"कैसे हो तुली ?" राघव ने तुली की टांग को थपथपाया ।

"ठीक हूं।"

"माईक तुम्हें जबरदस्ती ले जा रहा था ।

"हां ।"

"बातें बाद में पहले बताओ कि जाना कहां है ?" धर्मा कार चलाते कह उठा--- "जिस ठिकाने पर अब हम हैं, वहां पर सैवन इलैवन ने नजर रखी हुई है। वहां जाना ठीक नहीं होगा ।"

सैवन इलैवन का कोई आदमी अब भी हम पर नजर रखे हो सकता है ।" धर्मा ने देखा ।

"नजरें घुमाओ।"

राघव और एक्स्ट्रा की नजरें एक तरफ घूमने लगीं ।

तुली ने गहरी सांस लेकर आंखें बंद कर लीं ।

"मुझे तो पीछे लगा कोई नजर नहीं आ रहा ।" राघव बोला ।

"मेरा भी यही ख्याल है ।" एक्स्ट्रा ने कहा ।

"अभी बाहर का जायजा लेते रहो ।" धर्मा ने कहा ।

दो-तीन मिनट और बीत गये ।

"सब ठीक है । गाड़ियां तो हैं, परन्तु हमारे पीछे कोई नहीं है ।"

रात का एक बजने जा रहा था ।

"चलना कहां है ?"

"उस्मान के यहां ठीक रहेगा ।"

"हां, वो ठीक है, वहीं चलो।"

तुली ने आंखें खोलीं और राघव को देखा ।

"तुम लोग वहां अचानक कैसे पहुंच गये ?"

"अचानक नहीं पहुंचे । बहुत पापड़ बेलने पड़े हैं, तुम तक पहुंचने के लिये।" राघव ने कहा ।

"कैसे पापड़ ?"

"छोड़ो इस बात को । हमने तो सोचा था कि अब तुम हमेशा छिपकर रहोगे। लेकिन तुम सामने आ गये ।"

"मेरे परिवार को किसी ने गोलियों से भून दिया ।" तुली ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"हां । कुछ देर पहले ही हमें पता लगी ये बात ।"

"इसलिए आना पड़ा । मैंने उन लोगों को खत्म करने के लिए ही 'ऑपरेशन 24 कैरट' शुरू किया ।"

"'ऑपरेशन 24 कैरट' ?"

"ये मेरा मिशन है । सच्चाई का मिशन । F.I.A. खामखाह मुझे मार देना चाहती है। परन्तु अब मैं F.I.A. से नहीं डर रहा। मेरे सामने जो भी रुकावट बनेगा, वो मरेगा । मैं अपने परिवार के हत्यारों की तलाश कर रहा हूं ।"

"कुछ पता चला ?"

"नहीं ।"

"तुम्हारा बेटा तो बच गया ।"

"बंटी नाम है उसका । वो बच जरूर गया है, परन्तु उसी शाम से वो लापता है । मुझे पूरा भरोसा है कि जिन लोगों ने मेरे परिवार को मारा, बंटी भी उनके पास ही है । उन्होंने खामखाह उसे नहीं रखा । वे जरूर बंटी के दम पर कोई सौदा मुझसे करेंगे ।"

"उन्होंने पहल की ?"

"अभी तो नहीं ।"

"कौन हो सकते हैं वो, जिन्होंने तुम्हारे परिवार को...।"

"कोई भी हो सकता है । F.I.A भी या कोई और । इस बारे में मुझे अभी तक सुराग नहीं मिला।"

"चीन का जासूसी विभाग 'ऑपरेशन टू किल' में दिलचस्पी ले रहा है ।"

"उन्हें इस मामले से क्या मतलब ?" तुली ने धर्मा पर निगाह मारी ।

"ये तो हम नहीं जानते । परन्तु उन्हें पूरा मामला पता है ।" एक्स्ट्रा बोला--- "मेरे ख्याल में वो इस बात में दिलचस्पी ले रहे हैं कि तुम माईक को मिल जाओ और माईक के काम आओ ।"

"चीन वाले अमेरिका और इंडिया के रिश्तो को खराब होता देखना चाहते हैं।"

दो पल कार में शांति रही ।

"मेरे ख्याल में तुम्हारे परिवार को इसलिए मारा गया कि तुम अपनी छिपी जगह से बाहर निकलो ।

"मुझे भी ऐसा ही लगा ।" तुली ने गम्भीर स्वर में कहा--- "मेरा दिल कहता है कि ये काम F.I.A ने किया है । F.I.A जान गई है कि मैं....।"

"F.I.A को कुछ दिन पहले ही तुम्हारे जिंदा होने का पता लगा है ।" राघव कह उठा ।

"कैसे कह सकते हो ?"

"क्योंकि दो-तीन दिन पहले ही F.I.A. के स्पेशल एजेन्ट सैवन इलैवन ने हमसे मिलना चाहा। तभी उसे पता लगा था कि तुम जिंदा हो । पहले पता होता तो सैवन इलैवन पहले ही हमारे पास आ जाता ।"

"सैवन इलैवन मिला तुमसे ?" तुली ने पूछा ।

"हां ।"

"क्या कहता है वो ?"

"उसे पसन्द नहीं आया कि हमने तुम्हें जिंदा छोड़ दिया है । वो चाहता है कि अपनी गलती को सुधारते हुए, अब तुम्हें मार दें।"

तुली के होंठ सिकुड़े ।

"तो अब तुम मुझे मारना चाहते हो ?"

"तेरा क्या ख्याल है ?" राघव मुस्कुराया ।

"मारना होता तो अब तक मार दिया होता ।" तुली ने गहरी सांस ली ।

"हम तेरे मिशन 'ऑपरेशन 24 कैरेट' में तेरे साथ हैं ।" एक्स्ट्रा कह उठा ।

"मेरे साथ ?" तुली ने अविश्वास भरी नजरों से उन्हें देखा ।

"हां ।" हैरान होने की जरूरत नहीं । हम जानते हैं तू सच्चा है । F.I.A. तो तेरे बारे में भारी तौर पर गलतफहमी हो चुकी है कि तूने C.I.A. को सब कुछ बता दिया....।"

"मैंने किसी को कुछ नहीं बताया ।"

"हम जानते हैं । परन्तु F.I.A. ये बात नहीं समझती । F.I.A. को आशा है कि तुम अपने को बचाने के लिए तुझे मार देंगे । तुझे न मारा तो F.I.A. हमें खत्म कर देगी । लेकिन अब हम F.I.A. से दबेंगे नहीं--- हम...।"

"मेरी सलाह है कि मुझे अकेला छोड़ दो ।" तुली कह उठा ।

"क्यों ?"

"मेरा साथ देने से F.I.A. और भी तेजी से तुम लोगों के पीछे पड़....।"

"तेरा साथ नहीं देंगे तो F.I.A. हमें छोड़ देगी ?"

तुली ने बारी-बारी तीनों को देखा ।

"सैवन इलैवन स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि या तो हम तुली को खत्म करें, नहीं तो F.I.A. हमें खत्म कर देगी । जबकि हम जानते हैं कि तेरा कहीं भी कोई कसूर नहीं । तुझे मारना भारी गलती होगी ।"

तुली ने गहरी सांस ली और फिर राघव से कह उठा ।

"मन्नू के बारे में जानता है ?"

"मन्नू ?" राघव के चेहरे पर अजीब से भाव आये--- "वो तो मर चुका है, वो....।"

"वो जिंदा है ।"

"नहीं....।" राघव के होंठों से निकला।

एक्स्ट्रा और धर्मा के मस्तिष्क को झटका लगा ।

"जिन्दा है मन्नू । मैं उससे मिल चुका हूं । हमने उसे मरा समझकर कार से बाहर फुटपाथ पर डाल दिया था, परन्तु तब उसकी सांसे बेहद मध्यम चल रही थीं, जो हम समझ नहीं सके । कुछ देर बाद ही वहां से पुलिस पेट्रोल कार निकली । मन्नू को घायल पड़े देखा तो उसे अस्पताल ले गये । वो बच गया ।"

"ओह ।" राघव अभी भी हैरान था ।

"फिर इत्तेफाक से मन्नू और जैनी मिल गये ।"

"जैनी । वो तो F.I.A. की कैद में थी तब ।" ( ये सब जानने के लिये अनिल मोहन का उपन्यास 'ऑपरेशन टू किल' पढ़ें )।

"हां । परन्तु मेरे मरने की खबर पाकर F.I.A. ने जैनी को वार्निंग देकर छोड़ दिया था कि वो अपना मुंह बंद रखे। लेकिन मन्नू के मिलने के पश्चात दोनों ने इंडिया से निकल जाने की सोची । इसके लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी । तो मन्नू के कहने पर जैनी ने 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी एक अखबार को तीन लाख में बेच दी ।"

"सिर्फ तीन लाख में ?"

"हां । उन्हें इतने की जरूरत रही होगी । वो घबराये हुए थे । परन्तु F.I.A. को मामला पता चल गया। अखबार वालों ने अपने अखबार में एक दिन पहले घोषणा कर दी कि कल के अंक में 'ऑपरेशन टू किल' की असलियत पढ़ें ।"

"ओह, फिर ?"

"मैंने उसको रिपोर्टर महेश भासीन को F.I.A. से बचने की कोशिश की, लेकिन F.I.A. ने उसे पकड़ ही लिया ।"

"और जैनी...?"

"F.I.A. उस तक भी पहुंच गई ।"

"मन्नू भी....?"

"मन्नू की मुझे जानकारी नहीं वो कहां है । आखिरी बार उससे मिला तो वो बचा हुआ था ।"

"F.I.A. अब जैनी को नहीं छोड़ने वाली ।" राघव ने गहरी सांस ली--- "तीरथ को किसी ने मार दिया ।"

"हां । पता लगा उसे गोली मारी गई ।"

"उसके हत्यारों का भी पता नहीं लगा--- वो....।"

"हम पहुंच गये ।" तभी धर्मा कह उठा।

सबकी निगाहें सामने पड़ी ।

उस्मान सर्विस सेंटर का बोर्ड रोशनी में उन्हें चमकता दिखा ।

■■■

रात के दो बज रहे थे, जब सैवन इलैवन का फोन बजा । तब सैवन इलैवन नींद में था ।

"हैलो ।" सैवन इलैवन ने हाथ बढ़ाकर मोबाइल फोन उठाया और बात की। आंखें बंद ही रही ।

"भट्ट ।"

सैवन इलैवन की आंखें खुल गई ।

"तुली मिल गया ?"

"क्या ?" सैवन इलैवन के होंठों से निकला ।

"R.D.X. ने उन्हें ढूंढ लिया । मेरे ख्याल में शांगली से उन्होंने तुली के ठिकाने के बारे में जाना है ।"

"हां, वो और लीयू तुली के बारे में जानते थे । अब क्या पोजीशन है । R.D.X. ने तुली का क्या किया ?"

"उसे मारा नहीं । अपने साथ रखा हुआ है । R.D.X. से पहले ही, तुली तक माईक और उसके सात लोग पहुंच गये थे । वो तुली को जबरदस्ती ले जा रहे थे कि R.D.X. ने, तुली को हथिया लिया।

"अब R.D.X. तुली को लेकर उस जगह पर पहुंच गये ?" सैवन इलैवन ने पूछा ।

"उन्होंने हम से बचने के लिए ठिकाना बदल लिया है । वे चारों बरसोवा में उस्मान के सर्विस सेंटर में गये हैं । यहां कारों को रिपेयर किया जाता है । सर्विस की जाती है । किसी जमाने में उस्मान दादा हुआ करता था । परन्तु अब शराफत से वक्त बिता रहा है। R.D.X. से उस्मान की खास पहचान होगी । तभी वो वहां गये हैं।"

सैवन इलैवन के चेहरे पर सोच के भाव थे ।

"मैं तुली को मार सकता हूं।"

"नहीं।  कुछ मत करना ।" सैवन इलैवन ने कहा--- "हमें जानना है कि R.D.X. तुली से क्या चाहते हैं ?"

"मैंने अपने लोगों को यहां बुला लिया है ।"

"नजर रख उन पर ।"

"अजीत और मौली का फोन आया था । वो एम्बेसी के बाहर मौजूद थे, माईक पर नजर रखने के लिये।  उन्होंने माईक पर पूरी नजर रखी । सारे हालातों को देखा । अब वो पूछ रहे हैं कि क्या करें ?"

"माईक पर ही नजर रखें और रिपोर्ट देते रहें ।"

"ठीक है । लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम तुली को खत्म क्यों नहीं कर रहे । मौका है ।"

"माईक, तुली को जबरदस्ती ले जा रहे थे ?"

"हां ।"

"तो इसमें स्पष्ट है कि तुली को कुछ नहीं बताया और बताने के मूड में भी नहीं है । तभी तो माईक उसके पीछे अभी तक है।"

"ऐसा हो सकता है ।"

"तुम R.D.X. और तुली पर नजर रखो और उसे रिपोर्ट देते रहो । सैवन इलैवन ने गम्भीर स्वर में कहा ।

■■■

माईक वापस एम्बेसी पहुंचा ।

गुस्से से भरा उखड़ा हुआ था वो कि तुली हाथ आकर भी निकल गया ।

आधी रात हो रही थी ।

एकाएक उसे लीयू की याद आई । उसने कहा था कि उसके पास और रास्ता भी है।

माईक ने लियू का नम्बर मिलाया ।

दूसरी तरफ बेल होने लगी फिर लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुम तो चूक गये माईक ।"

माईक ने गहरी सांस ली ।

"R.D.X. ने तुम्हें मात दे दी। वो तुली को तुम्हारे हाथों से ले गये ।"

"तो तुम वहीं थी ?"

"बेशक ।"

"अभी खेल खत्म नहीं हुआ है ।" माईक के होंठों से उखड़ा स्वर निकला--- "तुली को मैं वापस पा लूंगा।"

"ये जाने बिना की R.D.X. तुली को कहां ले गये हैं ।" लियू की खनकती आवाज कानों में पड़ी ।

"तुम जानती हो ?"

