फकीर बाबा उस छोटे से गुलाबी रंग के मकान के आंगन की हरी घास पर समाधि की मुद्रा में बैठा था। बंद आंखें। दोनों हाथ फैले हुए घुटनों पर बदन पर सफेद धोती-कुर्ता। गले में माला । माथे पर तिलक । सिर के छोटे-छोटे बाल। शेव किया झुर्रियों से भरा चेहरा, परन्तु चेहरे पर अनोखा तेज था। कानों में जाने किस धातु की छोटी-छोटी वालियां।


आहट पाकर फकीर बाबा ने आंखें खोलीं तो सबको सामने पाया। उसके चेहरे पर शांत मुस्कान बिखर गई।


“नीलू!” तभी राधा कह उठी-“देखा तूने इस बहरूपिये को । पहले तो गंदे कपड़े पहने हुए था। अब तो इसका रूप ही बदला हुआ है। साधु-महात्मा जैसा लगता है। किसी के कपड़े चुरा लाया होगा। मैंने तो पहले ही कहा था कि शक्ल से ही ठीक आदमी नहीं लगता। जिस तरह हमको गायब करके यहां लाया, उससे तो लगता है तांत्रिक है ये और- ।"


“राधा!" नीलू ने उखड़े स्वर में कहा-“अब तुम कुछ नहीं बोलोगी।"


“नहीं बोलती।” राधा ने मुंह लटकाकर कहा।


फकीर बाबा के चेहरे पर अभी भी अपनेपन से भरी मुस्कान थी। 


“बैठ जाओ।"


सब घास पर ही बैठ गये।


“किसी को खाने-पीने की किसी चीज की आवश्यकता हो तो कह दो।"


“पेशीराम !” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा - "ये सब बातें बाद में भी हो जायेगी। पहले गुरुवर की बात करो।”


तभी राधा कह उठी।


“कोने वाली दुकान के समोसे खाने का मन हो रहा है। उसकी हरी चटनी बहुत मजेदार होती है।" 


राधा के शब्द पूरे होते ही उसके सामने चांदी का थाल और कटोरा पड़ा नजर आया। थाल में समोसे भरे हुए थे और चांदी के कटोरे में हरी चटनी थी। राधा की आंखें हैरानी से फैल गई। 


“नीलू! ये तो कोने वाली दुकान के ही समोसे - " 


“चुपचाप खाती रहो। बोलो मत।" महाजन ने कहा। 


राधा समोसे खाने में व्यस्त हो गई। 


"मुझे बोतल चाहिये पेशीराम।" महाजन ने कहा। 


उसी पल महाजन के सामने बोतल मौजूद थी। महाजन ने बोतल खोली और तीन तगड़े घूंट लिए । 


“तुम गुरुवर के बारे में बता रहे थे पेशीराम।" मोना चौधरी की नजरें फकीर बाबा पर थीं। 


कुछ देर खामोश रहकर पेशीराम ने गम्भीर स्वर में कहा।


“गुरुवर का अस्तित्व और उनकी शक्तियां बचाना चाहते हो तो तुम लोगों को शैतान के अवतार को खत्म करना होगा।" 


“शैतान का अवतार ?” देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ीं। 


“कौन है ये ?” मोना चौधरी के होंठ भिंच गये। 


“जो भी हो ‘वड़' देंगे को इसो गोलियों मारो कर ।” 


“शैतान का अवतार बहुत ही शक्तिशाली इन्सान है। हर तरह की शक्तियों का मालिक है।" पेशीराम ने गम्भीर स्वर में कहा- "सच तो ये है कि गुरुवर ही शैतान के अवतार पर काबू पा सकते हैं, परन्तु गुरुवर अभी इस स्थिति में नहीं हैं कि शैतान के अवतार की तरफ ध्यान दे सकें। इसी का फायदा वो उठा रहा है।" 


“गुरुवर यज्ञ शुरू करने से पहले ही शैतान के अवतार को खत्म करके इस खतरे से मुक्ति पा सकते हैं।" सोहनलाल बोला ।


“गुरुवर नहीं भांप सके कि शैतान का अवतार कौन है । " पेशीराम ने कहा !


“क्या मतलब हौएला ?"


