R.D.X. तीरथ के उसी ठिकाने पर वापस पहुंचे ।
रास्ते में धर्मा और एक्स्ट्रा, राघव से जान चुके थे कि सैवन इलैवन से क्या बात हुई ।
राघव ने सिगरेट सुलगाई और गम्भीर स्वर में कह उठा ।
"समझ में नहीं आता कि तुली को वापस इंडिया आने की क्या जरूरत पड़ गई। हमने उसे कहा था कि कहीं छिप जाये और फिर किसी को दिखाई न दे । लेकिन वो सामने आ...।"
"तुली भी तो जानता होगा कि सामने आने में खतरा है ।" एक्स्ट्रा बोला--- "लेकिन फिर भी वो सामने आया ।"
"क्या मतलब ?"
"कोई खास बात ही होगी जो तुली इस तरह सामने आ गया । क्या वो नहीं जानता कि F.I.A. उसे जिन्दा पाकर उसके पीछे पड़ जायेगी । उसे भी तो अपनी जान प्यारी है ।" एक्स्ट्रा ने राघव को देखा।
"क्या वजह है जो तुली सामने आया ?"
"ये बात तो तुली ही बता सकता है ।"
"तुली है कहां ?"
"ढूंढना पड़ेगा उसे ।"
धर्मा आंखें बंद किए कुर्सी पर खामोश बैठ गया ।
"एक बात समझ में नहीं आई कि सैवन इलैवन आखिर हमसे मिलकर चाहता क्या था । मुझे आराम से वापस भी आने दिया।"
"जबकि उसे भरोसा है कि हमने तुली को जिन्दा छोड़ दिया था।"
"हां।" राघव ने एक्सट्रा को देखा ।
खामोश बैठा धर्मा कह उठा ।
"मैं इसी बारे में सोच रहा था । मुझे लगता है कि सैवन इलैवन हम पर नजर रखता रहा हो सकता है । उसके आदमी हमारे पीछे होंगे ।"
"ओह ।"
"तो हम फिर से F.I.A. के फंदे में फंस चुके हैं ।"
"हां ।" धर्मा ने दोनों को देखा--- "वो F.I.A. का स्पेशल एजेन्ट सैवन इलैवन है । पहले ही दूर की सोच लेता है । उसने महसूस कर लिया होगा कि हम उससे मिलने को बच रहे हैं और ठिकाना भी बदल लिया है । इसलिए उसने सब इंतजाम पहले ही कर लिया होगा । कि...।"
"हम पर नजर रखवाकर आखिर सैवन इलैवन चाहता क्या है ?" राघव बोला।
वो तुली तक पहुंचना चाहता है और सैवन इलैवन जानता है कि अब हम तुली को अवश्य तलाश करेंगे ।"
"तो इसलिये उसने मुझे वापस आने दिया ।"
"सवाल ये है कि अब हम क्या करें ?"
"हमें अपना काम करना है । यानी कि तुली की तलाश करना ।"
"हमने तुली को छोड़ दिया था, सैवन इलैवन ये बात जानता है । वो हमें छोड़ेगा नहीं ।"
"बेशक सैवन इलैवन इस वक्त मुसीबत के तौर पर हम पर सवार है । लेकिन हमें तुली की तरफ ध्यान देना है, उससे ये मालूम करना जरूरी है कि वो सामने क्यों आया ?"
"F.I.A. से हम बच सकते हैं, अगर तुली की तलाश करके उसे खत्म कर दें तो ?
"R.D.X. की नजरे मिलीं ।
"ये बाद की बात है, पहले तुली तो मिले।"
■■■
तुली होटल से बाहर निकला तो दिन के बारह बज रहे थे । वो सतर्क था । नजरें हर तरफ थीं । उसने टैक्सी ली और तीरथ के रेस्टोरेंट जा पहुंचा । तीरथ का रेस्टोरेंट बंद मिला । दो-तीन दिन पहले उसकी हत्या हुई थी ।
तुली ने रेस्टोरेंट का चक्कर लगाया ।
पीछे का दरवाजा खुला मिला ।
तुली भीतर प्रवेश कर गया । वहां दो आदमी उसे दिखे । एक तो फर्श पर सोया हुआ था, दूसरा रेस्टोरेंट के किचन में दोपहर का खाना बनाने में व्यस्त था । तुली को देखते ही वो चौंका ।
"तुम ? उसके होंठों से निकला ।"
तुली खामोश रहा।
"तुम वो ही हो ना जो तीरथ को मारने इस रेस्टोरेंट में आये थे ।" वो पुनः कह उठा ।
"वो पुरानी बातें हैं ।" तुली बोला (ये सब जानने के लिये पढ़ें अनिल मोहन का उपन्यास 'ऑपरेशन टू किल')
"तुम...तुमने ही तीरथ साहब को मारा ?"
"नहीं । मैंने मारा होता तो अब मैं यहां क्यों आता ?" तुली ने गम्भीर स्वर में कहा ।
उसके चेहरे पर घबराहट थी ।
"यहां क्यों आये हो ?"
"ये जानने कि तीरथ के साथ क्या हुआ था--- वो कैसे मरा ?"
"उसने सूखे होंठों पर जीभ फेरी ।
"तुम्हारा नाम क्या है ?"
"राजू ।"
"तुम रेस्टोरेंट में ही काम करते हो ?"
"करता था। मालिक मर गये तो रेस्टोरेंट बंद हो गया। उनका होता-सोता आयेगा तो हमें बाहर निकाल कर यहां ताला लगा देगा ।"
"तुम मुझसे डरो मत । जो मैं पूछूं वो बताओ । मैं यहां पूछताछ करने आया हूं ।"
"तुम कौन हो ?"
"मेरा नाम तुली है ?" कभी तीरथ और मैंने एक साथ काम किया था ।"
"तो तुम करीब ढाई महीने पहले तीरथ साहब को मारने क्यों आये थे ?" राजू ने पूछा ।
"तब मैं किसी के यहां नौकरी कर रहा था । उसके कहने पर मारने आया था । अब मैं किसी के पास नौकरी नहीं करता ।"
राजू तुली तो देखता रहा । बोला कुछ नहीं ।
"पहले ये बताओ तीरथ के मरने पर पूछताछ करने के लिये कौन-कौन आया ?"
"पुलिस आई और लोग भी आये । मेरी तो हिम्मत नहीं थी कि पूछूं वो कौन हैं ?"
"कुछ पता चला तीरथ को किसने मारा ?"
"नहीं ।"
"हुआ क्या था, कैसे मरा तीरथ ?"
"पता नहीं, क्या हुआ, उस शाम दो लोग रेस्टोरेंट में आये थे । उन्होंने तीरथ को पूछा । तब साहब पन्द्रह मिनट पहले ही बाहर से लौटे थे । तीरथ साहब ने उन्हें अपने केबिन में बुलवा लिया । पांच मिनट बाद ही केबिन में गोलियां चलने की आवाज आई और वो दोनों भाग गये । बाद में पुलिस से पता चला कि सिर के साथ रिवॉल्वर सटाकर गोली चलाई गई थी ।"
"तो वो हाथों-हाथ मर गया ?"
राजू ने सहमति से सिर हिलाया ।
"तुमने उन दोनों लोगों को देखा था ?"
"हां । भीतर आने पर वो मुझसे ही मिले थे । तब मैं रेस्टोरेंट में बैठे ग्राहकों को खाने का सामान सर्व कर रहा था ।"
"वो देखने में कैसे थे, मुझे उनके बारे में बताओ ।"
राजू ने उन दोनों के बारे में बताया ।
तुली ने हुलिये सुने ।
"पहले कभी उन्हें देखा था ?"
"नहीं । वो पहली और आखरी बार थी ।"
"तुम्हें कुछ अंदाजा है कि उन्होंने तीरथ को क्यों मारा ?"
"मुझे कुछ नहीं पता ।"
"तुली वहां से बाहर आ गया ।
चेहरे पर सोच के भाव थे ।
तुली को, तीरथ के मरने में कोई पेच लग रहा था ।
उसे लग रहा था कि कोई बात है, जो वो नहीं जानता ।
तुली उस इमारत के गिर्द घूम कर सामने वाले हिस्से में पहुंचा । सामने सड़क थी । वाहन आ जा रहे थे । तेज धूप थी। तुली टैक्सी की तलाश में नजर दौड़ाने लगा कि अगले ही पल उसकी आंखें सिकुड़ती चली गई ।
उसे घेरा जा रहा था ।
"वो दोनों F.I.A. के एजेन्ट थे । तुली को पहचानने में देर न लगी ।
एक उससे दस कदमों की दूरी पर था ।
दूसरा दूसरी दिशा में पन्द्रह कदमों की दूरी पर ।
दोनों के हाथ जेबों में थे । नजर उस पर थी ।
तुली ने बारी-बारी दोनों को देखा। उसे महसूस हो गया कि दोनों कभी भी गोली चला सकते हैं । सामने सड़क पर आते-जाते वाहन थे। खतरा सिर पर था ।
एकाएक तुली सड़क पार करते हुए दौड़ा ।
सड़क पर ढेरों वाहन थे । तुली के सामने आ जाने की वजह से वाहनों की ब्रेक लगी पहियों की आवाज गूंजी । दो कारें आपस में टकरा गई । तभी गोली चलने की आवाज गूंजी ।
तुली को एक अंगारा पास से निकलता हुआ महसूस हुआ ।
एक कार ठीक तुली के पास आकर रुकी । वह न रुकती तो तुली ने उसके नीचे आ जाना था ।
तुली उन गोलियों से बाल-बाल बचा ।
सड़क पार कर गया तुली । उसने पीछे पलट कर देखा तो उन दोनों को सड़क पार करते पाया।
तुली भाग खड़ा हुआ।
सड़क पर वाहनों का जाम लग चुका था ।
दौड़ती सड़क एकाएक थम-सी गई थी । किसी को कुछ समझ ना आया कि मामला क्या है ?
