मैं और देवमेरे घर की छत पर बैठे थे। मैंने उसे घर आने को कहा था। छत पर मैंने उसे कहा, “यार निधि के पास अब वंश आने लगा है। वो पिछले दो दिन से निधि से मिलने आ रहा है। मैं अंदर से बहुत कमजोर हो गया हूँ।”
देव ने कहा, “अभी पढ़ने के दिन हैं राघव, पढ़ाई पर ध्यान दे। कॉलेज में पहुँचने के लिए हमें अच्छे नंबर लाने हैं बारहवीं में।”
“पर निधि के ऐसे व्यवहार के कारण मैं पढ़ नहीं पाता हूँ, मेरी पढ़ाई चूल्हे में गई।”
देव ने मुँह पिचकाते हुए कहा
“राघव, अगर तुम अब नहीं पढ़े तो तुम्हारे आगे की पढ़ाई का क्या होगा? तुम कॉलेज कैसे पहुँचोगे?”
शायद देव प्यार को समझ नहीं सकता था उसने अभी किसी से प्यार नहीं किया था। उसे शायद प्यार की चिड़िया का भी पता नहीं था मैं बेकार में अपनी फीलिंग उसे बता रहा था।
“पर मैं निधि को नहीं छोड़ सकता हूँ। मैं तो निधि के साथ उसके कॉलेज मेंवक्त बिताना चाहता हूँ।”
“ये तो तुम्हारे सपने हैं न। तुम समझते नहीं हो, लड़कियाँ तो तुम्हें और भी मिल जाएगी कॉलेज में।”
तभी देव ने कहा, “लो आ गया वंश, मैंने भी निधि की छत पर उसे देखा है।”
मैंने देव से कहा, “ये निधि को छोड़ेगा नहीं। इसे मेरी ही गर्लफ्रेंड मिली थी! इससे तो मैं दो जन्म में भी मुकाबला नहीं कर सकता हूँ।”
देव ने कहा, “ठीक है यार, होगा वो कोई हीरो, पर तू भी किसी हीरो से कम नहीं है।”
“मेरा और उसका क्या मुकाबला? स्मार्ट वो, पढ़ाई में तेज वो, क्रिकेट तो ऐसा खेलता है कि दूर-दूर से लोग उसे अपने मैच में खेलने के लिए बुलाते हैं। ऊपर से तीन कपड़ों, जूतों के शोरूम, घूमने के लिए मर्सिडीज और बी.एम.डब्लू. और कई गर्लफ्रेंड भी है। मेरी तो एक ही थी। क्या बिगाड़ा था मैंने उसका जो एक थी उसे भी ले लिया?”
मेरी इस बात पर देव हँसा, “ठीक है, होगा वो कोई स्टार। पर तू उससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है।”
सुन कर मैं अचम्भे में पड़ गया।
“पर कैसे?”
“तू लिखता अच्छा है। तू कोई नॉवेल लिख सकता है। मैं जानता हूँ, तू ऐसा कर सकता है।”
“पर मैं हिंदी मेलिखता हूँ। तुम तो जानते हो न कि हिंदी की किताबें कोई नहीं पढ़ता है।”
“तुम तो अभी से हार मान रहे हो। तुम बारहवीं की परीक्षा के बाद किताब लिख सकते हो। तुम किताब लिखकर वंश से आगे जा सकते हो। तुम नहीं जानते, तेरी लिखी कहानियाँ जो तुमने कुछ समय पहले लिखी थी, उन्हें बहुत पसंद की थी लोगों ने।”
मैंने कहा, “लिख तो सकता हूँ पर पैसा नहीं है इस काम में।”
“ऐसा नहीं है, अच्छा लिखोगे तो किताबें भी बिकती है।”
“ठीक है यार, रात हो गई है, अब घर चलते हैं।”
मैं निधि की छत पर देखने लगा। वो अब भी छत पर थी। तभी देव सीढ़ियों से जाने लगा। मैं कुछ देर छत पर रहा। कुछ देर बाद निधि का फोन आया।
“मेरे बाबू का क्या हाल है?”
मैंने उसकी झूठी बात पर कोई जवाब नहीं दिया। मैंने पूछा, “वंश तुम्हारे पास रोज क्यों आता है?”
