रमोला की आशंका निर्मूल सिद्ध हुई । वो सब वैसा अपमानजनक नहीं रहा जैसा उसे डर था कि होगा ।



फारूख हसन ने उसे कपड़े उतारने का आदेश दिया । वह समझ चुकी थी आदेश पालन न करने का सीधा अर्थ था–अपने साथ सख्ती कराना । इसलिये चुपचाप वही करने में भलाई थी, जो कहा जाये ।



–"इन्हें धीरे–धीरे उतारना, बेबी ! में तुम्हारी हर एक हरकत को देखना चाहता हूं । तुमने ऐसा जाहिर करना है कि मुझे नहीं जानती में कौन हूं । सभी लड़कियाँ पैदाइशी एक्ट्रेस होती हैं और कोशिश करने पर अच्छी एक्टिग कर सकती हैं । इसके लिये किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती । बस थोड़ी–सी मेहनत करके सही कोशिश करनी पड़ती है । तुमने सिर्फ इतना याद रखना है अगर सही ढंग से कोशिश नहीं करोगी तो अपने दांत तुड़वा बैठोगी–पैराडाइज क्लब को तबाह कराने के हर्जाने की पेशगी पेमेंट के तौर पर आर जब हम शुरू होंगे तो तुमने नंगे अल्फाज में अपनी मस्ती की जाहिर करना है । अगर इस इम्तहान में पास हो गयी तो ठीक है वरना...!"



उसने शेष वाक्य अधूरा छोड़ दिया ।



रमोला के समूचे बदन में तेज सिहरन गुजर गयी । उसने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किये तो हाथ कांप गये ।



फारूख हसन फ़ौरन ताड़ गया ।



–"देखो बेबी, ध्यान से मेरी बात सुनो । क्लॉक रूम में उन चीजों को छोड़कर तुम खुद को बड़ी भारी मुसीबत में फंसा बैठी हो । मैं बस तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रहा हूं । मैं तुम्हारे लिये ऐसे काम का इंतजाम कर रहा हूं जिसमें इतना पैसा कमाओगी कि तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा । इस वक्त अगर बढ़िया परफार्मेंस दोगी तो जिंदगी भर ऐश करोगी और अगर ऐसा नहीं कर पायी तो काम पाना तो दूर रहा अपने दांतों से भी हाथ धो बैठोगी और हो सकता है छातियों से भी ।"



अजीब प्रतिक्रिया हुई रमोला पर । उसकी धमकियों से घबराने के बावजूद उसे अपने अंदर विश्वास पैदा होता महसूस हुआ । अपने जवान, सुडौल शरीर के उभारों और कसाव से वह भली–भांति परिचित थी । फ्लैट के एकांत में रोजाना कपड़े बदलते वक्त देर तक आदमकद शीशे के सामने खड़ी होकर विभिन्न कोणों से अपने नग्न सौंदर्य को निहारना उसे अच्छा लगता था । मन ही मन अपनी तुलना पैराडाइज क्लब में आने वाली महंगी वेश्याओं से करने लगी और हमेशा एक ही नतीजे पर पहुँचती अगर सही मौका मिले तो वह खुद को उन सबसे ज्यादा हंगामाखेज साबित कर सकती थी ।



उसके हाथों का कंपन गायब हो गया । धीरे–धीरे ब्लाउज और स्कर्ट उतार दिये ।



–"गुड !" फारूख बोला–"अब तुम्हें मुझको ऐसा महसूस कराना है कि तुम सिर्फ मेरे नीचे बिछने को मरी जा रही हो और इसके लिये मुझे लुभाना और ललचाना चाहती हो...सिर्फ छातियां तानकर तुम ऐसा नहीं कर सकतीं । मेरी ओर देखो–तरसती और तड़पती ऐसी नजरों से मानों मुझे निगल जाना चाहती हों ।"



रमोला के चेहरे पर कामुकतापूर्ण भाव उत्पन्न हो गये । निगाहें उसके चेहरे पर जम गयीं । उसने अपनी ब्रेसियर के हुक खोल दिये । कुछेक पल ब्रेसियर उसी तरह झूलने दी फिर एक–एक करके स्ट्रेप कंधों से अलग कर दिये ।



–"गुड ।" फारूख फंसी–सी आवाज़ में बोला–"वैरी गुड ।"



अपनी प्रशंसा से उत्साहित रमोला दोनों हाथ कूल्हों पर रखे रही । फिर पैंटीज को धीरे–धीरे नीचे की ओर रोल करना शुरू कर दिया ।



