नलिनी प्रभाकर ।

रोशन द्वारा अजय को ठिकाने लगाने के लिए किए गए असफल प्रयास के दौरान जान गँवा देने के अगले रोज शाम को विशाल गढ़ स्थित अपने निवास स्थान पर पहुंची ।

विराटनगर से लौटते समय प्लेन में ही अखबार में यह समाचार उसने पढ़ लिया था । फलस्वरूप घर पहुंचते ही सबसे पहले उसने अजय को उसके होटल में फोन किया और बेचैनी से उसका इंतजार करने लगी ।

रोशन की मौत और मंजुला सक्सेना की हत्या के मामले में उसकी इंवॉल्वमेंट ने नलिनी को बुरी तरह हिला दिया था । अब वह महसूस कर रही थी कि मनमोहन सहगल की हत्या के मामले की छानबीन करने के लिए अजय को तैयार करके उसने बड़ी भारी गलती की थी । यह ठीक था कि उस वक्त उसे अपना यह आइडिया बेहद बढ़िया और फायदेमंद नजर आया था लेकिन अब वो सब उसे एक भयानक दु:स्वपन सा लग रहा था ।

ईजी चेयर में पसरी वह बार–बार पहलू बदलती रही ।

लगभग आधा घंटा ।

डोर बैल की आवाज सुनकर उठी और तेजी से चलती हुई प्रवेश द्वार पर पहुंची ।

उसने दरवाजा खोला ।

बाहर आशानुरूप अजय खड़ा था । उसे वहां तक पहुंचाने वाली टैक्सी गेट से गुजर कर वापस जा रही थी ।

नलिनी ने जबरन मुस्कराते हुए उसका स्वागत किया ।

–'आओ, अजय ।' वह बोली ।

अजय अन्दर आ गया ।

नलिनी ने पुनः द्वार बन्द करके उसकी बाँह थामी और उसे साथ लिए ड्राइंगरुम में आ गई ।

–'जानते हो, मैंने तुम्हें क्यों बुलाया है ?'

–'नहीं ।' अजय बोला ।

–'मैं बहुत ज्यादा परेशान और भयभीत हूँ ।'

–'क्यों ?'

विराटनगर से आते समय प्लेन में मैंने रोशन और मंजुला के बारे में पड़ा था ।' नलिनी ने कहा, फिर पूछा–'इस सबका मनमोहन की मौत से ही ताल्लुक है न ?'

–'ऐसा ही लगता है ।' अजय बोला–'मंजुला के पास किसी आदमी का दस्तखत शुदा ऐसा बयान था जिससे साबित होता था कि उस रात मनमोहन के अपार्टमेंट में रोशन मौजूद था । रोशन उस स्टेटमेंट को लेने गया और उसने ले भी लिया । लेकिन अचानक मंजुला बीच में आ गई । इसलिए उसने मंजुला को शूट कर दिया ।'

–'और तुमने रोशन को मार डाला ।'

अजय मुस्कराया ।

–'तुम गलत समझ रही हो ।'

–'मतलब ?'

–'रोशन इसलिए नहीं मारा गया कि उसने मंजुला की हत्या की थी ।'

–'फिर ?'

–'मैंने उसे इसलिए शूट किया था । क्योंकि वह मेरी जान लेनी चाहता था । उसने मुझ पर गोलियां बरसाई थीं ।'

–'यू मीन सैल्फ डिफेंस ?'

–'हाँ ।'

–'अखबार में भी छपा तो यही था । लेकिन न जाने क्यों मुझे इस पर यकीन नहीं आया । खैर, अब तो यह सब खत्म हो गया ?'

अजय ने जवाब नहीं दिया ।

–'क्या मनमोहन की हत्या रोशन ने ही की थी ?' नलिनी ने पूछा ।

–'मेरे विचार से मनमोहन की हत्या कम से कम दो आदमियों ने मिलकर की थी ।' अजय संक्षिप्त मौन के बाद बोला–'उनमें से एक रोशन था और दूसरा कोई और ।'

नलिनी ने अभी भी उसकी बांह थाम रखी थी । वह उसे साथ लिए सोफे के पास पहुंची और एक प्रकार से जबरन उसे अपने साथ बैठा लिया ।

