दीवान पुनः उन उस कमरे में पहुंचा जहां भसीन था ।
मदनलाल, भसीन के पास ही जमा हुआ था ।
दीवान ने भीतर प्रवेश करते हुए कहा ।
"तुम बहुत चालाक बनने की कोशिश कर रहे हो ।"
"ये बात तुमने मुझसे कही ?" भसीन ने अजीब-सी निगाहों से दीवान को देखा ।
"तुमने कहा कि 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में तुम्हें जैनी ने...।"
"हां, जैनी ने ही बताया है । क्या गलत कहा मैंने ?"
"वो सारी लिखित जानकारी भी तुम्हें जैनी ने दी ?"
"वो सारी लिखित जैनी की नहीं है और जैनी कहती है कि तुम्हें नहीं जानती ।"
"बकवास करती है वो ।" भसीन ने तीखे स्वर में कहा--- "उसी ने तो मुझे सब कुछ बताया है ।"
"वो इंकार करती है ।"
"झूठ बोलती है वो ।"
"तुम हमें बेवकूफ बना रहे हो । झूठ बोलकर । इस तरह तुम बचने वाले नहीं ।"
"मैं सच...।"
"तुम ये क्यों नहीं कहते कि तुम्हें सारी जानकारी तुली ने दी है ?" दीवान सख्त स्वर में बोला ।
"तुली ? नहीं--- तुली ने मुझे कुछ नहीं बताया ।"
"तुम तुली के संपर्क में थे । तुली तुमसे मिलने ही ओपन मॉल में पहुंचा था ।"
"उससे पहले मैंने तुली को देखा तक नहीं था । उसका फोन मेरे ऑफिस में आया और मुझसे बात करने के लिये उसने मुझे ओपन मॉल में बुलाया । वहीं पर मैं तुली से मिला, परन्तु वहां F.I.A. के एजेन्ट होने की वजह से, ठीक से उससे नहीं मिल पाया । मैं तुली को इतना ही जानता हूं कि वो 'ऑपरेशन टू किल' का इंचार्ज था। 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी मुझे जैनी ने दी । उसे तीन लाख रुपए दिये हैं । चाहो तो ये बात मेरे अखबार के मालिक से पूछ लो ।"
"और कौन मिला जैनी से, सौदे के वक्त ?"
"सिर्फ मैं ही मिला । जैनी ने इंकार कर दिया था कि वो किसी और के सामने नहीं आयेगी । उसने अखबार के दफ्तर फोन किया था वो किसी सीनियर क्राइम रिपोर्टर से मिलना चाहती है। इस तरह मेरी उससे बात हुई । तब उसने मुझे कहा कि उसके पास 'ऑपरेशन टू किल' नाम के F.I.A. के ऑपरेशन की पूरी जानकारी है । इस जानकारी को अखबार जरूर छापना चाहेगी । मेरे कहने पर उसने जानकारी की एक-दो बातें बताई, तो मुझे लगा की ये खबर हमारे अखबार को खरीद लेनी चाहिये। और खरीदी भी । अब जैनी कैसे कह सकती है कि उसने खबर नहीं बेची, या वो इस मामले में नहीं है ।"
"तीन लाख उसे दे दिया गया ?"
"वो तो उसने पहले लिया, बाद में उसने खबर दी । पांच सौ के नोटों की छः गड्डियां थी ।"
"आज सुबह हुआ ये सौदा ?"
"बिल्कुल ।"
"लेकिन उसके पास ये पैसा नहीं मिला । तलाशी में ।"
भसीन ने एकाएक सख्त नजरों से दीवान को देखा ।
"मेरी बात का पर विश्वास करो, जैनी इस काम में अकेली नहीं है, और भी हैं जिसने 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में कागजों का ब्यौरा लिखा । पैसे भी उसके पास होंगे ।"
"क्या तुम्हें जैनी की बातों से ऐसा लगा कि...?"
"नहीं, ऐसा कुछ नहीं लगा, परन्तु कागजों की लिखाई न मिलना। पैसे उसके पास न होना, ये ही साबित करता है ।"
"एक बात अपने दिमाग में लिख लो कि तुम बच नहीं सकते ।" दीवान ने कठोरता स्वर में कहा ।
"तुमने कहा था कि मुझे छोड़ दोगे ।"
"जरूर कहा था, वो बात तब लागू होती है, जब तुम सच बोलो। तुम्हारी कहीं कोई बात सत्य साबित नहीं हो रही ।"
"मैं सच हूं, जैनी झूठी है ।"
दीवान ने कुछ नहीं कहा और पलट कर बाहर निकल गया ।
तनाव में भसीन ने मदनलाल को देखकर कहा---
"तुम सब पागल हो । जैनी ने ही मेरे साथ 'ऑपरेशन टू किल' का सौदा किया था । मैंने उसे तीन लाख दिए ।"
जवाब में मदनलाल मुस्कुरा पड़ा ।
■■■
कपूर एक ऐसे कमरे में था जहां सामने दीवार पर छः फीट चौड़ी और चार फीट लंबी स्क्रीन लगी हुई थी । स्क्रीन पर उसी कमरे के दृश्य नजर आ रहा था । वो वहां की बातें सुन रहा था। जब दीवान बाहर निकला तो उसने रिमोट से स्क्रीन ऑफ की और पास रखे फोन का रिसीवर उठाकर नम्बर मिलाने लगा ।
तभी दीवान ने भीतर प्रवेश किया । उसे फोन पर लगा देखकर सिगरेट सुलगाने में व्यस्त हो गया ।
कपूर ने नारंग से बात की ।
"किसी को अपने साथ लो और खार पहुंचो । जैनी का पता है, वो कहां रह रही है ?" कपूर, दीवान पर नजर मारकर बोला ।
"पता है ।" उधर से नारंग की आवाज आई ।
"जैनी को यहां ले आओ ।" कहकर कपूर ने रिसीवर रखा और दीवान की ओर देखा ।
"तुम्हें क्या लगता है भसीन और जैनी में से कौन सच बोल रहा है ?" दीवान ने कश लेकर पूछा ।
"भसीन सच्चा है ।"
"मुझे भी ऐसा लगता है ।" दीवान ने सिर हिलाकर कहा--- "दयोल नहीं आया ?"
"वो आ रहा है । कभी भी पहुंच सकता है ?"
"तुली की कोई खबर ?"
"अभी नहीं । परन्तु जल्दी खबर मिलेगी । हमारे पचास से ऊपर एजेन्ट तुली को तलाश में लग चुके हैं उन्हें इस बात का आर्डर भी दे दिया गया है कि वो देखते ही तुली को शूट भी कर सकते हैं ।"
"मेरे ख्याल में उन्हें तुली पर नजर रखने को कहो । दयोल ही तुली को संभालेगा ।"
"पहले दयोल से बात कर लें फिर निर्देश बदल देंगे ।"
■■■
तुली ऐसी जगह पहुंचा, जहां झोपड़पट्टी की दुनिया बसी थी । टैक्सी उसने पहले ही छोड़ दी थी, पैदल ही वो झोपड़पट्टी की गलियों में प्रवेश कर गया । तंग-भिड़े रास्ते थे । कहीं-कहीं रास्ता खुला था ।
दस मिनट उन रास्तों में भटकने के पश्चात तुली एक गली के छोटे मकान पर ठिठका । वो पच्चीस गज का पक्का मकान था । उसके ऊपर भी मंजिल के नाम पर कमरे पर कमरा डाल रखा था ।
बाहर से ही डेढ़ फीट चौड़ी सीढ़ी ऊपर से जा रही थी । जिस पर से एक आदमी ही, एक बार में कठिनता से चढ़ सकता था । तुली ने सीढ़ियां चढ़ी, पहली मंजिल पर पहुंचा वहां बने कमरे का दरवाजा बंद था । तुली ने दरवाजा थपथपाया ।
"कौन ?" भीतर से आवाज आई ।
तुली ने पहचाना कि वो मन्नू की ही आवाज है ।
"तुली ।"
अगले ही दरवाजा खुल गया ।
मन्नू पहले से कमजोर दिखा । चेहरे पर परेशानी थी ।
तुली भीतर प्रवेश कर गया । मन्नू ने दरवाजा बंद कर लिया ।
कमरे में एक फोल्डिंग बेड और दो कुर्सियां थी । तुली एक कुर्सी पर जा बैठा । मन्नू को देखा ।
मन्नू दरवाजे के पास खड़ा उसे व्याकुल नजरों से देख रहा था ।
"तुम्हें जिन्दा देखकर खुशी हुई ।" तुली ने मुस्कुरा कर कहा । मन्नू ने कुछ नहीं कहा ।
"बैठ जाओ ।" तुली कुर्सी पर आ बैठा । बेचैनी से पहलू बदला।
"जैनी ने बताया कि तुम कैसे जिन्दा बचे ?"
"जैनी को इस बारे में मुंह बंद रखना चाहिए था ।" मन्नू ने धीमे स्वर में कहा ।
"उसे बताना पड़ा । वो मेरी बातों में फंसकर सब कुछ कह गई।" तुली बोला ।
"क्या चाहिए मुझसे ?"
"मैं तुमसे सिर्फ ये जानना चाहता हूं कि तुमने मेरे परिवार की जान क्यों ली ?"
"मैंने ली ?"
"हां, मेरी वजह से ही तुम इस मामलों में फंसे तो मेरे परिवार को मारकर तुमने बदला लिया । जैनी ने मुझे सब बता...।"
"बकवास ।" मन्नू फट पड़ा--- "ऐसा कुछ भी नहीं है ।"
"तो क्या जैनी झूठ बोलती है ?"
"वो कुछ भी नहीं बोलती । ऐसा कुछ भी नहीं है । ये बात तुम तुक्के के तौर पर कह रहे हो ?"
"मैं तुक्का नहीं मार...।"
"चालाक मत बनो तुली । अपने परिवार की मौत इल्जाम मेरे सिर पर डालने की कोशिश मत करो । मैंने तुम्हें कभी दोषी नहीं माना । बल्कि मैंने तो सुना था कि F.I.A. ने तुम्हें भी मार दिया है ।"
"किससे सुना ?"
"जैनी ने बताया । जैनी को F.I.A. ने बताया था । मुझे तुम्हारे परिवार की मौत का बड़ा दुख है--- लेकिन...।"
"लेकिन क्या ?"
"सुना है तुम्हारा बेटा बच गया ।"
"बंटी ।" तुली के होंठ भिंच गये--- "लेकिन वो घटना के वक्त से गायब है ।"
"क्या उसे भी मार दिया गया या अपरहण किया गया ?"
"नहीं जानता ।"
"तुम्हें क्या लगता है कि ये काम F.I.A. नहीं कर सकती ?"
"कर सकती है ।"
"तो F.I.A. से पूछो, अपने परिवार के बारे में । उनके पास कोई वजह है, तुम्हारे परिवार को मारने की ?"
"ये ही वजह है कि कहीं मैंने 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में अपने परिवार को न बता दिया हो और परिवार वाले इस बात को अखबार या टी.वी. वालों को न बता दें ।" तुली ने गम्भीर स्वर में कहा ।
मन्नू ने तुली को देखा फिर सिर हिलाकर कह उठा ।
"मुझे ये वजह जायज नहीं लगती ।"
"गलत क्या है इसमें ?"
"ऐसे में F.I.A. तुम्हारी पत्नी को मारती, बच्चों की जान ले लेती। दो लड़के, एक लड़की थी तुम्हारी । इसमें तुम्हारे बच्चों को गोलियों से भून दिया गया, तीसरा बंटी भी न बचता, अगर वो उस वक्त पड़ोस में न खेल रहा होता । मुझे नहीं लगता कि ये काम F.I.A. ने किया होगा ।" कहते हुए मन्नू ने इंकार में सिर हिलाया ।
तुली की निगाह मन्नू पर ही रही
कुछ चुप्पी-सी उभरी रही वहां ।
"तुम्हें बंटी को ढूंढना चाहिये ।" मन्नू कह उठा ।
"कहां ढूंढू ?"
मन्नू ने कुछ नहीं कहा ।
"जब तक ये नहीं पता चलेगा कि मेरे परिवार को किसने मारा बंटी को ढूंढने का काम शुरू नहीं कर सकता । अगर बंटी जिन्दा है तो उन्हीं लोगों के पास होगा, जिन्होंने मेरे परिवार को मारा होगा ।"
"मेरे ख्याल में तो F.I.A. ने भी ये जानने की चेष्टा की होगी कि तुम्हारे परिवार को किसने मारा ?"
