अध्याय १
“शांति, संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं है, यह शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष को संभालने की क्षमता है।”
– रोनाल्ड रेगन
संयुक्त राष्ट्रसंघ मुख्यालय, न्यूयॉर्क शहर
संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा हॉल, पूरे परिसर में सबसे विशाल था और तेजी से भर रहा था। ऐसा अनुमान था, कि हाल में लगी सभी अठारह सौ सीटों पर संबंधित देशों के राजनयिक आकर अपनी उपस्थिति देंगे। अगले कुछ ही मिनटों में महासभा की कार्यवाही शुरू होने वाली थी।
विशाल हॉल में फ्रांसीसी कलाकार फर्नांड लेगर द्वारा रचित दो भित्ति चित्र लगे थे। हॉल में सामने की ओर, जनरल असेम्बली के प्रेसिडेंट, सेक्रेटरी जनरल और सम्मेलन सेवाओं के लिए नियुक्त, अंडर सेक्रेटरी जनरल के संबोधन के लिए हरे संगमरमर से बने मंच स्थित थे। मंच के पीछे दीवार पर एक सुनहरे रंग से चित्रित पुष्पधर पर संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रतीक-चिन्ह अंकित था, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक माना जाता है। पृथ्वी का सपाट गोलाकार भौगोलिक मानचित्र, दो जैतून की शाखाओं से घिरा हुआ था। जैतून की ये शाखाएं प्राचीनकाल से आज तक शांति का प्रतीक मानी गयी हैं।
मंच को घेर रही एक पैनल वाली अर्ध-गोलाकार दीवार मंच के आसपास के हिस्से को खूबसूरती के साथ घेर रही थी। पैनल वाली दीवारों के सामने मेहमानों के बैठने की जगह थी और दीवार के भीतर खिड़कियों वाले कमरे थे, ताकि उस पार बैठे अनुवादक सभा की कार्यवाही आसानी से देख सकें। पूरे परिसर को एक उथले गुंबद द्वारा इस तरह घेरा गया था, कि हॉल में पर्याप्त रोशनी आती रहे और वहाँ ज़रा भी अँधेरा न हो। हॉल में ऐसा लग रहा था मानो आशा और भय वहाँ एक ध्वज के रूप में लहरा रहे हों। हॉल का माहौल गंभीर और अनिश्चितता फ़ैलाने वाला था।
इस रोशनी से भरे हॉल में हुए कई समागमों में, विश्व-शांति और प्रकृति की भलाई के लिए लक्ष्य बने और हासिल भी हुए, ख़ासकर ऐसे समय में, जब सारे राष्ट्र एक मंच पर, एक साथ, एक उद्देश्य के लिए एकत्रित हुए हों… लेकिन, शायद आज ऐसा संभव नहीं होने वाला था।
संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा ऐसे विशेष सत्रों का आयोजन एक सामान्य घटना थी, लेकिन प्रत्येक सत्र के उद्देश्य अलग होते थे। इज़राइल और फ़िलिस्तीन के बीच संघर्ष पर चर्चा करने के लिए आज दुनिया भर के राजनयिक एकत्र हुए थे। आईएसआईएस, सीरिया के राष्ट्रपति और कुर्द सेना के बीच सीरिया में खूनी गृह-युद्ध के साथ मध्य-पूर्व फिर से आग की लपटों में घिर गया था। वर्तमान में यह फिर से हुआ है कि आईडीएफ (इज़राइली रक्षा बलों) द्वारा नवंबर २०१२ में आठ-दिवसीय “पिलर ऑफ़ डिफेन्स (रक्षा स्तंभ)” नामक ऑपरेशन के तहत किये गए हमलों के वर्षों बाद, इज़राइल ने गाज़ापट्टी पर पुनः बमबारी शुरू कर दी थी।
यह विवाद इतने लंबे समय से अनसुलझा था कि इज़राइल-फ़िलिस्तीन युद्ध का नाम “एक दु:साध्य संघर्ष” पड़ गया था।
हॉल में लगी कुर्सियों की चौथी पंक्ति में एक बेहद खूबसूरत महिला, एमा ग्लास बैठी थी। अक्सर उसके पास से गुज़रने वाले अजनबी लोग उसे गलती से एक सेलिब्रिटी समझ लेते थे। भूरे रंग का बिजनेस सूट उसके दुबले-पतले शरीर पर खूब जंच रहा था। उसके सीधे और सुनहरे बाल खुले हुए थे और अच्छी तरह से संवारे हुए थे। कुछ लटें उसके गोरे और लंबे चेहरे पर बिखरीं हुई थीं, जिन्हें उसने हाथों से कानों के पीछे किया और हाथ में आये कागज़ को देखने लगी। फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली और एक लम्बी साँस ली। कागज पर एक सांख्यिकीय रिपोर्ट थी, जिसमें गाज़ा में हुए विध्वंस के शुरुआती आंकड़े थे।
“हमले के शुरुआती ३ दिनों में ही ७ बच्चों सहित ६८ की मौत और ५५० लोग घायल हो चुके थे। आगे अरबों डॉलर की संम्पत्ति के ख़ाक में मिलने और हज़ारों मौतों की आशंका जताई गयी थीं। “
एमा पहले भी गाज़ापट्टी में मौत को छूकर निकल आई थी। उस कागज़ को देखते-देखते उसे अपने अतीत की याद आ गयी। अंधकार और मौतों का अतीत।
मौत के आंकड़ों पर गहन सोच-विचार करने हेतु समय कम पड़ रहा था। वह सोचने लगी, “मृत्यु कभी न ख़त्म होने वाला एक दयाहीन सत्य है।”
हेनरी ब्लैंक, जो उसका बॉस होने के साथ शांति व्यवस्था, संचालन और राजनीतिक मिशन, विभाग का प्रमुख भी था, अपनी जगह पर जाने के लिए उसकी मेज़ के सामने से गुज़रा। उस भूरे बालों वाले फ्रांसीसी की काया गठीली थी और चेहरे पर पड़ी झुर्रियां, उसके उम्रदराज़ होने की ओर इशारा करती थी।
“गुड मॉर्निंग हेनरी,” एमा ने आदर सहित खड़े होकर उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया।
“गुड मॉर्निंग, एमा,” उसने भी अपने फ़्रांसिसी लहजे में जवाब दिया। “तुम्हें आज के भाषण को बारीकी से सुनना चाहिए, यह काफ़ी महत्वपूर्ण है।” उसने अपनी मंशा प्रकट की और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया।
एमा ने अपना सिर हिलाया और हैरानी से उसे जाते हुए देखकर सोचने लगी। “हेनरी ने ऐसा क्यों कहा?”
स्पष्ट आवाज़ में की गयी घोषणा, पूरे हॉल में दीवारों पर लगे बड़े-बड़े स्पीकरों और प्रत्येक डेस्क से जुड़े हेडफोन्स के माध्यम से सभी ने सुनी।
“देवियों और सज्जनों, हम दो मिनट में सभा की कार्यवाही शुरू करेंगे। कृपया सभी अपना स्थान ग्रहण करें।”
सभी अपनी कुर्सियों पर व्यवस्थित हुए और कुछ ने अपनी मूल भाषाओं में अनुवाद के लिए और कुछ ने स्पष्ट आवाज़ के लिए अपने हैडफोंस को ठीक से कानों पर लगाया।
महासभा के अध्यक्ष ने मंच सम्हाला, वे एक ६६ वर्षीय युगांडन पुरुष थे। उन्होंने काले सूट के अंदर सफ़ेद शर्ट और एक लाल-ग्रे धारियों वाली टाई पहन रखी थी और सर लगभग केश-रहित। उन्होंने हॉल में उपस्थित राजनयिकों को एक नज़र देखा। उनके कोट के कॉलर पर दो बैज लगाए गए थे, एक युगांडा के राष्ट्रीय ध्वज का था और दूसरा संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रतीक-चिन्ह था। फिर उन्होंने अपना माइक ठीक किया, उसे स्विच ऑफ किया और अपना गला साफ़ कर, माइक को वापस चालू किया और अपनी कोमल और सधी हुई आवाज़ में बोले-
“देवियो और सज्जनों, गुड इवनिंग। इतने शॉर्ट नोटिस पर आने के लिए धन्यवाद, लेकिन इन विकट परिस्थितियों ने हमें ज़रूरत के समय में फिर से एकजुट होने के लिए बुलाया है। दो दिनों में, इज़राइल ने गाज़ा में पाँच सौ पचास टार्गेट हिट किये हैं, जिससे सात बच्चों सहित अड़सठ मौतें हुई हैं और कुल पाँच सौ पचास घायल हुए हैं। आगे के सांख्यिकीय विवरणों का उल्लेख आपके डेस्क पर रखी गई शीट में किया गया है।”
एमा एकदम शांत थी, डेस्क पर उसकी बाहें टिकी हुई थीं और उंगलियाँ आपस में गुंथी हुई थीं। उसने अपना सिर उठाया, एक पल के लिए काँच की खिड़कियों के माध्यम से अनुवादकों को देखा, और फिर उसने रिपोर्ट पर नज़र डाली। उन आंकड़ों ने उसे उसकी पुरानी नौकरी की फिर याद दिला दी, जहाँ वह सीआईए की एक खुफिया ऑपरेटिव के रूप में काम करती थी। माइक पर बोले गए अगले शब्द उसके कानों तक पहुँचे ही नहीं।
एमा फिर से अपने अतीत की गोद में खो गयी। वह एक बार छह महीने के लिए सीआईए और मोसाद के एक संयुक्त गुप्त ऑपरेशन का एक हिस्सा थी। उस दौरान उसे, ईरान के गुप्त वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों को परमाणु मिसाइलों की सेंट्रीफ्यूज बेचने के सौदे का पता लगाने के मिशन पर भेजा गया था। इन सेंट्रीफ्यूज को मिसाइलों को, हवा के बीच में घूमने से रोकने और उन्हें बेकार करने के लिए हैक किया गया था। एक छोटी सी गलती के कारण वह मिशन विफल हो गया और उसने ऑपरेशन के दौरान अपने चार एजेंटों को भी खो दिया और बमुश्किल अपनी जान बचा पाई थीं। उसी दौरान एक महिला और उसके बेटे को भी अपनी जान गवांनी पड़ी। वह उस हादसे को कभी नहीं भुला पायी। उनके छत-विछत निर्जीव शरीरों की छवि, अभी भी उसके स्मृतिपटल पर अंकित थीं। हॉल में दिए जा रहे भाषण की तेज आवाज़ से एमा की तन्द्रा भंग हुई; वह झटके से वापस जागृत अवस्था में आयी। मंच पर अब संयुक्त राष्ट्रसंघ के सेक्रेटरी जेनेरल विद्यमान थे। दक्षिण कोरियाई सज्जन, सबको राजी करने वाला भाषण दे रहे थे। एमा अपने विचारों को नियंत्रित करने में असमर्थ होने के कारण खुद से नाराज़ थी। ये भाव उसके चेहरे पर स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहे थे और इससे उसे वर्तमान में भाषण को ध्यान से सुनने में असुविधा हो रही थी।
उसे अपनी बेबसी का एहसास हुआ। मंच की ओर देखते हुए वह सोचने लगी, लोग इस तरह के विशाल वैश्विक मंचों पर इकट्ठा होते हैं, लोक-लुभावन भाषण देते हैं, लेकिन कभी कुछ भी नहीं बदलता। वे अभी भी एक-दूसरे से नफ़रत करते हैं, वे अभी भी आपस में लड़ते हैं। हम सभी प्रयास करते हैं, हमारे सभी प्रयासों के कारण, कुछ समय के लिए इसे रोक दिया जाता है, वह भी मृतकों को दफ़नाने के लिए। लोग अभी भी वैसे ही हैं, उनके अंदर का गुस्सा अभी भी वैसा ही है। हम जो करते हैं, वह कोई इलाज नहीं है, बल्कि लाशों पर केवल पट्टियाँ बांधने के जैसा ही है, बिल्कुल व्यर्थ।
भाषण समाप्त हुआ। गाज़ा में शत्रुता की भावना, आग में छिपे जो अंगारे थे, वे अब युद्ध की ज्वाला बन गए थे। एमा की भाषण में रूचि ख़त्म हो चली थी। वह फिर से खयालों की गिरफ़्त में चली गयी। अचानक उसे एक बहुत गहरा संदेह हुआ। उसका ओहदा इतना ऊँचा नहीं था, कि वह इस सभा में शिरकत करे।
हेनरी ने मुझे इस सम्मेलन में क्यों आमंत्रित किया? कायदे से मुझे यहाँ नहीं होंना चाहिए था।
अध्याय २
“एक विवाह को सफल बनाने के लिये हमेशा, एक ही व्यक्ति को कई बार प्यार करने की आवश्यकता होती है।”
– मिग्नॉन मैंकलॉघलिन
एमा, जनरल असेंबली हॉल से बाहर आ गई। उसके फोन की मैसेज बीप बजी। उसके पति डेविड का संदेश था:
“अहिंसा की प्रतिमा” के पास इंतज़ार कर रहा हूँ।”
उसके चेहरे पर एक राहत भरी मुस्कान आ गई और उसने अपने कोट की बाँह ऊपर खींचकर घड़ी चैक की, शाम के ६ बज रहे थे। घर जाने का समय हो गया था।
सुरक्षा जाँच से गुज़रते समय, गार्ड ने चिर-परिचित मुस्कान के साथ एमा का स्वागत किया। चैकपॉइंट पर, उसने प्रोटोकॉल के अनुसार अपना परिचय कार्ड प्रस्तुत किया। कार्ड पर उसकी तस्वीर के बगल में बड़े अक्षरों में लिखा था:
एमा ग्लास
पीसकीपिंग ऑपरेशन्स और पोलिटिकल मिशन्स
सीआइए में एक जासूस के रूप में, उसके तनावपूर्ण लेकिन शानदार करियर के बाद उसे संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ काम करते हुए पाँच साल हो गए थे। उसने अपने पति के साथ शांतिपूर्ण जीवन की तलाश में एजेंसी छोड़ दी थी। इमारत से बाहर निकलने के लिए उसने अपनी सपाट तले वाली सेंडल सहित पैर आगे बढ़ाये। शाम ढल चुकी थी। डेविड “अहिन्सा की मूर्ति” के बगल में, इमारत के बाहर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। ये एक कांसे से बनी कोल्ट पायथन. ३५७ मैंग्नम रिवॉल्वर की प्रतिकृति थी, जिसकी नली में गठान और उसकी नाल आसमान की तरफ़ थी। इसे कार्ल फ्रेड्रिक रॉयटर्सवार्ड नाम के एक स्वीडिश कलाकार ने उस समय बनाया था, जब मार्क डेविड चैपमैंन द्वारा प्रसिद्ध पूर्व “बीटल्स” गायक जॉन लेनन की हत्या कर दी गई थी। दुनिया भर में इसकी कुल सोलह प्रतिकृतियां और तीन मूल थी; उनमें से दस अकेले स्वीडन में ही थीं। प्रवेश द्वार से पहले प्रेरणादायक प्रतिमा, हरे रंग की झाड़ियों और राष्ट्रीय झंडो की श्रृंखला के साथ खड़ी थी।
गुलाब और लिली के फूलों से बने गुलदस्ते को हाथ में थामे खड़े, डेविड ने जींस के ऊपर रेशम के सफ़ेद चमकदार शर्ट के साथ पैरों में भूरे रंग के जूते डाले हुए थे। उसके करीने से संवारे हुए हल्के भूरे बाल और पतले गाल उसके व्यक्तित्व को इतना मादक बना रहे थे कि जो किसी भी महिला की दमित इच्छा बन सकते थे। छह फीट ऊँचाई लिये उसका आकर्षक व्यक्तित्व, सामने वाले को और भी मंत्रमुग्ध करने में सक्षम था। उस पर, उसकी माँसल काया, उसके करिश्माई व्यक्तित्व को निखारने में सोने पे सुहागा जैसा काम करती थी। उसे जिम में कसरत करना पसंद था और सही आहार-विहार के कारण, वह अभी भी पूरी तरह फिट था। डेविड प्रतिमा को निहारते हुए लेनन के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक इमेजिन की पंक्तियों को गुनगुनाने लगा।
“इमेजिन आल द पीपल, लिविंग लाइफ इन पीस।”
“तुम अंदर क्यों नहीं आए?” उसे एमा की आवाज़ सुनाई दी। उसने पलट कर जवाब दिया। “जब किसी ने ऑफिस से छुट्टी ली हो, तो उस दिन कौन ऑफिस के अंदर आना पसंद करेगा?”
डेविड ने शिष्टता के साथ, एमा को बुके भेंट किया फिर उसके कंधे पर अपने हाथ रखकर माथा चूमा और बाँहों में भरते हुए बड़े प्यार से कहा–
“आज मैंने तुम्हें बहुत मिस किया।”
“मुझे भी तुम बहुत याद आये” एमा बोली।
“तुम कुछ परेशान लग रही हो, कुछ हुआ है क्या?”
“नहीं… बस थोड़ी थकान है।” एमा ने जवाब दिया।
फिर दोनों एक दूसरे के साथ ही बाहर की ओर निकले। चूँकि डेविड एक एक्स नैवी-सील था और सिक्यूरिटी गार्ड तथा वह एक-दूसरे से परिचित थे, उसने गार्ड का हमेशा की तरह बाहर जाते समय उत्साहपूर्वक अभिवादन किया।
डेविड ने एमा से कहा-” तुम यहाँ रुको, मैं बाइक लाता हूँ, कार गैरेज में है।”
वह मोटरबाइक का बहुत शौक़ीन था। उसके पास एक काली हार्ले-डेविडसन स्ट्रीट ७५० मॉडल मोटरबाइक थी। दोनों को इसकी सवारी करना बहुत पसंद था और वे अपने काम की उबाऊ जीवनशैली से उपजी थकान को मिटाने के लिए अक्सर, इसकी सवारी करते हुए लॉन्ग ड्राइव पर निकल जाते थे। काम का दबाव सँभालने और आज को खुल कर जीने के लिए कभी-कभी बेफिक्री से घूमना उनका पसंदीदा शगल था। जब भी वे साथ होते थे, उनकी दुनिया स्वर्ग-सामान होती थी। डेविड ने एमा के सामने अपनी बाइक रोकी। फिर उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ के भूमिगत रास्ते से ‘लांग आइलैंड’ स्थित, अपने घर की ओर प्रस्थान किया।
खुला आसमान हल्की नारंगी रंगत लिए धुंधला बैंगनी नज़र आ रहा था। गोधूलि-बेला का एक मनमोहक दृश्य। डेविड ने बाइक अपने उपनगरीय घर के गैरेज के अंदर खड़ी की। उनके इस एक मंजिला मकान की ऊँचाई कुछ अलग थी। दिन के समय घर के अंदर धूप आने के लिए सामने एक बड़ी सी खिड़की थी। इसके साथ लंबे और अलंकृत पर्दे लगे हुए थे। घर के बाहर एक पथरीला घुमावदार रास्ता था, जिसके दोनों ओर सजावट वाली झाड़ियाँ लगी थीं। डेविड को लग रहा था कि एमा आज कुछ परेशान थी, वह उसे इस अवस्था से उबारना चाहता था।
“हनी, तुम मज़े से नहा कर आओ, आज का डिनर मैं बनाने जा रहा हूँ।” उसने आगे होकर, स्वेच्छा से कहा।”
“हाँ प्लीज। मुझे सच में आराम की ज़रूरत है।” कहते हुए एमा ने बड़े प्यार से स्वीकृति दी।
उसने डेविड को एक छोटा सा किस किया और बेडरूम की ओर बढ़ गई। घर अच्छी तरह से रोशन और भव्य था। तीन बड़े कमरे, एक हॉल और एक अलग रसोईघर; इंगित करता था कि वे अच्छा-खासा पारिश्रमिक पाते थे। डेविड ने आरामदायक कपड़े पहन रखे थे और वह हॉल में आकर सोफे पर पसर गया। उसने रिमोट उठाया और बटन दबाकर, स्टीरियो पर – जॉन मेयर का गीत – “स्टॉप दिस ट्रेन” बजाया। गाने के साथ-साथ सीटी बजाते हुए उसने सोफे के साथ लगी कॉफ़ी टेबल पर अपने पैर पसार दिए। एमा अपने बाथटब में चुपचाप लेटी हुई थी – और अपने हाथ में थामे हुए व्हाइट वाइन के आधे खाली गिलास को एकटक देखे जा रही थी। जब कोई स्त्री स्वयं को अंजान परिस्तिथियों के बीच असहाय सा फँसा हुआ महसूस करती है। पता नहीं क्यों, पुरुष उसे समझ नहीं पाता? ऐसे में एक सहज आग्रह उसे विचारशून्य अवस्था में पहुँचाकर, आँसुओं के साथ, अनचाहे एकाकीपन की ओर धकेल देता है। एमा ने गोल टब में बैठे हुए ही अपने आप को थोड़ा सरकाया। पीले फ्लोरोसेंट बल्ब की रोशनी उसके साफ़-गोरे चेहरे पर पड़ रही थी। उसने होंठ भींच रखे थे और उसका मस्तिष्क विचारशून्य अवस्था में था।
डेविड ने डिनर तैयार कर लिया था। इसमें ज़्यादा कुछ ताम-झाम नहीं था, बस ग्रेवी के साथ कुछ चिकन और सलाद था। वह भोजन पकाने में इतना मशगूल हो गया था कि उसे याद ही नहीं रहा कि एमा कितनी देर से कमरे से बाहर नहीं निकली है। चूंकि वह नौसेना में एक स्नाइपर था इसलिये हर काम एकाग्रचित्त होकर करना, उसके लिए जैसे एक वरदान था।
दोनों काले रंग की चौकोर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। डेविड ने चम्मच से चावल लेकर एमा के मुँह की ओर बढ़ाया। वे जब भी एक साथ खाना खाते थे, तो पहला निवाला एक दूसरे को खिलाते थे। उनके मोबाइल फोन प्लेटों के पास, मेज़ पर रखे हुए थे। उन्होंने अपने दोस्तों और अपने फेसबुक अपडेट्स के बारे में कुछ बातें की। किससे किसकी शादी हुई, कौन अपने कजिन्स के साथ छुट्टी मनाने गए, मज़ेदार मीम्स, और कुछ ऐसी ही बातें। छोटी-छोटी बातों में ही उनके जीवन की खुशियाँ छुपी हुई थी।
उनका भोजन समाप्त होने के बस कुछ पल पहले, एमा के फोन से चिड़िया के चहकने की आवाज़ आयी, यह एक लिखित सन्देश था। एमा ने अपने बाएँ हाथ को रुमाल से पोंछा और फोन उठाया। संदेश उसके बॉस हेनरी ब्लैंक का था। उसने पढ़ा:
“११.०० बजे गोपनीय बैठक। बैठक से पूर्व स्थान के बारे में बता दिया जायेगा। पढ़ने के बाद संदेश मिटायें।”
डेविड ने एमा का चेहरा देखा, चेहरे पर संशय के भाव थे और जैसे वह ठंडा पड़ गया था। एमा ने चिंतापूर्ण भाव से डेविड को देखते हुए, फोन उसे सौंप दिया।
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, कभी भी नहीं। वह सोच में पड़ गयी। हेनरी अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा शंका पैदा करने वाला संदेश क्यों भेजेगा? उसे अजीब लगा। डेविड ने संदेश पढ़ा और उसे मिटा दिया। उसके चेहरे पर अब निराशा के भाव थे।
“मुझे समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हो रहा है?”