“गुरुवर को तो हर बात पहले से ही मालूम होती है।" पारसनाथ बोला- “उनसे भला क्या छिप सकता है। "


“छिप सकता है। जैसे कि शैतान का अवतार सौ बरस से गुरुवर के सामने नहीं आया।" पेशीराम ने गम्भीर स्वर में कहा- "डेढ़ सौ बरस पहले ही गुरुवर ने अपनी शक्तियों के दम पर जान लिया था कि कहीं पर शैतान के अवतार का जन्म होने वाला है। कहां होगा ये जन्म, गुरुवर की शक्तियां नहीं बता सकीं। फिर सौ बरस पहले शैतान के अवतार का जन्म हुआ तो गुरुवर की शक्तियों ने शैतान के अवतार के जन्म की सूचना दे दी, परन्तु गुरुवर नहीं जान सके कि शैतान के अवतार का जन्म कहां पर हुआ है। अच्छी शक्तियों पर शैतान की शक्तियां हमेशा भारी पड़ी हैं। शैतान की शक्तियों को गुरुवर की शक्तियां पार कर के नहीं देख सकी शैतान को। बुरी शक्तियों के कई पालिक गुरुवर की नजरों में थे, परन्तु उनमें से शैतान का अवतार कौन है। गुरुवर आभास नहीं पा सके। डेढ़ सौ बरस पहले ही गुरुवर अपनी तपस्या से ये बात जान चुके थे कि शैतान का अवतार जो भी होगा, वो उनके लिए कभी बड़ी-बड़ी मुसीबतें खड़ी करेगा। लोगों को परेशान करेगा। हर कोई उसकी मौत की कामना करेगा, परन्तु शैतान का अवतार अपनी ताकतों से हर किसी को जीतता रहेगा।”


“गुरुवर ने शैतान के अवतार की मौत के बारे में कभी बताया?” जगमोहन ने पूछा । 


"नहीं। जब-जब भी मैंने ये सवाल पूछा, गुरुवर चुप्पी साध गये ।” पेशीराम ने गम्भीर स्वर में कहा - "शैतान के अवतार को भी अवश्य इस बात का एहसास रहा होगा कि गुरुवर की शक्तियों को वो नहीं जीत सकता। इसी कारण उसने ये जाहिर नहीं होने दिया कि वो ही शैतान का अवतार है। और जब गुरुवर अपनी समस्त शक्तियों को बाल में कैद करके, गुप्त जगह पर रखकर, बेहद महत्वपूर्ण यज्ञ में व्यस्त हो गये तो शैतान का अवतार खुलकर सामने आ गया। गुरुवर अगर इस यज्ञ को भंग करते हैं तो वो सामान्य इन्सान बन जायेंगे। सारी शक्तियां उनसे छिन जायेंगी। ये बात शैतान का अवतार जानता है। ऐसे में गुरुवर उस यज्ञ को भंग नहीं कर सकते। इसी बात का फायदा उठाकर शैतान का अवतार उस बाल को तलाश कर रहा है, जिसमें गुरुवर की समस्त असीम शक्तियां कैद हैं। अगर वो बाल शैतान के अवतार को मिल जाती है तो, गुरुवर की सारी शक्तियों का मालिक वो बन जायेगा। फिर उससे कोई नहीं जीत सकता। इसके साथ ही शैतान का अवतार गुरुवर के यज्ञ को भंग करने का भरपूर प्रयास कर रहा है कि गुरुवर का यज्ञ खराब करके, उन्हें साधारण इन्सान बना दे, ताकि कोई उसके मुकाबले के काबिल न रहे।"


मोना चौधरी का चेहरा क्रोध से दहक उठा।


“पेशीराम!" वहशी स्वर में कह उठी भोना चौधरी - "अब वो शैतान का अवतार ज़िन्दा नहीं रहेगा, गुरुवर को परेशान करने के लिए। मैं उसे - ।"


“अंम उसो का अपणी रिवाल्वरो से 'वड' दयो ।” 


“फिक्र नेई पेशीराम । आपुन शैतान के अवतार से निपटेला।"


महाजन ने बोतल से घूंट भरा और कह उठा। 


“जैसे भी हो हम उसे खत्म करके, गुरुवर का रास्ता आसान कर देंगे। गुरुवर को हम परेशानी में नहीं देख सकते ।”


"चल-चल नीलू ।” राधा ने समोसा खाना रोककर उसे देखा- “अभी चल शैतान के अवतार के पास शम्बूझा से बड़ा शैतान तो नहीं होगा वो। मैं तेरे साथ हूं। तू टांगें पकड़ना। मैं उसका गला काट दूंगी।"


