तुली को हाईवे पर कुछ देर पैदल चलने के पश्चात नासिक से मुम्बई जाती बस मिल गई थी। एक घंटे के सफर के पश्चात वो मुम्बई पहुंचा । कानों में बंटी की आवाज गूंज रही थी। ये जानकार उसे राहत मिली थी कि वो जिन्दा है और सही सलामत है। परन्तु फोन पर बात करते-करते इस वक्त उधर अवश्य कोई गड़बड़ हुई थी । कुछ हुआ था ।

बंटी के बारे में तुली अब पहले से भी ज्यादा परेशान हो गया था ।

लेकिन इस बात का चैन भी था कि परिवार के हत्यारों का पता चल गया । लियू ने खुद स्वीकार किया था कि उसने और शांगली ने उसके परिवार का सफाया किया ।

तुली जानता था कि ये काम शांगली ने किया है । लियू के कहने के ढंग से वो समझ गया था कि लियू इस मामले में बाद में आई। शांगली शुरू से ही इस मामले में था 

अब शांगली को भी खत्म करना था उसने ।

परन्तु बंटी को भी तो शीघ्र ढूंढना था । वो जान के खतरे में है ।

तभी तुली के पास मौजूद, धर्मा वाला फोन बजने लगा ।

"हैलो ।" तुली ने बात की ।

उधर से गहरी सांस लेने की आवाज आई । फिर माईक का स्वर कानों में पड़ा ।

"तुली, बहुत गड़बड़ हो गई ।"

तुली के जबड़ों में कसाव आ गया ।

"क्या ?"

"तुम्हारे बेटे को कुछ लोग मेरे हाथों से छीनकर ले गये ।"

"अब नई चाल चल रहे हो ?"

"नई साल ? पहले कौन-सी चाल चली है मैंने तुम्हारे साथ ?" माईक की आवाज कानों में पड़ी ।

"लियू ने मुझे सब कुछ बता दिया है ।"

"क्या ?"

"यही कि तुम और लियू मिलकर मेरे सामने ड्रामा कर रहे थे। माईक के पास थे । बंटी लियू के पास था और उसके आदमियों ने बंटी तुम्हारे हवाले कर दिया । ताकि तुम मुझ पर अपना अच्छा प्रभाव जमा सको । और मैं तुम्हारे विदेश मंत्री की हत्या के सिलसिले में अमेरिका के हक में गवाही दूं।"

"बकवास।"

"लियू ने सब कुछ मुझे बता दिया।"

"वो ऐसा कुछ नहीं बता सकती ।" माईक का स्वर तेज हो गया ।

"क्यों नहीं बता सकती ?"

"क्योंकि ऐसा कुछ है ही नहीं--- मेरा लियू से कोई मतलब नहीं ।"

"तो लियू झूठ बोल रही है ?"

"हां ।"

"गुड ! तुमने बंटी को कैसे हासिल किया--- किससे हासिल किया ?" तुली कड़वे स्वर में बोला ।

"शांगली के एक ठिकाने पर हमला करके....।"

"ये ड्रामा छोड़ो, मुझे लियू ने सब बता दिया है । लियू की बात को तुम झुठला नहीं सकते ।"

माईक की आवाज नहीं आई ।

"तुम इन चालों से मुझे नहीं फंसा सकते माईक ।"

"दस लाख डॉलर भी तो दूंगा तुझे । एक लाख  तुम ले चुके हो । बाकी के नौ लाख मैंने तैयार रखें हैं ।

"मुझे कुछ नहीं चाहिये ।"

"रकम बढ़ा सकता हूं । बीस लाख डॉलर । बेशक पहले ले लो । ये सौदा कितना बढ़िया है ।"

"उस इंसान के लिए बहुत बढ़िया है, जिसे दौलत की जरूरत हो । मुझे नही जरूरत है ।"

"आती दौलत को कभी नहीं छोड़ना चाहिये तुली।"

"भाड़ में जाओ ।" तुली ने सख्त स्वर में कहा और फोन बंद कर दिया ।

आगे बढ़ता रहा तुली ।

अब उसे शांगली की तलाश थी ।

अपने परिवार की हत्या का बदला लेना था।

उसकी बात लियू को भी खत्म करना था । प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लियू की भी सहमति है, उसके परिवार की हत्या करने में, लियू और शांगली उसकी पत्नी और दो बच्चों की हत्या की जिम्मेदार थे ।

तुली को लग रहा था कि अब उसके हालात कुछ बेहतर हो रहे हैं।

बंटी के बारे में जानकारी मिली । उससे बात हुई ।

उसके परिवार के हत्यारों का पता चला ।

"ये दोनों बातें उसके लिए सफलता की थी ।

R.D.X. उसके साथ थे । दयोल पर भी वो भरोसा कर सकता था ।

फुटपाथ पर पैदल ही आगे बढ़ता रहा तुली । शाम के तीन बज रहे थे । उसे भूख भी महसूस हुई तो खाने के लिए एक रेस्टोरेंट में जा बैठा। आधे घंटे बाद खाकर बाहर निकला । पैसे भी खत्म होने वाले थे । परन्तु उसे भरोसा था कि खर्चे के लिए पैसे का इंतजाम वो कहीं से कर ही लेगा ।

यही वो वक्त था जब फोन बजने लगा ।

"हैलो ।" तुली ने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन पर बात की ।

"तुम ठीक हो ?" उधर राघव था ।

"हां, ठीक हूं ।"

"लियू तुम्हारे साथ थी ?"

"थी, परन्तु अब नहीं है । वो और माईक मिलकर ऐसा खेल खेल रहे हैं कि जिससे मैं प्रभावित होकर, अमेरिका के हक में गवाही दे दूं । लेकिन मैं उसका खेल समझ गया । मेरे बेटे से अवश्य मेरी बात हुई । तुली बोला ।

"कैसे ?"

तुली ने बताया ।

"ओह । अब तुम्हारा बेटा कहां है ?"

"मैं नहीं जानती कि उसे माईक के पास से कौन ले गया । लेकिन जो भी ले गया है । वो इस बारे में मेरे से बात अवश्य करेगा ।"

"तुम्हें तुम्हारा बेटा मिल जाता तो कितना अच्छा रहता ।"

"मुझे विश्वास है कि वो मिलेगा ।" नई खबर ये है कि मुझे मालूम हो गया है कि मेरे परिवार को किसने मारा ?"

"किसने ?"

"चीनी एजेन्ट ने । लियू और शांगली ने । खासतौर से शांगली ने ।" तुली के दांत भिंच गये ।"

"कैसे पता चला ?"

"लियू ने मानी ये बात । अपने मुंह से स्वीकार किया, मेरे परिवार की हत्या करना।"

"क्यों मारा ?"

"क्योंकि वो मुझे, मेरी छिपी जगह से बाहर निकालना चाहते थे । उन्हें भरोसा था कि अपने परिवार की हत्या हो जाने के बाद मैं गुस्से में सामने आ जाऊंगा ।"

"और ये ही हुआ ।"

"हां । ये ही हुआ । फोन पर बात करते हुए तुली का चेहरा धधक कर लाल हो चुका था ।

राघव की गहरी सांस लेने की आवाज आई । फिर उसकी आवाज कानों में पड़ी ।

"हम इस वक्त शांगली के चाईना बाजार में मौजूद हैं ।"

"क्यों ?"

"तुम लियू के पास थे । तो हमने सोचा शांगली पर हाथ डालना ही ठीक रहेगा और....।"

"मुझे बताओ चाईना बाजार कहां है । मैं वहां पहुंच रहा हूं । शांगली सिर्फ मेरा शिकार है ।" तुली गुर्रा उठा ।

इधर से राघव ने तुली को चाईना बाजार का पता बता दिया ।

■■■

लियू मुम्बई में एक जगह पर कार से उतर गई । कार आगे बढ़ गई । तभी उसे माईक का फोन आया ।

"अब तो खुश हो माईक ।" लियू कह उठी ।

"खुश ?" माईक का जला-भुना स्वर कानों में पड़ा ।

"तुली का बेटा शांगली ने तुम्हारे हवाले कर दिया है अब तुम तुली को खुश कर....।"

"हो गया तुली खुश और मैं भी बहुत खुश हो गया ।" माईक की आवाज में कड़वापन था ।

"क्या हो गया है तुम्हें ?" लियू होंठ सिकोड़ कर बोली ।

"तुमने तुली को क्यों बताया कि हम दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। पूरे मामले पर ?"

"मैंने बताया ।"

"तुली ने कहा मुझसे ।"

लियू गहरी सांस लेकर कह उठी ।

"मैंने उसे कुछ नहीं बताया । वो मुझे भी कह रहा था कि मैं माईक के साथ मिलकर ये खेल-खेल रही हूं, लेकिन मैं नहीं मानी, परन्तु मुझे लगता है कि तुम मान गये कि, वो सही कह रहा है ।"

माईक की आवाज कानों में नहीं आई ।

"तुमने ये बात मानकर गलती की ।"

"मेरे ख्याल में तुली ज्यादा होशियार है । हमने उसे कम आंका ।" माईक की आवाज आई ।

"वो होशियार है । तभी तो हर तरफ से बचा हुआ है अभी तक । तुली से अब क्या बात हुई ?"

'बात खत्म हो गई ।"

"कैसे ?" लियू के माथे पर बल पड़े ।

"उसके बेटे को मेरे हाथ से छीनकर ले गया ।"

"ओह, कैसे हुआ ?"

"मैं शांगली के उस ठिकाने से तुली के बेटे को लेकर निकला । मेरा इरादा सड़क से टैक्सी लेने का था, क्योंकि मैं सावधानी के तौर पर टैक्सी पर, अकेला ही आया था । लेकिन अभी गली में ही था कि तीन लोगों ने मुझ पर हमला किया। दो मेरी पिटाई करने लगे और तीसरा तुली के बेटे को उठा कर भाग गया । फिर मुझे पीटने वाले खिसक गये ।"

"इसका मतलब तुम पर या शांगली के ठिकाने पर नजर रखी जा रही है ।" लियू ने कहा।

"ये ही बात है ।" माईक की आवाज लियू के कानों में पड़ी ।

"शांगली खतरे में है ।" लियू के होंठों से निकला ।

"अब मैं क्या....।"

लियू ने फोन काटा और शांगली को फोन किया ।

"हैलो ।" शांगली की आवाज कानों में पड़ी ।

"क्या कर रहे हो ?"

"कुछ नहीं । यहां से निकलने वाला हूं ।"

"तुम खतरे में हो सकते हो । तुम्हारे वहां से जब माईक तुली के बेटे को लेकर निकला तो उस पर हमला करके, बच्चे को छीन लिया गया।"

"ओह ।"

"तुम्हारी ठिकाने पर वो लोग जो भी है, नजर रखते हो सकते हैं।" लियू ने कहा ।

"समझा । मैं यहां से निकलता हूं। तुम मुझे चार नम्बर ठिकाने पर मिलो । वहीं आता हूं ।"

"अपने पीछे वहां किसी को मत ले आना ।"

"निश्चिंत रहो । सब ठीक रहेगा । मैं ध्यान रखूंगा । और तुली का क्या हुआ--- वो ।"

"तुम वहीं मिलो । फिर बात करेंगे ।" लियू ने कहा और फोन बंद कर दिया।

■■■

बंटी इस तरह खाना खा रहा था, जैसी बहुत भूखा हो । डाइनिंग टेबल खाने के सामान से सजा हुआ था । साथ में सैवन इलैवन भी खा रहा था।  खाने की जरूरतों को पूरा करने के लिये मौली वहां मौजूद थी ।

मौली सत्ताईस बरस की खूबसूरती युवती थी । इस वक्त उसने कमीज-सलवार पहन रखा था । सिर के ऊपर, थोड़ा सा पीछे उसने जूड़ा कर रखा था । ये सैवन इलैवन का फ्लैट था ।

कुछ देर बाद सैवन इलैवन खाना खाकर उठा ।

बंटी का भी पेट भर गया लगता था । उसके खाने की रफ्तार कम होने लगी थी ।

"लगता है इतने कई दिनों से ठीक से खाना नहीं खाया ।" मौली कह उठी ।

सैवन इलैवन बाथरूम की तरफ बढ़ गया ।

बंटी ने मौली को देखा ।

"खाओ बेटे ।"

"बस । पेट भर गया ।"

"तुम्हें हमसे डरने की जरूरत नहीं है । हम तुम्हारे पापा के दोस्त हैं ।" मौली ने कहा।

"सच ?"

"हां ।"

तभी सैवन इलैवन वहां आ पहुंचा ।

"मैंने फोन पर पापा से बात की थी ।"

"कब ?"

"जब तुम मुझे ले भागी थी । तब मैं पापा से ही बात कर रहा था ।" बंटी ने कहा ।

मौली, सैवन इलैवन से कह उठी---

"तुली का, माईक से वास्ता है ।"

"हां, लेकिन वो वास्ता कैसा है, ये हम नहीं जानते ।"

"हो सकता है तुली ने माईक को सब कुछ बता दिया हो । वो अमेरिका के हक में गवाही देने जा रहा हो।"

"ऐसा हो तो माईक तुली को आजाद न छोड़ता । हर वक्त उसके साथ ही रहता ।"

"तुम्हारा मतलब है कि तुली और माईक एक नहीं हैं?"

"नहीं ।" सैवन इलैवन ने इंकार में सिर हिलाया--- "माईक उसका विश्वास  जीतने की चेष्टा में है ।"

"कैसे जाना ?" मौली की निगाह सैवन इलैवन पर थी ।

"तुली उधर चीनी एजेन्ट लियू के साथ था और इधर शांगली, माईक को, तुली का बेटा दे रहा था । इस बच्चे को लेने के बाद माईक ने इसकी तुली से बात कराई । शायद तुली को माईक ने यही कहा होगा कि उसने बंटी को शांगली के चुंगल से आजाद करवाया है।"

"ताकि माईक, तुली के सामने अच्छा बन सके ।"

"यही बात है ।"

"तुली, माईक और लियू की चालाकी नहीं समझा होगा ।"

"क्या पता ।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में कहा--- "लेकिन ये तो पक्का है कि तुली ने माईक को कुछ नहीं बताया । अगर तुली माईक को सब कुछ बता चुका होता तो । माईक इस मामले में इतनी सिरदर्दी नहीं लेता । न ही वो तुली को अपने से अलग होने देना चाहता ।"

"चीनी एजेन्ट चाहते हैं कि तुली अमेरिका के हक में हो जाये ।"

"ताकि इंडिया और अमेरिका के रिश्ते बिगड़ें ।"

"यही बात ।"

"फिर तो खतरनाक इरादे हैं चीनी एजेन्टों के ।"

तभी सैवन इलैवन का फोन बजा ।

"कहो।"

"मैं भट्ट । तुली पर नजर रख रहा हूं । वहां हाईवे से उसे मुम्बई जाती बस मिल गई । मैं उसके पीछे था चुपके से बस की छत पर चढ़ गया ।"

"अब तुली कहां है ?"