"क्या पता वो जान गई हो ?" तुली की आंखे सिकुड़ी ।
"मुझे क्या पता, ये बात तो F.I.A. से पूछो ।"
"F.I.A. वाले कहते हैं कि उन्होंने मेरे परिवार को नही मारा ।" तुली ने होंठ भींचकर कहा ।
"मुझे तो वो ठीक कहते लगते हैं । वो मारते तो, तुम्हारी बताई वजह के तहत, तुम्हारी पत्नी को ही मारते । बच्चों को नही ।"
तुली होंठ भींचे, मन्नू को देखता रहा ।
"क्या सोच रहे हो ?"
"कुछ नहीं ।"
"तुम्हारे पास नहीं आना चाहिये था । मैं F.I.A. से सुरक्षित हूं, यहां पर । तुम्हारे पीछे, कोई मुझे तक न आ जाये ।"
"पहले तुम सुरक्षित थे । अब शायद नहीं ।" तुली बोला ।
"क्या मतलब ?"
"तुमने और जैनी ने आज सुबह नया 'भारत अखबार' के रिपोर्टर भसीन ने सौदा किया । ऑपरेशन की जानकारी के बदले तीन लाख लिए, ताकि इंडिया से जाने की, तुम्हारी जरूरत पूरी हो सके ।"
"तुम्हें कैसे पता ?" जैनी ने बताया ?"
"भसीन ने । मैं उससे मिला था ।"
"और उसने तुम्हें बता दिया ।"
"बताना पड़ा ।"
"उससे जैनी मिली थी । मेरे बारे में वो रिपोर्टर इतना ही जानता है कि मैं मर चुका हूं ।"
"वो रिपोर्टर भसीन F.I.A. के कब्जे में पहुंच गया है ।"
"ओह ।"
"मैंने उसे बचाने की पूरी चेष्टा की, परन्तु उसकी किस्मत खराब थी । उसने F.I.A. को बता दिया है कि जैनी ने उसे 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी दी है । लिखाई का मिलान करके F.I.A. एजेन्ट जैनी के पास आया । परन्तु लिखाई न मिलने की वजह से, वो जैनी को वहीं छोड़ कर वापस चला गया । इससे ये मत सोचना कि जैनी बच गई । F.I.A. को मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता । F.I.A. की निगाह पुनः जैनी पर टिक चुकी है, वो सच-झूठ का पता लगा लेगी । जैनी को खतरे में समझो ।"
मन्नू और भी ज्यादा परेशान हो उठा ।
"ये तुम क्या कह रहे हो ?"
"मैंने तुम्हें सच्चाई बताई है ।"
"फिर तो जैनी को वहां से निकल जाना चाहिये ।" मन्नू ने थाम रखा फोन उठाते हुए कहा ।
"बेहतर यही होगा ।"
"तुमने ये बात पहले क्यों न बताई ?" नम्बर मिलाता मन्नू कह उठा ।
"जैनी को कहो, वहां से निकल जाये । हो सके तो जैनी को यहीं बुला लो ।"
"यहां नहीं बुला सकता ।" फोन में व्यस्त मन्नू बोला ।
"क्यों ?"
"ये झोपड़पट्टी का इलाका है । जैनी जैसी खूबसूरत युवती यहां रहेगी तो लोगों को शक की नजरों से...।"
तभी दूसरी तरफ बेल हुई और किसी व्यक्ति की आवाज मन्नू के कानों में पड़ी ।
"हैलो...।"
मन्नू के होंठ भिंच गये ।
तुली की निगाह मन्नू पर थी ।
मन्नू ने तुली को फोन दिया । तो तुली ने फोन कान से लगाया ।
"हैलो ।"
तुली के कानों में आवाज पड़ी तो तुली ने तुरन्त फोन बंद कर दिया ।
"ये F.I.A. का एजेन्ट नारंग है । मेरे ख्याल में वो लोग जैनी को लेने आ गये ।"
"ओह !" मन्नू का चेहरा फक्क पड़ गया ।
"अब ये बात जैनी पर है कि वो कितना मुंह खोलती है । तुम्हारे बारे में बताती है या नहीं ।" कहने के साथ ही तुली उठ खड़ा हुआ--- "चलता हूं । हमें अपनी मुसीबतों से खुद लड़ना है ।"
"अब मैं क्या करूं ?" मन्नू हक्का-बक्का कह उठा ।
तुली बाहर निकलता चला गया ।
शाम हो चुकी थी ।
■■■
जैनी को उस कमरे में ले जाया गया, जहां भसीन था ।
साथ में दीवान था । मदनलाल पहले से ही वहां मौजूद था ।
जैनी को देखते ही भसीन कुर्सी से उठता तेज स्वर में कह उठा---
"ओह जैनी, अच्छा हुआ जो तुम आ गई । तुम इन्हें बताओ कि 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी तुमने मुझे बेची है ।"
"जैनी ने अजनबी निगाहों से उसे घूरा फिर दीवान को देखा ।
"ये सब क्या हो रहा है ?" जैनी ने दीवान से कहा ।
"तुम इसे नहीं जानती ?" दीवान बोला ।
"नहीं ।" पहली बार देखा है मैंने इसे ।" फिर वो भसीन से बोली--- "तुम मेरा नाम कैसे जानते हो ?"
"क्या ?" भसीन हैरानी से बोला--- "हम आज सुबह तो मिले थे। फोन पर हमने कई बार बातें की और...।"
"जैनी दीवान को देखती कह उठी---
"तुम लोग मुझे किस बात में फंसा रहे हो ?" जैनी का स्वर तेज हो गया ।"
"हमने तुम्हें वार्निंग दी थी कि 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में अपना मुंह बंद...।"
"बंद ही तो रखा है मैंने । किसी से मैंने कुछ नहीं बताया ।"
"मुझे बताया है। आज सुबह एक घंटा बातें करते रहे ।" भसीन तेज स्वर में कह उठा ।
"सुना तुमने...ये ।"
"मैं इसे नहीं जानती और मुझे जानने का दावा कर रहा हूं । तुम चाहते हो कि मैं इसकी हां में हां मिलाऊं ? मेरे घर पर भी तुम्हारा एजेन्ट मेरी हैंडराइटिंग मिलवाने आ गया । पता नहीं क्या चक्कर है ये । तुम इससे क्यों नहीं पूछते कि...?"
"पूछा है । ये मैं तुम्हें जानता है और तुमने इसे 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी बेची है ।"
"ये झूठ कह रहा है ।" जैनी का चेहरा गुस्से से भर उठा ।
"हमें पूरा यकीन है कि तुम्हारे साथ इस काम में कोई और भी है।"
"कौन ?" हड़बड़ा उठा जैनी ।
"ये ही तो तुमसे जानना है । 'ऑपरेशन टू किल' की रिपोर्ट उसी ने कागजों पर लिखी है । तभी तो तुम्हारी लिखाई नहीं मिली ।"
"तुम लोग जबरदस्ती मुझ पर इल्जाम थोप रहे हो।"
"दीवाने ने जेब से मोबाइल फोन निकाला और जैनी को दिखाया ।
"ये तुम्हारा है ?"
"हां ।"
"जब तुम्हारे कमरे से, तुम्हें लेकर चलने लगे तो, किसका फोन आया है तुम्हें ? हमारे एजेण्टों ने कॉल रिसीव की, परन्तु वो बोला नहीं ।"
"होगा कोई ।"
"हम पता कर सकते हैं, वो कौन है । पता करेंगे भी, क्योंकि उसका नम्बर, तुम्हें फोन के रिसिवड कॉल के इंडैक्स में आ चुका है ।"
जैनी ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी ।
"मैं इसे नहीं जानती ।" जैनी ने भसीन की तरफ इशारा करके कहा ।
"ये जानती है मुझे । झूठ बोल रही है ।" भसीन चीखकर कह उठा ।
"बकवास बंद करो ।" जैनी गुस्से से गुर्रा उठी ।
"तुम आज सुबह ही मुझसे मिली औ....।"
"मैंने तुम्हें अब से पहले कभी देखा नहीं, तुम्हारी आवाज नहीं सुनी और कहते हो कि मैंने तुमसे सुबह मुलाकात की ।"
दीवान ने हौले से सिर हिलाया ।
"मैं तुम्हें बताना चाहती हूं कि तुली आज मेरे कमरे में आया था।" जैनी ने दीवान से कहा ।
"कब ?" दीवान सतर्क हुआ ।
"जब तुम्हारा आदमी लिखाई मिलाने आया था, उसके जाते ही।"
"मैंने तुली को तुम्हारा पता बताया था, वो जरूर आया होगा ।" भसीन जल्दी से बोला ।
"तुम हर खूबसूरत लड़की का पता नोट करके रखते हो ।" जैनी ने खा जाने वाले स्वर में कहा ।
"तुमने ही तो मुझे अपना पता बताया...।"
"तुम पागल हो । कुछ देर बाद कहोगी कि मैंने तुम्हारे सामने अपने कपड़े भी उतारे ।"
"नहीं, कपड़े नहीं उतारे ।"
जैनी खा जाने वाले निगाहों से, भसीन को देखती रही ।
"तुम मान क्यों नहीं बताती कि...।" भसीन ने कहना चाहा ।
"इस पागल के सामने से मुझे हटा दो ।" जैनी ने गुस्से से दीवान से कहा--- "मैं अभी तक नहीं समझी कि मामला क्या है और ये झूठ पर झूठ बोले जा रहा है । मैं इसका सिर फोड़ दूंगी कुर्सी से।"
दीवान ने जैनी कि बांह पकड़ी और कमरे से बाहर निकल गया।
भसीन परेशान स्वर में मदन लाल से कह उठा---
"ये लड़की कितनी झूठी है ।"
"मुझे तो वो सच्ची लगी ।" मदनलाल बोला ।
"सच्ची लगी ।"
"शत-प्रतिशत । तुम झूठ बोल रहे हो । बेहतर होगा कि मुझे बता दो किसने तुम्हें 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी बेची ?"
"इसी जैनी ने बेची है ।" भसीन गुस्से में बोला ।
"परन्तु वो तो तुम्हें पहचानने से ही इंकार कर रही है ।"
"इसलिए कि उसने हां कहा तो तुम लोग उसकी गर्दन काट दोगे। वो हां क्यों कहेगी ?"
"उन कागजों की लिखाई भी जैनी की लिखाई से नहीं मिल रही।" मदनलाल ने कहा ।
"जरूर उसका कोई साथी होगा ।"
"मुझे तो नहीं लगता ।" मदनलाल बोला ।
भसीन उसे देखते हुए दांत पीसकर रह गया ।
■■■
दीवान, जैनी को लेकर एक अलग कमरे में पहुंचा ।
"बैठो ।" दीवान ने कुर्सी की तरफ इशारा करके कहा--- "तो तुली तुम्हारे पास आया ?"
"हां ।" जैनी कुर्सी पर बैठ गई ।
"क्यों आया ?"
"वो अपने परिवार के हत्यारों के बारे में जानना चाहता था । उसने सोचा शायद मुझे पता हो ।"
"तुम्हें क्या पता है ?"
"मुझे कुछ भी नहीं पता । वो अपने बेटे की तलाश में भी है, जो उस दिन गोलियों से बच गया था, परन्तु लापता हो गया ।"
तभी कपूर ने कमरे में प्रवेश किया ।
"और क्या कह रहा था वो ?"
