रेस्टोरेंट शानदार था ।



खाना बेहद लजीज ।



डिनर के दौरान राकेश मोहन या फ्लैट में हुई बातचीत का कोई जिक्र नहीं हुआ ।



रजनी अपने काम और क्रिएटिव लोगों के विषय में बताती रही । रंजीत ध्यान से सुनता रहा । दोनों खुश थे ।



डिनर के बाद कॉफी की चुस्कियों के बीच रंजीत को अचानक कुछ याद आ गया ।



–"तुम्हारी सहेली क्या करती है ?" उसने पूछा–"क्या नाम बताया था तुमने ? मीना ?"



–"हाँ !"



–"वह भी पब्लिशिंग के धंधे में ही है न ?"



रजनी ने यूं सर झुका लिया मानों कोई छोटा बच्चा शरारत करता पकड़ लिया गया था ।



–"मैंने गलत कहा था ।" वह आह–सी भरकर बोली–"मैं जानती हूँ...मैंने ऐसा इम्प्रेशन दिया था, वह मेरी कुलीग है ।"



–"नहीं है ?"



–"नहीं । मैंने बताया था ऑफिस में मेरी कई सहेलियाँ है । फिर तुम्हारा अच्छा व्यवहार और तुम्हें अपने बारे में चिंतित देखकर मैंने मीना का जिक्र कर दिया था ।"



–"कोई बात नहीं । वह क्या करती है ?"



रजनी की आंखों में चिंता झलकने लगी ।



–"तुम्हें जानकर अच्छा नहीं लगेगा ।"



–"तुम बताना नहीं चाहतीं ।"



–"ऐसी बात नहीं है ।"



–"तो फिर बताओ ।"



–"यह सच है कि वह मेरी सहेली है । वीकएंड में मैं अक्सर उसके साथ उसकी कार में घूमने जाया करती थी । राकेश से भी मेरी पहली मुलाकात उसी के साथ हुई थी ।" वह तनिक रुककर बोली–"तुम्हें यह सब मैंने नहीं बताना था क्योंकि मैं नहीं समझती किसी और का इससे कोई ताल्लुक है । लेकिन जब तुमने गैटअवे ड्राइवर के बारे में तो...खैर मेरा ख्याल है जब मैं राकेश से मिली तो उससे बहुत पहले से मीना उसे जानती थी । वह अक्सर फोन पर मुझे उसके लिये मैसेज दिया करती थी ।"



–"कैसे मैसेज ?"



–"उनमें कोई खास बात नहीं होती थी…।"



–"क्या होता था ?"



–"वह मुझे ऑफिस में फोन करती । कुछ देर गपशप करने के बाद पूछती मैंने कब राकेश से मिलना है । मैं उसे बता देती तब वह कहती उससे कहना उसके भाइयों ने कहा है फलां दिन रहेगा और वह दिन बता देती वीरवार, शुक्रवार या कोई और...!"



–"तुम्हें अच्छी तरह याद हैं यही कहती थी–उसके भाइयों ने कहा है ?"



–"हां ! क्यों ?"



–"इसलिये कि यह बात उस फोनवार्ता से मिलती है जो तुमने उस रोज राकेश को उसके फ्लैट में करते सुना था ।"



–"यानी इम्पोर्टेट है ?"



–"हो सकता है । मीना का पूरा नाम क्या है ?"



–"मीना रमानी । मैं इसी नाम से उसे जानती हूं लेकिन...!"



–"वह करती क्या है ?"



–"पता नहीं ।"



–"अंदाजन ?"



–"मेरा अंदाजा गलत हो सकता है लेकिन मुझे लगता है वह ऊँचे दर्जे की वेश्या है ।"



–"हाईली प्राइस्ड कॉलगर्ल ।"



–"ऐसी ही कुछ ! मैं ऐसी बहुत लड़कियों को जानती हूं जो यह धंधा करती हैं...!"

–"सब एक ही जैसी होती हैं ।"



–"लेकिन मीना खास किस्म की है बहुत ही ज्यादा महंगी ।"



रंजीत ने गहरी सांस ली ।



–"तुम यह धंधा करने वाली किसी ऐसी लड़की के संपर्क में–कैसे आयी ?"



रजनी तनिक मुस्करायी ।



–"मुझ जैसी अच्छी लड़की यहां इस शानदार रेस्टोरेंट में क्या कर रही है ?"



रंजीत चकराया ।



–"मैं तुम्हें लेकर आया हूं । क्यों ?"



–"क्योंकि उससे भी इसी तरह मिली थी । जैसे किसी भी दूसरे शख्स से पहली मुलाकात होती है और फिर दोस्ती हो जाती है । तब मैं सोच भी नहीं सकती थी कि वह ऐसा धंधा करती है । वह कोई मामूली कॉलगर्ल या बाजारू वेश्या नहीं है, जिसे कोई भी सड़क चलता हासिल कर सकता है ।"



–"ठीक है ! फिर भी तुम यह सोचकर परेशान हो कि वह ऐसा धंधा करती है या फिक्रमंद हो कि वह ऐसा धंधा करती हो सकती है । तुम जैसी आजाद ख्याल लड़की के लिये यह शर्म की बात है ।"



–"बिल्कुल नहीं !"



–"क्या मतलब ?"