"मैं तो बहुत कुछ जानती हूं ।"

"तुली इस वक्त कहां है ?"

"बहुत आसानी से जान लेना चाहते हो ।"

"क्या चाहिये तुम्हें ?"

"कुछ भी नहीं। मैं तो मुफ्त में तुम्हारी सहायता कर रही हूं ।" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुली के बारे में बताओ ।"

"सुबह बात करेंगे ।"

"तुली कहीं दूर निकल गया तो....।"

"वो कहीं नहीं जायेगा । मेरी गारंटी ।  मेरा आदमी उस पर नजर रख रहा है।"

"ओह ।"

"वैसे तुम क्या ताकत से तुली पर कब्जा करना चाहते हो ।"

"क्या कहना चाहती हो ?"

"मैंने तुली के बारे में जो थोड़ा-बहुत जाना है, उससे ये तो कह सकती हूं कि तुली की मर्जी के बिना उसका मुंह नहीं खुलवाया जा सकता । वो सख्त सा इंसान है। दबाव में मुंह खोलने वालों में से नहीं ।"

"तुम शायद ठीक कह रही हो।"

"तो तुली का पता जानकर, उस पर हमला करके उसे कब्जे में लेने का क्या फायदा ? वो कुछ बतायेगा नहीं ।"

माईक की आंखें सिकुड़ी ।

"सुन रहे हो माईक ।"

"सुन रहा हूं । तुम क्या कहना चाहती हो ?" माईक ने कहा ।

"मेरे पास एक ऐसी दवा है, जिसके बारे में सुनते ही तुली तुम्हारी हर बात मान लेगा ।"

"क्या ?"

"आज सुबह बात करेंगे । निश्चिंत रहो । मामला तुम्हारे हक में ही जायेगा माईक ।" उधर से लियू ने फोन बंद कर दिया था ।

■■■

शांगली के होंठों से कराह निकली ।

लियू की निगाह शांगली पर थी ।

एकाएक ही शांगली की आंखें खुल गईं । उसका हाथ वहां पहुंचा जहां सिर पर रिवॉल्वर की नाल की चोट पड़ने से बेहोश हुआ था । सिर दर्द कर रहा था । एकाएक वो उठ बैठा । नजरे सामने खड़ी लियू पर गई।

"तुम ?" शांगली चौंका--- "मैं कहां....।" उसने आसपास देखा फिर गहरी सांस ली । ये जगह उसके साथी की थी ।

"मैं यहां कैसे आया ?" शांगली ने लियू से पूछा ।

"मैं लाई ।" लियू ने कहा--- "तुम R.D.X. के हाथों में फंस गये थे और मैं वहां से निकल गई थी । तब मैंने तुम्हारे उन आदमियों से संबंध बनाया जो तुली पर नजर रख रहे थे । उनमें से एक मेरे बारे में जानता था । मैंने उसे बताया कि शांगली फंस गया है और अब इस मामले को मैं संभालूंगी । फिर घंटे भर बाद मुझे फोन आया कि शांगली, R.D.X. के साथ, तुली वाले होटल में मौजूद है । मैं तुम्हें बचाने वहां पहुंची तो तुम्हें बेहोशी की हालत में कार से बाहर पाया।"

"उन्होंने मुझे बेहोश कर दिया था ।"

"मैं तुम्हें उठा लाई ।"

"शुक्रिया।  तुमने मुझ पर एहसान किया ।" शांगली ने आभार भरे स्वर में कहा ।

"तुमने R.D.X. को बता दिया कि तुली कहां है ।" लियू कह उठा ।

"न बताता तो वो मुझे मार देते ।"

लियू ने गहरी सांस ली ।

"तुमने माईक को तुली के बारे में बताया ।" शांगली बोला ।

"कैसे जाना ?"

"R.D.X. तुली के पास माईक के पहुंचने की बात कर रहे थे । तभी मैं समझ गया कि....।"

"तुम ठीक समझे ।"

"वहां क्या हुआ ?"

"लियू ने शांगली को सब बताया ।

"R.D.X. सच में खतरनाक है ।" शांगली सब कुछ जानकर कह उठा।

"तुली का बेटा कहां है ?" लियू ने पूछा ।

"क्यों ?"

"अब वक्त आ गया है कि उस बच्चे को माईक के हवाले कर दें ताकि माईक उसे हथियार बनाकर तुली को अपने इशारे पर चलने पर मजबूर कर दे । मैं अब ये मामला खत्म हुआ देखना चाहती हूं ।"

शांगली के चेहरे पर सोच के भाव उभरे फिर उसने कहा---

"तुली के साथ R.D.X. भी हैं। माईक उन्हें संभाल नहीं पायेगा ।"

"तो ?"

"मामला खत्म करना है तो हमें पूरी तरह से माईक का साथ देना होगा।"

"दे देंगे साथ ।" लियू कह उठी--- "तुली को R.D.X. से अलग करना बेहतर होगा । परन्तु ये सब बातें कल माईक के साथ बैठकर तय करेंगे । तुम बच्चे के बारे में बताओ वो....।"

"हिफाजत से है । कल तुम्हें उसके पास ले चलूंगा ।"

"तुम्हारे पास तुली का फोन नम्बर होगा ।

"तुली का तो नहीं, लेकिन R.D.X. के फोन नम्बर का इंतजाम हो सकता है।"

"R.D.X. के फोन नम्बर से भी काम चल जायेगा।"

■■■

अगले दिन लियू और माईक मिले 

दिन के 11:30 हुए थे ।

उनकी मुलाकात एक शॉपिंग मॉल के रेस्टोरेंट में हुई ।

"तुमसे फिर मिलकर अच्छा लग रहा है ।" माईक कह उठा ।

"तुम्हें तुली के हाथ से निकल जाने का दुख नहीं है ?" लियू ने पूछा ।

"बहुत दुख है ।"

दोनों ने एक टेबल संभाली । वेटर आ पहुंचा ।

"क्या लोगे ? लियू ने पूछा 

"सिर्फ कॉफी।"

लियू ने दो कॉफी के लिए कहा तो वेटर चला गया ।

माईक ने लियू को देखा ।

"तुली को अपनी नजर में रखने के लिए हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी ।"

"वैसे वो अब भी हमारी नजर में है।"

"कहां ?"

"उसके साथ R.D.X. भी हैं ।"

"कल रात की बात और थी । अब मैं उनसे निपट लूंगा ।" माईक का स्वर सख्त हो गया ।

"ये अमेरिका नहीं इंडिया है । कोई गड़बड़ की और फंस गये तो इंडिया की सरकार तुम्हें वापस अमेरिका भेज देगी ।"

"तुम कहना क्या चाहती हो।"

"यही की अक्ल से काम लो । इस काम में शोर न पड़े तो बेहतर है ।" लियू ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"बिना शोर के ये काम कैसे होगा ?"

लियू खामोश रही ।

"तुली R.D.X. के पास है और R.D.X. उसे मेरे हवाले करने से रहे ।" माईक ने लियू को देखा ।

"मैं तुम्हें अपनी सेवा मुफ्त में दे रही हूं ।"

"शुक्रिया।"

"मैंने तुमसे कहा था कि मेरे पास ऐसा कुछ है कि तुली तुम्हारे पास दौड़ा चला आयेगा ।"

"क्या है ?"

"तुली का बेटा--- बंटी ।"

"माईक चिहुंक पड़ा । उसकी आंखें हैरानी से फैल गईं । वो लियू को देखने लगा ।

लियू मुस्कुरा रही थी । बोली---

"इतने हैरान क्यों हो गये माईक ?"

माईक ने गहरी सांस ली । वो अभी तक हैरान था ।

"तुली का बेटा, तुम्हारे पास ?"

"ह....हां ।"

"तो उसके परिवार को तुम लोगों ने मारा है ?" माईक कह उठा ।

"ऐसा ही समझ लो ।"

"बहुत गलत किया ये ।"

"हमारे धंधे में कुछ भी गलत नहीं होता ।" लियू सिर हिलाकर कह उठी ।

"जरूरत क्या थी तुली के परिवार को खत्म करने....?"

"वो कहीं छिप चुका था । हमारे आदमियों की निगाहों से बाहर हो गया था। ये अमेरिका की बात है, वूस्टर की घटना के बाद की । जबकि हम बराबर तुली पर निगाह रखना चाहते थे । उसे बाहर निकालने के लिये, उसके परिवार को खत्म किया । ठीक किया। परिवार की मौत की बात जानते ही तुली खुले में निकल आया ।"

"लेकिन तुम लोगों की, चीन की इस मामले में दिलचस्पी मुझे हैरान....।"

"चीन अमेरिका के लिए तुली पर नजर रख रहा था । तुम्हें हमारा धन्यवाद करना चाहिये कि....।"

माईक गहरी सांस लेकर रह गया ।

"बहुत गलत हुआ ।" माईक बोला ।

"क्या मतलब ?"

"तुली जानता है उसका बेटा उसी के पास है, जिसने उसके परिवार को मारा ।"

"तो?"

"वो तो कब से इस इंतजार में। उसके बेटे को सामने रखकर कोई उससे सौदा करे। और इस तरह वो जान ले कि किसने उसके परिवार को मारा है।" माईक ने गम्भीर स्वर में शब्दों को चबाकर कहा ।

"तुम्हें उसका बेटा नहीं चाहिये ?" लियू के खूबसूरत चेहरे पर बल दिखे ।

"बात को समझो लियू । मैंने तुली के बेटे को बीच में रखकर, तुली से सौदा करने की कोशिश की तो, तुली मेरे पीछे पड़ जायेगा । वो यही सोचेगा कि मैंने उसके परिवार को मारा है । तूली का डर नहीं है मुझे । बात तो यहां आकर गड़बड़ होती है कि तुली उस स्थिति के बाद कभी भी अमेरिका का साथ नहीं देगा ।" 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में नहीं बतायेगा । अमेरिका के हक में गवाही नहीं देगा । जो तुम चाहती हो, वो तो होगा ही नहीं।"

लियू के होठों सिकुड़े ।

दोनों के बीच खामोशी रही ।

फिर लियू बोली ।

"मैं समझ गई । लियू ने सिर हिलाया ।

माईक उसे देखता रहा ।

"हमें मिलकर कुछ ऐसा प्लान बनाना चाहिये कि तुली हमारे हक में हो जाये ।"

"हां ।"

"मुझे तुली की परवाह नहीं है, अगर वो मेरे बारे में जान जाता है । जबकि मैं तो चाहती थी कि ये काम गुपचुप तरीके से, खामोशी से करके मैं चीन चली जाऊं । परन्तु अब मुझे खुलकर सामने आना ही पड़ेगा ।"

वेटर कॉफी रख गया ।

लियू ने सोचों में डूबे, कॉफी का प्याला उठाया।

माईक ने भी कॉफी का घूंट भरा 

"काम कैसे किया जाये ?" माईक ने पूछा ।

"तुम्हें तुली का विश्वास जीतना है माईक ।" लियू ने कहा ।

माईक उसे देखता रहा ।

"इसके लिए मुझे तुली के सामने बुरा बनना पड़ेगा । तभी हम दोनों का मिशन सफल होगा।"

"तुम्हारे दिमाग में क्या है । क्या सोचा है तुमने ?"

"बहुत खूबसूरत प्लान सोचा है । अभी मुझे पूरी तरह सोचने दो ।"

"तुम सोचो, मैं बाथरूम होकर आता हूं ।" माईक ने कहा और उठकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया ।

बाथरूम में पहुंचते ही माईक ने मोबाइल फोन निकाला और नम्बर मिलाये।

एक बार में ही फोन लग गया ।

"हैलो ।"

"अमर, मैं माईक ।"

"ओह-कहो ।"

"रवि और प्रशांत कहां हैं ?"

"पास ही हैं, हम तुली की तलाश में एक जगह जाने वाले थे।"

"वो छोड़ो, एक नया काम सुनो । मैं चीनी एजेन्ट लियू के साथ स्टार मॉल के रेस्टोरेंट में हूं ।"

"हां ।"

"तुम वहां कब तक पहुंचेंगे ?"

"तीस मिनट में ।"

"ठीक है । तब तक मैं लियू को रोके रहूंगा । तुम लोगों को लियू पर नजर रखनी है। और रिपोर्ट मुझे देते रहना ।"

"ठीक है । हम तीस मिनट में वहां पहुंच जायेंगे ।"

माईक ने फोन बंद करके जेब में रखा और बाथरूम से बाहर निकल आया।

लियू के पास पहुंचा और कुर्सी पर बैठते हुए कॉफी का घूंट भरा । फिर लियू को देख कर कहा---

"सोच लिया ?"

"हां ।"

"मुझे बताओ ।"

लियू धीमी आवाज में माईक को अपना प्लान बताने लगी ।

माईक ने सब कुछ सुना ।

दो मिनट बाद लियू खामोश हुई फिर कह उठी ।

"जो बात ठीक न लगी हो, वो बता दो।"

"मेरे ख्याल में तो तुमने ठीक ही सोचा है । इस तरह तो तुली तुम्हारे पीछे पड़ जायेगा ।"

"हां । वो मुझे अपने परिवार का हत्यारा समझेगा । लेकिन मैं उसकी परवाह नहीं करती । मैंने कौन-सा यहां रहना है, काम खत्म होते ही चीन के लिये चल देना है । मेरा मिशन है कि तुली अमेरिका के हक में गवाही दे और अमेरिका अपने विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या के सिलसिले में इंडिया के सामने सवाल रखे कि इंडिया ने हमारे विदेश मंत्री को क्यों मारा ? स्पष्ट है कि चीन चाहता है अमेरिका और इंडिया के रिश्ता बिगड़ें। और तुम्हारा मिशन है कि तुली अमेरिका के लिए गवाही दे।"

माईक मुस्कुराया ।

"हम जासूसों की जिंदगी भी कितनी अजीब है ।" माईक कह उठा ।

"हम जासूस, अपने देशों के खूबसूरत मोहरे होते हैं । यही हमारी जिंदगी होती है और हमारे अंत का किसी को पता ही नहीं चलता ।

"पता चल भी जाये तो हमारे अपने ही हमें पहचानने से इंकार कर देते हैं।"

लियू मुस्कुरा पड़ी ।

"तो हमारा प्लान पक्का रहा ?" माईक बोला ।

"पक्का ।"

"जरूरत पड़ने पर हम फोन पर बात कर लिया करेंगे ।"

लियू ने सहमति से सिर हिलाया ।

"तुम कब काम शुरू करोगी ?"

