमने बाहर भी देख लिया है। यहां पर और लोग नहीं रहते।” दोनों में से एक ने कहा।
“और क्या किया?”
“हमने चौदह ऐसे लोगों की पहचान की है जो इस जाति में बड़े हैं और यहां के लोग उनकी बात मानते हैं।” दूसरे ने कहा –“वो नहीं रहेंगे तो इनकी हिम्मत इनका साथ नहीं देगी। इसके अलावा यहां के योद्धा बहुत खतरनाक हैं परंतु उनके पास हथियार नहीं होंगे तो वो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। हमें उनसे हथियार लेने होंगे।”
“परंतु ये कठिन काम है।” पहले वाले ने कहा –“इन लोगों को अपने हथियारों से प्यार है। ये हथियार नहीं देंगे।”
रानी ताशा के चेहरे पर सोच के भाव उभरे।
“इसके अलावा और कोई बात?” रानी ताशा ने पूछा
“ये लोग हर सुबह शिकार करने निकल जाते हैं और शाम को जानवरों को मारकर लाते हैं। खाने में जानवरों को पकाया जाता है। खाने का बाकी सामान लाने के लिए भी रोज कुछ लोग आसपास की जगहों पर जाते हैं, जहां दूसरे लोग रहते हैं। अगर इन्हें खाना नहीं मिले तो ये हमारे सामने कमजोर पड़ने लगेंगे।”
रानी ताशा ने सिर हिलाया, फिर कहा।
“मैं इन लोगों से हथियार ले लूंगी। ये काम मेरा है। और जो लोग शिकार करने और खाना लेने जाते हैं, उन्हें रास्ते में खत्म कर दो। इसके लिए यंत्र पर किलोरा से बात करो। वो कोई योजना बना लेगा।”
तब तक लोग बड़े-बड़े बंडलों को उठाकर भीतर लाने लगे थे। वो खुश थे और शोर कर रहे थे।
रानी ताशा और सोमाथ वहां से आगे बढ़ गए।
पीछे से ओमारू आ पहुंचा।
“इस बार तो बहुत ज्यादा उपहार लाई हो तुम।” ओमारू मुस्करा रहा था। वो साथ चलने लगा।
“हम दोस्त हैं ओमारू।” रानी ताशा ने मुस्कराकर कहा –“अगली बार पोपा और भी ज्यादा उपहार लाएगा।”
“मुझे खुशी होगी और भी उपहार पाकर।”
“पोपा में तुम्हारे लिए देवी की बढ़िया मूर्ति भी भेजूंगी। तुमने वो मूर्ति चबूतरे से उठाकर बाहर रखवा दी न?”
“ऐसा नहीं हो सकेगा रानी ताशा।” ओमारू गम्भीर हो गया।
“क्यों?”
“मेरे लोग मूर्ति को पूजते हैं। उसे वहां से हटाए जाना पसंद नहीं करेंगे।”
“तुम दोस्त होकर मेरी बात नहीं मान रहे। जबकि मैंने तुम्हें नई मूर्ति देने का वादा किया है।”
“जाति मूर्ति को उठाकर बाहर रखने पर, सहमत नहीं होगी। विद्रोह पैदा हो जाएगा।” ओमारू बोला।
“तुम यहां के सरदार हो। तुम्हारी बात से तो हर कोई सहमत होगा।”
“मूर्ति को बाहर रखने की बात पर नहीं।”
“ठीक है। कल हमारा एक पर्व है ओमारू।”
“वो क्या?”
“सदूर ग्रह पर हम ऐसा ही करते हैं। यहां पर तुम हमारा साथ दो तो तभी हम पर्व मना सकते हैं।”
“मुझे बताओ।”
“कल हम हथियारों की पूजा करते हैं। ये ही पर्व होता है। सब हथियारों को एक कमरे में भरकर, कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जाता है। गहरे अंधेरे में रखते हैं हम हथियारों को। इससे हमारी ताकत बढ़ती है। ऐसा हमारा विश्वास है। इसलिए क्या तुम जाति के सब हथियार, जो यहां मौजूद हैं, उन्हें कल अंधेरे से भरे कमरे में रख सकते हो। ये पर्व दिन निकलने से शुरू होता है और रात बीतने तक चलता है। इस दौरान अच्छे-अच्छे पकवान खाए जाते हैं और सब खुशी से गले मिलते हैं।” रानी ताशा ने कहा।
“ऐसा हो जाएगा रानी ताशा। ये तो मामूली काम है।” ओमारू फौरन कह उठा।
“हम कितने अच्छे दोस्त हैं।”
“जरूर। मैं आज रात-रात में ही सारे हथियार अंधेरे से भरे कमरे में रखवा दूंगा।”
“किसी के पास भी हथियार नहीं होना चाहिए।”
“नहीं होगा।”
“वो कमरा सोमाथ को दिखा देना जहां तुम हथियार रखने की सोच रहे हो।”
“अभी दिखा दूंगा।”
“तुम तो जानते ही हो ओमारू कि जल्द ही मैंने राजा देव की तलाश में मुम्बई जाना है।” रानी ताशा बोली।
“हां।”
“उस सफर के लिए मुझे यहां के लोगों की तरह कपड़े चाहिए। जैसे कपड़े यहां पहने जाते हैं।”
“मैं आज ही आदमी भेजता हूं। कल तक वो कपड़े लेकर आ जाएंगे।”
“कपड़े ज्यादा चाहिए। बीस-तीस लोगों के लिए।”
“इंतजाम हो जाएगा रानी ताशा।” ओमारू ने कहा।
तीनों तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे।
“तुम मेरे सच्चे दोस्त हो। अब की बार जब पोपा आएगा तो मैं तुम्हें सदूर ग्रह की सुंदर युवतियां तोहफे में भेजूंगी।”
“ऐसा तोहफा लेकर मुझे बहुत खुशी होगी।” ओमारू खुश हो गया।
“मुझे होम्बी से मिलना है ओमारू।” रानी ताशा एकाएक कह उठी।
“जादूगरनी से?” ओमारू के होंठों से निकला।
“होम्बी से मिलने की बहुत इच्छा है। मुझे उसके पास ले चलो। हम सच्चे दोस्त हैं ओमारू।”
“हां। चलो मैं तुम्हें होम्बी से मिलवाता हूं।” ओमारू कह उठा।
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