आगे विशाल कम्पाउन्ड होने की वजह से सड़क खिड़की से काफी दूर थी । विकास को वहां एक जीप खड़ी दिखाई दी । जीप में तीन आदमी बैठे थे लेकिन फासले की वजह से विकास को उनकी सूरतें न दिखाई दीं।


"पुलिस आ गई मालूम होती है" - विकास बोला 'शायद ये लोग सर्च वारन्ट की इन्तजार में बैठे यहां की निगरानी कर रहे हैं । और थोड़ी देर में ये भीतर धावा बोलते ही होंगे।" -


सुनयना के चेहरे पर घबराहट के भाव आये । वह जल्दी से खिड़की से परे हट गई ।


पहुंच गया । फिर विकास भी खिड़की से परे हटा और उसके पास


"मैं तुम्हें खिसकने नहीं दूंगा ।" - वह बोला ।


“तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हुए हो ?" - वह तनिक रुआंसे स्वर में बोली- "मैंने कहा न कत्ल मैंने नहीं किया ।”


"मैंने भी नहीं किया। पुलिस को रिवाल्वर बरामद कर लेने दो । फिर देखते हैं क्या होता है । "


“तुम्हें मालूम है फिर क्या होगा ? फिर पुलिस मेरे पीछे पड़ जायेगी । कैसे आदमी हो तुम ? तुम मुझे फंसाकर अपनी जान बचाना चाहते हो । "


"मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है। मैंने सिर्फ रिवाल्वर वहां वापिस रखी है जहां यह मुझे पड़ी मिली थी । अगर तुम फंस रही हो तो कम से कम मेरी वजह से नहीं फंस रही हो ।”


"देखो, अगर हम दोनों मिलकर कोशिश करें तो हम असली हत्यारे की तलाश कर सकते हैं। असली हत्यारा जरुर बख्तावर सिंह का ही कोई आदमी होगा। बख्तावर सिंह शायद कत्ल के इलजाम में मुझे फंसवाना चाहता था लेकिन तुम एकाएक बीच में टपक पड़े तो उसने तम्हीं को बलि का बकरा बनाने का फैसला कर लिया । बख्तावर सिंह का इस बात से कोई मतलब नहीं कि तुम फंसते हो या मैं । वह तो सिर्फ यह चाहता है कि कोई इलजामभरी उंगली उसकी तरफ न उठे ।"


"हो सकता है। लेकिन यह बात तुम मुझे समझाने की जगह पुलिस को समझाने की कोशिश करना।”


"विकास" - सुनयना ने उसका हाथ थाम लिया और विनयशील स्वर में बोली- "पुलिस को यहां आने से पहले मुझे रिवाल्वर कहीं छुपा लेने दो। मैं तुम्हारा दिल से अहसान मानूंगी और असली हत्यारे की तलाश में तुम्हारी मदद भी करुगी ।"


"बस ?"


" और साथ में तुम्हें नकद दस हजार रुपये भी दूंगी ।"


"बस ?"


" और भी जो कहोगे मैं करूंगी ।"


"मैंने सुना है तुम्हारा पति बीस लाख की आसामी था।”


"वह माल तो मुझे मिलता- मिलता मिलेगा । दस हजार तो मैं तुम्हें आज ही, अभी देने को तैयार हूं।"


“सॉरी ।”


"विकास, पहली बार जब तुमने मुझे देखा था तो मुझे देख कर तुम्हारी लार टपकती मैंने साफ-साफ देखी थी । मुझे भी तुम एक ही निगाह में भा गये थे। हम दोनों एक-दूसरे को पसन्द करते हैं, फिर हमारे बीच यह खिलाफत क्यों ?"