"अभी-अभी वो शांगली के चाईना बाजार पहुंचा है ।"

"चाईना बाजार ?"

"क्या हुआ ?"

"R.D.X. भी वहीं हैं । मेरे ख्याल में तुली की R.D.X. से बात हुई है । तभी तुली वहां पहुंचा है ।" सैवन इलैवन बोला ।

"ओह ।"

"तुम तुली को नजर में रखो । वहां भुवन ,रावत और अशोक, R.D.X. पर नजर रख रहे हैं । उनसे मिल लेना ।"

"ठीक है । मेरे ख्याल में वो वहां शांगली की तलाश में हैं ।"

"ये तो पक्का है ।"

"क्यों ?"

"तुम पता करो कि क्यों.... ये देखो कि वहां क्या करते हैं ?"

"बढ़िया।"

"लियू कहां है ?"

"वो वहां से निकल गई थी । तुली के हाथ-पांव बांध गई थी । मुझे तुली को आजाद करने के लिये रुकना पड़ा ।"

"तो तुली ने तुम्हें देखा ?"

"हां, वो जानना चाहता था कि मैं कौन हूं, लेकिन मैं वहां से निकल गया।

"ठीक है। वहां नजर रखो । R.D.X. और तुली के इरादे ठीक नहीं लगते ।"

"तुम क्यों नहीं मैदान में आ जाते ।" उधर से भट्ट की आवाज कानों में पड़ी।

"मैदान में तो हूं ।" सैवन इलैवन के चेहरे पर मुस्कान थिरक उठी ।

"मेरा मतलब है कि ये साबित हो चुका है कि शांगली चीनी एजेन्ट है । ये भी कि तुली यहां पर है, तुम तुली को नहीं मार रहे । न ही मुझे आर्डर दे रहे हो कि मैं उसे मारुं ।"

"तुली को अभी कुछ नहीं कहना है।"

"क्यों ?"

"वो चारों शांगली के यहां यूं ही नहीं हैं।  देखना चाहिये कि वो क्या करते हैं ?"

"ठीक है ।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद कर दिया ।

■■■

लियू एक कपड़े की दुकान के पीछे बने, कमरे में थी और खाना खाने के बाद कॉफी के घूंट भर रही थी कि तभी दरवाजा खुला और शांगली ने भीतर प्रवेश किया ।

दोनों की नजरें मिलीं । शांगली मुस्कुराया ।

"तुम्हारा पीछा किया गया ?" पूछा लियू ने ।

"नहीं ।" शांगली बैठता कह उठा--- "तसल्ली कर लेने के पश्चात ही, मैं यहां तक पहुंचा हूं ।"

लियू ने कॉफी का घूंट भरा ।

"तो माईक से, तुली के बेटे को कोई छीन ले गया ।" शांगली गम्भीर हुआ ।

"हां । हमने माईक की पूरी सहायता की तुली को अपने प्रभाव में ले सके वो ।"

"परन्तु बात नहीं बनी ।"

"शायद बात नहीं बनी ।"

"शायद नही बनी ।" लियू ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"तुली माईक के साथ नहीं है ?"

"अभी तक तो नहीं ।"

"तो अब तो हमें क्या करना चाहिये ?"

"तुम खतरे में हो ।"

"मैं-कैसे ?" शांगली अजीब से स्वर में कह उठा ।

"मैंने तुली को बताया कि तुमने उसके परिवार को मरवाया है ।"

"ओह ।"

"तुली तुम तक अवश्य पहुंचेगा। मैं तो वापस चीन लौट जाऊंगी, परन्तु तुम....।"

"ये गलत किया तुमने ।"

"उस वक्त उसे ये बात कहना मुझे ठीक लगा था।"

"तुली हमेशा खतरा बनकर मेरे सिर पर रहेगा ।" शांगली उखड़े स्वर में कह उठा--- "ये बात तुली को नहीं बतानी चाहिये थी ।"

"जो हो गया, हो गया । आगे की सोचो ।"

"मेरे लिए तुली को खत्म करना अब जरूरी हो गया है । वो मरेगा तो अमेरिका के हाथ कुछ नहीं लगेगा ।"

"बेहतर होगा तुम चीन लौट जाओ । अपनी जगह पर किसी और को भेज दो ।"

"ये आसान नहीं है लियू, मैंने अपनी जिन्दगी के पच्चीस साल मुम्बई में बिताये है । मेरी जड़ें गहरी हैं। पूरे मुम्बई में मेरा चाईना बाजार मशहूर है। मेरे अपने कॉन्टेक्ट हैं । ये सब कैसे छोड़ सकता हूं ?"

"सैवन इलैवन की नजर तुम पर पड़ चुकी है ।" लियू ने कहा ।

"हां, दोनों तरफ से मैं मुसीबत में हूं, लेकिन मुझे विश्वास है कि मैं सब कुछ ठीक कर लूंगा ।" शांगली बोला ।

"मेरे ख्याल में बेहतर यही है कि तुम चीन चले जाओ ।" लियू ने पुनः कहा।

"ये संभव नहीं ।"

"तुम्हारी मर्जी ।" लियू ने कहा और सिगरेट सुलगा ली ।

कुछ पल सोच कर शांगली बोला ।

"अब तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ?"

"मैं अभी मुम्बई में ही हूं। देखूंगी कि माईक, तुली को समझा पाता है या नहीं ।"

"मेरे लिये तो इस मामले में अब कोई काम नहीं बचा ।"

"तुम्हारे लिए सबसे बड़ा काम ये ही है कि खुद को तुली से बचाओ और उसे खत्म कर दो ।"

"मैं ऐसा ही करूंगा ।"

"वो खतरनाक है ।"

"मैं भी कम नहीं ।" शांगली मुस्कुराया--- "मैं अब वापस चाईना बाजार जाऊंगा ।"

"मैं तुम्हें वहां जाने की राय नहीं दूंगी । बाकी तुम्हारी मर्जी ।"

"मैं जाऊंगा ।"

"तो बेहतर है कि अपनी सुरक्षा के इंतजाम पक्के कर लो ।

"ये मैं अभी करता हूं ।" शांगली ने कहा--- "तुम यहीं रहोगी ?"

"मेरा कुछ पता नहीं । जरूरत पड़े तो तुम मुझसे फोन पर बात कर लेना ।" लियू ने कहा ।

"हमारा काम पूरा हो जाता अगर माईक ने, तुली के बेटे के हाथ से न जाने दिया होता ।"

"वो वक्त पीछे छूट चुका है शांगली।"

"क्या ख्याल है, किसने तुली के बेटे को अपने कब्जे में लिया होगा ?"

"कुछ पता नहीं । लेकिन वो जो भी है सामने आयेगा । तुली से अवश्य बात करेगा ।"

"मैं चलता हूं ।"

"अपना ध्यान रखना ।"

शांगली बाहर निकल गया ।

लियू कुछ देर बैठी रही । सोचती रही फिर फोन निकालकर माईक का नम्बर मिलाया ।

"हैलो ।" कानों में माईक की आवाज पड़ी ।

"कहां हो ?"

"अभी एम्बेसी पहुंचा हूं । तुली के बेटे का कुछ पता चला ?" उधर से माईक ने पूछा।

"नहीं । अब मैं उसका पता लगाने की जरूरत ही नहीं समझती । तुम उसे बचा नहीं सके ।"

"सब कुछ अचानक हुआ । वो तीन थे । दो युवक एक युवती । युवकों ने मुझे घेर लिया और युवती बच्चों को गोद में उठाकर भाग ली।  मैं कुछ भी न कर सका । वो तीनों ही फुर्तीले थे । तेज भी ।"

"उन्हें पहले कभी देखा था ?"

"कभी नहीं देखा ।"

"अब क्या करने की सोच रहे हो ?"

"अभी कुछ नहीं सोचा ।"

"मैं तुम्हें एक जगह बता सकती हूं, जहां तुली हर हाल में पहुंचेगा ।"

"कौन सी जगह ?"

चाईना बाजार । वो शांगली की तलाश में सौ प्रतिशत वहां जायेगा ।"

"क्यों ?"

"क्योंकि मैंने तुली को बता दिया था कि उसके परिवार को मैंने और शांगली ने मारा ।"

"तुम्हें अपना नाम नहीं लेना चाहिये था । क्योंकि तुम तब इस मामले में नहीं थी ।"

"कहना पड़ा । ताकि मेरी बात को सच समझे । ये सब मैंने तुम्हारे लिए किया और तुम चूक गये ।"

"तुली शायद हमारे खेल को समझ गया था ।"

"वो तेज है । होश नहीं खोता अपने । यही उसकी खासियत है ।"

"शांगली क्या चाईना बाजार जायेगा ?"

"मैंने मना किया । लेकिन वो नहीं माना । फिर भी उसने अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लिया है ।"

"जितना मैंने अब तक तुली को जाना है, उस हिसाब से, वो शांगली को मारने में सफल हो जायेगा ।"

"इतना आसान नहीं है, जितना कि तुम सोच रहे हो ।" लियू के होठों पर मुस्कान उभरी-"शांगली शैतान है ।"

"वो तो सब चीनी ही है ।"

"सब नही कुछ । तुली को पाने के लिए तुम्हें शांगली के करीब रहना चाहिये माईक ।"

"ख्याल बुरा नहीं।"

"लियू ने फोन बंद कर दिया।

■■■

भट्ट चाईना बाजार की इमारत की बाहरी गेट के पास मौजूद था । भुवन-रावत और अशोक वहां पर उसकी मौजूदगी को जान चुके थे । वे तीनों R.D.X. पर नजर रखे हुए थे । R.D.X. अलग-अलग हुए, शांगली के बारे में अपने-अपने ढंग से जानने की चेष्टा कर रहे थे कि वो कहां होगा, कहां मिल सकेगा ।

भट्ट ने महसूस किया कि बीते आधे घंटे में मुख्य द्वार पर पहरेदारी कुछ बढ़ गई है । पहले वहां पर कोई भी नहीं था अब वहां तीन हथियारबंद (रिवॉल्वरें जेबों में ) व्यक्ति नजर आने लगे थे और हर आने जाने वाले को ध्यानपूर्वक देख रहे थे । जरूरत पड़ने पर वो तलाशी लेने में, पीछे नहीं हटते ।

इमारत के आहते में पार्किंग की तरफ भी उसने दो व्यक्तियों की नई मौजूदगी देखी ।

भट्ट ने मोबाइल निकाला और रावत को फोन किया ।

"बोल ।" रावत की आवाज कानों में पड़ी ।

"चाईना बाजार के मुख्य गेट पर अचानक ही तीन आदमी दिखने लगे है, जो आने-जाने वालों पर नजर रख रहे हैं ।"

"यहां भी मैंने कई ऐसे आदमियों को देखा है, जो इधर-उधर खड़े हैं । पिछले पन्द्रह-बीस मिनटों से ही वो नजर आने लगे हैं ।"

"कौन हो सकते हैं ये लोग ?" भट्ट ने कहा ।

"बाहरी लोग इस तरह मॉल में हर जगह नजर नहीं आ सकते । ये शांगली के ही आदमी होंगे।"

"इसका मतलब शांगली आने वाला होगा ।" भट्ट ने कहा ।

"क्या मतलब ?"

"अगर ये शांगली के आदमी हैं तो शांगली आ रहा होगा । तभी उसने पहरेदारी बढ़ा दी है ।"

"ये भी संभव है ।" उधर से रावत ने कहा ।

"सतर्क हो जाओ ।" भुवन और अशोक को भी सावधान कर दो ।

"अगर शांगली आने वाला है तो मुसीबत शुरू हो रही है । R.D.X. पहले से ही शांगली को एक मिनट ।" भट्ट कहते-कहते कह उठा । उसकी आंखें हैरानी से फैल गई । वो हक्का-बक्का सा खड़ा तुली को देख रहा था, जो अभी-अभी उससे चंद कदमों की दूरी से निकलकर मॉल के प्रवेश गेट की तरफ जा रहा था ।

"क्या हुआ ?" उधर से रावत की आवाज कानों में पड़ी ।

भट्ट ने फोन कान से लगाये रखा ।

उसके देखते ही देखते तुली मॉल में प्रवेश कर गया। वहां खड़े तीनों व्यक्तियों ने उसे नहीं रोका । तलाशी भी नहीं ली । स्पष्ट था कि वे तुली को नहीं पहचानते हैं।  उस पर कोई शक भी नहीं हुआ कि उसकी तलाशी लें ।

"रावत ।"

"क्या हुआ--- चुप क्यों....?"

"यहां तुली आ पहुंचा है ।" भट्ट ने हड़बड़ाये स्वर में कहा ।

"तुली ?"

"हां--- वो ।"

"तुमने उसे ठीक से पहचाना....?"

"बच्चों जैसी बातें मत करो । वो मेरे सामने से निकला है । उसे जरूर R.D.X. ने बुलाया होगा।"

"R.D.X. तुली को जानते हैं?"

"इस मामले में वे तुली का साथ दे रहे हैं । उनकी तुली से अवश्य फोन पर बात हुई होगी, तभी ।"

"तुली ने कैसे कपड़े पहने हैं--- वो कैसा दिखता है ?"

भट्ट ने बताया ।

"मैं अशोक और भुवन को ये नई खबर देता हूं । तुम फोन बंद करो ।" उधर से रावत की आवाज कानों में पड़ी ।

भट्ट ने फोन काटा और सैवन इलैवन को फोन करके सारी बात बताई ।

"वहां पहरा बढ़ने का मतलब है कि शांगली कभी भी वहां पहुंच सकता है।" सैवन इलैवन ने उसकी बात सुनकर कहा ।

"तुली भी यहां-R.D.X. भी....।"

"वे चारों शांगली के लिये ही वहां है ।"

"क्यों ?"

"शायद उसे खत्म करेंगे । चारों का उस जगह पर होना, यही साबित करता है ।"

"फिर तो खून-खराबा होगा । यहां शांगली के आदमी हैं और सामान खरीदने वालों की भीड़ भी है । निर्दोष लोग मरेंगे ।"

"जो होने वाला है, उसे रोक पाना आसान नहीं है ।" सैवन इलैवन का गम्भीर स्वर कानों में पड़ा ।

"एक रास्ता है ।"

"क्या ?"

"पुलिस को मॉल में बम होने की खबर दे दी जाये ।"

"ये युक्ति काम कर सकती है । तुम अभी फोन करो पुलिस को ।" उधर से सैवन इलैवन ने फोन बंद कर दिया ।

■■■

माईक चाईना बाजार पहुंचा ।

भारी भीड़ थी वहां, रोज की तरह । लोगों से लोग टकरा रहे थे । मॉल के कर्मचारियों ने नीली वर्दी पहन रखी थी । इसलिये वे दूर से ही अलग नजर आ रहे थे ।

माईक ने एक कर्मचारी से पूछा ।

"शांगली कहां है ?"

