प्लाजा होटल की लॉबी में बैठा अजय बेमन से 'इण्डिया टुडे' के पेज पलट रहा था ।
उसने अपनी रिस्ट वॉच पर निगाह डाली तो पता चला वहां बैठे पूरा आधा घंटा हो गया था । अगर तीनों जगह की रेड कामयाब हो गई होगी । उसने सोचा । तो अब रंजीत के मातहत बद्री और भोला से चन्दन मित्रा के अपहरण और उसकी हत्या के जुर्म का इकबाल करा रहे होंगे । और खुद रंजीत शमशेर सिंह का पुलंदा बांधने की तैयारी कर रहा होगा ।
अब अजय को फिरौती की रकम के खरीदार का इन्तजार था । वह इत्मीनान से बैठा मैगजीन के पेज पलटता रहा ।
करीब बीस मिनट बाद ।
बैल बॉय, उससे पहले ही सौ रुपये का नोट जीम चुका था, उसके पास आ खड़ा हुआ ।
–'आपकी पार्टी आ गई है, सर ।' वह कॉफी शॉप की ओर जाते ग्रे सूट वाले एक मोटे ठिगने की ओर इशारा करता हुआ बोला–'यह रही ।'
–'शुक्रिया ।' अजय मैगजीन रखकर खड़ा हो गया ।
वह कॉफी शॉप में पहुंचा ।
ग्रे सूट वाला मोटा ठिगना एक मेज पर बैठा था । उसके चेहरे पर परेशानी, थकान और बेचैनी के मिले जुले भाव साफ़ नजर आ रहे थे ।
अजय उसकी बगल वाली मेज पर जा बैठा ।
वेटर ठिगने के सामने कॉफी रखकर जाने लगा तो अजय, ने भी उसे कॉफी का ऑर्डर दे दिया ।
वेटर चला गया ।
–'बद्री और भोला नहीं मिले ?' अजय ने ठिगने की ओर झुककर पूछा ।
ठिगना इस बुरी तरह चौंका कि हाथ में थमें प्याले से छलककर कॉफी उसके सूट पर जा गिरी । वह फौरन अजय की ओर पलट गया । उसकी आंखों से भय झलक रहा था ।
–'आपने मुझसे कुछ कहा ?' उसने फंसी सी आवाज में पूछा ।
–'हाँ ।' अजय बोला–'बद्री और भोला नहीं मिले ?'
–'म...मैं किसी बद्री या भोला को नहीं जानता । प...पता नहीं, तुम क्या कह रहे हो ।'
–'मैं कह रहा हूँ वे दोनों शमशेर सिंह के हाथ पड़ गए ।' अजय ने गोली दी ।
–'क...क्या ?'
–'बेकार वक्त जाया मत करो । तुम्हारे लिए एक–एक पल कीमती है । अगर शमशेर सिंह मेरे पीछे पड़ा होता तो मैंने एक पल भी बेकार नहीं गंवाना था ।'
वेटर आया और अजय को कॉफी सर्व करके चला गया ।
ठिगने का चेहरा सफेद पड़ गया था । सर्दी के बावजूद उसके माथे पर पसीने की बूंदें छलक आई ।
–'त...तुम ब्लफ तो नहीं कर रहे ?' उसने यूं पूछा, मानों खुद को तसल्ली देना चाहता था ।
–'उससे मुझे क्या मिलेगा ?' अजय ने कॉफी सिप करने के बाद पूछा ।
–'तुम मुझे जानते हो ?'
–'हां, तुम विनायक राव वाडेकर हो । अलाइड कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के एक डाइरेक्टर और चन्दन मित्रा के अपहरण की फिरौती की रकम के खरीदार । बम्बई से तुम यहाँ बद्री और भोला को ठिकाने लगाने आए थे । तुमने कोशिश भी की । लेकिन कामयाब नहीं हो सके । अब यह तुम्हारी बदकिस्मती है कि वे शमशेर सिंह के हाथ पड़ गए ।'
–'तुम कौन हो ?'
–''थंडर' का एक मामूली रिपोर्टर । मुझे अजय कहते है ।'
–'ओह, रोशन को तुमने ही शूट किया था ।'
–'हां, यह गुस्ताखी तो मैंने ही की थी ।'
विनायक राव ने असहाय भाव से उसे देखा ।
–'शमशेर सिंह को पता लग चुका है कि फिरौती की रकम मैंने खरीदी थी तो भागना बेकार है । मैं उससे नहीं बच सकता । देर–सबेर उसके हाथ मुझ तक पहुँच ही जायेंगे ।'
–'तुम शमशेर सिंह से बच सकते हो ।'
–'कैसे ?'
–'कानून की मदद करके ।'
–'मतलब ?'
–'कानूनन तुमने सिर्फ फिरौती की रकम खरीदने का जुर्म किया है । अजय ने कहा–'अपहरण में इन्वॉल्व तुम नहीं थे । अगर तुम कानून की मदद करो तो तुम्हारे इस जुर्म को नजरअंदाज किया जा सकता है ।'
–'क्या करना होगा मुझे ?'