"आज, अभी से ही, यहां से जाते ही, मेरा काम शुरू हो जायेगा माईक ।"

"तुम खूबसूरत ही नहीं, समझदार भी हो ।"

"लेकिन मुझे अमेरिकन पसंद नहीं हैं ।"

"मैं तुम्हें पसंद नहीं करवा रहा खुद को । तुम्हारी समझदारी और खूबसूरती की तारीफ कर....।"

"दोनों ही बातें मुझमें है, मैं जानती हूं ।" लियू ने मुस्कुराकर कहा और कॉफी का घूंट भरा ।

"कभी मुझे चीन बुलाओ । मैं....।"

"तुम चीन से दूर ही रहो तो अच्छा है ।"

इस तरह माईक और लियू की बातें होती रही ।

माईक का मकसद लियू को रोक के रखना था ताकि अमर-रवि-प्रशांत वहां पहुंच जाये ।

फिर लियू उठी। चली गई ।

माईक ने उसी पल फोन निकालकर नम्बर मिलाया तो रवि की आवाज कानों में पड़ी ।

"हम लियू पर नजर रखे हैं । उसके पीछे हैं ।"

"सावधानी से काम करना । वो नजरों से ओझल नहीं होनी चाहिये । उसकी हरकत की खबर मुझे देते रहो।"

■■■

सैवन इलैवन का फोन बजा ।

"कहो ।" स्क्रीन पर आया नम्बर देखने के बाद सैवन इलैवन ने कान से फोन लगाया ।

"सैवन इलैवन ।" उसकी कानों में F.I.A. के एजेन्ट सुनील की आवाज पड़ी--- "शांगली रात से वहीं पर है । बाहर नहीं निकला ।"

"और लियू ।"

"लियू बाहर गई है । राकेश का फोन आया है कि लियू, C.I.A. एजेन्ट माईक से एक रेस्टोरेंट में मिली है ।"

"राकेश से कह देना कि लियू पर नजर रखे।"

"और माईक ?"

"उस पर अजीत और मौली पहले से ही नजर रखे हुए हैं।

"ठीक है । राकेश का कहना है कि लियू और माईक में खास बात हो रही है।"

"उन पर नजर रखो और रिपोर्ट मुझे देते रहो । शांगली, लियू नजरों से ओझल न हों ।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद करके भट्ट का नम्बर मिलाया। दो-तीन बार कोशिश करने पर भट्ट से बात हो सकी ।

"R.D.X. और तुली की क्या पोजीशन है ?"

"वो उस्मान के गैरेज पर ही है । बाहर नहीं निकले ।"

"उसकी हरकतों पर पूरी नजर रखो।"

"ऐसा ही किया जा रहा है ।"

"कोई उनसे मिलने तो नहीं आया ?"

"नहीं । रूटीन के ग्राहक अवश्य गैरेज पर आ-जा रहे हैं । परन्तु एक आदमी गैराज पर नजर रखता दिखा है । मैंने उसे पहले नहीं देखा । वो पक्का गैरेज पर नजर रखने के लिये ही वहां जमा है ।" भट्ट की आवाज कानों में पड़ी।

सैवन इलैवन के चेहरे पर सोच के भाव उभरे ।

"उसकी गर्दन पकडूं क्या ?"

"नहीं । उसे कुछ मत कहो । नजर रखो उस पर और खुद को उसकी नजरों से बचाकर रखो ।"

"ठीक है।"

■■■

धर्मा का फोन बजा ।

"हैलो ।" धर्मा ने बात की ।

"तुली से बात कराओ ।" लियू की आवाज थी ये ।

"तुम कौन हो ?"

"तुली से पूछ लेना बाद में ।"

"यहां तुली नाम का कोई नहीं....।"

"मिस्टर R.D.X. ।" लियू का विश्वास भरा स्वर कानों में पड़ा--- "तुली तुम्हारे पास ही है, मुझसे बात करने में उसका ही फायदा है । मेरे से वो उन बातों को जान सकता है, जो वो नहीं जान पा रहा ।"

"होल्ड करो ।" धर्मा ने कहा और कान से फोन हटाता राघव-एक्स्ट्रा से बोला--- "कोई युवती तुली से बात करना चाहती है । वो कहती है कि वो तुली को बहुत कुछ बता सकती है ।"

"कौन है वो ?"

"अपने बारे में नहीं बता रही।

तभी तुली ने भीतर प्रवेश किया । वो मुंह धो कर आया था । और टॉवल से चेहरा पोछ रहा था ।

"बात करो तुली ।" धर्मा ने उसकी तरफ फोन बढ़ाया--- "कोई औरत तुमसे बात करना चाहती है ।"

"कौन है ?"

"पता नहीं ।"

तुली ने फोन लेकर कान से लगाया ।

"हैलो ।"

"तुली ।" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"मैं ही हूं । तुम कौन....।"

"मैं लियू हूं। चीनी एजेन्ट लियू । तुम्हारे बहुत काम आ सकती हूं ।"

"कहो ।" तुली के माथे पर बल पड़े ।

"तुम अपने परिवार के हत्यारों को और अपने बेटे को ढूंढ रहे हो । ठीक कहा मैंने ?"

"हां ।"

"तुम्हारा बेटा बंटी मेरे पास है ।"

"तुली के शरीर में जोरदार कंपन हुआ, पलकें कांप-सी उठीं।

"बंटी तुम्हारे पास ?"

"हां । मेरे पास । चाहिये तुम्हें ?"

"क्यों नहीं चाहिये । वो मेरा बेटा है । तुली की आवाज कांपी--- "वो तुम्हारे पास कैसे आया ?"

"कुछ लोगों के पास से उसे मेरे आदमियों ने छीन लिया।"

R.D.X. की नजरें तुली के चेहरे पर टिक चुकी थीं ।

एकाएक तुली के होंठों का कसाव बढ़ा ।

"मेरे परिवार को किसने मारा ?"

"मैं नहीं जानती ।"

"तुम्हारा इस मामले से क्या वास्ता ?"

"खास नहीं ।"

तुली के माथे पर बल आ गये थे ।

"तुम चाहती क्या हो ?"

"मैं बंटी को तुम्हारे हवाले करके तुमसे 'ऑपरेशन टू किल' की लिखित रूप में सब कुछ लेना चाहती हूं ।

"चीन को इन बातों से क्या मतलब ?"

"मैं नहीं जानती । मैं तो ड्यूटी कर रही हूं अपनी । चीन से मुझे इसी काम के लिए भेजा गया है ।"

तुली के होंठ भिंचे रहे ।

"बंटी चाहिये ?"

"हां।"

"तो 'ऑपरेशन टू किल' की लिखित जानकारी मेरे हवाले करने के लिये, तैयार करो । मैं तुम्हें फोन करूंगी ।"

"एक बात सच बताओ ।"

"क्या ?"

"मेरे परिवार को तुमने ही मारा है न ?" तुली की आवाज कांपी ।

"नहीं ।" उसके साथ ही उधर से लियू ने फोन बंद कर दिया था ।

तुली भिंचे दांतो से खड़ा रहा । फोन वाला हाथ नीचे किया ।

"क्या हुआ ?" राघव की आंखें सिकुड़ी हुई थीं।

"चीनी एजेन्ट लियू का फोन था ।" तुली होंठ भींचे कहता, धर्मा को फोन थमाया--- "मेरा बेटा बंटी उसके पास है ।"

"उसके पास ?" एक्स्ट्रा के होंठों से निकला ।

"वो यही कहती है ।" तुली ने सिर हिलाया ।

"उसके पास हमारा फोन नम्बर कैसे आया ?" धर्मा कह उठा।

तुली R.D.X. को देखता कह उठा ।

"मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे परिवार को भी उसने ही मारा है । परन्तु वो इस बात से इंकार करती है ।"

"तुम कैसे कहते हो कि उसने तुम्हारे परिवार को....?"

"जिसके पास मेरा बेटा होगा, वो ही मेरे परिवार का हत्यारा है । ये तो तय है । परन्तु वो कहती है कि उसके आदमियों ने मेरे बेटे को कुछ लोगों से छीना है । मैं नहीं मानता ये बात ।" तुली का चेहरा धधक रहा था गुस्से से ।

"तुम्हें इस वक्त अपने बेटे को हासिल करने के बारे में सोचना चाहिये ।"

"वो लियू चाहती क्या है ?"

"उसका कहना है कि 'ऑपरेशन टू किल 'की सारी बातें उसे लिखकर दूं तभी वो बंटी मुझे देगी ।"

"ओह ।"

"समझ में नहीं आता कि इस मामले में चीन की क्या दिलचस्पी हो सकती है ?" तुली बोला--- "चीन ये जरूर चाहता होगा कि इंडिया और अमेरिका के रिश्ते बिगड़ें। मेरे से जानकारी लेकर वो अमेरिका को दे सकती है ।"

"तुम अपने बेटे को वापस पाने की सोचो ।" एक्स्ट्रा ने कहा ।

तुली ने एक्स्ट्रा को देखा ।

"तुम क्या चाहते हो कि मैं 'ऑपरेशन टू किल' की सारी जानकारी लिखकर लियू को दे दूं । ये नहीं हो सकता । 'ऑपरेशन टू किल' का इंचार्ज था मैं ।" F.I.A. में मेरी खास जगह थी।  माईक हो या लियू मुझ पर ही घेरा डालना चाहते हैं । क्योंकि मेरी गवाही इंडिया को फंसाने में पक्का काम करेगी । राघव के पीछे कोई नहीं था । मन्नू-जैनी की भी वो परवाह नहीं कर रहे । वो सिर्फ मेरे पीछे हैं । और मैं उन्हें कुछ भी लिखकर नहीं दे सकता।

"हम चाहते हैं कि तुम्हारा बेटा तुम्हें वापस मिल जाये ।"

"उसके लिए कोई दूसरा रास्ता निकाल जायेगा ।"

"लियू को धोखा देकर ?"

"हां ।"

"इस तरह तुम्हारे बेटे की जान खतरे में पड़...।"

"ये खतरा तो उठाना ही होगा । मैं लियू को 'ऑपरेशन टू किल' की कोई जानकारी नहीं दूंगा ।" अपने देश के मामले को मैं दुनिया के देशों के सामने नहीं खोलूंगा । एक बार मैंने C.I.A. का हाथ अवश्य थामा था, परन्तु मेरी मजबूरी थी । फिर भी मैंने C.I.A.  को कुछ नहीं बताया । माईक अभी तक मेरे पीछे है।"

"क्या करोगे तुम लियू के साथ ?"

"मुझे पूरा विश्वास है कि उसी ने मेरे परिवार को मारा है । वो अकेली नहीं है । जैसा कि तुम लोग मुझे बता चुके हो कि स्थानीय चीनी एजेन्ट शांगली भी उसके साथ है और भी होंगे उसके साथ । उनसे हमें कड़ी टक्कर मिल सकती है ।"

तभी धर्मा का फोन बजा ।

"हैलो ।" धर्मा ने बात की ।

"तुली से बात कराओ ।" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"वही है ।" धर्मा ने कहते हुए फोन तुली की तरफ बढ़ाया ।

तुली ने फोन कान से लगाकर कहा---

"कहो।"

"एक बात तो तुम्हें कहना भूल गई ।" लियू की शांत आवाज कानों में पड़ी।

"क्या ?"

"ये सौदा हम दोनों में होगा । R.D.X. बीच में नहीं होनी चाहिये । इन्हें अपने से दूर कर दो ।"

"तुम्हें R.D.X. से ऐतराज़ क्यों है ? जो सौदा तुम चाहती हो वो हो जायेगा।"

"मैं फालतू के लोगों को आसपास नहीं देखना....।"

"वो मेरे साथ हैं ।"

"सौदा हम दोनों के बीच ही होगा ।" इस बार लियू के आने वाले स्वर में सख्ती आ गई थी ।

"ठीक है, लेकिन तुम्हें कैसे पता कि R.D.X. मेरे साथ हैं ?"

"फालतू बातें छोड़कर, 'ऑपरेशन टू किल' का ब्यौरा लिखो । ताकि हम जल्दी मिल सके ।" इसके साथ ही फोन बंद हो गया।

तुली ने कान से फोन हटाते हुए कठोर स्वर में कहा ।

"लियू कहती है कि मैं अकेली ही रहूं इस काम में। तुम लोग मेरे साथ न रहो ।"

"तो वो जानती है कि हम तुम्हारे साथ हैं ।" राघव होंठ सिकोड़कर कह उठा ।

"फिर तो वो ये भी जानती होगी कि हम यहां हैं ।" धर्मा बोला ।

"ठीक कहा ।" एक्स्ट्रा कह उठा--- "पक्का उसका कोई आदमी हम पर नजर रखता हो सकता है ।"

"फिर हम काम कैसे करेंगे ?" राघव ने धर्मा और एक्स्ट्रा को देखा ।

"हम काम कर लेंगे ।" तुली ने कहा--- "वक्त आने पर हम अलग होंगे और फोन पर संपर्क बना कर रखेंगे ।"

"लियू कोई खेल-खेलती लग रही है, तभी उसने तुमसे अकेला हो जाने को कहा ।" एक्स्ट्रा बोला ।

"अब करना क्या है ?" राघव बोला।

"हम तीनों यहां से इस तरह बाहर निकलेंगे कि कोई हमें देख न सके । तब लियू यही समझेगी कि हम भीतर हैं, परन्तु हम तुली के पास ही होंगे, जब ये लियू से मिलने जा रहा होगा ।"

"इसके लिए जरूरी है कि हम पहले से बाहर मौजूद लियू के आदमियों को पहचान लें।"

"ये काम उस्मान करेगा ।"

"उस्मान को बुलाओ । वो बतायेगा हमें कि किसी की नजरों में आये बिना हम यहां से बाहर कैसे निकल सकते हैं?"