“जल गए? वो तो बस मेरा दोस्त है इसलिए आ जाता है। मैंने उससे उसके कॉलेज के नोट्स लिए थे। तब से हमारी दोस्ती हो गई थी।” मैं उस पर भड़कने ही वाला था पर मैंने अपने पर संयम बनाया।
“क्या वो गोवा में भी तुम्हारे साथ गया था?”
“हाँ गया था, पर वो मेरा बस दोस्त है। अच्छा घर जाना है, फोन रखती हूँ।”
मैं भी घर में आ गया और सोचने लगा कि कैसे निधि मुझे धोखा दे रही थी। मैंने तय किया कि अब छत पर नहीं जाऊँगा और पढ़ने बैठ गया। मैं स्कूल के पढ़ाए चैप्टर पढ़ता रहा। दरअसल, उस वक्त निधि से ज्यादा मुझे अपनी परीक्षा की तैयारी करनी थी। देर रात तक मैं कभी इतिहास तो कभी राजनीतिक विज्ञान पढ़ता रहा। रात को तीन बजे मैं थककर सो गया। मैंने खुद को धीरे-धीरे पढ़ाई में डुबो दिया ताकि निधि की याद ही न आए। लेकिन फिर भी वो मुझे याद आ ही जाती थी।
वैसे तो निधि पढ़ाई में अच्छी थी पर वो स्मार्ट लड़कों की दीवानी थी। मैं ये जानता था। अक्सर जब मैं उसके साथ होता था तो वो लड़कों से आँख मिलाती रहती थी। पर मैंने उसे इस बारे में टोका नहीं था। पर उसकी जिदंगी में वंश आया तो मैं घबरा ही गया। मुझे वंश से जलन होने लगी थी। पर मैं कर भी क्या सकता था वंश समार्ट था साथ में उसके पास पैसे कि भी कमी नहीं थी।
जितना मैं हफ्ते में खर्च करता था उतना तो वो गाड़ी में तेल फूँक देता था। कोई भी लड़की उसे मिल सकती थी। इसलिए मैं अक्सर सोचता था कि इस वंश को कोई और लड़की नहीं मिली जो निधि के पीछे पड़ा है।
निधि मेरी जिंदगी मेजब से आई थी, वो मेरी जरूरत बन गई थी। निधि के पास भी कम पैसे नहीं थे, उसकी भी जेबखर्ची बहुत थी। वो मुझसे कई गुना ज्यादा खर्चती थी।
मुझे उन तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत करनी थी। पर मैं ये भी जानता था ऐसा कभी नहीं होना था। मैं निधि से शादी करना चाहता था। पर वो सपना शायद अधूरा ही रह जाना था।
मेरे और निधि के बीच पैसे, समाज और रुतबे को लेकर बहुत अंतर था। वो अपने परिवार में इकलौती संतान थी। ऊपर से महरौली मेकपड़े के बड़े शोरूम के साथ उसके पास काफी प्रॉपर्टी थी। वह अपने शोरूम के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बातती थी। अपनी बी.एम.डब्लू. कार का भी बखान करती रहती थी। जाहिर है, उससे कोई भी लड़का शादी करके अपने को भाग्यशाली ही समझता। उसके लिए लड़के की कमी नहीं होनी थी। और मैं... मेरी तो पढ़ाई भी एक सरकारी स्कूल में हो रही थी। सारा दिन स्कूल में रहने के बाद भी मैं अंग्रेजी में कमजोर था। जबकि निधि एक बड़े और नामचीन स्कूल में पढ़ी हुई लड़की थी।
मैं काफी समय तक यही सोच के परेशान रहता था कि मेरा उन दोनों से कोई मुकाबला ही नहीं।
एक दिन सुबह-सुबह ही मेरे पास निधि का फोन आया। करीब-करीब छह बज रहे थे। मैं बहुत खुश था कि उसका फोन मेरे पास आया। क्योंकि इतनी सुबह कभी भी उसका फोन नहीं आया। इसलिए मुझे इस में उसका प्यार छलकता हुआ लगा।
जैसे ही मैंने फोन उठाया तो वो बोली, “तुम आज स्कूल की छुट्टी कर सकते हो?”
“नहीं! पर बात क्या है, जो तुम मुझे छुट्टी करने को कह रही हो?”
