“सुनील, तुम्हें याद होगा कि लिस्ट का एक फोटो दिनकर ने उस रील में भी लिया था, जो पहले कैमरे में थी और फिर उसने दूसरी रील लोड की थी ।"


"हां, हां।" - सुनील आशापूर्ण स्वर में बोला- "क्या हुआ उसका ?"


"दिनकर ने उसे अपने स्टूडियो में धोया है और वह बिलकुल साफ नैगेटिव है, उसने एन्लार्ज भी बना लिया है और सारे नम्बर साफ पढ़े जाते हैं, उस लिस्ट में अखबार वाले भी नम्बर मौजूद हैं। "


“रमाकांत ।" - सुनील खुश होकर बोला- "बस दिन भर में यही एक ढंग का काम हुआ है। तुम एन्लार्जमेंट तैयार रखो। सुबह मेरे फ्लैट पर भेज देना । "


"ओ के ।”


"ओ के डीयर, बाय ।"


सुनील ने फोन बन्द कर दिया। उसे अन्धकार में आशा की एक क्षीण-सी झलक दिखाई दे रही थी ।


***


अगले दिन सुबह सुनील अभी सोकर भी नहीं उठा था कि पुलिस सुपरिन्टेंन्डेंट रामसिंह उसके फ्लैट पर पहुंच गया । उसने झंझोड़कर सुनील को जगाया।


"ये तुमने क्या गड़बड़ फैला रखी है ?" - रामसिंह ने सिगरेट जलाते हुए कहा ।


"कौन-सी गड़बड़ ?"


"यही, जयनारायण के कत्ल का मामला ।" - रामसिंह ने सिगरेट का एक गहरा कश लेकर अपने विशिष्ट तरीके से सिगार उंगलियों में फिराते हुए कहा- "प्रभू कहता है कि वह इस बार पीट लेगा तुम्हें । वह तुम्हारे विरुद्ध बड़ा मजबूत केस बना रहा है।"


"जरा केस को अदालत में आने दो।" - सुनील अंगड़ाई लेता हुआ बोला- "प्रभू को उधेड़कर न रख दिया तो कहना । "


"वह कहता है हत्या तुमने की है । "


"तो कहता रहे, उसका बाप साबित नहीं कर सकता इसे।"


"तुम प्रभू से साफ बात क्यों नहीं कर लेते ?”


"वह कोई इन्सान हो तो बात करू भी। वह पुलिस स्टेशन बुलाकर तो रौब झाड़ना शुरू कर देता है, जैसे सुप्रीम कोर्ट का जज हो वो । वह तो मुझे फंसाने के लिए जोड़-तोड़ करेगा ही, तर्कसंगत बात तो वह सुनेगा ही नहीं । "


"सुनील, तुम ऐसा करो।" - रामसिंह ने सुनील पर अपने विश्वास का प्रदर्शन करते हुए कहा- "तुम मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो और प्रभू से बात कर लो। अगर तुम्हारी बात में जरा भी तथ्य हुआ तो मैं चेष्टा करूंगा कि वह तुम्हारे विरुद्ध कोई गलत कदम न उठाने पाये।"


"मैं चलने के लिये तैयार हूं।" - सुनील ने क्षणभर सोचकर कहा- "लेकिन, रामसिंह अगर उसने मुझपर रौब झाड़ने की या मुझे बेइज्जत करने की चेष्टा की तो मैं एक क्षण भी वहां नहीं ठहरूंगा।"


"ठीक है, तैयार हो जाओ।"


"चाय तो पी लें । "


“चाय वहीं पीएंगे। तुम कपड़े पहनो, मैं जरा पप्पू और पम्मी को देख आऊं ।"


***


लगभग आधे घंटे बाद सुनील रामसिंह के साथ पुलिस स्टेशन पर प्रभूदयाल के सामने बैठा था। प्रभूदयाल के चेहरे पर रिक्तता के चिन्ह स्पष्ट लक्षित थे, क्योंकि वह सुनील और रामसिंह की घनिष्ठता पसंद नहीं करता था ।


"देखो प्रभू !" - रामसिंह ने कहा- "मैं सुनील को इसलिए लाया कि अगर तुम दोनों में कोई गलतफहमियां पैदा हो गई हों तो दूर हो जाएं। मैं सुनील को बरसों से जानता हूं, वह ऐसा आदमी नहीं है कि कानून से खिलवाड़ करता फिरे । तुम कहो क्या कहते हो ?"


