लेक होटल के चालीस नंबर कमरे के सामने पहुंचकर सुनील ने दरवाजा खटखटा दिया ।
"कम इन।" - भीतर से स्त्री स्वर सुनाई दिया।
सुनील दरवाजा खोलने के लिये आगे बढ़ा, लेकिन
प्रमिला ने उसे वहीं रोक दिया।
"यहीं ठहरो, जब तक मैं न कहूं तुम कमरे के भीतर कदम नहीं रखोगे ।'
प्रमिला उसे वहीं छोड़कर कमरे में घुस गई।
पांच मिनट बाद उसे भी भीतर बुला लिया गया ।
वह लड़की प्रमिला के कपड़े पहने हुए थी।
"मिस्टर सुनील" - वह सुनील का स्वागत करती हुई बोली- “आई एम सारी फार दी ट्रबल यू टुक फोर मी ।"
"प्लीज डू नाट मैंशन इट।" - सुनील ने शिष्ट स्वर में कहा।
"मेरा नाम रमा है, रमा खोसला ।"
"अब आप बताइये कि आपने मुझे क्यों बुलवाया है ?"
"वही बताने जा रही हूं, मिस्टर सुनील । मैं एक घंटा बाथरूम में रही और जब मैं नहाकर बाहर निकली तो कमरे में कुछ भी बाकी नहीं था, जैसा कि आप इस समय देख रहे ।"
"आपको यह कैसे मालूम हुआ कि आपकी कार चोरी हो गई है ?"
"जहां मैं कार पार्क करती हूं, वह स्थान खिड़की से दिखाई देता है, कार वहां नहीं है । "
"आप होटल में क्यों रहती हैं ?"
"मुझे अच्छा लगता है। मेरा कोई होता-सोता तो है नहीं, इसलिए मुझे घर और होटल में कोई अन्तर नहीं मालूम होता।"
"आपकी आय का साधन क्या है ?"
"कोई भी नहीं।"
"तो फिर आपका खर्चा कैसे चलता है ?"
"बस चलता है।" - रमा ने लापरवाही से कहा।
"आपने पुलिस की जगह मुझे क्यों बुलाया ?"
"मैं पब्लिसिटी से घबराती हूं, मैं नहीं चाहती कि मैं अखबार में चर्चा का विषय बनूं।'
"यह तो कोई ठोस कारण दिखाई नहीं देता।"
"एक कारण और भी है। "
"क्या ?"
"मुझे लगता है कि इस घटना के पीछे पुलिस का हाथ है।"
"क्या ?" - सुनील ने अचकचाकर कहा "तुम्हारा मतलब है कि पुलिस ने तुम्हारा सामान और कार चुराई है ?"
उसने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया और कहा "वे मेरे सामान की अच्छी तरह तलाशी लेना चाहते थे।"
"आप क्या चाहती हैं कि केवल तलाशी लेने के लिए आपका सामान चुराया गया है क्या वे सर्च वारन्ट लेकर कानूनी तौर पर आपकी तलाशी नहीं ले सकते ?”
" ऐसी तलाशी एक बार हुई थी, लेकिन उन्हें कुछ मिला नहीं था ।"
" उन्हें किस चीज की तलाश थी ?"
"मेरी डायरी की।"
"पुलिस को आपकी डायरी से क्या दिलचस्पी हो सकती है ?"
"मेरे पास यह सोचने का कारण है कि पुलिस की मेरी उन निजी बातों में दिलचस्पी है जो मैं डायरी में लिखती हूं।"
“मिस रमा, मुझे आपकी कहानी पर विश्वास नहीं, क्या यह अच्छा नहीं होगा कि आप बातों को अनुचित फैलाव देने के स्थान पर केवल सत्य का ही वर्णन करें ?"