विकास खामोश रहा ।


सुनयना ने अपनी बांहे विकास के गले में डाल दीं और उसके साथ सटती हुई बोली- “से यस, डार्लिंग।"


तभी काल बैज बज उठी ।


सुनयना छिटक कर उससे अलग हट गई ।


"सॉरी, स्वीट हार्ट" - विकास बोला - "अब मेरे यस कहने से भी कोई फायदा नहीं होगा। जाओ जाकर पुलिस को दरवाजा खोलो।"


कालबैल फिर बजी।


विकास ने आगे बढकर दरवाजे की भीतर की तरफ से लगी चिटकनी हटाई और ताले में अपनी चाबी फिराकर दरवाजा खोला ।


दरवाजा खोलते ही उसने उसे फौरन बन्द करने की कोशिश की लेकिन कामयाब न हो सका ।


बाहर पुलिस नहीं बख्तावर सिंह के जल्लाद आये थे ।


बाहर अमीरीलाल, हनुमान और जनक खड़े थे ।


हनुमान के कन्धे के एक ही धक्के से दरवाजा विकास के हाथ से छूट गया और पूरा खुल गया ।


अमीरीलाल ने एक भारी रिवाल्वर इसकी तरफ तान दी


जनक ने उसे पीछे को धक्का दिया ।


तीनों भीतर घुस गये। पीछे दरवाजा बन्द हो गया ।


"खिड़की में अपनी शक्ल दिखाकर बड़ा अच्छा किया, बेटा ।" - अमीरीलाल बोला- "हम दो दिन से इस उम्मीद में सुनयना की निगरानी कर रहे थे कि तुम कभी न कभी इस तक जरुर पहुंचोगे । हम श्मशान घाट से ही इसके पीछे-पीछे ही यहां आये थे लेकिन अगर तुम खिड़की के पास न आते तो हमें कभी पता न लगता कि तुम पहले से ही भीतर थे ।”


विकास खामोश रहा ।


फिर अमीरीलाल उसे रिवाल्वर से कवर किये रहा और जनक ने यह देखने के लिये उसका जिस्म थपथपाया कि कहीं उसके पास कोई हथियार तो नहीं था ।


वे ड्राईगरूम में पहुंचे ।


सुनयना असहाय-सी वहां खड़ी थी ।


अमीरीलाल के हाथ में थमी रिवाल्वर देखकर उसके नेत्र फट पड़े ।


"ये बख्तावरसिंह के आदमी हैं।" - विकास बोला ।


"लगता है बॉस की पहली थ्योरी ही ठीक थी " अमीरीलाल बोला- "इस औरत ने इस आदमी से अपने पति का कत्ल करवाया है और फिर अपराध बॉस के सिर थोपने की कोशिश की है। "


“क्या मतलब ?” - सुनयना ताखे स्वर में बोली ।


"बख्तावर सिंह का ख्याल है"- विकास बोला- "कि तुमने मुझसे अपने पति का कत्ल करवाया था । मैंने इन लोगों को लगभग विश्वास दिला दिया था कि यह बात गलत थी लेकिन लगता है कि हमें यूं यहां देखकर इन्हें फिर यही बात जंचने लगी है । लगता है इन्होंने खिड़की में से तुम्हें मेरे साथ लिपटते देख लिया था ।"


"क्या चाहते हो तुम लोग ?" - सुनयना अधिकारपूर्ण स्वर में बोली- "यहां क्यों आये हो ?"


"हम यहां" - हनुमान बड़ी शान से बोला- "दूध का दूध और पानी का पानी करने आये हैं ।


"मेरी सुनो।" - विकास बोला ।


" तुम्हारी हम पहले ही बात सुन चुके हैं, बेटा ।". अमीरीलाल अपने गाल पर बना जख्म का निशान टटोलता हुआ बोला ।


"तुम लोग खामखाह अपना वक्त बरबाद कर रहे हो । खलीफा, तुम्हारे बॉस पर वैसे कोई आंच नहीं आने वाली। मैंने ऐसा सिलसिला जमाया है कि कत्ल का इलजाम न बख्तावरसिंह पर आयेगा और न मुझ पर । अब बख्तावरसिंह की रविवार रात वाली योजना पर अम्ल करने की भी कोई जरूरत नहीं, अब वही नहीं चाहेगा कि तुम लोग मेरा खून कर दो । अब मेरा खून करना एकदम बेमानी होगा ।"