“प्लीज एक दिन स्कूल की छुट्टी कर लो।”
“नहीं! आज पोल साइंस का एक महत्त्वपूर्ण चैप्टर हमारे टीचर पढ़ाएँगे।”
“प्लीज मान जाओ, एक दिन की ही तो बात है। तुम उस चैप्टर के नोट्स सोनू या देव से ले सकते हो।” मैं सोचने लगा इसे आज मुझसे क्या काम पड़ गया उसने कभी मुझे छट्टी के लिए नहीं कहा था वो तो हमेशा ही कहती थी कि अपनी पढ़ाई के लिए गम्भीर रहा करो।
“पर बात क्या है जो तुम छुट्टी के लिए कह रही हो?” वो वजह बताने में शरमा रही थी या उसे गुस्सा आ गया था मेरे मना करने पर इतना सुनकर कोई जवाब दिए बिना ही उसने फोन काट दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि निधि आखिर क्यों छुट्टी करवाना चाहती थी?
खैर, मैं स्कूल जाने के लिए तैयार होने का मूड बनाने लगा। लेकिन मेरा मन स्कूल जाने का नहीं हो रहा था। इसलिए मैं नहाने के बाद मम्मी से कहा, “आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगा मम्मी।”
“पर क्यों?” मम्मी ने पूछा।
“क्योंकि मुझे आज कुछ किताबें नई सड़क से लानी है।मेरे टीचर कह रहे थे इन किताबों से बारहवीं की परीक्षा में बहुत मदद मिलेगी। मुझे पापा से किताब लेने के लिए कुछ पैसे भी दिला दो।”
“पर तुम जानते हो कि महीने के आखिरी दिन चल रहे हैं, इसलिए तुम आज के बजाय एक तारीख को किताबें ले आना।” शायद मम्मी के पास ज्यादा पैसे नहीं थे उन्हें महीने के आखरी दिनों तक का खर्च चलाना था। पापा ये सब बाहर सुन रहे थे। वो अचानक कमरे में आए और बोले, “कितने पैसे चाहिए?”
“बस पाँच सौ रुपये।”
उन्होंने मुझे तुरंत पाँच सौ रुपये दे दिए। मैं खुश हो गया और जल्दी से निधि के पास जाने की तैयारी करने लगा। मैं कमरे मेकपड़े प्रेस कर रहा था कि तभी मेरा भाई अमित वहाँ आ गया। उसने पूछा, “भाई कहाँ जा रहे हो?”
“मैं नई सड़क जा रहा हूँ।”
ये सुनकर वो हँसने लगा और बोला, “ये पाँच मिस कॉल निधि के फोन से आई है।”
मैंने बेड पर पड़ा तकिया उसे दे मारा, “मेरे फोन की जासूसी कर रहा था?”
वो मेरा हाल समझकर हँस पड़ा और हँसते हुए ही पूछा, “कहाँ जा रहे हो निधि के साथ?”
“पता नहीं कहाँ लेकर जा रही है!”
“ठीक है, तुम निधि के साथ घूमने जाओ मैं तो स्कूल चला।” अमित ने अपना बैग लिया और स्कूल चला गया। तभी मेरा मोबाइल फिर से बजा। मैंने कॉल रिसीव किया और निधि से पूछा, “कहाँ जाना है?”
“शहीद भगत सिंह कॉलेज।”
“वहाँ तो हमें घुसने तक नहीं दिया जाएगा, वहाँ क्या है?”
“अरे आज वंश का मैच है कॉलेज में। फाइनल मैच है। वो अभी-अभी अपने कॉलेज की क्रिकेट टीम का कप्तान बना है। उसने मुझे कहा है कि वो इस टूर्नामेंट मेजीत गया तो वो रणजी ट्रॉफी की दिल्ली की टीम में आ सकता है। उसने ये भी कहा कि वो अगर रणजी ट्रॉफी टीम में आ गया तो वो आईपीएल टीम में भी आ ही जाएगा।”
निधि चहकते हुए बता रही थी। ये सुनकर मुझे गुस्सा बहुत आया पर मैं अपनी जलन नहीं दिखा सकता था। मैंने कहा, “किस टाइम कॉलेज को निकलना है?”
