रोजी खुश थी–बेहद खुश ।

अजय के जाते ही उसने मारिया को बतौर कमीशन पांच सौ रुपये देकर कह दिया था कि उसके सर में दर्द है । इसलिए वह सिर्फ आराम करेगी ! मारिया को यह पसन्द तो नहीं आया । लेकिन रोजी उसे सबसे ज्यादा कमाकर देने वाली लड़कियों में से एक थी । इसलिए मारिया ने भी बेमन से उसे आराम करने की इजाजत दे दी ।

अपने कमरे में लौटकर रोजी ने बाकी रकम अपने दोहरे तले वाले सूट केस में छिपा दी और देर तक बिस्तर पर पड़ी अजय के बारे में ही सोचती रही ।

दिन में सोने की आदत न होने के कारण उसे नींद नहीं आई तो वह फिल्मी मैगज़ीन 'रंगभूमि' उठाकर पढ़ने लगी ।

लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी पढ़ने में ध्यान नहीं लगा सकी । उसकी आँखों के सामने रह–रह कर अजय का चेहरा घूमने लगता था ।

उसने मैगजीन फेंककर एक सिगरेट सुलगा ली ।

तभी बाहर दस्तक दी गई ।

रोजी ने उठकर दरवाजा खोला ।

बाहर एक नौकरानी खड़ी थी ।

–'आपका फोन है, मैडम ।' वह बोली ।

–'कौन है फोन पर ?' रोजी ने लापरवाही से पूछा ।

–'भोलानाथ ।'

रोजी उसे एक तरफ धकेल कर बाहर कारीडोर में दौड़ गई ।

टेलीफोन गलियारे के सिरे पर रखा रहता था ।

उसने अलग रखा रिसीवर उठा लिया ।

–'रोजी स्पीकिंग ।'

–'भोलानाथ बोल रहा हूं, जानी ।' दूसरी ओर से कहा गया–'मैं तुमसे मिलने के लिए तड़प रहा हूँ । फ़ौरन आ जाओ ।'

रोजी को भांपते देर नहीं लगी भोला बहुत ही ज्यादा पिए हुए था ।

–'मुश्किल है, डीयर ।' वह जान बूझकर बोली–'आज रात यहां खास लोग आने वाले हैं । मारिया ने उन्हीं के लिए मुझे रोक रखा है ।'

–'उन्हें संभालने के लिए वहाँ बहुत लड़कियां हैं । तुम मेरे पास आ जाओ । पूरे पांच हजार दूंगा ।'

–'पांच हजार ।'

–'हाँ ।'

–'ठीक है, मैं मारिया को समझाने की कोशिश करूंगी ।'

–'कोशिश नहीं, तुमने उसे रजामंद करके मेरे पास आना है । मैं मोती महल में रूम नम्बर 312 में हूँ । फौरन आ जाओ ।'

–'ओके ।'

रोजी ने रिसीवर वापस रख दिया ।

उसने देखा आसपास कोई नहीं था । अजय द्वारा दिए गए नोटबुक के पेज को वह इतनी बार पढ़ चुकी थी कि उसे सब याद हो गया था ।

उसने पुनः रिसीवर उठाया और होटल सिद्धार्थ का नम्बर डायल करने लगी ।

* * * * * *

अपने कमरे में कुर्सी पर पसरा भोला खर्राटे ले रहा था ।

दस्तक की आवाजें सुनकर उसने आंखें खोली । एक पल के लिए उसे कमरा अपरिचित सा लगा । फिर सब याद आ गया कि बद्री के साथ हुई मारपीट के बाद वह यहां आ ठहरा था । यहीं से उसने रोजी को फोन किया था । और फिर उसका इंतज़ार करते–करते ऊंघने लगा था ।

तभी दोबारा दस्तक दी गई ।

वह समझ गया, रोजी आ पहुंची थी ।

कुर्सी से उठकर वह प्रवेश द्वार पर पहुंचा । की होल में फंसी चाबी घुमाकर दरवाजा खोल दिया ।

सामने एक अपरिचित को रिवाल्वर ताने खड़ा पाकर भोला की खोपड़ी घूम गई ।

आगंतुक अजय था । उसने भोला के पेट में रिवाल्वर अड़ाकर उसे पीछे धकेला और अन्दर आकर पैर की ठोकर से पुन: दरवाजा बंद कर दिया ।

–'यह क्या हरकत है ?' भोला ने गुर्राकर पूछा । वह अजय पर छलांग लगाने ही वाला था कि अपनी ओर तनी रिवाल्वर को देखकर इरादा बदल दिया–'कौन हो तुम ? क्या चाहते हो ?'