“वो शैतान नहीं, शैतान का अवतार है।" पेशीराम ने व्याकुल स्वर में कहा- “उसकी शक्तियां असीमित हैं। मेरे ख्याल में तो उसका मुकाबला कर पाना सम्भव नहीं। ऐसी कोई विद्या नहीं, जिसका उसे ज्ञान नहीं हो । जादू-टोना । तिलस्म । प्रेतों और जिन्नों तक को उसने बस में कर रखा है। जो कि उसके इशारे पर हर काम करते हैं। गुरुवर के अलावा कोई भी उसे जीत नहीं सकता। लेकिन भविष्य के गर्भ में क्या है । इस वक्त मैं भी नहीं देख पा रहा हूं।" 


"गुरुवर का यज्ञ कब समाप्त होगा ?” नगीना ने पूछा ।


“इस बारे में मुझे कोई खबर नहीं है कि गुरुवर के यज्ञ की अन्तिम आहुति कब है ।”


“यज्ञ कब शुरू हुआ था ?" नगीना बेहद गम्भीर थी। । 


"डेढ़ बरस हो गया ।”


“तुम्हारा मतलब कि शैतान का अवतार डेढ़ बरस से गुरुवर की परेशानियां बढ़ा रहा है।” सोहनलाल कह उठा। 


“हां। लेकिन मेरे सामने कोई रास्ता नहीं कि उसे रोक सकूं।" पेशीराम ने कहते हुए आंखें बंद कर लीं- "मैं बहुत ही ज्यादा परेशानी के दौर से गुजर रहा हूं इस सिलसिले को लेकर। तभी भविष्य के आईने में झांककर देखा तो देवा और मिन्नो का झगड़ा नजर आया। जो कि शीघ्र ही होने वाला था। इस झगड़े में देवा की मौत के साथ अन्यों का भी भारी नुकसान था। देवा की मौत के बाद और भी कईयों ने मरना था। तभी मैंने फैसला कर लिया कि तुम लोग आपस की लड़ाई में क्यों जान गंवाओ । गुरुवर के वास्ते जान दोगे तो अगले जन्म में तुम सबको अच्छा रास्ता मिलेगा। मैं जानता था कि तुम दोनों गुरुवर की सहायता के लिए कभी इन्कार नहीं करोगे और मेरी सोच ठीक ही निकली।"


“गुरुवर के लयो तो म्हारो जानो भी हाजिर हौवो।" 


“मैं नहीं देती जान ।” राधा समोसे को मुंह में घूंसे कह

उठी - “नीलू जान देने को कहेगा तो तब दूंगी।" 


“अंम थारे से बात न करो हो ।”


“मैं कहां मूंछो वालों से बात कर रही हूं। मूंछ वाले तो मुझे वैसे भी अच्छे नहीं लगते।” राधा ने मुंह बनाकर कहा ।


बांकेलाल राठौर का हाथ मूंछ पर जा पहुंचा। वो तीखे स्वर में कुछ कहने लगा तो रुस्तम राव कह उठा। 


"बाप! वो औरत जात होएला। मूंछ वाला औरत की बात का बुरा नेई मानेला


"छोरे वो म्हारी मूंछों को 'वडने' की ट्राई करो हो।" 


"ऐसी बात नेई होएला बाप । वो तो समोसा 'वडेला' ।” 


"शैतान का अवतार कहां रहता है पेशीराम ?”  देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।


"देवा!” फकीर बाबा ने गम्भीर स्वर में कहा- “शैतान के अवतार से टक्कर लेने में जान जा सकती है।"


“पेशीराम!” देवराज चौहान दरिन्दा-सा लगने लगा- "तुम बताओ शैतान का अवतार कहां रहता है। किसी की जान लेने के लिए, अपनी जान को भी दांव पर लगाना पड़ता है। "


“बताओ पेशीराम !” मोना चौधरी के चेहरे पर खतरनाक भाव थे- "शैतान का अवतार कहां मिलेगा ?"