एमा ने कहा, “मुझे भी कुछ समझ नहीं आया।”
उनके मस्तिष्क में संशय के धुंधले बादल छा गए। गहरे अंतःकरण में वे दोनों जानते थे, कि ऐसे संदेश, कभी भी अच्छी खबर नहीं हुआ करते थे।
अध्याय ३
“युद्ध की सर्वोत्तम कला दुश्मन को बिना लड़े ही परास्त करना है।”
– सुन ज़ू
एमा अगले दिन समय पर अपने कार्यालय पहुँची। अपने केबिन के अंदर आते ही उसने अपनी घूमने वाली कुर्सी को लैपटॉप स्क्रीन के साथ समायोजित किया। उसके डेस्क पर लकड़ी के दो फोटो फ्रेम स्क्रीन के दोनों ओर रखे थे। बाईं ओर उसके माता-पिता, आलिंगनबद्ध और हँसते हुए तथा दाईं ओर वह और डेविड अपनी शादी के दिन, चेहरे पर मूर्खतापूर्ण भाव लिए जीभ दिखाते हुए दिख रहे थे। वह तस्वीर एक सेल्फी थी।
एमा ख़ामोशी से अपने बुलावे का इंतज़ार कर रही थी। कल रात का संदेश उसके दिमाग़ में स्याह बादल की तरह घूम रहा था। जब से वह मैसेज उसके फोन पर आया तब से उसे मनहूसियत सी महसूस हो रही थी। अमेरिका की भूतपूर्व जासूस होने का उसका अनुभव ये बताता था कि ऐसी अकस्मात् और गुप्त मीटिंग्स कभी भी अच्छे कारण से नहीं बुलाई जाती हैं।
अचानक फोन की बीप बजी, वह चौंकी और फोन उसके हाथ से छिटककर डेस्क पर जा गिरा, फिर शीघ्रता से उसने फोन उठाया और संदेश पढ़ा।
“५२ वीं मंज़िल, केबिन ६७, १५ मिनट में वहाँ पहुँचें। संदेश तुरंत मिटायें।”
वह एक बैठक कक्ष था। एमा इसके पहले ५२ वीं मंज़िल पर कभी नहीं गयी थी। जिस स्तर की सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता यहाँ पहुँचने के लिए होती थी, एमा का ओहदा उससे बहुत नीचे था। इसका उपयोग सर्वोपरि महत्व की राजनयिक बैठकों के लिए किया जाता था। वह सब कुछ जैसे का तैसा छोड़ कर तेजी से अपने केबिन से बाहर निकली। बाहर जाते समय उसने डेविड को सन्देश भेजा।
“मैं अंदर जा रही हूँ।”
एमा लम्बी-चौड़ी सी लॉबी में हर खम्बे पर लटके हुए कई एलईडी टेलीविजन सेटों के सामने से गुज़री। सभी स्क्रीन्स पर एक ही चैनल: “बीबीसी न्यूज़” का प्रसारण हो रहा था। स्क्रीन पर इज़राइल द्वारा गाज़ा में की गयी भारी, उत्पीड़क बमबारी के दृश्य दिखाए जा रहे थे। वह उन पर सरसरी निगाह डालते हुए चलती रही। एमा का ध्यान केवल मीटिंग में पहुँचने और उसके पीछे का राज़ जानने पर था। गहरी बेचैनी होने पर भी उसने अपने-आप को संयत रखा।
वह अपने गंतव्य पर पहुँची। बाहर कोई नहीं था — वहाँ गहन सन्नाटा पसरा हुआ था। हिचकिचाते हुए, उसने सभाकक्ष में ऐसे कदम रखा, जैसे स्वयं को अंदर धकेला हो। वहाँ रोशनी कम थी और उसे यह देखकर गहन आश्चर्य हुआ कि उसके अलावा वहाँ खानसामें जैसा दिखने वाला केवल एक बुजुर्ग आदमी है, जो अपने हाथ, पेट के नीचे बांध कर एमा का इंतज़ार कर रहा था।
“क्या मैं सही जगह पर आई हूँ?” ऐमा ने सशंकित भाव से पूछा।
“लगभग मैडम,” वह मधुर आवाज़ में बोला – “कृपया, मेरे साथ आइये।” एमा सोचने लगी, यह कैसी बैठक है? एमा की अगवानी करते हुए वह बाहर की ओर निकला और वैसी ही बाल्कनी से, जिससे एमा अभी-अभी गुज़र कर आयी थी, तीन फ्लोर ऊपर की ओर लेकर चला।
हर बढ़ते कदम के साथ, एमा का मन और अधिक आशंकित होता जा रहा था, क्या मुझे नौकरी से निकाला जा रहा है?
उनकी संक्षिप्त यात्रा, एक धुंधले शीशे के दरवाज़े के सामने समाप्त हुई। कोई हैंडल नहीं, सिर्फ़ एक बायोमेट्रिक सिक्योरिटी सिस्टम, जिसमें आँख की पुतली और उँगलियों का स्कैनर लगा था। एमा ने कुछ क्षण प्रतीक्षा के बाद, बुजुर्ग की ओर दरवाज़ा खोलने की आशा से देखा। लेकिन उसने एमा को इस प्रकार देखा, जैसे एमा को आगे क्या करना है, के बारे में सब जानकारी हो।
“अब मुझे क्या करना चाहिए?” एमा ने अपनी भौहैं ऊपर उठाते हुए प्रश्न किया? बुजुर्ग ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैं आपके साथ अंदर नहीं जा सकता, मैडम। आपको अकेले ही अंदर जाना होगा।”
“ओह” एमा बोली।
उसने आगे कदम रखा और रेटिना स्कैन के सामने जाकर उत्सुकता से देखने लगी, इसके साथ ही बायोमेट्रिक स्कैनर पर अपना दाहिना हाथ भी रखा। एक बीप की आवाज़ के साथ धीरे से दरवाज़ा खुला। उसने, उसे रहस्यमय तरीके से बुलाये जाने के उद्देश्य को जानने के लिए उत्सुकता से प्रवेश किया। वह अचानक रुकी, सामने एक और बिना ताले वाला, काँच का दरवाज़ा था। एमा ने अंदर से गूंजती हुई कुछ अस्पष्ट सी आवाज़ें सुनीं। उसने केबिन के भीतर मेज़ पर कौन बैठा है, को भांपने की मंशा से धुंधले काँच के उस पार देखने की कोशिश की। फिर उसने दरवाज़ा खटखटाया।
एक चिर-परिचित आवाज़ को सुनकर, वह अंदर आ गयी, यह एक छोटा कक्ष था। बीच में एक लंबी टेबल रखी थी और आमने-सामने की दीवारों पर दो सजावटी पेंटिंग्स लगी हुई थीं। एक बनावटी परिद्रष्य, एक छलावा।
“क्या मैं कोई सपना देख रही हूँ?”
जैसे ही गोपनीय बैठक के सदस्यों पर उसकी दृष्टि पड़ी, उसने उन्हें आश्चर्य से देखा। उनमें से एक सीआईए से उसकी पूर्व-बॉस थी। अपनी ऑंखें फाड़ते हुए, उसने कहा, “डोलोरेस?” एक-दूसरे को गले लगाते हुए एमा को सुखद आश्चर्य हुआ।
डोलोरेस ने एमा को बांहों से मुक्त किया लेकिन एमा के हाथ नहीं छोड़े और मुस्कराते हुए जवाब दिया–
“दुनिया बहुत छोटी है।”
“छोटी दुनिया, लेकिन युद्ध बहुत लंबे।” एमा ने मज़ाकिया लहजे में कहा, डोलोरेस भी हल्के से मुस्कुराई।
“मैं इस लुका-छुपी के लिए माफ़ी चाहती हूँ, मुझे सीधे-सीधे तुम्हें बताना चाहिए था। उसने एमा को अपने बगल में एक खाली कुर्सी पर बैठाया। एमा ने इस रहस्यमयी मीटिंग के सदस्यों का अभिवादन किया। उसके वरिष्ठ अधिकारी और एक अन्य सज्जन पहले से ही उसके बगल वाली कुर्सियों पर विराजमान थे। अपनी कुर्सी पर बैठने के बाद एमा ने उपस्थित सदस्यों पर एक नज़र डाली। डोलोरेस, एक भूरे बाल वाली पैंतालीस वर्षीय गोरी महिला, उसने सफ़ेद ब्लाउज और काली स्कर्ट पहन रखी थी। उसके बालों की शैली जेनिफर एनिस्टन के प्रसिद्ध लुक “रेचल” के जैसी थी, जिसने सबसे लोकप्रिय सिटकॉम, “फ्रेंड्स” से उसको विश्वप्रसिद्द किया था।
शांति सेना के प्रमुख, उसके समानांतर बैठे थे। चौंसठ वर्षीय फ्रेंचमैंन ने एक प्रेस किया हुआ ग्रे-सूट और एक सफ़ेद शर्ट पहनी थी। उसने डोलोरेस के पहनावे की तारीफ़ की। उसके बगल में, एक युवा पुरुष, जो शायद अपने शुरुआती तीसवें दशक में था और नीले-आसमानी रंग की शर्ट पहने हुए अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा हुआ था। अंडाकार काली मेज़ पर, तीन चाय के कप, एक केतली, पानी के गिलास और विशेष प्रकार की लाल इंक से “क्लासिफाइड” मुहर लगा लिफाफा रखा हुआ था। लंबे समय के बाद डोलोरेस के चिर-परिचित चेहरे के दिखाई देने पर एमा का तनाव ख़त्म हो गया था। उन्होंने एक-दूसरे की प्रशंसा की। फ्रांसीसी, हेनरी ब्लैंक उनके पुनर्मिलन में बाधा डाले बगैर उनके वापस विषय पर आने का इंतज़ार कर रहा था।
“तुम्हारा असैनिक जीवन कैसा चल रहा है?” डोलोरेस ने एमा से पूछा।
“एमा ने, मुस्कुराते हुए कहा, “जब डेविड साथ होता है तो सब कुछ अच्छा लगता है।”
“तुम्हें ख़ुश देखकर मुझे अच्छा लगा।” डोलोरेस ने दिल से कहा।
एमा अभी भी यह निष्कर्ष निकालने में असमर्थ थी कि वह इस बैठक का हिस्सा क्यों थी? और बैठक में एक वरिष्ठ सीआईए प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्रसंघ के ऊंचे अफसर की उपस्थिति ने भी उसकी फ़िक्र को और बढ़ाने में आग में घी डालने जैसा काम किया। एमा ने उन्हें एक फीकी और भ्रमपूर्ण मुस्कान के साथ देखा। डोलोरेस ने अपना गला साफ़ कर, वहाँ पसरे सन्नाटे को भंग करते हुए कहा, “आप इज़राइल-गाज़ा के बीच चल रहे संघर्ष के बारे में क्या राय रखते हैं?
“यह अत्याचारपूर्ण है।” एमा ने उत्तर दिया।
“क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकती हूँ? मैं यहाँ क्यों हूँ?” उसके सब्र का बांध टूट चुका था।
कल रात से उसको यहाँ बुलाने की सूचना प्राप्त होने के बाद से ही, वह सशंकित और चिंतित थी।
“हाँ एमा जल्द ही।” हेनरी ने बीच में हस्तक्षेप किया।
डोलोरेस ने उसके सामने रखा फ़ोल्डर खोला। फाइल में पृष्ठों का एक ढेर था और शीर्ष पर, तीन अलग-अलग किशोर बच्चों की एक साझा तस्वीर थी। वे दुबले-पतले और हँसमुख दिखाई पड़ रहे थे। लेकिन आज वे इस दुनिया में नहीं थे। उसने एमा की ओर अपनी फाइल धीरे से सरकाई और मामले के बारे में बताना शुरू किया।
“१२ जून को, इन तीनों इज़राइली किशोरों का अपहरण हुआ था। उन्होंने घर जाते वक़्त रास्ते में किसी से लिफ्ट ली थी। उनमें से एक ने यह बताते हुए आपातकालीन कॉल किया कि उन्हें कहीं जबरदस्ती ले जाया जा रहा है। कुछ दिनों की खोज के बाद, इज़राइल को संदेह हुआ कि उन्हें मार दिया गया है। इज़राइली सुरक्षा बलों ने उनकी अंतिम खोज में ‘ऑपरेशन ब्रदर्स कीपर’ शुरू किया।”
जब डोलोरेस ने अपनी वाणी को विराम दिया, बीच में कोई नहीं बोला। माहौल गंभीर था। लड़कों की तस्वीर देखकर एमा गंभीर सोच में पड़ गई, युवा जीवन का ऐसा विषादपूर्ण अंत?
“मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं इस मामले में क्या कर सकती हूँ?” एमा ने पूछा। उसकी निगाह अभी भी तस्वीरों पर अटकी हुई थी।
एमा को इस बारे में कुछ अंदाज़ा नहीं है, कि इन बच्चों की हत्या इस संघर्ष को कहाँ ले जाने वाली है, ऐसा सोचते हुए; हेनरी ने कहा, “एमा, परदे के पीछे की कहानी कुछ और है।”
एमा ने कुछ सशंक भाव से कहा, “मुझे अभी भी समझ नहीं आया।”
एमा द्वारा लड़कों के विवरण को देखने के बाद, डोलोरेस ने फिर मामले के बारे में बताना शुरू किया। “ऑपरेशन के पहले ग्यारह दिनों में, इज़राइल ने लगभग तीन सौ फ़िलिस्तीनीयों को गिरफ्तार किया। तनाव गहराता गया, और नवंबर २०१२ से चला आ रहा युद्ध-विराम टूट गया। बाकी हम सब उन वीडियो के माध्यम से जान चुके हैं, जो सभी समाचार चैनलों पर प्रसारित किए गए थे।”
एमा ने परेशानी से अपना माथा रगड़ा, आँखें बंद कर लीं, और अपना सिर अपने हाथों में पकड़ कर बैठ गई। सब चुप्पी साधे एमा को देख रहे थे। उन्होंने एमा को तथ्यों का भार समझने हेतु कुछ समय देना चाहा।
“हमास, इज़राइल पर युद्ध अपराधों, मासूम बच्चों और महिलाओं की हत्याओं का आरोप लगा रहा है।” हेनरी ने भारी आवाज़ में कहा।
एमा अभी भी इस ब्रीफिंग में अपनी भूमिका को समझ नहीं पा रही थी लेकिन जैसे-जैसे बात आगे बढ़ रही थी, उसे कुछ-कुछ समझ में आने लगा था। हमेशा की तरह, एक और युद्ध ने एक राजनीतिक मोड़ ले लिया।
डोलोरेस ने खुलासा किया, “फ़िलिस्तीन दावा कर रहा है कि इज़राइल ने युद्ध-विराम तोड़ दिया है। दूसरी ओर, इज़राइल तर्क दे रहा है कि उसके हवाई हमले, गाज़ा से दागे गए रॉकेट हमलों की प्रतिक्रियाएँ हैं।”
“ओह,” एमा को पसीना आ रहा था।
उसने महसूस किया कि कैसे सारी जानकारी अस्पष्ट थी और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता था।
उसने अपने पास रखे गिलास से एक साँस में पूरा पानी पी लिया। टेबल के दूसरे छोर पर बैठे, घने बालों वाले शख्स को छोड़कर, जो मौन धारण किए हुए एक संत की भांति अपनी कुर्सी पर बैठा था; सभी ने वैसा ही किया।
डोलोरेस ने आगे बताया, “इज़राइल अपने बचाव में कह रहा है, कि उनका उद्देश्य गाज़ा से इज़राइल पर दागे जा रहे रॉकेट हमलों को रोकना है, जो कि लड़कों की तलाश में बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं।
“और हमास, वे क्या कह रहे हैं?” एमा ने चिंता के साथ पूछा।
“वे गाज़ापट्टी की नाकाबंदी को हटाने के लिए कह रहे हैं, साथ ही इज़राइली आक्रमण को समाप्त करने की भी उनकी माँग है। वे संघर्ष-विराम की निगरानी और गारंटी के लिए एक तीसरा पक्ष चाहते हैं।” डोलोरेस के लहजे में चिंता के भाव थे।” और सबसे पहले, वे चाहते हैं कि फ़िलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा किया जाए।”
एमा ने डोलोरेस की ओर देखते हुए अविश्वास में अपना सिर हिलाया। उसकी आवाज़ गले में फँस कर रह गई; वह केवल इतना ही कह पाई – “नहीं… नहीं!” उसे ऐसी माँगों के दुश्परिणामों की समझ थी। अधिकांश कैदी उग्रवादी थे।
हेनरी ने अपने हाथों को टेबल पर रखते हुए बात को और स्पष्टता से बताना शुरू किया। यह इस बात का संकेत था कि वह तथ्यों को बिना छुपाये ईमानदारी से बोल रहा है। उसने कहा – “यह एक तथ्य-खोजी मिशन होगा। इसके लिए हम एक समिति गठित करेंगे।”
“लेकिन ऐसा एक साथ करने में कई महीने लग जायेंगे।” एमा ने डर से चिल्लाकर कहा।
“गोल्डस्टीन रिपोर्ट के वक़्त जो बवाल खड़ा हुआ था, उसके कारण अब हम कोई भी जोख़िम नहीं उठा सकते और हम किसी भी पक्ष पर बिना ठोस प्रमाण और केवल अनुमानों के आधार पर मुकदमा नहीं चला सकते।” हेनरी ने शांति से उत्तर दिया। उसका परिपक्व चेहरा विकट था; उसकी त्वचा पर पड़ी झुर्रियाँ, ता-उम्र झेली गई तनावपूर्ण कार्यशैली और निश्चित रूप से, उसकी बढ़ती उम्र का परिणाम थीं।
एमा ने चिल्लाकर कहा, “ये सरासर ग़लत है, लोग मर रहे हैं!” उसे तुरंत एहसास हुआ कि उसे चिल्लाकर नहीं बोलना चाहिये था। जब हम चिल्लाकर बात करते हैं, तो हम पर हमारी भावनाएँ हावी हो जाती हैं। लोगो को जीवित रखने की भावना और डर के बहाव में बहकर एमा ने अपना आपा खो दिया था।
“मैं माफ़ी चाहती हूँ।” एमा की आँखों में ग्लानि के भाव थे।
डोलोरेस ने एमा के कंधे पर हाथ रखा। “हम सब भी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं। एमा, और इसीलिए – इस युद्ध को रोकने के लिए, हमें तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।“
“क्या?” यह सुनकर एमा की रूह काँप गई। “मैं किसी युद्ध को नहीं रोक सकती।”
“शायद, सिर्फ़ तुम ही ये काम कर सकती हो।” बहुत देर से चुप्पी साधे बैठे हुए व्यक्ति ने अपने पहले शब्द कहे। इन लफ्ज़ों को सुनने के बाद एमा के चेहरे पर खौफ के बादल छा गए। वह चौंककर जड़वत हो गई।
“एमा तुम्हें गाज़ा जाना होगा और सच का पता लगाना होगा।” डोलोरेस ने अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए अपनी हमेशा की तरह गूंजती और रहस्यमयी आवाज़ में कहा।
मीटिंग का असली कारण अब साफ़ हो चुका था। एमा के दिमाग़ पर छाये, भ्रम के बादल छंट चुके थे; भय का तूफ़ान आ चुका था।
अध्याय ४
“अंत में, हमारी परिस्तिथियाँ ही हमारी परिभाषा होती हैं, न कि हमारे आस-पास की चकाचौंध।”
– जेसी जैक्सन
यह कहना आसान है कि दुनिया में आग लगी है। लेकिन अगर आपको पानी ढूंढना पड़े और आग बुझाने को कहा जाये, तो आप क्या करेंगे? एमा जिस भयावह अतीत को पीछे छोड़ आई थी, वही अब दुबारा उसे वापस बुला रहा था, उसे चीख-चीख कर पुकार रहा था। मध्य-पूर्व एक ऐसी जगह थी, जहाँ हर पल के साथ आदमी डर से सिहर उठता था और आपको कभी पता नहीं होता था कि कौन सी धड़कन आपकी अंतिम धड़कन हो सकती है। एक ऐसी भूमि जहाँ अधिकांश लोग अपने कपड़ों के साथ दफ़न थे और नीचे कोई पूर्ण शरीर नहीं था – शायद सिर्फ़ एक हाथ या एक पैर जो नरसंहार के लिए किए गए विस्फोटों के बाद, इधर-उधर छितराए से पड़े थे और उन्हें, फिर से इकठ्ठा करके दफ़नाया गया था। एमा ने यह सब देखा था। उसने इस सबको रोकने की कोशिश की थी। लेकिन घृणा एक ऐसा दुष्चक्र है; जिसमे फँसकर इंसानियत दम तोड़ देती है। सामने के दरवाज़े पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रतीक-चिन्ह के साथ एक काले रंग की बीएमडब्ल्यू, सीरीज़ – ७ सेडान, एमा को घर पहुँचाने के लिये खड़ी थी। केनेथ, जो नेवी-ब्लू वर्दी और टोपी लगाये हुए एक बूढ़ा व्यक्ति था, उसे ड्रायवर के रूप में तैनात किया गया था। एक लंबी और उससे अनुचित माँग करने वाली बैठक की समाप्ति के बाद, एमा केवल और केवल घर जाना चाहती थी।
वह पिछली सीट पर चुपचाप बैठ गई और घर की ओर बढ़ रही कार से बाहर, धुंधली स्ट्रीट लाइट्स और न्यूयॉर्क के क्षितिज को शून्य भाव से निहारने लगी। उसने अपनी स्थिति पर विचार किया; उसका मन गाज़ापट्टी के उजड़ने के कारण अवसाद से भरा हुआ था। लेकिन, डोलोरेस द्वारा उससे की गयी अचानक अपेक्षा से वह अपने आप को आहत महसूस कर रही थी। उसका मन उहापोह की स्थिति में था।
क्या मुझे मिशन की ज़िम्मेदारी लेना चाहिए?