तुली भागते-भागते गली में गया और वहीं दीवार के साथ चिपक कर गहरी-गहरी सांसे लेने लगा । चेहरे पर पसीना ही पसीना बह रहा था । उसने जेब से रिवॉल्वर निकालकर हाथ में ले ली । F.I.A. के दोनों एजेन्ट उसके पीछे अभी तक थे ।
तुली ने गली में नजर घुमाई ।
चार फीट की तंग गली, मकानों की बैक लेन थी । लोगों ने कबाड़ की चीजों को यहां फेंक रखा था ।
तुली की उखड़ी सांसे अब संयत हो चुकी थी ।
तभी कानों में कदमों की आहटें सुनाई पड़ी।
रिवॉल्वर थामे तुली सतर्क हो गया । उसके होंठ भिंच गये । चेहरा कठोर हो गया।
"मैंने उसे इस तरफ आते देखा था ।" एक आवाज कानों में पड़ी।
"मैंने भी देखा था ।"
"आगे गली है ,वहां देखो ।"
उनके कदमों की आवाजें से फिर कानों में पड़ने लगी ।
"रुक जाओ ।" तुली ऊंचे स्वर में बोला ।
कदमों की आवाजें फौरन थम गईं।
"चले जाओ यहां से ।" तुली कठोर स्वर में बोला--- "मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता ।"
"तुम अपनी जान की खैर मनाओ तुली। तुम्हें मारने के हमारे पास आर्डर हैं।" आवाज तुली के कानों में पड़ी ।
"तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकते । चले जाओ यहां से ।" तुली गुर्राया ।
"तुम फंस चुके हो ।" इस बार दूसरा बोला--- "हाथ उठाकर सामने आ जाओ । तब हम तुम्हें नहीं मारेंगे ।"
तभी तुली ने रिवॉल्वर वाला हाथ दीवार से बाहर निकाला और आवाज की दिशा में गोली चला दी ।
जवाब में तेज चीख गूंजी और गिरने की आवाज सुनाई दी ।
तुली उसी पल दीवार की ओट से बाहर निकला और उस तरफ देखा।
एक तड़पता हुआ नीचे पड़ा था । दूसरा हक्का-बक्का उलझन की स्थिति में था । तुली को दीवार की ओट से बाहर आया पाकर, उसने रिवॉल्वर वाला हाथ उठाया, गोली चलाने के लिये।
तुली ने ट्रेगर दबा दिया ।
तेज धमाका गूंजा और गोली उसकी छाती में जा लगी ।
धमाकों की वजह से लोगों के घरों के पीछे के दरवाजे खुलने लगे थे ।
तुली ने रिवॉल्वर जेब मे डाली और गली में आगे बढ़ता चला गया । उसके चेहरे पर मौत नाच रही थी । गली के बाहर आते उसे टैक्सी मिल गई । टैक्सी में बैठा तो टैक्सी वाला टैक्सी को आगे बढ़ाता कह उठा---
"कहां चलना है ?"
"चलते रहो।" तुली बोला--- "कुछ देर बाद बताऊंगा कि किधर जाना है ।" कहने के साथ ही तुली ने फोन निकाला और नम्बर मिलाने लगा ।
फौरन ही दयोल की आवाज कानों में पड़ गई ।
"हैलो ।"
"दयोल मैं ।" तुली टैक्सी की खिड़की से बाहर देखता बोला ।
"तुम-कहां " उधर दयोल ने कहा।
"मैं तीरथ के रेस्टोरेंट ये जानने गया था कि उसकी हत्या किसने की, वहां F.I.A. के दो एजेन्ट मेरे पीछे...।"
"और तुमने उन्हें मार दिया ।" दयोल बीच में ही कह उठा ।
"पता नहीं, वो जिन्दा है या मर गये । मैंने उन दोनों को अपने पीछे से चले जाने की वार्निंग दी थी । वे माने नहीं...।"
"बेवकूफ रहे वो दोनों ।"
तीरथ को मारने वाले कौन लोग थे ?"
"ये मामला मेरा नहीं है, परन्तु इतना जानता हूं कि तीरथ के हत्यारे का पता नहीं चला । तुम्हें कुछ मालूम हुआ ?
"नहीं ।"
"शाम को माईक इंडिया पहुंच रहा है ।"
"माईक ?"
"मुम्बई एयरपोर्ट पर । F.I.A. को पूरा विश्वास है कि माईक तुम्हारी वजह से मुम्बई पहुंच रहा है ।"
"मैंने एम्बेसी में फोन किया था । उससे मिलने के लिए । अपना नाम बता कर कहा था कि दो दिन बाद फिर फोन करूंगा । मेरे परिवार की हत्या के पीछे C.I.A.भी हो सकती है ।"
"यकीनन । इंडिया में C.I.A. एजेन्टों का पूरा जाल बिछा हुआ है । हर गुप्त जासूसी संस्था का यही हाल है ।"
फ्लाईट के बारे में बताने के बाद उधर से दयोल ने कहा---
"मेरी सलाह है कि तुम एयरपोर्ट मत जाओ ।"
"क्यों ?"
"वहां F.I.A. के लोग भी होंगे, जो माईक पर नजर रखेंगे । वो तुम्हें देख सकते हैं । बात बढ़ जायेगी ।"
"मैं माईक को अपनी नजरों में रखना चाहता हूं ।"
"वजह ?"
"वजह मुझे नहीं पता । मैं सिर्फ अपने परिवार के हत्यारों के बारे में जानना चाहता हूं ।"
दयोल की आवाज नहीं आई ।
"क्या तुम जानते हो कि मेरे परिवार वालों को किसने मारा है ?"
"कसम से, नहीं जानता ।"
"ठीक है, फिर बात करूंगा।"
"तुम्हारा खुले में रहना ठीक नहीं-तुम...।"
"खुले में रहूंगा तो अपने परिवार के हत्यारों तक पहुंच पाऊंगा, नहीं तो...।"
"तुम्हें खतरा हो सकता है तुली ।"
■■■
तुली ने हमारे दो एजेन्टों को मार दिया ।" दीवान कठोर स्वर में बोला--- "वो दोनों तीरथ के रेस्टोरेंट पर नजर रख रहे थे । मैंने ही उनसे कहा था कि तुली वहां आ सकता है।"
"वो दोनों तुली को नहीं मार सके ।" कपूर ने गम्भीर स्वर में कहा ।
"पता चला है कि तुली को शूट करने जा रहे थे कि वो सड़क पार करके भाग निकला । दोनों उसके पीछे...।"
"तुली ने उन्हें मार दिया । बात को लंबा क्यों कर रहे हो ?" कपूर ने तीखे स्वर में कहा ।
"गलत हुआ ये ।"
"तुली को मारना आसान होता तो वो कब का मर चुका होता दीवान । वो शातिर है ।"
"यही तो समस्या है ।"
"मैं दयोल से बात...।"
"समझदारी से काम लो दीवान ।"
दीवान ने कपूर को देखा ।
कपूर के चेहरे पर सोच के भाव थे ।
"तुली को इस तरह नहीं मारा जा सकता । वो हाथ नहीं आयेगा ।" कपूर ने कहा।
"तो किस तरह ?"
"चाल चलनी पड़ेगी । ऐसा कुछ करना होगा कि वो हमारी तरफ खिंचा चला आये । तुली F.I.A. का माना हुआ हत्यारा है, हर मिशन उसने सफलता से पूरा किया है । वो फुर्तीला है ।" कपूर बोला ।
दीवान तुली को देखता रहा ।
"हमें किसी तरह तुली को मुलाकात के लिए तैयार करना होगा।"
"वो तैयार नहीं होगा ।"
"जानता हूं नहीं होगा । परन्तु उसे जैसे भी हो, तैयार करना है कि वो हमसे मिले। कहीं भी ।"
"संभव ही नहीं है ये काम।" दीवान ने इंकार में सिर हिलाया--- "तुली अब हमारी बातों में नहीं आयेगा।"
"ये करना ही होगा । एक रास्ता है ।"
"क्या ?"
"उसका बेटा बंटी लापता है ।"
"तो ?" दीवान की आंखें सिकुड़ी ।
"तुम पागल हो गये हो कपूर ।" दीवान का स्वर तेज हो गया--- "वो तो पहले ही F.I.A. पर शक कर रहा है कि उसके परिवार को मारा है । ये बात सुनकर तो उसे पूरा यकीन हो जायेगा । तब वो F.I.A. के एजेन्टों की हत्याएं करना शुरू कर देगा।"
"ये बात है ।"
"गलत कहा मैंने क्या ?"
"इस मामले को हम दूसरे ढंग से खेल सकते हैं ।"
"वो कैसे ?
"चार-छः लोगों का ग्रुप बन सकता है ,जो कि तुली से बात करेंगे कि उनके पास है और...।"
"समझ गया ।" दीवान ने फौरन सिर हिलाया ।
"इस तरह तुली को करीब लाकर, उसे खत्म किया जा सकता है ।"
"लेकिन हमें नहीं मालूम कि तुली कहां है और उसका फोन नम्बर...।"
"तुम्हारे फोन पर कल तुली का फोन आया था । देखो, क्या वो मोबाइल से किया था ?"
दीवान तुरन्त अपने फोन पर व्यस्त हो गया । उंगलियां की-पैड पर चलने लगीं।
दो-तीन मिनट बाद फोन स्क्रीन को देखता दीवान कह उठा---
"ये तो मोबाइल फोन से कॉल की गई थी ।"
"ये तुली का ही नम्बर है । वो फंस सकता है । इस काम के लिए मैं एक टीम तैयार करता हूं।"
■■■
मुम्बई ।
शांतकुज एयरपोर्ट ।
शाम आठ बजे ।
एयरपोर्ट पर रोज की तरह हलचल थी । वहां लगे स्पीकरों से कभी-कभार एनाउंसर की आवाजें गूंज रही थी । लोग आ-जा रहे थे । बाहर निकलने और फ्लाईट पकड़ने में व्यस्त थे । रह-रह कर विमान के इंजन की मध्यम-सी आवाजें कानों में पड़ जाती थी । ट्रॉली में लगेज लादे लोग या पोर्टर इधर-उधर भागे जा रहे थे ।
अभी-अभी न्यूयॉर्क से आने वाला प्लेन लैंड हुआ था । न्यूयॉर्क से मुम्बई 17 घंटे की सीधी उड़ान थी । यात्री भी प्लेन में बैठे-बैठे थक चुके थे । इन्हीं में से एक C.I.A. एजेंट माईक भी था ।
बस द्वारा मुसाफिर एयरपोर्ट की इमारत में पहुंचे ।
माईक अपना एयरपोर्ट चैक कराकर ग्रीन चैनल की तरफ बढ़ गया । कंधे पर एयर बैग लटका था ।
माईक ग्रीन चैनल से बाहर निकला कि ठिठक गया ।
सामने लियू खड़ी थी । जींस की पैंट और स्कीवी पहने । माईक को देखता पाकर वो मुस्कुराई।
माईक गहरी सांस लेकर उसके पास पहुंचा ।
"तुम्हें यहां देख कर मुझे हैरानी हुई लियू ।"
"मुझे नहीं ।" लियू खनकती मुस्कान से कह उठी ।
"क्यों ।"
"क्योंकि मैं जानती हूं कि इस फ्लाईट से तुम आ रहे हो ।"
माईक सतर्क हुआ ।
"तो तुम मेरे लिए यहां आई हो ?"
