मेरी रिहाई के सातवें दिन की सुबह साढ़े छह बजे के करीब मैं अचानक नींद से जाग उठा । मैं सपना देख रहा था कि मैं वापस जेल में हूँ । मुझे यह बात समझने में कुछ समय लगा कि असल में मैं अपने बेडरूम में था और नीना मेरे बगल में सो रही थी ।
मैं पीठ के बल लेटे हुए छत को घूरता रहा । मैं सोचने लगा कि पिछले सात दिन से मैं विचार कर रहा था कि मैं अपनी रिजक कमाने के लिये क्या करने वाला था । मैं सारे अखबारों को पहले ही छान चुका था और जैसी मुझे उम्मीद थी कि वहाँ पर मेरे लिये कुछ नहीं था । क्यूबिट का प्रभाव किसी ऑक्टोपस के फंदे की तरह मुझे चारों तरफ से जकड़ने लगा था । यहाँ तक कि छोटे से लोकल अखबार भी मुझे छूते हुए डरते थे ।
मैंने अपने बगल में सो रही नीना की तरफ देखा । मैंने उससे जेल जाने के सवा दो साल पहले शादी की थी । उस वक्त वो बाईस साल की थी और मैं सत्ताईस साल का था ।
उसके घुंघराले बाल गहरे रंग के और त्वचा का रंग हाथी दाँत के रंग की तरह था । यह बात हम दोनों समझते थे कि दुनिया के पैमाने के हिसाब से वह बहुत खूबसूरत नहीं थी पर मैंने उसे उस वक्त भी कहा था और आज भी मैं यह मानता हूँ कि वह मेरे लिये दुनिया भर की औरतों में सबसे हसीन औरत थी । उसे सोते हुए देख कर मैं यह समझ सकता था कि उसे मेरे कारण कितना कुछ सहन करना पड़ा था । उसकी आँखों के पास झुर्रियों की लकीरें दिखाई दे रही थीं । उसके होंठ मुरझा गए थे जबकि मैं जेल में सजा काटने गया तो उस वक्त ऐसा नहीं था । वह अब हर पल उदास दिखती थी : पुराने दिनों में वह सोते समय इस तरह से कभी नहीं दिखाई दी ।
उसने बहुत बुरा वक्त देखा था, यह हकीकत थी । मैंने अपने ज्वाइंट अकाउंट में तीन हजार डॉलर्स उसके लिये छोड़े थे लेकिन वे सब तेजी से खत्म हो गए । उस पूंजी का बड़ा हिस्सा मेरे वकील की फीस और घर की आखिरी किस्त में खर्च हो गया और फिर उसे काम की तलाश करनी पड़ी ।
उसे कई नौकरियां करनी पड़ी । फिर आखिरकार, जैसा कि रेनिक ने मुझे बताया, उसने अपनी कला में अपना हुनर खोजा । उसने एक ऐसे आदमी के पास नौकरी की, जो टूरिस्टों को मिट्टी के सजावटी बर्तन बेचता था । वह मिट्टी के बर्तन बनाता और नीना उसे सजाती । वह पिछले एक साल से, साठ डॉलर्स प्रति सप्ताह कमा रही है । जैसा उसने मुझे बताया इतने पैसे काफी थे, हमारे गुजारे के लिये और तब तक मैं दोबारा कोई काम शुरू कर सकता था ।
अब मेरे अकाउंट में सिर्फ दो सौ डॉलर्स बचे थे । जब वो खत्म हो जाते या मुझे नौकरी नहीं मिलती, तब मुझे बस के किराये के लिये या सिगरेट के लिये उससे पैसे मांगने पड़ते । ऐसा करने के विचार ने ही मुझे घोर निराशा से भर दिया ।
पिछले दिनों, इसी निराशा के चलते, मैंने कोई छोटी- मोटी नौकरी ढूँढने की कोशिश की – कुछ भी जिससे मुझे थोड़ी बहुत आमदनी हो सके ।
लगभग सारा दिन धक्के खाने के बाद, मैं घर खाली हाथ लौट आया । मैं पाम-सिटी में काफी जाना पहचाना था इसलिए छोटी मोटी नौकरी हासिल कर पाना मेरे लिये मुश्किल था । जिन लोगों के पास ऐसा कोई ऑफर था तो जब उन लोगों ने मुझे देखा तो वे लोग झेंप गए ।
“अरे, मिस्टर बार्बर, आप मज़ाक कर रहें हैं ।” उन्होंने मुझसे कहा । “यह काम आपके लिये नहीं है ।”