“हाँ? नहीं?”
मैं इसे डेविड को कैसे बताउंगी?
हे, भगवान! वह इस पर कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा?
उसे दी गई, आधी-अधूरी जानकारी उसके होश उड़ा रही थी।
न्यूयॉर्क के भीड़-भाड़ वाले यातायात के शोर से बेख़बर, उसने बैठक की घटनाओं को ठीक वैसे ही याद करने की कोशिश की, जैसे कि वे घटित हुई थीं। डोलोरेस ने आधे मिनट की अजीब चुप्पी के बाद कहा, “एमा, अगर यह युद्ध जारी रहा, तो गाज़ा कुछ वर्षों में ही बिल्कुल निर्जन हो जाएगा और बचाने के लिए वहाँ कुछ भी नहीं रहेगा।” डोलोरेस ने एक आसन्न सर्वनाश की तस्वीर प्रस्तुत की।
एमा जम सी गयी, वह पूर्णतःतनावग्रस्त थी, सब उसी की ओर देख रहे थे। “यह पागलपन है…मैं ही क्यों? मैं अब कोई एजेंट नहीं हूँ,” एमा उनके प्रस्ताव को पूरी तरह से नकार रही थी।
मैथ्यू बीच में बोला; वह अब इस वार्तालाप का एक हिस्सा था।
उसने स्पस्ट रूप से कहा, “क्योंकि, तुम ही संयुक्त राष्ट्रसंघ के माध्यम से गाज़ा तक पहुँचने वाली एकमात्र व्यक्ति हो और वहाँ केवल तुम्हारा ही एकमात्र कनेक्शन अभी भी जीवित है।”
डोलोरेस ने स्पष्टीकरण जारी रखा कि, क्यों एमा को इस काम के लिए चुना गया था।
“ड्रोन फुटेज में, सकीना हमाद की पहचान की गई है।”
अचानक उस नाम को सुनकर एमा की जैसे सांसें अटक गई। यह गंभीर जानकारी आगे कदम बढ़ाने के लिए काफ़ी थी। कई वर्षों से उस नाम का ज़िक्र किसी ने नहीं किया था। फ़िलिस्तीन और कनाडा की दोहरी नागरिकता लिए-पेशे से “मध्यस्थ” – सकीना ने, गाज़ा में गैर-उग्रवादी मुद्दों पर एमा के मुख़बिर के रूप में काफ़ी जानकारी उपलब्ध करवाई थी। जैसे-जैसे वक़्त गुज़रा, दोनों के सम्बन्ध प्रगाढ़ होते चले गए।
एमा ने मौन रहते हुए गंभीरता से सकीना के बारे में विचार किया। उसे यह जानकर थोड़ी राहत मिली कि सकीना अभी भी जीवित थी। मध्य पूर्व में मध्यस्थ के रूप में काम करना, अपने सर पर कफ़न बांधकर घूमने जैसा था। वह अभी भी गाज़ा जाने के लिए तैयार नहीं थी, क्योंकि उसे पता था कि युद्धक्षेत्र में कौन उसका इंतज़ार कर रहा था। जोख़िम जानलेवा था और इसी कारण उसने सीआईए से इस्तीफ़ा दिया था। डोलोरेस ने आगे कहा, “तुम ये अच्छी तरह से जानती हो, कि इस युद्ध की परिस्तिथियाँ बहुत विषम है और इसके परिणाम बहुत विनाशकारी होंगे। विद्रोहियों की तुलना में आम नागरिक ही अधिक संख्या में हताहत होंगे।”
एमा ने अपने गिलास से एक और घूंट लिया, उसका मुँह अभी भी शुष्क था।
“मैं समझती हूँ।” एमा ने अनिच्छा से सिर हिलाकर कहा।
हेनरी ने बैठक में भारी फ़्रांसिसी लहजे के साथ सबकी भूमिका के बारे में बताना शुरू किया – “तुम हमारे राजनयिक के रूप में मिस्र की यात्रा करोगी। निस्संदेह, तुम्हारा उद्देश्य गाज़ा शहर में प्रवेश करना और सकीना से जितना हो सके, अधिक से अधिक सच्चाई का पता लगाना होगा और सभी सूचनाओं से हमको अवगत कराना होगा। किसी भी प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी के बदले में तुम्हें धन या संसाधनों के उपयोग करने का पूर्ण अधिकार होगा। ये एक ट्रैक-२ चैनल है, जिसका ट्रैक-१ के छद्मावरण में रखकर, एक कूटनीतिक अवसर के रूप में उपयोग किया जायेगा। ये बताना आवश्यक नहीं है, कि इस मिशन का कोई आधिकारिक अभिलेख नहीं होगा।” डोलोरेस एमा की ओर झुकी और बोली-
“जैसा कि संयुक्त राष्ट्रसंघ आधिकारिक तौर पर इसका हिस्सा नहीं हो सकता है, इसलिये किसी भी प्रकार की सौदेबाज़ी की स्थिति में, आवश्यक संसाधन पूरी तरह से सीआईए द्वारा उपलब्ध कराये जाएँगे।” डोलोरेस इस तरह से समझा रही थी, कि जैसे वह एमा के मिशन पर जाने के लिए तैयार होने के बारे में, पहले से ही आश्वस्त थी। विचारमग्न एमा के फोन से किंग्स ऑफ लियोन का “सुपरसोकर” शीर्षक गीत, रिंग टोन के रूप में बजा। उसे सुनकर एमा को ऐसा लगा, जैसे झटके से किसी दुस्वप्न से बाहर आई हो। इंट्रो गिटार की ध्वनि केवल डेविड की कॉल के लिए ही पहले से सेट थी। एमा के जवाब देने से पूर्व ही डेविड बोला – “सब ठीक तो है?” आज काफ़ी देर लग रही है। उसकी आवाज़ से चिंता झलक रही थी।
“मैं ऑफिस की कार में हूँ। केनेथ मुझे घर छोड़ने आ रहा है।” एमा ने जवाब दिया।
“उसे मेरी ओर से हाय कहो और हाँ, हनी, मैंने रात के लिए चायनीज खाना मंगाया है, डेविड बोला।
एमा ने कहा, “आज खाने का मन नहीं कर रहा है।”
“मैं नहीं मानूंगा, तुमको खाना पड़ेगा… कुछ ग़लत हुआ है, क्या हुआ?” डेविड ने उसके द्वारा ठंडे लहजे में दिए गए जवाब से यह अनुमान लगाया।
“जब मैं घर पहुँचूंगी तब इस बारे में बात करेंगे। आधे घंटे में पहुँच जाऊँगी। एमा ने थोड़ा जोर देते हुए कहा। डेविड ने बात ख़त्म करते हुए कहा, “ठीक है, मिलते हैं।” वह अच्छी तरह से जानता था कि इस क्षण एमा की परेशानी को और नहीं बढ़ाना है। एमा ने अपना सिर कार की खिड़की पर टिका दिया। बाहर गगनचुंबी इमारतों और बड़े स्टोर्स के पास से गुज़रने वाले लोगों को उनकी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए अनुचित मात्रा में खर्च करने और अनावश्यक चीज़ों को खरीदने का प्रलोभन दिया जा रहा था, जिनकी उन्हें ज़रूरत नहीं है। ट्रैफिक लाइट पर रुकते हुए, केनेथ ने उससे पूछा, “क्या सब कुछ ठीक है, मैडम? आज आप कुछ व्यथित लग रहीं हैं।”
“हाँ। लेकिन इसके बारे में बात नहीं कर सकते, केनेथ, “एमा ने ऑंखें मूंदते हुए जवाब दिया।
“यह ठीक है, मैडम ग्लास। कई बार कुछ दिन कठिनता से भरे होते हैं।” केनेथ ने सहानुभूति व्यक्त की। सिग्नल की बत्ती हरी होते ही उसने भी आगे की तेजी से दौड़ती हुई कारों के पीछे अपनी कार बढ़ा दी। एमा ने उस बैठक में हुई बातों को एक बार फिर से याद किया, जिसमें हुई बातों की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थीं और उसे असमंजस की स्थिति में डाल दिया था।
एमा ने हेनरी से तीखे तर्कों के साथ इस स्थिति को टालने की आशा से पूछा – “मैं एक वार्ताकार नहीं हूँ। मेरी शंकाओं का समाधान किए बगैर, मुझे कैसे कोई काम सौंपा जा सकता है?”
हेनरी ने शांत भाव से, एमा की बचने की सारी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा – “सुरक्षात्मक कारणों से, एक वार्ताकार के रूप में न तो आपकी पहचान का खुलासा किया जाएगा, ना मेरा या किसी और का।”
“तुम मुझे ऐसे क्यों समझा रहे हो जैसे मैं, मिशन पर जाने के लिए, पहले से ही सहमत हूँ?” एमा ने क्रुद्ध भाव से शिकायती अंदाज़ में कहा।
डोलोरेस ने, अब रक्षात्मक रुख अपनाते हुए, जवाब दिया – “हम चाहते हैं कि तुम पूरी तरह से समझ लो, कि इस मिशन में तुमको क्यों शामिल किया जा रहा है।“
एमा को लगा कि उसकी आवाज़ गले में फँस रही है। उसने स्वयं को दोषी महसूस किया। वे तो केवल स्थिति को स्पष्ट कर रहे थे।
वह यह जानती थी कि ये लोग उसका बुरा नहीं चाहते। उसने शांति पाने के लिए अपनी पुरानी नौकरी छोड़ी थी। इस तथ्य को टटोलना उसके लिए कठिन था, भले ही वह समझती थी कि यह मिशन आराम और सुरक्षा के उसके विचारों से बड़ा और अधिक महत्वपूर्ण है – यहाँ तक कि उसके स्वयं के जीवन से भी बड़ा है।
डोलोरेस ने आशा बंधाते हुए, अपना समापन उद्बोधन दिया, “एमा, सोचो कि हम कितने निर्दोष लोगों की जान बचा सकते हैं। मुझे पता है कि यह एक जोख़िम भरा काम है, लेकिन मुझे यह भी पता है कि तुम समझती हो कि एक महान उद्देश्य के लिए ये जोख़िम उठाया जा सकता है। इस सर्वव्यापी झूठ की दुनिया में, हमें अब पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है, सच्चाई जानने की, ताकि हम इस तबाही को रोक सकें। मुझे पता है कि जो उचित है, उससे अधिक के लिए हम, तुमसे अपेक्षा कर रहे हैं; लेकिन हमें कामयाब होने के लिए आगे कदम बढ़ाने ही होंगें, भले रास्ता कितना ही कठिन क्यों ना हो।”
अंत में मैथ्यू बोला, “या तो सभी योद्धाओं के पास यहाँ खोने के लिए सब कुछ है या इससे संयुक्त राष्ट्रसंघ के युद्ध-विराम के प्रयासों में लगने वाला महीनों का समय बच जायेगा। आप इस तरह का काम पहले भी कर चुके हैं और आपको आज भी इस जानकारी के महत्व को समझने की आवश्यकता है।” वह उठ खड़ा हुआ, उसने बोलना जारी रखा, “यहाँ कोई भी इस काम को करना नहीं चाहता है, लेकिन हमें मानवता के लिए और ख़ासकर उन बच्चों के लिए, जिनकी उम्र अभी इतनी नहीं हुई है कि जो बंदूक की गोली और कलम के बीच के अंतर को समझ सकें; इस काम को करना होगा।”
एमा ने एक लम्बी साँस भरी। वह जानती थी कि सही फैसला क्या था, लेकिन वह तत्काल हाँ नहीं कह सकी।
“मुझे डेविड से बात करनी पड़ेगी।” उसने उपस्थित सदस्यों की ओर आशापूर्ण नज़रों से देखते हुए कहा। डोलोरेस डेविड को जानती थी और उसके अतीत से भी भली-भांति परिचित थी। उसने सहमति में सिर हिलाया। उसकी ये हरकत देख एमा सहम गयी।
कार उसके घर के सामने आकर रुकी। उसने केनेथ को धन्यवाद दिया। डेविड बाहर आया। उसने एडिडास की ब्लैक ट्रैक पैंट और एक सफ़ेद टी-शर्ट पहन रखी थी। उसके बाजुओं की नसें ऐसे उभरी हुई दिख रही थीं जैसे वह अभी-अभी कसरत करके उठा हो। एमा तेजी से दौड़कर उसकी बाँहों में समा गई। उसकी आँखों से अश्रुओं की धारा बह निकली।
“सब ठीक हो जायेगा,” डेविड ने सांत्वना देते हुए कहा। फिर एमा के सर के पिछले हिस्से पर हाथ रखा और बालों को सहलाते हुए कहा – “सब ठीक हो जायेगा।”
“नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होगा।” एमा ने विरोध किया।
डेविड ने उसे ऐसे जकड़ रखा था जैसे वह उसे कभी, कहीं भी जाने नहीं देगा।
अध्याय ५
“जीवन का उद्देश्य केवल खुश होना नहीं है। जीवन-उपयोगी, सम्मानजनक और दयापूर्ण होना चाहिये और इसके लिए कुछ ऐसा विशिष्ट करना चाहिये कि आपका जीवन सम्पूर्णता और अच्छाईयों से भरा हो।”
– राल्फ वाल्डो इमर्सन
डेविड और एमा बादलों से स्याह रंग के सोफे पर एक-दूसरे के सामने बैठे थे। सोफे पर वर्गाकार तकिए रखे थे। कमरे में मद्दिम रोशनी थी। उनके घर की सफ़ेद दीवारों का रंग, उनकी शांतिप्रियता को दर्शाता था। दीवारों पर कोई पेंटिंग या चित्र नहीं लटकाए गए थे, बस कमरे के केंद्र में एक एलईडी टीवी लगाया गया था। स्क्रीन बंद थी लेकिन पॉवर लाईट अभी भी ऑन थी। सोफे के समानांतर रखी कॉफी टेबल पर थोड़ी धूल की परत जम गई थी। टीवी की काली स्क्रीन में दोनों के अक्स दिखाई पड़ रहे थे। एमा ने डेविड को गोपनीय मीटिंग की कार्यवाही शब्दशः एवं विस्तार से बताई साथ ही उसके बारे में उसकी क्या भावनाएँ हैं, ये भी बताया।
डेविड ज़ोर से चिल्लाकर बोला – “ये क्या पागलपन है!”
“मुझे समझ नहीं आया… कैसे… क्या?” एमा ने जो बातें डेविड से कही उससे डेविड स्तब्ध रह गया और भावावेश में होने के कारण उसे बोलने में कठिनाई आने लगी। डेविड ने अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक लिया। उसकी आँखें गुस्से से उबल रही थी और डोलोरेस के द्वारा अनुचित माँगों के लिये की गई धृष्टता पर अविश्वास भी हो रहा था।
एमा ने झिझकते हुए कहा – “डेविड, मुझे जाना होगा।”
डेविड ने एक तकिया उठाया, उसे ज़मीन पर दे मारा और खड़ा हो गया। फिर किशोरों की तरह नखरे दिखाते हुए बोला – “नहीं!”
“डेविड, मेरा मना करना, एक अनुचित कदम होगा। और इस मिशन से बहुत कुछ जो बुरा होने वाला है, टल सकता है।” एमा ने ज़ोर से कहा; वह फिर से भावुक हो गई थी।
“वह तुम्हें सच नहीं बताएगी। उनमें से शायद ही कोई होगा, जो तुम्हें सच बताएगा। फ़िलिस्तीनी दिल की गहराईयों से यहूदियों से नफ़रत करते हैं और उन्हें मारने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। ये बात तुम मुझसे बेहतर जानती हो कि वे, इसके लिए अपने बच्चों को भी हथियार बनाकर, मरने के लिए भेज देते हैं। ये तुमने देखा है और महसूस भी किया है, कि उनके दिल में कितनी नफ़रत भरी है। उनसे किसी भी प्रकार की अपेक्षा करना मूर्खता है।” डेविड ने भी आवेशपूर्ण स्वर में लेकिन तर्कसंगत बात कही।
डेविड ने उसकी बुद्धिमत्ता का अपमान करते हुए एमा को नाराज़ भले ही कर दिया, लेकिन उसने, उसे जाने देने की अपेक्षा, उसकी नाराज़गी को झेलना मंजूर किया।
एमा ने उसकी आँखों से अपनी आँखें मिलाई। वह अब रो नहीं रही थी। बचे हुए आँसू, लाल आँखें और चेहरे पर क्रोध के भाव लिए व्यथित स्वर में बोली – “डेविड मुझे नीचा दिखाने की कोशिश मत करो। अगर तुम इस तरह का व्यवहार करोगे तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगी।” फिर एमा ने अपनी बाहें समेटी और रूठकर डेविड को अनदेखा करते हुए उससे दूर हट गई। कमरे में खा जाने वाला सन्नाटा छा गया। डेविड जानता था कि वह अपनी हदें पार कर रहा है, लेकिन उसने सोचा कि इसके अलावा उसके पास कोई विकल्प भी तो नहीं है।
एमा की नाराज़गी दूर करने के लिए, उसने अपना लहजा और मुद्रा बदली और नम्र दिखने के लिए थोड़ा आगे की ओर झुका। उसने जैसे अपने शरीर को समेट लिया था। वह कोमल स्वर में बोला-
“हनी, मेरी बात सुनो। अगर तुमको लगता है कि मैं ग़लत हूँ, तो भी मैं सही कारणों के लिये ही ग़लत हूँ। हमने एक-दूसरे के साथ रहने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी। क्या हमने दुखी रहने के लिए ये सब किया? कितने सालों तक, जब भी हमने फोन पर बात की, मुझे हमेशा डर लगा रहता था, कि कहीं ये आख़री बार तो नहीं जब मैं तुम्हारी आवाज़ सुन रहा हूँ और कितनी बार लगभग यह सच होते-होते बचा।” एक पल के लिए उसकी आवाज़ बंद हो गई। आँखों से आँसू बहकर उसके गाल पर आ गए थे। एमा ने उसकी आँखों में ऐसे झाँका जैसे उनमें अपनी तस्वीर देखना चाहती हो। डेविड आगे बोला-, “मैं बहुत घबराता हूँ, तुम्हें खोने के ख़याल से ही घबरा जाता हूँ। क्या तुमको पता है कि जब तुम मेरे आस-पास नहीं होती हो, तो मैं तुम्हें कितना मिस करता हूँ? मैं तुम्हारे बिना रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता।”
लगातार मौत का सामना करने से व्यक्ति संवेदनहीन हो जाता है। आपकी आत्मा हृदय के अंदर सोती हुई ये इंतज़ार करती रहती है, कि आप कब उसे जगायेंगे? युद्ध के दौरान केवल एक बुरा क्षण, बारूदी सुरंग पर एक पाँव, लक्ष्य पर लगी एक गोली, या एक घातक विस्फोट और यदि आप बदकिस्मती से बेहोश ना हो गए तो तो, आपके माँस के लोथड़े, गर्म रेत पर पड़े होते हैं और त्वचा झुलस जाती है और आप एक निराशाजनक, बेजान स्मृति बन जाते हो। डेविड और एमा ऐसी परिस्थितियों से कई बार जीवित बच कर निकल आये थे और इसी कारण वे हमेशा के लिए बदल गए थे।
एक नौ-सैनिक होने के नाते, डेविड घातक परिस्थितियों ने निपटना जानता था। सहजवृत्ति और सहज रूप से, वह लोगों को पह्चानने में माहिर था। डेविड भली-भांति जानता था कि एक इंसान ज़िन्दा रहने के लिए दूसरे इंसान के साथ क्या-क्या कर सकता है। उसका क्रोध और प्रतिरोधी स्वभाव, उसके अनुभव के आधार पर अवचेतन मस्तिष्क में हमेशा बना रहता था। इसका एक और कारण, शायद एमा को खो देने का डर भी था।
दूसरी ओर लोगों के लिए एमा का रुख डेविड के विपरीत था। वह व्यक्ति के चरित्र की एक उत्कृष्ट पारखी, लोगों की मायूसी भरी मान्यताओं को तोड़ने और उन्हें नए रास्ते दिखाने के लिए भरपूर क्षमताओं के साथ एक मेहनती और विनम्र जासूस थी। सीआईए के साथ काम करते हुए उसे कई बार विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, बावजूद इन सबके, उसकी प्रतिष्ठा कभी धूमिल नहीं हुई। उसकी सकारात्मकता, ईश्वरीय देन थी। उसने लोगों के साथ घुल-मिलकर पूरी क्षमता से काम लिया, लेकिन वह हमेशा अच्छे और बुरे में फ़र्क कर सकती थी। एजेंसी में काम करते हुए एमा का कई बार मौत से सामना हुआ, लेकिन डेविड के युद्ध के दिनों की तुलना में उनकी एहमियत कुछ कम थी। एमा का काम युद्धों को होने से रोकना था, जबकि डेविड उनमें लड़ने के लिए भाग लेता था।
“डेविड, हनी। यहाँ आओ,” उसने बाहें फैलाते हुए उसे पुकारा। डेविड उसके पास आकर बैठ गया, दोनों के होंठ परस्पर ऐसे जुड़ गए जैसे आँख के साथ आँसू। कुछ क्षणों के बाद एमा ने अपने आपको डेविड से अलग किया और उसको आश्वस्त करने की मंशा से उसके कंधे पर अपने हाथ रखे और कोमल आवाज़ में कहा–
“मुझे पता है, इस मिशन की सफलता की उम्मीद कम है। मुझे यह भी पता है, इसमें बड़ा जोख़िम है और, मुझे मौत से डर भी लगता है। लेकिन यह मिशन हम दोनों से बड़ा है। बिगड़ी हुई परिस्थितियों को सुधारने का केवल यही एक मौका है। इसके अलावा एक बात और, मुझे कुछ नहीं होगा।”
डेविड ने इंकार में अपना सिर हिला दिया, वह परेशान था, लेकिन नाराज़ नहीं। वह खड़ा हो गया, कुछ दूर गया और कहा, “मैं अभी भी कह रहा हूँ कि वह तुम्हें कुछ भी नहीं बताएगी। कुछ लोग कभी नहीं बदलते एमा, खासकर अपने दुश्मनों के लिए।”
“परिस्तिथियाँ हमेशा एक जैसी नहीं रहती। जब समय उन्हें मजबूर करता है, लोग बदलते हैं। जब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता है, जब बर्दाश्त की हद पार होती है, लोग बदलते हैं। उन लोगों को केवल युद्ध और मौत ही मिलती आई है। मुझे पता है कि सकीना इज़राइल से नफ़रत करती है, और मैं इसे स्वीकार भी करती हूँ। लेकिन, वह अपने परिवार से उससे भी ज़्यादा प्यार करती है। कई लोगों की जान बचाने के लिए, मुझे उम्मीद है कि वह ज़रूर सहयोग करेगी।” एमा ने उत्तर दिया।
कम रोशनी वाले बड़े हाल के रास्ते, डेविड अपने पाँव पटकते हुए बेडरूम की ओर बढ़ा। एमा ने विचारों से अपना ध्यान हटाने के लिए टीवी चालू कर दिया।
आधे घंटे बाद, डेविड स्नीकर्स पहने, पानी की बोतल पकड़े फिर से उपस्थित हुआ। उसने दरवाज़े की ओर बढ़ते हुए एमा की ओर देखा–
“रनिंग के लिए जा रहा हूँ। मुझे अपने दिमाग़ को ठंडा करना है।” डेविड ने बुझे हुए शब्दों में कहा।
“बहुत रात हो चुकी है।” एमा बोली।
“क्या फर्क पड़ता है।” डेविड ने शांति से कहा। उसने दरवाज़े को ज़ोर से बंद किया और निकल गया।
समाचार चैनलों से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल रही थी। वह अपने ही विचारों में डूब गई। उपलब्ध जानकारी की अस्पष्टता उसे अंदर तक खाए जा रही थी। डेविड की शंका बिल्कुल सही थी। यदि असफल हुए, तो क्या होगा? क्या होगा, यदि कुछ ग़लत हो गया तो? लेकिन, क्या होगा अगर सब कुछ अच्छे के लिए हो जाए और वे संघर्ष को रोकने में सफल हों? उसे डेविड के व्यवहार से बुरा लगा, वह उसे फिर से गले लगाना चाहती थी और उसे आश्वस्त करना चाहती थी। हम बातचीत से मसलों को हल कर लेंगे। वह उठ खड़ी हुई और सोचा – वह बहुत दूर नहीं गया होगा।