"पता नहीं ।"

"मुझे बताओ जरूरी काम है ।" माईक ने कहा--- "वो भी मुझसे मिलना चाहेगा ।"

"सर, मॉल में नहीं हैं ।"

"तो कहां है ?"

"बक्सर को पता होगा ।"

"बक्सर कौन....?"

"वो उधर गेट पर है, काली कमीज पहनी है उसने।"

माईक सीधा प्रवेश गेट पर पहुंचा । वहीं पर वो तीनों आदमी खड़े थे । उनमें एक काली कमीज वाला था ।

"शांगली कहां है ?" माईक ने उससे पूछा ।

"तुम कौन हो ?" उसने माईक को गहरी निगाहों से देखा ।

"मेरा नाम माईक है । शांगली मुझे जानता है । वो मुझसे मिलेगा ।"

"मैं तुम्हें नहीं जानता ।"

"लेकिन शांगली जानता है । तुम उसे मेरा नाम लेकर कहो कि....।"

"तुम हो कौन ?"

"मैं C.I.A. एजेन्ट माईक हूं ।" माईक ने धीमे स्वर में कहा ।

बक्सर की आंखें सिकुड़ी। आस-पास देखते हुए उसने फोन निकाला और नम्बर मिलाया ।

कुछ पलों बाद उसकी शांगली से बात हो गई ।

"सर ।" बक्सर बोला--- "यहां सब ठीक है ।"

"चौकस नजर रखो । कोई संदिग्ध दिखे तो उसे बाहर ही रखो ।" शांगली की आवाज कानों में पड़ी।

"अभी तक ऐसा कुछ नहीं है । एक आदमी आपसे मिलने को बेताब हो रहा है । कहता है वो C.I.A. का जासूस माईक है ।"

"माईक ।" उधर से शांगली चौंका ।

"वो अपने बारे में यही बताता है ।"

"वो कोई धोखा भी हो सकता है । तुम्हारे पास है वो अभी ?"

"हां ।"

"मेरी बात कराओ।"

बक्सर ने माईक की तरफ फोन बढ़ाया ।

"लो, बात करो ।"

माईक ने तुरन्त फोन लिया और शांगली से बात की ।

"शांगली ।" माईक बोला ।

"ओह, तो तुम ही हो माईक ।"

"हां, मुझे लियू ने सब बता दिया है कि तुम चाईना बाजार आ रहे हो ।" माईक बोला ।

"हां, रास्ते में हूं, परन्तु तुम....।"

"लियू ने मुझे सब बता दिया है।  तुम खतरे में हो । तुली तुम्हें खत्म कर देना चाहेगा ।"

"तो ?"

"मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं । मुझे तुम्हारी चिंता है । शांगली ।"

"सिर्फ यही बात है ?" उधर से शांगली का शंकित स्वर कानों में पड़ा ।

"मुझे तुली की भी जरूरत है । हम उसे पकड़ लेंगे । मैं तुम्हारे साथ रहूंगा तो तुम्हारा ही फायदा है ।"

शांगली की आवाज नहीं आई ।

"शांगली, मेरी बात सुन रहे हो न?"

"हां, शांगली का स्वर कानों में पड़ा--- "तुम वहीं रहो, मैं आधे घंटे में चाईना बाजार पहुंच जाऊंगा । फिर बात करेंगे।"

"ठीक है ।" माईक ने कहा और फोन बक्सर की तरफ बढ़ा कर कहा--- "वो आ रहा है । उसने मुझे रुकने के लिये कहा है ।"

■■■

दस मिनट भी नहीं बीते थे कि वहां पुलिस सायरन की आवाजें  गूंज उठीं।

हर कोई चौंका ।

सायरन बजाती एक के बाद एक वहां आठ-दस गाड़ियां रुकीं। पुलिस वाले बाहर निकले । प्रवेश गेट पर खड़े उन तीनों व्यक्तियों से पुलिस वालों ने कहा---

"हमें खबर मिली है कि मॉल में दो पावरफुल बम रखे हुए हैं, जो कभी भी फट सकते हैं।"

"ओह ।"

"मॉल में स्पीकरों का प्रबंध है ?"

"हां ।" बक्सर ने जल्दी से कहा ।

"तो पूरे मॉल में अनाउंसमेंट कर दो कि लोग मॉल से बाहर आ जाये । यहां कभी भी तबाही मच सकती है ।"

बक्सर फौरन भीतर की तरफ दौड़ा ।

उधर एक जीप में मौजूद स्पीकर ऑन करके पुलिस वाले बम फटने की चेतावनी देते हुए लोगों को इमारत से दूर हो जाने की चेतावनी देने लगे । इतने में ही भगदड़ मच गई।

लोग दूर भागने लगे ।

भीतर के स्पीकर पर भी मॉल के बम होने की खबर दी जा रही थी

अब हर कोई सबसे पहले बाहर निकल जाना चाहता था । लोग बाहर निकलते और दूर दौड़ते चले जाते ।

भगदड़-मच चुकी थी वहां ।

तभी फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की 'टन-टन' सुनाई देने लगी । एतियाहत के तौर पर फायर ब्रिगेड को वक्त रहते ही बुला लिया था । शांत इलाका अब हलचल से भर चुका था ।

■■■

इसी शोर-शराबे के बीच R.D.X. दूसरी मंजिल पर मिले ।

तुली ने फोन करके वहीं बुला लिया था ।

"बम रखने की खबर झूठी है । तुली कठोर स्वर में बोला--- "शायद कोई जानता है कि हम यहां हैं और वो नहीं चाहता कि यहां कुछ हो ।"

"मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं ।" धर्मा ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"लेकिन ऐसा करने वाला कौन हो सकता है ?" राघव बोला ।

"हो सकता है शांगली का पता चल गया हो कि हम यहां उसके इंतजार में हैं ।" धर्मा ने कहा ।

"ये काम शांगली ने नहीं किया ।" तुली कठोर स्वर में बोला--- "कोई और है, जो ये जान चुका है कि यहां क्या होने वाला है और वो नहीं चाहता कि हमारी और शांगली की लड़ाई में, यहां की भीड़ में से लोग मरें। तभी उसने मॉल में बम होने की झूठी खबर पुलिस को दी, ताकि सब ठीक रहे।"

"चारों की नजरें मिलीं।

"यही बात होगी ।" राघव बोला ।

बाहर निकलते लोगों का शोर उनके कानों में पड़ रहा था ।

स्पीकरों से निकलती आवाजें उनके कानों में पड़ रही थीं ।

दूसरी मंजिल पूरी तरह खाली हो चुकी थी ।

"हमारी जानकारी के मुताबिक तीसरी मंजिल पर गोदाम और शांगली का रहने का ठिकाना भी है । बम की अफवाह के बाद वो कभी भी तीसरी मंजिल से आ सकता है ।" एक्स्ट्रा ने कहा ।

"हमें यहां से बाहर निकलना होगा । बम तलाश करने वाला दस्ता कहां पहुंच गया है।  पुलिस ने भीतर आ जाना है । भीतर वो किसी को नहीं रहने देंगे । धर्मा ने कहा।

"लेकिन मैं भीतर ही रहूंगा ।" तुली ने दृढ़ स्वर में कहा ।

"तुम ।" राघव ने कहना चाहा ।

"शांगली मेरा शिकार है । जब तक मैं उसका शिकार नहीं कर लूंगा,  तब तक चैन से नहीं रहूंगा ।"

"शांगली पर हाथ डालने के कई मौके मिलेंगे तुली ।" राघव बोला--- "इस वक्त....।"

"उसने मेरे परिवार को गोलियों से भुनवा दिया ।" तुली दरिंदगी से कह उठा--- "मैं उसे नहीं छोडूंगा । मैं यहीं रहूंगा । तीसरी मंजिल पर । अपने को किसी तरह छिपा लूंगा । शांगली के आने का इंतजार करूंगा ।"

"ये खतरनाक होगा ।"

"मेरे लिये तो हमेशा ही हर काम खतरनाक रहा है ।" तुली ने क्रूर स्वर में कहा--- "लेकिन शांगली को बुरी मौत देकर मेरे को बहुत शांति मिलेगी कि मैंने अपने परिवार की मौत का बदला ले लिया । उसके बाद लियू को मारूंगा ।"

R.D.X. की नज़रे मिलीं ।

"इसे यहीं छोड़ दो ।" एक्सट्रा बोला--- "ये जो चाहता है, वो करने दो ।"

तुली का चेहरा तप रहा था ।

"ठीक है, आओ हम चलें ।" राघव ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"तुम्हारे पास मेरा फोन है ।" धर्मा बोला--- "हम बाहर ही हैं । हमारी जरूरत पड़े तो फोन कर देना।"

तुली के होंठ भिंचे रहे ।

R.D.X. पलटे और वहां से बाहर निकलते चले गये ।

तुली की निगाह वहां हर तरफ घूमी । हर तरफ कपड़े की कपड़े नजर आ रहे थे । भीड़ से भरी रहने वाली जगह अब सुनसान-सी होकर अजीब-सी लग रही थी ।

स्पीकर की गूंजती आवाज अब थमने-सी लगी थी ।

तुली जानता था कि अब यहां हर तरफ बम स्कवाड के लोग नजर आने लगेंगे । उन्होंने बम की तलाश करके उसे निष्क्रिय करने का काम करना होगा । परन्तु तुली को विश्वास था कि वहां बम नहीं है।

तुली के कानों में भारी जूतों की आवाजें पड़ीं।

पुलिस चैक करने आ पहुंची है कि यहां भीतर तो कोई नहीं है ।

तुली फौरन वहां से हटा और तीसरी मंजिल पर जाने के लिये सीढ़ियां तलाश करने लगा ।

जल्दी ही उसे लिफ्ट नजर आ गई ।

तुली लिफ्ट में प्रविष्ट हुआ और तीसरी मंजिल का बटन दबा दिया ।

दस सेकण्ड में ही तीसरी मंजिल पर था । उसने लिफ्ट का ग्राउंड फ्लोर का बटन दबाया और लिफ्ट से बाहर आ गया । तुरन्त ही लिफ्ट के दरवाजे बंद होते चले गये । अब किसी को शक नहीं होना था कि कोई चौथी मंजिल पर गया है । नीचे का शोर- आवाजें ऊपर तक नहीं आ रही थी ।

यहां शांति थी ।

तुली कोई ऐसी जगह तलाश करने लगा, जहां मजे से छिपा रहकर लम्बा वक्त बिता सके। वो F.I.A. का पेशेवर हत्यारा रहा है । अपने शिकार को पाने के लिए लंबा इंतजार करने की आदत थी उसे ।

■■■

पुलिस और बम निरोधक दस्ते को यहां आये पांच घंटे हो गये ।

अंधेरा हो चुका था ।

अब भीड़ छंट चुकी थी, परन्तु सौ-पचास उत्सुक लोगों की भीड़ अभी भी वहां थी ।

एक तरफ R.D.X. मौजूद थे । वो दूर रहकर पुलिस की कार्यवाही देख रहे थे और सब कुछ खत्म होने का इंतजार कर रहे थे । साथ ही वो शांगली पर भी नजर रख रहे थे, जो कि एक कार में बैठा था और कार को पांच-छः आदमियों ने सुरक्षा दे रखी थी। इस बीच शांगली कार से निकल कर दो बार पुलिस वालों से बात कर चुका था । वो चाहते तो आसानी से शांगली का निशाना ले सकते थे । परन्तु वो तुली का शिकार था ।

"तुली से फोन पर बात करो ।" राघव ने कहा ।

एक्स्ट्रा ने फोन निकालकर नम्बर मिलाये ।

दूसरी तरफ बेल गई । तुरन्त ही तुली आवाज आना पड़ी।

"हैलो ।"

"क्या कर रहे हो ?" एक्स्ट्रा ने शांत स्वर में पूछा ।

"इंतजार ।"

"शांगली मॉल के बाहर है और पुलिस का काम खत्म होने का इंतजार कर रहा है ।"

"पुलिस का कितना काम बाकी है ?"

"अंतिम चरण पर है । कभी भी खत्म हो सकता है । शांगली को हम खत्म कर सकते हैं ।"

"नहीं । वो मेरा शिकार है।"

"तुम्हारी मर्जी । पुलिस की कार्यवाही खत्म होते ही, शांगली भीतर जायेगा।"

"अच्छी खबर है ।"

"शांगली के साथ उसके पांच-सात आदमी भी हैं, जो उसे सुरक्षा दे रहे हैं ।"

"परवाह नहीं । मैं काफी हूं । उनके लिये।"

"ठीक है।  पुलिस का काम खत्म होने पर तुम्हें खबर कर देंगे ।" एक्स्ट्रा ने कहा और फोन बंद करके जेब में रखा ।

"पीछे रहो ।" धर्मा बोला--- "शांगली हमें पहचानता है । हमें देख लेगा तो सतर्क हो जायेगा।"

■■■

भट्ट ने सैवन इलैवन से फोन पर बात की ।

"क्या हो रहा है वहां ?" सैवन इलैवन की आवाज कानों में पड़ी ।

"पुलिस ने घोषणा कर दी है कि मॉल में बम नहीं है । किसी ने शरारत के तौर पर फोन किया था ।" भट्ट बोला ।

"पुलिस जा रही है ?"

"जाने वाली है । R.D.X. एक तरफ अंधेरे में खड़े हैं । तुली उनके साथ ही है । मेरे ख्याल में वो भीतर से ही बाहर नहीं निकला। वो शांगली के इंतजार में ही भीतर है । भट्ट ने कहा ।

"वो जो करते हैं, अब उन्हें करने दो ।"

"शांगली बाहर ही है । कार में छः-सात लोग उसके पास है । वो पुलिस की जाने के बाद मॉल के भीतर जायेगा ।"

"तो आज कुछ होकर रहेगा ।" सैवन इलैवन की आवाज भट्ट के कानों में पड़ी ।

"पक्का होगा ।"

"तुमने भुवन ने, रावत ने, तुली के मामले में दखल नहीं देना है । जो हो होने देना ।"

"ठीक है ।"

"बहुत जरूरत समझो तो तुली की तरफ से इस मामले में दखल दे सकते हो ।"

"समझ गया।"

■■■

पुलिस और बम निरोधक दस्ता जाने की तैयारी करने लगे थे । शांगली उनके पास ही था । फायर ब्रिगेड की दोनों गाड़ियां जा चुकी थीं। रात के नौ बज रहे थे ।

दूर से R.D.X. सब देख रहे थे ।

जब पुलिस की गाड़ियां वहां से रवाना हुई तो एक्स्ट्रा ने तुली को फोन किया ।

" कहो।" तुली की आवाज कानों में पड़ी ।

"शांगली अब भीतर आयेगा । पुलिस जाने की तैयारी में है ।" एक्स्ट्रा ने कहा ।

"ठीक है ।"

"हम भी भीतर आते हैं तुम अकेले हो । उनकी संख्या ज्यादा है ।"

"तुम लोग बाहर ही रहो । मैं संभाल लूंगा । भीतर मत आना ।" कहकर इधर से तुली ने फोन बंद कर दिया था ।

"क्या कहता है ?" राघव ने पूछा 

"खतरनाक है वो ।" राघव ने गहरी सांस ली--- "मेरे ख्याल में सब कुछ संभाल लेगा।"

■■■

मॉल के सब दरवाजे बंद कर दो ।" शांगली भीतर प्रवेश करता कह उठा--- "पीछे के दरवाजे भी अच्छी तरह चैक कर लो । भीतर आने का कोई भी रास्ता खुला न रहे और हर बंद दरवाजे पर रात भर पहरा देना है ।"

अब शांगली के आदमियों की संख्या दस-बारह हो गई थी।

शांगली पुनः बोला---

"पहरा देते हुए इस बात का ध्यान देना कि मेरे दुश्मन खतरनाक हैं और चालाक भी । वो मुझे खत्म करना चाहते हैं । मैं मर गया तो तुम लोगों की ऐश खत्म हो जायेगी । मेरे बचे रहने में ही तुम सब की बेहतरी है, बक्सर।"

"जी ।"

"मेरी बात सुन रहे हो ?"