मुझमें ये बताने की हिम्मत नहीं थी कि मैं अंदर से कितना टूट चुका था । फिर भी जब कभी मैंने ये सुना, मैं ठहाका लगा कर वहाँ से चला आया और उन लोगों ने राहत की सांस ली ।
“तुम क्या सोच रहे हो, हैरी ?” नीना ने करवट बदलते हुए मेरी तरफ देख कर पूछा ।
“कुछ नहीं – मैं जरा सुस्ता रहा था ।”
“मुझे पता है तुम कोई फालतू की चिंता कर रहे हो, जो तुम्हें नहीं करनी चाहिए । हम अपना काम चला लेंगे । हम हफ्ते के साठ डॉलर्स में आसानी से गुजारा कर सकते हैं । हम भूखे तो नहीं मरने वाले । तुम जरा धीरज से काम लो । देर-सवेर तुम्हें नौकरी मिल ही जाएगी ।”
“और जब तक मैं ढंग की नौकरी मिलने का इंतजार करूँ, मुझे तुम पर बोझ बनना पड़ेगा ।” मैंने कहा । “खैर, बढ़िया है, मुझे इन हालात में खुशी मिल रही है ।”
उसने अपना सिर उठाकर मुझे घूरा । उसकी गहरी आँखों में बेचैनी साफ झलक रही थी ।
“हम जीवन भर के साथी हैं, हैरी । जब तुम्हें नौकरी मिल जाएगी तो मैं अपना काम छोड़ दूँगी । क्योंकि तुम्हारे पास अब नौकरी नहीं है तो इसलिए मैं काम करती हूँ । इसी तरीके से हमारा साथ चलना चाहिए ।”
“यह सब मुझे समझाने के लिये शुक्रिया ।”
“हैरी, तुम मुझे चिंता में डाल रहे हो । शायद तुम्हें इसका अंदाजा न हो लेकिन तुम बहुत बदल गए हो । तुम अब कितने कठोर और कड़वाहट से भर गए हो । तुम्हें अतीत भूलने की कोशिश करनी चाहिए । हमें अपनी जिंदगी साथ में बितानी है और तुम्हारा ये व्यवहार ...”
“मैं जानता हूँ ।” मैं बिस्तर से बाहर निकला । “मुझे इसका अफसोस है । हो सकता है, अगर तुमने साढ़े तीन साल जेल में बिताए होते, तुम भी उसी तरह से महसूस करती, जैसा मैं करता हूँ । मैं कॉफी बना कर लाता हूँ । कम से कम वो काम तो मैं इन दिनों कर ही सकता हूँ ।”
मैं तुम्हें जिसके बारे में बता रहा हूँ, यह सब दो साल पहले घटा था । इस सबके बारे में सोचते हुए और इस पर सही ढंग से विचार करते हुए, मुझे महसूस होता है कि मैं काफी कमजोर किस्म का किरदार था । मैं देख सकता हूँ कि मैंने इस पूरे घटना-क्रम और जेल की सजा को अपने ऊपर हावी होने दिया । मैं कठोर और चिड़चिड़ा नहीं था । आत्म-ग्लानि मुझे खाये जा रही थी ।
अगर मुझ में हिम्मत होती तो अपने बंगले को बेच सकता था और नीना के साथ मैं ऐसी जगह जा सकता था जहाँ मुझे कोई जानता न हो और अपने लिये एक नए कैरियर की शुरुआत कर सकता था । लेकिन इसकी बजाय मैं उस नौकरी को ढूँढता रहा जो मेरे लिये इस शहर में कहीं नहीं थी और अपने आप को एक शहीद के तौर पर पेश करता रहा ।
अगले दस दिनों तक मैं एक अस्तित्व-विहीन, अदृश्य नौकरी की तलाश में भटकने का नाटक करता रहा । मैं नीना को यह जाहिर करता कि मैं सारा दिन उसकी तलाश में घूमता रहा लेकिन यह झूठ था । कुछ फोन मिलाने और वहाँ से नकार दिये जाने के बाद, मैं नजदीक के किसी बार में पनाह पाता था ।
जब मैं एक कॉलम्निस्ट के तौर पर काम करता था तब मैं ज्यादा पीने का आदी नहीं था लेकिन अब मैंने कुछ ज्यादा ही पीनी शुरू कर दी थी । व्हिस्की मेरे लिये गमों को भूल जाने का एक जादुई सहारा बन गई थी । पाँच छह जाम मेरे अंदर जाने के बाद मुझे किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता था । फिर मुझे इस बात की भी कोई शर्मिंदगी नहीं होती थी कि मेरे पास नौकरी है या नहीं । मैं घर लौट सकता था और किसी नकारा आदमी के एहसास हुए बिना, नीना को गुलामों की तरह अपने काम में लगा हुआ देख कर बर्दाश्त कर सकता था ।