"यही बात की। जब उसे लगा कि मैं उसे कुछ नहीं बता सकती तो वो चला गया ।"
दीवान ने सिगरेट सुलगाई ।
"ये लड़की बहुत चालाक है ।" कपूर ने कहा--- "असल बात से ध्यान हटाने के लिये, ये तुली की बातें ले बैठी ।"
"तुम कैसे जानते हो कि हमने क्या बातें की ?" जैनी ने तीखे स्वर में कहा ।
"मैं सब देख-सुन रहा था ।"
जैनी, माथे पर बल डाले कपूर को देखती रही ।
"तुम क्या सोचती हो कि तुम्हारी बातों में आ जायेंगे कि तुम भसीन को नहीं जानती । तुमने जानकारी नहीं बेची । इस मामले में भसीन सच कह रहा है और तुम झूठी हो । मैंने तुम्हारे चेहरे से झूठ के भाव को पकड़ा है ।"
"मुझे पता है कपूर कि ये झूठ बोल रही है ।"
"मैं सच कह...।"
"खामोश रहो ।" दीवान ने कठोर स्वर में कहा--- "तुम हमारे सामने बच्ची हो ।"
जैनी भीतर ही भीतर कसमसा कर रह गई ।
तभी कपूर का फोन बजा ।
"हैलो ।" कपूर ने बात की ।
"मैं आ गया हूं ।"
"हम आ रहे हैं ।" कपूर ने कहा और फोन बंद करके दीवान से कहा--- "दयोल आ पहुंचा है ।"
"तुम अच्छी तरह सुन लो कि तुम्हें मानना होगा कि तुमने भसीन को जानकारी बेची 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में । ये ही सच है। हमें ये भी बताना है कि तुम्हारे साथ इस मामले में कौन है । सोच लो--- हम तुमसे जल्दी ही बात करेंगे । अगर तुमने अपना मुंह बंद रखा तो तुम्हारा जो भी बुरा होगा, उसकी जिम्मेदारी तुम पर होगी ।"
कपूर और दीवान बाहर निकले । दरवाजा बाहर से बंद किया और गैलरी में आगे बढ़ गये ।
"कपूर ।" दीवान बोला--- "तुली अपने परिवार के हत्यारे की तलाश में तेजी दिखा रहा है ।"
"वो रुकने वालों में से नहीं है । कपूर ने गम्भीर स्वर में कहा ।
"उसे अपने बेटे की तलाश है ।"
"वो उसे ढूंढ के रहेगा ।" कपूर के होंठ सिकुड़े ।
"तुली कभी हमारे एजेन्टों की नजरों में आ सकता है । वो कभी भी मारा जा सकता है ।"
"कुछ भी हो सकता है । हमारे एजेन्ट भी मारे जा सकते हैं ।"
"लेकिन तुली बचेगा नहीं ।" दीवान ने कठोर स्वर में कहा ।
"तुम तुली के पीछे हाथ धोकर पड़े हो दीवान ।"
"उसका मरना जरूरी है । उसने C.I.A. का हाथ थाम लिया था। उसका दोबारा इंडिया लौटना उलझन पैदा करता है ।" चलते-चलते दीवान ने कपूर पर निगाह मारी--- "जबकि अमेरिकन सरकार तुली को 'ऑपरेशन टू किल' का गवाह बना कर, इंडिया के सामने पेश करेगी । ऐसे में तुली का इंडिया में नजर आना और अपने परिवार के हत्यारों को ढूंढना, C.I.A. ने उसे आजाद कैसे छोड़ दिया ?"
"बात तो सोचने वाली है ही । हमें इस बारे में पता करना चाहिए कि...।"
"वक्त बर्बाद करने से कोई फायदा नहीं । दयोल तुली को खत्म कर देगा तो सारा मामला झाग की तरह बैठ जायेगा ।"
■■■
दयोल ।
पैंतालीस बरस का, पौने छः फीट का, गठे शरीर का मालिक । चेहरा आकर्षक । सिर के बाल छोटे, जो कि काले-सफेद मिक्स थे । होंठों पर छोटी मूंछें । आंखों की कठोरता और पैनापन हर वक्त दिखता था। F.I.A. का हत्यारा था वो, F.I.A. के जाने कितने मिशन उसने जान पर खेलकर पूरे किए थे। कई मिशन तो उसने और तुली ने एक साथ पूरे किए थे। वो खतरनाक था।
दयोल कुर्सी पर बैठा था कि कपूर और दीवान ने भीतर प्रवेश किया ।
दयोल ने गर्दन घुमाकर दोनों को देखा ।
"तुमने आने में वक्त लगा दिया दयोल ।" दीवान कुर्सी पर बैठता कह उठा ।
"क्या मुझे किसी मिशन पर भेजा जा रहा है ?" दयोल ने शांत स्वर में कहा ।
"मामूली-सा मिशन है तुम्हारे लिये ।" दीवान ने सिर हिलाकर कहा--- "तुली को खत्म करना है ।"
दयोल के माथे पर बल पड़े ।
कपूर की निगाह दयोल पर थी ।
"तुली को । मैंने तो सुना है कि उसे सैवन इलैवन ने मार दिया था ।"
"सैवन इलैवन ने काम ठीक से पूरा नहीं किया ।"
"हैरानी है कि वो काम पूरा नहीं कर सका ।"
"तुली आज मुम्बई में दिखा । F.I.A. के एजेन्टों के सामने पड़ा। उसने पवन सिंह और राजी खान की टांग में गोलियां मारीं ।"
दीवान कपूर की नजरें मिलीं ।
"तुली को क्यों मारा जा रहा है ?"
"ये तुम्हें नहीं बताया जा सकता ।" दीवान बोला--- "तुम्हें तुली को मारने का काम दिया जा रहा है। कोई ऐतराज है तो कहो।"
"मेरे ऐतराज की परवाह कौन करेगा ?"
"ठीक कहा । काम तो काम है ।" दीवान ने सिर हिला कर उसे देखा ।
"तुली है कहां ?"
"नहीं जानते। खबर है कि आखिरी बार वो जैनी को मिला । मैं तुम्हें जाने के बारे में बताता...।"
"मैं जानता हूं जैनी के बारे में ।"
"तो तुम सारे मामले को जानते हो ?"
"हां ।" कहते हुए दयोल उठ खड़ा हुआ ।
"तो पूछा क्यों कि तुली को क्यों मारा जा रहा...?"
"यूं ही पूछा । दीवान मेरे से फालतू के सवाल मत करो ।"
"नहीं करता । इतना जान लो कि तुली F.I.A. को अपने परिवार का हत्यारा समझ रही है, जबकि हमने ये काम नहीं किया ।"
"तो किसने किया है ?"
"हमने ये जानने की कोशिश की, परन्तु मालूम नहीं हो सका । पुलिस भी नाकाम रही ।"
"उसका बेटा, जो बच गया, देखा गया ?"
"नहीं जानते कि वो कहां है ।" दीवान इंकार में सिर हिलाया ।
"F.I.A. ने तुली को मारने की चेष्टा की, परन्तु वो बच गया । उसके बाद किसी ने उसके परिवार को गोलियों से भून दिया । इस तरह तो उसका सोचना सही है कि F.I.A. ने उसके परिवार को मारा है ।"
"हमने नहीं मारा ।"
"तुली को इस बात का विश्वास दिलाना कठिन...।"
दीवान के शब्द अधूरे रह गये । उसका मोबाइल बजने लगा । दीवान ने स्क्रीन पर चमका रहा नम्बर देखा, परन्तु वो नम्बर उसके लिये अजनबी था। उसने कॉलिंग स्विच दबाकर बात की।
"हैलो...।"
"दीवान...।" उसके कानों में तुली का स्वर पड़ा ।
"तुली...।" दीवान के होंठों से निकला ।
दयोल के होंठ सिकुड़ गये ।
कपूर चौंका ।
"कैसे हो दीवान ?"
"तुम ।" दीवान ने गहरी सांस ली--- "कहां हो ?"
"तुमने बहुत गलत किया दीवान ।" तुली का कठोर स्वर कानों में पड़ रहा था--- "तुम्हें, मुझे नहीं मारना चाहिए था । मेरे परिवार को भी नहीं मारना चाहिये था । गलती पर गलती करते रहे ।"
"हमने तुम्हारे परिवार को नहीं मारा ।"
"मैं कैसे मान लूं ?" तुली की आवाज कानों में पड़ी ।
"तुम्हें F.I.A. का भरोसा करना चाहिये ।"
"F.I.A. का भरोसा मैं नहीं करूंगा । मुझे F.I.A. ने धोखा दिया...।"
"F.I.A. ने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया...।"
"तुम लोगों ने मुझे खत्म करने की कोशिश...।"
"क्योंकि तुमने C.I.A. का हाथ थाम लिया और...।"
"बाद में, पहले तुमने मुझे मारने की चेष्टा की थी । याद न हो तो याद कराऊं दीवान ?"
दीवान ने होंठ भींच लिये ।
"जवाब दो ।"
"देश के हित में ऐसा करना जरूरी था ।"
"तुम्हारा मतलब कि पहले F.I.A. का एजेन्ट, F.I.A. के लिये मिशन पूरा करे । उसके मतलब बाद एजेन्ट को इसलिये खत्म करने की चेष्ठा की जाये कि कहीं C.I.A. उसे पकड़कर उसके मुंह से मिशन की सच्चाई न निकलवा ले । ये सारा कहर मुझ पर ही क्यों, राघव तो अभी भी आजाद है, तीरथ भी जिन्दा घूम रहा है । फिर मैं ही क्यों, मुझे क्यों मारना चाहती है F.I.A. ?"
"अगर तुमने C.I.A. का हाथ न थामा होता तो, तुम्हें खत्म करने का हमारा इरादा बदल चुका होता ।" दीवान गम्भीर था ।
"तुमने मुझे मारने की कोशिश न की होती तो C.I.A. के बारे में सोचता भी नही ।"
"अब तुम्हारी किस्मत में मरना ही लिखा है ।"
"मेरा C.I.A. से कोई वास्ता नहीं है ।"
"तुमने अपना झूठ सुनाने के लिए फोन किया है क्या ? वूस्टर में तुम C.I.A. के घेरे में ही रहे थे ।"
"जरूर परन्तु जिस दिन मुझे खत्म करने के लिये F.I.A. ने हमला किया, तो मैं वहां से निकल भागा । उसके बाद से मैं C.I.A.के पास नहीं गया । मैंने C.I.A. को कुछ नहीं बताया । C.I.A.तो ये भी नहीं जानती कि मैं जिन्दा हूं ।"
"तुम पर भरोसा नहीं किया जा सकता ।"
"मत करो ।"
"हो सकता है C.I.A. ने ही तुम्हें किसी चाल के तहत इंडिया भेजा हो ।"
"तुम ऐसा ही सोचोगे । मुझे परवाह नहीं, ये बताओ कि मेरा बेटा बंटी कहां है ?"
"मैं नहीं जानता ।"
"अगर F.I.A. मेरे परिवार को नहीं मारते तो, F.I.A. ने उन हत्यारों को ढूंढा होगा ।"
"हां, परन्तु वो नहीं मिले ।"
"क्या मैं तुम्हारी बकवास पर यकीन कर लूं ?"
"हां । मैं सच कह रहा हूं ।"
"तभी दयोल ने इशारे से दीवान से फोन मांगा ।
"तुम मुझसे चालाकी कर रहे हो दीवान, जबकि मैं F.I.A. का दुश्मन नहीं । मुझे दुश्मन मत बनाओ ।"
"मेरा नहीं तो किसकी बात का यकीन करोगे ?" दीवान ने कहा--- "दयोल की बात मानोगे ?"
"दयोल--- तुम्हारे पास है ?"
"लो बात करो ।" कहकर दीवान ने दयोल को फोन दिया ।
"तुली, मैं हूं दयोल ।" दयोल शांत स्वर में बोला
"ओह, तुम्हारी आवाज बहुत देर से सुनी ।"
"कहां है तू ?" दयोल ने पूछा ।
"नहीं बता सकता ।"
"तुझे मुझ पर भरोसा करना चाहिये । हमने कई बार एक साथ काम किया है ।"
"वो अच्छे दिन थे ।" तुली ने उधर से कहा--- "ये बुरे दिन चल रहे हैं ।"
"मेरे से मिलेगा ?"
"नहीं ।
"क्यों ?"
"सब पर से भरोसा उठ गया है ।"
"ठीक है । मैं तेरे को एक काम की बात बताता हूं ।"
"बोल ।"
"अगर तेरा बंटी जिन्दा है और किसी ने उसे कैद कर रखा है तो वो जानता है कि तू जिन्दा है। वो जो भी है, जरूर तेरे से बात करेगा, उसने तुम्हारे बेटे को यूं ही तो पकड़ नहीं रखा । मेरे ख्याल में वो जिन्दा है । अभी उसकी लाश नहीं मिली ।"
"ओह, ये बात मैं क्यों नहीं सोच सका ?"
"जिसके पास तेरा बेटा है, वो तेरे से बात करे, इसके लिए जरूरी है कि तू खुले में आ जाए ।"
"तेरी बात ठीक है, लेकिन खुले में आने का मतलब है कि F.I.A. द्वारा मेरी हत्या हो जाना ।"
"ये खतरा तो रहेगा ही । F.I.A. तुझे मार के रहेगी ।"
"मेरा C.I.A. से कोई वास्ता नहीं है । मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।"
"तेरा C.I.A. से मिलना ही तो गजब ढा गया । जो भी हो, तेरे को C.I.A. से हाथ नहीं मिलाना चाहिये था ।"
तुली की तरफ से कोई आवाज नहीं आई ।
"अपने बेटे की तलाश करना चाहता है तो खुले में आना ही पड़ेगा । जानता है मुझे क्या लग लगता है ?"
"क्या ?"
"तेरे परिवार को मारा ही इसीलिए गया कि तू सामने आये । F.I.A. तो तुझे मरा समझ बैठी थी। परन्तु कोई था, जो ये जानता था कि तू मारा नहीं जा सका । ऐसे में तेरे परिवार को मारा गया कि तू सामने आ जाये। ये बता तू सामने कैसे और क्यों आया ?"
"अपने परिवार की मौत की खबर सुनकर ही मैं इंडिया पहुंचा।"
"अब तू ही समझ ले कि असल मामला क्या है ?"