"अच्छी तरह से ।"

"तो इन सबको समझा दो और हर भीतर आने वाली जगह पर इनका पहरा लगवा कर मेरे पास ऊपर आओ ।"

"ठीक है ।"

शांगली तेज-तेज कदमों से उस तरफ बढ़ा, जिधर लिफ्ट थी ।

उसी पल उसका फोन बजा । दूसरी तरफ लियू थी ।

"तुम इस वक्त कहां हो लियू ?"

"अपनी खास जगह पर ।" लियू का मुस्कुराता स्वर कानों में पड़ा ।

"उस जगह का कोई नाम तो होगा ?"

"मैं बताना नहीं चाहती ।"

"ऐसा क्यों ?"

"तुम तुली के हाथ पड़ गये तो वो तुमसे जान सकता है कि मैं कहां हूं और मैं डिस्टर्ब नहीं होना चाहती ।"

"तो तुम समझती हो कि तुली मेरा कुछ बिगाड़ सकता है ?"

"खेल में पता नहीं चलता कि कब बाजी पलट जाये । खैर, तुम्हारी क्या पोजीशन है ?"

शांगली लिफ्ट में पहुंचा और तीसरी मंजिल का बटन दबाता कह उठा---

"पुलिस जा चुकी है।  मैं मॉल के भीतर आ गया हूं । और दस-बारह आदमी मेरे साथ हैं जो रात भर हर जगह पहरा देने की तैयारी कर रहे हैं ।"

"तुम्हें सतर्क रहने की जरूरत है शांगली ।"

"मैं सतर्क हूं ।"

"मेरे ख्याल में तुम्हें रात वहां नहीं बितानी चाहिये ।" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"मुझे कुछ नहीं होगा ।"

"तुली खतरनाक है । उसे कम मत समझो । मैं उससे मिल चुकी हूं । वो हर काम को ठंडे दिमाग से करता है।"

"मैं ध्यान रखूंगा ।"

"तुम अकेले मत रहना ।"

"मेरे साथ मेरा खास आदमी बक्सर रहेगा । तुम्हें तुली की चिंता है । जबकि मैं उसकी परवाह नहीं कर रहा।"

"वो तुम्हारी मर्जी । शुभरात्रि शांगली ।"

"शुभ रात्रि ।" कहकर शांगली ने फोन बंद किया ।

तभी लिफ्ट ऊपर पहुंचकर खुली और दरवाजे खुल गये ।

शांगली बाहर निकला और ठिठक कर हर तरफ नजर मारी । वहां हर तरफ पैक माल पड़ा ही नजर आया । एक के ऊपर एक बंडल लगे हुए थे।  क्षण भर के लिये उसने सोचा कि यहां कोई हो भी तो दिखने वाला नहीं। परन्तु उसे विश्वास था कि यहां कोई नहीं है । क्योंकि बम निरोधक दस्ते वाले और पुलिस वाले यहां होकर गये है।

शांगली वहां से सीधा कंट्रोल रूम में पहुंचा । वहां का सिस्टम बंद था । उसने सिस्टम चालू किया तो स्क्रीनें जगमगा उठीं । वो स्क्रीनें के द्वारा नीचे लग चुकी पहरेदारी को चैक करने लगा । बकसर दो आदमियों के साथ लिफ्ट की तरफ आ रहा था । शांगली वहां से हटा और बाहर निकलता बड़बड़ा उठा।

"लियू ने सब गड़बड़ कर दी । क्या जरूरत थी तुली को ये बताने की कि हमने उसके परिवार को मरवाया है ।"

शांगली वहां अपने केबिन में पहुंचा । सब ठीक था ।

फिर केबिन में लगते, पीछे वाले दरवाजे को धकेल कर भीतर प्रवेश कर गया। ये दरवाजा ऐसा था कि बंद होने पर, इस बात का अहसास नहीं होता था कि, वहां कोई दरवाजा भी है । तब वो मात्र केबिन की दीवार लगता था । ये बैडरूम था । एक तरफ अलमारी थी।  जहां से कपड़े निकाल कर उसने चेंज किए और व्हिस्की का गिलास बनाकर उसने घूंट भरा । दूसरे हाथ में फोन को थामें वापस केबिन में, फिर केबिन से बाहर आ गया ।

सामने से बकसर दो आदमियों के साथ आता दिखा ।

"नीचे सब ठीक पहरा लगवा दिया ?" शांगली बक्सर से बोला ।

"हां ।" बकसर, दोनों आदमियों के साथ उसके पास आकर ठिठका ।

शांगली ने घूंट भरा ।

नीचे सबसे कह दो और तुम भी सुन लो कि यहां कोई दिखे तो हमें उससे बचाव ही नहीं करना । बल्कि उसे खत्म करना है ।"

बक्सर ने सिर हिलाया।

"उसका नाम तुली है। वो मुझे मारना चाहता है ।" शांगली ने दांत भींचे--- "क्योंकि मैंने उसके परिवार को मार दिया था । वो खतरनाक है और हथियारों की समझ है उसे । यूं समझो कि हमारा दुश्मन किसी से भी कम नहीं है ।"

"समझ गया और सबको समझा दूंगा।"

"तुम रात भर मेरे केबिन में या आस-पास ही रहोगे । मैं बैडरूम में नींद लूंगा । इन दोनों को समझाकर यहां फैला दो । कोई भी रात में आंखें बंद  न करे । चौकस पहरेदारी चाहिये मुझे।"

"ऐसा ही होगा शांगली साहब ।" बक्सर ने कहा और अपने दोनों आदमियों को समझाने लगा ।

तभी शांगली का फोन बजा ।

"हैलो ।"

"पुलिस चली गई ?" माईक की आवाज कानों में पड़ी ।

"हां-सब ठीक रहा ।"

"अब तुम कहां हो ?"

"चाईना बाजार की ऊपरी मंजिल पर ।"

"मैं आ रहा हूं । मैं...।"

"हम सुबह मिलेंगे ।"

"नहीं शांगली, मेरा तुम्हारे पास रहना जरूरी है । मुझे तुली की जरूरत है । वो अवश्य तुम्हारे पास आयेगा ।"

"यहां पहरा लग चुका है और मैं नहीं चाहता कि मुझे कोई डिस्टर्ब करे ।"

"लेकिन।"

"तुली मुझ तक नहीं पहुंच सकता ।" कहकर शांगली ने गिलास से घूंट भरा।

"वो आया तो ।"

"वो नहीं आयेगा । तुम सुबह फोन करना। अब मैं नींद लेने के मूड में हूं ।" शांगली ने कहा और फोन बंद करके बड़बड़ाया--- "साले को मेरी चिंता नहीं है कि तुली मुझे मार सकता है । तुली को पा लेने की चिन्ता में मरा जा रहा है ।"

तभी बक्सर पास आ पहुंचा ।

"सब इंतजाम ठीक है शांगली साहब । आप आराम से नींद ले सकते हैं।"

■■■

तुली छत पर था ।

सीढ़ियों का दरवाजा उसने इस तरह बंद कर रखा था कि देखने वाले को वो बंद लगे ।

आधा घंटा पहले एक्स्ट्रा का फोन आया था कि शांगली चाईना बाजार की इमारत में चला गया है । तुली छत पर ही दरवाजे के पास रहा ।।तीसरी मंजिल से आती कभी-कभार आवाज की सनसनाहट उसे महसूस होती ।

फिर आधे घंटे बाद अपनी जगह से हिला । खड़ा हुआ। छत में मुम्बई की रात की रोशनियां जगमगाती नजर आ रही थीं। तुली ने रिवॉल्वर निकालकर हाथ में ले ली । वो जान चुका था एक्स्ट्रा से कि शांगली के साथ दस बारह लोग हैं और वो सब भीतर ही हैं । ऐसे में तुली के लिए खतरा बढ़ गया था। एक गोली की आवाज सबको सतर्क कर सकती थी ।

तुली मन ही मन फैसला कर चुका था कि जब तक बहुत जरूरत न हो, फायर नहीं करेगा । एक बार ही गोली तब चलायेगा, जब शांगली उसके सामने होगा । परन्तु इस बात का क्या भरोसा कि शांगली का कोई आदमी ही उस पर गोली चलाकर शोर पैदा न कर दे । खतरा हर तरफ से उसकी तरफ था ।

परन्तु वो तुली था ।

आगे बढ़कर वापस जाना, उसे पसन्द नहीं था ।

उसका पेशा था देश की खातिर दूसरों की जान लेना । लेकिन अब वो F.I.A. छोड़ चुका था । अब अपने लिए काम कर रहा था वो । शांगली ने उसके परिवार को मारा था । अब उसने शांगली को मारकर बदला लेना था। अपने परिवार का ।

छत पर मोमटी के दरवाजे को उसने धकेला ।

"ची.... ' की बेहद मध्यम आवाज हुई । दरवाजा इतना बढ़ गया कि वो उससे भीतर जा सके । रिवॉल्वर थामे आगे बढ़ा और पहली सीढ़ी पर पांव रखा, फिर दूसरी । ठिठका ।

नीचे से रोशनी की मध्यम-सी लकीर आ रही थी ।

सीढ़ियां स्पष्ट चमक रही थीं कि वो खाली हैं ।

तुली रिवॉल्वर थामे नीचे उतरने लगा। उसके कान आहट लेने की चेष्टा कर रहे थे। परन्तु नीचे से कोई आहट न आ रही थी। तुली दबे पांव सीढ़ियां उतरकर नीचे आ पहुंचा । वो पूरी तरह चाक-चौबंद था।

अब वो तीसरी मंजिल पर था ।

सामने ही सामानों के बंडलों के ढेर दिखाई दे रहे थे ।

तुली आहट लेने की चेष्टा करता रहा । परन्तु कोई आहट न उठ रही थी ।

क्या शांगली यहां है भी या नहीं ?"

तुली ने गर्दन आगे करके दायें-बायें दोनों तरफ देखा । कोई ना दिखा।

तुली तेजी से आगे बढ़ा और सामानों के बंडलों के ढेर के पीछे जा छिपा । रिवॉल्वर हाथ में थी । चौकन्नी नजरें हर तरफ घूम रही थी । दांत भिंचे हुए थे । चेहरा चट्टान की तरह कठोर पड़ा था।

"रघु ।" तभी वहां आवाज गूंजी। ये बक्सर की आवाज थी ।

"हां ।" जवाब में दूसरी तरफ से आवाज आई थी ।

तुली की आंखों में कठोरता आ गई ।

इसका मतलब शांगली यहीं पर है ।

"माचिस दे ।"

"लाया।"

उसके बाद तुली ने कदमों की आवाज को पहचाना कि वो कहां से चलकर, कहां तक गया और फिर कहां तक वापस आया।  अब तुली को एहसास हो गया था कि कम से कम दो लोग कहां-कहां पर हैं।

रिवॉल्वर हाथ में दबाये तुली दबे पांव उस तरफ सरकने लगा, जिधर रघु गया था ।

बहुत सावधानी बरत रहा था तुली कि उसके कदमों की आवाज न उभरे।

पन्द्रह कदमों का फासला तय करने में तुली को दस मिनट लग गये । तब उसे बक्सर दिखा । जो कि एक बंडल के पास कुर्सी रखे बैठा था । उसके पास में खुला हुआ क्वार्टर था, जिससे वो घूंट भर लेता था । दूसरे हाथ में सुलगती सिगरेट थी । मस्ती भरे ढंग में बैठा नजर आ रहा था। तुली बंडलों की ओट में छिपा उसे देखता रहा ।

तुली आसानी से उसे शूट कर सकता था । परन्तु रिवॉल्वर का शोर होना, उसके लिए खतरे की घंटी थी ।

सब तरफ खामोशी छाई हुई थी । सन्नाटा था । कोई आवाज कहीं से भी नहीं उठ रही थी ।

चंद पल खामोशी में बीत गये ।

एकाएक तुली वहां से निकला और भी बे-आवाज बक्सर की तरफ बढ़ने लगा।

बक्सर को उसके आने का तब पता चला, जब तुली ने रिवॉल्वर की नाल उसकी गर्दन पर रख दी ।

बक्सर की आंखें फैल गईं ।

तुली ने अपने होंठों पर उंगली रख कर उसे खामोश रहने का इशारा किया। फिर उसके हाथ से क्वाटर लेकर नीचे रख दिया ताकि हाथ से छूटकर टूटने की आवाज वहां न उभरे।

बकसर हक्का-बक्का आंखें फाड़े उसे देखे जा रहा था ।

तुली ने उसे उठने का इशारा किया ।

बक्सर सूखे होंठों पर जीभ फेरता उठ खड़ा हुआ । उसकी सांसें तेज चलने लगीं।

तुली ने उसे एक कोने की तरफ धकेला और उसके कानों में फुसफुसाकर बोला---

"आवाज जरा भी नहीं । वरना गोली मार दूंगा ।"

बकसर ने सिर हिला दिया ।

तुली उसे लिए कोने में आ पहुंचा।

"त...तुम तुली हो ?" बक्सर के होंठों से घबराया-सा स्वर निकला ।

"कैसे जाना ।" तुली की फुसफुसाहट में दरिंदगी के भाव थे ।

"श....शांगली ने बताया था ।"

"वो कहां है ?"

"व....वो....।" इस घबराहट में भी बक्सर का दिमाग काम कर गया--- "वो यहीं था थोड़ी देर पहले । अपने केबिन में होगा या इधर ही कहीं बैठा होगा।" वो तुमसे डरा हुआ है । मैं तो नौकर आदमी हूं, मुझे मत मारना ।"

"यहां और कितने लोग हैं ?"