"हां ।"
"चीनी सीक्रेट सर्विस की एजेन्ट को मेरे से क्या काम पड़ गया, जो मेरे इंतजार में इधर खड़ी हो ?"
"सोचा तुम्हारा फायदा करा दूं ।"
"चीनी बिना अपने फायदे के, दूसरे का फायदा नहीं करते ।"
"गलतफहमी में हो तुम।"
माईक ने गहरी निगाहों से लियू को देखा ।
लियू बराबर मुस्कुरा रही थी ।
"क्या बात है ?" माईक ने पूछा ।
"उधर रेस्टोरेंट में बैठें?"
"क्यों नहीं ।"
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दोनों कुछ दूरी पर नजर आ रहे शीशे की दीवारों वाले रेस्टोरेंट में बढ़ गये ।
तभी रेस्टोरेंट में एक बूढ़े व्यक्ति ने प्रवेश किया । उसने पैंट-कमीज पहन रखी थी । आंखों पर नजर का चश्मा था । सफेद दाढ़ी- मूंछें और सिर के बाल भी सफेद थे । वो छड़ी के सहारे धीरे-धीरे चलते हुए माईक और लियू के पीछे वाली टेबल पर जा बैठा । अब आसानी से माईक और लियू की बातें सुन सकता था ।
"वो बूढ़ा और कोई नहीं, तुली था।
वहां सैवन इलैवन भी था ।
लियू जब से माईक से मिली थी, तब से ही सैवन इलैवन लियू को पैनी निगाहों से देख रहा था। उसने पहले लियू को कभी देखा नहीं था । लेकिन इतना तो जान चुका था कि वो चीनी है ।
चीनी का एयरपोर्ट पर अमेरिकी एजेन्ट से मिलना, उलझन वाली बात थी ।
सैवन इलैवन ने भट्ट को फोन किया ।
"अच्छा हुआ गुरु जो तुमने फोन किया, मैं तुम्हें फोन करने ही वाला था ।
"उस चीनी युवती को देख रहे हो, जो माईक से बातें कर रही है ?" सैवन इलैवन बोला ।
"उसी के बारे में तो बताना था ।"
"क्या ?"
"वो चीनी एजेन्ट है लियू नाम है उसका । मैंने उसकी फाइल देखी हुई है ।" भट्ट की आवाज कानों में पड़ी ।
"तो ये बात है।"
"बिल्कुल ये ही बात है । वो दोनों रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे ।"
"तुम यहां माईक के पीछे जाओगे और मैं लियू पर नजर रखूंगा ।"
"ठीक है ।"
सैवन इलैवन ने फोन जेब में डाला । नजरें दोनों पर थीं । वो रेस्टोरेंट में प्रवेश कर गये । परन्तु सैवन इलैवन बाहर ही रहा । ओट में और रेस्टोरेंट की शीशे की दीवार से माईक, लियू पर नजर रखने लगा । माईक के सामने नहीं पड़ना चाहता था । दो ढाई- महीने पहले अमेरिका में उसने माईक के बेटे का अपहरण करके उसे अपने इशारे पर नाचने पर मजबूर कर दिया था । (ये सब जानने के लिए पड़े अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'ऑपरेशन टू किल' )
सैवन इलैवन ने भट्ट को रेस्टोरेंट में प्रवेश करते देखा ।
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माईक की निगाह लियू पर थी ।
सामने कॉफी और स्नैक्स पड़े थे ।
"क्या देख रहे हो माईक ?" लियू ने मुस्कुरा कर कहा ।
"तुम पहले से खूबसूरत हो गई हो, ज्यादा हसीन ।" माईक मुस्कुराकर बोला ।
लियू खुशी से खिलखिलाई ।
"जानती हूं ।"
"हमें कभी फुर्सत में मिलना चाहिये । बातें करेंगे औ...।"
"रहने दो माईक, ये नहीं हो सकता ।"
"क्यों ?"
"मुझे चीन के मर्द पसंद हैं । किसी और देश के मर्द अच्छे नहीं लगते ।"
"एक बार दूसरे देशों का स्वाद चख कर भी देखना चाहिये ।"
"स्वाद एक-सा ही होता है ।"
"चख चुकी हो ।"
"चखने की जरूरत नहीं है, ये सब मैं वैसे ही जानती हूं । तुम्हें वो बात सुननी चाहिये, जिसके लिए मैं तुम्हारे पास आई हूं।"
"कहो-कहो, मैं तो कब से तुम्हारे बोलने के इंतजार में हूं ।" माईक ने कॉफी का घूंट भरा ।
"तुम्हारा इंडिया आना क्यों हुआ, मैं जानती हूं ।" लियू बोली ।
माईक की निगाह लियू पर जा टिकी ।
"तुम 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हो और तुली के लिए इंडिया आये हो ।"
"तुम तो सब जानती हो ।"
लियू ने कॉफी का घूंट भरा ।
"मैं ये भी जानती हूं कि तुम 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में जानकारी नहीं पा सके।"
"फिर भी 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी है मुझे ।"
"आधी-अधूरी जानकारी ।"
"हां ।"
"तुली एक बार तुम्हारे हाथ लगा । F.I.A. उसके पीछे थी तो वो तुम्हारे साथ मिल गया । तुम उसे अमेरिका ले गये ताकि वक्त आने पर तुली को 'ऑपरेशन टू किल' का गवाह बनाकर इंडिया के सामने पेश कर सको ।"
"बहुत कुछ जानती हो तुम ।"
"हम एजेन्टों का काम ही यही होता है ।"
"चीन की इस मामले में क्या दिलचस्पी है ?"
"कुछ नहीं ।"
"तो तुम इस मामले में क्या कर रही हो ?"
"कुछ नहीं।" लियू सिर हिलाकर बोली--- "तो तुम तुली को अमेरिका ले गये। वूस्टर उसे छिपाकर रखा । परन्तु उसका इस्तेमाल नहीं कर सके । F.I.A. के एजेन्टों ने वहां पहुंचकर गड़बड़ कर दी। तुली वहां से बचकर भाग निकला। परन्तु C.I.A. ने हालातों का फायदा उठाया और तुली को मरा घोषित करके, खुद चुपके से तुली की तलाश शुरू कर दी ।" माईक के होंठ सिकुड़े ।
"मैंने कुछ गलत कहा ?"
"यही तो हैरानी है कि तुम सही कह रही हो । कब से इन बातों पर तुम लोगों की नजर है ।"
उनकी बात पर ध्यान न देकर लियू ने कहा।
"दो महीने C.I.A. तुली को अमेरिका में ढूंढती रही, परन्तु उसकी कोई खबर नहीं मिली । आखिरकार तुली को फ्लोरिडा एयरपोर्ट पर देखा गया। लेकिन वो C.I.A. की पकड़ में नहीं आया । तुम उसे फ्लोरिडा में ढूंढते रहे। कुछ दिन बाद तुम्हें खबर मिली कि तुली इंडिया में दिखा है तो तुम यहां आ गये ।"
"माईक ने कॉफी का घूंट भरा ।
"तुम्हारी जानकारी पक्की है ।" माईक गम्भीर था ।
"परन्तु अब तुम नहीं जानते कि तुली कहां है ।" लियू बोली ।
"जानने की जरूरत ही नहीं । वो मुझसे मिल लेगा ।"
"कैसे ?"
"उसने एम्बेसी फोन करके मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की है । तभी मैं आया ।"
"तो ये बात है ।"
माईक ने सिर हिलाया ।
"फिर तो मैं यूं ही तुमसे मिली।"
"यूं ही क्यों बता दो कि...।"
"तुली तुमसे मिल रहा है । तो इसके आगे तुमसे कोई भी बात करना ठीक नहीं । मैंने तो सोचा था कि तुम तुली की तलाश करोगे । इसमें तुम्हारी सहायता करना चाहती थी, परन्तु अब मेरी जरूरत नहीं ।"
माईक कुछ कहने लगा कि लियू का फोन बजा ।
लियू ने बात की । दूसरी तरफ शांगली था ।
"तुम एयरपोर्ट के रेस्टोरेंट में C.I.A. माईक के साथ बैठी हो ?" शांगली की आवाज कानों में पड़ी ।
"हां ।" लियू ने माईक पर निगाह मारी ।
"मेरे आदमी तुली पर नजर रखे हुए हैं । उन्होंने मुझे ताजा हालातों की खबर दी । मेरी बात सुनते ही सिर घुमा कर इधर-उधर मत देखना । शांत होकर सुनो । तुली तुम्हारे पास की टेबल पर बूढ़े के मेकअप में बैठा हुआ है । शायद तुम लोगों की बातें भी सुन रहा है । मेरे आदमी उस पर नजर रखे हुए हैं । हमारा तुली से सीधा-सीधा कोई वास्ता नहीं । तुम तुली से उलझने की चेष्ठा जरा भी न करना । मेरी बात समझ रही हो ना कि मैं क्या कह रहा हूं ।"
"समझ रही हूं।"
तुली के पास होने के चक्कर में कुछ भी हो सकता है । तुम इस मामले में लिपट सकती हो जबकि हमें इसमें फंसना नहीं है ।"
"बंद करो फोन । मैं समझ गई...।" कहकर लियू ने फोन बंद कर जेब में रखा ।
माईक की निगाह उस पर थी ।
लियू मुस्कुराई फिर बोली---
"तो तुली तुमसे मिलेगा । ये अच्छी बात है । कोई समस्या आये तो मुझसे फोन पर बात कर लेना ।"
"कैसी समस्या ?"