"उधर से तुली ने फोन बंद कर दिया ।
दयोल ने फोन कान से हटा दिया और टेबल पर रखा ।
दीवान दयोल को घूर रहा था ।
"क्या बात है ?" दयोल बोला ।
"तुम बहुत दिल से तुली को सलाह दे रहे थे ।" दीवान कड़वे स्वर में बोला ।
"मैं इस बात पर यकीन करता हूं कि ये दुश्मन को एहसास मत मत होने दो कि हम उसका बुरा सोच रहे हैं ।"
"दुश्मन तुली जैसा हो तो क्या तुम्हारी बातों में आ जायेगा ?"
"कह नहीं सकता । लेकिन मैंने उसे इसलिए खुले में आने को कहा कि मेरा काम आसान हो जाये ।" दयोल ने कहा ।
"ये तो अच्छा है । F.I.A. चाहती है कि तुम तुली को फौरन खत्म करो ।"
मैं ऐसा करने की कोशिश करूंगा ।" दयोल ने कहा और पलट कर बाहर निकल गया ।
"दीवान तुम...।" कपूर ने कहना चाहा कि फिर फोन बजा ।
दीवान ने फोन पर बात की ।
दूसरी तरफ सैवन इलैवन था ।
"दीवान, पता चला तुली के सामने, F.I.A. के एजेन्ट पड़ गये थे।"
"हां ।"
"मैंने तुम्हें कहा था कि तुली के जहां भी होने की खबर मिले, मुझे बताना ।"
"ये मामला तुम्हारे पास नही है ।"
"क्या मतलब ?"
"इस मामले को हम संभाल रहे हैं ।"
"ये नहीं हो सकता ।"
"ये हो रहा है ।" दीवान ने शांत स्वर में कहा ।
"मैं इस मामले से पहले से जुड़ा...।"
"सैवन इलैवन ।" दीवान ने सब्र के साथ कहा--- "तुमने काम को ठीक से अंजाम नहीं दिया । तुली जिन्दा बच गया था ।"
"यही तो मैंने जानना है कि वो जिन्दा कैसे...?"
"तुली को मारना, मामूली-सा काम था तुम्हारे लिये । तुमने कहा कि वो मर गया । लेकिन वो जिन्दा था । इसके बाद तुली को मारने का काम तुम्हें नहीं दिया जा सकता । जो एक बार चूक सकता है, वो दूसरी बार भी...।"
"दीवान, ये काम मैंने अपने हाथों से नहीं किया था, किसी से करवाया था । करने वाले ने कहा कि तुली को खत्म कर दिया है । उन्होंने जल्द ही, C.I.A. ने भी अमेरिका के अखबारों में घोषणा कर दी कि वूस्टर में F.I.A. के एजेन्ट की लाश मिली । मेरी जगह कोई भी होता तो धोखा खा जाता, इसलिये...।"
"तुमने किससे काम करवाया था ?"
"ये नहीं बता सकता ।"
"तुम्हें उनसे बात करनी चाहिये ।"
"मुझे मेरा काम मत सिखाओ ।"
"तुली का मामला अब तुम्हें नहीं दिया जा सकता सैवन इलैवन।"
"मैं इस मामले से अब पीछे नहीं हट सकता ।"
"तुम्हें रोकूंगा नहीं । जो करना चाहते हो, बेशक करो ।"
"तुली की क्या खबर है ?"
"कोई खबर नहीं । हम भी उसे तलाश कर रहे हैं । दीवान ने कहा और फोन बंद कर दिया ।
"तुम्हें सैवन इलैवन से इस तरह बात नहीं करनी चाहिये।" कपूर बोला ।
"मैंने ठीक किया । सैवन इलैवन की वजह से हम एक बार धोखा खा चुके हैं । F.I.A. के लिये ये बड़ी बात है । F.I.A. जिसे खत्म कर दे, वो बाद में जिन्दा निकल आये तुली को अब हम ही संभालेंगे ।"
■■■
रात के दस बज रहे थे ।
R.D.X., तीरथ के उसके ठिकाने पर मौजूद थे, जहां तीरथ उन्हें तब लाया था । जब रेस्टोरेंट में उन पर हमला हुआ और मन्नू को गोली लगी थी । एकांत में बना पुराना मकान था ये । तीरथ यहां पर कभी-कभी ड्रग्स रखने का काम करता था । परंतु इस वक्त वहां न कोई ड्रग्स थी, न आदमी ।
वो तीनों दोपहर के बाद ही यहां पहुंचे थे। खाने पीने का सामान भी लेते आये थे ।
वो जानते थे कि सैवन इलैवन को इस जगह के बारे में जानकारी नहीं थी ।
राघव और एक्स्ट्रा नींद लेने की तैयारी में थे, जबकि धर्मा व्हिस्की का गिलास थामें घूंट भर रहा था ।
"तुम्हें भी नींद तो लेनी चाहिये ।" एक्स्ट्रा बोला ।
"मैं सैवन इलैवन के बारे में सोच रहा हूं उससे कैसे पीछा छुड़ाया जाये ।" धर्मा में उसे देखा ।
"वो आसानी से पीछा छोड़ने वाला नहीं ।" राघव ने कहा ।
"तुम ठीक कहते हो । जब उसे पता चलेगा कि हमने तुली को मारने की अपेक्षा भगा दिया तो वो हमें खत्म करके ही रहेगा । पूरी F.I.A. हमारे पीछे डाल देगा । कल सैवन इलैवन का फोन आयेगा। कुछ तो जवाब देना ही पड़ेगा उसे ।"
"एक रास्ता है हमारे पास ।" एक्स्ट्रा बोला ।
"क्या ?"
"ये बात अभी खुली नहीं कि हमने तुली को छोड़ दिया था । मेरे ख्याल से इस मामले में हम से जुड़ा सिर्फ सैवन इलैवन ही है ।"
"तो ?"
"सैवन इलैवन को खत्म कर दिया जाये तो मुसीबत हमसे दूर हो सकती है ।"
"R.D.X. की नजरें मिलीं ।
"शायद ये बात ठीक है । राघव ने कहा ।
"सैवन इलैवन खतरनाक है ।" धर्मा बोला ।
"खतरनाक तो हम भी हैं ।"
"इस बात की क्या गारंटी है कि हमारे बारे में सिर्फ सैवन इलैवन ही जनता है, क्या पता F.I.A. भी जानती हो कि तुली को मारने के लिये वूस्टर में हम ही गये थे । ऐसे में तुली पर हाथ डाला तो...।"
"मेरे ख्याल में, ये बात तो हम सैवन इलैवन से भी जान सकते हैं।" एक्सट्रा ने कहा--- "उसका फोन आये पर ये बात, मैं उसके मुंह से निकलवा लूंगा कि हमारे बारे में F.I.A. कितना जानती है ।"
कुछ देर खामोशी रही ।
राघव कह उठा ।
"क्या पता हम गलत सोच रहे हों, सैवन इलैवन को हमसे कोई और ही काम हो ।"
R.D.X. की नजरें मिलीं ।
"सैवन इलैवन ने फोन करके हमसे मिलने की इच्छा जताई है, ये नही बताया कि कम है। ये तो हम ही जानते हैं कि हमने तुली को जिन्दा छोड़ दिया था । कहीं हमारे मन का चोर ही हमें परेशान न कर रहा हो ।" राघव पुनः कह उठा ।
"कल देखते हैं कि सैवन इलैवन हमसे क्या बात करता है।" राघव ने कहा ।
धर्मा और एक्स्ट्रा ने कुछ नही कहा ।
तभी धर्मा का फोन बजा ।
"हैलो ।" धर्मा ने बात की ।
"तुम लोग कल पक्का मुम्बई पहुंच रहे हो ?" सैवन इलैवन का स्वर कानों में पड़ा था ।
"हां ।" धर्मा फौरन संभला--- "क्या तुम बताओगे कि तुम्हें हमसे क्या काम पड़ गया ?"
"कोई काम करवाना है ।" सैवन इलैवन की आवाज कानों में पड़ी ।
"हम मुफ्त के काम नही...।"
"नोट मिलेंगे । काम की पूरी कीमत ।"
"ठीक है । कल मिलते हैं । सुबह दस के हमें फोन कर लेना ।" धर्मा ने कहा और फोन बंद करते दोनों को देखता कह उठा-- "वो कहता है कि वो हमसे कोई काम लेना चाहता है । काम के नोट देगा ।"
"जरूर यही बात होगी ।" राघव ने कहा--- "फिर भी हमें सतर्क रहना होगा । रात हम यहीं बितायेंगे ।"
■■■
न्यूयॉर्क ।
C.I.A. का ऑफिस
माईक ने चीफ लैरी के कमरे में प्रवेश किया ।
"क्या बात है चीफ ? मैं दो घंटे पहले ही फ्लोरिडा से लौटा हूं, तुली की तलाश में मुझे फिर जाना...।"
"इंडिया से, मुम्बई स्थित अमेरिकन एम्बेसी से मैसेज आया है कि तुली ने तुम्हें पूछने के लिये, एम्बेसी में फोन किया ।"
"क्या ?" माईक चौंका ।
"तुली तुमसे तेज निकला । वो फ्लोरिडा से इंडिया पहुंच गया और तुम्हें हवा तक नहीं मिली ।" टॉम लैरी ने कहा ।
"सच मे। वो तेज है ।"
"तुली ने मैसेज छोड़ा है कि वो तुमसे बात करना चाहता है और दो दिन बाद वो फिर फोन करेगा ।"
"तो मुझे इंडिया जाना होगा ।"
"अभी चल दो तो ठीक होगा । टॉम लैरी ने कहा ।"
"मैं जाता हूं चीफ ।" माईक वहां से उठा और बाहर निकल गया।
माईक सीधा अपने केबिन में पहुंचा। चेहरे पर सोच के भाव थे।
माईक ने इंडिया स्थित अपने एजेन्ट को फोन किया ।
जल्द ही बात हो गई ।
"मैं माईक ।" माईक--- "सब ठीक है रवि ?"
"हां माईक । कोई खास बात है ?"
"मैंने तुम तीनों को तुली को ढूंढने का काम सौंपा था । माईक बोला ।
"हम ढूंढ रहे हैं, लगता है कि वो इंडिया नही पंहुचा, अमेरिका में ही था । फिर...।"
"वो इंडिया में है, आज उसने एम्बेसी फोन करके मुझसे मिलने की इच्छा जताई ।"
"ओह ।"
"तुम लोग अपना काम ठीक से नही कर रहे, जबकि C.I.A. की तरफ से मोटी तनख्वाह मिलती है । मैंने तुम लोगों को दो महीने पहले खबर दे दी थी कि तुली जिन्दा है और इंडिया में भी पहुंच सकता हैं ।"
"हमने काम किया माईक...।"
"मुझे तुली की खबर चाहिये। कल तक मैं इंडिया पहुंच जाऊंगा। अब क्या वक्त हुआ है वहां ?" माईक ने पूछा ।
"रात के दस बजे ।"
"कल दस बजे मैं तुम्हारे पास होऊंगा। अमर और प्रशान्त तुम्हारे पास ही हैं ?"
"हां। तुम आ जाओ, फिर हम बतायेंगे कि हमने क्या किया ।" उधर से रवि ने कहा ।
माईक ने फोन रख दिया ।
■■■
तुली को दयोल की बात जंची थी कि वो खुलकर मैदान में आ जाये । उसके बेटे बंटी को जिसने भी अपनी कैद में रखा है, वो उससे जरूर बात करेगा और बंटी को छोड़ने की कोई शर्त रखेगा ।
ऐसे में तुली ने सबने पहला फोन माईक के लिए अमेरिकन एम्बेसी में किया ।
वो जनता था कि F.I.A. उसे छोड़ने वाली नही। उसे तलाश कर रही होगी । इस पर भी खतरा मोल लेते हुए वो एक होटल में गया और अपने नाम से कमरा ले लिया । परन्तु वो बेहद सतर्क था । मन ही मन वो तय कर चुका था कि F.I.A. की तरफ से जो भी सामने जायेगा उसे मार देगा । दीवान उससे नर्मी का रूख नहीं अपना रहा तो वो क्यों नर्मी दिखाये ?