–'फिरौती की रकम तुमने बद्री और भोला में खरीदी थी । उच्चाधिकारियों को यह बताकर उन दोनों को अपहरणकर्ता साबित किए जाने में मदद कर सकते हो । साथ ही अलाइड कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड का सारा कच्चा चिट्ठा भी तुम बता सकते हो । दो नम्बर का तमाम पैसा किन साधनों में और कहां–कहां से आता था । मनमोहन सहगल तक वो पैसा कैसे भेजा जाता था, सहगल ने कैसे और कहाँ कहाँ उसे इनवेस्ट किया था । अगर तुम यह सब करने के लिए तैयार हो जाओ तो बच सकते हो ।'
–'तुम्हारा मतलब है, सरकारी गवाह बन जाऊँ ?'
–'हाँ ।'
–'इससे भी कोई फायदा नहीं होगा । यह ठीक है इस तरह कानून की हमदर्दी मुझे हासिल हो जाएंगी । लेकिन शमशेर सिंह से तो फिर भी नहीं बच पाऊंगा ।'
–'लगता है, शमशेर सिंह के खौफ ने तुम्हारी सोचने समझने की ताकत भी छीन ली है । अजय उसे झिड़कता हुआ बोला–'बद्री और भोला में शमशेर सिंह को इतनी ही दिलचस्पी थी कि वह उनसे फिरौती की रकम के खरीदार का पता जानना चाहता है । खरीदार का पता पूछने के बाद उसने उच्चाधिकारियों से सौदा करना है । बद्री और भोला को उन्हें सौंपने के बदले में वह अपनी जब्त की गई रकम वापस पाना चाहता है । इसका सीधा मतलब है कि शमशेर सिंह के साथ–साथ कानून भी तुम्हारे पीछे पड़ जाएगा । जबकि मेरे बताए तरीके पर अमल करके तुम न सिर्फ कानून की हमदर्दी हासिल कर सकते हो । बल्कि शमशेर सिंह के खौफ से भी बच जाओगे । क्योंकि अपनी ऑर्गेनाइजेशन के क्रिया–कलापों के बारे में जो तुम बताओगे । वो शमशेर सिंह और बाकी सभी लोगों को बरसों तक जेल में सड़ाने के लिए काफी होगा । और इसमें तुम्हारा अपना कोई नुकसान नहीं होगा । तुम सिर्फ इतना याद रखो कि उच्चाधिकारियों की सारी दिलचस्पी अपहरणकर्ताओं और शमशेर सिंह तथा उसके आदमियों में है ।'
विनायक राव देर तक बैठा सोचता रहा ।
–'ठीक है ।' अन्त में वह बोला–'मैं तैयार हूँ ।'
–'तो फिर मेरे साथ आओ ।' अजय ने कहा ।
दोनों उठकर बाहर निकल गए ।
* * * * * *
अजय ने विनायक राव को रंजीत से मिलवा दिया ।
रंजीत ने विनायक राव के सहयोग के बदले में उसकी पूरी मदद करने का आश्वासन दे दिया ।
रंजीत ने अजय को बताया तीनों जगह की रेड कामयाब रही थी । और सारे मामले को पूर्णतया गोपनीय रखा जा रहा था ।
सिन्धी गैस्ट हाउस में बद्री के अलावा जो दो आदमी पकड़े गए थे । उनमें से एक शमशेर सिंह का बॉडीगार्ड करतार भी था । जब उसे शमशेर सिंह की गिरफ्तारी के बारे में बताया गया तो उसे यकीन नहीं आया । उसने तभी यकीन किया जब अपनी आँखों से शमशेर सिंह को हथकड़ियां लगी देख लिया । वह समझ गया खेल खत्म हो चुका था । और उसने कबूल कर लिया कि शमशेर सिंह के कहने पर उसने और रोशन ने मिलकर मनमोहन की हत्या की थी ।
इस तरह शमशेर सिंह की तबाही का एक और सामान पैदा हो गया ।
विनायक राव ने अलाइड कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के सभी डायरेक्टर्स मेंबर्स वगैरा की लिस्ट सौंप दी थी ।
चौबीस घंटे के अन्दर विभिन्न शहरों में लगभग सभी पकड़ लिए गए ।
विनायक राव के ही प्रयत्नों से फिल्म स्टार अमरकुमार भी कानून के साथ सहयोग करने को तैयार हो गया ।
तीसरे दिन ।
अजय, शमशेर सिंह से मिलने पहुंचा ।
–'होटल में बैठा मैं अपने पच्चीस हजार के इन्तजार में सूखता रहा हूं ।' वह बोला–'और तुम यहां छिपे बैठे हो ।'
आशा के विपरीत, पराजित, निराश और तन्हा शमशेर सिंह मुस्कराया ।
–'मैं जानता हूँ, यह सब तुम्हीं ने किया है ।' वह बोला–'फिर भी तुमसे कोई शिकायत मुझे नहीं है ।'
अजय को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ । वह हैरानगी से मुंह बाए उसे तकने लगा ।
–'ऐसे क्या देख रहे हो ?' शमशेर सिंह बोला–'देरसवेर यह तो होना ही था । मैं अपना हर अंजाम खुशी के साथ भुगतने के लिए तैयार हूँ । बस एक ही बात का अफसोस रहेगा सारे बखेड़े की जड़ फिरौती की रकम के खरीदार का पता नहीं लग सका । तुम बता सकते हो–'वह कौन था ?'
–'विनायक राव वाडेकर ।' अजय ने जवाब दिया ।
शमशेर सिंह कई पल अविश्वासपूर्वक उसे देखता रहा । फिर गहरी सांस ली और तोंद पर हाथ रखकर आँखें बन्द कर ली ।
समाप्त
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