"तुली के बारे में ।" कहकर लियू ने अपना फोन नम्बर माईक को दिया ।
"तुम जानती हो कि तुली कहां है ?"
"आगे की बातें तब करेंगे, जब वक्त आयेगा ।" लियू उठ खड़ी हुई ।
"तुम कब तक इंडिया में हो ?"
"कह नहीं सकती । लियू पलटी और रेस्टोरेंट से बाहर निकलती चली गई। उसने एक बार भी सीधे तौर पर बूढ़े के रूप में बैठे तुली की तरफ नहीं देखा था।
माईक उलझन भरी निगाहों से उसे जाता देखता रहा । लियू के व्यवहार ने उलझन और बढ़ा दी थी । वो उसे तुली के बारे में बताना चाहती थी, ये तो पक्का था, परन्तु ये जानते ही की तुली स्वयं मुझसे मिलने की कोशिश में है लियू ने बात करना बंद कर दिया और उठ कर चली गई ।
माईक उठा और एयरबैग कंधे पर डाले रेस्टोरेंट से बाहर निकल गया ।
तुली वहीं बैठा रहा । उसने लियू और माईक की बातें सुनी थी, परन्तु उन बातों से वो खास नहीं समझ सका था । इतना तो जाना कि माईक उसी से मिलने आया है और वो युवती चीनी जासूस है ।
■■■
सैवन इलैवन एयरपोर्ट से ही लियू के पीछे लग गया था ।
लियू वहां से सीधा अपने होटल पहुंची । होटल पहुंचकर नहा-धोकर कपड़े चेंज किए तो रात के दस बज रहे थे । लियू ने रूम सर्विस को डिनर और का ऑर्डर दिया और कुर्सी पर आ बैठी ।
सोचों मे थी लियू ।
बीस मिनट बाद ही कमरे के दरवाजे थपथपाया गया ।
"कौन ?" लियू दरवाजे के पास पहुंची ।
"वेटर । डिनर लाया हूं मैडम ।"
लियू ने सतर्क भाव से दरवाजा खोला ।
बाहर खाने की ट्रॉली लिए वेटर ही था ।
लियू दरवाजे से हटकर कमरे के भीतर आ गई ।
वेटर बना था वो सैवन इलैवन था ।
शरीर पर वेटर के कपड़े थे । सिर पर कैप वेटर वाली । वो ट्रॉली को धकेलता कमरे में आया और खाने का सामान टेबल पर रखते हुए लियू पर नजर मारी।
लियू अपनी उलझनों में उलझी थी ।
तभी लियू का फोन बजा । उसने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया ।
"हैलो ।"
"फुर्सत में हो ?"
"हां शांगली । होटल के कमरे में हूं ।"
"माईक के साथ क्या बात हुई ?"
"तुम्हारा फोन सुनने के बाद मैं उठ आई थी ।" लियू बोली ।
"तुली ?"
"मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं । उसे शक नहीं होने दिया कि मैं उसकी मौजूदगी के बारे में जान गई हूं ।"
"वो वहां पहुंचा कैसे ?"
"मैं नहीं जानती कि तुली वहां कैसे पहुंचा, परन्तु बूढ़े के मेकअप में था, इसी से स्पष्ट है कि उसे माईक के इंडिया आने की जानकारी थी। ये भी हो सकता है कि वो एयरपोर्ट पर माईक से मिलने ही आया हो ।"
सैवन इलैवन के कान बातों पर ही थे ।
"माईक को तुमने तुली के बारे में क्या बताया ?" उधर से शांगली ने पूछा ।
"कुछ नहीं । वो कहता है कि तुली ने एम्बेसी फोन करके उधर उससे मिलने की इच्छा जाहिर की । जब ये बात माईक को पता चली तो वो इंडिया आ गया । यानी कि तुली, माईक से खुद ही मिलेगा।"
"तो ये बात है ।"
"मैंने माईक को अपना नम्बर दे दिया है कि तुली से मिलने में समस्या आये तो मुझे फोन करें ।
"जो भी हो, हम तो ये चाहते हैं कि तुली माईक से मिल जाये और इंडिया के खिलाफ नया मामला अमेरिका खड़ा कर दे ।"
"डिनर करना हो तो आ जाओ ।" लियू बोली ।
"मैं ले चुका हूं, तुम कब तक रहोगी ?"
"अभी तो दो-तीन दिन मैं माईक के फोन का इंतजार करूंगी । माईक पर नजर रखी जा रही है ?"
"हां । माईक पर भी, तुली पर भी । सब कुछ हमारी नजरों के सामने है।"
"ठीक है शांगली, फिर बात करेंगे ।" कह कर लियू ने फोन बंद किया और बैड की तरफ उछाल दिया ।
तब तक सैवन इलैवन सारा सामान टेबल पर लगा चुका था ।
"मैडम कुछ और चाहिये तो रूम सर्विस में कह दीजियेगा ।" सैवन इलैवन कह उठा ।
"श्योर ।" लियू ने सैवन इलैवन के चेहरे पर नजर मारी--- "मैं यहां अक्सर आती हूं, परंतु तुम्हें पहले नहीं देखा ।"
"नया आया हूं मैडम ।" सैवन इलैवन ने मुस्कुरा कर कहा ।
"तुम्हारी आंखें बहुत शानदार हैं ।"
"थैंक्यू मैडम ।" सैवन इलैवन बोला और ट्रॉली को धकेलता कमरे से बाहर निकल गया ।
लियू ने दरवाजा बंद किया और खाने की टेबल की तरफ बढ़ गई।
■■■
सैवन इलैवन गैलरी में कुछ आगे बढ़ गया तो वहां खड़ा एक वेटर दिखा । जो कि फौरन पास आ गया । उसके हाथ से ट्रॉली थामते हुए धीमे स्वर में कह उठा---
"सब कुछ ठीक है साब जी ?"
"हां ।" सैवन इलैवन ने उसे हजार का नोट थमाया--- "मैडम का जो भी आर्डर हो, बता देना, मैं जाऊंगा ।"
"पैसा और मिलेगा ?" दांत फाड़कर बोला ।
"जरूर मिलेगा ।" सैवन इलैवन मुस्कुराया।
"आप उसी स्टाफ रूम में बैठ जाइये, मैडम का कोई आर्डर हुआ तो मैं बता दूंगा । कोई आपके बारे में पूछे तो कह देना कि रामू के रिश्ते के भाई हो ।"
सैवन इलैवन स्टाफ रूम में जा पहुंचा । जो कि छोटा-सा कमरा था । वहां सोफे और कुर्सियां रखी हुई थी । उसने फोन निकाला और भट्ट का नम्बर मिलाने लगा। बात हो गई ।
"माईक किधर गया एयरपोर्ट से ?" सैवन इलैवन ने पूछा ।
"एम्बेसी । इसके बाद बाहर नहीं निकला । अजीत और मौली वहां नजर रख रहे हैं ।" भट्ट की आवाज कानों में पड़ी।
"नई खबर ?"
"नहीं, अभी तक तो सब ठीक है ।"
"अजीत और मौली को समझा दिया है कि तुली माईक को मिल सकता है ?"
"समझा दिया है उन्हें । उन दोनों की मुलाकात हुई तो पता चल जायेगा । चीनी लियू के बारे में बताओगे ?"
"वो होटल में ठहरी है । मैं उस पर नजर रख रहा हूं । जब लियू और तुली एयरपोर्ट के रेस्टोरेंट्स में बात कर रहे थे, तुमने देखा था ।
"हां ।"
"उनके पीछे वाली टेबल पर एक बूढ़ा बैठा था ।"
"बूढ़ा--- शायद बैठा था-क्यों ?"
"वो तुली था।"
"क्या?" भट्ट का हैरानी भरा स्वर कानों में पड़ा ।
"मुझे भी ये बात लियू पर नजर रखने के दौरान पता चला । वो शांगली नाम के आदमी से बात कर रही थी तो मैंने ये जाना । कि मेरे ख्याल में तब लियू को फोन आया था, शांगली ने यही बताने के लिए किया था कि वो बूढ़ा तुली है ।"
"नई बात पता चली।"
"एक बात और है भट्ट ।" सैवन इलैवन कह उठा--- "मुझे लगता है कि लियू जानती है कि तुली कहां है ।"
"जानती है ?"
"हां । वो माईक को तुली के बारे में ही बताना चाहती है ।"
"क्यों ?"
"ताकि 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में अमेरिका, इंडिया के सामने सवाल रखे। दोनों देशों के संबंधों में खटास पैदा हो जाये ।"
"ये ही बात होगी ।"
"बंद कर रहा हूं, बाद में फोन करेंगे ।" सैवन इलैवन ने कहा--- "माईक की तरफ से चूकना नहीं ।"
"वो हमारी नजर में है।"
"और R.D.X. ?"