फकीर बाबा ने सबके चेहरों पर गम्भीर निगाह मारी । "क्या तुम सब मौत को गले लगाने को तैयार हो ?" सबने हां में दृढ़ता से आवाज लगाई।


राधा कह उठी।


“मेरे बारे में नीलू से पूछ लो। वो जो कहेगा, मैं वही करूंगी कहते हुए राधा ने समोसों का थाल एक तरफ सरका दिया। सबकी निगाह उस पर ही थी।


फकीर बाबा चुप कर गया ।


कुछ लम्बी चुप्पी के बाद फकीर बाबा ने गम्भीर स्वर में कहा । 


“सच बात तो ये है कि मैं स्वयं भी नहीं जानता कि शैतान का अवतार कहां रहता है। गुरुवर ने कभी भी मुझे उस तरफ जाने की इजाजत नहीं दी। लेकिन वो रास्ता मुझे मालूम है, जो शैतान के अवतार तक जाता है।"


“रास्ता बताओ।" मोना चौधरी गुर्रा उठी।


"हर छः महीने में एक बार तीन घंटों के लिए काले समन्दर में से एक जंजीरा बाहर निकलता है। डेढ़ बरस की भागदौड़ से सिर्फ इतना ही जान पाया हूं कि वो जंजीरा शैतान के अवतार की दुनियां का ही जरा सा हिस्सा है। शैतान के अवतार के साम्राज्य का जरा सा अंश है वो।" पेशीराम कह रहा था- “छः महीने में, सिर्फ तीन घंटे के लिए, काले समन्दर से वो जंजीरा बाहर क्यों निकलता है? ये मैं नहीं जानता। तीन घंटे बाद वो जंजीरा पुनः पानी में समा जाता है।" 


“काला समन्दर क्या है ?" सोहनलाल ने कहा।


“उस समन्दर का पानी स्याह काला है। इसलिए उसे काला समन्दर कहा जाता है। मैंने जब से उस समन्दर को देखा है, उसका पानी काला ही देखा है। वो काला पानी पीने के लायक नहीं है। बहुत आगे जाकर वो काला पानी, स्वच्छ पानी के रूप में नजर आने लगता है। ऐसा क्यों है। कैसे है। मैं नहीं जानता। शायद काले समन्दर तक ही शैतान के अवतार का साम्राज्य फैला है। "


***

“तुम्हारा मतलब कि अगर हम उस जंजीरे में प्रवेश कर जायें तो शैतान के अवतार की दुनियां में पहुंच सकते हैं।" महाजन होंठ भींचे कह उठा ।

"हां। शैतान के अवतार की दुनियां में जाने के लिए मात्र एक वो जंजीरा ही रास्ता है। वहां तुम लोगों के साथ अच्छा होगा या बुरा होगा? मैं नहीं जानता ।” फकीर बाबा ने बेचैनी से कहा- "तुम लोगों के मौत के रास्ते भी वहीं होंगे और बचाव के रास्ते भी वहीं होंगे। तुम लोगों को दोस्त भी मिलेंगे और दुश्मन भी मिलेंगे। किसे गले लगाना है और किससे बचना है, इन बातों को पहचानना है तुम सबने । जो कि आसान नहीं होगा। शैतान के अवतार का शैतानी तिलस्म है। सुना है, जो उसमें फंस जाता है, वो फिर जिन्दा बाहर नहीं निकल सकता। उसी तिलस्म में भटककर अपनी जान गंवा बैठता है।"

“भारो खतरो हौवे शैतान के अवतारो की मांदो में।” 

“हां। फकीर बाबा ने कहा- "शैतान के अवतार के पास जादुई करिश्मे हैं। उसके जादू-टोने से जो प्रभावित हो जाता है, वो कभी मुक्त नहीं हो सकता। उसके द्वारा काबू किए गये जिन-प्रेत इतने ताकतवर हैं कि उनका मुकाबला बड़ी से बड़ी ताकतें भी नहीं कर सकतीं। वहां तुम लोगों के साथ ऐसी कोई शक्ति नहीं होगी जो कि तुम लोगों की सहायता कर सके। इस काम में का आशीर्वाद मेरे साथ होता तो बचाव की खातिर कई शक्तियां गुरुवर तुम लोगों के साथ कर देता। लेकिन गुरुवर की तरफ से मुझे ऐसी कोई आज्ञा नहीं है। वो यज्ञ में व्यस्त हैं और हम ये काम अपनी इच्छा से कर रहे हैं।”

"मुझे किसी की सहायता की जरूरत नहीं है पेशीराम ।” देवराज चौहान ने दांत भींचकर कहा- “जो भी होगा। जैसे भी हालात सामने आयेंगे, मैं देख लूंगा।"