"दो-वो दोनों उधर हैं।"

"झूठ । दस-बारह हो तुम ।"

"वो सब नीचे हैं । इस फ्लोर पर सिर्फ दो ही और हैं। तुम भीतर कैसे आ गये ?"

"छत से ।" तुली ने कहा और झपट्टा मारने वाले ढंग से उसके होंठों पर हथेली टीका दि कि चीख न सके । फिर रिवॉल्वर की नाल का वार उसकी कनपटी पर दो बार किया ।

बक्सर बेहोश होकर नीचे लुढ़कता चला गया ।

तुली ने आसपास नजरें घुमाईं।

सब ठीक था ।

तुली ने फर्श पर से एक पतली रस्सी तलाश की, जो कि बंडल से खोली गई थी । फिर रिवॉल्वर को दांतो में फंसाया और रस्सी को बक्सर के गले में फंसाकर पीछे की तरफ खींचने लगा ।

पूरी ताकत लगा दी। तुली ने । चेहरा सुर्ख हो उठा ।

कुछ पल के लिये बेहोशी में बक्सर का शरीर छटपटाया फिर शांत होता चला गया । तुली ने रस्सी छोड़ दी और दांतों से रिवॉल्वर निकाल हाथ में ले ली और गहरी-गहरी सांसे लेने लगा।

चंद पलों में ही वो खुद को संयत कर चुका था । फिर वो उस तरफ बढ़ा जिधर बाकी दो थे । उनका निपटारा करने से पहले, शांगली पर हाथ डालना खतरनाक था ।

"बक्सर।" एकाएक वो ही आवाज उभरी, जिसने बक्सर को माचिस दी थी।

तुली ठिठका । उसके दांत भिंच गये । वो फौरन बंडलों के ढेर की ओट में हो गया।

कदमों की आवाज तुली के कानों में पड़ रही थी ।

"तू किधर है बक्सर?" इस बार आवाज पास ही से आई थी।

तुली वहीं ठिठका, खामोश-सा खड़ा रहा ।

अगले ही पल वो दिखा ।

पांच कदमों की दूरी पर था वो । वहां ठिठका वो इधर-उधर नजर दौड़ा रहा था । तुली ने खुद को पीछे कर लिया कि कहीं उसे देखकर सतर्क नहीं हो जाये । चंद पलों बाद पुनः सिर आगे करके देखा तो वो नहीं दिखा । परन्तु उसके कदमों की आहटें तुली के कानों में पड़ रही थी । तभी तुली नीचे झुका । और छोटा सा खाली गत्ते का डिब्बा उठाया और जोर से फर्श पर फेंका । आवाज उभरी । वो मध्यम-सी आवाज उस सन्नाटे में तेज रही । कानों में पड़ती कदमों की आवाजें थमी फिर फौरन ही उसकी तरफ आने लगी शायद उसकी आवाज सुनाई दी ।

"तू किधर है बक्सर । मैं कब से तेरे को ढूंढ रहा हूं । आज ज्यादा चढ़ा ली क्या ?"

तुली अपनी जगह सांस रोके खड़ा रहा ।

कदमों की आवाज पास आती जा रही थी ।

"लगता है, पीकर लुढ़क गया तू । शांगली साहब को पता चल गया तूने ड्यूटी ठीक से नहीं दी तो....।"

तभी वो पास से निकला।

तुली ने बिल्ली की तरह झपट्टा मारा और उसके मुंह पर हथेली टिकाते हुए, उसे अपनी तरफ खींचते हुए रिवॉल्वर उसकी कमर में सटा दी, साथ ही दरिंदगी भरे स्वर में गुर्रा उठा---

"हिलना मत ।"

वो छटपटा उठा । उसने पीछे देखने की कोशिश की ।

"सीधा रह।" तुली पुनः गुर्राया ।

इस बार वो कुछ शांत हुआ ।

"बक्सर को मार दिया है मैंने ।" तुली ने वहशी स्वर में उसके कान में कहा ।

उसकी आंखें हैरानी से फटती दिखीं ।

"तू जिन्दा रहना चाहता है ?"

उसने फौरन सहमति से सिर हिलाया ।

"इसके लिये तुझे बेहोश करूंगा । समझ गया ?"

उसने पुनः सहमति से सिर हिला दिया ।

तुली ने रिवॉल्वर को थोड़ा-सा उछाल कर नाल की तरफ से पकड़ा और उसके होंठों पर टिकी हथेली को बेहद सख्ती से चिपका लिया, फिर रिवॉल्वर के दस्ते की चोट उसके सिर के पिछले हिस्से में की ।

पीड़ा की वजह से वो जोरों से छटपटाया ।

तुली उसके होंठों पर हथेली सटाये रहा और उसके सिर पर दूसरी चोट की।

उसका शरीर ढीला पड़ता चला गया ।

तुली ने उसे थामे आहिस्ता से नीचे, फर्श पर लिटा दिया । फिर वो ही किया, जो बक्सर के साथ किया था । पतली रस्सी ढूंढी और गले से लपेटकर खींच दी वो छटपटाया, फिर ठंडा पड़ गया ।

अब तीसरा बचा था ।

पांच मिनट लगे उसे ढूंढने में ।

वो एक बंडल के साथ टेक लगाये, टांगे फैलाये बैठा था । शायद नींद लेने की चेष्टा में था । सामने से आती रोशनी पूरी तरह उस पर पड़ रही थी । उसकी आंखें बंद थीं।

तुली उसके पास जा पहुंचा । बिल्कुल पास।

उसी तुली के पास आने का जरा भी अहसास नहीं हुआ ।

उसे कहर भरी नजरों से देखते हुए, तुली ने रिवॉल्वर को नाल की तरफ पकड़ा और पूरी बांह घुमाकर दस्ते का वार उसकी कनपटी पर मारा । उसे चीखने का भी मौका न मिला और वो नीचे लुढ़कता चला गया । वार इतना जबरदस्त था कि पांच-सात घंटे से पहले उसे होश नहीं आने वाला था । मर भी गया हो तो, बड़ी बात नहीं थी ।

तुली ने गहरी सांस लेकर, हर तरफ देखा ।

अब शांगली को देखना था कि वो कहां है।

रिवॉल्वर थामे तुली आगे बढ़ गया । उसकी शिकारी निगाह हर तरफ घूम रही थी । कदमों की आहट न उभरे, इस बात की वो पूरी कोशिश कर रहा था । शांगली कहीं भी हो सकता था । वो ढूंढ रहा था। परन्तु कहीं भी नजर नहीं आ रहा था । उसकी तरफ से कोई आहट भी नहीं उठ रही थी ।

काफी बड़े हॉल में हर तरफ पैक बंडल बिखरे पड़े थे ।

आखिरकार उसे केबिन नजर आया तो वो सावधानी से उसके भीतर प्रवेश कर गया ।

केबिन खाली था ।

केबिन में लगता पीछे बैडरूम का दरवाजा ऐसा था कि बंद होने पर वो केबिन की दीवारों का डिजाइन ही लगता । कोई सोच सोच भी नहीं सकता कि वहां दरवाजा है । यहां तक कि इस तरफ दरवाजे का हैंडिल भी नही था ।

तुली इसी बात पर धोखा खा गया ।

वो केबिन से बाहर निकल आया ।

शांगली को उसने हर जगह ढूंढा उस मंजिल पर।

परन्तु वो नहीं मिला ।

तो क्या शांगली किसी और मंजिल पर है ?

कहीं भी हो सकता है।  नीचे भी जहां उसके पहरेदार हैं, या कि वो यहां से निकल गया भी हो सकता है ?

तुली ने R.D.X.को फोन किया ।

"क्या कर रहे हो तुम ?" एक्स्ट्रा की आवाज कानों में पड़ी ।

"मैं तीसरी मंजिल पर हूं शांगली । मुझे यहां नहीं मिल रहा । क्या वो बाहर तो नहीं गया ?"

"यकीन के साथ कुछ नहीं कह सकते । कुछ देर पहले एक कार अवश्य बाहर गई थी । परन्तु हम नहीं जान सके कि भीतर कौन है।

"उसमें शांगली हो सकता है ।" तुली ने दांत भींचकर कहा--- "वो निकल गया हो सकता है ।"

"हो सकता है, ऐसा ही हुआ हो । शांगली वहां नहीं है तो तुम बाहर आ जाओ ।"

"आता हूं ।"

"कैसे आओगे ? भीतर शांगली के आदमी....।"

"छत से । साथ वाली इमारत की छत आपस में मिली हुई हैं । मैं दूसरी इमारत से बाहर निकलूंगा ।"

"आ जाओ ।"

■■■

R.D.X. तुली के साथ उस्मान के गैराज में पहुंचे ।

रात को तीन बज रहे थे। उस्मान नींद से उठा मिला ।

"तुम लोग इस वक्त कहां से आ रहे हो ?" उस्मान कह उठा।

"कुछ मत पूछो, खाने को कुछ है तो दे दो ।" धर्मा ने कहा ।

"मेरा खाना पड़ा है । खाया नहीं मैंने । आज काम ज्यादा था, वो ले लो ।"

"काम चल जायेगा ।"

कुछ देर बाद वो खाना खा रहे थे ।

"एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही।" तुली कह उठा ।

"क्या ?"

"वहां पहरा लगवाकर, शांगली बाहर कैसे जा सकता है । पहरा इस तरह लगा था कि वो पास कहीं हो।"

"अगर वो वहां है भी तो तुम चूक चुके हो । कम से कम अब वहां जाना ठीक नहीं होगा । तीन लाशें तुम वहां छोड़ आये हो ।"

"जो कार बाहर गई थी, उसके भीतर का नजारा नहीं दिखा कि ।"

"नहीं । रात के वक्त कार के भीतर से देख पाना आसान नहीं । शीशे भी चढ़े हुए थे ।"

"शांगली हाथ लग जाता तो....।"

"वो अब,लाशों को देखकर और भी सतर्क हो जायेगा ।"

राघव ने कहा--- "उस तक पहुंचना कुछ कठिन हो जायेगा अब।"

"ये तो है ।" एक्स्ट्रा ने कहा--- "ये भी हो सकता है कि वो कुछ देर के लिए अंडरग्राउंड हो जाये ।"

"मैं उसे ढूंढ निकालूंगा ।" तुली दांत पीसते हुए कह उठा ।

"अब कल देखेंगे कि क्या करना है । पहले नींद मार लें।"

■■■

शांगली की आंख खुली । उसने दीवार पर लगी घड़ी में वक्त देखा ।

सुबह के चार बज रहे थे ।

चंद पल वो खुली आंखों से छत को देखता रहा फिर उठा और स्लीपर पहन कर आगे बढ़ा, दरवाजा खोला और केबिन में आया फिर केबिन से बाहर आ गया । नजर हर तरफ घुमाई । खामोशी ही महसूस हुई ।

शांगली आगे बढ़ा तो एक तरफ उसे बक्सर वाली कुर्सी दिखी । कुर्सी के पास ही नीचे आधा भरा क्वाटर दिखा तो शांगली के माथे पर बल पड़े कि ड्यूटी में भी बक्सर पीता रहा ।

"बक्सर ।" शांगली ने पुकारा ।

"बक्सर ।" शांगली ने पुनः पुकारा ।

कोई जवाब नहीं ।

शंकित हो उठा शांगली ।

शांगली तेजी से आगे बढ़ा और पहरेदारों को तलाश करने लगा ।

जल्दी उसे दिखा जो कि नीचे लुढ़का पड़ा था । रोशनी उस पर पड़ रही थी। उसकी आंखें फटी हुई थी । एक ही निगाह में उसने समझ लिया कि वो मरा पड़ा है । यही बात शांगली को कंपा देने के लिए काफी थी ।

शांगली पलटकर अपने केबिन की तरफ दौड़ा ।

तुरन्त ही वो बेडरूम में था । फोन उठाया और नीचे मौजूद पहरेदारों का नम्बर मिलाया ।

"हैलो ।" उधर से आवाज आई ।

"नीचे सब ठीक है ?" शांगली ने बेचैनी से पूछा ।

"सब ठीक है ।"

"ऊपर कुछ भी ठीक नहीं है । फौरन सब ऊपर आओ।"

शांगली ने सूखे होंठों पर जीभ फेरकर कहा ।

उसके बाद शांगली ने तुरन्त कपड़े बदले।  रिवॉल्वर हाथ में ली । फोन जेब में डाला और सतर्कता से बाहर आ गया ।

बाहर सन्नाटा छाया था ।

तभी नीचे वाले आदमी ऊपर आ पहुंचे।

"क्या हुआ ?"

"यहां कोई है । एक अधमरा पड़ा है और दूसरे का पता नहीं। बक्सर भी नजर नहीं आ रहा । दो आदमी मेरे पास रहो और बाकी सब ये जगह छान मारो । कोई दिखे तो शूट कर देना ।" शांगली की आवाज में अब गुस्सा भर आया था ।

दो आदमी शांगली के पास रुक गये ।

बाकी सब वहां फैलते चले गये ।

शांगली की सतर्क निगाह आस-पास घूम रही थी । रिवॉल्वर  हाथ में दबी थी ।

उसके आदमियों की आहटें और बातें करने की आवाजें कानों में पड़ रही थी ।

"तुम लोगों ने ऊपर से कोई आहट नहीं सुनी ?" शांगली ने पूछा ।

"नहीं । ऐसा कुछ होता तो हम अवश्य ऊपर आते ।" पास खड़े आदमी ने कहा 

"वो यहीं कहीं है ।" शांगली गुर्रा उठा ।

तभी एक आदमी की ऊंची आवाज सुनी ।

"यहां बक्सर की लाश पड़ी है।"

"बकसर की लाश-ओह ।" शांगली के होंठों से निकला । वो तेजी से उस तरफ बढ़ गया ।

तीसरी लाश भी मिल गई ।

परन्तु तलाश करने पर, कोई वहां मिला नहीं । छत भी देख ली गई ।

शांगली ने, ये सोचकर राहत की सांस ली कि वो खुद सही-सलामत है । यकीनन तुली यहां आया था, उसने ही ये सब किया । परन्तु उस तक नहीं पहुंच सका । वो समझ नहीं पाया कि केबिन के पीछे बैडरूम है।

"दो आदमी छत पर रहो ।" शांगली बोला--- "दो सबसे नीचे वाले फ्लोर पर रहेंगे । बाकी सब यहीं, इसी फ्लोर पर पहरा दो । इतना ध्यान रखना कि कोई भी मेरे पास न फटकने पाये । वो तुली मुझे मार देना चाहता है।"

शांगली ने एक तरफ होकर लियू का नम्बर मिलाया । चेहरे पर गुस्सा और डर था ।

दो-तीन बार मिलाने पर उधर से लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"कहो शांगली ।"

"तुम नींद ले रही हो और यहां मैं मरते-मरते बचा हूं ।" शांगली ने उखड़े स्वर में कहा ।

"कैसे ?"