"वो इस वीरान जगह पर बने पुराने मकान में हैं, साहू उन पर नजर रखे हुए हैं ।"
"ठीक है ।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद कर दिया ।
■■■
आधे घंटे बाद वेटर कॉफी की ट्रे थामे, सैवन इलैवन के पास पहुंचा ।
"मैडम का कॉफी का आर्डर है । तुम जाओ ।"
सैवन इलैवन उठा और उसके हाथ से ट्रे थामते हुए हजार का नोट उसे दिया ।
"तुम जाओ ।" सैवन इलैवन बोला--- "इसके बाद मैं चला जाऊंगा ।"
"ठीक है ।" वो वेटर नोट थामें चला गया ।
सैवन इलैवन वेटर की वर्दी में ट्रे थामें वहां से निकला और आगे बढ़ गया ।
रात के ग्यारह बज रहे थे । होटल में शांति थी ।
सैवन इलैवन दरवाजे पर पहुंचकर ठिठका और दरवाजा थपथपाया ।
"कौन ?" भीतर से लियू की आवाज आई ।
"वेटर, कॉफी मैडम ।" सैवन इलैवन ने सहज स्वर में कहा ।
फौरन ही दरवाजा खुला लियू दिखी।
सैवन इलैवन मुस्कुराया।
"ले आओ " लियू पीछे हटती कह उठी ।
सैवन इलैवन ने ट्रे थामे भीतर प्रवेश किया और आगे बढ़कर ट्रे को सेंटर टेबल पर रखा ।
लियू अभी तक उसके जाने के इंतजार में दरवाजे पर खड़ी थी ।
सैवन इलैवन वापस दरवाजे पर पहुंचा ।
"गुड नाईट मैडम ।"
"गुड नाईट ।"
"सैवन इलैवन आगे बढ़ा, जैसे कि वो दरवाजे से बाहर निकलने जा रहा हो, परन्तु ही पल फुर्ती से खुले दरवाजे को बंद करके पलटा। लियू चिहुंक उठी, उसकी इस हरकत पर । वो फौरन अपने बैड की तरफ झपटी।
सैवन इलैवन चीते की भांति दौड़ा और उस पर छलांग लगा दी।
परन्तु लियू सतर्क थी ।
लियू ने उसी क्षण दूसरी तरफ छलांग लगा दी । वो कुर्सी से टकराई और नीचे गिरने के साथ ही संभली और खड़ी हो गई । सैवन इलैवन को देखा । जो कि अब लड़खड़ाने के बाद संभल चुका था ।
दोनों ने एक-दूसरे को देखा ।
लियू के चेहरे पर खतरनाक भाव नाच रहे थे ।
सैवन इलैवन ने जेब से रिवॉल्वर निकाल ली । लियू सतर्क हो उठी।
"कौन हो, तुम ?" लियू भिंचे स्वर में कह उठी---
"सैवन इलैवन ।"
"F.I.A. के स्पेशल एजेन्ट ?" लियू के होंठों से निकला ।
"ठीक समझी ।"
"तो यह हमारी पहली मुलाकात है ।" लियू ने उसके हाथ में दबी रिवॉल्वर को देखा ।
सैवन इलैवन की कठोर निगाह लियू पर थी ।
"क्या चाहते हो ?"
"तुम एयरपोर्ट पर C.I.A. एजेन्ट माईक से मिली।"
"तो एयरपोर्ट से ही मेरे पीछे हो तुम ?"
"माईक से मिलने की क्या वजह है ?"
"नहीं बता सकती ।"
"मैं सब कुछ जानता हूं, लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं ।"
"मैं तुम्हें कुछ नहीं बताने वाली ।"
"मेरे हाथ में रिवॉल्वर है, ये मत भूलो । मैं तुम्हें शूट कर सकता हूं ।" सैवन इलैवन गुर्राया ।
"इन धमकियों का कोई फायदा नहीं होगा ।"
"हूं । ठीक है ।" सैवन इलैवन लियू को घूरता कह उठा---
"तुम माईक को तुली का ठिकाना बताने को व्याकुल हो । तुम चाहती हो कि अमेरिका को 'ऑपरेशन टू किल के बारे में सब कुछ पता चले । तुली अमेरिका की तरफ से गवाही दे सारे मामले की और इंडिया-अमेरिका के संबंधों में दरार पैदा हो । तुमने खामखाह इस मामले में दखल दे दिया।"
लियू खामोश रही ।
सतर्क थी वो ।
बचने का रास्ता तलाश रही थी ।
"मुझे बताओ कि तुली कहां पर है ?"
"ताकि उसे मार सको ।
"मुझे उसका पता बताओ ।"
"कभी नहीं ।" लियू बेहद सतर्क थी ।
"तुम बच नहीं सकती । या तो तुम्हें तुली का ठिकाना बताना होगा या मरना होगा ।" सैवन इलैवन मौत के स्वर में बोला ।
"तुम मुझे नहीं मार सकते । लियू उसकी बिल्लोरी आंखों में देखती कह उठी ।
"क्यों नहीं ?"
"क्योंकि मुझ जैसी खूबसूरत के साथ तुम प्यार करना जरूर चाहोगे ।" लियू मुस्कुरा पड़ी ।
सैवन इलैवन चेहरे पर विषैले भाव समेटे उसकी तरफ बढ़ने लगा ।
लियू उसे देखे जा रही थी ।
दोनों एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे।
सैवन इलैवन उसके पास पहुंचकर ठिठका और रिवॉल्वर की नाल उसके पेट से सटा दी ।
"मेरी आंखें तुम्हें पसंद हैं।" सैवन इलैवन बोला ।
"बहुत ।"
"मैं भी औरत का रसिया हूं । खासतौर से तुम जैसी खूबसूरत औरत का ।
"तो फिर सोचते क्या हो । मन भी है, इच्छा भी है और मौका भी । रिवॉल्वर हटाओ बीच से ।" लियू कातिलाना ढंग से मुस्कुराई ।
"इतना भी रसिया नहीं हूं कि अपना फर्ज भूल जाऊं ।" सैवन इलैवन कड़वे स्वर में कह उठा ।
"बेवकूफी वाली बातें मत करो सैवन इलैवन । मैं हर किसी के लिये तैयार नहीं होती । तुम किस्मत वाले हो कि मैं तैयार हूं ।"
"मैं किस्मत वाला बना रहना चाहता हूं ।"
"तो देर किस बात की है ?"
"पहले तुली का ठिकाना बता दो कि वो कहां मिलेगा ।"
सैवन इलैवन ने उसकी आंखों में झांका--- "उसके बाद हम दोनों पक्के दोस्त बन जायेंगे । मैं तुमसे मिलने चीन आया करूंगा ।"
लियू खुलकर मुस्कुराई ।
"अब मैं समझ गई ।"
"क्या ?"
"तुम पक्के हरामी हो ।"
"तो तुम कौन सी कम...।"
बस यहीं सैवन इलैवन थोड़ा चूक गया ।
लियू ने बिजली की-सी तेजी से अपने पेट में सटी रिवॉल्वर की नाल पर दोनों हाथ मारे और रिवॉल्वर वाला हाथ नीचे धकेलते चली गई । इस क्रम में सैवन इलैवन का शरीर भी थोड़ा झुका तो सिर का वार लियू ने उसके गाल पर किया ।
सैवन इलैवन की ट्रेगर पर रखी उंगली दबी ।
परन्तु रिवॉल्वर वाला हाथ नीचे होने की वजह से गोली फर्श पर जा लगी ।
मात्र दो सेकिंड में ये सब हो गया ।
तभी लियू ने उसका रिवॉल्वर वाला हाथ छोड़ा और उसकी टांगों को पकड़कर तीव्र झटका दिया।
सैवन इलैवन के दोनों पैर उखड़ गये । वो पीछे को नीचे गिरा । कोहनी फर्श से टकराने की वजह से रिवॉल्वर हाथ से निकल कर दूर जा गिरी।
"फिर मिलेंगे । लियू ने कहा और दरवाजे की तरफ दौड़ी और दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ भागती चली गई । गोली की आवाज सुनकर आस-पास के कमरों में ठहरे लोग बाहर आ खड़े हुए थे ।
सैवन इलैवन फुर्ती से उठा । पास ही गिरी रिवॉल्वर थामी । दरवाजे पर पहुंचा ।
परन्तु लियू कहीं न दिखी ।
सैवन इलैवन समझ गया लियू उसके हाथ से निकल गई है ।
■■■
धर्मा रात के ग्यारह बजे वापस आया । टैक्सी उसने दूर ही छोड़ दी थी । पैदल ही वीराने में बने उस मकान पर था । साह ओट में छिपा, मकान की निगरानी कर रहा था । उसने दूर से आते धर्मा को देख लिया था । जब धर्मा मकान के भीतर प्रवेश कर गया । दरवाजा बंद हो गया तो साह दबे पांच अपनी जगह से निकला और मकान की एक खिड़की पर उसने कान लगा दिए, जहां भीतर रोशनी की और भीतर की बातें वो आसानी से सुन पा रहा था ।
एक्स्ट्रा और राघव धर्मा के इंतजार में जाग रहे थे ।
धर्मा के आने पर तीनों की बात हुई ।
"इतनी देर कहां लगा दी ?" एक्स्ट्रा ने पूछा ।
"तुली के बारे में एक पुलिस वाले से कुछ पता लगा ।" धर्मा ने बैठते हुए कहा ।
"क्या ?" राघव ने उसे देखा ।
"दो-ढाई हफ्ते पहले तुली के परिवार को किसी ने गोलियों से भून दिया ।"
"क्या कहते हो ?"
"ये सच है ।" धर्मा ने गम्भीर स्वर में कहा--- "पुलिस ने हत्यारों के बारे में जानने की पूरी चेष्टा की, परन्तु उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिला । तुली का बारह बरस का बेटा बंटी उस वक्त पड़ोस में खेल रहा था । वो बच गया। घटना के बाद उसे देखा गया परन्तु एकाएक ही वो लापता हो गया । कहां गया, किसी को पता नहीं चला । पुलिस का ख्याल है कि उस वक्त लगी भीड़ में से किसी ने बंटी को उठा लिया । उसके बाद से बंटी का भी कुछ पता नहीं।"
R.D.X. की नजरें मिलीं।
"तो ये बात है ।" एक्स्ट्रा कह उठा--- "तुली के सामने आने की वजह उसके परिवार का मारा जाना बेटे का लापता होना है ।"
इन हालातों में तुली क्या, कोई भी छिपा नहीं रह सकता ।" राघव ने कहा ।
"तुली कर क्या रहा है मुम्बई में?"
"वो अपने परिवार के हत्यारों को ढूंढ रहा होगा । अपने बेटे को ढूंढ रहा होगा ।" धर्मा बोला ।
"वो है कहां ?"
"ये नहीं पता ।"
"उसके परिवार को किसने मारा होगा ?"
"F.I.A. ने ?"
