फ्लोरिडा !

अमेरिका का एक शानदार शहर ।

और एक बढ़िया रेस्टोरेंट में इंडिया की गुप्त जासूसी संस्था फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी का भूतपूर्व हत्यारा तुली, दो महीने से वेटर का काम करते हुए, खामोशी से जिंदगी बता रहा था । F.I.A. से अब तुली का कोई वास्ता नहीं था । F.I.A. इस वक्त यही समझते हुए थी कि तुली मर चुका है ।

तुली ने गहरी सांस ली और ट्रे रखी। सामने  दीवार पर घड़ी में वक्त देखा। उसकी ड्यूटी पूरी हो गई थी। तभी साथ से निकलता दूसरा वेटर कह उठा-

"जा रहे हो ?"

"हां ।" तुली ने उसे देखा ।

"मेरी ड्यूटी के तो अभी 2 घंटे बाकी हैं। उसके बाद घर जाऊंगा। आज पत्नी को मार्केट ले जाना है ।" कह कर आगे बढ़ गया ।

कुछ देर बाद तुली कपड़े बदलकर रेस्टोरेंट से बाहर आ गया ।

शाम के सात बज रहे थे ।

सामने सड़क पर तेजी से ट्रैफिक दौड़ता नजर आ रहा था । अंधेरा होने वाला था कुछ कारों की हैडलाइट ऑन हो रही थी । तुली फुटपाथ पर आगे बढ़ने लगा। ड्यूटी समाप्त करने के बाद उसके चेहरे पर रोज की तरह गम्भीर भाव आ जाते थे। वो इंडिया में रह रहे अपने परिवार के बारे में सोचता था। उसका मन उन्हें फोन करने को करता, परंतु हर बार अपनी इस इच्छा को दबा लेता। उसमें खतरा था। F.I.A. शायद अभी भी उसके परिवार पर नजर रखे हो। उसके घर पर लगा फोन टेप कर रखा हो। ऐसा हुआ तो F.I.A. को पता चल जायेगा कि वो जिन्दा है और उसे ढूंढकर खत्म करने में  F.I.A. जमीन और आसमान एक कर देगी ।

तुली ठिठका !

सामने ही फोन बूथ था, जहां से वो अपने घर पर फोन कर सकता था। यहां निकलते हुए हर रोज वो रुककर फोन बूथ को देखता था। घर वालों को याद करता था और आगे बढ़ जाता था ।

तुली के मन में था कि इंडिया में रह रहे अपने परिवार को किसी प्रकार फ्लोरिडा बुला ले, परन्तु F.I.A. के डर से घर पर फोन नहीं करता था ।

लेकिन आज उसका मन बहुत कर रहा था कि घर फोन करे।

मन में सोचा कि उधर से अपनी पत्नी या बच्चे की आवाज में हैलो-हैलो सुनकर ही फोन रख देगा। अब तो अपने परिवार वालों की आवाज भी वह भूलता जा रहा था ।

तुली आगे बढ़ा, फोन बूथ की तरफ। वो खाली था।

तुली ने दरवाजा खींचा और बूथ के भीतर प्रवेश कर गया। घर पर फोन करने की सोच पर उसका दिल तेजी से धड़कने लगा था । उसने जेब से कार्ड निकाला। 10 डॉलर कार्ड उसने डेढ़ महीना पहले खरीदा था कि फोन करके अपने परिवार से बात करेगा। लेकिन फोन नहीं कर पाया था। तुली ने कार्ड को फोन के पास रखी मशीन में फंसाया और रिसीवर उठाकर नम्बर मिलाने लगा ।

तुली को लगा उसकी उंगलियां कांप रही हैं। शायद उत्तेजना की वजह से ।

रिसीवर कान से लगा था ।

नम्बर मिलाते ही उसके कानों में इंगेज की टोन पड़ने लगी ।

तुली ने दोबारा नम्बर मिलाया ।

दोबारा भी वही हुआ ।

उसके बाद तुली ने कई बार इंडिया में अपने घर का नम्बर मिलाया ।

परन्तु नम्बर नहीं लगा ।

तो क्या फोन खराब है घर का ?

जो भी हो, तुली के मन में बुरी आशंकाएं दौड़ने लगीं। उसने अपने को बहुत समझाया कि घर का फोन खराब हो सकता है। एक-दो दिन ठहर कर उसे फोन करना चाहिए। तब तक फोन ठीक हो जायेगा ।

परन्तु तुली का सब्र न जाने क्यों बे-सब्र हो चुका था ।

अब वो एक दिन भी नहीं रुक सका था । घर पर बात करना चाहता था ।

न चाहते हुए भी तुली ने अपने पड़ौस के शर्मा को फोन किया ।

वहां बेल होने लगी ।

तुली बेचैन-सा कान पर रिसीवर लगाये खड़ा रहा ।

"हैलो ।" अगले ही पल आवाज उसके कानों में पड़ी।

तुली ने गहरी सांस ली । वो शर्मा की ही आवाज थी, उसने पहचान ली थी ।

"शर्मा।" उसके होंठों से धीमा, किन्तु उत्तेजना भर स्वर निकला।

"कौन ?"

"मैं तुली, पहचाना नही शर्मा--- हम कभी-कभी फुर्सत के वक्त में ताश खेला करते थे ।"

उधर से शर्मा की आवाज नही आई ।

"शर्मा ?" तुली ने उसके खामोश होने पर कहा ।

"तुम तो मर गये थे तुली, ऐसा मैंने सुना।" उधर से शर्मा के गहरी सांस लेने की आवाज आई ।

"नही बताऊंगा, लेकिन तुम कहां हो, मुम्बई में ।"

"नहीं, कहीं और हूं। मैं घर पर फोन लगा रहा था, शायद फोन खराब है, तुम मेरी पत्नी से...।"

"तुम्हें नही पता?" शर्मा की आवाज कानों में पड़ी ।

"क्या?" तुली के होंठों से निकला ।

"डेढ़ महीना पहले तुम्हारे परिवार को किसी ने गोलियों से भून दिया। वो सब मर गये, बंटी उस वक्त मेरे घर में खेल रहा था, वो बच गया, परन्तु दो घंटे बाद वो भी गायब हो गया। पुलिस ने बहुत सिर खपाया कि सब क्यों हुआ, किसने किया? घर पर पुलिस ने ताला लगा दिया ।"

तुली को काटो तो खून नही, ये हाल होता दिख रहा था उसका।

आंखें फटी-फटी-सी हो गईं।

खुले होंठ ।

वो बूथ के शीशे के पार, जाने कहां देखे जा रहा था ।

उधर से शर्मा की 'हैलो-हैलो' कानों में पड़ रही थी ।

फिर एकाएक उसे होश आया। आंखों में खतरनाक भाव नजर आने लगे।

शर्मा अभी भी हैलो-हैलो कर रहा था ।

"मेरे लिये ये खबर नई है शर्मा ।" तुली का स्वर सख्त हो गया ।

"ओह, मैंने सोचा तुम्हें पता...।"

"तुम किसी को मत बताना कि मेरा फोन आया था या मैं जिन्दा हूं ।"

"परन्तु ये सब हो क्या रहा...।"

"मिलने पर बताऊंगा ।" तुली ने कहा और रिसीवर रख दिया ।

पास की मशीन में फंसा कार्ड बाहर निकला और जेब में डालते हुए बूथ से बाहर निकला और फुटपाथ पर आगे बढ़ने लगा। पूरी तरह अंधेरा घिर आया था। सड़क पर हैडलाइट चमक रही थी। एक फोन करने से ही तुली को अपनी दुनिया बदली-सी लगने लगी। उसके परिवार को किसी ने गोलियों से भून दिया ।

पत्नी और दो बच्चों को ।

परन्तु बंटी बच गया, जो कि लापता हो गया ।

डेढ़ महीना पहले ये सब किया गया ।

जबकि दो महीने पहले ये बात घोषित हुई थी कि वो मर गया है।  F.I.A. फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की तरफ से R.D.X. ने उसकी हत्या की थी, जबकि हकीकत में उसे मारा नहीं गया था। उन्होंने उसे भगा दिया था कि कहीं जाकर गुमनाम जिन्दगी बिताये। R.D.X. ने उस पर मेहरबानी की थी, ये सब करके ।

उसके बाद से हर किसी ने यही समझा कि तुली को मार दिया गया है। क्योंकि उसके कपड़े पहने चेहरे पर, गोलियां लगी वहां से लाश बरामद हुईं, जो कि उसकी ही समझी गई थी ।

उसके बाद से तुली ने समझा कि मामला खत्म हो गया है और चुपचाप फ्लोरिडा आकर रेस्टोरेंट में वेटर का काम करते हुए खामोशी से जिंदगी बिताने लगा था। ये तो उसे अब पता चला कि उस हादसे के पन्द्रह दिन बाद इंडिया में उसके मुम्बई के घर में गोलियां बरसाकर उसके परिवार को खत्म कर दिया गया था।

तुली का चेहरा धधक उठा था ।

आंखें दहक-सी उठी थीं ।

उसे पूरा विश्वास था कि ये काम F.I.A. ने ही किया है अगर उसने अपने परिवार वालों को 'ऑपरेशन टू किल' नाम के मिशन के बारे में कुछ बताया हो तो, वो उस मिशन के बारे में किसी को कुछ न बता सके ।

F.I.A. ने उसके परिवार की हत्या करा दी। ये सोचकर कि तुली तो मर गया है। अब उनकी हत्या पर कोई उनसे सवाल पूछने वाला नहीं, लेकिन वो जिन्दा था। तुली सिर से पांव तक बदले की आग में सुलग चुका था ।

अब उसे इंडिया जाना था। जबकि उसके पास पैसे नहीं थे । पासपोर्ट नहीं था ।

■■■

रात के दस बज रहे थे ।

तुली ने एक नाइट क्लब में प्रवेश किया। वहां भीड़ थी। लोग मौज-मस्ती में थे। वो बाथरूम में पहुंचा। वहां का माहौल भी गर्म था। लोग टेबलों पर बैठे थे। जिन्हें वहां जगह नहीं मिली वो स्टूलों पर कब्जा जमाये हुए थे। कुछ गिलासों में थामें इधर-उधर टहलते पी रहे थे। सामने फ्लोर पर मौजूद बैंड बज रहा था। और नशे में भरे कुछ जोड़े वहां नाच रहे थे। ऐसे माहौल में तुली वहां क्या करने वाला है, इस बात की परवाह ही किसे थी।

तुली बार काउन्टर पर पहुंचा ।

वहां कम-से-कम छः लोग अपनी पसंद का गिलास तैयार करवा रहे थे । बार काउन्टर के उस पार तीन व्यक्ति थे । एक कैशियर की टेबल पर बैठा था । दो गिलास बनाकर ग्राहकों को सर्व करने में व्यस्त थे ।

तुली की निगाह उस बक्से पर पड़ी, जो कैशियर की टेबल पर रखा था और उसमें डॉलर भरे हुए थे। जो भी कस्टमर डॉलर देते, उन्हें वो उसी बक्शे में डाल रहा था। वो काफी हद तक भर चुका था ।

तभी एक व्यक्ति बार काउन्टर के पीछे का दरवाजा खोलकर भीतर आया। उसके हाथ में वैसा ही बक्सा थमा था, जैसा कि टेबल पर रखा था, परन्तु वो खाली था, उसके पकड़ने का ढंग बता रहा था । पास पहुंचकर उसने बक्से को टेबल पर रखा और भरा बक्सा उठाकर वापस चल पड़ा ।

तुली फौरन उसके पीछे चल पड़ा ।

वो बक्सा उठाए पीछे की तरफ नजर आ रहे दरवाजे की तरफ बढ़ गया था।

तुली जानता था कि वहां और लोग भी होंगे, जो करना है, यही करना है ।

तुली उसके पास पहुंचा। वो दोनों हाथों से बक्सा उठाये आगे बढ़ रहा था। बक्से का कुल भार पांच-सात किलो होगा । वो डेढ़ फीट चौड़ा और उतना ही गहरा था ।

"सुनो।" तुली पीछे से उसके पास पहुंचा ।

उसकी रफ़्तार कुछ कम हुई । उसने गर्दन घुमा कर तुली को देखा ।

"इसमें डॉलर भरे हुए हैं ?" तुली ने सहज स्वर में पूछा ।

"हां। लेकिन तुम्हारे नहीं हैं ।"

दरवाजा करीब दस कदम दूर रह गया था ।

"मैं मानता हूं मेरे नहीं हैं ।" तुली की निगाह हर तरफ घूम रही थी। सामने की तरफ लोग ही लोग थे, परन्तु इस तरफ की जगह कोने में पड़ रही थी। यहां कोई नहीं था और किसी की निगाह भी नहीं रहती थी--- "लेकिन मुझे इनकी जरूरत है।"

"ज्यादा पी ली है तुमने। दफा हो जाओ वरना...।"

उसी पल तुली का हाथ तेजी से घूमा और उसकी गर्दन पर पड़ा।

उसके होंठों से घुटा-घुटा-सा स्वर निकला। वो लहराकर नीचे गिरने लगा कि तुली ने फौरन बक्सा थाम लिया। वो नीचे जा गिरा था। बेहोश हो गया था। तुली जानता था कि वक्त कम है । कोई इधर आ सकता था। उसने बक्सा नीचे रखा और उसे खोलकर उसमें रखे डॉलर फुर्ती से निकालकर अपनी जेबों में डालने लगा ।

■■■

तुली एयरपोर्ट पर पहुंचा ।

रात का एक बज रहा था। परन्तु एयरपोर्ट पर भरपूर चहल-पहल थी। क्योंकि दुनिया भर के देशों में फ्लाईट जाने का प्राइम टाइम चल रहा था। लोग क्यू में लगे अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे ।

तुली चहल-कदमी करता हुआ, हर तरफ से हालात नोट करता रहा। फिर वो एयरपोर्ट के उस कमरे में पहुंचा जो कि एयरपोर्ट कर्मचारियों का गैस्ट रूम था। एक तरफ उसे दो कोर्ट लटके दिखे, जो कि एयरपोर्ट कर्मचारियों की यूनिफार्म का हिस्सा था। तुली ने उनमें से एक कोट अपने साइज का छांटकर पहना और गैस्ट रूम से बाहर आ गया ।

अब तुली भी एयरपोर्ट कर्मचारियों का हिस्सा लग रहा था ।

तुली लाइन में लगे एक ऐसे व्यक्ति के पास पहुंचा जो कि इंडियन था और उसकी उम्र उसकी जितनी थी ।

"सर।" तुली मुस्कुराकर, उससे धीमे स्वर में बोला--- "मुझे अपना पासपोर्ट टिकट दीजिए। मैं आपका काम करा देता हूं ल।"

"ओह, शुक्रिया-मेहरबानी।" उसे एयरपोर्ट के स्टाफ का समझकर, वो व्यक्ति तुली को पासपोर्ट और टिकट देता कह उठा--- "आप भी इंडियन हैं, मेरी तरह ।"

"तभी तो, मैं आपका काम कराने आ पहुंचा।" तुली ने हंसकर कहा। उसका पासपोर्ट टिकट लिया--- "जब तक मैं वापस नहीं आता आप लाइन में ही रहिये। आज एयरपोर्ट पर भीड़ ज्यादा है ।"

"वो तो मैं देख ही रहा हूं ।" उस व्यक्ति ने आभार भरे स्वर में कहा ।

तुली पासपोर्ट और टिकट लेकर एक तरफ बढ़ गया ।

आगे जाकर टिकट उसने कूड़ेदान में डाली और पासपोर्ट जेब में, फिर बाहर निकलता चला गया। डाल रखा कोट उतार कर, एक डेस्क पर रख दिया था। पैसे का इंतजाम भी हो गया और पासपोर्ट का भी ।

पासपोर्ट पर तस्वीर उसने अपनी लगा देनी थी ।

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न्यूयॉर्क !