"क्यो ?" - अमीरीलाल बोला ।


"पुलिस सर्च वारन्ट के साथ यहां पहुंचने वाली है । ऊपर महाजन के बैडरूम में वह रिवाल्वर मौजूद है जिससे उसका कत्ल हुआ है। वह महाजन की अपनी रिवाल्वर थी और उस तक सुनयना के अलावा और किसी की पहुंच नहीं हो सकती थी । उस रिवाल्वर की बरामदी सुनयना को फंसवा देगी और मेरी और बख्तावर सिंह दोनों की जान छूट जायेगी । अगर तुम लोगों में जरा भी अक्ल है तो पुलिस के आने से पहले यहां से खिसक जाओ।"


अमीरीलाल और हनुमान पर उसकी बात का कोई प्रभाव न पड़ा । केवल जनक सोच में पड़ गया ।


“इसकी बात में दम है।" - जनक बोला ।


"भुर्ते वाला बैंगन है इसकी बात में" - अमीरीलाल झल्ला - कर बोला- "मुझे इसकी बात से क्या मतलब ? मुझे बॉस के हुक्म से मतलब है। उसने इस आदमी की आत्महत्या स्टेज करने का हुक्म दिया है और यही हमने करना है ।” - वह सुनयना की तरफ घूमा - "तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो इस सिलसिले में बॉस तुम्हें नजरअन्दाज कर रहा है। अगर तुमने अपने पति का कत्ल किया भी है तो भी बॉस को परवाह नही है। इस आदमी की आत्महत्या के बाद पुलिस यही समझेगी कि पकड़े जाने के डर से इसने आत्महत्या कर ली और फिर केस क्लोज हो जायेगा । कहने का मतलब यह है कि तुम्हारे मजे ही मजे हैं। लेकिन इसके लिये तुम्हें कुछ करना होगा।”


"मुझे क्या करना होगा ?" - सुनयना बोली ।


"तुम्हें अपना थोबड़ा बन्द रखना होगा । हम इस आदमी को यहां से ले जा रहे हैं । अगर तुमने हमारे बारे में अपनी जुबान खोली तो तुम पर जो मेहरबानी इस वक्त हो रही है, वह फिर नहीं होगी। फिर तुम हत्या में इसकी सहयोगिनी मानी जाओगी और फिर तुम्हें भी वही सजा मिलेगी जो कि इसे मिलेगी ।"


फौरन सुनयना के चेहरे पर उम्मीद की चमक पैदा हुई ।


"तुम्हारा मतलब है" - वह बोली- "इसे यहां से ले जाकर तुम ऐसा इन्तजाम करोगे कि यही मेरे पति का हत्यारा समझा जायेगा । यानी कि इस बात से इन्कार करने के लिये पुलिस के हाथ में यह नहीं इसकी लाश आयेगी ?"


"बिल्कुल । लेकिन ऐसा तभी होगा जब तुम अपनी जुबान बन्द रखोगी । हमारे यहां से जाते ही अगर तुमने पुलिस-पुलिस चिल्लाना शुरू कर दिया तो फिर तुम्हारा भी वही हश्र होगा जो इसका होगा ।"


"मैं एक लफ्ज नहीं बोलूंगी" - वह उत्साहपूर्ण स्वर में बोली- "ऊपर वह रिवाल्वर भी मौजूद है जिससे मेरे पति की हत्या हुई थी । अगर यह उसी रिवाल्वर से आत्महत्या करे तो बात और भी सिक्केबन्द हो जायेगी ।"


"यह वही औरत बोल रही है" - विकास आहत भाव से बोला - "जो अभी थोड़ी देर पहले मेरे साथ मिलकर असली हत्यारे कि तलाश करना चाहती थी ?"


