इन्तज़ार ही इश्क़ है

जैसे नसीम, हर सहर,

तेरी ही करू हूँ जुस्तजू,

ख़ाना-ब-ख़ाना, दर-ब-दर,

शहर-ब-शहर, कू-ब-कू।

मीर तक़ी मीर साहब की यह शायरी वीर के उपर ठीक बैठ रही थी। माया के साथ हुई उस घटना के बाद वीर और माया, दोनों अलग हो चुके थे। माया के दिल को वीर की इस हरकत से गहरी चोट पहुंची थी, जिसने इन दोनों प्रेमियों के बीच काफ़ी दूरियाँ कर दी थीं।

वीर और माया की बात हुए अब 18 महीने से भी ज़्यादा समय हो चुका था। वीर को अपनी ग़लती का अहसास हर रोज़ होता था। हर दिन उसे माया को थप्पड़ लगाने का बुरा लगता था। उसे लगता था कि माया अब एक शादीशुदा लड़की थी। जिस पर वीर का अब कोई हक़ नहीं था, लेकिन वीर को कभी यह बात समझ ही नहीं आई। वीर को हमेशा लगता था कि वह और माया जब भी साथ होते थे तो माया केवल उसी की ही होती थी। ग़लती वीर की नहीं थी उसने हमेशा से सिर्फ़ माया से ही प्यार किया था। जब माया की शादी हुई और माया वीर से दूर चली गई थी, तब वह टूट चुका था और उसे लगता था कि उसकी सबसे क़ीमती चीज़ उससे दूर चली गई है। जैसे ही माया दोबारा वीर की जिंदगी में आई तो वीर ने उसे फिर से उतना ही प्यार किया जितना पहले करता था, लेकिन माया ने इस बार वीर की इस ग़लत हरकत को नहीं सहा। माया को यह पहले ही कर देना चाहिए था तो फिर इस जुदाई की नौबत ही नहीं आती।

वीर को अब धीरे-धीरे अहसास होने लगा था कि माया अब फिर से वीर की लाइफ़ में लौट कर नहीं आएगी, फिर भी वह लाइफ़ में Move On नहीं कर पा रहा था। वीर माया को भूल नहीं पा रहा था। हो सकता था कि अगर माया वीर की जिंदगी में दोबारा दस्तक न देती तो शायद वीर अपनी जिंदगी में Move On करने की कोशिश करता, लेकिन माया के दोबारा आ जाने से इस प्रेम कहानी के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया था, जिसने इसे एक नया रूप दे दिया था।

वीर अब माया की यादों में इतना डूब चुका था कि उसे हर पल, हर जगह माया के होने का अहसास होता था। वीर को हमेशा उम्मीद रहती थी कि माया फिर से लौट कर जरूर आएगी और उसे उतना ही प्यार करेगी जितना पहले करती थी, लेकिन जरूरी नहीं कि हर उम्मीद अपने साथ पूरी होने की उम्मीद भी साथ लेकर आए।

वीर फिर से उसी नशे के नर्क में जलने लगा, जिसमें माया के फिर से आने के बाद उस नर्क से लगभग निकल चुका था। लेकिन फिर माया के चले जाने से वीर को नशे ने फिर से जकड़ लिया था। वीर अब फिर से हर समय नशे में रहने लग गया था। माया के लव-लैटर, तस्वीरें, बिस्तर पर छोड़ी हुई उसकी हेयर-क्लिप, माया के सूट से टूटा हुआ सितारा, सब कुछ वीर रोज़ देखता था और दु:खी हो जाता था।

प्यार जितना ही गुप्त और एकान्त होता है, उतना ही तेज़ और ज़्यादा होता है। वीर का प्यार भी अब तन्हा था और वह माया को और भी अधिक प्यार करने लगा था। माया वीर के दिल की धड़कन थी और दिल से धड़कन को भुला देना आसान नहीं होता हैं क्योंकि इस कोशिश में प्रेमी दम भी तोड़ सकता है। वीर जब भी आईने में ख़ुद को देखता तो यही कहता था कि माया, तुम बस एक बार फिर वापिस लौट कर आ जाओ। मैं फिर से ऐसी ग़लती नहीं करूंगा। यह तुम्हारी जुदाई ने मुझे बर्बाद कर दिया है, दिल में इतना दर्द होता है कि सहन करना मुश्किल हो जाता है। तुम आओ और मेरे दिल में झांक कर देखो मेरे दर्द चीख रहे है।

अजय जब भी वीर से कहता कि उसे भूल जा, अब माया फिर से लौट कर नहीं आने वाली, वो अब तेरी नहीं रही, तब वीर इतना दु:खी हो जाता कि वह सोचता था कि वो तो माया का है, यह राज तो सब जानते है, लेकिन माया किसकी है यह सवाल उसे सोने ही नहीं देता है।

वीर ने अब सभी से दूरियाँ बना ली थीं। अजय से भी अब कम ही बातें होती थीं। आदि और नीलेश से तो लगभग बातें बन्द ही हो चुकी थीं। अजय वीर से कहता था कि माना ख़ुद को भूलकर ही महबूब को पाया जाता है, लेकिन तू इतना भी ख़ुद को मत भूला कि तेरी साँसे ही एक दिन तुझे छोड़ कर चली जाँए।

वीर अजय से कहता था कि यार, प्यार में तो गलतियाँ माफ हो जाती है तो माया मुझे माफ़ क्यों नहीं कर पा रही है? वीर कहता था कि उसे उम्मीद है कि माया फिर से लौट कर आएगी और उसे सँभाल लेगी। अगर माया के लिए कितना भी इन्तज़ार करना पडे, और अगर इन्तज़ार ही इश्क़ है तो आख़िरी साँस तक माया के हवाले। मैं उम्मीद नहीं छोड़ सकता हूँ और उसकी प्रतीक्षा करता रहूँगा।

​ प्रतीक्षा प्रेम में की जाने वाली सबसे जटिल प्रक्रिया है जैसे नागफनी के पौधे सालों साल तक बारिश की प्रतीक्षा करते हैं और उनकी उम्मीद नहीं टूटती है, उसी तरह वीर भी अब प्रतीक्षा कर रहा था उस क्लिप के साथ, जो माया बिस्तर पर छोड़ गई थी, उस सितारे के संग जो माया के सूट से टूटा था, उस खुशबू के साथ जो माया के जिस्म से आती थी और बिस्तर की चादर की सिलवटों में छोड़ गई थी। यह सब साक्षी रहेंगे वीर के इन्तज़ार के।