उसने अपने लोफ़र्स जूते पहने, लेकिन पौशाक नहीं बदली। उसने दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। वह उस पार्क की ओर बढ़ी जहाँ वह और डेविड कभी-कभी चहलकदमी के लिए जाते थे। वह उपनगर की वीरान पड़ी सड़क पर खड़ी कारों और एक के बाद एक जुड़े हुए लॉन को पार करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही थी। वहाँ रोशनी बहुत कम थी। पार्क करीब आ रहा था और सड़क पर अंधेरा गहरा होता जा रहा था। ज़्यादातर स्ट्रीट लाईट्स टूटी हुई थीं। पेड़ों के पत्तों के बीच से हवा के गुज़रने से सरसराहट और सीटियों जैसी आवाज़ें आ रही थी। जैसे-जैसे ठंडी हवा एमा के शरीर से टकरा रही थी, उसको ठंड अपनी रीढ़ की हड्डियों में घुसती प्रतीत हो रही थी। एक अजीब और डरावना मंज़र था। सहसा कोई वस्तु तेजी के साथ उसकी ओर लुढ़कती हुई आई। यह डेविड की बंद पानी की बोतल थी। उसके शरीर में डर की एक सिहरन महसूस हुई और उसे लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। वह तेजी से पार्क की ओर दौड़ी।
कुछ कदमों के बाद ही एमा ने चाँदनी में कुछ देखा और वह रुक गई। उसने देखा कि एक मोटा आदमी ज़मीन पर गिरा हुआ है और डेविड उसके ऊपर चढ़ा हुआ है। डेविड बेरहमी से उसके चेहरे पर मुक्के बरसा रहा था; उसके मुँह से एक चीख निकल गई। उनसे कुछ कदम दूर सुनहरे बालों वाली एक गोरी औरत खड़ी रो रही थी। उसने हथेलियों से मुँह छुपा रखा था। उसके चेहरे पर ताज़ा चोट के निशान थे, और चेहरा लाल पड़ा हुआ था। वह इतनी डरी हुई थी कि, उसे होश ही नहीं था कि उसके तन पर कपड़े बुरी तरह से फटे हुए हैं। उसके शर्ट के सारे बटन टूट गए थे। दाहिना स्तन ब्रा से बाहर की ओर लटका हुआ था। उसकी नीली स्कर्ट लगभग उसके नितंबों तक ऊपर खिसकी हुई थी। जैसे ही एमा उनकी ओर दौड़ी, उसने देखा कि डेविड के बगल में स्किनर ब्लेड चाकू और मोटे आदमी के बगल में महिला का सफ़ेद अंडरवियर सड़क पर पड़ा हुआ था।
“क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?” एमा ने गरज कर पूछा।
“वह-वह मेरे साथ ज़बरदस्ती करने वाला था।” महिला ने रोते-रोते टूटे-फूटे शब्दों में बमुश्किल अपना दुखड़ा सुनाया। एमा ने जितनी हो सके, उतनी शीघ्रता से उसके कपड़े व्यवस्थित किए। डेविड इतना गुस्से में था कि, एमा के वहाँ होने का उसे एहसास भी ना हुआ, वह तो बस उस मोटे, कमीने की, जो लगभग अधमरा हो चुका था, धुनाई करने में लगा था। डेविड ने शादी की अंगूठी पहने हुए ही उसके चेहरे पर कई घूंसे बरसाये, जिससे उसका चेहरा कट-फट गया और खून से सन गया था। उसका खून सड़क पर बिखरा हुआ था और डेविड के चेहरे और टी-शर्ट पर भी उसके छींटें दिख रहे थे। डेविड उसे घूंसे से मारते हुए, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर, भद्दी, भद्दी गालियाँ भी दे रहा था। “साले…मादर…तेरी माँ की…आदि, आदि।
“डेविड, डेविड, रुको! तुम उसे मार दोगे, वह मर जायेगा!” एमा ने डेविड को नीचे गिरे हुए आदमी के ऊपर से खींचा। डेविड खड़ा हुआ, उसकी साँस उखड़ी हुई थी, उठते-उठते डेविड ने गाली बकते हुए उसे दो-चार लात और रसीद की। जैसे-जैसे उसके शरीर पर लातों का प्रहार हो रहा था, हर प्रहार के बाद उसका शरीर पिलपिला होता जा रहा था। एमा ने डेविड को फिर से खींच लिया, उसकी बाहों को पकड़कर, अपनी ओर उसका चेहरा किया। डेविड ने तमतमाए हुए चेहरे, जिस पर खून के छींटे लगे हुए थे; से एमा को देखा और उसे कसकर गले लगा लिया।
“तुम्हें चोट तो नहीं लगी?” एमा ने धीरे से पूछा?
“मुझे ऐसा नहीं लगता। हे भगवान। कितनी मनहूस रात है!”
“तुम यहाँ क्या कर रही हो?” भावशून्य और थकी हुई आवाज़ में डेविड ने पूछा।
“मैं बस तुम्हें देखना चाहती थी।” एमा बोली।
फिर एमा डेविड से अलग हुई और उस परेशान औरत को उसने अपना कोट ओढ़ा दिया। उसने अपना नाम सिंथिया बताया और कहा कि वह भी उसी गली में रहती है, जहाँ डेविड और एमा का घर है। कुछ देर के बाद पुलिस वहाँ पहुँची। सिंथिया ने पुलिस को उस समय सूचित कर दिया था, जिस समय डेविड उस हरामी की धुनाई कर रहा था। पुलिस को दिए बयान में सिंथिया ने कहा कि उस मोटे आदमी ने चाकू दिखाकर डराया और मुझे जमींन पर पटक कर मारने लगा और मेरे कपड़े फाड़ दिए और जबरदस्ती करने लगा। उस समय डेविड मेरी चीखें सुनकर यहाँ आया और मुझे उससे छुड़ाकर मेरी जान और अस्मिता दोनों बचाई। यदि डेविड नहीं आता तो वह मनमानी करने में कामयाब हो जाता।
पुलिस अधिकारियों ने डेविड और एमा को उनके साहस और सहायता के लिए धन्यवाद दिया। फिर उन्होंने आवश्यक जानकारी प्राप्त की और सिंथिया को उसके घर छोड़ने के लिए अपने साथ ले गए। वह इन दोनों के प्रति बहुत कृतज्ञ थी परन्तु उनका आभार ठीक ढंग से व्यक्त नहीं कर पाने का उसे अफ़सोस था। डेविड और एमा भी अपने घर वापस चले गए।
डेविड विचारशून्य अवस्था में आईने के सामने खड़ा होकर स्वयं को ही घूर रहा था। फिर उसने नल चालू किया और अपनी उंगलियों के नाख़ून और अंगूठी पर लगा खून साफ़ किया।
रक्त का पुराना और चिर-परिचित स्पर्श।
खून के बचे हुए किसी धब्बे की तलाश में, अपना चेहरा थोड़ा ऊपर उठाकर उसने आइने में देखा। उसने महसूस किया कि उसकी टी-शर्ट पर भी खून के धब्बे थे। उसने इसे उतार दिया और नंगे बदन खड़ा, आइने में अपनेआप को देखा। उसने अपना चेहरा धोया, अपने नंगे सीने और चेहरे को तोलिए से पोंछते हुए किचन की और चला। एमा भी अपने सूखे गले को पानी से तर करने के लिए किचन में चली गई। डेविड ने तौलिया एक ओर फेंका और फ्रिज की ओर बढ़ गया। उनके मॉड्यूलर किचन में ऊपर एक चिमनी लगी थी, एक ग्रिल ओवन, एक ग्रे रेफ्रिजरेटर, चार-बर्नर वाला स्टोव और बीच में वर्कटॉप टेबल पर सब्जियों या माँस को काटने के लिए बहुत सी जगह थी।
“डेविड, हमें बात करने की ज़रूरत है।” एमा ने कहा।
डेविड ने कहा, “मैं अब और बहस नहीं कर सकता, एमा।”
“तुमने आज जो किया वह हिम्मत वाली बात थी। मुझे तुम पर गर्व है।”
“शुक्रिया। और मैं क्या कर सकता था? मैं उसके साथ बलात्कार हो जाने… देता? वह हॉल की ओर बढ़ा। एमा भी उसके पीछे चली। टीवी पर अभी भी समाचार प्रसारित हो रहे थे। डेविड अपने पुठ्ठों पर हाथ धरे नंगे बदन खड़ा था। उसकी माँसपेशियां फूली हुई थीं और नसें त्वचा पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। वह उसकी ओर मुड़ा। एमा उससे कुछ कहना चाहती थी लेकिन वह संकोच कर रही थी। उसने आखिर कुछ कहने का फैसला किया।
“इसी कारण से मुझे भी जाना होगा, मैं यहाँ बैठकर निर्दोष लोगों को मरते हुए नहीं देख सकती।”
डेविड उसकी ओर मुड़ा। उसके दाहिने तिरछी पेशी पर जो टेटू बना हुआ था और कर्सिव स्टाइल में उस पर कुछ लाईने, जो कविता की पंक्तियों की तरह बड़ी नफासत से उकेरी गई थीं, वे बाहरी हिस्से से होती हुई बाजु के अंदरूनी भाग तक चली गई थीं, और उनमें शुरू से आख़िर तक लिखा था – “मैं जिन्हें प्यार करता हूँ, उनके लिए मैं बलिदान करूँगा।”
उसने एमा की ओर कुछ कहने की मंशा से देखा। तभी टीवी से कुछ ऐसी आवाज़ें आयी, जिसने दोनों का ध्यान आकर्षित किया। ये गाज़ा की तस्वीरें थीं। युद्ध और विध्वंसक हो चुका था। फुटेज में फिर एक बच्चे की तस्वीर दिखाई गई, उसके शरीर पर राख जैसी गंदगी जमी थी और उसका शरीर खून में लथपथ था। वह जितनी उसके गले की क्षमता थी, उससे कहीं अधिक ज़ोर से गला फाड़कर रो रहा था। वह अपनी दर्द भरी आवाज़ में “अम्मी, अम्मी!” चिल्ला रहा था। डेविड और एमा समझ गए कि उसका क्या मतलब है – वह अपनी माँ के लिए रो रहा था। फुटेज ख़त्म होने पर उन्होंने एक-दूसरे की ओर ख़ामोशी से देखा। उनकी ख़ामोशी वह बयां कर रही थी, जो शब्द शायद कभी नहीं कर सकते थे।
अध्याय ६
“हम, जो सुबह अपने घरों से निकलते हैं और अपने ही घरों में वापस लौट के आते हैं – यह समझना हमारे लिए कठिन है कि शरणार्थियों के जीवन का अनुभव कैसा होता होगा।”
– नाओमी शिहाब नाए
गाज़ा, अल-सुदानिया समुद्र तट
गाज़ा में उगता सूरज अपने साथ फिर मौत और तबाही लेकर आया। समुद्र तट पर खाली पड़ी प्लास्टिक की कुर्सियां ऐसी लग रही थी, कि मानो वापस लौटती लहरों के साथ समुद्र की विशाल गहराई में समाने का इंतज़ार रही हों। अंदर इनका पता कोई नहीं जनता, ठीक वैसे ही, जैसे जीवन के अंत के बाद आत्मा कहा चली जाती है, कोई नहीं जानता।
तेरहवी नौसेना फ्लोटिला के कमांडोज, काले रबर के बेड़े में बैठ कर अपने मिशन पर हथियारबंद होकर आगे बढ़ रहे थे। उनकी एकाग्रता उन्हें समुद्र की लहरों की मधुर कलकल का लुत्फ़ उठाने वंचित रखे हुए थी। खारे पानी की बूंदे उनके बाज़ू पर लगे इज़राइली नौसेना के राजचिह्न को हल्के थपेड़ों से गीला कर रही थी।
उनके मिशन का उद्देश्य, उग्रवादियों द्वारा एक परिसर में स्थापित, लम्बी दूरी के एक रॉकेट लांचर को छापा मारकर नष्ट करना था। उनकी टीम के नेता, कमांडर स्टर्न ने विशेष केवलार कपड़े से बनी वेस्ट को कसकर बांधा। हमले का वक़्त हो चला था।
इससे पहले कि उनकी नाव तट तक पहुंचे, वे सभी नाव से कूद गए। कमांडोज, नाव के आसपास बंधी रस्सी को पकड़कर नाव को रेतीले बीच पर खींच लाये। सुबह हो चली थी और युद्ध के बाद के सन्नाटे में वो अपने मिशन पर आगे बढ़े। यह लड़ाकू दस्ता तेज कदमों के साथ दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक की खाली पड़ी सड़क को रौन्धते हुए, एक छोटी और पतली दीवारों वाले बड़े परिसर के सामने पहुँचा।
विस्फोट विशेषज्ञ, लेफ्टिनेंट सैमुअल स्टिलमैन ने दरवाजे पर एक सी-४ विस्फोटक चिपकाया और एक कदम पीछे हट गया, विस्फोट हो गया। पीछे हटते-हटते भी उनके हेलमेट धमाके के ज़ोर से काँप गए पर गिरे नहीं। सभी ने धुआँ फ़ैलाने वाले ग्रेनेड बम अंदर फेके और उसी की धुंध में गोलियां दागते हुए आगे बढ़े।
उधर, रॉकेट लॉन्चर की चौकीदारी कर रही उग्रवादियों की छोटी सी टुकड़ी, धमाके की आवाज सुन, चोंककर जागी और जवाबी हमले के लिए अपने हथियारों पर झपटी।
“क़ीलब, क़ीलब (कुत्ते, कुत्ते!)” उन्होंने गर्जना की। यहूदियों को वो ऐसे ही भद्दी गलियों से पुकारते थे।
कंपाउंड की रखवाली करने वाले उग्रवादियों को अंदाज़ा तक नहीं हुआ कि उन पर हमला कैसे और कहाँ से हुआ? वे मुश्किल से कुछ ही गोली चला पाए होंगे कि, उनके एक और साथी को गोली लगी, वो वहीँ ढेर हो गया। यह हमला, अदने से सिपाहियों और एक सुसज्जित फ़ौज के बीच चल रहे युद्ध का सटीक उदाहरण था। सबसे उच्च प्रशिक्षित नौसेना इकाइयों में से एक ने अपनी विश्वसनीयता का परिचय दे दिया था, जो वास्तव में घातक था, बहुत ही घातक था।
दोनों तरफ से गोलीबारी तेज़ हो गयी और इज़राइली कमांडोज़ छत पर रखे सामानों के पीछे छुपते-छुपते मौके का फायदा उठाते हुए आगे बढ़ते गए I
हमास के लड़ाकों ने गोलीबारी और तेज़ कर दी और इज़राइली कमांडोज ने फुर्ती से अपनी आक्रामक रणनीति पर पुनर्विचार किया। कमांडर स्टर्न ने अपनी टीम को ग्रेनेड फेंकने के लिए इशारा किया। लेफ्टिनेंट स्टिलमैन ने नाशपाती की तरह दिखने वाले ग्रेनेड से पिन खींची और दुश्मन को विचलित करने के लिए बिना निशाना साधे, उनकी ओर फेंका। धमाके ने सभी दुश्मनों को लहूलुहान कर दिया। कर्णभेदी विस्फोट के बाद, उनके भारी हथियार विशेषज्ञ, जैकब टर्नर ने अपनी बज़ूका को निकाल, सामने की छत पर दिख रहे एक रॉकेट लांचर को निशाना बनाकर फ़ायर किया। इस सफल हमले के बाद वे फिर आगे बढ़े।
भारी लड़ाई और उड़ती गोलियों के बीच, कमांडोज ने अपनी स्थिरता को बरक़रार रखा। बड़े परिसर में छापेमारी करते हुए, उन्होंने अपने द्वारा खोजे गए सभी रॉकेट-लॉन्चरों को उड़ा दिया। कुछ गोलियां उनके शरीर के पास से गुज़रीं और कुछ उनकी त्वचा को रगड़ती हुई निकल गई। वे थोड़े घायल हो गए थे, लेकिन उनके उद्देश्य और गहन-प्रशिक्षण ने उन्हें गतिमान रखने में उनकी सहायता की।
सूरज आसमान में अपनी जगह ले चुका था। वातावरण में चारों ओर गोलाबारी की भारी आवाजें गुंजायमान थी। भारी संख्या में गुरिल्ला लड़ाके, लड़ाई में शामिल होने के लिए चारों दिशाओं से आते हुए दिखने लगे – ये कमांडोज़ को अब इस मिशन से वापस लौटने का संकेत था।
हमास द्वारा एक असफल प्रतिरोध के साथ, कमांडो अब पीछे हट रहे थे I उनका मिशन इस कदर सफल था कि पूरी टीम में से किसी को भी कोई घातक चोट नहीं लगी थी। अपनी गोलाबारी की तीव्रता बढ़ाते हुए, वे सब के सब किसी जीव के शरीर की तरह एकसार होकर, वापस अपनी नाव ओर की चले। एक दूसरे को समझने और आपसी क्रियाओं के प्रति उनकी प्रतिक्रिया, विशेष रूप से उल्लेखनीय थी।
जैसे ही वे वापस तट पर पहुँचे, उन्होंने तेजी से बेड़े को समुद्र में धकेला। वापस नौकायन करते समय, उन्होंने किसी के द्वारा पीछा करने की आशंका को ध्यान में रखते हुए, अपनी बंदूकों की नाल तट की ओर कर रखी थी। इस ज़मीनी आक्रमण में, वे हमास के चार उग्रवादियों को मारने और कई लंबी दूरी के रॉकेट लॉन्चरों को नष्ट करने में कामयाब रहे।
हमास के छापामार लड़ाके खुद को बचाने में न सिर्फ असफल रहे, बल्कि शर्मनाक रूप से परास्त भी हुए। और इस शर्म का प्रमाण उस ईमारत में यहाँ-वहाँ बिखरा हुआ मलबा था।
सुबह के ६ बजे
फोन की घंटियों ने कई परिवारों को जगा दिया। जिन घरों में ऐसी कॉल्स आती थीं, वहाँ जब तक कॉल खत्म नहीं होती थी, तब तक हर घर में चिंता का माहौल बना रहता था। वहाँ रह रहे छह सौ से अधिक लोगों के बीच एक विशेष समानता थी – “दोहरी नागरिकता।”
इज़राइल ने दोहरी नागरिकता वाले उन लोगों के लिए आईडीएफ की देख-रेख में एक सुरक्षित मार्ग खोला था। जो लोग गाज़ा को खाली करने के लिए तैयार थे, उन्हें इज़राइल में उनके संबंधित दूतावासों तक पहुँचाने की व्यवस्था इज़राइल द्वारा ही की गई थी।
उनके लिए, जो गाज़ा में उत्पन्न हुई जोख़िम भरी स्थिति के कारण अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाना चाहते थे, तीस मिनट के युद्ध-विराम का समय निश्चित किया गया था।
कुछ परिवारों ने भ्रम के वातावरण और अफसोसजनक स्थिति के चलते और इस सब के ख़त्म होने तक गाज़ा से दूर जाने का फ़ैसला किया। उनमें से अधिकांश कहीं नहीं जा सकते थे और जिन्हें रुकने और जाने में से एक का चुनाव करना था, उनके लिए जीवन का यह सबसे कठिन निर्णय था।
अल-बात्शाह परिवार के घर में, एक विधवा, जो एक एक माँ भी थी, रास्ते के लिए आवश्यक सामान पैक कर रही थी। जल्दबाजी में उसने ना तो नाश्ता बनाया और ना आराम से बैठ सकी। उसके बच्चे, उसके पीछे-पीछे घूमते हुए, यह समझने की कोशिश कर रहे थे, कि उसने अभी-अभी जो कहा था – “हम यहाँ से जा रहे हैं,” उसका क्या मतलब है? उसकी आँखों में बेबसी के आंसू थे, उसने अपने अस्त-व्यस्त पड़े बेडरूम में खड़े होकर, बच्चों पर एक नज़र डाली। वह इस जगह को छोड़ना नहीं चाहती थी परन्तु भयंकर खून-खराबे के कारण अंतर्मन में उठ रही आशंकाओं ने, उसके पास सीमा पार जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा था।
उसकी छोटी बेटी, जो स्कूल में पढ़ रही थी, उसे सबसे बात करना बहुत पसंद था, चाहे कैसा भी मुसीबत का समय हो।
वह अपनी मां के पास पहुंची और मासूमियत से कहा, “अम्मी, नानी ने कहा कि वह नहीं जा रही है… उसने कहा यह हमारा घर है। यहाँ तक कि अगर हम यहाँ मर भी जाते हैं, तो यह बहुत ही ख़ुशनुमा मौत होगी… अम्मी, मैं भी नहीं जाना चाहती। मेरा स्कूल यहाँ है और जब वे हमारे ऊपर आग के गोले बरसाना बंद कर देंगे तब मैं वापस स्कूल जाकर, अपने दोस्तों के साथ खेलूंगी।”
बेबस माँ ने सोफे पर बैठी अपनी बूढ़ी और कमज़ोर माँ को देखा। उसने अपना नक़ाब ऊपर उठाया, उसका चेहरा दिखाई दिया, जो इतना कठोर लग रहा था जैसे किसी पत्थर को तराशा गया हो। युवा माँ, ध्वस्त हुए सपनों और घायल अंतरात्मा के साथ गुस्से से भरी हुई, अपनी बूढी माँ के पास पहुंची और बोली–
“अम्मी, अगर हम ये जगह नहीं छोड़ते हैं, तो ये आत्महत्या करने जैसा होगा। बम के हमले में सभी मारे जाते हैं। क्या निर्दोष और क्या दोषी, बम किसी में फ़र्क नहीं करता। अगर यहाँ रुकने पर हम सब मारे जाते हैं, तो यहाँ रुकने में अच्छाई ही क्या है? मैं अपने पति को पहले ही खो चुकी हूँ; मुझे अपने बच्चों को नहीं खोना है… इस अकड़ का मतलब कुछ भी नहीं है, अगर हम जीवित नहीं रहें। अपने नातियों को देखो, मैं चाहती हूं कि वे जिंदा रहें, फूले-फले। मैं यह चाहती हूँ कि उनकी शादी होने तक मैं जीवित रहूँ, ना कि मलबे के ढेर में उनके मृत शरीरों को ढूंढती फिरूं।”
भावावेश में बोलते-बोलते उसकी साँस फूल गई।
फिर सधी हुई आवाज़ में, उसने अपना अंतिम निर्णय सुनाया–
“हमें जीना हैं, इसलिए यहाँ रहकर, मौत के दर से पल-पल मरना गवारा नहीं कर सकते।
बूढ़ी औरत ने अपने झूठे अभिमान को एक तरफ रखते हुए, अपना सर झुका लिया और सोफे से उतर कर खड़ा होने के लिए अपनी बेटी से सहारा माँगा।
गाज़ा-इज़राइल सीमा पर, भारी तोपखाने के साथ गेट की सुरक्षा करने वाले गार्ड अगले आदेशों की प्रतीक्षा में तैयार खड़े थे।
घेराबंदी की शांत सुबह में, हताश अल-बात्शाह परिवार सहित, सौ से अधिक लोगों ने उनकी सुरक्षा के लिए तैनात आईडीएफ सैनिकों के साथ, भारी सुरक्षा चौकियों को पार किया। शरणार्थियों को अपने दोहरी नागरिकता साबित करने के लिए दिए गए पासपोर्ट को हाथ में रखने के आदेश थे। जिनके पास पासपोर्ट नहीं थे, उन्हें वहाँ प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
बैग उठाये जाते हुए, कई लोग रो रहे थे, कई अपने प्रियजनों का हाथ पकड़े हुए थे और कीमती सामानों को अपनी छाती से लगाए हुए थे। वे भीड़ में होते हुए भी शांतिपूर्वक धीरे-धीरे इस उम्मीद के साथचल रहे थे कि, शायद इस भयावह दुस्वप्न से बच जायेंगे।
चेक-पोस्ट कमांडर ने अपनी घड़ी की ओर देखने के बाद, दूरबीन से दूर तक देखा, उसकी ओर कोई भी आता दिखाई नहीं दिया।
उसने हाथ से इशारा करते हुए ज़ोर से चिल्लाकर कहा – “गेट बंद कर दो!”