C.I.A का ऑफिस !

सुबह के आठ बज रहे थे ,चीफ टॉम लैरी ने अभी-अभी अपने कमरे में कदम रखा था। रात की ड्यूटी करने वाला चीफ कुछ देर पहले ही गया था। टॉम लैरी ने टेबल पर रखे कुछ कागजों को देखा फिर एक कागज पर निगाह पड़ते ही चौंका। उस कागज पर तुली की तस्वीर प्रिंट थी, जिस पर तुली ने एयरपोर्ट के कर्मचारियों वाला कोट डाल रखा था ।

नीचे लिखा था ।

दो महीने पहले आपके ऑफिस ने एक तुली नाम के इंडियन का हुलिया बताया था। ये व्यक्ति बताए गये हुलिए से मिलता है, जांच लें। फ्लोरिडा एयरपोर्ट पर इस व्यक्ति ने एक इंडियन का पासपोर्ट उड़ा लिया है ।

चीफ टॉम लैरी के होंठ सिकुड़े । उसने फोन रिसीवर उठाकर C.I.A के बेहतरीन जासूस माइक को फोन किया । फौरन ही उस तरफ बेल होने लगी कि माइक की आवाज कानों में पड़ी ।

"हैलो ।"

"कहां हो ?" चीफ ने पूछा ।

"बिस्तर पर। तुम्हारे फोन ने नींद से उठा दिया ।"

"जल्दी मेरे पास पहुंचो। तुम्हारे काम की खबर है ।" कहकर चीफ टॉम लैरी ने रिसीवर रख दिया ।"

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एक घंटे में माइक, चीफ टॉम लैरी के पास था ।

"चीफ, तुम मुझे बुलाने का अच्छा बहाना बना लेते हो कि मेरे काम की खबर तुम्हारे पास है ।" माइक ने कहा और कुर्सी खींच कर बैठ गया--- "बोलो क्या खबर है तुम्हारे पास ?"

"तुम्हें मालूम है कि तुली जिन्दा है ।" टॉम लैरी ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"मालूम है। हमें वूस्टर में जो लाश मिली थी, वो तूली की नहीं थी। परन्तु हमने बात दबाये रखी है । मेरे एजेंट इंडिया यानी कि मुम्बई  में तुली को तलाश कर रहे हैं । वो यहां से बचकर पक्का देर-सवेर मुम्बई...।"

"जरूरत तो नहीं ।"

"क्या मतलब ?"

"F.I.A. तुली को खत्म करा देना चाहती है, क्योंकि F.I.A. का एजेन्ट तुली C.I.A. के 'ऑपरेशन टू किल' की असलियत बताने को तैयार हो गया था। F.I.A. ने तुली को वूस्टर में खत्म भी किया परन्तु मारने आये, F.I.A. के एजेन्ट ही जाने क्यों गड़बड़ कर गये और तुली को चुपके से भगा दिया, और ये दिखाने के लिए कि उन्होंने तुली को मार दिया है, हमारे ही एजेन्ट को तुली के कपड़े पहनाकर, चेहरे पर गोलियों से छलनी कर दिया कि, कोई उसे पहचान न सके।"

"परन्तु हम जान गये कि तुली नहीं मरा। उसे मारने का ड्रामा किया गया है ।" माइक बोला--- "F.I.A के वो एजेन्ट तुली के हमदर्द रहे होंगे, तभी उन्होंने ऐसा किया होगा ।"

"परन्तु उसके बाद तुली को कोई खबर नहीं मिली ल। F.I.A. आज तक यही समझती है कि तुली मर चुका है ।"

"हां।" माइक ने गहरी सांस ली--- "F.I.A. के एजेन्ट सैवन-इलैवन ने मुझे दो महीने पहले बेबस कर दिया...।"

"वो तुम्हारी गलती थी ।"

"उसने मेरे बेटे का अपहरण कर लिया था, मुझे उसकी बात माननी पड़ी...।"

"चुप रहो।" चीफ टॉम लैरी ने नाराजगी से कहा--- "दो महीने से तुम तुली को तलाश नहीं कर सके। तुम सोचते रहे कि वो वूस्टर से इंडिया भाग गया होगा। मुम्बई जरूर जायेगा। F.I.A. के एजेन्ट उसे मुम्बई में ढूंढ रहे हैं ।"

"तो क्या हो गया चीफ ।"

"तुली फ्लोरिडा में है। रात फ्लोरिडा एयरपोर्ट से उसने एक इंडियन व्यक्ति से पासपोर्ट छीना है ।" चीफ टॉम लैरी ने टेबल पर रखा वो कागज माईक के सामने कर दिया ।

माईक ने वो कागज देखा तो उसके माथे पर बल नजर आने लगे।

"तुली फ्लोरिडा में ।" माईक ने अजीब से स्वर में कागज पर छपी उसकी तस्वीर को देखते हुए कहा--- "साला ।"

"माईक।" चीफ टॉम लैरी ने गम्भीर स्वर में कहा--- "तुली हमें जिन्दा चाहिए। हमें इससे 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में पूरी जानकारी लेनी है। और वक्त आने पर उसे गवाह के तौर पर इंडिया के सामने भी करना है। ये हमारे लिए कीमती है ।"

"चिन्ता मत करो चीफ, तुली पूरी तरह हमारा साथ देगा । क्योंकि वह बुरी तरह फंसा पड़ा है। F.I.A. अपनी तरफ से इसे खत्म कर चुकी है। मगर F.I.A. के डर से ही दो महीने खामोशी से बिता गया अमेरिका में। मुझे अभी फ्लोरिडा जाना होगा ।"  माईक कागज थामे उठते हुए बोला ।

"एक बात और ।"

"कहो चीफ ।"

"तुली ने किसी हिन्दुस्तानी व्यक्ति से पासपोर्ट छीना है, इस बारे में सोचो ।"

माईक ने चीफ को देखा फिर कहा---

"उसके पास पासपोर्ट नहीं है। वो कहीं जाना चाहता है। उस पर अपनी तस्वीर लगायेगा ।"

"ठीक समझे। इस बात का भी ध्यान रखना कि वो उस पासपोर्ट का इस्तेमाल करके अमेरिका से निकल न सके। वो नहीं जानता कि हम फ्लोरिडा में उसकी मौजूदगी के बारे में जान गये हैं, ये अच्छी बात है । तुम आसानी से और चुपके से तुली तक पहुंचकर उसे पकड़ सकते हो।"

"मैं ऐसा ही करूंगा। लेकिन चीफ तुम तुली का जिक्र किसी के सामने मत करना। हमारे यहां विक्टर की तरह कोई दूसरा एजेंट भी हो सकता है जो कि F.I.A. को तुली के जिन्दा होने की खबर दे देगा ।"

"तुली की बात तुम्हारे और मेरे बीच ही रहेगी ।" चीफ टॉम लैरी ने कहा ।

■■■

तुली ने अपनी नई तस्वीर खींचकर, पासपोर्ट पर लगा ली थी । ऊपर से इस स्टैम्प का हिस्सा आ रहा था, वो भी लगा लिया था। हस्ताक्षर भी उसने उस पट्टी पर नये कर दिए थे। यानी कुल मिलाकर पासपोर्ट ठीक लग रहा था। ऐसा नहीं लगता था कि उस पर कोई गड़बड़ की गई है ।

उस क्लब से उसके हाथ दो हजार डॉलर लगे थे। जबकि उसने 370 डॉलर में मुम्बई के लिए विमान से सीट बुक कर ली थी । उन डॉलरों से उसका मुम्बई का खर्चा भी चल सकता था । आज रात जाने वाली फ्लाइट में सिर्फ एक ही सीट खाली थी, जो कि किसी ने कैंसिल करा दी थी और उसे मिल गई । वरना पांच दिन तक किसी फ्लाइट में कोई सीट नहीं थी । इंडिया जाने के लिए एजेन्ट के द्वारा उसने वीजा लगवा दिया था, जिसके उसने 100 डॉलर एजेन्ट को दिए थे ।

इस वक्त शाम के तीन बज रहे थे ।

जबकि उसकी फ्लाईट रात 10:40 की थी ।

ऐसे में उसने कुछ नींद ले लेना बेहतर समझा ।

परन्तु मन-ही-मन बेहद परेशान था। अपनी पत्नी और बच्चों को याद कर रहा था। पत्नी और दो बच्चों की हत्या कर दी F.I.A. ने। बंटी लापता था। जाने वो जिन्दा भी है या नहीं ?

F.I.A. को नहीं छोड़ेगा वो ।

उसके परिवार को मारकर बहुत गलत काम किया है F.I.A. ने।

तुली ऐसी बातें ही सोच रहा था ।

नींद न आई थी उसे ।

मन मे F.I.A. के लिये आग लगी हुई थी ।

धीरे-धीरे तुली की सोचें बीते वक्त में जाने लगी। तीन महीने पहले की बात है। सब कुछ ठीक चल रहा था । वो भारत सरकार की गुप्त जासूसी संस्था फैडरल इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी (जिन्न का नया नाम ) का सफल हत्यारा था। अपने देश की बेहतरी के लिए वो अपने फर्ज को अंजाम देता फिर रहा था । तभी कुछ ऐसा हुआ कि उसके जीवन की सारी शांति भंग हो गई । आठ साल पहले उसके हवाले 'ऑपरेशन टू किल' नाम का मिशन किया गया था। एक गद्दार ब्रिगेडियर छिब्बर, देश के महत्वपूर्ण एवं गुप्त रहस्य, साउथ ईस्ट-यूरोप के क्रोशिया शहर में अमेरिकन विदेशी मंत्री ड्यूक हैरी को बेचने जा रहा था और देश के उन महत्वपूर्ण रहस्यों को अमेरिका के हाथ पड़ना खतरे से खाली नहीं था। ऐसे में उसे F.I.A. की तरफ से आदेश मिला कि वे तुरन्त क्रोशिया जाकर ब्रिगेडियर छिब्बर को खत्म करें और उससे वो महत्वपूर्ण कागजात हासिल करें। इस काम ने विभाग की तरफ से उसके साथ कोई नहीं होगा। साथियों की जरूरत हो तो बाहर से अपने तौर पर चुन ले ।

वक्त कम था ।

तुली ने आनन-फानन बीस-बीस लाख देने का वादा करके तीन लोगों को 'ऑपरेशन टू किल' के नाम का मिशन पूरा करने के लिए चुना । वो तीन थे--- राघव, मन्नू और तीरथ । तीनों ही खतरनाक थे ।

वक्त रहते वे चारों क्रोशिया पहुंचे । जरूरत के मुताबिक जैनी नाम की युवती को भी वहां से अपने काम में लिया ।

क्रोशिया स्थित F.I.A. का एजेंट मोहन सूरी पीछे रहकर उनकी जरूरत पूरी कर रहा था ।

ठीक वक्त पर तुली की कमाण्ड में इस ऑपरेशन को पूरा किया गया। परन्तु पहली गड़बड़ ये हुई कि ब्रिगेडियर छिब्बर के साथ-साथ अमेरिकी विदेशमंत्री  ड्यूक हैरी को भी मजबूरी में शूट करना पड़ा। ये सब एक क्लब में हुआ था। और ब्रिगेडियर छिब्बर और ड्यूक हैरी आपस में मिल-जा बैठे थे। दूसरी गड़बड़ हुई कि मन्नू ने तुली को फोन पर बात करते सुना और जाना कि वो F.I.A. का एजेन्ट है और उसी समय F.I.A. की तरफ से तुली को कहा गया कि वो राघव, मन्नू और तीरथ को खत्म कर दें। ताकि इस 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में कोई न जान सके ।

मन्नू ने यह सुना तो वो खामोशी से जैनी के साथ वहां से खिसक गया। वो जैनी को पसंद करने लगा था ।

उधर तुली ने F.I.A. को समझाया कि जैसे कि उसकी पहले ही उन तीनों से बात हो चुकी है, काम के बाद उनकी इस वक्त की याददाश्त मिटा दी जायेगी। यही किया जाये। मारने का कोई फायदा नहीं। F.I.A. तुली की बात मान ली। मन्नू और जैनी गायब हो चुके थे। तुली राघव, तीरथ के साथ वापस हिन्दुस्तान लौटा और दोनों की याददाश्त मिटा कर, बीस लाख उन्हें देकर उन्हें आजाद कर दिया गया । (पाठकों को बता दें कि ये आठ साल पहले की घटना है और राघव R.D.X वाला वो ही राघव है, तब एक्स्ट्रा और धर्मा से नहीं मिला था । इनकी तिगड़ी नहीं बनी थी। इस घटना के दो साल बाद राघव, धर्मा और एक्स्ट्रा मिले और अंडरवर्ल्ड में इनकी तगड़ी मशहूर हो गई ) ।