मैंने जाना कि शराब पीने के बाद, बिना किसी अपराध-बोध के, उससे झूठ बोलना भी बड़ा आसान था ।
“मैं एक आदमी से आज सुबह बात कर रहा था और ऐसा लगता है कि हम कोई डील कर सकते हैं ।” मैंने उसे बताया । “वह मुझसे उसके होटल के बारे में आर्टिकल्स की एक श्रृंखला लिखवाना चाहता है लेकिन उसे अपने पार्टनर से बात करनी पड़ेगी । अगर बात पक्की होती है, हर हफ्ते इसके लिये मुझे तीन सौ डॉलर्स दिये जाएँगे ।”
ऐसा कोई आदमी नहीं था, न कोई पार्टनर और कोई होटल नहीं था, पर ऐसा झूठ मेरी अहमियत बनाये रखता और मेरे अहम के लिये यह जरूरी था कि नीना यह सोचे कि मैं अब भी उनके लिये जरूरी था । यहाँ तक कि जब मुझे उससे दस-दस डॉलर मांगने के लिये मजबूर होना पड़ता तो मैं अपनी इज्जत बचाने के लिये उसे तसल्ली देता कि मेरे पास जल्द ही पैसे होंगे ।
लेकिन लगातार बोले गए मेरे झूठ पुराने हो गए और कुछ समय के बाद मुझे लगने लगा कि जब भी मैं नीना से झूठ बोलता था तो वह पहले से जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ । उसने मुझ पर विश्वास करने का ढोंग किया और यहीं पर वह गलत साबित हुई । उसे मेरा झूठ बताना चाहिए था और हो सकता है कि इससे मैं अपने ख्वाबों की दुनिया से बाहर आ पाता । लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए मैं शराब पीता रहा, झूठ बोलता रहा और फिर आखिर में कहीं का नहीं रहा ।
तभी एक शाम, जब मैं समुद्री बीच के सामने एक बार में बैठा हुआ था, तब यह सारा वाकया शुरू हुआ, जो मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ ।
छह बजने से कुछ पहले का वक्त था । मैं पूरी तरह से नशे की गिरफ्त में था । मैं आठ पैग गटक चुका था और नौवें के आने का इंतजार कर रहा था ।
वो बार छोटा था, उसमें ज्यादा शोर-शराबा नहीं था और रख-रखाव भी अच्छा नहीं था । मुझे यह पसंद था । मैं एक कोने में बिना किसी व्यवधान के बैठ सकता था । खुली खिड़की से बाहर का नजारा कर सकता था और बीच पर लोगों को मौसम का आनंद उठाते हुए देख सकता था । मैं पिछले पाँच दिनों से यहाँ का रेगुलर ग्राहक था । यहाँ का गंजा, मोटा और विशालकाय बारमैन मुझे जानता था । वो शराब के लिये मेरी जरूरत को जानता हुआ प्रतीत होता था । जैसे ही मैं एक ड्रिंक खत्म करता, वो दूसरा मेरे सामने पेश कर देता था ।
बार में पीने वाले ज्यादा नहीं थे । समय-समय पर कोई आदमी या औरत अंदर दाखिल होता, एक जाम अपने हलक से नीचे उतारता और कुछ मिनट वहाँ रुकने के बाद वहाँ से चला जाता । वे सब मेरी तरह थे – बिना किसी ठौर-ठिकाने के, तन्हा और अपना वक्त बिताने की कोशिश करते हुए ।
एक कोने में, मेरी मेज के पास और बार से दूर, एक टेलीफोन बूथ था । उस बूथ में लोगों का आना-जाना लगातार लगा हुआ था । लोग आते, अपनी कॉल करते और बाहर चले जाते – आदमी, औरतें, लड़के और लड़कियां । वो बूथ, बार का सबसे व्यस्त हिस्सा था ।
जब मैं बैठा लगातार पी रहा था, वहाँ से मेरी बूथ पर लगातार नजर थी । उस आवाजाही की वजह से मुझे कुछ करने को मिला । मैं नशे में बैठा सोचने लगा कि कौन थे वे लोग जो अपने आप को उस शीशे के दरवाजे में बंद कर लेते थे । वे लोग किससे बातें कर रहे थे ?
