देवराज चौहान की एकटक निगाह पास आते महाजन पर थी।


जब वो बेहद करीब आ गया तो देवराज चौहान ने सिग्रेट सुलगाकर कश लिया ।


"हैलो – ।” महाजन पास पहुंचकर ठिठके हुए मुस्करा कर बोला- "तुम्हें यहां देखकर हैरानी हो रही है देवराज चौहान।"


"चालाक बनने की कोशिश मत करो।" देवराज चौहान ने सख्त स्वर में कहा - "वो लड़की तुम्हें सब कुछ बता चुकी है। " 


“कौन लड़की ?”


" जिसे कल से तुमने अपने घर में पनाह दे रखी है।" देवराज चौहान से पूर्ववतः लहजे में कहा ।


"मैंने नहीं। मेरी पत्नी ने- " 


“एक ही बात है। "


“उसे मेरे हवाले कर दो।" 


“क्यों?”


"इस बात से तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिये- ।” देवराज चौहान की आवाज बेहद कठोर हो गई- “तुम्हारे - मेरे बीच अभी तक झगड़े की कोई वजह नहीं है कि तुम मेरी बात से इन्कार करो।”


"तुमने उसके मां-बाप की हत्या की?” महाजन बोला । 


“मैं जानता हूं वो तुम्हें सब बता चुकी है ।”


“उसके बाप को खत्म करने की बात तो समझ में आती है कि कोई बात हो गई होगी।" महाजन एक-एक शब्द पर जोकर देकर कह उठा -“लेकिन औरतों की हत्या कब से करने लगे। अब उस मासूम लड़की के पीछे पड़े हो ।”


- “मेरे मामले में ज्यादा दखल देने की जरूरत नहीं है महाजन - । 


“मेरे ख्याल से तुम्हारे मामले का कुछ हिस्सा, मेरे साथ भी जुड़ गया है।" महाजन ने गम्भीर स्वर में कहा।


“क्या मतलब?” देवराज चौहान के चेहरे पर खतरनाक भाव थे।


“वो लड़की मेरे घर पर है। मैं उसे बाहर नहीं निकाल सकता कि तुम उसे खत्म कर दो।"


“तो फिर मुझे भीतर आना- ।"


“ये आसान नहीं होगा देवराज चौहान।" महाजन ने देवराज चौहान की आंखों में झांका- “मैं जानता हूं कि तुम मुझे पार कर लोगे। लेकिन ये भी इतना भी आसान नहीं होगा। मेरी बीवी राधा कोई साधारण औरत नहीं है। वो एक खतरनाक कबीले से वास्ता रखती है और लड़ाई के बहुत दांव-पेच जानती है, जिसका तोड़ आसान नहीं। कुल मिलाकर उस लड़की को मेरे घर से ले जाना आसान नहीं होगा।”


"तुम अच्छी तरह जानते हो महाजन कि मैं जिस काम के लिये आगे बढ़ता हूं फिर उसे पूरा करके ही पलटता हूं।" महाजन ने सख्त निगाहों से देवराज चौहान को देखा।


“देवराज चौहान, ये बात तुम्हारी फितरत से मेल नहीं खाती कि तुम बेवजह किसी मासूम की जान लो तुमने इस लड़की की मां को मारा और अब इसे खत्म करने पर लगे हो ।”


देवराज चौहान ने होंठ भींच लिये ।


"एक बात और मेरी समझ से बाहर है।" 


देवराज चौहान कुछ नहीं बोला। उसे देखता रहा।


“तुम मुम्बई से अगर इस लड़की के पीछे हो तो रास्ते में हजारों मौके मिले होंगे इसे खत्म करने के। तब तुमने इसे खत्म क्यों नहीं किया और मैं इस बात पर भी सोच रहा हूं कि तुम्हें पहले से मालूम था कि मैं यहां हूं या मेरे घर पर ही ये सब होना सिर्फ इत्तफाक ही है।" 


“मझे बातों में उलझाने की कोशिश मत- ।”


"मैं बातों में नहीं उलझा रहा। सच बातें कह रहा हूं।" 


“लड़की को घर से बाहर निकाल दो।" देवराज चौहान ने कश लिया -- “ये मामला यहीं खत्म हो जायेगा।"


महाजन के चेहरे पर दृढ़ता-सी उभरी।


“तुम क्या सोचते हो कि मैं लड़की बाहर निकाल दूंगा घर से कि, तुम उसकी जान ले लो।"


“मेरे मामले में दखल मत दो महाजन बिना वजह दुश्मनी की शुरुआत न करो।"


"बिना वजह नहीं, वजह है। वो लड़की ।" महाजन ने कहा- "मैं तुम्हारी बात मान भी लूं, तो मेरी पत्नी कभी भी उस लड़की को इस तरह घर से बाहर नहीं आने देगी।”