उत्तरी-गाज़ापट्टी का इलाक़ा
इसी बीच, सूरज चढ़ने के साथ, इज़राइल की ओर से एक सन्देश आया – फ़िलिस्तीनियों को पत्रकों से सूचित करो और उन्हें कॉल्स भी करो। उन्हें पहले से सूचित करो कि वे दोपहर तक अपने घरों को खाली कर दे, ताकि हमले में आम नागरिकों को जान-माल का कम से कम नुकसान हो।
हमास द्वारा लोगों को अपने घरों को नहीं छोड़ने के लिए हतोत्साहित करने के बाद भी, कई लोगों ने अपने घर-बार छोड़ कर उन स्कूलों में शरण ली, जिन्हें शरणार्थी-शिविरों में तब्दील किया गया था।
इज़राइल ने उस दिन के लिए तय किए गए अपने लक्ष्यों पर हमले करना शुरू कर दिया। भारी आढ़ और दोनों से होने वाले हमलों के कारण स्कूलों में शरण लेने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई थी।
अध्याय ७
“कभी-कभी, यदि आप एक व्यक्ति के मन को बदलना चाहते हैं, तो आपको पहले उसके साथ वाले व्यक्ति के मन को बदलना होगा।”
– मेगन व्हेलन टर्नर
डेविड और एमा ने कल रात अपने बीच के सारे विवादों को हल कर लिया था। डेविड के हृदय परिवर्तन के लिए घटनाओं की भयावहता और नाटकीय मोड़ ज़िम्मेदार थे। वर्षों तक, उन्होंने अपना जीवन, लोगों की जान बचाने और सुरक्षित करने के लिए समर्पित किया था। कोई भी व्यक्ति इस तरह का बलिदान तब तक नहीं करता, जब तक कि उसके रक्त में वीरता और देशभक्ति ना भरी हो। उनके आरामदायक जीवन और एक साथ रहने की चाह से राजनयिक बन जाने के बाद, वे शायद भूल गए थे, कि वास्तव में वे योद्धा थे। आकर्षक करियर और हर रात आरामदायक बिस्तर पर सोते हुए, वे थोड़े कोमल हो गए थे। हर कोई अपने जीवन में डर का सामना करता है, परन्तु इससे बहुत फर्क पड़ता है कि हम इससे निपटते कैसे हैं। ये हम पर निर्भर करता है, कि हम भयभीत होकर कायरतापूर्ण व्यवहार करें अथवा साहस के साथ भय का सामना करें, क्योंकि जीवन में डर तो हर दम बना ही रहता है। एमा और डेविड के जीवन का ये आज ऐसा ही एक दिन था। या तो कायरों की तरह मुँह छुपाकर भाग जाएँ या फिर डटकर इसका मुक़ाबला करने के लिए तैयार हो जाएँ। उन्होंने यह तय किया कि आगे कैसी भी परिस्तिथियाँ बने, एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे। परिणामस्वरूप प्रार्थना हेतु वे चर्च के अंदर बैठे थे। चर्च की दीवारों पर, स्वर्ग की कल्पना के दृश्य चित्रित थे।
सूरज की रोशनी चर्च के अनुप्रस्थ भाग में बनी जालियों के माध्यम से छनकर अंदर आ रही थी। रंगीन काँच पर बाइबिल की कथाओं के पात्रों के चित्र अंकित थे और उनसे प्रकाश की किरणों के परावर्तित होकर फ़र्श पर पड़ने के कारण ऐसा लग रहा था जैसे इन्द्रधनुष धरती पर उतर आया हो। वेदी की दीवार पर केंद्र में जीसस की प्रतिमा लगाई गई थी। यह एकदम सफ़ेद और सौंदर्यपूर्ण था; छत अर्ध-वृताकार, सजावटी थी और लकड़ी के चौकोर लट्ठों पर नक्काशी का काम दिखाई दे रहा था। उपदेश समाप्त हो चुका था पादरी सहित और लोग भी वहाँ से जा चुके थे।
इस समय, चर्च में केवल तीन ही लोग मौजूद थे-एमा, डेविड और डोलोरेस। इस कारण यदि वे ज़ोर-ज़ोर से बोलते, तो भी उनकी आवाज़ सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था। एमा और डेविड, संभ्रांत कैथोलिकों की तरह कपड़े पहने, दाईं ओर की तीसरी पंक्ति में बैठे थे। एमा ने सफ़ेद फूलों की छपाई वाले हल्के पीले रंग की सन-ड्रेस पहनी हुई थी। डेविड ने नेवी-ब्लु रंग का पतले कपड़े का सूट, सफ़ेद शर्ट और नीली टाई पहनी थी। वे दोनों, वेदी पर लटके एक काले रंग की पट्टिका को देख रहे थे, जिस पर बाइबिल की एक पंक्ति अंकित थी-
“जब मैं कमज़ोर होता हूँ, तब भी मैं मज़बूत होता हूँ।”
– २ कोर १२:१०
भूरे रंग का सूट पहने डोलोरेस, चेहरे पर कठोरता के भाव और हाथ में बेलन की तरह गोल किया हुआ अख़बार लिए, एमा और डेविड के सामने बैठी थी। उसके करीने से संवारे हुए सुनहरे बालों से, लेवेंडर और गुलाब के इत्र की मिली-जुली महक आ रही थी।
डोलोरेस ने कहा – “कितनी वाहियात बात है, है ना? एक बीमार मानसिकता वाला व्यक्ति, अपनी काम-पिपासा की संतुष्टि के लिए किस हद तक गिर सकता है? वह तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि तुम दोनों वहाँ मौजूद थे। उस घटना को याद करते ही एमा का दिल ऐसे धड़का जैसे वह फिर उस भयावह लम्हे में लौट गयी हो। घबराहट से उसका मुँह सूख गया और ऑंखें पीली पड़ गई। डोलोरेस ने मुड़े हुए अख़बार को खोला और उसे एमा और डेविड को दिखाया। उसमे लिखा था–
“संयुक्त राष्ट्रसंघ के कर्मचारियों ने पड़ोसी महिला को बचाया।” उन्होंने आगे पढ़ने की ज़हमत नहीं उठाई। उनका दिमाग़ इस समय इस बात का चिंतन करने और अपनी प्रसिद्धि का आनंद उठाने के बजाय, किसी अधिक महत्वपूर्ण मसले में उलझा हुआ था।
“धन्यवाद, मैंने वही किया जो ऐसे हालात में कोई भी करता।” डेविड ने सरलता से कहा।
“और अब तुम्हारी पत्नी के पास एक युद्ध को रोकने का सुनहरा मौका है। तुम जानते हो कि तुम कितने भाग्यशाली हो?”
डेविड के प्रति कुंठित भावनाओं से ग्रसित, डोलोरेस ने व्यंग्यात्मक लहजे में बात को आगे बढ़ाया। एमा मूक दर्शक बनी बैठी थी। उसके मस्तिष्क में इस समय लोगों के जीवन को बचाने हेतु अपनी प्रतिबद्धता को निभाने और जान को दाव पर लगाने वाली उस अंधेरी दुनिया में फिर से लौटने या ना लौटने के बीच अंतर्द्वंद्व चल रहा था।
“डेविड मुझे बताओ, क्या अपनी पत्नी को इस तरह के महत्वपूर्ण काम पर भेजने के विचार से अपने आप को दोषी तो नहीं समझ रहे हो?” – डोलोरेस ने डेविड से “हाँ” कहलवाने के लिए, उसे शब्दजाल में उलझाने की कोशिश करते हुए पूछा।
“हाँ, समझूंगा दोषी, यदि मैं उसे अकेले जाने दूँ तो।” – डेविड ने डोलोरेस पर जवाबी हमला करते हुए, संशयात्मक शब्दों में कहा।
“तुम कहना क्या चाहते हो?” डोलोरेस ने फिर पूछा।
“साफ़ शब्दों में कहूँगा, जहाँ वह जायेगी वहाँ मैं भी जाऊँगा, और अगर मैं नहीं जाऊँगा, तो वह भी नहीं जायेगी।” डेविड ने अपने मन की बात कह डाली। डोलोरेस चौंक कर पीछे पलटी और डेविड-एमा को अविश्वास में घूर के देखा। एमा भी आश्चर्य से डेविड को तकती रह गयी।
डोलोरेस को लगा कि उसके अहंकार को चुनौती दी जा रही है। उसने अपनी दाईं भौंह को ऊपर उठाते हुए कहा – “क्या तुम ऐसी स्थिति में, जब हज़ारों लोगों की जान दाव पर लगी है, मुझसे सौदेबाज़ी करोगे?”
“नहीं। मैं सिर्फ़ अपनी पत्नी का साथ निभाने की कोशिश कर रहा हूँ। जो वहाँ घटित होगा, वह मेरे बस में नहीं है लेकिन मैं अगर उसके साथ रहूँगा तो, उससे कैसे निपटना है, वह मेरे बस में होगा।” डेविड की आँखों में कठोरता के साथ शत्रुता के भाव भी थे। उसके अवचेतन मस्तिष्क में डोलोरेस की छवि, एक विरोधी की थी।
“हम उसे वहाँ मरने के लिए नहीं भेज रहे हैं। और मैं उसे युद्ध के अंदर नहीं भेज रही, छद्मवेश में यह एक राजनयिक मिशन है।” डोलोरेस दांत पीस कर रह गई। वह चर्च में अपशब्द बोलने से बचना चाह रही थी।
“डोलोरेस प्लीज… इस समस्या का यही एकमात्र हल है कि, मैं भी एमा के साथ मिशन पर जाऊँ।” डेविड ने डोलोरेस के दिमाग़ को अपने पक्ष में करने की मंशा से बहुत ही शालीनता से कहा। डेविड के स्वभाव के विपरीत उसका यह एक बदला हुआ किन्तु साहसपूर्ण कदम था। उसके आक्रामक स्वभाव के विपरीत वह नम्रता से इसलिये पेश आ रहा था, क्योंकि वह एमा से हृदय की गहराइयों से और बेहद प्यार करता था। एमा और उसका प्यार उसके लिए प्राणवायु जैसा था; जिसके अभाव में दम घुटने से उसकी जान भी जा सकती थी। डोलोरेस, उनकी मित्र होने के कारण एकदम से उनके अनुरोध को ठुकरा भी नहीं सकती थी। कुछ क्षणों के लिए उसने उदारता से अपनी स्थिति का आंकलन किया – कि उसने एमा को इस काम के लिए क्यों बुलाया, जबकि वह वर्षों पूर्व एजेन्सी से इस्तीफ़ा दे चुकी थी? उसने कोमल वाणी में इस जटिल स्थिति का सच उजागर किया–
“मुझे पता है डेविड, मैं तुम दोनों से बहुत ज़्यादा अपेक्षा कर रही हूँ, लेकिन इसके अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। मैं काहिरा में होने वाली शांति-वार्ता में भाग लेने के लिए तुलनात्मक रूप से आसान और सरल काम पर एमा को भेज सकती हूँ, लेकिन समस्या यह है कि सकीना को निर्णायक वार्ता का हिस्सा बनने की मंज़ूरी नहीं है। और हम फ़िलिस्तीनी अधिकारियों से उसे काहिरा भेजने का अनुरोध भी नहीं कर सकते। इससे कई प्रश्न उठ खड़े होंगे। यहाँ तक कि इसको किसी और नजरिये से देखा जाकर इसकी जाँच भी शुरू की जा सकती है? मैं यह जोख़िम नहीं उठा सकती। सकीना, एमा का एकमात्र विश्वसनीय स्रोत थी; उसने एमा के अलावा किसी ओर को एक शब्द भी नहीं बताया।”
अब एमा के दिमाग़ में और अधिक वैचारिक स्पष्टता आ गई थी। उसने अपने मन में दृढ़ता से कोई निश्चय किया और अपने आप को भावनाओं के भँवर से बाहर निकाला। वह बोली-
“डेविड हनी, प्लीज, ऐसा मत करो, मुझे अकेले ही जाने दो।”
डेविड ने बड़े प्यार से उसके गाल पर हाथ रखते हुए उसकी आँखों में गहराई से झाँका और कहा-
“मैं तुम्हें अपनी आँखों से ओझल नहीं होने दे रहा हूँ, बस।”
विपरीत परिस्थितियों में भी उनके प्यार की गहराई कभी कम नहीं हुई थी। एमा नहीं चाहती थी कि डेविड उसका साथ दे। उसका डर डेविड की तरह ही था। वह नहीं चाहती थी कि डेविड को कोई चोट लगे। यहाँ तक कि अब वह उसके जिस्म पर एक खरोंच भी बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। डोलोरेस ने अपने फोन पर मैसेज बीप बजने से उसे जेब से बाहर निकाला। उस पर एक संदेश था। अंगूठे से स्क्रीन ऊपर करते हुए मैसेज पढ़ने पर उसके मुँह से आह निकल पड़ी – “हे… भगवान।”
एमा ने चिंतित स्वर में पूछा – “क्या हुआ? सब ठीक तो है?”
“नहीं। कल रात, इज़राइल के रक्षा बलों ने उत्तरी और मध्य गाज़ा-राफाह, खान यूनुस, गाज़ा शहर और कई स्थानों पर तोपखाने, लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टरों द्वारा कई संयुक्त हमले किये। मैं मरने वालों के सही आंकड़े तो नहीं बता सकती पर काफ़ी तादात में लोग हताहत हुए हैं। गाज़ा ने जवाबी कार्रवाई की परन्तु ग़लत निशाने से तीन रॉकेट फ़िलिस्तीन पर ही गिर गए। मुझे अब निकलना होगा।” कहते हुए फोन वापस जेब के हवाले किया और टहलने लगी।
डेविड और एमा भी जाने के लिए उठे, लेकिन वे इस बात को लेकर असमंजस में थे कि सारा वार्तालाप कितना संक्षिप्त और अस्पष्ट था और डोलोरेस ने उन्हें यहाँ, केवल मनोरंजन के लिए आमंत्रित किया था, जैसे वह पहले से ही ये बात जानती थी कि एमा जाने के लिए हाँ, ही कहेगी और इसी कारण डोलोरेस ने मीटिंग में आना स्वीकार किया। डोलोरेस थोड़ा रुकी, फिर वहीं चक्कर लगाने लगी। उसने देखा कि डेविड और एमा उसे ऐसे देख रहे हैं, जैसे ईसा मसीह की प्रतिमा उसे पीछे मुड़कर देख रही हो।
उसने मुस्कुराकर आश्वासन देते हुए, दृढ़ता से कहा – “मैं तुम दोनों को कुछ भी नहीं होने दूंगी, तुम ब्रीफिंग के लिए चिंता किए बिना तैयार रहना।”
उसने एक नज़र ईसा मसीह की प्रतिमा की ओर देखा फिर उन दोनों की ओर मुख़ातिब हुई। उसने चर्च से बाहर जाते हुए विषय से परे, एक उपदेशात्मक बात कही-
“क्या तुम्हें इस बात पर कभी आश्चर्य नहीं होता कि हमें अभी तक ईश्वर की प्राप्ति क्यों नहीं हुई है?-क्योंकि शायद वह हमारे भीतर रहता है और हम उसे बाहर खोजते रहते हैं।”
अध्याय ८
“यदि हम इस संघर्ष के केवल एक ही पक्ष को देखें, चाहे वह इस ओर का हो, चाहे उस ओर का, तो हम सत्य से अनभिज्ञ ही रहेंगे।
– बराक ओबामा
“दिमाग़ ठंडा, मन शांत और खुद को एकाग्रचित्त रखो।”
डेविड, उसे और एमा को मिशन ब्रीफिंग के लिए बुलाये गये सभा कक्ष के बाहर, नर्म चमड़े के कवर वाले सोफे पर बैठकर, अपने बुलावे का इंतज़ार करते हुए कुछ बड़बड़ा रहा था। उसने प्रेस किया हुआ स्टील-ग्रे और एमा ने काले रंग का सूट पहन रखा था और साथ में लैपटॉप बैग भी था। एमा अपने फोन पर यू-ट्यूब पर एक वीडियो देख रही थी, जिसका टाइटल था-
“जब काई ने पहली बार अपनी आवाज़ सुनी।”
एक श्रवण-बाधित, प्यारी सी छोटी बच्ची ने, ऑपरेशन के बाद पहली बार आवाज़ सुनकर विस्मय से अपने मुँह पर हाथ रख लिया और खिसियाते हुए बोली – “अरे, मैं अपने आप को सुन सकती हूँ, ये कितना फनी है।”
एमा इस हृदयस्पर्शी वीडियो को ध्यान से देख रही थी। डेविड ने उसे कनखियों से देखते हुए पूछा – “क्या देख रही हो?”
एमा ने जवाब दिया, “मन को प्रफुल्लित करने वाला एक सकारात्मक वीडियो।” एमा के अंतर्मन को गुदगुदाकर अपने उद्देश्य में सफल, वीडियो के समाप्त होने पर उसने फोन वापस जेब में रख लिया और सोफे के नर्म कुशन पर आराम से हाथ रख, उसे निहारते हुए डेविड के हाथ पर प्यार से अपना हाथ रख दिया।
डेविड ने जिज्ञासावश पूछा – “क्या तुम्हें अब भीअपनी पुरानी नौकरी की याद आती है?