मैं उनके चेहरे पर आने वाले भाव देखने लगा । उनमें से कुछ बात करते हुए मुस्कुराते थे : कुछ परेशान हो जाते थे । उनमें से कुछ ऐसे दिखाई देते थे कि जैसे वे झूठ बोल रहे हों, जैसे मैं अविश्वास से भरे झूठ बोल रहा था । वह सब मेरे लिये किसी स्टेज पर चल रहे नाटक को देखने जैसा था ।
बारमैन मेरे लिये व्हिस्की का नौंवा पैग ले आया और मेज पर रख दिया । अब की बार वह मेरे पास ही खड़ा हो गया, वह वहाँ से टला नहीं और मैं समझ गया कि उसे पैसे देने का समय आ गया है । मैंने उसे अपना आखिरी पाँच डॉलर का नोट पकड़ा दिया । वह मुझे देख कर सहानुभूति से मुस्कुराया और उसने मेरी बाकी बची चिल्लर मुझे सौंप दी । उसकी मुस्कान से मुझे लगा कि वो मुझे निरा पियक्कड़ समझ रहा था । मेरा मन किया कि मैं अपनी जगह से उठकर उसके मूर्ख चेहरे पर एक मुक्का रसीद कर दूँ । लेकिन मैंने अपना इरादा छोड़ दिया और जब मैं उसे टिप देने के लिये कोई छोटा सिक्का ढूँढने लगा तो उसकी मुस्कान और बढ़ गई और वह वापस बार की तरफ चला गया ।
यह वो वक्त था जब मुझे एहसास हुआ कि वह कितनी घटिया शराब बेच रहा था । मुझे अपने ऊपर बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हुई । मुझे अपने आप से इतनी घिन हुई कि मेरा मन हुआ कि मैं सीधा बार से बाहर निकलकर किसी तेज रफ्तार चलती हुई कार के नीचे आ जाऊँ । पर उस बात के लिये हिम्मत चाहिए थी, जिसे मैं जेल की 114 नंबर की कोठरी में छोड़ आया था । मैं किसी तेज रफ्तार कार के नीचे नहीं जाने वाला था । मैं तो बस वहाँ बैठ कर मूर्खों की तरह शराब पीने वाला था । यही मेरे लिये सबसे आसान और बढ़िया तरीका था ।
तभी एक औरत बार में दाखिल हुई । वो टेलीफोन बूथ की तरफ गई और उसने अपने आप को उसके अंदर बंद कर लिया ।
वह चमकदार पीले रंग का तंग स्वेटर और सफेद रंग की स्लेक्स पहने हुए थी । उसने हरे रंग का धूप का चश्मा लगा रखा था और उसके पास एक सफ़ेद और पीले रंग का हैंडबैग था ।
उसने मेरा ध्यान अपने सुडौल नितंबों और तंग पोशाक के कारण तुरंत अपनी तरफ आकर्षित किया । उसके टेलीफोन बूथ का दरवाजा बंद कर लेने के कारण, जब उसका शरीर मेरी आँखों से ओझल हो गया, मैंने अपनी आँखों को उसके चेहरे की तरफ उठाया ।
उसकी उम्र तैंतीस साल के आसपास रही होगी : सुनहरे रंग के सलीके से कटे हुए बाल, कुछ हद तक भावहीन चेहरा और तीखे नयन नक़्श, पर कुल मिलाकर वह किसी भी मर्द के लिये कयामत थी ।
मैंने अपना नौवां पैग आधे से ज्यादा खाली कर दिया और उसे टेलीफोन बूथ में बातें करते हुए देखता रहा । मैं यह नहीं बता सकता कि उसकी बातचीत खुशनुमा थी या नहीं । उसके चश्मे की वजह से अनुमान लगाना कठिन था । लेकिन उसने जल्दी से अपनी बात निपटाई । वह बूथ में एक मिनट से भी कम समय रही होगी । वह बूथ से बाहर निकली और मेरे पास से, मुझ पर बिना नजरें डाले निकल गई । उसके दरवाजा खोल कर बाहर निकल जाने से पहले, मैंने उसकी सधी हुई चाल के दृश्य का कुछ सेकेंड तक नजारा किया ।