उधर क्रोशिया स्थित एजेन्ट F.I.A. मोहन सूरी, मन्नू और जैनी की असफल तलाश करता रहा और वो तलाश चार साल बाद पूरी हुई थी। पता चला कि मन्नू और जैनी क्रोशिया से दो घंटे दूर पर लीवनों नाम के छोटे शहर में एक साथ रह रहे हैं। छोटी सी दुकान से दोनों अपना खर्चा चला रहे हैं। और मजे से जिंदगी बिता रहे हैं। सब ठीक पाकर F.I.A. ने उन्हें नहीं छेड़ा। वक्त बीतने लगा ।

ये सब बातें आठ साल पहले की थी ।

तब अमेरिकन जासूसी संस्था C.I.A. ने अपने विदेश मंत्री के हत्यारे की तलाश में जमीन आसमान एक कर दिया था। परन्तु C.I.A. अपने काम में सफल नहीं हो सकी थी ।

आठ साल बाद F.I.A. के बड़े अधिकारी दीवान और कपूर ने तुली को बुलाकर कहा कि 'ऑपरेशन टू किल' जहां खत्म किया था वहीं से पुनः शुरू करना है। और राघव, मन्नू, जैनी और तीरथ को खत्म करना है। वजह ये बताई गई कि इन चारों में से किसी ने न्यूयॉर्क स्थित C.I.A. से सम्पर्क करके 'ऑपरेशन टू किल'  के बारे में सब कुछ बताने को कहा है और दौलत मांगी है ।

F.I.A. को ये बात C.I.A. के न्यूयॉर्क ऑफिस में विक्टर नाम के एजेन्ट ने बताई, जो कि F.I.A. को खबर देता रहता था । इतना वक्त नहीं था कि ये जाना जाये कि उन चारों में से कौन ऐसा कर रहा है ।

ऐसे में चारों को खत्म कर देना ही बेहतर था ।

क्रोशिया स्थित मोहन सूरी को कह दिया था कि वो मन्नू और जैनी को खत्म कर दे ।

इधर तुली राघव-तीरथ को खत्म करने में लग गया। राघव और तीरथ, तुली के हमलों से बच गये। क्योंकि उनकी उस वक्त की याददाश्त मिटा दी गई थी। इसलिए वो नहीं समझ पाये थे कि उन्हें कौन, क्यों मार रहा है। लेकिन तुली को देखकर उन्हें लगा कि उसे कहीं देखा है। सबसे बड़ा इत्तेफाक तो ये हुआ कि राघव और तीरथ की मुलाकात हो गई। एक-दूसरे को देखकर उन्हें विश्वास हो गया कि वे एक-दूसरे को जानते हैं, परन्तु याददाश्त मिटाई जाने की वजह से असली बातों तक न पहुंच सके ।

राघव, एक्स्ट्रा और धर्मा से फोन पर सम्पर्क बनाये हुए थे ।

तुली ने तीरथ को मारने की चेष्टा से पहले, उसे बताया था कि उसे क्यों मारा जा रहा है । इस कारण राघव और तीरथ कुछ हद तक मामला समझ रहे थे और F.I.A. की वजह से सतर्कता बरत रहे थे ।

परन्तु F.I.A. के अधिकारी दीवान और कपूर की भीतरी योजना बहुत खतरनाक थी, जिससे तुली अनजान था। F.I.A. तुली के हाथों राघव और तीरथ को खत्म कराने के बाद, तुली को खत्म कर देने का इरादा बनाये हुए थे, क्योंकि उसे यकीन था कि अमेरिकन जासूसी संस्था C.I.A. 'ऑपरेशन टू किल' का राज जानने के लिए तुली को भी घेर सकती है, चारों में जो भी गद्दार है, उसने शायद C.I.A. के बारे में बता दिया हो या C.I.A. तुली के बारे में खबर निकाल ले कहीं से ।

उधर क्रोशिया में, लीवनों में ये मन्नू ने सारी गड़बड़ की थी ।

मन्नू को मशीनों पर जुआ खेलने की आदत पड़ गई थी। इस आदत के चलते उसने मार्शल नाम के दबंग दादा से 65 हजार डॉलर की रकम उधार ले ली थी । जबकि मन्नू पैसे लौटाने की स्थिति में नहीं था । तो मार्शल ने जैनी को उठाकर अपने कब्जे में ले लिया, और मन्नू को वार्निंग दे दी कि एक महीने में सूद सहित उसे लाख डॉलर वापस दे, वरना वो उसे खत्म कर देगा । मन्नू को जैनी से बहुत प्यार था। उससे वो अलग रहने की सोच नहीं सकता था और अपनी हत्या का डर भी उसे सताने लगा । जबकि उसके पास लौटाने को डॉलर नहीं थे। वो जानता था कि C.I.A. अपने विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या का सच नहीं जान सकी थी। ऐसे में C.I.A. 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में जानने के लिए पैसा आसानी से दे देगी। उसने मजबूरी में फंसे न्यूयॉर्क C.I.A. ऑफिस फोन किया और चीफ टॉम लैरी को बताया कि वो उस दल का सदस्य था, जिन्होंने ड्यूक हैरी को मारा था ।

दस लाख डॉलर में सौदेबाजी रुकी ।

मन्नू ने मिलने का ठिकाना, क्रोशिया का वो ही नाईट क्लब बताया जहां आठ साल पहले ड्यूक हैरी की हत्या हुई थी ।

C.I.A. एजेंट माईक से मिलने जा रहा है तो F.I.A. वहां अपने एजेंट फैला देती है। मोहन सूरी, मन्नू की तलाश में है परन्तु लीवनों में उसे मन्नू और जैनी नहीं मिल पा रहे ।

क्लब के बाहर अंधेरे में मन्नू, माईक से मुलाकात करता है । लेकिन तब तक माईक से यह कहकर एक लाख डॉलर ले लेता है कि अगली मुलाकात में वो मुंह खोलेगा और बाकी नौ लाख डॉलर ले लेगा। तभी उन्हें एहसास होता है कि पास में कोई है । वो F.I.A. का एजेंट होता है, जो कि उन्हें देख रहा था। मन्नू F.I.A. की मौजूदगी से डर जाता है। और उस एजेंट को शूट करके, माईक से  फिर मिलने को कहकर भाग जाता है ।

मन्नू लाख डॉलर के साथ आधी रात को लीवनों अपने फ्लैट पर पहुंचता है तो वहां F.I.A. का खतरनाक एजेंट उसके इंतजार में मौजूद होता है। जैसे-तैसे उसे खत्म करके मन्नू मार्शल के पास पहुंचता है कि और उसे लाख डॉलर देकर जैनी को आजाद करा के वहां से चल देता है। पूछने पर जैनी को बताता है कि वो लाख डॉलर कहां से लाया?

जैनी चिंतित हो जाती है ।

एक तरफ C.I.A. दूसरी F.I.A. ।

वो दोनों महसूस कर चुके हैं कि अब इस देश में रहना ठीक नहीं। F.I.A. उन्हें नहीं छोड़ेगी। मन्नू फ्लैट से आते वक्त अपने और जैनी के पासपोर्ट ले आया था। वो देश छोड़ने का विचार करते हैं। तब जैनी सुझाव देती है कि उन्हें इंडिया पहुंचकर आराम से रहना चाहिए। F.I.A. सोच भी नहीं सकती कि वो इंडिया में हो सकते हैं ।

मन्नू को ये बात ठीक लगी ।

जब वो इंडिया वाले प्लेन में सवार होते हैं तो उनके पीछे माईक भी प्लेन में आ जाता है। एयरपोर्ट पर मौजूद एजेंट से उसे खबर मिल जाती है कि मन्नू इंडिया जाने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद है। साथ में एक युवती भी है। जबकि एयरपोर्ट पर  F.I.A. के एजेंट भी मौजूद थे और उन्होंने मन्नू और जैनी की यात्रा का विवरण पा लिया था ।

सफर के दौरान माईक प्लेन में मन्नू और जैनी से बात करता है और उसने 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी पाने की चेष्टा करता है, परन्तु मन्नू और जैनी मुंह नहीं खोलते। माईक उन्हें बताता है कि उनके इस सफर की जानकारी F.I.A. को हो चुकी है। एयरपोर्ट पर F.I.A. के एजेंट ने उन्हें अवश्य देखा होगा और इंडिया रिपोर्ट की होगी। अगर वो अपना मुंह खोल दें तो वो उन्हें एयरपोर्ट पर F.I.A. के लोगों से बचा सकता है । परन्तु मन्नू और जैनी उसे कुछ नहीं बताते। लेकिन इस बात के प्रति चिंतित हो जाते हैं कि अगर माईक सच कह रहा है तो प्लेन के मुम्बई एयरपोर्ट पर लैंड करते ही F.I.A. उन्हें पकड़ लेगी। ऐसे में मन्नू, जैनी से कहता है कि विमान से अलग-अलग उतरेंगे। एयरपोर्ट पर कोई बात नहीं करेंगे। अगले दिन गेटवे ऑफ इंडिया पर बारह बजे मिलेंगे ।

एयरपोर्ट पर F.I.A. जैनी को घेर लेती है ।

मन्नू भी घिर जाता है, परन्तु तिकड़म लगाकर अपनी जान बचाकर भाग निकलता है ।

F.I.A. जैनी से पूछताछ करती है कि माईक को क्या बताया।  वो भी प्लेन में था। जैनी कहती है कुछ नहीं बताया। परन्तु F.I.A. यकीन नहीं करती और जैनी को उसकी कैद में रखकर पूछताछ करती रहती है ।

उसी रात मन्नू एक घटिया से होटल में रात बिताने पहुंचता है। कमरा लेता है। उसके साथ वाले कमरे में राघव और तीरथ मौजूद हैं, और उन दोनों की मुलाकात हो जाती है। राघव और तीरथ मन्नू को पहचान जाते हैं कि इसे वो जानते हैं, परन्तु याददाश्त मिटाई होने की वजह से बीती बातें याद नहीं आती । तब मन्नू उन्हें 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में बताता है। इस तरह राघव और तीरथ को हालातों की जानकारी होती है। वो सारे हालात जान जाते हैं। आखिरकार राघव फैसला करता है कि उन्हें एक बार तुली से मिलना चाहिए। वो एक्स्ट्रा और धर्मा से ये बात फोन पर कहता है तो वो किसी प्रकार तुली का फोन नम्बर कहीं से हासिल करके राघव को देते हैं। राघव फोन पर तुली से बात करता है और उसे दोस्ताना मुलाकात के लिए कहता है, तुली तैयार हो जाता है। अगले दिन शाम का वक्त एक नाईट क्लब में रखा जाता है मिलने का। राघव ये बात धर्मा और एक्स्ट्रा को बता देता है, धर्मा और एक्स्ट्रा उस क्लब के मालिक को जानते हैं। और वक्त से पहले ही वहां पहुंचकर हालातों पर नजर रखने में लग जाते हैं ।

तुली इस बात की खबर दीवान और कपूर को करता है ।

दीवान और कपूर कहते हैं कि ये मौका अच्छा है उन्हें खत्म करने का। परन्तु तुली कहता है कि पहले मैं उनसे बात करूंगा। मेरा इशारा मिलने पर ही उन तीनों को खत्म किया जाये ।

उधर दीवान और कपूर अपना प्लान बनाते हैं कि उन तीनों के साथ तुली को भी खत्म करके ये सारा मामला ठीक कर लिया जाये । वो नारंग को बुलाकर सारी योजना उसे बता देते हैं ।

उस नाइट क्लब में धर्मा और एक्स्ट्रा नजर रखे हुए थे ।

तब तुली की राघव, तीरथ और मन्नू से मुलाकात के दौरान राघव ने तुली को समझाने की चेष्ठा की कि  F.I.A. उन्हें खत्म करना चाहती है तो वो उसे भी नहीं छोड़ेगी। अभी यही बातें चल रही थी कि F.I.A. की तरफ से उन पर गोलियां चलने लगीं। किसी प्रकार उन्होंने अपनी जान बचाई, परन्तु मन्नू उस फायरिंग में मारा गया। तुली और राघव जख्मी हो गये। इस दौरान तुली को यकीन हो गया कि F.I.A. उसे भी खत्म करना चाहती है। एक्सट्रा और धर्मा भी अब उनके साथ हो गये । होटल में जाना ठीक नहीं था, वे लोग तीरथ के बताये एक सुनसान ठिकाने पर पहुंचे और वहीं जम गये। राघव, धर्मा, एक्स्ट्रा, तीरथ और तुली को अभी स्पष्ट पता चल गया कि F.I.A. उन्हें नहीं छोड़ने वाली। अलबत्ता तुली को बहुत दुख हुआ इस बात का कि उसके अपने ही लोग उसे इसलिए खत्म कर देना चाहते हैं कि कहीं C.I.A. उस तक न पहुंच जाये ।

उधर F.I.A. तुली और अन्यों से बच निकलने पर परेशान हो गई। मामला बिगड़ता देखा तो F.I.A. ने अपने स्पेशल सैवन इलैवन (विक्रांत) को ये मामला बताया और सब ठीक करने को कहा। स्पेशल एजेंट सैवन इलैवन का सीधा वास्ता राष्ट्रपति से था । राष्ट्रपति ही उसे आदेश दे सकते थे और जवाब मांग सकते थे। वो F.I.A. का स्पेशल एजेन्ट था। सैवन इलैवन को लगा कि उसे ये मामला हाथ में ले लेना चाहिये। इस तरह सैवन इलैवन ने इस मामले में दखल दिया। सैवन इलैवन की सोच थी कि C.I.A. के डर से किसी की हत्या करना ठीक नहीं था। मन्नू ने C.I.A. से बात की, परन्तु वो मर चुका था। जैनी कहती है कि मन्नू ने, उसने माईक को कुछ नहीं बताया। सैवन इलैवन ने R.D.X. का फोन नम्बर कहीं से हासिल किया और उनसे बात की। तुली से भी बात की। तुली को सैवन इलैवन ने कहा कि वो वापस में आ जाये। परन्तु तुली ने स्पष्ट मना कर दिया। R.D.X. ने तुली को विश्वास दिलाने की चेष्टा की कि कोई भी C.I.A. के सामने मुंह नहीं खोलेगा ।