"सुपर साहब !" - प्रभू ने आदरपूर्ण भाव से कहा"हमें सुनील से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन केस में कुछ पहलू ऐसे हैं जो सुनील का इसमें हस्तक्षेप सिद्ध करते हैं । "


"हस्तक्षेप हो सकता है, इन्स्पेक्टर साहब।" - सुनील ने कहा- "लेकिन केस आप मेरे विरुद्ध केवल दुश्मनी के मारे ही तैयार कर रहे हैं।"


"यह गलत है।" - प्रभूदयाल ने जलकर कहा ।


"अगर यह गलत है तो आपने क्यों रमा से कहा कि अगर वह आपके बताये हुए ढ़ंग से मेरे विरुद्ध शहादत दे तो आप उसे फांसी के तख्ते से बचा लेंगे?"


" मैंने केवल सत्य बोलने के लिये कहा है।"


"तो फिर आप उसे प्रलोभन क्यों देते रहे ? आपने उसे यह ऑफर दी कि मेरी कीमत पर आप उसे बचा लेंगे।"


"क्योंकि आप सिद्ध नहीं कर सकते कि मैंने रमा को ऐसी कोई बात कही है।" - प्रभूदयाल ने लाल होकर कहा ।


"तो आप इनकार करते हैं ?" - सुनील ने तेज स्वर में कहा।


"ऐसे झगड़ा करने से कुछ नहीं होगा।" - रामसिंह ने दोनों को अलग कराते हुए कहा- "प्रभूदयाल, तुम क्या कहना चाहते हो ?"


"हम यह सिद्ध कर सकते हैं कि सुनील ने जयनारायण की कोठी पर खिड़की से रमा को संकेत किया था । "


"कैसे ?" - रामसिंह ने पूछा ।


“इन्होने खिड़की के ड्रैप को पहले नीचे गिराया था और कुछ क्षण उसी स्थिति में रखने के बाद वापिस ऊपर कर दिया था। राकेश की गवाही इसे सिद्ध कर सकती है।"


"राकेश ने यह कहा था ।" - सुनील बोला "कि उसने मेरे ही कद-काठ का कोई आदमी खिड़की के पास देखा था । 


उसने यह कभी नहीं कहा था कि उसने निश्चित रूप से मुझे पहचान लिया था।"


" राकेश को छोड़ो।" - प्रभू फिर उत्तेजित होकर बोला “मैं आपसे पूछता हूं, आप खिड़की के पास गए थे ?"


"हां, गया था । "


"खिड़की के ड्रैप को ऊपर-नीचे किया था ?"


"हां किया था।"


"लेकिन" - प्रभू हैरान होकर बोला "पहली बार तो आप इनकार कर रहे थे ?" L


"पहली बार आपने पूछा था कि क्या मैंने किसी को संकेत करने के लिये ड्रैप को छेड़ा था तो उसके उत्तर में मैंने इनकार किया था और अब भी करता हूं।"


"तो फिर आपने किसलिये खिड़की का ड्रैप खींचा था?"


"मेरे पास कुछ ऐसे नोट थे जो मुझे उसी दिन किसी ने भिजवाये थे और जयनारायण की कोठी पर पहुंचने के बाद पता लगा कि उनमें से हजार का नोट नेशनल बैंक की चोरी का है। मैंने उन रुपयों को वहां रखने के लिये ड्रैप को नीचे खींचा था । "


"लेकिन जब मैंने वहां जाकर ड्रैप खींचा था तो मुझे वहां रुपये क्यों नहीं मिले ?" - प्रभू ने संदिग्ध स्वर में पूछा ।


"क्या रुपयों का वहां न मिलना यह सिद्ध नहीं करता

है कि उसी समय मेरे और रमा के अतिरिक्त जयनारायण की कोठी में कोई तीसरा आदमी भी मौजूद था, जिसका कद-काठ मुझसे मिलता था, जिसने ड्रैप में से रुपये निकाले, जयनारायण की हत्या की, जिसे देखकर राकेश को मेरा धोखा हुआ और जिसके सामने के दरवाजे से बाहर निकलकर कार स्टार्ट करने की आवाज सुनकर पिछवाड़े में खड़ी रमा ने समझा कि मैं बाहर गया हूं।"


प्रभूदयाल निरुत्तर हो गया ।


"अगर आप सावधानी से केस के एक-एक पहलू पर गौर करते" - सुनील भावपूर्ण स्वर में बोला- "तो आपको बहुत पहले महसूस हो जाता कि कहीं जरूर कोई गड़बड़ है । आप तो मेरे ही पीछे लट्ठ लेकर पड़े हुए थे।"


"जयनारायण ने मुझे स्कॉच पिलाई थी।" - सुनील क्षण भर रूककर बोला "क्या आपने गिलासों के फिंगर प्रिंट उतरवाए ?"