धर्मा उठा और कमरे से बाहर निकल गया ।

"तुम क्या करने वाले हो तुली ?"

"मैं कुछ कागजों को पकड़कर लियू से मिलने जाऊंगा । जहां वो मिलने को कहेगी । तब मेरी शर्त होगी कि वो बंटी को भी साथ लाये । वो बंटी को साथ लायेगी और तुम लोग बंटी को उससे छीन लोगे। मैं लियू को संभालूंगा ।"

"ठीक है ।"

"मैं लियू को खत्म करूंगा ।" तुली बोला तुम तीनों बंटी को लेकर चले जाना ।"

"क्यों ? क्यों खत्म....?"

"उसने मेरे परिवार को मारा है ।"

"ये पक्का तो नहीं ।"

"पक्का है, जिसके पास बंटी है, वो ही मेरे परिवार का हत्यारा है ।"

"धर्मा ने उस्मान के साथ भीतर प्रवेश किया ।

"क्या समस्या है भाई लोग ?" उस्मान अपने बढ़े पेट पर हाथ फेरकर बोला।

"यहां हम पर नजर रखी जा रही है । हम तीनों चुपके से बाहर निकल जाना चाहते हैं ।"

"नजर रखने वालों को लंबा कर....।"

"उन्हें कुछ नहीं करना है ।" एक्स्ट्रा ने कहा--- "उन्हें पहचानो और सतर्क रहो । हमें यहां से बाहर निकालो।"

"ये भी हो जायेगा ।"

"हम यहां से निकलेंगे कैसे कि कोई हमें देख न सके ?"

"अभी दो कारें ट्राई के लिये गैराज से बाहर जाने वाली हैं । उनकी डिग्गी में छिपकर बाहर निकल सकते हो ।" उस्मान बोला ।

"बढ़िया रहेगा ये तो ।"

राघव ने तुली से कहा।

"तुम हमारे से फोन पर संपर्क में रहोगे ।"

"हां जो भी प्रोग्राम होगा । बता दूंगा ।"

"मेरा फोन तुम रख लो ।" धर्मा बोला--- "लियू इसी फोन पर ही तुमसे बात करेगी ।"

"कारें जब ट्राई की लिये जायेंगी तो मैं बता दूंगा ।" उस्मान कहकर बाहर निकल गया ।

"तुम्हें कुछ कागज भी चाहिये होंगे कि जब लियू से मिलने जाओ तो वो कागज तुम्हारे हाथ में दिखें ।"

"कागज मैं उस्मान से ले लूंगा ।"

तभी धर्मा का फोन बजने लगा।

"हैलो ।" धर्मा ने बात की ।

"R.D.X. में से कोई हो ?"

"हां ।"

"मैं C.I.A. जासूस माईक बोल रहा हूं ।"

धर्मा के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे ।

"तुम्हें मेरा नम्बर कहां से मिला--- मैं....।"

"तुम्हारा नम्बर पाने के लिए मुझे किसी को 50 हजार देने पड़े हैं । उसके बारे में मत पूछना बताऊंगा नहीं । तुम्हारे पास अगर तुली है तो मेरी उससे बात करा दो । उसके काम की खबर मेरे पास है । उधर से आता माईक का स्वर धर्मा के कानों में पड़ा।

धर्मा के होंठ सिकुड़े। उसने तुली की तरफ फोन बढ़ाया ।

तुली ने फोन लेकर कानों से लगाते हुए कहा ।

"हैलो।"

"मैं माईक हूं । तुम्हें तुम्हारे काम की खबर देना चाहता हूं ।" उसके कानों में माईक की आवाज पड़ी ।

तुली ने गहरी सांस ली ।

"सुन रहे हो तुम ?"

"हां ।"

"मैंने तुम्हारे बेटे का पता लगा लिया है । तुम्हारा बेटा चीनी एजेन्ट लियू के पास है । लियू ने ही तुम्हारे परिवार को मारा है ।"

तुली का चेहरा धधक उठा ।

"लियू का ठिकाना कहां है ?"

"मैं नहीं जानता । मेरे आदमी उसके बारे में पता लगाने की चेष्टा कर रहे हैं।"

"तुम्हें कैसे पता चला कि मेरा बेटा लियू के पास है ?"

"मेरे आदमियों ने खबर दी । अभी खुलकर इस बारे में उनसे नहीं पूछ सका ।"

"लियू के ठिकाने के बारे में पता लगते ही मुझे बताना ।"

"जरूर बताऊंगा । तुम मेरे पास आ जाओ तुली । मेरे पास तुम सुरक्षित हो।"

"मैं यहां भी सुरक्षित हूं।"

"ठीक है । लियू के ठिकाने के बारे में पता लगते ही, तुम्हें फोन करूंगा ।

तुली ने फोन बंद किया और R.D.X. को देखकर बोला---

"मेरे ख्याल में लियू और माईक मिले हुए हैं ।" तुली गम्भीर स्वर में कह उठा--- "पहले लियू ने धर्मा के फोन पर मुझसे बात की  अब माईक धर्मा के फोन द्वारा ही मुझसे बात करके कहता है कि मेरा बेटा लियू के पास है। परन्तु लियू का ठिकाना उसे नहीं मालूम।"

"माईक का कहना है कि मेरा फोन नम्बर जानने के लिए उसने पचास हजार खर्चा है ।"

"ऐसा ही कहेगा वो।  दोनों के पास तुम्हारा नम्बर होना ही शक पैदा करता है । तुली ठीक कहता है कि लियू और माईक मिले हुए हैं । परन्तु वो ऐसा क्यों करना चाहते हैं आपस में मिलकर ?"

"मेरे ख्याल में लियू चाहती है कि मैं अमेरिका के साथ हो जाऊं और इंडिया के खिलाफ । परन्तु ये बात सीधे-सीधे नहीं कह सकती । वो मुझे माईक के करीब लाना चाहती होगी ।" तुली ने गम्भीर स्वर में कहा--- "ऐसा मुझे लगता है ।"

"धर्मा के फोन पर पहले लियू फिर माईक का फोन आना इत्तेफाक नहीं हो सकता ।"

"क्या पता लियू के पास तुली का बेटा सच में है या वो कोई चाल चल रही है ।"

तुली की निगाह R.D.X. पर घूमी ।

"लियू कुछ करना चाहती है । तभी तो हमसे अलग रहने को कह रही है तुली को । वो नहीं चाहती कि हम कोई बचाव करें ।"

"माईक तुम्हें खबर क्यों दे रहा है ?"

"वो मुझे खुश करना चाहता है कि मैं उसकी बात मान कर, उसके हक में बोलूं, जो अमेरिका चाहे ।" तुली ने कहा ।

"तुम खतरे में हो तुली ।"

"मैं तो कब से खतरे में हूं । ढाई महीने हो गये । एक पल का चैन नहीं मिला । परिवार को खोया, वो अलग बात है । लेकिन मैं बंटी को नहीं खोना चाहता । पहले मैं देश के लिए खतरे उठाता था । अब अपने लिए उठा रहा हूं ।"

"हम तुम्हारे साथ हैं तुली ।"

■■■

दो घंटे बाद फोन बजा ।

तुली ने बात की । दूसरी तरफ लियू थी ।

"हैलो ।"

"मैंने सोचा R.D.X. से बात होगी ।" लियू  की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुम ।" तुली कह उठा--- "अब फोन मेरे पास है । मेरा बेटा बंटी कैसा है ?"

"खुश है । उसे कोई कमी नहीं होने दी।"

"शुक्रिया ।" तुली शांत स्वर में बोला--- "मेरे परिवार के हत्यारों के बारे में बता सको तो....।"

"मैं जवाब दे चुकी हूं । अब तुम्हें काम की बात करनी चाहिये ।"

"बंटी को मेरे हवाले कर दो ।"

"बेटे को वापस पाना चाहते हो तो मेरी दोनों बातें मानो, जो मैंने कही है । "ऑपरेशन टू किल' का ब्यौरा लेकर मुझे दो और जब तुम मुझे मिलो तो R.D.X. पास नहीं होने चाहिये ।"

"मैं तुमसे अकेले ही मिलूंगा । मैंने सब लिख दिया है, जो तुम चाहती हो ।"

"इतनी जल्दी ।"

"दो घंटे कम नहीं होते ।"

"अकेले आओगे ?"

"पूरी तरह ।"

"मैं तुम्हें स्पष्ट बता दूं कि मैं जानती हूं कि तुम इस वक्त एक गैराज में टिके हुए हो।"

तुली ने गहरी सांस ली । फिर बोला ।

"और तुम्हारे आदमी वहां नजर रख रहे हैं।"

"ठीक समझे ।" लियू की आवाज कानों में पड़ रही थी ।

उस्मान के गैरेज पर मेरे आदमियों की नजर है । वहां से सिर्फ तुम ही बाहर निकलोगे, अगर R.D.X. निकले तो, मैं तुम्हारे बेटे को मार दूंगी ।

"विश्वास करो, मैं ही निकलूंगा।"

"तुम पर विश्वास करना बेवकूफी होगी ।"

"तो नजर रखवाती रहो ।"

"मैं फिर कहती हूं कि कोई चालाकी मत करना--- वरना...."

"मैं अपने बेटे को पाना चाहता हूं । चालाकी क्यों करूंगा ?" तुली ने कहा ।

"मैं तुम्हें कुछ देर बाद फोन करूंगी । उसके बाद तुम गैराज से निकलना ।"

"आना कहां है मुझे ?"

"जैसा कह रही हूं, वैसा करो । पता चल जायेगा ।" इसके साथ ही ऊपर से लियू ने फोन बंद कर दिया ।

तुली कुछ पलों तक फोन को देखता रहा फिर राघव का नम्बर मिलाया।

"कहो ।" उधर से राघव की आवाज आई ।

"तुम तीनों ठीक-ठाक बाहर पहुंच छुप गये ?" तुली ने पूछा ।

"हां । सब ठीक है । किसी को शक भी नहीं हुआ । हम गैराज से एक किलोमीटर दूर मार्केट में हैं ।"

"लियू का फोन आया था।" इसके साथ ही तुली ने सब कुछ बताया ।

"ठीक है । वो जैसे कहती है वैसे करो । हमें बता देना कि वो तुम्हें कहां बुला रही है ?"

"जरूर बताऊंगा ।" कहने के साथ ही तुली ने फोन बंद किया और कमरे से बाहर निकला ।

गैराज पर उसने उस्मान को ढूंढा ।

"मुझे एक कार चाहिये ।" तुली ने कहा ।

"कितनी देर के लिये ?"

"दो-तीन घंटों के लिये।"

"देर भी हो सकती है ?"

"हां ।" तुली ने सिर हिलाया ।

"फिर मेरी ले जाओ । कस्टमर की कार लेनी है तो दो घंटे में वापस आना होगा ।"

"तुम अपनी ही दे दो ।"

"पुराने मॉडल की है । लेकिन रास्ते में धोखा नहीं देगी, चलती रहेगी ।"

"धन्यवाद तुम्हारा । जो भी मेरे काम आता है, उसे मैं कभी नहीं भूलता ।"

"सब R.D.X. की मेहरबानी है, वरना मैं तुम्हें नहीं जानता ।" उस्मान ने गहरी सांस लेकर कहा।

■■■

फोन बजा । तुली ने बात की । दूसरी तरफ लियू थी ।

"तैयार हो ?" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"हां ।"

"'ऑपरेशन टू किल' का ब्यौरा....?"

"लिख लिया है । वो कागज मेरे पास है ।"

"अकेले आना है तुमने, वरना तुम्हारा बेटा....।"

"अकेले ही आऊंगा ।"

"कार है ?"

"उस्मान की ली है--- तुम कहो।"

"गैराज से निकलो और दायीं तरफ वाली दिशा में कार पर चलते रहो । कार की स्पीड पैंतालीस से ज्यादा न हो ।"

"ठीक है ।"

"फोन तुम बंद नहीं करोगे । मेरे से बातें करते रहोगे ।"

"फोन चालू है । तुम बोलती रहो ।" कहने के साथ ही तुली उस तरफ बढ़ गया, जिधर कार खड़ी थी ।

"साथ में काम भी करते रहो । कार में बैठो और बाहर निकलो ।"

"वो ही कर रहा हूं ।"

फोन चालू होने की वजह से तुली R.D.X. को नये हालात के बारे में बता नहीं पा रहा था।

तुली कार में बैठा। कार स्टार्ट की ।

तभी एक तरफ से आता उस्मान दिखा ।

"मैं जा रहा हूं उस्मान ।" तुली ने फोन कान से लगाये कहा--- "जल्दी लौट आऊंगा ।"

"R.D.X. को....।" उस्मान कहता-कहता रुक गया ।

तुली ने उसे खामोश रहने का इशारा किया ।

उस्मान ने आंखें सिकोड़ कर उसे देखा तो तुली ने कान से लगाये फोन की तरफ इशारा किया ।

उस्मान समझा ।

तुली ने उसे इशारे में कहा कि वो R.D.X. को फोन कर दे । परन्तु मन ही मन तुली ये भी सोच रहा था कि वो क्या कहेगा फोन पर R.D.X. को । उसे स्वयं ही नहीं पता कि वो कहां जा रहा है।

उस्मान-उलझन से उसे देखता रहा ।

तुली ने कार आगे बढ़ाई ।

"इशारों से बातें हो रही हैं ?" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"बात-किससे ?" तुली कह उठा ।

"उस्मान से ।"

"मैं किसी से कोई बात नहीं कर रहा । मेरी कार गैराज से बाहर आ रही है 

"कार खाली है ?"