कुछ क्षण रमा चुपचाप बैठी रही ।
"क्या आप जानते हैं मैं कौन हूं ?" - वह कुछ क्षण बाद बोली ।
“आपके ही कथनानुसार मैं यह जानता हूं कि आपका नाम रमा खोसला है । आयु लगभग बाईस साल है, पर्याप्त सुन्दर हैं । आपका कोई प्रत्यक्ष साधन न होते हुए भी बड़ा महंगा जीवन व्यतीत कर रही हैं और मित्र बनाने से घबराती हैं। "
“आखिरी बात तो मैंने नहीं कही ।"
"फिर भी यह सत्य है, हजार में से नौ सौ निन्यानवे लड़कियां जब स्वयं को ऐसी मुसीबत में पाती हैं कि उनके पास पहनने के के लिए कपड़ा तक न हो तो सहायता के लिए वे अपनी सहेलियों को फोन करती हैं, न कि एक रिपोर्टर को जिसकी उन्होंने सूरत तक पहले कभी न देखी हो । आपने मुझे बुलाया है, यही इस बात का प्रमाण है कि आप मुझे सब-कुछ नहीं बता रही हैं । "
"आपने जमनादास खोसला का नाम सुना है ?" - रमा ने सुनील से पूछा ।
"शायद नहीं... क्या करते हैं वे ?"
"पत्थर तोड़ते हैं।"
"शायद कोई मजदूर..."
"हां लेकिन जेल में । "
"ओह !"
"वे मेरे डैडी हैं, उन पर नैशनल बैंक ऑफ इण्डिया के तीन लाख बानवे हजार दो सौ चालीस रुपये बासठ नये पैसे चुराने का आरोप है ।"
"वह जमनादास खोसला ?" - सुनील एकदम दिलचस्पी लेता हुआ बोला- "हां अब मुझे याद आया, मैंने भी हम केस की तह तक पहुंचने की चेष्टा की थी ।"
"मेरे डैडी पांच वर्ष से जेल में हैं। पुलिस को चोरी गए धन का सुराग आज तक नहीं मिल पाया है। उनका विचार है कि डैडी ने धन कहीं छुपा दिया है। उन्होंने चोरी का रुपया कहां रखा हुआ है यह कबुलवाने के लिए उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं। दुनिया की नजरों में तो मैं एक चोर की बेटी हूं।" - उसकी आवाज भर्रा गई।
"मुझे इस विषय में जो भी आप जानती हैं, सब बताइए।"
"मेरे डैडी" - रमा ने कहना शुरू किया "नैशनल बैंक में काम करते थे। नगर में नैशनल बैंक की बारह ब्रांच हैं, मेरे डैडी हैड ऑफिस में थे। उस रोज हैड ऑफिस से हेली रोड वाली ब्रांच में तीन लाख बानवे हजार दौ सौ चालीस रुपये बासठ नये पैसे भेजे जाने वाले थे। रुपया इसी काम के लिए विशेष रूप से बनवाई गई एक सुरक्षित गाड़ी में ले जाया जाता था और यह काम मेरे डैडी करते थे। उन्हें सहायता के लिए एक इन्स्पेक्टर मिलता था। उस रोज डैडी ने स्वयं एक बड़े-से बक्से में सारा रुपया पैक किया था। उस समय वह इन्स्पेक्टर ट्रांजिस्टर लिये रेस की कमैन्ट्री सुन रहा था, क्योंकि उसने किसी घोड़े पर भारी शर्त लगाई हुई थी। बाद में उसने पुलिस को बताया था कि वह रेडियो सुन जरूर रहा था लेकिन उसकी दृष्टि डैडी पर ही टिकी हुई थी। डैडी ने बक्से को ठीक से बन्द करके उसे अच्छी तरह लपेटकर उस कर बैंक की सील लगा दी। पूरी तरह सन्तुष्ट होकर इन्स्पेक्टर ने भी अपनी सील लगा दी। उसके दस मिनट बाद जो ड्राइवर गाड़ी लेकर ब्रांच ऑफिस में गया था रुपयों के बक्से की डिलीवरी की रसीद भी ले आया था। वहां जब बक्सा खोला गया तो पता चला कि उसमें रुपये के स्थान पर पुराने चैक भरे हुए थे, ऐसे चैक जिनका भुगतान हो चुका होता है। "
"उन चैकों के विषय में कुछ पता लगा ?"