“उसका दस बजे मैच है, तो हम नौ बजे निकल लेंगे, ठीक है? तुम नौ बजे महरौली के पुराने बस स्टैंड पर मिलना।”
ठीक है कहकर मैंने फोन काट दिया। मैं ये सोचकर परेशान था कि वो रणजी ट्रॉफी टीम में आ जाएगा और इधर मैं इंटर के बाद कॉलेज में घुसना चाहता हूँ।मेरे नंबर कम आए तोमेरा कॉलेज में दाखिला नहीं हो पाएगा।
मैं वंश से जलता था। क्योंकि उसने मेरी इकलौती गर्लफ्रेंड को पटा लिया था। मुझे निधि पर भी गुस्सा आ रहा था। मैं सोचता था कि मेरे बेइंतहा प्यार करने पर भी वो वंश के चक्कर में पड़ी थी। क्या क्रिकेट का हीरो कभी क्रिकेट के अलावा किसी और चीज से प्यार कर सकता था?
मैं कपड़े पहनकर तैयार हो गया। मम्मी ने मुझे खाने के लिए टोस्ट लगे ब्रेड दिए जिसे मैंने दूध के साथ खा लिया। अभी आठ बजे थे, तो सोचा कुछ पढ़ लूँ। पर मन की उथल-पुथल के आगे मैं नहीं पढ़ पाया। हॉल से कमरे में और कमरे से हॉल में चक्कर काटता रहा।
मैं नौ बजे निधि के साथ शहीद भगत सिंह कॉलेज को निकला। निधि मुझे महरौली के पुराने बस स्टैंड पर ही मिल गई थी। वहाँ से हम बातें करते हुए बुलेट पर कॉलेज जाने लगे। मैंने निधि से कहा, “कॉलेज में हमें कोई घुसने भी नहीं देगा।”
इस पर वो हँसी, “मेरे पास कॉलेज में घुसने के लिए पास है। वंश ने मुझे दिए हैं।”
उसने जब पास दिखाया तो मैंने कहा, “फिर ठीक है। पर इस मैच में ऐसा क्या खास है जो तुम इतनी उतावली हो रही हो?” मैंने मुँह बनाते हुए निधि से कहा
“अरे ये मैच बहुत बड़ा है क्योंकि इस टूर्नामेंट में दिल्ली की सभी कॉलेज की टीमों ने हिस्सा लिया है। वंश इस टूर्नामेंट में क्रिकेट का नया सितारा बनकर उभरा है। उसने बहुत अच्छा क्रिकेट खेला है। वो कह रहा था उसने अपनी बल्लेबाजी से कई मैच अपनी टीम को जिताए हैं। और वो मैंन ऑफ द सीरीज बन सकता है, अगर वो इस मैच को जिताता है तो। साथ में वो अपनी टीम का कप्तान भी है।”
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। ये सब सुनकर मैं बहुत परेशान हुआ। परेशान होने की तो बात ही थी। कोई भी ब्वॉयफ्रेंड ये नहीं चाहता कि उसकी गर्लफ्रेंड किसी और लड़के की इतनी तारीफ करे।
थोड़ी ही देर में हम कॉलेज के गेट पर थे जहाँ पर निधि ने पास दिखाकर कॉलेज में प्रवेश करा दिया। उसने वंश को फोन किया पर उसने फोन नहीं उठाया। निधि ने उसे कई फोन किए फिर भी उसने फोन नहीं उठाया। मैं उस कॉलेज की लड़कियों को देखता रहा। कुछ लड़कियाँ तो बहुत छोटे कपड़ों में थी जो किसी फिल्म की हीरोइन लग रही थी। तभी निधि ने कहा, “नॉटी ब्वॉय!”
मैं हँस पड़ा। मैंने एक लड़के से पूछा, “आज मैच कहाँ होना है?”
“बाईं तरफ जो मैदान है, उसी में।” लड़के ने कहा।
लड़के के बताए रास्ते से हम दोनों मैदान की तरफ चल दिए।
अभी साढ़े नौ ही हुए थे। हम वहाँ रखी कुर्सियों पर बैठ गए। तभी फाइनल मैच की दोनों टीम के कप्तान मैदान में आए। मैदान में शोर होने लगा। मैदान लड़कों और लड़कियों से भरा हुआ था। दोनों कप्तान टॉस के लिए मैदान में थे। सभी लोग अपने-अपने कॉलेज के कप्तान का हौसला बढ़ाने लगे। निधि भी चिल्लाने लगी- वंश वंश वंश...