"पूरी तरह ।"

"डिग्गी ?"

"वो भी खाली है ।"

तुली की कार सड़क पर आ गई । लियू के कहे अनुसार उसने दायीं तरफ मोड़ ली । सड़क पर पूरा-पूरा ट्रैफिक था । भीड़ थी । तुली की कार भी भीड़ का हिस्सा बन कर रह गई ।

तभी लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुम्हें अफसोस तो हो रहा होगा ।"

"किस बात का ?"

"R.D.X. को न बता पाने का कि तुम इस वक्त क्या कर रहे हो ?"

तुली के माथे पर बल पड़े । आंखें सिकुड़ी ।

"मैं समझा नहीं ।"

'मैं जानती हूं कि सर्विस स्टेशन से बाहर निकली कारों के डिग्गी में बैठकर वो तीनों बाहर जा चुके हैं और इस वक्त जहां है, वहां मेरे आदमी उन पर नजर रख रहे हैं।  तुम लोगों का प्लान ये था कि R.D.X. किसी की नजर में आये बिना बाहर निकल जायेंगे और जब मैं तुम्हें बुलाऊंगी तो तुम R.D.X. को बता दोगे कि तुम कहां पर मेरे से मिल रहे हो । इस तरह वे भी वहां पहुंच....।"

"तुम बहुत तेज हो ।"

"व्यंग कर रहे हो ।"

"नहीं । सच में तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं।"

"मैं इस वक्त तुमसे इसलिए बातें कर रही हूं कि तुम फोन पर R.D.X. को अपनी स्थिति न बता सको ।"

तुली ने गहरी सांस ली ।

"जब तक हम जैसे एजेन्ट चालाकी से काम लेते हैं, तब तक हमारी जिंदगी बची रहती है । क्यों तुली ?"

"ठीक कहती हो । अब मैं भी तुमसे स्पष्ट बात करता हूं---दो बातें ।" तुली का स्वर सख्त हुआ ।

"कहो ।"

"मुझे पूरा भरोसा है कि तुमने ही मेरे परिवार को मारा और फिर मेरे बेटे को उठा लिया ।"

"दूसरी बात ?"

"तुमने अमेरिकी एजेन्ट माईक को ये फोन नम्बर दिया, जिससे हम बात कर रहे हैं । तुम और माईक कोई चाल चल रहे हो । तुम माईक को मेरे करीब लाना चाहती हो कि मैं उसकी सारी बातें मान कर गवाही दे दूं कि....।"

"गलत । पूरी तरह गलत । मेरा और माईक का कोई वास्ता नहीं ।"

"वास्ता है ।"

"साबित करो ।"

"माईक जब मुम्बई एयरपोर्ट पर उतरा तो तुम वहां उससे मिली ।"

"तब तुम बूढ़े के मेकअप में मेरे पीछे वाली सीट पर बैठे, हमारी बातें सुन रहे थे।"

तुली चौंका।

"तुम्हें कैसे पता कि वो मैं था ?"

"पता है, तभी तो बता रही हूं ।"

"तुम सच में खतरनाक हो ।"

"इतनी नहीं, जितनी कि तुम इस वक्त सोच रहे हो ।" लियू की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुम माईक से मिली और....।"

"तब बातें तुमने भी सुनी थी ।"

"हां सुनी, लेकिन तुम्हें कोई फोन आया और तुम उठ कर चल दी । बातें अधूरी छोड़ दी ।"

"तो ?"

"मेरे ख्याल में तब तुम्हें फोन पर यही बताया गया होगा कि मैं वहां बूढ़े के रूप में मौजूद हूं।"

"सही सोचा तुमने ।"

"मेरी वजह से ही तुमने बातें अधूरी छोड़ी । वरना तुम तो शायद माईक को ऐसा रास्ता बताने जा रही थी जिससे वो मुझ तक पहुंच सके । मेरे ख्याल में तुम्हारे आदमियों की नजर पहले से ही मुझ पर थी ।"

"नहीं । चीन तुम पर नजर क्यों रखेगा ?"

"कोई तो वजह होगी ।"

"तुम अपने बेटे के बारे में....।"

"मैं ये कहना चाहता हूं कि तुम और माईक मिले हुए हो । तुमने ही माईक को R.D.X. का नंबर दिया कि वो मेरे से बात कर सके और कह सके कि....।"

"ये मुझे तुमसे ही पता चला कि माईक का तुम्हें फोन आया था । मैं तुम्हारी इस बात से पूरी तरह इंकार करती हूं कि मेरा माईक से कोई वास्ता है । चीन और अमेरिका की नहीं पट सकती ।"

"अपने मतलब की तो पट सकती है ।"

"कैसा मतलब ?"

"चीन खुश होगा अगर मैं अमेरिकी विदेश मंत्री की हत्या के बारे में अमेरिका के हक में गवाही दूं।"

"भाड़ में जाये अमेरिका ।" लियू का तीखा स्वर कानों में पड़ा--- "मुझे अपने कामों से मतलब है ।"

"और पहली बात का क्या जवाब है तुम्हारा ?"

"अपने परिवार की हत्या के बारे में ?"

"हां--- वो ही बात कर रहा हूं मैं ।"

"हम अभी मिलने जा रहे हैं ।"

"तो ?"

"ये सब बातें तभी होंगी।"

"हां या न कहने में क्या हर्ज....।"

"कार की स्पीड कम करो और बायीं तरफ ले लो। मोड़ आ रहा है ।" लियू की आवाज कानों में पड़ी।

तुली मोड़ को देखते कह उठा 

"तो तुम मेरे पीछे किसी कार में हो ।"

"हां ।"

"ये मैंने नहीं सोचा था ।"

"मुझे ठीक से जानते होते तो सब कुछ सोच लेते ।"

तुली ने कार को मोड़ से बायीं तरफ मोड़ लिया ।

इस सड़क पर ट्रैफिक कम था।

तुली की निगाह शीशे पर रही । पीछे का नजारा स्पष्ट दिखाई दे रहा था । उसके पीछे-पीछे दो कारें इस सड़क पर मुड़ी थीं। तुली के होंठों में कसाव भर आया। तुली ये जानने की चेष्टा कर रहा था कि लियू किस कार में है ।

कुछ चुप्पी के बाद लियू बोली---

"फोन कान पर रखे मेरा हाथ थकने लगा-।"

"कार रोको ।"

"क्या ?"

"कार रोको, एक तरफ करके।"

तुली ने ऐसा ही किया ।

अगले ही पल पीछे से आती एक कार उसके पास रुकी । दरवाजा खुला, एक आदमी बाहर निकला और कार के पास आ पहुंचा । हाथ उसका पैंट की जेब में था ।

तुली की निगाह उसकी तरफ उठी ।

"बाहर निकलो ।" उस कार में बैठो ।"

"क्यों ?" तुली दरवाजा खोलते बोला ।

"तुम जिससे बात कर रहे थे, वो उसी कार में है ।"

तुली कार से बाहर आ गया।

उस व्यक्ति ने अपनी जेब की तरफ इशारा करके कहा ।

"शरारत मत करना । मेरे पास रिवॉल्वर है ।"

तुली ने हाथ में पकड़ा फोन बंद करके जेब में रखा और उस कार की तरफ बढ़ गया ।

"पीछे वाली सीट पर....।" पीछे से उस व्यक्ति ने कहा ।

तुली ने पीछे का दरवाजा खोला और भीतर झांका ।

भीतर बैठे लियू नजरें मिलते ही मुस्कुराई ।

तुली भीतर बैठा और दरवाजा बंद कर लिया ।

"अपनी रिवॉल्वर मुझे दो ।" लियू बोली ।

"नहीं ।"

"अपना बेटा वापस नहीं पाना चाहते ?"

"जरूर चाहता हूं, लेकिन तुम्हारे हवाले करने का मेरा कोई इरादा नहीं है।"

वो आदमी आगे ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठ गया था । वो पीछे घूमा और रिवॉल्वर निकालकर तुली की छाती पर नाल टिका दी । तुली के माथे पर बल पड़े । कार आगे बढ़ चुकी थी ।

"रिवॉल्वर निकालो ।"

"जरूरी है ।" मुस्कुरा पड़ी--- "तुम्हारे पास रिवॉल्वर रही तो हम लोगों को मार सकते हो ।"

"डरती हो मुझसे ?"

"F.I.A. के हत्यारे से जरूरी डरना चाहिये ।"

तुली ने रिवॉल्वर निकालकर उस आदमी को दे दी ।

वो रिवॉल्वर थाम सीधा होकर बैठ गया ।

"मेरा बेटा कहां है ?" तुली ने पूछा ।

"वहीं चल रहे हैं ।" लियू बोली--- "ऑपरेशन टू किल' वाले कागज कहां हैं?"

"मेरे पास, कमीज के भीतर ।"

"मुझे दो ।"

"जब मेरा बेटा सामने आयेगा, तब वो कागज तुम्हें दूंगा ।" तुली ने कहा ।

"मैं जानती हूं कि तुम्हें मजबूर किया जाये तो तुम वो कागज मुझे दे दोगे । लेकिन हर बार जबरदस्ती ठीक नहीं । तुम्हारी बात मानी, जब तुम्हारा बेटा सामने आये तो तभी कागज देना।"

"हम कहां जा रहे हैं ?"

"कुछ देर में पता चल जायेगा ।"

"तुम मेरे परिवार के हत्यारों के बारे में बात करने वाली थी ।" तुली बोला ।

"अभी खामोश रहो । इकठ्ठी बातें होंगी ।"

"चीन की, इस मामले में क्या दिलचस्पी है ?"

लियू खामोश रही ।

"जवाब दो कि....।"

"सवाल कम पूछो-मैं....।"

तभी तुली के पास मौजूद फोन बजने लगा ।

तुली ने तुरन्त फोन निकाला ।

लियू ने उसके हाथ से फोन ले लिया।

तुली ने लियू को देखा ।

"मैं जानती हूं कि R.D.X. तुमसे बात करना चाहते हैं ।" लियू मुस्कुराई--- "तुम भी बात कर लेना । लेकिन पहले मैं कर लूं ।"

तुली ने होंठ भिंच लिए ।

लियू ने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया ।

"हैलो ।"

आगे बैठा आदमी गर्दन घुमाकर तुली को देखता, रिवॉल्वर दिखाकर कह उठा---

"सीधे बैठे रहना । शरारत की तो गोली सीने में उतार दूंगा ।"

तुली उसे देख कर, सिर्फ खतरनाक अंदाज में मुस्कुराकर रह गया।

उधर से लियू के कानों में फौरन आवाज नहीं पड़ी ।

"बोलो भी ।" लियू फोन पर मुस्कुराते हुए कह उठी--- "कौन हो तुम, राघव-धर्मा या एक्स्ट्रा ?"

"राघव ।" राघव की आवाज कानों में पड़ी 

"खूब !"

"तुली कहां है ?"

"मेरे पास ।"

"और तुम लियू हो ।"

"सही पहचाना । वैसे तुम सोच तो रहे होगे कि तुली ने तुम्हें फोन करके क्यों नहीं बताया कि क्या हो रहा है ?"

"जरूर सोच रहे हैं हम ।"

"मैंने तुली को मौका ही नहीं दिया कि वो तुमसे बात कर सकें। क्योंकि मैं जानती थी, तुम तीनों सर्विस गैराज से कारों की डिग्गी में छिप कर बाहर निकल चुके हो । इस वक्त भी मेरा आदमी तुम लोगों को देख रहा है ।"

"ओह ।"

"कैसा रहा ?" लियू हंसी ।

"बहुत बढ़िया । राघव की आवाज कानों में पड़ी--- "तुली तुम्हारे पास कैद है ?"

"नहीं दोस्तों की तरह है । मेरी बगल में बैठा है।" आवाज तुली के कानों में पड़ी।

"लियू हमारी इस चाल को समझ गई थी कि तुम लोग पहले ही गैराज से निकल....।"

"ये बात, अब क्या हो सकता है ?"

"मेरे ख्याल में कुछ भी नहीं ।" तुली ने भिंचे स्वर में कहा ।

"इस वक्त क्या पोजीशन है ?"

"ये लोग मुझे कार में कहीं ले जा रहे हैं, शायद मेरे बेटे के पास ।"

"तूने 'ऑपरेशन टू किल" के कागज लिखे नहीं, जब लियू को पता चलेगा तो....।"

"हां । ये बात तो है ।"

"हमें बता तू किस तरफ है ?"

"कोई फायदा नहीं ।" तुली ने लियू पर निगाह मारी ।

लियू मुस्कुराते हुए तुली को देख रही थी ।

"क्योंकि मंजिल का पता नहीं ।" तुली ने बात पूरी की ।

"बस ।" लियू बोली--- "बात बंद कर दो ।"

तुली ने गहरी सांस ली और फोन बंद करके अपनी जेब में रख लिया।

"कैसा लग रहा है तुली ?"

तुली ने गहरी सांस ली और शीशे से बाहर देखने लगा ।

"F.I.A. ने तुम्हारे साथ जो किया वो साधारण बात है । वक्त आने पर सरकारें अपने ही जासूसों की बली दे देती हैं । ये कोई नई बात नहीं । लेकिन F.I.A. के व्यवहार ने तुम्हें दुख तो पहुंचाया होगा ।"

तुली कुछ नहीं बोला । चुप रहा 

"कुछ तो बात करो।"

तुली ने लियू को देखा फिर शांत स्वर में कह उठा---

"तुमने मेरे परिवार की हत्या कैसे करवाई ?"