"तुली आया था यहां । मैं थर्ड फ्लोर पर केबिन के पीछे वाले बेडरूम में था। वो शायद बेडरूम नहीं ढूंढ पाया । धोखा खा गया । बक्सर और दो लोगों को मारकर निकल गया ।"शांगली ने कहा ।

"तुम्हारे पास तो लोग ज्यादा थे ।"

"वो नीचे थे । तुली शायद छत के रास्ते से आया लगता है । वहीं से वो गया होगा।"

"किस्मत वाले हो जो तुम बच गये ।"

"तुम्हें मजाक सूझ रहा है ।"

"मैंने तुम्हें सलाह दी थी कि अभी खुले में मत रहो । छिपकर रहो । तुली घायल शेर है, जिससे बचना आसान नहीं । वो तुमसे ज्यादा ताकतवर है शांगली । मान लो ये बात । वो तुम्हें मार देगा ।"

"अब मुझे भी ऐसा लगता है।"

"वो दोबारा तुम तक पहुंचने की चेष्टा करेगा । अब वो तुम्हें मार देना चाहेगा। उसके बाद शायद मुझे ।"

"तुम तो चीन चली जाओगी ।"

"जाना ही होगा । मैं जिस काम के लिए यहां आई थी, वो काम बेकार हो गया । मैं तुम्हें सलाह दूं ?"

"दो ।"

"तुम कहीं छिप जाओ और अपने आदमी तुली की तलाश में लगा दो । तब तक सामने ना आओ, जब तक कि तुली को खत्म न कर दो । जब तक तुली जिंदा है, तुम सुरक्षित नहीं रह सकते । वो अपने परिवार की मौत का बदला लेने के लिये, पागल हुआ पड़ा है।"

"तुम्हारी बात से सहमत हूं मैं । क्या तुम मेरा साथ दोगी ?"

"मुझे चीन पहुंचना है। वहां भी बहुत काम हैं मेरे लिये । दिन निकलने के पश्चात मैं दिल्ली जाऊंगी, वहां से चाईना । ये तुम्हारा काम है तुम ही निपटो। मेरे ख्याल में तुम समझदारी से काम ले कर, आसानी से सब कुछ संभाल सकते हो।

"तुम मेरे साथ होती तो ज्यादा ठीक रहता ।"

"मुझे वापस जाना है ।"

"अच्छा ये बताओ कि मैं माईक का कितना भरोसा कर सकता हूं ।" शांगली ने पूछा ।

"क्या कहना चाहते हो ?"

"माईक का दो बार मुझे फोन आ चुका है कि वो मेरे साथ रहना चाहता है । उसका कहना है कि इस तरह वो मेरी हिफाजत भी करेगा और उसे तुली को पकड़ने का मौका भी मिल जायेगा ।"

"वैसे तो अमेरिकन भरोसे के काबिल नहीं होते । अपने मतलब की सोचते हैं । इस बारे में तुम खुद ही फैसला लो ।"

"मुझे साथ में कोई चाहिये । क्योंकि तुली के साथ R.D.X.भी हैं । उसका पलड़ा भारी है ।"

"ये बात है तो तुम माईक का साथ ले सकते हो ।"

"मैं भी अब ये ही सोच रहा था ।"

"इस वक्त तुम जितना सोच रहे हो, उससे ज्यादा खतरे में हो ।"

"कैसे ?"

"सैवन इलैवन को भी शक हो चुका है कि तुम चीन के एजेन्ट हो । वो भी कुछ करेगा ।"

"उसकी मुझे परवाह नहीं है । तुली का डर है, वो बदले के लिये पागल हो चुका है ।" शांगली ने दांत भींचकर कहा ।

"दिमाग को शांत रख के चलो । तब तुम तुली को जीत लोगे ।"

■■■

सुबह साढ़े छः बजे सैवन इलैवन का फोन बजा तो उसकी आंख खुली ।

"हैलो ।"

"मैं भट्ट । खबर है बताने के लिये ।"

"बोलो ।"

"आधी रात तक R.D.X. चाईना बाजार के बाहर रहे । तुली भीतर रहा । उसने शांगली को मारने की चेष्टा की परन्तु सफल नहीं हो सका । लेकिन तुली ने उसके तीन आदमी अवश्य खत्म किए है ।"

"कैसे जाना ।"

"दिन का उजाला फैलने पर शांगली अपने आदमियों के साथ दो कारों में भरकर कहीं गया है।  सुबह-सुबह उसका इस प्रकार जाना शक पैदा करता है । मैंने भुवन को उनके पीछे भेजा और खुद चोर रास्ते से इमारत के भीतर जाकर देखा तो तीसरी मंजिल पर मुझे कुछ एक खास आदमी बक्सर और दो अन्य आदमियों की लाशें देखने को मिली। जिस तरह उन्हें मारा गया है, वो तुली का ही काम हो सकता है ।"

"शांगली तुली के हाथ क्यों नहीं लगा ?"

"ये मैं नहीं जानता ।"

"तुली और R.D.X. कहां हैं ?"

"वो चारों आधी रात को ही उस्मान के गैराज में चले गए हैं। रावत उन पर नजर रख रहा है।"

"हूं ।"

"मैं चाईना बाजार से बाहर निकलकर सोच रहा था कि अब क्या करूं, तभी एक कार में तीन आदमी वहां पहुंचे । कुछ देर बाद मैंने उन्हें तीन बोरे उस कार में ठूंसते देखा।

"वो तीनों लाशों को लेकर गये ।"

"यही लगता है । उसके बाद दो आदमी और आये, जो अब चाईना बाजार की रखवाली कर रहे हैं ।"

"शांगली अब तुली से बचने के लिये कहीं छिप जायेगा ।" सैवन इलैवन ने कहा ।

"मेरा भी यही ख्याल है कि वो तुली को खत्म करेगा । जब तक जिंदा है, वो खुले में नहीं आयेगा।"

"शांगली ने कौन-सी जगह को ठिकाना बनाया है ?"

"अभी इस बारे में भुवन का फोन नही आया।"

"शांगली और तुली नजरों से ओझल ना हों।" सैवन इलैवन ने कहा ।

"वो हमारी नजर में हैं ।"

"लियू ?"

"उसका कुछ पता नही है परन्तु माईक एम्बेसी में टिका हुआ है ।

"तुली और शांगली की खबर मुझे देते रहो ।"

"ठीक है ।"

"सैवन इलैवन ने फोन बंद करके रखा और उठने लगा कि दरवाजे पर खड़ी मौली नजर आई । वो नींद से उठकर आयी थी । माथे पर बालों की लटें फैली उसकी खूबसूरती को बढ़ा रही थीं ।

"गुड मॉर्निंग सैवन इलैवन ।" वो बोली।

मॉर्निंग ।" सैवन इलैवन थोड़ा-सा मुस्कुराया--- "बंटी कहां है ?"

"वो मेरे साथ सहज है । रात उसे परियों की कहानियां सुनाईं।  सुनते-सुनते वो सो गया । किसका फोन था ?"

"भट्ट का । रात तुली ने शांगली को मारने की चेष्टा की, परन्तु वो जाने कैसे बच गया ।"

"तुली अगर उसके पीछे है शांगली ज्यादा देर खुद को बचा नहीं पायेगा ।"

सैवन इलैवन ने सिर हिलाया ।

"मेरे लिए फील्ड का काम हो तो....।"

"तुम सिर्फ बंटी को संभालो । बच्चे को तुम्हारी जरूरत है ।" सैवन इलैवन ने कहा।

"चाय बना दूं ?"

"जरूर ।"

■■■

माईक उस वक्त नाश्ता कर रहा था, जब उसका फोन बजा । दूसरी तरफ प्रशांत था ।

"कहो प्रशांत--- माइक कहां है ?"

"मैं रवि और अमर के साथ लियू पर नजर रख रहा हूं । तुमने हमें काम के बारे में कोई ऑर्डर नही दिया कल से ।"

"अब लियू कहां है ?"

"वो शायद एयरपोर्ट की तरफ जा रही है । हम उसके पीछे हैं । वो कहीं जाने वाली है ।"

माईक के चेहरे पर  सोच के भाव उभरे ।

"क्या करें ?" प्रशांत की आवाज पुनः कानों में पड़ी--- "उसे रोके या जाने दे?"

"तुम लोग वापस आ जाओ । अब मुझे लियू की जरूरत नहीं रही ।" माईक ने कहा और फोन बंद करके लियू का नम्बर मिलाया । एक ही बार में नम्बर लग गया । लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"मुम्बई से जा रही हो ?" माईक बोला ।

"तुम मुझ पर नजर रखवा रहे हो ।"

"अब हटा दिए हैं अपने आदमी ।" माईक ने कहा--- "जा रही हो ?"

"हां । आज शाम को दिल्ली से चाईना की फ्लाईट में मेरी सीट बुक हो चुकी है ।"

"इस वक्त शांगली को तुम्हारी जरूरत होगी । तुली उसे नहीं छोड़ेगा।

"शांगली संभाल लेगा ये मामला । वो बच्चा नहीं है । रात शांगली पर हमले की कोशिश की गई ।

"कब--- कहां ?" माईक चौंका।

"चाईना बाजार की तीसरी मंजिल पर । पर तुली सफल नहीं हो सका । वो ढूंढ नहीं सका शांगली को । इसमें तीन लोग मारे गये ।" लियू की आवाज माईल के कानों में पड़ रही थी ।

माईक ने गहरी सांस ली।

"क्या हुआ ?"

"मैंने शांगली को कहा था कि उसके पास आ जाता हूं । तुली से मैं उसे बचाऊंगा और तुली को पकड़ने की चेष्टा करूंगा ।"

"ताकि वो अमेरिका के हक में गवाही दे सके ।"

"हां ।"

"इस तरह वो गवाही देगा ?" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"ये मेरी आखिरी कोशिश होगी तुली के मामले में । नही तो इसके बाद मैं इस मामले से पीछे हट जाऊंगा ।"

"हार मान रहे हो ?"

"नही, वक्त बर्बाद होने से बचा रहा हूं । मेरे ख्याल में तुली इंडिया के खिलाफ गवाही देना ही नही चाहता ।"

"ये बात तुम्हें पहले समझ जानी चाहिये थी ।"

"फिर भी मैं आखिरी कोशिश जरूर करूंगा ।"

"करो । शांगली से बात कर लो । मेरे ख्याल में वो तुम्हें अपने पास बुला लेगा ।"

"इस बार। यानी तुम्हारी शांगली से बात हो चुकी है ?" माईक ने पूछा ।

"हां । उधर से लियू ने कहा और फोन बंद कर दिया ।

माईक ने उसी पल शांगली को फोन किया । बात हो गई ।

"लियू ने बताया कि रात तुली ने तुम पर हमला किया । तुम्हारे तीन आदमी मारे गये । माईक बोला ।

"हां । लेकिन वो मुझ तक पहुंच नही सका।"

"पक्का वो तुली ही होगा दूसरा कोई नहीं हो सकता ।"

"अगर तुमने मेरी बात मान ली होती तो हो सकता था कि तुली इस वक्त मेरे कब्जे में होता । मुझे, अपने साथ रखने में तुम्हारा ही फायदा है शांगली। हम दोनों का मिशन एक ही है ।"

"फर्क है । तुम तुली को पकड़कर इस्तेमाल करना चाहते हो और मैं उसे खत्म कर देना चाहता हूं ।"

"सुनो । अगर तुली अमेरिका के हक में गवाही देने को तैयार हो गया तो, मैं उसे समझाकर तुम्हारे पीछे से हटा लूंगा । अगर वो मेरी बात न माना तो उसे शूट कर दिया जायेगा ।" माईक ने कहा ।

"पक्का ?"

"बिल्कुल पक्का। तुम कहां हो, मैं आता हूं । चाईना बाजार में हो क्या ?"

"नहीं । मैं सुरक्षित जगह पर हूं । पता जान लो और यहीं आ जाओ ।" उधर से शांगली पता बताने लगा ।

■■■

भट्ट ने फोन पर सैवन इलैवन को बताया कि शांगली के छिपने की जगह कौन-सी है ।

"वहां कितने आदमी हैं ?" उधर से सैवन इलैवन ने पूछा ।

"आठ आदमी उसके साथ थे । एक-दो पहले भी वहां हो सकते हैं ।" भट्ट ने कहा ।

"यानी कि दस आदमी।  ठीक है, शांगली पर बराबर नजर बनाये रखो ।"

"मैं कुछ कहना चाहता हूं ।"

"कहो ।"

"ये तो साबित हो चुका है कि शांगली चीनी जासूस है ।"

"तो ?"

"हमने उसे खत्म करना ही है, तो क्यों न तुली को शांगली के ठिकाने की खबर दे दी जाये।"

"तुली को देखो कि वो क्या करता है । क्या वो सच में शांगली को मारना चाहता है ?"

"ऐसा क्यों ?"

"मैं देखना चाहता हूं कि असल में तुली के मन में क्या है । मैं उसे समझने की कोशिश कर रहा हूं । उसने शांगली को मारना है तो वो शांगली को तलाश लेगा । R.D.X. उसके साथ हैं। रावत को कहो कि उन पर ठीक से नजर रखे ।"

"शांगली को ढूंढने में तुली ने काफी वक्त लगा दिया तो ?"

"ऐसा हुआ तो सोच लेंगे । वैसे शांगली भी आराम से बैठने वाला नहीं । वो जानता है कि तुली उसके पीछे हैं । ऐसे में वो तुली को हर हाल में खत्म कर देना चाहता है । मुझे पल-पल की खबर देते रहो।"

■■■

माईक, शांगली के गले मिला ।

"मेरे होते तुम तुली की जरा भी चिन्ता मत करो शांगली ।" माईक ने कहा ।

"मुझे तुली की उतनी ही चिंता है, जितनी होनी चाहिये ।" शांगली मुस्कुरा कर बोला ।

"रात में तुम्हारे साथ होता तो शायद तुली मेरे पास होता मेरी कैद में ।"

"आसान मत समझो तुली को । वो मेरे तीन आदमी मार गया और किसी को खबर भी नहीं हुई।"

"अब ऐसा नहीं होगा । मैं हूं तुम्हारे साथ... ।"

"तुम अकेले क्या कर लोगे ?"

"इस बात का जवाब तुम्हें वक्त देगा । तुमने भी गलती की कल रात, तुम्हें छिपकर रहना चाहिये था ।"

"मैंने तुली को कम समझा ।"

"छोड़ो । अब हम दोनों मिलकर तुली को देख लेंगे । अगर उसने अमेरिका के हक में गवाही देने से इंकार की तो उसे खत्म कर देंगे । अगर वो तैयार हो गया तो मैं उसे समझाऊंगा कि लियू ने उससे मजाक में वो सब बातें कही थीं। शांगली ने उसके परिवार को नहीं मरवाया ।"

"और वो तुम्हारी बात मान लेगा ?" शांगली व्यंग से कह उठा ।

"उसका दिमाग ठीक हुआ तो जरूर मानेगा ।" माईक ने कहां--- "लियू चली गई मुम्बई से ।"

"तुम्हें कैसे पता ?"