F.I.A. इस वक्त उसकी दुश्मन नम्बर वन थी ।
परेशान वो इसलिये था कि अपने परिवार के कातिलों के बारे में कोई सुराग न ढूंढ पा रहा था ।
होटल में ही उसने डिनर लिया और रात बाहर बजे के करीब नींद में जा डूबा । रिवॉल्वर तकिये के नीचे रख ली थी ।
फिर जाने कब उसके गालों पर ठंडा-सा स्पर्श हुआ ।
तुली की चेतना को तीव्र झटका लगा ।
कोई है ? विचार उसके मस्तिष्क में कौंधा ।
उसने फौरन आंखे खोल दीं ।
कमरे में कम रोशनी का बल्ब जल रहा था । पीली मध्यम-सी रोशनी फैली थी । कोई उस पर झुका हुआ था और रिवॉल्वर की नाल उनके गाल से सटा रखी थी । वो झुकने वाले का चेहरा स्पष्ट न देख पाया । तभी उसे तकिये के नीचे पड़ी रिवॉल्वर का ध्यान आया । लेकिन इस वक्त उसका हिलना भी खतरनाक था।
वो आंखों को थोड़ा-सा खोले वैसे ही पड़ा रहा ।
"उठ गये तुली ।"
तुली के कानों में जैसे बम फटा ।
ये आवाज दयोल की थी ।
"तुली ?" तुली के होंठों से निकला--- "दयोल ।"
"हां मैं ।" दयोल पीछे हटते हुआ कह उठा ।
तुली को मौका मिला उठने का उपक्रम करते हुए तकिये के नीचे से हाथ मारा ।
वहां रिवॉल्वर नहीं थी ।
"इसे तो नही ढूंढ रहे ?" दयोल ने दूसरे हाथ मे दबी रिवॉल्वर दिखाई ।
तुली होंठ भींच कर रह गया । उठ बैठा ।
मध्यम-सी रोशनी में दोनों ने एक-दूसरे को देखा ।
"तुम मुझ तक कैसे पंहुच गये ?" तुली ने गहरी सांस लेकर, कठोर स्वर में कहा ।
"मैंने तुम्हें सही सलाह दी थी और तुम्हारी आदत के मुताबिक जानता था कि तुम खुद को खुले में लाने के चेष्टा करोगे और उसके लिये जरूरी है कि हर बात की परवाह छोड़कर इस तरह होटल में रुका जाये । तुमने ऐसा ही किया ।"
"तो तुमने मुझे ढूंढा ?"
"हां। तीन घंटों में बीस से ज्यादा होटलों में जाकर पूछताछ की और आशा से कहीं जल्दी तुम्हें ढूंढ लिया। जबकि मुझे यही लगता रहा कि तुम नहीं मिलोगे । लेकिन मिल गये ।" दयोल मुस्कुरा पड़ा ।
"लाइट जला लो-।" तुली बैड से उठता बोला ।
"नहीं । ऐसे ही ठीक है ।"
तुली आगे बढ़ता कुर्सी पर जा बैठा ।
"तुम मुझे क्यों ढूंढ रहे हो ?"
"तुम्हें खत्म करने के लिये ।"
"ओह ।" तुली ने गहरी सांस ली ।
"F.I.A. तुम्हें मरा हुआ देखना चाहती है ।" दयोल बोला--- "हमने एक साथ कई बार काम किया। अच्छा काम किया हर बार। एक बार तो तुमने मेरी जान भी बचाई थी ।
"याद है तुम्हें ?"
"क्यों नहीं ।"
"ऐसे मौके पर पिछली बातें अक्सर याद नहीं रहती ।" तुली ने मुस्कुराते हुए कहा ।
""मैं कुछ नहीं भूलता। तुम भी F.I.A. के हत्यारे हो, मैं भी ।"
'अब मैं F.I.A. में नहीं हूं ।"
"जानता हूं और ये भी जानता हूं कि ये भी हो सकता था कि इस वक्त मैं तुम्हारी जगह होता और तुम मेरी जगह पर तुम खड़े होते अगर मैंने 'ऑपरेशन टू किल' नाम से मिशन को अंजाम दिया होता । तब F.I.A. मेरे पीछे होती ।"
तुली ने आंखें सिकोड़ कर दयोल को देखा ।
"दरअसल सच बात तो ये है कि 'ऑपरेशन टू किल' नाम के मिशन के दौरान अमेरिका विदेश मंत्री डयूक हैरी की हत्या F.I.A. के गले की फांस बन गई है । अगर ये बात खुलती है तो हिन्दुस्तान की सरकार के लिये जबाव देना कठिन हो जायेगा ।"
तुली खामोशी से दयोल को देखता रहा ।
"तुमने C.I.A. को क्या बताया ?" दयोल ने पूछा--- "मुझे पूरा यकीन है कि मुझसे झूठ नही बोलेंगे ।"
"मैंने किसी को कुछ नही बताया ।"
"मैं यकीन करुं तुम पर ?"
"पूरी तरह ।"
"दयोल ने उसकी रिवॉल्वर तुली की तरफ उछाल दी ।
तुली ने रिवॉल्वर को लपका। आंखें सिकुड़ गईं ।
"भरी हुई गन वापस दी है। खाली नहीं। तेरे को मारने का मेरा कोई इरादा नही है, बेशक तूने C.I.A. को सब कुछ बता दिया है। 'ऑपरेशन टू किल' के सारे हालात जानता हूं मैं और तेरी कोई गलती नही मानता। मैं किस्मत वाला हूं कि 'ऑपरेशन टू किल' का इंचार्ज मुझे नही बनाया गया ।"
"किसी ने तो मुझे सही माना ।" तुली ने गहरी सांस ली ।
"तेरे को सब सही मानते अगर तू C.I.A. से न मिला होता ।" दयोल ने गम्भीर स्वर में कहा ।
"लेकिन मैंने किसी को कुछ नही बताया ।"
"तेरी इस बात का कोई यकीन नही करेगा। मुझे बता मैं तेरे लिये क्या कर सकता हूं?"
"मेरे पास रास्ता नही है, जो बताऊं। समझ में नही आता कि किसने मेरे परिवार को मारा ?"
"F.I.A. ने नही मारा ।"
"पक्का ?"
"हां, मेरा होता तो मुझे पता चला गया होता ।"
"आज अमेरिकन एम्बेसी फोन करके मैंने माईक से बात करने की इच्छा जाहिर की। मेरा मतलब सिर्फ इतना था कि C.I.A. तब ये बात पंहुच जाये कि मैं मुम्बई में हूं ।" तुली बोला--- "इस मामले में सिर्फ C.I.A. ही थी, या F.I.A.।"
"तो समझा C.I.A. ने ही तुम्हारे परिवार को खत्म किया हो सकता है ।"
"जरूरी तो नही ।"
"अगर तुम्हारा झगड़ा किसी और से नही है तो ?"
"मेरे तो कई दुश्मन होंगें, परन्तु वो ये नही जानते कि मैं कौन हूं, मेरा परिवार किधर है ?"
"तेरी तू जान। मैं जाता हूं। मेरा मोबाइल नम्बर वो ही है, पुराने वाला, जरूरत पड़े तो फोन करना मुझे ।"
"तुली, दयोल को देखता रहा ।
दयोल ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गया ।
■■■
कपूर ने जैनी के मोबाइल फोन पर आये उस आखिरी नम्बर पर कॉल बैक की और कान से लगा लिया । अगले ही पल दूसरी तरफ बेल जाने लगी।
कपूर फोन को कान से लगाये रहा। तभी उसके कानों में मन्नू की आवाज पड़ी ।
"तुम कहां हो, जैनी मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी ।"
"पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूं ।" कपूर पुलिस वालों की तरह बोला--- "तुम इस फोन वाली के क्या लगते हो ?"
"मैं... मैं...।" उधर से कहता मन्नू ठिठका । फिर बोला--- वो ठीक तो है ?"
"जैनी नाम है उसका ?"
"हां क्या हुआ उसे ?"
"एक्सीडेंट हो गया है, बुरा एक्सीडेंट ।" कपूर पुलिस वालों की तरह बोल रहा था--- "मालूम नही बच पाती है कि नही ।उसके फोन के नम्बरों को चैक कर रहा हूं, तुम जैनी के क्या लगते हो ?"
"पति-पत्नी ही समझो । वो कौन से अस्पताल में है ?"
"नाम क्या है तुम्हारा ?"
"मन्नू ।"
पल भर के लिये कपूर का जिस्म थोड़ा कांपा फिर सामान्य हो गया। आंखें सिकुड़ गई---
"जैनी टाटा हॉस्पिटल में है। वहां रिसेप्शन से पूछ लेना। उनके पास कोई होना चाहिये। तुम आ रहे हो क्या ?"
"हां-हां मैं हूं ।"
कपूर ने फोन बंद कर दिया। चेहरे पर अजीब से भाव ठहर चुके थे ।
मस्तिष्क में उथल-पुथल मच चुकी थी। मन्नू तो मर गया था । फिर ये कौन सा मन्नू है ? वो ही है कोई दूसरा ? एक जैनी के पास में मन्नू नाम के दो आदमी नहीं हो सकते ।
कपूर ने अपना फोन उठाया और F.I.A. के कंट्रोल रूम का नम्बर मिलाया ।
"कहिये कपूर साहब ।" उधर से कहा गया ।
"दो एजेन्ट फौरन टाटा हॉस्पिटल भेजो। वहां रिसेप्शन पर कोई आकर, जैनी को पूछेगा। उसका नाम मन्नू हो सकता है। उसे पकड़ कर यहां लाया जाये।" कपूर ने कहा ।
"ठीक है ।"
कपूर ने फोन बंद करके जेब में रखा और कमरे से बाहर निकलता चला गया। मन्नू नाम ने उसके मस्तिष्क में खलबली मचा दी थी । सैवन इलैवन ने कहा था कि रेस्टोरेंट में चलाई गई गोलियों से मन्नू मर गया है, फिर ये कौन-सा मन्नू है, जो जैनी के साथ है ?
कपूर ने दरवाजा खोलकर उस कमरे में प्रवेश किया जहां जैनी थी ।
जैनी फर्श पर लेटी थी। आंखों में नींद थी। कपूर को आया पाकर उठ बैठी ।
कपूर मुस्कुराया तो जैनी की आंखें सिकुड़ी ।
"तुम बहुत चालाक बन रही हो ।" कपूर बोला ।
"क्यों ?" जैनी के होंठों से निकला ।
"तुमने ये बात छिपाकर रखी कि मन्नू जिन्दा है ।"
जैनी के जिस्म में कम्पन-सा उभरा। वो व्याकुल दिखी ।
"फालतू बात मत करो।" जैनी के होंठ हिले ।
कपूर बराबर मुस्करा रहा था ।
"मन्नू से बात हुई अभी मेरी ।"
"जैनी कपूर को देखने लगी ।
"तुम्हारे फोन से। आखिर फोन उनका ही आया था, जब नारंग तुम्हें ला रहा था और नारंग ने बात करनी चाही, परन्तु उधर से फोन बंद कर दिया गया। उसी नम्बर पर वापस कॉल करके मैंने मन्नू से बात की ।"
जैनी को अपना गला सूखता-सा लगा ।
"कुछ ही देर में मन्नु तुम्हारे सामने होगा। उसे यहां लाया जा रहा है ।"
"क...कैसे ?" जैनी के होंठों से फंसा-फंसा-सा स्वर निकला कपूर मुस्कुराता रहा ।
"तुम लोग उस तक नही पहुंच सकते ।" जैनी पूर्ववतः लहजे में बोली ।
"हम हर जगह पहुंच जाते हैं जिन्न यानि कि F.I.A. को अभी तुम जानती नही जैनी । हमने तुम्हें चेतावनी देकर छोड़ था कि तुम मुंह बंद रखोगी । 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में किसी को नहीं बताओगे । परन्तु तुमने हमारी चेतावनी की परवाह नहीं कि और मन्नू के साथ मिलकर, तीन लाख में भसीन को सब कुछ बता दिया । मैं जान चुका हूं कि वो लिखाई मन्नू की ही है । उस जानकारी में ऐसी कई बातें हैं, जो सिर्फ मन्नू ही जान सकता है।"
जैनी ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी ।
कपूर गम्भीर हो चुका था ।
"तुम चाहती तो मन्नू के साथ खामोशी से अच्छी जिन्दगी बिताती ।
"हमारे पास पैसा नही था।" जैनी के होंठों से धीमा स्वर निकला--- "हम इंडिया से चले जाना चाहते थे ।"
"तो इसीलिये तुमने अखबार को 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी बेची ।"
जैनी ने सिर हिला दिया ।
"लेकिन तुम दोनों अब फंस गये ।"
जैनी ने गहरी सांस ली ।
"मन्नू जिन्दा कैसे बच गया ?"
"व...वो गोली लगने से घायल हो गया था। तब सबने समझा कि वो मर गया है । उसे कर से निकल कर फुटपाथ पर डाल दिया गया। लेकिन वो जिन्दा था। उसकी सांसें बेहद मध्यम थीं। तभी वहां पुलिस पैट्रोल कर पहुंच गई। वो लोग मन्नू को अस्पताल छोड़ गये। वहां इलाज हुआ और मन्नू बच गया ।" जैनी ने थके स्वर में कहा ।
"और मन्नू तुम्हें कहां मिला ?"