"केवल इतना कि उनका भुगतान हैड ऑफिस में हुआ था और वे सब एक ही फाइल में से निकाले गए थे। किसी ने बक्से में से नोट निकालकर कैंसल्ड चैक भर दिए थे।"
"और पुलिस का विचार है कि यह काम तुम्हारे डैडी ने किया है ?"
रमा ने सिर हिला दिया ।
"उनके विरुद्ध प्रमाण क्या थे ?"
"क्योंकि जिम्मेदारी डैडी की थी इसलिए उन्हें ही दोषी ठहराया गया था । इन्स्पेक्टर, जो कि बाद में नौकरी से निकाल दिया गया था, डैडी के जाने बिना रुपया नहीं चुरा सकता या और यही परिस्थिति डैडी के साथ भी थी। "
" और ड्राइवर ?"
"ड्राइवर तो रूपये के पास फटकता भी नहीं। जिस ढंग से रुपया लाया- लेजाया जाता है, वह एकदम फुलप्रूफ है । पहले दो हथियारबंद संतरियों के संरक्षण में गाड़ी बैंक के एक विशेष द्वार के सामने लाकर खड़ी कर दी जाती है जो केवल इसी काम के लिये सुरक्षित है। बैंक के उस द्वार के पास किसी को फटकने भी नहीं दिया जाता है। संतरी पहले आसपास की अच्छी तरह छानबीन कर लेते हैं कि कहीं कोई संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं है, उसके बाद बैंक को रुपया लाने के लिये कहा जाता है। उस समय बक्सा तैयार होता है और बक्से को गाड़ी के एक विशेष तिजोरिनुमा कम्पार्टमेंट में रखकर ताला लगा दिया जाता है। ताला मेरे डैडी लगाते थे।”
"फिर बैंक की जिस शाखा को रुपया देना होता है उसके एजेंट मैनेजर को गाड़ी के पहुंचने का संभावित समय बता दिया जाता है। जब गाड़ी दूसरे बैंक के द्वार के सामने पहुंचती है तो दो हथियारबंद संतरी ट्रक के आसपास रास्ते में खड़े हो जाते हैं। फिर उस बैंक का प्रतिनिधि अपनी चाबी से ट्रक का दरवाजा खोलता है और बक्सा बैंक में ले जाया जाता है।"
"ड्राइवर के पास गाड़ी की चाबी नहीं होती ?"
"नहीं और ताला इतना विचित्र होता है कि चाबी के बिना हरगिज-हरगिज नहीं खोला जा सकता।"
"लेकिन बैंक के उस प्रतिनिधि को, जिसने अपनी चाबी से गाड़ी का द्वार खोला था, उसे भी तो रुपया चुराने का उतना ही मौका था जितना कि तुम्हारे डैडी को।"
"लेकिन जब उस प्रतिनिधि ने बक्सा निकाला था तो सील टूटी हुई नहीं थी और वहां सील लगभग पांच आदमियों
के सामने तोड़ी गई थी और बक्से में से रद्दी चैक निकले थे जिसका अर्थ था कि उस बैंक में पहुंचने से पहले ही रुपया निकाला जा चुका था और इसके अतिरिक्त डैडी के विरुद्ध एक और सबूत भी था ।"
"क्या ?"
" पुलिस ने डैडी के पास कुछ चुराए हुए नोट बरामद किए थे। नगर के एक सेठ को, जिसका अकाउंट नैशनल बैंक के हैड ऑफिस में था कोई ब्लैकमेल कर रहा था । ब्लैकमेलर ने सेठ से पांच हजार रुपए मांगे थे, सौ-सौ के नोटों में । सेठ ने बैंक से सौ-सौ के नोट निकालकर उनके नम्बर नोट कर लिए और लिस्ट पुलिस को दे दी। बाद में ब्लैकमेलर शायद डर गया। जाने क्या हुआ कि उसने फिर सेठ से रुपया नहीं मांगा। सेठ ने सप्ताह भर उसका इंतजार किया और फिर रुपया वापिस बैंक में जमा करा दिया। वे पांच हजार रुपये भी बैंक की चोरी गई रकम में थे और उन सौ-सौ के नोटों की लिस्ट पुलिस के पास रह गई थी। पुलिस ने इसी लाइन पर काम करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद एक आदमी बैंक में रुपये जमा कराने आया। उसके रुपयों में एक चुराया हुआ सौ का नोट भी था। पुलिस ने उसे पकड़ लिया । उस आदमी ने बताया कि वह एक दुकानदार था और उसे वह सौ का नोट मेरे डैडी से कुछ सामान बेचने की एवज में मिला था। नोट का एक कोना फटा हुआ था, इसलिए उसे याद रह गया था कि वह नोट उसे डैडी से मिला था। डैडी की तलाशी ली गई तो उनके बटुवे में से वैसे दो नोट और निकले । बस इतना प्रमाण उन्हें सजा दिलाने के लिये पर्याप्त था।"
" और तुम्हारा ख्याल है कि वह बेगुनाह हैं ?"