"कुछ देर बाद हम ये ही सारी बातें करेंगे ।" लियू ने मुस्कुराकर जवाब दिया।

"तुम हां तो कहो कि मेरे परिवार को तुमने....।"

"हां या ना, जो भी कहना है, कुछ देर में कहूंगी ।"

कार तेजी से दौड़ी जा रही थी।

■■■

राघव ने फोन बंद किया और पास खड़े धर्मा, एक्स्ट्रा को देखा ।

राघव की निगाह आस-पास घूमी ।

वो सड़क के किनारे खड़े थे । काफी लोग आ-जा रहे थे । कोई उन पर नजर रख रहा हो तो उसे पहचान पाना आसान नहीं था । उसे खामोश पाकर एक्सट्रा कह उठा---

"कुछ तो बोल।"

"वो चीनी जासूस लियू हमें झटका दे गई ।" राघव ने कहा ।

"कैसे ?"

"वो जानती है कि हम कैसे उस्मान के गैराज से निकले । इस वक्त वो हम पर नजर रख रही है ।"

धर्मा और एक्स्ट्रा की नजरें घूमीं ।

"कोई फायदा नहीं । इतनी भीड़ में हम नजर रखने वाले को नहीं पहचान सकते ।" राघव ने कहा ।

"और तुली ?" धर्मा ने पूछा ।

"वो लियू के साथ है । लियू ने उसका फोन चालू रखकर उससे बातें करके उसे मौका ही नहीं दिया कि हमें फोन कर सके ।"

"तब हम जब भी नम्बर मिलाते हैं तो वो नहीं लग रहा था।"

"लियू, तुली को कहां ले जा रही है ?"

"तुली को भी ये बात नही मालूम थी ।"

"फिर तो तुली खतरे में है ।"

"है--- लेकिन हम कुछ नही कर सकते ।"

"वो बहुत तेज निकली । आखिर उसे पता कैसे लगा कि हम सर्विस सेन्टर की कारों की डिग्गी में बैठकर निकले है ?"

"उसके आदमी हर बाहर जाने वाली की कार पर नजर रख रहे होंगे । पीछा करते होंगे कार का । इस तरह वो जान गये कि हम कैसे बाहर निकले । परन्तु हमसे एक बड़ी गलती हो चुकी है ।"

"क्या ?"

"कल रात हमें शांगली को यू नजर अंदाज नहीं करना चाहिये था वो इस मामले में काफी जानता है ।"

"कैसे ?"

"चीनी एजेन्ट लियू के हाथ एकाएक तुली का बेटा नहीं लग गया होगा । वो तो इस मामले में अब आई है।"

"तुम्हारा मतलब कि शांगली ?"

"हां । शांगली पहले से ही इस मामले में काम कर रहा होगा । इस मामले में जो किया है, शांगली ने किया है । लियू ने नहीं ।"

"ये सम्भव है ।"

"पक्का संभव है । सच में कल रात शांगली की तरह से लापरवाह होकर भूल कर दी हमने । वो होश में आते ही निकल भागा।"

"हमें शांगली पर हाथ डालना चाहिये ।"

"वो लियू के साथ होगा इस वक्त ।"

"वो अपने चाईना बाजार में भी हो सकता है । नहीं होगा तो वहां आयेगा अवश्य ।"

R.D.X. की नजरें मिलीं ।

"चलो, हमें चाईना बाजार पर नजर रखनी होगी ।"

"लेकिन तुली का क्या होगा ?"

"कुछ नहीं कह सकते कि उसका क्या होगा । वो खतरे में है ।"

■■■

सैवन इलैवन का फोन बजा ।

दूसरी तरफ भट्ट था ।

"कहो ।" सैवन इलैवन ने कहा।

"तुली, उस्मान के गैरज से कार पर निकला है । कुछ आगे जाकर उसे चीनी एजेन्ट ने घेर लिया । लियू ने तुली को अपनी कार में बिठा लिया ।" भट्ट की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुली अपनी मर्जी से लियू के साथ हुआ है ?"

"मुझे नहीं लगता है कि ऐसा है । शायद लियू के आदमी ने उसे रिवॉल्वर दिखाई थी । मुझे ऐसा ही लगा ।"

"तुम कहां हो ?"

"लियू वाली कार के पीछे ।"

"पीछे ही रहो।  जैसा समझाया है, वैसा ही करो ।"

"समझ गया।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद किया कि तभी अजीत का फोन आया ।

"कहो ।"

"हम माईक के पीछे हैं वो एम्बेसी से निकलकर कार पर जा रहा है ।"

"मुझे बताते रहो कि वो कहां जाता है ।"

"ठीक है ।"

"मौली तुम्हारे साथ है ?"

"हां ।"

सैवन इलैवन ने फोन काटा और एक नम्बर मिलाया ।

बेल हुई फिर नसीम की आवाज कानों में पड़ी।

"हैलो ।"

"सैवन इलैवन ।"

"ओह-कहो ।"

"वहां पर क्या हो रहा है ?"

"शांगली भीतर ही है । बाहर नहीं निकला ।"

"कोई हलचल ?"

"मेरे को तो सब शांत ही लगता है ।"

"लापरवाह मत होना ।"

"मैं सतर्क हूं ।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद किया । चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे । वो टहलने लगा।

■■■

फोन पर बात करने के बाद कपूर ने फोन बंद किया और दीवान को देखा ।

दीवान तब सिगरेट सुलगा रहा था । कश लेकर उसने कपूर को देखा ।

"क्या है ?" दीवान ने पूछा ।

"सैवन इलैवन तुली के मामले में काम कर रहा है । एजेन्टों को अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहा है ।" कपूर ने बताया ।

"राष्ट्रपति जी ने उसे पावर दे रखी है।"

"लेकिन हमने उसे तुली के काम से हटा दिया था ।"

"जरूरी तो नहीं कि हमारी बात माने । उसके पास पॉवर है । वो अपने तौर पर कोई भी काम करने को आजाद है ।"

"हमारे इंकार के बाद भी ?"

"अगर उसे लगता है कि वो ठीक कर रहा है तो वो जरूर काम करेगा ।"

"इस बात का फैसला कौन करेगा कि वो जो फैसला लेता है, वो ठीक होता है ?"

"इस बारे में राष्ट्रपति जी से बात करूंगा ।"

"कोई फायदा नहीं होगा ।"

"क्यों ?"

"क्या तुम साबित कर पाओगे कि सैवन इलैवन गलत काम कर रहा है ?"

कपूर, दीवान को देखता रहा।

"सैवन इलैवन जो कर रहा है बेहतरी के लिये ही कर रहा होगा । इधर हम तुली को खत्म करने पर लगे हैं, उधर सैवन इलैवन भी इसी सिलसिले में भाग-दौड़ कर रहा होगा ।"

"सैवन इलैवन को इतनी पॉवर नहीं देनी चाहिये ।"

"F.I.A. के बड़े राष्ट्रपति जी हैं । सैवन इलैवन के बारे में उन्होंने जो फैसला लिया है, ठीक ही लिया होगा ।"

कपूर ने कुर्सी की पुश्त से सिर टिका कर आंखें बंद कर लीं ।

दीवान ने फोन निकाला और दयोल को फोन किया ।

"कहो दीवान।"

तुमने तुली के बारे में कोई खबर नहीं दी ?"

"मैं काम जल्दी करने की चेष्टा कर रहा...।"

"जल्दी करो दयोल ।" दीवान ने सिर हिलाकर कहा और फोन बंद कर दिया ।

"तुली के मामले में चीन भी दखल दे रहा है ।" कपूर ने कहा ।

"हां । F.I.A. कंट्रोल रूम से ये खबर मुझे मिल चुकी है ।

हमें पीछे हो जाना चाहिये। सैवन इलैवन इस मामले में है तो हमें देखना चाहिये कि वो क्या करता है । वो खामखाह ऐसे मामले में दखल नहीं देगा, जिसमें से हट जाने को हम उसे कह चुके हैं । तुली के मामले में उसे कुछ तो खास नजर आया ही होगा।"

■■■

एक घंटे का वक्त हो गया था तुली को कार में बैठे । फिर कार रुकी ।

तुली ने बाहर देखा ।

सड़क के दोनों तरफ सुनसान जंगली जगह थी । वो जानता था कि मुम्बई से बाहर है कहीं । सोचों में वो इस कदर डूबा रहा कि रास्ता देखने का ध्यान ही नहीं रहा । सड़क से कभी-कभार कोई वाहन निकल जाता था ।

लियू ने दरवाजा खोला और बाहर निकलते बोली---

"आओ ।"

"बंटी कहां है ?"

"उसी के पास चल रहे हैं ।" लियू ने कहा ।

तब तक आगे बैठा रिवॉल्वर वाला आदमी नीचे उतर आया था ।

तुली बाहर निकला ।

रिवॉल्वर वाला कार चलाने वाले से बोला---

"कार को उधर पेड़ों के झुंड में खड़े कर आ-जा ।"

तुली की नजरें आस-पास फिर रही थीं ।

"चल ।" वो तुली से बोला ।

तुली चल पड़ा ।

लियू आगे थी और जंगल के भीतरी हिस्से में जा रही थी । फिर तुली और उसके पीछे वो रिवॉल्वर वाला गहरी खामोशी थी यहां । सड़क पर से निकलने वाले वाहन की आवाज रह-रहकर कानों में पड़ रही थी ।

दो-तीन मिनट में जंगल जैसी जगह में चलने के पश्चात तुली को झोपड़ी जैसा एक मकान बना दिखने लगा । वो मकान लकड़ी का बना हुआ था । सड़क पर से वो मकान उचित दूरी पर था कि किसी की नजर नहीं पड़ सकती थी । मकान के बाहर अलग-अलग दिशाओं में दो आदमी टहल रहे थे । शायद वो वहां के हथियार बंद पहरेदार थे ।

लियू, तुली और वो रिवॉल्वर वाला मकान आ पहुंचे।

■■■

सैवन इलैवन को मौली का फोन आया ।

"कहो ।"

"हम माईक के पीछे हैं । माईक घनी आबादी वाले इलाके में पहुंचा है । टैक्सी छोड़कर पैदल ही गलियों में प्रवेश कर गया है ।"

"जगह का नाम बोलो ।"

"माहिम ।"

"वो शांगली के पास जा रहा होगा ।" सैवन इलैवन होंठ सिकोड़ते हुए कह उठा।

"शांगली ?" मौली की आवाज कानों में पड़ी ।

"चीनी एजेन्ट है वो । नजर रखो उस पर और मुझे बताते रहो ।"

"एक मिनट ।" उसके बाद कुछ देर तक मौली की आवाज नहीं आई, फिर आई--- "वो एक मकान की बेल बजा रहा है ।"

"उस मकान का नम्बर 2/19 है ?"

"शायद, क्योंकि मेरे सामने वाले मकान का नम्बर 2/15 है । वो 19 नम्बर ही होगा--- क्यों ?"

"ये पक्का है कि माईक शांगली के पास ही गया है । वहां शांगली है ।"

"दरवाजा खुल गया है । वो भीतर जा रहा--- चला गया । दरवाजा बंद हो गया ।"

"अजीत तुम्हारे साथ है ?"

"हां।"

"वहीं रहो और नजर रखो । जो भी नई बात हो, मुझे फौरन खबर दो ।" सैवन इलैवन ने कहा ।

"ठीक है ।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद किया कि तभी वो पुनः बजने लगा।

"हैलो ।"

"भट्ट ।" उस तरफ था--- "लियू तुली को लेकर मुम्बई, नासिक रोड पर एक वीराने में पहुंची है । वहां पर जंगल जैसे वीराने में लकड़ी का एक पुराना मकान खड़ा है । तीनों उसमें चले गये हैं । मकान के बाहर दो आदमी पहरा दे रहे हैं ।"

"इसका मतलब भीतर भी आदमी होंगे ।"

"होने तो चाहिये ।"

"वो तुली के साथ क्या करने का इरादा रखते हैं ?" सैवन इलैवन ने पूछा ।

"यकीन के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता ।"

"वहां कुछ तो होगा ही । तुली, लियू के साथ दोस्ती करने से तो रहा । इस वक्त अपने परिवार के हत्यारों की तलाश कर रहा है।"

"अपने बेटे को भी ।"

"हां ।"

"अब मैं क्या करूं ?"

"तुम अकेले हो ?"

"हां। भुवन को उस्मान के गैराज पर नजर रखने के लिए वहीं छोड़ आया था, क्योंकि R.D.X. गैराज में ही थे ।"भट्ट की आवाज कानों में पड़ी ।

क्षणिक सोचने के बाद सैवन इलैवन कह उठा---

"भट्ट अब तुमने हिम्मत से काम लेना है ।"

"बहुत हिम्मत है मुझमें ।"

"तुम कैसे देखोगे कि लकड़ी के उस मकान के भीतर क्या हो रहा है ?" सैवन इलैवन ने पूछा ।

"कठिन है । बाहर दो आदमी हैं ।"

"उन पर बारी-बारी काबू पाओ । इस तरह की आहट न हो । ये जरूरी है कि वो तुम्हारे रास्ते से हट जायें । उसके बाद तुझे ये देखना है कि भीतर क्या हो रहा है । अगर तुली खतरे में हो तो उसकी सहायता करनी है ।"

"सहायता ?".

"हां। वे खतरे में पड़े तो उसे निकालना है वहां से। तुली को नुकसान नहीं होना चाहिये ।"

"समझ गया ।"

"होशियारी से उन दोनों से निपटो ।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन काटा।

उसी पल पुनः सैवन इलैवन का फोन बजा ।

दूसरी तरफ नसीम था।

"अजीत और मौली मुझे मिल गये हैं । माईक और शांगली के घर आ गया है ।"

""मौली को बता दिया है मैंने कि क्या करना है । तुम उनके साथ रहो ।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद करके जेब में रखा फिर फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर पानी पीने लगा । चेहरे पर गम्भीरता और सोच के भाव थे ।

सैवन इलैवन का फोन फिर बजा ।

"कहो ।"

"सैवन इलैवन मैं शांगली के चाईना बाजार पर, अशोक के साथ।"

"मुझे मालूम है रावत । वहां कुछ हुआ ?" सैवन इलैवन ने पूछा ।

"अभी-अभी चाईना बाजार पहुंचे हैं । उनके इरादे ठीक नहीं....।"

"R.D.X. चाईना बाजार में ?" सैवन इलैवन के माथे पर बल नजर आये ।

"हां वो तीनों खतरनाक मूड में....।"

"तुम्हें गलती हो रही है । उन्हें फिर देखो । वो R.D.X. नहीं होंगे ।" सैवन इलैवन ने कहा ।

"वो R.D.X. ही हैं ।"

"वो झगड़े के मूड में लगते हैं ।" रावत की आवाज पुनः कानों में पड़ी ।

"वो वहां शांगली की तलाश में आये होंगे । लेकिन शांगली कहीं और है । वहां झगड़ा नहीं होगा। परन्तु हो सकता है कि वो शांगली के लौटने तक वहीं रहें । देर-सवेर में अवश्य वहां आयेगा।"

"तो हम क्या करें ?"