"सुबह लियू से फोन पर बात हुई थी । तब वो एयरपोर्ट जा रही थी । आज शाम को वो चीन की फ्लाईट ले लेगी ।" माईक ने शांगली को देख कर कहा--- "लियू को अभी रुकना चाहिये था । और तुम्हारा साथ देना चाहिये था ।"

"उसे चीन में काम था ।" शांगली ने कहा ।"

"काम तो सबको ही होते हैं । छोड़ो ।" माईक ने सिर हिलाकर कहा--- "मैं घंटे भर में आता हूं । तुली की तलाश के लिये अपने एजेन्टों को ऑर्डर देने हैं । तुली की तलाश भी जारी रहनी चाहिये।  तुम भी अपने आदमी इस काम पर लगा दो ।"

"लगा दिए हैं ।"

"ये अच्छा किया । आता हूं थोड़ी देर में ।" कहकर माईक बाहर निकल गया।

■■■

दिन के बारह बज रहे थे। R.D.X. कब से उठ कर नहा-धो चुके थे । परन्तु तुली कुछ पहले ही उठा था । गैराज पर रोज की तरह काम चल रहा था । उस्मान व्यस्त था ।

"हम शांगली की कोई खबर पानी बाहर जा रहे हैं ।"  एक्स्ट्रा बोला--- "तुम्हारे लिए बाहर खतरा है । शांगली तुम्हारी तलाश करवा रहा होगा ।"

"उसकी किस्मत तेज थी।  रात बच गया वो ।"

"तुम अब....।"

"तभी तुली का फोन बजा । जो कि धर्मा का फोन था ।

तुली ने स्क्रीन पर आया नम्बर देखा फिर कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया ।

"हैलो ।"

"कैसे हो तुली ?" माईक की आवाज कानों में पड़ी--- "मैं माईक हूं।"

"मेरा बेटा बंटी कहां है ?"

"मैं नहीं जानता । वो मेरे हाथ से निकल गया, इसका मुझे अफसोस है। ये भी नहीं जानता कि वो लोग कौन थे । मैंने उन्हें तलाश करवाने की चेष्टा की, परन्तु उनकी कोई खबर नहीं लगी मुझे ।"

तुली के होंठ भिंच गये ।

R.D.X. की निगाह तुली पर थी ।

"रात तुम शांगली को मार नहीं सके ।"

"तुम्हें कैसे पता ?" तुली के माथे पर बल पड़े ।

"पता चल गया । तुमने उसके तीन आदमियों को मारा और । तब शांगली भी वहीं था ।"

"वहां नहीं था वो कमीना ।" तुली की आवाज तेज हो गई।

"वहीं था ।"

"कहां ?" तुली की आंखें सिकुड़ी ।

"उसके केबिन से ही, बेडरूम में जाने का दरवाजा खुलता है । तुमने केबिन देखा ?"

"हां-देखा था ।" तुली के दांत भिंच गये ।

"केबिन की दीवारों को चैक किया था ।"

"नहीं चैक किया । अब समझा । उसके केबिन की दीवारें डिजाईनर थी । उसी डिजाईन में दरवाजा छिप जाता होगा । सच में मैं धोखा खा गया । ओह, वो वहीं था और मुझे खबर न हुई ।"

"तब वो नींद में था । उसे भी अपने आदमियों के मरने की खबर न हुई । तुमने गोली नहीं चलाई होगी ।"

"नहीं ।"

"तभी तो।"

"तुम शांगली से मिल चुके हो । तुम्हारी बातों से जाहिर है ।"

"मैंने कब इंकार किया ?" माईक की मुस्कुराहट भरी आवाज कानों में पड़ी--- "परन्तु तुम अब शांगली तक नहीं पहुंच सकते। अंडरग्राउंड हो चुका है वो । वो तब तक बाहर नहीं आयेगा, जब तक कि तुम्हें खत्म न कर दे ।"

"ये सब तुम्हें कैसे पता ?"

"मैंने शांगली का विश्वास जीतकर उसकी दोस्ती हासिल की है । दस मिनट पहले मैं शांगली के पास ही था ।"

"वो कहां है, मुझे बताओ ।" तुली के होंठों से फुंफकार निकली ।

"तुम मेरे काम नहीं आ रहे हो तो मैं तुम्हारे काम आ सकता हूं ।" माईक की आवाज कानों में पड़ी ।

तुली दांत भींचे, कानों से फोन लगाये रहा ।

"पता चला कि शांगली और लियू के इशारे पर ही तुम्हारे परिवार का खात्मा हुआ ।"

तुली के  होंठों से गुर्राहट निकली ।

"बुरा किया उन्होंने तुम्हारे साथ।"

"तुम भी कम नहीं हो ।" तुली सुलगते स्वर में कह उठा--- "तुम लियू के साथ मिलकर मुझे फंसाने में लगे....।"

"तुम्हें फंसाने की कोशिश तो मैं अभी कर रहा हूं । हम अब सबको अपना मतलब प्यारा है । शांगली छिप चुका है । उसे तुम आसानी से नहीं ढूंढ सकते तुली । लेकिन मैं तुम्हें उसका पता बता सकता हूं ।"

"बता।"

"बदले में मुझे मेरे साथ चलना होगा अमेरिका । अमेरिकी विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की आठ साल पहले क्रोशिया में F.I.A. ने हत्या करवाई थी और उस मिशन के चीफ तुम थे ।" ( ये सब जानने के लिए पड़े अनिल मोहन का उपन्यास 'ऑपरेशन टू किल') ये बातें तुम्हें स्वीकार करते हुए सारा मिशन खुले तौर पर बयान करना....।"

"वो मिशन ब्रिगेडियर छिब्बर की हत्या के लिए था ।"

"ब्रिगेडियर छिब्बर को इस मामले से निकाल देना होगा तुम्हें। अमेरिकी विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या करने का मिशन तुम्हें स्वीकार करना होगा। मंजूर हो तो मैं तुम्हें शांगली का ठिकाना बता सकता हूं ।"

"तुम जीत गये माईक ।"  तुली ने गहरी सांस लेकर कहा ।

"तो तुम तैयार हो ?" माईक का उत्साह भरा स्वर कानों में पड़ा ।

"शांगली का पता जानने के लिए मुझे तुम्हारी बात माननी पड़ रही है।"

"बाद में पीछे तो नहीं हटोगे ?"

"नहीं, तुमने मुझे बाकी के नौ लाख डॉलर भी देने हैं ।" तुली ने याद दिलाया ।

"पूरे दस लाख दूंगा ।"

"शुक्रिया। तुम मुझे शांगली का पता बताओ और मेरी अमेरिका की टिकट बुक करा लो रात की । रात तक मैं शांगली को खत्म करके, तुम्हारे साथ अमेरिका के लिए चल दूंगा ।"

"ओह, तुमने तो मुझे क्या, पूरे अमेरिका को खुश कर दिया ।" उधर से माईक ने कहा फिर शांगली का ठिकाना बताने लगा ।

बात खत्म होने पर तुली ने फोन बंद किया ।

R.D.X. की उलझन भरी निगाह तुली पर थी ।

"क्यों ?" एक्स्ट्रा शांत स्वर में बोला--- "क्या तुम सच में माईक के साथ अमेरिका जाकर....?"

"मैं उसे कुछ नहीं बताने वाला ।" तुली व्यंग भरे स्वर में कहा उठा--- "हमें शांगली का नया ठिकाना पता चल गया है ।" अब तुम तीनों मेरे साथ चलोगे।  वहां और लोग भी हैं । तुम उन लोगों को संभालना, मैं शांगली को खत्म कर दूंगा ।"

तभी फोन पुनः बजा ।

दूसरी तरफ माईक ही था ।

तुम्हें थोड़ी दिक्कत आ सकती है ।" माईक की आवाज कानों में पड़ी--- "वहां ज्यादा लोग हैं । मैं वहां लोगों को कम कर सकता हूं ।"

"कैसे ?"

"ये  मुझ पर छोड़ दो । मैं एक डेढ़ घंटे तक तुम्हें फोन करूंगा कि मैंने संख्या कम कर दी है । तब तक तुम अपनी तैयारी करते रहो ।"

"ठीक है।"

■■■

माईक वापस शांगली के पास पहुंचा ।

"जल्दी आ गये ।" शांगली उसे देखते ही कह उठा ।

"अपने आदमियों को सैट करना था कि वो तुली ढूंढे । एक खबर मिली है।" माईक उसके पास बैठता कह उठा ।

"क्या ?"

"एक जगह तुली के मौजूद होने की संभावना हो सकती है । मेरे खास आदमियों ने बताया है ।"

माईक ने एक जगह का पता बताया ।

शांगली ने उसी पल एक आदमी को बुलाकर कहा ।

"सावंत ।" शांगली ने उस जगह का पता बताया--- "यहां तुली छिपा हो सकता है। फौरन पांच आदमी ले जाओ और तुली को देखते ही खत्म कर दो ।"

"ऐसा ही होगा ।" कहने के साथ ही सावंत बाहर निकल गया ।

"तुली मर गया तो मेरे काम का क्या होगा ।" माईक बोला--- "सिर्फ उसकी गवाही महत्वपूर्ण है ।"

"मैं तुम्हारे लिये कोई दूसरा रास्ता निकाल लूंगा ।" शांगली बोला ।

"दूसरा रास्ता ?"

"मन्नु, जैनी और राघव जिंदा है, इनमें से किसी की गवाही ।"

"परन्तु तुली की गवाही महत्वपूर्ण है । क्योंकि तुली F.I.A. का एजेन्ट रह चुका है । वो 'ऑपरेशन टू किल' नाम के मिशन का इंचार्ज रहा था तब ।"

"मैं कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा कि तुम्हारा काम भी बढ़िया ढंग बन जाये ।" शांगली ने उसे तसल्ली दी ।

माईक कुछ न बोला । वो जो करना चाहता है कर दिया था । सावंत को मिलकर छः आदमी यहां से चले गए थे । अब सिर्फ चार-पांच आदमी ही इस ठिकाने पर थे ।

"मैं पास ही बाजार में जा रहा हूं, अभी आता हूं ।"

"तुम्हारा बार-बार आना-जाना ठीक नहीं, तुम....।"

"अभी आया । फिर नहीं जाऊंगा ।"

"माईक उस ठिकाने से बाहर निकला और बाजार की तरफ बढ़ गया । साथ ही फोन निकाला और नम्बर मिलाने लगा । फिर से तुली से बात हो गई ।

"मैंने तुम्हारा काम हल्का कर दिया है । आदमी बाहर भिजवा दिए । वहां चार-पांच ही बाकी हैं ।"

"अच्छा किया । हम वहां पहुंचने ही वाले हैं।"

■■■

भट्ट ने सैवन इलैवन को फोन किया ।

"शांगली के पास माईक आ पहुंचा है ।" भट्ट ने कहा ।

"तो दोनों इस वक्त एक हुए पड़े हैं।"

"माईक को तो तुली की जरूरत है, जब शांगली तुली को खत्म कर देना चाहता होगा । फिर दोनों का मिलना कैसे ?"

"कोई तो बात होगी, तुम वहां नजर रखो और मुझे रिपोर्ट देते रहो ।" सैवन इलैवन का स्वर कानों में पड़ा ।

■■■

दोपहर का एक बज रहा था ।

तीखी धूप थी । सूर्य सिर पर था। बहुत कम लोग ही बाहर आते-जाते दिखाई दे रहे थे । सड़क पर ही मकानों की कतार बनी हुई थी । उन्हीं में से एक मकान में शांगली था ।

R.D.X. और तुली की निगाह उस मकान पर टिक चुकी थी । उनके चेहरे पर पसीना लकीरें बनकर नीचे से आ रहा था । आज हवा जरा भी नहीं चल रही थी । एक्स्ट्रा ने दीवार की तरफ मुहं किया और रिवॉल्वर निकाल कर दूसरी जेब से साइलेंसर निकाल नाल पर चढ़ाने लगा । चेहरे पर कठोरता के भाव थे ।

फिर एक्स्ट्रा पलटा और धर्मा के हाथ से एक पैकेट लिया और उस मकान की तरफ बढ़ गया । रिवॉल्वर जेब में रख चुका था । राघव शर्मा की नजरें मिलीं। आंखों ही आंखों में इशारे हुए । फिर दोनों ने अपनी जगह छोड़ी और दायें-बायें अलग-अलग दिशाओं में बढ़ गये । इसके साथ ही चक्कर काटकर दो दिशाओं की तरफ से उस मकान की तरफ आने लगे।

तुली वहीं खड़ा अपनी नजरें घुमाता रहा ।

एक्स्ट्रा उस मकान के गेट पर पहुंचा और बेल दबाई । भीतर बजती बेल बाहर तक सुनाई दी ।

दो पल भी ने बीते कि मकान का दरवाजा खुला। एक आदमी दिखा ।

"कौन है ?" उसने पूछा ।

"कोरियर ।"

"वो आदमी दरवाजा खोलकर बाहर निकला और गेट तक आ गया 

"गलत पते पर आ गये हो ।" वो आदमी बोला ।

"कोरियर के पैकेट पर यही पता है । पढ़ लो ।" एक्स्ट्रा बोला ।

उस आदमी ने गेट खोला । हाथ बढ़ाकर एक्स्ट्रा से पैकेट लिया और उसे देखने लगा।

एक्स्ट्रा एक कदम गेट के भीतर आया और कुर्ती से रिवॉल्वर निकालकर उस व्यक्ति के पेट पर लगा दी वो चिहुंक उठा । हड़बड़ा कर उसने एक्स्ट्रा को देखा ।

एक्स्ट्रा ने ट्रेगर दबा दिया ।

'पिट' की मामूली की आवाज हुई और गोली उसके पेट में समा गई ।

उसकी आंखें फटती चली गई।

तभी पीछे से राघव और धर्मा ने रिवॉल्वर थामे भीतर प्रवेश किया और खुले दरवाजे के भीतर प्रवेश करते चले गये।  उनकी रिवॉल्वरों पर भी साइलेंसर चढ़े हुए थे । फौरन ही भीतर से उठा-पटक की आवाजें आने लगी।

एक्स्ट्रा ने आगे बढ़कर कमरे में प्रवेश किया । वहां दो आदमियों की लाशें देखी। रिवॉल्वर थामे वो सामने नजर आ रहे दरवाजे की तरफ बढ़ गया । उस दरवाजे को पार किया तो एक और लाश देखी । फिर वो पीछे वाले कमरे में पहुंचा । वहां राघव और धर्मा मौजूद थे । एक लाश वहां भी पड़ी थी और शांगली दिखा, जिसका चेहरा दूध की तरह सफेद हुआ पड़ा था । आतंक भरी निगाहों से वो R.D.X.को देखे जा रहा था। चेहरे पर अविश्वास के भाव थे । ख़ौफ के मारे उसके गले में कांटे चुभ चुके थे।

R.D.X. के चेहरों पर दरिंदगी के भाव थे ।

उसी क्षण उनके कानों में कदमों की आहट पड़ने लगी ।

परन्तु R.D.X. की निगाह, रिवॉल्वर थामे शांगली पर ही थी ।

कदमों की आहटों ने कमरे में प्रवेश किया ।

आने वाला तुली था ।

तुली पर निगाह पड़ते ही शांगली कांप उठा । चेहरे पर मौत से भरे कई रंग आकर गुजर गये। उसने सूखे होंठों पर जीभ फेरी । पहलू बदला। नजरें तुली पर ही रहीं।

"तू सोच रहा होगा कि मैं इतनी जल्दी तुझ तक कैसे पहुंच गया ।" तुली वहशी स्वर गुर्रा उठा ।

शांगली ने पुनः सूखे होंठों पर जीभ फेरी ।

"माईक ने तेरे से गद्दारी की । उसने मुझे बताया कि तुम यहां पर हो । क्योंकि वो मेरी गवाही चाहता है ।"

शांगली के होश गुम हुए पड़े थे ।

"बोल।  मेरे परिवार को कैसे मारा था शांगली ?" तुली मौत भरे स्वर में कह उठा ।

"म....मैंने नहीं मारा ।" शांगली डर से कंपकंपाता कह उठा ।

"तेरे इशारे पर मारा गया मेरे परिवार को ।"

शांगली चुप ।

"बोल....।" तुली गला फाड़कर चीखा ।

"हां, म....मैंने आर्डर दिया था तेरे परिवार को मारने का।

तेरी को छिपी जगह से बाहर निकालना था । गलती हो गई मेरे से । मेरे को माफ कर दो। मुझे मत मारना। म....मैं चाईना बाजार तेरे नाम कर दूंगा, तुझे पैसा भी....।"

"शांगली ।" तुली ने सिगरेट सुलगाकर मौत के स्वर में कहां--- "लियू कहां है ?"