अगले दिन सैवन इलैवन को खबर मिली कि कोई C.I.A. एजेन्ट माईक से सम्पर्क बनाकर 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में जानकारी देना चाहता है। सैवन इलैवन ने R.D.X. को फोन किया तो पता चला कि तुली उनके पास से जा चुका है। सैवन इलैवन समझ गया कि तुली ही माईक से मिलने की चेष्टा में है । परन्तु सैवन इलैवन, तुली की कोई खबर न पा सका और दो दिन बाद उसने माईक को अकेले अमेरिका जाते देखा ।

सैवन इलैवन को मामला समझ में आया ।

परन्तु अगले ही दिन दीवान के द्वारा खबर मिली कि C.I.A. एजेन्ट माईक तुली को अपने साथ अमेरिका ले गया है । ये खतरनाक बात थी । सैवन इलैवन ने फोन पर R.D.X. से बात करके कहा कि उनका पीछा छोड़ देगी अगर वो F.I.A. के लिए तुली की हत्या करते हैं जो कि माईक के साथ अमेरिका पहुंच गया है ।

R.D.X. तैयार हो गए इस काम को ।

सैवन इलैवन R.D.X. को लेकर अमेरिका पहुंचा ।

R.D.X.  एक होटल में रुके। सैवन इलैवन ने उन्हें कहा कि वो तुली के बारे में पता लगाकर उन्हें फोन करेगा ।

C.I.A. के डबल एजेन्ट विक्टर ने F.I.A. को खबर देकर बताया कि तुली को मीलों दूर वूस्टर नामक की जगह में रखा गया है। ये खबर न्यूयॉर्क स्थित सैवन इलैवन को दे दी गई । तब तक सैवन इलैवन तुली के बारे में जानकारी पाने के लिये माईक के छः बरस के बेटे का अपहरण कर चुका था । इस तरह माईक भी बेबस होकर रह गया ।

सैवन इलैवन ने  R.D.X. को तुली के वूस्टर में होने की खबर दी। फ्लैट के बारे में बताया ।

R.D.X. वूस्टर पहुंचे ।

फ्लैट पर C.I.A. एजेन्ट का घेरा था। उन सबका मुकाबला करके वे तुली तक फ्लैट के भीतर पहुंचे। ठीक मौके पर राघव का मन बदल गया तुली को मारने से। क्योंकि उसकी निगाहों में वो बेकसूर था। ऐसे में C.I.A. के एक एजेन्ट को तुली के कपड़े पहनाकर लाश का चेहरा गोलियों से बिगाड़ दिया कि वो तुली लगे। और तुली को वहां से भाग जाने को कहा कि वो किसी को दोबारा न दिखे। तुली धन्यवाद देता वहां से निकल गया । R.D.X. भी वहां से निकल गया। तुली को मारे, F.I.A. बिना उन्हें छोड़ने वाली नहीं थी। ऐसे में उन्होंने यही फैसला किया कि सैवन इलैवन से यही कहा जायेगा कि तुली को मार दिया है ।

परन्तु इधर कमरे में जो हुआ, वो एक मात्र बचे C.I.A. के एजेन्ट ने देखा और सुना। इस तरह C.I.A. को पता चल गया कि मरने वाला तुली नहीं है। तुली जिन्दा है। लेकिन C.I.A. ने ये बात छुपाये रखी। यही घोषित किया कि तुली मार दिया गया है और खुद माईक खामोशी से तुली की तलाश करने लगा, अमेरिका में भी और मुम्बई में भी ।

तुली वूस्टर से जान बचाता सीधा फ्लोरिडा पहुंचा और वहां तक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी हासिल कर ली। वो बीती बातें सब भूल जाना चाहता था। वो यही सोचता रहा कि F.I.A. और C.I.A. के लिये वो मर चुका है। उसे कोई खतरा नहीं। यहीं पर वो किसी तरह अपने परिवार को भी बुला लेगा और आराम से रहेगा। परन्तु अभी घर पर फोन करना नहीं चाहता था कि कहीं F.I.A. उसके घर पर नजर रखे न हो। इस तरह दो महीने बीत गये कि उसने अपने घर पर फोन किया, पड़ोसी शर्मा से पता चला कि पन्द्रह दिन पहले कुछ लोगों ने उसके घर में घुसकर गोलियां चलाई और उसके परिवार को खत्म कर दिया । उसका दस बरस का बेटा बंटी उस वक्त घर पर न होने के कारण उस वक्त वो बच गया, परन्तु दो घंटे बाद ही गायब हो गया। ये गोलियां किसने चलाई, किसी को नहीं पता चला । पुलिस छानबीन कर रही है, परन्तु तुली को पूरा यकीन था कि F.I.A. ने ही उसके परिवार को खत्म किया है। अब वो वापस इंडिया, जाकर F.I.A. के खिलाफ जंग छेड़ देना चाहता था । ये सब पाठकों ने पढ़ा R.D.X. सीरीज के पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'ऑपरेशन टू किल' में, अब बाकी की कहानी आगे पढ़िये इस उपन्यास 'ऑपरेशन 24 कैरेट' में ।

■■■

तुली 11:15 एयरपोर्ट पहुंचा ।

सादा कमीज-पैंट पहन रखी थी। हाथ में एक छोटा बैग था, जिसमें दो-तीन जोड़ी कपड़े थे। एयरपोर्ट के भीतर वो आगे बढ़ रहा था कि फौरन एक दीवार की ओट में हो गया । दिल जोरों से धड़का ।

सामने से उसने माईक को एयरपोर्ट के दो अधिकारियों के साथ आते देखा था ।

तुली दीवार के साथ खड़ा रहा। उसके देखते ही माईक उन दोनों अधिकारियों के साथ आगे बढ़ता चला गया। माईक का यहां होना उसके लिए खतरे की बात थी। फासला रख कर वो माईक के पीछे चल पड़ा। एयरपोर्ट पर भीड़ थी। माईक द्वारा उसे देखा जाना आसान नहीं था। आगे जाकर उसने माईक को अन्य अधिकारियों से बात करते देखा ।

तुली गम्भीर निगाहों से माईक को देखता रहा ।

तभी पास से एक सफाई कर्मचारी निकला ।

"सुनो ।" तुली ने उसे पुकारा ।

वो पलट कर तुली को देखने लगा ।

"सौ डॉलर कमाना चाहोगे ?" तुली ने पूछा ।

"कैसे ?"

"वो देखो, वो साहब, नीली कमीज में ।" तुली ने आंखों से इशारा किया। उसने उस तरफ देखा--- "तुमने सिर्फ यह पता करना है कि वो एयरपोर्ट पर क्यों मौजूद है? बहुत आसान काम है।"

"वह है कौन ?"

"मैं पता करूंगा तो तुम मुझे सौ डॉलर दोगे ?"

"हां ।"

"ठीक है । मैं पता करता हूं, तुम यहीं पर मिलना ।" कहकर वो आगे बढ़ गया ।

अब तुली ने उस सफाई कर्मचारी पर निगाह रखनी शुरू कर दी। उसे इस बात का खतरा था कि कहीं वो उसके बारे में किसी को न बता दे। परन्तु ऐसा कुछ नही हुआ। दस मिनट बाद वो सफाई कर्मचारी वापस लौटा ।

"सौ डॉलर दो, तभी बताऊंगा ।" वो बोला ।

तुली ने उसे सौ डॉलर दे दिए।

"कल एयरपोर्ट पर पासपोर्ट चोरी हो गया था, उसी पासपोर्ट नम्बर से इंडिया जाने वाली फ्लाईट में टिकट बुक यहां मौजूद है जब वो प्लेन में बैठना आयेगा।"

"शुक्रिया।" तुली सहज भाव से मुस्कुराया--- "मैं कुछ और ही समझ रहा था।"

"कहीं तुम तो वो व्यक्ति नही ?" सफाई कर्मचारी ने उसे देखा ।

"नहीं।" तुली ने कहा और पटलकर आगे बढ़ गया ।

बाल-बाल बचा था वो ।

माईक उसी के लिये एयरपोर्ट पर मौजूद था ।

माईक को पक्का पता चल चुका है कि वो फ्लोरिडा में है, वरना इस काम के लिये माईक यहां न आता। अब उसे इंडिया पहुंचने का रास्ता बदलता होगा। C.I.A. के लोग इंडिया जाने वाली फ्लाइटों पर नजर रख रहे होंगे। तुली ने लिये वो फ्लाइट आधे घंटे बाद जाने वाली थी।

■■■

तुली वाशिंगटन पहुंचा। तब रात के तीन बज रहे थे ।

फिर वहां से उसने डेढ़ घंटे बाद साउथ-ईस्ट यूरोप क्रोशिया जाने वाली फ्लाइट में टिकट ली। टिकट देने से पहले उसका पासपोर्ट चैक किया गया। उसका नम्बर लिखा गया। सुधीर अरोड़ा के नाम से वो पासपोर्ट था ।

टिकट मिल गई उसे और बिना किसी परेशानी के वक्त आने पर वो प्लेन में जा बैठा ।

सही टाईम पर प्लेन ने टेक ऑफ कर लिया ।

■■■

क्रोशिया एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही, तुली की पुरानी यादें ताजा हो उठीं। F.I.A. के एजेन्ट मोहन सूरी का चेहरा आंखों के सामने चमका, जो क्रोशिया के मामले संभालता था, दिखाने को उसने रेस्टोरेंट खोल रखा था ।

बैग कंधे पर लटकाए तुली कुछ पल सोचों में खड़ा रहा। फिर सिर हिलाया और टैक्सी स्टैण्ड की तरफ बढ़ गया। मोहन सूरी के सामने जाने का प्रोग्राम पक्का कर लिया था उसने 

■■■

मोहन सूरी के रेस्टोरेंट में उस वक्त लंच चल रहा था । दोपहर के तीन बज रहे थे । आधे से ज्यादा लोग वहां पर मौजूद थे । तुली कंधे पर बैग लटकाए उस तरफ बढ़ा, जिधर मोहन सूरी का केबिन हुआ करता था । पता नही अब भी ये जगह मोहन सूरी संभालता है कि नहीं? दो महीनों से उसे F.I.A. की कोई खबर नहीं थी ।

तुली का चेहरा कठोर और गम्भीर था ।

उसने पास पहुंचकर दरवाजे को धकेला और भीतर प्रवेश कर गया ।

सामने ही मोहन सूरी, टेबल के उस पार बैठा था। फोन पर बातें कर रहा था वो । ज्यों उसकी निगाह तुली पर पड़ी, उसकी आंखें फैलती चली गईं। हड़बड़ाकर उसने रिसीवर वापस रखा और खड़ा होता चला गया ।

तुली की चुभती निगाह, मोहन सूरी पर टिक चुकी थी ।

मोहन सूरी हक्का-बक्का  था।

तुली कहर भरे अन्दाज में मुस्कुराया ।

"त...तुम....जिन्दा हो ?" मोहन सूरी के होंठों से निकला ।

"F.I.A. ने मुझे मारने में कोई कसर न छोड़ी थी।" तुली ने कड़वे स्वर में कहा ।

मोहन सूरी सूखे होंठों पर जीभ फेरकर रह गया। वो इस बात को भूला नही था कि उसके सामने F.I.A. का हत्यारा खड़ा है और बिना वजह उसके पास नही आया होगा ।

"बैठ जाओ ।" तुली ने कंधे पर लटका बैग उतारकर नीचे रखा।

"तु... तुम...बैठो ।" मोहन सूरी जैसे संभला  ।

दोनों ही बैठ गये ।

"तुम कहां से आ रहे हो ?" मोहन सूरी ने पूछा ।

"अमेरिका से ।"

"तुमने बता दिया C.I.A. को सब कुछ ?"

"नहीं। मैं वहां छिपा हुआ था।" तुली ने शांत स्वर में कहा ।

"ओह ! और कौन जानता है कि तुम जिन्दा हो ?"

"कोई नही ।"

मोहन सूरी सतर्क-सा तुली को देखगे लगा ।

तुली उसकी आंखों में झांक रहा था। बोला---

"मैं जानता हूं कि इस वक्त तुम्हारे मन में क्या चल रहा है ?"

"तुम...तुम जिन्दा कैसे रह गये। तुम्हें तो F.I.A. के एजेन्टों ने मार दिया था ।" मोहन सूरी बोला।

तुली का चेहरा कठोर हो गया ।

"तुम जानते हो मुम्बई में मेरे परिवार को गोलियों से भून दिया गया ?"