"हां, तीनों गिलासों के स्प्रिंग और फिंगर प्रिंट हमारे पास हैं।"


“तीन गिलास।" - सुनील चौंककर बोला- "जरा चित्र दिखाइये ।"


प्रभू क्षण भर हिचकिचाया, फिर उसने रामसिंह की ओर देखा । रामसिंह को समर्थनसूचक ढंग से सर हिलाते देखकर उसने चित्र निकालकर सुनील के सामने रख दिया।


सुनील कुछ क्षण चित्र का अवलोकन करता रहा । चित्र किचन के एक सिंक का था। चित्र काफी ऊंचाई पर

कैमरा रखकर लिया गया था और इसलिए तीनों गिलास और सिंक का काफी भाग दिखाई दे रहा था ।


"इन्स्पेक्टर साहब !" सुनील ने चित्र में एक जगह उंगली रखकर कहा "जरा देखिये तो यह क्या है ?"


"कौन सा ?" - रामसिंह भी चित्र पर झुक गया।


"ये दो सफेद धब्बे - सिंक में। गिलासों के पीछे, आपके ख्याल से क्या हैं ये ?"


प्रभूदयाल कुछ क्षण तस्वीर को देखता रहा, फिर बोला "शायद बर्फ के टुकड़े हैं।"


"बिलकुल ठीक।" - सुनील संतुष्ट स्वर में बोला - "अब आप यह बताइये कि मेरे फिंगर प्रिंट कौन से गिलास पर पाये गए थे ?"


" दूसरे गिलास पर, बीच वाले पर।" - प्रभू ने बताया ।


“अब आप चित्र में देखिए । मेरा गिलास बिलकुल खाली है। बाकी दो गिलासों में बर्फ के टुकड़े भी हैं और थोड़ा बहुत तरल पदार्थ भी दिखाई दे रहा है। अब इससे क्या यह नतीजा निकालना बिलकुल आसान नहीं है कि मैं जयनारायण की कोठी पर गया। उसने मेहमाननवाजी निभाते हुए मेरे साथ ड्रिंक किया। मैंने एक ही ड्रिंक लिया, और लेने से इनकार कर दिया। वह दोनों गिलास किचन में ले गया, उसने मेरे गिलास में जो कुछ भी बाकी था, सिंक में उछाल दिया और खाली गिलास भी सिंक में रख दिया। उसी समय मेरे जाने के बाद, कोई और आदमी आया । जयनारायण ने एक और गिलास निकाला और अपने और

उसके लिये फिर ड्रिंक तैयार किया, जबकि मेरा गिलास सिंक में खाली पड़ा रहा। उस आदमी ने जयनारायण के साथ किचन में ही ड्रिंक लिया और दोनों ने गिलास सिंक में रख दिए। उस समय किसी कारण से उस आदमी ने जयनारायण की हत्या कर दी। मेरे गिलास का खाली होना और पहले और तीसरे गिलास में बर्फ के टुकड़ों का होना यह सिद्ध करता है कि मेरे आ जाने के बाद भी जयनारायण ने किसी को एन्टरटेन किया है।"


प्रभूदयाल विचार मग्न मुद्रा में बैठा रहा ।


"अब आप फिंगर प्रिंट को लीजिए।" - सुनील फिर बोला- "आपने मेरे गिलास पर पाये गए फिंगर प्रिन्ट गौर से देखे हैं ?"


"हां । "


"आपको उस पर जयनारायण के फिंगर प्रिन्ट भी मिले होंगे ?"


"हां"


"तो क्या आपने यह नोट नहीं किया कि मेरे तकरीबन सारे फिंगर प्रिन्ट्स पर जयनारायण की उंगलियों की छाप है । क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता कि मेरे गिलास को अन्त में जयनारायण ने उठाया था। या तो उसने गिलास मेरे हाथ से थामा होगा या मेरे जाने के बाद गिलास को मेज से उठाया होगा । वैसे भी फिंगर प्रिन्ट्स से हम टाइम-पीरियड तो फिक्स कर ही नहीं सकते। हो सकता है बाकी दो गिलासों पर निशान मेरे जाने के कई घण्टे बाद बने हों।"


"लेकिन यह तीसरा आदमी कौन हो सकता है ?" - प्रभूदयाल ने पूछा । उसके स्वर में सुनील के तर्क का प्रभाव स्पष्ट प्रकट हो रहा था ।


"आप पता लगाइए। आपके पास उसके फिंगर प्रिन्ट हैं ही। आपको बाक़ी दो गिलासों में से एक पर उसके फिंगर प्रिन्ट अवश्य मिले होंगे। क्या वे पहचाने नहीं गए ?"