मुझ पर शराब के हावी होते नशे के चलते मेरे मन में ख्याल आया कि अगर मैं शादीशुदा न होता तो उसको पाने की कोशिश जरूर करता । उसके जैसे नैन-नक्श, अदा और तराशे हुए जिस्म की मल्लिका किसी भी आदमी की जिंदगी को रंगीनियों से सराबोर कर सकती थी । अगर वो औरत ऐसी नहीं थी तो फिर ये दुनिया किसी झूठे और खूबसूरत जाल के सिवा कुछ भी नहीं थी ।
मैंने मन-ही-मन विचार किया कि वह औरत कौन थी । उसका रखरखाव बेशकीमती था । उसका पीला-सफ़ेद रंग का बैग किसी आम दुकान की खरीद तो नहीं था ।
पीला-सफ़ेद रंग का बैग ।
वह इसे टेलीफोन बूथ में अपने साथ लेकर गई थी, लेकिन मुझे याद नहीं आया कि वो बाहर उस बैग के साथ आई थी ।
मुझे अब इतना नशा हो रहा था कि कुछ सोचना भी मेरे लिये बड़ी मशक्कत का काम हो चला था । मैंने अपने माथे पर शिकन लाते हुए सोचने की कोशिश की । मुझे यकीन था कि वह जब बूथ से बाहर आई तो उसके दोनों हाथ खाली थे ।
मैंने अपनी व्हिस्की खत्म की और कांपते हाथों से सिगरेट सुलगाई । तो फिर ? मैंने खुद से पूछा । जब वो बाहर आई तो मैंने शायद बैग को देखा नहीं होगा ।
अचानक बैग मेरे लिये बड़ा महत्वपूर्ण हो गया । यह इसलिए खास हो गया कि मैं खुद को दिलासा देना चाहता था कि मैं अभी इतना भी नशे में नहीं था ।
मैं लड़खड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़ा हुआ और टेलीफोन बूथ की तरफ बढ़ा । मैंने दरवाजा खोला और देखा कि वहाँ अलमारी के ऊपर बैग पड़ा था ।
‘वाह, सन ऑफ बिच । मैंने अपने आप से कहा, तुम इतने ही होश में हो जितना अदालत का कोई जज । तुमने एकदम से देख लिया कि वह औरत अपना बैग भूल गई है । तुम शराब के वश में नहीं हो बल्कि शराब तुम्हारे वश में है ।’
मैंने अपने आप से कहा कि अब जो काम तुम्हें करना है, वो है बैग में झांकना और ये पता लगाना कि वो औरत कौन थी । उसके बाद तुम्हें वह बैग लेकर बारमैन के पास जाकर उसे यह बताना है कि वह औरत इसे टेलीफोन बूथ में भूल गई है । जब तुम बारमैन को यह सब बता दोगे तो तुम इस हैंडबैग को लेकर उस औरत के घर के पते पर जाना और बैग उसके हवाले कर देना । और बदले में! किसे पता है कि वो तुम पर इस बैग के बदले कुछ और इनाम में न्योछावर कर दे – किस्मत का क्या पता!
उस वक्त मैं इतने नशे में था!
मैं टेलीफोन बूथ में घुसा और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । मैंने हैंडबैग उठाया और उसको खोलकर देखा । ऐसा करते वक्त, मैंने कनखियों से देखकर खुद को इस बात की तसल्ली दी कि मुझे कोई नहीं देख रहा था ।
पुराना मुजरिम! यानी कि मैं! मुसीबत को खुद बुलावा देता हुआ!