"तब तुमने मान क्यों नहीं ली थी मेरी बात ?" - वह गुस्से से बोली । फिर वह बदमाशों की तरफ घूमी - "आओ मैं तुम्हें रिवाल्वर दिखाऊं । और जल्दी करो । पुलिस यहां आती ही होगी ।" |


अमीरीलाल हनुमान और जनक को विकास के प्रति सावधान करके सुनयना के साथ हो लिया । वे दोनों एक बार खता खा चुके थे इसलिये जरूरत से ज्यादा सावधान थे । दोनों की रिवाल्वरें विकास पर तनी हुई थीं।


अमीरीलाल और सुनयना के दृष्टि से ओझल हो जाने के बाद विकास बोला - "तुम्हारे बास को मौजूदा सिलसिला पसन्द नहीं आएगा, दोस्तो । अमीरीलाल इसलिये मेरे पीछे पड़ा हुआ है क्योंकि मेरे हाथों उसकी नाक नीची हो चुकी है । बख्तावर सिंह खुद यहां होता तो वह वही सिलसिला पसन्द करता जो मैंने जमाया था ।"


“हम तुम्हें बॉस के पास भी ले चलेंगे।" - जनक बोला


"तब बहुत देर हो जायेगी । तुम लोग रिवाल्वर अपने साथ ले जाने वाले हो लेकिन रिवाल्वर यहीं से बरामद होने से बात बनती है, और तरीके से नहीं ।"


“रिवाल्चर फिर यहां रखी जा सकती है।"


"तब कोई फायदा नही होगा । रिवाल्वर दोबारा यहां रखी जाने से पहले पुलिस यहां की तलाशी ले चुकी होगी । तब वे लोग समझ जायेगे कि रिवाल्वर यहां बाद में प्लांट की गई थी । सुनयना को हत्यारी साबित करने के लिये पहली ही बार की तलाशी में रिवाल्वर यहां मिलनी निहायत जरूरी है


तभी अमीरीलाल और सुनयना वहां लौट आये ।


"चलो।" - वह आते ही बोला ।


“अमीरी" - जनक बोला- "इस आदमी की बात में दम है। मेरे ख्याल से यहां से रवाना होनो से हमें बॉल को फोन करके उसकी राय ले लेनी चाहिये । " -


अमीरीलाल ने ऐसी कहरभरी निगाहों से जनक को देखा कि जनक घबराकर एक कदम पीछे हट गया ।


"मै- मैने तो” - वह हकलाकर बोला- "महज एक राय दी थी ।" 


“यह आदमी ठग है।" - अमीरीलाल बोला- "इसकी बात में दम होता है, इसीलिये तो इसका धन्धा चलता है । हमने बॉस के कहे पर चलना है इसके कहे पर नहीं । समझे ?"


जनक खामोश रहा ।


"तुमने भी कोई राय देनी है ?" - अमीरीलाल ने हनुमान से पूछा ।


"मैने तो कुछ भी नहीं कहा।" - हनुमान हड़बड़ाया ।


"अच्छा किया । चलो अब । "


" इसे यहीं छोड़कर ?" - जनक सुनयना की तरफ संकेत करता हुआ दबे स्वर में बोला ।


"यह अपनी जुबान नहीं खोलेगी ।" - अमीरीलाल बोला ।


“एक औरत की जुबान पर एतबार कर रहे हो, उस्ताद ?" - विकास बोला ।


अमीरीलाल ने उसे दरवाजे की तरफ धक्का दिया ।


"अमीरी" - जनक पूर्ववत् दबे स्वर में बोला- "गुस्से मत होवो और बात को तसल्ली से सोचो। हम इस आदमी का काम तमाम करने के लिये इसे यहां से ले जा रहे हैं और पीछे इस बात का गवाह छोड़कर जा रहे हैं । ठीक है यह बात ? मैं पूछता हूं इस बारे में बास को फोन कर लेने में हर्ज क्या है ?"


