हवा की सरगोशी

मार्च शायद पहाड़ों के लिए सबसे असुविधाजनक महीना है। वर्षा ठंडी होती है और अक्सर हिम वृष्टि और ओले पड़ते हैं और उत्तर से आती हवा पहाड़ी रास्तों को भयंकर ताकत से चीरती आती है। जो थोड़े से लोग सर्दियाँ हिल-स्टेशन पर बिताते हैं, आग के पास बने रहते हैं। अगर वे आग का खर्च वहन नहीं कर सकते तो बिस्तर पर रहते हैं।

मैंने पाया कि वृद्ध मिस मैकेन्ज़ी तीन-चार पानी की बोतलों के साथ बिस्तर पर सिकुड़ी हुई हैं। मैने शयनकक्ष में पड़ी इकलौती आरामकुर्सी ली और कुछ समय तक मैं और मिस मैकेन्ज़ी तूफ़ान को सुनते रहे और बिजली की क्रीड़ा देखते रहे। बारिश टिन की छत पर भयानक शोर कर रही थी और हमें एक-दूसरे को सुन सकने के लिए अपनी आवाज़ें बहुत ऊँची करनी पड़ रही थीं। पहाड़ियाँ वर्षा की बूँदों से भरी खिड़कियों से देखने की वजह से बहुत धुँधली और अस्पष्ट लग रही थीं। हवा दरवाज़ों को पीटती, घुसने के लिए आतुर थी; वह चिमनी में उतर आयी थी, लेकिन वहाँ अटकी, घुटी हुई, गरगराती अपना विरोध दर्ज कर रही थी।

“चिमनी में एक भूत है और वह बाहर नहीं आ पा रहा,” मैंने कहा।

“फिर उसे वहीं रहने दो,” मिस मैकेन्जी ने कहा।

एक चमकदार बिजली की कौंध ने विपरीत दीवार को रोशन किया तो कुछ क्षणों के लिए मुझे खंडहर के ढेर नज़र आये जिनके बारे में मैं नहीं जानता था।

“तुम जली हुई पहाड़ियों को देख रहे हो,” मिस मैकेन्जी ने कहा। “जब भी तूफ़ान आता है तो वहाँ बिजली गिरती है।”

“शायद वहाँ पत्थरों में लौह भंडार है,” मैंने कहा।

“मैं नहीं जानती, लेकिन यही वजह है कि वहाँ बहुत दिनों से कोई नहीं रहा। लगभग हर घर जो बनाया गया बिजली की चपेट में आकर जल गया।”

“मुझे लगा, मैंने अभी खंडहर देखे।”

“कुछ नहीं बस मलबा है। जब वे पहली बार पहाड़ों पर रहने आये तो उन्होंने यह स्थल चुना था। बाद में वे उस जगह पर चले गये जहाँ अभी शहर बसा है। जली हुई पहाड़ियाँ हिरण और तेंदुओं और बन्दरों—और बेशक इनके भूतों के लिए छोड़ दी गयीं।”

“ओह, तो यह भी भुतहा है।”

“ऐसा वे कहते हैं। ऐसी शामों में। लेकिन तुम भूत पर भरोसा नहीं करते, क्या करते हो?”

“नहीं, क्या आप करती हैं?”

“नहीं, लेकिन तुम समझोगे कि वह ऐसा क्यों कहते हैं कि पहाड़ी भुतहा है, जब तुम उसकी कहानी सुनोगे। सुनो।”

मैंने सुना लेकिन शुरू में मैं कुछ नहीं सुन सका, बस हवा और बारिश की आवाज़ के अलावा। फिर मिस मैकेन्जी की साफ़ आवाज़ सभी तत्वों की आवाज़ से ऊँची हो गयी और मैंने उन्हें कहते सुना—

“…यह बदनसीब प्रेमियों की पुरानी कहानी है, बस यह सच है। मैं रॉबर्ट से उसके माता-पिता के घर में कुछ हफ़्तों पहले ही मिली थी जब यह घटना घटी। वह अट्ठारह साल का था, लम्बा, जीवन और पौरुष से भरा हुआ। उसका यहीं जन्म हुआ था, लेकिन उसके माता-पिता यह उम्मीद रखते थे कि रॉबर्ट के पिता की सेवानिवृत्ति के बाद वे इंग्लैंड लौट जायेंगे। उसके पिता न्यायाधीश थे, मुझे लगता है—लेकिन इसका इस कहानी से कोई सम्बन्ध नहीं।