"नही ।" एक्स्ट्रा ने सिर हिलाया--- "F.I.A ये काम किसी भी कीमत पर नहीं करेगी ।"
"फिर तो C.I.A ने किया होगा ।"
"क्योंकि तुली वूस्टर में C.I.A के शिकंजे से निकलकर गया था । हमने उसे भगा दिया था । तुली की लाश के बदले C.I.A के एजेन्ट की ही लाश डाली थी । परन्तु हो सकता है कि C.I.A ये जान गई होगी कि वो लाश तुली की नहीं है । तुली बच निकला है । ऐसी में तुली को सामने लाने के लिये C.I.A ने उसके परिवार को खत्म कर दिया कि तुली जहां भी होगा, सामने आयेगा ।"
R.D.X. की नजरें मिलीं।
कुछ पल उनके बीच चुप्पी रही फिर एक्स्ट्रा कह उठा।
"राघव की बात में दम है ।"
"हां । इस बात पर गौर किया जा सकता है । धर्मा ने गम्भीर स्वर में कहा ।"
"अब हम क्या करें ?" राघव बोला--- "सैवन इलैवन से क्या कहें कि...।"
"हमें सिर्फ तुली के बारे में सोचना है । उसे ढूंढना है । तुली के साथ ज्यादती हो रही है । पहले भी और अब भी ।"
"F.I.A. हमारा शिकार कर सकती है ।"
"जरूर कर सकती है, परन्तु अब हमें डर कर नहीं रहना है । सैवन इलैवन भी गलत है जो...।"
"सैवन इलैवन ठीक है अपनी जगह पर । तुली C.I.A. से मिल गया तो F.I.A. उसे क्यों नहीं खत्म करवाना चाहेगी ?"
"F.I.A. की हरकतों से ही तुली ऐसा करने पर मजबूर हुआ था।"
"हमें सबसे पहले तुली से बात करनी है । उसे ढूंढना है । किसी तरह तुली की खबर पानी है ।"
"कल सुबह से ये ही काम करेंगे ।"
"साह अपनी जगह से हिला और दबे पांव खिड़की से दूर होकर अंधेरे में पहुंचा और फोन निकालकर भट्ट का नम्बर मिलाने लगा । एक ही बार में फोन लग गया । कानों में भट्ट की आवाज पड़ी ।
"बोल साह ।"
"नई बात पता नहीं है । मैंने खिड़की से R.D.X. की बातें सुनी है ।" साह ने कहा ।
"क्या ?"
"R.D.X. ने तुली को वूस्टर में मारा नही था । वहां से भगा दिया था ।
"आगे ?"
"R.D.X. को तुली के इंडिया आने की कोई जानकारी नहीं है। अब वे तुली की तलाश में हैं। तुली से मिलकर उससे बात करना चाहते हैं । उसे मारने का उनका कोई इरादा नहीं है।" साह ने बताया।
"तू वहीं रह। उन पर नजर रख । सुबह तेरी जगह लेने के लिये नसीम को भेज रहा हूं ।"
■■■
आधी रात का वक़्त था जब तुली का फोन बजा ।
तुली उसी होटल के कमरे में था । कुछ पहले ही वो नींद में डूबा था । बैल होते ही फौरन उसकी आंखें खुलीं । उसने स्क्रीन पर आया नम्बर देखा । नया नम्बर था कोई ।
"हैलो ।" तुली ने कॉलिंग स्विच दबाकर बात की ।
"तुली ?" उधर से कहा गया ।
तुली की आंखें सिकुड़ी । ये नई आवाज थी ।
"कौन हो तुम ?"
"तुम मुझे नहीं जानते ।"
"हां, नहीं जानता।"
"लेकिन मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानता हूं ।" 'ऑपरेशन टू किल' से लेकर तुम्हारे परिवार के मरने तक ।"
"कौन हो तुम ?"
"ये बात तुम्हें नहीं बता सकता ।"
"क्या चाहते हो ?"
"मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि तुम्हारे परिवार को किसने मारा ।" शांत आवाज तुली के कानों में पड़ी ।
"किसने मारा ?"
"लेकिन तुम्हें ये बताने का मुझे क्या फायदा होगा ?"
"तुम क्या फायदा चाहते हो ?"
"ये तो मैंने सोचा ही नहीं ।" आवाज पुनः कानों में पड़ी ।
"तुम जो कहोगे, मैं करूंगा । मुझे बताओ कि मेरे परिवार को किसने मारा ?" तुली के होंठों से गुर्राहट निकली ।
"ऐसे नहीं। एक हाथ देकर एक हाथ ले । उधार में मुझे यकीन नहीं ।"
"अपनी डिमांड बताओ ।"
"सोचकर, कल सुबह फोन करूंगा तुम्हें ।"
"तुम्हें मेरा नम्बर कहां से मिला ?"
"मेरे लिए ये मामूली काम है।"
"अपना नाम बता...।"
"तुम्हें काम की तरफ ध्यान देना चाहिये । मेरे में दिलचस्पी मत लो । मेरा फोन नम्बर तुम्हारे फोन में आ गया है । परन्तु मुझे फोन करने की तकलीफ मत करना । मैं ही कल तुम्हें फोन करूंगा । शुभरात्रि ।" इसके साथ ही उधर से फोन बंद कर दिया गया ।
तुली हाथ में फोन थामे बैठा रहा । बातें उसके दिमाग में घूमती रहीं ।
तो कोई उसे बताने वाला है कि उसके परिवार को किसने मारा ?
"ये बड़ी बात थी तुली के लिये।
परन्तु बदले में कुछ चाहता भी था। अपनी डिमांड बताने के लिए वो कल फोन करेगा । तुली के मन में ख्याल आया कि बंटी के बारे में तो उसने पूछा नहीं कि, उसकी कोई खबर उसके पास है या नहीं ?
बंटी के बारे में उससे कल बात करेगा ।
■■■
अगले दिन लियू की आंख खुली तो सुबह के नौ बज रहे थे ।
लियू की निगाह सामने बैठे शांगली पर पड़ी ।
"तुम कब आये शांगली ?" लियू ने पूछा ।
"गुड मॉर्निंग ।" शांगली बोला--- "आधा घंटा हुआ । तुम गहरी नींद में थी । रात मुझे फोन कर दिया होता ।"
"जरूरत नहीं पड़ी । मैं आसानी से तुम्हारे चाईना बाजार के ऊपरी मंजिल पर आ गई । ये कमरा बढ़िया है । बैड भी बढ़िया रहा ।
"हुआ क्या ?"
"F.I.A. का स्पेशल एजेन्ट सैवन इलैवन शाम को एयरपोर्ट से ही मेरे पीछे था ।"
"एयरपोर्ट से ?"
"हां ।"
"उसे कैसे पता चला कि तुम एयरपोर्ट पर जाओगी ।" शांगली ने फोन निकाला और नम्बर मिलाने लगा।
"मेरे बारे में उसे खबर नहीं मिल सकती । वो शायद माईक के लिए वहां गया होगा कि मुझे देख लिया माईक से मिलते ।"
"हां, वहीं से वो तुम्हारे पीछे लगा होगा ।" इसके बाद शांगली ने फोन पर कहा--- "दो कॉफी लाओ ।"
"उसके बाद होटल में उसने वेटर बनकर मुझे अटेंड किया । जब तुम्हारा फोन आया तो वो डिनर लेकर आया था । उसने मेरी फोन पर हुई बातें सुनकर जाना कि मैं तुली का पता जानती हूं । डिनर के बाद जब कॉफी मंगाई तो आते ही उसने रिवॉल्वर निकाल लिया और तुली के बारे में पूछने लगा।"
"तो ये बात रही ।"शांगली ने सिर हिलाया--- "खैर होटल से तुम्हारा सामान मेरा आदमी दे आया है । रात गोली चलने की वजह से पुलिस आई । कमरा पुलिस ने सील कर दिया । मेरा आदमी खिड़की के रास्ते जाकर तुम्हारा सामान ले आया ।"
"ये अच्छा किया।"
"सैवन इलैवन के बारे में सुना तो है, लेकिन तुम्हें कैसा लगा वो ?"
"एकदम खतरनाक । इरादे का पक्का ।"
"जासूस ऐसे ही होते हैं ।" शांगली मुस्कुरा पड़ा ।
"उसने मुझे फोन पर शांगली कहते भी सुना ।"
"उससे कोई फर्क नहीं पड़ता ।" शांगली ने लापरवाही से कहा--- "शांगली कोई भी हो सकता है ।"
"तुली का क्या रहा ?"
"वो कल शाम एयरपोर्ट से अपने होटल गया था । वहीं रहा । मेरे आदमी उन पर नजर रख रहे हैं ।"
"तुली जान गया है कि माईक आ गया है । वो अब माईक से मिलेगा।"
"यही तो हम चाहते हैं ।" शांगली मुस्कुराया ।
"हो सकता है, वो दोनों आज ही मिल लें ।"
तभी एक आदमी ट्रे में दो कॉफी के प्याले ले आया । दोनों को एक-एक प्याला देकर वो आदमी चला गया ।
लियू घूंट भरने के बाद बोली---
"जब माईक और तुली के मिलने की खबर आ जाये तो बता देना । तब मैं वापस चीन चली जाऊंगी।"
तुली पर नजर रखने वाले आदमी हर वक्त मेरे संपर्क में हैं । माईक से मिलते ही ये खबर मुझ तक पहुंच जायेगी ।" शांगली बोला--- "कहो तो सैवन इलैवन के बारे में पता करू कि...।"
"जरूरत नहीं है । मैं यहां झगड़ा करने नहीं आई । मेरा काम माईक और तुली को आपस में मिलाना है । सैवन इलैवन को भूल जाओ ।"
■■■
R.D.X. तैयार थे बाहर जाने को । दस बज रहे थे । उन्होंने तुली की तलाश करनी थी ।
तभी बंद दरवाजे पर थाप पड़ी ।
तीनों की निगाह दरवाजे की तरफ उठी । फिर आपस में नजरें मिलीं।
राघव दरवाजे के पास जा पहुंचा । रिवॉल्वर हाथ में ली और बोला---
"कौन है ?"