अमीरीलाल सोचने लगा। उसकी नीयत से साफ जाहिर हो रहा था कि वह जल्द से जल्द विकास का काम तमाम करने के लिये उतावला हो रहा था ।


“औरत को भी साथ ले चलो" - अन्त में वह बड़े बेसब्रेपन से बोला - "लेकिन हिलो यहां से । "


सुनयना ने प्रतिवाद के लिये मुंह खोला ।


"खामोश" उसके मुंह से आवाज निकलने से पहले ही अमीरीलाल ने उसे घुड़क दिया- "जुबान खोली तो यहीं गोली मार दूंगा ।”


सुनयना फौरन बाहर को चल दी ।


बाहर आकर सब लोग जीप में सवार हो गये ।


पुलिस का अभी भी कहीं नामोनिशान नहीं था ।


दूर सड़क पर सलेटी एम्बैसेडर में बैठी शबनम विकास को दिखाई दी । विकास उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने की कोई तरकीब अभी सोच ही रहा था कि जीप वहां से भाग निकली ।


***


विकास, सुनयना, हनुमान और जनक 'मधुबन' की पहली मंजिल पर स्थित आफिसनुमा कमरे में मौजूद थे । अमीरीलाल बख्तावर सिंह की तलाश में गया हुआ था ।


तभी बख्तावर सिंह और अमीरीलाल ने आगे-पीछे कमरे में कदम रखा ।


बख्तावरसिंह ने एक सन्तुष्टिपूर्ण निगाह विकास और सुनयना पर डाली और फिर बोला- "तुम कल के बच्चे मुझे फंसाने चले थे ?"


“अमीरीलाल ने मेरे खिलाफ तुम्हें पट्टी पढा दी मालूम होती हैं, बख्तावर सिंह !" - विकास बोला ।


"मेरे आदमी ने मुझे हकीकत बताई है ।"


"लेकिन मुकम्मल हकीकत नही बताई मालूम होती । बताता भी कैसे ? वह तो अपनी पहली नाकामयाबी का बदला लेने के लिए मुझे जल्द से जल्द मार डालने के लिए तड़प रहा है । इसने तुम्हें बताया है कि इसने आकर सब गुड़ गोबर कर देने से पहले मैने ऐसा इन्तजाम किया था कि महाजन के कत्ल के मामले में हम दोनों पर ही कोई आंच न आती ?"


"बॉस" - अमीरीलाल तीखे स्वर में बोला - "यह आदमी..."


"खामोश ! इसे अपनी बात कहने दो ।"


'अमीरीलाल की जेब में" - विकास जल्दी से बोला “इस वक्त वह रिवाल्वर मौजूद है जिससे महाजन का कत्ल हुआ है। मैं यह बात पुलिस वालों की ही मदद से साबित कर चुका हूं।"


"अच्छा ! पुलिस से मदद कैसे हासिल कर ली तुमने?"


"बस कर ली किसी तरह । लेकिन यह हकीकत है कि मर्डर वैपन इस वक्त अमीरीलाल की जेब में है और यह असल में हत्प्राण की ही मिल्कियत है । वह रिवाल्वर महाजन की कोठी में मौजूद थी और पुलिस उसको वहां से बरामद करने के लिए आ रही थी। रिवाल्वर की उस प्रकार बरामदी के बाद हत्या का सन्देह सिर्फ सुनयना पर किया जाता । फिर न तुम्हारी तरफ कोई उंगली उठती और न मेरी तरफ । लेकिन अमीरीलाल ने अपनी व्यक्तिगत खुन्दक मुझसे निकालने के लिए सब गुड़ गोबर कर दिया । यह मेरा कत्ल करके अपनी बेइज्जती का बदला उतारना चाहता है । इसे तुम्हारे हित या अहित से कोई मतलब नहीं ।"


“अमीरी" - बख्तावर सिंह ने घूर कर उसे देखा - "यह बात सच है ?"


"बॉस की बकवास... - " अमीरीलाल बोला - "यह आदमी खामखाह


“जनक, तुम बोलो क्या बात है ?"


जनक ने बेचैनी से पहलू बदला और फिर दबे स्वर में बोला- "यह आदमी कह तो ठीक ही रहा है । "


"ओहो !" - बख्तावर सिंह अमीरीलाल की तरफ घूमा और खा जाने वाली निगाहों से उसे घूरता हुआ बोला- "अब तुम्हारी इतनी मजाल हो गई है कि तुम मनमानी करने लगे हो ?"