"ऐसा हुआ तो मुझे हैरानी है, मैं नही जानता था ये बात कब हुआ ?" मोहन सूरी हड़बड़ाकर बोला ।"

"तो तुम्हें ये बात नही पता ।"

"नही। जरा भी नहीं, मैं अपने कामों में बहुत व्यस्त रहता हूं । इंडिया की कोई खबर मेरे पास नही हैं ।"

"फिर तो तुमसे बात करने का कोई फायदा नहीं।"

मोहन सूरी ने सूखे होंठो पर जीभ फेरकर कहा---

"मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूं तो मुझे बताओ ।"

"मैंने एक अपना मिशन शुरू किया है। सच्चाई का मिशन, जिसका नाम मैंने रखा है, 'ऑपरेशन 24 कैरेट'।" तुली ने सर्द स्वर में कहा ।

"मैं समझा नही ।"

"उठकर मेरे पास आओ ।" तुली शांत स्वर में बोला--- "इस तरफ।"

"मोहन सूरी फौरन उठा और टेबल से घूमकर तुली के पास आया ।

"नीचे झुको, अपना कान मेरे पास लाओ।" तुली सहज भाव में बोला ।

मोहन सूरी ने ऐसा ही किया ।

उसी पल बाज की भांति झपट्टा मारकर तुली ने उसकी गर्दन अपनी बांह के गिर्द लपेटी और दबाते हुए बेहद तीव्र झटका दिया। 'कड़ाक' की आवाज वहां गूंजी। तुली ने दांत भींचे अपनी बांह उसकी गर्दन से हटाई तो मोहन सूरी का बेजान-सा शरीर नीचे जा गिरा। उसकी गर्दन की हड्डी टूट चुकी थी । आंखें फटी हुई थी ।

तुली ने उठते हुए अपनी कुर्सी पीछे खिसकाई और बैग उठाकर कंधे पर लटकाया और दरवाजा खोलकर बाहर निकलता चला गया। चेहरा शांत परन्तु आंखें कठोर हुई पड़ी थी ।

■■■

इंडिया ।

मुम्बई ।

F.I.A. का ऑफिस ।

वो ही बड़ा हॉल और बीच मे मौजूद गोल अंडाकार टेबल इसके गिर्द बिछी कुर्सियों पर दीवान, कपूर, नारंग मदनलाल राजी खान, पवन सिंह और सोना मौजूद थी। सामने दीवार पर लगी स्क्रीन रोशन थी और इस स्क्रीन पर तुली नजर आ रहा था । मोहन सूरी के ऑफिस का दृश्य था। तुली का मोहन सूरी के ऑफिस में प्रवेश करना स्पष्ट दिख रहा था ।

सब खामोशी से स्क्रीन पर नजर आ रहे तुली के चेहरे को बार-बार देख रहे थे ।

तभी कपूर ने रिमोड उठाया और स्क्रीन ऑफ कर दी ।

एकाएक चुप्पी-सी ठहरी वहां ।

"आप सब ने तुली को देखा ।" कपूर बोला--- "क्या आप लोगों को वो तुली ही लगा ?"

"क्या मतलब ?" राजी खान कह उठा ।

"वो मेकअप किया तुली का कोई हमशक्ल हो सकता है, दुश्मन की कोई चाल हो सकती है ।"

"वो तुली ही है ।" सोना कह उठी ।

"एकदम पक्का ।" नारंग ने सिर हिलाया--- "वो तुली है। चेहरे से हम धोखा खा सकते हैं, परन्तु उसके अन्दाज से नहीं। वो तुली है।"

सब इस बात से सहमत थे कि वो तुली ही था ।

"तुली ने हमारे क्रोशिया शहर स्थित महत्वपूर्ण एजेन्ट की जान ले ली ।" कपूर बोला--- "जबकि हम सोच रहे हैं कि वो मर चुका है।"

"उसके जिन्दा दिखने पर मुझे हैरानी हुई।" दीवान ने गम्भीर स्वर में कहा ।

कपूर ने दीवान को देखा ।

दोनों की नजरें मिलीं।

"इस बारे में हम बाद में बात करेंगे ।" कपूर ने शांत स्वर में कहा।

दीवान कुछ न बोला ।

कपूर ने सब पर नजर मारकर कहा ।

"तुली, मेरे ख्याल में कभी भी इंडिया में कदम रख सकता है । मोहन सूरी को मारने की घटना दो दिन पहले की है। हो सकता है कि वो मुम्बई आ गया हो ।"

"क्या वो F.I.A.के खिलाफ चलेगा ?" मदनलाल ने पूछा ।

"मोहन सूरी की हत्या करके उसने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है ।" कपूर ने गम्भीर स्वर में कहा--- "F.I.A. ने उसकी हत्या करने की चेष्टा की है। ऐसे में वो पक्का F.I.A. से दुश्मनी निभायेगा। परन्तु हमने उसके इरादे पूरे नहीं होने देने। मुम्बई में उसकी तलाश शुरू करवा दो ।"

"क्या वो जानता है कि उसके परिवार को किसी ने खत्म कर दिया है।" पवन सिंह ने पूछा ।

"इस बारे में हम यकीन से कुछ नहीं कह सकते ।" कपूर बोला ।

तभी सोना ने अखबार की छोटी-सी कटिंग निकाली और उसे खोल कर सामने रखती बोली ।

"ये आज के अखबार 'नया भारत' की कटिंग है, इसमें छपा है कि देश की गुप्त जासूसी संस्था फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी, जिसे कि पहले जिन्न के नाम से जाना जाता था, कि कड़वी सच्चाई कल के अखबार में खोली जाएगी। इस एजेन्सी ने आठ साल पहले 'ऑपरेशन टू किल' नाम का मिशन पूरा किया था, जिसके बारे में जनता कल पढ़ेगी ।"

इन शब्दों के साथ वे एक-दूसरे को देखने लगे ।

"F.I.A. की गुप्त बातें अखबार में कब से छपने लगीं ?" दीवान कठोर स्वर में कह उठा ।

"सब कुछ, आपके सामने है ।"

"अखबार वालों को कैसे पता चला 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में ?"

"तुली ने बताया हो सकता...।"

"नहीं ।" कपूर ने सिर हिलाया--- "तुली ऐसा घटिया कदम नहीं उठायेगा ।"

"R.D.X. इस बारे जानते हैं, तीरथ भी जानता है ।" राहुल ने कहा--- "कोई भी बता सकता है ।"

"क्यों बतायेगा ?"

"दौलत पाने के लिये... हमें जैनी को नहीं भूलना चाहिये, जो कि हमारी कैद में थी, परन्तु तुली की मौत की खबर आने के बाद, जैनी को सख्त वार्निंग देकर छोड़ दिया गया था कि वो अपना मुंह बंद रखे। वो भी मुंह खोल सकती है ।"

"इन लोगों से बाद में बात करेंगे, पहले 'नया भारत' नाम के एक अखबार को देखो कि इस खबर को कौन हैंडल कर रहा है । उसे समझाओ कि ये सब बातें अखबार में नहीं छपनी चाहिये । वो नहीं माने तो उसे खत्म कर दो। इस बात को हमने हर हाल में रोकना है। इस मामले की खबर हमें देते रहना । जल्दी इस काम को पूरा करो। जाओ ।"

वो सब वहां से बाहर निकलते चले गये ।

दीवान और कपूर ही रहे वहां पर ।

"कहो दीवान ।" कपूर बोला--- "तुली जिन्दा है ?"

"कितनी बड़ी हैरानी है कि...।"

"ये वक्त हैरानी दिखाने का नहीं, कुछ करने का है ।" कपूर ने कहा--- "इस काम को F.I.A. के स्पेशल एजेन्ट सैवन इलैवन ने हाथ में लिया था। उसने हमें खबर दी थी कि तुली को खत्म कर दिया गया है वूस्टर में ।"

"हां, सैवन इलैवन ने ऐसा ही कहा था ।" दीवान ने होंठ भींचकर सिर हिलाया ।

"तो फिर वो जिन्दा कैसे सामने आ गया ?"

"हैरानी है कि सैवन इलैवन चूक गया हो ।"

"मैंने कहा है हैरानी मत दिखाओ, हकीकत को अब तक समझ जाना चाहिए था तुम्हें दीवान ।"

"मैं समझ चुका हूं सब कुछ ।" दीवान ने सख्त स्वर में कहा--- "दो महीने पहले सैवन इलैवन ने वूस्टर में तुली को खत्म किया, परन्तु वो जिन्दा बचा रहा, अब दो महीने बाद क्रोशिया में देखा और उसने मोहन सूरी की हत्या कर दी ।"

"क्या तुली C.I.A. को 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में सब बता दिया होगा ?" कपूर बोला ।

"नहीं ।"

"कैसे कह सकते हो, नहीं ?"

"दो बातें हैं । 'ऑपरेशन टू किल' की हकीकत पता होती, उसके पास गवाह होता तो अमेरिका हमारे देश में अपनी शिकायत दर्ज करा चुका होता कि हमने अमेरिकी विदेश मंत्री की आठ साल पहले क्रोशिया में हत्या की थी और गवाह के तौर पर C.I.A. तुली को भी संभाल कर रखता कि जरूरत पड़ने पर उससे सत्यता के लिए सामने किया जाये, परन्तु तुली आजाद घूम रहा है, उसने क्रोशिया में हमारे एजेंट मोहन सूरी की हत्या की और सूरी के ऑफिस में लगे कैमरे ने उसकी तस्वीर ले लिया। यानी कि तुली ने C.I.A. को कुछ नहीं बताया। बल्कि C.I.A. ने तो घोषणा की थी कि वूस्टर में F.I.A. के एक एजेन्ट को किसी ने मार दिया। ये घोषणा तुली के बारे में ही थी ।"

"तुम्हें अजीब नहीं लगता कि C.I.A. ने धोखे से तुली को मृत घोषित कर दिया ।"

"C.I.A. को ऐसा लगा होगा कि...।"

"या जानबूझकर C.I.A. ने ऐसा किया कि हमारा ध्यान तुली की तरफ से हट जाये ।"

"और C.I.A. आराम से तुली के साथ रहे और मौके पर उसे हिन्दुस्तान के सामने करें ।"

"ठीक कहा ।"

"तो फिर तुली के कब्जे में होना चाहिये ।

"शायद C.I.A. तुली पर कंट्रोल नहीं कर सकी। C.I.A. ने तुली को खो दिया हो ।"

"लेकिन तुली तो मर्जी से माईक के साथ हो गया था ।"

"बाद में तुली का मन बदल गया हो कि वो 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में नहीं बतायेगा ।"

दीवान ने गम्भीरता से सिर हिलाया और कह उठा---

"ये C.I.A. की चाल भी हो सकती है ।"

"कैसी चाल ?"

"तुली डबल एजेन्ट बन गया और उसका इरादा पुनः F.I.A. में पैर जमाने का हो ।"

"ये बात है तो वो मोहन सूरी को क्यों मारेगा ?"

"अपना गुस्सा जाहिर करने के लिये ।"

"तुम्हारी बातें अजीब हैं दीवान ।"

"शायद मेरी बात ठीक हो ।"

"कहो ।"

"दो महीने पहले जब तुली को सैवन इलैवन ने वूस्टर में मारा तुली किसी तरह बच निकला और कहीं जा छिपा । दो महीने तक वो छुपा रहा । गुमनाम जिन्दगी बिताता रहा । फिर उसने अपने घर फोन किया । उसे किसी तरह मालूम पड़ा कि उसके परिवार को गोलियों से भून दिया गया है और इस हादसे में उसका बेटा बंटी बच गया, परन्तु बंटी भी लापता है। जिन हालातों में तुली फंसा पड़ा है, उसे सामने रखते हुए वो यही बात सोचेगा कि उसके परिवार को F.I.A. ने ही खत्म करवाया है ।"

"F.I.A. ऐसा क्यों करेगी ?"

"तुली ने यही सोचा और गुस्से में भरा वो सीधा क्रोशिया पहुंचा और मोहन सूरी की हत्या करके F.I.A. के खिलाफ उसने जंग छेड़ दी। अब पक्का इंडिया आएगा और यहां भारी गड़बड़ करेगा ।"

"ये तुम्हारा ख्याल है ।" दीवान ने कपूर को देखा ।

"हां, ख्याल है, परन्तु ख्याल ठीक भी हो सकता है ।"

दीवान चुप रहा ।

"F.I.A. अब तुली की तलाश करेगी मुम्बई में । उस अखबार से निपटा जायेगा, जो 'ऑपरेशन टू किल' के बारे में खुलासा करने जा रही है और सैवन इलैवन से बात करनी होगी तुली के बारे में।"

"पहले सैवन इलैवन से बात करना ठीक रहेगा ।" दीवान ने जेब से फोन निकालते हुए गम्भीर स्वर में कहा ।

■■■

F.I.A. का स्पेशल एजेन्ट सैवन इलैवन ।

मुम्बई के खेतवाड़ी इलाके की तंग गली में, फोन कान से लगाये आगे बढ़ता जा रहा था । आस-पास और लोग भी आ-जा रहे थे । कभी-कभार किसी से कंधा या बांह टकरा जाती । उसकी भूरी-बिल्लोरी पैनी आंखें चलते हुए हर तरफ घूम रही थीं । साथ ही फोन पर वो बात भी करता जा रहा था । उसके कानों में आवाज पड़ रही थी ।

"बस इसी तरह आगे बढ़ते रहो । मैं तुम्हें रास्ता बताता जा रहा हूं । तुम भटकोगे नहीं । एक बार फिर तुम्हें बता देता हूं कि इस सारी खबर देने के बदले मैं तुमसे पचास हजार लूंगा । काम खत्म होते ही तुमने मुझे पचास हजार देना है ।"

"मिल जाएगा ।" सैवन इलैवन के होंठ सिकुड़े ।

"फिर सुन लो कि वहां पर तीन आदमी हैं । दिखने में वे साधारण से लगते हैं । जैसे किसी गांव या छोटे शहर के हों । उनकी जिन्दगी की जरूरतें पेट भरने तक ही हों । परन्तु वो आतंक फैलाने का काम करते हैं । महीना पहले कानपुर में उन्होंने ही बम विस्फोट किए थे । जिसमें 14 लोग मारे गये थे । दस दिन से ये मुम्बई में हैं। और मुम्बई में भीड़-भाड़ वाली जगह का चुनाव कर रहे हैं कि वहां विस्फोट कर सकें । इस वक्त इनके पास विस्फोट करने का पूरा सामान पहुंच चुका है ।"

"ये बात तुम कैसे जानते हो ?"