वंश टॉस हार गया और उसे फिल्डिंग मिली। टॉस के बाद दोनों कप्तान मैदान से चले गए। सामने ही स्टॉल पर खाने-पीने की चीजें मिल रही थी। मैंने दो कोल्ड ड्रिंक वहाँ से ली और मैच शुरू होने का इंतजार करने लगा।
निधि काफी खुश लग रही थी। पर मुझे वंश पर गुस्सा आ रहा था। मैं अपने मन में ये मनाने लगा कि काश वंश की टीम मैच हार जाए और वो मैच की पहली ही बॉल पर जीरो पर आउट हो जाए। पर ऐसा होने वाला नहीं था। फिर मैं ये सोचने लगा कि क्यों निधि के उत्साह से जल-भुन रहा था। अगर निधि मुझे कम भाव दे रही थी तो इस में गलत भी क्या है? वो मेरी बीवी तो थी नहीं। और जब मैं भी कॉलेज में आ जाऊँगा तो मैं भी किसी और को अपनी गर्लफ्रेंड बना लूँगा। आखिर उस में रखा ही क्या है? बस वोदिखती ही सुंदर है पर कॉलेज में ऐसी लड़कियों की कमी नहीं होती।
मैच शुरू होने का समय हो गया। मैंने अपनी कोल्ड ड्रिंक खत्म कर दी थी। पर निधि ने तो अभी कोल्ड ड्रिंक शुरू भी नहीं की थी। मैंने पूछा, “तुम कब इसे पियोगी?”
इस सवाल पर उसने ध्यान नहीं दिया। वह बोली, “वंश कह रहा था कि उसकी टीम फील्डिंग में कमजोर है, साथ में बॉलिंग में भी। अगर उसकी फील्डिंग पहले आई तो वे लोग आसानी से जीत सकते हैं।” इसी टेंशन में निधि ने कुछ घूँट पेप्सी के अपने गले में उतारे।
तभी वंश की टीम फील्डिंग के लिए उतर आई। दर्शकों में शोर बढ़ने लगा। दोनों अंपायर भी मैदान में आ गए। शहीद भगत सिंह कॉलेज के बल्लेबाज भी मैदान पर थे। मैच की पहली बॉल के लिए बॉलर तैयार थे। ठीक दस बजे पहली बॉल फेंकी गई।
वंश फील्डिंग में गली में खड़ा था। पहली बॉल पर कोई छःड़छाड़ बल्लेबाज ने नहीं की। मैच चालीस ओवर का था और पहले ओवर में शहीद भगत सिंह के बल्लेबाजों ने कोई रन नहीं बनाया। कोई विकेट भी नहीं गिरी। दूसरे ओवर में एक रन के साथ एक रन वाइड का आया। वंश अपने बॉलरों का और फिल्डरों का हौसला बढ़ा रहा था। पाँच ओवर हो गए थे।
पहले पाँच ओवर में शहीद भगत सिंह कॉलेज के बल्लेबाजों ने बीस रन बना लिए थे। पर कोई विकेट भी नहीं गिरा वंश सोच रहा था कि अगर कोई विकेट नहीं गिरा तो आने वाले ओवरों में ये बल्लेबाज बड़े शॉट मार सकते हैं।
आठवें ओवर में वंश ने बॉलिंग शुरू की और उसकी पहली बॉल पर छक्का पड़ा। वंश स्पिन बॉलर था। उसने दूसरी बॉल डाली जिस पर विपक्षी टीम के बल्लेबाज ने चौका जड़ दिया और स्कोर को पचास रन कर दिया।
अब मुझे भी मैच में मजा आने लगा। मैं विपक्षी टीम के साथ था पर निधि श्रीराम कॉलेज के साथ जो कि वंश का कॉलेज था। वंश ने तीसरी बॉल डाली जिस पर एक और चौका पड़ा।
निधि को अपने दोस्त का इस तरह से पिटना अच्छा नहीं लग रहा था। वंश ने चौथी बॉल डाली पर इस बार बल्लेबाज ने बॉलर को सम्मान देकर उसे डिफेंस कर दिया। निधि ने इस बॉल पर आँखें बंद कर ली थी।
ऐसे ही पाँचवीं बॉल पर बल्लेबाज ने डिफेंस किया। मैंने निधि से कहा, “देखो छठी बॉल पर विपक्षी टीम का बल्लेबाज बड़ा शॉट जरूर खेलेगा।”
निधि ने कहा, “सच में!”