"ख्याल ! मुझे विश्वास है । "
" और कुछ ?"
" पुलिस का विचार है कि डैडी ने रुपया कहीं छुपाया हुआ है, इसलिए रुपये के बारे में जानने के लिए उनके साथ बड़ा बुरा व्यवहार किया जाता है। कुछ दिन पुलिस मेरे पीछे लगी रही कि शायद डैडी रुपया मुझे दे गए हों, लेकिन बाद में उन्हें मेरा पीछा छोड़ना पड़ा ।"
"क्या तुम्हारे डैडी ने चुराया हुआ धन तुम्हें नहीं दिया ?"
" प्रश्न ही नहीं उठता, उन्होंने चुराया होता तो मुझे देते न !"
" और तुम्हारी आय का कोई प्रत्यक्ष साधन नहीं है ?" "हां।"
" और तुम कार रख सकती हो, होटल के भारी बिल अदा कर सकती हो, मुझे मेरी फीस दे सकती हो ?"
"आपको आपकी फीस कल नौ बजे से पहले मिल जाएगी।"
" देखिए मिस रमा" - सुनील ने शुष्क स्वर में कहा"मैं कल पैदा नहीं हुआ था। क्या यह सारी बातें यह जाहिर नहीं करती हैं कि तुम्हारे डैडी ने चोरी की है और चोरी का धन तुम्हारे पास है ?” P
"यह सच नहीं है" - रमा ने उत्तेजना रहित स्वर में कहा-
"क्योंकि, मैं आपको बता ही दूं, मुझे यह सारा खर्चा मेरे डैडी के एक मित्र देते हैं।"
"क्यों ?"
"यह मैं फिर कभी बताऊंगी ।"
"अब आप मुझसे क्या चाहती हैं ?"
“आप मुझे मेरी कार ढूंढकर दे दीजिये। बाकी सामान की मुझे परवाह नहीं है । "
"कार में ऐसी दिलचस्पी क्यों है ?"
“कार में मेरी डायरी थी जिसमें कई ऐसी बातें लिखी हुई हैं जो किसी की जानकारी में नहीं आनी चाहियें ।”
"लेकिन अगर तुम कहती हो कि तुम्हारा सामान और कार पुलिस ने चुराई हैं तो वे उसको उधेड़कर नहीं रख देंगे क्या और ऐसी सूरत में डायरी क्या सुरक्षित रहेगी ?"
"मुझे विश्वास है कि डायरी उनके हाथ नहीं लगेगी क्योंकि मैंने कार में दो डायरियां रखी हुई हैं, एक जो आसानी से तलाश की जा सकती है और दूसरी बहुत ही गुप्त जगह पर छुपाई हुई है। पुलिस पहली ही डायरी खोजकर अपनी तलाश बन्द कर देगी।"
"तुम्हारी कार की स्पैसीफिकेशन्स क्या हैं ?"
रमा ने कार का नम्बर और माडल वगैरह बता दिया ।
“एक बात और, मिस रमा। आपके पास आपका कोई प्रत्यक्ष साधन नहीं है। आप अन्धाधुंध रुपया व्यय करती हैं, क्या इन्कम टैक्स वालों ने कभी आपको चैक नहीं किया ?"
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