"जिसने इन्हें सामान सप्लाई किया वो मेरी पहचान का है । बात होते-होते मुझ तक आ गई और फिर तुम तक । मेरे ख्याल में वो तीनों उस जगह का चुनाव कर चुके हैं जहां इन्होंने भी विस्फोट करना है तभी विस्फोट करने का सामान अपने साथी से मांगा हैं। रुको, मेरे ख्याल से तुम आगे बढ़ रहे हो। तुम्हारे बाईं तरफ एक पतली-सी गली पड़ेगी, सिर्फ ढ़ाई फीट चौड़ी।"

"हां ।" आगे देखता सैवन इलैवन बोला--- "मुझे नजर आ रही है।"

"उस गली में प्रवेश कर जाओ ।"

"सैवन इलैवन फोन कान से लगाये उस गली में प्रवेश कर गया। फिर ठिठका ।

बहुत तंग गली थी ।

सिर्फ ढाई फीट चौड़ी ।

वहां भी लोगों ने तीन-चार मंजिला मकानों को ऊपर खींच रखा था। और ऊपर देखने पर आसमान नजर नहीं आता था ।

"बहुत अजीब लगा है ये ।" सैवन इलैवन कह उठा ।

"छिपने के लिए बहुत बेहतर है। क्या तुम मेरी खबर के बिना यहां तक पहुंच सकते थे ?" आवाज कानों में पड़ी ।

"शायद नहीं ।"

"अब ठीक सामने देखो, पहली मंजिल की शीशे और ग्रिल वाली खिड़की नजर आ रही है न ?"

सैवन इलैवन ने सामने देखा ।

पचास फिट लम्बी गली थी । सामने वो खिड़की दिखी ।

"हां ।"

"वो ही खिड़की वाला मकान है, जहां वो तीनों टिके हुए हैं । आगे बढ़ो । वो घर है किसी का, परन्तु मेरे ख्याल में घर वाले आतंकियों को पनाह देने का काम करते हैं। तभी वो तीनों वहां हैं।"

सैवन इलैवन आगे बढ़ता जा रहा था ।

गली के दोनों तरफ कहीं-कहीं दरवाजा था भीतर जाने के लिए।

"तुम्हें गली के अंत में ऊपर जाती सीढ़ियां दिखेंगी । वो सीढ़ियां चढ़ो। पहली मंजिल पहुंचो तो दाईं तरफ तुम्हें बंद दरवाजा नजर आयेगा। उस दरवाजे का रंग नहीं जानता मैं । तुमने उसी दरवाजे  के भीतर जाना है । हो सकता है उन्होंने तुम्हें खिड़की से ही आते देख लिया हो । वैसे वो सीढ़िया तीन मंजिल ऊपर तक जाती हैं ।"

सैवन इलैवन सीढ़ियों तक आ पहुंचा था ।

"फोन बंद कर दो ।" सैवन इलैवन धीमे स्वर में बोला ।

"मतलब कि सीढ़ियों तक पहुंच गये तुम ?" उधर से कहा गया ।

"हां ।"

"शुक्र है, मेरा पचास हजार खड़ा हो गया । वहां मर मत जाना । वापस जरूर आना ।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद करके जेब में रखा ।

जेब से रिवॉल्वर निकाली। दूसरी जेब से साइलेंसर निकाला और नाल पर चढ़ाने लगा । इस दौरान उसकी निगाह ऊपर की तरफ ही रही। साइलेंसर लगाकर सैवन इलैवन ने कमीज की एक बटन खोली और रिवॉल्वर को पैंट के भीतर खिसका दिया। अब वो रिवॉल्वर को पलक झपकते ही हाथ में ले सकता था ।

सैवन इलैवन ने जूतों को जोर-जोर से सीढ़ियों पर मारते, सीढ़ियां चढ़ीं और दरवाजे के पास आकर रुक गया। वो अभी भी घूमते हुए ऊपर तक जा रही थी ।

वहां लकड़ी का पुराना दरवाजा लगा था ।

सैवन इलैवन के हाथ से दरवाजे को थपथपाया ।

भीतर से जिक्र करने लायक कोई आवाज न उभरी । खामोशी रही ।

सैवन इलैवन ने पुनः दरवाजे को थपथपाया ।

"कौन है ?" भीतर से औरत की आवाज सुनाई दी ।

सैवन इलैवन समझ गया कि वो पहली बार दरवाजा थपथपाने पर ही दरवाजे के पास पहुंच गई होगी ।

"मैं हाउस टैक्स डिपार्टमेंट से आया हूं । दरवाजा खोलिये ।"

दरवाजा खुला । वो पच्चीस-छब्बीस बरस की बेहद खूबसूरत युवती थी । कमीज सलवार पहन रखा था । माथे पर सिन्दूर लगा। सैवन इलैवन ने ऐसी खूबसूरती के यहां मिलने की कल्पना नहीं की थी ।

"आपने कई सालों से हाउस टैक्स नहीं भरा ।" सैवन इलैवन बोला । छिपी निगाह पीछे कमरे में मारी । कोई नहीं दिखा।

"महीना भर पहले आपको फाइनल नोटिस भी भेजा था ।"

"अच्छा ! हमें तो कोई नोटिस नहीं मिला?" वो कह उठी ।

"हाउस टैक्स भरने के लिए नोटिस की जरूरत नहीं होती । आपके पति कहां हैं ?"

"वो काम पर गये हैं ।" उसने कहा ।

"उन्हें बता देना कि हाउस टैक्स भर दें। इस इलाके में जिन-जिन लोगों ने हाउस टैक्स नहीं भरा, उन सब के घर जाकर मुझे कहना पड़ रहा है, बहुत तकलीफ वाली ड्यूटी है । पानी-वानी पिलायेंगी मैडम ।"

"अभी लाती हूं ।"

"ठंडा लाना ।" सैवन इलैवन ने गहरी सांस ली--- "बहुत गर्मी है। वैसे भी मैं दिल का मरीज हूं ।"

वो औरत पलट कर भीतर गई ।

सैवन इलैवन लापरवाही भरे अन्दाज में खड़ा रहा ।

ये कमरा साधारण ड्राइंग रूम था और खाली था ।

घर से कोई आहट, आवाज भी नहीं उभर रही थी ।

मात्र एक पल के लिए उसने सोचा कि कहीं खबर गलत तो नहीं, या वो तीनों आतंकवादी दम साधे भीतर किसी कमरे में दुबके हुए हैं । इतने में ही वो औरत पानी ले आई ।

"पानी लीजिए ।"

सैवन इलैवन पानी का गिलास थामने लगा कि एकाएक उसने अपनी छाती थाम ली ।

"ओह-मर गया ।" सैवन इलैवन पीड़ा भरे स्वर में कह उठा ।

"क्या हुआ?" वो घबराकर बोली ।

"हार्ट-अटैक...आह...।" इसके बाद साथ ही सैवन इलैवन दरवाजे से टकराया फिर औरत से लगता हुआ नीचे जा गिरा ।

औरत के हाथों से पानी का गिलास छूट गया । वो घबरा गई थी।

सैवन इलैवन नीचे शांत-सा पड़ा था ।

"सुनिये ।" औरत फौरन नीचे झुकती कह उठी--- "क्या हो गया है आपको ?"

सैवन इलैवन मरों जैसी हालत में पड़ा रहा ।

औरत ने उसे हिलाया ।

परन्तु कोई फायदा न हुआ ।

"क्या मुसीबत है।" औरत बड़बड़ा उठी। तभी उसकी निगाह भीतर दरवाजे पर खड़े हुए एक युवक पर पड़ी--- "इसे देखो।" वो बोली ।

"क्या हुआ ?" वो आगे आता कह उठा ।

"पता नहीं, पानी का गिलास थामते-थामते अचानक नीचे गिर गया ।

"कौन है ये ?"

"हाउस टैक्स वाला ।"

"इसे भीतर खींचो और दरवाजा बंद करो ।"

किसी ने देख लिया तो समस्या खड़ी हो जायेगी ।"

नीचे पड़े सैवन इलैवन की कमीज का कॉलर पकड़कर उसे भीतर घसीटा और दरवाजा बंद कर लिया ।

तभी पीछे वाले कमरे में से दो युवक और आ गये ।

"दिल का दौरा पड़ा लगता है ।" औरत बोली ।

एक युवक झुककर सैवन इलैवन का चेहरा टटोलने लगा । उसके दिल पर हाथ रखा ।

"दिल तो इसका चल रहा है ।" वो बोला ।

"फिर तो इसे कुछ ही देर में होश आ जायेगा। गर्मी की वजह से चक्कर आ गया होगा ।" दूसरा युवक कह उठा ।

"मैं ठीक हूं ।" सैवन इलैवन ने आंखें खोली और शांत स्वर में कहता बैठा अगले ही पल हाथ में रिवॉल्वर दबी नजर आई ।

वो चारों ही सैवन इलैवन की इस हरकत पर ठगे से रह गये ।

"कोई हिले नहीं ।" सैवन इलैवन ने कठोर स्वर में कहा--- "अपने हाथ सिरों पर रखो और बैठ जाओ। तुम भी।" सैवन इलैवन ने उस युवती से कहा। चारों के चेहरे फक्क हो गये थे ।

"क....कौन हो तुम...।" एक ने घबराकर पूछा ।

चारों सिरों पर हाथ रखे सोफे और कुर्सियों पर बैठ गये ।

सैवन इलैवन रिवॉल्वर थामें खड़ा होता कह उठा ।

"मेरे यहां आ जाने से तुम लोगों को परेशानी तो हो रही होगी ।"

"तुम...तुम कौन हो ?"

"मुझे पुलिस वाला समझ सकते हो ।" सैवन इलैवन ने कठोर स्वर में कहा ।

"पुलिस ।" औरत के होंठों से निकला ।

सैवन इलैवन उन तीनों को घूरता कह उठा ।

"तुम लोगों ने क्या सोचा कि कानपुर के बाद मुम्बई में बम विस्फोट करने में सफल हो जाओगे ।"

तीनों की नजरें मिलीं।

"तो तुम हमारे बारे में जानते हो ?"

"हां ।"

"कितने साथी हैं बाहर तुम्हारे ?"

"अकेला हूं ।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में कहा ।

"हम तुम्हें मुंह बंद रखने के लिए पैसा...।"

तभी सैवन इलैवन की उंगली हिली ।

बे-आवाज सी गोली उसके खुले मुंह में प्रवेश कर गई ।

उसके सिर को तीव्र झटका लगा और वो वहीं सोफे पर लुढ़क गया ।

बाकी दोनों और औरत के चेहरे सफेद पड़ते दिखे ।

"हमें मत मारो ।" दूसरा युवक सूखे स्वर में कह उठा ।

"कितना पैसा देते हो मुझे ?" सैवन इलैवन ने कठोर स्वर में पूछा ।

"एक-एक करोड़ ।"

उसी क्षण सैवन इलैवन की ट्रेगर पर रखी उंगली हिली ।

गोली एक करोड़ कहने वाले के माथे में जा लगी । उसके सिर को बेहद तीव्र झटका लगा । वो कुर्सी की पुश्त से टकराया और फर्श पर आ लुढ़का । माथे से बहता खून फर्श को गीला करने लगा ।

बचे हुए युवक का चेहरा बर्फ की तरह सफेद पड़ गया। युवती का खूबसूरत चेहरा बदरंग हो उठा था ।

दोनों के शरीर में उठता कम्पन स्पष्ट दिखाई दे रहा था ।

"वो बाथरूम कहां है, जिसे तुमने कल मंगवाया था ?" सैवन इलैवन ने उस युवक से पूछा ।

"उ...उधर...।" युवक ने कांपते स्वर में पीछे वाले कमरे की तरफ इशारा किया--- "उस कमरे में ।"

"हूं ।" सैवन इलैवन ने सिर हिलाकर पूछा--- "तुम मुझे कितना पैसा देते हो ?"

"जि...जितना तुम चाहो ।"

"तुम कहो ।"

"दो-तीन करोड़, जो कहो...मैं...।"

पुनः ट्रेगर दब गया ।

गोली उसके खुले मुंह में दांतो को तोड़ती भीतर प्रवेश कर गई ।

वो उसी पल, वहीं सोफे पर ढेर हो गया ।

युवती का चेहरा हल्दी की तरह पीला पड़ गया । आंखें खौफ से फैल गईं।

सैवन इलैवन ने उसे देखा ।

युवती के होंठ हिले, परन्तु कोई शब्द न निकला बाहर ।

"तुम डर गई हो ।" सैवन इलैवन मुस्कुराकर कह उठा ।

"म...म...मेरी कोई गलती नहीं...मैं...।"

"जानता हूं-जानता हूं ।" सैवन इलैवन ने रिवॉल्वर जेब में रख ली ।

युवती ने चैन की लंबी सांस ली ।

"तुम कैसे जानती हो कि म...मेरी कोई गलती नहीं ?" उसने किसी तरह पूछा ।

"क्योंकि तुम जैसी खूबसूरत कोई गलत नहीं हो सकती ।"

युवती ने मुस्कुराने की चेष्टा की ।

"डरो मत खुलकर मुस्कुराओ ।"

युवती इस बार कुछ ज्यादा मुस्कुराई ।

"हां-अब तुम अच्छी लग रही हो । यहां कोई आने वाला है क्या ?"

"नहीं।" युवती अब संभले जा रही थी--- "कोई नहीं आने वाला।"

"मैंने तुम्हारी जान बख्श दी । बदले में क्या तुम मेरी सेवा नहीं करोगी ?"

"सेवा ?" वो सैवन इलैवन को देखने लगी--- "चाय बनाऊं ?"

"इस तरह की सेवा में मैं वक्त बर्बाद नहीं करता।"

"मैं समझी नहीं ।"

"तुम खूबसूरत हो। जरूरत से ज्यादा और आतंकवाद में फंसी हुई हो। ऐसे में बताओ मेरी क्या सेवा करोगी ?"