"इत्तफाक से एक बाजार में मिल गया। उसे तुम लोगों से खतरा था। ऐसे में हमने अलग-अलग रहने की सोची और देश से चले जाने का प्रोग्राम बनाया। हम फोन पर एक-दूसरे के सम्पर्क में रहे ।" जैनी का चेहरा लटक गया था--- "सच मानो तो हमारे मन में F.I.A. के लिये कोई गलत भावना नहीं थी। सिर्फ पैसे के लिये हमने जानकारी बेची ।"
"सब काम पैसे के लिये ही होते हैं ।" कपूर ने कड़वे स्वर में कहा--- "ये जानकारी C.I.A. के हाथ पड़ जाने से, हमारे देश के सामने समस्या खड़ी हो सकती है । ये तो तुमने नहीं सोचा होगा।"
"नहीं सोचा ।"
"सिर्फ अपनी ही समस्या के बारे में सोचा ।"
"जैनी ने मुंह फेर लिया। बोली---
"तुम लोग गलत हो । मन्नू ने और मैंने F.I.A. के लिये आठ साल पहले एक काम पूरा किया और आठ सालों के बाद हमें इसलिये F.I.A. मार देना चाहती है कि उस काम के बारे में C.I.A. न जान ले । तुम...।"
"ये खेल किसने शुरू किया ?" कपूर ने कठोर स्वर में कहा ।
जैनी ने कपूर को देखा।
"आठ साल आराम से क्यों निकले, क्योंकि तुम सबका मुंह बंद था । आठ साल बाद ये मामला ताजा इसलिये हो गया कि मन्नू ने क्रोशिया में, C.I.A. को अमेरिकन विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या के बारे में बताना चाहा। बदले में दस लाख डॉलर देना चाहता था। इस सिलसिले में वो एजेन्ट माईक से मिला । क्या इसमें F.I.A. की गलती है?"
जैनी ने गहरी सांस ली ।
"हमने मन्नू को माईक से मिलने के लिए रोकना चाहा तो मन्नू ने हमारे एजेन्टों के हत्या कर दी। ये तो अच्छा हुआ कि हमें मन्नू की हरकत के बारे में पता चल गया, वरना उसने तो C.I.A. को सब बता देना था ।"
"तब मन्नू को मुझे मार्शल के हाथों से बचाने के लिए एक डॉलर की जरूरत थी। परन्तु उसका C.I.A. को को कुछ भी बताने का नहीं था। उसने माईक को कुछ नहीं बताया ।"
"बात ये हो रही है कि ये मामला तुम लोगों ने ही शुरू किया। पहले या अब, जब भी तुम लोगों को पैसे की जरूरत पड़ी तब 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी भी बेचने की कोशिश की गई। ये खतरनाक बात है। तुम लोगों को जिन्दा नही छोड़ा जायेगा। F.I.A. से अब रहम की उम्मीद मत करना ।"
जैनी की आंखें भर आईं ।
"बात को समझो, हम मजबूर थे, ये सब करने...।"
परन्तु कपूर बाहर निकलकर दरवाजा बंद कर चुका था ।
■■■
दो घन्टें बाद मन्नू को F.I.A. के उस ठिकाने पर लाया गया ।
मन्नू का रंग फक्क पड़ा हुआ था। वो जनता था कि F.I.A. के जाल में फंस चुका था। F.I.A. के दो एजेन्ट उसके साथ थे। वो उसे कपूर के सामने छोड़कर चले गये ।
"मैं तुम्हें पहली बार सामने देख रहा हूं ।" कपूर बोला--- "आखिरकार तुम हमारे हाथों में फंस ही गये ।"
"जैनी कैसी है ?" मन्नू ने सूखे स्वर में पूछा ।
"ठीक है ।" कपूर मुस्कुराया--- "उसके साथ रहना चाहो तो, तुम्हें उनके पास छोड़ देता हूं ।"
"हां, मैं उनसे मिलना चाहता हूं ।"
"चलो, तुम्हें जैनी के पास छोड़ देता हूं।"
कपूर, मन्नू के साथ कमरे से निकलकर गैलरी में आगे बढ़ गया।
"जैनी सब कुछ कबूल कर चुकी है ।" कपूर ने कहा ।
मन्नू चुप रहा ।
"तुमने 'ऑपरेशन टू किल' की सारी जानकारी लिखकर जैनी के हवाले की, ताकि वो भसीन को बेच सके। उस वक्त तुमने यही सोचा होगा कि तुम बच जाओगे। F.I.A. को कुछ भी पता नही लगेगा ।"
"देर से पता लगता, अगर वो रिपोर्टर एक दिन पहले अखबार में, उस खबर की सूचना न देता ।" मन्नू परेशान-सा कह उठा ।
"तुम्हें बहुत देर बचते हो गया ।" बातों के दौरान दोनों आगे बढ़ते जा रहे थे ।
"ये जगह क्या है ?"
"F.I.A. की जगह है ये।"
"कहां पड़ती है ये जगह?"
"ये बात तुम कभी नही जान सकोगे। तुली के बारे में और क्या जानते हो ?"
"वो मुझसे शाम को मिला था ।"
"उसे तुम्हारे बारे में कैसे पता चला ?"
"उसने जैनी के मुंह से निकलवा लिया था ।"
"तुली तुमसे क्यों मिला ?"
"वो अपने परिवार के हत्यारों के बारे में जानना चाहता था, लेकिन मैं कुछ नही जानता ।"
"अब तुली कहां होगा। कुछ बताया उसने ?"
"नही। वो चला गया। ज्यादा बात नही की उसने ।"
कपूर एक दरवाजे के सामने पंहुचकर उसे खोलता कह उठा,
"जाओ, जैनी भीतर है। अब सुबह बात होगी तुमसे ।"
कपूर ने दरवाजा खोला ।
मन्नू के भीतर चले जाने के पश्चात उसने दरवाजा पुनः बंद कर दिया और बगल वाले कमरे में पहुंचा और कुछ स्विचों को ऑन कर दिया । सामने की स्क्रीन रोशन हो उठी । स्क्रीन पर मन्नू और जैनी दिखे । दोनों बातें कर रहे थे । उनकी आवाजें कैमरे लगे स्पीकरों द्वारा सुनाई दे रही थीं ।
कपूर कुर्सी पर बैठकर उनकी बातें सुनने लगा ।
■■■
लियू मुम्बई पहुंची ।
दिन के 12:30 हो रहे थे ।
धूप से बचने के लिये लियू ने आंखों पर काला चश्मा लगा रखा था । सफेद रंग की टाईट स्कीवी और घुटनों तक लम्बी स्कर्ट में थी वो । छोटा-सा एयरबैग कंधे पर लटका रखा था। वो चीनी थी। परन्तु लगती नेपाली जैसी थी। यानि कि इंडिया में उसे देखकर चीनी समझना कठिन हो जाता था। (लियू से पाठक दोस्त देवराज चौहान सीरीज के उपन्यासों में पहले भी मिल चुके हैं )।
एयरपोर्ट पर क्लीरेंस के पश्चात लियू बाहर निकली और दादर के लिये टैक्सी ली ।
करीब घंटे भर के सफर के पश्चात दादर पहुंची और अम्बेडकर मार्ग पर स्थित मध्यम दर्जे के ब्लू स्काई नाम के होटल पहुंची । रिसेप्शनिस्ट उसे देखते ही मुस्कुराया ।
"वैलकम मैडम लियू । इस बार काफी देर बाद मुम्बई आईं । वो बोला ।
"सात महीने बाद ।" लियू भी मुस्कुराई ।
"कैसा कमरा चाहेंगी आप ?"
"अगर मेरे पसन्दीदा कमरा खाली हों तो...।"
"खाली है। आप थर्ड फ्लोर पर रूम नम्बर 32 ले सकती है ।" कहते हुए उसने रजिस्टर लियू की तरफ सरकाया ।
लियू ने रजिस्टर भरा ।
उसके बाद लिफ्ट के सहारे 32 नम्बर कमरे में जा पहुंची ।
लियू ने एयरबैग रखा और तस्सली से कमरे की तलाशी ली ।
परन्तु वहां सब ठीक था ।
तसल्ली कर लेने के पश्चात लियू ने शांगली को फोन किया ।
"हैलो ।" शांगली की आवाज कानों में पड़ी ।
"मैं आ गई ।"
"पुरानी जगह पर ठहरी हो ।
"हां, तुम किधर हो ?"
"शो-रूम में ।"
"पहुंची...मैं ।" लियू ने कहा और फौरन फोन बंद कर दिया ।
■■■
चाइना बाजार एंड डिजिटल फोटो स्टूडियो ।
उस बहुत बड़ी इमारत पर बड़ा-सा बोर्ड लगा हुआ था ।
इस इमारत का मालिक शांगली था। यहां चीनी सामान की हर चीज मिलती थी। जो नहीं मिलती थी तो वो आप शांगली को नोट करा कर एडवांस दे दे तो आपका सामान वो चीन से मंगवा देगा। सिर्फ बीस परसैंट एक्स्ट्रा लेगा ।
इमारत के भीतर बहुत बड़े बाजार जैसा माहौल था। करीब चालीस लोग वहां काम करते थे और ये जगह हर वक्त ग्राहकों से भरी रहती थी। मेले की तरह हर वक्त लगता था ।
इमारत की पहली मंजिल पर फोटो स्टूडियो था। वहां तस्वीरें खींचने के साथ-साथ चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स सामान भी मिलता था। जिनमें कैमरे, D.V.D. अन्य हर तरह का सामान था ।
लियू ने चाइना बाजार की उस इमारत में प्रवेश किया ।
सैल्समैन, सेल्सगर्ल और लोगों की भीड़ वहां दिखाई दी ।
लियू जानती थी कि उसे कहां जाना है। वो लिस्ट के पास पहुंची और उनमें प्रवेश करके तीसरी मंजिल पर जा पहुंची। तीसरी मंजिल का अधिकतर हिस्सा, गोदाम जैसा था। चीनी सामान के बंद डिब्बे हर तरफ नजर आ रहे थे। वहां दो-तीन लोग अपने कामों में व्यस्त दिखे । उन्होंने लियू की तरफ कोई ध्यान नही दिया । सामानों के बीच बने रास्ते को पार करती लियू कोने में बड़े केबिन पर पहुंची और हैंडिल दबाकर दरवाजा खोलते हुए भीतर प्रवेश कर गई और दरवाजा बंद कर दिया ।
सामने शांगली बैठा था।
50-52 उम्र का था शांगली। कद पांच फीट तीन इंच, गोरा चेहरा । सिर के छोटे बाल। कनपटियों पर सफेदी आ चुकी थी। गठीली बदन । चुस्त और चालक-सा दिखने वाला इन्सान था वो। पिछले 25 सालों से वो इंडिया के मुम्बई शहर में टिका हुआ था और चीनी सीक्रेट सर्विस के काम करने के साथ-साथ अपना धंधा भी जमा रखा था ।
शांगली सफल एजेन्ट था ।
"तुम्हें सामने पाकर खुशी हुई लियू।" शांगली फौरन उठकर हाथ मिलाता कह उठा ।
"मुझे भी।" कहने के साथ लियू कुर्सी पर बैठती बोली--- "मामला बताओ ।"
"कुछ लोगी ?"
"काम की बात करो ।" लियू ने सहज स्वर में कहा ।
शांगली ने सिगरेट सुलगाई और कह उठा ।
"मामला गम्भीर है । हिन्दुस्तानी सरकार, अमेरीकन विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या में फंस सकती है ।"
"वो कैसे ?"