“कभी-कभी।” एमा ने कंधें उचकाते हुए ईमानदारी से जवाब दिया।
खाली पड़ी विशाल गैलरी में शीशे के दरवाज़े के सामने, सजावटी सोफे पर बैठ कर इंतज़ार करते हुए, उन्होंने छत से टंगे टीवी सेट्स पर प्रसारित बीबीसी चैनल को कुछ देर के लिए देखा। इस गैलरी की हल्के चमकदार रंग से पुती दीवारों से फ्लोरोसेंट बल्बों का प्रकाश परावर्तित होकर हॉल को चकाचौंध कर रहा था।
जहाँ वे बैठे थे उसके पास का दरवाज़ा खुला, छोटे बालों वाली लाल रंग के कपड़े पहने, एक अश्वेत महिला, सेंडल खटखटाते हुए बाहर आई।
उसने स्वागती लहजे में शालीनता से कहा-
“समय आ गया है।” दोनों उसके पीछे-पीछे अंदर की ओर चले। यह कक्ष उस कमरे के समान लेकिन उससे कुछ बड़ा था, जहाँ पूर्व में एमा को इस मिशन में शामिल होने के लिए कहा गया था। कक्ष में एक लम्बी सी अंडाकार मेज़ और घूमने वाली कुर्सियाँ लगी हुई थीं, जिस पर हर कुर्सी के सामने सौ इंच स्क्रीन वाले लेपटॉप रखे थे। कक्ष में कोई खिड़की नहीं थी, इस कारण यहाँ आयोजित किसी भी सभा में शामिल सदस्यों का संपर्क, उनके यहाँ रहने के दौरान; बाहरी दुनिया से कटा रहता था।
डोलोरेस और मैथ्यू बड़ी स्क्रीन के सामने प्रवेश द्वार के तिरछी ओर के दूसरे कोने में बैठे थे। एमा ने डेविड का मैथ्यू से परिचय कराया। दोनों गर्मजोशी से मिले, फिर एमा एक ओर चली गई।
मैथ्यू ने डेविड से पूछा – “मैंने फाईल में आपकी बहादुरी के कई कारनामें पढ़े हैं। आपने अमेरिकी नौसेना क्यों छोड़ी, क्या बहुत खून-खराबा देख लिया?”
डेविड ने हाज़िर जवाबी से कहा – “नहीं, बस दूसरों का कुछ ज़्यादा ही खून बहा दिया।”
मैथ्यू ने मुस्कुराते हुए कहा – “तुम साफ़-सुथरे और मज़ाक पसंद इन्सान हो, पहली मुलाक़ात में ही तुम मुझे जँच गए।”
जवाब में डेविड भी मुस्कुराया।
फिर डेविड और एमा स्क्रीन के बगल में अपनी-अपनी सीट पर बैठ गए। आगे क्या होगा, जानने के लिए वे पहले ही से तैयार थे। लाल पौशाक पहने, डोलोरेस के पास बैठी महिला ने उसे कुछ कागज़ात सौंपे।
“धन्यवाद, हेदर। मैं तुम्हारे बिना अधूरी हूँ?” डोलोरेस हमेशा अपने अधीनस्थों की सराहना करती रहती थी। हेदर एक बहुत ही भरोसेमंद सचिव थी।
डोलोरेस को देखकर एमा के स्मृतिपटल पर पुराने दिनों के चित्र उभरने लगे। देश के लिए लड़ना, मातृभूमि की रक्षा करना। उसकी नौकरी जोख़िमों से भरी किन्तु कुछ विशेष थी। उसने अपनी आख़री नौकरी जोख़िमों के कारण नहीं अपितु व्यक्तिगत कारणों से छोड़ी थी। उसे मायूसी ने बुरी तरह से जकड़ लिया था। यदि वह उस नौकरी में निरंतर बनी रहती तो, हो सकता था कि उसकी अंतरात्मा मर जाती या फिर वह दिमाग़ी तौर पर अवचेतन अवस्था में पहुँच जाती और जिसके कारण शायद वह कभी वापस सामान्य अवस्था में नहीं आ पाती और शायद वह डेविड को खो बैठती, क्योंकि इस सदमे से वह या तो मर जाता या फिर अनंतकाल के लिए उससे दूर हो जाता; दोनों में से जो भी पहले होता, बुरा ही होता। वह तो डेविड ही था जिसने उसके मन-मस्तिष्क पर छाये विषाद के बादलों को हटा कर उसके अंतर्मन में वापस रोशनी भर दी। डेविड के प्यार भरे व्यवहार और उसके देखने के अंदाज़ से ही एमा की सारी उलझनें सुलझ जाती थी।
मैथ्यू के सावधानीपूर्वक अपने नोट्स की समीक्षा करने के बाद लैपटॉप पर कुछ टाइप करते ही, उससे कनेक्टेड बड़ी स्क्रीन पर एक भौगोलिक मैप उभरा जिस पर कई स्थानों को लाल रंग के बिन्दुओं से चिन्हित किया गया था। जिस ज़मीन को चिन्हित किया गया था वह समुद्र से लगी हुई थी; भूमि पर इसकी सीमाओं को एक पीली रेखा द्वारा चिह्नित किया गया था। निचले दाएँ कोने पर, सफ़ेद स्याही में “गाज़ापट्टी” लिखा था। ऊपरी बाएँ कोने पर, लाल बिंदुओं से “हमलाग्रस्त – स्थान” लिखा था। सारे लाल बिन्दु, पीली रेखा के अंदर ही बिखरे हुए थे। नक्शे पर लाल बिन्दुओं की बड़ी संख्या गंभीर चिंता का विषय थी।
मैथ्यू ने गंभीरता से बोलना शुरू किया–
“गाज़ापट्टी में निर्दोष और हानिरहित लोगों की स्थिति निरीह भेड़ों जैसी है। अब कल्पना कीजिए, उन पर हमला किया जा रहा है। किसके द्वारा उम्म… भेड़ियों, इज़राइल के द्वारा और फिर, हमास नामक ये अन्य भेड़िये हैं, जो दावा करते हैं कि वह रक्षा करने वाले श्वानों की तरह निर्दोष मवेशियों की ख़तरनाक भेड़ियों (इज़राइली सेना) से रक्षा कर रहे हैं।”
“लेकिन वास्तव में, वे मवेशियों की रक्षा नहीं कर रहे हैं – यह दो भेड़ियों के झुंड के बीच का युद्ध है। ये बेचारे तो बस, इन भेड़ियों के बीच की जंग में फँस गए हैं और प्रतिदिन उनका क़त्ल किया जा रहा है।”
मैथ्यू ने विस्तार से गाज़ापट्टी की दुर्दशा के सच का वर्णन किया। भयानक सच का। फिर उसने उन्हीं कुछ बातों को दोहराया, जो एमा को ब्रीफिंग के दौरान बताई गई थी, ताकि वे बातें डेविड की जानकारी में भी आ सकें। “सूत्रों के स्पष्ट दावे के बावजूद, इज़राइल, युध्द-विराम के उल्लंघन से साफ़ मुकर रहा है। हमारी दुविधा यह है कि अन्य स्रोत दावा कर रहे हैं कि युद्ध-विराम हमास ने तोड़ा है। आपका मिशन विश्वसनीय स्रोतों से तथ्यात्मक जानकारी हासिल करना है, जिसे हम अभी तक प्राप्त करने में असफल रहें हैं। वर्तमान में, हमारे पास जो भी जानकारी हैं, उनका आधार सिर्फ़ समाचार-माध्यमों की ख़बरें ही हैं।
डेविड और एमा ने सारी बातें, जिज्ञासावश इतने गौर से सुनी और समझी कि इस दौरान उनकी आँखों की पुतलियों के अलावा शरीर का कोई भी अंग नहीं हिला, यहाँ तक कि माँसपेशियाँ भी नहीं।
डेविड ने अपनी कोहनी मेज़ पर रख कर, उस पर अपनी ठोड़ी को टिकाते हुए सवाल किया – “हम एक ऐसे स्थान पर घुसपैठ कैसे करेंगे, जहाँ किसी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं है?”
डोलोरेस के पास फील्ड-इंचार्ज का प्रभार था। कुछ देर में स्क्रीन पर छवि एक ग्राफ में बदल गई। उसने स्क्रीन पर अपनी कलम से इशारा करते हुए कहा – “संयुक्त राष्ट्रसंघ कार्यालय के मानवीय मामलों के समन्वयक (UNOHCA) ने बताया है, कि कुछ दिनों में, गाज़ापट्टी के निवासियों को भोजन, पीने के पानी, दवाओं और बुनियादी जरूरतों की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्रसंघ ट्रकों के माध्यम से वहाँ संसाधनों की आपूर्ति की व्यवस्था करेगा। ऐसा करने के लिए इज़राइल के साथ युद्ध-विराम शुरू किया जाएगा। आप दोनों, उन ट्रकों में छिपकर जाएँगे। ट्रक संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्कूलों में रुककर सामान उतारेंगे, जहाँ आपको सकीना मिलेगी। आगे हेदर बतायेगी।
स्क्रीन पर, गुलाबी-गोल चेहरा, उभरे हुए गालों वाली एक महिला ऊपर से आधे माथे तक हिज़ाब से ढँकी, दिखाई पड़ी। एमा ने सकीना को एक झटके में पहचान लिया।
डोलोरेस के निर्देशों का पालन करते हुए, हेदर ने आगे कहा, “ये है – सकीना हमाद। एक गैर-उग्रवादी झुकाव वाली पूर्व-फिक्सर। आपके (एमा) माध्यम से वह एक वर्ष के लिए हमारी मुख़बिर थी परन्तु आज की तारीख़ में उसके किसी भी गोपनीय एजेंसी से किसी भी प्रकार के ताल्लुक़ात की कोई जानकारी नहीं है। उसके साथ आपके पुराने और घनिष्ठ संबंधों के कारण ही हमें आपकी आवश्यकता है, ताकि आप (‘घोषित आरोपों’) के बारे में, जैसे भी संभव हो, उससे सही जानकारी प्राप्त कर सकें।
एमा को यकीन नहीं हुआ, उसने पूछा – “आपको कैसे पता चला कि उसके पास हमारे काम की कोई भी जानकारी है?”
डोलोरेस ने कमान संभाली – “क्योंकि वह शरणार्थी-शिविर में काम करते हुए, आसपास होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर काफ़ी करीब से दृष्टि रख सकती है। इसके अलावा, उसका जेठ, सुल्तान हमाद, जो पहले एक छोटा-मोटा उचक्का था, अब एक प्रमुख हमास लीडर भी है।”
“ओह, ठीक है,” अब एमा के दिमाग़ में तस्वीर एकदम से स्पष्ट हो रही थी। कुल मिलाकर, इस मिशन में शामिल होने के लिए उसके पास अब यह भी एक और उचित कारण था।
“हम तुमको बातचीत करने के लिए नकद राशि देंगे। हम उससे बिना किसी प्रोत्साहन के सहयोग की अपेक्षा नहीं कर सकते। यदि वह ऐसी जानकारी आपको देती है, जिसके कारण उसे देशद्रोही करार दिया जा सकता हो या ऐसी ही कोई जानकारी जो वह आपको दे, तो आप उसे और उसके परिवार के लिए उसकी पसंद के किसी और देश में उन्हें आश्रय देने का प्रस्ताव दे सकती हो या उसकी ईच्छा के अनुसार उसे अन्य कोई और ऑफर दे सकती हो।”
अब मैथ्यू ने सच्चाई से कहा, “आपके द्वारा दी गई जानकारी स्थायी संघर्ष-विराम को लागू कराने में काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। युद्धरत, दोनों पक्षों में से, कोई भी दोषी हो सकता है।” वह थोड़ा रुका और चेहरे पर कठोरता के भाव लिए बोलना जारी रखा–
“देखिये, इस दुनिया में सब कुछ एक षड्यंत्र के तहत रचा गया है। हमें यह जानने की ज़रूरत है कि इसमें किसकी क्या भूमिका है। मुझे इसकी परवाह नहीं है कि इसके लिए कौन दोषी है, कौन नहीं। हमें तो बस इस नृशंस हत्याकांड को रोकना है।”
एमा ने अपनी आँखों में महत्वाकांक्षा के भाव लिए जोश से भरकर कहा – “हम इसे ज़रुर रोकेंगे।”
डेविड ने उसका हाथ थाम लिया; वे इस मिशन में अब एक साथ थे। एक और मिशन… अधिक से अधिक मानव-जीवन की भलाई के लिए।
इसी दौरान, मैथ्यू का हाथ फिसला और गलती से लैपटॉप की एक ‘की’ दबने से स्क्रीन पर तेज़ी से काफ़ी चित्र बदलते गए और छवियों का एक स्लाइड शो, शुरू हो गया।
पहली छवि एक ज़मींदोज मकान के मलबे की थी। कुछ पुरुष मलबे में फँसे एक युवक को बाहर निकाल रहे थे। उसका चेहरा सीमेंट की गाद से सना था। बगल में पड़े कपड़ों के ढेर में आग लगी हुई दिख रही थी। वे लोग शायद उसे ज़िन्दा जलने से बचा रहे थे। मलबे में उसके पीछे एक और युवक था। उसका आधा शरीर सीमेंट और लोहे की सलाखों के स्लैब के नीचे दबा था। अपने ऊपरी शरीर को कोहनियों पर टिकाकर वह तड़प रहा था। उसका चेहरा इतना रक्तरंजित था कि उसकी त्वचा का रंग पहचानना मुश्किल था। स्क्रीन पर छवि फिर बदली।
दूसरी छवि थोड़ी कम विचलित करने वाली थी, जिसमें एक व्यक्ति मिसाइल के हमले से गलियारे की टूटी हुई बालकनी से बाहर निकलता हुआ दिख रहा था। इसकी दीवारों का रंग ऐसा दिखाई दे रहा था मानों ग्रहण लगे सूर्य से काली किरणे आकर वहाँ ठहर गईं हों।
तीसरी छवि में, लाल स्वेटर पहने हुए एक बच्चे का हाथ था, जो मलबे के ढेर से बाहर निकला हुआ था। बगल में मलबे के ऊपर एक गुलाबी रंग का जूता पड़ा दिखाई दे रहा था।
इन दृश्यों को देखना किसी की भी सहनशक्ति से बाहर की बात थी। मैथ्यू के लैपटॉप स्क्रीन बंद करते ही, कनेक्टेड बड़ी स्क्रीन स्वतः ही बंद हो गई।
“हे भगवान!” वह बौखला गया। “मुझे खेद है, ये सब आपके देखने लायक नहीं थे।”
और डेविड, वह ये सब देखकर शोकमग्न होकर कुछ क्षणों के लिए चुप हो गया, फिर उसने क्रोधित हो, अपने मन के उद्गार प्रकट किए–
“युद्ध में वर्षों भाग लेने के बाद, लगता है कि आपको खून-खराबा देखने की राक्षसी-आदत हो गई है परन्तु ऐसे दृश्य देखकर जो दुःख का एहसास होता है, वह इंगित करता है कि आप के हृदय में थोड़ी मानवता अभी भी शेष है।”
डोलोरेस ने उसे समभाव से सांत्वना दी।” डेविड, हम सभी तुम्हारे क्रोध का कारण समझते हैं। और इसीलिए चाहे हमारे जीवन में कितनी भी कठिनाईयाँ हो उनको भूलकर, हम दिनभर काम में मशगूल रहते हैं।”
कमरे में हर कोई उसकी बात से सहमत था, इसी कारण सबके सर स्वतः ही सहमति में हिल रहे थे। अंत में सभा समाप्त करने की मंशा से मैथ्यू बोला–
“आज के लिए बस इतना ही काफ़ी है।”
बैठक ख़त्म हो चुकी थी। एमा उठ खड़ी हुई, अपनी नोटबुक बंद की, उसे अपने लैपटॉप बैग में वापस रखा और डेविड के साथ बाहर निकलने के लिए आगे बढ़ गई। डोलोरेस और मैथ्यू बाहर तक उन्हें छोड़ने के लिए पीछे-पीछे गए। वहाँ सिर्फ़ हेदर, एक अच्छी सचिव की भांति, कागज़ समेटने के लिए रुकी हुई थी।
डोलोरेस, डेविड और एमा को अंतिम निर्देश देते हुए बोली–
“जाने की तारीख़ अभी तक निश्चित नहीं हुई है, लेकिन कुछ ही दिनों में जाना होगा। प्रस्थान के लिए अभी से कमर कस लो, तुम दोनों।”
दोनों ने उनसे हाथ मिलाया और कक्ष से बाहर चले गए। जब वे लिफ्ट की ओर बढ़ रहे थे, डोलोरेस ने उन्हें फिर गौर से देखा; उसकी आँखों में डर का एक संकेत था। मैथ्यू ने जितना हो सके उतना अपने स्वर को धीमा रखते हुए कुछ कहा-
“उन्हें कुछ अंदाज़ा भी है?”
डोलोरेस ने कहा – “नहीं।”
इस दुनिया में सब कुछ षड्यंत्र ही तो है। यहाँ तक कि सप्ताहाँत की छुट्टियों की अवधारणा भी कार निर्माता फोर्ड द्वारा इसलिये बनाई गई थी, ताकि लोगों के पास कार चलाने के लिए अधिक समय हो, जिसके परिणामस्वरूप कारों की बिक्री भी अधिक हो। लोगों की स्वतंत्रता की भावनाओं का, अपने फायदे के लिए छलपूर्वक उपयोग का यह एक सुन्दर उदहारण था।
डोलोरेस इस मिशन के लिए दोनों को चाहती थी। अन्य सभी एजेंट कहीं से कोई भी जानकारी निकालने में विफल रहे थे। सकीना केवल एकमात्र स्रोत नहीं बचा था, लेकिन केवल वह ही एक थी, जो उनकी कसौटी पर खरा उतर सकती थी। वह किसी अकेले रिटायर्ड एजेंट को फील्ड में नहीं भेज सकती थी। डेविड उसकी आपातकालीन योजना का हिस्सा था। वह उसे व्यक्तिगत रूप से जानती थी और उसे पूर्वानुमान था कि डेविड एमा को अकेले नहीं जाने देगा। उसका अनुमान बिलकुल सही था। जब तक आप लगभग ‘अचूक’ नहीं हो जाते, तब तक आप एक शीर्ष स्तरीय सीआईए कार्यकारी अधिकारी नहीं बन सकते। वह लोगों को अच्छी तरह समझती थी, इसी एक गुण के कारण वह शीर्ष पर पहुँची थी।
वह मैथ्यू से बोली – “मैट, मुझे ये दोनों सही सलामत और ज़िन्दा वापस चाहिए, किसी भी हाल में।”
अध्याय ९
“यदि किसी को डर ने जकड़ लिया हो तो, तो उस डर को परास्त करने के लिए हिम्मत और कर्म करना ही होता है।”
– रेनर मारिया रिल्का
एमा और डेविड पति-पत्नी की तरह बिस्तर में चादर ओढ़ कर लेटे हुए थे। डेविड, एमा की आँखों में ऑंखें डालकर उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए, उसे निहार रहा था। वह मानसिक रूप से वर्तमान से अनुपस्थित थी। एमा की आँखें इतनी स्थिर थी कि जैसे वह कहीं देख ही नहीं रही थी।
“कहाँ खोयी हुई हो?” डेविड ने एमा का मन हल्का करने की मंशा से उसके बालों को प्यार से सहलाते हुए पूछा।
वह धीरे से बोली – “मैं सोचना बंद नहीं कर पा रही हूँ।”
“किस बारे मेँ?” डेविड ने मधुर स्वर में पूछा।
एमा ने बिस्तर से उठकर शर्ट पहनते हुए कहा-
“यही कि, मैंने, सीआईए में ही नौकरी करना क्यों चुना?” डेविड भी एमा की तरह बिस्तर पर बैठ गया।
एमा ने बताना शुरू किया–
“१९७४ में, मरीना अब्रामोविच नामक महिला कलाकार ने भीड़ के सामने एक बुत की तरह खड़े रहने के प्रयोग का प्रदर्शन किया। मरीना ने यह घोषणा की थी कि चाहे दर्शक उसके साथ कैसा भी बर्ताव करे, वह छः घंटे तक अपनी प्रस्तुति नहीं रोकेगी। उसने अपने सामने की मेज़ पर भिन्न-भिन्न प्रकार की बहत्तर वस्तुएँ रखीं। उन वस्तुओं का इस्तेमाल दर्शक अपनी पसंद के अनुसार अच्छे अथवा बुरे उद्देश्य में से किसी के भी लिए कर सकते थे। उसने फूल, चाकू से लेकर भरी हुई पिस्तौल तक सभी तरह की वस्तुएँ वहाँ रखीं। फिर उसने दर्शकों को उन वस्तुओं का उपयोग उसके ऊपर, दर्शकों की इच्छानुसार करने के लिए आमंत्रित किया। कहते-कहते एमा की आँखों में खौफ़ दिखाई देने लगा पर उसने कहना जारी रखा–
“शुरू में दर्शक शांत और शर्मीले थे, लेकिन उनका व्यवहार जल्दी ही बदल गया। उन्होंने उसके कपड़े काट दिए, उसके पेट में गुलाब के कांटे चुभा दिए। एक समय तो ऐसा आ गया जब एक दर्शक ने बंदूक उठाकर उसकी नाल उस कलाकार की ओर घुमा दी और ट्रिगर पर उस कलाकार की ही उंगलियाँ रखवा दी। वहाँ का माहौल ख़तरनाक रूप से उत्तेजनात्मक हो गया था लेकिन वह अपने प्रण पर अटल और कला के प्रति इतनी समर्पित थी कि वह वहाँ से हिली तक नहीं। शुक्र है कि एक अन्य दर्शक ने बंदूक वहाँ से हटा दी। छह घंटे के बाद, जब वह खड़ी हुई और दर्शकों की ओर चलना शुरू किया, तो वे आमने-सामने की स्थिति से बचते हुए उससे दूर भागने लगे। यह एक ऐसा भयानक रहस्योद्घाटन था कि लोगों के मन में ऐसी असामान्य परिस्थितियों में राक्षसी व्यवहार करने की क्षमता होती है। जो स्वयं की रक्षा हेतु पलटकर वार नहीं करता है, उनके साथ आसानी से अमानवीय व्यवहार किया जा सकता है। यह मनुष्य के दयापूर्ण स्वभाव के बिलकुल विपरीत बात थी। वे समाज के सामान्य लोग थे, लेकिन उन्होंने उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया।” बोलते-बोलते एमा की ऑंखें भर आयी और आँसू की कुछ बूंदें उसकी शर्ट पर गिरी, लेकिन उसने बोलना जारी रखा–
“इस घटना ने जीवन के प्रति मेरा नज़रिया ही बदल दिया डेविड, हालाँकि उस समय मेरी उम्र बहुत कम थी, लेकिन मुझे ये अच्छी तरह से एहसास हुआ कि वहाँ मरीना जैसे बहुत से निरीह लोग थे, जो स्वयं की रक्षा करने में सक्षम नहीं थे। मैं ऐसे लोगों के लिए संघर्ष करना चाहती थी और जीवन के बिखरे हुए विचारों को एकत्र कर समस्याओं को हल करने के लिए कुछ उपाय करना चाहती थी।”
डेविड ने उसे प्यार से अपनी ओर खींचा। उसने डेविड को कसकर पकड़ लिया और उसके सीने पर अपना सर रखकर उसी अवस्था में चिपक कर सिसकती रही। उसके आँसू पोंछते हुए डेविड ने उसके माथे को चूमा। डेविड के मन में यह विचार आया कि कभी-कभी हमें किसी भयानक राक्षस से मुक़ाबला करने या उसे समाप्त करने के लिए राक्षसी तरीक़े अपनाने ही पड़ते हैं, लेकिन ये उसने एमा से नहीं कहा। यदि अपने विचार दूषित या संक्रमित हो जायें तो, यही बेहतर है कि उसे किसी और के साथ बांटा ना जाये।
डोलोरेस से उनकी मुलाकात को दो दिन हो चुके थे। हॉलिडे मूड में रहते हुए, डेविड और एमा ने डोलोरेस की ओर से मिलने वाले अगले आदेश की प्रतीक्षा करते-करते मिशन पर जाने के लिए अपने-आप को मानसिक रूप से तैयार कर लिया था।
कुछ देर बाद, एमा ने स्वयं को डेविड से अलग किया और चहलकदमी करने लगी। डेविड को ड्रिंक की तलब महसूस हुई लेकिन उसे उठकर लाने में थोड़ा आलस आ रहा था। वह कुछ देर बिस्तर में ही पड़ा रहा।
लिविंग रूम में, एमा ने एक क़िताब निकाली और सोफे पर बैठ गई। क़िताब किसी पुरानी डायरी की तरह दिख रही थी। उसके पन्ने पलटते हुए वह मंद-मंद मुस्कुराने लगी और जब उसे बीच-बीच में कुछ याद आ जाता तो वह ज़ोर से हँसने लगती। पन्ने पलटते हुए उसने डेविड की आवाज़ सुनी–
“पुरानी यादें ताज़ा हो रहीं हैं?”