–'यह सिलसिला सिर्फ उतना ही नहीं है जितना नजर आता है ।' अजय का कथन जारी था–'मेरा कहने का मतलब है यह सिर्फ मनमोहन की हत्या का ही मामला न होकर और भी बहुत कुछ है । और अमरकुमार इसमें गले तक फंसा हुआ है । इसी तरह शमशेर सिंह भी इसमें पूरी तरह इन्वॉल्व है । अगर मेरा अनुमान गलत नहीं है तो और भी कई लोग इसमें इन्वॉल्व हैं । और हमने अभी इस मामले की सतह को खुरचना ही शुरू किया है अगर कोई अनहोनी नहीं हो जाती तो असलियत तक पहुंचने के लिए बहुत पापड़ पीटने पड़ेंगे ।'

अजय की बांह पर नलिनी की पकड़ एकाएक कस गई, आँखें तनिक फैल गई और चेहरा पीला पड गया ।

–'दूसरे लोगों को भूल जाओ, अजय ।' वह फंसीसी आवाज में बोला–'मैं नहीं चाहती कि तुम इस मामले में और ज्यादा कुछ करो । मुझे यह मामला शुरू ही नहीं करना चाहिए था ।'

अजय ने देखा, वह साफ भयभीत नजर आ रही थी ।

–'देखो, नलिनी, यह कोई खेल नहीं है । जिसे जब चाहा शुरू कर लिया और जब जी चाहा बंद कर दिया । वह बोला–'इस वक्त स्थिति यह है मैं चाहकर भी इस मामले से खुद को अलग नहीं कर सकता । बाकी लोगों की तरह मैं भी इसमें पूरी तरह फंस चुका हूं ।'

–'तुम चुपचाप वापस विराटनगर चले जाओ ।'

–'इससे भी कुछ नहीं होगा ।'

–'क्यों ?'

–'रोशन के पीछे जो लोग थे उन्हें जरा भी यकीन नहीं आएगा मैं इस मामले से अलग हो गया हूँ ।'

–'उन्हें कैसे यकीन आएगा ?'

–'मुझे इस दुनिया से रुखसत करने के बाद ही वे यकीन कर सकते हैं । और उनकी ऐसी किसी कोशिश को कामयाब मैं नहीं होने दूंगा ।'

नलिनी सिहरन सी लेकर रह गई ।

–'क्या उन लोगों को मालूम है तुमने इस मामले में मेरे कहने पर अपनी टांग फंसाई है ?'

–'मेरी जानकारी में तो अभी तक ऐसी कोई बात आई नहीं है । लेकिन अगर कोई चाहे तो आसानी से इस बात को समझ सकता है ।'

–'कैसे ?'

–'तुम मुझे अप्रोच करने से पहले पुलिस, सी. आई. डी. और अखबार वालों के पास गई थीं । अगर किसी को इस बारे में पता चल जाए तो वह आसानी से अंदाजा लगा लेगा कि तीनों जगह से निराश होने के बाद तुमने मुझे अप्रोच किया हो सकता है ।'

नलिनी का चेहरा और ज्यादा पीला पड़ गया ।

–'तब तो वे अपना अगला शिकार मुझे भी बना सकते है ?'

–'नहीं, बशर्ते कि हम पहले ही उनके सर पर जा चढ़ते है ।'

नलिनी उसकी बांह छोड़कर उछलकर खड़ी हो गई । अब उसके भय का स्थान क्रोध ने ले लिया था ।

–'सत्यानाश हो, मेरे उस पब्लिसिटी एजेंट का ।' वह तीव्र स्वर में बोली–'मुझे उसकी बातों में नहीं आना चाहिए था । मुझे समझ लेना चाहिए था कि इस मामले में हाथ डालने पर ऐसा भी हो सकता है । लेकिन बेवकूफों की तरह उसकी बातों में आ गई ।'

–'तुमने अपने पब्लिसिटी एजेंट के कहने पर इस मामले में हाथ डाला था ।'

–'हाँ । उसने मुझे पूरा यकीन दिला दिया था कि इस तरह न सिर्फ अमरकुमार को नीचा दिखाया जा सकता है । बल्कि अच्छी–खासी पब्लिसिटी भी मुझे मिल सकती है ।'

–'कैसे ?'

–'अगर हम मनमोहन के हत्यारे का पता नहीं लगा सके तो उसने ऐसी कहानियां अखबारों में छपवानी थी । जिनसे साबित होता कि मैंने हत्यारे का पता लगवाने की पुरजोर कोशिश की थी । और अगर भाग्यवश हत्यारे का पता चल जाता तो उसने अखबारों के माध्यम से मुझे बाकायदा लेडी रॉबिनहुड बना देना था । लेकिन असल में हुआ यह कि उस हरामजादे ने मुझे मुसीबत में फंसा दिया ।'

–'यानी तुम्हें इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि मनमोहन की हत्या क्यों और किसने की ?'