"सैवन इलैवन ।" बाहर से सैवन इलैवन की आवाज आई ।
राघव के होंठ भिंच गये रिवॉल्वर उसने जेब में डाली और दरवाजा खोला ।
सामने सैवन इलैवन खड़ा था ।
"तुम्हारे यहां पहुंचने पर मुझे हैरानी हुई ।" राघव गहरी सांस लेकर कह उठा ।
"कल, मुझसे मिलने के बाद से ही तुम तीनों मेरे लोगों की नजरों में हो ।" सैवन इलैवन बोला
"F.I.A. के लोग ।"
"हां।"
"ये तो गलत बात हुई।
"तुम लोगों ने कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हें आजाद छोड़ दूंगा । एक बार तुमसे धोखा खा गया, दूसरी बार नहीं खाऊंगा ।" सैवन इलैवन ने कहा और राघव को कंधे से पकड़कर एक तरफ करते हुए भीतर प्रवेश कर आया ।
"हमने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया।"
"रात मेरे आदमी ने तुम्हारी बातें सुन ली थीं । वो बातें मुझ तक पहुंच चुकी है ।" सैवन इलैवन ने कहा--- "तुम लोग आज से तुली को ढूंढना शुरू कर रहे हो, ताकि उससे बात कर सको । कल ही तुम लोगों को उसके परिवार के मरने के बारे में पता चला ।
R.D.X. समझ गये कि सैवन इलैवन यूं ही बातें नहीं फेंक रहा । इसे सब पता चल चुका है ।
राघव ने सिगरेट सुलगाई ।
"तुली अपने परिवार की मौत की वजह से सामने आया ।" धर्मा बोला ।
"जानता हूं ।"
"किसने मारा उसके परिवार को ?"
"पता नहीं चल सका ।" सैवन इलैवन ने कहा ।
"उसका बेटा बंटी कहां चला गया ?"
"नहीं मालूम ।"
तुली के खिलाफ ये सब काम F.I.A. भी तो कर सकती है ।"
"F.I.A. ने ऐसा कुछ नहीं किया ।
"तुम जानते हो कि मैं तुम्हारी बात मान लूं।
"माननी पड़ेगी । F.I.A. ऐसे घटिया कामों को अंजाम नहीं देती । ये समस्या है । अपनी जिम्मेदारी समझती है ।" सैवन इलैवन ने तीनों को देखा--- "अब मुझे बताओ कि वूस्टर में तुम लोगों ने तुली को जिन्दा क्यों छोड़ा ?"
"क्योंकि हमारी नजरों में तुली को मारना गलत था ।" राघव बोला ।
"ये फैसला करने वाले तुम लोग कौन होते हो ?"
"हम तुली को मारने के लिए भेजे गये थे । इसलिए हमें फैसला लेना पड़ा कि तुली को मारना गलत है ।"
"हम में ये बात तय हुई थी कि तुली को मारोगे तो F.I.A. तुम लोगों की जान बख्श देगी ।"
"F.I.A. ने गुंडागर्दी की हमसे...जो...।"
"F.I.A. ने नहीं--- तुमने सैवन इलैवन । तुमने बिना वजह पर हम पर दबाव बनाया था ।
"मैंने तुम लोगों को F.I.A. के कहर से बचाया था।"
"पहले खामखाह कहर पैदा किया और फिर कहर से बचाया ।" एक्स्ट्रा ने कहा--- "देश के सच्चे सपूत बन गये तुम तो ।"
"अभी तो अपनी गलती सुधारने का मौका है तुम्हारे पास ।"
"कि हम तुली को मार दें ।"
"बिल्कुल सही ।"
"हमारी नजरों में वो निर्दोष है । तुली के बारे में F.I.A. भी गलत परस्त बन गई है । पहले तुली से 'ऑपरेशन टू किल' नाम का मिशन पूरा कराया फिर इस डर से कि भेद न खुल जाये तो अमेरिका के सामने, तुली को ही मार देना चाहा ।
"ये फैसला F.I.A. के ऑफिसरों का था ।"
"वो गलत थे ।"
"हो सकता है वो गलत हो, तुली ने C.I.A.का हाथ थाम लिया तो ।"
"F.I.A. से परेशान होकर तुली ने C.I.A.का हाथ थामा । उसकी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते ।"
"आज की तारीख में F.I.A. सही है कि तुली को खत्म...।"
"F.I.A. गलत है । क्योंकि तुली ने अभी तक C.I.A.को कुछ नहीं बताया।"
"तुम कैसे कह सकते हो...?"
"हमारी बात पर विश्वास करो । हम सही कह रहे हैं । उस रात के बाद तुली कहीं छिप गया था । फिर उसे अपने परिवार की मौत का पता चला तो सामने आ गया । तुम देखना उसकी खबर पाते ही माईक इंडिया आ जायेगा ।"
"वो कल शाम आ पहुंचा है ।" सैवन इलैवन ने कहा ।
"ओह ।"
तभी सैवन इलैवन का फोन बजा ।
दूसरी तरफ भट्ट था । बात हुई ।
"शांगली का मैंने पता लगा लिया है । वो चाइना बाजार का मालिक है और बीस-पच्चीस सालों से मुम्बई में ही है । पूछताछ करके पता चला कि कल दोपहर में लियू के हुलिये वाली युवती शांगली से मिलने आई थी । चाईना बाजार में ।"
"तो शांगली चीनी एजेन्ट है ।"
"पक्का।"
"लियू अभी उसके पास ही कहीं होनी चाहिये ।"
"मैंने पता करने की चेष्टा की, परन्तु अभी सफलता नहीं मिली ।"
"अपने काम में लगे रहो । पता करते रहो ।" सैवन इलैवन ने कहकर फोन बंद किया और R.D.X. पर निगाह मारकर बोला--- "तुम लोगों को तुली की तलाश है, मैं तुली तक पहुंचने का रास्ता बता सकता हूं ।"
"कैसा रास्ता ?"
"तुम हमें रास्ता क्यों बता रहे हो ?"
"इसलिए कि इस बार तुली को पक्के तौर पर खत्म कर सको ।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में कहा ।
"ये नहीं हो सकता ।"
"ये होगा ।" सैवन इलैवन का स्वर कठोर हो गया--- "अगर जिंदा रहना चाहते हो तो, वरना F.I.A. तुम्हें...।"
"तुम हमें धमकी दे रहे हो...।"
"नहीं । सच्चाई सामने रख रहा हूं ।"
तभी धर्मा ने रिवॉल्वर निकाली और सैवन इलैवन की तरफ कर दी ।
राघव और एक्सट्रा चौंके।
सैवन इलैवन कि बिल्लोरी निगाह धर्मा पर जा टिकीं।
धर्मा का चेहरा क्रोध से लाल हो रहा था ।
"सच्चाई ये भी है कि अब तुम मरने जा रहे हो सैवन इलैवन ।"
"तुम मुझे नहीं मार सकते ।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में बोला ।
"क्यों ?"
"बाहर मेरे आदमी हैं ।"
"वो भी मरेंगे ।" धर्मा ने शब्दों को चबाकर कहा--- "मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा । तुम हमें F.I.A. का डर दिखाकर, हमें ब्लैकमेल करके हमारे हाथों तुली को मरवाना चाहते हो । हम तुम से डरेंगे नहीं ।"
"मुझसे नहीं, तुम तीनों को F.I.A. से डरना होगा ।"
"कभी नहीं।"
"तभी एक्स्ट्रा आगे बढ़ा और धर्मा का रिवॉल्वर वाला हाथ नीचे करके, सैवन इलैवन से बोला---
"तुम यहां से चले जाओ सैवन इलैवन । अब हम F.I.A. से दबने वाले नहीं।"
"बेशक मैं जा रहा हूं । परन्तु तुली के बारे में जान लो । बाद में फैसला करते रहना कि क्या करना है ?"
R.D.X. की निगाह सैवन इलैवन पर थी ।
"शांगली का चीनी एजेन्ट अंबेडकर नगर में चीनी बाजार चलाता है। लियू नाम की चीनी एजेन्ट, इन दिनों मुम्बई में है । लियू को उसने ही अपने पास कल रात में कहीं छिपा रखा है । लियू या फिर शांगली भी दोनों ही ये बात जानते हैं कि तुली इस वक्त कहां पर है । उनका इरादा, C.I.A. एजेन्ट माईक को, तुली के बारे में बताने का है । ताकि C.I.A.और तुली एक हो जाएं। अमेरिकन विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या के बारे में तुली गवाही दे दे कि इंडियन खुफिया एजेन्सी ने उसकी हत्या करवाई थी।"
R.D.X. की नजरें सैवन इलैवन पर थीं।
"शांगली से या लियू से, किसी से तुली के बारे में जानकर, उस तक तुम लोग पहुंच सकते हो ।" सैवन इलैवन बोला ।
धर्मा ने होंठ भींचे, मुंह घुमाया और रिवॉल्वर जेब में रख ली ।
"तुम क्यों नहीं, उनसे तुली के बारे में जान लेते ?" राघव बोला ।
"तुम लोग हो तो, मेरे आगे आने की क्या जरूरत है ।"
सैवन इलैवन मुस्कुराया ।
"तुम्हारा क्या ख्याल है कि हम तुम्हारे लिये तुली को मार देंगे ?"
"नहीं मारोगे ।"
"किसी भी हाल में नहीं ।"
"तो तुली से मिलकर क्या करोगे ?"
"हम उसे मुसीबत से निकालने की कोशिश करेंगे। F.I.A. ने उसे खामखाह फंसाया है ।"
तुली का साथ देकर F.I.A. को अपना दुश्मन बना रहे हो तुम तीनों ।"
"इस बार F.I.A. अपना डंडा हम पर नहीं चला सकेगी ।"
" F.I.A. का मुकाबला कोई नहीं कर सकता । बचना चाहते हो तो तुली को खत्म करना ही पड़ेगा।" सैवन इलैवन ने कहा और पलट कर बाहर निकलता चला गया ।
R.D.X. की निगाहें मिलीं।
"पहले तुली से मिलते हैं, बाकी बातें उसके बाद तय करेंगे ।"
■■■
कपूर ने F.I.A. के एजेन्ट सुरेश छाबड़ा को देखा फिर कह उठा---
"तुमने तुली के सामने ऐसी ऑफर रखनी है कि उसे सुनकर तुली को शक न हो कि उसके गिर्द कोई जाल बिछाया जा रहा है । रात तुमने उसे फोन पर कहा कि तुम उसके परिवार के हत्यारों के बारे में जानते हो । ऐसे में ये बात उसे बताने की मुनासिब वजह होनी चाहिये । सीधे-सीधे ही उसे ये बात बताने पर तैयार हो गये वो शक करेगा और तुम्हारी चाल में नहीं फंसेगा ।"
"चहल-कदमी करता दिवान ठिठककर बोला ।
"तुली अपने बेटे के बारे में भी जानना चाहेगा। कि तुम उसके बारे में जानते हो या नहीं ?"