"वो...वो दिल्ली गई । शाम के प्लेन से चीन जा रही है । वो तो कब की दिल्ली पहुंच गई होगी--- वो....वो....।"

"वो भी इस काम में तेरे साथ थी ?"

"नहीं । वो तो बाद में आई--- वो....।"

"मुझे उसने बहुत शान से बताया कि मेरे परिवार को खत्म कर दिया गया है ।" तुली दांत भींचकर कह उठा--- "वो मेरे परिवार को खत्म करने की बात से सहमत थी । खुश थी, इसलिए मेरे हाथों, वो भी मौत की हकदार बन चुकी है।

"अब तो तुम्हारे हाथों से दूर हो गई है । कुछ घंटे बाद ही वो चीन के लिये फ्लाईट ले....।"

"चीन ज्यादा दूर नहीं है शांगली ।" तुली ने खतरनाक स्वर में कहा ।

शांगली ने सूख रहे होंठों पर जीभ फेर कर कहा---

"मुझे मत मारना, मैं चाईना बाजार तुम्हारे नाम कर दूंगा । तुम्हें बहुत पैसा दूंगा और....।"

"मेरा बेटा कहां है शांगली ?"

"मैं....मैं नहीं जानता । म....मैंने उसे माईक के हवाले कर दिया था । पता लगा कि कोई उससे, तुम्हारे बेटे को छीनकर ले गया। मुझे मत मारना । मैं चाईना बाजार तुम्हारे नाम कर....।"

तुली ने उसी क्षण जेब से रिवॉल्वर निकल ली ।

"नही....।" शांगली दोनों हाथ आगे करके चीखा--- "मुझे मत मारो--- मैं-माफ कर....।"

तुली ने रिवॉल्वर वाला हाथ सीधा किया और ट्रेगर दबा दिया ।

कानों को फाड़ देने वाला धमाका हुआ और गोली उसके माथे पर जा लगी।

फिर तुली ने दांत किटकिटाते हुए एक के बाद एक, तीन बार ट्रेगर दबाया ।

तीनों गोलियां शांगली की छाती में जा धंसी।

शांगली के शरीर को तीव्र झटका लगा वो नीचे गिरता चला गया ।

सन्नाटा-सा छा गया वहां ।

तभी धर्मा आगे बढ़ा और उसने शांगली को चैक किया ।

वो मर चुका था ।

"चलो । ये अब जिन्दा नहीं रहा ।" धर्मा ने गम्भीर स्वर में, तुली को देखते हुए कहा ।

तुली के चेहरे पर वहशी भाव थिरक रहे थे ।

फायरों', की आवाज गूंजी थी, परन्तु कोई शोर-शराबा अभी नहीं उठा था।

वो चारों बाहर आकर कार में बैठे । राघव ने कार आगे बढ़ा दी ।

तुली ने सीट  की पुश्त से सिर टिकाकर आंखें बंद कर लीं। चेहरे पर गुस्से और राहत के भाव थे ।

तभी तुली के पास मौजूद फोन बजने लगा ।

तुली ने बात की।  दूसरी तरफ माईक था ।

"शांगली को खत्म कर दिया या करना है ?" माईक की आवाज कानों में पड़ी ।

"कर दिया ।"

"वाह,  तुमने अपने  परिवार का बदला ले लिया । मैंने ही तुम्हें शांगली तक पहुंचाया था ।"

"धन्यवाद।"

"धन्यवाद की क्या जरूरत है।  तुम मेरा काम करने जा रहे हो । अमेरिका के हक में 'ऑपरेशन टू किल'  के बारे में गवाही दोगे न ?"

"हां, क्यों ।"

"तो मैं रात के प्लेन से सीट बुक करा लूं ? अमेरिका चलें ?"

"हां, मुझे बता देना कि एयरपोर्ट कितने बजे पहुंचना है ।"

"मैं तुम्हें फोन करूंगा । पासपोर्ट है तुम्हारे पास ?"

"सब है, तुम सिर्फ फोन करना ।" तुली ने कहा और फोन बंद कर दिया ।

"तुम माईक से मिलोगे ?" राघव ने पूछा ।

"हां ।"

"क्यों ?"

"माईक जैसे लोगों को सीधे-सीधे बात समझ में नहीं आती । ऐसे लोगों को डंडा दिखाकर समझाना पड़ता है । तुली ने कहा।

■■■

मुम्बई का शांताकुंज एयरपोर्ट ।

रात के दस बज रहे थे ।

R.D.X. लाउंज में बैठे थे कि उन्हें एक तरफ से आता माईक दिखा।  उसने सूट पहना हुआ था । और हाथ में छोटा-सा सूटकेस थाम रखा था । उसकी नजरें तुली की तलाश में घूमीं कि R.D.X. पर जाकर थम गईं।

R.D.X. उठे और उसकी तरफ बढ़ गये ।

माईक उन्हें करीब आता देखता रहा।

"कैसे हो ?" पास पहुंचकर राधव ने मुस्कुरा कर कहा---

"तुली ?" माईक की आंखें सिकुड़ी--- "नजर नहीं आ रहा ।"

"वो यही है । थोड़ी सी सतर्कता बरतनी पड़ रही है ।" धर्मा बोला--- "F.I.A. की नजरों में तुली न ही आये तो बेहतर है ।"

"लेकिन वो है कहां ?"

"आओ । उसके पास ले चलते हैं ।"

माईक R.D.X. के साथ चल पड़ा ।

कुछ दूर एक जगह पर खड़ा था । उसने माईक और R.D.X. को उस तरफ जाते देखा तो खुद भी उधर चल पड़ा ।

R.D.X. माईक को लेकर बाथरूम में पहुंचे ।

"यहां है तुली ?"

"हां-मिल लो ।" एक्स्ट्रा ने दरवाजा खोलकर भीतर प्रवेश करते हुए कहा ।

बाथरूम खाली था ।

माईक ने R.D.X. को देखा । माथे पर बल आ गये थे ।

तभी दरवाजा खुला और तुली ने भीतर प्रवेश किया ।

उसे देखकर माईक ने राहत की सांस ली । बोला---

"तुमने मैले हो रहे कपड़े पहन रखे हैं । कम से कम कपड़े तो चेंज कर लेते।"

"क्या जरूरत है । तुम नये कपड़ों में हो । यही बहुत है । क्योंकि सफर भी तुमने करना है ।"

"क्या मतलब ?" माईक चौंका--- "तुम भी मेरे साथ चल रहे हो ।"

तुली ने रिवॉल्वर  निकाला और नाल माईक की छाती पर रख दी।

माईक के होंठ भिंच गये। आंखें सिकुड़ गईं ।

"मैं तुम्हें समझाने आया हूं कि ये आशा कभी मत रखना कि मुझसे अपनी पसंद की कोई बात जान सकोगे । दूसरी बात ये कि मेरे पर जोर-आजमाईश करने की कोशिश करने इंडिया दोबारा मत आना, वरना वापस नहीं जा सकोगे।"

"तुम धोखा कर रहे हो मेरे से ।" माईक तेज स्वर में बोला ।

"तुमने भी मेरे साथ बहुत चालाकियां कीं, परन्तु सफल नहीं हो सके, ये जुदा बात है ।"

माईक, तुली को देखता रहा।

"F.I.A. के साथ मेरे संबंध जैसे भी हों, परन्तु अमेरिका को उनका फायदा नहीं मिल सकता ।"

माईक ने गहरी सांस ली।

"तो तुम मेरे काम नहीं आओगे ?"

"R.D.X. और मैं तब तक यहां रहेंगे, जब तक कि तुम प्लेन में बैठ कर चले नहीं जाते, ये बात भूलना मत कि दोबारा कभी 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी पाने के लिये इंडिया में कदम मत रखना, वरना वापस नहीं जा सकोगे ।" तुली ने पुनः कहा ।

माईक ने कुछ नहीं कहा दरवाजे की तरफ बढ़ गया 

R.D.X. उसके पीछे थे ।

माईक ने दरवाजा खोला । बाहर निकला कि ठिठक गया । भीतर की बातें सुन रहा दरवाजे पर सैवन इलैवन खड़ा था । कुछ फासले पर मौली, बंटी का हाथ थामे खड़े थी ।

"तुम ?" माईक सैवन इलैवन को देखते ही चौंका ।

"मैं।" सैवन इलैवन मुस्कुराया फिर R.D.X. से बोला--- "तुम तीनों किस्मत वाले हो जो इस बार भी F.I.A. के हाथ से बच गये । सलामत रहना चाहते हो तो कभी F.I.A. के रास्ते में न आना ।"

"शुक्रिया ।" राघव ने मुंह बनाकर कहा।

"इसे वापस अमेरिका भेजो।  मैंने बातें सुन ली है । अब 'ऑपरेशन टू किल' के लिये अमेरिका से आया तो सच में ये मर जायेगा ।"

"मैं तुम्हें देख लूंगा ।" माईक गुस्से से छटपटा कर कह उठा ।

"नाम याद रखना सैवन इलैवन....।" सैवन इलैवन ने मुस्कुराकर कहा ।

"चल ।"

सैवन इलैवन माईक के साथ आगे बढ़ गये ।

तभी दरवाजा खुला और तुली बाहर निकला । सैवन इलैवन को सामने पाकर चिहुंक उठा ।

"तुम ?" उसके होंठों से निकला 

सैवन इलैवन ने बंटी की तरफ इशारा किया ।

बंटी पर नजर पड़ते ही तुली का पूरा जिस्म खुशी से थरथरा उठा ।

"बंटी....।"

"पापा....।"

तुली दौड़ा और बंटी को बांहों में समेटकर अपने सीने से खींच लिया ।

"तू....कैसा है बंटी ?"

"मैं ठीक हूं। इन आंटी ने मेरा बहुत ध्यान रखा ।"

तुली ने आभार भरी निगाहों से मौली को देखा ।

फिर बंटी के माथे पर गालों पर कई बार चूमा । उसका चेहरा खुशी के समंदर में डूबा लग रहा था । जैसे दुनिया भर की खुशियां उसे मिल गई हों। उसके बाद खड़ा होते हुए उसने सैवन इलैवन को देखा ।

"मुझे विश्वास है कि तुमने 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में किसी को नहीं बताया और भविष्य में मुंह बंद रखोगे ।"

"हां मैंने किसी को कुछ नहीं बताया ।" तुली ने भीगे स्वर में कहा ।

"इसलिए तुम आजाद हो। अब F.I.A. तुम्हारे पीछे नहीं होगी । ये तुम्हारा अपना देश है । चाहो तो फिर से F.I.A. में अपनी कुर्सी पर वापस आ सकते हो । F.I.A. के दरवाजे तुम्हारे लिए खुले हैं तुली ।"

"थैंक्स सैवन इलैवन । लेकिन अब मैं F.I.A. के लिए काम नहीं कर सकूंगा। अब मेरे सामने दो जरूरी काम है ।"

"कौन से काम ?"

"अपने बेटे की परवरिश करना और चीनी एजेन्ट लियू को खत्म करना । शांगली को मारकर मैंने अपने परिवार का आधा बदला ले लिया है । पूरा तब होगा, जब मैं लियू को खत्म कर दूंगा । मैं चीन जाऊंगा ।"

"तुम्हें चीन जाने का मैं मौका दूंगा ।"

"तुम ?" तुली के होंठों से निकला ।

"हां । तुम प्राइवेट तौर पर तो F.I.A. का काम कर सकते हो । F.I.A. तुम्हें चीन का कोई काम सौंपेगी । चीन जाकर तुम वो काम भी कर सकते हो और लियू से अपना हिसाब भी चुकता कर सकते हो ।" सैवन इलैवन ने कहा ।

"ये तो बहुत अच्छी बात होगी ।"

"F.I.A. तुम्हें जल्दी ही चीन जाने का मौका देगी ।" सैवन इलैवन ने कहा फिर पलटकर मौली से बोला--- "चलो।"

"मेरा बेटा तुम्हारे पास कैसे आया ?" तुली ने पूछा ।

"मेरे आदमियों ने ही माईक से, तुम्हारे बेटे को छीना था । मेरी निगाह कब से तुम सब पर थी । मैं देखना चाहता था कि तुम क्या करते हो । और मैंने देख लिया कि तुम ठीक हो । तुम पर भरोसा किया जाये तो धोखा नहीं मिलेगा ।"

तुली की आंखों में पानी चमक उठा ।

"जल्दी मिलेंगे ।" सैवन इलैवन ने कहा और मौली के साथ आगे बढ़ गया ।

"पापा ।" बंटी ने तुली का हाथ पकड़कर हिलाया।

"ओह, बंटी, मेरे प्यारे बेटे, मेरी दुनिया के सितारे ।" तुली ने कहा और बंटी को पुनः बांहों में भींच लिया।

समाप्त