"उन पर नजर रखो । मैं अभी भुवन को भी तुम दोनों के पास भेज रहा हूं।"

"उन पर नजर रखकर हमें क्या करना है ?"

"ये मैं फिर बताऊंगा।" कहने के साथ ही सैवन इलैवन ने फोन काटा और भुवन को फोन किया ।

"कहो सैवन इलैवन ?" इधर से भुवन की आवाज आई ।

"तुम उस्मान के गैराज पर नजर रख रहे हो ?" सैवन इलैवन ने पूछा ।

हां । भीतर R.D.X.....।"

"R.D.X. भीतर नहीं है । तुमने शायद ठीक से वहां नजर नहीं रखी ।"

"R.D.X. भीतर ही है ।" भुवन की तेज आवाज आई ।

"R.D.X. इस वक्त चाईना बाजार में रावत और अशोक की नजरों में है।"

"ओह ।" भुवन की गहरी सांस लेने का स्वर सुनाई दिया--- "लेकिन मैं लापरवाह नहीं हुआ तो वो कैसे बाहर आ गये और मैं देख ही नहीं सका ।"

"तुम चाईना बाजार पहुंचकर रावत और अशोक से मिलो ।"

"ठीक है ।"

■■■

भट्ट पेड़ों के तने के पीछे छिपता,  एक आदमी के दस कदमों की दूरी पर पहुंच चुका था ।

भट्ट की नजरें हर तरफ जा रही थीं । दूसरा आदमी मकान के उस कोने पर टहल रहा था । कभी-कभार वो टहलते हुए मकान के उस तरफ ओट में हो जाता तो मिनट भर बाद वो फिर दिखाई देने लगता ।

इस आदमी पर हाथ डालते हुए, उस आदमी की पोजीशन भी देखनी थी । कि वो सतर्क न हो ।

भट्ट की तरफ वाला आदमी हर दो-तीन कदम टहलने के पश्चात रुक जाता था । वो कुछ सुस्त-सा लग रहा था । उसकी पैंट की जेब का उभार बता रहा था कि वहां रिवॉल्वर पड़ी है ।

पेड़ के तने के पीछे छिपे भट्ट की निगाह दूर दूसरे पर थी । वो एक छोटे-से दायरे में चक्कर लगाकर वापस लौटता था और अब वापस लौट रहा था । कुछ ही पलों बाद उसने फिर मकान की ओट में चले जाना था ।

इधर वाले की पीठ थी भट्ट की तरफ 

फिर वो दूर वाला मकान की ओट में चला गया ।

यही मौका था ।

भट्ट ने रिवॉल्वर निकाली और पेड़ के तने के पीछे से निकलकर, दबे पांव उसकी तरफ लपका।

अभी दो कदम ही आगे बढ़ा कि जाने क्या हुआ, वो एकाएक पलटा ।

भट्ट को ऐसी आशा नहीं थी ।

भट्ट पर निगाह पड़ते ही वो व्यक्ति जोरों से चौंका। उसकी आंखें हैरानी से फैल गईं। हाथ जेब में पड़े रिवॉल्वर की तरफ बढ़ाया । भट्ट चाहता था तो उसे आसानी से गोली मार सकता था, परन्तु गोली का शोर सब कुछ बिगाड़ देता ।

भट्ट चार कदम दूर था । जब उसने रिवॉल्वर निकाली।

भट्ट ने रिवॉल्वर थामे चीते की भांति लंबी छलांग मारी और सीधा उससे जा टकराया। उसे रिवॉल्वर वाला हाथ सीधा करने का मौका नहीं मिला और भट्ट की टक्कर से नीचे जा गिरा । भट्ट भी साथ मे उसके ऊपर गिरा । रिवॉल्वर उस आदमी के हाथ से निकल कर दूर फिसल गई । अब भट्ट उसके ऊपर था ।

भट्ट को इससे ज्यादा, उस व्यक्ति की चिंता थी, जो अभी मकान की ओट में पुनः सामने नहीं आया था । वो कभी भी सामने आकर यहां का माहौल भांप सकता था। और फंसवा सकता था ।

भट्ट के बिना एक पल की देरी किए हाथ में थमी रिवॉल्वर की नाल के एक के बाद एक कई वार उस व्यक्ति की कनपटी पर किए । कनपटी का मांस फट गया । खून बहने लगा । भट्ट के नीचे दबा वो जोरों से छटपटाया फिर बेहोश होता चला गया । ये सब दस पलों में ही हो गया ।

भट्ट उसके ऊपर से उठा और पास गिरी उस व्यक्ति की रिवॉल्वर उठाकर सामने की तरफ दौड़ा, जिधर दूसरा वाला था, वो कभी भी सामने आ....।

वो सामने आ गया ।

ओट से बाहर निकला तो उसकी निगाह इस तरफ गई।

भट्ट आधा रास्ता पार कर चुका था । उसे अपनी तरफ देखते पाकर भी भट्ट ने गोली नहीं चलाई, जबकि उसके दोनों हाथों में रिवॉल्वरें थी । वो तूफान की तरह दौड़ता उस व्यक्ति की तरफ बढ़ रहा था ।

उस व्यक्ति के चेहरे पर एकाएक आई मुसीबत को देखकर हैरानी उभरी । उसने तुरन्त जेब में हाथ डाला कि रिवॉल्वर निकाल सके । तभी सांड की भांति भट्ट उससे आ टकराया।

उसकी होंठो से घुटी-घुटी चीख निकली । पांव उसके उखड़ गये । वो दो कदम दूर जा गिरा । फिर तुरन्त ही संभला तो भट्ट को अपने सिर पर खड़े पाया । दोनों हाथों में रिवॉल्वरें थी। एक रिवॉल्वर भट्ट ने जेब में डाल ली।  दूसरी उन पर तनी हुई थी । उस व्यक्ति ने भट्ट को देखा । सूखे होंठों पर जीभ फेरी ।

भट्ट की खतरनाक निगाह हर तरफ घूमी ।

परन्तु सब ठीक था ।

बाहर जो हुआ, उसकी आहट भीतर वालों तक नहीं पहुंची थी ।

"क....कौन हो तुम ?" वो सूखे स्वर स्वर में बोला।

भट्ट थोड़ा-सा झुका और रिवॉल्वर की नाल उसके माथे पर रख दी ।

वो कांप उठा ।

"म....मुझे मत मारना ।" उसके होंठों से डरा स्वर निकला ।

"भीतर कितने लोग हैं ?" भट्ट गुर्राया ।

"भीतर....च....चार ।"

"लियू और उस आदमी को मिलाकर, जिसे लेकर लियू यहां पहुंची है ?"

"नहीं। उन्हीं को मिलाकर छः हैं । मुझे मत मारना ।"

"तो कुल चार हैं भीतर ?"

उसने डरे भाव से सिर हिलाया ।

भट्ट ने अभी भी उसके माथे से रिवॉल्वर लगा रखी थी ।

"मुझे मत मारो । रिवॉल्वर हटा लो ।"

भट्ट ने रिवॉल्वर हटा ली। वो अभी भी झुका हुआ था उस पर ।

"तुम....तुम कौन हो ?"

भट्ट ने हाथ में थमी रिवॉल्वर को नाल से थामा ।

उस व्यक्ति की आंखें फैल गईं।

"चीखना मत। मैं तुझे सिर्फ डराने की कोशिश कर रहा हूं ।" भट्ट ने खतरनाक स्वर में कहा--- "चीखा तो गोली मार दूंगा ।"

उस व्यक्ति ने उसी पल होंठ बंद कर के भींच लिए ।

भट्ट ने दांत भींचकर रिवॉल्वर के दस्ते से उसकी कनपटी पर दो वार किए। वो बेहोश हो गया । भट्ट ने रिवॉल्वर को ठीक से पकड़ा और लकड़ी के मकान के पास जा पहुंचा । ऐसी जगह तलाश करने लगा, जहां से वो मकान के भीतर देख सके । भीतर वालों की बातें सुन सके।  जल्दी ही उसे ऐसी जगह मिल गई।

■■■

उस मकान के फर्श पर भी लकड़ी के तख्ते बिछाये हुए थे । मकान में ज्यादा सामान नहीं था । बैठने के लिए कुर्सियां-टेबल के अलावा बैड भी था । वहां तीन कमरे थे । एक कमरा अन्य दो की अपेक्षा बड़ा था ।

वहां तीन आदमी दिखे, जिन्होंने उसका मुस्कुराकर स्वागत किया ।

लियू, तुली को लेकर बड़े वाले कमरे में पहुंची। वो कुर्सियों पर बैठी । रिवॉल्वर वाला व्यक्ति उसके पास ही मौजूद रहा । दूसरों ने उन्हें पानी पिलाया फिर लियू ने उन्हें चाय बना लेने को कहा।

तुली की निगाह लियू के चेहरे पर जा टिकी ।

"जगह कैसी लगी तुली ?" लियू ने पूछा ।

"बढ़िया ।" तुली शांत था ।

"हां । इस जगह पर अचानक कोई खतरा नहीं आता। वो R.D.X. को तो इस जगह का पता ही नहीं चल सकता ।"

"ठीक कहती हो। मेरा बेटा कहां है ?"

"पहले कागज दो, जहां तुमने 'ऑपरेशन टू किल" की डिटेल लिखी है ।" लियू बोली ।

"मेरे बेटे को सामने लाओ, फिर मैं तुम्हें वो कागज दे दूंगा ।"

"यहां पर तुम अपनी शर्त रखने की स्थिति में नहीं हो ।"

"हम एक-दूसरे को अपनी ताकत दिखाने के लिये नहीं मिले । सौदे के लिये मिले हैं ।" तुली ने कहा ।

"मैं अपने आदमी को फोन करती हूं । वो तुम्हारे बेटे को ले आयेगा ।" कहकर लियू ने फोन निकाला ।

"तुम्हें पहले ही फोन कर देना चाहिये था ।" तुली ने कहा ।

लियू नम्बर मिलाने लगी । बात हो गई ।

"हैलो ।" शांगली की आवाज कानों में पड़ी ।

"शांगली, तुली का बेटा कैसा है ?"

"मैं उसे माईक के हवाले करने जा रहा हूं । यही प्लान था ना हमारा ?" शांगली की आवाज कानों में पड़ी ।

"हां । तुली मेरे सामने बैठा है । उसे अपना बेटा चाहिये ।" लियू ने तुली पर निगाह मारकर सरल स्वर में कहा ।

"उससे तुम निपटो । बंटी को माईक के हवाले करके मैं चाईना बाजार जाऊंगा । वहां भी सब संभालना है ।"

"सैवन इलैवन से सतर्क रहना ।"

"उसकी मैं परवाह नहीं करता । वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।" उधर से शांगली ने कहा ।

"ठीक है । फिर बात करूंगी ।" कहकर लियू ने फोन बंद कर दिया और तुली को देखा ।

तुली की निगाह लियू पर थी ।

"तुम्हारा बेटा आधे घंटे में यहां पहुंच जायेगा । अब तो कागज मुझे दो।"

"बंटी के, मेरे सामने आते ही मैं कागज तुम्हें दे दूंगा ।"

"ठीक है थोड़ा इंतजार और सही ।" लियू ने सिर हिलाया ।

"तुम मुझे मेरे परिवार के हत्यारों के बारे में बताने वाली थी । क्या तुमने मारा है मेरे परिवार को ?"

"क्या करोगे जानकर ?"

"जिसने भी मेरे परिवार को मारा है, वो जिंदा नहीं बचेगा ।" तुली का लहजा कठोर हो गया ।

"तुम उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते ।"

"क्यों ?"

"क्योंकि तुम्हारे परिवार को मैंने मारा है । शांगली ने मारा है । हमारे इशारों पर ही तुम्हारा परिवार मारा गया।"

तुली के माथे पर बल पड़े ।

"तुमने--- शांगली ने ?"

"हां । हम वापस चीन चले जायेंगे । तुम चीन तक हमारे पीछे नहीं आ सकते । तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते ।"

तुली अजीब-सी निगाहों से लियू को देखने लगा ।

"विश्वास नहीं आता ।" तुली के होंठों से निकला ।

"किस बात का ?"

"कि चीनी एजेन्टों ने मेरे परिवार की हत्या की है ।"

"मैं सच कह रही हूं। झूठ क्यों बोलूंगी ?"

"तुम लोगों ने मेरे परिवार को क्यों मारा । क्या फायदा था इसमें चीन का ?"

"हमें बिना फायदे के कभी भी किसी मामले में दखल नहीं देते ।"

"तभी तो पूछ रहा हूं कि....।"

"जब F.I.A. तुम्हें मारने लगी तो चीन की दिलचस्पी तुम में जागी । हमारे एजेन्ट शांगली ने सारे मामले का पता लगाया और तुम पर नजर रखनी शुरू कर दी ।"

"क्यों ?"