"दीवान ।" कपूर बोला--- "बंटी के बारे में कहा जा सकता है कि उसे, कि इस बारे में उन्हीं लोगों से पूछे, जिन्होंने उसके परिवार को मारा ।"
"वो सब मैं संभाल लूंगा ।" सुरेश छाबड़ा ने कहा--- "सवाल ये है कि मैं उसके सामने क्या शर्त रखूं ?"
"तुम उसे कह सकते हो कि 'ऑपरेशन टू किल' का सारा ब्यौरा लिख कर, नीचे साइन करके, वो कागज तुम्हें सौंप दें ।"
"क्या ये वजह ठीक होगी, उसके परिवार के हत्यारों के बारे में बताने के लिये ?"
"ठीक होगी । वो शक नहीं कर सकेगा ।"
"और ।" दीवान, सुरेश छाबड़ा से बोला--- "उसे ऐसी जगह पर बुलाना, जहां तुम आसानी से उसकी हत्या कर सको ।"
"वो मैं संभाल लूंगा ।"
"तुली को खत्म करना ही हमारा मिशन है ।"
"तुम्हारे साथ चार एजेन्ट और हैं ।
"हां। हम पांच है । तुली को आसानी से ठिकाने लगा देंगे ।" सुरेश छाबड़ा ने कहा और उठ खड़ा हुआ ।
"आज ये काम निपट जायेगा छाबड़ा ?"
"शायद ।" छाबड़ा ने कहा और पलट कर बाहर निकल गया ।
दीवान गहरी सोच में डूबा दिखा ।
"क्या सोच रहे हो ?"
"तुली के परिवार को जिन लोगों ने मारा। उन्हें हमें ढूंढ लेना चाहिये था अब तक ।"
"हमने कोशिश तो पूरी की ।"
"हमें भी पता तो चले कि आखिर तुली के परिवार को किसने, क्यों मारा ?"
"छोड़ो भी ।" कपूर गम्भीर स्वर में बोला--- "तुली के मरते ही सारा मामला खत्म हो जायेगा।"
■■■
दिन के बारह बजे थे जब तुली का मोबाइल बजा ।
तुली स्क्रीन पर आया नम्बर देखता तो सतर्क हो गया । ये वो ही रात वाला नम्बर था ।
"हैलो ।" तुली ने बात की ।
"मैं...पहचाना ?" वो ही रात वाली आवाज कानों में पड़ी ।
"हां । तुम मुझे मेरे परिवार के हत्यारों के बारे में बताने वाले हो ।" तुली ने कहा ।
"मुफ्त में नहीं ।
"क्या कीमत चाहते हो ?"
"पांच करोड़ मिलने ही चाहिये ।"
"मेरे पास पैसे नहीं है ।"
"फिर तो समस्या पैदा हो गई ।"
"इसके अलावा तुम जो भी चाहते हो, मैं करने को तैयार हूं । मैं उन हत्यारों के बारे में जानना चाहता हूं जिन्होंने...।"
"सौदा बराबर का होना चाहिये । वरना क्या फायदा ?"
"इस वक्त रुपए मेरे पास नहीं हैं ।" तुली बोला ।
"दो-चार दिन का वक्त ले लो, इंतजाम कर लो ।"
"तब भी इंतजाम नहीं हो पायेगा।"
"ये तो सच में समस्या है ।"
"तुम मेरे बेटे के बारे में जानते....।"
"बंटी की बात कर रहे हो ?"
"हां-हां, जानते हो मेरा बेटा बंटी कहां है ?"
"मैं तो नहीं जानता, लेकिन वो लोग जरूर जानते होंगे, जिन्होंने तुम्हारे परिवार को मारा है ।"
"तुम अपने बारे में बताओ ।"
"मेरे बारे में जानकर तुम क्या करोगे ? कोई फायदा नहीं होगा ।" उधर से आती आवाज कानों में पड़ी।
"क्या हम कभी मिल चुके हैं ?"
"नहीं ।"
"तुम मेरे परिवार के हत्यारों के बारे में बता दो, मैं हमेशा तुम्हारा एहसानमंद रहूंगा ।"
"नुकसान का सौदा मैं कभी नहीं करता । परन्तु हममें सौदा हो सकता है।"
"कैसे-बोलो ?"
"तुम 'ऑपरेशन टू किल' का पूरा ब्यौरा कितनी देर में कागजों पर उतार सकते हो ?"
"तुली के होंठ भिंच गये ।
"दो घंटे ठीक हैं या तीन घंटे...।"
"शायद दो-तीन घंटे ही ।" तुली के भिंचे होंठ हिले ।
"तुम कागजों पर 'ऑपरेशन टू किल' का सारा खुलासा करो। कोई भी चीज रहनी नहीं चाहिये । साथ में अपने F.I.A. के लोगों के और एजेन्टों के नाम और पत्तों का खुलासा करो । हर जगह तुम्हारे साईन चाहिये। सुन रहे हो ?"
"हां ।"
"मैं तुम्हें तीन घंटे बाद फोन करूंगा । अगर तुमने ये काम कर लिया होगा तो हम कहीं पर मिलेंगे । मैं तुम्हारे दिए कागज चैक करूंगा । सब ठीक रहा तो तुम्हें तुम्हारे परिवार के हत्यारों के बारे बता दूंगा ।"
"तुम्हें यही चाहिये था। ये तुम पहले कह देते तो ठीक रहता ।"
"तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं । मैंने बीच का रास्ता निकाला है कि हममें बात बन जाये।"
"आखिर तुम हो कौन ?"
"तुम्हें इससे क्या ?"
"किसी दूसरे देश के एजेन्ट हो ?"
"नहीं । मैं तो साधारण-सा शरीफ सा इंसान हूं । यूं ही इस मामले में आ...।"
"साधारण और शरीफ इंसान इस तरह के मामलों में उलझते नहीं है।"
"मैं तुम्हें तीन घंटे बाद फोन करूं ?"
"करना तब तक मैं सब कागज तैयार कर लूंगा ।"
उधर से फोन बंद कर दिया गया ।
तुली ने सिगरेट सुलगाई और सोचों में डूब गया ।
उसका चेहरा बता रहा था कि इस वक्त तो बहुत कुछ सोच रहा है।
हाथ में पकड़े फोन से उसने दयोल को फोन किया ।
"हैलो ।" दयोल की आवाज कानों में पड़ी ।
"मैं तुली ।"
"ओह, कहो ।"
"किसी का मुझे फोन आया है कि अगर मैं लिखित रूप में उसे 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी दूं तो वो मुझे मेरे परिवार के हत्यारों के बारे में बता सकता है । ये सब F.I.A. की चाल भी हो सकती है, मुझे फंसाने की ।"
"संभव है ।"
"तुम पता करो, क्या वास्तव में F.I.A. की चाल है ?"
"कोशिश करता हूं पता करने की। वैसे तुम्हारा क्या इरादा है ?"
"किस बारे में ?"
"क्या तुम 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी उसे लिखकर देने को तैयार हो ?"
"मैंने आज तक मुंह बंद रखा है तो आगे भी मेरा मुंह बंद ही रहेगा । परन्तु मैं उससे मिलूंगा जरूर ।"
"वो मिलने को कह रहा है ?"
"हां । उसका कहना है कि जानकारी कागजों पर लिख लूं, तीन घंटे बाद मुझे फोन करेगा ।"
"मैं पता करता हूं इस मामले में पीछे F.I.A.तो नहीं।"
"शुक्रिया ।" तुली ने कहा और फोन बंद कर दिया ।
■■■
R.D.X. चाईना बाजार पहुंचे ।
रोज की तरह भीड़ थी । दिन के बारह बज रहे थे । हर तरफ कपड़े ही कपड़े नजर आ रहे थे । उनके बीच घूमते लोग अपनी पसंद के कपड़े तलाश कर रहे थे । उन्हीं में चाईना बाजार के सेल्स गर्ल और सेल्समैन थे। हर तरफ चहल-पहल थी। किसी का ध्यान किसी की तरफ नहीं था ।
R.D.X. कुछ देर उसी बाजार में घूमते रहे थे ।
एक्सट्रा ने एक सेल्समैन से पूछा ।
"शांगली कहां मिलेगा ?"
"उधर उनका केबिन है । शायद वो वहां हो ।"
ग्राउंड फ्लोर पर कोने में बने केबिन तक वो पहुंचे ।
एक्सट्रा और राघव बाहर रहे, धर्मा दरवाजा खोलकर भीतर गया ।
केबिन खाली था । धर्मा बाहर आ गया
"वो भीतर नहीं हैं ।"
"यहीं-कहीं होगा । इतना बड़ा बाजार खुला छोड़ कर वो कहीं जाने वाला नहीं ।" राघव ने कहा।
उनसे कुछ दूर पर भट्ट मौजूद था । जो तब से ही तीनों पर नजर रख रहा था । जब उन्होंने चाईना बाजार में प्रवेश किया था। भट्ट ने सैवन इलैवन ही फोन पर बात की ।
"R.D.X. चाईना बाजार में, शांगली को ढूंढ रही है ।"
"मैं जानता था ऐसा ही होगा ।"
"मैं क्या करूं ?"
"कुछ भी करने की जरूरत नहीं है । उन पर नजर रखो । कोई खास बात हो तो मुझे बताना।"
"मैं उन्हें बताऊं कि शांगली तीसरी मंजिल पर है ।"
"नहीं । वो तीनों काबिल हैं और अपना काम कर लेंगे । सिर्फ नजर रखो उन पर ।"
"ठीक है ।" भट्ट ने कहकर फोन जेब में डाल दिया ।
उधर एक्स्ट्रा बोला।
"ये बाजार बहुत बड़ा है । शांगली के बारे में ज्यादा पूछताछ करेंगे तो शांगली तक ये बात पहुंच सकती है कि हम उसे ढूंढ रहे हैं । वो सतर्क हो जायेगा । हमें अलग होकर खामोशी से शांगली को ढूंढना चाहिये, जिसे शांगली मिले, वो बाकी दो को खबर दे ।"
"फिर वो तीनों अलग-अलग होते चले गये।
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