"हमने कोशिश ही नहीं की।"


सुनील ने चैलेन्ज भरी आंखों से रामसिंह की ओर देखा और फिर व्यंग्य करता हुआ बोला- "आपको जरूरत ही क्या थी, साहब । मुर्गा तो आपने फांस ही लिया था ।"


"देखिये ।" - सुनील कुछ क्षण रूककर बोला - "मैं आपको एक हिन्ट देता हूं। इतना तो आप भी महसूस करते होंगे कि नेशनल बैंक की चोरी और जयनारायण की हत्या में कोई सम्बन्ध जरूर है और सौ में से निन्यानवे चांस इस बात के हैं कि जिसने चोरी की है, हत्या भी उसी ने की है और बैंक में चोरी करना कम से कम दो आदमियों का काम था और चोरी में किसी बैंक के कर्मचारी का हाथ अवश्य था । इन सारे तथ्यों के बल पर आप अपराधी का पता लगाने के लिये कम से कम एक ट्राई जरूर मार सकते हैं। "


"कैसे ?"


"मैं बताता हूं।" - सुनील ने अपने कोट की जेब में से एक चित्र निकालकर प्रभूदयाल के सामने रख दिया। वह नम्बरों की लिस्ट का चित्र था जो रमाकांत ने सुबह-सुबह सुनील के फ्लैट पर भिजवाया था ।


चित्र को देखते हीं प्रभू की आंखें विस्मय से फटने को हो गई। वह चित्र पर झपट पड़ा। वह बौखलाए हुए स्वर में बोला- "यह.... यह... नम्बरों की लिस्ट... यह आपको कहां से मिली ?"


"आपको आम खाने से मतलब है या पेड़ गिनने से ?"


"जरा मुझे दिखाना, क्या है ?" - रामसिंह बोला । लिस्ट देखकर वह भी आश्चर्यचकित रह गया "सुनील, यह तुम्हें कहां से मिली ? शायद तुम्हें मालूम नहीं कि इस लिस्ट के लिये मैं अपने डिपार्टमेंट के चीफ से आये दिन झगड़ा करता था, लेकिन मुझे इसकी कापी नहीं दी थी। यह हमारे विभाग के सबसे गुप्त रहस्यों में से है।” U


"मैंने भी इस लिस्ट की कापी पाने के लिये बहुत कोशिश की है।" - प्रभू बोला- "यह सौ-सौ रुपये के पांच हजार के नोटों की कम्पलीट लिस्ट है।"


"अधिकारियों को छोड़कर, केवल चोर ही ऐसा आदमी हो सकता है जिसके पास इन नोटों की लिस्ट हो सकती है। यह अफवाह तो उसने भी सुनी होगी कि पुलिस के पास सौ-सौ के पांच हजार रुपये के नोटों की लिस्ट है। उसे चोरी के माल में इन नोटों की गड्डी दिखाई दी होगी और उसने सावधानी के लिये उनके नम्बर नोट कर लिये होंगे कि कहीं वह उससे खर्च न हो जायें।"


"यह लिस्ट ।" - सुनील कुछ क्षण रूककर बोला "अपराधी की हैण्ड राइटिंग में है। बैंक से आपको सत्तावन से लेकर आजतक के सारे कर्मचारियों के, उनके भी जो नौकरी छोड़ गए हैं, किसी न किसी रूप में हैण्ड राइटिंग के नमूने मिल सकते हैं। आप दोनों हैण्ड राइटिंग मिला लीजिये, फिर अपराधी को ढूंढना बच्चों का खेल रह जायेगा। दूसरा तरीका आप यह अपना सकते हैं कि आपको जो फिंगर प्रिन्ट तीसरे गिलास पर मिले हैं उसे अपने डिपार्टमेंट से प्राप्त बांकेबिहारी उर्फ राजप्रकाश के फिंगर प्रिन्ट से मिलाकर देखिये ।"