“उनकी योजना उस तरह से कार्यान्वित नहीं हो सकी, जैसा वे चाहते थे। तुम समझ सकते हो, रॉबर्ट प्यार में पड़ गया। किसी अंग्रेज़ लड़की के नहीं, ध्यान दो, लेकिन एक पहाड़ी लड़की के, जली हुई पहाड़ियों के पीछे गाँव के ज़मींदार की बेटी के। आज के समय में यह बात बहुत सामान्य है। पच्चीस साल पहले, ऐसी बात सुनने में भी नहीं आती थी। रॉबर्ट को टहलना पसन्द था और वह जंगल के बीच लम्बी पैदल यात्रा के लिए निकला हुआ था, जब उसने उस लड़की को देखा बल्कि सुना। यह बाद में कहा गया कि वह उसकी आवाज़ के प्यार में पड़ गया था। वह गा रही थी और गीत—मंद और मधुर और उसके कानों के लिए अजनबी—उसके दिल में अटक गया। जब उसने उस लड़की के चेहरे की झलक देखी, वह मायूस नहीं हुआ। वह जवान और खूबसूरत थी। उसने उसे देखा और उसकी हतप्रभ दृष्टि को एक हल्की, क्षणिक मुस्कान दी।

“बेचैन रॉबर्ट ने गाँव में पता किया, लड़की के पिता का पता लगाया और बिना किसी ज़्यादा झमेले के शादी के लिए उसका हाथ माँगा। उसे शायद लगा कि एक साहब का ऐसा अनुरोध अस्वीकार नहीं किया जायेगा। लेकिन यह बात भी थी कि यह उसका बड़प्पन था क्योंकि उसकी जगह कोई और जवान लड़का होता तो उस लड़की को जंगल में ही मोह लेने की कोशिश करता। लेकिन रॉबर्ट प्यार में था और इसलिए अपने व्यवहार में बिलकुल अतार्किक।

“बेशक लड़की के पिता को उस प्रस्ताव से कुछ लेना-देना नहीं था। वह ब्राह्मण था और अपने परिवार का नाम अपनी एकमात्र लड़की की शादी एक विदेशी से करके नष्ट नहीं करना चाहता था। रॉबर्ट ने उसके पिता के साथ बहस नहीं की, न ही उसने अपने माता-पिता को कुछ कहा, क्योंकि उसे पता था कि उनकी प्रतिक्रिया सदमे और बेचैनी की होगी। वे अपने सामर्थ्य के अनुसार वह सब कुछ करेंगे जो उसके इस पागलपन पर विराम लगाये।

“लेकिन रॉबर्ट ने जंगल में घूमना जारी रखा—तुम वहाँ देखो—सिन्दूर और देवदार के पेड़ों की सघन पट्टी और उसका हमेशा उस लड़की से सामना होता, जब वह चारा या ईंधन बटोर रही होती। ऐसा लगता था कि वह उसके ध्यान देने से बुरा नहीं मान रही और चूँकि रॉबर्ट उसकी भाषा थोड़ी बहुत जानता था, वह जल्दी ही अपनी भावना उसके सामने व्यक्त करने में सक्षम हुआ। वह लड़की शुरू में थोड़ी सतर्क ज़रूर थी, लेकिन उस लड़के की संज़ीदगी ने उसके आत्मसंयम को ध्वस्त कर दिया। आखिरकार, वह भी युवा थी—एक समर्पित युवा पुरुष से बिना उसकी पृष्ठभूमि के बारे में ज़्यादा विचार किये प्रेम कर पाने के लिए पूरी तरह युवा। वह जानती थी कि उसके पिता इसे रोकने के लिए कुछ भी करेंगे। इसलिये उन्होंने साथ भागने की ठानी। यह रूमानी है न, नहीं? लेकिन ऐसा ज़रूर हुआ। सिर्फ़ वे जीवन भर प्रसन्नतापूर्वक साथ नहीं रह पाये।”

“क्या उनके माता-पिता उनके पीछे आये?”