–'हाँ, इसमें कोई दिलचस्पी मुझे नहीं है । बात सिर्फ इतनी थी कि मनमोहन ने मेरे घर में मेरी मौजूदगी में अमर की खासी ठुकाई कर दी थी । मेरे पब्लिसिटी एजेंट का विचार था इस मौके का फायदा उठाकर हम तगड़ी पब्लिसिटी हासिल कर सकते हैं ।'

अजय खड़ा हो गया । नलिनी उसे सच बोलती नजर आ रही थी । उसकी बातों पर यकीन न करने की कोई वजह उसे दिखाई नहीं दी ।

नलिनी ने पुनः उसकी बांह पकड़ ली ।

–'जा रहे हो ?'

–'हाँ ।' अजय ने कहा–'मैं जान गया हूँ फिल्मों में, ही नहीं अपनी जाती जिन्दगी में भी तुम लाजवाब एक्टिंग कर लेती हो । जिसका खूबसूरत नमूना तुमने विराटनगर में मेरे फ्लैट में पेश किया था और मैं उसे असलियत समझ कर यहां दौड़ा चला आया ।'

–'वो मेरी बेवकूफी थी, अजय । मुझे इस मामले में पड़ना ही नहीं चाहिए था । लेकिन अब तुम मुझे अकेली छोड़कर नहीं जा सकते । मुझे डर लग रहा है । आई नीड प्रोटेक्शन ।'

अजय मुस्कराया ।

–'बाई मी और फ्रॉम मी ?'

–'मजाक मत करो, प्लीज । अगर उन लोगों को पता चल गया कि मैं इस मामले में दिलचस्पी लेती रही हूँ तो वे सीधे यहीं आ पहुंचेंगे ।'

–'किसलिए ?'

–'वे सोचेंगे मनमोहन की हत्या की जाने का मुझे इस कदर यकीन है तो मैं और भी बहुत कुछ जानती हो सकती हूँ ।'

–'क्या तुम वाकई कुछ जानती हो ?'

–'नहीं ।'

–'फिर तो तुम बेकार डर रही हो ।' अजय बोला–'अगर उनमें से कोई यहाँ आ भी गया तो हिफाजत की जरूरत तुम्हें नहीं उसे पड़ेगी । क्योंकि तुम्हारी इन आँखों, उभारों, सैंट की इस भीनी–भीनी खुशबू और ऊपर से लाजवाब एक्टिंग के वार से वह बच नहीं सकेगा ।'

नलिनी मुस्कराती हुई उससे सट गई ।

–'नाराज मत होओ, अजय । यह सब तो हमारे धंधे का एक हिस्सा है । यकीन करो, किसी का अहित करने का कोई इरादा मेरा नहीं था । मुझे पब्लिसिटी बटोरने का मौका नजर आया और मैं...।'

–'अगर तुमने पब्लिसिटी की अपनी भूख पर थोड़ा काबू किया होता तो हो सकता है मंजुला सक्सेना को जान गंवानी नहीं पड़ती ।'

–'लेकिन मुझे क्या पता था यह सब हो जाएगा । खैर, जो हो गया उस पर खाक डालो ।' नलिनी अपने वक्षों का दबाव उसके सीने पर डालती हुई बोली–'मेरी वजह से जो परेशानी तुम्हें हुई है । मैं उसकी भरपाई करना चाहती हूं ।' और अपने अधखुले नर्म होंठ उसके होंठो से सटा दिए ।

अजय ने चुंबन लेकर उसे स्वयं से परे कर दिया ।

–'मैं एक ही बार बिल बनाकर दे दूंगा । तब भुगतान कर देना ।'

–'वो बाद की बात है । अभी मैं एडवांस देना चाहती हूं ।'

–'वो तुमने विराटनगर में ही दे दिया था ।'

–'कोई बात नहीं है ।' नलिनी उसे आलिंगनबद्ध करके बोली–'अगर तुम्हें लगे कि मैंने ज्यादा भुगतान कर दिया है तो मुझे वापस लौटा देना ।' और पुनः उसके होठों पर अपने होंठ जमा दिए ।'

अजय कई पल चुपचाप खड़ा रहा । वह जानता था नलिनी की निकटता में ज्यादा देर स्वयं पर काबू पाए नहीं रख सकेगा । उसने बलपूर्वक स्वयं को आलिंगन मुक्त किया और उसे परे धकेलकर ड्राइंग रूम से निकल गया ।