बोलते हुए वह कपड़े पहन कर टहलता हुआ बेडरूम से बाहर एमा के पास आया। एमा ने पन्ने पलटना जारी रखा। एमा को उसके जीवन की जो भी यादें उचित लगती थीं, उसे वह एक डायरी के रूप में सहेज कर रखती थी। उसने डेविड को दिखाने के लिए कुछ पन्नों को वापस पलटा। एक तस्वीर में वह जन्मदिन पर हेट पहने केक के सामने बैठी मुस्कुराती हुई दिख रही थी।
“उस समय, मैं बारह साल की थी।”
कहते हुए उसने कुछ और पन्ने पलटे। एक तस्वीर पर उसकी नज़र अटकी, यह उनकी प्रोम पार्टी की तस्वीर थी। उस तस्वीर में एमा क्रीम कलर के डांस गाउन में और डेविड काले सूट पर लाल टाई बांधे, उसका हाथ थामें नज़र आ रहा था।
डेविड ने उनकी उस तस्वीर को देखते ही कहा–
“उस रात को हमने न जाने क्या-क्या शैतानियाँ की थी।”
एमा भी बोली – “हाँ, वह एक मज़ेदार रात थी।”
कुछ पन्ने पलटने के बाद उसकी नज़र एक और तस्वीर पर अटक गई। यह उस समय की तस्वीर थी जब डेविड अपने पहले सैनिक-अभियान से वापस आया था। इसमें दोनों अलिंगनबद्ध दिखाई दे रहे थे। इसे देखकर कुछ क्षणों के लिए ख़ामोश होने के बाद फिर कुछ पन्ने पलटे। उस समय की ताज़ा घटनाओं के उल्लेख सहित कुछ दुखद यादें भी जुड़ी थीं। उनके विवाह के दिन की मधुर यादें फिर से ताज़ा हो गईं। उसमें कुछ तस्वीरों में वह और डेविड जीवन का पहला डांस करते हुए एक साथ, उसके माता-पिता, उसकी ब्राइड्समैड्स आदि दिखाई दे रहे थे। मौन रहकर, इन्हें देखते हुए उसने कुछ तस्वीरों को प्यार से छुआ और पुरानी यादों में चली गयी।
डेविड को एहसास हुआ “हमने ज़िन्दगी में साथ में कितना कुछ देखा है ना।”
“हाँ, बहुत कुछ,” एमा ने सहमति में फुसफुसाते हुए कहा।
अचानक बेडरूम के अंदर से, फोन बजने की आवाज़ आयी।
एमा ने कहा – “मैं देखती हूँ।” फोन अटेंड करने के लिए जाते हुए वह डायरी को खुला ही छोड़ गई।
डेविड का मन अब थोड़ी सी व्हिस्की के लिए मचल रहा था, इसलिये उसने उठकर मिनी-बार से अपने लिए एक ड्रिंक तैयार किया और टीवी के सामने बैठ गया। बेडरूम के भीतर से किसी से बात करते हुए उसे एमा की धीमी आवाज़ सुनाई पड़ी। फिर एमा फोन को पकड़े ही बाहर आई और कहा – “डोलोरेस थी।”
डेविड एक पल में समझ गया था कि उस कॉल का क्या मतलब था।
“कब?”
“कल रात।” एमा ने जवाब दिया। “इज़राइल ने रसद पहुचाने के लिए युद्ध-विराम के लिए सहमति दी है।”
“बेहतर होगा कि हम जाने की तैयारी कर लें,” डेविड ने अनमने भाव से कहा।
“हम तैयार हैं।” एमा ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा।
डेविड ने एक शब्द भी नहीं कहा; बस गुमसुम हो गया। वे दोनों एक अच्छी और शांत रात बिता रहे थे पर डोलोरेस के फोन ने हवा का रुख ही बदल दिया।
एमा ने डेविड की भावनाओं को महसूस किया। वह जानती कि ऐसी स्थिति में क्या करना होता है और उसके पास पहुँचकर बोली-
“एक फोन कॉल की वजह से हमारी रात बर्बाद नहीं होनी चाहिए।”
वह किचन में चली गई। डेविड भी थोड़ी देर बाद अंदर आ गया; वह खाना बना रही थी। उसने उसके हाथ को पकड़कर चूमा।
उन्होंने एक साथ डिनर बनाया, एमा की यादों की डायरी हॉल में खुली रखी थी। व्हिस्की पीने के कारण डेविड को समय से पहले नींद आ गयी। एमा ने उसे जल्दी से बिस्तर पर लिटा दिया।
डेविड के जल्दी सो जाने से एमा ने विचार-मंथन किया। वह अपनी अनिश्चित स्थिति के बारे में सोचती हुई घर के अंदर चक्कर पर चक्कर लगाये जा रही थी। क्या वह आने वाले संकट से बच पायेगी या फिर इसका परिणाम बहुत ही आपदापूर्ण होगा?
एमा अकेले में कुछ देर रोई। शीशे के सामने आकर स्वयं को देखते हुए उसने आँसू पोंछे और जबड़े भींच लिए। अपनी बेचैनी और डर को शांत करते हुए एमा ने मन मारते हुए खुद को एक जासूस की तरह ढाला। वह निकट भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में कुछ भी अंदाज़ा लगाने में अपने-आप को असहाय महसूस कर रही थी। क्या यह मिशन वास्तव में इस युद्ध को समाप्त करने में सफल होगा?
एक ख़ामोश रात बहुत सारे सवाल लेकर आती है। जब सारी दुनिया रात के अंधेरे में शांति से सो रही होती है तब हमें हमारे अंतर्मन में छिपे, सबसे बुरे विचारों की ध्वनि स्पस्ट रूप से सुनाई देती है और हम अपनी आशंकाओं से रूबरू होते हुए, उन्हें भय के केनवास पर अपनी कल्पनाओं के अनुसार चित्रित करने में लग जाते हैं। उसे महसूस हुआ, कि वह अकेली अब और इस परिस्थिति का सामना नहीं कर पायेगी। कुछ राहत पाने की मंशा से उसने एक नंबर डायल किया।
उधर से एक महिला की प्रश्नात्मक आवाज़ सुनाई दी।
“हेलो?”
“हाय माँ! कैसा चल रहा है?” एमा ने प्रसन्नता से पूछा, उसे खुशी हुई कि फोन उसकी माँ ने उठाया था।
“वही पुरानी घिसीपिटी बातें, जैसी पहले थीं। तुम और डेविड कैसे हो?”
“अच्छे हैं। डैड घर पर हैं?”
तुम उन्हें जानती तो हो, अपने जुआरी दोस्तों के साथ पोकर खेलने गए हुए हैं।
“माँ।” वह हिचकिचाते हुए बोली। उसकी माँ ने उसके स्वर में छुपी वेदना को पहचाना।
“क्या हुआ मेरी बच्ची?” एक माँ हमेशा अपने बच्चों के दिल का हाल जानती है।
“मेरी नौकरी से सम्बंधित बात है। गोपनीय होने के कारण इस पर कुछ चर्चा नहीं कर सकती। हालाँकि हमने उस काम के लिए पहले से ही सहमति दे दी है, लेकिन उसके परिणामों की आशंकाओं से डर लग रहा है। काम वास्तव में महत्वपूर्ण है, कई जीवन इस पर निर्भर करते हैं। मुझे पता नहीं है कि अगर हम असफल होते हैं तो क्या होगा? लगभग सारा कुछ बुरा हो सकता है।” उसके स्वर घबराहट के कारण कंपकंपा रहे थे।
“हम्म, तुम जिस काम के बारे में बात कर रही हो, उससे कई लोगों के जीवन के बचने की उम्मीद है, ऐसा तुमने कहा?” उसकी माँ ने पुष्टि करनी चाही।
एमा ने जवाब में कहा – “हाँ माँ, अगर हम कामयाब होते हैं तो।”
उसने फिर पूछा – “और तुम खुद पर शंका कर रही हो, क्यों? इसलिये कि वह काम कठिन है। मेरी बच्ची, मैंने तुम्हारी परवरिश इस तरह से नहीं की है कि तुम घबरा जाओ। क्या मैंने की है इस तरह से?” तुमने और तुम्हारे पति ने इस देश की तन-मन से पूरी निष्ठा के साथ सेवा की है और अब इस काम को करके, तुम स्वर्गदूतों की तरह सारी दुनिया की सेवा करोगे। डरो मत, मेरी बहादुर बच्ची। तुम्हारे अंदर हमेशा से ऐसी सकारात्मकता है, जो किसी भी विपरीत परिस्थिति में चमत्कारिक परिणाम ला सकती है।”
“धन्यवाद, माँ। लेकिन आज दुनिया में इतने ज़्यादा षड्यंत्र रचे जा रहे हैं, जितने पहले कभी नहीं रचे गए। मुझे डर है कि मैं इस मिशन के बाद पहले जैसी रह पाऊँगी या नहीं। मेरा विश्वाश डगमगा रहा है।” एमा के स्वर में चिंता साफ़ झलक रही थी। उसे पसीना आ रहा था।
उसकी माँ ने जवाब दिया। “क्या तुम्हें बाईबल की वह आयतें याद हैं, जो मैं तुम्हें हमेशा सुनाया करती थी?”
एमा ने कहा – “ठीक वैसी की वैसी नहीं पर हाँ, उनका मतलब याद है।”
उसकी माँ ने बाईबल की वे पंक्तियाँ दोहराई–
“तुम पृथ्वी पर अपने लिए ख़ज़ाना इकठ्ठा मत करो, क्योंकि या तो ये जंग लगने से नष्ट हो जायेगा या इसे कीट नष्ट कर देंगे या फिर चोर इसमें सेंध लगाकर इसे लूट लेंगे। तुम स्वर्ग के लिए ख़ज़ाना इकट्ठा करो, वहाँ ना तो कीट-पतंगे इसे नष्ट कर पायेंगे और ना चोर ही इसे चुरा पाएँगे। वहाँ, जहाँ तुम्हारा ख़ज़ाना होगा वहीं तुम्हारा हृदय भी होगा। तुम्हारे सकारात्मक विचार ही अंतर्मन में उजाला करते हैं। यदि तुम्हारी सोच अच्छी है तो सारा हृदय प्रेम से आलोकित होगा। और तुम्हारी नियत यदि अच्छी नहीं है तो तुम्हारे हृदय के भीतर अंधकार ही अंधकार होगा। यदि तुम्हारे भीतर जो प्रकाश है, उसे तुम अंधकार समझ रहे हो, तो सोचो वह अंधकार कितना महान है। कोई भी व्यक्ति एक साथ दो ऐसे स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, जिनमें से एक से वह नफ़रत करता हो और दूसरे से प्रेम। एक के प्रति स्वामिभक्ति प्रदर्शित करता हो और दूसरे के साथ धोखा। ठीक इसी तरह तुम ईश्वर और धन की एक साथ भक्ति नहीं कर सकते।”
“शुक्रिया माँ। अपने बहुत सारगर्भित बातें बताई।” एमा ने कहा, अब उसका मन हल्का हो गया था।
कॉल समाप्त करने के ठीक पहले उसकी माँ ने कहा – “तुम मेरी ईश्वरीय प्रकाश से आलोकित बेटी हो, मैं तुम्हें बहुत प्रेम करती हूँ। तुम दुखियों के लिए आशा की एक उजली किरण हो, शुभरात्रि।
अध्याय १०
“कभी-कभी ईश्वर आपको युद्ध में, इसे जीतने के लिए नहीं; बल्कि इसे समाप्त करने के लिए भेजता है।”
– शैनन एल एल्डर
सूर्यास्त देखना उन्हें बहुत प्रिय था। शीतल पवन और निर्मलता के स्पर्श से, धुंधला आसमान धीरे-धीरे स्याह हो चला था। संघर्षपूर्ण मिशन पर जाने के पूर्व एमा और डेविड के जीवन की ये अंतिम शांतिपूर्ण संध्या थी। चौड़ी डामर की सड़क पर आज कारों की संख्या कम थीं। संध्या का सुरम्य परिदृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे न्यूयॉर्क के क्षितिज के साथ, मुकाबले में किसी ने कोई जादुई पेंटिंग रख दी हो।
काले रंग की बीएमडब्लू-७ सीरीज़ कार, पिछली सीट पर बैठे अपने आशंकित यात्रियों के साथ हवाई अड्डे की ओर तेजी से बढ़ रही थी। डेविड और एमा ने लंबी यात्रा के लिए अनुकूल कपड़े पहन रखे थे। हाथों के नीचे दबी एमा की उंगलियाँ कांप रही थी। आँखें मूंदे डेविड के इयरफोन से एमिनेम का “लूज़ योरसेल्फ” गाना सुनने की आवाज़, एमा को भी धीमे-धीमे सुनाई पड़ रही थी। डेविड ने बाहर के दृश्य का आनंद लेते हुए गीत को बंद किया और अपना हाथ एमा के हाथ पर प्यार से रख दिया। एमा ने भी प्रतिउत्तर में अपनी हथेली उसके हाथ पर रख दी। अब दोनों, कार की खिड़की से खुले आकाश की ओर देख रहे थे।
ड्राइवर केनेथ, एक मिलनसार व्यक्ति था। उसकी बढ़ती उम्र और उसके मिशन की वास्तविकता से परिचित होने पर भी उसके उत्साह में कोई कमी नज़र नहीं आ रही थी। “आप दोनों वापस कब लौटोगे?” उसने पूछा।
“हमें पता नहीं है, केनेथ। ज़्यादा से ज़्यादा एक सप्ताह में।” एमा ने जवाब दिया।
“बहुत अच्छा।” केनेथ बोला।
डेविड बातचीत में शामिल हुआ। “धीमे-धीमे आती हुई रात कितनी शांत लग रही है? क्यों है ना केनेथ, तुम्हारा क्या ख़याल है?
“वास्तव में, सर आप जैसा सोच रहे हैं ठीक वैसा ही है, इस आकाश की विशालता को देखते हुए कभी-कभी मुझे लगता है कि हम सामाजिक रूप से कितना भी हासिल कर लें, चाहे हम कितने भी अमीर बन जाएँ, हम प्रकृति की तुलना में कुछ भी नहीं हैं।” केनेथ ने एक अस्तित्वगत धारणा के साथ जवाब दिया। “प्रकृति, हम सबकी दुर्जेय माँ। हमेशा से अपने बच्चों के अत्याचारों को सहती हुई, अपने-आप को बचाए जाने का इंतज़ार करती हुई।”
डेविड से रहा नहीं गया। वह बोला – “हम मनुष्य अज्ञानी और आत्म-विनाशकारी हैं। जितना प्रेम पृथ्वी हमसे करती है, काश हम भी उतना प्रेम उससे करें।”
“काश डेविड, काश।” केनेथ ने सहमति व्यक्त की।
कुछ देर बाद, वे एयरपोर्ट के निजी हैंगर पर पहुँचे। उनके लिए तैयार बोइंग – ७६७ जेट के पास उनके साथी पहले से ही उनका इंतज़ार कर रहे थे। डेविड और एमा ने जाने से पहले केनेथ को धन्यवाद दिया और जल्द ही उससे मिलने का वादा किया।
उनके आगमन पर गर्मजोशी से सबने आपस में हाथ मिलाते हुए एक-दूसरे का अभिवादन किया। फिर वे विमान में सवार हो गए।
ये विमान अन्य बोइंग – ७६७ मॉडल से कुछ अलग था। इंटीरियर पूरी तरह से कोरे ऊन के रंग का बिज़नेस-क्लास था। इसमें कोच की सीटों के बजाय आरामदायक सोफे, पीछे की तरफ़ लगाई गई तीन पंक्तियों में आरामदायक चेयर्स और मिनीबार होने से एक विमान की अपेक्षा किसी होटल के शानदार बिजनेस सुइट जैसा दिखाई दे रहा था। एक गुप्त राजनयिक मिशन के लिए कई देशों के प्रतिनिधि यहाँ एकत्रित हुए थे। जैसे-जैसे वे विमान के अंदर आ रहे थे वैसे-वैसे ही उनकी निर्धारित कुर्सियों की ओर जा रहे थे। कुछ लोग पहले से ही अपने स्थान पर बैठे काम पर लगे हुए थे। एमा और डेविड के जोड़े को डोलोरेस के डेस्क के पास बैठने के लिए कहा गया था। वे वहाँ ‘डोलोरेस माइकल’ की नेम प्लेट को देखकर पहुँचे। शीघ्र ही, उनका संपर्क हेदर, डोलोरेस, हेनरी और दो अन्य राजनयिकों से हुआ। वे हेनरी ब्लैंक के साथ काहिरा में युद्ध-विराम के लिए बातचीत करने वाले थे।
अड़तीस साल की अमाह बेल, एक ब्रिटिश-लेबनानी वकील थी। वह एक हॉलीवुड अभिनेता की पत्नी थी और मानव अधिकारों की वकालत करने के लिए विख्यात थी। उसका बनाव-श्रृंगार हमेशा एक सेलिब्रिटी की तरह का होता था। इन्टरनेट पर उसके श्रृंगार-पैटर्न को खोजने और उसको फॉलो करने वालों की एक अच्छी-खासी तादात थी। वह कई दर्जन पत्रिकाओं के लेख और फोटोशूट में, आकर्षण का मुख्य केन्द्र हुआ करती थी।
ब्रिटेन से आये पचास वर्षीय अधिवक्ता, डंकन जोन्स भी यहाँ उपस्थित थे। उनका चेहरा योगियों जैसा और कद थोड़ा छोटा था। सभी अपेक्षित यात्रियों के आ जाने के बाद विमान के द्वार बंद कर दिए गए और स्पीकरों से एक औपचारिक उद्घोषणा सुनाई दी – “देवियों और सज्जनों, शुभ संध्या। मैं करेन टेम्पल, आज रात आपकी परिचारिका हूँ। कृपया अपनी सीट पर बैठ जाएँ और अपने सीट बेल्ट बांध लें। हम टेक-ऑफ करने वाले हैं। हम न्यूयॉर्क से काहिरा तक की, पाँच हज़ार छह सौ दो मील की दूरी, बिना रुके, दस घंटे और चालीस मिनट में पूरी करेंगे। कृपया टेक-ऑफ के लिए अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को बंद कर दें। धन्यवाद, हम आपकी सुखद-यात्रा की कामना करते हैं।”
सभी यात्री अपनी निर्धारित सीटों पर बैठ गए। विमान ने एक हल्के झटके के साथ हवा में उड़ान भरी। जैसे ही विमान निर्धारित ऊँचाई पर पहुँचा, सीट बेल्ट बांधने के संकेत बंद हो गए। यात्रियों ने अपने अत्यधिक तनावपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया। उनसे किसी भी काम को मुकम्मल तरीके से पूर्ण करने की अपेक्षा की जाती थी। विशेष सदस्यों के अलावा किसी को भी पूरे मिशन की पेचीदगियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। महत्वपूर्ण मिशन की बातें जितनी गुप्त रहें, उतनी ही बेहतर है। इस ख़ुफ़िया व्यवस्था के कर्ता-धर्ता, हेनरी ब्लैंक और डोलोरेस माइकल थे।
सीट-बेल्ट बांधने के संकेतों के बंद होने के साथ ही-डंकन, हेनरी और हेदर, डोलोरेस और अमाह के पास से उठकर अलग चले गए।
डेविड ने अपना सीट बेल्ट खोला और डोलोरेस के डेस्क की ओर बढ़ गया। “हाय, मैथ्यू दिखाई नहीं दे रहा?” उसने पूछा।
“वह लैंग्ले में बैठकर पूरे ऑपरेशन की देख-रेख कर रहा है, कृपया बैठें।” डोलोरेस ने जवाब दिया। डोलोरेस के बगल में बैठी काले बालों वाली सुन्दर वकील, डेविड की ओर आकर्षित हुई और उसने उससे बातचीत शुरू की। आप और आपकी पत्नी, जो कार्य कर रहें हैं, मैं उसकी सच्चे हृदय से सराहना करती हूँ।”
“धन्यवाद,” डेविड बोला। फिर डेविड ने डेस्क पर बिखरे कागज़ातों पर एक नज़र डाली और आशंकित होकर पूछा – “सब ठीक तो है?”