वह इस अभिनय में इतना ज्यादा रम गयी कि उसे लगा किसी दबाव या मजबूरी में नहीं बल्कि अपनी मर्जी से अपनी ख़ुशी के लिये वो सब कर रही थी ।



इस तरह निर्वस्त्र होने के नये अनुभव ने उसे रोमांचित कर दिया । उसके अंदर वासना का ज्वार उठने लगा । कुछेक घण्टे पहले ही सतीश के साथ बिस्तर में भरपूर आनंद उठा चुकने के बावजूद उसने पुन: अपने में गीलापन महसूस किया ।



फारूख उठकर खड़ा हो गया । जल्दी–जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा ।



–"कम ऑन, बेबी, वहां मत खड़ी रहो...अब मैं परखना चाहता हूं तुममें कितना दमखम है...तुम्हारे कलपुर्जे किस हालत में हैं...।"



उसे पूरे जोश में आया देखकर रमोला उसके पास पहुंची और उसकी बनियान और अण्डरवीयर उतार फेंके ।



फारूख उसे बांहों में जकड़े बिस्तर पर पहुंच गया ।



बेहद हंगामाखेज सहवास के पश्चात् ।



फारूख बिस्तर से उतरकर बाथरूम में चला गया ।



रमोला के शरीर का पोर–पोर दर्द कर रहा था । इसके बावजूद वह खुश थी । सहवास में ऐसी तृप्ति उसे पहले कभी नहीं मिली थी । अपने मर्दाना जोश से जिस तरह फारूख ने उसे बार–बार चरमसुख प्रदान किया था । उसी तरह रमोला ने भी अपनी नंगी भाषा और हरकतों से उसके जोश को दोबाला करते हुये उसे विस्फोटक क्लाइमेक्स तक पहुंचाया था ।



उसे पूरा यकीन था, वह इस इम्तहान में पास हो गयी । अब फारूख द्वारा रिजल्ट घोषित किये जाने का इंतजार कर रही थी ।



फारूख बाथरूम से निकला तो उसके चेहरे पर गर्वपूर्ण मुस्कराहट थी ।



–"तुम पास हो गयी । वह कपड़े पहनता हुआ बोला–"थोड़ी ट्रेनिंग की जरूरत है । फिर ए ग्रेड पा जाओगी...अब तुम यहीं रहकर आराम करो । मैं किसी लड़के को भेज दूँगा । जिस चीज की भी जरूरत हो उसे बता देना ।"



वह दरवाजे की ओर बढ़ गया ।



–"तुम्हारा एड्रेस तो हमारे पास है न ?" अचानक पलटकर लापरवाही से पूछा ।



–"हाँ ।"



–"मैं किसी को भेजकर तुम्हारा सामान मंगा लूँगा । अब से तुम नये पते से अपना काम करोगी । ठीक है ?"



रमोला के सामने और कोई चारा नहीं था । उसे सहमत होना पड़ा ।



–"हाँ !"



–"ओह, याद आया...एक और बात पूछनी है ।"



–"क्या ?"



–"कल रात तुम किसी के साथ बिस्तर में थी न ? तुम्हें मौज–मजा कराने वाला तुम्हारा वो आशिक कौन है ?"



–"सतीश ! क्यों ?"



–"पूरा नाम क्या है ?"



–"सतीश धवन !"



–"कहां काम करता है ?"



–"पैराडाइज क्लब में ।"



–"क्या ?"



–"वेटर है ।"



–"ओ० के०"



–"उसे क्यों…?"



–"यूं ही पूछ लिया । तुम फिक्र मत करो । कोई खास बात नहीं है ।"



वह इतने दोस्ताना अंदाज में मुस्कराया कि रमोला को उसकी बात पर यकीन हो गया ।



आधा घण्टा बाद ।



चार्ली एक बड़ी–सी ट्रे सहित अंदर आया । स्कॉच की बोतल और कई नॉनवेज डिशेज लेकर ।



रमोला ने दो तगड़े ड्रिंक लिये फिर खाने पर टूट पड़ी । इतना बढ़िया और जायकेदार खाना उसने पहले कभी नहीं खाया था ।



स्कॉच के स्वाद और भरपेट भोजन के बाद उसकी एक ही चाहत बाकी रही । फारूख जल्दी से वापस लौटे और एक बार फिर उसे उसी तरह चरम सुख प्रदान करे ।