"क्योंकि चीन चाहता था कि अमेरिकी विदेश मंत्री ड्युक हैरी की हत्या के मामले में इंडिया की सरकार फंसे । तब तक माईक भी इंडिया आ गया था। 'ऑपरेशन टू किल' की सच्चाई जानने के लिए । F.I.A. को अपने पीछे पड़ा देखकर तुम C.I.A. माईक से मिले और तुम दोनों में पट गई । वो तुम्हें चालाकी से F.I.A के लोगों से बचाकर अमेरिका ले गया।"

तुली की निगाह लियू पर थी ।

"चीन भी चाहता था कि तुम अमेरिका के हक में गवाही दो और बात बढ़े।"

"फिर ?"

"तभी शांगली को पता चला कि F.I.A स्पेशल एजेन्ट सैवन इलैवन तुम्हें खत्म करने के लिए अमेरिका चला गया है तो शांगली के इशारे पर अमेरिका में भी चीनी एजेन्ट तुम पर नजर रखते रहे । तब तुम वूस्टर शहर में थे । फिर एक दिन वहां सैवन इलैवन की तरफ से R.D.X. तुम्हें मारने पहुंच गये । परन्तु तुम जाने कैसे वहां से निकल गये। चीनी एजेन्टों को भी तुम्हारे निकल जाने की खबर न मिली और उधर C.I.A ने तुम्हारे मारे जाने की घोषणा कर दी । शांगली को पता लग चुका था कि तुम जिंदा हो । C.I.A. ने तो इसलिए तुम्हारे मरने की खबर फैलाई कि F.I.A. तुम्हें मरा मानकर आराम से बैठ जाये और वो तुम्हें चुपके से ढूंढ ले । F.I.A. ने तुम्हारे मारे जाने की खबर पर यकीन कर लिया।"

तुली लियू को देखती रही ।

"इधर C.I.A. ने तुम्हारी तलाश चुपके से जारी रखी । चीनी एजेन्टों की C.I.A. की तलाश पर नजर थी । परन्तु तुम कहीं भी नहीं मिल रहे थे, जबकि चीन चाहता था कि तुम जल्दी से अमेरिका के हाथ लग जाओ । ऐसे में शांगली ने बहुत बढ़िया तरकीब निकाली । वो तरकीब थी, तुम्हारे परिवार को खत्म कर देने की ।"

तुली के दांत भिंच गये।

"शांगली का ख्याल था कि अपने परिवार की मौत की खबर सुनकर तुम अवश्य सामने आओगे । ऐसा हुआ भी । तुम पहले C.I.A. को फ्लोरिडा एयरपोर्ट पर दिखे फिर खबर मिली कि तुमने क्रोशिया में F.I.A मोहन सूरी को मार दिया है । शांगली तुरन्त समझ गया कि अब तुम इंडिया में कभी भी पहुंच सकते हो।  और तुम पहुंचे। चीनी एजेन्टों की नजर में आ गये।  उसके बाद से तुम पर बराबर नजर रखी जाने लगी । तुम्हें एहसास भी नहीं हुआ कि तुम पर नजर रखी जा रही है ।"

"मेरा बेटा तुम लोगों तक कैसे पहुंचा ?" तुली का चेहरा धधक रहा था ।

"उस दिन जब तुम्हारे परिवार को मारा गया तो तुम्हारे परिवार पर नजर रखने वाले दो एजेन्ट वहां की भीड़ में शामिल थे। उन्होंने तुम्हारे बेटे को वहां जिंदा देखा तो उसे उठा लाये । शांगली ने उसे हिफाजत से रख लिया कि कभी तुरुप के पत्ते के तौर पर उसका इस्तेमाल किया जायेगा ।"

"मैं जानता हूं तुम सच कह रही हो ।"

"कैसे जाना ?"

"क्योंकि चीन हर हाल में चाहेगा कि इंडिया के सबन्ध अमेरिका से बिगड़ें।"

लियू मुस्कुरा रही थी ।

"लेकिन इसके लिए मेरे परिवार को मारने की जरूरत नहीं थी । गलत हरकत की गई ।" तुली का चेहरा बेहद कठोर हो रहा था ।

"तुम्हें बाहर निकालने के लिए ये जरूरी था ।"

"मेरे परिवार का अपहरण कर लेते, मैं तभी बाहर आ जाता । क्रोध से तुली का चेहरा तप रहा था।

"शांगली को तब जो ठीक लगा, उसने किया ।"

"ये बताओ कि अब क्या खेल-खेल रही हो ?"

"खेल ?"

"हां, इस वक्त तुम मुझसे ऑपरेशन टू किल" की लिखित जानकारी क्यों लेना चाहती हो । वो चीन के किसी काम की नहीं है । मुझे पूरा विश्वास है कि तुम माईक से मिली हुई हो और मेरा झुकाव माईक की तरफ करना चाहती हो ।"

"बकवास मत करो ।" लियू गुर्रा उठी--- "मेरा माईक से कोई वास्ता नहीं है।"

"तुम झूठ....।"

तभी लियू का फोन बजा ।

तुली ने होंठ भींच लिए ।

"हैलो ।" लियू ने बात की ।

"अब तुम कह सकती हो कि बंटी को माईक, हमारे ठिकाने पर हमला करके ले गया ।" शांगली की आवाज कानों में पड़ी ।

"क्या ?" लियू चौंकी, फिर फोन बंद कर दिया । चेहरे पर परेशानी स्पष्ट नजर आने लगी ।

"क्या हुआ ?" तुली भिंचे दांतों से कह उठा ।

"तुम्हारा बेटा....।"

"क्या हुआ बंटी को ?" तुली दहाड़ा ।

"हमारे ठिकाने पर माईक ने कुछ लोगों के साथ हमला किया और तुम्हारे बेटे को ले गया ।"

■■■

सैवन इलैवन  का फोन बजा । नसीम का फोन था ।

"कहो।" सैवन इलैवन ने बात की।

"माईक उस मकान से निकला है । उसके साथ ग्यारह-बारह साल का लड़का है ।"

"बारह साल का लड़का ?"

"हां । लड़का डरा-सहमा है । माईक ने उसकी कलाई सख्ती से थाम रखी है ।"

"वो, तुली का बेटा होगा ।" सैवन इलैवन के होंठों से निकला ।

"तुली का बेटा ?"

"यकीनन, वो बच्चा, वो ही होगा ।" सैवन इलैवन ने दृढ़ता भरे स्वर में कहा--- "उस बच्चे को उससे छीन लो ।"

"माईक आसानी से बच्चा हमारे हवाले नहीं करेगा ।"

"पहले ये ही कोशिश करो कि काम आराम से हो जाये।  जरूरत पड़े तो गोली भी चला सकते हो ।"

"समझ गया । उसने मोबाइल निकाला है। वो शायद किसी को फोन कर....।"

"तुम अपना काम करो । अजीत-मौली भी तुम्हारे साथ हैं।  मुझे सफलता चाहिये ।" सैवन इलैवन ने कहकर फोन बंद कर दिया ।

■■■

तुली के चेहरे पर खतरनाक भाव नाच उठे ।

"तुम कह क्यों नहीं देती कि माईक के साथ मिलकर तुम खेल, खेल रही....।"

"बकवास मत करो । मुझे क्या जरूरत है माईक के साथ मिल जाने की ?" लियू भड़क उठी--- "हम ऐसा क्यों करेंगे ?"

"ताकि मैं समझूं कि माईक मेरा भला चाहता है । वो मेरा बेटा मेरे हवाले करेगा और मैं अमेरिका का गवाह बन जाऊंगा इंडिया के खिलाफ ।"

"बकवास ।"

"प्लान बुरा नहीं है तुम्हारा, परन्तु मुझे आभास हो गया कि....।"

"तुम लोग गलत सोच रहे हो । जो भी सोचो, मुझे उससे कोई वास्ता नहीं है।"

तभी तुली के पास मौजूद फोन बजने लगा ।

"ये ।" तुली खतरनाक स्वर में लियू से कह उठा--- "माईक का फोन होगा । वो मुझे बतायेगा कि मेरा बेटा उसके पास है ।"

"तुम पागल हो गये हो ।" लियू ने कड़वे स्वर में कहा ।

तुली ने फोन निकाला और कॉलिंग स्विच दबा कर कान से लगाया।

"हैलो ।"

"तुली ।" माईक का उत्साह से भरा स्वर कानों में पड़ा--- "मैं तुम्हें जो बताने जा रहा हूं, उससे तुम उछल जाओगे ।"

तुली ने गहरी सांस ली ।

"तुम्हारे बेटे बंटी को मैंने पा लिया है । इस वक्त वो मेरे पास है ।" माईक की आवाज कानों में पड़ी ।

"कैसे पाया ?" तुली का स्वर शांत था ।

लियू की मुस्कुराती निगाह तुली पर थी ।

"शांगली के कब्जे में था । मुझे खबर मिली तो मैं अपने आदमी  लेकर वहां पहुंच गया । मैंने तुम्हारे बेटे को ढूंढ निकाला । बात करोगे ?"

"कराओ ।"

"फिर दो पलों बाद बंटी की आवाज कानों में पड़ी ।

"पापा, आप हैं ?"

"हां ।" तुली को अपना दिल डूबता-सा महसूस हुआ--- "मैं हूं बेटा-मैं ।"

"पापा मैं आपके पास आना चाहता हूं।"

"ह....हां, मैं आ रहा हूं बंटी ।" तुली की आंखों में पानी चमक उठा--- "मैं आ....।"

"मम्मी को किसी ने मार....।"

इसके बाद बंटी की आवाज आनी बंद हो गई ।

तुली फोन कानों पर रखे ठगा-सा रह गया । उस तरफ से उठा पटक की आवाज आने लगी थी ।

"बंटी....बंटी....क्या हुआ....बंटी ?"

फिर एकाएक ही कनैक्शन कट गया।

तुली के चेहरे पर घबराहट-गुस्सा था । शरीर में कम्पन था 

"क्या हुआ तुली ?"

"वो बंटी-माईक के पास था । लेकिन वहां कुछ हुआ, कुछ हो गया है वहां।" तुली थके स्वर में कह उठा ।

लियू चुप रही ।

तुली ने सुलगती निगाहों से लियू को देखा ।

"मैंने ठीक कहा था कि बंटी-माईक के पास होगा । तुम दोनों मिले हुए हो । जाने दो । तुमने अभी-अभी कबूला है कि मेरे परिवार की मौत में तुम्हारा और शांगली का हाथ है । तुम दोनों ने मेरे परिवार को मारा है । मैं तुझे जिंदा नहीं....।" कहते हुए तुली ने उठना चाहा कि तभी उसकी गर्दन पर रिवॉल्वर आ लगी ।

"बैठा रह ।" पीछे मौजूद रिवॉल्वर वाला गुर्राया।

तुली दांत पीसता बैठा रहा । लियू को देखता रहा । गुर्राता रहा ।

लियू पास आई और तुली की कमीज में फंसे कागज बाहर निकाले ।

"मैं तुझे जिन्दा नहीं छोड़ना कमीनी औरत ।"

लियू ने कागजों को देखा। वो खाली थे। कुछ भी नहीं लिखा था उनमें ।

"तो तुम खाली कागज लेकर मेरे पास आये ।" लियू ने तीखे स्वर में कहा ।

"तू मेरे हाथों से मरेगी । तुली गुर्रा उठा ।

"मार दूं इसे ?" रिवॉल्वर वाला कह उठा ।

"नहीं । इसे मारने का कोई फायदा नहीं । ये हमारे काम का नहीं है । इसके हाथ-पांव बांधकर, इसे यहीं छोड़ दो ।"

तभी एक आदमी भागता हुआ वहां आया ।

"पहरा दे रहे हमारे दोनों आदमी बेहोश हैं । यहां कोई है ।"

लियू चौंकी ।

"इसके हाथ-पांव बांधो और निकल चलो ।" लियू ने तेज स्वर में कहा--- "जो भी सामने आये, उसे खत्म कर दो।"

मिनट भर में तुली के हाथ-पांव कुर्सी से बांध दिये गये । तुली गुर्राता रहा । तड़पता रहा । लियू को खत्म करने को कहता रहा । फिर उसके कानों में कार स्टार्ट होने और जाने की आवाज पड़ी ।

शांति छा गई वहां ।

पांच मिनट, दस मिनट बीत गये ।

कुर्सी पर बंधा तुली खुद को खोलने की सफल चेष्टा करने लगा।

तभी वो चौंका ।

कानों में कदमों की आहटें पड़ी ।

कोई बाहर था और इसी तरफ आ रहा था । तुली की निगाह कमरे के खुले दरवाजे पर जा टिकी । फिर दरवाजे पर भट्ट दिखा । हाथ में रिवॉल्वर दबी थी ।

तुली ने उसे पहले देखा था ।

भट्ट फौरन आगे बढ़ा और तुली के बंधन खोलने लगा । परन्तु डोरी मजबूत थी । फिर वो कहीं से लोहे की पत्ती तलाश लाया और उसने डोरी काटी । तुली के हाथ-पांव आजाद हुए । वो खुशी से खड़ा होता तीखे स्वर में कह उठा।

"तो मेरे बंधन खोलने के लिए, वो चीनी एजेन्ट तुम्हें छोड़ गई कि कहीं बंधे-बधे मैं मर न जाऊं ।"

भट्ट मुस्कुराया । बोला कुछ नहीं ।

"कौन हो तुम ?"

"निकल जाओ यहां से, वो लोग दोबारा लौट आये तो परेशानी उठ खड़ी होगी ।"

"रिवॉल्वर मुझे दो ।"

भट्ट ने की रिवॉल्वर तुली की तरफ उछाली और कुछ दूसरी निकाल ली ।

तुली ने रिवॉल्वर थामी । भट्ट को देखा फिर बोला---

"बाहर के दो लोगों को तुमने बेहोश किया था ।"

"तुम्हें कैसे पता ?"

"जाने से पहले वे लोग आपस में बातें कर रहे थे ।"

भट्ट ने कुछ नहीं कहा ।

"तुम अपने बारे में बताओ कि तुम...।"

"यहीं रुको । मैं अभी आया ।" भट्ट पलटा और बाहर निकलता चला गया ।

कुछ देर बाद तुली बाहर आया तो उसे भट्ट नहीं दिखा ।

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