"आज से आठ साल पहले साउथ-ईस्ट योरोप क्रोशिया शहर में F.I.A. ने 'ऑपरेशन टू किल' नाम के मिशन को अंजाम दिया था। बात यूं शुरू हुई कि मिलेट्री का ब्रिगेडियर छिब्बर देश के महत्वपूर्ण राज, बाहरी देशों के एजेन्टों को बेचने के मामले में फंसता जा रहा था। उन पर केस चल रहा था। जो कि पूरी तरह उसके खिलाफ जा रहा था, ये बात ब्रिगेडियर छिब्बर भी जान चुका था कि वो बच नही सकता। आखिर दांव के तौर पे ब्रिगेडियर छिब्बर अपने दोस्त के यहां पहुंचा,जो कि न्यूक्लियर वैज्ञानिक था और उसके पास संवेदनशील जानकारी मौजूद थी। ब्रिगेडियर छिब्बर इस बात को जानता था। उसने बातों ही बातों में दोस्ती के तौर पर वैज्ञानिक से सारी जानकारी ली और उसकी हत्या करके, जानकारी ले उड़ा। परन्तु वैज्ञानिक फौरन मरने से बच गया और मरने से पहले उसने ब्रिगेडियर छिब्बर की करतूत सरकार को बता दी । सरकार ने ये काम 'जिन्न' को सौंपा, जो कि तब जिन्न नाम की खतरनाक सरकारी संस्था थी परन्तु अब जिन्न को नया मिल चुका है । फैडरल इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी यानि कि F.I.A. तब F.I.A. को किसी तरह से जानकारी फौरन मिल गई कि ब्रिगेडियर छिब्बर क्रोशिया के एक नाईट क्लब में, अमेरिकन विदेश मंत्री ड्यूक हैरी को किसी भी हाल में अमेरिका के हाथों में नही पहुंचनी चाहिये ।"
लियू ने शांगली को देखते हौले से सिर हिलाया ।
शांगली ने कश लिया और फिर बोला ।
"F.I.A. ने फौरन अपने हत्यारे तुली को ये काम सौंपा कि वो तुरन्त साउथ-ईस्ट यूरोप के क्रोशिया शहर पहुंचे और अमेरिकी विदेशमंत्री ड्यूक हैरी से पहले ही, ब्रेगेडियर छिब्बर को खत्म करके उसमें महत्वपूर्ण पेपर्स हासिल कर लिये जाएं। F.I.A. ने इस काम को 'ऑपरेशन टू किल' का नाम दिया। तुली को इस काम की आजादी थी कि अगर इस काम में उसे और लोगों की जरूरत है तो बाहर से इकठ्ठा कर सकता है उन्हें F.I.A. का कोई आदमी इस काम में उसे नही मिलेगा। ऐसे में तुली ने तीन आदमी इकठ्ठे किए। राघव-तीरथ और मन्नू। तीनों ही अपने आप मे खतनाक थे। बीस-बीस लाख रुपये और काम के बाद उनकी, इस काम से वास्ता रखती याददाश्त मिटा दी जायेगी । ये तुली की शर्तें थीं। वो तीनों तैयार हो गये। क्रोशिया पहुंचकर उसी नाईट क्लब में काम करने वाली जैनी यानि कि पंजाबी युवती जगदीप कौर को भी जरूरत के हिसाब से साथ ले लिया। इस तरह वे कुल पांच हो गये। उन्हें ब्रेगेडियर छिब्बर की तलाश थी। परन्तु उसका ठीकाना वो मालूम नही कर पाये। आखिरकार उस नाइट-क्लब में उन्होंने ब्रिगेडियर छिब्बर को अमेरिकन विदेश मंत्री ड्यूक हैरी से मिल कर देख लिया। उनमें सौदा हो चुका था। बात हो चुकी थी । महत्वपूर्ण कागजों और डॉलरों का लेन-देन हो चुका था । वो अब जुदा होने वाले थे । ऐसे में F.I.A. के एजेन्ट तुली के सामने दूसरा रास्ता नही था । उसके इशारे पर ब्रेगेडियर छिब्बर के साथ-साथ ड्युक हैरी को भी शूट कर दिया गया और कागज वापस पाकर वहां से निकल गये ।"
लियू की नजरें शांगली पर थीं।
शांगली दो पल के लिये ठिठका फिर कह उठा---
"मन्नू और जैनी की इस काम के दौरान पट गई और वो दोनों क्रोशिया के पास के शहर लीवनों में बस गये। काम के बाद F.I.A. की तरफ से एकदम खामोशी छा गई। उधर अमेरिकी एजेंसी C.I.A.ने अपने विदेश मंत्री के हत्यारे तक पहुंचने के लिए भरपूर कोशिश की परन्तु कोई C.I.A. को सफलता नहीं मिली । C.I.A. को शक तो रहा कि ये काम इंडिया ने किया है परन्तु शक-शक ही रहा ।
"फिर !"
"आठ साल बीत गये। सब शांत रहा। मन्नू को लीवनों में जुआ खेलने की आदत ले डूबी। वो मार्शल नाम के दादा का 65 हजार डॉलर का देनदार हो गया। मार्शल ने जैनी को उठा लिया और मन्नू को वार्निंग दी कि ब्याज लगाकर पूरे लाख डॉलर हो गये। एक महीने में चुका दे, वरना उसकी जैनी और उसे भी मार दिया जायेगा । मन्नू को जैनी से सच्चा प्यार था। जैनी को बचाने की खातिर, उसने C.I.A. न्यूयॉर्क से संपर्क बनाया वो 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी दे सकता है, वो बता सकता है कि अमेरिकन विदेश मंत्री ड्यूक हैरी को क्यों और किसने मारा । C.I.A. फौरन हरकत में आ गई । 10 लाख डॉलर में सौदा पटा। C.I.A. एजेन्ट माईक मन्नू से मिलने क्रोशिया पहुंचा। मन्नु से मिलने की जगह वो नाइट-क्लब रखी थी, जहां आठ साल पहले हत्याएं हुई थीं। परन्तु इंडिया में F.I.A. को ये खबर लग गई कि कोई 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी C.I.A. एजेन्ट माईक को देने जा रहा है । ऐसे में F.I.A. एजेन्टों ने क्रोशिया के उस नाइट-क्लब को घेर लिया, जहां मन्नू-माईक से मिलने वाला था। मन्नू-माईक से मिला। माईक अपने साथ डॉलर लाया था। मन्नु ने उससे लाख डॉलर पहले ले लिया और अगली मुलाकात में सारा मामला खोलेगा और बाकी का नौ लाख ले लेगा। इस दौरान उनकी F.I.A. के एजेन्ट से टक्कर हो गई । मन्नू उसे मारकर भाग निकला ।"
लियू के होंठ सिकुड़े। उसने सिर हिलाया फिर बोली।
"मन्नू को लाख डॉलर की जरूरत थी जैनी को छुड़ाने के लिए और वो लाख डॉलर ले गया ।"
"हां ।"
"फिर तो दोबारा वो माईक से मिलेगा ही नहीं ।"
"हां, तुमने ठीक कहा, ऐसा ही हुआ। मन्नू के पीछे F.I.A. भी थी और माईक भी । मन्नू जैनी के साथ बचने के लिए इंडिया भाग गया। F.I.A. सोच भी नहीं सकेगी कि वो इंडिया में है । परन्तु F.I.A. की नजर उस पर थी । इंडिया में जैनी को पकड़ लिया और गया और मन्नू किसी तरह वहां से बचकर निकल गया ।"
"ओह ! फिर ?"
"शांत पड़ा मामला हलचल से भर गया। F.I.A. को इस बात का खतरा लगा कि C.I.A. ये न जान ले कि अमेरिकन विदेश मंत्री को F.I.A. ने मारा है। ऐसा हुआ तो देश के लिए जवाब देना कठिन हो जाएगा । चूंकि C.I.A की तरफ से माईक, मन्नू के पीछे-पीछे इस मामले में आ गया था । F.I.A. ने मन्नू, तीरथ और राघव के साथ-साथ तुली को भी खत्म करने की सोची ।"
"तुली को भी ?" लियू के होंठ खुले ।
"हां, तुली को भी...।"
"F.I.A.का फैसला मुझे ठीक नहीं लगा ।"
"लेकिन F.I.A.ने यही फैसला किया । जैनी तो F.I.A. के कब्जे में ही थी । फिर एक रेस्टोरेंट, वो नाइटक्लब था। नाइट-क्लब में राघव, मन्नू, तीरथ, तुली से मुलाकात कर रहे थे कि F.I.A. के एजेंटों ने उन पर गोलियां बरसा दीं । इसमें मन्नू बुरी तरह घायल हो गया। राघव और तुली को भी गोलियां लगीं। वो वहां से निकल गये। रास्ते में उन्हें लगा कि मन्नू मर गया है तो उसे उन्होंने फुटपाथ पर फेंक दिया। लेकिन वो मरा नहीं था। पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया और वो बच गया । तब तीरथ उन सबको अपने गुप्त ठिकाने पर ले गया । तुली जान चुका था कि F.I.A. उसे भी खत्म करना चाहती है। इधर पासा उल्टा पाते देख F.I.A.ने सैवन इलैवन को ये मामला सौंप दिया ।"
"सैवन इलैवन ।" लियू ने गहरी सांस ली ।
"क्या हुआ ?" शांगली ने उसे देखा ।
"बहुत हरामी चीज है ।" लियू मुस्कुराई ।"
"पक्का और देशभक्त है।"
"हां । वो खतरनाक है । सैवन इलैवन ने क्या किया ?"
"सैवन इलैवन के कुछ कहने से पहले ही तुली ने अपने को बचाने के लिए C.I.A. का हाथ थाम लिया । क्योंकि वो जानता था कि F.I.A.उसे जिंदा नहीं छोड़ेगी । शायद C.I.A. उसे बचा ले। माईक किसी तरह तुली को अमेरिका ले गया ।"
"फिर ?"
"सैवन इलैवन ये सहन नहीं कर सकता कि तुली C.I.A. के सामने मुंह खोले । उसने राघव के सामने शर्त रखी कि अगर F.I.A. से बचना चाहते हैं तो अमेरिका जाकर तुली को खत्म कर दें। पहले राघव अकेला हुआ करता था, परन्तु अब उसके दो साथी भी हैं--- एक्स्ट्रा और धर्मा । ये तीनों R.D.X. के नाम से जाने जाते हैं । R.D.X. तुली को खत्म करने के लिए तैयार हो गये । सैवन इलैवन R.D.X. के साथ अमेरिका पहुंचा । उसने पता लगाया कि तुली C.I.A. की निगरानी में वूस्टर नाम के शहर में है। R.D.X. ने तुली को नहीं मारा और फिर सामने न आने को कहकर तुली को भगा दिया। उसके बाद C.I.A. को तुली के कपड़ों में C.I.A. एजेन्ट की ही लाश मिली, जिसका चेहरा गोलियों से बिगाड़ रखा था । C.I.A. समझ गई कि ये दिखाने की चेष्टा की गई है कि तुली मर गया, ऐसे में C.I.A. ने भी घोषणा कर दी कि F.I.A. एजेन्ट वूस्टर में किन्हीं अज्ञात लोगों को हाथों मारा गया, जबकि C.I.A. ने चुपके से तुली की तलाश शुरू कर दी। अब सिर्फ C.I.A. ही जानती है कि तुली जिंदा है । F.I.A. की नजरों में तुली मर चुका था ।"
"उलझा हुआ मामला है।"
"बहुत।"
"आगे ?"
"चीनी एजेन्टों की निगाह, इस मामले मे तब से थी, जब मन्नू ने, न्यूयॉर्क C.I.A. हैडक्वार्टर फोन किया था। C.I.A. में स्थित हमारे एजेण्ट ने हमें सब कुछ बताया और हम पूरे मामले पर नजर रखे हुए थे। लेकिन हम तब चूक गये जब तुली वूस्टर में हमारी नजरों के सामने से भागकर गायब हो गया और हम नहीं जान सके कि वो कहां गया।"
लियू ने समझने वाले ढंग से सिर हिलाया।
"जबकि तुली के बारे में जानना जरूरी था कि वो कहां है, चीनी एजेंट उसे सामने लाना चाहते थे। क्योंकि चीन के सामने ये एक बेहतरीन मौका था। इंडिया और अमेरिका के संबंधों को बिगाड़ने का। परन्तु चीनी एजेन्टों ने भरपूर तलाश की तुली की। अमेरिका में भी ये काम हो रहा था और इंडिया में भी, परन्तु तुली की कोई खबर न मिल रही थी। तुली को सामने लाने के लिये मजबूरी में हमने किराये के आदमी भेजे और उसके परिवार को गोलियों से भुनवा दिया।"
"क्यों ?" लियू के होंठों से निकला।
"ताकि तुली जहां भी हो निकलकर सामने आये।"
"तुमने कैसे सोच लिया कि तुली ऐसा होने पर सामने आयेगा ?"
"वो F.I.A.का खतरनाक हत्यारा रहा है। अपने परिवार की मौत की खबर सुनकर चूहे की तरह दुबका नहीं रह सकता और यही हुआ, परिवार के मरने के डेढ़ महीने बाद ही तुली हरकत में आ गया । वो फ्लोरिडा में दिखा। माईक को खबर मिली तो वो उसके पीछे पड़ गया। तुली ने किसी का पासपोर्ट चुराया था एयरपोर्ट से।"
"तो वो अमेरिका में था ।"
"हा ।"
"माईक के हाथ लगा वो ?"