“तेरी और मिन्नो की बहादुरी का मैं कायल हूं।" फकीर बाबा ने सब पर निगाह मारी- “ताकी सब भी कितना दम रखते हैं, अंजान नहीं हूं मैं। लेकिन शैतान के अवतार के यहां तुम लोगों के साथ जो हादसे पेश आयेंगे, उन हादसों से तुम लोग अंजान हो । उन हादसों को पार कर पाना, तुम लोगों के लिए शायद मुमकिन न हो सके। शैतान के अवतार की दुनियां और भगवान के अवतार की दुनियां में बहुत फर्क होता- ।”

"पेशीराम!" मोना चौधरी सख्त स्वर में कह उठी- “ये बातें कहकर हमारे हौसले को हिलाने की चेष्टा मत करो। जो हमने तय कर लिया, तुम्हारी बातें हमें उससे पीछे नहीं धकेल सकतीं।”

“जानता हूं। लेकिन आने वाले खतरों के प्रति आगाह कर रहा हूँ।"

"अंम तो 'वड' देंगे पेशीराम सबो को । तम ये बताओ कि कौन से नम्बरों वालो बस, शैतान के अवतारों के घरो को जायो ।” बांकेलाल राठौर की आंखें सुलग उठीं- "जरूरतो पड़ो तो अंम उसो से भी बडो शैतान बन जावो।”

पारसनाथ अपना खुरदरा चेहरा रगड़ने लगा ।

“बाप!” रुस्तम राव कह उठा- “ओखली में सिर देईला तो डण्डो से काये को डरेला ।”

“नीलू!” राधा ने महाजन को देखा- “तू घबराना मत। मैं तेरे साथ हूं।”

जवाब में महाजन के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान उभरी। “बाबा!” नगीना कह उठी – “ये घायल हैं। पेट का जख्म गहरा है। ऐसे में कोई बड़ा काम करना इन्हें तकलीफ दे सकता है। पहले ये ठीक हो जाये तब इन्हें शैतान के अवतार के रास्ते पर भेज देना।"

फकीर बाबा की निगाह देवराज चौहान पर जा टिकी। दूसरे ही पल वो होंठों ही होंठों में कुछ बुदबुदाया तो उसी पल देवराज चौहान का जख्मी पेट सामान्य दिखने लगा ।

नगीना ने ये सब देखा तो चेहरे पर हैरानी आ ठहरी ।

“मैंने तो पहले ही कहा था कि ये कोई बड़ा तांत्रिक है।” राधा उठी।

कह फकीर बाबा ने गम्भीर निगाहों से देवराज चौहान और मोना चौधरी को देखा।

“जहां तुम लोग जा रहे हो, वहां कदम-कदम पर तुम लोगों को शैतान के पुजारी मिलेंगे। कौन क्या है? देखकर भी समझ नहीं पाओगे। ऐसे में किसी पर भरोसा करोगे तो जान से जाओगे और नहीं करोगे तो जान से जाओगे।"

सबकी निगाह फकीर बाबा पर थी ।

  “तुम दोनों आपस में झगड़ा करके एक-दूसरे को जीतना चाहते हो। सामने वाले को नीचा दिखाना चाहते हो ।” कहते हुए पेशीराम के चेहरे पर गम्भीर मुस्कान उभरी- “ऐसे में मैं तुम दोनों को अपनी बहादुरी साबित करने का मौका दे रहा हूं। शायद तुम दोनों की हार-जीत का भी फैसला हो जाये।"

"क्या मतलब ?" महाजन ने कहा।

"शैतान के अवतार को खत्म करने जा रहे हो तुम लोग। वैसे तो मुझे पूरा यकीन है कि शैतान के अवतार को खत्म नहीं कर सकोगे और वहीं से कभी भी जिन्दा नहीं लौट सकोगे। अगर जिन्दा वापस लौट आये तो ये एक करिश्मा ही होगा मेरे लिए।” फकीर बाबा ने परेशान गम्भीर स्वर में कहा- "फिर भी एक मौका अपने पास रखकर, देवा और मिन्नो से ये बात कर रहा हूं कि तुम दोनों में से जो भी शैतान के अवतार को खत्म करेगा। वो जीता माना जायेगा और दूसरे को अपनी हार स्वीकार करनी होगी।"

देवराज चौहान और मोना चौधरी की सुलगती नजरें मिलीं। सबने उन दोनों को देखा।

“तुम दोनों अपना झगड़ा खत्म क्यों नहीं करते?” नगीना कह उठी- “आख़िर क्या रखा है लड़ाई में ?”