–'बद्री कहां है ?' अजय ने सीधा सवाल किया ।

भोला पर अभी तक भी नशे का काफी असर था । वह पीछे हटकर कुर्सी पर बैठ गया और कड़ी निगाहों से उसे घूरा ।

–'कौन बद्री ?' मैं किसी बद्री को नहीं जानता ।'

मुझे सख्ती करने पर मजबूर मत करो, भोला । अजय सपाट स्वर में बोला–'हालांकि तुम्हारे साथ सख्ती करके मुझे खुशी होगी लेकिन मेरे पास वक्त नहीं है । मैं एक बार और पूछता हूँ । बद्री कहाँ है ?'

भोला ने जवाब नहीं दिया ।

अजय रिवाल्वर ताने उसके पास पहुंचा । उसके बाल मजबूती से पकड़ कर सर पीछे खींचा और कनपटी से रिवाल्वर सटा दी ।

–'तुम्हें आखिरी मौका देता हूँ । अगर मेरे सवालों के जवाब देने के लिए तैयार नहीं हुए तो मैं तुम्हारे थोबड़े को कूटना शुरू कर दूंगा । बोलो, क्या कहते हो ?'

–'मैं कुछ नहीं जानता । तुम जबरदस्ती मेरे गले पड़ रहे हो ।'

अजय ने रिवाल्वर की नाल से उसके गाल पर प्रहार कर दिया ।

भोला के गले से कराह निकल गई । उसने कसमसाकर उठना चाहा तो अजय ने उसके बालों पर अपनी पकड़ और मजबूत कर दी । और उसके चेहरे पर रिवाल्वर की नाल से यूं प्रहार करने लगा मानों सचमुच उसे कूटना ही चाहता था ।

भोला के गाल और होंठ जगह–जगह से कट गए और खून बहने लगा । दो दांत टूट जाने की वजह से मुंह भी खून से भरता जा रहा था । दर्द के कारण लगातार कराहता वह मन ही मन गुस्से से उबल रहा था । लेकिन अपरिचित अजय एकाएक इस पर बुरी तरह उस पर हावी हुआ था कि वह प्रतिरोध नहीं कर पा रहा था । उसे डर था अगर उसने ऐसा किया तो रिवाल्वर धारी बेहिचक उसे शूट भी कर देगा ।

विवश और पराजित भोला और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सका ।

–'बताता हूं ।' वह चिल्लाता ला बोला–'बताता हूं ।'

अजय ने प्रहार करने बंद कर दिए ।

–'कहाँ है वह ?' उसने कड़े स्वर में पूछा ।

मुंह खोलते ही भोला के मुंह में भरा खून ठोढ़ी पर बहता हुआ उसके कपड़ों पर आ गिरा । गाल और होंठ जगह–जगह से कट जाने के कारण उसे अपने समस्त चेहरे पर भारी जलन महसूस हो रही थी ।

–'गोखले रोड पर सिन्धी गेस्ट हाउस में है ।' वह खून थूकने के बाद बोला ।

–'रूम नम्बर ?'

–'अठारह ।' भोला कराहता सा बोला, फिर होठों पर जुबान फिराकर पूछा–'अब मेरा क्या होगा ?'

–'यह मेरे बाकी सवालों के जवाब पर निर्भर करता है ।' अजय उसके बाल छोड़कर रिवाल्वर ताने सामने आ गया–'बद्री से चन्दन मित्रा के अपहरण की फिरौती की रकम किसने खरीदी थी ?'

भोला हिचकिचाहट में पड़ गया ।

–'जवाब दो ।' अजय पुनः गुर्राया–'तुम्हारी भलाई इसी में है । बद्री तो इस बखेड़े में गले तक फंस चुका है । लेकिन तुम अभी भी बच सकते हो । बताओ, फिरौती की रकम का खरीदार कौन था ?'