उसने गहरी सांस ली फिर मुस्कुराई ।

"अब समझी, परन्तु वैसी सेवा मैं सिर्फ अपने पति की करती हूं। दूसरे मर्द के साथ मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया ।"

"पक्का न ।"

"कसम से-मैं ।"

"कसम मत लो । मैं तुम जैसे का कभी भरोसा नहीं करता ।" सैवन इलैवन ने कहा और जेब से रिवॉल्वर निकाली ।

"ये क्या कर रहे हो ।" युवती घबरा उठी--- "गोली मत चलाना। मैं तो मजाक कर रही थी । मैं तो तुम्हारी सेवा करने ही जा रही थी । ये देखो मैं तुम्हारे लिए कपड़े उतार रही हूं ।" फिर पलक झपकते ही वो अपने कपड़े उतारने लगी ।

दस सैकिण्ड में उसके शरीर से कपड़े अलग हो चुके थे ।

वो गहरी-गहरी सांसे ले रही थी, उसकी छातियां सांसो की वजह से उठ-बैठ रही थी ।

सैवन इलैवन के होंठ सिकुड़ गये। नजरें शरीर पर फिरने लगीं।

"ऐसे मत देखो।" वो शर्माने वाले ढंग से कह उठी ।

"देखने दो ।" सैवन इलैवन मुस्कुराया--- "कभी-कभी ही मनपसंद की चीजें मिलती हैं ।"

अब उसके चेहरे पर कोमलता के भाव आने लगे थे ।

"तुमने सोचा कि तुम्हारे इंकार पर मैं तुम्हें गोली मारने जा रहा हूं। तो तुमने कपड़े उतार दिये ।" सैवन इलैवन बोला ।

"हां ।"

"लेकिन मैंने तुम्हें मारने के लिए रिवॉल्वर नहीं निकाली थी ।"

"छोड़ो भी, अब आ भी जाओ ।" वो कातर स्वर में कह उठी ।

"तुम्हारी मर्जी है तो मैं इंकार नहीं करूंगा ।" सैवन इलैवन ने रिवॉल्वर जेब में रखी और आगे बढ़ कर उसे बाहों में ले लिया ।

"उफ ।" वो कसमसाई ।

"बहुत गर्म हो ।"

"ये सच है कि आज तक मेरे पति के अलावा किसी ने मुझे छुआ नहीं ।" वो सैवन इलैवन को कसते हुए कह उठी ।

"मुझे इससे कोई मतलब नहीं, क्योंकि हर कोई ये ही कहती है।"

"सच कह रही हूं ।"

"इस काम में कब से हो ?" सैवन इलैवन ने अपनी हरकत शुरु कर दी थी ।

"कौन-से काम में ?"

"आतंकवादियों के साथ ।"

"तुम पुलिस वाले हो ?"

"नहीं । पुलिस वाला होता तो अकेला क्यों आता । तो कब से हो इनके साथ ?"

"मेरा तो बचपन ही इन लोगों में बीता है ।" दोनों की हरकतें जारी थी--- "ट्रेनिंग कैम्पों में मैं पलकर बड़ी हुई, जो किसी सीमा पार पर हैं। मेरे बाबा युवकों को ट्रेनिंग दिया करते थे । जब बड़ी हुई तो इन्हीं में से एक से मेरा ब्याह हो गया । यही मेरा जीवन है ।"

"खुश हो अपने जीवन से ?"

"बहुत ।"

सैवन इलैवन और वो युवती कमरे के बैड पर मौजूद थे । दोनों ने अपनी कमर वाले हिस्से पर चादर तो रखी थी । युवती ने करवट ली और सैवन इलैवन की छाती पर सिर रखे हुए कहा ।

"तुम मेरे पति से कहीं ज्यादा बेहतर हो । आज बहुत मजा आया ।

"तसल्ली हुई ?"

"पूरी तरह । मैं तुमसे फिर मिलना चाहूंगी ।"

वापस पलटना मेरी आदत नहीं ।" सैवन इलैवन ने कहा और चादर हटाकर उतरा और कपड़े पहनने लगा ।

वो सैवन इलैवन को देखती रही फिर बोली ।

"जा रहे हो ?"

"जाना ही है ।"

"तुमने उन तीनों को क्यों मारा, बताया नहीं ?" उसने पूछा ।

"तुम्हें ।" कमीज के बटन बंद करता सैवन इलैवन कह उठा--- "ये जानना चाहिए कि तुम क्यों मर रही हो ?"

"क्या ?" वो चौंककर उठ बैठी--- "क्या कहा तुमने ?"

"तुम मरने जा रही हो ।" सैवन इलैवन ने रिवॉल्वर निकाल ली ।

"यह क्या कह रहे हो । मैंने अपनी जान बचाने के लिये तो कपड़े उतारे हैं तुम मुझे नहीं...।"

"जब तक तुमने मुझे बहलाये रखा, तुम जिंदा रही। वो बात खत्म तो अब तुम्हारा भी खेल खत्म ।"

"नहीं...तुम मुझे नहीं मार...।"

तभी ट्रेगर पर रखी सैवन इलैवन की उंगली हिली ।

खामोश जैसा धमाका हुआ और गोली उसके माथे पर जा लगी।

वो पलटकर वापस बैड पर जा गिरी । फिर नहीं हिल सकी ।

सैवन इलैवन ने रिवॉल्वर जेब में रखी, जूते पहने फिर दूसरे कमरे में पहुंचा, जहां एक तरफ काफी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ रखे दिखे । सैवन इलैवन वापस ड्राइंग रूम में आया और मुख्य दरवाजा खोलकर बाहर निकला फिर दरवाजा बंद किया और सीढ़ियां उतरते हुए फोन निकाला और पुलिस को फोन किया ।

"यस, पुलिस कंट्रोल रूम ।"

"मेरी बात सुनो । एक पता नोट करो, बता रहा हूं, यह आतंकवादियों का ठिकाना है और यहां चार लाशें पड़ी हैं । ढेर सारा विस्फोटक पदार्थ भी है । इससे पहले कि उसका कोई साथी पहुंचे पुलिस को पहले वहां पहुंचना है । खेतवाड़ी इलाका है ये ।" कहकर सैवन इलैवन ने पता नोट कराया और फोन बंद करके जेब में रखा । तब तक सैवन इलैवन बाहरी गली में आ गया था और वापस मुख्य सड़क की तरफ बढ़ने लगा था ।

ठीक उसी पल उसका फोन बजा। फोन की स्क्रीन पर आया नम्बर देख, कान से लगाता कह उठा---

"कहो ।"

"मेरे पचास हजार तैयार हो गये ?" उधर से आवाज आई ।

"अभी नहीं ।"

"क्या कसर बाकी है ?"

"मुझे उसके बारे में बताओ, जिसने इन लोगों तक बारूद पहुंचाया था ।"

"ये भी बताना पड़ेगा ?"

"पचास हजार लेने हैं तो बताना पड़ेगा ।"

"तुम आचार्य डोंडे मार्ग पर पहुंचो, मैं तुम्हें फोन करता हूं ।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद किया जेब में डाला । आगे बढ़ता हुआ, गली से बाहर निकला और मुख्य सड़क पर आ पहुंचा । सामने ट्रेफिक नजर जा रहा था । एक तरफ खड़ी कार में बैठा और आगे बढ़ गया । वहां से आचार्य डोंडे मार्ग कम से कम एक घंटा दूर था ।

■■■

सैवन इलैवन आचार्य डोंडे मार्ग पर पहुंचा । एक किलोमीटर लम्बा रास्ता था, जिसे आचार्य डोंडे मार्ग का नाम दिया हुआ था। सड़क के किनारे कार रोकने के बाद उसने फोन निकाला कि तभी बेल बजने लगी ।

"कहो ।" सैवन इलैवन फोन कान से लगाकर बोला ।

"पहुंच गये ?"

"हां ।

"इस सड़क पर मैक डोनाल्ड रेस्टोरेंट है । उसी सड़क के साथ-भीतर गली जा रही है । चलो मैं तुम्हें फोन पर बताता रहूंगा ।"

सैवन इलैवन ने फोन गोद में रखा और कार आगे बढ़ा दी । उसकी निगाह सड़क के दोनों तरफ की दुकानों पर जा रही है । शीघ्र ही उसे मैक डोनाल्ड नजर आ गया । सैवन इलैवन ने गोद में रखा फोन उठाकर कान से लगाया ।

"मैक-डोनाल्ड पहुंच गया हूं ।"

"कार से बाहर निकलो और गली में घुस जाओ ।"

सैवन इलैवन इंजन बंद करके कार से बाहर निकला और कान से फोन लगाये गली में प्रवेश कर गया । वो दस फीट चौड़ी गली थी । जिसके दोनों तरफ कच्चे-पक्के मकान बने हुए थे ।

"अब क्या करूं ?" सैवन इलैवन बोला ।

"सीधे चलते रहो आगे तिराहा आयेगा ।"

कुछ ही पलों बाद तिराहा आया । दो सड़क दायें-बायें जा रही थी। एक सीधी ।

"अब ?"

"बायें मुड़ो ।"

सैवन इलैवन बायें मुड़ा ।

ये तंग गली थी ।

पांच फीट चौड़ी, जिसके दोनों तरफ एक-एक कमरे के घर बने हुए थे । रहने वाला सामान गली में ही पड़ा हुआ था ।

"अब तुमने करीब बीस घर पार करने हैं । फिर एक गहरे नीले रंग के दरवाजे वाला घर दिखेगा । वो ही तुम्हारा ठिकाना है । वहां तुम्हें बशीर नाम का युवक मिलेगा । वो कश्मीरी है । देखते ही पहचान जाओगे । उसी ने कल बारूद वहां तक पहुंचाया था।"

सैवन इलैवन ने फोन बंद करके जेब में डाला ।

तब तक नीला दरवाजा वाला घर आ गया था ।

दरवाजा बंद था ।

सैवन इलैवन ने दरवाजा थपथपाया ।

फौरन दरवाजा खुला ।

सैवन इलैवन ने पहचाना कि वो कश्मीरी है । पच्चीस-छब्बीस की उम्र रही होगी उसकी ।

"कहिये ?" वो बोला ।

"बशीर हो तुम ?"

"हां ।" उसकी सवालिया निगाह सैवन इलैवन पर थी ।

"मुझे तुम्हारे उन दोस्तों ने भेजा है, जिन्हें तुमने कल सामान पहुंचाया था ।" सैवन इलैवन के माथे पर बल पड़ते दिखे ।

"मेरे दोस्त ! मैंने सामान पहुंचाया था । कैसी बातें कर रहे हैं आप ?" वो कह उठा ।

"मैं खेतवाड़ी की बात कर रहा हूं ।"

वो कुछ बेचैन दिखा ।

"जल्दी मैसेज है तुम्हारे दोस्तों का, भीतर चल बात करें ?" सैवन इलैवन का स्वर शांत था ।

बशीर ने दायें-बांये देखा । फिर पीछे हटा बोला ।

"आओ ।"

सैवन इलैवन भी प्रवेश कर गया ।

साधारण-सा कमरा था वो । एक फोल्डिंग बैड बिछा रखा था । दूसरी तरफ सामान के दो-तीन थैले रखे नजर आ रहे थे । दीवार पर चेहरा देखने वाला शीशा टंगा था । बाथरूम-किचन के नाम पर, जरा-जरा जगह थी ।

बशीर ने दीवार से सटाकर खड़ी कर रखी फोल्डिंग चेयर खोल दी ।

"बैठो ।"

सैवन इलैवन बैठा ।

बशीर खड़ा रहा । उसे देखता हुआ बोला ।

"क्या करना चाहते हो ?"

"तुम्हारे दोस्तों ने कहलवाया है कि कल जो समान दिया था वो कम है, कुछ और चाहिये ।"

"ये बात वो मुझे फोन पर भी कह सकते थे ।" बशीर ने उलझन भरे स्वर में कहा ।

"सख्ती बहुत है । पता नहीं चलता कि कब किसके फोन की बातें पुलिस सुन ले ।" सैवन इलैवन मुस्कुराया ।

"तुम कौन हो ?"

"मैं उसका खास हूं, उन्हें टारगेट तय करनी बता देता हूं। कानपुर में भी उन्होंने मेरी बताई जगह पर विस्फोट किया था ।"

बशीर ने कुछ नहीं कहा ।

"अब कहां पर विस्फोट करने की योजना बनाई है ?"

"अखबार पढ़ लेना । वक्त से पहले ये बात नहीं बताऊंगा ।"

"मुझे भी नही ।"

"नही, क्योंकि मैं तुम्हें ठीक से जानता नही। तुम्हें जो जानना है, अपने दोस्तों से पूछ लो। मेरा यहां रुकना ठीक नही । मुझे बारूद दो । अभी कई काम करने हैं ।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में कहा।

बशीर ने सिर हिलाया और सामने रखे थैले की तरफ बढ़ गया ।

अगले ही पल थैले में से रिवॉल्वर निकाली और सैवन इलैवन की तरफ कर दी । अब बशीर का चेहरा कठोर हो गया था । सैवन इलैवन के होंठ सिकुड़े । वो शांत स्वर में बोला---

"यह क्या कर रहे हो ?"

"मेरा दोस्त मेरा फोन नम्बर जानते हैं, ठिकाना नहीं, तो तुम मुझ तक कैसे आ पहुंचे ?" बशीर गुर्राया ।

"हैरानी है ।" सैवन इलैवन मुस्कुरा पड़ा ।

"कैसी बात की ?"

"इस जगह का पता तुम्हारे दोस्तों ने ही बताया है ।"

"बकवास। मैं नहीं मानता ।" कहते हुए उसने जेब से फोन निकाला--- "हिलना मत । वरना गोली मार दूंगा । मैं उनसे बात करने जा रहा हूं, अभी पता चल जायेगा । मुझे तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं ।"

सैवन इलैवन शांत बैठा रहा ।

बशीर ने नम्बर मिलाया और फोन कान से लगा लिया ।

उधर बैल होने लगी । फिर एक आवाज कानों में पड़ी ।

"हैलो, कौन बोल रहा है ?"