डोलोरेस चाहती थी कि डेविड निडर होकर अपने काम पर ध्यान केन्द्रित करे।
“हाँ, सब ठीक है। वे युद्ध-विराम के लिए सिर्फ़ कुछ कागज़ी कार्रवाई पूरी कर रहे हैं। मेरी डेस्क पर काफ़ी जगह थी इसलिये मैंने अमाह को यहाँ बैठने को कहा था।” उसने डेविड की शंका दूर करते हुए कहा।
“ओह, ठीक है।” डेविड ने कहा।
कुछ ही देर में, अमाह के बगल वाली सीट पर आकर बैठते हुए, एमा भी वार्ता में शामिल हो गई। कागज़ातों को देखते हुए, डेविड को एहसास हुआ कि इस कभी ना ख़त्म होने वाले युद्ध को रोकने हेतु किए जाने वाले प्रयासों की परिस्थितियाँ, कितनी परिश्रमपूर्ण और थका देने वाली होती है। ऐसा लगता है कि इज़राइल और फ़िलिस्तीनीयों के बीच की नफ़रत का कभी कोई अंत नहीं होगा?
उत्सुकतावश, डेविड ने पूछा – “ये सब कैसे शुरु हुआ, इतने सारे लोगों के मारे जाने के बाद भी ये मसला अभी तक क्यों हल नहीं हुआ? शांति-स्थापना के लिए आशा की एक किरण भी नज़र नहीं आती।
अमाह ने कहा, “दरअसल, यह संघर्ष ज़्यादातर भूमि से सम्बंधित है। ज़मीन को आप न तो बना सकते हैं, ना पैदा कर सकते हैं और ना ही यहाँ से कहीं इसे स्थानांतरित कर सकते हैं। और इस मामले का सबसे विवादस्पद पहलु ये है कि, दोनों पक्षों में से कोई भी इस ज़मीन को किसी से साझा नहीं करना चाहता।”
डेविड ने अपने कंधे उचकाए, उसके पास कहने को कुछ भी नहीं था।
अमाह, एक सहृदय व्यक्तित्व की स्वामी होकर, पारदर्शिता और ज्ञान में विश्वास करती थी। अपनी भौंहों को उठाते हुए उसने कहा, “क्या आप वास्तव में उन घटनाओं की श्रृंखला जानना चाहते हो, जिनके कारण आप इस पल यहाँ उपस्थित हैं?” फिर वह फुसफुसाई और आँख मारते हुए बोली, “लगभग सौ वर्षों से यह सिलसिला चला आ रहा है।”
वे सभी अपना मुँह दबाकर हँस पड़े। अमाह के व्यक्तित्व से एमा भी प्रभावित हुए बिना ना रह सकी। वह बोली – “हमारी जानकारी के लिए, हम तथ्यों से परिचित होना चाहते हैं।”
अमाह ने सभी श्रोताओं के कयासों को चकमा देते हुए कहा – “ठीक है, बस आप लोगों की जानकारी के लिए, मैं निष्पक्ष होकर यथासंभव, इसके बारे में बताने का प्रयास करूँगी।”
विमान निर्बाध गति से अपने गंतव्य की ओर अग्रसर था और उसके भीतर ये सब बातें चल रही थी।
विमान की खिड़की के बाहर रात में जहाँ तक नजरें जाती, आकाश में धुंधली चाँदनी के कारण चमकते हुए चक्कर लगाते, छोटे-छोटे बादलों के टुकड़े ऐसे लग रहे थे जैसे आकाश में कोई जादुई खेल चल रहा हो और तारे ऐसे नज़र आ रहे थे जैसे करोड़ों लालटेन टिमटिमाते हुए आकाश में तैर रहें हों।
अमाह ने, मामले के प्रति अपने गहन अध्ययन को साझा करते हुए कहा – “उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में, यूरोपीय यहूदियों को एहसास हुआ कि उन्हें यूरोप छोड़ने, और अपने लिए किसी ऐसे स्थान को खोजने की आवश्यकता है, जहाँ वे स्थायी रूप से अपना स्वयं का राज्य स्थापित कर बस सकें। यहूदी राष्ट्रवाद के इस विचार को ‘ज़ायोनीवाद’ के रूप में जाना जाता है। ज़ायोनीवादी धर्मनिरपेक्ष यहूदी थे। वे यहूदियों के लिए एक देश तो चाहते थे, लेकिन उनका मानना था कि, ये ज़रूरी नहीं कि वह केवल एक यहूदी देश हो।” अमाह के आकर्षक भाषण को सभी एकाग्रचित्त हो, सुनने लगे।
उसने बोलना जारी रखा, “१९१७ में ब्रिटिश सरकार ने यहूदी लोगों का समर्थन पाने की उम्मीद में २ नवंबर को ‘बालफोर घोषणा’ जारी की। यह यूनाइटेड किंगडम के विदेश सचिव, आर्थर जेम्स बालफोर, वाल्टर राथ्सचाइल्ड, और ब्रिटिश-यहूदी समुदाय के एक नेता द्वारा जारी किया गया था। “बालफोर घोषणा” में यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय घर, फ़िलिस्तीन में स्थापित करने का वादा किया गया था।”
फ़िलिस्तीन उस समय तक ओटोमन साम्राज्य का एक हिस्सा था, क्योंकि वे अभी तक प्रथम विश्व युद्ध में हारे नहीं थे, लेकिन जल्द ही, हारने वाले थे।”
अमाह, श्रोताओं को जानकारी आत्मसात करने के लिए कुछ समय देना चाहती थी, इसलिये उसने अपनी वाणी को थोड़ा विराम दिया। एमा को कुछ याद आया और वह बोली – “मैंने कहीं पढ़ा है कि अंग्रेजों ने फ़िलिस्तीन को स्वयं को और अन्य अरब राज्यों को फ्रांस को देने का वादा किया था।”
अमाह ने सहमति में सिर हिलाया; उसने कहा, “हाँ, ठीक एक साल पहले और १९१५ में, उन्होंने मक्का के शासक शरीफ हुसैन से वादा किया था कि अगर उन्होंने तुर्क शासन के ख़िलाफ़ अरब विद्रोह का नेतृत्व किया तो फ़िलिस्तीन सहित एक अरब राज्य पर उनका शासन होगा, जो उन्होंने किया। देखिये कैसे, अंग्रेजों ने, जो संभव नहीं था उससे भी अधिक के लिये वादा कर दिया। उन्होंने ‘फ़िलिस्तीन’ को मक्का के शासक को, खुद को और साथ ही ज़ायोनी लोगों को भी देने का वादा कर दिया। लेकिन जब अंग्रेजों ने युद्ध जीता, तो उन्होंने इस विचार के साथ फ़िलिस्तीन में एक कॉलोनी स्थापित की, कि वे वहाँ तब तक शासन करेंगे, जब तक कि फ़िलिस्तीनी लोग, अपने देश में शासन करने के क़ाबिल नहीं हो जाते।
उन्होंने ईसाई, मुसलमानों और यहूदियों के लिए अलग-अलग संस्थान स्थापित किए, जिससे फ़िलिस्तीनी-ईसाइयों और मुसलमानों के लिए आपस में सहयोग करना कठिन हो गया और आसान हो गया…फूट डालो और राज करो।” अमाह ने कहा।
अमाह अपने भाषण में मग्न थी। वह इस बारे में अच्छी तैयारी करके आयी थी। उसने इससे सम्बंधित हरेक पहलु का सूक्ष्मता से अध्ययन किया हुआ था। यह चर्चा अब रोचक रूप ले रही थी। डेविड ने घड़ी की ओर देखते हुए सवाल किया, “तो, यहूदियों ने अपना राज्य प्राप्त करने का प्रबंध कैसे किया?”
अमाह ने जवाब दिया, “अंग्रेजों ने सही परिस्थितियों में ‘बालफोर घोषणा’ को लागू करने का प्रयास किया। १९२० और १९३९ के बीच, फ़िलिस्तीन में रह रहे यहूदियों की आबादी ३२०,००० से अधिक हो गई। १९३८ तक यहूदी, फ़िलिस्तीन की आबादी का लगभग तीस प्रतिशत थे।
धीरे-धीरे, यहूदी लोगों ने गैर-फ़िलिस्तीनी अरब जमींदारों से ज़मीन खरीदने और फिर वहाँ रहने वाले किसानों को बेदखल करने पर ध्यान केंद्रित किया।”
वे, यहूदी लोगों के तरीकों से थोड़ा हैरान थे, जो अधिक क्षेत्र हासिल करने में कामयाब रहे।
अमाह ने बोलना जारी रखा, “श्रम और भूमि दोनों को नियंत्रित करके, वे एक अधिक सुरक्षित समुदाय की स्थापना की उम्मीद करते थे, लेकिन इस कारण १९२० और १९३० के दशक के दौरान यहूदियों और अरब फ़िलिस्तीनीयों के बीच तनाव बढ़ता गया। इस बीच, फ़िलिस्तीनी-अरब, राष्ट्रवाद की बढ़ती भावना के साथ खुद को फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के रूप में देखने लगे थे।
१९३६ में, फ़िलिस्तीनी अरबों ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया। यहूदी-नागरिक सेना की मदद से अंग्रेजों ने जीत हासिल की। युद्ध के बाद, उन्होंने फ़िलिस्तीन के लिए यहूदी आव्रजन को सीमित करने के लिए एक श्वेत पत्र’ जारी किया और दस वर्षों में फ़िलिस्तीन में एक संयुक्त अरब और यहूदी राज्य की स्थापना का वचन दिया।”
कुछ शंका के कारण डोलोरेस बीच में बोली, “उस समय यह बहुत परेशानी का कारण साबित हुआ होगा” उसके विचार से श्वेतपत्र जारी करना कोई बहुत अच्छा उपाय नहीं था।
अमाह ने कहा, “बिलकुल सही, एक ओर ज़ायोनी यूरोप छोड़ते समय, आप्रवास को सीमित किए जाने से काफ़ी नाराज़ थे। वहीं दूसरी ओर फ़िलिस्तीनी एक राष्ट्र के लिए दस साल तक इंतज़ार करने की बातों से नाखुश थे।”
एमा ने समझा कि अराजक घटनाओं की इस श्रृंखला के बाद, द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ। उसने पूछा, “द्वितीय विश्व युद्ध में फ़िलिस्तीन की भूमिका क्या थी?”
अमाह ने कहा, “द्वितीय विश्व युद्ध के समय फ़िलिस्तीन में शांतिपूर्ण माहौल था, लेकिन युद्ध के बाद, संघर्ष फिर से शुरू हो गया। अंग्रेजों के लिए फ़िलिस्तीनी मुद्दा, फायदे की अपेक्षा नुकसानदेह ज़्यादा था। इसलिए, उन्होंने इस मुद्दे को नवगठित संयुक्त राष्ट्रसंघ के हवाले कर दिया। १९४७ के नवंबर में, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने फ़िलिस्तीन को अलग-अलग फ़िलिस्तीनी और यहूदी राज्यों में विभाजित करने के पक्ष में मतदान किया। मेरी व्यक्तिगत राय में सीमाएँ अजीब थीं, लेकिन भूमि का विभाजन आकार में लगभग बराबर था।”
अमाह पानी पीने के लिए रुकी। एमा ने कहा, “फिर, अगले साल, पहला अरब-इज़राइल युद्ध छिड़ गया।”
“हाँ, फ़िलिस्तीन के साथ कई अरब राज्य थे और इज़राइल अकेला युध्द लड़ रहा था। युद्ध के बाद, इजरायलियों के हिस्से में एक तिहाई ज़मीन उससे ज़्यादा आयी, जितनी संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपनी घोषणा में इज़राइल के लिए प्रस्तावित कर रखी थी।
डेविड ने पूछा, “गाज़ा के बारे में क्या किया गया?”
अमाह ने कहा, “गाज़ापट्टी पर मिस्र का नियंत्रण था। पश्चिमी तट और यरूशलेम के पुराने शहर पर जॉर्डन का कब्ज़ा था। सात लाख से अधिक फ़िलिस्तीनी अपने घरों को छोड़ने और पड़ोसी अरब देशों में शरणार्थी बनने के लिए मजबूर कर दिए गए। और इस तरह, इज़राइल का जन्म हुआ।”
“और फ़िलिस्तीन के बारे में क्या किया गया?” डेविड ने फिर पूछा।
“वह एक तबाही थी; वे राष्ट्रविहीन हो गए। उन्होंने इसे ‘नाकबा’ कहा,” अमाह ने जवाब दिया। उसने कहा,” अगले अठारह वर्षों में, सीमाएँ अपरिवर्तित रहीं। फिर, १९६७ में, प्रसिद्ध ‘छह दिनों का युद्ध’ हुआ। इज़राइल फिर जीता और उसे पश्चिमी तट, गाज़ा, सिनाई प्रायद्वीप और गोलन हाइट्स पर नियंत्रण प्राप्त हुआ। फिर, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ‘प्रस्ताव २४२’ पारित किया जिसमें शांति बहाल करने के लिए एक बुनियादी ढांचे की रूपरेखा तैयार की गई थी, जिसके अनुसार इज़राइल को, युद्ध में हासिल किए गए क्षेत्र से हट जाना था और युद्ध में शामिल सभी पक्षों द्वारा, दोनों, फ़िलिस्तीनी और इज़राइल को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देनी थी। और इतिहास गवाह है, कि ऐसा नहीं हुआ। ‘संकल्प २४२’ के बाद, जो युद्ध मोटे तौर पर अरब-इज़राइल संघर्ष के रूप में परिभाषित था, अब इज़राइल-फ़िलिस्तीन युद्ध में परिवर्तित हो गया।
एमा बीच में बोली – “पीएलओ के बारे में क्या किया गया?” उसे लगा कि बीच में कुछ छूट गया है।
“बात यह है कि १९६४ में प्रसिद्ध फ़िलिस्तीनी नेता, यासर अराफ़ात के नेतृत्व में फ़िलिस्तीनी मुक्ति मोर्चे (पीएलओ) का गठन किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि पीएलओ में बहुत सारे ईसाई भी शामिल थे, क्योंकि उस समय काफ़ी संख्या में ईसाई, अल्पसंख्यकों के रूप में, फ़िलिस्तीन में रह रहे थे।”
डेविड ने पूछा, “क्या पीएलओ एक उग्रवादी संगठन था?”
“हाँ, उस समय वहाँ, छापामार समूहों का अस्तित्व था, जिन्होंने नागरिकों पर हमले किए, लेकिन उन्होंने फिलीस्तीन राज्य को प्राप्त करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके अपनाने की भी कोशिशें की थी।”
“इस बीच, इज़राइल की सरकार ने पूर्वी यरुशलम, पश्चिमी तट और गाज़ापट्टी सहित फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में यहूदी बस्तियों को बसाना शुरू कर दिया था।”
अब बातचीत में कुछ गरमाहट सी आ गई थी।
डोलोरेस ने पूछा, ‘इन्तिफादा’ के बारे में क्या कहना है?”
“१९८० में, फ़िलिस्तीन ने पहले ‘इंतिफादा’ को आरम्भ किया।” इसकी शुरुआत इज़राइली उत्पादों और सेवाओं के बहिष्कार और इज़राइली करों का भुगतान करने से इंकार करने से हुई। लेकिन जब इज़राइली सेना ने प्रदर्शनकारियों पर शिकंजा कसना शुरू किया, तो प्रतिरोध ने हिंसक, बहुत हिंसक रूप ले लिया। और हाँ, हमारे प्यारे ‘हमास’ की स्थापना भी १९८० में ही हुई थी।” उसने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा। “हमास को उनके उग्रवाद के कारण कम लेकिन सामाजिक-कल्याण परियोजनाओं के कारण ज़्यादा समर्थन मिला। गाज़ा में, उन्होंने बहुत से स्कूल, मस्जिद, और क्लीनिक बनवाये।
पहले ‘इंतिफादा’ के बाद ही पहली बार शांति वार्ता शुरु हुई। और इसी के कारण १९९३ के ओस्लो समझौते और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ‘संकल्प २४२’ पर आधारित शांति-प्रक्रिया प्रारंभ हुई।”
एमा ने फिर बातचीत में हस्तक्षेप किया, “उस दौरान उनके समक्ष इतने सारे अनसुलझे मुद्दे थे, जिनके कारण ओस्लो समझौते में बहुत जटिलता आ गई थी।”
“हाँ, यहूदी बस्तियों का मुद्दा, और फ़िलिस्तीन में वापस लौटने के लिए फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के अधिकार, पानी के अधिकार, जो वहाँ एक बहुत बड़ा और संवेदनशील मुद्दा है।” अमाह ने कहा।
डोलोरेस ने बातचीत में अपनी जानकारी साझा की, “बिल क्लिंटन वार्ता से इज़राइल और फ़िलिस्तीन के बीच शांति समझौते की संभावनाएँ बहुत निकट आ गयीं थी। लेकिन उसके बाद से स्थिति बद से बद्तर होती चली गई।”
अमाह ने अब बिल क्लिंटन वार्ता का एक गहरा और विशाल रूप प्रस्तुत किया, “क्लिंटन वार्ता विफल रही; प्रधान मंत्री एहुद बराक की सरकार को कमज़ोर माना गया, और सन २००० के सितंबर माह में, पीएम उम्मीदवार, एरियल शेरोन ने एक हज़ार सशस्त्र गार्डों के एक समूह के साथ जेरूसलम के पवित्र मंदिर, जो मक्का और मदीना के बाद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता था, के अंदर घुसकर हमला किया। इसने फ़िलिस्तीनीयों को दूसरा ‘इंतिफादा’ करने पर मजबूर किया और इसके दौरान इतनी ज़्यादा मारकाट हुई, जिसमें तीन हज़ार फ़िलिस्तीनीयों और एक हज़ार से अधिक इज़रायलियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। दूसरे ‘इंतिफादा’ के बाद, २००२ में, नागरिकों के बचाव में कार्रवाई करने का दावा करने वाले इज़राइल ने पश्चिमी तट के चारों ओर एक दीवार का निर्माण शुरू किया। ‘छह-दिवसीय युद्ध’ के बाद स्थापित सीमाओं का पालन करने के बजाय, इज़राइल की ओर से कई इज़राइली बस्तियों को शामिल करने के लिए बेरियर्स का निर्माण किया गया था।
इज़राइल के दावे के अनुसार, यह आत्मरक्षा के लिए किया गया था; लेकिन फ़िलिस्तीन के लिए, यह एक ज़मीन हड़पने वाला अवैध-कृत्य था।”
बातचीत में इतनी बातें अन्तर्निहित थी, कि डेविड संशय में पड़ गया, उसने कहा, “यह सुनकर कहना बहुत ही मुश्किल है कि सही कौन है और ग़लत कौन?
अमाह ने व्यंग्य करते हुए चुटकी ली – “आमतौर पर लोग एक का पक्ष लेते हैं, और दूसरे को दोष देते हैं।”
अमाह की अब तक बात समाप्त नहीं हुई थी। वह बोली-
“२००५ में यासर अराफ़ात का निधन हो गया। इसके कुछ समय बाद हुए चुनावों में ‘हमास’ ने संसदीय सीटों पर बहुमत हासिल कर लिया। तब से, हमास और फ़िलिस्तीनी अधिकारियों के मध्य फ़िलिस्तीन पर शासन करने के तरीके को लेकर मतभेद बने हुए हैं।
डेविड ने पूछा, “फिर वे शासन कैसे कर रहे हैं?”
“कमज़ोर प्रशासनिक व्यवस्था के साथ।” अमाह ने कहा। उसने कारण बताते हुए आगे कहा – “क्योंकि पिछले दस वर्षों में, हमास अक्सर इज़राइल के ऊपर लगातार रॉकेट दागता रहा है और इज़राइल, फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में अंदर तक घुसकर बेहद भारी और हिंसक आक्रमण करते हुए, इसका जवाब देता रहा है। इन हमलों में हज़ारों की तादात में लोग मारे गए, उनमें से कई उग्रवादी थे और कई निर्दोष। और यही कारण है कि आज हम यहाँ हैं, निर्दोष लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए।”
डोलोरेस का मन अवसाद से भर गया था। उसने अपने मन की बात कही, “दोनों दल एक-दूसरे पर उकसावे का जवाब देने का दावा करते हैं, लेकिन अधिकांश संघर्ष, विपरीत पक्षों की वैधता को समझने में, सभी पक्षों की लगातार विफलता को दर्शाता है।
फ़िलिस्तीनी लोगों को इज़राइल के गठन के बाद से ही नहीं बल्कि उससे पहले के दशकों से भी एक राज्य से वंचित रखा गया है, और अब वे एक पूरी तरह से सैन्य छावनी में तब्दील हुए इलाके में रहने को मजबूर हैं।
अमाह ने जवाब में कहा, “संयुक्त राष्ट्रसंघ की व्यवस्थाओं के अनुसार, इज़राइली-यहूदी लोगों को स्पष्ट रूप से एक मातृभूमि की ज़रूरत है। और निश्चित रूप से सैन्य जीत के माध्यम से अपने क्षेत्र को मज़बूत करने और बढ़ाने वाला वह पहला राष्ट्र नहीं है। उन्हें अपने पड़ोसियों द्वारा, उनके ख़िलाफ़ खड़े किए गए, कई सक्रिय खतरों के ख़िलाफ़, अपनी मातृभूमि की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।”
इन प्रतिस्पर्धी राष्ट्रवादी दृष्टिकोणों के आंतरिक तर्क को समझना महत्वपूर्ण है। दोनों यहूदीवादी और फ़िलिस्तीनी हितों की दृष्टि से काम करने के लिए, प्रत्येक के अधिकार और उनके ऐतिहासिक कथन, दोनों की वैधता को समझना आवश्यक है। बस मुझे इतना ही कहना है।”
एमा ने अपना पक्ष रखा लेकिन इसका कोई निष्कर्ष तो निकला ही नहीं सिवाय एक स्पष्टीकरण के। लेकिन सफ़र की थकान और वार्ता समाप्त होने के कारण, वे सभी उठकर अपनी-अपनी सीटों की तरफ़ आराम करने के लिए चले गए। हवाई जहाज के अंदर रोशनी कम कर दी गई और यात्रियों ने अपनी आँखें बंद कर लीं; उनमें से कुछ ने नींद को चुना, तो कुछ ने इस बखेड़े के ख़त्म होने के लिए किए जाने वाले ‘जागते हुए इंतज़ार’ को।
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