“हाँ सच में। मैंने इतने मैच अभी तक देखे हैं कि इस बात को मैं लिखकर दे सकता हूँ।”
वंश ने दो फील्डरों को बाउंड्री पर भेजा। वो इस आखिरी बॉल पर रिस्क नहीं ले सकता था, पर अभी दो खिलाड़ियों को सौ गज के दायरे के बाहर रखा जा सकता था। वंश ने विकेट कीपर कि तरफ इशारा किया। विकेट कीपर ने भी हाँ का इशारा वंश की तरफ किया। फिर वंश छठी बॉल डालने को बढ़ा और उसने बॉल फेंक दी। तभी बल्लेबाज ने सटीक कदमों का इस्तेमाल करके आगे बढ़ा। वो बड़ा शॉट खेलना चाहता था पर वंश ने चतुराई से बॉल को वाइड फेंक दिया। बल्लेबाज विकेट से बाहर निकल चुका था और बॉल वाइड होने के कारण वो बॉल तक नहीं पहुँच पाया। विकेट कीपर ने बॉल को पकड़ा और बल्लेबाज को स्टंप आउट कर दिया।
अंपायर को विकेट कीपर ने शोर मचा कर अपील की तो बल्लेबाज अपने आप वहाँ से चला गया। सारा मैदान शोर और तालियों से गूँज गया। मैं भी वंश कि सूझबूझ से हैरान रह गया। निधि भी चिल्लाने लगी। जब तक शोर होता रहा तब तक दूसरा बल्लेबाज विकेट पर नहीं आया।
मैं भी अब वंश के खेल का दीवाना होने लगा था। मैं अब उसकी बल्लेबाजी देखना चाहता था। सच में वो एक समझदार क्रिकेटर था फिर कोई बल्लेबाज ज्यादा कुछ नहीं कर सका और शहीद भगत सिंह कॉलेज ने चालीस ओवर में 240 रन का स्कोर बनाया। मैच का अगला भाग बीस मिनट में शुरू होना था। मैं स्टोर से बर्गर लेने चल दिया, पर निधि वहीं बैठी रही।
जब मैं निधि के पास बर्गर लेकर आया तो वो अपने बाल सँवार रही थी। मैंने उसे बर्गर दिया तो थैंक्स कहकर वह बोली, “अब देखना वंश कि बल्लेबाजी कैसी जबरदस्त होती है।”
“अरे वो कोई सचिन तेंदुलकर है जो तुम इतनी खुश हो रही हो?”
मेरी इस बात पर उसने मुँह बना लिया। मैं भी बर्गर खाने लगा। मुझे उसकी कमाल की मुस्कान की आदत थी, पर उसका मुँह बनाकर ऐसे बैठ जाना मुझे पसंद नहीं था। जैसे ही मैंने बर्गर समाप्त किया, मैदान पर अंपायर आते देखे। साथ में शहीद भगत सिंह के फील्डर भी आ रहे थे।
मैंने निधि से कहा, “वंश किस नंबर पर बल्लेबाजी करने आएगा?”