“नगीना ठीक ही तो कह रही है।” राधा कह उठी- “झगड़े का अंत बुरा ही होता है। प्यार-मोहब्बत से रहने का मजा ही कुछ और है। क्यों नीलू मैंने ओ०के० ओ०के० बोला ना ?"

देवराज चौहान और मोना चौधरी के चेहरे सख्त हुए पड़े थे। 

“मुझे मंजूर है पेशीराम।" मोना चौधरी कह उठी-“हार-जीत का फैसला इस तरह ही सही।”

फकीर बाबा ने देवराज चौहान को देखा। “तुम्हें मंजूर है देवा ?” 

“मुझे कोई एतराज नहीं ।”

“अगर इस तरह तुम्हारी हार-जीत का फैसला हो गया तो, उसके बाद तुम दोनों आपस में दुश्मनी न रखकर, दोस्तों की तरह, रहोगे। गुरुवर के सामने अपनी दोस्ती को स्वीकार करोगे ताकि वो मुझे श्राप से मुक्ति दे सके और मैं ये शरीर त्याग कर, नया जन्म ले सकूं।"

देवराज चौहान और मोना चौधरी की आंखें मिलीं। दोनों ने सहमति में सिर हिला दिए । 

“पेशीराम!" पारसनाथ ने गम्भीर स्वर में कहा- “तुमने कहा कि काले समन्दर से, हर छः महीने में एक बार रात को वो जंजीरा समन्दर से बाहर आता है, जो कि शैतान के अवतार तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता है। अब वो जंजीरा कब बाहर निकलेगा। कितना समय अभी बाकी है उस -।”

"आज रात, वो जंजीरा काले समन्दर से बाहर आयेगा।" रेशीराम ने कहा। 

"आज रात ?”

"हां | आज की रात गुजर गई तो फिर उस जंजीरे के इन्तजार में हमें छः महीने का लम्बा इन्तजार करना पड़ेगा।" पेशीराम ने कहा- "इसलिए आज रात ही, जब वो जंजीरा काले समन्दर से बाहर आयेगा तो तुम लोगों को उस जंजीरे में प्रवेश कर जाना है। ठीक तीन घंटे बाद वो जंजीरा पुनः काले समन्दर के भीतर समा जायेगा । जंजीरे में प्रवेश करते समय तुम लोगों के सामने क्या परेशानियां या रुकावटें आयेंगी, इस बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम । जो भी होगा उनका सामना तुम लोगों ने ही करना है।"

“ये जंजीरा, ये टापू आता कहां से है और जाता कहां है ?” सोहनलाल ने पूछा । 

“मुझे ज्ञात नहीं।” फकीर बाबा ने इन्कार में सिर हिलाया-“लेकिन वो छोटा सा टापू तुम सबको शैतान के अवतार की दुनियां में ले जायेगा। जो कि पिछले डेढ़ बरस से गुरुवर को परेशान किए हुए हैं। उस बाल को तलाश कर रहा है, जिसमें गुरुवर ने अपनी समस्त शक्तियां -।"

“वड, देंगे शैतान के अवतार को।" बांकेलाल राठौर खतरनाक स्वर में कह उठा ।

तभी महाजन ने कहा।

“पेशीराम! तुम तो जानते हो कि बोतल के बिना मेरा काम
नहीं चल - ।"

“नील सिंह! जन्मों पुरानी तेरी और गुलचंद की नशे की आदत से मैं वाकिफ हूं।” पेशीराम ने गम्भीर स्वर में कहा- “तुम और गुलचंद (सोहनलाल) जब भी नशा पाने की इच्छा जाहिर करोगे, उसी वक्त जरूरत का सामान तुम लोगों के सामने हाजिर हो जायेगा।" महाजन और सोहनलाल की नजरें मिलीं।

“रात होने में कितना वक्त बचेला पेशीराम।" रुस्तम राव ने पूछा। “तुम लोग नहा लो। कुछ खा लो वक्त बीत जायेगा तब तक अंधेरा घिर जायेगा।" पेशीराम ने गम्भीर स्वर में कहा -“उसके बाद मैं तुम सबको काले समन्दर
तक ले चलूंगा।"

सबने गम्भीर निगाहों से एक-दूसरे को देखा। मैं तुम

“जंजीरा ( टापू) कब काले समन्दर से बाहर निकलेगा ?" जगमोहन ने पूछा। से

“रात के ठीक बारह बजे और ठीक तीन बजे वापस काले 
समन्दर में प्रवेश करना शुरू हो जायेगा।" पेशीराम ने जवाब दिया।

***