“मतलव कि तुम मुझसे झगड़ा करोगे।" देवराज चौहान के दांत भिंच गये।


महाजन ने कुछ नहीं कहा। गम्भीर निगाहों से देवराज चौहान को देखता रहा।


“जवाब देने या फैसला करने में जल्दबाजी मत करो महाजन | घर जाकर अपनी पत्नी से सलाह लो। मैं तुम्हें दो घंटे का वक्त देता हूं। दो घंटे में वो तुम्हारे घर से नहीं निकली तो फिर मैं कुछ भी कर सकता हूं। मेरी तरफ से केसी भी हरकत की आशा रख सकते हो तुम।"


महाजन ने देवराज चौहान की आंखों में झांका फिर पलटकर अपने घर की तरफ बढ़ गया।


देवराज चौहान उसे जाते देखता रहा। वो जानता था कि अब महाजन, मोना चौधरी को इन बातों की खबर देगा। ऐसे में अगर मोना चौधरी यहां आ पहुंची तो उसकी योजना सफल हो जायेगी।


***


महाजन के चेहरे पर उलझन ही उलझन नजर आ रही थी। कई तरह की सोचों के भाव उसके चेहरे पर आ-जा रहे थे। परेशानी, व्याकुलता क्या नहीं था, उसकी सोचों में


नगींना कुर्सी पर बैठी उसे देख रही थी।


महाजन उसी कमरे में चला गया तो नगीना ने राधा से पूछा। 


“क्या बात हुई? बताया कुछ?"


“मुझे क्या पता तेरे सामने ही तो है। मेरी तो कोई बात नहीं हुई नीलू से।"


तभी महाजन तगड़े घूंट भर कर वापस आ पहुंचा। 


“क्या बात है नीलू! तू परेशान क्यों है? मुझे बता मैं तेरी सारी परेशानी दूर कर दूंगी।" राधा कह उठी ।


“राधा तू नहीं समझ पायेगी इन बातों को " 


“तू समझायेगा तो समझूँगी। मुझे भी समझदार बना दे।"


"मैं देवराज चौहान को और उसकी आदतों को अच्छी तरह जानता हूं। वो इस वक्त जो कर रहा है। वो उसकी आदत से मेल नहीं खाता।" महाजन ने सोच भरे स्वर में कहते हुए राधा को देखा- "देवराज चौहान कभी भासूमों को नहीं मारता। जिससे कोई खास दुश्मनो पैदा हो जाये उसकी ही जान लेता है। उसके परिवार वालों के पीछे नहीं पड़ता।”


“नीलू ये भी तो हो सकता है कि देवराज चौहान का दिमाग फिर गया हो। वो पागल - ।”


महाजन ने घूरकर राधा को देखा तो राधा हड़बड़ाकर कह उठी। 


"मैंने कुछ गलत कह दिया नीलू - ?”


“देवराज चौहान उन लोगों में से नहीं है कि, जिनका दिमाग फिर जाये।" महाजन ने ये शब्द इस ढंग से कहें कि राधा इस बारे में फिर कुछ न कह सकी- “देवराज चौहान और मोना चौधरी में दो-तीन बार जबदस्त टकराव हो चुका है। मैं बहुत हद तक जानता हूं देवराज चौहान को- "


“अब देवराज चौहान ने क्या कहा ?” “वो कहता है कि दो घंटे के भीतर इस लड़की को घर से बाहर न निकाला तो वो भीतर आ जायेगा या कुछ भी करेगा। इस लड़की को खत्म किए बिना वो जाने वाला नहीं।" महाजन ने होंठ भींच कर कहा।


“तू फिक्र मत कर ।” राधा की आवाज में गुस्सा भर आया- “आने दे देवराज चौहान को यहां मैं देख लूंगी उसे कि वो कितना दम रखता है। वो जानता नहीं कि मेरे को कि- ।”


“देवराज चौहान को तुम्हें जानने की जरूरत नहीं है।" महाजन ने सख्त स्वर में कहा - " बल्कि उसे जानने की तुम्हें जरूरत है। वो वो है, जिसके सामने पड़ने से एक बार तो बेबी भी सोचती है।"


“मोना चौधरी डरती है उससे?"