–'इस बात की क्या गारंटी है कि मैं बच जाऊंगा ।' भोला ने खून थूक कर पीड़ित स्वर में पूछा ।

–'कोई गारंटी नहीं है । बस इतना समझ लो अगर तुमने अब अपनी जुबान बंद रखी तो बाद में चाहे गला फाड़फाड़कर चिल्लाते रहना लेकिन तुम्हारी बात पर कोई यकीन नहीं करेगा । क्योंकि तब तक बद्री सारी बला तुम्हारे मत्थे मंढ़ चुका होगा ।

भोला सर से पांव तक कांप गया । उसे लगा, अपरिचित सही कह रहा था । बद्री की खसलत से बखूबी वाकिफ होने की वजह से वह जानता था अपनी जान बचाने के लिए बद्री डबल क्रॉस करने में बिलकुल नहीं हिचकिचाएगा ।

–'फिरौती की रकम का खरीदार कहां हैं ।' वह बोला–'यह तो मैं नहीं जानता । लेकिन वह है इसी शहर में ।'

–'मैंने पूछा था, वह कौन है ?'

भोला ने बता दिया वह कौन था और कहां का रहने वाला था ।

दो रात पहले उसने हमें शूट करने की कोशिश थी । अंत में, उसने कहा–'वह भी नहीं बचना चाहिए ।

–'अब तुम खड़े हो जाओ ।' अजय बोला ।

–'किसलिए ?'

–'खड़े हो जाओ !

भोला कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया ।

–'मैंने सब बता दिया है । अब और क्या चाहते हो ?'

–'बाथरूम में चलो ।'

भोला बाथरूम की ओर बढ़ गया ।

ज्योंही वह दरवाजे में पहुंचा, अजय ने रिवाल्वर के दस्ते का तगड़ा प्रहार उसके सर के पृष्ठ भाग पर कर दिया ।

भीला त्योराकर औंधे मुंह अन्दर जा गिरा और उसकी चेतना लुप्त हो गई ।

अजय ने बिस्तर उलटकर पलंग से निवाड़ खोली और उसका एक लंबा टुकड़ा माचिस से जलाकर अलग कर लिया ।

वह बाथरूम में पहुंचा । भोला के हाथ पैर इतनी मजबूती से बांध दिए कि होश में आने के बाद भी खुद को आजाद न कर सके ।

फिर उसकी जुराबें उतारी । एक जुराब का गोला बनाकर उसके मुंह में ठूंस दिया और दूसरी से उसका मुंह कसकर बांध दिया ।

बाथरूम से निकलकर उसने दरवाजा बंद किया । फिर कमरे से बाहर आकर प्रवेश द्वार बंद करके सीढ़ियों की ओर बढ़ गया ।

नीचे लॉबी में पहुंचकर वह एक पब्लिक टेलीफोन बूथ में जा घुसा ।

उसने रंजीत कुमार सिन्हा से संबंध स्थापित किया ।

–'चंदन मित्रा के अपरहणकर्ताओं का पता चल गया ?' उसने अपना परिचय देकर पूछा ।

–'अभी नहीं । तुम क्यों पूछ रहे हो ?'

–'अगर मेरा ख्याल गलत नहीं है तो शमशेर सिंह तुम लोगों से एक सौदा करना चाहता है ।'

–'कैसा सौदा ?'

–'अगर उसकी जब्त की हुई रकम वापस कर दी जाए तो वह अपहरणकर्ताओं को तुम्हारे हवाले कर सकता है । तुम्हें मंजूर है ?'

–'नहीं । लेकिन तुम्हें यह कैसे पता चला ?'

–'पता लगाने के मेरे अपने तरीके हैं ।'

–'क्या अपहरणकर्ता शमशेर सिंह के कब्जे में है ?'

–'नहीं, वे मेरे कब्जे में हैं ।'

–'क्या ?'

–'दोनों अपहरणकर्ता मेरे कब्जे में हैं ।' अजय ने दोहराने के बाद पूछा–'क्या तुम जानते हो, शमशेर सिंह भी इसी शहर में है ?'

–'नहीं ।'

–'फिर तुम क्या जानते हो ?' अजय ने उपहासपूर्वक पूछा ।

–'हमें कुछ ही देर पहले पता चला है शमशेर सिंह की कम्पनी का एक अन्य डाइरेक्टर यहां आया हुआ है ।'

–'वह कौन है ?'

जवाब में रंजीत ने जो नाम बताया । वो वही था, जो फिरौती की रकम के खरीदार का था ।

–'वह कहां है ?' अजय ने लापरवाही से पूछा ।

'प्लाजा' होटल में ठहरा है । लेकिन…।

–'शमशेर सिंह का पुलंदा बांधने में तुम्हारी कितनी दिलचस्पी है ?' अजय ने उसकी बात काटकर पूछा ।

–'बहुत ज्यादा । लेकिन उसके खिलाफ ठोस गवाह और ठोस सबूत कहा से आएंगे ?'