“वो तो ओपनर है इसलिए ओपनिंग में ही आएगा।” तब तक वंश भी मैदान में एक और बल्लेबाज के साथ क्रीज पर पहुँच गया।
मैच शुरू हुआ। वंश ने पहली बॉल खेली और एक रन बनाकर दूसरे छोर पर खड़ा हो गया। वंश की टीम ने पहले ओवर में एक ही रन बनाया।
ओवर बढ़ते जा रहे थे जो बढ़कर पाँच हो गए थे पर स्कोर बढ़कर अभी दस रन ही हुआ था। अगले पाँच ओवर में भी स्कोर कुछ ही बढ़कर मात्र तीस रन ही हो सका। अभी तक दस ओवर हो चुके थे श्रीराम कॉलेज के तीन कीमती विकेट भी इस दौरान गिर चुके थे। दर्शक कह रहे थे कि अब श्रीराम कॉलेज का हारना तय है क्योंकि विपक्षी टीम की फील्डिंग और बॉलिंग बहुत अच्छी है। पूरे टूर्नामेंट में वे बॉलिंग से ही जीतते आ रहे थे।
निधि ने एक दर्शक से कहा, “श्रीराम कॉलेज की बल्लेबाजी बहुत अच्छी है, देखना वो मैच जीत ही लेंगे।”
अब वंश ही श्रीराम को जिता सकता है, उसकी बल्लेबाजी से मैं ये तो समझ ही गया था। वो एक मँजा हुआ बल्लेबाज था। फिर सोचा कि कोई जीते या हारे, मुझे इससे क्या लेना। और वंश इतना भी अच्छा खिलाड़ी नहीं था। यही सब सोचते-सोचते मैच के आधे ओवर निकल गए। स्कोर भी 102 रन हो गया था बीस ओवर के बाद। लेकिन तीन विकेट के बाद वंश की टीम का कोई विकेट नहीं गिरा। मुझे लगा कि अब वंश की टीम को तेज खेलना चाहिए जिससे विपक्षी टीम के हौसले टूट सके। तभी वंश अपनी क्रीज से निकला और एक स्पीन बॉलर को उसने छह रन के लिए उड़ा दिया।
अब मैच का रंग शबाब पर था। इस छक्के के बाद वंश ने अपनी बल्लेबाजी में तेजी ला दी। पर दूसरे छोर पर बल्लेबाज बस विकेट बचाने मेलगा रहा। अब मैच में रंग और बढ़ने लगा और वंश के हर शॉट पर मैदान में शोर होने लगा।
जैसे-जैसे ओवर बढ़ने लगे मैच में श्रीराम कॉलेज का पलड़ा भारी लगने लगा। अब दस ओवर और हो गए टीम का स्कोर बढ़कर 190 हो गया। मैच ने ऐसा पलटा मारा कि शहीद भगत सिंह कॉलेज हारने लगा। उसकी लाख कोशिशों के बाद भी श्रीराम कॉलेज का विकेट नहीं गिरा।
शहीद भगत सिंह कॉलेज के समर्थक अब मैदान से जाने लगे। बाकी के ओवर में भी वंश तेज ही खेलता रहा। ऐसा लगा 35वें ओवर में ही मैच खत्म हो जाएगा। जब बस दस रन ही चाहिए थे, तभी वंश के जोड़ीदार बल्लेबाज ने एक तेज शॉट खेला पर वो बाउंड्री पर लपका गया। पर अब देर हो चुकी थी। वंश ने इस दौरान अपनी सेंचुरी पूरी कर ली थी। थोड़ी ही देर में श्रीराम कॉलेज ने 240 रन का स्कोर पूरा कर लिया। वंश ने जैसे ही विनिंग शॉट में चौका लगाया, श्रीराम कॉलेज के समर्थकों ने फिल्ड में दौड़ लगाकर वंश को कंधों पर उठा लिया। निधि ने उस पल का वीडियो बना लिया।
मैच समाप्त होने के बाद बड़ी-सी ट्रॉफी वंश और उसकी टीम को दी गई। साथ में वंश ‘मैंन ऑफ द मैच’ और ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ भी बना। मैं वंश के खेल से बहुत प्रभावित था। निधि तो उसकी फैन थी ही।
मैंने निधि से कहा, “अब घर चलते हैं।”
“नहीं, अभी नहीं। अभी वंश से मिल लेते हैं।”
“ठीक है, जल्दी से उससे मिलकर आओ।”
“तुम नहीं मिलोगे?” निधि ने धीरे से पूछा। मुझे लगा की उसने सिर्फ निधि को बुलाया है मेरा वहा जाना सही भी है या निधि को ही जाना चाहिए। मैंने ना मिलने का मन बनाया।
मैंने कहा, “वो तुम्हारा दोस्त है और उसने तुम्हें मैच देखने के लिए बुलाया है मुझे नहीं।”
“ठीक है, मैं ही जाती हूँ। तब तक मेरा यहाँ पर इंतजार करना।”
“ठीक है, जल्दी आ जाना। मेरा ट्यूशन टाइम होने वाला है।”