अमीरीलाल के चेहरे ने कई रंग बदले ।


"वह रिवाल्वर मुझे दो।" - बख्तावर सिंह चिल्लाया ।


अमीरीलाल ने फौरन महाजन के बैडरूम से हासिल हुई रिवाल्वर उसे सौंप दी । बख्तावर सिंह ने रिवाल्वर को यूं अपने हाथ में थामा जैसे वह अमीरीलाल पर गोली चलाने लगा हो । अमीरीलाल को भी शायद ऐसा ही लगा क्योंकि विकास ने उसके चेहरे का रंग उड़ता साफ देखा ।


बख्तावर सिंह रिवाल्वर लिये मेज के पीछे जा बैठा । उसने टेलीफोन उठाकर एक नम्बर डायल किया । थोड़ी देर बाद वह माउथ पीस में बोला- "इम्स्पेक्टर तिवारी !... मैं बख्तावर सिंह बोल रहा हूं। मैं तुम्हें एक पैंतालीस कैलीबर की मोजर रिवाल्वर का नम्बर बता रहा हूं। मुझे अभी बताओ यह रिवाल्वर किस के नाम से रजिस्टर्ड है।" - उसने रिवाल्वर पर से पढ कर नम्बर बोला- "मैं होल्ड करता हूं।"


पांच मिनट तक वह रिसीवर कान से लगाये बैठा रहा ।


"थैक्यू" - अन्त में वह बोला और उसने रिसीवर रख दिया। उसने घूरकर अमीरीलाल को देखा और बहुत गुस्से में बोला - "यह ठग ठीक कह रहा है । यह रिवाल्वर महाजन की है । इसके बताये मुताबिक रिवाल्वर पुलिस द्वारा बरामद की जाने में हमें फायदा था । जब इसने यह बात बताई थी तो तुमने मुझे फोन क्यों नहीं किया था ?"


"मैंने इसे कहा भी था ।" - विकास बोला ।


"शटअप" - बख्तावर सिंह दहाड़ा- "मेरे आदमी ने गलती की है तो इसका मतलब यह नहीं है कि तुम्हारी जान बच जायेगी । तुम दोनों मरोगे ।”


सुनयना के मुंह से एक भयभरी सिसकारी निकल गई ।


“इनको किसी मुनासिब जगह ले जाओ। और ऐसी स्टेज सैट करो कि यह हत्या और आत्महत्या का केस लगे । ऐसा लगे कि एक ने दूसरे की हत्या की और खुद आत्महत्या कर ली । और अमीरी, इस बार कोई गड़बड़ हुई तो तुम्हारी खैर नहीं ।”


उसने जोर से रिवॉल्वर अमीरीलाल की तरफ फेंक कर मारी । वह बड़ी मुश्किल से लपक पाया ।


"बॉस..." वह दबे स्वर में बोला- "औरत हमारे खिलाफ जुबान नहीं खोल सकती । इसलिए इसकी हत्या.."


“बको मत । जब पता लगेगा कि रिवॉल्वर महाजन की है तो क्या उसकी बीवी से पूछताछ नहीं होगी। रिवॉल्वर न भी बरामद हो तो भी इस बारे में इसकी जवाबतलबी जरूर होगी, क्योंकि तुम्हीं ने बताया है कि मर्डर वैपन के महाजन के बैडरूम में होने की खबर पुलिस तर पहुंच चुकी है। यह औरत पुलिस के सामने अपनी जुबान कभी बन्द नहीं रख सकेगी । जरा से दबाव में यह सब कुछ बता देगी । इसलिए जो मैंने कहा है, वही करो।"


"मैं चुप रहूंगी।" - सुनयना आतंकित भाव में बोली ।


बख्तावर सिंह ने जैसे उसकी बात सुनी तक नहीं । वह मेज के पीछे से उठा और लम्बे डग भरता हुआ वहां से बाहर निकल गया ।