रजनी गुस्से में आ गयी–सी नजर आयी ।



–"मैं न तो परेशान हूं, न फिक्रमंद और न ही मीना की जिस्मफरोशी से मुझे कुछ लेना–देना है । यह उसका जाती मामला है । लेकिन में अच्छी तरह जानती हूं हालात किसी की भी ज़िन्दगी का रुख मोड़ सकते हैं । मैं जानती हूं अगर वह ऊँचे दर्जे की वेश्या है तो किस किस्म के लोगों से उसका साबका पड़ता है । क्योंकि बहुत ज्यादा महंगी है इसलिये उन लोगों का भी ऊँचे दर्जे का होना जरूरी है–असरदार और दौलतमंद !"



–"जैसा राकेश मोहन था ?"



रजनी कई सैकेंड तक खामोश बैठी उसे घूरती रही ।



–"हां, राकेश जैसे या उससे भी बुरे लोगों से मीना का साबिका पड़ता है और मेरे साथ दिक्कत यह है मैं मीना को पसंद करती हूं इसलिये नहीं चाहती वह सड़क पर किसी वाहन से कुचल दी जाये या उसे चाकू से चीर डाला जाये ।"



–"खुलासा तौर पर बताओ तुम कहना क्या चाहती हो ?"



–"यह मेरा अंदाजा है और मुझे काफी हद तक सही भी लगता है । वजह है–वो बातें जो मैंने मीना से सुनी हैं और देखी हैं । मुझे लगता है वह किसी के प्रभाव में है जैसे राकेश था । मेरा ख्याल है कोई उसे कंट्रोल कर रहा है । अपनी मर्जी की मालिक वह नहीं है । जब भी उसे कहा जाता है वह उन लोगों का दिल बहलाने पहुंच जाती है जिनके पास उसे भेजा जाता है और वे चुनिंदा किस्म के लोग होते हैं । वह पैसे के लिये यह काम करती है और मोटा पैसा कमाती भी है । लेकिन कई बार उसे मज़बूरन भी यह करना पड़ता है ।"



–"मज़बूरन ?"



–"हां, और मजबूरी है डर ! देखो, रंजीत, मैं दो ऐसे आदमियों को जानती हूं जिनके बारे में मुझे पूरा यकीन है कि मीना को उनके साथ किसी का हुक्म बजाने की ख़ातिर सोना पड़ा था । वे दोनों आदमी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली हैं । हालांकि मीना ने इस ढंग से बताया था जैसे वे कोई आम आदमी थे, जिनसे इत्तफाकिया मिली है और कभी–कभार उसके पास चली जाती हैं । लेकिन जब से तुमने राकेश के बारे में बताया है कि वह न सिर्फ ड्रग्स के धंधे से जुड़ा था बल्कि पेशेवर गैटअवे ड्राइवर भी था तब से बहुत–सी दूसरी बातें भी इस मामले में फिट बैठ गयी हैं ।"



–"तुम उनके नाम बता सकती हो ?"



–"जो मीना ने बताये थे ?



–"हाँ ।"



अचानक वह आगे झुक गयी ।



–"हरबंस लाल जोशी और नारायन दास खुराना !" धीमे स्वर में बोली ।



रंजीत के कानों में सीटियां–सी बजकर रह गयीं । हरबंस लाल जोशी सत्तारूढ़ दल का सांसद और संसद की एन्टीकरेप्शन कमेटी का अध्यक्ष था । नारायन दास खुराना शहर के बड़े आला सेठों में से एक था ।



–"तुम्हारे पास मीना रमानी की कोई फोटो है ?"



–"हाँ ।"



–"मुझे दिखा सकती हो ?"



–"जरूर ! घर जाकर ढूँढ़नी पड़ेगी । तुम साथ चलोगे ?"



–"चलना ही पड़ेगा ।" रंजीत का चेहरा कठोर था और स्वर चिंतित–"क्या मीना जानती है, तुम मुझसे मिली हो ?"



–"उस रोज के बारे में जानती है जब मैं राकेश के फ्लैट में और बाद में तुमसे मिली थी ।"



– तुमने बताया था ?"



–"हां !"



–"उससे तो कोई फर्क नहीं पड़ता । क्या आज रात के बारे में भी वह जानती है ?"



–"नहीं ।"



–"उसे बताना भी मत ।"



–"नहीं बताऊंगी ।"



–"गुड !"



–"तुम अचानक सीरियस क्यों हो गये ?"



"कॉफी खत्म करो ।" रंजीत एक ही घूँट में अपना प्याला खाली करके बोला–"मैं वो फोटो देखना चाहता हूं ।"



उसे गौर से देखती रजनी कॉफी पीने लगी ।



रंजीत सोच रहा था । कस्बाई शहरों से महानगरीय चकाचौंध की ओर खिंचकर आयी लड़कियों के साथ आमतौर पर यही होता है । आधुनिक और विलासपूर्ण जिंदगी जीने का अपना सपना साकार करने के लिये जल्दी और ढेर सारा पैसा कमाने की चाहत देर–सवेर उन्हें बखेड़ों में फंसा ही देती है ।



–"मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ?" रजनी ने टोका ।



–"क्या जानना चाहती हो ?"



–"अचानक सीरीयस क्यों हो गये ? क्या सोच रहे हो ?"



–"मुझे बताते हुये अच्छा नहीं लग रहा है, रजनी, लेकिन राकेश मोहन से अपने ताल्लुकात की वजह से तुम गुनाह की मुसीबत में फंस गयी हो सकती हो । इस लड़की मीना का साथ भी उतना ही गलत है । राकेश और मीना के साथियों की ओर से कभी भी कोई खतरा तुम पर मंडरा सकता है ।"



रजनी कुछ नहीं बोली ।