“नहीं। वे जली हुई पहाड़ी की एक तबाह इमारत के पीछे मिलने के लिए राज़ी हुए—ये खंडहर जो तुमने अभी देखे; ये बहुत नहीं बदले हैं, बस इनके ऊपर तब थोड़ी-सी छत हुआ करती थी। उन्होंने घर छोड़ दिया और पहाड़ियों के रास्ते बिना किसी परेशानी के आगे बढ़े। मिलने के बाद उन्होंने वह छोटा रास्ता लेने का विचार किया जो धारा के साथ जाता था जब तक कि मैदान तक नहीं पहुँच जायें। उसके बाद—लेकिन कौन जानता है कि उन्होंने क्या योजना बनायी थी, भविष्य के कौन से सपने उन्होंने बुने थे? उनके खंडहर पहुँचते ही तूफ़ान आ गया। उन्होंने टपकती हुई छत के नीचे आश्रय लिया। वह ऐसा ही एक तूफ़ान था—तेज़ हवा और बारिश और ओले की तीव्र बौछार, और लगभग हर मिनट चमकती और गिरती बिजली। वे ज़रूर पूरे गीले हो गये होंगे, ध्वस्त इमारत के कोने में साथ दुबके हुए, जब बिजली गिरी। कोई नहीं जानता कि यह कब हुआ। लेकिन अगली सुबह उनके जले हुए शरीर पुराने भवन के जीर्ण पीले पत्थर पर मिले।”

मिस मैकेन्जी ने बोलना बन्द कर दिया और मैंने यह ध्यान दिया कि मेघों की गर्जना थोड़ी दूर से आती लग रही थी और बारिश भी कम हो गयी थी; लेकिन चिमनी अब भी खाँस रही थी और अपना गला साफ़ कर रही थी।

“यह सही है, इसका हर शब्द,” मिस मैकेन्जी ने कहा, “लेकिन जहाँ तक जली पहाड़ी के प्रेतग्रस्त होने का प्रश्न है, यह अलग बात है। मुझे भूतों का कोई अनुभव नहीं हुआ है।”

“जो भी हो, आपको आग की ज़रूरत है, उन्हें चिमनी से दूर रखने के लिए,” मैंने जाने के लिए उठते हुए कहा “मेरे पास बरसाती और छाता है, और मेरा अपना कॉटेज दूर नहीं है।”

अगली सुबह जब मैंने जली हुई पहाड़ियों तक का ढलवाँ रास्ता लिया, आकाश साफ़ था जबकि हवा अब भी कठोर थी, यह अब बिलकुल भी खतरनाक नहीं थी। एक घंटे की चढ़ाई मुझे पुराने खंडहर तक ले आयी—वह अब कुछ भी नहीं बस पत्थरों का ढेर था, जैसा कि मिस मैकेन्जी ने कहा था। दीवार का एक हिस्सा बचा था और अलाव का एक कोना। घास और खरपतवार फ़र्श पर उग आये थे और वसन्ती गुलाब और चट्टानों पर उग आने वाला जंगली सैक्सोफ्रेज़ पौधा मलबे पर खिल रहा था।

‘कहाँ शरण ली होगी उन्होंने,’ मैंने सोचा, ‘जब हवा ने उन्हें चीरा होगा और आसमान से आग गिरी होगी।’ मैंने ठंडे पत्थरों को छुआ, इस अधूरी उम्मीद के साथ कि उन पर मनुष्य के स्पर्श की ऊष्मा के कुछ अंश मुझे मिल जायें। मैंने सुना, किसी प्राचीन प्रतिध्वनि की प्रतीक्षा में, आवाज़ की कोई लौटती तरंग जो कि मुझे मृत प्रेमियों की आत्माओं के करीब ले जाये; लेकिन वह सिर्फ़ हवा थी, लुभावने देवदारों के बीच खाँसती हुई।

मुझे लगा कि मैंने हवा में आवाज़ें सुनीं, और शायद मैंने सुना, क्योंकि क्या यह हवा शाश्वत मृतक की आवाज़ नहीं है?