–'उसके लिए कोशिश की जा सकती है ।'

–'कैसे ?'

–'ध्यान से सुनो, चन्दन मित्रा के अपहरणकर्ता हैं–बद्री प्रसाद सोनी और भोलानाथ पांडे । भोला होटल मोती महल रूम नम्बर 312 के बाथरूम में बंधा पड़ा है । और बद्री गोखले रोड पर सिन्धी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर अट्ठारह में है । लेकिन शमशेर सिंह भी इन आदमियों को अपने कब्जे में लेने के लिए मरा जा रहा है । इन्हें अपने पास लाने के लिए वह अपने खास आदमी भेजेगा । तुमने इस सफाई से दोनों अपहरणकर्ताओं को पकड़ना है कि उनके साथ–साथ शमशेर सिंह के आदमी भी पकड़े जाएं । फिर उन आदमियों को तुम बतौर गवाह शमशेर सिंह के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हो ।'

–'लेकिन शमशेर सिंह खुद कहाँ है ?'

–'किले में ।'

–'मतलब ?'

अजय ने होटल शालीमार में शमशेर सिंह तक पहुंचने के बारे में विस्तार से बता दिया ।

–'शमशेर सिंह तक पहुंचने के लिए तुम्हें बेहद अहतियात बरतनी पड़ेगी । अन्त में, उसने कहा अगर उसे जरा भी शक हो गया तो वह साफ निकल जाएगा ।'

–'जानता हूँ । मैं तीनों जगह एक साथ रेड कराऊंगा ।'

–'बद्री और भोला के पास तुम्हारे आदमी कितनी देर में पहुंच जाएंगे ?'

–'ज्यादा से ज्यादा दस मिनट में ।'

–'गुड ।'

–'तुम अब किस फेर में हो ?'

–'तुम्हारे लिए एक और गवाह जुटाने की कोशिश करता हूँ ।' कहकर अजय ने सम्बन्ध विच्छेद कर दिया ।

उसने एक सिगरेट सुलगाई और हल्के–हल्के कश लेने लगा ।

करीब पांच मिनट बाद, उसने होटल शालीमार का नम्बर डायल किया ।

–'मेरा नाम अजय कुमार है ।' सम्बन्ध स्थापित होने पर वह बोला–'मिस्टर शमशेर सिंह से बातें करना चाहता हूँ...।'

–'किससे ?' आप्रेटर द्वारा पूछा गया ।

–'मिस्टर शमशेर सिंह से ।' अजय गुर्राता सा बोला–'देखो, मैडम यह काल बेहद महत्वपूर्ण है । अगर मिस्टर शमशेर सिंह को फौरन यह काल नहीं मिली तो वह तुम्हें इस होटल में ही नहीं बल्कि कहीं भी नौकरी करने लायक नहीं छोड़ेगा । तुम्हारी सलामती इसी में है फौरन बातें करा दो ।'

–'प्लीज, होल्ड ऑन । मैं रिसेप्शन से पता करती हूँ ।

अजय रिसीवर थामे इन्तजार करने लगा ।

चन्द सेकेण्ड पश्चात् लाइन पर आप्रेटर द्वारा कनेक्शन मिलाने की आवाज सुनाई दी । फिर शमशेर सिंह का स्वर लाइन पर उभरा ।

–'यस ?'

–'मेरे होटल में रिसेप्शन पर बाकी पच्चीस हजार रुपये भिजवा दो । अजय ने कहा ।

–'काम हो गया ।

–'हां ।' अजय ने कहा और भोला और बद्री के पते बता दिए ।

–'तुमने कोई चालाकी तो नहीं की है ?'

–'कैसी चालाकी ?' अजय ने तीव्र स्वर में पूछा–'अपना मतलब निकलते ही आँखें दिखाने लगे । कान खोलकर सुन लो । अगर मेरी बाकी रकम नहीं भिजवाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ।'

–'ठीक है । अब मैं पता कर लूँगा–'वह कौन था ।'

–'क्या ?'

–'कुछ नहीं । तुम्हारी रकम पहुंच जाएगी ।' दूसरी ओर से सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया ।

अजय ने मुस्कराते हुए रिसीवर हुक पर लटकाया और बूथ से बाहर आ गया ।