बशीर के चेहरे पर उलझन का भाव दिखा ।

"हैलो-हैलो, कौन बोल रहा है ?" आवाज पुनः कानों में पड़ी ।

"तुम कौन हो ?" बशीर कह उठा ।

"पुलिस, तुमने फोन...।"

बशीर ने तुरन्त फोन बन्द कर दिया । होंठ भिंच गये । नजरें सैवन इलैवन पर थीं ।

"तुम पुलिस वाले हो ।" बशीर होंठ भींचकर बोला--- "मेरे दोस्तों के पास भी पुलिस है ।"

"क्या बकवास कर रहे हो ।" सैवन इलैवन झल्लाये अंदाज में खड़ा हुआ । फिर बिल्ली की तरह उस पर झपट पड़ा । उसका रिवॉल्वर वाला हाथ पकड़ कर छत की तरफ किया और घुटने का वार उसके पेट पर किया ।

बशीर पीड़ा से चीख पड़ा । उसके हाथ में दबे रिवॉल्वर से गोली चली, जो कि छत में जा लगी ।

सैवन इलैवन ने जोरदार घूंसा उसके चेहरे पर मारा ।

बशीर पुनः चीखा ।

तभी सैवन इलैवन ने पलक झपकते ही रिवॉल्वर अपनी पैंट से निकाली और छाती से नाल सटाते हुए ट्रेगर दबा दिया । 'पिट' की मध्यम-सी आवाज के साथ गोली ठीक उसके दिल वाले हिस्से में प्रवेश कर गई ।

सैवन इलैवन ने उसका हाथ छोड़ा तो वो नीचे जा गिरा ।

मर चुका था वो ।

सैवन इलैवन ने पलटकर रिवॉल्वर जेब में रखी और बाहर निकल गया ।

गोली की आवाज सुनकर बाहर लोग इकठ्ठे होने लगे थे । उसे देखते ही भय से उसे रास्ता दे दिया ।

"पुलिस को फोन ।" सैवन इलैवन उनके बीच में से निकलता हुआ बोला--- "वो आतंकवादी था और भीतर बारूद भी पड़ा है।"

आगे बढ़ता गया सैवन इलैवन ।

रास्ता तय करके वो सड़क पर खड़ी अपनी कार में आ पहुंचा । कार स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी । उसका चेहरा शांत था । उसकी भूरी-बिल्लोरी चीते जैसी आंखों में कठोरता भरी हुई थी ।

कुछ देर बाद उसका फोन बजा ।

"कहो ।" सैवन इलैवन ने बात की ।

"काम हो गया ?"

"हां ।"

"मैं पचास हजार का लेनदार बन गया ?"

"हां ।"

"दे ही दो । आजकल हाथ बहुत तंग चल रहा है ।"

"आज की तारीख में तुम तक पहुंच जायेगा ।"

"ठीक है । मैं तुम्हारे लिए कोई और खबर तलाशता हूं ।"

सैवन इलैवन फोन बंद किया कि पुनः उसी पल फोन बजा ।

सैवन इलैवन ने स्क्रीन पर आया नम्बर देखा फिर फोन कान से लगाता कह उठा---

"कहो दीवान ।"

"तुम्हारे लिये बुरी खबर है ।" दीवान की आवाज कानों में पड़ी ।

"कह दो ।"

"तुली जिन्दा है ।"

"असम्भव ।" सैवन इलैवन के होंठों से निकला ।

"वो क्रोशिया में देखा गया है । वहां उसने F.I.A. के एजेन्ट मोहन सूरी की हत्या की । हमारे पास उसकी रिकॉर्डिंग है ।"

"रिकॉर्डिंग ?"

"वहां कैमरा चल रहा था, जब तुली ने हमारे आदमी के ऑफिस में प्रवेश किया ।"

सैवन इलैवन को काटो तो खून नही ।

हक्का-बक्का फोन कान से लगाये रहा ।

"सैवन इलैवन ।" दीवान की आवाज कानों में पड़ी ।

"मुझे यकीन नहीं होता कि तुम ठीक कह रहे हो ।" सैवन इलैवन के होंठों से निकला ।

"हमारे पास C.C.T.V. की रिकॉर्डिंग है । तुम आकर देख सकते हो या कहो तो मैं तुम्हारे पास भिजवा दूं ।"

"तुली को मार दिया गया था ।" सैवन इलैवन अजीब से स्वर में कह उठा ।

"वो जिन्दा हैं ।"

"तुम्हें गलती लग रही है दीवान ।"

"क्या तुमने तुली को अपने हाथों से मारा था सैवन इलैवन ?"

सैवन इलैवन के होंठ भिंच गये ।

"सुन रहे हो सैवन इलैवन ?"

"हां, मैं भट्ट को भेज रहा हूं, वो रिकॉर्डिंग उसे दे देना ।" कहने के साथ ही सैवन इलैवन ने भट्ट को फोन दिया कि दीवान से रिकॉर्डिंग लेकर, फौरन उसके पास फ्लैट पर पहुंचे ।

सैवन इलैवन ने मस्तिष्क में धमाके फूट रहे थे ।

तुली जिन्दा है ?

क्रोशिया में देखा गया है उसे--- उसने F.I.A. एजेन्ट की हत्या कर दी ।

लेकिन तुली को तो उसके कहने पर R.D.X. ने मार दिया था। वो जिन्दा कैसे हो गया ?"

दीवान की बात अगर सही है तो R.D.X. चूक गये होंगे तब या फिर R.D.X. ने तुली को मारा ही नहीं ।

परन्तु C.I.A. ने तब इस बात की घोषणा की थी कि F.I.A. का एजेन्ट तुली वूस्टर में मारा गया । C.I.A. ने लाश की पूरी जांच-पड़ताल की होगी। C.I.A. कैसे धोखा खा गई ?

सैवन इलैवन का दिमाग खराब होता जा रहा था यह सब सोचकर ।

तुली का जिन्दा निकल आना उसके लिए सच में परेशानी की बात थी, क्योंकि तुली को खत्म करने का काम उसने अपने हाथ में लेकर, R.D.X. से काम पूरा करवाया था। R.D.X. को सलामत छोड़ने की शर्त ही यही थी कि तुली को, वे मारें और उन्होंने मारा और अब तुली जिन्दा निकल आया था ?"

ऐसा है तो बहुत गड़बड़ है ?

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सैवन इलैवन ने V.C.D. ऑफ किया तो टी.वी. पर नजर आती तुली की फिल्म बंद हो गई ।

भट्ट ने सैवन इलैवन को देखा ।

सैवन इलैवन के चेहरे पर कठोरता थी ।

"यहां तो सच में तुली है, वो जिंदा है गुरु ।" भट्ट कह उठा ।

"हां, वो जिन्दा है और जिन्दा नहीं होना चाहिये ।" सैवन इलैवन गुर्राया ।

"तुली ने मोहन सूरी को मारने से पहले क्या बातें की, हम नहीं सुन सके ।"

"C.C.T.V कैमरों पर आवाज की रिकॉर्डिंग होती नही, होती है तो इतनी खराब होती है कि उसे समझा-सुना नहीं जा सकता।"

"तुम तुली को खत्म करने में चूक गये गुरु ?"

"मैंने तुली की हत्या का काम R.D.X. को दिया था । उन्होंने तुली को मारा था। परन्तु वो इतने कच्चे नहीं हैं कि तुली को मारने में धोखा खा जायें और तुली बाद में जिन्दा नजर आ जाये ।"

"तुम्हारा मतलब कि R.D.X. ने गड़बड़ की ?"

"हां ।" सैवन इलैवन होंठ भींचे कह उठा--- "वो मरेंगे अब ।" कहने के साथ ही सैवन इलैवन ने फोन निकाला और नम्बर मिलाने लगा । आंखों में खतरनाक भाव नाच रहे थे ।

"उसका नम्बर है तुम्हारे पास ?"

"हां । सबका ही है ।" सैवन इलैवन ने नम्बर मिलाने के पश्चात फोन कान से लगा लिया ।

एक ही बार में उधर से बैल बजी ।

"हैलो ।" धर्मा की आवाज कानों में पड़ी ।

पल भर की खामोशी के बाद धर्मा की आवाज कानों में पड़ी ।

"तुम ! हैरानी है कि तुमने फोन किया । अब हम तुम्हारा कोई काम नहीं करेंगे । वादे के मुताबिक तुली को हमने खत्म कर दिया था ।

"मैं तुम लोगों से मिलना चाहता हूं ।" सैवन इलैवन ने बेहद शांत स्वर में कहा ।

"हम पूना में है ।"

"मैं पूना आ जाता हूं ।" सैवन इलैवन का स्वर सरल था ।

"यहां हम व्यस्त हैं, कल मुम्बई पहुंचेंगे । तब तुम्हें फोन कर लूंगा । तुम्हारा नम्बर मेरे फोन पर आ गया है ।"

"मेरा तुम लोगों से मिलना जरूरी है ।"

"कल मिलते हैं, पूना से लौटते ही ।" कहने के साथ ही उधर से धर्मा ने फोन बंद कर दिया था ।

दांत भींचे सैवन इलैवन ने फोन जेब में रखा । भट्ट कह उठा ।

"तुमने सीधे-सीधे तुली के बारे में क्यों नहीं पूछा ?"

"अगर उन्होंने कोई गड़बड़ की है तो, जो कि की है, वो सतर्क हो जाते और फिर उन्हें ढूंढना कठिन हो जाता । वक्त बर्बाद होता उन तक पहुंचने में । अब वो पूना में है और कल आ जायेंगे ।" सैवन इलैवन ने होंठ भींचकर कहा ।

"क्या ख्याल है तुली C.I.A. से मिल चुका है 'ऑपरेशन टू किल'  के संबंध में ?" भट्ट बोला ।

"शायद नहीं ।"

"कैसे कहते हो ये बात ?"

"C.I.A. से मिलता तो C.I.A. तुली को आजाद न छोड़ती, बहुत संभाल के रखती । जबकि तुली दो महीने बाद क्रोशिया में दिखा ये बात स्पष्ट है कि C.I.A. को उसकी खबर नहीं है ।"

"वो इंडिया आयेगा ?"

"पक्का । क्यों ?"

"उसके परिवार को गोलियों से भून दिया गया है । ये काम किसने किया है, मालूम नहीं हो सका । पुलिस अभी तक ये जानने की कोशिश कर रही है । मेरे ख्याल में तुली को अपने परिवार के मरने का पता चल गया है ।"

"उसका बेटा तो जिन्दा है ।"

"परन्तु वो लापता है उसकी कोई खबर नहीं मिल पाई ।"

"जो भी हो गुरु, तुली के साथ बुरा हुआ है । हमें उसे मारने की चेष्टा नहीं करनी...।"

"वो C.I.A. से जा मिला था ।"

"तब मिला, जब दीवान और कपूर ने उसे रेस्टोरेंट में मारने की चेष्टा की । वो समझ गया कि 'ऑपरेशन टू किल' की वजह से F.I.A. उसे खत्म कर देना चाहती है । तब उसकी मजबूरी थी C.I.A. का हाथ थामना ।"

"हां, दीवान ने कुछ गलतियां अवश्य कीं, परन्तु उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता । इतने बड़े ओहदे पर बैठकर कुछ तो गलती हो ही जाती है । मैं तुली के बारे में सोच रहा हूं, उसे कैसे मालूम होगा अपने परिवार के बारे में ?"

"कोई भी बता सकता है । उसने अपने दोस्तों को, पड़ोस में, कहीं पर फोन किया और पता चला ।

"F.I.A में काम करने वालों के दोस्त नहीं होते । तुम उसके आस-पड़ोस से पता करो कि क्या तुली का फोन आया किसी को ?"

"अभी तक तो हर कोई जानता है कि तुली की मृत्यु हो चुकी है।"

"एक है जो जानता है कि तुली नहीं मरा । जिसने तुली को उसके परिवार के बारे में बताया ।" सैवन इलैवन ने सोच भरे स्वर में कहा--- "मेरे ख्याल में तुली ने अपने परिवार से बात करने के लिये, घर पर फोन किया हो सकता है । घर पर बात न होने से उसने पड़ोस में कहीं फोन किया होगा "

"ये हो सकता है । मैं पता करता हूं ।" भट्ट गम्भीर स्वर में बोला--- "एक बात कहूं गुरु ?"

सैवन इलैवन ने उसे देखा ।

"तुली की कोई गलती नहीं है किसी मामले में । वो खामख्वाह मुसीबत में पड़ा हुआ है ।"

"अगर उसने C.I.A. का हाथ न थामा होता तो उसे छोड़ देता । C.I.A. को वो 'ऑपरेशन टू किल' नामक मिशन का सच बताने जा रहा था। उसने फैसला करने में जल्दी कर दी थी । (ये सब जानने के लिए पढ़ें अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास-'ऑपरेशन टू किल' )

"दीवान और कपूर की हत्या करने की चेष्टा न की होती तो वो ऐसा ना करता ।"

सैवन इलैवन की निगाह भट्ट पर जा टिकी ।

"तुम क्या कहना चाहते हो भट्ट ?"

"तुली के साथ गलत हो रहा है । उसका परिवार भी किसी ने समाप्त कर दिया, जबकि वो F.I.A. का खास हत्यारा है । उसने अगर C.I.A. का हाथ थामने की चेष्टा की तो, उसमें भी गलती F.I.A. की ही है ।"

सैवन इलैवन के होंठ भिंचे रहे, कहा कुछ नहीं ।

"मैं जाता हूं । तुली के पड़ोस से उसके बारे में जानने की चेष्टा करता हूं ।"

भट्ट बाहर निकल गया ।

उसी पल सैवन इलैवन का फोन बजा ।

दूसरी तरफ दीवान था ।

"तसल्ली हुई ?" दीवान की आवाज कानों में पड़ी ।

"हां, लेकिन विश्वास नहीं आ रहा । परन्तु ये सच है कि तुली जिन्दा है ।"

"तुमने काम ठीक से नहीं किया ।"

"हां ।" सैवन इलैवन गम्भीर था ।

"तुली ने मोहन सूरी को मारकर इशारा दिया है कि उसके इरादे ठीक नहीं है । वो इंडिया आयेगा या आ चुका होगा ।"

"उसके आने की खबर मिली तो मुझे फौरन बताना ।"

"तुम्हारा क्या ख्याल है कि तुली के पीछे C.I.A. है ?"

"नहीं दीवान। C.I.A. तुली को इस तरह आजाद नहीं छोड़ती । वो तुली को 'ऑपरेशन टू किल' का गवाह बनाकर, हमारे देश के सामने पेश करती। तुली आजाद घूम रहा है तो जाहिर है कि C.I.A. को इसकी कोई खबर नहीं है ।" सैवन इलैवन बोला ।

"मेरा भी यही ख्याल है ।"

"तुली के बारे में खबर मिलते ही मुझे बताना ।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद कर दिया ।

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