मुझे कोई नहीं देख रहा था ।
मैंने अपनी पीठ घुमा ली, जिससे बूथ का नजारा बाहर से दिखना बंद हो गया और फिर मैंने टेलीफोन रिसीवर उठा लिया और अपने कानों के साथ रिसीवर लगाये हुए हैंडबैग के सामान का मुआयना किया ।
उसमें एक गोल्ड का सिगरेट केस और एक गोल्ड लाइटर था । उसमें एक डायमंड का क्लिप था जो ज्यादा नहीं तो कम से कम पंद्रह सौ डॉलर्स का हो सकता था । उसमें एक ड्राइविंग लाइसेन्स था और नोटों का बड़ा सा बंडल झांक रहा था, जिसमें सबसे ऊपर पचास डॉलर लगे थे । अगर बाकी भी उसी हिसाब से थे तो उस मोटी गड्डी में दो हजार डॉलर्स के करीब नकदी थी ।
उन नोटों को देख कर मेरा बदन पसीने से भीग गया ।
सिगरेट केस, लाइटर और डायमंड क्लिप में मेरी कोई रुचि नहीं थी । उन तीनों चीजों को खोजा जा सकता था लेकिन मेरा ध्यान नोटों की गड्डी की तरफ पूरी तरह से जा रहा था ।
इस गड्डी के मेरी जेब में होने के बाद, मुझे नीना से कल सुबह पाँच डॉलर मांगने की जरूरत नहीं थी । मुझे उससे पैसे मांगने की जरूरत नहीं पड़ने वाली थी, न कल, न परसों, किसी भी वक्त नहीं । जब तक मैं इन पैसों को इस्तेमाल करता, उस समय तक मैं कोई नौकरी ढूँढने में कामयाब हो जाऊंगा । यहाँ तक कि फिर मैं सारा दिन और सारी रात पी सकता था ।
मैं पूरी तरह से मदहोश था । मैं नशे में ही नहीं था बल्कि नैतिक रूप से भी गिर चुका था ।
अगर वो औरत इतनी मूर्ख थी कि अपना पैसा यहाँ भूल गई थी, तब वो इसको खोने के ही काबिल थी ।
तभी दूर से आती मेरी खुद की आवाज ने मुझसे कहा, “क्या तुम पागल हो गये हो ? यह चोरी है । अगर उन लोगों ने तुम्हें पकड़ लिया तो तुम्हारे पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए तुम दस साल के लिये जेल जाओगे । इस मनहूस बैग को वापस रख दो और इस जगह से तुरंत निकल जाओ! क्या हो गया है तुम्हें ? क्या दस साल के लिये फिर जेल की कोठरी में जाना चाहते हो ?”
लेकिन वह आवाज मुझ पर अपना असर डालने के लिये बहुत कमजोर साबित हुई । मैं वह पैसा हासिल करना चाहता था । यह बहुत आसान था । बस मुझे सिर्फ इतना ही करना था कि उस पैसे को बैग से निकाल कर अपनी जेब में रखना था, बैग बंद करना था, बंद करने के बाद वापस अलमारी के ऊपर रखना था और वहाँ से चुपचाप निकल जाना था ।
बारमैन अपनी जगह से मुझे देख नहीं सकता था । उस बूथ में लोगों का अंदर और बाहर, आना- जाना लगातार जारी था ।
कोई भी उसे ले जा सकता था, कोई भी ।
पैसा तो वहाँ था! अगर पूरा दो हजार नहीं था तो करीब-करीब उतना तो था ही ।
मैं यह हासिल करना चाहता था ।
मुझे इसकी जरूरत थी ।
इसलिए मैंने इसे उठा लिया ।
मैंने नोटों की गड्डी को उठा कर अपनी जेब में डाल लिया और बैग बंद कर दिया । मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था । मैंने सोचा... मैं क्या था – एक चोर! टेलीफोन के ऊपर एक छोटा सा दर्पण लगा हुआ था । मुझे उसमें कुछ हलचल दिखाई दी । मैंने दर्पण में देखा ।
वह औरत बिलकुल मेरे पीछे मौजूद थी और मुझे देख रही थी । उसके गॉगल्स से रोशनी टकरा रही थी जिससे वो दर्पण में दो चमकते हुए हरे बिन्दुओं की तरह दिख रहे थे ।
वह वहाँ पर मौजूद थी ।
वह कितने समय से वहाँ मौजूद थी, मैं नहीं जानता ।
लेकिन वो वहाँ मौजूद थी ।
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