"नहीं, फ्लोरिडा से वो सीधा क्रोशिया पहुंचा और वहां स्थित F.I.A. एजेन्ट मोहन सूरी को मार दिया । तब हम समझ गये कि तुली अपने परिवार का हत्यारा F.I.A. को मान रहा था, जो कि हमारे लिए अच्छी बात थी। फिर इंडिया पहुंचा । हमारे एजेंटों की नजर में रहा हर वक्त तुली...।" उसके बाद शांगली, जो हुआ सब कुछ बताता चला गया।
लियू गम्भीरता से सुनती रही ।
उसका दिमाग तेजी से दौड़ता रहा।
शांगली सब कुछ कहकर ठिठका फिर बोल पड़ा।
"इस वक्त सारे हालत हमारी नजरों में हैं। हमारे एजेन्ट F.I.A. के एक ऐसे एजेन्ट के संपर्क में हैं, जो खबरें देने के बदले पैसे लेता है, वो हमें सब कुछ बता रहा है, उधर C.I.A. का एक एजेन्ट पैसे लेकर हमें वहां की खबरें दे रहा है। तुली कहां है हम जानते हैं । माईक आज शाम को मुम्बई एयरपोर्ट पहुंच रहा है । मुम्बई स्थित उसके तीन एजेन्ट प्रशांत-रवि-अमर तुली को ढूंढने का काम कर रहे हैं, परन्तु वो ये नहीं जानते कि तुली कहां है । लेकिन हम जानते हैं । यहां तक मैंने सारा मामला खुद संभाला, परन्तु अब लगने लगा था कि इसके आगे हमें ही कुछ करना होगा। तभी मैंने चीन स्थित हैडक्वार्टर से कहा कि किसी बेहतरीन एजेन्ट को भेजें । तो वो फौरन तुम्हें भेजने को तैयार हो गये ।"
"लियू ने गहरी सांस ली और शांगली के पैकिट से सिगरेट निकालकर सुलगा ली ।
"हां।"
"जानते हो इस मामले में चीन कैसे फायदा उठा सकता है ?"
"कहते जाओ।"
"इन दिनों इंडिया और अमेरिका में कुछ ज्यादा ही बन रही है और ये बात हमारे देश को पसन्द नहीं। हमारे पास ये बेहतरीन मौका है, दोनों देशों में खटास पैदा करने का । आज माईक अमेरिका से आ रहा है। हमें मालूम है कि वो किस फ्लाइट से आ रहा है, तुम माईक से एयरपोर्ट पर ही मिल लो ।"
लियू ने मुस्कुराकर शांगली को देखा ।
"तुम्हारा मतलब कि उसे बता दूं तुली किधर है ?"
"हां ।"
"जरूरी तो नहीं कि तुली, माईक के सामने "ऑपरेशन टू किल' के बारे में मुंह खोल दे ।"
"वो बतायेगा।"
"इतने विश्वास के साथ तुम कैसे कह सकते हो शांगली ?"
शांगली खुलकर मुस्कुराया।
लियू की आंखें सिकुड़ी । वो बोली---
"क्या बात है ?"
"जब उसके परिवार को मारा गया तो इत्तेफाक से उसका एक बेटा बंटी बच गया । वो तब पड़ोस में खेल रहा था। हमारे एजेन्ट उसे उठा लाए । वो अब हमारे कब्जे में है । जरूरत पड़ी तो बंटी को हम माईक के हवाले कर देंगे । अपने बेटे की खातिर तो तुली मुंह खोलेगा ही । C.I.A. को 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में सब बताना पड़ेगा।"
"तुमने बताया कि जैनी F.I.A. की कैद में है...।"
"उसे रहने दो लियू । मन्नू को भी रहने दो । वैसे दोनों पुनः F.I.A.की कैद में पहुंच गये हैं । तीरथ को दो-चार दिन पहले ही किसी ने शूट कर दिया है । बचा राघव तो वो R.D.X. की तिकड़ी खतरनाक है । तुली C.I.A. का पक्का गवाह बन जाये तो बहुत ही बढ़िया हो जायेगा । क्योंकि तुली F.I.A.का एजेंट रहा है । उसकी गवाही को झुठलाया नहीं जा सकता । C.I.A. को तुली में दिलचस्पी होगी। उसके बाद तो इंडिया को जवाब देना भारी पड़ेगा कि उसके अमेरिकन विदेश मंत्री को क्यों मारा। हम चाहते हैं कि ऐसा कुछ हो जिसे अमेरिका और इंडिया के बीच तनाव पैदा हो। यही वजह रही है कि इस मामले में नजर रख रहे थे ।"
"ठीक है, आज शाम मैं माईक से मिलूंगी ।" लियू फैसले भरे लहजे में कह उठी ।
"तुम माईक से पहले मिल चुकी हो ?"
"कई बार, बहुत अच्छी तरह से ।"
■■■
धर्मा का फोन बजा ।
दूसरी तरफ सैवन इलैवन था ।
"दस बज गये ।" सैवन इलैवन की आवाज कानों में पड़ी---
"तुमने दस बजे फोन करने को कहा था । मुम्बई पहुंच गये ?"
"मैं तुम्हारे घर के बाहर हूं । मुझे तो तुम लोग नजर नहीं आ रहे।"
धर्मा ने गहरी सांस लेकर कहा ।
"मुम्बई पहुंचे हैं, घर नही । तुम बोलो, कहां मिलोगे ?"
"अपने घर पर आ जाओ । मैं वहीं हूं ।" दूसरी तरफ से सैवन इलैवन ने कहा
"हमें कहीं और मिलना चाहिये । हमारा इरादा अभी घर पहुंचने का नहीं है ।" धर्मा बोला। ।
राघव और एक्सट्रा की निगाह धर्मा पर थी ।
"तुम लोग मुझसे मिलने से दूर क्यों भाग रहे हो ?"
"ऐसा कुछ नही है, मैं तो तुम्हें घर के अलावा कहीं और मिलने को कह रहा हूं ।"
"कहां ?"
"जहां तुम बोलो । नरीमन प्वाइंट पर आ जाओ ।"
"वहां-कहां ?"
"L.I.C. बिल्डिंग की पार्किंग में मिलेंगे अब से डेढ़ घंटे बाद ।" धर्मा ने कहा।
"ठीक है ।" उधर से सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद कर दिया ।
धर्मा ने भी फोन बंद करके जेब मे रखा और राघव-एक्सट्रा को देखा ।
आज हम सैवन इलैवन से मिलेंगे।।" धर्मा ने कहा ।
"हम नहीं मैं मिलूंगा ।" राघव ने कहा--- "तुम दोनों मुझे कवर करोगे ।"
"कोई गड़बड़ है, तभी तो सैवन इलैवन हमारे इंतजार में हमारे घर के बाहर जा पहुंचा ।" एक्स्ट्रा कह उठा ।
"तुली वाली बात न हो ।"
R.D.X. की नजरें मिलीं ।
तीनों की आंखों में सख्ती से भरे, खतरनाक भाव थे
■■■
नरीमन प्वाइंट ।
L.I.C. इमारत की पार्किंग में गाड़ियों की कतारें दूर तक चमक रही थीं । ये मुम्बई का बेहद व्यस्त इलाका था । मुम्बई की सबसे महंगी जमीन यहीं पर थी । ऊंची-ऊंची इमारतें, महंगा बिजनेस सेंटर था ये । किसी इमारत की दूसरी मंजिल के नीचे देखा जाये तो लोग चीटियों की तरह आते-जाते दिखाई देते थे ।
इसी पार्किंग में सैवन इलैवन एक कार से टेक लगाये खड़ा था । उसकी निगाह हर तरफ घूम रही थी । आज धूप तेज थी । पसीने की लकीरें उसके गालों पर बह रही थी । उसकी बिल्लोरी आंखें हर तरफ घूम रही थीं। तभी उसका फोन बजा---
"हैलो ।" सैवन इलैवन ने बात की ।
"किधर हो तुम ?" राघव की आवाज कानों में पड़ी।
"पार्किंग में पश्चिम की तरफ आ जाओ । मैं मिल जाऊंगा।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद करके जेब में रखा ।
पांच मिनट बाद ही उसे राघव आता दिखा ।
वो पास पहुंचा ।
सैवन इलैवन की निगाह उस पर थी ।
"अकेले हो ?" सैवन इलैवन ने पुछा ।
"हां ।"
"ये क्यों नहीं कहते कि धर्मा और एक्स्ट्रा भी पास से कहीं नजर रखे हुए हैं।" सैवन इलैवन ने अपने आसपास निगाह मारी ।
"तुम्हें हमसे क्या काम है ?"
"धर्मा और एक्स्ट्रा को भी यहीं बुला लो ।"
"तुम बात करो ।"
सैवन इलैवन की बिल्लोरी आंखें राघव पर जा टिकीं।
"दो ढाई महीने पहले मैंने तुम तीनों को F.I.A. के हाथों से बचाया था ।" सैवन इलैवन ने कहा ।
"बदले में तुमने तुली को मारने का काम भी लिया था। मुफ्त में हमें नहीं बचाया ।"
"और तुम लोगों ने तुली को मार दिया ।"
"नई बात करो, ये बातें पुरानी हो चुकी हैं ।" राघव ने लापरवाही से कहा ।
सैवन इलैवन की बिल्लोरी निगाह, राघव पर थी ।
"तुली जिन्दा है ।"
राघव ने चौंक कर सैवन इलैवन को देखा फिर सिर हिलाकर बोला ।
"मजाक मत करो ।"
"तुम लोगों ने तुली को नहीं मारा ।" सैवन इलैवन ने कहा ।
"हमने उसे बुरी तरह मारा । उसके चेहरे पर रिवॉल्वर की सारी गोलियां ठोक दी थीं । वो...।"
"जिन्दा है तुली।" सैवन इलैवन शांत था ।
राघव ने चेहरे पर हैरानी भर ली ।
"ये नही हो सकता । हमने उसे मारा था । वहां कई C.I.A. एजेन्टों को भी मारा था ।"
"तुली इस वक्त मुम्बई में है ।"
राघव सैवन इलैवन को देखने लगा ।
"मुम्बई में ?" राघव के होंठों से हैरानी भरा स्वर निकला ।
"हां ।"
"लेकिन वो तो मर गया था । मैंने उसे मारा ।"
"तुमने उसे नही मारा । वो जिन्दा है।"
"नहीं।"
"बकवास मत करो । R.D.X. बच्चे नहीं है कि किसी को मारने जाएं और उसके बदले किसी और को मारकर आ जाएं । तुम लोगों ने जानबूझकर तुली को नहीं मारा । वो जिन्दा रहा और इस वक्त मुम्बई में है ।" सैवन इलैवन ने तीखे स्वर में कहा ।
सैवन इलैवन ने खा जाने वाली नजरों से राघव को घूरा ।
राघव ने उलझन में फंसे सिगरेट सुलगाई । वो इस बात पर परेशान था कि तुली मुम्बई में है । सैवन इलैवन ये बात गलत नही कहेगा । जबकि तुली को ये कहकर जिन्दा छोड़ा था कि वो किसी के सामने न आये ।
मुसीबत वाली बात थी ।
सैवन इलैवन की बिल्लोरी आंखें, राघव के चेहरे पर टिकी थीं ।
"तुम लोगों ने तुली को जिन्दा क्यों छोड़ा ?" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में पूछा ।
"हमने उसे मार दिया था । तुम मानते क्यों नही ?"
"तुम्हारी झूठी बकवास मैं नही मानने वाला--- तुम अब फिर F.I.A. के कब्जे में...।"
"पहले की तरह, अब ये सब नही चलने वाला ।" राघव बोला--- "हमने तुम्हारे कहने पर अमेरिका जाकर तुली को मार दिया था। अगर तुम कहते हो कि तुली जिन्दा है तो हमें मामला समझने का वक्त दो कि ये सब कैसे हुआ ?"
सैवन इलैवन ने राघव की आंखों में देखा ।
"अपना फ्लैट छोड़कर कहा टिके हुए हो तुम लोग ?"
"हमने अपना फ्लैट नही छोड़ा, वहीं पर है । पूना से सीधा आकर तुमसे मिले हैं, अब अपने फ्लैट पर जायेंगे ।"
"एक्सट्रा और धर्मा को यहीं बुला लो ।"
"मैं जा रहा हूं । तुली के बारे में तुमने जो कहा है, पहले वो समझूंगा कि वो जिन्दा कैसे हो गया । उसके बाद तुमसे बात करूंगा । तुली के जिन्दा होने और मुम्बई में होने की बात कहकर तुमने मुझे हैरान कर दिया है ।"
"हवा में उड़े जा रहे हो, लेकिन...।"
"मैं तुम्हें फिर मिलूंगा सैवन इलैवन ।" राघव ने कहा और पलटकर आगे बढ़ गया ।
सैवन इलैवन ने फोन निकालकर नम्बर मिलाये फिर भट्ट की आवाज कानों में पड़ी ।
"राघव को मै देख रहा हूं गुरु । मैं उसके पीछे जाकर उसका ठिकाना देखता हूं ।"
"ठीक है ।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद करके जेब में रखते हुए आगे बढ़ गया ।
तभी सैवन इलैवन का फोन बजा---
"हैलो ।" सैवन इलैवन ने बात की ।
"F.I.A. कंट्रोलरूम ।"
"कहो ।"
"आज C.I.A. एजेन्ट माईक शाम की फ्लाइट से मुम्बई पहुंच रहा है ।" उधर से बताया गया ।
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