सिर हिलाकर निधि मुस्कुराती हुई भीड़ से निकलती हुई वहाँ से चली गई। मैं फिर उस कॉलेज को देखने लगा। उसकी इमारत पुरानी लग रही थी, पर यहाँ पर पढ़ रहे सभी स्टूडेंट नए थे। मैंने वहाँ पढ़ रहे सब स्टूडेंट्स को गौर से देखा जो अच्छे-अच्छे कपड़ों के साथ बड़े फैशन में थे। लड़कियाँ तो ऐसे भरी पड़ी थी कि एक से एक सुंदर। सब की सब स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी।
घूमते-घूमते मैं स्टोर पर पहुँच गया जहाँ पर खाने की सामग्री मिल रही थी। मैंने फिर एक कोल्ड ड्रिंक ली और मैदान मेजाकर बैठ गया। सोचने लगा कि मैं भी अगले साल से ऐसे ही कॉलेज में पढ़ूँगा और ऐसी ही किसी अप्सरा से दोस्ती करूँगा। दिल्ली के सभी छात्र जो बारहवीं में पढ़ते हैं उन सबके ही ऐसे ख्वाब होते हैं वे कॉलेज को किसी प्यार करने की फैकर्टी मानते हैं लड़के हो या लड़कियाँ सब चाहते हैं कि वे अपना साथी यहा ढूँढ़ ले नहीं तो प्यार करने के उन के सपने, सपने ही रह जाने है।
मैंने अपनी घड़ी में समय देखा तो दोपहर के दो बजने वाले थे, पर निधि अब तक वंश से मिलकर नहीं आई थी। मैंने उसे फोन किया, पर उसने फोन नहीं उठाया। मैंने फिर कोशिश की पर अब भी फोन नहीं उठाया। मैं उसे कॉलेज के हॉल में ढूँढने लगा, पर वो कहीं नहीं दिखी। मैंने उसे हर जगह देखा। काफी देर बाद वो मुझे खिलाड़ियों के कमरे में मिल गई। वंश और निधि वहाँ बैठे हुए थे। जैसे ही वंश ने मुझे देखा, उसने मेरी तरफ एक मुस्कान फेंक दी।
मैंने वंश से कहा, “आप ने आज बहुत अच्छा खेला।”
उसने कहा, “सभी यही कह रहे हैं।” जैसे की उसके लिए ये सब आम बात हो। पर शायद अपने खेल से वो बहुत खुश था। मुझे एक बार तो लगा बेकार में मैं उसका भाव बढा रहा हूँ।
“पर सच मेलाजवाब खेल था।”
“हाँ,मेरे जीवन का यह सबसे अच्छा क्रिकेट मैच था।”
मैंने निधि को कहा, “निधि, मुझे घर जाना है। मेरे ट्यूटर आने वाले होंगे।” निधि ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। मैंने फिर से उससे कहा, “हमें घर चलना चाहिए निधि।”
लेकिन इस बार जवाब वंश ने दिया, “निधि मेरे साथ यहाँ रुकेगी। आप जा सकते हैं।”
निधि ने मासूम-सा चेहरा बनाते हुए कहा, “प्लीज राघव!”
वंश ने दोबारा कहा, “आप अकेले ही चले जाएँ भईया।”
मैंने निधि का चेहरा देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मुझे बहुत बुरा लगा। मेरी आँखों में आँसू आ गए पर मैं आँसुओं को छुपाते हुए वहाँ से बाहर आ गया।
बाहर आकर मैंने रोते हुए बुलेट स्टार्ट की और चलने लगा। तभी किसी ने पीछे से आवाज दी, “भईया रुको, मुझे लाडो सराय जाना है, मुझे वहाँ छोड़ देना। मैं आपको जानता हूँ।”
मैंने उसको अपनी बाइक पर बिठा लिया। लाडो सराय महरौली के पास ही है। मैं तेजी से बुलेट को भगाता हुआ चल दिया। मैंने अपना हेलमेट भी नहीं पहना था। तेजी से ट्रैफिक को काटता हुआ जा रहा था कि तभी वो लड़का बोला, “क्या बारिश हो रही है,मेरे चेहरे पर बूँदें पड़ रही है?”
मैंने कहा, “हाँ हो रही है।”
“पर आसमान में तो काले बादल है ही नहीं!”
मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया। ये पानी बादल नहीं बरसा रहा था, वो तो मेरी आँखों से बह रहा था। मुझे रोता देखकर वो लड़का समझ नहीं पाया कि बात क्या थी। आधे घंटे में मैंने उसे लाडो सराय छोड़ दिया और अपने घर की तरफ चल दिया। घर के बाहर मैंने बाइक लगाई। अंदर घर पर मेरे ट्यूटर आ चुके थे। मैंने उन्हें नमस्ते कहा और घर में घुस गया।
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