“डरती नहीं। जहां तक हो सके, वो देवराज चौहन से टक्कर नहीं लेना ही पसन्द करती है ।”


“मतलब कि दोनों बराबर के हैं नीलू - ।”


"ऐसा कह सकती हो तुम - ।”  


"दोनों में ज्यादा ताकतवर कौन है?" राधा की नजरें महाजन पर थीं ।


"जिसका वार पहले कामयाब हो जाये, उसे ही ताकतवर समझ लेना।" महाजन ने गम्भीर स्वर में कहा ।


राधा, महाजन को देखती रही। तभी नगीना कह उठी ।


“प्लीज । मुझे उसके हवाले मत कर देना। वो मेरी जान ले लेगा।” 


“तू फिक्र मत कर। हम तेरे को बचा लेंगे।" राधा ने नगीना से कहा- “देवराज चौहान जो भी ही। हम भी तो कुछ हैं।” - 


“नीलू! हम इतने कमजोर भी नहीं हैं कि देवराज चौहान का मुकाबला न कर सकें।" 


"देवराज चौहान के सामने हम कमजोर ही हैं।" महाजन ने गम्भीर स्वर में कहा- "हम उसके सामने नहीं टिक पायेंगे।” 


“सच नीलू-! तू ऐसी बात कहता है तो मुझे विश्वास करना ही पड़ेगा।" 


राधा भी गम्भीर नजर आने लगी। चुप्पी-सी छा गई दोनों के बीच नगीना खामोशी से बैठी, व्याकुलता दर्शाती, दोनों को देख रही थी।


“अब हम क्या करें?” कुछ पलों बाद राधा कह उठी । 


"समझ में नहीं आता।"


“मैं बताऊं?”


महाजन ने राधा को देखा।


"मोना चौधरी को बुला ले। वो देवराज चौहान से निपट लेगी।" 


महाजन ने होंठ भींच लिए।


“क्या हुआ? मैंने कुछ गलत कह दिया नीलू - "


“बेबी और देवराज चौहान का आमने-सामने आना बहुत खतरनाक हालात पैदा कर सकता है।" महाजन ने धीमे किन्तु गम्भीर स्वर में राधा को देखते हुए कहा ।


“अभी तुम कह रहे थे कि देवराज चौहान से हम नहीं निपट सकते। अब तुम ही बताओ कि दो घंटे बाद देवराज चौहान ने यहां आकर कुछ कर दिया तो, हमारी जान भी तो जा सकती है।" राधा कह उठी। 


महाजन ने होंठ भींच लिये ।


“मैं पुलिस को खबर कर देती - ।"


"ऐसा मत कर देना। कोई फायदा नहीं होगा।” महाजन कह उठा- "देवराज चौहान पुलिस के हाथों में नहीं आने वाला और साथ ही वो हमेशा के लिये हमारे पीछे पड़ जायेगा। उससे बच पाना कठिन हो जायेगा। पुलिस की नजर मुझ पर पहले से ही है। वो खामखाह मुझे ही किसी मामले में रगड़ देगी।"


“तो फिर क्या किया जाये? कुछ तो करना ही है । " 


महाजन उठा और कमरे की तरफ बढ़ गया ।


“नीलू कहां जा रहा है ?"


“रिवाल्वर तो जेब में रख लूं।" महाजन ने कहा- "देवराज चौहान दो घंटे से पहले ही आ गया तो फिर मैं क्या करूंगा।" 


कहने के साथ ही महाजन दूसरे कमरे में प्रवेश करता चला गया। बोतल निकालकर तगड़े-तगड़े चार-पांच घूंट भरे और बोतल को वहीं छिपाकर वापस आ गया।


“रिवाल्वर ले ली ? ” राधा ने पूछा । 


“हां ।”


“तो क्या सोचा कि क्या करना है ?"


“बेबी से बात करनी पड़ेगी।" महाजन ने व्याकुल स्वर में कहा ।


“मैं तो पहले ही कह रही थी कि मोना चौधरी को बुला लो।" 


नगीना के चेहरे पर जहान भर की परेशानी आ ठहरी । देवराज चौहान की योजना के मुताबिक वो भी यही चाहती थी कि मोना चौधरी सामने आ जाये, परन्तु फकीर बाबा के शब्दों को याद करके वो मन ही मन सिहर उठी थी कि दोनों में झगड़ा होने की स्थिति में इस बार देवा की जान जायेगी।


"बेबी को मैं इस मामले की खबर नहीं देना चाहता था, लेकिन मजबूर होकर मुझे खबर देनी पड़ रही है। इस लड़की को मैं बाहर निकाल नहीं सकता। देवराज चौहान से मुकाबला कर नहीं सकता। इस बीच अगर टेवराज चौहान ने यहां किसी तरह का हंगामा खड़ा कर दिया तो पुलिस मुझे छोड़ने वाली नहीं।"


"सोच क्या रहे हो नीलू! जल्दी से मोना चौधरी को फोन करो। मेरी नमस्कार कह देना।"


चेहरे पर गम्भीरता समेटे महाजन फोन की तरफ बढ़ गया। 


"तू फिक्र मत करा ।” राधा नगीना से कह उठी-- "मोना चौधरी आकर सब ठीक कर देगी। वो बहुत बहादुर है। "


जवाब में नगीना ने बेचैनी से पहलू बदला !


***